सर्दी के असर से बचाएंगे ये खास उपाय

सर्द हवाएं अपने साथ कई तरह की बिमारियां साथ लेकर आती हैं. इस दौरान जरा सी लापरवाही आपको सर्दी की गिरफ्त में ला सकती है. ऐसे में आपको अपना बचाव करने की जरूरत है. सर्दियों में जुकाम-खासी होना बेहद हा आम बात है, लेकिन यदि समय रहते इनका उपचार नहीं किया जाए तो यह आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है. इससे बचने के लिए दवाओं के सेवन की बजाय यदि आप घरेलू नुस्खे इस्तेमाल करें तो आपके लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे.

गर्म पानी का सेवन और गरारे

गर्म पानी पीने से कफ कम होने के साथ ही आपको गले की खराश से भी राहत मिलेगी. सर्दी होने पर दिन में तीन से चार बार गर्म पानी का सेवन करें. बेहतर होगा कि खाने के बाद भी गर्म पानी ही पीये. आप सर्दी से ज्यादा परेशान हैं तो गर्म पानी में नमक मिलाकर सुबह-शाम गरारे करें.

हल्दी का दूध

रात को सोने से पहले गर्म-गर्म हल्दी दूध सर्दी-जुकाम में आराम देता है. इसे लेने के बाद ठंडा पानी न पिएं.

सरसों का तेल

एक चम्मच सरसों के तेल को हल्का गुनगुना करके इसमें से चार बूंद सरसों के तेल को सोते समय नाक के छिद्रों में डाल लें. ऐसा करने के बाद सुबह उठने पर आपको जुकाम से काफी हद तक आराम मिलेगा. लगातार दो से तीन दिन ऐसा करने से राहत मिलेगा.

अदरक व नींबू

एक कप पानी में अदरक, दो काली मिर्च और दो लौंग पकाएं. इसमें आधा नींबू मिला लें. दिन में कम से कम तीन बार इसका सेवन करें. इसके अलावा दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू के रस को एक ग्लास गुनगुने पानी या फिर गर्म दूध में मिलाकर पीने से भी सर्दी में आराम मिलता है.

पुदीना और तुलसी

तुलसी का तासीर बेहद गर्म होती है. कफ की परेशानी होने पर तुलसी के पत्तों का रस निकालकर इसमें शहद मिलाकर पीने से आराम मिलेता है. इसके अलावा पुदीने और तुलसी के पत्तों से बनी चाय भी आपके गले और नाक को साफ कर देगी. अगर आप चाहें तो इसमें काली मिर्च और लौंग भी डाल सकती हैं.

पान के पत्ते का पानी

यदि छोटे बच्चे को कफ की परेशानी है तो पान के पत्ते को एक ग्लास पानी में उबाल लें. इस पानी को बच्चे को दो-दो चम्मच दिन में तीन से चार बार दें. इससे कफ मल के रास्ते बाहर निकल जाएगा. इसके सेवन से बच्चे को कफ में काफी राहत मिलता है.

लहसुन का सूप

लहसुन की फलियों को छीलकर हल्का पीस लें. अब इन्हें एक कप पानी में डालकर कुछ देर तक उबालें. आधा कप बचने पर इसे छानकर पी लें. इससे सर्दी की समस्या में आराम मिलेगा.

भाप

नाक बंद होने और गले में खराश होने की स्थिति में स्टीम वेपोराइजर से ली गई भाप आपको तुरंत राहत देती है. भाप आपके नेजल ट्रेट में मौजूद कीटाणुओं को खत्म करती है. पर ध्यान रखें भाप लेते वक्त पानी ज्यादा गर्म न हो.

धर्मों की मनमानी के खिलाफ एकजुट हों औरतें

हजारों वर्षों से सभी धर्मों के पूंजीवादी ठेकेदारों ने जिस तरह अपने स्वार्थ और अहंसिद्धि के लिए औरतों को धर्मपालन के नाम पर मानसिक रूप से जड़ बनाया है, उन्हें अपराधभावना में डुबो कर उन का मनोबल तोड़ा है, वह आज 21वीं सदी में भी साफ दिखता है. सिर्फ दिखता ही नहीं, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी लड़कियां धर्म के वशीभूत हो खुद स्टौकहोम सिंड्रोम से ग्रस्त हो चुकी हैं.

40 साल पहले स्टौकहोम में बैंक डकैती करने वालों ने कुछ लोगों का अपहरण कर लिया था. इन पर अत्याचार भी किए. बाद में ये अपहृत लोग जीने की मजबूरी में इन डकैतों को ही बचाने में लगे थे. इन्होंने हर उस मदद करने वाले का विरोध किया जो इन डकैतों को सजा दिलाने का प्रयास करता. बस इसी कुंद पड़ी डरी हुई मानसिकता को साइकोलौजी के जानकार स्टौकहोम सिंड्रोम कहते हैं और आज धर्म की गुलामी करतीं वे सारी आरतें इसी सिंड्रोम की शिकार हैं. वे उसी धर्म और उस की मनमानी का सहारा ढूंढ़ती हैं, जो वास्तव में उन के सम्मानपूर्ण न्यायोचित वजूद के खिलाफ है.

समझें धर्म की असलियत

धर्म जो धारण करे, पालन करे, कर्तव्य को प्रेरित करे वह धर्म व्यक्तिगत उत्थान के लिए अपने आचरण को विवेक की कसौटी पर कसने को कहता है, मगर इस धर्म का कहीं कोई नामोनिशान न आज है न कभी था.

धर्म जीवन का भय दिखा कर जीवन को लूटता है, प्रियजन के विनाश का भय दिखा कर प्रियजन का ही सर्वनाश करता है, धनसंपत्ति के लुट जाने का भय दिखा कर गरीब से गरीब तक का धन लूट लेने में संकोच नहीं करता और यह सारा खेल खेलते हैं धर्म के पृष्ठपोषक, पूंजीवादी, भोगी, हठी, धर्म के बड़ेबड़े दुकानदार, ठेकेदार-पोप, मौलवी, पंडे, भिक्षु.

औरत सर्वाधिक निशाने पर

औरत के जन्म के बाद से ही उसे धर्म के नाम पर बहलाना और भड़काना दोनों शुरू हो जाता है. उस के पैरों में पायलें भी पहनाई जाती हैं, तो वे बेडि़यां ही बनती हैं. उस के माथे पर सिंदूर भी लगाया जाता है तो वह जिंदगी भर की गुलामी ही बन जाता है.

