इस लड़के के लिए राजकुमारी ने छोड़ दिया अपना राजपाठ, आखिर क्या है इस लड़के में खास

प्यार वो  होता है जिसके लिए कोई कुछ भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाता है, फिर चाहे पैसा हो या प्रॉपर्टी, लेकिन एक आम लड़के के प्यार में एक राजकुमारी को अपना राज पाठ छोड़ते हुए आपने सिर्फ कहानियों में ही सुना होगा, लेकिन आज ये किस्सा सच हो गया है.

जापान की सुंदरी को हुआ इश्क और एक साधारण दिखने वाले लड़के के लिए उसने अपना पूरा साम्राज्य ठुकरा दिया. इस सुंदरी का नाम ‘मेको’ है. 25 साल के अपने प्रेमी ‘की कोमुरो’ से शादी के बंधन में बंधने के लिए उसने आधिकारिक आज्ञा मांगी है.

हालांकि इस बंधन में बंधने के बाद उसे अपना राज्य छोड़ना पड़ेगा, क्योंकि ऐसा करना वहां की परंपरा के खिलाफ है. अब बात है कि ऐसा क्या खास है उस लड़के में जो एक राजकुमारी को अपना राज्य छोड़ना पड़ रहा है. 25 साल का ‘की’ और राजकुमारी दोनों जापान के एक रेस्टोरेंट में मिले थे.

राजकुमारी का दिल जीतने वाला 25 साल का ‘की कोमुरो’ राजकुमारी ‘मेको’ के ही कॉलेज से ग्रेजुएट है. कुछ समय पहले जब दोनों रेस्टोरेंट में मिले, तब उन दोनों का इश्क परवान चढ़ा. अब बात राजकुमारी के त्याग पर आ रुकी है, एक तरफ प्यार है दूसरी तरफ साम्राज्य.

हालांकि राजकुमारी मेको अपने साथी को घर वालों से मिलवा चुकी हैं और घर वाले इस शादी के लिए राजी ही हैं, लेकिन उनका राजशाही परिवार ये नहीं चाहता कि इस बात की खबर किसी को लगे.

फिल्म रिव्यू : हाफ गर्ल फ्रेंड

भाजपा समर्थक मशहूर उपन्यासकार चेतन भगत के कई उपन्यासों पर कई सफल फिल्में बन चुकी हैं, पर इसके यह मायने नहीं होते कि उनके हर उपन्यास पर एक अच्छी फिल्म का निर्माण किया जा सकता है. इस बार चेतन भगत के उपन्यास ‘हाफ गर्ल फ्रेंड’ पर बनी इसी नाम की यह फिल्म इस बात को साबित करती है कि हर कहानी को आप दृश्य श्रव्य माध्यम में नहीं बदल सकते. मजेदार बात यह है कि अपने हर उपन्यास पर बनी सफल फिल्मों से निर्माताओं को कमाई करते देख इस बार इस फिल्म का सह निर्माण कर चेतन भगत अपना हाथ जला बैठे हैं. अब उनकी समझ में आ जाएगा कि हर चमकने वाली पीले रंग की वस्तु सोना नहीं होती.

फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ यह साबित करती है कि हर किताब पर एक अच्छी फिल्म नहीं बनायी जा सकती. माना कि चेतन भगत के उपन्यास पर ही ‘काई पे चे’, ‘टू स्टेट्स’ व ‘थ्री ईडियट्स’ जैसी सफल फिल्में बनी हैं. पर निर्माण के क्षेत्र में उतरते हुए चेतन भगत यह कैसे भूल गए कि अतीत में भी उनके एक उपन्यास पर बनी फिल्म ‘हेलो’ का क्या हश्र हुआ था.

फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ की शुरुआत होती है माधव झा (अर्जुन कपूर) से अनबन के बाद रिया सोमानी (श्रद्धा कपूर) का टूटे दिल के साथ पटना छोड़ने से. उसके बाद माधव अतीत में खो जाता है, जब वह पहली बार दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज में रिया सोमानी से मिला था.

बिहार के बक्सर जिले के डुमराव गांव के रहने वाले माधव झा अंग्रेजी की पढ़ाई कर अपने गांव को सुधारने के लिए पहले पटना और फिर दिल्ली के सेंट स्टीफन कालेज पढ़ने पहुंचते हैं. उन्हे बास्केटबाल खिलाड़ी होने के चलते ही कालेज में प्रवेश मिला था. दिल्ली में रिया से मुलाकात होने पर दोनों की दोस्ती खिलाड़ी होने के कारण हो जाती है. रिया भी फुटबाल खिलाड़ी है. वैसे रिया अति अमीर परिवार से है और बड़ी गाड़ी में कालेज आती है. रिया को पहली बारिश में भीगते देख माधव उसे अपना दिल दे बैठता है. यानी कि एक अमीर लड़की और गरीब लड़के के रोमांस की शुरुआत. पता चलता है कि रिया सोमानी अपने घर पर हर दिन अपने पिता द्वारा अपनी मां को पिटते हुए देखती रहती है. इसलिए उसे भोला भाला माधव अच्छा लगता है. पर वह साफ कर देती है कि वह उसकी प्रेमिका नहीं हाफ गर्ल फ्रेंड है. और गिटार बजाती है. उसका सपना न्यूयार्क के क्लब में जैज सिंगर के रूप में काम करना है. उधर माधव अंग्रेजी नही आती की हीनग्रंथि से उबरने का प्रयास कर रहा है. माधव का दोस्त शैलेष (विक्रांत मैसे) उसकी मदद करता रहता है.

रिया व माधव का रिश्ता आगे बढ़ता है, मगर माधव की बेवकूफी के चलते दोनों के रिश्तों में दरार आ जाती है. रिया कहीं दूर चली जाती है. माधव वापस अपने गांव आकर गांव के अपने पारिवारिक स्कूल को विस्तार देने के अलावा लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने का काम शुरू करता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. एक बार फिर माधव और रिया की मुलाकात न्यूयार्क में होती है.

फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की कमजोर कड़ी इसकी कहानी व पटकथा है. कहानी को जब आप किसी मकसद के अंदर पिरोने की कोशिश करते हैं, तो सब कुछ बिखर जाता है. कहानीकार व पटकथा लेखक ने इस फिल्म में अंग्रेजी व हिंदी भाषा के बीच के भेदभाव, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के साथ हिंसा, सेक्सुल अब्यूज, लड़कियों की शिक्षा सहित कई मुद्दों को फिल्म में पिरोन का प्रयास करते करते पूरी कहानी व फिल्म को तहस नहस कर दिया.

