अपनी बॉडी टाइप के अनुसार चुनें टॉप

ऑफिस की पार्टी में शानदार लुक देने वाला पेपलम टॉप हो या दोस्त की सगाई में सीपियों से कढ़ा हुआ ड्रेप्ड टॉप, इनके बिना तो जैसे आज आपके वॉर्डरोब की कल्पना भी नहीं की जा सकती. आजकल टॉप के जितने रूप प्रचलित हैं, उतने पहले कभी नहीं थे.

लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर किस्म का टॉप हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं होता. तो आपको भी इस बारे में भी विचार करना चाहिए क् आपके लिए कौन सा टॉप उपयुक्त है. एक अच्छे टॉप के चयन के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपना बॉडी टाइप पहचानते हैं. आइए यहां जानते हैं कि किस बॉडी टाइप पर किस तरह का टॉप अच्छा लगता है…

एप्पल बॉडी शेप : अगर आपके शरीर का ऊपरी हिस्सा भारी-भरकम है तो आपका शरीर एप्पल शेप का है. आपको ऐसे टॉप पहनने चाहिए जो आपके शरीर के निचले हिस्से की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करे. आप पर घुटने तक लंबा ट्यूनिक टॉप अच्छा लगेगा. साथ ही आप जॉर्जट या शिफॉन से बने फ्रंट ओपन टॉप के साथ स्पैगिटी टॉप भी पहन सकती हैं.

पीयर बॉडी शेप : अगर आपके शरीर का निचला हिस्सा भारी-भरकम है, तो आपका शरीर पीयर शेप का है. आपको ऐसा टॉप पहनना चाहिए जिससे लोगों का ध्यान शरीर के ऊपरी हिस्से की तरफ केंद्रित हो. डीप नेक वाले चमकीले रंगों के टॉप के साथ पहना गया खूबसूरत नेकलेस यह काम बखूबी कर सकता है. ध्यान रहे कि कमर के नीचे वाले हिस्से में आप जो भी पहनें, वह गहरे रंग का हो. चौड़े स्ट्राइप्स वाले परिधान भी आप पर अच्छे लगेंगे. चमकदार बेल्ट पहनने से बचें. आप टैंक टॉप के साथ शोल्डर एंब्रॉयडरी वाली जैकेट भी पहन सकती हैं.

रेक्टैंग्युलर बॉडी शेप : अगर आपके शरीर में उभार नहीं हैं, तो आपका बॉडी टाइप रेक्टैंग्युलर है. आपको कव्र्स का आभास देने वाला टॉप पहनना चाहिए. ध्यान रहे कि आपका टॉप कमर वाले हिस्से में अच्छी फिटिंग का हो. सिल्क या साटन से बने वी-नेक टॉप भी आप पर बेहद खूबसूरत लगेंगे. इनके साथ चौड़े घेर वाली ट्राउजर पहनें. रफल्ड टॉप या स्लोगन वाला क्रॉप टॉप भी आप पर अच्छा लगेगा.

आवरग्लास बॉडी शेप : आप किसी भी फिटिंग, कट या प्रिंट का टॉप पहन सकती हैं. इसका रंग अपनी त्वचा की रंगत के हिसाब से चुनें. पेंसिल स्कर्ट के साथ फॉर्मल टॉप आप पर बहुत अच्छे लगेंगे. क्रॉप टॉप भी आपके शरीर के फीचर्स को उभारेगा.

शरीर के अनुरूप हों टॉप : बाजू हैं मोटे तो- बिना बाजू वाले टॉप पहनने से बचें, तीन-चौथाई बाजू या पूरी स्लीव वाले टॉप पहनें.

मजबूत हैं कंधे तो – ऐसा टॉप न पहनें जिसमें बाजू का फैब्रिक कंधों पर इकट्टा होता हो. हॉल्टरनेक, ट्यूब, बोट नेक टॉप आदि आप पर अच्छे लगेंगे.

गला छोटा है तो – चाइनीज कॉलर या हाइ नेक टॉप पहनें.

लंबाई कम हो तो – अधिक लंबाई वाला टॉप पहनने से बचें. हील्स के साथ कम या मध्यम लंबाई वाला टॉप पहनें.

