मेकअप से बढ़ता है आत्मविश्वास

कामकाजी महिलाएं दफ्तरों में लिपीपुती हों या सुबह मुंह धोया, बाल बनाए और पुरुषों की तरह दफ्तरों में जा पहुंचीं, सवाल काफी दिनों से चर्चा में है. कुछ का कहना है कि महिलाओं को दफ्तरों, कारखानों, व्यवसायों में पुरुषों की तरह सधे कपड़ों में पर बिना मेकअप के आना चाहिए, तो कुछ का कहना है कि उन्हें भरसक आकर्षक बन कर रहना चाहिए.

असल में यह विवाद वृद्ध होती कामकाजी महिलाओं और युवा महिलाओं के बीच है. पुरुषों को इस से क्या फर्क पड़ता है कि कामकाजी महिला कैसी दिख रही है. 2 नजर उठा कर देख लेने के बाद यह बेमानी हो जाता है और आदमी को काम से मतलब रह जाता है.

दूसरी साथी औरतें जरूर जलभुन जाती हैं. अनुभवी, होशियार पर शरीर पर कम ध्यान देने वाली औरतों को तब बुरा लगता है जब उन्हें लगे कि उन की प्रतियोगिता केवल काम में ही नहीं दिखने में भी है, वे इस बात पर सख्त एतराज करती हैं कि कामकाजी औरतें मेकअप कर के आएं.

बड़ी उम्र के पुरुष बौसों को रिझाने में अकसर मेकअप की हुई औरतें सफल हो जाती हैं और अपनी व्यावसायिक योग्यता में कमी को छिपा जाती हैं. इस का बहुतों को मलाल रहता है.

जिन क्षेत्रों में पर्सनैलिटी की खास जरूरत न हो वहां तो मेकअप विवाद का मामला बन जाता है. दरअसल, मेकअप करना हर औरत का प्राकृतिक अधिकार होना चाहिए. यह उस के व्यक्तित्व का हिस्सा है. जैसे बढ़ी हुई दाढ़ी, बिखरे बाल, फटी कमीज वाले पुरुष किसी भी क्षेत्र में स्वीकार्य नहीं हैं, वैसे ही बिना स्मार्ट बने औरतें किसी भी क्षेत्र में स्वीकार्य नहीं रहतीं.

मेकअप आत्मविश्वास देता है, बल देता है, प्राकृतिक गुणों को उभारता है और उन्हें कैश करने का हक हर सुंदर स्त्री को है. जैसे कुछ बुद्धि का इस्तेमाल करती हैं, वैसे ही कुछ जन्म से मिले सौंदर्य का इस्तेमाल कर सकती हैं.

शिक्षा, खेलकूद, अभिनय, विवाह, मित्रता आदि में व्यक्तित्व का असर होता है और स्मार्ट स्त्रीपुरुष दोनों ही कुछ ज्यादा सफलता पाते हैं. इस पर एतराज नहीं होना चाहिए. इसे नकारना तो गलत ही होगा. मेकअप करना चाहे घर में हो, राजनीति में हो या फिर दफ्तरोंकारखानों में, गलत नहीं है पर अति हर चीज की बुरी होती है.

असल जिंदगी में भी शादीशुदा हैं ये रील लाइफ जोड़ियां

हाल फिलहाल की बात करें तो स्टार प्लस पर आने वाले शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कार्तिक यानि कि अभिनेता मोहसिन खान और नायरा शिवांगी जोशी की शादी की पूरी तैयारियां हो चुकी हैं.

शो में दोनों की शादी राजस्थान के बीकानेर शहर में हो रही है. लेकिन खबरों की माने तो ये कपल रील लाईफ में शादी करने के साथ-साथ रियल लाइफ में भी ये कपल एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं और दोनों अपने इस रिलेशनशिप को लेकर काफी सीरियस भी हैं. दोनों जल्द ही इस रिलेशन को अगले स्तर पर ले जाने की योजना भी बना रहे हैं.

