वृद्धों में एलर्जी की समस्या

एलर्जी होने का खतरा सिर्फ छोटे बच्चों या फिर किशोरावस्था में ही होने का नहीं होता बल्कि वृद्धावस्था, खासकर 70 वर्ष से ऊपर की अवस्था, में भी पहली बार एलर्जी की शिकायत हो सकती है. अमेरिकन कालेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा ऐंड इम्यूनोलौजी के एक अध्ययन में कहा गया है कि करीब 30 प्रतिशत वयस्कों, विशेषकर वृद्धों, में पहली बार नाक की एलर्जी होने का खतरा रहता है.

ऐसा होने के पीछे कई कारण हैं और एलर्जी वयस्कों में भी उतनी ही सामान्य है जितनी कि शिशुओं और बड़े होते बच्चों में. विशेषज्ञों की राय है कि ऐसा शारीरिक सक्रियता की कमी, कमजोर रोग प्रतिरोधकता, किसी बीमारी, मनोवैज्ञानिक वजह जैसे कि जीवनसाथी या किसी परिजन की मृत्यु, तनाव और चिंता आदि के चलते हो सकता है.

जाहिर है बुजुर्गों को ऐसे शारीरिक व मानसिक लक्षणों का ज्यादा सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि वृद्धों को एलर्जी की शिकायत अपेक्षाकृत ज्यादा होती है. कई बार यह भी देखा गया है कि जैसेजैसे आयु बढ़ती है शरीर में भोजन की पहचान करने की क्षमता क्षीण होने लगती है. ऐसे में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुपाच्य भोजन और विषाक्त भोजन में भेद नहीं कर पाती और अच्छे भोजन के पहुंचते ही खतरे का संकेत दे देती है, जिस में एलर्जी जैसी प्रतिक्रिया भी एक है.

वृद्धों में एलर्जी की पहचान

बच्चों की तरह ही वयस्कों और वृद्धों में भी एलर्जी के सामान्य लक्षण नजर आते हैं जैसे कि नाक से द्रव बहने लगना, आंखों में जलन होना, छींकना और आंखें लाल हो जाना आदि. कुछ लोगों में मलत्याग के समय जलन, पेटदर्द, उलटी की इच्छा, चक्कर आना, सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत और नाक के जाम होने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं.

भोजन संबंधी एलर्जी : वृद्धों में सामान्यतया कुछ खास खाद्य पदार्थों, जैसे शैलफिश, पोल्ट्री अंडों और मूंगफली आदि से एलर्जी पाई जाती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि वृद्धावस्था में शरीर कुछ विशेष भोज्य पदार्थों में भेद नहीं कर पाता और श्वेत रक्त कणिकाओं को एकत्रित होने का संकेत दे बैठता है जिस से एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो जाती है.

नासाशोथ : इस अवस्था में वृद्धों में लगातार नाक बहने लगती है. ऐसा श्वसन प्रणाली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण होने, जुकाम होने, साइनस होने, किसी रसायन की मौजूदगी या हवा में तैरते प्रदूषकों के कारण हो सकता है. मौसम बदलने पर यह समस्या बढ़ जाती है.

अस्थमा : अकसर देखा गया है कि अधिक उम्र वाले लोग प्रदूषण, धूल और परागकणों के प्रति थोड़े संवेदनशील होते हैं. इन पदार्थों के संपर्क में आने पर इन में से कई को अस्थमा और सांस की ऐसी कुछ तकलीफें होने लगती हैं.

ताप एलर्जी : कम प्रतिरोधक क्षमता और कमजोर शरीर के चलते वृद्धों में ताप से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जैसे कि हीट स्ट्रोक या आघात. वृद्धों को जल्दी थकान, डिहाइड्रेशन या शरीर में पानी की कमी हो जाती है जो एलर्जी को जन्म दे देती है. उम्र बढ़ने के साथसाथ संवेदनशीलता अत्यधिक बढ़ जाती है और ऐसे लोगों को त्वचा की एलर्जी हो जाती है. 

एलर्जी से करें मुकाबला

अकसर ऐसा देखने में आया है कि बच्चों को कोई तकलीफ  होने पर तत्काल चिकित्सा उपलब्ध करा दी जाती है, जबकि वृद्धों के मामले में अकसर मर्ज पकड़ में नहीं आता और उन का गलत इलाज होने लगता है. कभी-कभी तो चिकित्सक भी उन की एलर्जी के लक्षणों की अनदेखी कर जाते हैं, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि वृद्धों को एलर्जी से निबटना सिखाया जाए और उन के लक्षणों को देख कर जल्दी से जल्दी उन्हें चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए.

– उन के चिकित्सा परीक्षण नियमित तौर पर होते रहने चाहिए, खासतौर पर एलर्जी का कोई लक्षण सामने आने पर.

– उनकी एलर्जी को समझने के लिए स्क्रैच टैस्ट या एक रक्त परीक्षण सहायक हो सकता है.

– यह भी अत्यावश्यक है कि वातावरण और घर की साफसफाई रखी जाए. घर में परागकणों या प्रदूषकों के प्रवेश के रास्ते बंद किए जाएं. एलर्जी कारक तत्त्वों को घर के वातावरण से पूरी

  तरह से हटा देना एक अच्छा उपाय हो सकता है.

– हाइपोएलर्जिक मैटीरियल और फर्नीचर का प्रयोग कर के भी वृद्धजनों की एलर्जी की समस्या को कम किया जा सकता है.

– उम्र बढ़ने के साथ किस तरह की एलर्जी परेशान करेगी, यह पता लगाना तो मुश्किल है लेकिन बुजुर्गों को एलर्जी से बचाने के लिए एलर्जीकारक तत्त्वों को काबू में रख ही सकते हैं.

– एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्वों की जैसे ही पहचान होती जाए, उन्हें वृद्धों से दूर रखा जाए. छोटे से छोटे लक्षण पर गौर कर के वृद्धों को एलर्जी की समस्या से बचाया जा सकता है.

(लेखिका पोर्टिया मैडिकल में एसोसिएट डायरैक्टर हैं.)

कितने भी मंहगे हो सकते हैं बॉलीवुड में तलाक!

किसी से अलग होना किसी को भी झंकझोर देता है. खसकर ऐसे साथी से अलग होना, जिसके साथ किसी ने लंबा वक्त गुजारा हो. किसी से अलग होना या तलाक लेना दिल पर तो भारी पड़ता ही है, लेकिन बॉलीवुड सितारों को इसके लिए जेब से भी भारी कीमत चुकानी पड़ी है.

