शादी से पहले फाइनेंशियल प्लैनिंग जरूरी

शादी जिन्दगी का एक बहुत बड़ा फैसला है. शादी के बाद आपकी जिन्दगी सिर्फ आपकी नहीं रहती. आप अपनी जिन्दगी किसी और के साथ शेयर करती हैं. शादी सिर्फ रस्मों और पैसों से ही नहीं होती, प्रेम, विश्वास और एक दूसरे को समझना भी बहुत जरूरी है. पर शादी की शॉपिंग से भी ज्यादा जरूरी है फाइनेंशियल प्लैनिंग.

शादी में मैचिंग कपड़ें लेने साथ में जाते हैं, तो क्यों न साथ में बैठकर भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लैनिंग भी कर ली जाए? आप एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ भी पाएंगे और एक सुखद भविष्य की तैयारी भी हो जाएगी.

बचत खाता

शादी के बाद आप दोनों का अक ज्वाइंट बचत खाता जरूर होना चाहिए. इससे आप दोनों खुद के लिए और खुद के भविष्य के लिए बेहतर निर्णय ले पाएंगे.

बनायें नॉमिनी

आपने अपने सेविंग अकाउंट, पीएफ अकाउंट या इंश्योरेंस का नॉमिनी अपने माता-पिता और भाई-बहनों को ही बनाया होगा. पर शादी के बाद आपको इसमें बदलाव करने होंगे. आप अपने पार्टनर को नॉमिनी बना सकती हैं.

दोनों मिलकर लें फैसला

शादी आप दोनों ने मिलकर की है, तो वित्तीय फैसले लेने का हक भी आप दोनों के पास है. कोई भी वित्तीय फैसला या निवेश से जुड़ी कोई भी अहम निर्णय अपने पार्टनर को पूछे बिना न लें. शादी के बाद आपके हर फैसले का आपके पार्टनर पर सीधा असर पड़ता है. अपने पार्टनर की राय जरूर लें.

बहुत जरूरी है इमरजेंसी फंड

अगर आप और आपका जीवनसाथी दोनों नौकरी करते हैं तो आपको एक ज्वाइंट इमरजेंसी फंड जरूर बनाना चाहिए. अगर सिर्फ आप ही वर्किंग है तो इमरजेंसी फंड बनाना और भी ज्यादा जरूरी है. इमरजेंसी फंड में इतनी बचत करें की नौकरी चली जाने पर भी 6 महीनों तक आराम से आपका खर्च चल सके.

टर्म इंश्योरेंस

शादी के बाद आप इंश्योरेंस के इस विकल्प पर विचार कर सकती हैं. टर्म इंश्योरेंस लेने से बहुत ही कम प्रीमियम में आपको ज्यादा लाइफ कवर मिलेगा. शादी के बाद जल्द से जल्द टर्म इंश्योरेंस करा लें, इससे आपको ज्यादा फायदा होगा.

हेल्‍थ इंश्योरेंस

अगर आपने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है तो आप शादी के बाद ज्वाइंट हेल्थ इंश्योरेंस का ऑप्शन चुन सकते हैं. भविष्य में आपके घर में पड़ने वाले नन्हें कदमों के लिए भी यह एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि ज्वाइंट हेल्थ इंश्योरेंस में आप उन्हें भी जोड़ सकते हैं.

काजू रोज : खास है यह मिठास

सामग्री

11/2 कप काजू पाउडर

1 कप शुगर पाउडर

1/2 कप मिल्क पाउडर

1-2 चुटकी इलायची पाउडर

2 चम्मच पानी

2 बूंदें रोज ऐसैंस

जरूरतानुसार चुकंदर का पानी रंग के लिए.

विधि

एक डबल बौयलर में पानी गरम करें. जब बौयलर का ऊपर वाला ड्राई पैन अच्छी तरह गरम हो जाए तो उस में शुगर पाउडर और मिल्क पाउडर डाल कर 2-3 मिनट भूनें. भुन जाने पर इस मिश्रण को पैन से निकाल कर काजू पाउडर के साथ मिला दें.

अब रोज ऐसैंस को गरम पानी में मिला कर मिश्रण में डालें और अच्छी तरह गूंध लें. इस को लाल रंग देने के लिए थोड़ा सा चुकंदर का पानी भी मिला लें. तैयार मिश्रण को ग्रीस की रोलिंग पिन पर लपेट कर इच्छानुसार मोटाई में रोल कर लें. रोल को मनचाही शेप में काट कर सर्व करें.

ये हैं बॉलीवुड की पत्रकार अभिनेत्रियां

ऐसा माना जाता है कि पत्रकारिता अपने आप में एक मुश्किल व्यवसाय है. पुराने लोगों की माने तो ज्यादातर लोग खासकर लड़कियां इससे दूर ही रहती हैं और कुछ लोगों का व्यक्तिगत मत है कि उन्हें इससे दूर रहना भी चाहिए.

हां कई बार ये व्यवसाय विवादित और चुनौतीपूर्ण हो सकता है, पर यह भी सामान्य व्यक्तियों के लिए ही बनाया गया है. आज के समय की बात की जाए तो कई सम्मानीय महिला और पुरुष पत्रकार हमारे समाज के लिए बहुत अच्छा उदाहरण बने हैं.

