आमिर की फीस जान उड़ जाएंगे आपके होश

मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान बॉलीवुड में सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर्स की लिस्ट में शुमार हैं. हालांकि आजकल एक्टर्स फिल्मों से होने वाले प्रॉफिट से ही अपनी फीस वसूल रहे हैं.

अब आमिर खान भी अपनी अगली फिल्म के साथ भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं. ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के लिए आमिर की फीस जानकर उनके फैंस को भी हैरानी होगी.

खबर है कि आमिर खान अपनी फिल्म ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ के लिए प्रॉफिट का 70 परसेंट हिस्सा लेने वाले हैं और बाकी बचा हुआ 30 परसेंट प्रोड्यूसर आदित्य चोपड़ा लेंगे.

अब ये बात काफी चौंकाने वाली है क्योंकि कोई भी प्रोड्यूसर अपनी फिल्म का इतना शेयर देने के लिए राजी नहीं होता है. शाहरुख खान, अक्षय कुमार और सलमान सभी अपनी अपनी फिल्मों से हुए प्रॉफिट का हिस्सा लेते हैं लेकिन किसी को भी आज तक 50 परसेंट से ज्यादा नहीं मिला.

ऐसे में अगर आमिर की हिट फिल्म ‘दंगल’ की बात करें तो फिल्म ने चीन में 1000 करोड़ की कमाई कर ली हैं. इस हिसाब से आमिर के हिस्से में 700 करोड़ और प्रोड्यूसर के हिस्से में केवल 300 करोड़ आएंगे.

वैसे तो आमिर की सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हमेशा ही दमदार प्रदर्शन करती हैं. ‘दंगल’ भी 1700 करोड़ कमाई के साथ अब तक की सबसे कमाऊ भारतीय फिल्म बनी है. वहीं ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ को लेकर भी आमिर के फैंस में जबरदस्त क्रेज है.

फिल्म में उनके साथ अमिताभ बच्चन, कैटरीना कैफ और फातिमा सना शेख लीड रोल में होंगे. ‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ अगले साल दिवाली पर रिलीज होगी.

इस बायोपिक में नजर आएंगी करीना

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर ने अपने बेटे तैमूर अली खान के जन्म के ​बाद अभी तक कोई फिल्म साइन नहीं की है. करीना कपूर खान के फैंस लिए एक खुशखबरी है. खबर है कि डायरेक्टर ओमंग कुमार ने करीना को अपनी अगली फिल्म की अप्रोच किया है.

ओमंग की अगली फिल्म एक बायोपिक होगी. इससे पहले वह मैरीकॉम और सरबजीत जैसी फिल्में बना चुके हैं. खबरों की माने तो ओमंग पिछले काफी समय से करीना के साथ काम करना चाहते थें.

अगर करीना इस फिल्म के लिए हां कह देती हैं तो यह उनकी पहली बायोपिक होगी जिसमें वह काम करेंगी. हालांकि ओमंग प्रियंका चोपड़ा और ऐश्वर्या राय को बायोपिक में कास्ट कर चुके हैं. इन दिनों करीना खुद को फिट करने के लिए काफी मेहनत कर रही हैं.

लेकिन अभी तक इस बात पर सस्पेंस बना हुआ है कि ओमंग अब किस रियल लाइफ स्टोरी पर बॉयोपिक बनाने की प्लालिंग कर रहे हैं. फिलहाल करीना अपनी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ के लिए अगस्त में शूट करना शुरू करेंगी.

इस फिल्म में करीना के साथ सोनम कपूर और स्वरा भास्कर दिखाई देंगी. इस फिल्म को एकता कपूर और रेहा कपूर प्रोड्यूस करेंगी. तैमूर के जन्म के बाद यह उनकी पहली फिल्म होगी. करीना आखिरी बार आर बाल्की की फिल्म ‘की एंड का’ में अर्जुन कपूर के साथ नजर आई थीं.

दुनिया के कलरफुल शहर जहां आप जरूर जाना चाहेंगे

दुनिया बहुत ही अनोखी और रंग-बिरंगी है. यहां कई ऐसे शहर हैं जो इंद्रधनुष के रंगों की तरह सजा है. इन शहरों को देखकर ही मन खुश हो जाता है. जिस तरह लोग अपने घरों में रंग-बिरंगे पेंट करवाते हैं उसी तरह कई शहर भी कलर थीम पर बने हुए हैं जैसे राजस्थान के शहर जयपुर को गुलाबी शहर कहते हैं. ऐसे ही और भी कई जगहें हैं जो काफी कलरफुल हैं. आइए जानिए ऐसे ही कुछ शहरों के बारे में.

वेनेटियन टाउन, इटली

इटली देश का वेनेटियन शहर अपने अनोखे और कलर थीम के कारण काफी फेमस है. इस शहर को कलरफुल बनाने के लिए यहां के लोगों का खास कारण था. यहां के लोग मछली पकड़ने का काम करते थे और कई-कई महीने घर से बाहर रहते थे. जब वे वापिस अपने शहर आते तो वहां बर्फ पड़ने के कारण उन्हें अपना घर ढूंढने में मुश्किल होती थी जिस वजह से वे अपने घर को पहचानने के लिए उन पर अलग-अलग रंग करते थे जिससे वे दूर से देखकर ही पहचाने जा सकें. 

एल्‍काफ ब्रिज, सिंगापुर

घूमने के लिए लोगों की पहली पसंद सिंगापुर देश है. यहां की सबसे स्वच्छ और सुंदर जगह है एल्काफ ब्रिज, जो 1997 में बनाया गया था. 2014 में फिलीपींस की आर्टिस्ट पेसिटा एबाड ने इस ब्रिज में कुछ बदलाव करना चाहा और 900 लीटर पेंट लगाकर पुल को शानदार और रंगीन बना दिया. सभी पर्यटकों के लिए सिंगापुर का यह ब्रिज देखने की पहली जगह है.

नूक, ग्रीनलैंड

ग्रीनलैंड की राजधानी नूक शहर की खूबसूरती यहां के प्राकृतिक नजारें है. ऊपर से बर्फ से घिरी और चारों तरफ फैले समुद्र का नीला पानी इस शहर की खूबसूरती को और भी बढ़ा देता है. यहां रहने वाले लोगों ने अपनी जरूरत के हिसाब से छोटे-छोटे घर बनाएं हैं. ये रंगीन घर यहां की सुंदरता को चार चांद लगा देते हैं.

पासुआ सिटी, मेक्‍सिको

मेक्सिको देश अपने अवैध धंधो और क्राइम की वजह से काफी मशहूर है. पासियो सिटी इस देश की छोटी-सी बस्ती है जो क्राइम के लिए बहुत फेमस है. सरकार ने इस जगह से क्राइम खत्म करने और लोगों को सुधारने के लिए 20 हजार पेंट का इस्तेमाल करके पूरी बस्ती को कलरफुल बना दिया ताकि पर्यटकों की नजर पड़े और यहां घूमने आएं.

सेंटा मार्टा फवेला, ब्राजील

ब्राजील देश काफी रंग-बिरंगा है लेकिन यहां की स्लम बस्ती सेंटा मार्टा फवेला इस देश की खूबसूरती को चार चांद लगा देती है. यहां गरीबों की रंग-बिरंगी झुग्गियां हैं जिन्हें देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं. इन्हीं टूरिस्टों की वजह से यहां के लोग अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं.

गर्मियों में कुछ ऐसे रखें बालों का ख्याल

गर्मी के मौसम में सिर्फ स्किन ही नहीं, बालों की हालत भी खराब हो जाती है. इसलिए आपको जरूरत होती है कि आप अपने बालों की देखभाल कुछ खास तरीके से करें.

बालों को करें कवर

सबसे पहले तो धूप में बाहर निकलने से बचें पर, अगर आपको धूप में निकलना ही पड़ता है तो स्कार्फ, हैट या कैप से बालों को ढककर निकलना चाहिए. इसके साथ ही लीव-इन कंडीशनर्स का यूज जरूर करें ताकि बाल प्रोटेक्टेड रहें. सनस्क्रीन वाले लीव-इन कंडीशनर्स को प्रिफरेंस दें क्योंकि ये बालों को धूप से बचाने में हेल्प करेंगे. बालों में हेयर सीरम लगाने से भी वो सुरक्षित रहते हैं.

हफ्ते में दो बार करें शैम्पू

ह्यूमिडिटी और पसीने की वजह से आपके बाल चिपके तो हो सकते हैं लेकिन इसके साथ ही धूप की वजह से वो ड्राई भी होते हैं इसलिए रोजाना शैंपू न करें. हफ्ते में दो बार शैंपू करना काफी है. ज्यादा गंदे होने पर तीन बार शैंपू किया जा सकता है. क्लीन करने के लिए कूलिंग इंग्रेडिएंट्स वाले माइल्ड हर्बल शैंपू सिलेक्ट करें. सिर्फ स्कैल्प पर शैंपू करें. बालों में अलग से शैंपू लगाने से वो ड्राई हो जाते हैं.