आइए हम आपको बताते हैं, बॉलीवुड के कुछ चेहरे, जिनके तलाक हैं शायद इनकी शादी से भी महंगे और अब तक शायद ही किसी इंसान ने अपने तलाक के लिए इतना पैसा गंवाया होगा.

करिश्मा कपूर – संजय कपूर

इन दोनों ने साल 2014 में तलाक की अर्जी दी थी और साल 2016 में ये दोनों एक दूसरे से अलग हो गए थे. तलाक के बाद संजय को, अपने पिता का एक घर करिश्मा को देना पड़ा था. इसके अलावा उन्हें बच्चों के लिए 14 करोड़ का बॉन्ड भी खरीद होगा, जिससे 10 लाख हर महीने ब्याज मिलेगा.

फरहान अख्तर – अधुना अख्तर

16 सालों तक साथ रहने के बाद फरहान और अधुना अलग हो गए. फरहान ने अधुना को हर महीने मेन्टेनेन्स देने के बजाय वन टाइम एलिमनी दे रहे हैं. इसके अलावा अधुना ने 10,000 स्क्वायर फीट में बसे बंगले को भी अपने पास रखने की मांग की है. इसके अलावा फरहान अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी अच्छी ख़ासी रक़म देंगे.

ऋतिक – सुजैन

साल 2014 में ऋतिक और सुजैन एक दूसरे से अलग हो गए थे. खबरों के अनुसार तलाक के बाद सुजैन ने 400 करोड़ रुपए की मांग की थी और ऋतिक ने 380 करोड़ रुपए दिए हैं.

संजय दत्त – रिया पिल्लई

संजय की दूसरी पत्नी रिया को टेनिस स्टार लिएन्डर पेस से प्यार हो गया था. इसके बाद वो संजय दत्त से अलग हो गईं. संजू बाबा का दिल तो टूटा ही, उन्हें एलिमनी में अपना सी फेसिंग लक्जरी अपार्टमेंट भी देना पड़ा था. इसके अलावा रिया को उन्होंने एक गाड़ी भी दी. आपको जानकर हैरानी होगी कि रिया के बिलों का खर्चा भी कई दिन तक संजू बाबा ही उठाते रहे थे.

लिएन्डर पेस- रिया पिल्लई

अभिनेता संजय दत्त के बाद उनकी पूर्व पत्नी रिया का लिएन्डर पेस के साथ भी रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला और उनसे भी तलाक हो गया. उन्होंने लिएन्डर से 4 लाख रुपए की मांग की थी.

प्रभु देवा – रामलता

एक्टर-डायरेक्टर-कोरियोग्रार की रामलता से शादी हुई थी. इनके दो बच्चे भी हैं. क्या आपको पता है इनके लताक के बाद प्रभु ने रामलता को 10 लाख रुपये, दो महंगी गाड़ियां और 20-25 करोड़ की प्रॉपर्टी भी दी थी.

तो सोनाक्षी के साथ बनेगी ‘सर्कस’

कुछ समय पहले तय हो चुका था कि नृत्य निर्देशक से निर्देशन में कदम रखने जा रहे बॉस्को मार्टिस ने अपनी फिल्म ‘सर्कस’ को हमेशा के लिए बंद कर दिया है. वास्तव में  बॉस्को मार्टिस ने लगभग दो वर्ष पहले सूरज पंचोली और कंगना रानौत के साथ फिल्म ‘सर्कस’ बनाने की घोषणा की थी.

यह एक संगीतमय प्रेम कहानी वाली फिल्म है. लेकिन कंगना ने इस फिल्म से खुद को दूर कर लिया. उसके बाद बॉस्को ने परिणीति चोपड़ा से बात की थी. पहले परिणीति चोपड़ा यह फिल्म करने को तैयार हो गयी थीं लेकिन अचानक परिणीति चोपड़ा ने भी खुद को ‘सर्कस’ से अलग कर लिया था.

उसके बाद खबर आ गयी थी कि बॉस्को ने इस फिल्म को न बनाने का निर्णय ले लिया है. मगर सूत्र दावा कर रहे हैं कि बॉस्को ने हिम्मत नहीं हारी थी. वह अंदर ही अंदर इसकी तैयारी कर रहे थे.

बहरहाल, अब खबर है कि बॉस्को मार्टिस अपनी फिल्म ‘सर्कस’ का निर्माण बहुत जल्द शुरू करने वाले हैं और इसमें सोनाक्षी सिन्हा हीरोईन होंगी. मगर अभी बॉस्को मार्टिस कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.

 

 

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कबीर ने खोला ‘ट्यूबलाइट’ के पीछे का राज

सलमान खान की ईद पर रिलीज होने वाली फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में सलमान खान नित नए प्रमोशन के जरिए फिल्म को लेकर फैंस में और उत्साह बढ़ाने में लगे हुए हैं. हाल ही में फिल्म मेकिंग का एक नया वीडियो सामने आया है.

इस वीडियो में सलमान खान और डायरेक्टर कबीर खान फिल्म को लेकर बात कर रहे हैं. सबसे पहले कबीर खान ने फिल्म के टाइटल का मतलब बताया है. उन्होंने बताया है कि जो धीरे-धीरे जलती है और बाद में बहुत सारी रोशनी कर देती वो ट्यूबलाइट होती है. कबीर ने ये भी बताया है स्कूल के दिनों में उन्हे भी बच्चे ट्यूबलाइट कहते थे.

इसके साथ ही सलमान खान ने अपने किरदार के बारे में भी बताया है. सलमान खान ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान बिना ग्लिस्रीन लगाए आंसू आ जाते हैं. इसके साथ ही सलमान खान ने दावा भी किया है कि जितना सलमान रोए हैं उससे कहीं ज्यादा फिल्म को देखने बाद दर्शक की आंखो से आंसू आएंगे. सोशल मीडिया पर इस वीडियो को काफी पसंद किया जा रहा है.

 

स्टे आर्डर

नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते का सहायक अभियंता और अन्य कर्मचारी आखिरकार इस ब्लाक में भी आ गए. पिछले 3-4 दशकों से ब्लाक के फ्लैटों में रहने वाले निवासियों ने थोड़ाथोड़ा कर के अवैध निर्माणों का एक सिलसिला बना दिया था. ऊपरी आदेशों से इन की पहचान कर सब को गिराना था.