अब अगर बॉलीवुड की बात करें तो ऐसी कई अभिनेत्रियां हैं और रही हैं, जिन्होंने पुरानी और नयी फिल्मों में पत्रकारों की भूमिका निभाई है. अब अभिनय की दृष्टी से देखें तो सभी अभिनेत्रियां अपने किरदार के साथ न्याय करने में सफल नहीं हो पायी हैं, जबकि कुछ ने अपनी फिल्मों में इस किरदार के साथ बेमिसाल काम किया है.

आइये हम आपको बताते हैं कौन-कौन सी अभिनेत्रियों ने अपनी फिल्मों में निभाई है एक पत्रकार की भूमिका…

1. डिंपल कपाड़िया : साल 1994 में आई फिल्म क्राँतिवीर’ में अभिनेत्री डिंपल ने एक प्रेस रिपोर्टर की भूमिका अदा की थी.

2. जूही चावला : साल 2000 में रिलीज हुई शाहरुख खान और जूही चावला अभिनीत फिल्म फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ में स्टार अभिनेत्री जूही चावला एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल में पत्रकार की भूमिका में नजर आईं थी.

3. प्रीति जिंटा : साल 2004 में आई फिल्म लक्ष्य’ में प्रीति ने एक रिपोर्टर की भूमिका अदा की है.

4. प्रियंका चोपड़ा : फिल्मक्रिश’ 2006 में आई थी. इस फिल्म में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा टेलीविजन के लिए काम करती हैं.

5. लारा दत्ता : अभिनेत्री लारा दत्ता ने साल 2007 में आई अपनी फिल्म पार्टनर’ में एक पत्रकार की भूमिका निभाई थी.

6. सोहा अली खान : 11 जुलाई 2006 को मुम्बई की रेल में हुए बम ब्लास्ट वाले हादसे पर बनाई गई फिल्म मुम्बई मेरी जान’ साल 2008 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में अभिनेत्री सोहा अली खान ने रुपाली जोशी नाम की पत्रकार की भूमिका अदा की थी.

7. दीपल शॉ : साल 2008 में आई फिल्म अ वेडनेसडे’  में अभिनेत्री दीपल शॉ, नैना रॉय के किरदार में यूटीवी जनर्लिस्ट की भूमिका में नजर आई थी.

8. कोंकणा सेन शर्मा : ‘वेकअप सिड’ फिल्म साल 2009 में सिनेमाघरों में आई थी. इस फिल्म में कोंकणा एक लेखक और एक पत्रकार के रूप में नजर आई थी.

9. कंगना रनौत : फिल्म नॉकऑउट’ जो कि साल 2010 में आई थी, अभिनेत्री कंगना ने इण्डिया टीवी की एक रिपोर्टर का किरदार निभाया है.

10. रानी मुखर्जी : अप्रैल1999 में दिल्ली में हुए जेसिका लाल मर्डर केस पर बनी बायोग्राफइकल फिल्म नो वन किल्ड जेसिका’ साल 2011 में आई थी, जिसमें रानी मुखर्जी ने एक पत्रकार की भूमिका अदा की थी.

11. अदिति राव हैदरी : फिल्म रॉकस्टार’ 2011, अदिति ने भी एक पत्रकार का किरदार निभाया था. साल 2012 में आई एक और फिल्म शोभना 7 नाइट्स’ में अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी कुछ ऐसी ही भूमिका निभाई थी.

12. अनुष्का शर्मा : साल 2012 में फिल्म जब तक है जान’ और साल 2014 में फिल्म पीके’ में अनुष्का शर्मा ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से एक पत्रकार की भूमिका निभाई थी.

13. अमृता राव : साल 2013 में आई फिल्म सिंह साहब द ग्रेट’ में अम्रता एक जर्नेलिस्ट की भूमिका में हमारे सामने आई थी.

14. करीना कपूर : फिल्म सत्याग्रह’, साल 2013 में करीना कपूर ने बहुत ही कट्टर या सख्त पत्रकार की भूमिका अदा की है.

15. नरगिस फाखरी : साल 2013 में ही अभिनेता जॉन अब्राहम के साथ आई फिल्म मद्रास कैफे’ में एक पत्रकार की भूमिका में नजर आई थी.

साल 2013 में ही आई फिल्म राजधानी एक्सप्रेस’ में अभिनेत्री अचिंत कौर ने भी ऐसा ही भीमिका निभाई थी. इसी साल यानि कि 2017 मे ही 21 अप्रैल को आ रही फिल्म नूर’ में सोनाक्षी सिन्हा भी एक युवा पत्रकार की भूमिका मे नजर आने वाली हैं.

‘नाम शबाना’ का दूसरा ट्रेलर रिलीज

तापसी पन्नू और अक्षय कुमार की फिल्म का दूसरा ट्रेलर भी सामने आ गया है. पहले ट्रेलर की ही तरह इस ट्रेलर में तापसी पन्नू का दमदार रोल में नजर आ रहा है. तापसी एक्शन के मामले में अक्षय को भी पूरी टक्कर देती हुई दिख रही हैं.

बता दें कि ये फिल्म 2015 में आई फिल्म बेबी का प्रीक्वल है. इसमें मनोज वाजपेयी और पृथ्वीराज भी महत्वपूर्ण किरदार में नजर आएंगे. फिल्म ‘बेबी’ में तापसी पन्नू के किरदार को काफी सराहा गया था. इस फिल्म में अक्षय के साथ ही तापसी भी एक्शन करती हुई दिखेंगी.