कंडीशनर लगाना कभी ना भूलें

वैसे तो आप बालों को कंडीशन करते ही हैं, लेकिन गर्मियों में इसका खास ध्‍यान रखें क्योंकि गर्म हवाओं की वजह से बाल ड्राई हो जाते हैं इसलिए शैंपू करने के बाद कंडीशनर का यूज जरूर करें. वैसे कहा जाता है कि कंडीशनर सिर्फ बालों में लगाना चाहिए, बालों की रूट्स पर नहीं, लेकिन ये सही नहीं है. रूट्स पर कंडीशनर लगाने से बालों को मॉइश्चर मिलता है और वो हेल्दी रहते हैं. आप चाहें तो हेयर मास्क के जरिए भी कंडीशनिंग कर सकती हैं.

अच्‍छे और विश्‍वसनीय उत्‍पादों का इस्‍तेमाल करें

सही हेयर प्रोडक्ट्स यूज करना सबसे इंपॉर्टेंट हेयर केयर रिजीम है. इसके लिए सबसे पहले अपने बालों के टाइप को कंसीडर करें और उसके अकॉर्डिंग प्रोडक्ट चुनें. ऐसे प्रोडक्ट्स यूज करें जिनमें रेपलिनिशिंग, हायड्रेटिंग और मॉइश्चराइजिंग लिखा हो. वॉल्यूमाइजिंग और बाउंसी टैग वाले हेयर प्रोडक्ट्स को न यूज करें.

ट्रिमिंग कराते रहें

अगर आपके बालों के सिरे तेजी से फट रहे हैं तो ये बताता है कि या तो वो दो मुहे हो रहे हैं या फिर डैमेज या दोनों. अगर ऐसा है तो बालों की ट्रिमिंग करवाएं. आइडियली 6 से 8 हफ्तों में ट्रिमिंग करवा ही लेनी चाहिए. इसके अलावा हीटिंग प्रोडक्ट्स जैसे ब्लो ड्रायर, स्ट्रेटनर से दूर रहें क्योंकि इनसे निकलने वाली हीट बालों को ड्राई करती है.

बालों को दो मुहा ना होने दें

ह्यूमिडिटी और ड्राइनेस दोनों ही बालों को नुकसान पहुंचाती हैं और इससे डैंड्रफ, हेयरफॉल, फ्रिजिनेस की प्रॉब्लम कॉमन हो जाती है. दोमुहे को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि बालों को ज्यादा से ज्यादा बांधकर रखें. इससे उनमें मॉइश्चर लॉक रहता है और वो डैमेज भी नहीं होते. इसके अलावा बालों की डीप कंडीशनिंग करें ताकि उनमें मॉइश्चर बना रहे.

ब्लीच के बाद आपको भी होती है जलन

महिलाएं चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए ब्लीच का इस्तेमाल करती हैं. कई बार सेंसेटिव स्किन होने के कारण ब्लीच के बाद चेहरे पर जलन होने लगती है और लाल निशान पड़ जाते हैं. कुछ महिलाओं को स्किन इंफेक्शन के कारण चेहरे पर खुजली भी होने लगती है. ऐसे में कुछ घरेलू उपाए अपनाकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है. आइए जानिए ऐसे ही कुछ तरीकों के बारे में

लैवेंडर ऑयल

लैवेंडर ऑयल में मौजूद एंटी-सैप्टिक गुण जलने की समस्या से तुरंत राहत दिलाता है. ब्लीच करने के बाद जब स्किन पर रैशेज हो जाएं तो लैवेंडर ऑयल लगाएं.

एलोवेरा

एलोवेरा जेल में शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं जिससे जलन से राहत मिलेगी और इससे रैशेज भी खत्म होंगे.

हल्दी और दही

दही में चुटकी भर हल्दी मिलाएं और इसे कुछ देर के लिए चेहरे पर लगा रहने दें. इसमें मौजूद एंटी-एलर्जिक और एंटी-सेप्टिक गुण जलन से राहत दिलाकर एलर्जी और रैशेज को दूर करता है.

खीरा

ब्लीच के बाद होने वाली जलन से छुटकारा दिलाने के लिए खीरे का फेसपैक भी लगा सकते हैं. इसके लिए खीरे को पीस कर उसे चेहरे पर लगाएं.

दूध और चंदन

दूध में बायोटिन और मॉइश्चराइजिंग गुण होता है वहीं दूसरी तरफ चंदन में एंटी-इंफ्लेमेंटरी और कूलिंग प्रोपर्टीज होने के कारण ब्लीच से होने वाली जलन से राहत दिलाता है. इसके लिए दूध में चंदन पाउडर मिलाकर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाने से ठंडक मिलेगी.

इस वायरल वीडियो में सलमान के साथ ये क्या कर रही हैं कैटरीना, आप भी देखें

हाल ही में दबंग खान एक प्रेस कांफ्रेंस में अपनी ही जींस चबाते हुए नजर आए थे, जिसके वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था. एक बार फिर सलमान खान सुर्खियों में बने हुए हैं, लेकिन इस बार वे अपनी वजह से नहीं बल्कि अपनी एक्स गर्लफ्रेंड कैटरीना की वजह से सुर्खियों में है. आईफा 2017 का जश्न शुरू होने वाला है और यही वजह है कि गुरुवार रात आईफा की प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी.

इस प्रेस कांफ्रेंस में सलमान खान, कैटरीना कैफ, आलिया भट्ट शामिल हुए, जिन्होंने साथ मिलकर लोगों के लिए समां बांध दिया. जहां सलमान को मीडिया के बीच बिंदास होते हुए देखा जाता है, वहीं कैटरीना अपने रिजर्व नेचर के लिए फेमस हैं. लेकिन इस इवेंट में बिल्कुल उल्टा हुआ. सलमान इवेंट में चुप्पी साधे हुए बैठे थे, जबकि कैटरीना ने जमकर सुर्खियां बटोरीं.

इस इवेंट के दौरान कैटरीना ने सलमान को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनकर सलमान भरी महफिल में शरमा गए. असल में सलमान से पूछा गया कि वे आलिया भट्ट के साथ काम कब करेंगे? सलमान इसका जवाब देते, इससे पहले कैटरीना ने ही जवाब दे दिया. कैटरीना ने बीच में बोलते हुए कहा कि ‘सलमान को मेरे लिए छोड़ दीजिये.’ जी हां ये किसी और ने नहीं, बल्कि सलमान की एक्स गर्लफ्रेंड ने कैमरा के सामने कहा. यहां तक कि कैट ने आलिया को भी नहीं छोड़ा और उनके लिए कह दिया ‘आलिया को वरुण के साथ रहने दीजिए.’

अब बताइए, भरी महफिल में आपकी एक्स गर्लफ्रेंड आपके लिए ऐसा कह दे, तो आप शर्म से पानी-पानी तो हो ही जाएंगे. कुछ ऐसा ही हाल सलमान का भी था.

सलमान खान और कैटरीना कैफ कभी एक दूसरे के काफी करीब थे. फिर, दोनों ने अपनी राहें बदल लीं. लेकिन, एक बार फिर जब यह जोड़ी ‘टाइगर ज़िंदा है’ में एक साथ काम करती नजर आयी तो दोनों में एक नई बॉन्डिंग देखने को मिली और यहीं से कयास लगाए जाने लगे कि सलमान-कैटरीना फिर से रिलेशनशिप में हैं.

आपको बता दें कि पिछले महीने ही सलमान खान और कैटरीना कैफ दोनों ऑस्ट्रिया में टाइगर जिंदा है की शूटिंग से लौटे हैं. गौरतलब है कि शूटिंग के दौरान कैटरीना बुरी तरह से घायल हो गई थीं, जिससे उनकी पीठ पर काफी चोटें आई. डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह भी दी है. खबर यह भी आई थी कि उस दौरान सलमान की यही कोशिश रही कि कैटरीना को शूटिंग करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना ना करना पड़े और वो केवल आसान दृश्यों की शूटिंग ही करें.

रसोई से जीतें पति का दिल

पति के दिल का रास्ता पेट से हो कर जाता है. इस कहावत के मद्देनजर पति का प्यार पाने के लिए पत्नी को तरहतरह के लजीज व्यंजन बना कर उसे खिलाने होंगे. वहीं आज की व्यस्त और भागदौड़ भरी जिंदगी में कामकाजी महिला के पास समय कम होने की वजह से घर में सभी काम के लिए मेड रख ली जाती है, जो खाने से ले कर कपड़े, बरतन, साफसफाई सभी कार्य निबटाती है. ऐसे में कोई कामकाजी महिला पति के दिल में कैसे जगह बनाए, इस के लिए भी रास्ता मौजूद है. उस रास्ते को अपनाइए, फिर देखिए रसोई के काम कैसे आसान हो जाते हैं.

रसोई प्रबंधन

वर्तमान समय में भागदौड़ भरी जिंदगी में समय की कमी को दूर करने के लिए रसोई प्रबंधन बेहद जरूरी है. ऐसा करने से रसोई के काम आसान हो जाते हैं. कैसे,  आइए जानें :

घर के सभी काम अपनी मेड से करवाएं पर रसोई का काम खुद करें, खासकर खाना बनाने का काम. आजकल ‘रेडी टु ईट’ वाले हैल्दी फूड मार्केट में मिलते हैं. उन को आप बहुत ही कम समय में बना सकती हैं. ये कुक्ड, अनकुक्ड और रेडी मिक्स फूड होते हैं. आप इन्हें खरीद कर रसोई का काम मिनटों में कर सकती हैं.

नाश्ते और दोपहर के खाने की तैयारी पिछली रात में ही कर लें, जैसे सब्जी काटना, आटा गूंधना आदि. इस से सुबह के समय आसानी होगी.

