काश ऐसा दिन आ जाए, जब आप टैक्सी की तरह हवाई जहाज बुला सकें

देश में ही नहीं, दुनियाभर में हवाई सेवाएं लोकप्रिय हो रही हैं. काश, ऐसा दिन आ जाए जब आप बिना प्रीबुक कराए, जैसे टैक्सी को हाथ हिला कर बुला सकते हैं, वैसे ही हवाई सेवा का उपयोग कर सकें. आजकल बड़ेबड़े हवाई अड्डे बनने लगे हैं जहां मीलों तक बाजारों व खानेपीने की दुकानों से गुजर कर पहुंचना पड़ता है. यह अड़चन हवाई सेवाओं का सुख छीन रही है.

विशाल हवाई अड्डों की जगह छोटे हवाई अड्डे और बड़े जहाजों की जगह छोटे हवाई जहाज शायद ज्यादा उपयोगी हों.

देश में दिल्ली और मुंबई के क्रमश: जेवर और नवी मुंबई में विशाल हवाई अड्डे बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जहां पहुंचने में दिल्ली और मुंबई वालों को घंटों सड़कों पर ट्रैफिक से जूझना पड़ेगा. फिर आजकल सुरक्षा के नाम पर मनमाने कंट्रोल होने लगे हैं. आधे घंटे पहले हवाई जहाज में चढ़ा दिया जाता है. उतरते वक्त मीलों चलना पड़ता है. बैगेज का इंतजार करना पड़ता है.

मस्तमौलाओं के लिए हवाई सेवाएं भी क्यों नहीं मस्तमौला हो सकतीं. चाहे 4 सीटर प्लेन हों या 400 सीटर, जब चाहो जैसे चाहो, बैठो और पहुंचो. भारीभरकम हवाई जहाज इसलिए चल रहे हैं क्योंकि हवाई कंपनियां इतनी बड़ी हो गई हैं कि वे छोटे हवाई जहाजों के उद्योग को पनपने ही नहीं दे रही हैं. जहां जमीनी वाहनों में 400-500 यात्रियों को ले जाने वाली ट्रेनों से ले कर 2 जनों तक ले जाने वाली बाइक हैं, वहीं हवाई सेवाओं में छोटे वाहनों की भारी किल्लत है. छोटे हवाई जहाज तो लक्जरी आइटम हैं और उन को चलाना व खरीदना नीरव और ललित मोदियों के बस का ही है, जो जनता का पैसा लूट सकते हैं. होना तो यह चाहिए कि जम कर रिसर्च हो कि आम लोगों को हवा में उड़ने लायक ज्यादा व आसान सुविधाएं कैसे दी जाएं.

विज्ञान आवश्यकता के अनुसार खोज कर लेता है. मोबाइल और कंप्यूटर कभी बेहद महंगे होते थे पर आज एकदम सस्ते हो गए हैं. इतने सस्ते कि सरकार समझने लगी है कि मोबाइल नंबर ही आदमी की पहचान बन गया है. ऐसा ही हवाई सेवाओं के क्षेत्र में होना चाहिए और किसी भी शहर के ऊपर हवाई जहाज वैसे ही उड़ते नजर आने चाहिए जैसे चीलकबूतर उड़ते नजर आते हैं. यह संभव भी है. बस, बड़ी कंपनियों का कंट्रोल तो हटे.

थोथा मंत्र है नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया

हरियाणा,छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश  आदि राज्यों की सरकारों ने कहा है कि उन्हें नए इंजीनियरिंग कालेजों की जरूरत नहीं है. हर राज्य में पहले से निर्धारित सीटों में से आधी से ज्यादा खाली हैं. इंजीनियरिंग कालेजों की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है. इन निजी कालेजों को छात्रों की फीस पर निर्भर रहना पड़ता है और कम छात्रों का अर्थ है कि कम छात्रों को पूरी फैकल्टी व विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर का आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा.

देश के 3,291 इंजीनियरिंग कालेजों की 15.5 लाख सीटों में से आधी का खाली रहना बताता है कि देश के युवाओं का भविष्य संकट में है. इंजीनियरिंग स्किल देश की उन्नति में अनिवार्य है और इंजीनियर का कैरियर अब तक एक अच्छा व स्थायी माना जाता था. इंजीनियरों की घटती मांग और महंगी होती इंजीनियरिंग की शिक्षा का अर्थ है कि देश के कारखानों की हालत भी खराब है और मेक इन इंडिया केवल थोथा मंत्र है.

इंजीनियरिंग वास्तव में हमारी सोच के खिलाफ है. हम ठहरे विश्वगुरु, हम भला लोहे से काम क्यों करेंगे. हमारे यहां तो अच्छी नौकरियां पटवारी, हवलदार, इंस्पैक्टर, छोटे अफसर, क्लर्क, बाबू की हैं. कंप्यूटर हमें सुहाता है क्योंकि उस में हाथ काले नहीं करने पड़ते.

इंजीनियरों को मैले कारखानों में काम करना पड़ता है. उन्हें गरम या ठंडे मौसम में बिना सुखसुविधा के रहना पड़ता है. उन का वास्ता शूद्रों व दलितों से पड़ता है जिन्हें हमारे शासक न जाने क्याक्या कहते हैं. उन्हें पुचकार कर इंजीनियरों को उन से काम लेना पड़ता है.

किसी भी देश का विकास उस के इंजीनियरों के बलबूते होता है, ऐडमिनिस्ट्रेटरों, फाइनैंशियल एनालिस्टों, एमबीओं, बाबुओं, पटवारियों से नहीं. ये लोग केवल उन सामानों के निर्माण का लाभ उठाते हैं, वितरण करते हैं या उन की कीमत निर्धारित करते हैं जो इंजीनियरों ने बनाए. देश में इंजीनियर नहीं हैं, तभी हम जुगाड़ संस्कृति के गुणगान गाते हैं क्योंकि हमें मैकेनिकों से वे काम लेने पड़ते हैं जो इंजीनियरों के लायक हैं.

इंजीनियरों की हमें पगपग पर जरूरत है. हमारे यहां कोई मकान सीधा नहीं बनता, कोई धार सीधी नहीं खिंचती क्योंकि हमारे यहां प्रशिक्षित व योग्य इंजीनियर हैं ही नहीं. यहां इंजीनियरों का इतना अभाव है कि सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति चीन में ढाली जा रही है. सरकारी विभागों के इंजीनियर हेराफेरी में ज्यादा लगे रहते हैं, कमीशन खाना उन का मुख्य काम होता है. हालांकि, अब ये नौकरियां कम भी होती जा रही हैं.

रेलों, सड़कों, मकानों की दुर्घटनाओं की वजह इंजीनियरों या इंजीनियरिंग मस्तिष्क की कमी का होना है. अगर इंजीनियरिंग कालेजों में सीटें नहीं भर रहीं, तो देश को चौकन्ना होना चाहिए. लेकिन यहां तो गौपूजा, गौमूत्र और गंगा मैया का गुणगान हो रहा है. ऐसे देश में तो इंजीनियरिंग कालेजों की जगह वैदिक यज्ञशालाओं के निर्माण की शास्त्रीय विधि में ज्यादा आस्था रहती है. इस पर भी पंडों की पुश्तैनी जमातों का ही एकाधिकार है. इंजीनियर तो केवल थोड़े ऊंचे मिस्त्री हैं, राज या मैकेनिक की तरह के.

मैं अपने पिता की तरह डाउन टू अर्थ रहना चाहता हूं : टाइगर श्रौफ

हिंदी फिल्म ‘हीरोपंती’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता टाइगर श्रौफ का असली नाम जय हेमंत श्रौफ था. बाद में पिता जैकी श्रौफ ने उनका नाम बदलकर टाइगर श्रौफ रखा. टाइगर 4 साल की उम्र से ही मार्शल आर्ट का अभ्यास कर रहे हैं, उन्हें स्टंट और डांस करना बहुत पसंद है. इसलिए अधिकतर वे एक्शन फिल्मों में खुद ही स्टंट करते हैं. उन्होंने एक्शन करते वक्त कभी भी डबल बौडी का इस्तेमाल नहीं किया. यही वजह है कि बहुत कम समय में वे बच्चों और यूथ के आइकौन बन चुके हैं.