अक्षय कुमार ने भी फिल्म के बारे में बात करते हुए कहा था कि फिल्म की असली हीरो मैं नहीं बल्कि तापसी ही हैं. तापसी ट्रेलर में जबरदस्त एक्शन करती नजर आ रही हैं. अक्षय कुमार का दमदार अभिनय और एक्शन तो ट्रेलर में जान डालने का काम तो कर ही रहा है.

ट्रेलर में साफ पता चल रहा है कि फिल्म में एक्शन के साथ ही सस्पेंस भी भरपूर देखने को मिलेगा. फिल्म 31 मार्च को रिलीज होगी.

देखें फिल्म का ट्रेलर.

‘बद्री की दुल्हनिया’ ने तोड़े ये 5 रिकॉर्ड

हाल ही में रिलीज हुई बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट और अभिनेता वरुण धवन की फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ इस साल की कामयाब फिल्मों में से एक है. फिल्म ने रिलीज के पहले ही हफ्ते में दुनियाभर में 100 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है. इतना ही नहीं फिल्म ने कामयाबी तो हासिल की ही है साथ ही कुछ रिकॉर्ड्स भी तोड़े हैं. जानें वो 5 रिकॉर्ड्स जो फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ ने तोड़े.

वीकेंड पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली साल 2017 की तीसरी सबसे बड़ी फिल्म

फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ साल 2017 की तीसरी ऐसी सबसे बड़ी फिल्म है जिसने वीकेंड पर सबसे ज्यादा कमाई की है. इसने ऋतिक रोशन की फिल्म ‘काबिल’ को पछाड़ते हुए यह जगह हासिल की है. इस साल ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ से ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में अक्षय कुमार की फिल्म ‘जॉली एलएलबी2’ और शाहरुख खान की ‘रईस’ हैं

पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली आलिया-वरुण की पहली फिल्म

आलिया भट्ट और वरुण धवन की साथ में यह तीसरी फिल्म है. तीनों फिल्मों में ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ ने पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई की है. इस फिल्म ने रिलीज के पहले दिन 12.25 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि दोनों की साथ में पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ थी जिसकी पहले दिन की कमाई 7.48 करोड़ रुपये थी जबकि दोनों की पिछली फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ ने पहले दिन 9.02 करोड़ रुपये कमाए थे.

पहले वीकेंड में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली आलिया-वरुण की पहली फिल्म

फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ आलिया भट्ट और वरुण धवन की पहली ऐसी फिल्म है जिसने फिल्म रिलीज के पहले वीकेंड पर सबसे ज्यादा कमाई की है. दोनों की पिछली फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की पहले वीकेंड की कमाई 33.74 करोड़ रुपये थी जबकि ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ ने पहले वीकेंड में 43.05 करोड़ रुपये की कमाई की.

सोमवार को सबसे ज्यादा कमाई करने वाली साल 2017 की पहली फिल्म

साल 2017 में शाहरुख खान, अक्षय कुमार और ऋतिक रोशन जैसे बड़े सितारों की फिल्में रिलीज हो चुकी हैं लेकिन आलिया- वरुण की फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ ने सोमवार के दिन सबसे ज्यादा कमाई की है. सोमवार के दिन फिल्म की कमाई 12.08 करोड़ रुपये रही है.

पहले सप्ताह में दुनियाभर में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली वरुण की पहली फिल्म

फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ से पहले ‘ढिशूम’ दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली वरुण धवन की अब तक की पहली फिल्म थी. ‘ढिशूम’ ने 2 मिलियन डॉलर की कमाई की थी. ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ की दुल्हनिया ने ‘ढिशूम’ को पछाड़ते हुए पहले हफ्ते 2.82 मिलियन डॉलर की कमाई कर ली है.

ऑफिस और कॉलेज के लिए लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स

कई बार कॉलेज और ऑफिस की ज़िन्दगी कई वजहों से तनावपूर्ण हो जाती है. ऐसे में आप स्टाइलिश बनने की जगह आरामदायक महसूस करना ज्यादा पसंद करती हैं. आज के समय में तो हर जगह पर पहनकर जाने के लिए लोगों के पास बेहतरीन परिधान होते हैं, इसलिए आपके लिए भी नया फैशन अपनाना आवश्यक सा हो जाता है.

आज हम कॉलेज जाने वाली लड़कियों और साथ ही ऑफिस जाने वाली महिलाओं के लिए कपड़े पहनने के कुछ नुस्खे लेकर आए हैं.

आरामदायक कपड़े पहनें : आप भी शायद उन लोगों में से एक हो सकती हैं जो फैशन के लिए आराम का त्याग करने से भी पीछे नहीं हटती और ऐसा भी हो न क्यों, एक ही तरह के कपड़े पहनना काफी मुश्किलों भरा होता है. लेकिन ऐसे भी कई दिन आते हैं जब आरामदायक कपड़े पहनने की बहुत आवश्यकता होती है. आपको ये सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपके पास ऐसे कपड़े उपलब्ध हों जो आरामदायक हों.

नवयुवतियों को अक्सर बेहतरीन टी शर्ट और मार्डन परिधान पहनकर कॉलेज जाना ही अच्छा लगता है, तो आप आरामदायक जीन्स तथा स्वेटशर्ट का प्रयोग करें. इसके अलावा सोते समय भी आरामदायक कपड़े ही पहनें जिससे कि अगर आप घर से बाहर रह रहे हैं तो आपको अपने रूममेट के सामने शर्मिन्दा ना होना पड़े.