ज्यादातर अतिक्रमण भूतल पर था. एक फ्लैट के मकान मालिक ने अतिक्रमण किया तो देखादेखी दूसरों ने भी कर डाला. सरकारी प्रौपर्टी थी, कौन पूछता. मगर कभीकभी नगर निगम नींद से जाग जाता था. संबंधित अधिकारियों को अपनी और दूसरे कर्मचारियों की जेब गरम करने की जरूरत पड़ जाती तब दोचार दिन तक अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता. जब भेंटपूजा हो जाती तब अभियान ठंडा पड़ जाता था.

इसी घटनाक्रम में कई ब्लाकों के नवयुवा वकील बड़े वकीलों की मातहती में वकालत करने लगे. तब उन्होंने कभीकभी आ पड़ने वाली ऐसी आपदा का प्रबंध करने का एक तरीका सुझाया. सारे ब्लाक वाले मिल कर संयुक्त आवेदन करें और मजिस्ट्रेट के पास दलील दें कि ऐसा कब्जा काफी समय से चला आ रहा था. पूरी सुनवाई किए बिना नगर निगम को किसी निर्माण कार्य को इस तरह गिराने का अधिकार नहीं है. तब यथास्थिति यानी अदालत से ‘स्टे’ का आदेश मिल गया था. सभी ब्लाक वालों के जिम्मे मात्र 75 रुपए का खर्च आया था.

तब यह 75 रुपए वाला ‘स्टे आर्डर’ का फार्मूला यानी युक्ति अन्य चालू और भ्रष्ट वकीलों ने भी पकड़ ली थी. तब एक मिलीभगत के अंतर्गत थोड़ेथोड़े समय के अंतर पर नगर निगम कभी किसी ब्लाक में, कभी किसी कालोनी में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाता. निवासी इकट्ठे हो, 75 रुपए वाला ‘स्टे आर्डर’ ले लेते थे. वकीलों को एकमुश्त भारी फीस मिल जाती. ‘स्टे आर्डर’ बरकरार रखने के साथ लंबी तारीख पड़ फाइल मुकदमों में लग जाती.

मजिस्ट्रेट भी एक रूटीन के तौर पर ऐसे मुकदमे निबटाता था. सरकारी पक्ष की ओर से कोई दबाव नहीं पड़ा था, इसलिए लंबे अरसे तक पैंडिंग लिस्ट में रह कर ऐसे मुकदमे या तो खारिज हो जाते या फिर कोई नया जोशीला विधायक या नगर पार्षद चुनावी वादों में ये मुकदमे खत्म करवा देता था.

इस बार का अतिक्रमण हटाओ अभियान जरा जोशीले उच्चाधिकारी द्वारा चलाया गया था. रिश्वत या सिफारिश की गुंजाइश नहीं थी. अतिक्रमण हटाना निश्चित था.

दीनदयालजी सूर्य परायणी ब्राह्मण थे. उन का भूतल पर 2 कमरों का एक प्लाट था. पूजापाठ करते थे. दूसरों की देखादेखी उन्होंने सरकारी जमीन पर अच्छाखासा कब्जा कर मंदिर बना डाला था और मंदिर में सर्वमंगलकारी हनुमान सहित दूसरे देवीदेवताओं की मूर्तियां स्थापित कर दीं थीं. पौ फटते ही श्रद्धालु भक्तों का जो तांता लगता उस से मंदिर में चढ़ावे के रूप में अच्छी आमदनी हो जाती थी.

मगर अब अतिक्रमण अभियान में यह मंदिर भी आ गया था. 75 रुपए वाला ‘स्टे आर्डर’ अब नहीं मिल सकता था.

वैसे तो मंदिर का चढ़ावा हर रोज सैकड़ों में  था पर पर्वों में यह चढ़ावा हजारों में हो जाता था. मंदिर ढह जाता तो चढ़ावे की कमाई भी जाती रहती. मंदिर में आने वालों में नगर निगम के कर्मचारी भी थे. मगर सरकारी आदेश तो आखिर सरकारी आदेश ही था.

सरकारी दस्ता पहले ही आ कर पैमाइश कर गया था और लोगों को नोटिस थमा गया था. 7 दिन में अतिक्रमण हटा दें वरना बुलडोजर या जे.सी.बी. मशीन द्वारा नाजायज कब्जा ढहा दिया जाएगा.

दूसरे ब्लाक के लोगों के पास भी ऐसे नोटिस आए थे. 75 रुपए वाला जमाना अब नहीं था. तब जमीनजायदाद चंद सौ रुपए गज की थी, अब गज में नहीं प्रति वर्गफुट में कई हजार रुपए की कीमत थी.

फिर सरकारी जमीन या प्रौपर्टी सरकारी ही थी. कोई न कोई पंगा खड़ा हो सकता था. क्या करें? पंडितजी अकेले क्या कर लेते? अन्य किसी के पास अपने अवैध कब्जे को जायज ठहराने का कोई तर्क नहीं था.

लेदे कर उन्हीं के पास तर्क था कि इस मंदिर को सभी कालोनीवासियों ने अपने भगवान की पूजापाठ के लिए बनाया था, उसे न ढहाया जाए.

ब्लाक के सभी निवासी एकसाथ जमा हो पंडितजी के साथ एक नामी वकील के पास पहुंचे.

‘‘यों किसी निर्माण को नहीं हटाया जा सकता. सारी कार्यवाही पूरी करनी पड़ती है. सैकड़ों लोगों के आज और कल का सवाल है,’’ अधेड़ वकील ने रौब भरे स्वर में दलील दी.

‘‘मगर कल सुबह नगर निगम अपना बुलडोजर ले कर आ रहा है,’’ एक साहब ने कहा.

‘‘मजाल नहीं हो सकती किसी की. मेरे होते हुए आप को छूने की भी,’’ वकील ने तैश से कहा.

‘‘अब हम क्या करें?’’ सभी ने समवेत स्वर में कहा.

‘‘सब को ‘स्टे आर्डर’ लेना होगा.’’

‘‘क्या खर्च पड़ेगा?’’

‘‘हर एक के लिए 5 हजार रुपए, जमा खर्च अलग.’’

‘‘मगर अब तक तो 75 रुपए था. एक  ‘स्टे आर्डर’ का.’’

‘‘जनाब, वह 10-20 साल पहले का रेट है. तब जमीन 100 रुपए गज थी. अब प्रति वर्गगज नहीं प्रति वर्गफुट के हिसाब से भी जगह नहीं मिलती,’’ वकील साहब की दलील में दम था.

‘‘हमारे इन निर्माण कार्यों को कोई छुएगा तो नहीं?’’ एक साहब ने शंका भरे स्वर में पूछा.

