बैंक डिपॉजिट या पीपीएफ, क्या है बेहतर

भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक है. इसी का परिणाम है कि अब भारतीय जनमानस भी कारोबार के नजरिए से अपनी सोच को ग्लोबल बना रहा है. 1990 में हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत में निजी क्षेत्र के बैंको को आसानी से लाइसेंस मिलने लगे, जिससे आने वाले अगले दो दशक में बड़े बदलाव हुए. आम जनता अब पैसा बचाने के लिए सिर्फ बचत नहीं करती बल्कि निवेश भी करती है यानि पैसे से पैसा बनाना.

लोक भविष्य निधि यानि पब्लिक प्रोविंडेट फंड (PPF) और बैंक डिपॉजिट. दोनों योजनाओं में से बेहतर निवेश योजना पीपीएफ है.

बेहतर ब्याज दर

पब्लिक प्रोविडेंट फंड में ब्याज की दरें बैंक डिपॉजिट की दरों से बेहतर होती हैं. हालांकि हर तिमाही इसमें संशोधन होते रहते हैं. वर्तमान में पीपीएफ की ब्याज दर 8.1 प्रतिशत है जो कि बैंक डिपॉजिट से ज्यादा है. पीपीएफ के मुकाबले बैंक डिपॉजिट पर केवल 7.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है.

ब्याज दरों पर कराधान

बैंक डिपॉजिट पर टैक्स कटता है. बैंक डिपॉजिट पर जो ब्याज मिलता है वह भी टैक्स के दायरे में आता है. वहीं पीपीएफ में निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है और इससे मिलने वाली ब्याज दर भी कर मुक्त होती है.

धारा 80C के अंतर्गत लाभ

अगर आप 1.5 लाख रुपए से अधिक का निवेश कर रहे हैं तो आयकर अधिनियम 80C के तहत टैक्स में छूट मिलेगी. अधिकतर बैंकों में ऐसे डिपॉजिट पर आपको टैक्स छूट की ये सुविधा आपको तभी मिलती जब आपका डिपॉजिट बचत योजना से जुड़ा हुआ हो.

रिटायर्मेंट के बाद

पब्लिक प्रोविडेंट फंड में 15 साल के निवेश पर आपका रिटायर्मेंट बेहतर हो सकता है. 15 साल के बड़े निवेश के बाद आप अपने आगे के जीवन के लिए बेहतर ब्याज दर पर अच्छी खासी पूंजी इकट्ठा कर सकते हैं.

बैंक डिपॉजिट में भी फायदा

अब तक पीपीएफ के फायदे पर बात हो रही थी. लेकिन बैंक डिपॉजिट का भी एक फायदा है. बैंक डिपॉजिट में सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इसे कभी अपनी जरूरत के हिसाब से निकाल सकते हैं. आम भाषा में कहें तो तमाम लोग फिक्स डिपॉजिट कराते हैं लेकिन किसी विशेष जरुरत पर वह अपना फिक्स डिपॉजिट तुड़वा लेते हैं यानि कि फिक्स डिपॉजिट में जमा किया हुआ पूरा पैसा निकाल लेते हैं. वहीं इस तरह की कोई सुविधा पीपीएफ में नहीं मिलती है. हां सात साल के बाद पीपीएफ से पैसे निकालने की आंशिक छूट मिल जाती है.

मेहमानों के लिए बनाएं मुगलई कढ़ाई गोश्‍त

यदि आप नॉन वेज खाने के शौकीन हैं, तो आपको यह मुगलई कढाई गोश्‍त जरुर पसंद आएगा. इस डिश की खास बात यह है कि यह डिश पकाई भी कढ़ाई में जाती है और सर्व भी कढ़ाई में ही की जाती है.

जब आप इसे रोटी, नान, या चावल के साथ सर्व करेंगी, तो आपके महमान आपकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाएंगे. यह कढ़ाई गोश्‍त अन्‍य मीट रेसिपीज से एक दम अलग है. तो घर की किसी पार्टी में मुगलई कढ़ाई गोश्‍त बनाना ना भूलें.

सामग्री

1/2 किलो मीट 

6-7 कटे टमाटर

1 चम्मच अदरक का पेस्ट

1 चम्मच लहसुन पेस्ट

1 इंच अदरक कटा

1/2 कप दही

12-15 हरी मिर्च

1 चम्मच भुना और पिसा जीरा

1 चम्मच साबुत धनिया

भुना हुआ और पिसा 1-2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

1/2 कप तेल नमक स्वाद अनुसार

हरा धनिया गार्निश करने के लिए

विधि

सबसे पहले कढ़ाई में तेल गरम करें, फिर उसमें हरी मिर्च को बीच से काट कर उसका रंग बदलने तक फ्राई कर लें. फिर मिर्च को निकाल कर किनारे रख लें.

अब गरम तेल में ही मटन के पीस डालें और उसका रंग बदलने तक फ्राई करें. अब मटन को बाहर निकालें और किनारे रखें. फिर इसमें कटे टमाटर, अदरक और लहसुन पेस्‍ट डाल कर चलाएं. अब टमाटर को गल जाने दें और फिर उसमें नमक और लाल मिर्च पावडर मिलाएं.

उसके बाद इसमें दही डाल कर तब तक पकाएं जब तक कि तेल ऊपरी सतह पर ना आ जाए. फिर इसमें जीरा, धनिया, हरी मिर्च और कटी अदरक मिलाएं और कढाई को ढंक दें.

अब इसे धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं. आखिर में इसे हरी धनिया से गार्निश करें और जीरा राइस या रोटी के साथ सर्व करें.

सही फैसले से बदलेगी जिंदगी

जीवन में तरक्की के लिए जरूरी है कि आप सही फैसले लें. आप के हर फैसले का आप के कैरियर पर असर पड़ता है. कोईर् भी फैसला लेने से पहले विषय की पूरी जानकारी होनी जरूरी है. यदि कोई गड़बड़ी हो जाए तो बचाव करना भी जरूरी है.

कभीकभी बिना सोचसमझे जल्दबाजी में लिए गए कुछ फैसले आप की प्रोफैशनल लाइफ को बरबाद कर सकते हैं. इसलिए सोचसमझ कर सही फैसले लें ताकि बाद में पछताना न पड़े.