कॉलेज या ऑफिस जाने वाले लोगों के बीच कुर्ती काफी ज्यादी प्रचलित है. आप इन्हें रंग बिरंगी लेगिंग्स तथा थोड़े से सही आभूषणों के साथ पहन सकती हैं.

चलने के लिए आरामदायक जूते : अगर आप वाकई अच्छा महसूस करना चाहती हैं तो यह बहुत जरूरी है कि प्लेटफार्म शूज पहनें. एक बात ध्यान रखें ऊँचे हील पहनकर कभी बाहर ना जाएं. ऑफिस जाने के लिए फॉर्मल या साधारण जूतों का ही उपयोग करें. अगर आपको अलग-अलग जूतों का शौक है तो बहुत ज्यादा फैशन वाले जूतों को छुट्टियों के दिन के लिए बचाकर रखें.

ऐसे कपड़े पहनें जिनको ज्यादा देखभाल की आवश्यकता न हो : ऑफिस में समय काफी कीमती होता है. अगर कपड़े को हाथ से धोने की ज़रूरत पड़े तो ऐसे कपड़े ना पहनें. कपड़ों के प्रकार के अनुसार उनकी देखभाल करें और उसके हिसाब से ही इनका इस्लेमाल करें, क्योंकि अच्छे से इनकी धुलाई ना करने पर ये खराब भी हो सकते हैं.

मौसम के अनुसार कपड़ों का चयन : इस बात का ध्यान रखें कि आपको ऑफिस या कॉलेज के में काफी समय बिताना होता है, अतः अपने शहर के मौसम के हिसाब से ही परिधानों का चयन करें. अगर भारी ठण्ड के मौसम में सिर्फ किसी को प्रभावित करने के लिए आप स्टाइलिश बनकर ऑफिस या कॉलेज में जाती हैं, तो ये बेवकूफी होगी.

हफ्ते के अंत में पहनने वाले कपड़े : सारी महिलाओं के पास छोटा ही सही पर खूबसूरत कपड़ों का संग्रह होता है, आप इन्हें हफ्ते के आखिर में पहनें. अगर आप खुद को सुन्दर दिखाना चाहती हैं तो हफ्ते के आखिर में पहनने के लिए अनूठे कपड़ों का चयन करें.

कम कपड़ों वाली ड्रेस पहनकर ऑफिस, कॉलेज ना जाएं : भले ही आपका ऐसा रूप कॉलेज में पढ़ने वाले लड़कों या ऑफिस में आपके सह-कर्मियों को अच्छा लगे, पर इस तरह के कपड़े पहनकर कभी भी न जाएं. आसान व साधारण भाव से पहने हुए पूर्ण रूप से पेशेवर परिधान में आप काफी सुन्दर लगेंगी.

“मोगुल” में गुलशन कुमार के किरदार में होंगे अक्षय

अभिनेता अक्षय कुमार एक के बाद एक फिल्म साइन करते जा रहें हैं. खिलाड़ी कुमार के फैंस के लिए खबर है कि अक्षय कुमार सुभाष कपूर निर्देशित फिल्म “मोगुल- द गुलशन कुमार स्टोरी” में जल्द नजर आएंगे. 2017 को शुरू हुए अभी कुछ महीने ही हुए हैं और अक्षय कुमार ने 2018 की फिल्मों की तैयारी भी शुरू कर दी है. खिलाड़ी की फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ हाल ही में रिलीज हुई थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़े. अक्षय कुमार फिलहाल अपनी फिल्में ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’, ‘रोबोट 2’, ‘पैड मैन’, और ‘गोल्ड’ के कामों में व्यस्त चल रहें हैं. और कुछ दिन पहले खबर मिली थी की अक्षय कुमार ने सलमान खान और करण जौहर की फिल्म को भी साइन किया हुआ है. इन सबके अलावा अब अक्षय ने फैन्स को अपनी एक नयी फिल्म के बारे में बताया. फिल्म का नाम है मोगुल जो गुलशन कुमार की जिन्दगी पर आधारीत है. अब अक्षय कुमार फिल्म “मोगुल- द गुलशन कुमार स्टोरी” के टाइटल वाली गुलशन कुमार की बायोपिक में नजर आएंगे. 

अक्षय कुमार गुलशन जी को बहुत अच्छी तरह जानते हैं. गुलशन कुमार, अक्षय की पहली फिल्म ‘सौगंध’ में उनके साथ थे. और दोनों ही एक जैसे बैकग्राउण्ड से थे. अक्षय कुमार पर्दे पर उनकी भूमिका निभाने के लिए काफी उत्साहित हूं. अक्षय कुमार की फिल्म ‘मोगुल’ को सुभाष कपूर डायरेक्ट करेंगे और फिल्म 2018 में रिलीज होगी. अक्षय कुमार और सुभाष कपूर ने इससे पहले ‘जॉली एलएलबी 2’ में काम किया है.

एक्टर अक्षय कुमार म्यूजिक ‘मोगुल’ के लिए पूरी तरह तैयार हैं. अक्षय ने ट्वीट किया कि मेरा और उनका साथ मेरी पहली फिल्म से ही है. वह म्यूजिक के राजा थे. अब उनकी कहानी जानिए, “मोगुल- द गुलशन कुमार स्टोरी.” अक्षय ने कहा कि टी-सीरीज म्यूजिक के फाउंडर स्वर्गीय गुलशन कुमार के साथ उनका एसोसिएशन पहले से ही है.