रात की बची हुई दाल का सांभर बना कर परोस सकती हैं या दाल को आटे में गूंध कर उस के परांठे या पूरियां बना लें. नाश्ते के लिए ये हैल्दी और बैस्ट औप्शंस है.

खड़ी दाल, राजमा या छोले बनाने हों तो उन्हें रात में ही धो कर भिगो दें. इस से कुकिंग टाइम के साथ रसोई गैस की भी बचत होती है.

होममेड गार्लिक, जिंजर, ग्रीन चिली, ओनियन का पेस्ट बना लें. उस पेस्ट में एक छोटा चम्मच गरम तेल और थोड़ा सा नमक मिला देने से वह ज्यादा दिनों तक फ्रैश रहता है. फिर इस से ग्रेवी वाली सब्जी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता.

पति करें मदद

अगर पति को पत्नी के हाथों का बना खाना ही खाना है तो उन्हें चाहिए कि वे घर के कामों में पत्नी की मदद करें. कामकाजी पत्नी को जब पति से मदद मिलेगी तो उस की पसंद की चीजें बनाने में उस की रुचि जरूर रहेगी. जब दोनों पैसा कमाते हैं तो घर के काम भी दोनों को करने चाहिए. इस से दोनों में प्रेम भी बढ़ेगा.

रसोई संभालने के फायदे

खुद खाना बनाने से महिला अपने परिवार से भावनात्मक रूप से जुड़ी रहेगी और अपने पति व बच्चों की पसंद को भी समझेगी.

जब पत्नी खुद रसोई संभालेगी तो साफसफाई का विशेष ध्यान रखेगी जो उस के परिवार के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होगा.

खुद खाना बनाने से मालूम रहेगा कि कौन सा सामान कितनी मात्रा में बनाना है. बजट के अनुसार ही आप खर्च करेंगी. कोई भी चीज बरबाद नहीं होगी.

वैसे भी रसोई की पत्नी द्वारा देखभाल किया जाना बहुत जरूरी है. इस से रसोईघर व्यवस्थित रहता है.

खुद खाना बनाने से पैसों की बचत, सामान की बचत और स्वास्थ्यवर्द्धक खाना बनने के साथसाथ कई दूसरे लाभ भी होते हैं.

खुद के खाना बनाने से आप अपने पति व परिवार को ज्यादा पौष्टिक व ज्यादा स्वादिष्ठ खानपान दे सकती हैं.

आप के रसोई में काम करने से परिवार में प्यार और अपनत्व की भावना का विकास होगा.

पत्नी रसोई में काम करेगी तो वह अपनी सुविधा और समय के अनुसार काम करेगी.

आप टैंशनमुक्त हो कर परिवार के खानपान पर अच्छी तरह से ध्यान दे पाएंगी.

खाना बनाने के काम में घर के सदस्यों को भी शामिल किया जा सकता है. इस से काम का प्रैशर ज्यादा नहीं रहेगा.

पैक्ड फूड

कामकाजी महिलाओं के लिए पैक्ड फूड काफी सुविधाजनक होते हैं. पैक्ड दाल, चावल लाने से समय की बचत होती है. उन्हें न बीनना न साफ करना, सिर्फ धोना और पकाना होता है. आज इन्हीं पैक्ड फूड की वजह से महिलाओं की जिंदगी काफी आसान हो गई है.पत्नी इन सब बातों का ध्यान रखेगी तो वह अपने पति की चहेती बनने के साथसाथ उन के स्वास्थ्य और सेहत का भी ध्यान रख पाएगी. इतना ही नहीं इस से आपस में मिलजुल कर काम करने के साथ प्रेम की भावना का विकास भी होगा.

अंधविश्वासों का विश्वास

मेरे एक परिचित का प्रिंटिंग प्रैस है. उन की मशीन का एक बहुमूल्य पार्ट गायब हो गया. मशीन के कमरे में जाने वाले बहुत थे, पर मशीन को मुख्यरूप से 3 ही कर्मचारी प्रयोग कर रहे थे. उन का प्रैस तीनों शिफ्ट चलता था. पूछताछ करने व धमकाने पर भी कर्मचारी अनजान बने थे. किन्ही कारणों से वे मामला पुलिस में देना नहीं चाहते थे.

एकाएक उन को किसी ने एक बाबा का नाम बताया जो चोर कौन है यह भी बता देंगे और सामान भी दिला देंगे. वे अगले ही दिन बाबाजी के पास गए और उस के अगले ही दिन उन्होंने मुझे बताया कि वह पार्ट वहीं रखा मिल गया जहां से गायब हुआ था. वे बाबाजी का गुणगान कर रहे थे कि बिना कुछ कहे उन्होंने सब जान लिया. यहां तक कि कर्मचारियों के नाम भी बता दिए.

मुझे हैरानी हुई. मैं ने उन से विस्तार में बाबाजी से भेंट के बारे में पूछा. उन्होंने बताया कि उन्हें ले जा कर एक कमरे में बिठा दिया गया था. फिर बाबाजी के सहयोगी आए. उन्होंने उन की समस्या पूछी, फिर कागजकलम दे कर कहा कि अपनी समस्या इस कागज पर लिख दीजिए, उस के नीचे अपने इष्ट देव का नाम लिख दीजिए. फिर एक और कागज पर उस कमरे में जाने वाले सभी कर्मचारियों के नाम तथा उस के नीचे किसी फूल का नाम. फिर एक कागज पर जिन कर्मचारियों पर शक है उन के नाम तथा उस के नीचे एक फल का नाम लिखने को कहा.

फिर तीनों कागज अपनी जेब में रखने को कहा और बोले, ‘बाबाजी जब बुलाएंगे तब जाइएगा और जब कागज मांगें तो उन को दे दीजिएगा’. पर उन को हैरानी हुई जब बाबाजी ने कोई कागज नहीं मांगा, खुद ही समस्या बता दी और तीनों संदिग्ध कर्मचारियों के नाम भी बताए.

फिर उन्होंने कुछ देर ध्यान लगाया और फिर आंखें खोल कर कहा, ‘उन्होंने सब देख लिया है और किस ने चोरी की है और कहां ले गया है, यह भी देख रहा हूं. तुम जा कर कर्मचारियों को बोल दो कि बाबा ने सब देख लिया है और उन्होंने कहा है कि यदि परसों सुबह तक उस चोर कर्मचारी ने पार्ट वहीं नहीं रख दिया जहां से चुराया था तो वे परसों प्रैस में आएंगे और सब के सामने उस का नाम भी बता देंगे और सामान भी बरामद करवा देंगे. उस के बाद वह चाहे जेल जाए, चाहे पुलिस के डंडे खाए.’

यह सब सुन कर मैं ने अपने परिचित से कहा कि बाबा ने मनोवैज्ञानिक दांव खेला है और ऐसा भ्रम पैदा किया कि चोर ने चुपचाप सामान वहीं रख दिया.

पर मेरे परिचित बोले कि उन्होंने मेरी समस्या और कर्मचारियों के नाम कैसे बता दिए?

मैं ने कुछ सोचते हुए उन से पूछा कि आप ने कागज पर नाम लिखा तो उन के सहयोगी ने देख लिया होगा. वे बोले कि नहीं, उस ने नहीं देखा. मैं ने कहा कि आप ने किसी मेज पर रख कर लिखा. वे बोले कि नहीं, मेज तो वहां थी ही नहीं. बाबाजी के शिष्य एक किताब लिए हुए थे. जब मैं लिखने के लिए कागज रखने के लिए कुछ ढूंढ़ रहा था तो उन्होंने वह किताब मुझे दे कर कहा, ‘इस पर रख कर लिख लो.’ मैं ने पूछा कि किताब कैसी थी. उन्होंने कहा कि पता नहीं, उस पर कवर चढ़ा था. अब सारा माजरा समझते मुझे देर न लगी.

मैं ने उन से कहा कि आप को जो किताब दी गई थी उस पर कवर चढ़ा था, उस के अंदर किताब पर एक सादा कागज लगा कर रखा गया था. उस सादे कागज पर एक कार्बनपेपर लगा दिया गया था. आप से जब समस्या व कर्मचारियों के नाम लिखवाए गए तब नीचे सादे कागज पर कार्बन की वजह से सब कौपी हो गया. नीचे, देवता, फल, फूल के नाम इसलिए लिखवाए गए कि किताब के अंदर के कागज के कवर पर लिखी कार्बन से उतरी प्रति पर लिस्टों को अलगअलग समझा जा सके.

वह व्यक्ति तो वहीं बैठा रहा, मगर किताब उस ने अंदर भिजवा दी. बाकी तो केवल मनोवैज्ञानिक दबाव डालने की बात थी. वे जानते थे कि आप चमत्कृत हो जाएंगे और कर्मचारियों को यह बताएंगे कि किस प्रकार आप के बिना कहे ही बाबाजी सब जान गए और कर्मचारियों के नाम भी बताए. आगे का काम उन की धमकी ने कर दिया.

दरअसल, हम में से बहुत से लोग पढ़ेलिखे हो कर भी इस प्रकार की छोटीछोटी तिकड़मों में विश्वास कर लेते हैं और किसी पाखंडी साधू, बाबा को सिद्धपुरुष मान बैठते हैं. कई लोग तो ऐसों के पीछे अपना तनमनधन सब लुटा बैठते हैं.