सिर्फ पैशन फौलो करना

यदि आप का पैशन गिटार बजाना या फिजिकल एडवैंचर है, तो आप किसी बैंड को जौइन कर कैरियर बना सकते हैं, इस से पैसा कमाने की क्षमता को फौलो करने पर आप को अच्छा लगेगा, पर हो सकता है बाद में परेशानी हो इसलिए पता लगाएं कि आप का पैशन स्थायी है या नहीं और उस से कितना पैसा कमा सकते हैं.

लोग अपनी जरूरतें पूरी करने के एवज में आप को पैसा दे सकते हैं पर जरूरी नहीं कि वे हमेशा ही आप को अच्छा पैसा दें. इसलिए सोचसमझ कर सही फैसला लें.

सेल्स में कैरियर से बचना

क्या आप सेल्सपर्सन बनने से कतराते हैं? यह एक खतरनाक फैसला हो सकता है. इस बात का खयाल रखें कि प्रोफैशनल लाइफ में आप को हमेशा कुछ न कुछ सेल करना पड़ता है. अगर आप की सेल्स में थोड़ी भी दिलचस्पी है तो यह लाइन आप की जिंदगी बदल सकती है. 

सैलरी के लिए जौब

कैरियर के किसी भी मोड़ पर यदि आप को सब से ज्यादा सैलरी का औफर मिले तो उस औफर को स्वीकार करने से पहले एक बार जरूर सोचें. अपने स्किल सैट के लिए डिमांड सप्लाई डायनैमिक्स पर विचार करना चाहिए.

अगर कोई कंपनी लौंगटर्म के लिए शानदार रिवार्ड औफर कर रही है, तो वह आप को शौर्टटर्म के लिए कम सुविधाएं देगी. जहां पर लौंगटर्म कैरियर ग्रोथ और रिटर्न्स गायब होते हैं, वहां ऐंप्लौयर आप को लुभाने के लिए बड़े औफर देता है.

फ्रैंड्स को न भूलें

हर बार जब आप जौब बदलते हैं तो पुराने वर्कप्लेस पर कई दोस्त छोड़ जाते हैं. नए रोल में आप इन दोस्तों के साथ रिश्ते नहीं निभा पाते. इस से आप ऐक्सटर्नल प्रोफैशनल सपोर्ट सिस्टम को खो देते हैं और भविष्य में बेहतर नौकरी के अवसरों से भी वंचित रह जाते हैं. अच्छी नौकरी के लिए कभी विज्ञापन नहीं निकलते. ऐसी नौकरियां हमेशा किसी न किसी के रैफरैंस से भरी जाती हैं. इसलिए आप को पुराने संबंधों को हमेशा जीवित रखना चाहिए.

लाइफ पार्टनर की सुनें

प्रोफैशनल सपनों को पूरा करने के चक्कर में कई बार इंसान लाइफ पार्टनर की बातों को नजरअंदाज करता है. इस से परिवार में तनाव पैदा होता है और व्यक्ति काम पर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाता. भले ही आप काम में कितने भी व्यस्त रहते हों, लेकिन लाइफ पार्टनर को भी समय दें.

कैरियर बदलना ठीक नहीं

क्या आप पायलट हैं और फ्लाइंग से बोर हो चुके हैं? जब आप कैरियर बदलते हैं, तो अस्थायी रूप से ऐक्साइटिंग जौब मिलती है.

आप नए कैरियर में सब से निचले पायदान पर होते हैं, क्योंकि पुराना अनुभव काम नहीं आता. वहां आप की उम्र के लोग आप से ऊपर काम करते हैं. कैरियर बदलने से अच्छा तो यह होगा कि आप वर्तमान कैरियर में ही कुछ नया करते रहें ताकि बोरियत न आए और जोश बना रहे.

जल्द सैटल हो जाना

जिंदगी के शुरुआती दिनों में किसी शहर में सैटल हो जाने के कारण आप अन्य शहरों में जौब करने से कतराते हैं. यदि आप किसी शहर में बहुत जल्दी घर खरीद लेते हैं, तो इस बात की संभावना रहती है कि उस शहर को छोड़ कर कहीं और जाएंगे और कैरियर की नई राह तलाशेंगे.

जो भी मिला, उसे स्वीकार करना

अपनी काबिलीयत के अनुरूप अच्छे अवसर का इंतजार करें. आप को जो भी पहला अवसर मिलता है, उसे आप बेहतर समझते हैं.

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आप ने अन्य अवसर देखे ही नहीं होते हैं. इसलिए पहले अवसर को तुरंत स्वीकार कर लेना हर बार सही नहीं होता. पहले औफर को स्वीकार करने से पहले विचार कर लें.

चापलूसी को महत्त्व देना

यदि आप आगे बढ़ने के लिए मेहनत के बजाय चापलूसी को चुनते हैं तो इस से आप कभी भी स्थायी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते. आप को फैसला लेना होगा कि जीवन में मेहनत को अहमियत देंगे और चापलूसी छोड़ देंगे. आप को मालूम होना चाहिए कि वही व्यक्ति सफल होता, जो ईमानदारी से मेहनत करता है.

नया सीखते रहें

शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है. आप को हमेशा कुछ न कुछ सीखना चाहिए. हो सकता है कि आप ने ग्रैजुएशन या पोस्टग्रैजुएशन किया हो. इस पढ़ाई से शुरुआती स्तर पर तो जौब मिल जाती है, पर आप को अपनी शिक्षा कभी बंद नहीं करनी चाहिए. आप जितना ज्यादा सीखते हैं, उतनी ही तेजी से तरक्की पाते हैं. जौब के दौरान भी आप को नित नई चीजें सीखने की कोशिश करते रहना चाहिए.

अपना पैशन न भूलें

अपने पैशन को फौलो न करना एक खतरनाक फैसला हो सकता है. समर्पित व्यक्ति आलसी व टैलेंटेड व्यक्ति की तुलना में तेजी से सफल होता है. अगर आप काम को पसंद करते हैं, तो कड़ी मेहनत कर सकते हैं.

मैं हूं बौस

लीडर के तौर पर लंबे समय तक अपनी भूमिका निभाने पर आप को लगता है कि कोई भी आप की आलोचना नहीं कर सकता और आप नियमों से परे हैं, लेकिन हकीकत अलग होती है. आप पर ज्यादा जिम्मेदारी होती है और गलती होने पर सब से पहले आप को ही सजा दी जाती है.

