टेलीविजन अभिनेत्रियां जो बनीं ग्लैमरस हीरोइन

टीवी शो ‘नागिन’ से पॉपुलर हुई एक्ट्रेस मौनी रॉय को सलमान खान जल्द अपने होम प्रोडक्शन से बॉलीवुड में लॉन्च करेंगे. सलमान को लगता है कि मौनी का लुक देसी है और वो साड़ी में किसी ट्रेडिशनल इंडियन हीरोइन की तरह लगती हैं. मौनी ऐसी पहली एक्ट्रेस नहीं है, इससे पहले भी बहुत सी टीवी एक्ट्रेसेस बॉलीवुड का रुख कर चुकी हैं. और ये एक्ट्रेसेस पहले से ज्यादा खूबसूरत और ग्लैमरस लगने लगी हैं. बता दें कि प्राची देसाई ने 17 साल की उम्र में टीवी शो ‘कसम से’ (2006) के जरिए कैरियर शुरू किया था. पिछले 11 सालों में प्राची का लुक काफी चेंज हो गया है. प्राची ने फिल्म ‘रॉक ऑन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था.

1. प्राची देसाई

प्राची देसाई ने 2008 में आई फिल्म ‘रॉक ऑन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इसके अलावा उन्होंने ‘लाइफ पार्टनर’ (2009), ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ (2010), ‘तेरी मेरी कहानी’ (2012), ‘बोल बच्चन’ (2012), ‘पुलिसगिरी’ (2013), ‘अजहर’ (2016) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

2. यामी गौतम

साल 2008 में टीवी शो ‘चांद के पार चलो’ के जरिए कैरियर शुरू करने वाली यामी ने फिल्म ‘विकी डोनर’ (2012) के जरिए बॉलीवुड में सक्सेसफुल एंट्री की. इसके अलावा उन्होंने ‘एक्शन जैक्सन’ (2014), ‘बदलापुर’ (2015), ‘सनम रे’ (2016), ‘काबिल’ (2017) फिल्मों में काम किया है.

3. हंसिका मोटवानी

हंसिका सबसे पहले टीवी शो ‘देश में निकला होगा चांद’ (2001) में नजर आईं थीं. इसके बाद उन्होंने कई शोज में काम किया. साल 2007 में उन्होंने फिल्म ‘आप का सुरूर’ के जरिए बॉलीवुड में बतौर अभिनेत्री एंट्री की. फिलहाल वो साउथ की फिल्मों में व्यस्त हैं.

4. करिश्मा तन्ना

साल 2001 में टीवी शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू’ से करियर शुरु करने वाली करिश्मा तन्ना ने साल 2005 में फिल्म ‘दोस्ती: फ्रेंड्स फॉरएवर’ से बॉलीवुड में एंट्री की, लेकिन उन्हें सक्सेस मिली 2013 में रिलीज हुई फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’ के जरिए. वे सनी लियोनी के साथ फिल्म ‘टीना एंड लोलो’ में भी नजर आईं.

5. सुरवीन चावला

टीवी शो ‘कही तो होगा’ (2003-07) से करियर स्टार्ट करने वाली सुरवीन ने साल 2014 में फिल्म ‘हेट स्टोरी-2’ के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. इसके पहले वो कई साउथ और पंजाबी फिल्मों में काम कर चुकी थीं. उन्होंने ‘उंगली’ ( 2013), ‘क्रिएचर 3डी’ (2014), ‘वेलकम बैक’ (2015) सहित कई बॉलीवुड फिल्मों में काम किया है.

6. विद्या बालन

बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस की लिस्ट में शुमार विद्या भी पहली बार टीवी शो ‘हम पांच’ (1995) में नजर आई थीं. कई कमर्शियल ऐड और म्यूजिक वीडियोज में काम करने के बाद उन्होंने साल 2004 में फिल्म ‘परिणीता’ के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. उन्होंने ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ (2006), ‘किस्मत कनेक्शन’ (2008), ‘द डर्टी पिक्चर’ (2011), ‘कहानी’ (2012), ‘कहानी -2’ (2016) सहित कई फिल्मों में काम किया है. अभी हाल ही में विद्या की फिल्म “बेगम जान” आई थी.

7. आमना शरीफ

‘कही तो होगा’ (2003-07) के जरिए आमना शरीफ टीवी की पॉपुलर बहू बनीं. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘आलू चाट’ (2009) के जरिए बॉलीवुड में एंट्री की. उन्होंने ‘आओ विश करें’ (2009), ‘शक्ल पर मत जा’ (2011), ‘एक विलेन’ (2013) फिल्मों में काम किया है.

8. जेनिफर विंगेट

बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करियर शुरू करने वाली जेनिफर को टीवी शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (2003-08) और ‘दिल मिल गए’ (2009-10) से पहचान मिली. उन्होंने कई हिट शोज में काम किया है. बतौर एक्ट्रेस वो कुणाल कोहली के साथ फिल्म ‘फिर से’ (2015) में नजर आ चुकी हैं.

9. सना खान

यूं तो सना खान कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें असली पहचान टीवी रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ (2012) के जरिए मिली. इसके बाद वो सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ (2014) में नजर आई. उन्होंने ‘वजह तुम हो’ (2014), ‘हल्ला बोल’ (2008) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

10. श्वेता तिवारी

टीवी शो ‘कही किसी रोज’ (2001) से करियर शुरू करने वाली श्वेता को असली पॉपुलैरिटी एकता कपूर के शो ‘कसौटी जिंदगी की’ (2001-08) से मिली. साल 2004 में वो पहली बार बिपाशा बसु स्टारर फिल्म ‘मदहोशी’ में नजर आईं. इसके बाद वो ‘आबरा का डाबरा’ (2004) और ‘मिले न मिले हम’ (2011) जैसी कई फिल्मों में दिखीं. श्वेता ने कई भोजपुरी फिल्मों में काम किया है.

झारखंड: कण कण में प्रकृति का अद्भुत नजारा

झारखंड पर प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है. घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और संस्कृति के धनी इस राज्य में सैलानियों के लिए देखने को बहुत कुछ है.

रांची

झारखंड की राजधानी रांची समुद्र तल से 2064 फुट की ऊंचाई पर बसा है. यह चारों तरफ से जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. इस के आसपास गुंबद के आकार के कई पहाड़ हैं जो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस जिले में हिंदी, नागपुरी, भोजपुरी, मगही, खोरठा, मैथिली, बंगला, मुंडारी, उरांव, पंचपरगनिया, कुडुख और अंगरेजी बोलने वाले आसानी से मिल जाते हैं. यहां के कई जलप्रपात और गार्डन पर्यटकों को रांची की ओर बरबस खींचते रहे हैं.

