इन आसान मेकअप ट्रिक्स से छिपाएं डबल चिन

चेहरे की खूबसूरती निखारने में तो मेकअप मदद करता ही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई बार मेकअप आपकी कई तरह की सौंदर्य समस्याओं को भी मिनटों में हल कर देता है.

यदि आप डबल चिन से परेशान है और फिटनेस के सारे फंडे अपनाकर थक चुके हैं तो मेकअप आपकी इस ख्वाहिश को काफी हद तक पूरा कर सकता है. अब पार्टी में जाने से पहले शीशे में बार-बार अपनी डबल चिन देखकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपकी इसी मुसीबत को आसान कर देंगे हमारे द्वारा बताए जा रहे ये फटाफट मेकअप ट्रिक्स…

1. चिन के निचले हिस्से को मेकअप के दौरान थोड़ा डार्क रखें और इसे अपनी गर्दन के कलर से भी इसे मैच करें.

2. मेकअप करते समय गले और आंखों के मेकअप पर ज्यादा ध्यान दें ताकि यह उभरे हुए नजर आएं. इससे लोगों का ध्यान आपकी चिन से हट जाएगा और चेहरा सुंदर दिखने लगेगा.

3. चेहरे की जॉ लाइन पर ध्यान देना भी जरूरी है. मेकअप के जरिए यदि इन्हें उभारा जाए तो भी डबल चिन पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता.

4. गले में कोई ज्वैलरी पहनें. नेकलेस की सुंदर डिजाइन या फिर सोने के तारों से बनी चेन लोगों का डबल चिन से ध्यान हटाने का काम करेगी.

5. कपड़ों की डिजाइन भी आपकी सहायता कर सकती है. नेकलाइन, चौड़ा गला और वी-नेक डबल चिन को छिपाने में कारगर साबित होते हैं.

6. हेयरस्टाइल बनाते समय भी बहुत ध्यान दें. बालों को खुला रखें और इन्हें आगे की तरफ रखें. चेहरे के आकार के हिसाब से आप किसी हेयर स्टाइलिस्ट की मदद भी ले सकती हैं.

सिंगिंग सेंसेशन हैं ये बॉलीवुड स्टार्स

बॉलीवुड में एक नया ट्रेंड शुरू हो चुका है. और वह ट्रेंड है एक्टिंग के साथ सिंगिंग का. इन दिनों कई सितारे गानों को अपनी आवाज दे रहे हैं. सितारे अपनी ही फिल्म में खुद पर फिल्माए गए गाने को आवाज दे रहे हैं. एक्टर्स के इस हुनर को खासा पसंद किया जा रहे है.

हाल ही में फिल्म “मेरी प्यारी बिंदू” के लिए परिणीति चोपड़ा ने अपना पहला गाना गाया. इससे पहले भी आलिया भट्ट के गाने को लोगों ने बहुत पसंद किया है. स्टार्स को मल्टी टास्किंग बनना पसंद है, और उनके फैन्स को उनका ये टैलेंट. बॉलीवुड में ऐसे ही कई सितारे हैं जिनकी सिंगिंग को पसंद किया है.

परिणीति चोपड़ा

पहली बार परिणीति ने सिंगिंग को ट्राय किया है. फिल्म मेरी प्यारी बिंदू में उनके गाए गीत “माना की हम यार नहीं” को दर्शक इन दिनों बहुत पसंद कर रहे हैं. यू-ट्यूब पर परिणीति के इस सॉन्ग पर अच्छे-अच्छे कमेंट आ रहे है, किसी ने उनकी वॉइस को सॉफ्ट कहा, तो किसी ने नाइस कहा.

प्रियंका चोपड़ा

मिस वर्ल्ड, प्रियंका चोपड़ा ने अपना पहला म्युजिक एलबम बनाकर बॉलीवुड में एक नए चलन की शुरुआत की थी. प्रियंका को देखकर ही कई अन्य स्टार्स सिंगिंग करने लगे हैं. इनका पहला म्युजिक एलबम 2013 में आया था. एक्टिंग में प्रियंका को पहले ही बहुत वाह-वाह मिल चुकी थी, उनके फैन्स ने उन्हें सिंगिंग में भी बहुत पसंद किया.