80 के दशक के आखिरी और 90 के दशक के शुरुआत में म्यूजिक इंडस्ट्री को एक नए मुकाम तक पहुंचाने वाले गुलशन कुमार की 1997 में हत्या कर दी गई थी. टी-सीरीज के नाम से उनका म्यूजिक इंडस्ट्री में एक जाना-माना नाम बन गया. इस बायोपिक की घोषणा बुधवार को गुलशन कुमार की बेटी के जन्मदिन के मौके पर की गई.

Summer Special: फैमिली के लिए बनाएं टेस्टी और हेल्दी स्मूदी

गर्मियों का मौसम दस्तक दे चुका है. पर दिल है की मानता ही नहीं. खाने के शौकीन लोगों के लिए गर्मियों और ज्यादा भारी पड़ती हैं. गर्मियों में संभल कर खाना पड़ता है. पर इस टेस्टी स्मूदी से आपको हेल्थ की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. ट्राई करें यह स्मूदी और हमें फेसबुक पर मैसेज कर जरूर बताएं की आपको यह रेसिपी कैसी लगी?

सामग्री

– 2 बड़े संतरे छिले और बीज निकले

–  1/2 कप अलसी के बीज

– 4 कप पालक

– पर्याप्त पानी.

विधि

फूड प्रोसैसर में अलसी के बीज पीसें. अब संतरा, पालक और अलसी के बीज को मिला लें. इस मिश्रण को फूड प्रोसैसर में ब्लैंड कर लें. मिश्रण में पानी डालें और स्मूद होने तक ब्लैंड कर के सर्व करें.

आप स्वाद के लिए जरा सा नमक भी मिला सकती हैं.

 

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

तकनीक के इस दौर में जब खाने-पीने से लेकर पहनने तक सब ऑनलाइन हो गया है, तो इंश्योरेंस ऑनलाइन क्यों न हो? बहुत सी बीमा कंपनियां अब ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने का ऑप्शन भी दे रही हैं. ऑनलाइन इंश्योरेंसलेना बहुत आसान और कीफायती भी है, इसलिए बहुत से लोग ऑनलाइन इंश्योरेंसखरीद रहे हैं. पर ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने से पहले थोड़ी सावधानी भी जरूरी है. ऑनलाइन पॉलिसी लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान-

कंपनी का पिछला रिकॉर्ड जरूर देखें

आप जिस भी कंपनी से ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदना चाहते हैं उसका पिछला रिकॉर्ड चेक करना बहुत जरूरी है. कंपनी साइट पर दिए गए दूसरे ग्राहकों का अनुभव जरूर पढ़ें. कंपनी द्वारा ग्राहक संतुष्टि, क्‍लेम निपटारे का रिकॉर्ड भी चेक करें. अगर आप ऑनलाइन हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रही हैं तो यह भी जरूर देखें की उस कंपनी का किस कंपनी के साथ टाइ अप है और वह हॉस्पिटल भी आपके घर के आस-पास ही हो.

कौन खरीद सकता है पॉलिसी?

अगर आप सोच रहे हैं कि कोई भी ऑनलाइन पॉलिसी खरीद सकता है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. आप कुछ स्टैंडर्ड पॉलिसी ही ऑनलाइन खरीद सकती हैं. अगर आपकी उम्र 45 साल है और आप पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आप ऑनलाइन हेल्‍थ पॉलिसी नहीं खरीद सकती हैं. लाइफ इंश्योरेंसपॉलिसी में भी सिर्फ टर्म इन्‍श्‍योरेंस पॉलिसी और कुछ यूलिप प्‍लैन ही ऑनलाइन खरीदे जा सकते हैं.

किस पॉलिसी की कितनी है कीमत

ऑनलाइन इंश्योरेंसपॉलिसी खरीदने से पहले अलग अलग पॉलिसियों के बारे में जानकारी हासिल करना बहुत जरूरी है. कभी भी एग्रीगेटर साइट पर दी गई जानकारी पर पूरी तरह से विश्‍वास न करें. कंपनी की निजी वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर ही भरोसा करें.

कितना लगता है सर्विस टैक्‍स

ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने से पहले उस पर लगने वाले सर्विस टैक्स के बारे में पूरी जानकारी जरूर हासिल कर लें. आमतौर पर कंपनियां सर्विस टैक्स के बारे में कुछ ऐसे जानकारी देती हैं, कि पढ़ने वाले को पता ही नहीं चलता. इंश्योरेंस प्रीमियम पर 14 पर्सेंट सर्विस टैक्स तो चुकाना ही पड़ता है.

प्रीमियम में कितनी छूट

ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने पर भी छूट मिल सकती है. इंश्योरेंस खरीदने से पहले कंपेयर करना न भूलें. इससे आपको अलग अलग कंपनियों के प्रीमियम का अंदाजा हो जाएगा. रिसर्च से आप कम प्रीमियम में इंश्योरेंस खरीद सकते हैं.