यह फिल्म न मुद्दों पर आधारित फिल्म रही और न ही प्रेम कहानी वाली फिल्म रही. फिल्म में रोमांस है ही नहीं. फिल्म के सभी किरदार बिखरे हुए नजर आते हैं. आखिर यह किरदार कहना क्या चाहते हैं, इसे फिल्मकार ठीक से बता ही नहीं पाता. इंटरवल से पहले की फिल्म और इंटरवल के बाद की फिल्म के बीच सामंजस्य ही नहीं बैठ पाता है. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत घटिया है. इस फिल्म की मजेदार बात है कि दर्शक को लगता है कि फिल्म खत्म हो गई, पर पता चलता है कि अभी तक खत्म ही नहीं हुई. यह स्थिति भी पटकथा लेखक व निर्देशक की कमजोरी की ओर इशारा करती है. दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या कई सफल फिल्म दे चुके निर्देशक मोहित सूरी ही इस फिल्म के निर्देशक हैं?

फिल्म में इमोशंस का घोर अभाव है, जिसके चलते दर्शक किरदारों के साथ जुड़ ही नहीं पाता. निर्देशकीय कमजोरी के चलते जब तक दर्शक रिया व माधव की प्रेम कहानी के साथ खुद को जोड़ पाता, तभी दोनों के बीच समस्याएं आती हैं और दोनों अलग हो जाते हैं.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो इस फिल्म में अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर की केमिस्ट्री नहीं जमी. दोनों का अभिनय भी औसत दर्जे का ही रहा है. विक्रांत मैसे भी ठीक ठाक रहे. फिल्म का गीत संगीत भी प्रभावित नहीं करता. फिल्म के संवाद बचकाने हैं.

दो घंटे 15 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘हाफ गर्लफ्रेंड’’ का निर्माण शोभा कपूर, एकता कपूर, मोहित सूरी व चेतन भगत तथा निर्देशन मोहित सूरी ने किया है. फिल्म की संवाद लेखक इशिता मोएत्रा, पटकथा लेखक तुषार हिरानंदानी, संगीतकार मिठुन, तनिष्क बागची, अमि मिश्रा, राहुल मिश्रा, कैमरामैन विष्णु राव व कलाकार हैं – अर्जुन कपूर, श्रद्धा कपूर, विकारंत मैसे, सीमा विश्वास व अन्य.

आपने देखा एआईबी और इरफान का ये फनी वीडियो

एआईबी और इरफान खान की जोड़ी एक बार फिर धमाल मचा रही है. इस बार एआईबी ने इरफान के मेम्स तैयार किए हैं. ये मेम्स तैयार करने के दौरान का एक मजेदार और मसालेदार वीडियो खूब वायरल हो रहा है.

वीडियो अपलोड करने के बाद से ही तेजी से इसके व्यूज बढ़ रहे हैं. एआईबी ने इन मेम्स के साथ जो वीडियो शेयर किया है उसमें इरफान खान अपनी फिल्म हिंदी मीडियम को प्रमोट करने के लिए एआईबी टीम के पास जाते हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं.

बस फिर क्या था, एआईबी टीम उनके इस ‘कुछ भी’ का कुछ इस तरह इस्तेमाल करती है कि यह मजेदार बन जाता है. अपनी कुछ भी करने की बात कह कर इरफान मेम्स वीडियो के चक्कर में फंस जाते हैं.

इस वीडियो में जब इरफान एआईबी टीम से मिलते हैं और फिल्म हिंदी मीडियम को प्रमोट करने के लिए एक नया वीडियो बनाने की बात करते हैं, तो एआईबी टीम उनसे पूछती है कि आखि‍र क्या करना चाहते हैं वो, इस पर इरफान कहते हैं कि वे प्रमोशन के लिए कुछ भी करेंगे. एआईबी इरफान के साथ बनाता है एक मेम्स वीडियो, जो अपने आप में डिफ्रेंट तो है ही और मजेदार भी बहुत है.

इससे पहले भी इरफान एआईबी के साथ पार्टी वी‍डियो बना चुके हैं, जो काफी वायरल हुआ था.

यहां देखें वीडियो.

इन फिल्मों में रीमा ने निभाया मां का किरदार

बॉलीवुड में सलमान-शाहरुख जैसे सुपरस्टार की ‘मां’ का रोल निभाने वाली रीमा लागू अब नहीं रहीं. उनका दिल का दौरा पड़ने से 59 साल की उम्र में निधन हो गया.

रीमा लागू ने अपने करियर की शुरुआत मराठी टीवी सीरियल से की थी. अभिनेत्री रीमा लागू हाल के दिनों में स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाला सीरियल नामकरन में दिखाई देती थीं.

80 और 90 के दशक की फिल्मों में मां के रोल में वो काफी लोकप्रिय हुई थीं. रीमा को उस समय पहचान मिली जब उन्होंने फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में काम किया. इस फिल्म में रीमा ने सलमान खान की मां का रोल निभाया था.

इसके बाद से रीमा ने कई हिट फिल्मों में काम किया. आइए जानते हैं रीमा की उन फिल्मों के बारे में जिनमें उन्होंने लीड रोल भले ना प्ले किया हो लेकिन वो बॉलीवुड की फेमस ‘मां’ जरूर बन गईं.

मैंने प्यार किया

सलमान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में रीमा लागू ने सलमान खान की मां कौशल्या चौधरी का किरदार निभाया था. सलमान खान की इस कामयाब फिल्म में रीमा के किरदार ने भी बड़ी भूमिका निभाई. यही फिल्म थी जिससे रीमा लागू को बॉलीवुड में पहचान मिली.

आशिकी

90 के दशक की फिल्म ‘आशिकी’ में उन्होंने राहुल रॉय की मां का किरदार निभाया था. इस फिल्म में उनके बेजोड़ अभिनय के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का अवॉर्ड मिला था.

जुड़वा

डेविड धवन की इस फिल्म में रीमा ने सलमान खान की मां का रोल प्ले किया था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी. अब इसका रीमेक भी बनने जा रहा है.