पकड़ी गई चोरी

ऐसी ही एक घटना मेरी किशोरवस्था की है. मेरे पिताजी भीमताल (जिला नैनीताल) में राजकीय नौर्मल स्कूल में प्रिंसिपल थे. एक बहुत ही प्रसिद्ध स्वनामधन्य बाबा जिन का लखनऊ में एक बड़ा मंदिर भी है, भीमताल आए. उन के आने से पहले ही छोटे से शहर में चहलपहल बढ़ गई थी. अनेक गाडि़यां, अनेक भक्त, दर्शनार्थियों की भीड़ उन के दर्शन के लिए जमा हो गई.

मेरे पिताजी आधुनिक विचारों के थे और वे इन सब समारोहों, अवसरों में नहीं जाते थे. उस दिन शाम को पिताजी व कुछ परिचित बैठे थे. एकाएक एक व्यक्ति आया, उस ने कहा, ‘बाबाजी ने राकेश को बुलाया है.’ यह मेरा नाम था. मैं उस वर्ष 9वीं कक्षा में था. मेरे पिताजी ने आगे पूछा तो उस ने कहा कि हमें कुछ पता नहीं है, हम तो आप को जानते भी नहीं. बाबाजी ने कहा कि यहां एक श्रीवास्तवजी पिं्रसिपल हैं. उन का लड़का राकेश मेरा बड़ा भक्त है. उस को बुला लाओ. सब लोग हैरान.

मुझे ले कर पिताजी, मां व कुछ परिचित भारी भीड़ के बीच बाबाजी के पास पहुंचे. बाबाजी ने मुझे अपने पास बिठाया और कुछकुछ अच्छी शिक्षाएं दीं और फिर पिताजी से कहा, ‘यह मेरा बड़ा भक्त है. इस का खयाल रखना. फिर मुझ से छोटे भाई का नाम ले कर पूछा कि वह नहीं आया. फिर कहा कि तुम 5 भाई हो. इसी प्रकार की कुछ और बातें कहीं और मुझे आशीर्वाद दे कर जाने को कहा.

सभी लोग बड़े हैरान थे. उस दिन घर में यही चर्चा चलती रही. भीमताल जैसे कसबे में यह बात जल्दी ही फैल गई कि किस प्रकार बाबाजी ने पिं्रसिपल साहब के लड़के को नाम ले कर बुला लिया और घर की भी बातें बताईं. बाबा तो अंतर्यामी हैं.

1-2 दिन बाद एक प्रशिक्षणार्थी शिक्षक पिताजी के पास किसी काम से आया. बातोंबातों ही में उस ने पूछा, ‘साहब, आप बाबाजी के पास गए थे.’ पिताजी को कुछ संदेह हुआ. उन्होंने उस से पूछा, ‘तुम गए थे क्या?’ वह बोला, ‘हां, मैं तो उन का बड़ा भक्त हूं. दर्शन करने गया था.’

पिताजी ने पूछा कि और कुछ बात हुई? उस ने कहा, ‘हां, मुझ से पूछ रहे थे कि तुम्हारे पिं्रसिपल कौन हैं, उन के परिवार में कौनकौन हैं, कितने बच्चे हैं, नाम क्या हैं. मुझे आप के बड़े दोनों बेटों के नाम याद थे, सो, मैं ने बता दिए थे.’

अब सब स्पष्ट हो गया

ऐसे ही एक अंतर्यामी बाबाजी थे जिन्होंने अपने शिष्यों के अलगअलग सांकेतिक नाम रखे थे, जैसे किसी का संतान, किसी का गृहविवाद, किसी का संपत्ति, किसी का मुकदमा. फरियादी को जिस कक्ष में बिठाया जाता था, उस में बाबाजी के कुछ अन्य शिष्य भी फरियादी बन कर बैठे रहते थे. बातोंबातों में लोगों से उन की तकलीफ जान लेते थे. फिर जब बाबाजी के पास किसी फरियादी को ले जाना होता था, तो यह व्यवस्था थी कि उन का वह शिष्य अंदर ले कर जाता जिस संबंध में समस्या होती थी. यानी अगर किसी को संतान की समस्या है तो जिस का सांकेतिक नाम संतान है वह उसे ले जाता था.

बाबाजी सामने आए फरियादी के साथ आए शिष्य के सांकेतिक नाम से तुरंत जान जाते थे कि समस्या किस बारे में है. वे भक्त को देख कर आंख बंद कर लेते. थोड़ी देर ध्यानमग्न हो कर बैठते, फिर आंखें खोल कर बड़े गंभीर शब्दों में कुछ इस प्रकार बोलते, ‘संतान, संतान की समस्या से तो सभी जूझ रहे हैं. कुछ पा कर, कुछ न पा कर. बोल, तू क्या चाहता है?’

भक्त चमत्कृत. बिना कहे बाबाजी ने सब जान लिया. बाबाजी पर उस का विश्वास जम जाता कि ऐसे चमत्कारी बाबा निश्चित ही उस की समस्या दूर करेंगे.

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों, मानवशास्त्रियों जैसे रोंडा ब्रायन, जोसफ मर्फी आदि द्वारा अनेक पुस्तकों व व्याख्यानों के माध्यम से बताया गया है कि मनुष्य के मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाली विचारतरंगें भी विद्युत चुंबकीय तरंगें यानी इलैक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स होती हैं. वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रतिस्थापित किया जा चुका है कि पूरा विश्व व प्रत्येक पदार्थ विद्युत चुंबकीय तरंगों से ही बना है. यदि हम किसी पदार्थ को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर तोड़ते जाएं तो अणु, फिर परमाणु और अंत में पदार्थ नष्ट हो जाएगा और विद्युत चुंबकीय तरंगें वातावरण में विस्तारित हो जाएंगी.

यही कारण है कि वैज्ञानिक इन विद्युत चुंबकीय तरंगों में उस पार्टिकल को ढूंढ़ रहे हैं जो बे्रन पार्टिकल या गौड पार्टिकल (ब्रह्मोस या हिग्स बोसान) है जो यह निश्चित करता है कि कब तरंग, पदार्थ के कण यानी पार्टिकल में बदल जाएगी.

इसी सिद्धांत पर यह विश्लेषण मैटाफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने किया है कि मनुष्य का विचार जिस चीज पर सतत केंद्रित हो जाता है तथा उस की प्राप्ति का विश्वास हो जाता है, वह सृष्टि के मूल नियम आकर्षण के नियम (ला औफ अट्रैक्शन) के कारण उस की ओर आकर्षित होती है और उस लक्ष्य, वस्तु की प्राप्ति संभव हो जाती है.

मनचाहे फल की चाह में लुटते लोग

चार्ल्स हैवेल के अनुसार, ‘मनुष्य के प्रत्येक विचार की एक निश्चित आवृत्ति (फ्रीक्वैंसी) होती है. जब एक ही विचार बराबर आता रहता है तो व्यक्ति एक निश्चित फ्रीक्वैंसी लगातार सृष्टि में भेजता रहता है. यह एक चुंबकीय सिग्नल की तरह होती है जो समानांतर फ्रीक्वैंसी को ला औफ अट्रैक्शन द्वारा खींच कर ले आती है और हमारा अभीष्ट हम को प्राप्त हो जाता है’

एक उदाहरण से यह और भी अधिक स्पष्ट होगा. टीवी के भिन्नभिन्न चैनलों की अलगअलग फ्रीक्वैंसी होती है. हम टीवी के रिमोट से जो चैनल चुनते हैं वह उस की फ्रीक्वैंसी से ट्यून हो कर उसे टीवी स्क्रीन पर ले आती है.

फिल्म ‘ओम शांति ओम’ में शाहरुख  खान द्वारा बोला हुआ यह डायलौग इस तथ्य को बिलकुल स्पष्ट कर देता है, ‘जब हम पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहते हैं तो सारी कायनात उसे हम से मिलाने में लग जाती है.’

इस कारण, यदि किसी इच्छा या वस्तु की प्राप्ति पर निरंतर ध्यान बना रहे और मन में दृढ़विश्वास  हो कि यह तो प्राप्त होगी ही, तो उस के प्राप्ति की संभावना बहुत बढ़ जाती है.

ऊपर लिखे चमत्कारों से प्रभावित होने वाले भक्त के मन में यह विश्वास घर कर जाता है कि इतने चमत्कारी बाबाजी ने कहा है तो यह निश्चित ही हो कर रहेगा. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी परिस्थितियां भी होती हैं परंतु फिर भी यह विश्वास काफी मामलों में मनचाहे फल की प्राप्ति करा देता है और लोग इसे बाबाजी का चमत्कार मान बैठते हैं.

वे यह नहीं समझ पाते कि वे खुद ही अपने लक्ष्य, उद्देश्य की प्राप्ति पर विश्वास रखते, बाबाजी पर विश्वास न कर स्वयं लक्ष्यप्राप्ति पर अडिग विश्वास बना कर अपने प्रयासों, उपक्रमों में लगे रहते तो भी उन को अभीष्ट प्राप्त होता ही.

एक और तथ्य जो विचारणीय है वह यह कि औसत के नियम (ला औफ एवरेजेस) के अनुसार भी जितने लोग ऐसे चमत्कारी बाबाओं के पास जाते हैं उन में लगभग 40-50 फीसदी को वैसे भी अभीष्ट फल मिल जाता है और लगभग आधे खाली हाथ भी रहते हैं.