कपड़ों पर कलह क्यों

कुछ ही समय पहले क्रिकेटर मोहम्मद शमी और उन की पत्नी के साथ एक घटना घटित हुई. मोहम्मद शमी ने अपनी पत्नी हसीन के साथ अपनी कुछ तसवीरें सोशल मीडिया पर डालीं, तो उन पर कलह मच गई. हंगामें की वजह हसीन के कपड़े बताए गए, जो मजहब के मुताबिक न हो कर कुछ ज्यादा आधुनिक और खुले ठहराए गए. अचरज इस बात का था कि फोटो में दिख रहीं हसीन के कपड़ों में ऐसा कुछ भी नहीं था, जो उन्हें एक आम भारतीय महिला के परिधानों से अलग करता हो, लेकिन सोशल मीडिया पर मोहम्मद शमी के प्रशंसकों को भी उन की यह हरकत पसंद नहीं आई. इसलाम और अल्लाह का हवाला दे कर लिखा गया कि अपनी बीवी को कपड़े में रखो और कुछ सीखो अमला अली से और भी बहुत सारों से.

एक ट्विटरबाज ने तो यह नेक सवाल भी पूछ डाला कि आखिर आप को क्या हो गया, जो आलोचकों का जवाब देने के लिए रोज नंगी तसवीरें लगा रहे हो?

मोहम्मद शमी इस टीकाटिप्पणी से घबराए नहीं. उन्होंने जवाब में नए साल पर फेसबुक पर एक और तसवीर अपलोड की और आलोचकों को यह कहते हुए जवाब दिया कि वे अच्छी तरह जानते हैं कि क्या करना है और क्या नहीं. उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए कि वे कितने अच्छे हैं.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लेकिन उस के बाद उसे तमाम बंदिशों में रखो. मजहब, लोकलाज, परंपराओं के नाम पर बेटियों को हाशिए पर धकेलने का हमारा इतिहास रहा है, लेकिन 21वीं सदी में ऐसी सोच शर्मिंदा करती है. अफसोस है कि महिलाओं के कपड़ों पर जम कर टीकाटिप्पणी की जाती है.

दुनिया के कई आधुनिक देशों में भी कार्यस्थलों पर महिलाओं के पहनावे पर बहस हो रही है. हाल ही में ब्रिटेन की संसद ने उन कंपनियों पर जुर्माना लगाने की बात कही है, जिन्होंने महिलाओं के लिए ड्रैस कोड लागू किया है. वहां एक रिसैप्शनिस्ट की ऊंची एड़ी के  सैंडल पहन कर आने पर औफिस से घर भेज दिया गया था. इस ड्रैस कोड को अदालत में चुनौती दी गई तो लंदन की संसद ने कंपनी पर जुर्माना लगा दिया.

स्कूलों और दफ्तरों के ड्रैस कोड का फिर भी एक मतलब हो सकता है, पर शहरों से ले कर गांवों व कसबों तक में सामान्य महिलाओं के खानेपीने, बात करने, हंसीठहाके लगाने, पहननेओढ़ने से ले कर चालढाल आदि पर इतनी गाइडलाइंस हैं कि समझ में ही नहीं आता कि कब किस बात पर कौन नाराज हो जाए और क्या कर बैठे. कपड़ों में जरा सा भी फैशन नजर आएगा, तो वह छेड़छाड़ से ले कर रेप तक का आमंत्रण देते हुए माना जाता है. स्कूलों में ड्रैस तो जरूरी है, लेकिन अगर कोई लड़की गलती से लिपस्टिक लगा कर चली आई, तो कहा जाता है कि यह विशुद्ध रूप से नैतिकता भंग करने का मामला बनता है. दफ्तर में अगर उस ने भारतीय शैली की पोशाकें (साड़ी या सलवारकमीज) न पहन कर जींसटौप जैसी कोई ड्रैस पहन कर आने की कोशिश, तो यह अनुशासनहीनता मानी जाती है. और तो और विदेशी महिला पर्यटकों को भी साफ तौर पर ताकीद की जाती है कि उन्होंने स्कर्ट जैसी पोशाक पहन कर भारत भ्रमण की कोशिश की तो उन के साथ कुछ भी हो सकता है और तब शायद इस की कोई जिम्मेदारी भारत सरकार न ले सके.

पिछले वर्ष केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री महेश शर्मा विदेशी महिला पर्यटकों के लिए यह कह बैठे कि यदि वे इस देश में भ्रमण कर रही हैं, तो स्कर्ट जैसी पोशाक न पहनें. वजह निश्चित यही है कि मंत्री महोदय को देश की कानून व्यवस्था पर भरोसा नहीं है. ऐसे में वे पर्यटकों को ही दिशानिर्देश दे सकते हैं कि अपना तन जितना हो सके ढक कर रखें तो ही बेहतर, फिर चाहे आप किसी समुद्र तट पर ही क्यों न हों. इस विवाद पर हालांकि मंत्रीजी ने बाद में यह कह कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी कि उन का आशय देश के धर्मस्थलों में प्रवेश के वक्त पहनी जानी वाली पोशाकों के संदर्भ में था.

पिछले साल ऐसा ही एक विवाद पटना स्थित एनआईटी में एक छात्रा को दुष्कर्म की नीयत से अगवा कर लेने के संबंध में पैदा हुआ. जब घटना की शिकायत की गई तो एनआईटी के निदेशक ने छात्राओं को सलाह दे डाली कि अगर वे इसी तरह शौर्ट्स पहनेंगी, तो ऐसी घटनाएं होंगी ही. पोशाकों की शालीनता से जुड़े ऐसे निर्देशों की हमारे देश में भरमार है.