मैं लोगों को दिखता ही नहीं

आप जितना बेहतर परफौर्म करेंगे, लोगों की निगाह आप पर उतनी ही ज्यादा रहेगी. लोग आप के शब्दों, कार्यों और रवैए पर नजर रखेंगे. लोग आप के बारे में बातचीत भी शुरू कर देंगे. ऐसे में आप का एक गलत कदम या झूठ लोगों को बरदाश्त नहीं होगा और वे आप पर हावी हो जाएंगे.

मिल कर चलें

यह बहुत आसान है कि आप अपनी सारी कामयाबी के लिए खुद को जिम्मेदार मानें. कई बार इस से आप घमंड भी करने लगते हैं.

आप को बेहतर नतीजों के लिए लोगों, माहौल और समय को भी अहमियत देनी चाहिए. सब के साथ मिल कर चलने पर ही स्थायी सफलता मिल सकती है.

मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं

कई लोग यह भी मानते हैं कि हालात उन के कंट्रोल में नहीं हैं. इस से वे खुद को कमजोर साबित करते हैं. आगे आ कर जिम्मेदारी लेना सीखें और हालात को वश में करने की कोशिश करें. यदि आप अपने जीवन में कैरियर के प्रति गैरजिम्मेदार रहेंगे तो कैरियर में बड़ी असफलता ही मिलेगी.

फिल्मों के नाम में है किरदारों का परिचय

कई बार फिल्मों के शीर्षक अजीब होते हैं, तो कई बार सीधे किरदार के नाम पर फिल्म का टाइटल रख दिया जाता  है. अक्सर बायोपिक्स में ऐसा होता ही है क्योंकि वहां उसकी जरुरत होती है. कई बार अलग अलग तरह की फिल्मों के नाम भी प्रोटागोनिस्ट अर्थात किसी भी फिल्म में उसके मुख्य किरदार के नाम पर रखे जाते हैं.

आइये आज आपको हम बताते हैं कि ऐसी ही कुछ खास और हिट रही फिल्मों में से कुछ फिल्मों के बारे में जिनके नाम में ही है फिल्मों की कहानी का परिचय :

1. अनामिका : साल 1973 में आई इस फिल्म में अभिनेता संजीव कुमार और जया बच्चन ने बेहतरीन अभिनय किया था. फिल्म में अनामिका का किरदार जया बच्चन ने निभाया था. अनामिका के कई गाने जैसे ‘बांहों में चले आओ’ और ‘मेरी भीगी भीगी सी पलकों पे रह गए’ आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं.

2. अमर अकबर ऐंथनी : इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, विनोद खन्ना, परवीन बाबी, शबाना आजमी, नीतू सिंह, प्राण, निरुपा रोय जैसे बड़े कलाकारों ने काम किया था. फिल्म के अभिनेताओं के नाम पर ही फिल्म का नाम रखा गया. कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म को काफी पसंद किया गया था.

3. क्रिश : कोई मिल गया’ का सिक्वल 2006 में आई फिल्म क्रिश पहला देसी सुपरहीरो है. फिल्म मे हीरो का नाम कृष्णा है, जिसे शॉर्ट में क्रिश कर दिया गया. इस फिल्म में ऋतिक के बेहतरीन अभिनय ने शौहरत बटोरी. गौरतलब है कि क्रिश को देखकर उस समय बहुत से बच्चे छतों से कूदने लगे थे. फिल्म बेहतरीन लोकेशन्स पर शूट की गई थी.

4. अनवर : साल 2007 में रिलीज हुई यह फिल्म प्रेम कहानी और आतंकवाद का मिश्रण था. पर यह फिल्म भी उतनी लोकप्रिय नहीं हुई. इसका कारण नया स्टार कास्ट हो सकता है. पर फिल्म के गानों से आज भी आशिकों का मिजाज हरा हो जाता है. अनवर की प्रेम कहानी पर बनी इस फिल्म में अंत में अनवर की मौत हो जाती है.

5. जोधा अकबर : 2008 आशुतोष गोवारेकर की इस फिल्म को कट्टरपंथियों के विरोध झेलना पड़ा. पर आशुतोष थोड़े भाग्यशाली रहे और उन्हें भंसाली की तरह थप्पड़ नहीं पड़े. इस फिल्म में मुगल बादशाह अकबर और राजपुत राजकुमारी जोधा की प्रेम कहानी को दिखाया गया है. फिल्म पर आशु ने बहुत पैसे लगाए थे और पिक्चर हिट भी हुई थी.

6. बिल्लू : 2009 में आई बिल्लू बुरी तरह से फ्लॉप हो गई थी. बिल्लू का किरदार इरफान खान ने निभाया था. इस फिल्म में उन्होंने एक नाई का रोल निभाया है, जो शाहरूख का बहुत बड़ा फैन है.

7. वीर : 2010 में सिनेमाघरों में आई वीर जरीन खान की पहली बॉलीवुड फिल्म है. सलमान खान ने इसमें ‘वीर’ का किरदार निभाया था. इस फिल्म को उतनी सराहना नहीं मिली, पर फिल्म के गानों ने लोगों के दिलों को छू लिया था.

8. सिंघम : साल 2011 में रिलीज हुई सुपर हिट फिल्म सिंघम ने बहुत लोकप्रियता बटोरी थी. इस फिल्म ने समाज के कुछ पहलुओं को बहुत अच्छी तरह दिखाने की कोशिश की थी.

9. बर्फी : इस फिल्म में पूरी तरह से अपने किरदार को निभा पाने वाले रणबीर कपूर ने अपने अभिनय से इस फिल्म को यादगार बना दिया. ये फिल्म साल 2012 में रिलीज हुई थी.

10. मटरु की बिजली का मण्डोला : अनुष्का शर्मा अभिनीत यह फिल्म साल 2013 में रिलीज हुई थी, बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म सफल नहीं हो सकी थी.

11. हैदर : कश्मीर के मुस्लिमों के बारे में कुछ तथ्य उजागर करती फिल्म हैदर, फिल्म में शाहिद के शानदार अभिनय के कारण बहुत चर्चित हुई थी.

12. बाजीराव मस्तानी : साल 2015 में आई रणवीर और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म बाजीराव मस्तानी इतिहास के साथ न्याय कर सकी हो या नहीं, पर फिल्म ने दर्शकों के दिल में जगह जरूर बना ली थी. यह फिल्म शुरु से लेकर अंत तक मनोरंजन का पैकेज है.