कल हो ना हो

शाहरुख की हिट फिल्मों में से एक ‘कल हो ना हो में भी रीमा लागू’ ने शाहरुख की मां का किरदार निभाया था. हर बार की तहर इस फिल्म में भी रीमा ‘मां’ के किरदार में खूब जंची थीं.

हम आपके हैं कौन

सूरज बड़जात्या की एक और फिल्म में रीमा लागू को ‘मां’ बनने का मौका मिला. इस फिल्म में रीमा ने माधुरी दीक्षित और रेणुका साहणे की मां का किरदार निभाया था. फिल्म के गाने ‘आज हमारे दिल में अजब सी’ में रीमा को काफी पसंद किया गया था.

वास्तव

इस फिल्म में रीमा लागू ने संजय दत्त की मां का किरदार निभाया था. फिल्म भले ही हिट ना रही हो लेकिन रीमा लागू को मां के किरदार में दर्शकों ने पसंद किया था.

कुछ कुछ होता है

करण जौहर की हिट फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ में रीमा लागू ने काजोल की मां का किरदार निभाया था. इस फिल्म में रीमा ने ऐसी मां का किरदार निभाया जो कि अपनी बेटी के प्यार को समझती है.

हम साथ साथ हैं

रीमा लागू शायद फिल्म मेकर सूरज बड़जात्या की फेमस रील ‘मां’ हैं. ‘मैंने प्यार किया’ के बाद सूरज ने अपनी लगभग अपनी हर फिल्म में रीमा लागू को ‘मां’ का रोल दिया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. ‘हम साथ साथ हैं’ में रीमा ने सैफ अली खान, सलमान खान और मोहनीश बहल की मां का रोल प्ले किया था.

यस बॉस

शाहरुख की फिल्म ‘यस बॉस’ में रीमा ने उस मां की भूमिका निभाई जो कि दिल की बीमारी से जूझ रही होती है.

मैं प्रेम की दीवानी हूं

‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ फिल्म में रीमा लागू ने अभिषेक बच्चन की मां का किरदार निभाया.

खूबसूरती का सतरंगा एहसास : सापूतारा

सापूतारा का अर्थ होता है, सांपों का स्थान. यह गुजरात का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है. अब जब घूमने का प्लान बनाएं और गुजरात जाएं, तो कुछ दिन गुजरात के सापूतारा में जरूर गुजारें.

गुजरात का सापूतारा एक ऐसा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, जहां ट्रैकिंग,एडवेंचर के साथ वाटरफॉल और दूर-दूर तक हरियाली दिखाई देता है. यह गुजरात का एकमात्र हिल स्टेशन है. भीड़भाड़ से दूर एक ऐसी जगह, जहां गांव और शहर दोनों का मजा साथ-साथ है. शहर की आपाधापी से दूर आदिवासियों के बीच एक दूसरी ही दुनिया है.

फैमिली के साथ करें एंज्वॉय

छुट्टियों पर जाने का मकसद तो बस इतना ही होता है कि ज्यादा से ज्यादा एंज्वॉय कर सकें. जगह इतनी खूबसूरत हो कि सारी परेशानियां और पूरे साल की आपाधापी की थकावट दूर कर सकें. वादियां इतनी खूबसूरत हों कि साल भर मन गुदगुदाता रहे. कुछ ऐसा ही है सापूतारा.

बादल कब आपको भिगो दें, पता ही नहीं चलता. थोड़ी-थोड़ी देर में होने वाली रिमझिम से पूरी वादी हरी-भरी, चंचल-सी लगने लगती है. जिधर नजर दौड़ाइए, वादियां, पहाडिय़ां, उमड़ते-घुमड़ते बादल, तपती गरमी में मन को शांति देते हैं, जबकि ठंड में पहाडिय़ों पर सफेद बर्फ की चादर हर किसी को लुभाती है.

एडवेंचर के साथ मस्ती भी

एक पर्यटक को चंद दिन गुजारने के लिए जो सुकून, मस्ती चाहिए सापूतारा में वह सब एक साथ मौजूद है. घने जंगलों के बीच से गुजरते इस छोटे से टूरिस्ट स्पॉट पर एडवेंचर पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए जिप राइडिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग के साथ साथ माउंटेनियरिंग की सुविधाएं भी मौजूद हैं. घने जंगलों से होकर इस गुजराती आदिवासी प्रदेश से गुजरना काफी रोमांचक है. पहाडिय़ों के बीच से जब आप गुजरेंगे, तो जगह- जगह छोटे-छोटे वाटरफॉल रोमांचित करते जाएंगे. झील, फॉल, ट्रैकिंग और एडवेंचर को एंज्वॉय करने का कंपलीट डेस्टिनेशन होने की वजह से युवाओं का फेवरेट टूरिस्ट स्पॉट भी है.

आदिवासियों का जनजीवन

गुजरात पर्यटन सापूतारा को हॉट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए खास तरह की तैयारी कर रहा है. आदिवासियों के घरों का चयन कर टूरिस्ट फ्रेंडली और उनके घरों में शौचालयों की व्यवस्था कर रही है. पर्यटक अधिक से अधिक आदिवासियों के

जनजीवन को समझ सकें, इसके लिए आदिवासियों को भी खास तरह का प्रशिक्षण दिया गया है. आदिवासियों के साथ एक रात गुजारने की कीमत 2500 से तीन हजार रुपये है.

सापूतारा महाराष्ट्र और गुजरात के बॉर्डर पर है. सापूतारा नासिक और शिरडी से महज 70-75 किलोमीटर की दूरी पर है इसलिए यहां देशभर के पर्यटक आते हैं. दो-दो धार्मिक स्थल के बीच में होने की वजह से यह पूरा क्षेत्र शाकाहारी है. बहुत ढूंढऩे के बाद कहीं एक-आध नानवेज की दुकान मिलती है. इसलिए इसे शाकाहारी शहर भी कहते हैं.

बारिशों का लुत्फ

रिमझिम बारिश के बारे में यहां के लोगों का कहना है कि यहां कभी-भी बारिश होती है और छतरी की जरूरत नहीं पड़ती है. ये बारिश आपको गुदगुदाती हैं. पहाड़ियों पर उमड़ते-घुमड़ते बादल कभी भी पहाड़ियों को अपने आगोश में ले लेते हैं. इन्हीं पहाड़ियों के बीच जिप ट्रैकिंग भी है.