ऐसा इसलिए भी होता है कि अधिकांश मनुष्य जिस प्रकार की फरियाद करते हैं उन में सामान्यतया पूरी हो सकने वाली मांगें भी रहती हैं, जैसे परीक्षा  में पास होना, मुकदमें में जीत, पुत्र की प्राप्ति आदि. जिस की मुराद स्वाभाविक रूप से भी पूरी हो जाती है वह उसे बाबाजी का चमत्कार मान बैठता है और उन के गुण गाता है. पर जिस की मुराद पूरी नहीं होती, उस का बाबाजी से मोह भंग हो जाता है. वह बाबाजी के पास फिर जाता नहीं. वहां पर मौजूद रहने वाली भीड़ में पुराने वही फरियादी उपस्थित रहते हैं जिन की इच्छा स्वाभाविक रूप से पूरी हो गई हो.

ऐसे में नए फरियादी व भक्त को ये लोग अपनी फलप्राप्ति के किस्से सुनासुना कर बाबाजी के प्रति और भी भरोसा जगाते रहते हैं. इन्हीं भक्तों की सौगातों, भेटों, चढ़ावों से बाबाजी की दुकान चलती है.

सकारात्मक सोच की जरूरत

हर जागरूक व्यक्ति को दूसरों को समझाने और खुद समझने की जरूरत है कि वास्तव में यह चमत्कार किसी बाबाजी का नहीं, केवल अपने खुद की पौजिटिव थिंकिंग यानी सकारात्मक सोच का है.

यदि आप बिना किसी प्रयास, उपक्रम के बैठेबैठे सबकुछ पाने की अभिलाषा रखते हैं तब तो फिर ऐसे बाबाओं, स्वामियों के पास जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. पर, आप अपने लक्ष्यउद्देश्य के प्रति पूरे मनोयोग व निष्ठा के साथ प्रयास करते हैं तथा लक्ष्य प्राप्ति का आप को दृढ़विश्वास है, सोतेजागते आप का विश्वास इस बात पर दृढ़ है कि यह लक्ष्य तो प्राप्त होगा ही, तो आप देखेंगे कि रास्ते बनने लगेंगे, मददगार सामने आने लगेंगे, अवसरों के द्वार खुलने लगेंगे और निश्चितरूप से सफलता आप के द्वार खड़ी होगी.   

50 रुपए में बिकती लड़कियां

दुनियाभर में देह व्यापार के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी का जाल दिनबदिन मजबूत होता जा रहा है. इस में होती मोटी कमाई के मद्देनजर बीते कुछ सालों में भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह तस्करी सब से बड़े धंधे के रूप में उभरी है. कई देशों में देह व्यापार को कानूनी मान्यता हासिल है तो कहीं सबकुछ गैरकानूनी. कानून से कहीं नजर बचा कर तो कहीं उसे साथ मिला कर यह धंधा अरबों का हो चुका है.

भारत में तो यह गैरकानूनी है लेकिन अन्य देशों की बात करें तो चीन में देह व्यापार का धंधा करीब 73 अरब डौलर का हो चुका है. हालांकि वहां यह व्यापार गैरकानूनी है इस के बावजूद दुनिया का सब से बड़ा बाजार चीन में

ही मौजूद है. चीन सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी मसाज पार्लरों, बारों और नाइट क्लबों में यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है.

वहीं, स्पेन दुनिया का दूसरा देश है जहां पौर्न व्यापार फलफूल रहा है. वहां यह व्यापार करीब 26.5 अरब डौलर का है. यूएन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 39 फीसदी स्पैनिश पुरुषों ने एक बार यौनकर्मी से संबंध बनाए हैं. जापान में यह व्यापार 24 अरब डौलर, जरमनी में 18 अरब डौलर, अमेरिका में 14.6 अरब डौलर, दक्षिण कोरिया में 12 अरब डौलर और थाइलैंड में 6.4 अरब डौलर का हो चुका है.

जाहिर है जहां इतनी बड़ी कमाई के विकल्प होंगे वहां देह व्यापार के नाम पर मानव तस्करी, लड़कियों की खरीदफरोख्त और उन के खिलाफ अपराध होने तय हैं.

वेश्यावृत्ति का जाल

अगर भारत की ही बात करें, तो यहां का देह व्यापार करीब 8.4 अरब डौलर का माना जाता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2013 में तकरीबन साढ़े 6 करोड़ लोगों की तस्करी की गई. इन में से अधिकतर बच्चे हैं जिन्हें देह व्यापार, बंधुआ मजदूरी या भीख मांगने के काम में लगाया गया. वाक फ्री फाउंडेशन के 2014 के ग्लोबल स्लेवरी इंडैक्स के मुताबिक, भारत में 1.4 करोड़ से अधिक लोग आधुनिक गुलामी में जकड़े हुए हैं.

वेश्यावृत्ति को कानूनी जामा पहनाने के लिए यहां लंबे समय से एक पक्ष मांग कर रहा है. बावजूद इस के, देश में आज भी इस कारोबार में कोई भी लड़की या औरत मरजी से नहीं आती, या तो हालात उन्हें इस धंधे में ले आते हैं या फिर उन्हें बेच दिया जाता हैं.

फिलीपींस, जहां यह कारोबार करीब 6 अरब डौलर का बताया जाता है, सैक्स टूरिज्म के लिए दुनियाभर में चर्चित है. भारत की तरह फिलीपींस और तुर्की जैसे देशों में गरीबी और मजबूरी की मार झेल रही नाबालिग लड़कियां देह व्यापार का हिस्सा बन रही हैं. लेकिन नेपाल की कहानी तो सब से बुरी है. वहां गरीबी और भूकंप की त्रासदी झेल रहे परिवार अपनी ही बेटियों का सौदा करने को मजबूर हैं.

बदहाल नेपाल

धनुकी सिसकसिसक कर रो रही थी. उस के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. पुलिस वाले कुछ भी पूछते तो उस की सिसकियां तेज हो जाती थीं. आंसू और सिसकियों के बीच वह कुछ बोलती तो समझ में कुछ नहीं आता. पुलिस वाले भी परेशान थे कि इस लड़की को किस तरह से चुप कराएं.

करीब एकडेढ़ घंटे के बाद जब उस का रोना बंद हुआ तो उस 14 साल की मासूम लड़की ने जो कुछ कहा, उसे सुन कर पुलिस वालों के भी होश उड़ गए. उस ने कहा, ‘‘मैं नेपाल के रौटहट की रहने वाली हूं और जिला स्कूल में पढ़ती हूं. मेरे स्कूल के दोस्त सत्येंद्र ने मुझ से कहा था कि हम दोनों के घर वाले हमारा विवाह नहीं होने देंगे, इसलिए हम लोग घर से भाग जाते हैं और भारत में जा कर शादी कर लेंगे.

‘‘सत्येंद्र ने कहा कि पटना में एक उस का पहचानवाला है. वह शादी का सारा इंतजाम करा देगा. हम दोनों पटना आ गए. यहां आने पर उस की नीयत बदल गई. वह मुझ से गंदे काम करने के लिए कहता था. जब मैं शादी की बात करती तो वह बहाने बनाने लगा. कुछ दिनों के बाद उस के साथ 2-4 लड़के भी आने लगे. वे लोग मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगे. डर से मेरी आवाज नहीं निकलती थी. वे लोग जोरजबरदस्ती करते और फिर चले जाते. कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. सत्येंद्र कभीकभी ही मिलने आता और कहता था कि वह मुझे रानी बना कर रखेगा, मैं राज करूंगी. एक दिन मौका मिलते ही मैं कमरे से भाग निकली और थाने आ गई.’’

धनुकी की दास्तान को सुन कर पुलिस वाले भी चकरा गए. पुलिस अफसरों के दिमाग घूमने की वजह यह नहीं थी कि किसी लड़की को बहलाफुसला कर जिस्म के धंधे में धकेल दिया गया, बल्कि वे इस बात को ले कर चकराए थे कि 14-15 साल के बच्चे भी ट्रैफिकिंग के धंधे में लगे हुए हैं. आमतौर पर इतनी कम उम्र के लड़कों पर इन मामलों में पुलिस को शक नहीं होता है.

कुछ इसी तरह पिछले साल 24 अगस्त को 15 साल की नाबालिग नेपाली लड़की जानकी को बहलाफुसला कर उस का पड़ोसी उसे ले भागा. नेपाल से उसे भगा कर वह पटना पहुंचा. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली जानकी नेपाल के बीरगंज उपमहानगर पालिका क्षेत्र की रहने वाली है. उस के घर के पास ही रहने वाला विकास कुमार सोनी उस से शादी करने का झांसा दे कर उसे अपने साथ भगा ले गया.

आसपास के लोगों ने बताया कि पिछली 13 जुलाई को जानकी और विकास सड़क के किनारे बातचीत कर रहे थे. लड़की के चाचा वीरेंद्र साहा ने बीरगंज थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में लिखवाया था कि पटना के मालसलामी महल्ले का रहने वाला लड़का विकास जानकी को बहलाफुसला कर ले भागा है.

विकास नेपाल में मोबाइल टावर लगाने का काम करता था. पुलिस ने जब विकास के मोबाइल टावर की लोकेशन का पता किया तो पटना के मालसलामी इलाके में उस के होने का पता चला. लड़की के मामा शिवशंकर चौधरी ने पटना के मालसलामी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और एएसपी विकास वैभव को मामले की जानकारी दी गई. शिवशंकर ने बताया कि पिछली 13 जुलाई को उस की भांजी स्कूल के लिए घर से निकली थी, उस के बाद उस का कोई पता नहीं चला.