सलमान खान

फिल्म “हीरो” से सलमान खान ने पहली बार सिंगिंग की दुनिया में कदम रखा था. इस फिल्म में उन्होंने एक्टिंग तो नहीं की थी, पर अपने सिंगिंग टैलेंट के जरिए उन्हें दर्शकों ने बहुत पसंद किया. उनके चाहने वाले कई दर्शक तो फिल्म भी इस गीत की वजह से देखने गए थे.

आलिया भट्ट

फिल्म “स्टूडेंट ऑफ द ईयर” से एक्टिंग करियर शुरू करने वाली आलिया ने पहली बार हाइवे फिल्म में अपनी आवाज दी थी. उनके गीत को फिल्म में बहुत सराहना मिली. अब तक जिन एक्टर्स ने सिंगिंग कि है, उनमें आलिया भट्ट का नाम सबसे टॉप पर है, उनके हम्प्टी शर्मा की दुल्हनियां सॉन्ग को 9 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यू ट्यूब पर देखा है. ये रिकॉर्ड अपने आप में सबसे बड़ा है.

श्रद्धा कपूर

फिल्म आशिकी-2 से फिल्मी दुनिया में श्रद्धा कपूर ने कदम रखा है, इस फिल्म को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था. इनकी दूसरी फिल्म ‘एक विलेन’ में श्रद्धा ने अपना पहला गाना “तेरी गलियां” गाया था. फिल्म रॉक ऑन-2 में श्रद्धा ने फिल्म के सारे गाने गए हैं.

बॉलीवुड की इस दमदार आवाज के संघर्ष की कहानी

नेहा कक्कड़ बॉलीवुड का एक ऐसा नाम है, जो आज जवां धड़कनों की पसंदीदा आवाज बन चुकी है. सबके दिल और दिमाग में सिर्फ नेहा कक्कड़ द्वारा गाये गए गाने ही हैं. कहने का मतलब है कि ये सुर आज के समय के यंगिस्तान को अपना दीवाना बना रहा है. ये बात तो आप जानते ही हैं कि नेहा ने बॉलीवुड को अब तक कई सारे सुपरहिट गाने दिये हैं.

‘काला चश्मा’ जैसे और कई सारे सुपरहिट गाने गा चुकीं नेहा कक्कड़ के बचपन के बारे में जानकर आपको बहुत हैरानी होगी.

दरअसल, ये बात अब तक बहुत कम लोग जानते हैं कि बॉलीवुड में संगीत की दुनिया में धीरे-धीरे अपना दबदबा कायम कर रही नेहा का बचपन काफी दयनीय स्थिति में गुजरा है. नेहा का परिवार आर्थिक रूप से इतना कमजोर था कि उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए भी खुद ही पैसे कमाने पड़ते थे. पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो, इसलिए नेहा अपने भाई-बहन के साथ रात में जागरण में गाना गाया करती थीं.

कई जगह दिए गए, कई सारे इंटरव्यूज और नेहा के जीवन से जुड़ी खबरों के अनुसार नेहा अपने बचपन से जुड़ी कई सारी बातों का जिक्र करती रहती हैं. उन्होंने अपने बचपन के संघर्ष के बारे में भी अपने प्रशंसकों से कई ऐसी बातें शेयर की हैं, जिन्हें सुनकर उनके फैन्स भी हैरान हो जाते हैं.

ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि नेहा के पिता की समोसे की एक छोटी सी दुकान थी. उनका बचपन बहुत सी कठिनाइयों में बीता है. नेहा के बारे में शायद अब तक आपको ये बात न मालूम हो कि वे जागरण में गाकर पैसे कमाया करती थीं. सर्दी हो या गर्मी, हर मौसम में नेहा अपने भाई-बहन के साथ शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक जागरण में गाया करती थीं.

नेहा ने खुद ही अपने बचपन के दिनों को याद करती हैं कि उनके पिता, दीदी सोनू कक्कड़ के स्कूल के बाहर ही समोसे बेचा करते थे और दीदी को उनके स्कूल के बच्चे अकसर ताना मारते थे. एक दिन एक बच्चे ने नेहा की दीदी को कहा कि ‘तू बड़ी-बड़ी बात मत कर, बाहर जाकर समोसे बेच’. ये बात उनकी दीदी को यह इतनी बुरी लगी कि वो सारा दिन भर रोती रहीं और जब ये बात नेहा ने सुनी, तो उसी वक़्त उन्होंने ठान लिया खा कि वे अपने पापा की पहचान बनाकर रहेंगी, ताकि उनके परिवार में से किसी को ताने सुनने को न मिले.