शांत और अनुसाशन प्रिय टाइगर अपने पिता को आदर्श मानते हैं और उनकी फिल्म ‘परिंदा’ के रीमेक में पिता की भूमिका निभाना चाहते हैं. अभी उनकी फिल्म ‘बागी 2’ रिलीज होने को है. इस फिल्म में उन्होंने अपने हेयर स्टाइल बदली है, जिसे लेकर पहले वे बहुत भावुक हो गए थे, क्योंकि अब तक के लम्बे बालों को कटवाना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन फिल्म के लुक के लिए उन्हें ये करना पड़ा. वे कहते हैं कि बचपन से लेकर आज तक मेरे बाल हमेशा लम्बे हुआ करते थे. वही मेरी आइडेंटिटी थी. मैं रोया नहीं, पर भावुक जरूर हो गया था.

इस फिल्म में टाइगर ने अलग तरीके के एक्शन किये हैं, जो कठिन ही नहीं खतरनाक भी थे, जिसमें अधिकतर अस्त्र-शस्त्र और हेलिकौप्टर का प्रयोग हुआ है, जिसके लिए आउट साइड लोकेशन में शूटिंग हुई है. इतना ही नहीं उन्होंने अलग लुक के लिए 2 घंटे नियमित वर्कआउट भी किया है, क्योंकि इसमें हैवी बौडी दिखानी थी और टोन दिखने के लिए अलग तरीके के मेकअप का इस्तेमाल किया गया है. टाइगर हर एक्शन खुद करते हैं, डबल बौडी का इस्तेमाल नहीं करते. इस बारे में वे कहते हैं कि डबल बौडी का काम करने वाले लोग पर्दे के पीछे खतरनाक स्टंट करते हैं, उनकी कोई आइडेंटिटी नहीं होती. एक्शन का क्रेडिट हीरो ले जाता है. मैं इसे सही नहीं मानता और खुद स्टंट करना पसंद करता हूं.

पर्सनल लाइफ में टाइगर कभी स्टंट नहीं करते. वे कहते हैं कि स्क्रीन पर अगर मैं टाइगर हूं, तो हकीकत में बिल्ली हूं. बहुत शर्मीला और कम बोलने वाला इंसान हूं. काम के साथ-साथ मुझमें सुधार आया है. मेरी लाइफ बड़ी बोरिंग है. काम के अलावा मैं कुछ नहीं करता. मैं फिल्मों के बारे में अपने पिता से चर्चा नहीं करता, क्योंकि वे भी एक्टर हैं और बहुत कम समय हम दोनों को साथ रहने को मिल पाता है.

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अपने पिता को टाइगर अपने जीवन का आदर्श मानते हैं. उनके बारे में वे कहते हैं कि मेरे पिता ‘हीरो’ फिल्म से लेकर अब तक बदले नहीं हैं. वे हमेशा ‘डाउन टू अर्थ’ और बिंदास किस्म के इंसान हैं. जिनका स्पौट बौय से लेकर निर्माता, निर्देशक सभी के साथ अच्छा व्यवहार रहता है. वैसा ही मैं भी रहना चाहता हूं.

टाइगर खाने के बहुत शौकीन हैं. वह नौनवेज खाना खाते हैं. इसलिए उन्हें अपने आपको कंट्रोल में भी रखना पड़ता है, ताकि शरीर फिट रहे. उन्हें दुःख इस बात का है कि वे बड़ा पाव, चौकलेट, आइसक्रीम नहीं खा पाते, जो उन्हें खूब पसंद है.

दिशा पाटनी के साथ उनका सम्बन्ध बहुत अच्छा है. उनका और दिशा के डेट करने के बारे में पूछे जाने पर टाइगर कहते है कि हम दोनों के बीच एक अच्छी दोस्ती के अलावा और कुछ भी नहीं है. फिल्म के दौरान हमने साथ-साथ लंच और डिनर किया. जो एक अच्छी दोस्ती की निशानी है.

टाइगर को फैन्स से मिलना बहुत पसंद है, लेकिन टाइगर कई बार उनके इतने प्यार से डरते भी हैं. फैन्स, कभी शर्ट फाड़ देते हैं, पिन चुभा देते हैं या नाखून मारते हैं, जिससे उन्हें कई बार चोट लग चुकी है. अब तक मिली सफलता के बारे में वे कहते हैं कि मैंने जो सोचा उसके लिए बहुत शुक्रगुजार हूं. पिता का नाम रोशन कर रहा हूं. बहुत जल्दी मुझे इंडस्ट्री ने अपनाया है, जो मैंने कभी सोचा नहीं था और मैं खुश हूं.

आने वाले समय में टाइगर ‘स्टूडेंट औफ द ईयर’ में रोमांटिक हीरों की भूमिका निभाने वाले हैं, जिसे लेकर वे बहुत उत्साहित हैं. ये उनका अलग जोन है, जिसमें उन्हें एक ‘कौलेज गोइंग’ लड़के की भूमिका निभानी है.

टाइगर के एक्शन, बच्चे और यूथ बहुत पसंद करते हैं, ऐसे में वे घर और बाहर खुद करने की कोशिश करते हैं. जो कई बार खतरनाक साबित होता है. टाइगर कहते हैं कि ये सभी एक्शन अनुभवी लोगों के सामने उचित सुरक्षा के साथ किया जाता है. इसे कोई खुद करने की कभी कोशिश न करें. आगे मैं बच्चों के लिए एक एक्शन स्कूल खोलने की इच्छा रखता हूं.

घरेलू उपाय बनाएं स्मार्ट क्लीनर

घर की साफसफाई के प्रति हर गृहिणी सचेत रहती है. पर जब दीवाली आने वाली होती है तो घर को ऐक्स्ट्रा चमकाने का मानों उन पर जनून सवार हो जाता है. आप चाहें तो घरेलू क्लीनिंग आइटम से बजट में रह कर घर की स्मार्ट क्लीनिंग कर सकती हैं.

आलू

आलू घर की साफसफाई में भी बहुत मददगार है. चूंकि इस में औक्जैलिक ऐसिड होता है, इसलिए आप इस का यूज लोेहे के बरतन से जंग हटाने के लिए कर सकती हैं. यह लोहे के बरतन से जंग को हटा कर उसे बिलकुल साफ कर देता है. यदि किसी धातु के सामान पर जंग के निशान हों, तो आलू पर नमक लगा कर उस पर रगड़ें. लेकिन ऐसा करने से पहले धातु के एक छोटे से निशान पर इसे रगड़ कर देखें. यदि धातु पर आलू का निशान पड़ रहा हो तो इस विधि को न अपनाएं.

इस के अलावा शीशा चमकाने के लिए भी आलू का प्रयोग मुफीद है. पहले आलू को कांच पर रगड़ें, इस के बाद साफ कपड़े या कागज से कांच को पोंछ दें. शीशा नया सा चमकने लग जाएगा.

नीबू, संतरा और मौसंबी

नीबू में पाया जाने वाला सिट्रिक ऐसिड प्राकृतिक ब्लीच की तरह कार्य करता है. अगर आप घर में पड़ी चीजों को साफ करने की सोच रही हैं, तो उन्हें नीबू से साफ करें.

अगर स्टोव या गैस के प्रयोग से तांबे की पेंदी पर कालिख लग गई हो तो नीबू पर नमक लगा कर रगड़ कर उस से उसे छुड़ाएं. पेंदी नई जैसी चमक उठेगी. इस के अलावा आप के घर में पीतल की मूर्तियों को भी नीबू से चमका सकती हैं.

ऐसे ही किचन के सिंक को भी साफ कर सकती हैं. नीबू को नमक में निचोड़ें, फिर उसे साबुन के साथ मिला कर उस से सिंक साफ करें. आप कठोर प्लास्टिक की वस्तुओं को भी नीबू से साफ कर सकती हैं. नीबू प्लास्टिक में लगे तेल के दागों को तुरंत साफ कर देता है, साथ ही प्लास्टिक से आने वाली गंध को भी दूर कर देता है.