‘‘आप तसल्ली रखें. मैं जिम्मेदारी लेता हूं,’’ वकील ने दृढ़ स्वर में कहा.

थोड़ी देर में 5 हजार रुपए जमा व 1 हजार रुपए खर्च प्रति नाजायज कब्जे के हिसाब से 60 हजार रुपए वकील साहब को 10 वकालतनामों के साथ मिल गए थे. उस में से नगर निगम के कर्मचारियों को उन का तय हिस्सा पहुंच गया. 5 हजार रुपए वाला आम ‘स्टे आर्डर’ अब 50 हजारी हो गया था.

पंडितजी के मंदिर में आज ज्यादा भक्त आए थे. नगर निगम का कोई कर्मचारी अतिक्रमण हटाने जो नहीं आया था.

ब्लाक के सभी लोग और मंदिर के पुजारी निश्चिंत थे. कभी 75 रुपए वाला ‘स्टे आर्डर’ अब 5 हजारी होने पर भी उन्हें अखर नहीं रहा था.

इस घटना के अगले दिन 10 बजतेबजते एक जे.सी.बी. मशीन और कुदाली, फावड़े लिए अनेक मजदूर और नगर निगम के कर्मचारी आ पहुंचे. कालोनी में जो लोग वकील के पास गए थे वे सभी उन को देख कर सकपका गए.

‘‘हम ने वकील से बात की थी. उन्होंने कहा था कि हम को ‘स्टे आर्डर’ मिल चुका है,’’ मंदिर और अन्य अवैध निर्माण को गिराने आए नगर निगम के कर्मचारियों से पंडितजी ने कहा.

‘‘दिखाइए, कहां है आप का ‘स्टे आर्डर’?’’ सहायक अभियंता ने स्थिर स्वर में कहा.

‘‘हमारे वकील साहब के पास है.’’

‘‘ले कर आइए.’’

‘‘थोड़ा समय लग सकता है.’’

‘‘कोई बात नहीं, हम इंतजार कर सकते हैं. अभी 10 बजे हैं. आप दोपहर 3-4 बजे तक हमें ‘स्टे आर्डर’ दिखा दें,’’ सहायक अभियंता ने गंभीरता से कहा.

सभी ब्लाक निवासी समेत पंडितजी वकील साहब की कोठी में स्थित दफ्तर में पहुंचे.

‘‘आप कहते हैं कि ‘स्टे आर्डर’ मिल चुका है जबकि नगर निगम का अतिक्रमण दस्ता हमारे सिर पर आ चुका है,’’ पंडितजी ने तनिक गुस्से में कहा.

‘‘आप धैर्य रखें. मैं अपने मुंशी और सहायक वकील से पूछता हूं,’’ पुराने घाघ वकील ने कुटिलता से मुसकराते हुए कहा.

थोड़ी देर तक वकील साहब फोन पर अपने मुंशी और सहायक वकील से बात करते रहे. फिर उन्होंने मुसकराते हुए कहा, ‘‘ऐसा है, कोर्ट में कल काम थोड़ा ज्यादा था. जज साहब सुनवाई नहीं कर पाए. अब कल सुनवाई होगी और कल शाम को ‘स्टे आर्डर’ मिल जाएगा.’’

इस पर सब के चेहरे लटक गए. फिर शर्माजी बोले, ‘‘नगर निगम के कर्मचारी सिर पर खड़े हैं.’’

‘‘उन से कह दो, कल शाम तक मोहलत दे दें.’’

3 बजे सहायक अभियंता और दलबल फिर आ पहुंचा.

‘‘हमारे वकील साहब ने कहा है कि ‘स्टे आर्डर’ की कापी कल मिलेगी,’’ शर्माजी के स्वर में घबराहट थी.

सहायक अभियंता मुसकराया और बोला, ‘‘कल किस समय तक मिल जाएगा?’’

‘‘शाम तक मिल जाएगा.’’

‘‘ठीक है हम परसों सुबह आएंगे,’’ दलबल वापस चला गया.

सभी ब्लाक निवासी सहायक अभियंता के व्यवहार से हैरान थे. यों कोई सरकारी काम में मोहलत नहीं देता था.

अगले दिन सुबह पंडितजी और ब्लाक के दूसरे निवासी कोर्ट परिसर में जा पहुंचे. उन में से कई पहली बार अदालत आए थे. अब तक 75 रुपए वाला ‘स्टे आर्डर’ बिन अदालत आए मिल जाता था. मगर अब 5 हजारी भी नहीं मिला था.

अदालत परिसर में वकील साहब अपने बैठने के स्थान पर पसरे थे. न्यायालय भी कई दर्जन थे. इमारत भी कई मंजिला थी. दोपहर बाद पेशी थी. सभी को उम्मीद थी कि आज पहली पेशी पर ‘स्टे आर्डर’ हो जाएगा. बाद की बाद में देखी जाएगी.

न्यायाधीश अंदर चैंबर में आराम फरमा रही थीं. रीडर फाइलें अंदर ले जाता था और संक्षिप्त आदेश ले आता. तारीख दे आसामी से 100-150 पाने का इशारा करता. अब 10-20 रुपए में कुछ नहीं होता था.

शर्माजी और ब्लाक निवासियों के मुकदमों की सुनवाई आरंभ हुई. मैडम कुरसी पर आ विराजीं.

‘‘आप का सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आधार क्या है?’’

‘‘जी, उस पर एक मंदिर बना हुआ है. पूजापाठ तो सब का मौलिक अधिकार है. उस को गिराना नाजायज है.’’

‘‘यह तो कोई कारण नहीं है. पूजापाठ निजी मामला है. घर में भी हो सकता है. अन्य सभी के पास क्या कारण हैं?’’

‘‘जी, खुली जगह से अवांछित तत्त्व प्रवेश कर जाते हैं,’’ दूसरे ने कहा, ‘‘इसलिए, सुरक्षा के लिए किसी ने दरवाजा, बाड़ या जंगला लगा रखा है.’’

‘‘यह कोई कारण नहीं है. अपने घर या संपत्ति पर कोई बाड़, दरवाजा या जंगला लगाओ, सरकारी संपत्ति पर कब्जा किस बात का है,’’ मैडम के इस सवाल पर पुराना घाघ वकील भी सकपका गया. उस को कोई जवाब न सूझा. मुकदमा खारिज हो गया. 75 रुपए वाले ‘स्टे आर्डर’ के समान 5 हजारी ‘स्टे आर्डर’ नहीं मिल पाया. पहली ही पेशी में मुकदमा खारिज होने से सब हैरान थे.