हुंडरू फौल

रांची शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस फौल की खासीयत यह है कि इस में नदी का पानी 320 फुट की ऊंचाई से गिर कर मनोहारी दृश्य पेश करता है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर अनगड़ा के पास स्थित इस फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर (छोटी गाड़ी जिस में 10-12 लोग बैठ सकते हैं) के जरिए पहुंचा जा सकता है.

जोन्हा फौल (गौतम धारा)

यहां राढ़ू नदी 140 फुट ऊंचे पहाड़ से गिर कर फौल बनाती है. इस की खूबी यह है कि फौल और धारा के निकट पहुंचने के लिए 489 सीढि़यां बनी हुई हैं. सीढि़यों पर चढ़ते और उतरते समय सावधानी रखने की जरूरत होती है क्योंकि पानी से भीगे रहने की वजह से सीढि़यों

पर फिसलन होती है. रांचीपुरुलिया मार्ग पर स्थित यह फौल रांची शहर से 49 किलोमीटर दूर है और यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है.

दशम फौल

शहर से 46 किलोमीटर दूर स्थित यह फौल कांची नदी की कलकल करती धाराओं से बना है. यहां पर कांची नदी 144 फुट ऊंची पहाड़ी से गिर कर दिलकश नजारा प्रस्तुत करती है. प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस फौल के पानी में कभी भी उतरने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि पानी के नीचे खतरनाक नुकीली चट्टानें हैं. फौल के पास के पत्थर भी काफी चिकने हैं, इसलिए उन पर खास ध्यान दे कर चलने की जरूरत है. फौल तक कार, मोटरसाइकिल, बस या फिर यहां चलने वाली छोटी गाडि़यों के जरिए पहुंचा जा सकता है.

हिरणी फौल

यह फौल रांचीचाईबासा मार्ग पर है और रांची से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंचा जा सकता है. 120 फुट ऊंचे पहाड़ से गिरते पानी का संगीत पर्यटकों के दिलों के तारों को झंकृत कर देता है.

सीता फौल

यहां 280 फुट की ऊंचाई से गिरते पानी को देखने और कैमरे में कैद करने का अलग ही मजा है. यह फौल शहर से 44 किलोमीटर दूर रांचीपुरुलिया रोड पर स्थित है. यहां कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर के जरिए पहुंच सकते हैं. फौल के पानी में ज्यादा दूर तक जाना खतरे को न्यौता देना हो सकता है.

पंचघाघ

यहां पर एकसाथ और एक कतार में पहाड़ों से गिरते 5 फौल प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा नजारा पेश करते हैं. रांची से 40 किलोमीटर और खूंटी से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस फौल के पास हराभरा घना जंगल और बालू से भरा तट है जो पर्यटकों को दोहरा आनंद देता है. इस फौल तक पहुंचने के लिए कार, मोटरसाइकिल, बस, ट्रैकर आदि का सहारा लिया जा सकता है.

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान

यह उद्यान रांची से 16 किलोमीटर पूर्व में रांचीपटना मार्ग पर ओरमांझी के पास स्थित है. इस से 8 किलोमीटर की दूरी पर मूटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र भी है.

रौक गार्डन

कांके के रौक गार्डन में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाया जा सकता है. गार्डन का भूतबंगला बच्चों के बीच खूब लोकप्रिय है. यहां से कांके डैम का भी नजारा लिया जा सकता है.

टैगोर हिल

शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मोराबादी हिल, टैगोर हिल के नाम से मशहूर है. यह कवि रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़ी हुई है. रवींद्रनाथ को भी यहां की प्राकृतिक सुंदरता काफी लुभाती थी. सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा लेने के लिए पर्यटक यहां घंटों बिताते हैं.

इस के अलावा बिरसा मृग विहार, नक्षत्र वन, कांके डैम, सिद्धूकान्हू पार्क, रांची झील, रातूगढ़ आदि भी रांची के मशहूर पर्यटन स्थल हैं.

जमशेदपुर

टाटा स्टील की नगरी जमशेदपुर या टाटा नगर पूरी तरह से इंडस्ट्रियल टाउन है, पर यहां के कई पार्क, अभयारण्य और लेक पर्यटकों को अपनी ओर खींचते रहे हैं.

जुबली पार्क

238 एकड़ में फैले जुबली पार्क को टाटा स्टील के 50वें सालगिरह के मौके पर बनाया गया था. साल 1958 में बने इस पार्क को मशहूर वृंदावन पार्क की तरह डैवलप किया गया है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह है कि इस में गुलाब के 1 हजार से ज्यादा किस्मों के पौधे लगाए गए हैं, जो पार्क को दिलकश बनाने के साथसाथ खुशबुओं से सराबोर रखते हैं. इस में चिल्डे्रन पार्क और झूला पार्क भी बनाया गया है. झूला पार्क में तरहतरह के झूलों का आनंद लिया जा सकता है. रात में रंगबिरंगे पानी के फौआरे जुबली पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं.

दलमा वन्य अभयारण्य

दलमा वन्य अभयारण्य जमशेदपुर का खास प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य 193 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस में जंगली जानवरों को काफी नजदीक से देखने का खास इंतजाम किया गया है. हाथी, तेंदुआ, बाघ, हिरन से भरे इस अभयारण्य में दुर्लभ वन संपदा भरी पड़ी है. यह हाथियों की प्राकृतिक आश्रयस्थली है. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, खरसावां से ले कर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की बेल पहाड़ी तक इस का दायरा फैला हुआ है.

डिमना लेक

जमशेदपुर शहर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डिमना लेक के शांत और प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लिया जा सकता है. दलमा पहाड़ी की तलहटी में बसी इस लेक को देखने के लिए सब से ज्यादा पर्यटक दिसंबर और जनवरी के महीने में आते हैं.  इस के अलावा हुडको झील, दोराबजी टाटा पार्क, भाटिया पार्क, जेआरडी कौंप्लैक्स, कीनन स्टेडियम, चांडिल डैम आदि भी जमशेदपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

हजारीबाग

झारखंड के सब से खूबसूरत शहर हजारीबाग को ‘हजार बागों का शहर’ कहा जाता है. कहा जाता है कि कभी यहां 1 हजार बाग हुआ करते थे. झीलों और पहाडि़यों से घिरा यह खूबसूरत शहर समुद्र तल से 2019 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. रांची से 91 किलोमीटर की दूरी पर हजारीबाग नैशनल हाईवे-33 पर बसा हुआ है.

बेतला नैशनल पार्क

साल 1976 में बना यह नैशनल पार्क 183.89 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. इस नैशनल पार्क में जंगली सूअर, बाघ, तेंदुआ, भालू, चीतल, सांभर, कक्कड़, नीलगाय आदि जानवर भरे पड़े हैं. पार्क में घूमने और जंगली जानवरों को नजदीक से देखने के लिए वाच

टावर और गाडि़यों की व्यवस्था है. हजारीबाग शहर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पार्क की रांची शहर से दूरी 135 किलोमीटर है.