अन्य आकर्षण

सापूतारा नाम के हिसाब से यहां सांप का झुंड या बसेरा होना चाहिए था. शायद वह घने जंगलों में हो. हां, यहां सांप का मंदिर जरूर है, जो पर्यटकों और बच्चों में खासा पॉपुलर है. यहां एक झील भी है, जो कपल्स के लिए मोस्ट रोमांटिक डेटिंग प्लेस की तरह दिखाई देता है. बोटिंग करते लोग और बारिश पूरे वातावरण को रोमांचक बना देता है. यहां पर जगह-जगह छल्ली मिलती है-नमक, मिर्च और नींबू के साथ,चाय और उबली हुई मूंगफली. अलग ही मजा है उबली मूंगफली का भी. यहां से ही कुछ दूरी पर है गिरा फॉल, जिसे नियाग्रा फॉल के नाम से भी जाना जाता है. यहां पहुचने का रास्ता घने जंगलों से होकर गुजरता है. मध्यमवर्गीय परिवारों का भी यह फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, क्योंकि यहां 1100 रुपये से लेकर 5500 रुपये तक के कमरे मौजूद हैं.

कैसे पहुंचें

सापूतारा सूरत, नासिक या शिरडी से भी पहुंचा जा सकता है. नजदीकी हवाई अड्डा सूरत है, जो करीब 170 किमी. की दूरी पर है. छोटी लाइन की ट्रेन से बाघई फिर वहां से सापूतारा पहुंच सकते हैं.

चेहरे पर लगाती हैं नींबू तो..

अपनी त्वचा को दमकाने के लिए आपने कई तरह के घरेलू उपायों को अपनाया होगा. कभी बेसन और हल्दी से बना फेसपैक, तो कभी एलोवेरा जेल का प्रयोग तो कभी कच्चे दूध से चेहरा धुला होगा. लेकिन क्या आपने कभी नींबू का इस्तेमाल, त्वचा को सुंदर बनाने के लिए किया है. अगर नहीं तो आप कर सकती हैं.

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नींबू के इस्तेमाल से कुछ लोगों में रैशेज पड़ने और जलन होने की समस्या भी देखी गई है और इसके पीछे मुख्य वजह, लोगों की अलग-अलग प्रकार की त्वचा का होना होता है. चूंकि, नीबू की प्रकृति अम्लीय होती है, ऐसे में यह त्वचा पर विपरीत प्रभाव भी डाल देता है. अगर आपको नींबू के रस से एलर्जी हो तो इसका इस्तेमाल बिल्कुल न करें.

नींबू का पीएच मान बहुत कम होता है यानि उसमें अम्लीय गुण अधिक होता है. ऐसे में उम्मीद कहीं ज्यादा है कि आप चेहरे के जिस हिस्से का उपचार करें वो ठीक होने के बजाय धब्बे और चकत्तेदार हो जाएं.

कई लोगों को नींबू को चेहरे पर लगाने के बाद लाल चकत्ते भी पड़ जाते हैं और खुजली होने लगती है. आपको बता दें कि नींबू में फोटोसिंथेसाइजिंग कम्पाउंड होते हैं जो धूप में त्वचा को यूवी किरणों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं. जिसकी वजह से चेहरे पर पिग्मेंटेशन भी हो सकता है.

इसलिए नींबू का इस्तेमाल करने से पहले इन बातों को ध्यान में रखें.

1. अगर आप नींबू का इस्तेमाल अपनी त्वचा को सुंदर बनाने के लिए करना चाहती हैं तो आपको सबसे पहले अपनी त्वचा का प्रकार जानना बेहद जरूरी है.

2. अगर त्वचा ड्राई या फ्लैकी है तो इसका इस्तेमाल न करें. इस्तेमाल से पहले चेहरे को नम कर लें.

3. चेहरे पर दाने या कील-कील-मुहांसे होने पर भी आप इसका इस्तेमाल न करें, वरना जलन हो सकती है.

4. नींबू से त्वचा हाईड्रेड हो जाती है इसलिए ये फायदेमंद साबित होता है.

5. गंदे हाथों से कभी भी इसे न लगाएं. अन्यथा आपको दाने हो सकते हैं या किसी प्रकार का संक्रमण भी हो सकता है.

वायरल सुंदरता

हर युग में इंसान में सुंदरता को ले कर एक इच्छा मौजूद रही है. वैसे यह सुंदरता किसी भी तरह की हो सकती है, जैसे प्रकृति की सुंदरता. किसी वैज्ञानिक के लिए उस की कोई खोज सुंदर हो सकती है पर सब से ज्यादा चर्चा उस सुंदरता की होती है जिस में किसी का चेहरा लोगों को आकर्षित करता है. इस सुंदरता का इतना ज्यादा महत्त्व है कि इस के बारे में प्राचीन दार्शनिक अरस्तू ने एक बार कहा था, ‘सुंदरता दिलों में धड़कन पैदा कर देती है, दिलोदिमाग पर छा जाती है और भावनाओं के जंगल में जैसे आग ही लगा देती है.’

इधर कुछ समय से कुछ चेहरों की सुंदरता के ज्यादा चर्चे इंटरनैट पर हो रहे हैं. थोड़ेथोड़े अंतराल पर दुनिया के किसी कोने से किसी सुंदर लड़की या लड़के की तसवीरें इंटरनैट पर वायरल हो जाती हैं. लोगों में उन्हें देखने की दीवानगी का आलम यह होता है कि वे इस के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं. कभी इस के लिए मारपीट की नौबत आ जाती है, तो कभी उस सुंदर व्यक्ति की ओर से मिले आमंत्रण में शामिल होने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. पिछले कुछ समय में मैक्सिको से ले कर नेपाल, चीन तक से ऐसे युवकयुवतियों के चेहरे इंटरनैट पर छाए रहे जिन्हें पहले तो कोई नहीं जानता था, लेकिन जब किसी ने उन की तसवीरें या वीडियो इंटरनैट पर डाले तो वे रातोंरात पूरी दुनिया में छा गए. ऐसा ही एक सनसनीखेज किस्सा मैक्सिको की 15 साल की किशोरी रूबी इबार्रा गार्सिया का है.

रूबी की बर्थडे पार्टी

दिसंबर, 2016 में उत्तरी मैक्सिको के सैन लुईस पोटोसी में रहने वाली रूबी के पिता ने रूबी का एक वीडियो बना कर फेसबुक पर अपलोड किया और उसे देखने वाले हर शख्स से उस की बर्थडे पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दे डाला. इस वीडियो के साथ दी गई सूचना में बताया गया कि रूबी की बर्थडे पार्टी पर खानापीना होगा, एक घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन होगा और स्थानीय बैंड इस मौके पर अपना प्रदर्शन करेगा.