उसके बाद नेहा ने कभी अपने करियर के अलावा इधर-उधर नहीं देखा और लगातार परिश्रम करती रहीं. परिणाम ये हुआ कि नेहा कक्क़ड़ आज बॉलीवुड के फेमश सिंगर्स में शामिल हो चुकी हैं और वे लगातार लोगो का दिल जीत रही हैं.

कभी खाया है चिकन का अचार

आपने चिकन के तो कई व्यञ्जन खाया होगा. लेकिन शायद ही आपने कभी चिकन का अचार खाया हो. चिकन का अचार सुन कर चौंकिए नहीं. खाने में बहुत ही लाजबाव और स्वादिष्ट लगता है यह चिकन का अचार.

सामग्री

आधा किलो चिकन

2 चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट

1 चम्मच लाल मिर्च

आधा बड़ा चम्मच हल्दी पाउडर

1 कप सरसों का तेल

आधा चम्मच हींग

1 कप प्याज, बारीक कटा हुआ

आधा बड़ा चम्मच बड़ी इलायची पाउडर

आधा बड़ा चम्मच छोटी इलायची पाउडर

3 तेज पत्ते

3 चौथाई कप जौ का सिरका

1 बड़ा चम्मच मेथी दाना

विधि

सबसे पहले चिकन को अदरक-लहसुन का पेस्ट, लाल मिर्च, हल्दी से मैरिनेट कर 30 मिनट के लिए रख दें. इसके बाद एक पैन में तेल गर्म करें और इसमें चिकन डालकर फ्राई कर अलग निकाल लें.

अब इसी तेल में प्याज और हींग डालकर गोल्डन ब्राउन होंने तक फ्राई करें. फिर इसमें मेथी दाना, तेज पत्ता, छोटी, बड़ी इलायची और जौ का सिरका डालकर उबालने के लिए रखें.

इसके बाद इसमें फ्राई किया हुआ चिकन डाल दें और 3-4 मिनट के लिए पकने के लिए रख दें. आंच बंद करें और चिकन के अचार को ठंडाकर कांच के जार में रखें. इस अचार को आप 1 महीने तक स्टोर करके रख सकती हैं.

लेक जेनेवा : बारबार देखो

जेनेवा झील का सम्मोहन मुझे बार बार वहां ले जाता रहा है. लंदन से स्विट्जरलैंड जाना वैसे भी अब पहले से बहुत आसान होता जा रहा है. इस बार जब मैं वहां पहुंची तो होटल की परिचारिका ने आर्द्र और धुंधले मौसम के लिए दुख प्रकट करते हुए मुझे कमरे की चाबी थमाई, तो मैं ने कहा कि मौसम की परवा नहीं. ऐसा कहना मेरी विनम्रता ही नहीं थी, बल्कि जेनेवा पहुंचने पर ऐसा मौसम मुझे सचमुच ही भाता था.

दूसरे दिन आसमान साफ था. चमचमाते सूर्यप्रकाश में स्विट्जरलैंड की सब से बड़ी झील बेहद खूबसूरत और आकर्षक तो लगती ही है, लेकिन जब पर्वत शिखरों से उतरी धुंध झील पर कलाबाजी दिखाने लगती है और वायु, जल पर ‘कोड़ा’ चलाने लगती है, तब यह उच्छृंखल जगह ट्रैवल एजेंटों द्वारा पर्यटकों के लिए तैयार किए गए ब्रोशरों में दिखने वाले चित्रों से भी अधिक कुतूहलजनक हो उठती है.

अंगरेज कवि बायरन और शेली इस विशाल झील में अचानक आए तूफान में डूबते डूबते बचे थे और तभी इस के बारे में कई कविताएं लिखी थीं. मुझे अब आभास हुआ कि ऐसे अवसर क्यों उन्हें काव्यरचना के लिए प्रेरित करते थे.

मैं पहली बार लगभग 36 वर्षों पहले स्विट्जरलैंड घूमने गई थी और तभी यह विशाल झील देखी थी. तब से अब तक कई बार वहां गई हूं और मौसम चाहे जैसा भी हो, यह झील देख कर सम्मोहित हो उठती हूं, निष्पंद हो उठती हूं.

