स्टार्स के फैमिली मेंबर्स भी रहें हैं एक्टर

बॉलीवुड ऐसी जगह है जहां अभिनेताओं की बहुत सी पीढ़ियां यहां काम कर लेती हैं. बॉलीवुड में ऐसे बहुत से स्टार्स हैं, जिनके फैमिली मेंबर्स भी फिल्मों में एक्टिंग करते थे.  

रोहित शेट्टी और एमबी शेट्टी

बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर हैं रोहित शेट्टी के पिता भी फिल्मों में एक्टिंग कर चुके हैं. उनके पिता का नाम एमबी शेट्टी है, जिन्होंने गुजरे जमाने की फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया है. एमबी शेट्टी ने ‘यादों की बारात’ (1973), ‘डॉन’ (1978), ‘त्रिशूल’ (1978), ‘फकीरा’ (1976), ‘कालीचरण'(1976), ‘शंकर दादा'(1976) सहित अन्य फिल्मों में अभिनय किया है.

हालांकि, एमबी शेट्टी अब दुनिया में नहीं है. उनका निधन 23 जनवरी, 1982 को हुआ था. बता दें कि रोहित ‘गोलमाल’ सीरिज की फिल्म ‘गोलमाल अगेन’ लेकर आ रहे हैं. ये फिल्म इसी साल अक्टूबर में रिलीज होगी.

किरण कुमार और जीवन

किरण कुमार के पिता जीवन भी फेमस विलेन थे. जीवन ने ‘सुहाग’ (1979), ‘नसीब’ (1981), ‘चाचा भतीजा’ (1977), ‘जॉनी मेरा नाम’ (1970) और ‘धरम-वीर’ (1977) सहित कई फिल्मों में काम किया है. वहीं, किरण कुमार ने भी फिल्मों में अलग-अलग किरदार अदा किए हैं.

किरण कुमार ने ‘लव इन शिमला’ (1960), ‘आजाद मोहब्बत’ (1974), ‘पंडित और पठान’ (1977), ‘कालिया’ (1997), ‘औजार’ (1997), ‘प्यार किया तो डरना क्या’ (1998), ‘बेनाम’ (1999), ‘बॉबी जासूस’ (2014), ‘ब्रदर्स’ (2015) सहित कई फिल्मों में काम किया है. जीवन अब इस दुनिया में नहीं है. जीवन का निधन 10 जून 1987 को हुआ था.

रेखा और जैमिनी गणेशन

रेखा के पिता जैमिनी गणेशन जहां साउथ की फिल्मों के सुपरस्टार थे, वहीं उन्होंने बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में भी अभिनय किया है. उन्होंने 1957 में फिल्म ‘मिस मैरी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनके साथ मीना कुमारी थी और ये फिल्म सुपरहिट रही थी. इसके अलावा उन्होंने ‘देवता’ (1956), ‘राज तिलक’ (1958), ‘नजराना’ (1961) में काम किया.

वहीं, रेखा ने ‘सावन भादो’ (1970), ‘खूबसूरत’ (1980), ‘खून भरी मांग’ (1988), ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ (1996), ‘उमराव जान’ (1981) सहित कई फिल्मों में काम किया है. जैमिनी गणेशन अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 22 मार्च, 2005 को हुआ था.

अमजद खान और जयंत

बॉलीवुड के ‘गब्बर सिंह’ यानी अमजद खान के पिता जयंत (जकारिया खान) भी फिल्मों में काम कर चुके हैं. जयंत गुजरे जमाने की ज्यादातर फिल्मों में विलेन का रोल निभाते थे. उन्होंने ‘मेरा गांव मेरा देश’ (1971), ‘रेशमा और शेरा’ (1971), ‘हिमालय की गोद में'(1965), ‘सपनों का सौदागर'(1968), ‘अनमोल मोती’ (1969) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

अमजद खान ने ‘शोले’ (1975), ‘कसम खून की’ (1977), ‘परवरिश’ (1977), ‘इंकार’ (1978), ‘कसमे वादे’ (1978), ‘कालिया’ (1980), ‘नसीब’ (1981), ‘याराना’ (1981), ‘सत्ते पे सत्ता’ (1981) सहित कई फिल्मों में काम किया है. हालांकि, अमजद खान और उनके पिता जयंत दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं है. अमजद खान का निधन 22 जुलाई, 1992 को और जयंत का निधन 2 जून 1975 को हुआ था.

तेज सप्रू और सप्रू

गुजरे जमाने की फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले सप्रू (दया किशन सप्रू) के बेटे हैं तेज सप्रू. फिल्मों में सप्रू के नाम से फेमस दया किशन सप्रू ने बहुत सी फिल्मों में काम किया है. उन्होंने ‘शहीद’ (1965), ‘मुझे जीने दो’ (1963), ‘प्रेम पुजारी’ (1970), ‘इम्तिहान’ (1974), ‘कसौटी’ (1974), ‘पैसे की गुड़िया’ (1974), ‘चरस’ (1976), ‘दीवार’ (1975) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

वहीं, उनके बेटे तेज सप्रू भी बॉलीवुड में फेमस हैं. उन्होंने ‘सुरक्षा’ (1979), ‘राजपूत’ (1982), ‘युद्ध’ (1985), ‘इंसाफ मैं करूंगा’ (1985), ‘त्रिदेव’ (1989), ‘अजूबा’ (1991), ‘मोहरा’ (1994), ‘आग’ (2006) सहित कई फिल्मों में काम किया है. सप्रू अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 1979 में हुआ था.