कनेरी हिल

यह वाच टावर हजारीबाग का मुख्य आकर्षण है. शहर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित कनेरी हिल से हजारीबाग का विहंगम नजारा लिया जा सकता है. सूर्यास्त और सूर्योदय के समय पर्यटक इस जगह से शहर की खूबसूरती को देखने आते हैं. इस वाच टावर के ऊपर पहुंचने के लिए 600 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं.

इस के अलावा रजरप्पा, सूरजकुंड, हजारीबाग सैंट्रल जेल, हजारीबाग लेक आदि कई दर्शनीय स्थल भी हैं.

नेतरहाट

छोटा नागपुर की रानी के नाम से मशहूर नेतरहाट से सूर्योदय और सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है

6.4 किलोमीटर लंबे और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई में फैले नेतरहाट पठार में क्रिस्टलीय चट्टानें हैं. समुद्र तल से 3514 फुट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट के पठार रांची शहर से 160 किलोमीटर की दूरी पर हैं. झारखंड के लातेहार जिले में स्थित नेतरहाट में घाघर और छोटा घाघरी फौल भी पर्यटकों को लुभाते हैं.

आप भी घर पर करती हैं वैक्स तो..

हाथ, पैर और पीठ के अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के लिए ज्यादातर महिलाएं वैक्स कराती हैं लेकिन कई औरतों के चेहरे पर भी काफी बाल होते हैं. बाल कम हों और उनकी ग्रोथ अधिक न हो तो उसे थ्रेड से निकाला जा सकता है लेकिन जब ग्रोथ बहुत अधिक हो तो वैक्स का इस्तेमाल करना पड़ता है.

चेहरे पर वैक्स कराना और शरीर के किसी और हिस्से पर वैक्स कराने में काफी अंतर है. चेहरे पर वैक्स कराने के दौरान अगर एक छोटी सी भी गलती हो जाए तो वह जिंदगी भर का दाग बन सकता है. ऐसे में चेहरे पर वैक्स कराने के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. चेहरे पर वैक्स करने से पहले जरूर जान लें ये बातें.

बालों का ग्रोथ

अगर आपके चेहरे पर मौजूद बालों की ग्रोथ बहुत अधिक है तो आपके लिए वैक्स कराना ही बेस्ट ऑप्शन रहेगा. थ्रेड से काफी दर्द होगा और बाल भी पूरी तरह से साफ नहीं हो सकेंगे.

वैक्स का सही चुनाव

चेहरे पर इस्तेमाल होने वाला वैक्स, दूसरे वैक्स से अलग होता है. यह बहुत स्मूद होता है ताकि स्किन छिले नहीं और जलन भी न हो. चेहरे पर मौजूद अनचाहे बालों को हटाने के लिए जिस वैक्स का इस्तेमाल किया जाता है उसमें एलोवेरा, शहद होता है ताकि त्वचा को कम से कम नुकसान हो. इसके साथ ही वैक्स ऐसा होना चाहिए जो लंबे समय तक टिके.

वैक्स करने का सही तरीका

कई लोग घर पर ही वैक्स करते हैं लेकिन चेहरे पर वैक्स करना इतना आसान नहीं है. चेहरे पर वैक्स करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपको अच्छी तरह वैक्स करना आता हो. वरना दुर्घटना हो सकती है. वैक्स का ताप, स्ट्रिप सब कुछ सही होना चाहिए.

स्किन टाइप

आपको अपना स्किन टाइप पता होना चाहिए. अगर आपकी स्किन बहुत सेंसटिव है तो बेहतर यही होग कि आप पहले किसी स्किन स्पेशलिस्ट से मिल लें. ऐसा न हो कि इतना दर्द सहने के बाद आपको इन्फेक्शन सहना पड़े.

त्वचा की देखभाल

वैक्स करने के बाद भी त्वचा की देखभाल करना जरूरी है. वैक्स करने के बाद कोई अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं. इसके साथ ही साबुन के बजाय चेहरा धोने के लिए फेस वॉश का इस्तेमाल करें.

गैजेट्स से यारी, स्वास्थ्य पर भारी

क्या आप भी अपना अधिकतर समय अपने मोबाइल के साथ बिताते हैं? तो आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल आप के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. इस से थकान, सिरदर्द, बेचैनी नींद न आना जैसी कई बीमारियां हो जाती हैं.

किशोरों की सुबह मोबाइल अलार्म से शुरू हो कर आईपैड व वीडियो गेम्स, कंप्यूटर और वीडियो चैट, मूवी, लैपटौप आदि के इर्दगिर्द गुजरती है. दिनभर वे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर बिजी रहते हैं. इन्हें नएनए गैजेट्स अपने जीवन में सब से अहम लगते हैं. इन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन अगर इन का उपयोग जरूरत से ज्यादा होने लगे तो यह एक संकेत है कि आप अपनी सेहत के साथ खुद ही खिलवाड़ कर रहे हैं.

कैलाश हौस्पिटल, नोएडा के डाक्टर संदीप सहाय का कहना है कि देर रात तक स्मार्टफोन, टैब या लैपटौप का इस्तेमाल करने से नींद पर असर पड़ सकता है. इस से न सिर्फ गहरी नींद में खलल पड़ेगा बल्कि अगली सुबह थकावट का एहसास भी होगा. यदि हम एकदो रात अच्छी तरह से न सोएं तो थकावट का एहसास होने लगता है और चुस्ती कम हो जाती है. यह बात सही है कि इस से हमें शारीरिक या मानसिक तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि कईर् रातों तक नींद उड़ी रहे तो न सिर्फ शरीर पर थकान हावी रहेगी बल्कि एकाग्रता और सोचने की क्षमता पर भी असर पड़ेगा. लंबे समय में इस से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं.

गरदन में दर्द : लैपटौप में स्क्रीन और कीबोर्ड काफी नजदीक होते हैं. इस कारण इस पर काम करने वाले को झुकना पड़ता है. इसे गोद में रख कर इस्तेमाल करने पर गरदन को झुकाने की आवश्यकता पड़ती है. इस से गरदन में खिंचाव पैदा होता है, जिस से दर्द होता है. कभी कभी तो डिस्क भी अपनी जगह से खिसक जाती है. लैपटौप पर ज्यादा समय तक काम करने से शरीर का पौश्चर बिगड़ जाता है. लैपटौप में कीबोर्ड कम जगह में बनाया जाता है. इसलिए इस में उंगलियों को अलग स्थितियों में काम करना पड़ता है. इस से उंगलियों में दर्द होता है. चमकती स्क्रीन देखने पर आंखों में चुभन हो सकती है. आंखें लाल होना, उन में खुजली होना और धुंधला दिखाई देना सामान्य समस्याएं हैं.