पगपग पर औरत को मनाही, रोज कुछ न कुछ बाधाओं और बंधनों में उस का गुजारा, हजार तरह के व्रतउपवास सब तो जैसे उस की ही जिम्मेदारी हैं वरना नरक का डर. हां, बहलाने के लिए साजशृंगार का झुनझुना अवश्य पकड़ाया जाता है उसे.

बेचारी औरतें सजनेसंवरने की खुशी में मानसिक, शारीरिक गुलामी की बात भूल झुनझुने को ही असली खुशी मान बैठती हैं.

धर्म ने क्या दिया औरतों को

बचपन की दहलीज लांघते ही धर्म के बड़ेबड़े राक्षस मनलुभावन छद्मवेश में उस के सामने आते हैं. उस का कुंडली मिलान करना है, क्योंकि वह विवाह के लायक हो गई है या फिर शादी के लिए उसे सैकड़ों इसलामी धार्मिक कानूनों से गुजरना है, क्योंकि वह औरत है और औरत अपने पुरुष आकाओं की गुलामी के लिए पैदा हुई है.

कुंडली मिलान और औरत

हिंदू धर्मशास्त्र में ज्योतिष विद्या का बड़ा चलन है. यह आसमान के ग्रहनक्षत्र का विचार कर मनुष्य पर उस के प्रभाव तथा तदनुरूप निराकरण की व्यवस्था का दावा करता है. बात पहले तो यह दीगर है कि लाखोंकरोड़ों मील दूर ग्रहों का प्रभाव यदि मनुष्य पर पड़ता है भी तो उस प्रभाव को बदलने की ताकत एक इंसान के रूप में ज्योतिषी में कितनी है? क्या वह इतना ताकतवर है कि उस के झांसे में आ कर हजारोंलाखों रुपए खर्च कर दिए जाएं कि उस ने कहा है कि सब ठीक कर देगा.

ज्योतिष यह बात तो मानता ही है कि व्यक्ति को उस के कर्मों का फल प्राप्त होता है, तो उस फल को एक ज्योतिषी ने अपने उपायों से कमज्यादा करने की ताकत कैसे पाई? बिना ईश्वर को माने ज्योतिष नहीं होता, तो क्या ज्योतिषी ईश्वर से भी ज्यादा ताकतवर है? फिर वह तो ईश्वर से बड़ा शक्तिमान साबित हो जाता है, जो मनुष्य जीवन की सारी गतियों और काल के गर्भ में समाए सारे संकेतों को नकार और सुधार सकता है?

ऐसे किसी शास्त्र पर भरोसा करने के बाद जिन्हें सब से ज्यादा इस चक्की में पिसना होता है वे हैं औरतें.

कैसी कैसी यातनाएं

कुंडली मिलान के नाम पर अकसर औरतें बलिकाठ में फंसाई जाती हैं. अब उन समस्याओं को दूर करने के लिए तरहतरह के खर्चीले उपायों के साथ उन पर जुल्म भी ढाए जाते हैं. परिवार उन्हें उन की कमियां बता कर ताने मारता है और वे भी इन्हें सच मान कर तरहतरह के व्रतउपवास द्वारा खुद को तकलीफ में डालती हैं. वे जिंदगी की उड़ान को बाधित कर काल्पनिक कथनों के पीछे अपनी ऊर्जा और उन्नति नष्ट करती रहती हैं.

दरअसल, ये सारी मान्यताएं और थोपी गई बाध्यताएं औरत की चरम गुलामी की प्रतीक हैं. दुख की बात है कि वे खुद ही आंखों पर पट्टी बांधे इन का पालन करती हैं और नई पीढि़यों पर भी इन्हें थोपती जाती हैं.

होने वाले पति के घर में ऐन शादी के मौके पर किसी की मृत्यु हो गई तो कन्या का दोष, अपशकुनी. घर में कोई लंबी बीमारी से पीडि़त है, तो घर की कन्या का दोष. परिवार में आर्थिक नुकसान हो गया तो कन्या में ऐब. मनमुताबिक वर नहीं मिल रहा है तो कन्या में ग्रहदोष. पति की आर्थिक या शारीरिक परेशानी है तो पत्नी में खोट. ससुराल वालों की तकलीफ का कारण बहू की कुंडली में दोष.

अब इन के लिए सारे उपचार जो पंडितजी बताएंगे कौन झेलेगा? बहन, पत्नी, बहू, कन्या यानी औरत.

धर्म कोई भी हो औरत की स्थिति में कोई खास अंतर नहीं है. इसलामी कानून के मुताबिक शादी को 2 व्यक्तियों औरतमर्द के मेलमिलाप और प्रेम का बंधन कहा गया है और न निभे तो आपसी विचारों से दोनों के अलग होने की बात भी स्वीकारी गई है. लेकिन हर घर में धर्म की ही आड़ में औरतों की दयनीय दशा सामने आ रही है. धर्म का भय दिखा कर मुसलिम औरतों को उन के साथ हो रहे अन्याय को इसलाम के प्रति कुरबान होना बताया जाता है. बौद्घिक चेतना के अभाव में औरतें अपने आकाओं द्वारा उन के प्रति किए गए अत्याचारों को धार्मिक बंधन के नाम पर स्वीकारती हैं.

आडंबरों के प्रचार में टीवी की भूमिका

पैसों की बाढ़ में टीवी चैनल वालों का विवेक बह जाता है. आज जो आशाराम जेल में है, उस के लच्छेदार भाषणों का प्रसारण इसी टीवी पर होता था. करोड़ों में बिक जाते हैं दृश्य माध्यमों के नीतिशास्त्र. इन के अंधप्रचार ने सब से ज्यादा नुकसान किया है घर में टीवी के सामने बैठी प्रवचन और अनर्गल सुनती औरतों का.

बाबाओं की भक्ति में अंधी हो चुकी औरतों का हुजूम दुनिया भर की अतार्किक, अबौद्घिक बातों पर सिर हिलाता और जयकारे लगाता रहता है. जबकि ज्ञान उन्हीं से लेना चाहिए जो सही माने में स्वयं अपने जीवन में उसे उतार चुके हों.

देश के विकास में भागीदारी औरत और मर्द दोनों के ही मानसिक, बौद्घिक उत्थान से संभव है. इस के लिए धर्म की अंधी गली से निकल देश भर की सभी औरतों को ज्ञान और विवेक की छत्रछाया में अन्याय के खिलाफ एक ही प्रकार के दर्द को साझा करते हुए एकजुट होना होगा. यही वह रास्ता है, जो औरत की वास्तविक आजादी को मंजिल तक ले जाएगा.

