गर्मियों में बेस्ट हैं ये हेयरस्टाइल

तपती धूप में कहीं बाहर या कॉलेज गर्ल्स को अक्सर यह दिक्कत आती है कि कौन सा हेयर स्टाइल करें, जिससे गर्मी कम लगे और स्टाइल बना रहे. गर्मी में खुले बालों में काफी पसीना आने लगता है, जिस वजह से लड़कियां बालों के बांधकर रखना ही पसंद करती हैं.

अगर आप भी कहीं बाहर निकलते समय यह सोचती है तो हम आपको कुछ ऐसे ट्रेंडी हेयरस्टाइल के बारे में बताएंगे, जिनको समर सीजन में ट्राई किया जा सकता है.

हाफ बन

लड़कियों में हाफ बन का क्रेज बहुत ज्यादा है. इसको बनाने के लिए अपने आगे बालों को बन की तरह बांध लें और पीछे के बालों को खूला ही रहने दें. इस हेयरस्टाइल को वेस्टर्न लुक से साथ ट्राई करें.

साइड ब्रेड

अगर आपको बालों को ऊपर बांधना पसंद नहीं है तो साइड ब्रेड हेयरस्टाइल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है. इसको आप हर तरह की आउटफिट के साथ ट्राई कर सकती हैं.

फिशटेल ब्रेड

अगर आप पोनीटेल नहीं करना चाहतीं तो फिशटेल ब्रेड ट्राई करें. इससे बाल बंधे रहते है. इसको बनाने के लिए पहले बालों को बांध लें फिर फिशटेल ब्रेड बनाएं.

हाई पोनी टेल

समर लुक के लिए हाई पानी टेल भी काफी अच्छा हेयरस्टाइल है. हाई पोनीटेल से बाल भी बंधे रहते हैं और गर्मी लगने की चांस भी कम हो जाती है. इसे आप वेस्टर्न और ट्रेडीशनल ड्रेस दोनों के साथ ट्राई कर सकती हैं. इसके बनाने के लिए हाई पोनीटेल कर लें. फिर बालों की एक लेयर लेकर उसे अपने टेल पर राउंड शेप में कवर कर दें.

टॉप नॉट

फॉर्मल लुक यह काफी अच्छा हेयरस्टाइल है. सबसे पहले बालों को ऊपर बांध लें. फिर इसका बन बनाएं आप चाहे तो आगे से बालों को लेयर भी निकाल सकती है. यह आपको अट्रैक्टिव लुक देगा.

खूबसूरती बढ़ाने के लिए मेकअप काफी नहीं

ज्यादातर महिलाएं यह स्वीकारती हैं कि वे घर से निकलने से पहले अपना काफी वक्त आईने के सामने गुजारती हैं. जितना हो सके चेहरे पर महंगे सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग कर अपनी खूबसूरती बढ़ाने का प्रयास करती हैं.

वैसे भी महिलाएं मेकअप के लिए मशहूर हैं. हाल ही में स्किनस्टोर डौट कौम नामक कंपनी द्वारा किए गए एक सर्वे में पाया गया कि औसत अमेरिकन महिलाएं अकेले चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर करीब क्व1 करोड़ 93 लाख अपनी पूरी जिंदगी में खर्च कर डालती हैं. 16 से 75 साल की उम्र की करीब 3000 महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पाया गया कि महिलाएं घर से निकलने से पहले कम से कम 16 ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं.

सिर्फ मेकअप काफी नहीं

क्या इस तरह मेकअप प्रोडक्ट्स पर निर्भर रहना पैसे और समय की बरबादी है? क्या वाकई मेकअप प्रोडक्ट्स लुक में आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तन ला कर आप का आकर्षण बढ़ा पाते हैं?

हाल ही में इस विषय पर की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि महिलाओं को खूबसूरत दिखाने में मेकअप का योगदान काफी कम होता है. उन का नैचुरल लुक ही उन्हें आकर्षक या अनाकर्षक दिखाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोई बदसूरत महिला चेहरे पर मेकअप की कितनी भी परतें चढ़ा ले पर वह स्वाभाविक रूप से खूबसूरत महिला, जिस ने कोई मेकअप नहीं किया है, के आगे नहीं टिक पाएगी.

इस संदर्भ में बैंगोर यूनिवर्सिटी नौर्थ वेल्स, अमेरिका में किया गया एक अध्ययन काफी महत्त्वपूर्ण है. इस के तहत 44 अंडरग्रैजुएट लड़कियों, जिन की उम्र 18 से 21 साल के बीच थी, की मेकअप के साथ और बिना मेकअप के तसवीरें ली गईं. इन तसवीरों को 62 छात्रों के एक दूसरे ग्रुप, जिस में स्त्रीपुरुष दोनों ही शामिल थे, को दिखाया गया और कहा गया कि वे इन्हें खूबसूरती के आधार पर 1 से 7 के बीच रेटिंग दें. इन युवकों को लड़कियों की मेकअप के साथ या बिना मेकअप में से कोई एक तसवीर ही दिखाई गई.

रेटिंग का विश्लेषण कर पाया गया कि मेकअप की वजह से खूबसूरती में महज 2% तक का ही इजाफा हुआ जबकि लड़की के नैचुरल फीचर्स और पर्सनैलिटी उसे खूबसूरत दिखाने में 69% तक उत्तरदायी रही.

असली खूबसूरती

दरअसल, खूबसूरती बहुत सी बातों पर निर्भर करती है. हाई चीकबोंस, भरे होंठ, बड़ी आंखें, शाइनी हेयर्स और कोमल बेदाग त्वचा महिलाओं के लिए तो चौड़ा जबड़ा, चौड़ा माथा और मजबूत कदकाठी पुरुषों में स्वाभाविक आकर्षण लाती है. मेकअप, फीचर्स और रंग के अलावा भी बहुत सी बातें हैं, जो आप को आकर्षक बनाती हैं :

स्माइली फेस : 2013 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हंसतामुसकराता चेहरा आप को दूसरों की नजरों में अधिक आकर्षक व सुंदर दिखाता है. लोग न सिर्फ मुसकराते चेहरे को देखना पसंद करते हैं वरन स्वाभाविक रूप से भी मुसकराहट रखने वालों के चेहरे पर अलग ग्लो नजर आता है.