वैसे अगर देखा जाए तो टीवी इंडस्ट्री की ये कोई पहली जोड़ी नहीं है, जो रील से रियल बनी है. टेलीविजन जगत में ऐसे कई कपल्स हैं जिन्होंने पहले टीवी शो पर एक एक-दूसरे के साथ काम किया है, वे उनके जीवन के प्यार बने और फिर उन्होंने आपस में शादी रचाई.

आज हम आपको बताने का जा रहे हैं टेलीविजन जगत की ऐसे ही कुछ जोड़ियों के बारे में जिन्होंने एक साथ एक ही टेलीविजन शो पर काम किया और बाद में शादी कर ली.

1. दिव्यंका त्रिपाठी- विवेक दहिया

साल 2013 से 2016 तक आने वाले लोकप्रिय शो “ये है मोहब्बतें” में साथ करने के बाद इस जोड़ी ने साल 2016 में शादी कर ली. इस जोड़ी की शादी साल की सबसे खास और खासी चर्चित शादियों में से रही. दोनों को शो के सेट पर प्यार ही प्यार हुआ.

2. देबिना बनर्जी- गुरमीत चौधरी

इमेजन चैनल पर आने वाले शो रामायण में एक साथ काम करने वाले कलाकारों गुरमीत औऱ देबिना ने साल 2011 में शादी की.

3. रवि दुबे- सरगुन मेहता

साल 2008 से 2009 तक टीवी पर आने वाले शो 12/24 करोल बाग में साथ काम करते हुए रवि और सरगुन में प्यार हुआ और इसके बाद साल 2013 में दोनों ने शादी कर ली.

4. राकेश वशिष्ठ- रिद्धि डोगरा

साल 2010 से 2012 तक प्रसारित हुए शो “मर्यादा : लेकिन कब तक” में एक साथ काम करने वाले रोकेश और रिद्धी ने अपनी मोहब्बत के एक साल बाद ही साल 2011 में शादी कर ली.

5. शरद केलकर-कीर्ति गायकवाड़

टेलीविजन शो “सिंदूर तेरे नाम का” जो कि साल 2005 से 2007 के बीच प्रसारित होता था, में शरद केलकर और कीर्ति गायकवाड़ ने साथ काम करते हुए साल 2005 में शादी की थी.

6. हितेन तेजवानी- गौरी प्रधान

टीवी शो “कुटुंब” (2001-2003) में साथ काम करने के बाद इन कलाकारों ने साल 2004 में शादी कर ली.

7. राम कपूर- गौतमी गाडगिल

काफी चर्चित कलाकार राम ने और अभिनेत्री गौतमी ने, साल 2000 से 2002 तक आने वाले शो “घर एक मंदिर” में साथ करने के बाद, अपने प्यार को साल 2003 में पति-पत्नी के रिश्ते में बद दिया.

8. मानव गोहिल-श्वेता क्वात्रा

एक समय पर बहुत लोकप्रिय रहे शो “कहानी घर-घर की” के सेट पर प्यार होने के बाद, साल 2004 में शादी रचाई.

9. साईं देवधर-शक्ति आनंद

2003 में युवायों का पंसदीदा रहा शो “सारा आकाश” में साथ काम करने के दो साल बाद 2005 में शक्ति आनंद और साईं देवधर मे विवाह कर लिया था.

10. इंद्रनील सेनगुप्ता-बरखा बिष्ट

“प्यार के दो नाम…एक राधा एक श्याम शो” में साथ-साथ काम करने वाले इंद्रनील औऱ बरखा बिष्ट साल 2008 में शादी के बंधन में बंध गए.

11. यश टोंक-गौरी यादव

2001 में प्रारंभ हुए और उस समय का कॉफी चर्चित शो “कहीं किसी रोज” जो कि 2004 तक सफलता पूर्वक प्रसारित होता रहा, इसमें साथ काम करने वाले लोकप्रिय कलाकार यश टोंक और गौरी यादव ने शो के खत्म होने के दो साल बाद, 2006 में विवाह कर लिया था.