फेसबुक पर पोस्ट किया गया यह वीडियो यूट्यूब पर पहुंच गया और देखते ही देखते इस पर संगीत के कई सितारों ने टिप्पणी की, इस पर जोक बनाए गए और कई कंपनियों ने रूबी के बर्थडे से जुड़े आयोजनों की स्पौंसरशिप तक का प्रस्ताव कर डाला. घुड़दौड़ जीतने वाले को 500 डौलर इनाम देने की घोषणा भी की गई. सब से उल्लेखनीय मैक्सिकन एयरलाइंस इंटरजैट का प्रस्ताव रहा, जिस ने इस मौके पर सैन लुईस पोटोसी पहुंचने वालों को किराए में 30% छूट देने का ऐलान किया.

एक अनजान किशोरी रूबी की बर्थडे पार्टी का आमंत्रण इंटरनैट पर वायरल हो जाना और उस में लाखों लोगों की भीड़ जुटना आश्चर्यजनक तो है, लेकिन इस की एक वजह थी रूबी की सुंदरता. सुंदर चेहरेमुहरे वाली रूबी का फोटो और वीडियो जिस किसी ने देखा, वह उस की सुंदरता का कायल हो गया और उस की बर्थडे पार्टी में शामिल होने को उतावला हो उठा.

इंटरनैट पर सुंदर लोगों के फोटो के वायरल होने का यह अकेला किस्सा नहीं है. हाल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जब बिलकुल अनजान लोग अपने चेहरे और देहयष्टि की वजह से दुनिया में अचानक चर्चा में आ गए.

पाकिस्तान का चाय वाला

एक चाय वाला जिस का नाम है अरशद खान, पिछले कुछ समय से हर किसी की जबान पर है. नीली आंखों वाले पाकिस्तान के चाय वाले अरशद खान की कुछ तसवीरें एक पत्रकार ने इंटरनैट पर क्या डालीं, वह रातोंरात मशहूर हो गया. इंटरनैट पर मिली शोहरत का नतीजा यह निकला कि अरशद को एक वैबसाइट रीटेल साइट फिटइन डौट पीके ने मौडलिंग के लिए अनुबंधित कर लिया. उसे टीवी शोज में भी बुलाया जाने लगा.

इंटरनैट पर अरशद का फोटो वायरल होने के बाद लड़कियां उसे सुपरमौडल बता रही थीं और फैशन एजेंसियों से उसे हायर करने की सलाह दे रही थीं.

सिक्योरिटी अफसर ली मिनवेइ

अरशद खान की तरह अपनी स्मार्टनैस की वजह से सिंगापुर एयरपोर्ट पर तैनात सिक्योरिटी अफसर ली मिनवेइ भी इंटरनैट का सितारा बना. लोग ली मिनवेइ की ड्यूटी का समय पूछने लगे ताकि उसे देखा जा सके. इस हौट और हैंडसम सिक्योरिटी अफसर का एक फोटो उस की कंपनी सर्टिस सिस्को ने अक्तूबर, 2016 को ट्विटर पर शेयर किया था.

वैसे तो ली मिनवेइ सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर अपने गुड लुक्स की वजह से पहले से चर्चा में था, लेकिन सोशल मीडिया पर उस की तसवीर आने के बाद तो लोग उस के साथ फोटो खिंचवाने को बेताब दिखने लगे. इंटरनैट पर वायरल होने के बाद ली मिनवेइ ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि लोग मुझ से मिलने और मेरे साथ फोटो खिंचवाने के लिए एयरपोर्ट तक चले आते हैं. मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि इंटरनैट ऐसा कमाल कर सकता है.

नेपाल की तरकारी वाली

जैसी चर्चा पाकिस्तान के चाय  वाले की इंटरनैट पर हुई, कुछ वैसा ही नजारा नेपाल में सब्जी बेचने वाली एक लड़की को ले कर देखने को मिला. यह लड़की नेपाल के एक स्थानीय बाजार में जाने के लिए पुल से गुजर रही थी तो उस की कुछ तसवीरें ली गईं. इसी तरह बाजार में सब्जी का ठेला लगाए वह खड़ी दिखाई दी. उस की ये तसवीरें जब ट्विटर पर डाली गईं, तो लाइक करने वालों का तांता लग गया. नेपाल के गोरखा जिले के भूमली चौक में दिखी कुसुम श्रेष्ठा नामक यह लड़की वैसे तो चितवन जिले के रतननगर में मैनेजमैंट की स्टूडैंट है पर त्योहारी छुट्टियों में जब वह सब्जी विक्रेता अपने पिता के घर पहुंची, तो उस ने पिता के कामकाज में हाथ बंटाया. उसी दौरान एक फोटोग्राफर रूपचंद्र महाराज ने उस की ये तसवीरें खींची और उन्हें इंटरनैट पर पोस्ट कर दिया. इन तसवीरों में से एक में वह गोरखा और चितवन के बीच बने फिशलिंग सस्पैंशन ब्रिज पर नजर आ रही है जबकि दूसरी में वह स्थानीय सब्जी मंडी में मौजूद है.

इन तसवीरों के वायरल होने के बाद कुसुम को मौडलिंग के कई औफर मिले और उस ने कुछ हौट फोटोशूट भी कराए. ट्विटर पर हैशटैग के साथ लोगों ने कुसुम के फोटो शेयर किए और उस की खूबसूरती की तारीफ की.

चीन की मिर्ची

बात जब चाय और सब्जी की चली है, तो यह बताना रोचक होगा कि नेपाल की तरकारी वाली की तरह चीन में मिर्च बेचने वाली एक लड़की की तसवीरें भी खूब वायरल हुईं. सोशल मीडिया पर उस के वायरल फोटो देख कर उस की खूबसूरती की तारीफ करते लोगों ने कमैंट किया कि गांव की यह छोरी कई मौडल्स को टक्कर दे सकती है. हालांकि यह नहीं पता चल सका कि यह लड़की चीन के किस गांव की थी.