परफैक्ट फिगर : यदि आप अपनी फिगर को 36-24-36 की माप पर मैंटेन रखती हैं, तो आप सांवली होने या मेकअप न करने के बावजूद स्वाभाविक रूप से आकर्षक नजर आएंगी, जबकि मोटी थुलथुल महिला कितना भी मेकअप पोत ले खूबसूरत नहीं लग सकती.

स्मार्ट बिहेवियर : आप की बातचीत का तरीका, चलनेबैठने का ढंग, कपड़े पहनने का सलीका, दूसरों की बातों पर रिऐक्शन देने का अंदाज जैसी बातें खूबसूरती निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

इनर ब्यूटी : आप का दूसरों के प्रति नजरिया क्या है, कितनी पौजिटिव हैं, दूसरों की कितनी मदद करती हैं, क्रोध और तनाव पर कितना नियंत्रण कर सकती हैं जैसी बातें भी अंदर से आप को खूबसूरत बनाती हैं.

स्टाइलिश ड्रैसेज : कितना भी मेकअप कर लें, जब तक आप के कपड़े आप के व्यक्तित्व और फैशन के अनुरूप नहीं होंगे, आप खूबसूरत नहीं दिख सकतीं.

बेदाग कोमल त्वचा : खूबसूरत दिखने के लिए आप की त्वचा का बेदाग और मुलायम होना जरूरी है. निखरी रंगत और स्वस्थ त्वचा सहज ही लोगों को आकर्षित कर लेती है.

चमकदार काले बाल : लंबे काले बालों पर कितनी ही शायरियां की जाती रही हैं. महिला का सौंदर्य उस के स्वस्थ चमकदार बालों से है.

इन के अलावा अच्छी सेहत, तेज दिमाग, छिपा हुनर और सफलता भी व्यक्ति के आकर्षण में इजाफा करती है.

चुप न बैठो हिम्मत करो

केरल की उस युवती की वाहवाही हो रही है जिस ने यौन शोषण करने वाले गंगेसनंथा तीर्थापाडेर उर्फ स्वामी हरि स्वामी का 8 साल संबंध बनाने के बाद छुरी से लिंग ही काट डाला. इस युवती के परिवार के लोग जिन में मां, बीमार पिता, भाई शामिल हैं कोल्लम के पनमना छतांबिल स्वामिकल आश्रम के भक्त हैं और यह युवती स्वामी की सेवा में तभी झोंक दी गईर् थी जब वह महज 15 साल की थी.

यानी असल दोषी वे मातापिता हैं, जो इस अबोध को स्वामी के आश्रम के हवाले कर आए. वह समाज अपराधी है जो आश्रमों को बनने देता है, वह कानून दोषी है, जो आश्रमों की रक्षा करता है और वह धर्म गुनहगार है, जो कहता है कि तनमनधन से गुरुओं व स्वामियों की सेवा करो. स्वामी तो उस सारे पाप भंडार का छोटा सा मुहरा है.

हिंदू धर्म में ही नहीं अधिकांश धर्मों में इस तरह का यौन शोषण आम है. कैथोलिक पोप को हर साल सैकड़ों अबोध बच्चों के यौन शोषण के मामले सुनने पड़ते हैं. पोप सदियों से अपने पुजारियों की यौनपिपासा को नजरअंदाज करते आए हैं. वहां भी हर मामले में बच्चों को मातापिता ही खुद पादरियों के हवाले करते हैं जैसे कोल्लम के इस पिता ने किया.

शायद इस स्वामी पर मुकदमा चल जाए, क्योंकि आजकल गुरुभक्तों की हिम्मत नहीं रह गईर् कि वे अदालतों और पुलिस को यौन आचरण पर आरोपी स्वामी को बचा सकें पर फिर भी असल दोषी तो यहां भी छूट जाते हैं.

असल दोषी इस मामले में मातापिता हैं, जिन्होंने अंधभक्ति में अपनी किशोर बेटी को स्वामी के हाथों सौंप दिया कि वही उद्धार करेंगे. हिंदू धर्मग्रंथ ऐसे किस्सों से भरे पड़े हैं और हर प्रमुख देवीदेवता पर यौनाचार की कहानियां मौजूद ही नहीं, जरा सा इंटरनैट खंगालने पर पढ़ी भी जा सकती हैं. संस्कृत या अन्य भाषाओं से इन के अनुवाद धड़ल्ले से हो रहे हैं और भक्त लोग देवीदेवताओं के यौनाचार को देवकार्य मानते हुए शान से दोहराते हैं. हां, अगर कोई उंगली दिखाने लगे तो धार्मिक भावनाएं आहत होने लगती हैं और यही अस्त्र इन स्वामियों का सब से बड़ा कवच है.

अगर हरि स्वामी पर इस युवती के यौन शोषण का मुकदमा चले तो मातापिता को भी अभियुक्त बनाया जाए व पूरा आश्रम पुलिस कब्जे में आ जाए, तभी न्याय मिलेगा. पर आज यह संभव नहीं है. जहां एक तरफ इसलामी कट्टरपन फैल रहा है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका तक में प्रोटैस्टैंट ईसाई भी कट्टर कैथोलिक से बन रहे हैं तो भारत में भगवा ब्रिगेड के होते भला कैसे स्वामी के दुराचार के लिए धार्मिक व्यवस्था को दोषी ठहराया जा सकता है? किस में हिम्मत है?

अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं : कल्कि कोचलीन

रंगरूप से विदेशी, लेकिन खालिस हिंदुस्तानी लड़की जब अपनी पहली फिल्म ‘देव डी’ में नजर आई तो एक बार दर्शकों को लगा कि यह विदेशी चेहरा बौलीवुड के ग्लैमर की चमक में कहां टिक पाएगा. लेकिन ‘शैतान’, ‘शंघाई’ और राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुनी गई फिल्म ‘मार्गरिटा विद ए स्ट्रा’ में सेरेब्रल पल्सी नामक बीमारी से पीडि़त लड़की का सशक्त किरदार निभा कर कल्कि ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा ग्लैमर की मुहताज नहीं होती.

अदाकारी के साथसाथ लेखन में भी पारंगत कल्कि का जन्म पांडिचेरी में हुआ था. पिता जोएल कोचलीन और मां फैंकोइस अरमैंडी की संतान कल्कि के परदादा मौरिस कोचलीन अपने जमाने के प्रसिद्ध इंजीनियर थे, जिन्होंने ऐफिल टावर और स्टैच्यू औफ लिबर्टी के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी.