स्पाइन, नर्व व मांसपेशियों में दिक्कत : दिन का अधिकतर समय लैपटौप पर बिताने से स्पाइन मुड़ जाती है. इस से स्प्रिंग की तरह काम करने की गरदन की जो कार्यप्रणाली है वह भी प्रभावित होती है. इस से तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त भी हो सकती हैं. अधिकतर लोग लैपटौप को पैरों पर रख कर काम करते हैं. इस से भी मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है.

ज्यादा टीवी देखना भी है हानिकारक : ब्रिटिश जर्नल औफ मैडिसन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार 25 या उस से अधिक उम्र के लोगों द्वारा हर घंटे देखे गए टीवी से उन का जीवनकाल 22 सैकंड कम हो जाता है. हर भारतीय एक सप्ताह में औसतन 15-20 घंटे टीवी देखता है. कई शोधों से यह बात भी सामने आई है कि हर घंटे देखे गए टीवी से उन का जीवनकाल 22 सैकंड कम हो जाता है. रोज 2 घंटे टीवी केसामने बिताने से टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा 20त्न बढ़ जाता है.

पढ़ाई से ध्यान हटना :  जो युवा अपना अधिकतर समय कंप्यूटर व गैजेट्स के सामने बिताते हैं उन की पढ़ने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है और धीरेधीरे उन का मन पढ़ाई में कम और गैजेट्स में ज्यादा लगने लगता है. उन को घंटों बैठ कर पढ़ाई करने से ज्यादा अच्छा गेम खेलना लगता है. वे अगर किताबें ले कर बैठ भी जाते हैं तो भी उन का सारा ध्यान कंप्यूटर पर ही टिका रहता है, जो उन की पर्सनैलिटी को नैगेटिव बनाने के साथसाथ उन का कैरियर तक चौपट कर देता है.

असामाजिक होना : वर्चुअल दुनिया का साथ मिलने पर युवा अकसर असामाजिक होने लगते हैं, क्योंकि वे उस दुनिया में अपनी मनमानी करते हैं. वहां उन्हें कोई रोकने वाला नहीं होता है.

लड़कों में नपुंसकता बढ़ती है : देश की प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में किए जा रहे अध्ययन से पता चला है कि मोबाइल फोन और उस के टावर्स से निकलने वाली रेडिएशन पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर असर डालने के अलावा शरीर की कोशिकाओं के डिफैंस मैकेनिज्म को नुकसान पहुंचाती हैं.

क्यों होता है सेहत को नुकसान : एक शोध के अनुसार इलैक्ट्रौनिक उपकरणों के प्रयोग से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. ये उपकरण इलैक्ट्रोमैग्नैटिक रेडिएशन छोड़ते हैं, जिन में मोबाइल फोन, लैपटौप, टैबलेर्ट्स वाईफाई वायरलैस उपकरण शामिल हैं.

शोध के मुताबिक वायरलैस उपकरणों के ज्यादा उपयोग से इलैक्ट्रोमैग्नैटिक हाईपरसैंसेटिविटी की शिकायत हो जाती है, जिसे गैजेट एलर्जी भी कहा जा सकता है.

डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मोबाइल फोन की रेडियो फ्रीक्वैंसी फील्ड शरीर के ऊतकों को प्रभावित करती है. हालांकि शरीर का ऐनर्जी कंट्रोल मैकेनिज्म आरएफ ऐनर्जी के कारण पैदा गरमी को बाहर निकालता है, पर शोध साबित करते हैं कि यह फालतू ऐनर्जी ही अनेक बीमारियों की जड़ है. हम जिस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं उस के नुकसान को अनदेखा करते हैं. मोबाइल फोन, लैपटौप, एयरकंडीशनर, ब्लूटूथ, कंप्यूटर, एमपी3 प्लेयर आदि की रेडिएशंस से नुकसान होता है.

ईएनटी विशेषज्ञ का कहना है कि नुकसान करने वाली रेडिएशंस हमारे स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ करती हैं और हमारी कार्यक्षमता को कम करती हैं. हम पूरे दिन लगभग 500 बार इलैक्ट्रोमैग्नैटिक रेडिएशंस से प्रभावित होते हैं. ये हमारी एकाग्रता को प्रभावित करती हैं. हमें चिड़चिड़ा बनाती हैं और थके होने का एहसास कराती हैं. हमारी स्मरणशक्ति को कमजोर करती हैं, प्रतिरोधक क्षमता को कम करती हैं और सिरदर्द जैसी समस्या पैदा करती हैं.

यही स्थिति मोबाइल की भी है अधिकांश लोग कम से कम 30 मिनट तक मोबाइल पर बात करते हैं. इस तरह एक साल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले को 11 हजार मिनट का रेडिएशन ऐक्सपोजर का सामना करना पड़ता है. मोबाइल फोन के रेडिएशन के खतरे बढ़ते जा रहे हैं.

क्या कहती है रिसर्च

एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो किशोर कंप्यूटर या टीवी के सामने ज्यादा वक्त बिताते हैं उन किशोरों की हड्डियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिस की वजह से वे गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ रहे हैं. नौर्वे में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि किशोरों में हड्डियों की समस्या बढ़ती जा रही है, जिस की वजह कंप्यूटर पर देर तक बैठ कर काम करना है.

अमेरिकन एकैडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने कंप्यूटर के इस्तेमाल का समय भी बताया. आर्कटिक विश्वविद्यालय औफ नौर्वे की एनी विंथर ने स्थानीय जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित कराई है, जिस में कंप्यूटर के सामने बैठने की वजह से शारीरिक नुकसान का आकलन किया गया है. इस रिपोर्ट के साथ ही अमेरिकन एकैडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने किशोरों के लिए कंप्यूटर के इस्तेमाल का समय भी बताया है.

मोबाइल फोन, लैपटौप आदि के ज्यादा इस्तेमाल से आप की उम्र तेजी से बढ़ रही है, जिस से आप जल्दी बूढ़े हो सकते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक इस स्थिति को टैकनैक कहते हैं. इस में इंसान की त्वचा ढीली हो जाती है. गाल लटक जाते हैं और झुर्रियां पड़ जाती हैं. इन सब के कारण इंसान का चेहरा उम्र से पहले ही बूढ़ा लगने लगता है. इस के अलावा आंखों के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं और गरदन व माथे पर उम्र से पहले ही गहरी लकीरें दिखने लगती हैं.

मुंबई के फोर्टिस हौस्पिटल के कौस्मैटिक सर्जन विनोद विज ने बताया कि मोबाइल फोन का लंबे वक्त तक झुक कर इस्तेमाल करने से गरदन, पीठ और कंधे का दर्द हो सकता है. इस के अलावा सिरदर्द, सुन्न, ऊपरी अंग में झुनझुनी के साथ आप को हाथ, बांह, कुहनी और कलाई में दर्द हो सकता है.