बेशक, इंटरनैट पर खूबसूरत लोगों की तसवीरों के वायरल होने का यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा, क्योंकि प्राकृतिक या स्वाभाविक रूप से सुंदर लोग जरूरी नहीं कि खास तबके से ही हों, साधारण काम करने वाले लेकिन हंसीखुशी जिंदगी गुजारने वाले लोग भी स्वभाव से ही नहीं, शारीरिक रूप से भी कई बार असाधारण सुंदर होते हैं. ऐसे लोगों पर जब किसी की नजर पड़ती है, तो लोग उन्हें देखते ही रह जाते हैं.                                         

लकीर का फकीर न बनें

एक पुरानी कहावत है, ‘लकीर का फकीर बनना’ यानी कहेसुने को गांठ बांध लेना और आंख मूंद कर एक ही ढर्रे पर चलते जाना. यदि घर में धार्मिक मान्यताओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है तो घर के बच्चे भी इस में शामिल हो जाते हैं और आंखें मूंदे वही सब करते हैं, जो उन्हें कहा जाता है.

बात सिर्फ पूजाअर्चना या अंधभक्ति तक ही सीमित नहीं है, कई बार तो इन अंधविश्वासों के कारण किशोरों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. इस बारे में चंदन कुमार एक वाकेआ सुनाते हैं, कि औल इंडिया मैडिकल प्रवेश परीक्षा के दौरान मेरी मां ने घर से निकलते वक्त मुझे सख्त हिदायत दी कि बगल वाले मंदिर के  पुजारी का आशीर्वाद लिए बगैर परीक्षा देने मत जाना और जो मन्नत का धागा है उसे जरूर अपनी कलाई पर बंधवा लेना, इसे भूलना मत.

इस चक्कर में मैं काफी देर तक मंदिर में पुजारी की प्रतीक्षा करता रहा. वे किसी कार्यवश बाहर गए थे. जब वे काफी देर तक नहीं आए तो आखिर मुझे वहां से निकलना पड़ा. न पुजारी आए औैर न मैं धागा अपनी कलाई पर बंधवा पाया. उलटे देर से पहुंचने पर ऐग्जाम में नो ऐंट्री होतेहोते बची.

मेरे जीवन का यह बहुत कड़वा अनुभव था. मैं ने उस दिन से हर बात को पत्थर की लकीर मानना छोड़ दिया. अब मैं सहीगलत का आकलन कर उस बात पर अमल करता हूं.

एक किशोर होने के नाते मैं अपने दोस्तों को भी यही सलाह दूंगा कि लकीर का फकीर न बनें बल्कि अपने विवेक का इस्तेमाल कर कदम बढ़ाएं.

कई बार हमें बोझिल परंपराओं को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हम इन्हें मानने से इनकार नहीं कर पाते. ये सब आज 21वीं सदी में हो रहा है, जब सुपर कंप्यूटर और उन्नत तकनीक के युग में इंसान चांद की यात्रा कर चुका है लेकिन हम आज भी वैचारिक रूप से उन्नत नहीं हुए हैं. अंधविश्वास, ढोंग, जादूटोना आज भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे हैं और हम बरबस ही अपना अहित न होने की शंका में आंख मूंद कर इन्हें अपनी जिंदगी में उतार रहे हैं.

कुल मिला कर ‘लकीर का फकीर’ बनने की परंपरा को अपने घर से तोड़ने की शुरुआत करें. छोटीछोटी दकियानूसी मान्यताओं मसलन, बिल्ली के रास्ता काटने पर आगे न बढ़ना, हमेशा दही खा कर ही घर से निकलना, छींक आ जाए तो यात्रा रोक देना, जाते वक्त किसी के पीछे से टोकने पर खिन्न होना, शाम को घर में झाड़ू लगाना, टिटहरी की आवाज सुनते ही रामराम करने लगना, रात को पीपल या नीम के पेड़ के आसपास न जाना आदि से बचें.       

ऐसे बनाएं खुद को वैचारिक रूप से सशक्त

– सुनीसुनाई बातों पर यकीन न करें. तथ्य एकत्रित करें, फिर उस पर विश्वास करें.

– ऐक्सप्लोरर बनें. आप का ऐक्सप्लोरर नेचर दूसरों को उस बात को न मानने पर विवश कर सकता है.

– टैबू ब्रेकर बनें. इसी से आप दूसरों के लिए प्रेरक बन सकते हैं. यदि आप के लौजिक में दम होगा तो लोग जरूर आप को फौलो करेंगे.

– ‘रिस्क गेनर’ बनें. अंधविश्वासों और खोखली मान्यताओं के खिलाफ चलें. इस से दूसरों में विश्वास भी पैदा होगा और वे आप का अनुसरण भी करेंगे.                         

फिल्म रिव्यू : हिंदी मीडियम

यूं तो ‘‘हिंदी मीडियम’’ एक रोमांटिक कामेडी फिल्म है. मगर इस फिल्म का मूल मकसद अपने ही देश में अंग्रेजी भाषा के सामने राष्ट्रभाषा व मातृभाषा हिंदी को कमतर आंकना तथा शिक्षा का जो व्यापारीकरण हो गया है, उस पर चोट करना है. मगर अफसोस की बात यही है कि इन दोनों ही मुद्दों पर यह फिल्म बुरी तरह से असफल रहती है. ऐसा कहानीकार व पटकथा लेखक की कमजोरी का परिणाम है. इन मुद्दों पर बहुत बेहतरीन फिल्म व दर्शकों के दिलों को छू लेने वाली फिल्म का निर्माण किया जा सकता था.

फिल्म में सब कुछ बहुत ही उपरी सतह पर तमाम कमियों के साथ कहने की कोशिश की गयी है. कहानी व पटकथा लिखते समय फिल्म के लेखक शायद अंदर ही अंदर डरे हुए थे अथवा विषयवस्तु के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे. तभी तो फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ में इस बात को उकेरा गया है कि एक सर्वश्रेष्ठ व उच्च कोटि के अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में डोनेशन लेकर बच्चे को प्रवेश नहीं दिया जाता है. खुद को पाक साफ और ईमानदार बताने वाली स्कूल की प्रिंसिपल जब पिया का नाम गरीब कोटे से हटाकर जनरल कोटे में कर देती है, तब वह गरीब कोटे की खाली हुई इस सीट पर मोहन को प्रवेश न देकर क्या करना चाहती हैं, इस पर फिल्म कोई रोशनी नहीं डालती.