वजन बहुत अधिक हो तो – आप पर गहरे रंगों के टॉप अच्छे लगेंगे. चौड़े स्ट्राइप्स वाला और स्किन फिट टॉप पहनने से बचें.

अवसर भी है अहम

कॉकटेल पार्टी में – गोल्डन, सिल्वर, ब्रिक रेड या वाइन जैसे रंगों वाला ड्रेप्ड या पेपलम टॉप पहनें.

कॉलेज में – फंकी ज्वेलरी के साथ स्मार्ट कैजुअल टॉप पहनें. जॉर्जट से बने और स्लोगन वाले टॉप भी अच्छे लगेंगे.

ऑफिस में – कॉलर वाले और बोटनेक टॉप ठीक रहेंगे. शर्ट स्टाइल टॉप भी पहनें.

परफेक्ट हो माप

अक्सर विभिन्न ब्रैंड्स और डिजाइनर्स के टॉप में साइज का फर्क होता है, इसलिए इसे खरीदने से पहले पहनकर जरूर देखें. अगर टॉप की ऑनलाइन खरीदारी कर रही हैं, तो ठीक से माप का अंदाजा लेने के बाद ही उसे खरीदें.

‘आउटसाइडर’ को अच्छी फिल्में मिलना मुश्किल है : कृति सेनन

फिल्म ‘हीरोपंती’ से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाली अभिनेत्री कृति सेनन ने तेलगू फिल्म से अभिनय शुरू किया था. बचपन से ही एक्टिंग के क्षेत्र में आने की इच्छा रखने वाली कृति एक मॉडल भी हैं, उनकी छरहरी काया और ऊंची कद काठी ही उन्हें इस ओर ले आई. हालांकि कृति ने अधिक फिल्में नहीं की है, पर वह फिल्मों का चयन करते वक्त उसकी कहानी और अपनी भूमिका पर खास ध्यान देती हैं.

हमेशा सकारात्मक सोच रखने वाली कृति की फिल्म ‘राब्ता’ रिलीज पर है, जिसमें उन्होंनें बहुत ही अलग भूमिका निभाई है, ये फिल्म उनके लिए एक चुनौती थी. उनसे बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.

‘दिलवाले’ फिल्म की सफलता का फायदा आपको कितना मिल रहा है?

फिल्म बड़ी थी और फायदा से भी अधिक उस फिल्म में मुझे इतनी जल्दी बड़े कलाकार के साथ काम करने का मौका मिला. मैंने बचपन से काजोल और शाहरुख की फिल्में देखी हैं, मेरे लिए तो ये सपना ही था. दूसरी फिल्म में इतने बड़े बैनर में निर्देशक रोहित शेट्टी के साथ काम करना भी मेरे लिए बड़ी बात थी. मेरा अनुभव उस फिल्म में काम करने का एक परिवार की तरह था. लगता ही नहीं था कि मैं शूट कर रही हूं.

‘दिलवाले’ रिलीज से पहले मैंने केवल एक फिल्म ‘हीरोपंती’ की थी, जिसमें टाइगर श्रॉफ और मैं दोनों ही नए थें, ऐसे में हमारे दर्शकों की संख्या सीमित थी. दिलवाले फिल्म के बाद मुझे देखने वाले दर्शकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गयी है. फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं होने पर आम जनता आपको जाने, आपके काम को जाने ये बहुत जरुरी है, जिसके बल पर आपको आगे काम मिलता है.

क्या किसी नए कलाकार का किसी बड़े व्यक्ति की सरनेम से जुड़े होने पर फायदा अधिक होता है?

भाई-भतीजावाद हर इंडस्ट्री में होता है. अगर मैं इसे ना बोलू तो मैं अंधी हूं. किसी व्यवसाय में हो या फिल्म इंडस्ट्री में ये तो चलता ही रहता है. जो बच्चे इंडस्ट्री में बड़े हुए है, उन्हें हर कोई जानता है. उन्हें अपनी इमेज क्रिएट नहीं करनी पड़ती. ऐसे में अगर कोई निर्देशक नयी फिल्म बनाता है, तो उसे सबसे पहले सामने वाला व्यक्ति ही नजर आता है. तीन-चार फिल्मों में उन्हें अवसर मिलता है और अगर वे उसमें सफल नहीं होते हैं तो वे आगे नहीं जा पाते. आसानी से फिल्मों में आने का अवसर तो ऐसे बच्चों को मिलता है पर बाद में प्रतिभा की जरुरत पड़ती है.