घर के परदों को साफ करने के लिए भी नीबू का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह किसी भी तरह के दाग को मिटाने के साथ कपड़े से आने वाली गंध को दूर कर उसे चमका देता है.

नीबू की तरह ही संतरा और मौसंबी भी घर की सफाई में मददगार हैं. प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और विटामिनों से भरपूर इन फलों में भी नीबू की तरह ही सिट्रिक ऐसिड पाया जाता है, जो बेहतरीन क्लीनिंग एजेंट है. इसलिए इन से घर का छोटाबड़ा कई तरह का सामान साफ किया जा सकता है. आप को बस इन फलों के छिलकों की जरूरत है. संतरे के सूखे छिलके लकड़ी और शीशे के समानों की सफाई के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं.

आप संतरे के छिलकों को मिक्सर में पीस लें. फिर उसे पानी में भिगो कर उस से लकड़ी और शीशे के सामान की सफाई करें. इस मिश्रण में नीबू का रस मिला कर प्लास्टिक के सामान की भी सफाई की जा सकती है.

मौसंबी के सेवन से त्वचा चमकदार हो जाती है, यह तो हम सब जानते हैं, लेकिन आप को यह जान कर हैरानी होगी कि यह फल आप के घर को चमकाने का भी सामर्थ्य रखता है. अगर आप के घर में मार्बल का फर्श है तो मौसंबी के छिलकों को सुखा कर उन्हें पीस लें और फिर उस में थोड़ा नमक मिला कर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट से मार्बल के साथसाथ मैटल, लोहा, स्टील व ब्रास का सामान साफ किया जा सकता है.

नमक

क्या आप जानती हैं कि नमक आप खाने का जायका बदलने के साथसाथ आप के घर को भी चमका सकता है?

आप के घर में कांच की खिड़कियां और बरतन तो होंगे ही. यदि उन पर दाग लग जाए तो उसे साफ करना बड़ा मुश्किल हो जाता है. लेकिन इस मुश्किल को नमक मिनटों में आसान बना देता है. शीशे पर लगे दाग को नमक घुले पानी से साफ करें. वह पहले से ज्यादा चमक उठेगा. इस के अलावा आजकल कोल्डड्रिंक पीना आम बात है. उस वक्त अगर अचानक किसी के हाथ से शीशे का गिलास छूट जाए और आप के परदे या कालीन पर कोल्डड्रिंक का दाग लग जाए तो घबराएं नहीं. नमक के घोल में कुछ देर के लिए कालीन या परदे के दाग लगे हिस्से भिगो दें. दाग छूट जाएगा.

आप के ओवन में चिकनाई जम गई हो तो 2 चम्मच नमक को पानी में मिलाएं और उस घोल से उस की सफाई करें. चिकनाई का नामोनिशान मिट जाएगा. इतना ही नहीं नमक के घोल से आप अपने लकड़ी के फर्नीचर को भी साफ कर सकती हैं.

इमली

इमली भी घर की सफाई के लिए एक बेहतरीन क्लीनर है. यदि आप इस में चुटकी भर नमक मिला दें, तो इस की सफाई करने की शक्ति और बढ़ जाती है. आप के घर में तांबे, स्टील, कौपर, पीतल के बरतन हैं, तो इमली उन्हें झट से साफ कर के नया सा बना देगी.

बरतनों को धोतेधोते किचन का सिंक भी चिपचिपा सा हो जाता है. उस की चिपचिपाहट मिटाने के लिए इमली में नमक डाल कर पेस्ट तैयार कर लें और फिर उस से सिंक की सफाई करें. इसी तरह अगर आप के घर पर चांदी के बरतन हैं और नमी के कारण वे काले पड़ गए हैं तो इमली से उन की सफाई कर लें. इमली आप के दोबारा पौलिश कराने के पैसे बचा लेगी.

पुरानी घड़ी या दरवाजों की कुंडियों को साफ करने के लिए भी इमली का गूदा मददगार है. जंग खाए धातु के सामान को भी आप इमली के गूदे से साफ कर सकती हैं. किचन की चिमनी को भी इमली के पानी से साफ किया जा सकता है.

बेकिंग सोडा और सिरका

आप घर में रखे बेकिंग सोडे और सिरके का इस्तेमाल भी घर के सामान को साफ करने के लिए कर सकती हैं. बेकिंग सोडा और सिरका किचन के सिंक, बाथरूम और कांच की खिड़कियों को साफ करने के लिए बेहतर विकल्प हैं. आप अगर सिंक में खाना फंस जाने से आने वाली बदबू से परेशान होती हैं तो उसे दूर करने के लिए बेकिंग सोडा और सिरके का मिश्रण तैयार करें और सिंक के चारों ओर छिड़क दें. 20 मिनट बाद सिंक को स्क्रबर से साफ कर लें. यदि पाइप में खाना फंस गया हो तो इस मिश्रण को पाइप में डाल कर रात भर के लिए छोड़ दें. पाइप में गरम पानी डालें. सुबह पाइप साफ हो जाएगा.

इसी तरह बेकिंग सोडे और सिरके का मिश्रण, टाइल्स और टौयलेट सीट पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. बस कुछ देर के लिए इस मिश्रण को लगा कर छोड़ दें और बाद में पानी से साफ कर लें. बाथरूम में अनोखी चमक आ जाएगी. आप शौवर हैड भी इस मिश्रण से साफ कर सकती हैं. कई बार शौवर के छेद गंदगी से बंद हो जाते हैं. उन्हें साफ करने के लिए इस मिश्रण का इस्तेमाल करें.

फर्श और टाइल्स ही नहीं इस मिश्रण से आप जली कड़ाही, तवा और दूसरे जले बरतन भी साफ कर सकती हैं. इस के अलावा लगातार खाना बनाने की वजह से किचन का स्लैब एकदम काली हो जाती है. उस में चिकनाई जम जाती है, जिसे साफ करना काफी मुश्किल होता है. उस पर कुनकुने पानी में मिला हुआ सोडा डाल दीजिए और

10 मिनट के लिए छोड़ दीजिए. उस के बाद स्क्रबर से साफ कर लीजिए. आप बेकिंग सोडे से फ्रिज भी साफ कर सकती हैं.

टूथपेस्ट

टूथपेस्ट से अपने दांतों की सफाई तो आप रोज ही करती होंगी, लेकिन इस दीवाली उस से जरा घर की सफाई भी कर के देखें. अगर आप के घर में लैदर का सोफा है और उस में कोई दाग लग गया है, तो उसे साफ करने के लिए महंगा क्लीनर न खरीदें, बल्कि अपने बाथरूम में जाएं और अपना टूथपेस्ट ला कर सोफे पर लगे दाग पर लगाएं. फिर गीले कपड़े से साफ करें. दाग मिट जाएगा.

इस के अलावा अगर आप के घर की दीवारों पर बच्चों ने क्रियोंस रगड़ दिया हो और आप इस बार घर को पेंट कराने के मूड में न हों तो चिंता न करें. टूथपेस्ट को क्रियोंस पर लगाएं और गीले कपड़े से साफ कर दें.

टूथपेस्ट का इस्तेमाल आप चांदी के बरतन साफ करने के साथसाथ प्लास्टिक का सामान साफ करने में भी कर सकती हैं. टूथपेस्ट की एक और खासीयत यह भी है कि यह स्क्रैच के निशान भी छुड़ा देता है.

जरूरी टिप्स

– रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन का उपयोग करने के बाद हम उन्हें व्यर्थ समझ कर फेंक देते हैं. लेकिन उन का फिर से उपयोग किया जा सकता है. कैसे, आइए जानें:

– कौकरोच की समस्या लगभग हर घर में होती है. उन्हें भगाने के लिए 2 बड़े चम्मच बोरिक पाउडर और 2 बड़े चम्मच गेहूं के आटे को दूध में मिला कर गूंध लें. फिर छोटीछोटी गोलियां बना कर जहांजहां कौकरोच हों वहां रख दें.

– किताबों के रैक पर कुछ सूखी नीम की पत्तियां रखें. इस से किताबें कीड़ों से सुरक्षित रहेंगी. चंदन की लकड़ी भी रखी जा सकती है.