अनीता राज और जगदीश राज

एक्ट्रेस अनीता राज के पिता जगदीश राज ने भी कई फिल्मों में अलग-अलग भूमिकाएं अदा की हैं. जगदीश राज ने ‘पाप का अंत’ (1989), ‘डॉन’ (1978), ‘आग ही आग’ (1988), ‘बॉक्सर’ 91984), ‘मजबूर’ (1983), ‘दीवार’ (1975), ‘ड्रीमगर्ल’ (1977) सहित कई फिल्मों में काम किया है.

अनिता राज ने भी ‘कर्मयुद्ध’ (1985), ‘जान की बाजी’ (1985), ‘गुलामी’ (1985), ‘असली नकली’ (1986), ‘विरोधी’ (1992), ‘चार दिन की चांदनी’ (2012) सहित बहुत सी फिल्मों में काम किया है. बता दें कि जगदीश राज अब इस दुनिया में नहीं है. उनका निधन 28 जुलाई, 2013 को हुआ था.

फरहान अख्तर और हनी ईरानी

फिल्मों का निर्देशन करने के अलावा एक्टिंग में जौहर दिखा रहे फरहान अख्तर की मां हनी ईरानी भी फिल्मों में एक्टिंग कर चुकी हैं. हनी ने ‘सीता और गीता’ (1972), ‘अमर प्रेम’ (1971), ‘कटी पतंग’ (1970), ‘चांदी की दीवार’ (1964) ‘चिराग कहां रोशनी कहां’ (1959) सहित अन्य फिल्मों में काम किया है.

फरहान अख्तर ने ‘रॉक ऑन’ (2008), ‘जिंदगी ना मिलेंगी दोबारा’ (2011), ‘भाग मिलखा भाग’ (2013), ‘वजीर’ (2016), ‘दिल धड़कने दो’ (2015) फिल्मों में काम किया है.

नए जोड़ों के लिए परफेक्ट है भारत की ये 10 रोमांटिक हनीमून डेस्टिनेशन

प्यार, खुशी, छेड़छाड़ और मस्ती के अनगिनत लमहों का एहसास है हनीमून. इन लमहों को कुछ इस तरह से संजोएं कि जब भी याद आएं तो तन मन गुदगुदा जाए. ऐसे में किसी भी जोड़े के लिए यह एक मुश्किल सवाल होता है हनीमून के लिए सबसे दिलचस्प जगह कौन सी है जहां वह अपने साथी के साथ यादगार लम्हें बिता सकेगा या सकेगी. तो आपकी इस परेशानी का हल निकालते हुआ हम आपको भारत के सबसे खूबसूरत और रोमांटिक हनीमून स्पॉट्स के बारे में बताते हैं.

मनाली

मनाली, भारत के सबसे दिलकश डेस्टिनेशंस में शुमार है. मनाली को हमेशा ही एक रोमांटिक और हनीमून के लिए परफेक्ट स्थल का दर्जा दिया गया है. यहां की खुशनुमा वादियां आपके हनीमून में चार चांद लगा देंगी. यहां आप बर्फ से ढकी चोटियां, कल कल बहती व्यास नदी, ऊंचे ऊंचे वृक्ष, ठंडी हवाएं, प्राकृतिक दिलकश नजारे आदि का जी भर के लुत्फ उठा सकती हैं.

मनाली, कुल्‍लु जिले का एक हिस्‍सा है जो हिमाचल की राजधानी शिमला से 250 किमी. की दूरी पर स्थित है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली का नाम मनु से उत्‍पन्‍न हुआ है. यदि बात यहां के पर्यटन की हो तो आपको बता दें कि हनीमून पर आये कपल यहां ऐसा बहुत कुछ देख सकते हैं जो शायद ही उन्होंने कभी देखा हो. मनाली की यात्रा पर यहां आने वाले पर्यटक व्‍यास कुंड, हडिम्‍बा मंदिर, रोहतांग पास, सोलांग घाटी, भरीगु झील, क्लब हाउस, फ्रैंडशिप चोटी, जगन्‍नाथ मंदिर, जगतसुख गांव जैसे स्थानों की यात्रा करना बिलकुल न भूलें.

उदयपुर

अगर आप अपने हनीमून को महलों और झीलों के बीच बिताना चाहती हैं तो उदयपुर एक बेहतर विकल्प है. उदयपुर ‘झीलों के शहर’ के रूप में भी जाना जाता है. इस खूबसूरत जगह पर आप राजसी ठाठ के साथ सुंदर नजारों का लुत्फ उठा सकती हैं. यह जगह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा के लिए विख्यात है.

यदि बात इस शहर में पर्यटन की हो तो यहां आने वाले कपल सहेलियों की बाड़ी, बड़ा महल, गुलाब बाग, महाराणा प्रताप स्मारक, लक्ष्मी चौक, दिल कुशल, गोल महल के अलावा यहां मौजूद अलग अलग संग्रहालयों और गैलरियों की यात्रा अवश्य करें.

गोवा

भारत में लोगों को गोवा काफी पसंद हैं. गोवा अपने समुद्र तटों, वॉटर स्पोटर्स एडवेंचर, चर्च और नाइट लाइफ के लिए जाना जाता है. वहां पर ऐसी कई सुंदर और आकर्षक जगह हैं जो आपका मन मोह लेगी गोवा को अगर हनीमून डेस्टिनेशन कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. गोवा है ही प्रेमी जोड़ों की पसंद जहां वह समुद्र की लहरों के साथ अपने प्रेम को भी अठखेलियां करने का आंनद लेते हैं.