’राब्ता’ फिल्म की चुनौती क्या थी?

पिछले दोनों फिल्मों में मेरी भूमिका हल्की-फुल्की गर्लिश थी. उसमें भी मुझे मेहनत करनी पड़ी थी, लेकिन इसमें मेरी भूमिका मुझसे काफी अलग है, इसलिए अभिनय करने में मजा आया. इसमें मुझे दो अलग-अलग भूमिका में काम करने का अवसर मिला, जो बहुत चुनौतीपूर्ण था. इसमें जो अलग टाइम जोन को दिखाया गया है, उसकी कोई जानकारी मेरे पास नहीं थी. उसे समझना, मेकअप लेना और एक साथ काम करना आसान नहीं था. मैंने इस फिल्म के लिए मार्शल आर्ट और हॉर्स राइडिंग सीखा है.

आप फिल्मों को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं?

मैं जब भी स्क्रिप्ट पढ़ती हूं, तो उसे फील करना चाहती हूं. मैं एक दर्शक को अपने दिमाग में रखती हूं. अगर फिल्म मुझे पसंद आयेगी, तो दर्शकों को भी अवश्य आएगी. किसी भी प्रोजेक्ट को करने में तीन महीने देने पड़ते हैं, ऐसे में स्क्रिप्ट मजेदार होना जरुरी है. ताकि हर रोज जब मैं नींद से उठूं तो मेरे अंदर काम करने की उत्साह बनी रहे. इसके बाद मेरा चरित्र फिल्म में कितना प्रभावशाली है उसे देखती हूं. फिल्म करते-करते आपकी सोच बदलती रहती है. ऐसे में फिल्मों का सही चयन करना आसान होता है.

फिल्म प्रमोशन कितना जरुरी है?

फिल्मों का प्रमोशन जरुरी है लेकिन उसमें कई बार इतने अजीब लिख दिए जाते हैं, जिसे पढकर मैं खुद ताज्जुब हो जाती हूं कि ये कैसे लिखा गया है. पकाई हुई न्यूज मुझे कभी पसंद नहीं. फिल्म अगर सही बनी हो, तो दर्शकों को अच्छी लगेगी. सही तरह फिल्म का लिखा जाना और सही तरह से शूटिंग का होना बहुत जरुरी है. सही फिल्म न होने पर कितना भी प्रमोशन आप कर लें फिल्म नहीं चलेगी.

आपको और सुशांत को लेकर जो खबरें आ रही हैं, उसमें कितनी सच्चाई है?

उसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है. थोड़े समय बाद तो हम दोनों ऐसी कहानियों को देखकर मजे लेने लगे थें. हम काम के दौरान आपस में झगड़ते हैं, फिर मिल जाते हैं. इस तरह काम में एक उत्सुकता बनी रहती है. मुझे तो ऐसी खबरें पढ़कर ऐसा लग रहा था कि लिखने वाला मेरे साथ रहकर लिख रहा है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था. ऐसी मनगढ़ंत कहानी लिखने वाले की तारीफ करनी पड़ेगी.

सुशांत के साथ काम करने का अनुभव कैसा था?

वे एक अच्छे कलाकार हैं और उनके साथ काम करना आसान था. वे एक मेहनती कलाकार हैं और हर भूमिका की डिटेल में जाकर अभिनय करते हैं.

आपने कई लव स्टोरी वाली फिल्में की है, क्या किसी लव स्टोरी से आप खुद प्रेरित हैं? आज की पीढ़ी के लिए लव अलग है, क्या कहना चाहेंगी?

आजकल लव के मायने बदल चुके हैं. ऐसे में जब मैं किसी फ्रेंड की 11 साल की डेटिंग के बाद शादी को सुनती हूं, तो बहुत अच्छा लगता है. इसके अलावा जब कोई बुजुर्ग दम्पति जो हाथ में हाथ डाले किसी स्थान पर बैठे हुए होते हैं या एक दूसरे को सड़क पार करवा रहे होते हैं, तो मैं बहुत प्रभावित होती हूं, क्योंकि उम्र के उस पड़ाव में भी वे एक दूसरे के लिए होते हैं.