भूकंप से बिगड़े हालात

हिमालय की गोद में बसे, प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर नेपाल ने 25 अप्रैल, 2015 और उस के बाद आए तेज व विनाशकारी भूकंप के कई झटकों को झेला. नेपाल के 26 जिलों में भूकंप ने जानमाल को काफी नुकसान पहुंचाया जबकि पश्चिमी हिस्से में इस का खास असर नहीं हुआ. करीब 10 हजार लोगों के मरने और 30 हजार लोगों के घायल होने व 7 लाख से ज्यादा घरों के मलबे में तबदील होने के बाद नेपाल में पलायन की रफ्तार तेज हो गई है. हजारों लोगों की जान गंवाने के बाद नेपाल के सामने सब से बड़ी चुनौती भूकंप के प्रकोप से बच गए लोगों और देश की पूरी व्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की है.

नेपाल से लौट कर आया बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कांटी प्रखंड का रहने वाला मजदूर विमल साहनी का कहना है, ‘‘वहां खाने के सामान और पानी की अभी भी बहुत कमी है. सारी दुकानें बंद हैं. बिजली नहीं रहने की वजह से रात में परेशानी कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है.’’

भूकंप की त्रासदी झेल रहा नेपाल अब एक और नया दर्द झेल रहा है. गरीबी और पैसों की किल्लत की वजह से लोग अपनी बेटियों को बेच रहे हैं. कई लड़कियां परिवार को दुख में देख कर खुद को दलालों के हाथों सौंप रही हैं. नेपाल में इन दिनों लड़कियों और बच्चों को काम दिलाने के नाम पर कई दलाल हर इलाके में खासकर राहत शिविरों के आसपास घूम रहे हैं.

साल 2015 में नेपाल में आए भयंकर भूकंप की तबाही के बाद वहां लड़कियां और औरतें 50-100 रुपए में सैक्स करने के लिए राजी हो रही हैं. इस से नेपालियों में एड्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.

पब्लिक अवेयरनैस फौर हैल्थफुल एप्रोच फौर लिविंग के मैडिकल डायरैक्टर और एड्स स्पैशलिस्ट डाक्टर दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि पिछले 7-8 महीनों में पटना स्थित उन की क्लीनिक में नेपाल से आए एड्स के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. रक्सौल, बीरगंज और जनकपुर आदि इलाकों के कईर् लोग एचआईवी की चपेट में आ गए हैं. भूकंप के बाद सबकुछ गवां चुकी औरतें और लड़कियां अपना जिस्म बेच कर अपनी जिंदगी चला रही हैं. सैक्स के दौरान सुरक्षा का उपाय नहीं करने से एचआईवी मरीजों की संख्या और बढ़नी तय है. नेपाल से पटना में उन की क्लीनिक में आए एचआईवी मरीजों की तादाद में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है.

सक्रिय गिरोह

दलाल आमतौर पर गरीब बच्चों के मांबाप को समझाते हैं कि वे बच्चों को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, पटना जैसे शहरों में नौकरी पर लगवा देंगे. इस से अच्छा पैसा मिलेगा और उन की जिंदगी बदल जाएगी. खानेपीने की दिक्कत खत्म हो जाएगी. काम के साथ उन के बेटेबेटियों की पढ़ाई का भी इंतजाम कर दिया जाएगा. पढ़ने के बाद ज्यादा अच्छी नौकरी मिल जाएगी.

सुनसरी का रहने वाला जीवन थापा  बताता है, ‘‘मानव तस्करी में संलिप्त गिरोह पढ़ाई, खाना और बेहतर जीवन दिलाने का वादा करते हैं. भूकंप और गरीबी की दोहरी मार झेल रहे मांबाप आसानी से इन के झांसों में फंस जाते हैं. वे बेटियों को बेहतर जिंदगी देने और कुछ रुपयों के चक्कर में जानेअनजाने उन की जिंदगी को बदतर बना रहे हैं.’’

गौरतलब है कि नेपाल और भारत के बीच 1,750 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है. दोनों देशों के लोगों को एकदूसरे देश में आनेजाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है. सीमा सुरक्षा बल के डीजी बंशीधर शर्मा कहते हैं, ‘‘दोनों देशों के बीच कुल 26 चौकियां बनी हुई हैं और रोजाना करीब 10 हजार लोग आरपार होते हैं. इस के बाद भी पूरी चौकसी बरती जाती है. ट्रैफिकिंग के मामलों पर भी नजर रखी जाती है और इस बारे में किसी पर थोड़ा सा भी शक होने पर पूरी जांचपड़ताल की जाती है.’’

डीजी बंशीधर आगे कहते हैं, ‘‘बिहार और नेपाल का बौर्डर काफी संवेदनशील है. भारत और नेपाल के बीच रोटी और बेटी का रिश्ता होने की वजह से दोनों देशों के बीच काफी आवाजाही रहती है. ऐसे में संदिग्धों को पहचानने में जवानों को काफी परेशानी होती है. खुलीसीमा का फायदा गैरकानूनी लोग आसानी से उठाने की कोशिश करते रहते हैं. इसे रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल ने बौर्डर इंटरैक्शन टीम का गठन किया है. इस टीम के लोग सादी वरदी में लोगों से मिलतेजुलते रहते हैं और संदिग्धों पर नजर रख रहे हैं.’’

दलालों की चांदी

पूर्णियां कोर्ट के सीनियर वकील संजय कुमार सिन्हा कहते हैं, ‘‘नेपाल में लड़कियों को बेचने व खरीदने का धंधा जोरों से चल रहा है. भूकंप से बदहाल नेपाल में खाने के लाले पड़े हुए हैं. सरकार असमंजस में है. ऐसे में लड़कियों को खरीद कर उन्हें वेश्यालयों तक पहुंचाने वाले दलालों की चांदी हो गई है.

नेपाली लड़कियां 3 से 15 हजार रुपए तक में बेच दी जाती हैं. गरीब पैसों के लालच या परिवार के बाकी लोगों की पेट की आग को बुझाने के लिए बेटियों को दरिंदों के हाथों बेच देते हैं. तस्कर उन लड़कियों को दिल्ली, मुंबई या कोलकाता के बाजारों में डेढ़ से ढाई लाख रुपए तक में बेच डालते हैं. वहां से ज्यादातर नेपाली लड़कियों को अरब, हौंगकौंग, जापान, कोरिया, अफ्रीका, मलयेशिया, थाइलैंड आदि देशों में पहुंचा दिया जाता है. वहां लड़की के सारे पासपोर्ट, वीजा, पहचानपत्र आदि दस्तावेजों को जब्त कर लिया जाता है, ताकि लड़की भाग न सके.’’

काठमांडू और उस के आसपास के इलाकों में चल रही कई ट्रैवल एजेंसियां और मैरिज ब्यूरो संस्थाएं लड़कियों की तस्करी के खेल में शामिल हैं. ऐसा केवल काठमांडू में नहीं, बल्कि दुनियाभर में दलालों की नजर उन मजबूर परिवारों या लड़कियों पर रहती है. लड़कियों की शादी कराने, नौकरी दिलाने आदि का झांसा दे कर वे गरीब और भोलेभाले मांबाप को अपने जाल में फंसा लेते हैं. उन्हें समझाया जाता है कि गरीबी की वजह से वे अपनी बेटी का विवाह तो कर नहीं सकते हैं, ऐसे में मैरिज ब्यूरो के जरिए अच्छा लड़का मिल सकता है.

गरीबी की मार

पोखरा का रहने वाला दिलीप थापा बताता है, ‘‘मेरी बेटी दिव्या की शादी दिल्ली के किसी व्यापारी से कराने की बात कही गई थी. मैं ने ट्रैवल एजेंट की बात मान ली. गरीबी की वजह से मैं अपनी बेटी का विवाह किसी अच्छे लड़के से नहीं कर सकता था. इसलिए मैं बेटी को विवाह के लिए दिल्ली भेजने के लिए राजी हो गया. जब ट्रैवल एजेंट दिव्या को ले कर जाने लगा तो उस ने मेरे हाथ में 2 हजार रुपए थमाए थे. उसी समय मेरा माथा ठनका था कि उस ने 2 हजार रुपए क्यों दिए? रुपए तो मुझे देने चाहिए थे, पर कुछ कह नहीं सका.’’

थापा रोते हुए बताता है, ‘‘आज मेरी बेटी को दिल्ली गए 3 महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन उस का कोई अतापता नहीं है. ट्रैवल एजेंट के औफिस में पूछता हूं तो वहां लोग यही कहते हैं कि तुम्हारी बेटी की शादी कर दी गई है. वह अपने ससुराल में राज कर रही होगी.’’ यह कहतेकहते दिलीप की आंखों में आंसू छलक आते हैं. उसे इस बात का मलाल है कि क्यों उस ने अपनी बेटी को ट्रैवल एजेंट के हवाले कर दिया था.

विराटनगर के एक ट्रैवल एजेंट ने बताया कि इन दिनों कई फर्जी ट्रैवल एजेंट्स और प्लेसमैंट एजेंसियों के एजेंट्स नेपाल में खुलेआम धूम रहे हैं. वे इस बात की पड़ताल करते रहते हैं कि किस परिवार को भूकंप से ज्यादा नुकसान हुआ है. किस परिवार में कितनी लड़कियां और बच्चे हैं.