नैनीताल

नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है. आप यहां आकर नैनीताल की रंगीन वादियों में अपने पार्टनर के साथ और मजबूत रिश्ता बना सकती हैं. बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान झीलों से घिरा हुआ है. इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है. इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है. नैनीताल अपने खूबसूरत परिदृश्यों और शांत परिवेश के कारण पर्यटकों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है.

नैनीताल की सुदरंता पर्यटक और हनीमून पर आये कपल को बेहद ही सुखनुमा अनुभव प्रदान करती हैं. यहां आने वाले कपल स्नो व्यू, टिफिन टॉप, चाइना पीक किलबरी, खुर्पाताल, लैंडस-एंड, मॉल रोड जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को यादगार बनाएं.

धर्मशाला

धर्मशाला को ‘पहाड़ों की रानी’, ‘सौंदर्य की देवी’, ‘भारत में एक मिनी ल्हासा’ जैसे कई नामों से संबोधित किया जाता है. धर्मशाला कांगड़ा के उत्तर-पूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है. यह शहर चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

कांगड़ा घाटी में हिमालय की घौलाधार पहाडि़यों पर बसे इस बेहद ख़ूबसूरत शहर की तरफ लोग बस यूंही खिंचे चले आते हैं. हिमायल की दिलकश, बर्फ से ढ़की चोटियां, चारों ओर हरे भरे खेत, हरियाली और कुदरती सुन्दरता,चाय बागानों, चीड के जंगलों और देवदार के पेड़ों से घिरा धर्मशाला है ही इतना रोमांटिक और खूबसूरत जो आने वाले किसी भी कपल का मन मोह सकता है.

बात यदि एक कपल के लिए यहां मौजूद पर्यटक स्थलों की हो तो यहां आने के बाद कपल डल झील, हरिपुर- गुलेर, मछिरल, ततवानी हॉट स्प्रिंग, त्रिउंड, सेंट जॉन चर्च, हनुमान का टिब्बा, करेरी जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को हमेशा के लिए यादगार बनाएं.

अंडमान निकोबार द्वीप

अगर आप अपने पार्टनर के साथ शोरगुल से दूर अकेले में सुकुन के साथ समय बिताना चाहती हैं तो यह आपके लिए बेस्ट जगह है. आपके लिए इस जगह से अच्छी कोई रोमांटिक जगह नहीं होगी.

श्रीनगर

बात अगर हनीमून डेस्टिनेशंस की हो, और कश्मीर की खूबसूरत वादियोँ का जिक्र ना हो ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. कश्मीर जिसे धरती के स्वर्ग के नाम से जाना जाता है. तभी तो कोई भी जोड़ा हो उसकी पहली पसंद श्रीनगर ही होती है जहाँ वह अपनी ज़िन्दगी का एक खूबसूरत फलसफा शुरू करना चाहते हैं. तो चलिए हनीमून को यादगार बनाने के लिए श्रीनगर की दिलकश वादियों में. जहां आप बेहद आकर्षक नजारों को देखने के साथ साथ शिकारे का आंनद भी उठा सकती हैं. ये प्रेम-लीन जोड़ों का पसंदीदा स्थान है. यह शहर अपनी नगीन और डल जैसी खूबसूरत झीलों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहां के निशात बाग, शालीमार बाग, अच्‍छाबल बाग, चश्‍मा शाही और परी महल काफी प्रसिद्ध हैं.

मसूरी

कुदरत का अनमोल खजाना मसूरी जिसे ‘पहाड़ों की रानी’ के नाम से भी जाना जाता हैं. उत्तराखंड राज्य में स्थित मसूरी देहरादून से 35 किमी की दूरी पर अवस्थित हैं जहां लोग बार बार आना पंसद करते हैं. मसूरी अपने पर्यटन के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. मसूरी की छोटी-छोटी सड़कों से जब गाड़ियां घूमकर जाती है तो पहाड़ियों का नजारा बहुत ही सुंदर दिखाई देता है.

बात यदि एक कपल के लिए यहां मौजूद पर्यटक स्थलों की हो तो यहां आने के बाद कपल चाइल्डर्स लॉज, मसूरी झील, संतरा देवी मंदिर, गन हिल, केम्पटी फॉल, लेक मिस्ट जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को हमेशा के लिए यादगार बनाएं.

शिमला

अगर आप अपने हनीमून को कुछ रोमांटिक के साथ-साथ रोमांच से भरपूर देना चेहते है तो इससे अच्छी फिर कोई जगह नहीं है. यह अपनी खूबसूरती के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह एक ऐसी जगह है जहां पर पूरे विश्व से पर्यटक आते रहते है. यहां की चांदनी रात अपने में ही एक अलग है.

यहां पर सर्दियों के मौसम को ‘लौंग मून नाइट्स’ यानी लम्बी चांदनी रातों का मौसम कहते हैं. यहां की हरी भरी पहाड़ियां, निर्मिल झरने, शांत झीलों, ऊंची चोटियां सैलानियों को अपने मोहपाश में ऐसे बांध लेती हैं कि उनसे दूर होने का मन ही नहीं होता हैं.

गुलमर्ग

गुलमर्ग जम्‍मू और कश्‍मीर का एक खूबसूरत हिल स्‍टेशन है. इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्‍वर्ग भी कहा जाता है. यह देश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों में से एक हैं. फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्‍थान बारामूला जिले में स्थित है. समुद्र तल से 2730 मी. की ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहां बड़ी संख्‍या में पर्यटक आते हैं.