आजकल यूथ इतने व्यस्त और आत्मनिर्भर हैं कि उनके पास ठहराव की कमी है. ऐसे में वे प्यार और रिश्ते की गहराई को कम समझ पा रहे हैं. वे किसी भी रिश्ते से निकलने में घबराते नहीं. मेरे लिए किसी भी रश्ते में ठहराव और इमानदारी काफी मायने रखती है. समस्या है तो उसे मिलकर सुलझा लें और अगर नहीं सुलझता है तो उससे निकल जाना ही बेहतर होता है. पहले लोग रिश्ते में दुखी होकर भी उसे निभाना पसंद करते थें. मेरे हिसाब से लाइफ एक है और अगर किसी से आप नाखुश हैं, तो उससे निकलने में कोई बुराई नहीं है.

आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना है?

मेरे परिवार ने बहुत ही सहयोग दिया है, क्योंकि मैं एक उच्च शिक्षित परिवार से हूं. मेरे पिता चार्टेड अकाउंटेंट हैं, मेरी मां लेक्चरर हैं और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी. इसके बाद काम भी मिला, लेकिन मुझे करना नहीं था, क्योंकि मुझे मुंबई आना था. खासकर मध्यम वर्गीय परिवार में लड़कियों को कोई दूर, फिल्म इंडस्ट्री में भेजने से डरते हैं. ऐसे में उन्होंने मुझपर भरोसा किया, यहां आने दिया, ताकि मुझे कभी अपने ऊपर पछतावा न हो.

फैशन के जरिये एनिमल बचाओ का संदेश

फैशनेबल ड्रेस में लेदर और फर का प्रयोग बहुत पहले समय से हो रहा है जो एनिमल के लिये गंभीर खतरे की तरह होता है. पेटासंस्था ने फैशनेबल पोशाकों में एनिमल के लेदर और फर का प्रयोग न करने का संदेश देने के लिये तमाम तरह के उपाय किये. कभी न्यूड शो हुआ तो कभी बौडी पेंटिंग के जरीये इसका प्रचार किया गया.

अब पेटाफैशन डिजाइनिंग सीख रहे छात्रों के बीच जाकर उनको समझाने का प्रयास कर रहा है कि वह बिना लेदर और फर के ऐसी पोशाक बनायें जो लेदर और फर के शौकीन लोगों को पसंद आये. जेडी इंस्टीटयूट औफ फैशन टेक्नलॉजी के सालाना फोटोशूट 2017 एनुवल फैशन अवॉर्ड में ऐसी ही पोशाकें पेश की गई जो बिना किसी लेदर और फर के तैयार हुई थी.

इंस्टीटयूट के लखनऊ ब्रांच के डायरेक्टर संदीप गोला और शिप्रा आनंद ने अपनी देख रेख में छात्रों से ऐसे डिजाइन तैयार कराये जिससे आने वाले नये फैशन की शुरुआत करने का मौका मिला. इन खूबसूरत पोशाकों को मौडल हीना खान, विद्या श्री, निकिता डोबरीयाल, सेनाली वर्मा, मारिया और स्टैसी ने रैंप शो पर पहनें.

जजमेंट पैनल में डायरेक्टर आरसी दलाल और पेटा की मिस बेनजीर मौजूद थी. इन पोशाकों को देखकर लगा कि खूबसूरत पोशाकों के लिये लेदर और फर की जरूरत नहीं होती है.

अली फजल ने दी प्रियंका व दीपिका को मात!

दीपिका पादुकोण की हॉलीवुड फिल्म ‘‘एक्स एक्स एक्स द रिर्टन ऑफ जेंडर केज’’ और प्रियंका चोपड़ा की हॉलीवुड फिल्म ‘बेवॉच’ के प्रदर्शन और इनकी असफलता के बाद अब हर किसी की निगाहें बॉलीवुड अभिनेता अली फजल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’’ पर टिकी हुई है.