हरदिल अजीज कल्कि सिर्फ संजीदा ऐक्टिंग के लिए ही नहीं अपने बेबाक बयानों के लिए भी जानी जाती हैं. वे बी टाउन की उन अभिनेत्रियों में से एक हैं, जो बिना किसी लागलपेट के अपने विचार व्यक्त करती हैं. फिर चाहे बात सैंसर बोर्ड की तानाशाही की हो या कास्टिंग काउच की. स्कूल समय से ही टौमबौय स्टाइल लाइफ जीने वाली कल्कि ने स्कूली शिक्षा ऊटी से कंप्लीट की. इस के बाद लंदन में ऐक्टिंग का कोर्स करने गईं. फिर मुंबई आ कर थिएटर करने लगीं. लेकिन दिल तो फिल्मों में बसा था. इस के लिए काफी संघर्ष किया. फिल्म ‘देव डी’ में पहला मौका मिला. इस के बाद उन्होंने कई फिल्मों में सशक्त अभिनय कर के अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. विदेशी रंगरूप वाली कल्कि फिल्मों से ज्यादा बिंदास और बेबाक बयानों के लिए भी जानी जाती हैं. एक मुलाकात में उन्होंने अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताया, आप भी जानिए…

पिछले दिनों जिलेट वीनस लौंच के इवैंट पर कल्कि से हुई हमारी बातचीत के पेश हैं कुछ अंश :

आप की ज्यादातर फिल्में परफौर्मैंस बेस्ड रही हैं. कमर्शियल से इतनी दूरी क्यों?

मैं तो कमर्शियल फिल्में करना चाहती हूं, लेकिन औफर ही नहीं मिल रहे तो मैं क्या करूं. जो फिल्में मिलीं उन में मैं ने अपना सौ प्रतिशत दिया है. लगता है मैं खुद की बनाई इमेज का शिकार हो गई हूं, क्योंकि जब मैं ने बौलीवुड में कदम रखा था तो ‘देव डी’, ‘शैतान’, ‘शंघाई’ जैसी फिल्मों में काम किया. इन सब में मेरा किरदार हट कर रहा है. इस के बाद मेरे पास जिस भी फिल्म का औफर आता वह परफौर्मैंस बेस्ड फिल्म का ही आता. लगता है मैं अपनी ही बनाई भूमिका में बंध गई हूं. अगर कोई औफर आता है तो मैं कमर्शियल फिल्म जरूर करूंगी.

मन कहां लगता है राइटिंग में या ऐक्टिंग में?

– राइटिंग अपने शौक के लिए करती हूं. मैं थिएटर लिखती हूं, पोइट्री लिखती हूं, लेकिन मैं हमेशा ऐक्टिंग ही करना चाहती हूं.

अपनी ऐक्टिंग और लुक से कितनी संतुष्ट हैं?

– मुझे लगता है निर्देशक दिबाकर बनर्जी की फिल्म शंघाई को छोड़ कर मैं हमेशा बेहतर दिखी हूं. फिल्म में दिबाकर मेरी भूमिका को कुछ अलग दिखाना चाहते थे जिसे मैं कर न सकी, क्योंकि जिस इंडस्ट्री से हम हैं वहां अच्छा दिखना और अच्छा पहनना बहुत जरूरी है. अगर आप अपने लुक पर ध्यान नहीं देंगे तो इंडस्ट्री कब आप को आउट कर देगी, पता ही नहीं चलेगा. इसलिए मैं अच्छा दिखने के नएनए तरीके तलाशती रहती हूं.

आप के लिए फ्रीडम के माने क्या हैं?

– आप अपनी जिंदगी अपने अनुसार जी सकें, मेरे लिए वही फ्रीडम है. जो मन को अच्छा लगे वह करो. किसी के दबाव में रह कर जीना कोई जिंदगी नहीं है. जब मुझे यह लगने लगा कि मेरे पार्टनर और मेरे बीच एक साइलैंट प्रैशर काम कर रहा है, तो मैं ने उस रिश्ते से दूरी बनाने में समय नहीं लगाया, क्योंकि घुटघुट कर आप कुछ समय तक ही जिंदा रह सकते हैं. आज का समय सोशल मीडिया का है और यह मेरे लिए काफी सकारात्मक है, क्योंकि इस के सहारे मैं कुछ भी बोल सकती हूं, अपनी बात सीधे रख सकती हूं. हालांकि आजकल फिल्मी सितारों को ट्रोल करने का चलन काफी बढ़ गया है, लेकिन मैं विवादों पर ध्यान नहीं देती. अपने काम से मतलब रखती हूं.

पहली फिल्म में डेब्यू अवार्ड मिलना और इस के बाद राष्ट्रीय अवार्ड मिलने पर कभी किसी तरह का दबाव या बड़ा स्टार होने की फीलिंग तो नहीं हुई?

किसी को भी पुरस्कार मिलता है, तो खुशी तो होती ही है, लेकिन मेरे ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि मुझे सिर्फ उसी स्क्रिप्ट पर काम करना है, जो मुझे अवार्ड दिलवा सके. ‘मार्गरिटा’ में मेरा काम कैसा रहा यह नैशनल अवार्ड से मुझे मालूम चला. नैशनल अवार्ड से मुझे इस बात का प्रोत्साहन मिला कि मैं ने जो काम किया वह अच्छा है और आगे भी अच्छा करने की कोशिश करती रहूंगी. मैं ने भी बौलीवुड में धक्के खाए हैं. कभीकभी बहुत सारी फिल्मों के औफर एकसाथ आ जाते हैं, तो कभीकभी ऐसा भी होता है कि कुछ समय के लिए कोई फिल्म नहीं मिलती.

अभी किस तरह के किरदार निभाने की तमन्ना है?

मैं ऐतिहासिक किरदार निभाना चाहती हूं. मेरी बचपन से ही इतिहास में रुचि रही है. अगर कभी कोई ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला तो जरूर निभाऊंगी. अगर पुरानी फिल्मों में से ‘प्यासा’ का रीमेक बनता है, तो यह फिल्म मैं अवश्य करूंगी क्योंकि यह मुझे बहुत पसंद है.

आप की आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

– इस समय मैं 3 फिल्मों में काम कर रही हूं, जिस में से ‘अ डेथ औफ गंज’ जल्दी आने वाली है. इस फिल्म में 60 के दशक की कहानी है, जिसे कोंकणा सेन निर्देशित कर रही हैं. मैं इस में एक बोल्ड राइटर की भूमिका निभा रही हूं. इस फिल्म के अलावा ‘जीया और जीया’, ‘रिबन’, ‘आजमाइश’, ‘कैडीफ्लिप’ फिल्में भी मैं कर रही हूं.