– काली चींटियों को भगाने के लिए उस जगह थोड़ा आटा, शक्कर और हलदी मिला कर बुरक दें. चींटियां भाग जाएंगी.

– फूलों को ज्यादा दिनों तक तरोताजा बनाए रखने के लिए पानी में सैवनअप या सोडा मिला दें. अथवा थोड़ा सा नमक एवं शक्कर मिलाएं. इस पानी को रोज बदलती रहें. फूल खिलेखिले से रहेंगे.

– संतरे के सूखे छिलकों का पाउडर बना कर उस से कपड़े की अलमारी के किनारों पर रेखा खींच दें. कपड़ों में कीड़े नहीं लगेंगे.

– फर्नीचर में लगे दागधब्बों को नीबू के छिलके या जैतून के तेल से रगड़ कर साफ कर लें.

– घर में रखी पुरानी लोहे की अलमारी व स्टील के फर्नीचर को नमी से बचाने के लिए कैरोसिन को कपड़े में लगा कर उस से साफ करें. अलमारी और फर्नीचर में जंग नहीं लगेगा.

– अगर लोहे की अलमारी अपनी चमक खो चुकी है तो थोड़े से पानी में 1 चम्मच मीठा तेल मिलाएं. इस मिश्रण में कपड़ा डिप कर उस से अलमारी साफ कर लें. अलमारी की खोई चमक लौट आएगी.

– तारपीन के तेल में सिरका मिला कर उसे फर्नीचर पर लगाएं. इस से फर्नीचर में होने वाले जीवजंतुओं से छुटकारा मिलेगा.

– पुराने घर में अकसर आंगन में घासफूस उग आती है. जलाने पर यह कुछ समय बाद फिर उग आती है. इसे जड़ से मिटाने के लिए उस स्थान पर थोड़ा सा सिरका डाल दें. यह न केवल घास को दोबारा उगने से राकेगा, बल्कि कीड़ोंमकोड़ों का भी नाश कर देगा.

स्कूटी पर जाते समय हमेशा रखें अपने बालों का ध्यान

यहां हम आप को ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जिन का खयाल रखेंगी तो आप के बालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

हैल्मेट को रखें साफ

कई बार देखने में आता है कि जल्दी के चक्कर में हम अकसर हैल्मेट ले जाना भूल जाते हैं या फिर हैल्मेट को इग्नोर करते हैं. हैल्मेट न केवल हमें हादसों के समय सुरक्षित रखता है बल्कि बालों को वाहन चलाते समय तेज धूप और धूल से भी बचाता है. जरूरी बात यह है कि हैल्मेट की सफाई पर भी विशेष ध्यान दें. समयसमय पर इस की सफाई करते रहें, क्योंकि इस का असर आप के बालों पर पड़ता है. साथ ही अच्छे मैटीरियल वाले हैल्मेट का ही इस्तेमाल करें.

बाल खुले न रखें

कई बार ऐसा देखा जाता है कि युवतियां स्कूटी चलाते समय बालों को खुला रखती हैं. इस से बाल उलझ जाते हैं और खुले बालों पर धूप का भी सीधा असर पड़ता है, जिस की वजह से कुछ ही दिन में बाल बेजान और रूखे हो जाते हैं या फिर यदि आप अपने बालों पर हेयर औयल का प्रयोग करती हैं तो वे धूल से भर जाते हैं. जब भी बाहर जाएं अपने बालों को बांध लें और यदि आप जैकेट पहनती हैं और बाल लंबे हैं तो बालों को जैकेट के अंदर कर लें.

स्कार्फ या बैंड का यूज

बालों को धूलमिट्टी और तेज धूप से बचाने के लिए स्कार्फ या फिर बैंड सब से बेहतर विकल्प होता है. वाहन चलाते समय इस का विशेष ध्यान दें और इन का प्रयोग करें. ऐसा करने से आप के बाल भी अपनी जगह पर रहेंगे और गंदे भी कम होंगे.

हेयर ब्रश

कालेज या औफिस जाने वाली महिलाएं अपने साथ बैग जरूर ले जाती हैं. बैग में अपनी जरूरत के सामान के साथसाथ हेयर ब्रश भी रखें. जब आप औफिस या कालेज पहुंचें तो बालों को खोल कर उन्हें एक बार ब्रश से संवार लें जिस से रास्ते की धूल और गंदगी निकल जाए.

बालों को रखें छोटा

स्कूटी प्रयोग करने वाली महिलाओं को कोशिश करनी चाहिए कि उन के बाल छोटे हों, लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो अपने लंबे बालों को बांधते समय 1 या 2 फोल्ड में रखें या फिर ऐसा हेयरस्टाइल अपनाएं जिस से आप के बाल छोटे रहें.

सोच को बदलें और दिखें हमेशा जवां जवां

बढ़ती उम्र का त्वचा पर प्रभाव पड़ना आम बात है. पर कहते हैं न कि जैसा मन वैसा तन. यानी जब कोई यह ठान ले कि उसे चिर युवा बने रहना है तो उस का हावभाव, सोचविचार, चालचलन भी वैसा ही हो जाता है. इस के साथसाथ आज की नवीन तकनीकें और नित नए ऐंटीएजिंग उत्पाद भी इस प्रक्रिया को धीमी करने में सफल हो रहे हैं. आज हर व्यक्ति अपनी बढ़ती उम्र में भी खुद को फिट और जवां रखने की कोशिश करता है.

मुंबई की आईएमसी की महिला शाखा में आयोजित ‘फौरएवर यंग’ सेमिनार में स्किन ऐक्सपर्ट डा. जमुना पाई ने बताया कि जन्म के बाद से ही त्वचा की उम्र बढ़ने लगती है. ऐसे में त्वचा की उम्र को कम करने के लिए आहार, जीवनशैली और सोच में परिवर्तन करना बेहद जरूरी है.

जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है बाल सफेद होने लगते हैं, चेहरे पर झुर्रियां आने लगती हैं. नजर भी कमजोर होने लगती है. इस के अलावा उम्र बढ़ने पर त्वचा के नीचे का फैट भी कम होने लगता है. जिस से त्वचा पतली हो जाती है और झुर्रियां दिखनी शुरू हो जाती हैं. इन्हें आजकल कौस्मैटोलौजिस्ट ट्रीटमैंट के द्वारा ठीक किया जा रहा है, जिस में फिलर्स और बोटोक्स ज्यादा किया जाता है. त्वचा की उम्र कम करने के लिए निम्न बातों पर ध्यान अवश्य दें:

– अपनी दिनचर्या को नियमित रखें. हर काम समय पर पूरा करने की कोशिश करें. पूरी नींद लें. अधिक सोना और कम सोना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. 6-7 घंटे की नींद जरूर लें.

– नियमित व्यायाम करें.

– अपने तनाव को कम करें. किसी कठिनाई के आने पर सकारात्मक सोच रखें.

– आत्मविश्वास से भरपूर रहें.

– हंसना एक अच्छा व्यायाम है. इस में कंजूसी न करें. ठहाके लगा कर हंसें.

– रचनात्मक काम में रुचि बढ़ाएं.

– फास्ट फूड और जंक फूड के बजाय सादा और प्राकृतिक भोजन लें.

– खाने में अलगअलग रंग की सब्जियां और फल अवश्य लें. पानी अधिक पीएं.

– कभी दूसरे की तरह दिखने की कोशिश न करें. अपनी पहचान अलग बनाएं.

– अपनी जीवनशैली, फिटनैस पर हमेशा ध्यान दें.

– बाहर निकलने से पहले सनप्रोटैक्शन क्रीम अवश्य लगाएं.

– अकेलेपन से बचें. सामाजिक गतिविधियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें.

– हमेशा अनुभवी डाक्टरों के संपर्क में रहें ताकि कोई भी कौस्मैटिक इलाज आप के लिए समस्या न बने.