13. अकीरा : पिछले साल 2016 में आई इस फिल्म ने महिलाओं में सकारात्मकता को बढ़ाने का काम किया था. महिलाओं के लेकर बनाई गई यह फिल्म दर्शकों द्वारा बहुत पसंद की गई थी और बॉक्स ऑफिस पर भी यह एक बड़ी हिट साबित हुई.

14. रईस : सुपर स्टार शाहरुख खान अभिनीत फिल्म रईस इसी साल जनवरी में सिनेमा घरो में आई. रईस बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास प्रदर्शन तो नहीं दिखा सकी पर फिल्म ने औसत कमाई जरूर कर ली.

सुपर स्टार्स की टॉप 10 फ्लॉप फिल्में

बॉक्स ऑफिस पर हर हफ्ते कोई न कोई न फिल्म रिलीज होती है इन फिल्मों में से कुछ सुपर हिट होती हैं तो कुछ सुपर फ्लॉप. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं कि बड़े बॉलीवुड सितारे इन फिल्मों में मौजूद होते हैं उसके बाद भी ये फिल्में फ्लॉप होती हैं. बॉलीवुड में आज भी ऐसे कई सितारे हैं जिनके महज नाम से ही फिल्में हिट हो जाती हैं, लेकिन इन्ही एक्टर्स की कुछ ऐसी फिल्में भी हैं जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत बुरी तरह से फ्लॉप रहीं.

1. रूप की रानी चोरों का राजा

अनिल कपूर, श्रीदेवी की फिल्म “रूप की रानी चोरों का राजा.” साल 1993 में रिलीज हुई फिल्म अनिल कपूर और श्रीदेवी जैसे बड़े सितारे होने के बाद भी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत बुरी तरह से फ्लॉप रही. फिल्म का बजट 9 करोड़ का रहा लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर महज 3 करोड़ की कमाई पर ही सिमट कर रह गई. अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ, श्रीदेवी, अनुपम खेर जैसे बॉलीवुड के चहेते सितारों के बाद भी फिल्म अपने बजट जितना भी नही कमा पाई.

2. राजू चाचा

अजय देवगन और काजोल की जोड़ी 90 के दशक में बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत जोड़ियों में से एक मानी जाती थी. दोनों को एक साथ स्क्रीन पर देखने के लिए दर्शक बेसब्री के साथ इनकी फिल्मों का इंतजार करते थे, लेकिन अजय देवगन और काजोल की साल 2000 में आई फिल्म “राजू चाचा” बॉक्स ऑफिस पर फिल्म में लगे बजट जितना भी नही कमा पाई थी. अजय देवगन और काजोल की फिल्म “राजू चाचा” की कुल लागत 30 करोड़ थी लेकिन फिल्म महज 15 करोड़ ही कमा पाई.

3. तेरे नाम

बॉलीवुड सुल्तान सलमान खान बॉलीवुड का एक ऐसा नाम हैं जिनके फैंस की संख्या लाखों में नही करोड़ो में है सलमान खान की कई फिल्मों नें बॉक्स ऑफिस पर कई बड़े रिकॉर्ड अपने नाम किये हैं लेकिन सलमान खान और भूमिका चावला की साल 2003 में आई फिल्म “तेरे नाम” दर्शकों को कुछ खास पसंद नही आई. फिल्म सभी गानें सुपर हिट रहे और आज भी लोगों की जुवान पर अक्सर सुनाई देते हैं बावजूद इसके ये फिल्म फ्लॉप रही.

4. सावरियां

रणवीर कपूर और बॉलीवुड की स्टाइल दीवा सोनम कपूर की फिल्म “सावरियां”, दोनों स्टार्स की डेब्यू फिल्म थी फिल्म के गाने “सांवरिया”, “जब से तेरे नैना”, “माशा अल्लाह” सोशल साइट पर काफी सुपर हिट हुए, लेकिन संजय लीला भंसाली जैसे बड़े निर्देशक के होने के बाद भी रणवीर और सोनम की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर फ्लॉप रही. फिल्म को लगभग 40 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा.

5. लव स्टोरी 2050

प्रियंका चोपड़ा और हरमन बावेजा की रोमांटिक फिल्म “लव स्टोरी 2050” को लेकर दर्शकों को बहुत उम्मीदें थीं हॉलीवुड स्टाइल में बनी इस फिल्म का ट्रेलर देख कर दर्शकों को लगा की फिल्म में हॉलीवुड की टाइम मशीन जैसी कहानी और लुक देखने को मिलेगा, लेकिन प्रियंका और हरमन की ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पिट गई, फिल्म को करीब 60 करोड़ का नुकसान हुआ था.

6. ब्लू

बॉलीवुड खिलाड़ी अक्षय कुमार ऐसे कलाकार हैं जिनके नाम से लोग फिल्म देखने के लिए उत्साहित होते हैं लेकिन अक्षय और कटरीना की साल 2009 में आई फिल्म “ब्लू” बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नही कर पाई. फिल्म में अक्षय और कैट के अलावा लारा दत्ता, जायेद खान, संजय दत्त जैसे सितारे भी मौजूद रहे. इसके बाद भी 129 करोड़ की लागत में बनी फिल्म को 55 करोड़ के नुकसान का सामना करना पड़ा.

7. कॉइट्स

रितिक रोशन, कंगना रनौत की साल 2010 में आई फिल्म “काइट्स” भी बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नही दिखा पाई थी. जबकि अनुराग बसु के निर्देशन में बनी इस फिल्म की कुल लागत 150 करोड़ थी. फिल्म में रितिक, कंगना के अलावा मैक्सिकन एक्ट्रेस बारबरा मोरी भी थीं.

8. खेलें हम जी जान से

अभिषेक बच्चन, दीपिका पादुकोण की साल 2010 में आई फिल्म “खेले हम जी जान से” दर्शकों को इस फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं, अंदाजा लगाया जा रहा था की बॉलीवुड की डिंपल गर्ल दीपिका और जूनियर बच्चन अभिषेक की जोड़ी दर्शकों को यकीनन पसंद आएगी. 45 करोड़ में बनी ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर महज 4 करोड़ की कमाई पर ही सिमट कर रह गई. इस फिल्म पर 45 करोड़ रुपये लगाए गए थे. इस फिल्म में दीपिका पादुकोण और अभिषेक बच्चन मुख्य भूमिका में थे. इसके बावजूद फिल्म को 40 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.