नियत समय पर अतिक्रमण हटाओ दस्ता आ पहुंचा.

‘‘यह हनुमान मंदिर है,’’ पंडितजी की आमदनी का साधन जा रहा था. उन का बौखलाना स्वाभाविक था.

‘‘कोई बात नहीं है,’’ सहायक अभियंता ने कहा, ‘‘हम भुगत लेंगे, आप मूर्तियां और अन्य सामान हटा लें.’’

चंद मिनटों में जे.सी.बी. मशीन ने अपना काम कर दिया. सारा ब्लाक फिर से साफसुथरा और खुला हो गया.

ब्लाक के रहने वालों को यह समझ में नहीं आया था कि रिश्वत और पहुंच का सिलसिला कैसे असफल हो गया और महाबली हनुमान भी उन की रक्षा को आगे क्यों नहीं आए? अब उस जगह पर नगर निगम वालों की सुंदर पार्क और सामुदायिक केंद्र बनाने की योजना है.

– नरेंद्र कुमार टंडन

अक्षय नहीं थे ‘टॉयलेट..’ के लिए पहली पसंद

अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर स्टारर फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है और खूब वाहवाही बटोर रहा है. ट्रेलर में देश के ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई की समस्या को उजागर किया गया है और ऐसे इंसान की कहानी की रूपरेखा खींची गई है जो महिलाओं के लिए शौचालय की सही सुविधाएं उपलब्ध करवाना चाहता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अक्षय इस फिल्म के लीड रोल के लिए पहली पसंद नहीं थे? फिल्म के लेखकों सिद्धार्थ और गरिमा ने एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस फिल्म में अक्षय को कास्ट करने के लिए उन्हें अच्छी-खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

सिद्धार्थ ने बताया, ‘प्रॉडक्शन हाउस के साथ हमें थोड़ा भिड़ना पड़ा क्योंकि वे इस फिल्म के लिए कोई युवा चेहरा चाहते थें. बल्कि, नीरज सर को तो यकीन ही नहीं था कि अक्षय इस रोल में अच्छे लगेंगे. उन्हें लगा था अक्षय यह रोल कर ही नहीं पाएंगे. लेकिन हम हमेशा से यह सोचते थें कि यह अक्षय कुमार की फिल्म के तौर पर ही बेहतर चलेगी क्योंकि रोल के लिए वह पर्फेक्ट लगते थें. उन्हें साइन करने का एक और कारण यह था कि उन्होंने पहले ऐसी कोई फिल्म नहीं की थी. वह रियल सिनेमा करते आ रहे हैं लेकिन यह उनकी पिछली फिल्मों से बिल्कुल अलग है.’

गरिमा ने आगे कहा, ‘जब हम प्रॉडक्शन हाउस गए तो हमारे दिमाग में अक्षय ही थे. जब हम फिल्म के लिए कास्टिंग कर रहे थे, अक्षय एक हटके फिल्म ढूंढ रहे थे. वह कुछ मीनिंगफुल काम करना चाहते थें. अक्षय को लेने में प्रॉडक्शन हाउस के साथ थोड़ी बहुत दिक्कतें आईं लेकिन हम अड़े रहे कि लीड रोल मे हमें अक्षय ही चाहिएं.’

आपको बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बॉलीवुड सुपरस्टार अक्षय कुमार की फिल्म ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ के ट्रेलर की तारीफ करते हुए इसे स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में एक शानदार प्रयास करार दिया है.

पीएम मोदी ने फिल्म के ट्रेलर को रि-ट्वीट करते हुए कहा, ‘स्वच्छता के संदेश को आगे ले जाने का शानदार प्रयास. स्वच्छ भारत बनाने के लिए 125 करोड़ भारतीयों को एक साथ मिलकर काम करना होगा.’ सुपर स्टार अक्षय कुमार और ऐक्ट्रेस भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ पर एक दिन में ही 90 लाख से अधिक व्यू आ चुके हैं.

प्रधानमंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए अक्षय ने कहा, ‘आपका बहुत धन्यवाद सम्माननीय सर. उम्मीद है कि हम लोगों की मानसिकता को बदलने और एक बदलाव ला पाने में सफल होंगे.’ वहीं फिल्म की ऐक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने भी मोदी के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, ‘इस शुरुआत का हिस्सा होना एक सम्मान की बात है. आपके सहयोग के लिए धन्यवाद.’

 

प्रेम में औनलाइन फ्रौड

नैशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार सोशल मीडिया के जरिए की गई दोस्ती और प्रेम ज्यादातर मामलों में फेक आइडैंटिटी का इस्तेमाल होता है जिस कारण प्रेम करने वाली युवतियां औनलाइन ज्यादा फरेब का शिकार होती हैं.

आज देश में 10 करोड़ से ऊपर की आबादी इंटरनैट के विभिन्न माध्यमों जैसे व्हाट्सऐप, गूगल, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, फेसबुक आदि का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है. सरकारी और निजी भागीदारी ने इंटरनैट की पहुंच को जनजन तक पहुंचा दिया है, पर इस का सब से बड़ा खमियाजा उन युवकयुवतियों को भुगतना पड़ रहा है जो बिना सोचेसमझे इंटरनैट से प्रेम की पेंगें बढ़ाते हैं.

वर्चुअल फ्रैंडशिप इंटरनैट की दुनिया के लिए कोई नया शब्द नहीं. एक बड़ा युवावर्ग काल्पनिक दुनिया के अंजामों से बेपरवा लगातार इस की दलदल में धंसता जा रहा है. औनलाइन प्रेम के नाम पर धोखे की हजारों घटनाएं आएदिन घट रही हैं, जिन में अधिकतर मामलों में शोषण, ब्लैकमेलिंग या उगाही के शिकार हुए लोग तब जागते हैं जब उन का सबकुछ लुट चुका होता है.

ऐसे में जरूरी है कि हम सतर्क व सचेत रहें. फ्रैंडशिप जरूर स्वीकार करें पर अलर्ट रह कर.

क्या है वर्चुअल प्रेम

‘वर्चुअल प्रेम’ का सीधा सा तात्पर्य है काल्पनिक प्यार यानी युवकयुवती आमनेसामने न बैठ कर इंटरनैट के माध्यम से प्रेम के तारों को जोड़ते हैं. यहां पहचान के नाम पर पेश करने वाले की एक औनलाइन प्रोफाइल होती है जिस की सत्यनिष्ठा की कोई गारंटी नहीं होती. प्रोफाइल फेक भी हो सकती है. दूर बैठे, उंगलियों की हरकतों पर की गई इस दोस्ती में कोई वास्तविकता नहीं होती. ज्यादातर मामलों में छद्म तसवीर व फेक प्रोफाइल व फेक इनफौर्मेशन को आधार बनाया जाता है.