बढ़ती उम्र को कम दर्शाने में मानसिक स्थिति भी मददगार होती है. मनोरोग चिकित्सक डा. विहांग वाहिया कहते हैं कि क्रीम या डाइट बढ़ती उम्र को रोकने में अधिक कारगर नहीं होती. इसलिए व्यक्ति का मानसिक दशा को सकारात्मक रखना जरूरी है. कई बार व्यक्ति किसी समस्या को ले कर अत्यधिक चिंतित हो जाता है. उसे किसी को न बता कर वह खुद सुलझाने की कोशिश करता है, जो गलत है. किसी भी समस्या या कठिनाई को हमेशा अपने परिवार या डाक्टर को बता कर सुलझाएं. इस से डिप्रैशन कम होगा. मेनोपोज के बाद अधिकतर महिलाएं यह सोचने लगती हैं कि उन का आकर्षण कम हो गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. हर किसी की शारीरिक और मानसिक बनावट अलगअलग होती है.

उम्र को मन की शक्ति द्वारा रोकना संभव है लेकिन जो मन से उम्रदराज हो जाए उस का कोई उपचार नहीं होता. अत: आप की सोच का सकारात्मक होना ही आप की उम्र को कम कर सकता है और आप हमेशा जवांजवां महसूस कर सकती हैं.

ककड़ी फ्रूटी रायता

सामग्री

1 कप ककड़ी कद्दूकस की, 2 कप दही फ्रैश जमा व फेंटा हुआ, 1/2 कप अंगूर टुकड़ों में कटे, 2 किवी छिली व छोटे टुकड़ों में कटी, 1 बड़ा चम्मच अनार के दाने, 1 बड़ा चम्मच चीनी पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच काला नमक,1/2 छोटा चम्मच सफेद गोल मिर्च पाउडर, 2 बड़े चम्मच पुदीनापत्ती बारीक कटी, नमक स्वादानुसार.

विधि

दही में सारी सामग्री मिला कर फ्रिज में 2 घंटों तक ठंडा कर सर्व करें.

मसूड़ों की तकलीफ को हलके में लेना स्वास्थ्य पर पड़ सकता है भारी

मसूड़ों में सूजन, उन का कमजोर पड़ना, ब्रश करने के बाद खून आना और मुंह से लगातार दुर्गंध आना, ये सभी मसूड़ों की समस्या के लक्षण हैं. इन से शुरुआती चरण में नजात पाना आसान है, लेकिन शुरू से अगर इलाज नहीं कराया जाता तो दुष्परिणाम दांत टूटने और कई रोगों के रूप में सामने आ सकता है.

मसूड़ों में सूजन या खून आने जैसे किसी भी लक्षण को हलके में नहीं लेना चाहिए. ये लक्षण मसूड़ों को नुकसान से बचाने के लिए उपाय करने का संकेत दे रहे होते हैं. यदि इन की अनदेखी की गई तो स्थिति बिगड़ कर पेरियोडोंटाइटिस (मसूड़ों और दांतों की हड्डियों के रोग) तक बढ़ सकती है. यह रोग मसूड़ों की गंभीर तकलीफ से जुड़ा होता है जिस से मसूड़े कमजोर पड़ने लगते हैं और दांतों की जड़ों तक बैक्टीरिया का हमला बढ़ जाता है. मसूड़ों के

टिशू जब क्षतिग्रस्त होने लगते हैं तो दांतों को मजबूती देने में असमर्थ हो जाते हैं. तब दांत टूटने लग जाते हैं. यानी इस का अंतिम दुष्परिणाम दांतों के कमजोर हो कर टूटने के रूप में ही सामने आता है.

कई लोगों को पता नहीं होता कि मसूड़े के रोग से न सिर्फ दांतों को नुकसान पहुंचता है बल्कि इस से कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य परेशानियां भी खड़ी हो सकती हैं. मसूड़ों की समस्या के नाम से जाना जाने वाला पेरियोडोंटल रोग कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है. लिहाजा मसूड़ों की समस्या से संबंधित किसी भी लक्षण की अनदेखी नहीं होनी चाहिए.

कार्डियोवैस्क्युलर रोग

शोध बताते हैं कि पेरियोडोंटल रोग के कारण कार्डियोवैस्क्युलर रोग का खतरा भी बढ़ सकता है. पेरियोडोंटल तथा कार्डियोवैस्क्युलर रोग दोनों में गंभीर सूजन आ जाती है, इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि सूजन से इन दोनों का ताल्लुक हो सकता है.

डिमेंशिया

यह रोग किसी व्यक्ति की सोचनेसमझने की शक्ति और याददाश्त को प्रभावित करता है और यह भी मसूड़े की बीमारी से जुड़ा होता है. यूनिवर्सिटी औफ सैंट्रल लंकाशायर और स्कूल औफ मैडिसिन ऐंड डैंटिस्ट्री का एक अध्ययन बताता है कि ये दोनों बीमारियां एकदूसरे से जुड़ी हो सकती हैं.

रूमेटाइड आर्थ्राराइटिस

कई अध्ययन बताते हैं कि मसूड़ा रोग से पीडि़त लोगों को रूमेटाइड आर्थ्राराइटिस यानी गठिया होने की आशंका ज्यादा रहती है.

प्रसवकाल से पहले जन्म

कुछ शोध बताते हैं कि पेरियोडोंटल रोग से पीडि़त महिलाओं में प्रसवकाल से पहले बच्चे को जन्म देने की संभावना ज्यादा रहती है और प्रसवकाल पूरा करने से पहले जन्म लेने वाले बच्चे में कई तरह की बीमारियां पनपने का खतरा रहता है.

क्रौनिक किडनी रोग

इस के साथ मसूड़ों रोग का संबंध साबित हो चुका है. केस वैस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी का एक शोध बताता है कि जिन के असली दांत नहीं रह गए हैं, उन्हें असली दांत वाले व्यक्तियों की तुलना में क्रौनिक किडनी रोग होने का खतरा ज्यादा रहता है.

मुंह का कैंसर

मसूड़ों की समस्या के गंभीर मामलों में मुंह का कैंसर भी देखा गया है. कई ऐसे उदाहरणों से साबित हो गया है कि मसूड़ों का रोग और मुंह के कैंसर का सीधा ताल्लुक है.

ऐसा कुछ न हो इस के लिए दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखना जरूरी है. बहुत सारे लोग अभी भी इस बात से नावाकिफ हैं कि मसूड़ा रोग पूरी सेहत पर असर कर सकता है. मुंह की परेशानी के किसी भी लक्षण की अनदेखी नहीं होनी चाहिए, बल्कि बचाव के उपाय करने के लिए कदम उठने चाहिए. साल में 2 बार डैंटिस्ट से परामर्श लेने से मुंह की सेहत दुरुस्त रह सकती है. यह कभी न भूलें कि बचाव ही महत्त्वपूर्ण है.

  • डा. स्मिता मदान, एक्सिस डैंटल, नई दिल्ली.

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड विवाह करना चाहते हैं. घर वाले राजी नहीं हैं. क्या हमें घरवालों की रजामंदी के बगैर विवाह कर लेना चाहिए.

सवाल
मैं और मेरी गर्लफ्रैंड विवाह करना चाहते हैं. घर वाले राजी नहीं हैं. क्या हमें घरवालों की रजामंदी के बगैर विवाह कर लेना चाहिए?

जवाब
आप दोनों अगर बालिग हैं और अपने पैरों पर खड़े हैं तो घर वाले आप दोनों के विवाह के लिए क्यों राजी नहीं हैं? क्या आप का मामला अंतर्जातीय विवाह का है? अगर आप दोनों बालिग हैं, अपने पैरों पर खड़े हैं, एकदूसरे को अच्छी तरह जानते व समझते हैं और लगता है कि एकदूसरे के साथ खुशहाल जिंदगी गुजार सकते हैं, तो विवाह कर लें.

पर ध्यान रहे, आगे चल कर कोई भी समस्या हुई तो आप दोनों ही उस के लिए जिम्मेदार होंगे. प्यार में बड़ा दम होता है, वह बहुत सी समस्याओं का हल खुद है लेकिन जमीनी समस्याओं का. पर शारीरिक आकर्षण कहीं विवाह बाद फीका न पड़ जाए, यह आशंका रहती है. इसलिए आप ऐसा न होने दें.