9. गुजारिश

रितिक, ऐश्वर्या की साल 2010 में आई रोमांटिक फिल्म “गुजारिश” की गुजारिश दर्शकों के दिलों तक नही पहुंची और ना ही बॉक्स ऑफिस पर मंजूर हुई. इस फिल्म का निर्देशन भी संजय लीला भंसाली नें किया था. 50 करोड़ में बनी ये फिल्म भी फिल्म की लागत जितना नही कमा पाई.

10. शानदार

शाहिद कपूर, आलिया भट्ट की साल 2015 में आई फिल्म “शानदार” दर्शकों को बॉक्स ऑफिस पर बिलकुल शानदार नहीं लगी फिल्म में आलिया और शाहिद की जोड़ी को दर्शकों का कोई खास रिस्पांस नही मिला 75 करोड़ में बनी इस फिल्म को 15 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा.

पॉकेट का भार बढ़ाए बिना करें सफर

घूमना-फिरना किसे पसंद नहीं होता? पर महंगाई के इस दौर में घूमने जाना कंगाली में आटा गिला करने के समान है. पर भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से मस्ती के कुछ पल चुरा लेना भी जरूरी है. बहुत से लोग खर्चे के कारण ही घूमने-फिरने नहीं जाते. पर आप कम खर्च में ही घूमने जा सकते हैं. जरूरत है तो बस स्मार्ट थींकिंग की.

इन टिप्स को अपनाएं और निकल पडें सुहाने सफर पर-

1. ऐडवांस बुकिंग

बिना प्लैनिंग के ट्रिप पर जाने का अलग ही मजा होता है. पर प्री-प्लैन्ड ट्रिप से आप पैसे बचा सकते हैं. अगर आप कहीं जाने का मन बना रहे हैं तो 3-4 महीने पहले ही टिकट करवा लें. फ्लाइट के साथ-साथ अब तो ट्रेन का टिकट भी पहले से ले लेना किफायती होता है. इसके अलावा आप भाग-दौड़ से भी बचेंगे. लास्ट मिनिट पर बुकिंग से आपको नुकसान होगा.

2. ऑफ सीजन में करें ट्रेवल

ऑफ सीजन में ट्रेवल करना बहुत ज्यादा किफायती होता है. अगर आप टूरिस्ट सीजन में ही कहीं जाने की प्लैनिंग कर रही हैं तो आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. ऑफ सीजन में टूरिस्ट की कमी के कारण आपका सफर बजट में ही रहेगा. होटल में ठहरने से लेकर घूमने-फिरने तक सब कुछ कम दाम पर मिल जाएगा.

3. करें रेल का सफर

फ्लाइट का सफर टाइम सेविंग है. पर रेल भी कई मजेदार मुकामों से होकर गुजरती है. भारतीय रेल आपके बजट के अनुसार देशभर में ट्रेवल पैकेज देती है. आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर आप हर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

4. किफायती है हॉलिडे पैकेज

ट्रेवेल पैकेज भी अकसर किफायती होते हैं. पर इसके बारे में आपको अच्छे से जांच करनी होगी. क्योंकि कई बार लुभावने ऑफर देकर एजेंट ठगने का भी प्रयास करते हैं. मेकमाईट्रिप, यात्रा, ट्रिपोटो जैसी कई वेबसाइट हैं जहां से आप इस पर जानकारी हासिल कर सकती हैं.

5. फूड से करें सेव

होटल का खाना यानि कि एकस्ट्रा खर्च. आप अपने साथ फूड लेकर चल सकती हैं. इसके साथ ही आप लोकल फूड का मजा भी ले सकती हैं. पर सावधानी जरूरी है, क्योंकि आपको अपनी हेल्थ का भी ख्याल करना होगा.

तो बस अब ऑफिस में छुट्टी के लिए ऐप्लाई करें और निकल पड़ें अपने देश के अलग-अलग रंग और रूप को देखने. सच मानिए आप कुछ दिनों के लिए अपने सारी टेंशन और गमों को भूल जाएंगी.

बाहुबली से जुड़ी इन बातों को जानते हैं आप!

प्रभास और राणा दग्गुबाती स्टारर फिल्म बाहुबली-2 का ट्रेलर रिलीज किया जा चुका है. इस बहुप्रतीक्षित फिल्म का लोगों को काफी वक्त से इंतिजार है. लोग फिल्म को लेकर काफी ज्यादा उत्साहित हैं.

फिल्म 28 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. मेकर्स की मानें तो फिल्म के दूसरे पार्ट की रिलीज से पहले इसका पहला पार्ट सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा ताकि जिन लोगों ने पहली फिल्म नहीं देखी है वह उसे देख कर खुद को फिल्म के अगले पार्ट से जोड़ सकें.

फिल्म से जुड़ी कई चीजें लगातार इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं. इसी क्रम में हम आपको बताते है फिल्म से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो आपको शायद ही मालूम हो.

1. बाहुबली और बाहुबली 2 भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे महंगी फिल्म है. इसका बजट करीब 250 करोड़ रुपए है. अगस्त 2015 तक इस फिल्म की 40 पर्सेंट शूटिंग हो चुकी थी. इसके बाद बाकी की शूटिंग 17 दिसंबर 2015 से हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी में शुरू हुई.

2. इस फिल्म के लिए राणा दागुबती और प्रभाष स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो कर रहे थे. उन्हें वियतनाम के ट्रेनर तुआन ने खास ट्रेनिंग दी है. इस फिल्म के लिए दोनों एक्टर्स ने अपना वजन 30-30 किलो बढ़ाया था. ताकि वह खुद को कैरेक्टर के हिसाब से ढाल सकें. जानकर हैरानी होगी कि दोनों ही एक्टर्स करीब 100 किलो के हो गए हैं.

3. बाहुबली फिल्म का झरने वाला सीन तो आप सभी को याद होगा. यह वही झरना था जिसे बाहुबली बचपन से पार करना चाहता था. लेकिन बड़े होने के बाद वह इसे पार करने में कामयाब होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म की शूटिंग में जितना समय लगा है उसका एक तिहाई हिस्सा केवल इन्हीं सीन्स को शूट करने में लगा है.

4. अपनी फिजीक को फिल्म के किरदार के मुताबिक बनाने के लिए प्रभास का नाश्ता काफी भारी भरकम रहा. वह रोजाना सुबह करीब 40 अंडे और प्रोटीन पाउडर भी लेते थे.