कपड़ों पर सरकारी निर्देश: महिलाओं के पहनावे पर सरकारी विभाग भी निर्देश देने से पीछे नहीं रहे हैं. 2016 में हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जींस पहनने से परहेज बरतने को कहा था. इस के पीछे आशय यह था कि जींस का बच्चों और समाज पर अच्छा असर नहीं पड़ता है. जींस खराब असर क्यों डाल रही है, इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया था पर साफ प्रतीत हो रहा था कि इस में सरकार को फैशन का पुट नजर आ रहा था और महिलाओं के संदर्भ में उन की जींस यौन आमंत्रण देते हुए प्रतीत हो रही थी.

हरियाणा में यह काम पहले भी हो चुका है. 2012 में हरियाणा के महिला और बाल विभाग ने एक सरकारी आदेश के तहत कर्मचारियों को शालीन कपड़े पहन कर दफ्तर आने का निर्देश जारी किया था. विभाग की तरफ से जारी सर्कुलर में भारतीय पोशाकों (साड़ी, सलवारकमीज) को शालीन कपड़ों की श्रेणी में रखा गया था और पश्चिमी पोशाकों टीशर्ट, टौप, जींस आदि को भड़काऊ परिधान कहा था.

वैसे ऐसे फरमान जारी करने वाला हरियाणा अकेला राज्य नहीं है. उसी वर्ष एक कोशिश तमिलनाडु के स्कूली शिक्षा विभाग ने की थी, जिस ने स्कूली शिक्षकों से कहा था कि वे ऐसे शालीन कपड़ों में आएं जो उन के पेशे और संस्कृति से मेल खाते हों. 2013 में कर्नाटक सरकार ने सरकारी विभागों में महिला कर्मचारियों के लिए जो ड्रैस कोड लागू किया था, उस के मुताबिक उन्हें ऐसे कपड़े पहनने के लिए कहा गया था जिन से पैरों से ले कर सिर तक पूरा शरीर ढक सके.

जब सरकार ही ऐसे निर्देश दे, तो पंचायतें भला पीछे कैसे रह सकती हैं. मार्च, 2014 में उत्तर प्रदेश के मथुरा के बरसाना में 52 गांवों की एक पंचायत ने महिलाओं के जींस पहनने पर पाबंदी लगा दी थी.

क्या पहनें महिलाएं: कपड़ों के संबंध में नसीहतें देते समय क्या इस बारे में सटीकता से बताया जा सकता है कि आखिर तमीजदार और मजहब के मुताबिक पोशाकें आखिर क्या हैं? हमारे देश में पुरुषों के लिए कुरतापाजामा और महिलाओं के लिए साड़ी को भारतीय पोशाक कहा और माना जाता है, पर कितने महिलापुरुष आज ऐसे हैं, जो घर से बाहर दौड़धूप करते और दफ्तर जाते वक्त ये पोशाकें धारण करते हैं? कामकाज के लिहाज से जो सहूलतें पुरुषों को पैंटशर्ट और महिलाओं को जींसटौप से आज के भारत में मिल रही हैं और जो कायदे से राष्ट्रीय पोशाकें कहलाने की हकदार बन चुकी हैं, वे भारतीय तो नहीं हैं, लेकिन हम ने उन्हें सहूलत के पैमाने पर अपनाया है.

ऐसे में उन फरमानों का कोई मतलब कहां रह जाता है जिन में यह बताया जाता है कि घर में शौहर के साथ तसवीर खिंचवाते वक्त कौन सी पोशाक पहनी जाए, जो तन को इतना ढकती हो, जिस से मजहब आहत न हो. हमारे देश में आम तौर पर जींसशौर्ट्स जैसे कपड़ों को महिलाओं के लिए एक वर्जित पोशाक बताया जाता रहा है. कुछ समय पहले बरसाना की पंचायत में कहा गया था कि ऐसी पोशाकें पहनी किशोरियां और युवा लड़कियां अपनी एक स्वच्छंद छवि पेश करती हैं और गांवों के बंद समाजों के पुरुष उन्हें ऐसी पोशाकों में देख कर यौन आमंत्रण समझ भड़क सकते हैं.

आज के शहरी और कसबाई समाज के निचले और मध्यवर्ग की कामकाजी महिलाओं की बात करें, तो उन के सामने जींसटौप जैसे सस्ते और सुविधाजनक विकल्प नहीं हैं. विचार किया जाना चाहिए कि पुरुषों से अलग आज की स्त्री को आखिर इस की क्या जरूरत पड़ी है कि वे सलवारकमीज और साड़ी जैसे अच्छेभले कपड़ों को छोड़ कर जींसटौप पहनने लगी हैं? इस सवाल का जवाब हमें शिक्षा और उन्नति की उस इच्छा की तरफ ले जाता है जिसे अब गांवदेहात की लड़कियां भी हासिल कर लेना चाहती हैं. स्कूली शिक्षा खत्म कर जब वे शहरों का रुख करती हैं, तो वक्त की चाल से कदम मिलाने और शहरी समाज की मानसिकता से तालमेल बैठाने के लिए सलवारकमीज या साड़ी जैसी भारतीय पोशाकें मिसफिट साबित होती हैं. साड़ी कुछ दफ्तरों में बेहद ऊंचे ओहदे अथवा सरकारी हवाई कंपनी की एअरहोस्टेस जैसे खास पेशों में काम करने वाली और हमेशा कार से चलने वाली महिलाओं की पोशाक तो जरूर हो सकती है, लेकिन बाकियों के लिए तो जींसटौप ही एक सुविधाजनक विकल्प बचता है.