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फेसबुकिया प्यार

देर रात को फेसबुक खोलते ही रितु चैटिंग करने लगती. जैसे वह पहले से ही इंटरनैट पर बैठ कर विनोद का इंतजार कर रही हो. उस से चैटिंग करने में विनोद को भी बड़ा मजा मिलने लगा था.

रितु से बातें कर के विनोद की दिनभर की थकान मिट जाती थी. स्कूल में बच्चों को पढ़ातेपढ़ाते थका हुआ उस का दिमाग व जिस्म रितु से चैटिंग कर तरोताजा हो जाता था.

पत्नी मायके चली गई थी, इसलिए घर में विनोद का अकेलापन कचोटता रहता था. ऐसी हालत में रितु से चैटिंग करना अच्छा लगता था.

विनोद से चैटिंग करते हुए रितु एक हफ्ते में ही उस से घुलमिल सी गई थी. वह भी उस से चैटिंग करने के लिए बेताब रहने लगा था.

आज विनोद उस से चैटिंग कर ही रहा था कि उस का मोबाइल फोन घनघना उठा, ‘‘हैलो… कौन?’’

उधर से एक मीठी आवाज आई, ‘हैलो…विनोदजी, मैं रितु बोल रही हूं… अरे वही रितु, जिस से आप चैटिंग कर रहे हो.’

‘‘अरे…अरे, रितु आप. आप को मेरा नंबर कहां से मिल गया?’’

‘‘लगन सच्ची हो और दिल में प्यार हो तो सबकुछ मिल जाता है.’’

फेसबुक पर चैटिंग करते समय विनोद कभीकभी अपना मोबाइल नंबर भी डाल देता था. शायद उस को वहीं से मिल गया हो. यह सोच कर वह चुप हो गया था.

अब विनोद चैटिंग बंद कर उस से बातें करने लगा, ‘‘आप रहती कहां हैं?’’

‘वाराणसी में.’

‘‘वाराणसी में कहां रहती हैं?’’

‘सिगरा.’

‘‘करती क्या हैं?’’

‘एक नर्सिंग होम में नर्स हूं.’

‘‘आप की शादी हो गई है कि नहीं?’’

‘हो गई है…और आप की?’

‘‘हो तो मेरी भी गई है, पर…’’

‘पर, क्या…’

‘‘कुछ नहीं, पत्नी मायके चली गई है, इसलिए उदासी छाई है.’’

‘ओह, मैं तो कोई अनहोनी समझ कर घबरा गई थी…’

‘‘मुझ से इतना लगाव हो गया है एक हफ्ते में… आप की रातें तो रंगीन हो ही रही होंगी?’’

‘यही तो तकलीफ है विनोदजी… पति के रहते हुए भी मैं अकेली हूं,’ कहतेकहते रितु बहुत उदास हो गई. उस का दर्द सुन कर विनोद भी दुखी हो गया था. उस ने अपना फोटो चैट पर भेजा. रितु ने भी अपना फोटो भेज दिया था. वह बड़ी खूबसूरत थी. गोलमटोल चेहरा, कजरारी आंखें… पतले होंठ… लंबे घने बाल देख कर विनोद का मन उस की मोहिनी सूरत पर मटमिटा था. वह उस से बातें करने के लिए बेचैन रहने लगा. मोबाइल फोन से जो बात खुल कर न कह पाता, वह बात फेसबुक पर चैट कर के कह देता.

रितु का पति मनोहर शराबी था. वह जुआ खेलता, शराबियों के साथ आवारागर्दी करता, नशे में झूमता हुआ वह रात में घर आ कर झगड़ा करता और गालीगलौज कर के सो जाता.

रितु जब तनख्वाह पाती तो वह छीनने लगता. न देने पर वह उसे मारतापीटता. मार से बचने के लिए वह अपनी सारी तनख्वाह उसे दे देती.

रितु विनोद से अपनी कोई बात न छिपाती. वह अपनी रगरग की पीड़ा जब उसे बताती, तब दुखी हो कर वह भी कराह उठता. स्कूल में बच्चों को अब पढ़ाने का मन न करता. पत्नी घर पर होती तो बाहुपाश में उस को… उस की पीड़ा को वह भूल जाता. पर अब तो रितु की याद उसे सोने ही न देती. चैट से मन न भरता तो वह मोबाइल फोन से बात करने लगता. ‘‘हैलो… क्या कर रही हो तुम?’’

‘आप की याद में बेचैन हूं. आप से मिलने के लिए तड़प रही हूं… और आप?’

‘‘मेरा भी वही हाल है.’’

‘तब तो मेरे पास आ जाओ न. आप वहां अकेले हो और मैं यहां अकेली. दोनों छटपटा रहे हैं. मैं आप को पत्नी का सारा सुख दूंगी.’

रितु की बात सुन कर विनोद के बदन में तरंगें उठने लगतीं. बेचैनी बढ़ जाती. तब वह जोश में उस से कहता, ‘‘मैं कैसे आऊं… तुम्हारा पति मनोहर जो है. हम दोनों का मिलना क्या उसे अच्छा लगेगा?’’

‘आप आओ तो मैं कह दूंगी कि आप मेरे मौसेरे भाईर् हो. वैसे, वे कल अपने गांव जा रहे हैं. गांव से लौटने में उन को 2-4 दिन तो लग ही जाएंगे. परसों रविवार है. आप उस दिन आ जाओ न. ऐसा मौका जल्दी नहीं मिलेगा. मैं आप का इंतजार करूंगी,’ रितु का फोन कटा तो विनोद की बेचैनी बढ़ गई. वह रातभर करवटें बदलता रहा.

रविवार को विनोद उस से मिलने वाराणसी चल पड़ा. उस के बताए पते पर पहुंचने में उसे कोईर् दिक्कत नहीं हुई.

मकान की दूसरी मंजिल पर रितु जिस फ्लैट में रहती थी, उस में 2 कमरे, रसोईघर, बरामदा था. उस ने अपना घर खूब सजा रखा था, जिसे देख कर विनोद का मन खिल उठा. खातिरदारी और बात करतेकरते दिन ढलने लगा तो विनोद ने कहा, ‘‘आप से बात कर के बड़ा मजा आया. वापस भी तो जाना है मुझे.’’

‘‘कहां वापस जाना है आज? आज रात तो मैं कम से कम आप के साथ रह लूं… फिर कब मिलना हो, क्या भरोसा?’’ रितु ने इतना कहा, तो विनोद की बांछें खिल उठीं. इतना कह कर वह उस के गले लग गया. रितु कुछ नहीं बोली.

‘‘मैं आप की बात भी तो नहीं टाल सकता… चलो, अब कमरे में चल कर बातें करें.’’

विनोद ने कमरे में रितु को डबल बैड पर लिटा दिया और उस के अंगों से खेलने लगा.

इतने में पता नहीं कहां से मनोहर उस कमरे में आ घुसा और विनोद को डपटा, ‘‘तू कौन है रे, जो मेरे घर में आ कर मेरी पत्नी का रेप कर रहा है?’’

मनोहर को देख विनोद घबरा गया. उस का सारा नशा गायब हो गया. रितु अपनी साड़ी ओढ़ कर एक कोने में सिमट गई. मनोहर ने पहले तो विनोद को खूब लताड़ा, लातघूंसों से मारा, फिर पुलिस को फोन मिलाने लगा.

विनोद उस के पैर पकड़ कर पुलिस न बुलाने की भीख मांगता हुआ उस से बोला, ‘‘इस में मेरी कोई गलती नहीं है. रितु ने ही फेसबुक पर मुझ से दोस्ती कर के मुझे यहां बुलाया था.’’

‘‘मैं कुछ नहीं जानता. फेसबुक पर दोस्ती कर के औरतों को अपने प्यार के जाल में फांस कर उन के साथ रंगरलियां मनाने वाले आज तेरी खैर नहीं है. जब पुलिस का डंडा पीठ पर पड़ेगा तब सारा नशा उतर जाएगा,’’ कह कर मनोहर फिर से पुलिस को फोन मिलाने लगा.