प्राकृतिक नजारों से भरपूर गुलमर्ग में कहीं पहाड़ियों पर दूर तक जमी बर्फ तो कहीं धरती पर चादर की तरह फैले फूल मन को हर्षित कर जाते हैं, और हनीमून कपल्स को अपनी ओर खींचते हैं. या यूं कहें, बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्‍थान हनीमून कपल्स के लिए बेस्टम बेस्ट जगह है. यंहा आने वाले कपल गोल्‍फ कोर्स, स्‍कींग रिजॉर्ट, खिलनमर्ग, अलपाथर झील, निंगली नल्‍लाह जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें और अपने हनीमून को यादगार बनाएं.

कोल्हापुरी चप्पल दे स्टाइलिश लुक

‘स्टाइलिश’ कपड़ों के साथ ‘फुटवियर’ भी बहुत मायने रखते हैं. काम-काज वाली महिलाओं को आरामदायक और ‘फ्लैट’ जूते ही पसंद आते हैं. ऐसे में इस गर्मी आप कोल्हापुरी चप्पल भी ‘ट्राई’ कर सकती हैं. यह सलवार-सूट और जींस किसी भी ‘आउटफिट’ के साथ काफी बढ़िया लुक देती है. आइए जानते हैं कोल्हापुरी चप्पल के कुछ खूबसूरत डिजाइन्स के बारे में.

एम्ब्रॉयडरी कोल्हापुरी

इस चप्पल पर कढ़ाई की होती है जो देखने में काफी खूबसूरत लगती है. इस ‘एम्ब्रॉएडेड’ कोल्हापुरी चप्पल को पटियाला सूट या कुर्ती के साथ भी पहन सकती हैं जो काफी बढ़िया लुक देगी.

कैजुअल कोल्हापुरी

सिंपल कोल्हापुरी चप्पल में ज्यादातर एक ही रंग आता है जिसे किसी भी ड्रेस के साथ पहन सकती हैं. डार्क ब्राउन रंग की यह चप्पल आप रोज पहन सकती हैं.

पॉम पॉम स्टाइल

कोल्हापुरी चप्पल पर पॉम पॉम स्टाइल काफी बढ़िया लगता है. इस चप्पल को किसी भी ड्रेस के साथ पहन सकती हैं, काफी स्टाइलिश लुक देगी.

मिरर वर्क कोल्हापुरी

मिरर वर्क कोल्हापुरी अभी ट्रेंड में है. सूट से लेकर चप्पलों पर भी ‘मिरर वर्क’ बहुत बढ़िया लगता है. यह कोल्हापुरी चप्पल जींस के साथ भी पहन सकती हैं.

घूंघरू वाली कोल्हापुरी

कुछ महिलाओं को घूंघरू की छनछन काफी पसंद होती है. ऐसे में वे इस स्टाइल की चप्पल भी ले सकती हैं.

कंगना ने तोड़ी हंसल और अपूर्व की जोड़ी!

वक्त के साथ सारे समीकरण बदलते रहते हैं. कल तक बॉलीवुड से कंगना के जुड़े कुछ लोग कंगना रनौत को फिल्मों से निकलवा रहे थे. पर अब सितारे चमक रहे हैं और अब कंगना रनौत अपने इशारे पर कुछ फिल्मकारों को नचा रही हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि जो फिल्मकार कंगना रनौत के इशारे पर नाचने के लिए तैयार नहीं होता, उसे कंगना सबक सिखाने में पीछे नहीं रहती.

वास्तव में अब कंगना रनौत को लगता है कि वह एक बेहतरीन अदाकारा के साथ साथ बेहतरीन लेखक व निर्देशक भी हैं. इसलिए वह दूसरे फिल्मकारों से लेखन व निर्देशन में भागीदारी चाहती हैं. जब कंगना की इस इच्छा को मानने से फिल्मकार केतन मेहता ने इंकार कर दिया, तो कंगना ने अंदर ही अंदर तैयारी कर केतन मेहता की अतिमहत्वाकांक्षी फिल्म ‘‘रानी लक्ष्मी बाई’’ (जिसमें वह मुख्य भूमिका निभाने वाली थीं) से खुद को अलग कर दक्षिण भारत के निर्देशक कृष के साथ उसी विषय पर फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ की शुरूआत कर दी. और तो और कंगना इस फिल्म को जोर शोर से प्रचारित करने में भी लगी हुई हैं. ऐसे में भला हंसल मेहता कैसे कंगना से दुश्मनी मोल लेते. इसलिए कुछ दिन पहले ही हंसल मेहता ने घोषित कर दिया कि उनकी फिल्म ‘सिमरन’ की सह लेखक कंगना रनौत हैं.

उसके बाद यही बात हंसल मेहता ने ट्विटर पर भी लिख दी. यह बात फिल्म ‘सिमरन’ के लेखक अपूर्व असरानी को नागवार गुजरी. अपूर्व असरानी ने इसका विरोध करते हुए मीडिया में कह दिया कि ‘सिमरन’ के एकमात्र लेखक वही हैं. इस फिल्म के लेखन में कंगना रनौत का कोई योगदान नहीं है. अपूर्व असरानी के इस सच ने अपूर्व असरानी और फिल्म निर्देशक हंसल मेहता की 17 साल पुरानी जोड़ी को तोड़ दिया.