लगभग 9 मील चौड़ी और 45 मील लंबी यह झील पश्चिमी यूरोप की सब से बड़ी झील है. पर मात्र इस की विशालता ही इसे इतना जीवंत नहीं बनाती, बल्कि चारों ओर हरीभरी पहाड़ियों से घिरी हिमाच्छादित चोटियां इसे ऐसी मोहकता प्रदान करती हैं.

यही कारण है कि स्विट्जरलैंड के प्राकृतिक दृश्यों के सब से बड़े चित्रकार हाडलर द्वारा इस झील का चित्रांकन स्तब्ध कर देता है. लेकिन वे भी इस के झंझावात तथा रहस्यमय सौंदर्य का सही चित्रण नहीं ही कर पाए.

लेक जेनेवा सैलानियों, विशेषकर अंगरेजों की पसंदीदा सैरगाह रही है. 1816 में ब्रिटिश पत्रकारों से बचने के लिए लौर्ड बायरन वहां आए थे. उन दिनों कामातुर ख्यात लोगों की आलोचना करने से संबद्ध कोई कानून नहीं था. वहां उन के साथ परसी बिशी शेली अपनी पत्नी और बच्चों से छिप कर अपनी किशोरी प्रियतमा मेरी गाडविन के साथ आ पहुंचे थे.

इन दोनों कवियों ने लेक जेनेवा के संबंध में ऐसी कविताएं लिखीं कि वह जगह अंगरेजों की प्रिय सैरगाह बन गई. उन की कविताओं की पुस्तकें लिए अंगरेज वहां आ पहुंचते थे. वहीं पर मेरी शेली ने 1816 में अपना विख्यात उपन्यास ‘फ्रेंकेस्टाइन’ लिखा था. यह उपन्यास पढ़ने में जितना रोचक है उतनी ही भयावह उस पर बनी फिल्में हैं.

जब मैं पहली बार वहां गई थी, तब वहां रुकना बहुत खर्चीला नहीं था. इसी कारण तब वहां अंगरेज भी भरे रहते थे. पर अब स्विस फ्रैंक महंगा हो जाने के कारण वहां अंगरेजों की चहलपहल कम हो गई है, पर नवधनाढ्य रूसी यहां गरमी की पूरी छुट्टियां बिताते हैं. फिर भी वहां आने पर इस बात की संतुष्टि हुई कि सप्ताहांत के 2 दिन भी थोड़े में गुजारना कठिन नहीं था.

हम जब पहली बार पूरे सप्ताह के लिए स्विट्जरलैंड गए थे तब हम ने लंदन में ही स्विस टूरिस्ट औफिस से 180 पौंड में 4 दिनों का पास खरीद लिया था. इस पास से हम चाहे जितनी बार बस, ट्रेन, बोट तथा ट्राम द्वारा सभी जगह तो घूम ही सकते थे, वहां के अधिकांश संग्रहालयों में भी बिना टिकट जा सकते थे. सुननेपढ़ने में यह उतना सस्ता तो नहीं लगेगा, पर इस पास से हमें सचमुच काफी बचत हुई.

इस बार स्विट्जरलैंड पहुंचने पर हम सब से पहले मौंट्रेक्स में बहुत ऊंचाई पर बने होटल यूरोटेल में रुके. वहां चारसितारा होटल जैसी सारी सुविधाएं थीं और यह जेनेवा एयरपोर्ट से मात्र 1 घंटे की दूरी पर है. यहां से फेरी टर्मिनल पैदल ही कुछ मिनटों में पहुंचा जा सकता था. इस प्रकार झील के चारों ओर नौकाभ्रमण के लिए यह एक सही जगह थी.

लेक जेनेवा का सब से शानदार आकर्षण है वहां का नावों का तंत्र. कुछ नावें तो पहले की पैडल मार कर चलाने वाली स्टीमर हैं जिन का अपना ही आनंद है, पर आधुनिक स्टीमर भी कम आनंददायी नहीं हैं. पर्यटकों में तो ये लोकप्रिय हैं ही, स्थानीय लोग भी इन्हें पसंद करते हैं.

झील दर्शन के लिए ये बेहद अच्छा और सस्ता साधन है, साथ ही झील के आरपार जाने के लिए सुविधाजनक भी क्योंकि ये छोटेछोटे घनी झाडि़यों वाले 30 से भी अधिक बंदरगाहों पर रुकती हैं.