हम आपको बता दें कि कल्कि किसी फेयरनैस क्रीम का विज्ञापन नहीं करतीं. उन का कहना है कि खूबसूरती का गोरा होने से कोई संबंध नहीं है. सैक्स संबंधों पर खुल कर अपनी बात रखने वाली कल्कि का मानना है कि वे इन दिनों बिस्तर पर पहले से ज्यादा स्वार्थी हो गई हैं. उन के अनुसार 30 साल की उम्र के पहले के सैक्स और उस के बाद के सैक्स का अनुभव अलग होता है. उन्हें 30 के बाद सैक्स करने में बहुत रोमांचकारी अनुभव रहा है.

अनुराग से अलगाव के बाद कल्कि का नाम फरहान अख्तर के साथ भी जोड़ा जाने लगा था. ‘नीरजा’ में काम कर चुके जिम सरभ के साथ भी कल्कि की नजदीकियों की खबरें आई थीं. साल 2014 में फिल्म ‘मार्गरीटा विद ए स्ट्रा’ ने टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब जीता. यह पहली बार था जब किसी बौलीवुड फिल्म की स्क्रीनिंग टैलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फैस्टिवल में हुई.

आप जानती हैं क्‍या है शादी का बीमा?

गाड़ी का बीमा, घर का बीमा, आपका खुद का बीमा और अब तो शादी का भी बीमा होने लगा है. आप बिल्‍कुल सही समझ रहे हैं अगर आपकी शादी एक दो साल के अंदर शादी होने वाली है तो इस पर ध्‍यान जरुर दीजिएगा. वेडिंग इंश्‍योरेंस इंडिया में इस समय एक नया चलन आ गया है. लेकिन ऐसा देखने को मिल रहा है कि धीरे-धीरे यह लोगों की जरुरत बनती जा रही है. शादी कैंसल होने पर, आपके जेवर चोरी होने पर शादी के अचानक बाद एक्‍सीडेंट होने पर वेडिंग इंश्‍योरेंस आपकी सहायता और सुरक्षा करेगा.

क्‍या है शादी का बीमा और ये कैसे होता है

भारत में शादी जैसे बड़े समारोह में बहुत ज्‍यादा पैसा खर्च किया जाता है और मंहगी ज्‍वेलरी खरीद कर रिस्‍क भी लिया जाता है. अक्‍सर आप देखते हैं कि शादी के मौकों पर ऐसी कई घटनाएं हो जाती हैं जो वास्‍तविक रुप से नहीं होना चाहिए. ऐसी घटनाओं से आपके और आपके परिवार का आर्थिक रुप से काफी नुकसान हो जाता है. वेडिंग इंश्‍योरेंस यानी शादी का बीमा आपको इससे उबारने में मदद करता है.

क्‍यों है आपको इसकी जरुरत

जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है, जीवन अनिश्चित है वेडिंग इंश्‍योरेंस आपको अनिश्चितताओं के खिलाफ कवर करता है. अगर कुछ भी होता है चाहे आपकी शादी ही रुक जाए आपका खर्च डबल हो जाता है. एक अच्‍छे शादी बीमा पॉलिसी से आप वो सब प्राप्‍त कर सकते हैं जो आपने खो दिया है.

बीमा लेते समय इन चीजों का रखें ध्‍यान

इससे पहले की आप शादी का बीमा लें आप प्रत्‍येक विक्रेता की पॉलिसी को अच्‍छे से जांचे और जानें कि वो किस प्रकार के कवर प्रदान कर रहे हैं. यदि आपके कैटरर या वेडिंग प्‍लानर के पास कोई बीमा कवरेज है तो आप अपनी जेब से कवरेज को ओवरलैप करने के लिए भुगतान नहीं करना चाहेंगे. यह पता करिये कि आपको कवर कहां नहीं मिल रहा है.

कब लें शादी बीमा पॉलिसी

वैसे तो शादी बीमा पॉलिसी शादी की डेट फिक्‍स होने पर या शादी के दो साल पहले ही ली जाती है. लेकिन अगर आपकी शादी अगले साल ही होने वाली है तो टेंशन की कोई बात नहीं है आप रिसेप्‍शन और अन्‍य खर्चों के लिए बीमा करा सकते हैं.

शादी कैंसिल होने पर भी मिलेगा कवर

अगर आपकी शादी एक्‍सीडेंट, फायर या प्राकृतिक आपदाओं के कारण कैंशल हो गई है या शादी की डेट आगे बढ़ गई है तो भी आपको टेंशन लेने की कोई आवश्‍यकता नहीं है. वेडिंग इंश्‍योरेंस इन सबका खर्च आपको देगा.

भारत में कौन दिलाता है वेडिंग इंश्‍योरेंस

भारत में वेडिंग इंश्‍योरेंस वास्‍तव में एक नया कांस्‍पेट है. तीन ऐसी कंपनियां हैं जो यहां पर शादी का बीमा प्रदान करती हैं.

भविष्य जनरल

भविष्‍य जनरल की विवाह सुरक्षा योजना इंश्‍योरेंस के लिए मुख्‍य तौर पर जानी जाती है. अगर किसी अकास्‍मिक बीमारी और बहुत बुरे मौसम की वजह से आप शादी कैंसिल करना चाहते हैं तो ये आपको दुबारा शादी करने के लिए पूरा खर्च प्रदान करेंगे.

एचडीएफसी एर्गो

यह कंपनी वेडिंग इंश्‍योरेंस उस वक्‍त प्रदान करती है जब आप की शादी किसी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और सायक्‍लोन के वजह से कैंसिल हो जाती है तो नुकसान की भरपाई बीमा की इस कंपनी द्वारा किया जाता है. इसके अलावा, वर या वधु के एक्‍सीडेंट हो जाने और शादी के दौरान घर में चोरी हो जाने से भी एचडीएफसी एर्गो द्वारा कवर प्रदान किया जाता है.

आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड

आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड अचानक शादी कैंसिल हो जाने पर, एक्‍सीडेंट, प्रॉपर्टी का नुकसान और, कार्ड की प्रिंटिंग का खर्च, वेन्‍यू का खर्च, डेकोरेशन, फूड, संगीत, होटल और ट्रैवल बुकिंग पर बीमा कवर प्रदान करती है.