सूत्रों के अनुसार अपूर्व असरानी ने जैसे ही मीडिया कहा कि फिल्म ‘सिमरन’ के वही लेखक हैं, वैसे ही कंगना का गुस्सा चरम पर पहुंच गया. उसके बाद कंगना और हंसल मेहता के बीच क्या बात हुई, इसका खुलासा तो नहीं हो पाया. मगर हंसल मेहता व अपूर्व असरानी का सोलह वर्ष पुराना संबंध खत्म हो गया.

जबकि हंसल मेहता के निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘‘दिल पे मत ले यार’’ का प्रोमो अपूर्व असरानी ने अभिनेता मनोज बाजपेयी के कहने पर बनाया था. उसके बाद अपूर्व असरानी लेखक व एडीटर के रूप में हंसल मेहता के साथ जुड़ गए. वह हंसल मेहता के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘शहीद’, अति चर्चित फिल्म ‘अलीगढ़’ से लेकर ‘सिमरन’ तक हर फिल्म के साथ जुड़े रहें.

बहरहाल,एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए हंसल मेहता से अलगाव की पुष्टि करने के साथ ही अपने मन की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा है, ‘‘हर दोस्ती और जोड़ी एक न एक दिन ऐसे मुकाम या यूं कहें कि ऐसी परिस्थिति में पहुंच ही जाती है, जहां प्यार खत्म होकर नफरत पैदा होने लगता है. ऐसे में यह जरुरी होता है कि प्यार खत्म होकर नफरत में बदले, उससे पहले ही उस संबंध को तोड़ दिया जाए. हंसल और मैं तमाम चुनौतियों के दौरान एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हुए जुड़े रहे. मगर अब चुनौतियों का स्थान इंसानी महत्वांकांक्षाओं ने ले लिया है. हंसल ने निर्देशन में नई उंचाइयां पा ली है. उनका नाम एक आयकान बन गया है, तो दूसरी तरफ कहानीकार के रूप में मुझे एक नयी राह मिल गयी है. अब मैं अपनी इस नई राह को फैलाना चाहता हूं’’

अपूर्व असरानी ने आगे कहा, ‘‘यूं तो अतीत में भी हमारे बीच बंद दरवाजों के अंदर बहस व झगड़े होते रहे हैं, पर तब यह झगड़े फिल्म की बेहतरी के लिए होते थें. इस बार ऐसा नहीं है. मैं जी हजूरी करने वाला इंसान नहीं हूं. मैं महज पैसे के लिए नहीं, बल्कि इमानदारी से फिल्म बनाने के लिए काम करता हूं. मैंने कई बार मजाक में हंसल से कहा था कि वह  कंगना को सह लेखक न कहें. क्या सेट पर कलाकार के रूप में कंगना हर सीन को इम्पू्रवाइज करके करती हैं, तो आप उसे सह निर्देशक कहेंगे.’’

गहनों के बजाए खरीदें सोने-चांदी के सिक्के

हमारे देश में कई मौकों और त्योहारों पर सोने और चांदी की खरीददारी शुभ मानी जाती है. कई खास मौको पर जमकर सोना खरीदा जाता है, लेकिन दुविधा यह रहती है कि ऐसे में सिक्के खरीदे जाएं या गहने.

खास मौको पर बाजार में उपलब्ध कई ऑफर्स भी आपको लुभाते हैं और गहनों के आकर्षक डिजाइन देखकर लगता है कि बस यही राइट चॉइस है. लेकिन यहां थोड़ा रुक कर सोचिए और अगर आप समझदारी दिखाएंगी तो पता लगेगा कि गहनों से ज्यादा सिक्के खरीदना बेहतर रहता है.

ये हैं वो कारण जो बताते हैं कि कैसे सोने और चांदी के सिक्के खरीदना फायदे का सौदा है –

मेंकिग चार्ज

जब भी सोने की ज्वैलरी खरीदती हैं तो उस पर मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. लेकिन जब आप वही ज्वैलरी बेचने जाती हैं या एक्सचेंज करती हैं तो ये अमाउंट आपको वापस नहीं मिलता, इसलिए मेकिंग चार्ज के बोझ से बचना है तो सोने के सिक्के को ही प्रिफर करना उचित होता है. इस तरह आपको त्योहार पर ज्यादा खरीदारी के लिए और रकम भी मिल जाएगी.

कभी भी सिक्कों से बनवा लें ज्वैलरी

अगर आप सोने की ज्वैलरी को सोने के सिक्के, बिस्कुट या फिर और किसी डिजाइन में बदलवा रही हैं तो आपको इसके बदले मेंकिग चार्ज के बगैर केवल सोने की कीमत मिलेगी और आपको नए डिजाइन के बदले जो एडिशनल चार्ज देना होगा वो अलग. लेकिन अगर आपके पास सोने का सिक्का है तो आप बिना किसी नुकसान के इससे कभी भी ज्वैलरी बनवा सकती हैं.

निवेश का फायदेमंद सौदा

निवेश का मतलब ही है पैसे को प्रॉफिट कमाने के लिए लगाना. जब आप सोने की ज्वैलरी में निवेश करती हैं तो आपको उसे बेचने पर मेंकिग चार्ज का नुकसान होता है. लेकिन अगर आपने सोने का सिक्का खरीदकर निवेश किया है तो भविष्य में सोने की कीमत बढ़ने पर अगर आप उसे बेचती हैं तो आपको बिना किसी नुकसान उसी सिक्के की ज्यादा कीमत मिलती है.