झील में और उस के आसपास घूमने के बाद हम ने जेनेवा जाना तय किया. लोगों की धारणा है कि जेनेवा एक बहुत ही बोरिंग व्यापारिक शहर है, पर ऐसा केवल उन लोगों के लिए हो सकता है जो केवल व्यापार के सिलसिले में किसी मीटिंग में यहां आते हैं, होटल में ठहरते हैं और मीटिंग के बाद लौट जाते हैं.

जेनेवा दरअसल एक विश्व स्तर का शहर है जिस का इतिहास बहुत समृद्घ और विविधतायुक्त रहा है. वहां अच्छेअच्छे संग्रहालय हैं जिन में एक कला संग्रहालय भी है जिस में हाडलर के बनाए स्विट्जरलैंड संबंधी चित्रों का अच्छा संग्रह है. इन चित्रों को देखना हमें अंतरतम तक भिगो गया. उस के बाद हम पुराने शहर में कलादीर्घाओं और एंटिक वस्तुओं का आनंद लेते रहे.

अगले दिन हम न्योन के लिए चल पड़े जो रोमनकाल में महानगर था. आजकल यह बाजारों वाला मध्यवर्गीय शहर है, क्योंकि पास ही में स्थित बड़े शहर जेनेवा की वजह से इसे छोटा माना जाना स्वाभाविक है. वहां हर तरफ रोमन खंडहर हैं जिन्हें देखना भी एक अलग तरह का अनुभव था. वहां एक भव्य पुरातात्विक संग्रहालय भी है जहां एक से बढ़ कर एक अजूबी चीजें देखने को मिलीं. वहां टूरिस्ट औफिस से मिले एक ब्रोशर से हमें शहर घूमने और वहां के दर्शनीय स्थलों तक पहुंचने में बड़ी आसानी हुई.

न्योन के बाद हम लुसाने पहुंचे. वहां तक तो झील बड़ी नहीं लगी थी पर लुसाने के रास्ते में जेनेवा झील का वृहत्तर रूप दिखने लगा. झील के किनारे बसा लुसाने शहर स्विट्जरलैंड का सब से जीवंत शहर कहा जा सकता है. वहां बाहरी विद्यार्थियों की संख्या अधिक है जिस से वहां खूब चहलपहल बनी रहती है. गरमी के दिन थे, इसलिए वहां की संकरी सड़कें लोगों से भरी पड़ी थीं. सारा वातावरण भूमध्यसागरीय लग रहा था.

ऊपर पहाड़ी पर अलंकृत गिरजाघर से स्तब्ध करते आल्पस पर्वत और लहराती हुई झील को देख कर जो अनुभव हुआ, उसे लेखनी द्वारा बता पाना मुश्किल है. कुछ दृश्य ऐसे होते हैं जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है, न तो लेखनी उन का सही वर्णन कर पाती है और न ही तूलिका द्वारा उन्हें चित्रों में उतारा जा सकता है. शायद, इसे देख कर ही विक्टर ह्यूगो ने लिखा था- ‘मैं ने झील को छतों पर देखा, पहाड़ को झील के ऊपर, बादलों को पहाड़ के ऊपर और तारों को बादलों के ऊपर’. काश, मैं इस से अच्छा लिख पाता.

वेवे पहुंच कर पहले तो लगा कि वह बड़ा ही नीरस शहर है, जहां बहुत ही कम दर्शनीय स्थल हैं, पर कुछ समय बिताने के बाद वह मेरा पसंदीदा शहर बन गया. उपन्यासकार ग्राहम ग्रीन ने अपना घर यहीं बसाया था और चार्ली चैपलिन ने भी शहर के किनारे स्थित महल जैसे घरों में से एक में अपना अंतिम समय बिताया था जिसे अब एक सुंदर संग्रहालय का रूप दे दिया गया है. हम उस ‘होटल डू लेक’ में केवल कौफी पीने गए जहां अनीता बु्रकनर ने अपना इसी नाम का बुकरपुरस्कृत उपन्यास लिखा था.