अंडरवर्ल्ड से परेशान होकर इस एक्ट्रेस ने छोड़ दिया था देश

बॉलीवुड में कई एक्टर एक्ट्रेस ऐसे होते हैं जो फिल्मों में आए और अचानक से हमेशा के लिए गायब हो गए. कुछ हीरो हिरोइन ऐसे होते हैं जिनकी फिल्में लोगों को काफी पसंद भी आती हैं लेकिन किसी न किसी कारण वो फिल्मी दुनिया से दूरियां बना लेते है.

इन्हीं में से एक हैं वीराना फिल्म की जैस्मिन. अगर आपने भी 90 के दशक की हॉरर फिल्म वीराना देखी है तो इसकी लीड एक्ट्रेस जैस्मिन भी याद होगी. 90 के दशक की हॉरर फिल्म वीराना की एक्ट्रेस जैस्मिन के साथ जो हुआ जानकर आपका दिल दहल जाएगा ! अभिनेत्री जैस्मिन ने अंडरवर्ल्ड से परेशान होकर बॉलीवुड ही नहीं देश भी छोड़ दिया था.

जैस्मिन जब इस फिल्म में आई तो उनकी खूबसूरती के लाखों दीवाने हो गए थे. भले ही फिल्म में जैस्मिन ने डरावना किरदार निभाया था लेकिन इसी के साथ साथ उन्होंने फिल्म में अच्छे खासे हॉट सीन भी दिए थे. इस फिल्म के पहले भी उनकी दो ही फिल्में आई थीं. साल 1978 में सरकारी मेहमान और इसके बाद साल 1984 में फिल्म डाइवोर्स. लेकिन इस फिल्म के बाद वो कहां चली गईं, वो फिल्मों में आगे क्यों नहीं आईं, ये सवाल कई लोगों के मन में घूमता है. वीराना के बाद बॉलीवुड भी जैस्मिन से वीराना हो गया.

तो चलिए हम बताते हैं कि आखिर उनके साथ क्या हुआ कि वे फिर कभी नजर नहीं आईं.

अंडरवर्ल्ड से आने लगे थे फोन

कहा जाता है कि जैस्मिन के पास अंडरवर्ल्ड से फोन आने लगे थे. कई अंडरवर्ल्ड डॉन उन्हें गलत नियत से देख रहे थे और इसलिए उनसे मिलना भी चाहते थे. एक्ट्रेस इस वजह से काफी परेशान रहने लगी थीं और आखिरकार एक दिन उन्होंने देश छोड़ दिया.

अमेरिका चली गईं थी जैस्मिन

यही कारण है कि उन्होंने वीराना के बाद किसी और फिल्म में काम नहीं किया. ‘वीराना’ ही उनकी आखिरी फिल्म थी. बताया जाता है कि इसके बाद जैस्मिन अमेरिका चली गईं.

जॉर्डन में जाकर बस गईं हैं

सुनने में ये भी आया कि अमेरिका जाकर उन्होंने किसी से शादी कर ली. यह भी कहा जाता है कि साल 1988 के बाद जैस्मिन जॉर्डन में जाकर बस गईं.

पहले क्या करती थी जैस्मिन

खबरों की मानें तो इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. साल 1979 में बॉलीवुड में ब्रेक मिलने से पहले जैस्मिन क्या करती थीं और कहां रहती थीं, इस बारे में भी ठीक से किसी को कुछ भी नहीं पता.

इसलिए किया जैस्मीन को कास्ट

हम आपको बता दें कि इस फिल्म के लिए रामसे ब्रदर्स बतौर लीड एक्ट्रेस अलग चेहरा चाहते थे. इसी वजह से उन्होंने सिर्फ दो फिल्मों में एक्टिंग का अनुभव रखने वाली जैस्मिन को वीराना के लिए कास्ट किया.

हिट हुई फिल्म

उस समय पर ये फिल्म काफी हिट हुई थी. और उस समय के मुकाबले फिल्म काफी हॉरर थी.

कैसा है रोल

फिल्म में जैस्मिन एक ऐसी लड़की के किरदार में हैं जिसमें नकीता की आत्मा आती है और वो लोगों को अपना शिकार बनाती है. यहां हम आपको बताते चलें कि इस फिल्म में जैस्मिन ने हॉरर किरदार और नॉर्मल किरदार दोनों ही निभाए थे.

धूप में सांवली हुई स्किन को निखारें

त्वचा को खूबसूरत बनाने के लिए आपने तरह-तरह के जतन किए होंगे लेकिन फिर भी बेदाग खबसूरती नहीं मिली होगी. दमकती त्वचा पाने के लिए जरूरी नहीं कि आप मंहगी क्रीमों का इस्तेमाल करें.

अगर आप भी चेहरे पर मुहांसो और गर्मी के दानों से परेशान हो चुके हैं तो ये खबर आपके लिए हैं. चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी के प्रयोग से आप त्वचा संबंधी कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते है.

आइए जानते है कैसे इसका इस्तेमाल कर आप चेहरे को बेदाग बनाकर उसमें गजब का निखार ला सकते हैं.

विधि

एक कटोरी में एक छोटा चम्मच नीम का पाउडर लें. इस पाउडर में दो छोटे चम्मच मुल्तानी मिट्टी, जरूरत के अनुसार गुलाब जल, एक चुटकी कपूर, और चार-पांच लौंग को पीसकर इस पाउडर का पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को मुंहासो वाली जगह पर अच्छी तरह से लगा लें. इसके बाद दस मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें.

चेहरे पर धब्बों के निशान को कम करने के लिए मुल्तानी मिट्टी में चंदन का पाउडर और टमाटर का रस मिलाकर तैयार किया गया पेस्ट भी लगा सकते हैं. यह पैक धब्बों को धीरे-धीरे कम करने में बहुत असरदार है.

मुल्‍तानी मिट्टी में एल्यूमीनियम सिलिकेट पाया जाता है जो त्‍वचा को फ्रेश लुक प्रदान करता है. मुल्‍तानी मिट्टी और रोज वॉटर मिक्‍स कर के चेहरे पर लगाएं. इससे चेहरे का पीएच बैलेंस होगा और प्राकृतिक रूप से तेल कम हो जाएगा.