5. फिल्म के लिए प्रभाष का डेडिकेशन ऐसा है कि करीब तीन साल से उन्होंने कोई फिल्म नहीं बनाई है. वह खुद को केवल इसी फिल्म के लिए तैयार करने में लगे थे. खबर है कि इस फिल्म के लिए प्रभाष ने अपने लिए डेढ़ करोड़ रुपए का जिम तैयार करवाया था.

स्मार्टफोन और लैपटौप यूजर्स की कौमन बीमारियां

स्मार्टफोन और लैपटौप की अब आदत सी हो गई है, लेकिन क्या आप को पता है कि रात को सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल को अपने से दूर कर देना चाहिए, अन्यथा हैल्थ से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है?

यूसीएलए स्कूल औफ मैडिसिन के डाक्टर डैन सीगल के अनुसार, ‘‘रात में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से नींद से जुड़ी कई बीमारियां घेर लेती हैं. गैजेट्स का इस्तेमाल हमारे काम को आसान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन अगर आप इन्हें जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कई बीमारियां भी हो सकती हैं.’’

जानिए, गैजेट्स से होने वाली बीमारियों और उन से बचने के तरीकों के बारे में :

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम

हमारी आंखों की बनावट ऐसी नहीं है कि हम किसी भी एक पौइंट पर घंटों देखते रहें और आंखों को कोई नुकसान न पहुंचे. घंटों कंप्यूटर स्क्रीन पर देखते रहने से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है. इस में आंखों में थकान, इचिंग, रैडनैस और धुंधला दिखाई देने की समस्या हो सकती है.

क्या करें

आप चाहे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टैबलेट या अन्य किसी भी गैजेट का इस्तेमाल कर रहे हों, उस की डिस्प्ले सैटिंग्स बदलिए. अगर कंप्यूटर में ब्राइटनैस, शार्पनैस या कलर बढ़े हुए हैं तो कम कीजिए. ज्यादा ब्राइट या शार्प स्क्रीन से आंखों पर ज्यादा प्रैशर पड़ता है.

इस के अलावा अगर गैजेट में टैक्स्ट का फौंट साइज बहुत छोटा है तो यूजर्स को लंबे डौक्युमैंट्स पढ़ने में परेशानी होगी. इसलिए अपने गैजेट की डिस्प्ले सैटिंग्स को ऐसे सैट करें कि आंखों को नुकसान कम हो. अगर गैजेट की स्क्रीन एचडी है तो 45त्न कलर और ब्राइटनैस से भी अच्छी डिस्प्ले क्वालिटी आएगी और आंखों को नुकसान कम होगा.

इन्सोम्निया

गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने में जो सब से अहम बीमारी हो सकती है वह है इन्सोम्निया यानी अनिद्रा. अगर आप जरूरत से ज्यादा गैजेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह आप के लिए इन्सोम्निया की पहली कड़ी साबित हो सकता है.

क्या करें

20-20-20 का रूल ध्यान में रखें. अगर आप स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि आप ने हर 20 मिनट में आप के 20 फुट दूर रखी किसी वस्तु को 20 सैकंड तक देखना है. यह -ड्डड्ढठ्ठश-.शह्म्द्द की एक ट्रिक है जो आंखों की ऐक्सरसाइज का काम करती है. इस से यूजर्स की आंखों को आराम मिलता है और उन की ऐक्सरसाइज भी हो जाती है.

अगर आप को काम में समय का ध्यान नहीं रहता तो विंडोज से लिए ब्रेकटैक या एप्पल मैक के लिए टाइम आउट प्रोग्राम का इस्तेमाल कर सकते हैं.

टैक्स्चर नैक

टैक्स्चर नैक सिंड्रोम उन लोगों को होता है जो स्मार्टफोन, लैपटौप और टैबलेट्स का इस्तेमाल करते समय गरदन नीचे की ओर झुका कर रखते हैं. अगर यह सिंड्रोम बढ़ गया है तो गरदन की मसल्स इसी पोजिशन को अडौप्ट कर लेंगी और गरदन सीधी करने में परेशानी होगी.

क्या करें

किसी भी गैजेट का इस्तेमाल करने से पहले यह ध्यान रखें कि उस की पोजिशन क्या है. अगर आप कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो मौनिटर कम से कम 20-30 इंच की दूरी पर रखें. अगर स्मार्टफोन या लैपटौप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो गरदन झुकाने की जगह उस की पोजिशन ऐसी रखें जिस से आप की गरदन पर स्ट्रैस न पड़े. टैक्स्टिंग थोड़ी कम कर दें. गरदन पर स्ट्रैस सब से ज्यादा टैक्स्टिंग के कारण ही पड़ता है.

टोस्टेड स्किन सिंड्रोम

आजकल लैपटौप पर ज्यादा काम करना आम बात हो गई है. अगर आप लैपटौप को जरूरत से ज्यादा अपनी गोद में रखते हैं तो इस से स्किन डिसऔर्डर हो सकता है. लैपटौप से हमेशा गरम हवा निकलती है. ज्यादा इस्तेमाल से स्किन सूख जाती है. अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो उस का कलर बदल जाएगा और खुजली भी हो सकती है.

क्या करें

लैपटौप का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो कूलिंग पैड जरूर ले लें. कूलिंग पैड लैपटौप से निकलने वाली गरमी को ठंडा करता है. बाजार में 200 रुपए से ले कर 1,500 रुपए तक के लैपटौप कूलिंग पैड और कूलिंग टेबल उपलब्ध हैं. अगर कूलिंग पैड नहीं है तो भी तकिए का इस्तेमाल करें या फिर लैपटौप को टेबल पर रख कर इस्तेमाल करें.

सुनने में प्रौब्लम

ईयरफोन का इस्तेमाल आप बहुत ज्यादा करते हैं तो सुनने में दिक्कत हो सकती है. यह आदत परमानैंटली आप के सुनने की क्षमता खराब कर सकती है.

क्या करें

हमेशा म्यूजिक सुनने या कान में हैडफोन लगाए रखने की आदत न पालें और वौल्यूम पर कंट्रोल रखें.

रैडिएशन इफैक्ट

मोबाइल फोन से ऐसा रैडिएशन नहीं आता कि आप को कैंसर हो जाए, लेकिन फिर भी यह हैल्थ से जुड़े कई मामलों में असर डालता है. यह मैंटल स्ट्रैस से ले कर इन्सोम्निया तक कई बीमारियों का कारण बन सकता है.