सूत्रों की मानें तो इस फिल्म में अली फजल को ‘बीबीसी’ व ‘फोकस पिक्चर्स’ निर्मित फिल्म ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’’ में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अदाकारा जूडी डेंच के साथ मेनलीड में अभिनय करने का मौका मिला है. यह फिल्म 18वीं सदी की सत्य कथा पर आधारित है, उस वक्त की इंग्लैड की महारानी ने एक भारतीय अब्दुल को अपना मित्र बनाकर सदैव अपने साथ रखा था.

अली फजल की ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ पहली हॉलीवुड फिल्म नहीं है. इससे पहले उन्होंने हॉलीवुड फिल्म ‘‘फास्ट एंड फ्यूरियस’’ में छोटा सा किरदार निभाया था, जिसकी वजह से ही उन्हें इस फिल्म में बहुत बड़ा किरदार निभाने का अवसर मिल गया. सही मायनों में देखा जाए तो एक भारतीय अभिनेता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत उंची छलांग है.

फिल्म ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दूल’’ का विश्व स्तर पर एक साथ ट्रेलर लॉन्च होने के बाद अली फजल ने हमसे बातचीत करते हुए कहा, ‘‘हॉलीवुड फिल्म में अब्दुल के शीर्ष किरदार को पाना मेरे लिए एक सपने जैसा है. खासकर उस वक्त जब मेरे जैसे तमाम भारतीय कलाकार इस किरदार को पाने के लिए संजीदा थें. जिन कलाकारों को अभिनय करते देख मैंने खुद का विकास किया है, जिनका मैं प्रशंसक हूं, वह भी इस किरदार को लेकर लालालियत थे. मगर यह मेरी तकदीर है कि अंततः निर्देशक ने मुझे चुना. इस फिल्म के लिए शूटिंग करना मेरे लिए मील का पत्थर रहा. उपर से जूडी डेंच के साथ अभिनय करने का अवसर तो उससे भी बड़े सपने को पूरे होने जैसा है. मैं अब तक चुप था. पर अब फिल्म पूरी हो गयी है. फिल्म का ट्रेलर आ चुका है. इसलिए बहुत खुश और अति उत्साहित हूं. इस फिल्म में मुझे जूडी डेंच के अलावा स्टीफेन, माइकल गैम्बन, एडी आदि के साथ काम करने का मौका दिया. इनके सैथ काम करने के बारे मैंने कभी सोचा नहीं था. मैं तो बड़ी विनम्रता के साथ इसे एक शुरूआत मानता हूं. अभी तो मुझे बहुत कुछ करना है, बहुत कुछ सीखना है.’’

उधर ‘‘एक्स एक्स एक्स द रिर्टन आफ जेंडर केज’’ तथा ‘‘बेवॉच’’ फिल्मों की असफलता और इन फिल्मों में दीपिका व प्रियंका के छोटे किरदारों को देखने के बाद बॉलीवुड का एक तबका चर्चा कर रहा है कि क्या भारतीय अभिनेता अली फजल ने दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा को मात दे दी?

‘अदम्य’ द्वारा अभिनेता नीरज भारद्वाज सम्मानित

मनोरंजन जगत में बेमिसाल योगदान के लिए हाल ही में मुंबई में एक भव्य समारोह में सामाजिक संस्था ‘‘अदम्य’’ ने टीवी व फिल्म कलाकार नीरज भारद्वाज को सम्मान पत्र व ट्रॉफी देकर सम्मानित किया है.

मूलतः कटिहार निवासी नीरज भारद्वाज दिल्ली में उच्च शिक्षा ग्रहण करते हुए चार्टेड एकाउंटेंट बने. उसके बाद वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से जुड़े. उसके बाद उन्होंने पुणे फिल्म संस्थान से पढ़ाई कर मुंबई की तरफ रूख किया. अब तक वे ‘प्रेम शास्त्र’, ‘भूखा शेर’, ‘तकदीर का सिकंदर’, ‘वक्त के शहजादे’ सहित कई फिल्मों और ‘एहसास’, ‘जाएं कहां’, ‘कांच के रिश्ते’, ‘साथ निभाना साथिया’ सहित कई सीरियलों में अभिनय का जलवा भी दिखा चुके हैं.