ऐसे बचें गैजेट्स की लत से

इंटरनैट और मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारत में 37 करोड़ 10 लाख मोबाइल इंटरनैट यूजर्स होने का अनुमान है, जिन में 40 फीसदी मोबाइल इंटरनैट यूजर्स 19 से 30 वर्ष के हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने के लिए कई बार आगे की ओर झुकने से रीढ़ की हड्डी, मांसपेशियों और हड्डियों की प्रकृति में बदलाव होने लगता है.

कौस्मैटिक सर्जरी इंस्टिट्यूट के सीनियर कौस्मैटिक सर्जन मोहन थामस कहते हैं कि लोगों को अभी इस बात का एहसास नहीं है कि उन की त्वचा गरदन और रीढ़ की हड्डी को कितना नुकसान पहुंच रहा है. तकनीक के इस्तेमाल के आदी लोगों को इलैक्ट्रौनिक गैजेट्स की लत से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण गरदन की मांसपेशियां छोटी हो जाती हैं. इस के अलावा त्वचा का गुरुत्वाकर्षणीय खिंचाव भी बढ़ जाता है. इस के कारण त्वचा का ढीलापन, दोहरी ठुड्डी और जबड़ों के लटकने की समस्या हो जाती है.

फ्रांस में अदालत का खटखटाया दरवाजा

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के नए आंकड़ों के मुताबिक भारत की 125 करोड़ की आबादी के पास 98 करोड़ मोबाइल कनैक्शन हैं. हाल ही में फ्रांस की एक अदालत ने इएचएस से पीडि़त एक महिला को विकलांगता भत्ता दे कर वाईफाई और इंटरनैट की पहुंच से दूर शहर छोड़ गांव में रहने का आदेश दिया. हालांकि ऐसा मामला अब तक भारत में नहीं आया, लेकिन अगर आप को भी शारीरिक कमजोरी हो तो डाक्टर को दिखाने के साथसाथ आप भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

वाईन की बोतल का ऐसे करें रियूज

अपनी वाईन की पुरानी बोतलों को अटाले में नहीं दें. इन्हें बचाकर रखें. कुछ बॉटल क्राफ्ट आइडियाज को यूज करके इन बोतलों से आप घर की सजावट भी कर सकती हैं.

थोड़ा क्रिएटिव हो जाएं. किसी फ्रेंड को गिफ्ट देना हो या अपने ही घर के लिए डेकोरेटिव पीस बनाना हो या फिर हॉलिडे डेकोरेशन के लिए कुछ नया चाहिए हो तो अपनी खाली वाईन बोतलों का इस तरह से बेहतरीन इस्तेमाल किया जा सकता है.

बोतल लाइट

त्यौहारों पर बाजार के लाइट या कंदील से बोर हो गए हों तो कुछ नया करें. अपनी खाली वाईन की बोतलें स्टोर रूम में से बाहर लाएं और इनमें एलईडी लाईट लगाकर अपने कमरे में या लिविंग रूम में बॉटल लाइटिंग से रौशनी करें. कमरे को नया लुक मिलेगा और आपकी क्रिएटिविटी की तारीफ भी होगी.

कुछ कोजी

ठंड के इस मौसम में सब कुछ कोजी ही अच्छा लगता है फिर चाहे वो फूलदान ही क्यों न हो. अपने फ्रेश फ्लावर्स को ठंड के मौसम में अलग ही लुक दें. कोजी लुक दें. वाइन की बॉटल्स पर कॉटन की रस्सी या जूट की रस्सी लपेटें और पूरी तरह से ढंक दें. यहां कलरफुल यार्न भी यूज किया जा सकता है. क्योंकि सीजन ठंड का है तो डार्क और वॉर्म कलर का यार्न अच्छा लगेगा. ओकेजन और सीजन के अनुसार ही डेकोरेट करें.

बाथरूम सप्लाइज

अपने बोरिंग बाथरूम सप्लाइज भी बदल कर देखें. सबसे पहले शुरुआत करें सोप डिस्पेंसर्स के साथ. बाथरूम को केवल कुछ सिम्पल आइटम्स के साथ आसानी से कस्टमाइज किया जा सकता है.

वाइल्ड-लाइफ

आपकी खाली वाईन की बोतल न केवल ख्याल रखती है बल्कि ये आपकी लोकल वाइल्ड-लाइफ के बेहद काम आएगी. बर्ड फीडर बनाने के लिए इन वाइन की बॉटल्स से बेहतर क्या मिलेगा. कुछ करने की जरूरत नहीं है. साफ बॉटल को उठाकर उसमे फीड भरने तक की ही देर है और देखते ही देखते आपके आंगन में नन्हे मेहमानों की चहचहाने की आवाजें शुरू हो जाएंगी.

कैसे बचें लिपस्टिक ब्लंडर्स से

होंठों की सुंदरता बढ़ाने में लिपस्टिक का खास महत्त्व होता है. मगर कई महिलाएं लिपस्टिक का सही चुनाव नहीं कर पातीं, जिस का प्रभाव उन के लुक्स पर भी पड़ता है. खासतौर पर गर्मी के मौसम में लिपस्टिक के चुनाव में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, नहीं तो पूरा लुक बिगड़ सकता है. ब्यूटीशियन मीनू अरोड़ा कहती हैं, ‘‘गर्मी के मौसम में महिलाएं कपड़ों में कूलिंग इफैक्ट देने वाले रंग ढूंढ़ती हैं. ठीक उसी तरह लिपस्टिक के शेड्स और फिनिश भी मौसम के अनुकूल होनी चाहिए.

महिलाओं को अपनी स्किन टोन का भी ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि लिपस्टिक का शेड स्किन टोन को उभारता है. इस मौसम में ग्लौसी की जगह मैट फिनिश वाली लिपस्टिक का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह लाइट और सोबर लुक देती है.’’

किस स्किन टोन पर कौन सा रंग स्किन टोन पहचानने का सब से अच्छा तरीका होता है कि कलाई पर उभरी हुई नसों का रंग देख लिया जाए. यदि नसों का रंग नीला है तो यह कूल स्किन टोन का प्रतीक है और यदि नसों का रंग हरा है स्किन टोन वार्म होती है. मीनू बताती हैं कि कूल स्किन टोन वाली महिलाओं का रंग पेल व्हाइट और व्हाइट होता है जबकि वार्म स्किन टोन वाली महिलाएं व्हीटिश, डस्की और डीप डार्क होती हैं. हर रंग की त्वचा पर अलग रंग की लिपस्टिक अच्छी लगती है. जैसे :

1. गोरी या बहुत गोरी त्वचा (व्हाइट और पेल व्हाइट) पर पिंक, कोरल, न्यूड और बेज रंग इस मौसम में बहुत अच्छे लगते हैं.