क्या करें

फोन साथ में ले कर न सोएं. फोन को ज्यादा देर तक कान के पास न रखें. अगर लंबी बात करनी है तो हैडफोन का इस्तेमाल करें. अगर फोन में सिगनल कम हों तो उसे इस्तेमाल न करें.

स्ट्रैस

आरएसआई या रिपिटेटिव स्ट्रैस इंजरी ज्यादातर उन लोगों को होती है जो कंप्यूटर पर हर दिन घंटों काम करते हैं. इसी के साथ, जो लोग ज्यादा टैक्स्टिंग करते हैं वे भी इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं. इस इंजरी में हाथों में निशान पड़ जाते हैं. ऐसा अकसर टाइपिंग के समय होता है. जब पंजों के नीचे निशान दिखने लगते हैं.

क्या करें

इस के लिए अपने डिवाइस में ‘वर्कपेस’ नामक सौफ्टवेयर इंस्टौल करें. यह बैकग्राउंड में काम करता है. यह आप को बताता रहेगा कि कितने समय में ब्रेक लेना है और कितनी बार अपना हाथ उठाना है. इस के अलावा, टाइपिंग करते समय सही पौस्चर का होना भी बहुत जरूरी है.

गुलाब : आपकी गुलाबी सुंदरता के लिए

गुलाब त्वचा का सौन्दर्य निखारने में माहिर होती है. गुलाब के फूलों की पत्तियां त्वचा को पोषण देती हैं औऱ साथ ही त्वचा के रोम-रोम को सुगंधित बनाती हैं. ये आपकी त्वचा को ठंडक प्रदान करती हैं.

गुलाबी सुंदरता पाने के लिए ऐसे करें गुलाब के फूल और इसकी पत्तियों का इस्तेमाल..

गुलाब के 2 फूलों को पीसकर, आधा प्याले कच्चे दूध में 30 मिनट तक भिगोएं, फिर इस लेप को आहिस्ता-आहिस्ता त्वचा पर मलें, सूखने पर ठंडे-ठंडे पानी से स्नान कर लें. शरीर की त्वचा नर्म, मुलायम और गुलाबी आभायुक्त दिखाई देगी. 

क्या आप जानते हैं कि गुलाब के फूलों का रस चेहरे पर मलने से आपके चेहरे पर एक ठंडी-ठंडी ताजगी हमेशा बनी रहती है. जब पसीना आता है तो स्किन के सेल्स डेड हो जाते हैं. ऐसे में गुलाब की पत्तियों के जरिए नए सेल्स बनने में मदद मिलती हैं और त्वचा का ग्लो बढ़ने लगता है.

इसके अलावा आप ये भी कर सकते हैं कि गुलाब की पत्तियों को फ्रिज में ठंडा कर लें और ठण्डा करके फिर इसे लगाएं, इससे न सिर्फ त्वचा को फायदा होता है, बल्कि इसकी खुशबू से दिमाग में भी ताजगी महसूस होती है.

अपनी त्वचा को साफ एवं चमकदार बनाने के लिए आप दूध और केसर लगा सकते हैं. इन्हें लगाने के बाद आप गुलाब की पत्तियां भी अपने चेपरे पर लगा सकते हैं, इसके लगाने से त्वचा से कालापन बिल्कुल साफ हो जाता है.

नहाने जाने से बिल्कुल पहले पानी में गुलाब की कुछ पत्तियां डाल दी जाएं तो आपके हाथ-पैर साफ रहते हैं और आपके शरीर से पसीने की बदबू भी नहीं आती.

मैं खुद को एक ब्रैंड समझती हूं : पूनम पांडेय

हमेशा सैक्सी फोटोग्राफ्स और सैक्सी बयानों से सुर्खियों में रहने वाली 25 वर्षीय पूनम पांडेय ने अपने कैरियर की शुरुआत मौडलिंग से की. फिर किंगफिशर कैलेंडर के लिए चुनी गईं, जहां हौट और सैक्सी शूट दे कर चर्चा में आईं.

2011 के विश्व कप क्रिकेट के दौरान पूनम ने घोषणा की थी कि अगर इंडिया जीतती है तो वे न्यूड हो जाएंगी. लेकिन बाद में किसी कारणवश वे ऐसा नहीं कर पाईं. मगर बीचबीच में वे ऐसी सैक्सी और बोल्ड तसवीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करती रहती हैं.

वे इसे गलत नहीं मानतीं. उन के हिसाब से वे खुद को एक प्रोडक्ट समझती हैं जिस की पब्लिसिटी वे अपने हिसाब से करती हैं. पर रीयल लाइफ में वे एक साधारण लड़की की तरह ही फीलिंग्स रखती हैं.

पूनम ने ‘ब्रैस्ट कैंसर अवेयरनैस’ के लिए एक वीडियो बनाया है. वे चाहती हैं कि हर महिला को कैंसर से बचने के लिए अपनी ब्रैस्ट की नियमित जांच करानी चाहिए. उन से मिल कर बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ अंश:

ब्रैस्ट कैंसर अवेयरनैस कैंपेन से कैसे जुड़ीं?

इस कैंपेन के लोग मेरे पास आए. उन्होंने पहले काफी सारी ऐक्ट्रैस के साथ इसे किया था. इस बार उन्होंने मुझे औफर दिया, तो मैं ने सोचा कुछ हैल्दी काम कर लिया जाए.

अभिनय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मैं कोई इत्तफाक से अभिनय में नहीं आई. मुझे बचपन से ही मौडलिंग का शौक था. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सुपरस्टार के चेहरे आप को इस में आने के लिए प्रेरित करते हैं. मैं माधुरी दीक्षित की बहुत बड़ी फैन हूं. मैं हमेशा माधुरी को फौलो करती थी. मेरे परिवार में कोई भी अभिनय के क्षेत्र में नहीं है. मैं मुंबई की हूं. मेरे पिता व्यवसायी हैं और मां हाउसवाइफ हैं. मेरे भाई और बहन सभी सैटल हैं. मैं ने कभी फोटो शूट नहीं कराया. मैं ‘मेगा मौडल कौंटैस्ट’ में चुन ली गई. वहां इतनी सारी लड़कियों में मुझे चुन लेना बहुत बड़ी बात थी.