इन दिनों वे दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘बंधन कच्चे धागों का’’ में अभिनय कर रहे हैं.

जॉर्जिया में बौलीवुड फिल्म की शूटिंग पर 25 प्रतिशत की सब्सिडी

इन दिनों बौलीवुड के बीच जॉर्जिया काफी पसंद किया जा रहा है. पिछले दो वर्ष के अंदर श्रीदेवी अभिनीत फिल्म ‘‘मॉम’’ तथा अब्बास मस्तान की फिल्म ‘द मशीन’ सहित कई दूसरी बौलीवुड फिल्मे जॉर्जिया में फिल्मायी गयी हैं. ऐसे माहौल में जब जॉर्जिया के भारत स्थिति राजदूत आर्चिल डजुलियशविलि व जॉर्जिया के कान्सुलेट जनरल सतिंदर आहुजा ने ‘जॉर्जिया’ के 99वें स्वतंत्रता दिवस के साथ ही भारत के साथ जॉर्जिया के संबंधों के 25 वर्ष पूरे होने का दोहरा जश्न मुंबई में कोलाबा के पांच सितारा होटल ताज में मनाया.

इस अवसर पर फिल्म ‘द मशीन’ के निर्माता निर्देशक अब्बास मस्तान, धीरज कुमार, अनुज कपूर, संजय प्रताप, अमीषा पटेल, विजय कलंत्री, चरणजीत सिंह सप्रे व अन्य बौलीवुड हस्तियों के साथ ही कई देशों के राजदूत व अन्य हस्तियां मौजूद रहीं. इसके अलावा इस अवसर पर सतींदर सिंह आहुजा ने घोषणा की कि जार्जिया सरकार अपने देश की विभिन्न लोकेशन्स पर शूटिंग के लिए भारत को 25 प्रतिशत की सब्सिडी देगा.

16 साल बाद पर्दे पर लौट रही है ये एक्ट्रेस

साल 2001 में आई फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ में  करीना कपूर के बचपन का किरदार निभाने वाली मालविका राज अब पूरी तरह से बदल चुकी हैं. लगभग 16 साल बाद मालविका तेलुगु फिल्म निर्देशक जयंत सी. परांज की फिल्म ‘जयदेव’ के साथ वापसी कर रही हैं. यह फिल्म 9 जून को रिलीज हो रही है.

फिल्म ‘जयदेव’ से मालविका के साथ घंटा रवि भी अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं. घंटा रवि आंध्र प्रदेश के मंत्री श्रीनिवासा राव के बेटे हैं. मालविका सोशल मीडिया पर खासा एक्टिव हैं. बदलते वक्त के साथ अभिनेत्री का अंदाज बिल्कुल बदल चुका है.

मालविका ने हाल ही में ‘यू एंड आई’ नाम की मैगजीन के जून माह के अंक के लिए फोटोशूट करवाया है, तस्वीर में वे बैकलेस दिख रही हैं. यह पहली बार है जब मालविका किसी मैगजीन के कवर पेज पर दिख रही हैं.

 

 

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Life is too short to wear boring clothes! 😉 #traildress #fashion #bythesea #jayadev

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इस मशहूर एक्ट्रेस ने एडल्ट फिल्म से शुरु किया था फिल्मी करियर

आज बॉलीवुड में बी-ग्रेड फिल्मों से आई कई ऐसी एक्ट्रेस हैं, जो इंडस्ट्री में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी हैं. बात करें सनी लियोन की, तो वे आज के समय की उन एक्ट्रेसेस की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं, जो इन फिल्मों से हिंदी सिनेमा में आई हैं.

इसी इंडस्ट्री में एक दौर था जब कोई एक्ट्रेस बिकिनी भी पहन लेती थी तो वो जबरदस्त सुर्खियों में आ जाती थी. उस दौर की इस सोच को चैलेंज किया था उस वक्त की एक मशहूर अभिनेत्री ने.