..तो क्रिसमस पार्टी में आप दिखेंगी सबसे अलग

कभी कभी अचानक ही आपको पता चलता है की आपको आपके दोस्त की क्रिसमस पार्टी में जाना है. और आपने पार्टी के लिए पहले से कोई भी तैयारी नहीं की है तो कोई बात नहीं, हम आपको बता रहे हैं ऐसे टिप्स जिससे आप पार्टी में सबसे अलग नजर आएंगी.

– पार्टी में जाने की तैयारी करने जा ही रही हैं तो सबसे पहले अपने चेहरे की सफाई कर लीजिए. सबसे पहले अपने चेहरे की गंदगी को साफ कीजिए. इससे चेहरे पर जमी धूल साफ हो जाएगी. इस बात का ध्यान रखें कि क्लींजर माइल्ड हो.

– चेहरे को साफ करने के बाद उसे अच्छी तरह से तौलिया से थपथपा कर पोंछें. अब अपने चेहरे पर अच्छी क्वालिटी का मौइस्चराइजर इस्तेमाल करें. हल्के हाथों से इसे पूरे चेहरे पर लगाएं. अब थोड़ी देर तक इसे रहने दें.

– पार्टी में लम्बे समय तक आपका मेकअप टिका रहे इसके लिए चहरे पर प्राइमर लगाना बहुत जरूरी है. इससे चेहरा स्मूथ होने के साथ साथ मेकअप भी खिलकर उभरता है.

– अब सबसे पहले आंखों का मेकअप करें. इसके लिए आप काजल के साथ मस्कारा लगाकर आई मेकअप कम्प्लीट करें. अगर आप चाहें तो लेंस भी लगा सकती हैं.

– अब बारी है आपके चीक्स की. इसके लिए लाइट पिंक कलर का ब्लश औन करें. इससे आपके चीक्स हाईलाइट होंगे.

– अपनी पसंद की लिपस्टिक लगा सकती हैं, ये आपको फ्रेश लुक देने के साथ-साथ अट्रैक्टिव भी बनाता है. पार्टी रात की है तो बेहतर होगा कि आप मैट लिपस्टिक लगाने की बजाय ग्लौसी लिपस्टिक लगाएं.

क्रिसमस स्पेशल : रम ट्रफल

दिसंबर का महीना आते ही सभी पर क्रिसमस का खुमार छा जाता है. क्रिसमस डे के हिसाब से रम ट्रफल बेस्ट रेसिपी है. यह एक कौन्टिनेंटल डेजर्ट है. अगर आपके घरवाले मीठे खाने के शौकीन हैं तो रम ट्रफल उन्हें जरूर पसंद आएगा.

ढ़ेर सारा चौकलेट और थोड़ी सी रम से बनी ये रम ट्रफल निश्चय ही आपके रिश्ते में मिठास घोल देगा. जानिए रम ट्रफल बनाने की विधि.

सामग्री

कप पिघली हुइ डार्क चौकलेट

2 अंडे

¼ कप आइसिंग शुगर

4-5 चम्‍मच पिघला बटर

1-2 चम्‍मच रम

1 चम्‍मच क्रीम

किसा हुआ नायिल

विधि

एक कटोरे में अंडा, बटर, रम और दोगुनी क्रीम डाल कर अच्‍छी तरह से फेंट लें. इस मिश्रण को पिघले हुए चौकलेट के साथ मिला दीजिये.

अगर यह चौकलेट पिघली हुई ना लगे तब आप उसे दुबारा गरम कर के पिघला सकती हैं. इसे एक बर्तन में डाल कर एक पानी से भरे पैन के अंदर रख दीजिये और गैस की आंच को धीमा कर दीजिये.

इस मिश्रण को धीरे-धीरे चलाइये जिससे अंडे का मिश्रण इसके साथ मिल जाए. अब धीरे से आइसिंग शुगर डालिये और देखती रहिये कि कहीं चौकलेट मिश्रण में गठ्ठे ना पड़ रहे हों.

जब शुगर अच्‍छी तरह से मिक्‍स हो जाए तब उसमें रम की 1-2 बूंद डाल दीजिए और गैस से उतार कर ठंडा होने के लिये रख दीजिये.

अब इनकी छोटी-छोटी बौल्‍स बना लीजिये और ऊपर से नारियल और चौकलेट चिप्स से गार्निश कर दीजिये.

तैयार है आपका यमी रम ट्रफल, जिसे खाकर आपके पार्टनर खुश हो जाएंगे.

शेयर बाजार, गोल्ड, पीपीएफ या एफडी जानिए 2017 में कहां मिला ज्यादा रिटर्न

कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लिए लोग निवेश के अलग अलग विकल्पों का सहारा लेते हैं. जहां कुछ लोग शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं तो वहीं कुछ लोग एफडी जैसे विकल्पों का चुनाव करते हैं. हालांकि तरह तरह के निवेश विकल्पों पर मिलने वाला रिटर्न न सिर्फ अलग अलग होता है बल्कि यह साल दर साल आधार पर बदलता भी रहता है. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि अगर आपने 1 जनवरी 2017 को इन विकल्पों में निवेश किया होता तो दिसंबर 2017 तक आपके पास कितने पैसे होते.

शेयर बाजार में रिटर्न

साल 2017 में निफ्टी ने करीब 29.10 फीसद का औसत रिटर्न दिया है. यानी अगर आपने इंडेक्स निफ्टी में 1 जवनरी 2017 को निवेश किया होता तो दिसंबर 2017 में आपके पास करीब 1,29,000 रूपए होते.

वहीं सेंसेक्स का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा है. सेंसेक्स ने भी इस साल करीब 28.30 फीसद तक का रिटर्न दिया है. ऐसे में अगर आपने सेंसेक्स में 1 लाख रूपए का निवेश किया होता तो दिसंबर में आपके पास 1 लाख 28,300 रूपए होते.

सोने और चांदी में निवेश

finance

साल 2017 सोने के लिहाज से उथल पुथल भरा रहा. पहले दो महीने में सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. वहीं अंत के चार महीनों सोने ने निवेशकों को निराश किया. मोटे तौर पर आप यह मान लीजिए कि अगर आपने 1 जनवरी को सोने में 1 लाख रूपए का निवेश किया होता तो आप इस समय नुकसान में होते. ऐसा इसलिए क्योंकि जनवरी में सोने की कीमत वायदा बाजार में 28942 रूपए प्रति 10 ग्राम थी वहीं इस समय 28450 रूपए के करीब कारोबार कर रहा है.