वैजिनोप्लास्टी : कौमार्य पाने का नया ट्रैंड

पहले प्लास्टिक सर्जरी फिर कौस्मैटिक और उस के बाद कंस्ट्रक्टिव सर्जरी. ये सभी सौंदर्य में निखार के लिए हैं. ऐसिड अटैक मामले में प्लास्टिक और कौस्मैटिक सर्जरी किसी वरदान से कम नहीं हैं. लेकिन इन दिनों ऐसी ही एक नई सर्जरी की काफी चर्चा है और वह है वैजिनोप्लास्टी. जी हां, आप जो सोच रही हैं वही सच है. यह वैजिनोप्लास्टी यौनांग के सौंदर्य के लिए ईजाद की गई सर्जरी है. महानगरों का यह एक नया ट्रैंड है.

भले ही इस तरह की सर्जरी का विज्ञापन देखने को नहीं मिलता है, लेकिन कौस्मैटिक सर्जन इस तरह की सर्जरी बड़ेबड़े अस्पतालों में करते हैं. बड़े अस्पतालों में इस तरह की सर्जरी के लिए अलग विभाग हैं. कोलकाता के नामी निजी अस्पताल या कौस्मैटिक सर्जन की वैबसाइट में हार्ट सर्जरी के साथसाथ किडनी, स्किन, लिवर ट्रांसप्लांटेशन के पैकेज के साथ वैजिनोप्लास्टी का भी पैकेज देखने को मिल जाता है. वैजिनोप्लास्टी विभाग के अंतर्गत हाइमेनोप्लास्टी और लाबियाप्लास्टी भी शामिल हैं.

आखिर वैजिनोप्लास्टी क्या है? इन दिनों इस तरह की सर्जरी की मांग क्यों बढ़ रही है? किस आयुवर्ग की महिलाओं में यह अधिक लोकप्रिय है? इस तरह की सर्जरी की सफलता दर क्या है और इस में स्किल फैक्टर क्या क्या हैं?

वैजिनोप्लास्टी एक जैनिटल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी है. लेकिन जैनिटल रिकंस्ट्रक्शन में लिंग परिवर्तन भी शामिल है, पर वैजिनोप्लास्टी से योनि में मनचाहा बदलाव पाया जा सकता है. कोलकाता के कौस्मैटिक सर्जन डा. सप्तऋषि भट्टाचार्य का कहना है कि यह एक तरह की रिकंस्ट्रक्टिव प्लास्टिक सर्जरी है. इसका उद्देश्य मन वैजाइना को डिजाइन करना या कह लीजिए रिकंस्ट्रक्ट करना यानी योनि का पुनर्निर्माण और वह भी जैसा चाहें वैसा. इस रिकंस्ट्रक्शन थ्यौरी के अंतर्गत भी बहुत तरह की सर्जरी शामिल हैं. हाइमेनोप्लास्टी, लाबियाप्लास्टी वगैरह. वैजिनोप्लास्टी लंबे विवाहित जीवन और बच्चे पैदा करने से ढीली पड़ी योनि की दीवार को टाइट करती है. यह सर्जरी दरअसल कमजोर मांसपेशियों को दुरुस्त भी कर देती है. इस के अलावा रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी के अंतर्गत हिप की मांसपेशियों को टाइट कर बढ़ती उम्र का प्रभाव भी कम किया जाता है.

डा. अरिंदम सरकार कहते हैं कि अधेड़ उम्र की ज्यादातर महिलाएं वैजाइना रिकंस्ट्रक्शन के लिए आती हैं. कम उम्र की लड़कियां आमतौर पर हाइमेनोप्लास्टी के लिए आती हैं. बहरहाल, जो भी इस तरह की सर्जरी के लिए उन के पास आती है वह इस बारे में थोड़ीबहुत जानकारी हासिल कर के ही आती है. इसलिए अलग से कुछ ज्यादा कहने की जरूरत नहीं पड़ती है. हां, अगर इस बारे में उन्हें कोई खास जानकारी अलग से चाहिए या सर्जरी को ले कर किसी तरह की आशंका हो तो पहली सिटिंग में उस का निवारण कर दिया जाता है.

इस सर्जरी की इतनी डिमांड है कि कोलकाता के कई छोटेबड़े निजी अस्पतालों में यह सर्जरी हो रही है. हालांकि सभी निजी अस्पतालों में इस के लिए अलग से विभाग नहीं हैं और न ही इस सर्जरी के लिए विज्ञापन दिए जा रहे हैं, बावजूद इस के इस विशेष अंतरंग सर्जरी का अच्छा बाजार जम चुका है.

वैजाइना सर्जरी की चाह क्यों?

विदेश में बार्बी वैजाइना की बहुत मांग है. इस का कारण यह है कि इन दिनों पूरी दुनिया पर खासतौर पर नई पीढ़ी के दिलोदिमाग में वर्चुअल वर्ल्ड का नशा सिर चढ़ कर बोल रहा है. अपने यौनांग में छुरी चलवा कर काटछांट से भी महिलाएं पीछे नहीं हटना चाह रही हैं. कई महिलाओं ने माना कि उन के पति या सैक्स पार्टनर के जोर देने पर इस के लिए वे तैयार हुईं. लेकिन संचिता दास (बदला हुआ नाम) ने अपने पति को सरप्राइज देने के लिए हाइमेनोप्लास्टी करवाने का मन बनाया. अपनी शादी की 10वीं सालगिरह पर वह अपने जीवनसाथी को यह उपहार देना चाहती है.

अब जहां तक हाइमेनोप्लास्टी का सवाल है, तो समाज में इन दिनों एक नया बदलाव भी देखा जा रहा है. पुराने जमाने में शादीब्याह के समय लड़कियों के कौमार्य को बहुत महत्त्व दिया जाता था. लेकिन बाद में खेलकूद में भाग लेने या साइकिल आदि चलाने जैसे विभिन्न कारणों की वजह से लड़कियों में कौमार्य की शर्त कम हुई. लेकिन आजकल फिर से समाज में कौमार्य को महत्त्व दिया जाने लगा है. लड़कियां शादी से पहले हाइमेनोप्लास्टी के लिए जा रही हैं. एक विशेषज्ञ सर्जन का दावा है कि उन के पास हाइमेनोप्लास्टी के बहुत सारे मामले आ रहे हैं. इस में कौमार्य झिल्ली का फिर से निर्माण किया जाता है. दावा यह है कि इस सर्जरी में ऊपरी तौर पर किसी तरह की सर्जरी का कोई निशान नहीं होता है. इसीलिए सैक्स पार्टनर को इस का पता नहीं चल पाता है. दावा यह भी है कि झिल्ली निर्माण के बाद संबंध बनाने पर शीलभंग का प्रमाण भी मिलता है. ऐसे मामले के लिए शादी की तारीख से 4 हफ्ते पहले सर्जरी का सुझाव दिया जाता है.