रोमांटिक कामेडी फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ की कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले दंपति राज बत्रा (इरफान खान) और मीता (सबा करीम) के इर्द गिर्द घूमती है. राज बत्रा चांदनी चौक में कपड़े का व्यापारी है. पत्नी मीता के प्यार व अच्छा पति बनने के चक्कर में राज अपनी पत्नी मीता की इस बात को स्वीकार कर लेता है कि उन्हें अपनी बेटी पिया की शिक्षा दिल्ली में अंग्रेजी माध्यम के उच्च कोटि के स्कूल में करवानी हैं, न कि सरकारी स्कूल में. इसी के चलते वह चांदनी चौक छोड़कर वसंत विहार की पाश कालोनी में रहने पहुंच जाते हैं. वहां पड़ोसियों के बीच वह खुद को हाई फाई और अंग्रेजी के ज्ञाता के रूप में स्थापित करने का असफल प्रयास करते हैं. राज व मीता अपनी बेटी पिया को दिल्ली के अति सर्वश्रेष्ठ गिने जाने वले पांच स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए एक कंसल्टेंट की मदद लेते हैं, जो कि इन्हे ट्रेनिंग देती है. कई तरह की मुसीबतें झेलने के बावजूद इनकी बेटी को प्रवेश नहीं मिल पाता है.

तभी इन्हें पता चलता है कि अपने पसंदीदा स्कूल में बेटी को प्रवेश दिलाने के लिए उन्हे ‘राइट टू एज्यूकेशन’ के तहत हर स्कूल में तय पच्चीस प्रतिशत गरीओं के कोटे का सहारा लेना चाहिए. इसके लिए राज एक इंसान से मिलकर सारे गलत कागज बनवाता है. जांच होने पर पकडे़ न जाने के लिए एक माह के लिए एक गरीब बस्ती में पूरे परिवार के साथ जाकर रहना शुरू करते हैं. जहां उनका पड़ोसी श्याम प्रकाश (दीपक डोबरियाल), उसकी पत्नी व बेटा मोहन रह रहा है. मोहन व पिया के बीच अच्छी दोस्ती हो जाती है. श्याम प्रकाश अपनी तरफ से राज की मदद करने का पूरा प्रयास करता है.

जब 24 हजार जमा करने का वक्त आता है, तो श्याम प्रकाश खुद की जिंदगी खतरे में डालकर राज को पैसा देता है. पर जब गरीब कोटे की लाटरी निकलती है, तो मोहन को स्कूल में प्रवेश नहीं मिलता है, पर पिया को मिल जाता है. फिर राज व मीता अपनी बेटी पिया के साथ वापस अपने पाश मकान में रहने चले जाते हैं. मगर अपराध बोध से ग्रसित राज एक सरकारी स्कूल को पैसे देकर उसके हालात सुधारते हैं. मगर एक वक्त वह आता है, जब राज अपनी बेटी पिया को उसी अंग्रेजी स्कूल से निकाल कर मोहन के साथ सरकारी स्कूल में प्रवेश दिला देते हैं.

फिल्म का गीत संगीत अति साधारण है. फिल्म की लोकेशन व कैमरामैन के काम की प्रशंसा की जा सकती है.

इरफान खान, सबा करीम और दीपक डोबरियाल के बेहतरीन अभिनय के बावजूद यह फिल्म अपनी छाप छोड़ने में असफल रहती है. फिल्म में जिस करोड़पति और हाई फाई सोसायटी की बात की गयी है, उससे आम दर्शक रिलेट नहीं कर सकता. फिल्म की कहानी जिस तरह से आगे बढ़ती है, वह कहीं से भी सहज व स्वाभाविक नहीं लगती. बल्कि शुरू से अंत तक सब कुछ अति बनावटी ही लगता है. इंटरवल के बाद फिल्म पूरी तरह से पटरी पर से उतर जाती है. फिल्म के क्लायमेक्स से चंद मिनट पहले हिंदी भाषा को लेकर राज बत्रा यानी कि इरफान का लंबा चौड़ा भाषण है, मगर उस सभाग्रह में मौजूद माता पिता पर कोई असर न होना बड़ा अजीब सा लगता है. स्कूल में बच्चे को प्रवेश दिलाने में सरकारी तंत्र के अलावा स्कूल मैनेजमेंट की जो भूमिका होती है, जिस तरह के नाटक होते हैं, उस पर भी रोशनी डालने से लेखक व निर्देशक ने बचने का पूरा प्रयास किया है. जबकि सर्वविदित है कि हर स्कूल व कालेज में मैनेजमेंट कोटा, माइनारिटी कोटा आदि के नाम पर क्या खेल होता है. मगर फिल्मकार ने इन सारे पहलुओं को अनदेखा कर दिया. ऐसा करने के पीछे फिल्मकार की मंशा, फिल्मकार ही जाने. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत घटिया है. फिल्म में संजय सूरी और नेहा धूपिया जैसे कलाकारों को जाया किया गया है.

फिल्म में बात बात पर मीता अपने पति राज से कहती है कि फिर उनकी बेटी पिया सरकारी स्कूल में पढ़ेगी, फिर वह ड्रग्स लेगी..वगैरह..यह संवाद पूर्णरूपेण गलत है. ड्रग्स का सेवन या ड्रथ्स के व्यापार को हिंदी भाषा की शिक्षा के साथ जोड़कर देखना अपराध ही कहा जाना चाहिए. क्या अंग्रेजी माध्यम से उच्च शिक्षा हासिल करने वाले लोग ड्रग्स या शराब में लिप्त नहीं हैं?

शिक्षा के बाजारीकरण, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ाने के मुद्दे व इसकी परेशानी से देश के हर शहर का आम इंसान जूझ रहा है. हर माता पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों की बजाय अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं. मगर इन आम लोगों की इस इच्छा के चलते इन्हे जिस तरह रोजमर्रा की जिंदगी में समस्याओं से जूझना पड़ता है, डोनेशन ने जो विकराल रूप ले रखा है, उस पर यह फिल्म चुप्पी साध लेती है. इसके क्या मायने निकाले जाएं?

हकीकत में पटकथा लेखक द्वय व निर्देशक ने फिल्म में इतनी बड़ी बड़ी गलतियां की हैं कि उन्हें गिनाने में कई पन्ने भर जाएंगे. पूरे माह गरीब की जिंदगी जीने वाले राज के कपड़े के व्यापार का क्या हुआ? फेसबुक पर राज व मीता की प्रोफाइल चेक कर सच का पता लगाने की बजाय स्कूल की प्रिंसिपल एक इंसान को गरीब बस्ती में राज से मिलने भेजती हैं..वगैरह..वगैरह कई गलतियां है.

दो घंटे 12 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘हिंदी मीडियम’’ का निर्माण भूषण कुमार व दिनेश वीजन, निर्देशन साकेत चौधरी, कहानी व पटकथा लेखकद्वय जीनत लखानी व साकेत चौधरी, संगीतकार सचिन जिगर, पार्श्वसंगीतकार अमर मोहिले तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – इरफान खान, सबा करीम, दीपक डोबरियाल, स्वाती दास, दिशिता सहगल, डेलजाद हिवाले, जसपाल शर्मा, विजय कुमार डोगरा, रोहित तन्नन व अन्य.

शादी से भी महंगे हैं बॉलीवुड के ये तलाक

बॉलीवुड में अक्सर रिश्ते टूटने की खबरें आती रहती हैं. हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा और अरबाज खान अलग हो गए. दोनों स्टार्स की 18 साल की शादी खत्म हो गई है. मुंबई की बांद्रा फैमि‍ली कोर्ट ने दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी है.

इससे पहले भी कई बॉलीवुड सितारे तलाक लेकर अलग हो चुके हैं. इन सितारों ने तलाक लिया और उन्हें अपने पार्टनर को एलिमनी (तलाक के समय दी जाने वाली राशि) के तौर पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. जानें किस स्टार ने चुकाई कितनी कीमत.

मलाइका-अरबाज

बताया जा रहा है कि एलीमनी के रूप में मलाइका अरोड़ा ने अरबाज से 15 करोड़ रुपये की मांग की, जिसे देने के लिए अरबाज ने हां कर दी. बता दें कि दोनों की शादी 12 दिसंबर 1988 को हुई थी. दोनों का एक बेटा भी है जिसका नाम अरहान खान है.

रितिक-सुजैन

अभिनेता रितिक रौशन और सुजैन खान के अलग होने की खबरों से हर कोई हैरान था. दोनों की शादी साल 2000 में हुई थी. दोनों के ही अफेयर की खबरें आईं लेकिन अंत तक कुछ साफ नहीं हो पाया कि दोनों ने तलाक क्यों लिया. सुजैन खान ने एलिमनी के रूप में रितिक से 400 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसके बाद 380 रुपये एलिमनी के रूप में सुजैन को दिए गए.

सैफ-अमृता

अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह का तलाक बॉलीवुड के सबस महंगे तलाक में से एक है. दोनों ने साल 1991 में शादी की थी. उम्र में अमृता सैफ से लगभग 13 साल बड़ी हैं. दोनों की शादी बहुत धूमधाम से हुई थी. शादी के लगभग 13 साल बाद दोनों अलग हो गए. हालांकि सैफ ने एलिमनी के रूप में अमृता को कितनी राशि दी इसकी जानकारी कभी नहीं दी गई, लेकिन खबरों की मानें तो सैफ ने अमृता को अपनी जायदाद दी थी.

करिश्मा-संजय

बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर ने साल 2003 में बिजनेसमैन संजय कपूर से शादी की थी. दोनों की शादीशुदा जिदंगी में शुरुआत से ही काफी दिक्कते थीं. खबरों के मुताबिक करिश्मा ने संजय से एलिमनी के रूप में 7 करोड़ रुपये मांगे थे.

आमिर-रीना

अभिनेता आमिर खान और रीना दत्ता ने अपने पेरेंट्स की मर्जी के खिलाफ साल 1986 में शादी की थी. बाद में दोनों के रिश्ते में खटास आने लगीं और साल 2002 में दोनों अलग हो गए. आमिर ने रीना को एलिमनी के रूप में बड़ी राशि दी थी लेकिन उसके बारे में कभी कोई जानकारी नहीं दी गई.

संजय-रिया

अभिनेता संजय दत्त ने साल 1998 में रिया पिल्लै से शादी की थी. रिया संजय की दूसरी पत्नी थी. संजय की पहली पत्नी रिचा शर्मा से उनकी शादी 1987 में हुई थी लेकिन 1996 में ब्रेन ट्यूमर के चलते उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने रिया से शादी कर ली.

कहा जाता है कि संजय रिया से बहुत प्यार करते थे. संजय दत्त ने रिया की शॉपिंग और मोबाइल बिल के खर्चे तब तक उठाए जब तक दोनों का ऑफिशियली तलाक नहीं हो गया. एलिमनी के रूप में संजय दत्त ने रिया को 8 करोड़ रुपये और एक लग्जरी कार दी थी.

संजय दत्त से तलाक के बाद रिया पिल्लै ने टेनिस प्लेयर लिएंडर पेस से शादी की, लेकिन इन दोनों का भी तलाक हो गया. दोनों ने मीडिया के सामने एक-दूसरे पर धोखा देने के आरोप भी लगाए. रिया ने लिएंडर से एलिमनी के रूप में हर महीने 4 लाख रुपये मांगे. इसमें 3 लाख रिया ने अपने लिए मांगे और 90,000 रुपये अपनी बेटी की पढ़ाई खर्च के लिए मांगे जो मुंबई के एक महंगे स्कूल में पढ़ती है.

प्रभूदेवा-रमलथ

डांसर, एक्टर और डायरेक्टर प्रभूदेवा की शादी 1995 में रमलथ से हुई थी. साल 2011 में दोनों अलग हो गए. एलिमनी के रूप में प्रभूदेवा को 20-25 करोड़ की प्रॉपर्टी देनी पड़ी जिसमें विला भी मौजूद थे. इसके अलावा 10 लाख रुपये एलिमनी की राशि और 2 महंगी कारें भी दीं.

आदित्य-पायल

फिल्म डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा ने साल 2001 में पायल खन्ना से शादी की थी. दोनों बचपन के दोस्त थे और बाद में दोनों ने शादी कर ली. लेकिन उनकी शादी ज्यादा समय नहीं चल सकी और 2009 में दोनों अलग हो गए. कहा जाता है कि एलिमनी के रूप में पायल ने आदित्य से बहुत बड़ी कीमत मांगी थी, हालांकि उस कीमत का कभी खुलासा नहीं हुआ लेकिन दोनों का तलाक बॉलीवुड के सबसे महंगे तलाक में से एक माना जाता है.

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