हालांकि परिवार में किसी को उम्मीद नहीं थी कि मैं इस प्रतियोगिता में विजयी हो जाऊंगी. इसीलिए पिताजी ने भी हां कह दी थी. मेगा मौडल बनने के बाद मुझे पता चला कि यह क्षेत्र क्या है. फिर किंगफिशर कैलेंडर में काम करने का मौका मिला. इस के बाद कई औफर्स मिलने लगे. मैं 19 साल की उम्र में लाखों कमाने लगी थी. फिर मैं ने स्नातक करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और आज पूरी तरह से इस क्षेत्र में आ गई.

आप के काम पर परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

मेरी अपनी मां को जब मैं ने बिकिनी वाली तसवीर दिखाई तो वे चौंक गईं और पूछने लगीं कि किस ने यह तसवीर खीचीं. उन्होंने उसे मारने की बात कही. पिता भी पहले भड़क उठे कि ये सब बंद करो. मैं ने उन से जब अपनी इच्छा जताई तो वे चुप हो गए. मैं बहुत जिद्दी स्वभाव की हूं. अगर कोई मुझे कुछ करने को मना करे, तो उसे करने की इच्छा और बढ़ जाती है. अब मेरे मातापिता की सोच बदल चुकी है.

कितना संघर्ष रहा?

मैं मेगा मौडल बनी. फिर कुछ काम भी किया तब लगा कि अपनी पहचान कैसे बनाई जाए? मैं ने कुछ बड़ा करने की योजना बनाई और वर्ल्ड कप वाली कंट्रोवर्सी मेरे जीवन में आई और लोगों ने मुझे इसी रूप में पहचाना.

क्या आप काम न मिलने की वजह से इस तरह के हथकंडे अपनाती हैं?

मैं सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हूं. मैं बहुत पैसे कमाती हूं. मेरे 1-1 ट्वीट के अच्छे पैसे मिलते हैं. यूट्यूब से पैसा मिलता है. मैं ने हाल ही में इंटरनैशनल रिऐलिटी शो किया है, जिस में मैं ने इंडिया को रिप्रेजैंट किया है. मैं ने हिंदी फिल्म ‘नशा’ फिर एक तेलुगु फिल्म की. अभी भी एक तेलुगु फिल्म में काम कर रही हूं. एक हिंदी फिल्म भी बड़े बैनर में आने वाली है. इसीलिए यह कहना गलत है.

मुझे बहुत सारी फिल्मों के औफर आते हैं. लोग कहते हैं कि आप को अंतरंग दृश्य करने पड़ेंगे, पर कहानी नहीं होती. आज के दर्शक बेवकूफ नहीं हैं. वे हर फिल्म में कहानी मांगते हैं. ‘द वीकेंड’ ऐसी ही शौर्ट फिल्म है, जिस की कहानी बहुत अच्छी है, जिस के लिए मुझे अभिनय के लिए तारीफ मिल रही है, स्किन शो के लिए नहीं.

आप ने अभिनय से हट कर बहुत ही अलग तरीके से अपने आप को पौपुलर किया. इस की वजह क्या है?

मैं अभिनय को अधिक महत्त्व देती हूं, लेकिन मुझे आगे बढ़ने के लिए कोई रास्ता समझ में नहीं आ रहा था, इसीलिए मैं ने इस रास्ते को चुना. मैं ने वह रूट फौलो नहीं किया, जिसे सब करते हैं. यह मेरी लाइफ है. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ना चाहती हूं. मेरे लिए यह सही भी दिख रहा है. मैं ने खुद को सेल किया है. मैं अगर एक नौर्मल इनसान की नजर से देखूं तो मैं ने सारे सिली काम किए हैं और यही बेवकूफी मेरे लिए काम कर गई. मैं खुश हूं कि मैं ने अपने बलबूते अपनी मंजिल पाई है. पहले मुझ पर लोग हंसते थे, पर अब मेरे दिमाग की तारीफ करते हैं.

आप को कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

नहीं. मुझे कभी नहीं करना पड़ा, पर जिस के साथ भी ऐसा होता है उस में दोनों की बातें हमें पता नहीं होती. ऐसे में क्या सही है क्या गलत मैं नहीं कह सकती.

अंतरंग दृश्य करने के लिए आप कितनी सहज होती हैं?

किसी भी चीज को दिमाग पर नहीं लेती, क्योंकि यह एक  व्यवसाय है. मैं अपनेआप को एक बै्रंड समझती हूं. मैं जो भी कर रही होती हूं, उस में एक प्रकार की रणनीति होती है. अपनेआप को लोगों के सामने लाने का यह एक जरीया है.

लव और रिलेशनशिप में किसे आप अधिक महत्त्व देती हैं?

‘लव’ को मैं अधिक महत्त्व देती हूं. आजकल लोग इसे भूलने लगे हैं पर मैं अपने मातापिता की लाइफ से बहुत प्रभावित हूं.

आप के सपनों का राजकुमार कैसा होना चाहिए?

जो मुझे ‘ट्रू लव’ दे. मैं ऐसा नहीं चाहती कि कोई मेरी जिंदगी में आए और थोड़े दिनों बाद ब्रेकअप कर चल दे.

प्यार में सैक्स कितना जरूरी है?

आजकल पूरी दुनिया बदल गई है. प्यार से पहले सैक्स आता है, रिश्तों की अहमियत खत्म हो गई है. इसीलिए तलाक के मामलों की संख्या बढ़ रही है. आज ‘वन नाइट स्टैंड’ की अवधारणा है. यूथ इसे कूल मानते हैं. मैं प्यार को महत्त्व देती हूं.

आप कितनी फैशनेबल और फूडी हैं?

मैं बहुत इजी गोइंग हूं. फूडी भी हूं. खूब खाती हूं. मटरपनीर, समोसा, आलू के परांठे आदि सब बना लेती हूं.

कहां घूमने जाना पसंद करती हैं?

मैं बहुत सी जगहें गई हूं. पर मुझे अपना घर और मां के हाथों का बना खाना और उन के पास रहना सब से अधिक पसंद है.

कोई ड्रीम प्रोजैक्ट है?

मैं अपने आप को पूरे कपड़ों में देखना चाहती हूं और निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ फिल्म करना चाहती हूं. मुझे पता है कि मैं ने बहुत सारी बेवकूफी वाले काम किए हैं, पर मैं एक हैल्दी निर्देशक के माइंड को समझ कर फिल्में करना चाहती हूं. विद्युत जामवाल और रणवीर सिंह के साथ फिल्में करना चाहती हूं.

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