फ्रौड के इन रास्तों से बचें

अकसर औनलाइन माध्यमों जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि के जरिए फेक आइडैंटिटी के साथ फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी जाती है, जिसे युवतियां आंख मूंद कर स्वीकार कर लेती हैं जो बिलकुल  उचित नहीं. बिना किसी की आइडैंटिटी जाने उस की रिक्वैस्ट ऐक्सैप्ट करना मुसीबत को न्योता देना है.

सिर्फ फेसबुक ही क्यों लिंक्डइन, इंस्टाग्राम, मैसेंजर, ट्विटर जैसी अति सक्रिय ऐप्लिकेशंस को हम अनजाने में अपने एकांत का साथी बना तो लेते हैं, लेकिन तब अनजाने में हम बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले रहे होते हैं.

प्रेम के नाम पर चैटिंग तक तो ठीक है पर बात तब बिगड़ती है जब हम एक कदम आगे बढ़ कर डेटिंग, मीटिंग, लाइव सैक्सुअल ऐक्सपोजर, कामुकता आदानप्रदान और एकदूसरे की फाइनैंशियल सपोर्ट तक आ पहुंचते हैं. यहीं से मुसीबत अपना रास्ता बना लेती है.

चैटिंग, डेटिंग, मीटिंग सब करें पर जब तक आप अच्छी तरह से अपने साथी को जान न लें, उस की प्रोफाइल की छानबीन न कर लें तब तक ऐसा करना खतरनाक हो सकता है.

जरा बच के, राह है मुश्किल

प्रेम की राह चलते धोखा खाने वालों में से आप भी एक न हों, इस के लिए कदम जरा सोचसमझ कर बढ़ाएं. प्रेम से गुरेज नहीं, पर ब्लाइंडफेथ को दरकिनार करें तभी होगी सच्ची दोस्ती की भरमार. निम्न बातों का ध्यान जरूर रखें :

– नो कमिटमैंट, नो ट्रस्ट.

– जस्ट फ्रैंडशिप डोंट बी ऐक्सेसिम.

– सौदेबाजी से बच कर मित्रता करें.

– नो फाइंनडिंग, नो डेटिंग.

– गोपनीय सूचनाएं मसलन, घर का पता, टैलीफोन नंबर, अर्निंग सोर्स, पेरैंटस की जौब, आदि गोपनीय ही रखें.

– लाइव वीडियो शेयर न करें.

– लाइव सैक्सुअल ऐक्सपोजर से बचें.

– अनजान लोगों के साथ दोस्ती करने से पहले सौ बार सोचें, प्रोफाइल की पूरी डिटेल का पता लगाएं.

– अकेले में डेटिंग से बचें.

– अपने परिवार में उन दोस्तों के बारे में जरूर बताएं.

क्या करें जब हों साइबर क्राइम का शिकार

युवकयुवतियां गाहेबगाहे औनलाइन फ्रौड का शिकार होते हैं. ऐसे में कभी धमकी तो कभी शोषण, ऐक्सटौरशन, मनीफ्रौड और ब्लैकमेलिंग आदि की घटनाएं सामने आती हैं. ऐसी घटनाओं को साइबर क्राइम की श्रेणी में रखा जाता है.

इन से संबंधित शिकायत या मुकदमे के लिए विभिन्न थानों के अंतर्गत एक अलग ‘साइबर क्राइम प्रकोष्ठ का गठन किया गया है जहां तुरंत ही इन की शिकायत दर्र्ज करा, संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

फेसबुक पर अभद्र टिप्पणी से ले कर फोन पर आने वाले हौक कौल, ब्लैंक कौल या टीजिंग फोन कौल या फिर आप के बैंक खातों आदि से अननौन डैबिट या ट्रांजैक्शन आदि से जुड़े मामलों की तत्काल शिकायत अपने इलाके के थाने में इस प्रकोष्ठ के अंदर की जा सकती है.

साइबर कानून के संज्ञान में आने से शिकायतकर्ता को एक अचूक हथियार मिल गया है. वह अपने साथ हो रहे किसी भी प्रकार के फ्रौड की सूचना यहां दे सकता है. इसलिए चुप न बैठें, आक्रोश दिखाएं. औनलाइन प्रेम के जाल में न फंसे. इस के लिए मुस्तैद रहें, अपनी आंखें खोल कर रखें.

ऐसे मामलों में सटें नहीं और सामने वाले को अपनी किसी भी कमजोरी का फायदा उठाने का अवसर न दें.

औनलाइन दोस्ती, चैटिंग आदि से कोई गुरेज नहीं यह वक्त की मांग है, पर सूझबूझ और भरपूर समझदारी के साथ. जगे रहें और दूसरों को हमलावर होने का मौका न दें.

समझें इशारे, ताकि न मिले धोखा

भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही किसी रिश्ते में हैं और अपने प्रेमी को बहुत प्यार करती हैं, उस पर भरोसा करती हैं तो उसी भरोसे, प्यार और विश्वास की अपेक्षा आप उस से भी अवश्य करती होंगी. जब दो लोग एकदूसरे को पूरी ईमानदारी से चाहें तो जिंदगी बहुत खुशनुमा हो जाती है, लेकिन अगर दोनों में से एक भी स्वार्थपूर्ति और धोखा देने की राह पर चल निकलता है तो दूसरे साथी को समझने में देर नहीं करनी चाहिए.

अगर आप को भी पिछले कुछ दिनों से अपने साथी पर शक हो रहा है तो इन इशारों को समझें और सही निर्णय लें:

इग्नोर करना

कालेज में नजर पड़ने पर भी जब वह आप को इग्नोर करे और खाली पीरियड में आप के साथ टाइम स्पैंड करने के बजाय अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक में व्यस्त रहने लगे. आप के बारबार पास आने पर चिपकू कहे, तो समझ लीजिए अब बात आप की सैल्फ रिस्पैक्ट पर आ गई है. अब आप उस के पीछे भागना छोड़ दें और साथी के इग्नोरैंस को समझने की कोशिश करें तथा उस से थोड़ी दूरी बना लें, तब खुद ब खुद यह पता चल जाएगा कि आप का रिश्ता कितना मजबूत है.