इस एक्ट्रेस ने एडल्ट फिल्म से इतना नाम कमाया कि लोग हैरान रह गए, वहीं जब इसके बाद उन्हें बॉलीवुड फिल्में मिलीं, तो इन फिल्मों में भी ये एक्ट्रेस वो कमाल कर गईं कि लोग आज भी उन्हें याद करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि एडल्ट फिल्म में काम करने वाली इस एक्ट्रेस की उम्र उस समय महज 14 साल थी.

हम बात कर रहे हैं गुजरे दौर की मशहूर और हुनर से भरी अभिनेत्री नूतन की. शायद आप में से कुछ लोग ये बात पहले से ही जोनतोे होंगे और शायद नहीं भी. नूतन ने अपने करियर के शुरुआती दौर में एडल्ट फिल्मों में काम किया था. जिसको लेकर बाद उनकी काफी चर्चा भी हुई थी. इन फिल्मों के बाद नूतन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी काफी नाम कमाया और हिंदी सिनेमा का एक बड़ा नाम साबित हुईं.

ये बात तो शायद आपको बताने वाली नहीं है कि एक्ट्रेस नूतन बेहतरीन टैलेंट की खान थीं और उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे उम्दा हीरोइनों में से एक माना जाता था.

सब बयां करती थीं आखें

नूतन एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिनकी आंखे ही सब कुछ बयां कर जाती थीं.

दी हैं कई हिट फिल्में

अपने करियर में नूतन ने एक से बढ़कर कई हिट फिल्में दीं और कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया.

छोटी उम्र में शुरू किया काम

4 साल की उम्र में ही उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रख दिया था. देख नहीं पाईं थी फिल्म इतनी कम उम्र में ही उन्होंने एक अडल्ट फिल्म में काम किया था. और इसी फिल्म को देखने से उन्हें रोक दिया गया था.

ये थी फिल्म

दरअसल नूतन ने 14 साल की उम्र में ही एक फिल्म की थी ‘नगीना’ जिसे सेंसर बोर्ड ने एडल्ट सर्टिफिकेट दिया था. सिर्फ एडल्ट फिल्म नहीं थी यूं तो ये फिल्म रोमांस और क्राइम सस्पेंस थ्रिलर थी लेकिन सेंसर बोर्ड को ये फिल्म अडल्ट कैटेगरी के लायक लगी.

इसलिए वे खुद ही नहीं देख पाईं अपनी फिल्म

उस समय की खबरों के अनुसार वॉचमैन को पता था कि ‘नगीना’ एक अडल्ट फिल्म है और इसीलिए उन्होंने 14 साल की नूतन को अंदर जाने से रोक दिया. नूतन ने वॉचमैन को समझाने की काफी कोशिश की. नूतन ने कहा भी कि वो ही उस फिल्म की हीरोइन हैं, लेकिन वॉचमैन था कि सुनने को तैयार ही नहीं था. बिना देखे वापस लौटीं लाख कोशिशों के बाद भी उसने नूतन को अंदर नहीं जाने दिया. थक-हारकर नूतन फिल्म देखे बिना ही वापस लौट गईं.

क्या प्रभास ने बदला अपना लुक!

एसएस राजामौली की सुपरहिट फिल्म ‘बाहुबली: द कन्क्लूजन’ में साउथ सुपरस्टार प्रभास ने बाहुबली का किरदार निभाया. ‘बाहुबली’ सीरीज की फिल्मों के लिए 5 साल समर्पित करने के बाद प्रभास अब फिल्म ‘साहो’ में नजर आएंगे. दक्षिण भारतीय निर्देशक सुजीत की फिल्म ‘साहो’ की शूटिंग प्रभास शुरू कर चुके हैं.

इसी बीच प्रभास की एक तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हुई है. इसे फैन्स प्रभास की नई फिल्म का लुक मान रहे हैं. प्रभास के फैन क्लब द्वारा शेयर की गई इस फोटो में वे क्लीन शेव लुक में दिखाई दे रहे हैं.

हालांकि, यह साफ नहीं है कि उनकी यह तस्वीर नई है या पुरानी. यह तस्वीर प्रभास के फैन पेजों से इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई है. यह प्रभास का असली इंस्टाग्राम अकाउंट नहीं है. इसलिए इस तस्वीर की सत्यता पर थोड़ा संदेह है. इसमें कोई दोराय नहीं हैं कि तस्वीर में प्रभास ही दिख रहे हैं. लेकिन, क्या यह ‘साहो’ के लिए उनका नया लुक है? इसपर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है.