सोने में मासिक आधार पर मिलने वाला रिटर्न

इस चार्ट को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जनवरी और अगस्त (2017) को छोड़कर सोने ने निवेशकों को किसी भी महीने में बेहतर रिटर्न नहीं दिया है. सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर इन चारों महीनों में सोने ने नकारात्मक रिटर्न ही दिया है.

चांदी में मासिक आधार पर मिलने वाला रिटर्न

वहीं चांदी का भी कुछ ऐसा ही हाल रहा है. जनवरी, फरवरी और जुलाई महीने को छोड़कर चांदी ने भी साल 2017 में खराब प्रदर्शन ही किया है. या यूं कहें कि इसमें निवेश करने वाले लोगों को निराश होना पड़ा है.

छोटी बचत योजनाओं में निवेश

finance

साल 2017 के दौरान छोटी बचत योजनाओं में निवेशकों को अच्छा खासा रिटर्न हासिल हुआ है. पोस्ट औफिस की तमाम बचत योजनाओं ने बेहतर रिटर्न दिया है. जैसे कि सुकन्या समृद्धि अकाउंट और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में 8.3 फीसद तक का रिटर्न दिया गया है. अगर जनवरी 2017 में आपने सीनियर सिटीजन स्कीम में 1 लाख रूपए तक का निवेश किया होता तो दिसंबर 2017 तक आपके पास 10,8300 रूपए इकट्ठा हो गए होते.

एफडी में निवेश

साल 2017 एफडी में निवेश के लिहाज से बेहतर रहा है. अधिकांश बैंकों ने अपने उपभोक्ताओं को रिझाने के लिए तरह तरह की ब्याज दरों की पेशकश की है. अगर आपने जनवरी 2017 के दौरान एफडी में 1 लाख निवेश किया होता तो 6.75 फीसद के रिटर्न के हिसाब से आपके पास दिसबर 2017 तक 10,6750 रूपए होते.

इस ट्रेन की सवारी दुनिया में है सबसे महंगी

आप जब किसी ट्रिप की प्लानिंग करती हैं, तो वहां जाने के लिए ऐसी ट्रेन या गाड़ी को चुनती हैं, जिससे वहां जाने में कोई परेशानी न हो, अगर हम आपको ऐसी ट्रेन के बारे में बताएं, जिससे न सिर्फ आप सफर ही नहीं बल्कि उसमें लग्जरी सफर का मजा भी ले सकती हैं, तो आपको कैसा लगेगा. हम बात कर रहे हैं राजस्थान की शाही ट्रेन.

रौयल राजस्थान औन व्हील्स

रौयल राजस्थान औन व्हील्स भारत की लग्जरी ट्रेन में से एक है. जनवरी 2009 में ट्रेन को लांच किया गया था. आपको अगर राजस्थान के साथ आसपास के राज्यों का सैर करने का मन है तो आपके लिए ये ट्रेन बिल्कुल परफेक्ट है, लेकिन यहां जाने से पहले एक बार अपनी जेब भी टटोल लीजिए. ट्रेन का ट्रैरिफ प्लान 3 लाख, 78 हजार रुपए से शुरू है. वो भी एक व्यक्ति के लिए 7 रातों का पैकेज. बाकी अलग-अलग सुविधाओं के हिसाब से ट्रैरिफ और भी ज्यादा है.

travel

अगर ट्रेन में बैठे-बैठे आपका दिल स्पा करवाने का करने लगे तो आपको घर पहुंचने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. आपके लिए ट्रेन में ही स्पा की सुविधा हाजिर है. रेस्टोरेंट, बार, पार्टी हाउस सबकुछ आपको ट्रेन में ही मिल जाएगा. इसका रूट दिल्ली से जयपुर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भरतपुर और आगरा है.

travel

रेलगाड़ी में दो सुपर डीलक्स स्यूटस, 13 डीलक्स सैलून, दो रेस्तरां बार, स्पा, बोर्ड रूम, वाई-फाई आदि तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मिलती है. अगर आप किसी साथी के साथ इस ट्रेन में सफर का मजा लेना चाहती हैं, तो इसके लिए आपको 7 लाख तक रुपए खर्च करने पड़ेंगे.

अगर, आप भी इस शाही ट्रेन का मजा लेना चाहती हैं, तो इसके लिए आपको अपना बजट बढ़ाना पड़ेगा.

 

जिंदगी न मिलेगी दोबारा

50 वर्षीय दीक्षा मिश्रा जब अपना काला कोट पहन कर नागपुर के सैशन कोर्ट में वकालत करती हैं तो लोग उन्हें देखते ही रह जाते हैं. उन्हें अपनी वकालत की डिग्री पूरी किए महज 3 वर्ष हुए हैं. उन्होंने बड़े ही कठिन हालात में अपने पढ़नेलिखने के सपने को पूरा किया.

पुराने दिनों की याद करते हुए दीक्षा कहती हैं, ‘‘मैं शुरू से ही पढ़नेलिखने की शौकीन रही हूं. बचपन से ही वकील बनना चाहती थी, परंतु मात्र 18 वर्ष की आयु में मृत्युशैया पर पड़े पिता की इच्छा का मान रखने के लिए परिवार के सदस्यों ने मेरा विवाह कर दिया और मेरा पढ़लिख कर वकील बनने का सपना 10 लोगों के संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों और बच्चों की परवरिश के तले दब कर रह गया. 5 वर्ष के अंदर ही 3 बेटियों की मां बन गई. 40 वर्ष की उम्र तक तो मैं नानी भी बन गई.

‘‘पति का अपना बिजनैस था. वे उस में व्यस्त रहते. बेटियों की शादी के बाद जीवन में कुछ ठहराव सा आ गया तो मन में अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा करने की इच्छा बलवती होने लगी.

‘‘एक दिन जब अपने मन की बात पति अक्षत को बताई तो वे भड़क गए कि क्या करोगी इस उम्र में पढ़ कर. आराम से घर में रहो जैसे और भाभियां रहती हैं. मांबाबूजी की सेवा करो. पर मेरे न मानने पर वे बोले कि जैसा तुम्हें ठीक लगे करो.