डेट पर इंतजार करवाना

डेट फिक्स होने पर जो पहले आप का घंटों इंतजार करता था, आज आप के एक मिनट भी लेट होने पर झल्लाना शुरू कर दे. सिर्फ यही नहीं बल्कि जब पूरी सिचुएशन ही बदलने लगे और वह आप का नहीं बल्कि आप उस का इंतजार करने लगें तो समझ जाएं कि मामला गड़बड़ है.

झूठ बोलना

सच्चा प्यार विश्वास की नींव पर टिका होता है और वहां झूठ का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन अगर आप का प्रेमी आप से छोटीछोटी बातों में झूठ बोलता है, तो समझ लीजिए कि वह आप के और अपने रिश्ते के बारे में भी झूठ बोल रहा है. इस बारे में उस से खुल कर बात करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

फोन करना कम कर देना

जहां पहले प्रेमी आप को दिन में कई बार कौल करता था और मना करने पर भी उसे आप की चिंता या आप से बात करने का मन होता था, वह अब कौल ही नहीं करता या बहुत कम करता है और बिजी होने का बहाना बनाता है. अगर आप कौल करती हैं तो घंटों उस का फोन बिजी रहता है, तो समझ लीजिए कि दाल में कुछ काला है.

डिमांड पूरी न करना

अब यह डिमांड फिजिकली भी हो सकती है और जनरल किसी बात को ले कर भी जैसे कि मूवी दिखाना, कोई नई ड्रैस दिलाना, किसी रैस्टोरैंट में खाना खिलाना आदि. पहले मुंह से बात निकलते ही बौयफ्रैंड उसे पूरा करने की कोशिश करता था, लेकिन अब चिढ़ कर वह साफ इनकार कर देता है.

पैसे की तरफ भागना

अगर प्रेमी पैसे को प्यार से ज्यादा अहमियत देने लगे और बातबात पर पैसे की बात करे, यहां तक कि अमीर युवतियों पर लाइन मारने लगे तो समझ लीजिए कि आप का नाता ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है.

मिलने से कतराना

पहले आप से रोज मिलने की जिद करने वाला पार्टनर जब खुद से मिलने की बात करने से भी कतराने लगे और आप के कहने पर भी मिलने की इच्छा न जताए तो यह समझें कि उसे अब आप में इंट्रस्ट नहीं है.

किसी और युवती के साथ घूमना

अगर आप ने अपने बौयफ्रैंड को कई बार किसी और युवती के साथ घूमते देखा है, तो उसे हलके में न लें. भले ही वह लाख दलीलें दे कि वह सिर्फ उस की अच्छी दोस्त है और उस से किसी काम से मिला था, लेकिन आप उस पर पूरी तरह से विश्वास न करें, बल्कि उस पर नजर रखें. अगर शक सही निकले तो समय रहते बौयफ्रैंड के धोखे और उस की हरकतों से आप को सचेत होना होगा.   

फोन हिस्टरी डिलीट होना

अगर प्रेमी के कौल रिकौर्ड, मैसेज रिकौर्ड आदि बिलकुल क्लीन रहते हैं और वह आप को अपना फोन देने से भी हिचकिचाने लगा है, तो समझ लें कुछ गड़बड़ जरूर है.

खर्च करने से बचें

पहले आप पर हजारों रुपए लुटा देने वाला प्रेमी अब हर बार छुट्टे न होने के बहाने बना कर बिल आप से भरवाए, आप पर खर्च करना भी बंद कर दे. तो समझ लें कि वह आप को अपनी लाइफ का इतना अहम हिस्सा नहीं समझता.

तारीफ करना बंद कर दे

क्या वह पहले हमेशा आप की तारीफ किया करता था और अब अचानक उस ने आप की तारीफ करना बंद कर दिया, बल्कि अब उसे आप के हर काम में नुक्स नजर आने लगा है? वह आप की किसी भी बात की तारीफ न करता हो, तो समझ लीजिए कि उस ने ये बातें किसी और के लिए बचा कर रख ली हैं.

शादी के बारे में बात करने से बचे

जब भी आप प्रेमी से अपनी और उस की शादी के बारे में बात करें तो उस का टालमटोल करना और नाराज होना यह दर्शाता है कि वह आप को सीरियसली नहीं ले रहा है.       

धोखे की आशंका हो तो…

जैसे ही आप को पता चले कि आप का प्रेमी आप को धोखा दे रहा है या फिर चीटिंग कर रहा है तो उसे छोड़ने में ज्यादा वक्त न लगाएं. वह आप को छोड़े इस से पहले ही आप उसे छोड़ दें ताकि आप की सैल्फ  रिस्पैक्ट बनी रहे.

– ऐसा करने से पहले अपने लव लैटर्स, कार्ड्स और जरूरी सामान उस से वापस ले लें.

– प्रेमी का साथ छूटने पर डिप्रैशन में जाने के बजाय इस बात की खुशी मनाएं कि चलो, अच्छा है ऐसे गलत युवक से आप का पीछा जल्दी ही छूट गया.

– अब अपना मन पढ़ाई में लगाएं और उसे भूलने की कोशिश करें. इस से अच्छे युवक आप को मिल जाएंगे.

लवोलौजी : प्यार और रोमांस की क्लास

एक ओर जहां दुनिया को कामसूत्र जैसा कामशास्त्र ग्रंथ देने वाले भारत में वर्तमान में प्यार करने वालों पर पाबंदी लगाने के प्रयास शुरू हो गए हैं, वहीं न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी में प्यार की क्लास लगाई जा रही है और यह क्लास एक अंडरग्रैजुएट कोर्स के अंतर्गत होती है. डाक्टर मेगन पाई प्यार की इस क्लास का संचालन करती हैं. डाक्टर मेगन ने ही प्यार के इस कोर्स को तैयार किया है. आप को जान कर हैरानी होगी कि कोर्स शुरू होने के साथसाथ बेहद लोकप्रिय भी हो रहा है और सिर्फ पिछले 2 साल में ही इस कोर्स में छात्रों की संख्या तीनगुना हो गई है.

प्यार की इस क्लास का नाम लव ऐक्चुअली रखा गया है जिस में पहला सैमेस्टर मुख्य रूप से लोगों के प्यार के साथ कैसे अनुभव रहे हैं, इस के आधार पर होता है. कोर्स 2 डायरैक्शन में आगे बढ़ता है, हौरिजैंटल और वर्टिकल. हौरिजैंटल ट्रैजेक्ट्री में जहां कोर्स आप की पूरी लाइफ के दौरान होने वाले अलगअलग तरह के प्यार के रिश्तों पर बात करता है वहीं वर्टिकल ट्रैजेक्ट्री स्टूडैंट से शुरू हो कर फैमिली लव के बारे में बात करता है. कोर्स न्यूयौर्क यूनिवर्सिटी के चाइल्ड ऐंड ऐडोलोसैंट मैंटल हैल्थ स्टडी डिपार्टमैंट के तहत चलाया जाता है. इस डिपार्टमैंट के तहत इस तरह के और भी कई कोर्स चलाए जाते हैं, जिन में हैप्पीनैस और स्लीप से जुड़े कोर्स भी शामिल हैं.