कल्याणी यूनिवर्सिटी से अंगरेजी साहित्य में पीएचडी करने वाली शुभा भट्टाचार्य (बदला हुआ नाम) वैजिनोप्लास्टी करा चुकी है. शुभा बताती है कि इस बारे में उस ने घर पर किसी को नहीं बताया है. 2 महीने बाद मेरी शादी होने वाली है. जैनिटल रिकंस्ट्रक्शन के बारे में मैं ने अपनी एक सहेली से सुना था. इसीलिए 15 दिन की सैर का बहाना बना कर वह कोलकाता चली आई और यह सर्जरी करवा ली. शुभा का कहना है कि इस विषय पर घर पर खुल कर बात करना असंभव था, इसलिए यह चोरीछिपे करवाई.

कोलकाता के एक निजी कालेज में होटल मैनेजमैंट का कोर्स करने वाली रितिका खन्ना (बदला हुआ नाम) ने भी इस सर्जरी का लाभ उठाया है. इस बारे में उस का कहना है कि यह उस का निजी मामला है. किसी डर या आशंका में उस ने यह सर्जरी नहीं करवाई. बस वह एक बार यह कर के देखना चाहती थी. इसीलिए करवाई.

बहरहाल, जिन्होंने भी इस तरह की सर्जरी के बारे में पहली बार सुना, जाहिर है उन के मन में अब इसे ले कर बहुत सारे सवाल उठेंगे. मसलन, आखिर इस तरह की सर्जरी की जरूरत क्यों पड़ रही है या फिर यह कहा जाए कि किसी मानसिकता के तहत इस किस्म की सर्जरी करवाई जाती है? दूसरे कई फैशन या लाइफस्टाइल ट्रैंड की तरह ही यह भी महज एक तरह का ट्रैंड है? किस तरह की महिलाएं यह सर्जरी करवा रही हैं? इस के फायदों के साथ किस तरह के नुकसान की आशंका है? सर्जरी के लिए कितने दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है? सर्जरी के बाद स्वाभाविक जीवन में लौटने में कितना समय लगता है?

जोखिम कम नहीं

2007 में योनि संबंधित किसी भी तरह की सर्जरी का नाम डिजाइनर वैजाइना दिया गया. उस समय अमेरिकन कालेज औफ औबस्टेट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट ने इस बढ़ते ट्रैंड के खिलाफ चेतावनी दी थी. रौयल आस्ट्रेलियन कालेज औफ गाइनोकोलौजिस्ट भी इस ट्रैंड के खिलाफ रहा है. 2009 में ब्रिटिश मैडिकल जर्नल और 2013 में सोसाइटी औफ औबस्टेट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट औफ कनाडा ने इसे गैरजरूरत कौस्मैटिक सर्जरी बताते हुए इस ट्रैंड को रोके जाने पर जोर दिया था. बावजूद इस के 2015 में हुए सर्वे से साफ हो गया कि कोई भी चेतावनी काम न आई. दिनोंदिन यह ट्रैंड फूलाफला और इस का विस्तार हमारे यहां भी हो चुका है.

अब जहां तक जोखिम का सवाल है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि इस सर्जरी के बहुत सारे जोखिम भी हैं. सब से पहले तो कुछ साइड इफैक्ट देखने को मिलते हैं. बहुत सारे मामलों में पाया गया कि खून का बहाव रोक पाना डाक्टर के लिए कठिन हो जाता है. वहीं संक्रमण भी एक समस्या है. इस तरह की सर्जरी में 1 से ले कर 3 घंटे तक का समय लग सकता है. यह पूरी तरह से निर्भर करता है योनिद्वार और उस के आसपास की मांसपेशियों पर. सर्जरी के 2 से 5 दिनों के भीतर कामकाज पर लौटा जा सकता है. वैसे 6 सप्ताह का समय लग सकता है. इस दौरान डाक्टर यौन संबंध बनाने से बचने की सलाह देते हैं. इस के अलावा सर्जरी के निशान धीरेधीरे ही जाते हैं. ऐसी सर्जरी बहुत ही अनुभवी सर्जन द्वारा करवाई जानी चाहिए.

अन्य जानकारियां

इस सर्जरी की सुविधा हर बड़े शहर में है. कोलकाता में अपोलो, आमरी, बेलव्यू, कोलंबिया एशिया हौस्पिटल, डीसान अस्पताल, चाणक्य अस्पताल, फोर्टिस जैसे निजी अस्पतालों के अलावा बहुत सारे कौस्मैटिक सर्जनों के क्लीनिकों में भी यह सर्जरी की जाती है. अगर कौस्मैटिक सर्जनों के पास इस के लिए पूरा सैटअप न हो तो वे निजी अस्पताल या नर्सिंगहोम में इस तरह की सर्जरी करते हैं.

अब जहां तक खर्च का सवाल है, तो यह अस्पताल और नर्सिंगहोम पर निर्भर करता है. वैसे औसतन इस सर्जरी में क्व35 से क्व50 हजार तक का खर्च आता है. यह सर्जरी दोनों तरह के लोकल ऐनेस्थीसिया और सामान्य ऐनेस्थीसिया के बाद की जा सकती है. ज्यादातर मामलों में सामान्य ऐनेस्थीसिया पसंद की जाती है, क्योंकि इस तरह की सर्जरी में 1 से 3 घंटे तक का वक्त लग जाता है. कुछ दिनों तक भारीभरकम काम न करने की बंदिश है. 2-4 दिनों में सामान्य चलनाफिरना संभव हो जाता है. लेकिन जहां तक दापंत्य संबंध का सवाल है, तो 2-4 हफ्ते का इंतजार करने की सलाह दी जाती है.