‘‘मगर परिवार के अन्य सदस्यों से अनुमति लेनी अभी बाकी थी. संयुक्त परिवार वाले हमारे घर में सभी की दकियानूसी सोच थी कि लड़की की शिक्षा सिर्फ उस के विवाह के लिए ही होती है. विवाहोपरांत एक महिला का जीवन सिर्फ घरपरिवार के लिए होता है. पर मैं ने हार नहीं मानी और एक दिन उचित अवसर देख कर अपने सासससुर से बोली कि पिताजी, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं. यह सुनते ही सास तल्ख स्वर में बोलीं कि दादीनानी की उम्र में पढ़ाई की क्या जरूरत है? क्या करोगी पढ़ कर? ससुर भी असंतुष्ट से स्वर में बोले कि बहू, तुम्हारी बात मेरी तो समझ में नहीं आ रही. आखिर तुम चाहती क्या हो? किस बात की कमी है तुम्हें इस घर में जो आगे पढ़ाई करना चाहती हो? खैर, तुम्हारी मरजी.

‘‘परिवार का कोई भी सदस्य मेरे आगे पढ़ने के पक्ष में नहीं था पर मेरे मन में उथलपुथल जारी थी. अत: एक दिन नागपुर के लौ कालेज जा कर नियमित छात्रा के रूप में दाखिला ले लिया. घर में जब सब को पता चला तो थोड़ाबहुत विरोध करने के बाद मेरी प्रबल इच्छा को देखते हुए धीरेधीरे सब शांत हो गए.’’

लौ करने के बाद ऐडवोकेट दीक्षा पिछले 3 सालों से नागपुर कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं. दीक्षा की आपबीती सुन कर लगा कि यदि आप के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो संसार की कोई भी ताकत आप की प्रगति में बाधक नहीं बन सकती.

अपनी सफलता की कहानी बताते हुए दीक्षा कहती हैं, ‘‘मेरे पास रुपया, पैसा, पति और ससुराल का प्यार सब कुछ था. नहीं था तो बस मेरा खुद का वजूद. पढ़ाई अधूरी छूट जाने का बड़ा मलाल था. अब बड़े सुकून का एहसास होता है. आखिर जिंदगी एक बार ही तो मिली है और सब इसी में करना है.’’

आत्मबल बढ़ाएं

दीक्षा उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं जो जीवन में कुछ न कर पाने के लिए अपने पति, बच्चों और ससुराल के बाकी सदस्यों को दोष देती हैं. शादी के बाद ज्यादातर महिलाएं अपना समय परिवार की देखरेख में ही यह सोच कर गंवा देती हैं कि अब शादी हो गई है. क्या करना है अपना दिमाग खपा कर. मगर ऐसे पूर्वाग्रहों से बाहर आ कर अपने आत्मबल को जाग्रत कर खुद के लिए कुछ करने की जरूरत होती है.

25 वर्ष पूर्व शादी के बाद से ही रुचि हमेशा एक ही बात का रोना रोतीं कि वे भी कुछ करना चाहती हैं. पर अपने बारे में वे आज तक कुछ नहीं सोच पाईं. वहीं सीमा के घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वे घर से बाहर जा कर काम कर सकें. बच्चे बड़े होने पर जैसे ही उन्हें समय मिलना शुरू हुआ उन्होंने अपने घर पर ही पापड़, बडि़यां, अचार आदि बनाना शुरू कर दिया. फिर छोटेछोटे पैकेट बना कर एक दुकान पर रखने शुरू कर दिए. जब माल बिकने लगा तो उन्होंने आवश्यकतानुसार उसे विस्तृत रूप दे दिया.

आज उन का अच्छाखासा बिजनैस है. शुरू में परिवार के लोगों को उन की सफलता पर संदेह था, परंतु जैसेजैसे उन्हें सफलता मिलती गई परिवार वाले साथ देते गए.

आमतौर पर घरों में रहने वाली महिलाएं घरेलू कार्यों को करने के बाद खाली समय को पड़ोसिनों के साथ व्यर्थ की बातों में व्यतीत करती हैं. यदि इस समय में वे कुछ उत्पादक कार्य करें तो हाथ में चार पैसे भी आएंगे और सोच भी उन्नत होगी.

मोना अग्रवाल इस का उदाहरण हैं. 2 बच्चों की मां मोना का ज्यादातर समय सहेलियों से गप्पें मारने में ही व्यतीत होता था. उन की एक सहेली ने जब अपना बुटीक खोला तो मोना को भी जौब औफर की. सहेली का मन रखने के लिए उन्होंने जौब कर ली.

वे कहती हैं, ‘‘रोज सहेलियों और पड़ोसिनों से व्यर्थ की पंचायत करने के बाद मैं नकारात्मक विचार मन में लिए घर आती थी, परंतु अब हाथ में कुछ रुपए और मानसिक सुकून के साथ घर आती हूं.’’

विश्वास के साथ कदम बढ़ाएं

अब अन्नू को ही ले लीजिए. एक प्रतिष्ठित बुटीक की मालकिन हैं. हमेशा भजनमंडली और पूजापाठ में अपनी समृद्धि तलाशती अन्नू के घर की खस्ता आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन की बहन ने उन्हें सिलाई सीखने की प्रेरणा दी. बहन की सलाह मान कर वे सिलाईकढ़ाई सीखने लगीं. आज अपने बुटीक के कारण वे पति के कंधे से कंधा मला कर परिवार में आर्थिक सहयोग दे रही हैं.

सदैव दूसरों को दोष दे कर अपनी नाकामी को छिपाने के बजाय जरूरत होती है अपने समय का सदुपयोग कर के कुछ नया सीखने, पढ़नेलिखने की. अपने समय को व्यर्थ की बातों, भजनकीर्तनों और प्रवचन में गंवाने के अपने समय को किसी उत्पादक कार्य में लगाएं ताकि आप को भी कुछ कर पाने का मानसिक सुकून का एहसास हो.

कई बार शुरू में परिवार का सहयोग कुछ महिलाओं को प्राप्त नहीं होता, परंतु जब आप किसी कार्य के लिए पूरे विश्वास के साथ कदम आगे बढ़ाती हैं, तो आप की लगन और मेहनत को देख कर परिवार के सदस्य आप के सहयोग के लिए स्वत: आगे आ जाते हैं. बस जरूरी होती है साहसपूर्वक कदम उठाने की और खुद पर भरोसा करने की.

दरअसल, ज्यादातर महिलाएं कुछ न कुछ अवश्य करना चाहती हैं, परंतु संकोच, आत्मविश्वास की कमी, दुनिया की परवाह, सफलता मिलेगी या नहीं सोच कर कदम आगे बढ़ाने से डरती हैं, जबकि जरूरत होती है संपूर्ण आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ाने की.