गरीब परिवार की लड़कियों को देख कर उन की बांछें खिल उठती हैं. लड़की के मांबाप को दलाल आसानी से समझा लेते हैं कि उन की बेटी को नौकरी मिल जाएगी और वह हर महीने अपनी कमाई से मोटी रकम घर भेजेगी. उस की शादी भी करा दी जाएगी. जिस से परिवार का गुजारा बढि़या से चलेगा. नया घर बनाने में मदद मिल जाएगी. दलालों के इस झांसे में लोग फंस जाते हैं और उन के हाथों में अपनी बेटी व मासूम बच्चों को सौंप देते हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप के बाद नेपाल के राहत शिविरों में 15 लाख से ज्यादा लड़कियां रह रही हैं और उन की हिफाजत का कोई इंतजाम नहीं है. इतना ही नहीं, करीब 30 हजार ऐसी लड़कियां हैं जिन के मांबाप समेत परिवार के सभी सदस्यों को भूकंप ने लील लिया. वे पूरी तरह से बेसहारा व लावारिस जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं. ऐसी लड़कियों को काम दिलाने के नाम पर बहलानाफुसलाना काफी आसान है. पैसे, भोजन, काम और घर मिलने के लालच में वे बड़ी ही आसानी से दलालों की गिरफ्त में फंस रही हैं.

नेपाल के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वहां 38 फीसदी लोग गरीबीरेखा के नीचे रहते हैं. इस के साथ ही नेपाल एशिया का सब से गरीब देश भी है. बेहतर जिंदगी और कमाई की नीयत से 52.8 फीसदी नेपाली लड़कियां एजेंटों के झांसे में फंस रही हैं. परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए 19 फीसदी और प्रेम के चक्कर में फंस कर 1.4 फीसदी नेपाली लड़कियां घर छोड़ रही हैं.

रक्सौल में रहने वाले भारत-नेपाल मैत्री संघ के सदस्य अनिल कुमार सिन्हा बताते हैं कि नेपाल से 10 से 35 साल की लड़कियों और औरतों की तस्करी होने की खबरें आएदिन सुनने को मिल रही हैं और उन्हें भारत समेत दुबई, हौंगकौंग आदि देशों के वेश्यालयों में पहुंचाया जा रहा है.

दुबई में तस्करी

गौरतलब है कि कुछ महीने दिल्ली एयरपोर्ट पर दिल्ली पुलिस ने एयरलाइन के 2 कर्मचारियों के साथ 2 तस्करों को दबोचा था. वे अपने साथ 21 नेपाली लड़कियों को दुबई ले जाने की कोशिश में थे. लड़कियों ने पुलिस को बताया था कि सभी लड़कियों को दुबई में अच्छी नौकरी देने की बात कही गई थी.

बौर्डर पुलिस के मुताबिक, ‘‘लड़कियों के तस्कर गरीब लड़कियों को वेश्यालयों में पहुंचाने के अलावा उन्हें और भी कई तरह के धंधों में झोंक रहे हैं. इन्हें घरेलू कामकाज, भीख मांगने, मजदूरी, सर्कस में मजदूरी आदि के कामों में भी लगाया जाता है. सुंदर और जवान लड़कियों व औरतों को सैक्स के धंधे में धकेल दिया जाता है और बाकी औरतों को दूसरे कामों में भी लगा दिया जाता है.

पुलिस के मुताबिक, वेश्यालयों के साथ ही डांसगर्ल, बारगर्ल और मसाजगर्ल के रूप में भी नेपाली लड़कियों को आसानी से खपाया जाता है. पटना, मुजफ्फरपुर, रांची, कोलकाता आदि के कई मसाजपार्लरों में नेपाली लड़कियां काम करती हुई आसानी से दिख जाती हैं.

भारत में सैक्स का कारोबार करीब 4 लाख करोड़ रुपए का है. दिल्ली के जीबी रोड, कोलकाता के सोनागाछी, मुंबई के कामाठीपुरा, पुणे के पेठ, इलाहाबाद के मीरगंज, बनारस के शिवदासपुर, मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान, मुंगेर के श्रवण बाजार आदि रैडलाइट इलाकों में 3-4 महीनों के दौरान नेपाली लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. पिछले 8 अगस्त को पुणे के पेठ इलाके में छापामारी कर पुलिस ने 700 नेपाली लड़कियों को बरामद किया था.

लड़की को उस के घर से लेने के बाद एजेंट्स लड़की को सीमापार कराने में सहायता पहुंचाने वालों के हाथों में 10-12 हजार रुपए थमा देते हैं. भारत और नेपाल के बीच खुलीसीमा होने के कारण दोनों देशों के लोग बेरोकटोक एकदूसरे के देशों में आतेजाते रहते हैं. सीमा पर बसे लोगों को हर चोररास्ते का पता होता है और वे कस्टम व सीमा सुरक्षा बलों की आंखों में आसानी से धूल झोंक देते हैं. वे लोग एजेंट्स द्वारा सौंपी गई लड़की या औरत को अपना परिवार वाला बता कर सीमा के पार पहुंचा देते हैं.

भारत की सीमा में पहुंचने के बाद एजेंट्स टैक्सी बुक करते हैं और सामान या लड़कियों को बिहार समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई आदि के वेश्यालयों तक पहुंचाते हैं. इस के लिए एजेंट्स टैक्सी वालों को 10 से 15 हजार रुपए तक दे देते हैं. रेल या बस के मुकाबले टैक्सी से सफर करना उन के लिए ज्यादा महफूज होता है.

वेश्यालयों में लड़कियों को बेच कर एजेंट्स 75 हजार रुपए से 1 लाख रुपए प्रति लड़की झटक लेते हैं. वहीं, 30 साल से ज्यादा उम्र की औरतों की कीमत 40 से 50 हजार रुपए लगाईर् जाती है. विदेशों के वेश्यालयों यानी थाइलैंड, मलयेशिया, कोरिया, जापान, हौंगकौंग, आस्ट्रेलिया, चीन आदि देशों में एक लड़की के बदले एजेंट्स की 30 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है.

शोषण की हद

रक्सौल पुलिस ने पिछले दिनों एक 14 साल की नेपाली लड़की को जख्मी हालत में रक्सौल रेलवे स्टेशन के पास से बरामद किया. लड़की ने पुलिस को बताया कि वह नेपाल के पोखरा शहर की रहने वाली है. पिछले साल 24 जुलाई को कुछ लोगों ने उसे उठा लिया और 3 दिनों तक अंधेरे कमरे में भूखाप्यासा रखा. जब भूख से उस की बेचैनी बढ़ने लगी तो एक रोटी खाने को दी. उस के बाद 10 से ज्यादा लोगों ने उस के साथ कई दिनों तक बलात्कार किया.

उस के बाद उस की आंखों पर पट्टी बांध कर बाहर निकाला गया और एक अंजान जगह व मकान में छोड़ दिया गया. 2 दिनों के बाद कुछ लोग आए और उसे मुजरा सीखने की ट्रेनिंग देने की बात करने लगे. इनकार करने पर बैल्ट से पीटा गया और 2 लोगों ने बलात्कार किया. बेबस हो कर उस ने मुजरा सीखना शुरू किया. एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद उसे दूसरी जगह ले जाया गया. वहां नएनए लोग आते थे और उस से नाचने के लिए कहते और उस के बाद उस का बलात्कार करते.

एक दिन मौका पा कर वह भाग निकली. बाहर निकल कर पता किया तो लोगों ने बताया कि वह मुजफ्फरपुर शहर में है. वहां से ट्रेन में बैठ कर रक्सौल पहुंच गई. वहां से नेपाल जाने की कोशिश कर रही थी कि कुछ पुलिस वालों ने पकड़ लिया.

भारत-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी की रोकथाम का काम कर रही स्वयंसेवी संस्था भूमिका विहार की निदेशक शिल्पी सिंह बताती हैं, ‘‘मानव तस्करी के मामले में बिहार का सीमांचल इलाका ट्रांजिट पौइंट बनता जा रहा है. संस्था की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 519 बच्चे गायब हुए, जिन में ज्यादातर लड़कियां थी. विवाह और नौकरी का लालच दे कर लड़कियों की तस्करी की जाती है. बच्चों को गायब करने के बाद उन्हें वेश्यालयों में पहुंचा कर उन्हें देह व्यापार के जलील धंधे में झोंक दिया जाता है.’’

कुल मिला कर नेपाल ही नहीं, देशविदेश के हर कोने में लड़कियां देह व्यापार के धंधे में झोंकी जा रही हैं. उन की मुफलिसी का फायदा उठा कर चमड़ी से दमड़ी कमाने वाले लोगों ने इसे एक कमाऊ पेशा बना लिया है. जिस में ऊपर से ले कर नीचे तक सब भ्रष्ट हैं. इंसानियत के लिहाज से स्थिति भयावह व चिंताजनक है. इंसानियत थोड़े से इंसानरूपी हैवानों की दरिंदगी का शिकार है.                           

भूख और गरीबी के हाथों मजबूर

बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के एक पौश इलाके के आलीशान मकान से छुड़ाई गई 16 साल की नेपाली लड़की सुनिति गुरूंग से हुई बातचीत से यह साफ हो जाता है कि नेपाल में आए भूकंप के बाद कई परिवारों के सामने खाने के लाले पड़े हुए हैं. दलाल नेपालियों को बरगला कर उन की बेटियों को खरीदने व बेचने का धंधा कर रहे हैं, लेकिन कई लोग जानबूझ कर अपनी बेटियों को दलालों के हाथों सौंप भी रहे हैं.