2. व्हीटिश यानी गेंहुए रंग वाली महिलाओं पर रोज रैड, मोव और बेरी शेड्स की लिपस्टिक बहुत अच्छी लगती है. इस रंग की महिलाओं पर कौपर और ब्रौंज कलर की लिपस्टिक भी बहुत जंचती है.

3. यदि त्वचा का रंग सांवला है तो कभी भी ब्राउन और पर्पल फैमिली के लिप शेड्स का इस्तेमाल न करें. इस रंग पर औरेंज फैमिली के शेड्स काफी अच्छे लगते हैं.

4. गहरे सांवले रंग की महिलाएं ब्राउन, प्लम और वाइन कलर की लिपस्टिक में खूब जंचती हैं. 

लिपस्टिक खरीदते वक्त ध्यान रखें

त्वचा के रंग के आधार पर लिपस्टिक खरीदते वक्त कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. मीनू कहती हैं, ‘‘कई महिलाएं चार्ट या ऊपर से लिपस्टिक का रंग देख कर लिपस्टिक खरीद लेती हैं, मगर यह सही तरीका नहीं है. हर ब्रांड में एक ही लिपस्टिक के 2-3 कलर टोन आते हैं और यह होंठों के रंग पर निर्भर करता है की कौन सा कलर टोन अच्छा लगेगा. इसलिए हमेशा लिपस्टिक ट्राए कर के

ही लें.’’

निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखें :

1. निचले होंठ के रंग से 2 शेड गहरी लिपस्टिक ही खरीदें. रंग जांचने के लिए लिपस्टिक को निचले होंठ पर लगाएं और ऊपर वाले होंठ के रंग की गहराई से परखें. रंग की गहराई समान होने पर ही लिपस्टिक खरीदें.

2. लिपस्टिक का सही कलर इफैक्ट देखने के लिए बिना मेकअप ओरिजनल स्किन टोन पर लिपस्टिक लगा कर देखें.

3. यदि एक साथ कई लिपस्टिक शेड खरीद रही हैं, तो पहले शेड को होंठों से साफ करने के बाद ही दूसरा ट्राए करें.

मैटी फिनिश के लिए होठों को करें तैयार

गर्मी के मौसम में मैट फिनिश वाली लिपस्टिक सब से अच्छा विकल्प है क्योंकि यह लिपस्टिक गर्मी में पिघल कर फैलती नहीं है. मीनू कहती हैं, ‘‘मैट फिनिश की लिपस्टिक बेहद शालीन लुक देती है मगर इसे लगाने के कुछ नियम होते हैं, जिन के अनुसार इस का इस्तेमाल न किया जाए तो लुक बिगड़ भी सकता है.’’

यह नियम निम्नलिखित हैं :

1. फटे हुए होंठों पर कभी भी मैट फिनिश वाली लिपस्टिक नहीं लगानी चाहिए. यदि होंठ फटे हैं, तो पहले उन्हें स्क्रब कर के ऐक्सफोलिएट कर लें.

2. मैट फिनिश वाली लिपस्टिक होंठों को रूखा कर देती है इसलिए लगाने से पहले होंठों पर बेबी औयल से मसाज कर लेनी चाहिए ताकि होंठों में नमी बनी रहे और होंठों पर दरारें न दिखें.

3. मैट लिपस्टिक का अच्छा इफैक्ट देखने के लिए होंठों पर पहले कंसीलर लगाएं. इस से लिपस्टिक का रंग उभर कर आता है.

4. मैट लिपस्टिक के हमेशा 2 कोट होंठों पर लगाएं और कभी भी होंठों को रब न करें.

5. मैट लिपस्टिक लगाने से पहले होंठों को लिप लाइनर से शेप जरूर दें. दरअसल ग्लौसी लिपस्टिक की तरह मैट लिपस्टिक अपने आप होंठों पर नहीं फैलती इसलिए लिप लाइनर की आउटलाइन के सहारे पूरे होंठों पर लिपस्टिक लगानी चाहिए.

न करें यह गलतियां…

1. ड्रैस के कलर को कॉम्प्लिमैंट करने वाला लिप शेड लगाएं न की ड्रैस के रंग से मैच करता हुआ. यह ड्रैस और मेकअप दोनों का ही लुक बिगाड़ देता है.

2. पतले होंठों पर कभी भी गहरे रंग की लिपस्टिक न लगाएं, होंठ और भी पतले लगेंगे.

3. यदि आंखों पर हैवी मेकअप है तो होंठों को ड्रामैटिक लुक देने से बचें.

फिर खलनायिका बनीं सारा अरफीन खान

सारा अरफीन खान हमेशा खलनायिका के ही किरदार में नजर आती हैं. फिर चाहे वह सीरियल ‘जमाई राजा’ हो अथवा ‘सिया के राम’. सीरियल ‘सिया के राम’ में उन्होंने रावण की बहन सूर्पणखा का किरदार निभाया था. बहरहाल, अब सारा अरफीन खान एक बार फिर सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के नए सीरियल ‘लव का है इंतजार’ में खलनायिका के किरदार में नजर आएंगी. जिसे सारा अरफीन ग्रे शेड्स वाला किरदार मानती हैं.

वह कहती हैं, ‘‘सिद्धार्थ पी मल्होत्रा के साथ मैं पहले भी एक सीरियल ‘जिंदगी विन्स’ कर चुकी हूं. इसलिए मुझे पता है कि वह अर्थपूर्ण कार्यक्रम बनाते हैं. मुझे उन पर पूरा यकीन है. इस सीरियल में कीथ सिक्वेरा और संजीदा शेख हैं, मगर कहानी इस तरह की है कि मेरे किरदार के बिना यह कहानी आगे बढ़ ही नहीं सकती. क्योंकि यह ऐसी कहानी है, जिसमें खलनायक ही कहानी में रोचकता पैदा करता है. मैं इस सीरियल में विजयलक्ष्मी का किरदार निभा रही हूं, जिसकी प्राथमिकता उसका पति और उसका अपना परिवार है. यह पहला मौका है जब मैं किसी किरदार को निभाते हुए साड़ी पहने नजर आउंगी.’’

बार बार खलनायिका के ही किरदार निभाने की चर्चा चलाने पर सारा अरफीन खान ने कहा, ‘‘मुझे इस तरह के निगेटिव किरदारों में हमेशा जबरदस्त लोकप्रियता मिलती आयी है. इसलिए मुझे इस तरह के किरदार निभाने से परहेज नहीं. यूं तो निगेटिव किरदार निभाने का निजी जिंदगी पर असर पड़ता है. मगर मैं खुद मनोविज्ञान पढ़ाती हूं, इसलिए मैं इस तरह के किरदार का असर अपनी जिंदगी पर नहीं पड़ने देती. मैं काम को घर पर नहीं ले जाती. शूटिंग खत्म होते ही सब कुछ भूल जाती हूं’’.