न करें संकोच: आप जो काम करना चाहती हैं उस के लिए संकोच कैसा? उम्र चाहे कोई भी हो आप की प्रगति में बाधक नहीं होनी चाहिए. अपने बेटे के साथ 12वीं कक्षा की परीक्षा देने वाली नीना कहती हैं, ‘‘इतने समय के बाद अधूरी शिक्षा पूरी करने का विचार आया तो संकोच तो हुआ पर जब कदम आगे बढ़ा दिए तो डरना कैसा? आज मैं पोस्ट ग्रैजुएट हूं और अपने निर्णय पर गर्व करती हूं.’’

असफलता से डरें नहीं: शुरू में किसी भी कार्य की सफलता का प्रतिशत बहुत कम होता है, परंतु जैसेजैसे हमारा अनुभव बढ़ता जाता है सफलता हमारे करीब आती जाती है. प्रतिभा ने जब लेखन कार्य शुरू किया था तो 10 में से 9 रचनाएं वापस आ जाती थीं परंतु आज वही प्रतिशत 10 में से 2 हो गया है. सफलता मिलेगी या नहीं यह सोच कर डरें नहीं, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें. असफलता से डरने की अपेक्षा आत्ममूल्यांकन कर के अपनी कमियों को तलाशें और उन्हें पूरा कर के आगे बढ़ती जाएं.

सकारात्मक रहें: अपने अंदर नकारात्मक विचारों को कतई पनपनें न दें. आप जो भी करना चाहती हैं या करना चाहती थीं, जितना भी समय मिलता है करें, परंतु यह न सोचें कि मैं नहीं कर पाऊंगी. अनुजा को शुरू से ही बच्चों को पढ़ाना बहुत पसंद था, परंतु शादी और उस के बाद बच्चों के कारण वे अपने बारे में सोच ही नहीं पाईं. जैसे ही उन की छोटी बेटी ने स्कूल में दाखिल लिया उन्होंने भी उसी स्कूल में जौब जौइन कर ली.

न करें लोगों की परवाह: मैं अमुक काम करूंगी तो लोग क्या कहेंगे. इस उम्र में पढ़ूंगी तो जमाना क्या कहेगा? यह सोचने के बजाय आप का जो मन करता है वह करें. लोगों का तो काम ही कहना होता है. आप चाहे अच्छा करें या बुरा उन्हें तो बातें बनानी ही हैं. इसलिए वह करें जिस से आप के मन को शांति मिले, आप का आत्मविश्वास बढ़े और जिस के माध्यम से आप कुछ आर्थिक अर्जन कर पाएं.

न करें अपेक्षा: विवाहोपरांत एक लड़की का संपूर्ण जीवन परिवर्तित हो जाता है. कई बार महिलाएं जब अपनी आगे की पढ़ाई शुरू करना चाहती हैं या कोई उत्पादक कार्य करना चाहती हैं, तो परिवार वाले मना तो नहीं करते, परंतु उतना उत्साह और सार्थक सहयोग भी नहीं करते, क्योंकि कई बार वे समझ ही नहीं पाते कि आप उन से किस प्रकार के सहयोग की अपेक्षा कर रही हैं. इसलिए परिवार के प्रत्येक सदस्य से सहयोग की अपेक्षा कर आप पूरे साहस के साथ कदम उठाएं.

आत्मविश्वास बनाए रखें: स्वयं को कभी कमजोर न समझें. खुद पर पूरा भरोसा रखें. मैं अमुक कार्य कर पाऊंगी या नहीं, जैसी बातों से ऊपर उठ कर जो भी करें पूर्ण विश्वास के साथ करें. यदि आप को ही स्वयं पर भरोसा नहीं होगा तो दूसरे कैसे भरोसा करेंगे. ध्यान रखें जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है. जो बीत गया सो बीत गया. जो आज तक नहीं किया उस की शुरुआत अब करने में क्या बुराई है. आप जो भी करना चाहती हैं उसे करने में देर न करें. जिंदगी बहुत छोटी है. अपनी सारी इच्छाएं और महत्त्वाकांक्षाएं पूरी करें.

फोर्ब्स ने जारी की सूची, जाने कितना कमाते हैं बौलीवुड के ये सुपरस्टार्स

फोर्ब्स ने भारत में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले टौप 100 सेलिब्रिटी की सूची जारी की है. फोर्ब्स द्वारा जारी की गई यह सूची में टौप 3 सेलिब्रिटी वही हैं जो पिछले साल थे. हालांकि फोर्ब्स का कहना है कि इस बार फौर्मूला चेंज करके लिस्ट तैयार की गई है. इसमें पिछली बार की तरह इस बार भी बौलीवुड सुपरस्टार सलमान खान ही टौप पर हैं तो वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: शाहरुख खान और भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली हैं. 51 साल के सलमान की सालाना हैं जिनकी सालाना कमाई 232.83 करोड़ रुपए हैं.

दूसरे स्थान पर आने वाले 52 साल के शाहरुख की इस साल कोई भी ऐसी फिल्म बौक्स औफिस पर हिट नहीं हो सकी. इसके बावजूद उन्होंने अपना ब्रैंड वैल्यू बरकरार रखा है

bollywood

उनकी सालाना कमाई 170.5 करोड़ रुपए है. इस साल शाहरुख की ‘रईस’ और ‘जब हैरी मेट सेजल’ फिल्म बौक्स औफिस पर रिलीज हुई थी.

वहीं तीसरे स्थान पर फोर्ब्स के लिस्ट में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को जगह मिली. विराट कोहली ने अपने कप्तानी में न सिर्फ टीम इंडिया को टेस्ट और वनडे में टौप पर पहुंचाया, बल्कि कई ऐड में भी काम करके अपनी ब्रांड वैल्यू टौप 3 में जगह बनाई. जारी हुई लिस्ट के अनुसार विराट की सालाना कमाई 100.72 करोड़ रुपए हैं.

bollywood

इस लिस्ट में चौथे स्थान पर बौलीवुड एक्टर अक्षय कुमार हैं, जिनकी सालाना कमाई 98.25 करोड़ रुपए है. खिलाड़ी कुमार की फिल्म ‘टौयलेट: एक प्रेम कथा’ ने बौक्स औफिस पर हिट रही. पांचवे स्थान पर क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अभी भी गेम में बने हुए हैं, लेकिन इस बार बल्ले से नहीं बल्कि कमाई से. सचिन की कमाई 82.50 करोड़ रुपए है.

bollywood

छठवें नंबर पर आमिर खान 68.75 करोड़ रुपए तो वहीं सातवें स्थान पर बौलीवुड से हौलीवुड की तरफ रुख करने वाली एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा हैं. बता दें कि प्रियंका एकलौती महिला है, जिन्होंने टौप 10 की लिस्ट में जगह बनाई.