सेफ्टी के लिहाज से भी फायदा

सोने की ज्वैलरी के चोरी होने का खतरा ज्यादा होता है, चाहे आप उसे पहनें या फिर रखे रहें. वहीं सोने के सिक्कों को एक बैग में रखना आसान और सेफ होता है. कई बार इन्हें आसानी से पहचाना भी नहीं जा पाता है, इस लिहात से भी ये अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं.

काला चश्मा तो आप भी पहनती हैं?

सनग्लासेज पहनना तो हमेशा से ट्रेंडी माना जाता है. हां, कुछ लोग क्लासी दिखने के लिए पहनते हैं, तो कुछ लोग अपनी आंखों को सुरक्षा देने के लिए. हालांकि इन्हें लेकर कुछ मिथ भी प्रचलित हैं लेकिन अगर आप अपने आंखों की सुरक्षा करने चाहती हैं तो आपका इन मिथ्स पर ध्यान ना देना ही उचित है.

महंगे शेड्स ही अच्छे होते हैं : शेड्स खरीदते वक्त कीमत देखने के अलावा आपको यह भी देखना चाहिए कि शेड्स UVA और UVB किरणों से आपकी आंखों को पूरी सुरक्षा दे रहे हैं या नहीं.

लेंस का रंग मायने रखता है : क्या आप जानते हैं कि आपके लेंस का रंग चाहे ग्रे हो, ब्लू हो या कुछ भी हो. रंग UV प्रोटेक्शन फैक्टर पर कोई असर नहीं डालता.

स्क्रेच सही हैं : नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है. अगर आपके शेड्स में स्क्रेच है तो आप देखने के लिए अपनी आंखों पर ज्यादा जोर देती हैं और ऐसा करने से आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

साइज से फर्क नहीं पड़ता : अगर आपको लगता है कि साइज से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो आप गलत हैं. अगर हम एक्सपर्ट्स की माने तो, बड़े लेन्स वाले शेड्स अच्छे होते हैं क्योंकि वो रोशनी को आपकी आंखों में जाने नहीं देते.

सारे सनग्लासेज एंटी-ग्लेयर होते हैं : अगर आप ऐसा सोचती हैं तो कि सारे सनग्लासेज में एंजी-ग्लेयर होता है तो हम आपको बता देना चाहते हैं कि जिन चश्मों में पोलराइज्ड लेंस होता है, सिर्फ वे ही एंटी-ग्लेयर होते हैं.

लो-क्वालिटी के शेड्स भी ठीक होते हैं : ये बात बिल्कुल सही है कि हम सभी पैसे बचाना चाहती हैं, लेकिन जब बात सनग्लासेज की आती है, तो अच्छी क्वालिटी के शेड्स खरीदना ही सही और सुरक्षित होता है.

डार्क लेंस ज्यादा सुरक्षा करते हैं : एक बात अच्छी तरह समझ लें कि लेंस के कलर का आंखों की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं होता.

रंगभेद पर बंटता समाज

दिल्ली के निकट नोएडा में अफ्रीकी बच्चों या अमेरिका में यूनाइटेड एअरलाइंस का एक चीनी मूल के यात्री को घसीट कर हवाईर्जहाज से उतारना रंगभेद की गहरी अंधेरी गुफाओं में रह रहे लोगों की असल सोच का प्रदर्शन करता है. भारत में थोड़े से गोरे रंग के लोगों को नौकरियों, शादियों, नेतागीरी में इतनी ज्यादा प्राथमिकता मिल जाती है कि गहरे रंग के प्रति हमारी सोच बेतुकी होती जाती है और सांवलों व कालों के प्रति नाराजगी साफ झलकने लगती है.

गोरा रंग न तो योग्यता का प्रतीक है न शराफत का और न ही कुशलता का. त्वचा का रंग मैलानिन की देन है, जिस का व्यक्ति के व्यवहार पर कोई असर नहीं पड़ता, पर सदियों से वर्ण यानी रंग का जंजाल हमारे सिर पर भी उसी तरह मंडरा रहा है जैसे अमेरिका, चीन, जापान आदि में. हर समाज में गोरों की पूछ होती है. अमेरिका में प्रसिद्ध गायक माइकल जैक्सन ने तो तरहतरह के उपाय कराए कि वह गोरा दिखे. इसी चक्कर में उस ने न जाने क्या लिया कि उस की असामयिक मौत हो गई.

भारत में इसी रंगभेद पर उन सितारों को ले कर विवाद चल रहा है, जो गोरे रंग की क्रीम के विज्ञापनों में नजर आते हैं. इस में इन सितारों या क्रीम उत्पादकों को नाहक घसीटा जा रहा है, क्योंकि बीमारी विज्ञापनों की देन नहीं, सामाजिक सोच की है.

गोरी लड़कियों को कुशल न होने पर भी सिरआंखों पर रखो और सांवलियों को दुत्कारो तो गोरा होने की कोशिश हरकोई करेगा ही. अगर मांग है, तो ही पूर्ति होगी. दोष समाज का है, आम औरतों का है, सासों का है, मांओं का है कि वे त्वचा का रंग देखती हैं और उसी आधार पर गुण तय कर लेती हैं. पुरुष इस मामले में उदार नहीं पर चूंकि उन का वास्ता बहुत तरह के लोगों से पड़ता है, उन्हें आदत पड़ जाती है कि लोगों को उन की आदत से पहचानें, त्वचा से नहीं.