असल में, पहनावे के मामले में कपड़ों की कीमत आज एक बड़ा कारक है. साड़ी या सलवारकमीज के मुकाबले लड़कियों के लिए जींसटौप बेहद सस्ता विकल्प साबित होता है. आमतौर पर जितने में एक साड़ी आती है, उतने में 2 जोड़ी जींसटौप का प्रबंध हो जाता है और उसी 2 जोड़ी पोशाक में किसी कायदे के प्रोफैशनल कोर्स की पढ़ाई का एकाध साल निकल जाता है. गांवदेहात के गरीब मांबाप ही नहीं, बल्कि शहरों के आम मध्यवर्गीय अभिभावक भी अपनी बेटियों को जींसटौप दिलाने की कोशिश करते हैं. एक जींस के साथ 4 टौप ले लिए, तो वही काफी होता है. उन की धुलाई और रखरखाव आदि का खर्चा भी सीमित है. हमें भूलना नहीं चाहिए कि जींस के इस अर्थशास्त्रीय पहलू पर गौर किए बिना जहां कहीं भी उस पर प्रतिबंध लगाए गए वे प्रतिबंध ज्यादा दिन टिक नहीं सके.

संस्कारी जींस: आश्चर्य की बात तो यह है कि यह स्वदेशी का जोरशोर से प्रचार करने वाली बाबा रामदेव की कंपनी (पतंजलि प्रोडक्ट्स) ने भी समझ लिया है कि भले ही जींस पश्चिमी देशों का सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करते हुए भारत आई है, पर वक्त और कामकाज की जरूरतों के मद्देनजर यह इतनी सुविधाजनक पोशाक साबित हुई कि यह भारत में रचबस गई है. यह भी कि फिलहाल इस का कोई दूसरा बेहतर विकल्प नहीं है. हालांकि उन की कंपनी स्टाइल, डिजाइन और कपड़े के मामले में जींस का देशी विकल्प पेश करेगी खासतौर से महिलाओं के संदर्भ में यह भारतीय संस्कृति और मर्यादाओं का खयाल रखते हुए ढीलीढाली होगी. जींस के कपड़े का नया विकल्प देना इस अर्थ में सराहनीय है कि इस में सिंथैटिक धागों के स्थान पर सूती धागों का प्रयोग किया जाएगा और विदेशी कंपनियों से देश को नजात दिलाने का एक और प्रयास इस के माध्यम से होगा. लेकिन यह बयान खटकने वाला है कि इस का डिजाइन भारतीय संस्कृति के अनुरूप ढीलाढाला होगा.

जींस के ऐसे महिलाकरण के पीछे का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट है. जिस तरह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के नूडल्स में कुछ समस्या निकलने पर बाबा रामदेव की कंपनी अपने नूडल्स ले कर बाजार में उतर गई थी, उसी तरह विदेशी जींस के बाजार को देखते हुए वे उस का स्वदेशीकरण महिलाकरण करते हुए अपना व्यापारिक हित साध लेना चाहते हैं. खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में यह उन का अधिकार है. इस से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता. लेकिन मूल सवाल ढीलीढाली और भारतीय संस्कारों वाली जींस का है. इस में भरपूर ऐतराज है. इसी बिंदु पर आ कर रामदेव की जींस उसी पुरुषवादी मानसिकता से ग्रस्त नजर आने लगती है, जिस में वह तन ढकने के सुविधाजनक विकल्प के बजाय पश्चिमी फैशनपरस्ती और देह दिखाऊभड़काऊ पोशाक में तबदील हो जाती है.

इस में कोई समस्या नहीं है कि डैनिम के कपड़े से बनने वाली जींस के सूती विकल्प पेश किए जाएं, लेकिन समस्या तब है जब उसे भारतीय संस्कारों के अनुरूप बनाने की पेशकश के तहत लाया जाए. ऐसी संस्कारी जींस की बात उठाते वक्त उन्हें एकसाथ भारतीय इतिहास और वर्तमान दोनों पर नजर दौड़ानी चाहिए. सौ साल पहले भारतीय महिलाओं की पोशाक इतनी बंदिशों वाली नहीं थी कि उन की सांस ही घुटने लगे. सलीके वाली धोतीचोली ग्रामीण और कसबाई समाज की महिलाओं की दिनचर्या में शामिल थीं, पर उस समय भी वे पाबंदियों वाले ड्रैसकोड के तहत नहीं अपनाई जाती थीं.

अगर जींस के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो 3 बातें पता चलती हैं- एक यह कि रफटफ होने के कारण यह मजदूर और कामकाजी तबके की पोशाक रही है और दूसरी यह कि फैक्टरियों से ले कर आम दिनचर्या में इसे इस की चुस्त फिटिंग के लिए पसंद किया गया है. मौजूदा भारतीय समाज में इस की स्वीकार्यता के पीछे भी यही अहम कारण हैं. लड़कियों ने जींस को अव्वल तो इस के सस्तेपन की वजह से अपनाया है और इसलिए भी कि सलवारकमीज और साड़ी के मुकाबले इस के रखरखाव में झंझट नहीं है. साथ ही, यह अन्य पोशाकों के मुकाबले ढीलीढाली नहीं होती है, बल्कि चुस्त फिटिंग के कारण इस के हिस्सों के कहीं उलझनेफंसने की समस्या भी नहीं रहती.

– मनीषा सिंह

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