आठवें स्थान पर 2011 में टीम इंडिया को वर्ल्ड कप दिलाने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी हैं. उनकी ब्रांड वैल्यू को देखा जाए तो वह 63.77 करोड़ रुपए सालाना है. तो वहीं 43 साल के बौलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन को नौवां स्थान मिला. ऋतिक की सालाना कमाई 63.12 करोड़ हैं. दसवें नंबर पर बौलीवुड एक्टर रणवीर सिंह हैं, जिनकी 62.63 करोड़ रुपए की सालाना कमाई है.

जीएसटी से हुआ ब्यूटी बिजनैस ठप

ब्राइडल सीजन आने पर भी ब्यूटीपार्लरों को पहले जैसा बिजनैस नहीं मिल रहा है, जिस से ब्यूटी का बिजनैस ठप्प सा हो रहा है. जीएसटी से महिलाओं का ब्यूटी ऐक्सपैंस भी बढ़ गया है.

लखनऊ  की पौश मार्केट के ब्रैंडेड ब्यूटीपार्लर में एक महिला कस्टमर ने हेयर कटिंग और हेयर स्पा कराया. जब उस ने बिल देखा तो गुस्से से बोली कि कुछ अरसा पहले उस ने ये दोनों सेवाएं बहुत कम खर्च में ली थीं. यह सुन काउंटर पर बैठी लड़की ने समझाया कि पहले सर्विस टैक्स 12% था अब जीएसटी 18% हो गया, टैक्स बढ़ने की वजह से ही बिल अमाउंट बढ़ा है. उस महिला को यह बात समझ में नहीं आई. वह बढ़े बिलकी पेमैंट नहीं करना चाहती थी. अत: बोली, ‘‘आप बिल मत दो. मुझे टैक्स नहीं देना.’’

इस पर सैलून वालों ने कहा, ‘‘बिना बिल के हम काम नहीं करते, आप को टैक्स देना ही होगा.’’ काफी झिकझिक के बाद महिला ने बिल की पेमैंट कर दी पर सैलून से जातेजाते कह गई कि अगर आप टैक्स बंद नहीं करेंगे तो आगे से वह आप के यहां सर्विस लेने नहीं आएगी.

जीएसटी से बढ़ी मुश्किल

सैलून वालों से बात करने पर पता चला कि जीएसटी लागू होने के बाद से रोज ग्राहकों से इस तरह की झिकझिक होती है. ऐसे में कुछ ग्राहक ऐसे ब्यूटीपार्लरों में चले जाते हैं जहां किसी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता है. असल में ये लोग ग्राहक को किसी तरह की रसीद नहीं देते. पर जीएसटी लगने के बाद से इन पार्लरों ने भी अपने रेट बढ़ा दिए हैं. मगर ब्रैंडेड पार्लरों के मुकाबले इन का रेट कम रहता है. अपने ठप्प होते बिजनैस को बचाने के लिए ब्रैंडेड पार्लरों ने नए तरीके से ग्राहकों को समझाना शुरू किया है. जीएसटी लगने के बाद पार्लर की सर्विस के रेट्स रिवाइज हो गए हैं. इन रिवाइज रेट्स में केवल ग्राहक के द्वारा ली जाने वाली सर्विस का रेट लिखा होता है. इस के ऊपर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लिया जाता.

मसलन, अगर हेयर कटिंग और हेयर स्पा का चार्ज पहले क्व500 और टैक्स देना पड़ता था तो रेट को रिवाइज कर के क्व600 लिया जाने लगा. इन क्व600 पर किसी तरह का टैक्स ग्राहक से नहीं लिया जाता है. इस से उसे लगता है कि अब उसे टैक्स नहीं देना पड़ रहा है. उस के पूछने पर पार्लर वाले समझाते हैं कि अब खुद कंपनी टैक्स भुगतान कर रही है. आप के द्वारा ली जाने वाली सर्विस पर टैक्स नहीं लिया जा रहा. ग्राहक के साथ झिकझिक तो कम हो गई पर उसे यह एहसास हो जाता है कि पार्लर ने अपनी सर्विस के रेट बढ़ा दिए हैं. ग्राहक की परेशानी यह है कि अगर वह अलगअलग सर्विस लेना चाहता है तो उसे टैक्स देने के लिए कहा जाता है. और अगर वह 2-4 सर्विस को मिला कर बनाया गया एक पैकेज लेता है तो उस पर टैक्स नहीं लिया जाता.

ग्राहकों में आक्रोश

ग्राहक कहते हैं कि ऐसे पैकेज उन की जेब पर भारी पड़ते हैं. ज्यादातर ग्राहक हेयर कटिंग, फेशियल के लिए आते हैं. अगर वे दोनों सर्विस अलगअलग लेते हैं तो टैक्स देना पड़ता है और अगर इन में 1-2 और सर्विस जोड़ कर पैकेज बना दिया जाता है तो टैक्स न लेने की बात जरूर की जाती है. पर इस पैकेज का खर्च दोगुना हो जाता है.

सैलून चलाने वालों के अपने अलग तर्क हैं. वे खुल कर जीएसटी पर आवाज उठाने से बचना चाहते हैं. वे कहते हैं कि पार्लर के द्वारा दी जाने वाली सर्विस पर वे केवल 18% ही टैक्स देते हैं. इस के बाद भी उन्हें कुछ प्रोडक्ट्स पर 25% या उस से भी अधिक कर देना पड़ता है. ऐसे में उन्हें अपने रेट बढ़ाने पड़े हैं.

सैलून चलाने वाले मानते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद ब्यूटी सर्विस ही नहीं हैल्थ सर्विस भी महंगी हो गई है.

इस के 2 तरह के प्रभाव ग्राहकों पर पड़े हैं. एक तो कम पैसे देने के लिए वे ऐसे पार्लर में जाने लगे हैं, जो हाईजीन के हिसाब से ठीक नहीं है और दूसरा वह नौनब्रैंडेड ब्यूटी प्रोडक्ट्स का प्रयोग करता है, जो हैल्थ और ब्यूटी दोनों के लिए सुरक्षित नहीं.