अपना शरीर मनचाहा बनाने का हक भी हरेक के पास है. मोटा पतला होने की कोशिश करे, लंबी नाक वाली नाक की सर्जरी करवाए, छोटे स्तनों वाली बैग्स डलवाए, झुर्रियों वाली बोटोक्स के इंजैक्शन लगवाए, ये हक हैं लोगों के पास और इन के बारे में जानकारी प्राप्त करने का हक भी है. रंगभेद को बढ़ावा दे रहे हैं इस के लिए युवतियों को उन उत्पादनों से बेखबर न करें जो रंग सुधारने की कोशिश करती हैं. सितारों या उत्पादकों को नाहक ब्यूटी और मेकअप से अपनेआप को सजाने के हक के विवाद में उलझा रहे हैं.

ये उलझाने वाले तो कल को कहेंगे कि बाल भी न बनवाए जाएं, झांइयों के लिए क्रीम न लगाएं, मर्द दाढ़ी न बनवाएं.

बाहुबली: राम्या नहीं थी राजामौली की पहली पसंद

‘बाहुबली 2’ को रिलीज हुए 13 दिन हो गए हैं लेकिन यह फिल्म अभी भी सुर्खियों में बनी हुई है. एस एस राजमौली की फिल्म ‘बाहुबली- द कन्क्लूजन’ सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी अपने नाम कई रिकॉर्ड कायम कर रही है. रिकॉर्ड्स के मामले में ये फिल्म रिलीज के पहले से ही स्पॉटलाइट में बनी हुई थी.

फिल्म ‘बाहुबली’ को न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रियता मिली है. फिल्म के सभी किरदार चाहे वो बाहुबली हों, कटप्पा हों या शिवगामी सभी को फैंस से बहुत प्यार मिला है.

बाहुबली और बाहुबली 2 में राम्या कृष्णन की बेहतरीन परफॉर्मेंस को देखकर यह सोचना भी काफी मुश्किल है कि कोई और एक्टर उनके किरदार को निभा सकता था. लेकिन आपको बताते चलें की राम्या इस किरदार के लिए निर्देशक की पहली पसंद नहीं थीं. जी हां आपने सही सुना. बॉलीवुड एक्ट्रेस श्रीदेवी फिल्म निर्माता की किरदार के लिए पहली पसंद थीं. हालांकि एक्ट्रेस ने इसमें काम नहीं किया जोकि अब भारतीय सिनेमा में इतिहास बन गई है.

खबरों की मानें तो श्रीदेवी शिवगामी के किरदार को निभाने में दिलचस्पी रखती थीं लेकिन उन्होंने शूटिंग करने से मना कर दिया क्योंकि फिल्म निर्माता उनकी पारिश्रमिक मांगों को पूरा करने के लिए तैयार नहीं थे.

दरअसल श्रीदेवी ने इस किरदार के लिए 6 करोड़ रुपए की मांग थी. जिसकी वजह से यह रोल राम्या की झोली में चला गया. इसके बाद श्रीदेवी ने विजय की पुली में काम किया. 2015 में आई इस फिल्म में उनका एक बुरी रानी के तौर पर निभाया गया किरदार हंसी का कारण बना. उसी साल बाहुबली भी रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड बनाए.

बाहुबली और बाहुबली 2 को दर्शकों से काफी सारा प्यार मिला और इसका सबूत है कि फिल्म की कमाई ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. एक अंग्रेजी अखबार के रिपोर्ट के अनुसार बाहुबली के निर्माताओं ने राम्या कृष्णन को शिवगामी का किरदार निभाने के लिए 2.5 करोड़ रुपए दिए हैं. वो एक ऐसा किरदार हैं जिसने कहानी को बदल दिया था.

बाहुबली और बाहुबली 2 में उनकी परफॉर्मेंस को दर्शकों और मीडिया से काफी प्रशंसा मिली है. पिछले महीने चेन्नई में फिल्म की ऑडियो रिलीज के मौके पर निर्देशक को अफसोस हुआ कि उन्होंने पहले ही राम्या को किरदार के लिए अप्रोच क्यों नहीं किया. निर्देशक ने कहा, मुझे नहीं पता उस समय मेरे दिमाग में क्या चल रहा था जब शिवगामी के लिए मैंने दूसरी एक्ट्रेस को कंसीडर किया. मुझे इस पर शर्मिंदगी हो रही है.

इन मशहूर अभिनेताओं के घर जन्मे हैं ट्विन्स

कमबैक फिल्म ‘भूमि’ की शूटिंग में बिजी संजय दत्त और उनकी पत्नी मान्यता बी-टाउन के उन चुनिंदा कपल्स में शामिल हैं जो जुड़वां बच्चों के पेरेंट्स हैं. संजय ने 2008 में मान्यता से शादी की थी. इसके दो साल बाद 21 अक्टूबर, 2010 जोड़ी के जुड़वां बच्चों (बेटा शहरान और बेटी इकरा) का जन्म हुआ था. दोनों अब 6 साल के हो गए हैं. मान्यत संजय की तीसरी पत्नी हैं.

– संजय की पहली शादी 1987 में ऋचा शर्मा से हुई थी. 1988 में इनके घर बेटी त्रिशाला का जन्म हुआ.

– 1996 में ब्रेन ट्यूमर की वजह से ऋचा की डेथ हो गई थी और त्रिशाला की कस्टडी ऋचा के माता-पिता को सौंप दी गई थी.

– बता दें, त्रिशाला अब 29 साल की हो चुकी हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क के जॉन जे कॉलेज ऑफ क्रिमिनल जस्टिस लॉ से ग्रेजुएशन किया है.

– 1998 में संजय दत्त ने सोशेलाइट रिया पिल्लाई से दूसरी शादी की. ये शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई और 2005 में इनका तलाक हो गया.