ये वीडियो 10 लाख लोग देख चुके हैं, आप भी देखें

सोशल मीडिया आज की दुनिया में लोगों की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बन गया है. अपनी फीलिंग को शेयर करना, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा, सरकार की बुराई और बड़ाई, जवलंत मुद्दों पर चर्चा से आगे बढ़ कर अब एक दूसरे का मजाक उड़ाने के साथ-साथ अब घटनाओं का वीडियो अपलोड करना भी शुरू हो गया है. कई बार लोगों की निजी लाइफ के वीडियो लोगों को इतने पसंद आते हैं कि उसे लाखों करोड़ो लोग देखते है. ऐसा ही एक वीडियो आजकल वायरल हो रहा है.

लोगों के बीच मार-पिटाई के वीडियो तो आपने कई देखे होंगे लेकिन इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लड़कियां एक टॉयलेट में मारपीट करती नजर आ रही हैं. इस वीडियो को फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया. अब तक इस वीडियो को 10 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

फिलहाल यह तो पता नहीं चल पाया कि यह वीडियो कब और कहां का है लेकिन लोग इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं. फेसबुक पर यूजर्स ने मजेदार कमेंट्स किए, एक ने लिखा कि बाहुबली-3, लगे रहो लड़कियों. इस वीडियो पर लोगों के कमेन्ट देख के आप अपनी हंसी नही रोक पाएंगे.

आप भी देखिए ये वीडियो…

रब ने नहीं फिल्मों ने बना दी जोड़ी

ये बात तो हर कोई जानता है और ये बात सच भी है कि प्यार के बारे में हमें आधी बातें फिल्मों से पता चलती हैं और अपनी जिन्दगी में प्यार करते वक्त हम ख़ुद को किसी फिल्मी हीरो या हीरोइन से कम नहीं समझते हैं.

ऐसे में दिमाग में कई बार ये सवाल आता है कि जब इन सितारों को प्यार होता होगा, तब कैसा होता होगा? वैसे बॉलीवुड के कई कपल्स ऐसे थे, जिनके प्यार की शुरुआत बस स्टैंड या ऑफिस में नहीं, बल्कि फिल्मों के सेट पर ही हुई थी.

आईये हम आपको बताते हैं कि किन फिल्मी जोड़ियों के प्यार की शुरुआत, फिल्मों के सेट से हुई और वे किन फिल्मों की शूटिंग करते वक्त एक दूसरे के दीवाने हो गए.

अभिषेक बच्चन – ऐश्वर्या राय

फिल्म : गुरु

दुनिया को अभी भी याद है ऐश्वर्या-अभिषेक की शादी. करिश्मा कपूर से रिश्ते आगे न बढ़ने के बाद, अभिषेक ‘बंटी और बबली’ के गाने ‘कजरारे’ की शूटिंग के दौरान ऐश्वर्या के क़रीब आये. उनका प्यार परवान चढ़ा, मणि रत्नम की फिल्म ‘गुरु’ की शूटिंग के दौरान. ऐश्वर्या को जूनियर बी का सेंस ऑफ़ ह्यूमर ज़रूर पसंद आया होगा.

2. सैफ – करीना

फिल्म – टशन

करीना और शाहिद का रिलेशनशिप हाई स्कूल लव स्टोरी की तरह एंड हुआ था. करीना को सैफ़ में Mature और समझदार पार्टनर दिखा. दोनों की नज़दीकियां बढ़ीं ‘टशन’ फिल्म के दौरान. उसके बाद ही उनके रिलेशनशिप के चर्चे बॉलीवुड के गलियारों में फैल गए.

3. रणबीर कपूर – कटरीना कैफ

फिल्म: अजब प्रेम की गजब कहानी

इन दोनों के रिलेशनशिप का ख़ुलासा हुआ था स्पेन के बीच पर छुट्टी मानते रणबीर-कटरीना की फ़ोटो के साथ. तब से अभी तक दोनों का रिलेशनशिप ऑन-ऑफ चलता रहा है. किसी को नहीं पता कि ये रिलेशनशिप में हैं भी या नही!

4. रणवीर सिंह – अनुष्का शर्मा

फिल्म : बैंड, बाजा, बारात

रणवीर सिंह और अनुष्का शर्मा यूं तो अब अलग-अलग कपल हैं, लेकिन कभी ये भी कपल हुआ करते थे. रणवीर सिंह और अनुष्का करीब आये थे अपनी फिल्म बैंड, बाजा, बारात से. वैसे फिल्म में इनकी केमिस्ट्री ने आग लगा दी थी और फिल्म के बाहर इनके रिलेशनशिप ने. हालांकि ये रिश्ता ज्यादा दिन चला नहीं.

5. अजय देवगन – काजोल

फिल्म: प्यार तो होना ही था

राहुल-अंजलि की जोड़ी भले ही बेस्ट जोड़ी थी, लेकिन काजोल ने अपने रियल लाइफ ‘राहुल’ के लिए चुना अजय देवगन को. इन दोनों के प्यार की शुरुआत हुई, ‘प्यार तो होना ही था’ के सेट पर. कमाल है, फिल्म का नाम भी सही था!

6. रितेश देशमुख – जेनेलिया

फिल्म : तुझे मेरी कसम

अपनी पहली ही फिल्म में ये दोनों न्यूकमर्स एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए. दोनों ने बाद में भी कुछ और फिल्में भी साथ में की, जिन्होंने दोनों को और पास आने का मौका दिया. दोनों ने साल 2012 में शादी भी कर ली. इन्हें बॉलीवुड के सबसे क्यूट कपल का खिताब भी मिला हुआ है.

7. ट्विंकल खन्ना – अक्षय कुमार

फिल्म : इंटरनेशनल खिलाड़ी

वैसे तो इस फिल्म में अक्षय और रेखा के अफेयर के चर्चे भी खूब चले थे, लेकिन कहते हैं कि इसी फिल्म के बाद ट्विंकल खन्ना ने अपनी फ्रेंड शिल्पा शेट्टी के बॉयफ्रेंड अक्षय कुमार को पसंद कर लिया था. दोनों का अफेयर इसी समय शुरू हुआ था, हालांकि तब अक्षय शिल्पा को डेट कर रहे थे.

8. रणवीर सिंह – दीपिका पदुकोण

फिल्म : रामलीला

ये दोनों इस वक़्त के बेस्ट कपल के रूप में जाने जाते हैं. रणवीर जितने मस्तमौला हैं, दीपिका उतनी ही सहज. दोनों के प्यार की शुरुआत सने लीला भंसाली की फिल्म ‘रामलीला’ के सेट पर हुई. ये प्यार इनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री में भी दिखा.