इस के पीछे उन की यही सोच है कि बेटी बेच कर कुछ पैसे तो मिलेंगे ही, साथ में बेटी भी भूख व गरीबी से नहीं मरेगी. कई बेटियां तो परिवार की फांकाकशी से तंग आ कर खुद ही जिस्म के दलालों से मिल कर मोलभाव कर रही हैं. सुनिति से बातचीत के दौरान कई दर्दनाक व खौफनाक सचाइयों का खुलासा हो जाता है.

भूकंप वाले दिन आप के साथ क्या हुआ था?

भूकंप में मेरे मांबाप की मौत हो गई. जिस समय भूकंप आया था उस समय मैं स्कूल में थी. घर पहुंची तो देखा कि मेरा घर पूरी तरह से गिर गया है और मांबाप उस में दब कर मर गए हैं. चारों ओर चीखपुकार मची हुई थी. मैं भी रो रही थी.

उस के बाद क्या हुआ?

पुलिस वालों ने बताया कि मेरे मांबाप मर गए हैं. उन्होंने पूछा कि और कोई रिश्तेदार है तुम्हारा? मैं ने कहा, ‘‘नहीं.’’ उस के बाद मुझे कैंप में पहुंचा दिया गया. 8 दिनों तक कैंप में रही. खाना और पानी भी नहीं मिलता था. दिनभर में इतना खाना भी नहीं मिलता था कि पेट भर सके.

फिर क्या किया?

काम खोजने निकली तो कहीं काम नहीं मिला. सब यही कहते थे कि कैंप में ही रहो. पूरा नेपाल तबाह हो गया है, कोई काम अभी नहीं मिलेगा.

कैंप में किसी ने कोई बदतमीजी या गलत हरकत तो नहीं की?

लड़कियों के लिए अलग कैंप था, लेकिन वहां खाना और पानी पहुंचाने वाले कुछ लोग लड़कियों और औरतों से गंदी बातें करते थे. मुझे अच्छा नहीं लगता था और बहुत गुस्सा आता था.

दलाल के चक्कर में फंस कर मुजफ्फरपुर कैसे पहुंची?

कैंप में ही खाने का पैकेट बांटने वाले एक आदमी ने कहा कि वह पटना में अच्छी नौकरी दिला देगा. मैं तैयार हो गई. उस ने पटना ले जाने के बजाय मुझे यहां (मुजफ्फरपुर) एक औरत के घर में छोड़ दिया. उस ने कहा कि औरत पटना पहुंचा देगी. 2 दिन तो ठीकठाक गुजरे लेकिन उस के बाद रोज 3-4 आदमी आते और मेरे साथ जबरदस्ती करते थे.

तब क्या सोचा आप ने?

क्या सोचती. उस समय तो लगा कि अब पूरी जिंदगी उसी नरक में बितानी पड़ेगी. बाहर निकलने का कोई ओरछोर ही पता नहीं चलता था. हर तरफ मजबूत पहरा था.

वहां खाना और रुपया आदि मिलता था?

खानापीना तो समय पर मिलता था लेकिन रुपयों के बारे में पूछने पर कहा जाता था कि उस का मेहनताना बैंक में जमा हो रहा है. चुपचाप काम से काम रखो.

बाहर निकलने का मौका कैसे मिला?

एक दिन सुबह उठ कर तैयार हो रही थी कि हल्ला मचने लगा और भागदौड़ होने लगी. मैं कमरे से बाहर निकली तो देखा कि चारों तरफ पुलिस वाले खड़े हैं और सभी को पकड़ रहे थे. मैं बाहर की ओर भागने लगी तो पुलिस वालों ने मुझे भी पकड़ लिया. अब पुलिस वाले कहते हैं कि वे मुझे घर भेज देंगे. अब मैं नेपाल जा कर क्या करूंगी. वहां कौन मुझे काम देगा? कौन खानापीना देगा? जिंदगी कैसे कटेगी? कुछ पता नहीं चल रहा है?

(खुफिया विभाग के एक अफसर के सहयोग से लड़की से बात हो सकी है. उन के अनुरोध पर लड़की का नाम बदल दिया गया है.)

ताकि शरीर बना रहे साफ और स्वच्छ

गरमी का मौसम हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने (डिटौक्स) के लिए एकदम उपयुक्त समय होता है, क्योंकि इन दिनों ताजा और्गैनिक फलों और सब्जियों की काफी उपलब्धता होती है. शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालना बेहद जरूरी है. कुछ फलों की मदद से अपने शरीर को साफ करने में मदद मिल सकती है. ये शरीर को स्वस्थ और तरोताजा बना सकते हैं:

– गरमी के मौसम में डिटौक्स के लिए तरबूज सब से अच्छा खा-पदार्थ है. इस से शरीर में काफी क्षारीय गुणों वाले तत्त्व बनते हैं और इस में काफी मात्रा में साइट्रोलाइन होता है. इस से आर्जिनिन बनने में मदद मिलती है, जिस से शरीर में अमोनिया एवं अन्य हानिकारक तत्त्व बाहर निकलते हैं. इस के साथ ही तरबूज पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत है, जो हमारी डाइट में सोडियम की मात्रा को संतुलित करता है और सफाई के दौरान हमारी किडनियों को भी सपोर्ट करता है.

– नीबू लिवर के लिए बेहतरीन उत्तप्रेरक है और यह यूरिक ऐसिड और अन्य हानिकारक रसायनों को घुला देता है. यह शरीर को क्षारीय बनाता है. इस तरह से यह शरीर के पीएच को संतुलित करता है.

– शरीर से हानिकारक तत्त्वों को निकालने में खीरा भी काफी मददगार होता है. इस में पानी की काफी मात्रा होती है, जिस से मूत्र प्रणाली में गतिशीलता आती है. 1/2 कप कटे खीरे में केवल 8 कैलोरी होती है.

– अमीनो ऐसिड प्रोटीन युक्त पदार्थों में पाया जाता है. हानिकारक तत्त्वों को शरीर से निकालने की प्रक्रिया के लिए यह बहुत आवश्यक है.

– सब्जियों को भाप में पकाने या हलका फ्राई करना अच्छा विकल्प है, क्योंकि इस से पोषक तत्त्वों का क्षय नहीं होता है.

– हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने के लिए कुछ हलकेफुलके व्यायाम करें. डिटौक्सिंग के दौरान यह जरूरी है कि आप अलकोहल और कैफीन से दूर रहें.

– पुदीने की पत्तियां गरमी में ठंडक का एहसास देती हैं. ये खाने को ज्यादा प्रभावी तरीके से पचाने में मदद करती हैं और लिवर, पित्ताशय और छोटी आंत से पित्त के प्रवाह में सुधार लाती हैं व आहार वसा को विघटित करती हैं.

– पोलिफेनोल्स युक्त हरी चाय का खूब सेवन करें, क्योंकि यह शक्तिशाली ऐंटीऔक्सिडैंट का काम करती है.

– कैफीन से दूर रहें, क्योंकि यह शरीर को पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने में अड़चन खड़ी करती है. शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह रक्तप्रवाह में आसानी से अवशोषित होती है और शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है.

– खूब पानी पीएं. पुरुषों को प्रतिदिन कम से कम 3 लिटर और महिलाओं को करीब 2.2 लिटर पानी पीना चाहिए. पानी महत्त्वपूर्ण अंगों से हानिकारक तत्त्वों को बाहर निकालता है और पोषक तत्त्वों को कोशिकाओं तक पहुंचाता है.

– अपने आहार में फाइबरयुक्त भोजन की मात्रा बढ़ाएं. फाइबरयुक्त आहार प्रतिरोधक प्रणाली के नियमन में अहम भूमिका निभाता है. इस की वजह से कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारी, मधुमेह, कैंसर और मोटापे का खतरा कम होता है.

– तय मात्रा में लेकिन नियमित तौर पर दूध का सेवन करें. दूध में पोषक तत्त्वों की प्रचुरता होती है, जो हड्डियों के लिए खासतौर पर जरूरी हैं. यह हमारे शरीर से अशुद्ध चीजों को बाहर निकालने के दौरान शरीर को मजबूत बनाता है.

– प्रतिदिन सुबह गरम पानी में नीबू और शहद मिला कर पीएं. यह पाचनतंत्र को सक्रिय करता है और कब्ज से दूर रखने में मदद करता है.

– विटामिंस महत्त्वपूर्ण पोषक हैं, जिन का शरीर अपनेआप पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर सकता. इसलिए आहार में विटामिंस संतुलित मात्रा में होने जरूरी हैं.

शरीर से हानिकारक तत्त्वों को निकालने में सोने की भी अहम भूमिका होती है. जब हम एक बच्चे की तरह सोते हैं तो सभी कोशिकाओं और ऊतकों में समुचित औक्सीजन का संचार होता है. औक्सीजन की उपलब्धता सभी आवश्यक अंगों को अच्छी तरह चलाने में मदद करती है. यह त्वचा को कोमल एवं आंखों को चमकदार बनाती है.

– सोनिया नारंग, पोषण विशेषज्ञा, ओरिफ्लेम इंडिया

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