प्यार के अलगअलग प्रकारों के बारे में  मेगन का कहना है कि इस कोर्स के अंतर्गत हम मातापिता और नवजात के प्यार, दोस्ती, खुद से प्यार, अपने पैशन के प्रति प्यार, मैटर और स्टूडैंट के बीच प्यार के बारे में बात करते हैं.

प्यार की इस क्लास का एक बड़ा हिस्सा स्टूडैंट्स को विस्तार से बताता  है कि आखिर लव यानी प्यार का आइडिया क्या है और इस कौंसैप्ट के अंदर क्या छिपा है. यहां रोमांटिक लव को भी समय दिया जाता है.

प्यार और रोमांस की एक ऐसी ही अन्य क्लास चीन की तियानजिन यूनिवर्सिटी में भी लगती है जहां बाकायदा थ्योरी के साथ रोमांस की प्रैक्टिकल तकनीक भी बताई जाती है. थ्योरी इन लव ऐंड डेटिंग नाम से चलने वाले इस कोर्स का मकसद स्टूडैंट्स को रिलेशनशिप में स्ट्रौंग करना है. इस यूनिवर्सिटी में विषय कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ प्यार और रोमांस का होता है. यहां युवकों को पर्सनैलिटी अपग्रेड, युवतियों से बात करने का तरीका, रोमांस करने और क्लास में स्टूडैंट्स को अपोजिट रोमांस को अपनी तरफ आकर्षित करने और अपोजिट सैक्स के साथ कम्युनिकेशन बिल्ड करने के तरीके भी बताए जाते हैं.

प्यार और रोमांस की इस क्लास में यह भी सिखाया जाता है कि प्रपोजल ठुकराए जाने पर किस तरह का व्यवहार किया जाए. साथ ही रोमांटिक रिलेशनशिप से जुड़ी कुछ लीगल प्रौब्लम्स के बारे में जानकारी दी जाती है.

प्यार और रोमांस के इस कोर्स में इंसान को दूसरों से प्यार करने से पहले खुद से प्यार करना भी सिखाया जाता है. हिंसा और नफरत के इस दौर में प्यार पर आधारित इस क्लास की दरअसल पूरे विश्व को जरूरत है.

बॉलीवुड एक्टर्स जिन्होंने निभाए ‘ट्यूबलाइट’ कैरेक्टर

बड़े पर्दे पर अपने एक्शन और स्टाइल का दम दिखाने वाले कलाकार अगर सीधे-सादे बनकर आ जाएं, तो दर्शकों को एक झटका लगता है. ऐसे किरदारों में एक्टर्स को अपनी अदाकारी का हुनर दिखाने का मौका मिलता है, क्योंकि ऐसे किरदार उनकी ऑनस्क्रीन इमेज से विपरीत होते हैं.

‘ट्यूबलाइट’ में सलमान खान सीधा-सादा मासूम दिखने वाला किरदार निभा रहे हैं, जो उनकी दबंग वाली इमेज से मैच नहीं खाता. वैसे तो फिल्मों में सलमान एक्शन और रोमांटिक किरदार निभाने के साथ संस्कारी रोल्स भी कर चुके हैं, मगर ‘ट्यूबलाइट’ के ट्रेलर में सलमान जितने मासूम दिख रहे हैं, वैसे कभी नजर नहीं आये हैं. इस फिल्म को लेकर जो खबरें आई हैं, उनके मुताबिक, सलमान के किरदार का नाम लक्ष्मण है और उसके सीधेपन की वजह से उसे ‘ट्यूबलाइट’ बुलाया जाने लगता है. फिल्म इसी ईद पर रिलीज के लिए तैयार है.

सलमान ही नहीं बॉलीवुड में और भी ऐसे कलाकार है, जो बड़े पर्दे पर ‘ट्यूबलाइट’ यानि भोले-भाले किरदार निभा चुके हैं. ऐसे ही कुछ ‘ट्यूबलाइट’ एक्टर्स.

शाह रुख खान

‘रब ने बना दी जोड़ी’ में शाह रुख ने सीधे-सादे शख्स का किरदार निभाया था. वैसे तो ये करेक्टर बिजली विभाग में नौकरी करता है, मगर स्वभाव से वो बेहद कम बोलने वाला और भोला-भाला था. हालांकि, बीवी बनी अनुष्का शर्मा का दिल जीतने के लिए उसे अपना ट्यूबलाइट वाला रूप बदलना पड़ता है.

रितिक रोशन

‘कोई मिल गया’ में रितिक रोशन ऐसा ही मासूम किरदार निभा चुके हैं, जिसकी इंटेलीजेंस उसकी उम्र से मैच नहीं करती. हालांकि, एक एलियन की संपर्क में आने के बाद उसकी इंटेलीजेंस की ट्यूबलाइट जल उठती है.

अजय देवगन

अजय आजकल तो एक्शन और कॉमेडी फिल्मों में नजर आ रहे हैं, मगर कई साल पहले वो भी ऑनस्क्रीन सीधे-सादे किरदार में नजर आ चुके हैं. 2005 की फिल्म ‘मैं ऐसा ही हूं’ में अजय ने दिमागी रूप से कमजोर शख्स का रोल निभाया था.

अनिल कपूर

अस्सी के दशक के आखिरी सालों में अनिल कपूर पर पर्दे पर जब तेजाबी किरदार निभाते दिख रहे थे, उसी समय उन्होंने ‘ईश्वर’ बनकर चौंका दिया. इस फिल्म में उन्होंने सीधे-सादे युवक का रोल निभाया था. ईश्वर तेलुगु फिल्म ‘स्वाति मुथ्यम’ का रीमेक थी, जिसमें कमल हासन ने लीड रोल प्ले किया था.

धर्मेंद्र

1982 की फिल्म ‘गजब’ में धर्मेंद्र ने डबल रोल निभाया था, जिसमें से एक भोला-भाला दिखाया गया था. धर्मेंद्र की ऑनस्क्रीन इमेज को देखते हुए उनका ये किरदार फैंस के लिए चौकाने वाला रहा.

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