‘‘नहीं मनोहर बाबू, मुझे छोड़ दो. मेरा भी परिवार है. मेरी सरकारी नौकरी है. मुझे पुलिस के हवाले कर दोगे तो मैं बरबाद हो जाऊंगा,’’ कहता हुआ विनोद उस के पैरों पर अपना माथा रगड़ने लगा.

काफी देर बाद हमदर्दी दिखाता हुआ मनोहर उस से बोला, ‘‘अपनी इज्जत और नौकरी बचाना चाहता है, तो 50 हजार रुपए अभी दे, नहीं तो मैं तुझे पुलिस के हवाले कर दूंगा,’’ इतना कहने के बाद मनोहर कमरे में लगा कैमरा हाथ में ले कर उसे दिखाता हुआ बोला, ‘‘तेरी सारी हरकत इस कैमरे में कैद है. जल्दी रुपए ला, नहीं तो…’’

‘‘इतने रुपए मैं कहां से लाऊं भाई. मेरे पास तो अभी 10 हजार रुपए हैं,’’ कह कर विनोद ने 2-2 हजार के 5 नोट जेब से निकाल कर मनोहर के सामने रख दिए.

गुस्से से लालपीला होता हुआ मनोहर बोला, ‘‘10 हजार रुपए…? 50 हजार रुपए से कम नहीं चाहिए, नहीं तो पुलिस को करता हूं फोन…’’

मनोहर की दहाड़ सुन कर विनोद रोने लगा. वह बोला, ‘‘आप मुझ पर दया कीजिए मनोहर बाबू. मैं घर जा कर बैंक से रुपए निकाल कर आप को दे दूंगा.’’

‘‘बहाना कर के भागना चाहता है तू. मुझे बेवकूफ समझता है. अभी जा और एटीएम से 15 हजार रुपए निकाल और कल 25 हजार रुपए ले कर आ, नहीं तो… कोई चाल तो नहीं चलेगा न. चलेगा तो जान से भी हाथ धो बैठेगा, क्योंकि तेरी सारी करतूत मेरे इस कैमरे में कैद है.’’

मनोहर की बात मानना विनोद की मजबूरी थी. वह बहेलिए के जाल में फंसे कबूतर की तरह फेसबुक की दोस्ती के जाल में फंस कर छटपटाने लगा था.

VIDEO : मौडर्न मौसैक नेल आर्ट

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मैं गांव के एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, पर हमारे मम्मी पापा नहीं मानेंगे. हम क्या करें.

सवाल
मैं गांव के एक लड़के से बहुत प्यार करती हूं. वह आईटीआई कर रहा है और बहुत अच्छा है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, पर हम दोनों एक ही गांव के हैं, लिहाजा हमारे मम्मी पापा नहीं मानेंगे. हम क्या करें?

जवाब
पहले कुछ गांवों में ऐसा रिवाज था, पर आजकल ऐसी बातें फुजूल मानी जाती हैं. आप दोनों मिल कर अपने घर वालों को समझाएं, तो वे मान सकते हैं. बात न बने तो शहर में जा कर कोर्ट मैरिज की जा सकती है, पर लड़के को गुजारा करने लायक पैसा कमाना चाहिए.

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निर्मला से क्यों नाराज था उसका परिवार

निर्मला अपने पति राजन के साथ जिद कर के अपनी दादी के श्राद्ध में मायके आई थी. हालांकि राजन ने उसे बारबार यही कहा था कि बिन बुलाए वहां जाना ठीक नहीं है, फिर भी वह नहीं मानी और अपना हक समझते हुए वहां पहुंच ही गई.

निर्मला ने सोचा था कि दुख की इस घड़ी में वहां पहुंचने पर परिवार के सभी लोग गिलेशिकवे भूल कर उसे अपना लेंगे और दादी की मौत का दुख जताएंगे. पर उस का ऐसा सोचना गलत साबित हुआ.

सभी ने निर्मला को देख कर भी नजरअंदाज कर दिया, मानो वह कोई अजनबी हो.

इस के बावजूद भी निर्मला को उम्मीद थी कि परिवार वाले भले ही उसे नजरअंदाज करें, मां ऐसा नहीं कर सकतीं.

तभी निर्मला ने राजन की तरफ इस तरह देखा, मानो वह मां के पास जाने की उस से इजाजत ले रही हो. फिर वह अकेली ही मां की तरफ बढ़ गई.

उस समय निर्मला की मां औरतों के हुजूम में आगे बैठी हुई थीं. जब मां ने निर्मला को अपने करीब आते देखा, तो वे उठ कर तेजी से दूसरे कमरे में चली गईं.

मां के पीछेपीछे निर्मला भी वहां पहुंच गई और प्यार से बोली, ‘‘मां, यह सब कैसे हुआ? क्या दादी बहुत दिनों से बीमार थीं?’’

‘‘तुम से मतलब? आखिर तुम पूछने वाली होती कौन हो? चली जाओ यहां से. फिर कभी भूल कर भी इस घर की तरफ मत देखना, नहीं तो तुम मेरा मरा हुआ मुंह देखोगी,’’ गुस्से से चीखते हुए उस की मां बोलीं.

‘‘ऐसा न कहो, मां. नहीं तो मैं अनाथ हो जाऊंगी. आखिर तुम्हारा ही तो सहारा है मुझे. मां हो कर भी तुम मेरे मन की भावना को नहीं समझोगी, तो और कौन समझेगा?’’ रोते हुए निर्मला बोली.

‘‘नहीं समझना है मुझे. कुछ नहीं समझना,’’ चीखते हुए उस की मां ने कहा.

‘‘क्यों नहीं समझना है, मां? तुम्हें समझना ही पड़ेगा. अपनी बेटी के दुख को महसूस करना ही पड़ेगा. आखिर मेरा इतना ही कुसूर था न कि मैं ने राजन से सच्चा प्यार किया? उस से शादी की, जो हमारी बिरादरी का नहीं है?

‘‘लेकिन मां, तुम मुझे गौर से देखो कि मैं राजन के साथ कितनी खुश हूं. मुझे किसी बात का दुख नहीं है,’’ खुशी जताते हुए निर्मला ने कहा.

‘‘मुझे कुछ नहीं देखना है और न ही सुनना है, बस. तुम अभी और इसी समय उस राजन को ले कर यहां से चली जाओ, ताकि तुम्हारी दादी का श्राद्ध शांति से पूरा हो सके,’’ मां बोलीं.

‘‘हम यहां से चले जाएंगे, मां, रहने के लिए नहीं आए हैं. केवल दादी के श्राद्ध में आए हैं. बस, उसे पूरा हो जाने दो. क्योंकि दादी से मेरा और मुझ से उन का कितना गहरा लगाव था, यह तुम अच्छी तरह से जानती हो. मेरे बिना तो वे कुछ भी नहीं खातीपीती थीं,’’ सुबकते हुए निर्मला ने कहा.

‘‘इसीलिए तो तुम उस कलमुंहे राजन के साथ भाग गई और कोर्ट में जा कर शादी कर ली. तब तुम्हें दादी का इतना खयाल नहीं था, जबकि उन्होंने तुम्हारी याद में अपनी जान दे दी?’’

‘‘मुझे दादी का बहुत खयाल था, मां. परंतु मैं क्या करती, आप सभी तो मुझ से खफा थे. डर के चलते मैं नहीं आ सकी,’’ रोते हुए निर्मला ने कहा.

‘‘बड़ी आई डर वाली. जब इतना ही डर था, तो घर से कदम बाहर निकालते समय हजार बार सोचती? फिर भी कुछ नहीं सोचा.

‘‘अरे, क्या अपनी बिरादरी में लड़कों की कमी हो गई थी, जो उस नाशपीटे राजन के साथ भाग गई?’’ तीखी आवाज में उस की मां ने कहा.

मां के सवालों का जवाब देने के बजाय निर्मला ने कहा, ‘‘मां, मुझे जी भर कर कोस लो, लेकिन उन्हें कुछ न कहो, क्योंकि अब वे मेरे पति हैं.’’

‘‘तुम तो ऐसे कह रही हो, जैसे दुनिया में केवल एक तुम ही पति वाली हो, बाकी सब दिखावे वाली हैं,’’ खिल्ली उड़ाते हुए उस की मां बोलीं.