मनोविदों की राय

यह सही है कि अलगअलग कारणों से विभिन्न उम्र की महिलाएं इस तरह की सर्जरी करा रही हैं. वहीं अगर कोई महिला या लड़की पति या अपने सैक्स पार्टनर के दबाव में आ कर इस तरह की सर्जरी के लिए जाती है, तो यह जरूर सोचने वाली बात है. आखिर क्यों? इसे इस तरह देखा जाना चाहिए. शरीर की अंतरिक बनावट में छेड़छाड़ के लिए पति या सैक्स पार्टनर दबाव बना रहा है, तो मान लेना चाहिए कि इस बहुत ही करीबी व आपसी रिश्ते में सब कुछ ठीकठाक नहीं है. यह कहीं किसी तरह की समस्या की ओर ही इशारा करता है, क्योंकि दांपत्य का रिश्ता हो या और कोई भी रिश्ता केवल शरीर के बूते टिक नहीं पाता है. आतंरिकता जरूरी होती है और अगर आतंरिकता है, तो शरीर या उस की बनावट की अहमियत नहीं होती है. ऐसे रिश्ते मजबूत होते हैं.

भारत में वैजिनोप्लास्टी का ट्रैंड भले ही हाल ही में शुरू हुआ हो, लेकिन विदेशों में इस का ट्रैंड पुराना है. 2006-07 में इस की शुरुआत हुई थी और आम भाषा में यह बार्बी वैजाइना सर्जरी के नाम से जानी जाती रही है. लेकिन सर्जरी की भाषा में इस तरह की अंतरंग सर्जरी वैजिनोप्लास्टी, लाबियाप्लास्टी और हाइमेनोप्लास्टी के नाम से जानी जाती है. बहरहाल, इस ट्रैंड को लेकर 2015 में एक सर्वे भी कराया गया, जिसके अनुसार इस साल विश्व भर में करीब 1 लाख महिलाओं ने बार्बी वैजाइना हासिल करने के लिए लाबियाप्लास्टी करवाई. बताया जाता है कि लगभग 50 हजार महिलाओं ने किशोर उम्र की योनि प्राप्त करने के लिए हाइमेनोप्लास्टी का सहारा लिया.

VIDEO : पकड़े गए सलमान, घूर रहे थे कैटरीना के…

सलमान खान और कैटरीना कैफ के करोड़ों प्रशंसक सहित बॉलीवुड के तमाम लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कैटरीना-सलमान साथ हैं या नहीं. दोनों ने इस रहस्य पर परदा डाल रखा है और स्पष्ट नहीं कर रहे हैं कि हकीकत क्या है. ब्रेकअप की खबरें आती हैं तो दोनों साथ दिखने लग जाते हैं और जब साथ होने की बातें की जाती हैं तो दोनों में अलगाव देखने को मिलता है.

बॉलीवुड के कुछ लोगों का कहना है कि दोनों में ब्रेकअप हो चुका है, लेकिन इस बारे में वे कुछ नहीं बोलकर अपनी गरिमा को कायम रखना चाहते हैं. पिछले कुछ दिनों से कैटरीना और रणबीर की नजदीकियां लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं. दोनों को एक-दूसरे के घर में देखा जा रहा है और यहां तक भी कहा गया है कि कैटरीना के घर पर जब आयकर अधिकारियों ने छापा मारा तो उसके कुछ देर पहले ही रणबीर वहां से रवाना हुए थे.

रणबीर और कैटरीना की नजदीकियों का हवाला देते हुए यह माना जा रहा है कि सलमान और कैटरीना में ब्रेक अप हो चुका है. शायद वे अपने को एक मौका और देना चाहते हैं, इसीलिए मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं.

इस बीच सलमान और कैटरीना का एक वीडियो सोशल मीडिया में छाया हुआ है. एक बार फिर सलमान खान सुर्खियों में बने हुए हैं, लेकिन इस बार वे अपनी वजह से नहीं बल्कि अपनी एक्स गर्लफ्रेंड कैटरीना की वजह से सुर्खियों में है. आईफा 2017 का जश्न शुरू होने वाला है और यही वजह है कि गुरुवार रात आईफा की प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी. इस कांफ्रेस का एक वीडियो वायरल हो गया है, अब क्या है इस वीडियो में, उसके लिए तो आपको इसे देखना होगा.

इस फिल्म के लिए चीन ने भारत से किया समझौता

इन दिनों लोग चीन में फिल्म ‘दंगल’ और ‘बाहुबली’ की कमाई की बात कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि दंगल से काफी साल पहले एक हिंदी फिल्म ने चीनी दर्शकों को बॉलीवुड का फैन बना दिया था. वो फिल्म थी 1951 में रिलीज हुई आवारा. इस फिल्म को राजकपूर ने डायरेक्ट किया और खुद ही एक्टिंग भी की.

उस दौर में भारत में ही फिल्म चल जाए बड़ी बात क्योंकि आजादी मिले कुछ ही समय बीता था. लेकिन इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा की पूरे विश्व में पहचान बना दी. चीन में यह फिल्म इतनी पसंद की गई कि वहां हर किसी की जुबां पर फिल्म का गाना ‘आवारा हूं’ छा गया.

इस फिल्म थियेटर वर्जन में ढालने के लिए दोनों देशों के बीच एक एमओयू साइन किया गया है. यानी चीन में ये फिल्म अब थियेटर वर्जन में दिखेगी.

यह सच है कि राज कपूर को अभिनय विरासत में मिला था. उनके पिता पृथ्वीराज कपूर अपने समय के मशहूर रंगकर्मी और फिल्म अभिनेता थें.

राज कपूर की कुछ यादगार फिल्में

आग (1948)

राजकपूर जब 23 साल के थे तभी उन्होंने प्रोडक्शन हाउस का निर्माण करके फिल्म आग बनाई. यह फिल्म बेहद सफल हुई थी और इसमें वह पहली बार फिल्मी पर्दे पर नरगिस के साथ नजर आएं.

आवारा (1952)

वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘आवारा’ राजकपूर के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई. फिल्म की सफलता ने राजकपूर को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई. फिल्म का शीर्षक गीत ‘आवारा हूं या गर्दिश में आसमान का तारा हूं’, देश-विदेश में बहुत लोकप्रिय हुआ.

जिस देश में गंगा बहती है (1960)

इस फिल्म का प्रोडक्शन आरके स्टूडियो के तहत हुआ था. फिल्म हिंसा के प्रति एक सामाजिक संदेश देती है. फिल्म में राज कपूर ने राजू का किरदार निभाया है.

राम तेरी गंगा मैली (1985)

राज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी में औरतों पर होते अत्याचार और जमींदारों द्वारा औरतों एक भोग-विलास की वस्तु समझे जाने के मुद्दे को दिखाया है.

प्रेमरोग (1982)

राज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में बाल विवाह और पुनर्विवाह जैसे सामाजिक मुद्दे को उठाया है.

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