– उनकी तीसरी शादी मान्यता से 11 फरवरी, 2008 को हुई. मान्यता संजय से लगभग 19 साल छोटी हैं.

संजय दत्त के अलावा अभिनय जगत में ऐसे और भी जोड़े हैं जिनके घर जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया है.

सेलिना जेटली

सेलिना ने साल 2011 में लॉन्ग टाइम ब्वॉयफ्रेंड और ऑस्ट्रेलियन बिजनेसमैन पीटर हॉग से शादी की. उनके विराज और विस्टन नाम के दो जुड़वां बेटे हैं, जिनका जन्म 24 मार्च, 2012 को हुआ था. अपने बच्चों के 5वे बर्थडे के मौके पर सेलिना ने दोनों बेटों की फोटो इंस्टाग्राम पर पोस्ट की थी.

बता दें, सेलिना ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 2003 में फिरोज खान की फिल्म ‘जानशीं’ से की थी. इसके अलावा उन्होंने “सिलसिले (2005)”, “नो एंट्री (2005)”, “गोलमाल रिटर्न्स (2008)”, “पेइंग गेस्ट (2009)” सहित अन्य फिल्मों में भी एक्टिंग की है.

शत्रुघ्न सिन्हा

शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा की शादी 1980 में हुई थी. इनके जुड़वां बेटों लव और कुश का जन्म 5 जून, 1983 को हुआ था. 34 साल के हो चुके कुश ने तो बॉलीवुड से दूरी बनाई है. वहीं, लव ने फिल्म “सदियों (2010)” से बी-टाउन में एंट्री ली, लेकिन असफल रहे. बता दें, सोनाक्षी सिन्हा लव-कुश की छोटी बहन हैं.

करणवीर बोहरा

‘कसौटी जिंदगी की’ फेम टीवी एक्टर करणवीर बोहरा दो जुड़वां बेटियों के पिता है. उनकी ट्विंस 6 महीने की हो चुकी हैं. हाल ही में दोनों बेटियों के साथ करण ने इंस्टाग्राम पर फोटो शेयर भी शेयर किया. बता दें, करन ने 2006 में उम्र से साढ़े तीन साल बड़ी गर्लफ्रेंड टीजे सिंधू से शादी की थी. टीजे मॉडल और वीजे हैं. इस जोड़ी की बेटियों का जन्म 19 अक्टूबर, 2016 को हुआ था.

हितेन तेजवानी और गौरी प्रधान

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ फेम जोड़ी हितेन तेजवानी और गौरी प्रधान के घर 11 नवंबर, 2009 को जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था. इनकी बेटी कात्या और बेटा निवान अब 7 साल के हो चुके हैं. गौरी-हितेन ने अप्रैल 2004 को शादी की थी.

बिल्कुल नये तरीके से पैसे कमाएं

अक्सर शादियों में कुछ ऐसे उपहार मिल जाते हैं जिनका बाद में कोई उपयोग नहीं होता है. साथ ही कई बार एक ही जैसे गिफ्ट दो-तीन लोगों से मिल जाते हैं. मसलन, शादी में सबसे अधिक डिनर सेट मिलते हैं. अब आप एक से ज्यादा डिनर सेट का क्या करेगीं?

घर में एक डिनर सेट तो इस्तेमाल होता है लेकिन बाकी सभी सेट यूं ही रख दिए जाते हैं. विदेशों में लोगों ने उपहारों से पैसा कमाने का एक नया तरीका खोज निकाला है. जिससे कमाई होने के साथ ही घर भी थोड़ा खाली बना रहता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के नए जोड़े शादी में मिलने वाली दो-तिहाई सामानों को ऑनलाइन बेच देते हैं. घर में रखकर उन पर धूल जमाने से तो बेहतर यही होता है कि उन्हें ऑनलाइन बेच दिया जाए.

एक रिसर्च के अनुसार में प्रतिवर्ष शादियों में 25.4 मिलियन पाउंड की रकम वेडिंग प्रेजेंट देने में नुकसान कर दी जाती है. इस सामानों में सबसे अधिक आर्टवर्क, किचन के सामान, एक्सरसाइज इक्व‍िपमेंट शामिल होते हैं.

शादी में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले सामानों में गिफ्ट वाउचर, पैसा और पर्सनल वाउचर होते हैं. वैसे आज कल के जोड़े तो उपहार में हनीमून फंड या फिर पैसे की ही मांग करते हैं.

क्या आप जानते हैं कि इस तरह के सामान को बेचने के लिए 62 प्रतिशत जोड़े रीसेल वेबसाइट्स का इस्तेमाल करते हैं, 15 प्रतिशत उन्हीं उपहारों को दूसरों को उपहारस्वरूप देने का काम करते हैं. हालांकि कुछ ऐसे भी हैं जिनका ये कहना है कि पांच साल पहले शादी में मिला उनका तोहफा अब भी उनके घर में पैक रखा है.

ये है मोस्ट अनवॉन्टेड प्रेजेंन्ट्स की लिस्ट:

1. आर्ट वर्क्स.

2. कैंडल‍-स्टिक्स.

3. किचन गैजेट्स जो कि पूरी तरह अनवॉन्टेड होते हैं.

4. एक्सरसाइज के उपकरण.

5. एडवाइस बुक्स.

6. क्रिस्टल्स.

7. बेबी वियर.

8. पसंदीदा गानों का एक कैसेट.

9. घड़ी.

10. कार्ड.

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