‘‘मां, मेरी अच्छी मां, तुम तो मुझे ऐसा न कहो. हर मांबाप का सपना होता है कि मेरी बेटी अच्छे घर में ब्याहे, सुखशांति से रहे. उन्हीं में से मैं एक हूं.

‘‘तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि मैं ने अपने जीवनसाथी का खुद ही चुनाव कर तुम लोगों की परेशानी को दूर किया है. इस के बावजूद भी सभी की तरह तुम भी मुझे नजरअंदाज कर रही हो?’’ दुखी हो कर निर्मला ने कहा.

‘‘हां, तुम इसी काबिल हो, इसीलिए नहीं मिलेगा अब तुम्हें वह लाड़प्यार और अपनापन, जो कभी यहां मिला करता था…’’

निर्मला की मां की बातें अभी पूरी भी नहीं हो पाई थीं कि पिता, भाई, बहन व भाभी सभी वहां आ गए और गुस्से से निर्मला को घूरने लगे.

तभी उस के पिता दयाशंकर ने गुस्से में कहा, ‘‘कलंकिनी, मुझे तो तेरा नाम लेते हुए भी नफरत हो रही है. आखिर तुम ने मेरे घर में कदम रखने की हिम्मत कैसे की?’’

‘‘ऐसा न कहिए, पापा. आखिर इस घर से मेरा भी तो कोई रिश्ता है? उसी रिश्ते के वास्ते तो मैं यहां आई हूं. मुझे और मेरे पति को अपना लीजिए, पापा,’’ रोतेगिड़गिड़ाते हुए निर्मला ने कहा.

‘‘खबरदार, जो मुझे पापा कहा. तेरा पापा तो उसी दिन मर गया था, जिस दिन तू इस घर को छोड़ कर गई थी. रहा सवाल अपनाने का, तो यह हक अब तुम खो चुकी हो.’’

‘‘नहीं, पापा नहीं. ऐसा न कहो और ठंडे दिमाग से सोचो कि प्यार करना क्या कोई जुर्म है?

‘‘आखिर मैं भी तो बालिग हूं. जब मैं अपना भलाबुरा सोचसमझ सकती हूं, तो फिर मुझे फैसला लेने का हक क्यों नहीं है? और फिर चाहे बातें भविष्य की हों या जीवनसाथी चुनने की, लड़कियों को यह हक जरूर मिलना चाहिए,’’ थोड़ा खुश हो कर निर्मला ने कहा.

‘‘तू मुझे हक के बारे में समझा रही है? अगर तू इतनी ही समझदार होती, तो अपनी ही जाति के लड़के से शादी करती, न कि किसी दूसरी जाति के लड़के से,’’ निर्मला के पिता ने कहा.

‘‘दूसरी जाति के लड़के क्या इनसान नहीं होते? क्या उन में समझदारी नहीं होती? इस की मिसाल तो राजन ही हैं, जिन्होंने मुझे जिंदगी की सारी खुशियां दे रखी हैं, कोई कमी महसूस नहीं होने दी है उन्होंने. मैं इस तरह के जातपांत के भेदभाव को नहीं मानती, जो एक इनसान को दूसरे इनसान से अलग करता हो, आपस में दूरियां बढ़ाता हो…

‘‘मैं केवल इनसानियत की जात को जानती व मानती हूं,’’ निर्मला बोलती चली गई.

‘‘बस करो अपनी यह बकवास और उस राजन के साथ यहां से चलती बनो,’’ इस बार चीखते हुए निर्मला का भाई विशाल बोला.

‘‘भैया, मुझे जो चाहो कह लो, मैं सब बरदाश्त कर लूंगी. लेकिन उन के बारे में कुछ भी नहीं सुन सकती. क्योंकि एक पत्नी अपने सामने पति की बेइज्जती कभी बरदाश्त नहीं कर सकती.’’

‘‘अच्छा, तब तो मुझे तुम्हारे पति की बेइज्जती करनी ही होगी, वह भी तुम्हारे सामने,’’ नजरें तिरछी करते हुए विशाल बोला.

‘‘क्या…? यह तुम कह रहे हो? जबकि तुम भी किसी के पति हो और तुम्हारी पत्नी तुम्हारे सामने खड़ी है. महाभारत मचा दूंगी मैं यहां. तुम क्या समझते हो अपनेआप को कि वे तुम से कमजोर हैं?

‘‘वे जूडोकराटे में ब्लैकबैल्ट हैं और साथ ही पुलिस में भी हैं. उन से टकराना तुम्हें महंगा पड़ेगा, भैया.

‘‘हां, मैं यदि चाहूं, तो तुम्हारी पत्नी के सामने तुम्हारी बेइज्जती जरूर करवा सकती हूं, ताकि तुम बेइज्जती के दर्द को महसूस कर सको.

‘‘लेकिन, मैं इतनी बेवकूफ भी नहीं हूं कि तुम्हारी तरह कुछ करने से पहले कुछ सोचसमझ न सकूं. औरत हूं, इसलिए औरत का दर्द समझती हूं. लिहाजा, ऐसा कुछ नहीं करना चाहूंगी, जिस से कि भाभी के मन में दुख हो.’’

निर्मला की बातें सुन कर उस की भाभी सुबक पड़ी और उस ने आगे बढ़ कर निर्मला को गले लगा लिया.

‘‘माधुरी, यह तुम क्या कर रही हो? दूर हटो उस से. इस से हमारा कोई रिश्ता नहीं है,’’ चीखते हुए विशाल बोला.

‘‘रिश्ता है क्यों नहीं? खून का रिश्ता है हमारा, इसलिए अपनी बहन को अपना लीजिए. इस ने ठीक ही कहा है कि जातपांत कुछ नहीं होता. होती है तो केवल इनसानियत, और इनसानियत का रिश्ता,’’ निर्मला की तरफदारी लेते हुए उस की भाभी माधुरी ने कहा, मानो वह भी इनसानियत के रिश्ते को ही अहमियत दे रही हो.

लेकिन माधुरी की बातें सुन कर विशाल बौखला गया. वह गुस्से से बोला, ‘‘माधुरी, लगता है इस के साथसाथ तुम्हारा भी दिमाग खराब हो गया है, कहीं…’’

अभी विशाल अपनी बातें पूरी भी नहीं कर पाया था कि तभी वहां राजन आ गया और सूझबूझ का परिचय देते हुए गंभीरता से बोला, ‘‘निर्मला, अब चलो यहां से. बहुत हो चुकी तुम्हारी बेइज्जती. मैं अब और सहन नहीं कर सकता.

‘‘मैं ने सबकुछ सुन लिया है और जान लिया है कि ये लोग ऐसे पत्थरदिल इनसान हैं, जो जातपांत का ढोंग रच कर समाज को गंदा करते हैं.’’

‘‘आप बिलकुल ठीक कहते हैं. अब मुझे समझ में आया कि मैं ने यहां आ कर कितनी बड़ी भूल की है?

‘‘ले चलिए मुझे. अब एक पल भी मैं यहां रुकना नहीं चाहूंगी,’’ उठते हुए निर्मला बोली और अपने पति राजन का हाथ थाम कर घर से बाहर जाने लगी.

उस की छोटी बहन उर्मिला ने दौड़ कर निर्मला का हाथ थाम लिया और सिसकते हुए बोली, ‘‘दीदी, मत जाओ. मुझे छोड़ कर मत जाओ.’’

‘‘पगली, मैं कहां तुम्हें छोड़ कर जा रही हूं? हां, जातपांत और उन बुरे रिवाजों को छोड़ कर जा रही हूं, जिसे मां, पापा व भैया ने अपनी मुट्ठियों में जकड़ रखा है.

‘‘मैं यहां नहीं आऊंगी तो क्या हुआ, तुम तो अपनी दीदी के घर आ सकती हो?’’ निर्मला बोली.

‘‘जरूर आऊंगी दीदी,’’ उर्मिला ने खुश हो कर कहा.

‘‘मैं इंतजार करूंगी,’’प्यार से उस के सिर पर अपना हाथ फेरते हुए निर्मला ने कहा और अपने पति राजन के साथ घर से बाहर निकल गई.

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