साहो के ट्रेलर में प्रभास की मूछें हैं लेकिन इस तस्वीर में वह क्लीन शेव्ड हैं. इसलिए दोनों में तुलना करना कितना सही है, यह तो फिल्म की शूटिंग के बाद ही पता चल पाएगा.

‘बाहुबली’ की अपार सफलता के बाद अब प्रभास कुछ ही महीनों में सुजीत की ‘साहो’ के लिए शूट करेंगे. यह फिल्म अगले साल थिएटर में आएगी.

 

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ट्रेंड में हैं कॉटन के ये कुर्ते

कुर्तों में थोड़ा सा बदलाव ला इसे कंटेम्प्रेरी लुक दिया गया है. और जब से इन एथनिक वियर कुर्तों को मॉडर्न कंटेम्प्रेरी ट्विस्ट दिया गया है तब से यह ट्रेडिशनल आउटफिट महिलाओं और टीनएजर्स का पसंदीदा ड्रेस बन गया है.

इस गर्मी भी कुछ कुर्ते खासा ट्रेंड में हैं. इन ट्रेंडिंग कुर्तों को पहन कर आप स्टाइलिश दिख सकती हैं और अपनी खूबसूरती बढा सकती हैं. जानें इस सीजन के ट्रेंडिंग कुर्तों के बारे में.

लेयर्ड कुर्ते

लेयर्स इस वक्त का करेंट ट्रेंड है. इन कुर्तों का यूनीक पैटर्न ही इन्हें स्पेशल बनाता है. ये कुर्ते एक नहीं बल्कि दो पार्टस में होते हैं. हो सकता है कि दोनों में प्रिंट्स हों या सिर्फ अपर पार्ट में प्रिंट होगा. साथ ही अपर पार्ट में साइड स्लिट्स भी काफी हाई होती हैं या ये लूप्‍स से कनेक्टेड होते है. इनका दूसरा पैटर्न है, केप पैटर्न जहां अपर कुर्ता एक केप की तरह या लॉन्ग श्रग की तरह होता है.

रंगबिरंगे कुर्ते

क्योंकि सीजन गर्मी का है इसलिए व्हाइट, ऑफ व्हाइट तो बेसिकली इन हैं ही, लेकिन इसके अलावा ऑरेंज और ऑरेंज के लाइट शेड्स जैसे पीच एंड कोरल सबसे ज्यादा ट्रेंड में हैं. इसके अलावा यलो, मस्टर्ड, इंडिगो ब्लू, टील, सी ग्रीन जैसे कलर्स भी बेहद पॉपुलर हो रहे हैं. बोल्ड कलर्स ट्राई करने हों तो रेड, फूशिया और रॉयल ब्लू कलर्स को ट्राई किया जा सकता है.

प्‍लेन कुर्ते

सॉलिड यानि प्‍लेन कुर्ते एक सेफ और एवरग्रीन ऑप्‍शन होते हैं और इस बार भी मार्केट में आपको इनकी भरमार दिख जाएगी. इन्हें प्रिंटेड प्‍लाजो, प्रिंटेड लेगिंग्स, सिगरेट पैंट्स, क्रॉप्‍ड पैंट्स या कलेटोज के साथ पेयर किया जा सकता है. ऑफिस वियर के लिए ये एकदम परफेक्ट च्वॉइस होंगे.

चेक की बहार

प्रिंट्स की बात की जाए तो फ्लोरल प्रिंट्स तो गर्मियों में टॉप ट्रेंड होते हैं लेकिन इसके साथ इस बार चेक्स एंड स्टोरी प्रिंट्स भी फैशन में हैं. चेक्स में आपको बड़े, छोटे और डायग्नल चेक्स मिलेंगे. इंटरेस्टिंग बात ये है कि ये चेक्स फ्लोरल प्रिंट्स के साथ कॉम्बिनेशन में भी हो सकते हैं. कुछ पैटर्न में आपको बर्डस, ट्रीज जैसी प्रिंट स्टोरीज भी मिल जाएंगी.

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