9. अनुष्का – विराट

एक कमर्शियल

विराट-अनुष्का की जोड़ी में विराट बॉलीवुड से नहीं हैं, तो क्या हुआ. उनके प्रशंसक भी किसी स्टार से कम नहीं. इन दोनों के प्यार की शुरुआत हुई थी एक शैम्पू के ऐड शूट के दौरान.

गामा पहलवान की जिंदगी पर टीवी शो बनाएंगे सलमान

बायोपिक के इस दौर में जब लगातार महान हस्तियों पर फिल्में बन रही है, ऐसे में सलमान खान ने भी गामा पहलवान पर एक बायोपिक बनाने का फैसला किया है. लेकिन सलमान कोई फिल्म नहीं बल्कि छोटे पर्दे के लिए एक शो बनाने जा रहे हैं. यह छोटे पर्दे के लिए एक नए तरह की बॅायोपिक होगी. वैसे इससे पहले महाराणा प्रताप और अशोक जैसे ऐतिहासिक किरदारों पर बायोपिक बन चुकी हैं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद भी किया है. अभी सोनी चैनल पर बाजीराव की बायोपिक भी प्रसारित हो रहा है.

खबरों की मानें तो सलमान खान पहले गामा पहलवान पर फिल्म बनाना चाहते थें लेकिन जब उन्हें पता चला कि जॅान अब्राहम भी इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का फैसला कर चुके हैं तो सलमान ने अपना प्रोजेक्ट रोक लिया.

गामा पहलवान को दुनिया में अजेय पहलवान के रूप में जाना जाता है. गामा एक पहलवान परिवार से ही जुड़े हुए थे और मात्र 10 साल में उन्होंनें पहलवानी करियर की शुरूआत कर दी थी. गामा ने मात्र 17 साल की उम्र में पाकिस्तानी पहलवान रहीम बख्श सुल्तानी बाबा नाम के साथ ड्रा खेलकर चौंका दिया था. बाद में गामा ने दोबारा मुकाबला होने पर सुल्तानी  बाबा को पटखनी भी दी. गामा ने अपने समय के सभी महान पहलवानों चाहें वो स्टाइन्सलास जेब्सजाइको हों या अमेरिका के बेंजामिन रोलर, मौरिस डियाज बेल्जियम के जॅान लेम स्विट्जरलैंड के सभी को हराया था.

सूत्र के अनुसार सलमान के प्रोडक्शन हाऊस ने छोटे पर्दे के लिए गामा के जीवन पर एक सीरियल बनाने का फैसला किया है. इसकी शूटिंग विभाजन के समय गामा के गांव रहे अमृतसर में होगी.

सलमान इससे पहले सुल्तान में एक पहलवान की भूमिका में दिख चुके हैं और समय समय पर कुश्ती को लेकर अपने प्रेम को जताते रहते हैं.

गुलाम मोहम्मद उर्फ ‘द ग्रेट गामा’ एक दिन में हजार दण्डबैठक लगाते थें. उनकी डायट में छह देशी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का टॉनिक होता था. इनके जैसा पहलवान भारत को दुबारा नहीं मिल सका है.

10 साल की उम्र में महारथियों को चटाई धूल

पंजाब के अमृतसर में 1878 में जन्में गुलाम ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन वह करीम बक्श जैसे महान पहलवान को भी पटखनी दे देंगे और दुनिया के महारथी बन जाएंगे. पहलवान पिता मोहम्मद अजीज बक्श की मौत के बाद दतिया के महाराज ने गामा को पेशेवर पहलवान बनाने के लिए अपने पास रख लिया. पहलवानी के गुर सीखते हुए गामा ने महज 10 साल की उम्र में ही कई महारथियों को धूल चटा दी.

इस मैच से हुए मशहूर

गामा युवावस्था में थे और उनके सामने आने वाला हर पहलवान धूल चाट लौटता था. 1895 में उनका सामना देश के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ. गामा ने रहीम से बराबर की कुश्ती लड़ी और आखिरकार मैच ड्रॉ हुआ. इस लड़ाई के बाद गामा पूरे देश में मशहूर हो गए.

पहलवान, जिन्हें नहीं मिली हार

साल-दर-साल गामा की ख्याति बढ़ती रही और वह देश के अजेय पहलवान बन गए. गामा ने 1898 से लेकर 1907 के बीच दतिया के गुलाम मोहिउद्दीन, भोपाल के प्रताब सिंह, इंदौर के अली बाबा सेन और मुल्तान के हसन बक्श जैसे नामी पहलवानों को लगातार हराया. 1910 में एक बार फिर गामा का सामना रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ. एक बार फिर मैच ड्रॉ रहा. अब गामा देश के अकेले ऐसे पहलवान बन चुके थे, जिसे कोई हरा नहीं पाया था.

विदेशी पहलवानों के भी धूल चटाई

भारत में अजेय होने के बाद गामा ब्रिटेन गए. वहां उन्होंने विदेशी पहलवानों को धूल चटाने का मन बनाया लेकिन लंबाई कम होने की वजह से उन्हें वेस्टर्न फाइटिंग में शामिल नहीं किया गया. इसके बाद, गामा ने वहां के सभी पहलवानों को खुली चुनौती दी लेकिन लोगों ने इसे मार्केटिंग की चाल समझकर तवज्जो नहीं दी. आखिरकार, गामा ने वहां के सबसे बड़े पहलवानों स्टैनिसलॉस जबिश्को और फ्रैंक गॉच को चुनौती दे डाली.

पहले हेवी वेट चैंपियन

चैंपियन स्टैनिसलॉस जबिश्को ने चुनौती स्वीकार कर ली और 10 सितंबर 1910 को फाइट हुई. गामा ने जबिश्को को पहले ही मिनट में जमीन पर पटक दिया. 2 घंटे 35 मिनट तक मैच चला, लेकिन उसे ड्रॉ करार दे दिया गया. मैच दुबारा 19 सितंबर को हुआ और जबिश्को मैच में आने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए. इस तरह, गामा वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियन बनने वाले भारत के पहले पहलवान बन गए. यह खिताब रुस्तम-ए-जमां के बराबर था.

1927 में आखिरी फाइट

1911 में गामा का सामना फिर रहीम बक्श से हुआ. इस बार रहीम को गामा ने चित कर दिया. इसके बाद, 1927 में गामा ने आखिरी फाइट लड़ी. उन्होंने स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन को हराकर खामोशी से इस खेल को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. दिलचस्प बात यह रही कि 50 साल के करियर में गामा को कोई हरा ही नहीं सका.

नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स म्यूजियम में मिली जगह

1947 में बंटवारे के बाद गामा पाकिस्तान में बस गए और वहीं लंबी बीमारी झेलते हुए 1963 में उनकी मौत हो गई. जिस भार से गामा पहलवान वर्जिश किया करते थे, उस 95 किलो के भार को पटियाला के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स म्यूजियम में आज भी सुरक्षित रखा गया है.

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