पार्लर ने बढ़ा दिए चार्ज

नौनब्रैंडेड पार्लर वालों ने अपने रेट पहले से बढ़ा दिए पर सर्विस में सुधार नहीं किया. अपर क्लास ग्राहक कुछ ही दिनों में वापस ब्रैंडेड पार्लरों में आने लगे हैं. वे महंगा पैकेज लेने के लिए मजबूर हैं. ब्यूटी पर होने वाला खर्च पहले के मुकाबले बढ़ गया है.

लगातार ऐसे पार्लर में जाने वाली नेहा त्रिपाठी कहती हैं, ‘‘जीएसटी के अंतर्गत भले ही 12% से बढ़ कर ब्यूटीपार्लर में टैक्स 18% हुआ हो पर इस की आड़ में पार्लरों ने अपने सर्विस के रेट बढ़ा दिए जिस से ग्राहकों का खर्च बढ़ गया. जहां हम पहले नौर्मल तौर पर ढाई हजार रुपए 1 माह में खर्च करते थे अब 4 हजार तक खर्च करने पड़ रहे हैं. इन में मेकअप का खर्च शामिल नहीं है.’’

शादी के सीजन में भी फीका

नौनब्रैंडेड पार्लर में जाने वाली प्रियंका राजपूत कहती हैं, ‘‘हमें पता है कि नौनब्रैंडेड पार्लर टैक्स नहीं देते. इस के बाद भी वे हाथ से लिख कर कच्ची रसीद दे देते हैं. इस रसीद पर पार्लर का नाम तक नहीं छपा होता.’’ ब्रैंडेड और नौन ब्रैंडेड पार्लर में चलने वाली सर्विस में डेढ़ से 2 गुना तक का अंतर होता है. पहले के मुकाबले दोनों ही जगह सैलून की सर्विस लेने पर ज्यादा पैसा देना पड़ता है. आमतौर पर महिलाओं को लगता है कि सरकार द्वारा लाए जाने वाले टैक्स से उन्हें क्या लेनादेना? वे यह नहीं समझतीं कि किसी भी तरह का टैक्स हो उस का प्रभाव महिलाओं पर भी पड़ता है. जीएसटी इस का सब से प्रबल उदाहरण है. जीएसटी के लागू होने से ब्यूटी खर्च बढ़ गए हैं, जिस का प्रभाव ब्राइडल सीजन पर भी पड़ा है. पहले ब्राइडल सीजन में ग्राहक बड़ी संख्या में आते थे, मगर अब उन की संख्या बहुत कम हो गई है.

महिला व्यापार महासंघ लखनऊ पश्चिम विधानसभा की अध्यक्षा अनीता वर्मा कहती हैं, ‘‘500 ग्राम के वैक्स के पैकेट पर 25 से 30 कीमत बढ़ गई. ऐसे में वैक्सिंग का रेट जो पहले 150 था वह भी बढ़ गया. इस के चलते ग्राहक अब घर में खुद ही वैक्सिंग करने का प्रयास करता है. कई बार उसे सही परिणाम नहीं मिलता है. हर ब्यूटी सर्विस में इसी तरह से रेट बढ़े हैं, जिस से ग्राहकों की संख्या में कमी आई है. जो ग्राहक आ रहे हैं उन्हें ज्यादा दाम चुकाना पड़ रहा है. महिला वर्ग का कहना है कि जीएसटी के गलत फैसले का प्रभाव उन के निजी जीवन पर पड़ रहा है.’’

झुमकों के बाद अब अनुष्का की साड़ी भी हुई मैच

अनुष्का शर्मा और विराट कोहली की शादी की चर्चा हर किसी की जुबान पर है. गुपचुप इटली में शादी रचाने के बाद गुरुवार को विराट और अनुष्‍का शर्मा ने दिल्‍ली के ‘द ताज पैलेस’ होटल में एक ग्रैंड रिसेप्‍शन दिया. इस रिसेप्‍शन में इस नए शादीशुदा जोड़े को बधाई देने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे. अपनी नई जिंदगी के सबसे खास मौके पर दोनों ने डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी के तैयार किए आउटफिट पहने.

जहां विराट कोहली ब्लैक शेरवानी में हैंडसम लग रहे थे तो लाल बनारसी साड़ी में अनुष्का का ग्रेस देखते ही बन रहा था. विराट के काले रंग की गलाबंद शेरवानी में 18 कैरट गोल्ड के बटन लगे हुए थे. हैंडमेड ब्रोकेट का चूड़ीदार के साथ सब्यसाची एसेसरीज की मोजरी उन पर जंच रही थी. हाथ से कढ़ाई वाली पश्मीना शाल उनके पूरे लुक को और रायल बना रही थी तो वहीं अनुष्का का लुक पूरी तरह से भारतीय बहू को दर्शा रहा था. लाल रंग की साड़ी, लाल रंग का चूड़ा और सिंदूर से लंबी भरी मांग में अनुष्‍का शर्मा काफी खूबसूरत दिख रही थीं. लेकिन जैसे ही सोशल मीडिया पर अनुष्‍का की तस्‍वीरें आईं लोगों को एक बार फिर दीपिका पादुकोण की याद आ गई.

bollywood

हम आपको बताते हैं कि आखिर अनुष्का शर्मा की इस साड़ी की चर्चा क्यों छिड़ी है- दरअसल अनुष्‍का की इस साड़ी और उनके इस लुक की तुलना दीपिका पादुकोण के लुक से की जाने लगी. हाल ही में दीपिका पादुकोण दिग्‍गज एक्‍ट्रेस हेमा मालिनी की किताब के लौन्‍च के मौके पर पहुंचीं. इस मौके पर दीपिका ने लाल रंग की खूबसूरत साड़ी पहन रखी थी और अपने इस लुक में वह काफी खूबसूरत नजर आ रही थीं.

यह पहली बार नहीं है जब अनुष्‍का के लुक की तुलना दीपिका पादुकोण के लुक से की गई है. बता दें कि इससे पहले शादी के मौके पर अनुष्का शर्मा ने जो झुमके पहने थे, वो भी दीपिका पादुकोण ने जियो मराठी फिल्‍मफेयर अवार्ड के दौरान पहने थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कपड़ों से लेकर ज्वैलरी तक अनुष्का, दीपिका की कौपी क्यों कर रहीं हैं?

खैर इसके पीछे का कारण जो भी हो पर अनुष्का अपने इस लुक में काफी सुन्दर लग रही थीं. विरूष्का के रिसेप्शन में जमकर डांस किया. अपने रिसेप्‍शन में अनुष्‍का मुंह में नोट दबाकर नाचते हुए नजर आईं. विराट-अनुष्का के रिसेप्शन में गुरदास मान ने अपने गानों से समा बांध दिया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें