प्रतिभाशाली अभिनेत्री सुगंधा मिश्रा

विरासत में मिली शास्त्रीय गायकी छोड़ कर छोटे परदे का रुख करने वाली सुगंधा मिश्रा की पहचान एक कौमेडियन की ही है. जालंधर, पंजाब के एक मध्यवर्गीय परिवार की सुगंधा की इच्छा गायिका बनने की थी, लेकिन जब उसे लाफ्टर चैलेंज शो में मौका मिला तो हंसाना न केवल उन की पहचान बल्कि पेशा बन कर रह गया.

28 वर्षीय सुगंधा बेहद खूबसूरत और स्टाइलिश हैं और छोटे परदे की कौमेडियन टीम का अहम हिस्सा भी. एक टीवी शो ‘द वाइस औफ इंडिया’ के प्रमोशन के लिए वे भोपाल आईं तो लंबी बातचीत में उन्होंने स्वीकारा कि कौमेडी, गायकी के मुकाबले ज्यादा कठिन काम है. इस में चुनौतियां बहुत हैं खासतौर से युवतियों के लिए जिन्हें अपना हर ऐक्ट संभल कर करना होता है.

आज के मशहूर कौमेडियन कपिल शर्मा, सुदेश लहरी और भारती सिंह के साथ एक ही यूनिवर्सिटी में पढ़ीं सुगंधा होनहार और प्रतिभाशाली भी हैं. वे बताती हैं, ‘‘मैं कोई 10 से 5 बजे की नौकरी नहीं करना चाहती थी. मेरे परिवार में सभी शिक्षक हैं, घर वालों को मुझ से भी यही अपेक्षा थी कि मैं स्नातकोत्तर करने के बाद किसी कालेज में नौकरी कर लूं पर मैं काफी कुछ हासिल करना चाहती थी, इसलिए हर क्षेत्र में काम करती हूं. मैं पीएचडी भी कर रही हूं लेकिन अब इंडस्ट्री कभी नहीं छोडूंगी.’’

गायकी और कौमेडी की तुलना करते हुए वे कहती हैं कि वे एक प्रशिक्षित गायिका हैं. इस के लिए दादाजी रोज रिहर्सल कराते थे. एक गाना तो रोज गाया जा सकता है लेकिन कौमेडी में रोज कुछ नया लाना होता है.

बिग एफएम रेडियो पर बतौर आरजे अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को आकार देने वाली सुगंधा के लिए सबकुछ उम्मीद के मुताबिक नहीं था, न ही बैठेबैठाए मिल गया, जो भी है उसे हासिल करने हेतु उन्होंने काफी मेहनत की है.

स्कूल टाइम से ही मिमिक्री करने वाली सुगंधा कहती हैं कि युवक किसी भी तरह की कौमेडी कर लें, चलता है पर युवतियों को साफसुथरी कौमेडी करते हुए ही दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनानी पड़ती है, जो बेहद मुश्किल काम है. ऐसा कई बार उन के साथ भी हुआ कि कमैंट्स आए और सीटियां भी बजीं लेकिन वे मानती हैं कि इन चीजों को नजरअंदाज कर अपने काम पर ध्यान देने के बाद ही आगे बढ़ा जा सकता है.

छोटे परदे के अनुभव कैसे रहे? इस सवाल के जवाब में सुगंधा बताती हैं, ‘‘कमोबेश ठीक ही रहे. कुछ समय पहले शाहरुख खान ने कौमेडी शो में मेरा ही मजाक बनाया तो मैं स्टेज पर ही रोने लगी.’’

दूसरा अनुभव तो वे उत्साहपूर्वक बताती हैं कि जब उन्होंने एक शो में लता मंगेशकर की आवाज की नकल उतारी तो कई नामी कलाकारों ने उन की आलोचना की पर जब खुद लताजी ने तारीफ की तो जान में जान आई. सुगंधा का इरादा उन्हें अपमानित करने का नहीं था.

कपिल शर्मा को सुगंधा भाई मानती हैं. बीते दिनों एक शो के दौरान उन की टीम के साथ विदेश जाना हुआ तो उन्होंने उन्हें खूब खरीदारी कराई. सुगंधा बताती हैं, ‘‘मैं अपने काम को खूब ऐंजौय करती हूं.’’

भविष्य के लिए क्या योजना है, पूछने पर वे बताती हैं, ‘‘मैं ऐक्टिंग तो कर ही रही हूं पर गाते भी रहना चाहती हूं और एक संगीत स्कूल खोलना चाहती हूं, कभी अपने दादा से छिप कर रेडियो पर शो देने जाती थी और अब मेरा इरादा उभरती प्रतिभाओं को मंच और मौका देने का है.’’

गर्मियों में चाहिए सर्दियों का मजा तो जाएं यहां

गर्मी आते ही भारतीय अपनी छुट्टियों की प्लानिंग में लग जाते हैं. कारण दो है एक तो तपा देने वाली गर्मी और दूसरी बच्चों के स्कूल की छुट्टियां. लेकिन घूम फिर कर हमारे दिमाग में मनाली, शिमला, कश्मीर, मसूरी आदि आते हैं. लेकिन छुट्टियां होने के कारण यहां भीड़ इतनी अधिक हो जाती है यहां पर्यटक अपनी छुट्टियों को अच्छे से एन्जॉय नहीं कर पाते हैं.

तो आज हम आपको कुछ ऐसी जगहों से रूबरू कराने जा रहे हैं जहां आपको मनाली से भी ज्यादा ठंडक का एहसास होगा और भीड़भाड़ से दूर आप अपनी छुट्टियों को और भी यादगार बना सकेंगे. तो आइये नजर डालते हैं इन जगहों पर..

द्रास

कारगिल से करीब 62 किलोमीटर दूर स्थित खूबसूरत और बेहद ठंडा शहर द्रास समुद्र तल से करीब 3280 मीटर ऊंचाई पर बसा है. इसे ‘लदाख का प्रवेश द्वार’ भी कहा जाता है. राष्ट्रीय राज मार्ग-1 पर शानदार सड़क है, जिस पर आप बेहतरीन नजारों के बीच यात्रा कर सकते हैं. यह शहर पर्यटकों के बीच अपने उबड़ खाबड़ प्राकृतिक दृश्य के लिए मशहूर है.

हेमकुंड साहिब

हेमकुंड साहिब जिसे गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब जी भी कहते हैं, सिक्खों का मुख्य तीर्थस्थल है, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह क्षेत्र ग्लेशियर झील से घिरा हुआ है. लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा या फिर खच्चर द्वारा यात्रा करनी होती है. ठंड के मौसम में बर्फ से ढके हुए इस क्षेत्र की सैर, गर्मी में ही की जाती है.

उत्तरी सिक्किम

सिक्किम राज्य का उत्तरी सिक्किम क्षेत्र, सबसे उंची चोटी कंचनजंगा का घर भी है. उत्तरी सिक्किम भारत के सबसे ठंडे क्षेत्रों में से एक है. यहां का तापमान कम से कम -40 डिग्री तक पहुंच जाता है. यहां की कई लोकप्रिय जगह जैसे लाचुंग मठ, जीरो पॉइंट आदि और यहां की संस्कृति पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

लेह

प्राचीन राज्य लद्दाख की राजधानी लेह पर्यटकों का सबसे मनपसंद पर्यटन स्थल है. लोग दूर दूर से यहां की संस्कृति और परंपरा के साथ, यहां के कई आकर्षक केंद्रों का मजा लेने आते हैं. यहां साल भर तापमान लगभग 7 डिग्री से ज्यादा नहीं होता और ठंड के समय और घटता जाता है.

पश्चिमी सिक्किम

पश्चिमी सिक्किम खासतौर पर ट्रेकर्स को अपनी ओर आकर्षित करती है. यहां के गेजिंग, पेल्लिंग और जोर्थांग नगर सबसे उंचाई पर बसे नगर हैं. अपने और अन्य आकर्षक केंद्रों के साथ इस क्षेत्र का सामान्य तापमान लगभग 13 डिग्री सेल्सीयस है.

कारगिल

हमेशा समाचारों में छाया रहने वाला, जम्मू कश्मीर में बसा कारगिल सबसे ठंडा क्षेत्र होने के लिए भी प्रसिद्ध है. सिंधु नदी के साथ ही बसे इस क्षेत्र का तापमान ठंड के मौसम में -48 डिग्री तक पहुंच जाता है. इसके पास ही सैर के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर पाशकुम और बौद्धिक गांव मूलबेक भी स्थित है.

स्पिति

स्पिति का मतलब होता है ‘मध्य भूमि’. भारत और तिब्बत के बीच, हिमालय पर्वतों पर बसा छोटा सा क्षेत्र गर्मी के मौसम में पर्यटकों को सबसे ज्यादा राहत दिलाता है. यहां का दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगा. स्पिति अपने बौद्धिक संस्कृति के कारण भी लोकप्रिय है.

हेमिस

पहाड़ों की सैर और खूबसूरती देखने के लिए लद्दाख सभी के बीच में मशहूर है लेकिन कुछ अनजानी जगहों में से एक जम्‍मू और कश्‍मीर का यह छोटा सा कस्‍बा भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है. यहां का तापमान भी बहुत सौम्‍य रहता है.बस 4 से 21 डिग्री के बीच.

अमरनाथ

अमरनाथ हिंदुओं का सबसे प्रमुख तीर्थस्थल है. लोग पहाड़ियों पर उंची उंची चढ़ाई कर जमा देने वाली ठंड में यहां स्थित प्राकृतिक लिंग के दर्शन करने आते हैं. यहां का सामान्य तापमान लगभग 7.5 डिग्री रहता है.

तवांग

अरुणांचल प्रदेश का ये छोटा सा शहर अपने रंग-बिरंगे घरों और खूबसूरत झरनों की खूबसूरती के लिए जाना जाता है. यहां की हरी-भरी वादियां मन को शांति और तन को ठंडक देने के लिए काफी हैं.

लजीज जायका पौमफ्रेट मैंगो करी

सामग्री

500 ग्राम पौमफ्रेट फिश

1/2 कप कच्चे आम के टुकड़े

1 छोटा चम्मच तेल

1 छोटा चम्मच मस्टर्ड सीड्स

थोड़े से करीपत्ते

1 प्याज कटा

1 हरीमिर्च कटी

थोड़ा सा अदरक बारीक कटा

1/2 छोटा चम्मच हलदी

1 कप कोकोनट मिल्क

पानी जरूरतानुसार

नमक स्वादानुसार

विधि

फिश में थोड़ी थोड़ी दूर चीरा लगा कर हलदी व नमक लगाएं और 30 मिनट तक मैरिनेट करें. कड़ाही में तेल गरम कर के मस्टर्ड सीड्स व करी पत्ते भूनें. अब प्याज, अदरक व हरीमिर्च डाल कर अच्छी तरह भूनें.

कोकोनट मिल्क मिला कर उबाल आने तक पकाएं. फिर फिश और आम के टुकड़े डाल कर फिश के पकने तक पकाएं और चावल के साथ गरमगरम परोसें.

-व्यंजन सहयोग: शैफ रनवीर बरार

आपकी वेडिंग ड्रेस हो खास

भारत में विवाह बहुत बड़ा जश्न होता है. दुल्हन के खूबसूरत कढ़ाई वाले चमकीले, चटख रंगों की ड्रेस तो इस जश्न में चार चांद लगाते हैं. हालांकि बाजार में इन दिनों शादी में पहने जाने वाले परिधानों पर भारतीय और पश्चिमी शैली दोनों का मिश्रण व छाप देखने को मिल रहा है.

आप अपने शादी की ड्रेस को कुछ ऐसे और भी ज्यादा खूबसूरत और खास बना सकती हैं.

हमारा देश अनोखी संस्कृतियों और विभिन्न विशेषताओं का खूबसूरत मेल है. हर दुल्हन अपनी जिंदगी के सबसे बड़े अलग अंदाज में दिखना चाहती है और अलग दिखने के लिए वह अपना निजी स्टाइल फ्लांट करना पसंद करती है.

कैजुअल लुक के लिए टिश्यू साड़ी के साथ स्नीकर्स या हल्की घाघरा चोली के साथ क्रॉप टॉप को पहन सकती हैं, जिससे आप औरों से अलग नजर आएंगी.

ब्राइडल सिलूएट वाले परिधान आजकल चलन में हैं और ये कई मौकों पर पहने जा सकते हैं. आप भारी लहंगा के साथ साधारण मोनोक्रोम शर्ट पहन सकती हैं या पश्चिमी रूपांकनों व प्रिंट वाले शॉर्ट जैकेट पहन सकती हैं, जो आपको आकर्षक और भीड़ से अलग लुक देगा.

मुकाइश और जरदोजी की कढ़ाई वाले परिधान हमेशा चलन में रहेंगे, जबकि मोती और मनकों का इस्तेमाल इसे कंटेम्पररी टच देंगे. वेलवेट, सिल्क और ओरगेंजा के कपड़े भी इस सीजन में चलन में रहेंगे और आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा देंगे.

सिर्फ दुल्हन क्यों शादी का दिन तो दुल्हा के लिए भी खास होता है. तो उन्हें भी हक है कि वह इस मौके पर खास दिखें.

पुरुषों के जीवन के जब सबसे बड़े समारोह की बात आती है तो इन दिनों पेस्टल रंग वाले फूलों के रूपांकन वाले, बोल्ड प्रिंट और घनी कढ़ाई व काम वाले चमकीले और चटख रंगों के परिधान प्रचलन में हैं.

दिन में होने वाले कार्यक्रम में हल्की कढ़ाई पिट्टा और आरी वाले परिधान पहनें. वे शानदार व भव्य दिखते हैं, लेकिन ज्यादा भड़कीले भी नहीं लगते हैं. मॉडर्न टच देने के लिए आप टी-शर्ट के साथ बंडी और पजामा के बजाय कुर्ते के साथ जींस भी पहन सकते हैं.

शाम के समारोह में 100 फीसदी वेलवेट से बना बंद गला पहनना अच्छा विकल्प होगा. पारंपरिक कामों व रूपांकनों के साथ इस आधुनिक परिधान को पहनना सुरुचिपूर्ण होगा. ब्रेडेड ट्राउजर के साथ इसे पहनें. पारंपरिक परिधानों के साथ कई तरह के प्रयोग करना आजकल चलन में है. आप चाहे तो जैकेट की लाइनिंग बटन में बदलाव कर अपने लुक को आकर्षक बना सकते हैं.

भारतीय और पश्चिमी शैली के फ्यूजन के लिए आप 100 फीसदी लिनेन से बने माओ जैकेट भी पहन सकते हैं, जो हल्के और आरामदायक होते हैं. इन्हें कॉटन के ट्राउजर या जींस के साथ स्मार्ट कैजुअल लुक के लिए पहना जा सकता है.

रेव पार्टियों का बढ़ता क्रेज

आज युवाओं में पार्टी देने या लेने का शगल तेजी से बढ़ता जा रहा है. वे बातबात पर पार्टियां आयोजित करते हैं जिन में भरपूर मस्ती होती है. ये पार्टियां देर तक चलती हैं. ऐसी ही एक पार्र्टी है रेव पार्टी. रेव पार्टियों की शुरुआत 20वीं सदी के छठे दशक में लंदन में हुई थी. पहले इस प्रकार की पार्टियां जंगल में आयोजित की जाती थीं, लेकिन 1960 के बाद इन्हें शहर के गुमनाम पबों और गैराजों में आयोजित किया जाने लगा. इस दौरान इन पार्टियों के लिए एक विशेष संगीत तैयार किया गया जिस में इलैक्ट्रौनिक वा-यंत्रों का प्रयोग भी किया गया. जिस का 28, जनवरी 1967 को राउंड हाउस में सार्वजनिक प्रदर्शन किया गया था. 1970 के दशक में यह संगीत काफी लोकप्रिय हुआ था.

1970 में जब कुछ हिप्पी गोआ घूमने आए तो उन के द्वारा गुपचुप तरीके से इन पार्टियों की शुरुआत गोआ के पबों में भी कर दी गई. धीरेधीरे इन पार्टियों में हिप्पियों के साथ कुछ स्थानीय युवा भी जुड़ने लगे, क्योंकि हिप्पियों द्वारा शुरू की गई इन रेव पार्टियों में शराब, ड्रग्स, म्यूजिक, नाचगाना और सैक्स का कौकटैल परोसा जाता था.

धीरेधीरे भारत के धनकुबेरों में इन पार्टियों का के्रज बढ़ता जा रहा है. इन पार्टियों का विस्तार मैट्रो शहरों के साथ ही जयपुर, नोएडा व गुड़गांव जैसे शहरों में भी हो चुका है.

रेव पार्टी का शाब्दिक अर्थ है मौजमस्ती की पार्टी. रेव का अर्थ मदमस्त और उत्तेजित होना भी है. मदमस्त और उत्तेजित होने के लिए अमीर अपनी गर्लफ्रैंड व बौयफ्रैंड्स के साथ एसिड, एक्सटैसी, हशीश, गांजा, हेरोइन, अफीम, चरस, साथ ही शराब का भी भरपूर प्रयोग करते हैं.

दिल्ली स्थित एक डिएडिक्शन सैंटर की वरिष्ठ डा. अनीता चौधरी का कहना था कि आधुनिक धनकुबेरों की बिगड़ी संतानें रेव पार्टियों के प्रति जनूनी बन रही हैं. यह बात दीगर है कि ड्रग्स लेने से कुछ समय के लिए उत्तेजना और शक्ति बढ़ जाती है. इसलिए वे ड्रग्स लेने के बाद काफी समय तक थिरकते और मटकते रहते हैं, लेकिन ये ड्रग्स युवाओं में आक्रामकता भी पैदा करते हैं. बचपन बचाओ आंदोलन के प्रमुख कैलाश सत्यार्थी की मानें तो हमारे देश के लगभग 19 फीसदी किशोर व युवा किसी न किसी नशे के आदी हैं.

रेव पार्टियों के शौकीन युवा फ्री सैक्स में विश्वास रखते हैं. इसलिए इन पार्टियों में सैक्स है, नशा है, खुमार है और मस्ती के नाम पर अश्लीलता है.

इस संस्कृति को दिन के उजाले से नफरत और रात के अंधेरे से बेइंतहा प्यार होता है. कमाओ, ऐश करो और मरो या मारो, इस अपसंस्कृति का मूलमंत्र है. कुछ लोग इसे निशाचर संस्कृति भी कहते हैं.

20वीं सदी के अंत तक केवल कुछ बिगड़े हुए युवा ही रात रंगीन किया करते थे, लेकिन वर्तमान में युवतियां भी ऐश व रात रंगीन करने के इस जश्न में बराबर की भागीदार हैं. रेव पार्टियों की रंगबिरंगी रोशनी और मदहोश करने वाले संगीत में ये आधुनिक युवतियां भी पूरी तरह मदमस्त हो जाती हैं. वे अपने जीवन की सार्थकता उन्मुक्त आनंद और मौजमस्ती को ही मान रही हैं. इन रेव पार्टियों का प्रवेश शुल्क 5 से 10 हजार रुपए तक होता है.

इस प्रकार की रेव पार्टियां पांचसितारा होटल, क्लब व आधुनिक फौर्म हाउसों में आयोजित की जाती हैं, जहां पर नृत्य व संगीत के आनंद के साथ ही लेजर तकनीक के जरिए साइकेडेलिक रोशनियों से चकाचौंध पैदा की जाती है और रंगबिरंगे इस माहौल में युवा मैसमेराइज होने लगते हैं.

एक कड़वा सच यह भी है कि इन रेव पार्टियों में जबरदस्त कानफोड़ू म्यूजिक, लाइट शो के साथ ही नशीले पदार्थों का भी भरपूर प्रयोग होता है. इन नशीले पदार्थों में जो सब से फेवरिट और डिमांड वाले हैं वे हैं, एसिड और एक्टैसी. इन्हें लेने के बाद युवा लगातार 8 घंटे तक डांस कर सकते हैं. ये ड्रग्स उन में लगातार नाचने का जनून पैदा करते हैं. इन पदार्थों को लंबे समय तक सैक्स करने के लिए भी युवाओं द्वारा उपयोग में लाया जाता है. इन रेव पार्टियों में धोखे से युवतियों को डेट रेप ड्रग दे कर उन का बलात्कार तक किया जाता है.

डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान                 

जब करें घर से काम

वर्क फ्रौम होम यानी घर से काम करना. आजकल वर्क फ्रौम होम का कौन्सैप्ट तेजी से बढ़ रहा है. कंपनियां भी फ्लैक्सिबल वर्क औप्शन दे रही हैं, जिस से आप अपनी सुविधानुसार काम कर सकती हैं. लेकिन जब बात घर से काम करने की आती है, तो हमारे दिमाग में सब से पहले एक ही खयाल आता है कि जब मन करे तब काम करो, जैसे मन करे वैसे काम करो, यहां कोई रोकनेटोकने वाला नहीं है. माना कि यहां कोई रोकनेटोकने वाला नहीं होता, लेकिन यहां भी काम करने के कुछ ऐटिकेट्स होते हैं. अगर आप उन का ध्यान नहीं रखेंगी, तो स्ट्रैस फ्री हो कर सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगी.

जब भी घर से काम करें तो इन वर्क ऐटिकेट्स का जरूर ध्यान रखें:

वर्क शैड्यूल है जरूरी: घर से काम करते समय हम कोईर् भी चीज लिख कर कहीं भी रख देते हैं और बाद में खोजने में अपना समय बरबाद करते हैं, इसलिए जरूरी है कि वर्क शैड्यूल बनाया जाए ताकि आप को पता रहे कि कौन सा काम कब खत्म करना है, आप ने क्याक्या पूरा कर लिया और क्या अभी पूरा करना है. ऐसा कर के आप कम समय में ज्यादा काम कर सकती हैं.

नियमित वर्किंग आवर्स: ऐसा न करें कि आप कभी भी उठ कर काम करने बैठ जाएं. इस से आप की हैल्थ तो बिगड़ती ही है, आप का काम भी प्रभावित होता है. इसलिए काम के साथसाथ फिट व हैल्दी भी रहने के लिए काम का समय तय कर लें और फिर उसी के अनुसार काम करें. ऐसा करने से आप सही तरीके से काम पूरा करने के साथसाथ फैमिली के साथ मस्ती भी कर पाएंगी.

अनुशासन बनाए रखें: ऐसा न करें कि काम के दौरान चैटिंग व फोन पर बातें करती रहें, बल्कि अनुशासन बना कर रखें, क्योंकि आप जब तक काम में अनुशासन नहीं बनाएंगी तब तक अपना बैस्ट नहीं दे पाएंगी. इस बारे में अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को भी बताएं ताकि वे आप को फ्री समझ कर काम के समय आ कर डिस्टर्ब न करें.

काम समय पर पूरा करें: ऐसा न करें कि बहाने बना कर काम को टालती रहें. ऐसा करने से आप की छवि खराब होती है. अत: समय पर काम पूरा करने की कोशिश करें. इस से वर्क स्पीड भी बनी रहती है और आप टैंशन फ्री भी रहती हैं.

फील्ड के लोगों से जुड़ी रहें: आप घर से काम करती हैं, आप को औफिस जाने की जरूरत नहीं पड़ती है, तो इस का मतलब यह नहीं कि आप लोगों से मिलनाजुलना छोड़ दें, बल्कि अपनी फील्ड के लोगों से कौंटैक्ट बनाए रखें ताकि आप को उन से नईनई चीजें सीखने का मौका मिलता रहे.              

जरूरी बातें

– लक्ष्य निर्धारित करें कि आप को नई चीजें सीखनी हैं. इस से आप में काम को ले कर जोश बना रहेगा.

– ईमेल मैनर्स का भी रखें ध्यान. सिर्फ ओके, थैंक्यू में रिप्लाई न करें.

– काम के प्रैशर का फ्रस्ट्रेशन फैमिली पर न निकालें.

मोदी सरकार : 3 साल, 15 सवाल

आज का दिन देश और बीजेपी दोनों के लिए बेहद खास है. तीन साल पहले आज के ही दिन लोकसभा के नतीजों का एलान हुआ था. जिसमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने बड़ी जात हासिल की था. चुनाव जीतने के तीन साल बाद भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार का दावा है कि उसने अभूतपूर्व काम किया है. लेकिन विपक्ष की राय में सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक सरकार के कामकाज को मिलाजुला बता रहे हैं.

अपने चुनावी प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से कालेधन की वापसी से लेकर नौजवानों के लिए नौकरी पैदा करने और देश की सुरक्षा को लेकर कई चुनावी वादे किया थे. ऐसे में आज तीन साल गुजर जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल उभरता है कि क्या हुआ मोदी सरकार के वादों का?

 हम करने जा रहे हैं प्रधानमंत्री से 15 सवाल कि आखिर ऐसा क्यों है…

प्रधानमंत्री जी, ऐसा क्यों है…?

1. आपकी पार्टी 23 जनवरी 2014 को करेंसी बदलने का विरोध करती है

और

आप 8 नवम्बर 2016 को खुद करेंसी बदल डालते हैं.

2. आपकी पार्टी 2013 में 85 रुपये किलो तूअर दाल बिकने पर पूरे देश में महंगाई का विरोध करती है

और

आपके शासन में तूअर दाल 150 से 200 रुपये किलो बिकती है.

3. आपकी पार्टी गोवंश हत्या का विरोध करती है

और

आपके सत्ता में आते ही भारत बीफ एक्सपोर्ट में दुनिया का नंबर 1 देश बन जाता है.

4. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब विदेश में नवाज शरीफ से हाथ मिलाते थे तो आप उन्हें डरपोक कहते थे

और

आप खुद बिना बुलाये नवाज शरीफ के जन्मदिन पर केक और बिरयानी खाने पाकिस्तान पहुंच जाते हैं.

5. 2004 से 2014 के बीच आपकी पार्टी रेल किराये में 1 रुपये भी बढ़ाने पर उसके विरोध में रेल का चक्का जाम करती थी

और

आपने सत्ता में आते ही दो साल में रेल किराया लगभग 60-70 प्रतिशत बढ़ा दिया.

6. आपकी पार्टी ने 2004 से 2014 के बीच FDI, GST, AADHAR, MNREGA, कोयला खान नीलामी आदि का विरोध किया

और

सत्ता पाते ही आप उन्हीं सारी योजनाओं का गुणगान कर रहे हो.

7. निर्भया के समय एक बलात्कार के विरोध में आपकी पार्टी 3 महीने आंदोलन करती है

और

बीजेपी शासन में मध्य प्रदेश में प्रतिदिन 12 और दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 7 बलात्कार होने पर आपके कान में जू तक नहीं रेंगती.

8. UPA सरकार ने 125 से 140 डालर प्रति बैरल में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से कच्चा तेल खरीद के 70 से 75 रुपये लीटर पेट्रोल बेचा, उसके विरोध में बीजेपी  बैलगाड़ी मार्च निकालती थी

और

अब आपके शासन में 50 से 60 डालर प्रति बैरल में कच्चा तेल खरीद कर आप 70 रुपये में पेट्रोल बेच रहे हो.

9. आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण रुपये लेते रंगे हाथ पकडे जाते हैं फिर भी आपकी पार्टी ईमानदार है

और

आप बाकी सबके शासन को भ्रष्ट, जंगलराज कहते हो.

10. आपके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में व्यापम एवं खान घोटाला, वसुंधरा राजे का ललित मोदी घोटाला, रमन सिंह का 34000 करोड़ का अन्न वितरण घोटाला होता है और आप अपने मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांगते

और

दूसरे के शासन में हर दूसरे दिन किसी न किसी का इस्तीफा मांगने खड़े हो जाते थे.

11. भक्त कहते हैं आप प्रतिदिन 18 घंटे काम करते हैं

पर

ढाई साल में आपने देश का क्या विकास किया यह कहीं नज़र
नहीं आता.

12. आपने 100 दिन में सारा काला धन विदेश से लाने का वादा किया था

और

900 दिन में भी कोई काला धन विदेश से नहीं ला पाये.

13. आपने किसानों को उनके उत्पादन खर्च पर 50% लाभ देने का वचन दिया था

और

पिछले ढाई साल में किसानों के उत्पाद का सरकारी खरीद रेट 1 रुपये भी नहीं बढ़ाया.

14. चने का बेसन 60 रुपये किलो था तब बीजेपी कार्यकर्ता थाली बजाओ आन्दोलन करते थे

और

अब जनता चने का बेसन 150 रुपये किलो खरीद रही है.

15. आपकी पार्टी  सर्विस टैक्स लगाने का विरोध करती थी

और

आपने कुर्सी पर बैठते ही सर्विस टैक्स 2.5% बढा दिया.

क्यों मोदीजी क्यों ?

क्या इन सवालों को जवाब आप दे पाएंगे प्रधानमंत्री जी.

..तो ये हैं अर्जुन कपूर की रियल लाइफ हाफ गर्लफ्रेंड

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड अपकमिंग फ्राइडे को रिलीज होने जा रही है. दोनों ही स्टार्स इन दिनों अपनी फिल्म के प्रमोशन में जुटे हुए हैं, लेकिन इस सबके बीच मस्तमौला मिजाज वाले अर्जुन मौज मस्ती करना नहीं भूलते.

पिछले दिनों अपनी फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर ट्विटर पर दोनों ने मस्ती भरे ट्वीट किए थे. फिल्म का ट्रेलर देखकर रणवीर ने अर्जुन को कहा था कि वह उनकी ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ बनने के लिए तैयार हैं. तब अर्जुन ने भी मस्ती भरा जवाब दिया था.

अब जब अर्जुन की फिल्म रिलीज की कगार पर है, ऐसे में रणवीर के साथ मिलकर अर्जुन ने एक बेहद मस्ती भरा विडियो बनाया है. इस वीडियो में अर्जुन, रणवीर को यह कहते हुए इंट्रोड्यूस कर रहे हैं, ‘को-स्टार से थोड़ा ज्यादा लेकिन लवर से थोड़ा सा कम यह है मेरी रियल लाइफ की ‘हाफ गर्लफ्रेंड’… ‘

गौरतलब है कि रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर साल 2014 में फिल्म ‘गुंडे’ में एक साथ नजर आ चुके हैं और उस समय से ही दोनों की दोस्ती काफी चर्चा में रही है. सुनने में आया है कि दोनों प्यार से एक-दूसरे को बाबा कहकर बुलाते हैं.

मोहित सूरी की आने वाली फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ में श्रद्धा एक बार फिर अपनी आवाज का जादू बिखेरती नजर आएंगी. श्रद्धा इस फिल्म में हाफ गर्लफ्रेंड का फेमस गाना ‘फिर भी तुमको चाहूंगी’ गाने वाली हैं. अरिजीत सिंह और मिथुन के गाए इस गाने को दर्शकों ने खूब पसंद किया है. यह गाना अभी से लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है. अब यह गाना श्रद्धा कपूर की आवाज में भी सुनाई देने वाला है.

श्रद्धा की गायिकी का सफर मोहित सूरी की फिल्म ‘एक विलेन’ से शुरू हुआ था. एक विलेन में श्रद्धा कपूर ने ‘गलियां’ गा कर सबको अपनी आवाज का दीवाना बना लिया था. यह फिल्म 19 मई को रिलीज होगी.

परिवार ने पूरी पूरी मदद की : अनुपमा राग

अनुपमा की खनकदार आवाज का जादू फिल्म और वीडियो अलबम में देखने को मिलता है. उन के साथ सब से खास बात यह है कि वे किसी फिल्मी खानदान से संबंध नहीं रखतीं. इस के बाद भी न केवल गाने लिखती हैं,बल्कि उन्हें स्वर भी देती हैं और ऐक्टिंग भी करती हैं. अनुपमा ने शादी के बाद पति अनुराग सिंह के सहयोग से मुंबई जा कर गायन में कैरियर बनाना शुरू किया. यह उन की आवाज का ही दम था कि कम समय में ही उन के खाते में कई हिट फिल्में आ गईं. अब उन का सोलो अलबम ‘नैना रे’ आने वाला है. इस के अलावा हनी सिंह के साथ भी उन का एक अलबम आने वाला है.

अनुपमा अपने घरपरिवार और सरकारी नौकरी के साथ सब कुछ मैनेज कर रही हैं, जो अपनेआप में एक मिसाल है. पेश हैं, उन के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

परिवार में कोई फिल्मों में नहीं था. ऐसे में अलग दिशा में कैरियर बनाने की कैसे सोची?

लखनऊ के लोरेटो कौन्वैंट से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई करने के बाद मैं ने अवध गर्ल्स डिग्री कालेज से स्नातक किया. इस के बाद अपना गायन का शौक पूरा करने के लिए भातखंडे संगीत महाविद्यालय जाने लगी. यहां से विशारद करने के बाद गायकी में कैरियर बनाने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री पहुंच गई. यह सरल काम नहीं था. एक गाने की रिकौर्डिंग कई आवाजों के साथ की जाती है. जिस की वौइस क्वालिटी अच्छी होती है और जिसे पब्लिक पसंद करती है उसे ही फिल्म में मौका दिया जाता है. ऐसे में कई बार तो फिल्म में आतेआते गाना रह जाता था. जब गाना फिल्म में आता है तभी पता चलता है कि हमारा गाना इस फिल्म में है.

सफलता का एहसास कब हुआ?

मैं ने क्लासिकल गायन सीखा था. फिल्मों में मेरी आवाज में फोक सौंग ज्यादा पसंद किया गया. मुझे वे गाने ही गाने के लिए मिले जो पब्लिक की पसंद के हिसाब से तैयार किए गए थे. मेरी फिल्म ‘बिन बुलाए बराती’ भले ही न चली हो पर मेरा गाया गाना ‘मुन्नी भी मानी शीला भी मानी शालू के ठुमके की दुनिया दीवानी…’ लोगों की जबान पर खूब चढ़ा. फिल्म ‘जिला गाजियाबाद’ में मेरा गाना ‘गाजियाबाद की रानी हूं मैं…’ भी खूब पसंद किया गया. फिल्म ‘गुलाब गैंग’ में ‘रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे…’ गाने में माधुरी दीक्षित का साथ देने के बाद मेरेकई वीडियो अलबम आ चुके हैं. इन में मीका सिंह और उर्वशी रौतेला के साथ ‘लाल दुपट्टा’, राहत फतेह अली खान, कुणाल खेमू और वर्तिका सिंह के साथ ‘सांवरे’ को लोगों ने खूब पसंद किया. मेरा सोलो वीडियो अलबम ‘नैना रे’ आने वाला है. इस में मैं ने खुद ही गाने लिखे, गाए और ऐक्टिंग की है.

शादी के बाद कैसे संभाला सब कुछ?

2004 में मेरी शादी हो गई. उस समय मैं जौब करने लगी थी. शादी के बाद ही पति अनुराग को पता चला कि मुझे गाने का शौक है. तब वे मुझे इसी क्षेत्र में कैरियर बनाने की सलाह देने लगे. पति के हौसला बढ़ाने के बाद ही मैं ने गायन के रियाज को गंभीरता से लेना शुरू किया. मैं सुबहशाम 2 घंटे रियाज करने लगी. उस समय पति खुद मेरे श्रोता बन जाते थे. इस के बाद मैं मुंबई आनेजाने लगी. यहां का संघर्ष बहुत लंबा नहीं रहा. 2007में पहला म्यूजिक अलबम ‘रूद्र’, 2009 में म्यूजिक अलबम ‘अर्श’ और 2011 में पहली फिल्म ‘बिन बुलाए बराती’ में गाने का मौका मिला, तो धीरेधीरे पहचान भी बनने लगी.

आप का छोटा बेटा भी है. उसे कैसे संभालती हैं?

हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. ऐसे में मेरे पेरैंट्स उसे संभाल लेते हैं. काम के बाद मेरे पास जो समय बचता है उसे बच्चे को देती हूं.

आप स्कैचिंग का भी शौक रखती हैं?

स्कैचिंग ऐसी कला है जिस के जरीए अपने मन की बातें दूसरे तक पहुंचाई जा सकती हैं. मैं जब खाली समय पाती हूं तो पैंसिल से कुछ न कुछ बनाने का प्रयास करती रहती हूं. अब यह लोगों को पसंद आ रहा है. 

घुड़सवारी करते चोटिल हुए हिमांशु कोहली

बॉलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि क्या अभिनेता हिमांशु कोहली के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं या वह जरुरत से ज्यादा लापरवाह हो गए हैं. इस तरह की चर्चाओं के पीछे ठोस वजहें हैं.

वास्तव में गत माह वह मुंबई हीरो टीम के साथ क्रिकेट मैच खेलते हुए घायल हो गए थे. उसके बाद कुछ दिन पहले वह फिल्म ‘‘स्वीटी वेड्स एन आर आई’’ के पैच वर्क की शूटिंग करते हुए चोटिल हो गए. वास्तव में इस पैच वर्क में उन्हें घोड़े पर सवार होकर कुछ दृश्य देने थे, पर घुड़सवारी करते हुए वह घोड़े से ऐसे गिरे कि उन्हें काफी चोट लग गयी.

बहरहाल, हिमांशु कोहली का दावा है कि इस तरह की छोटी मोटी चोट लगती रहती हैं. इसमें दिन खराब होने या उनकी लापरवाही वाली कोई बात नही हैं.

खुद हिमांशु कोहली कहते हैं, ‘‘मुंबई में फिल्म के पैच वर्क की शूटिंग चल रही थी. सेट पर आग जलायी गयी थी और मुझे वहां से घोड़े पर सवार होकर गुजरना था. मैं पहली बार घुड़सवारी कर रहा था. दूसरी तरफ आग देखकर घोड़ा बिदक गया. मैं अपने आपको संभाल नहीं पाया. जिसके चलते मैं घोड़े से नीचे गिर गया और मुझे चोट लग गयी.मगर यह कोई गंभीर चोट नही है.’’

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