आश्चर्यजनक रूप से धीरगंभीर मगर लावण्य से भरपूर वेवे के बाद हमें मौंट्रेक्स बड़ा ही बेतुका, गड्डमड्ड, फीका और आधुनिकता का मुलम्मा चढ़ा शहर लगा. पर इन खामियों के बावजूद मौंट्रेक्स में उस के स्वर्णकाल के कुछ अवशेष बचे हुए हैं. रूसी उपन्यासकार नोबोकोव यहीं मौंट्रेक्स पैलेस होटल में रहते थे. होटल के बाहर कुरसी पर बैठी उन की एक भव्य प्रतिमा है जिसे इस प्रकार बनाया गया है जैसे वे तुरंत कुरसी से लुढ़क जाएंगे.

तटक्षेत्र से लगभग आधा घंटा पैदल चल कर हम शैटे द चिलौन से रूबरू हुए. कहा जाता है कि यही वह किला है जिस ने बायरन को उस की चर्चित कविता ‘द प्रिजनर औफ चिलौन’ लिखने को प्रेरित किया था. सोचती हूं कि काश, बायरन की थोड़ी सी भी साहित्यिक प्रतिभा मुझ में भी समा जाती. कई बार लेक जेनेवा जाने पर भी अभी तक तो यह इच्छा पूरी नहीं हुई है, पर अभी भी प्रतीक्षा है.

लंबा नहीं चल पाया इन स्टार्स का रिश्ता

बॉलीवुड में कुछ कपल्स ऐसे हैं जिनकी शादी कुछ समय तक ही टिक पाई. ऐसे में जब उनके अलग होने की बात सामने आई तो उनके फैंस इससे काफी हैरान और निराश हुए. ऐसे सेलेब्रिटीज के बारे में जो शादी के कुछ ही साल बाद एक-दूसरे से अलग हो गए.

कल्कि कोचलीन और अनुराग कश्यप

बॉलीवुड डायरेक्टर अनुराग कश्यप और एक्ट्रेस कल्कि कोचलीन 2011 में शादी के बंधन में बंधे थे. लेकिन इनकी शादी सिर्फ दो साल ही चल पाई और 2013 में दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए. कहा जाता है कि अनुराग की हीरोइनों से नजदीकी बढ़ती जा रही थी जो कल्कि को पसंद नहीं थी.

मल्लिका शेरावत करन सिंह गिल

कहा जाता है कि मल्लिका शेरावत कभी इस बात को नहीं मानतीं कि वो शादी कर चुकी हैं. लेकिन उनकी कुछ तस्वीरें इस बात की गवाह हैं कि उन्होंने पायलट करन सिंह गिल से शादी रचाई थी. मल्लिका की ये शादी सिर्फ एक साल ही चल पाई.

करन सिंह ग्रोवर और श्रद्धा निगम

करन सिंह ग्रोवर की पहली शादी श्रद्धा निगम के साथ हुई थी जो सिर्फ दस महीने ही चल पाई. इसके बाद करन ने जेनिफर विंगेट से शादी की और ये शादी भी दो साल से ज्यादा नहीं टिक पाई. फिलहाल करन एक्ट्रेस बिपाशा बसु के साथ अपनी शादी-शुदा जिंदगी जी रहे हैं.

पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा

पुलकित सम्राट और श्वेता रोहिरा एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में थे और 2014 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए. इसके बाद पुलकित और यामी गौतम के अफेयर की खबरें सामने आईं और 2015 में ही श्वेता और पुलकित एक दूसरे से अलग हो गए.

मनीषा कोइराला और सम्राट

मनीषा कोइराला ने नेपाली बिजनेस मैन सम्राट से 2010 में शादी की थी लेकिन ये शादी भी लंबे समय तक नहीं चल पाई और दो साल के बाद ही दोनों एक दूसरे से अलग हो गए.

आईलाइनर लगाने का सही तरीका जानती हैं आप!

आंखों में काजल लगाना हर लड़की को पसंद होता है. काजल के साथ ही अगर आईलाइनर से आंखों को टचअप दे दिया जाए तो चेहरे का लुक पूरी तरह से बदल जाता है और चेहरे पर निखार आ जाता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लाइनर लगाने के बाद वह आंखों और हमारे चेहरे को सूट नहीं करता. ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि अधिकतर लड़कियों को पता ही नहीं होता कि आंखों में लाइनर आंखों की शेप के अनुसार लगाना चाहिए.

आइए जानें आंखों की शेप के अनुसार कैसा आईलाइनर आपको सूट करेगा..

बड़ी आंखें

अगर आपकी आंखें बड़ी-बड़ी हैं तो आप खुद को लकी फील करा सकती हैं क्‍योंकि आपको ज्‍यादा रूल फॉलो करने की जरूरत नहीं है. आप कैट आईलाइनर और विंग्‍ड स्‍टाइल दोनों को कभी भी बेहिचक लगा सकती हैं.

स्‍मॉल आईज

स्‍मॉल आईज हैं तो कभी भी अपनी आंखों की बॉटम लाइन पर डार्क लाइनर लगाने से बचें. लाइनर को टॉप लैश लाइन से पतली लाइन के साथ स्‍टार्ट करें और एंड पर आकर इसे हल्‍का मोटा कर दें.

उभरी हुई आंखें

ऐसे आंखों का आकार थोडा़ उभरा होता है और पलकों का साइज भी काफी बड़ा होता है. आप अपनी आंखों पर स्‍टार्टिंग लाइन से लेकर एंड कॉर्नर तक मोटा या पतला एक जैसा लाइनर लगा सकती हैं.

राउंड शेप्‍ड आई

राउंड शेप्‍ड आंखें बड़ी और चौड़ी होती हैं और ऐसी आंखों पर विंग्‍ड आईलाइनर बहुत अच्‍छा लगता है.

 बादाम के जैसी आंखें

अगर आपकी आंखों की बनावट बिल्‍कुल बादाम के आकार की जैसी है तो आप विंग्‍ड आईलाइनर स्‍टाइल को लगाएं और इसके एंड पर इसे फिल्‍क्‍स का अंदाज दें.

सेहत की खान है दालचीनी

क्या आपको पता है शहद और दालचीनी भी घरेलू नुस्खें में अहम भूमिका निभाते है. आइये आज हम आपको बताते हैं ‘दालचीनी’ के क्या हैं अनोखे फायदें.

1. सर्दी-खांसी में फायदेमंद

ये तो सुना होगा कि अगर खांसी हो तो शहद में अदरक मिलाकर खा लें लेकिन शहद के साथ पीसी हुई दालचीनी खा लें जुकाम में जल्द आराम मिलेगा साथ ही गर्म पानी में शहद और दालचीनी का पाउडर मिलाकर पीने से खांसी में काफी आराम मिलेगा.

2. पेट की बीमारी में मददगार

पेट से संबंधित बीमारी पेट दर्द, कब्ज और एसिडिटी में दालचीनी पाउडर लेने से आराम मिलेगा. साथ उल्टी-दस्त की समस्या में भी फायदा मिलेगा.

3. सिर दर्द में भी कारगर

अगर आपका सर ज्यादा दर्द करने लगे तो दालचीनी का पेस्ट माथे पर लगाने से आपको दर्द छुमंतर हो जाएगा.

4. किसी भी सूजन में है फायदेमंद

चोट लगने से कही सूजन हो जाए तो दालचीनी के तेल हल्के हाथों से मालिश करने से वह सूजन दूर हो सकती है.

5. मुंह की बदबू करें दूर

मुंह से बदबू आने की समस्या में दालचीनी को मुंह में रखकर चूसना से बदबू दूर हो जायेगी.

कोई बड़ी खरीदारी करने जा रही हैं तो खुद से पूछें ये सवाल

अपने परिवार के लिए तो कम पैसे में जरूरतों को पूरा करते हुए घर चलाना यकीनन आपके लिए एक बड़ी चुनौती होती है. यही वजह है कि किसी महीने अगर कुछ बड़ी और महंगी खरीदारी करनी होती है तो घर का बजट पटरी से उतर जाता है और पूरे महीने आपको एडजेस्ट करके चलना पड़ता है.

कोई बड़ी खरीदारी जरूरी भी हो और आप नहीं चाहती कि इसका घर खर्च पर ज्यादा असर पड़े या फिर भविष्य में इस सामान की वजह से आपको पछताना पड़े, तो अपनी और अपने पति की जेब धीली करने से पहले अपने आप से ये 5 सवाल जरूर पूछें.

1. क्या ये मेरे बजट में है?

दरअसल कई बार आप लालच, शौक या किसी से भहकावे में आकर बड़ी खरीदारी कर लेती हैं जिसकी वजह से पूरे महीने आपको अपनी छोटी-छोटी जरूरतों का त्याग करना पड़ता है. इसलिए बेहतर है कि ऐसी खरीदारी से पहले अच्छी प्लानिंग करें अगर सामान बजट में हो तभी खरीदें वरना दो-तीन महीने में पैसे इकट्ठे करके सामान खरीदें.

2. क्या इस सामान की मुझे भविष्य में जरूरत पड़ेगी?

एक बात हमेशा ध्यान रखें कि जो सामान आप खरीदने जा रही हैं वो ‘वन टाइम यूज’ न हो. अगर भविष्य में भी आपको उसकी जरूरत पड़ने वाली हो तभी इसे खरीदने का फैसला करें. क्योंकि एक-दो बार की जरूरत के लिए तो आप किसी से मांगकर भी सामान अरेंज कर सकती हैं.

3. क्या ये चीज टिकाऊ हैं?

किसी भी चीज की गुणवत्ता बहुत महत्व रखती है. सामान की क्वालिटी को परखना भी एक कला है. कुछ लोग ज्यादे पैसे देकर भी अच्छी क्वालिटी के सामान नहीं खरीद पाते और ठग का शिकार हो जाते हैं. ऐसे में अपने साथ उस सामान के जानकार को साथ ले जाएं या फिर खुद से समझदारी बरतें.

4. क्या ये इसका वाजिफ मूल्य है?

कई बार ऐसा होता है कि जो सामान आप खरीद कर लाती हैं वो दूसरी दुकान या वेबसाइट्स पर कम दाम में मिल रही होती है. ऐसे में कुछ भी बड़ा खरीदने से पहले आपको अच्छे से रिसर्च जरूर कर लेनी चाहिए. कई बार तो वेबसाइट्स पर मिल रहे डिस्काउंट्स ऑफर और कूपन से दाम पर काफी फर्क पड़ जाता है.

5. इसकी रिटर्न पॉलिसी क्या है?

सामान घर लाने की जल्दबाजी में उसकी रिर्टन पॉलिसी के बारे में जानकारी लेना न भूलें. इतना ही नहीं सामान की गारंटी और वारंटी के बारे में भी ढंग से पूछताछ कर लेनी चाहिए ताकि अगर सामान वारंटी पीरियड के अंदर खराब होता हैं तो फ्री में उसकी सर्विसिंग या एक्सचेंज कर सकें. कई ऐसे दुकानदार होते हैं जो चीजे वापस नहीं करते इसलिए इस सब का जायजा खरीदारी के वक्त ही ले लें.

खुल गया राणा दग्गुबती के जिंदगी का सबसे बड़ा राज

जब से बाहुबली-2 रिलीज हुई है तब से पूरे देश में हर ओर बस इसी फिल्म की चर्चा चल रही है. फिल्म से केवल एस.एस. राजामौली और बाहुबली की भूमिका निभाने वाले प्रभास को ही प्रसिद्धि नहीं मिली बल्कि भल्लाल देव की भूमिका निभाने वाले राणा दग्गुबाती के काम की भी लोग खूब तारीफ कर रहे हैं.

आपको बता दें कि पूरे देश में कभी भी किसी भी भाषा की फिल्म की रिलीज का दर्शकों को इतनी बेसब्री से इंतजार नहीं रहा, जितना ‘बाहुबली 2’ की रिलीज का था.

‘बाहुबली 2’ में अपने दमदार स्टंट से दर्शकों को अपना कायल बनाने वाले राणा दग्गुबाती ने असल जिंदगी में एक बहुत बड़ा राज सबसे छिपाया हुआ है. राज भी ऐसा जिसका जिक्र उन्होंने आज तक कभी किसी से नहीं किया. लेकिन अब ये राज सबके सामने खुल गया है.

हाल ही में ‘बाहुबली 2’ में भल्लाल देव का किरदार निभाने वाले राणा दग्गुबाती ने एक तेलुगु रियलिटी शो में बताया कि वो बचपन से ही अपनी एक आंख से नहीं देख सकते.

उन्होंने कहा कि अगर कभी वो अपनी बायीं आंख बंद कर लेते है तो उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता. जिन्दगी की इतनी बड़ी कमी के बावजूद राणा के हौंसले काफी बुलंद है.

दग्गुबाती कहते है कि उन्होंने अपनी इस कमी को ना तो कभी खुद महसूस किया और ना ही किसी और को महसूस होने दिया. वाकई राणा दग्गुबाती रील लाइफ में ही नहीं अपनी रीयल लाइफ के भी हीरो है.

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