12. गुरदीप कोहली- अर्जुन पुंज

साल 2002 से 2005 तक आने वाले शो “संजीवनी” में साथ काम करने वाले कलाकारों गुरदीप कोहली और अर्जुन पुंज ने साल 2006 में अपनी मोहब्बत को शादी का रूप दिया.

13. महेश शेट्टी- अनिषा कपूर

‘टेलीविजन शो “घर एक सपना” में साथ काम करने वाले महेश और अनिषा ने 6 साल पहले 2011 में विवाह किया.

14. रश्मि देसाई- नंदीश संधू

कलर्स चैनल के साल 2008 से 2015 तक कॉफी लंबा चलने वाले और खासा लोकप्रिय रहे शो “उतरन” में साथ काम करने वाले कलाकार रश्मि देसाई और नंदीश संधू ने साल 2012 में आपस में शादी कर ली थी, पर खबरों की माने तो दोंनो फिलहाल अलग रह रहे हैं.

“जिंदगी बरबाद हो गई, मेरे हसबैंड मुझसे प्यार नहीं करते..”

अपनी जबरदस्त कॉमेडी से हर किसी को गुदगुदा देने वाले कॉमेडियन सुनील ग्रोवर ने कॉमेडी किंग कपिल शर्मा के पुराने शो ‘कमेडी नाइट्स विद कपिल’ के शो की ‘गुत्थी’ के किरदार से लोगों का दिल जीता था. इन दिनों सोनी टीवी के ‘द कपिल शर्मा शो’ में ‘डॉ गुलाटी’ का किरदार निभाने वाले सुनील के फैंस के लिए एक और खुशखबरी है.

जी हां! ‘गुत्थी’ के बाद सुनील ग्रोवर ने एक बार फिर से एक मासूम औरत के में वेश में हैं. सुनील ग्रोवर अपनी कॉमिक रोल की जबरदस्त टाइमिंग और सेंस ऑफ ह्यूमर के साथ ‘रिंकू भाभी’ के इस किरदार में नजर आएंगे.

सुनील ने हाल ही में अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है जिसका टायटल है ‘मेरे हसबैंड मुझको प्यार नहीं करते’. इस वीडियो में सुनील ग्रोवर मासूम सी ‘रिंकू भाभी’ के किरदार में जो अपने हसबैंड के इमोशनल अत्याचार के बारे में बता रही हैं. सुनील ने इस वीडियो को शेयर करते हुए ट्वीट किया.

केरल : आंखों में भर लो नजारे

जहां देश के ज्यादातर राज्य आधुनिकता की आंधी में कंकरीट के जंगलों में तब्दील हो रहे हैं वहीं केरल ने आज भी अपने प्राकृतिक सौंदर्य को बचा कर रखा है. भारत के दक्षिणी छोर पर स्थित यह राज्य पर्यटन की दृष्टि से बेहद मनोहारी है. यहां प्रकृति के रमणीय दृश्यों का खजाना है.

मुन्नार

यह एक हिल स्टेशन है. यहां का ठंडा, सुखद मौसम तनमन को शांत कर शीतलता का एहसास कराता है. यह हिल स्टेशन एक जमाने में दक्षिण भारत के पूर्व ब्रिटिश प्रशासकों का ग्रीष्मकालीन रिजोर्ट हुआ करता था. दूर दूर तक फैले चाय के बागान, नीलकुरुंजी, प्रपात और बांध यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. ट्रैकिंग एवं माउंटेन बाइकिंग के लिए भी यह आदर्श स्थल है.

दर्शनीय स्थल

इरविकुलम नैशनल पार्क : मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर इरविकुलम नैशनल पार्क है. यहां आप लुप्तप्राय प्राणी नीलगिरि टार को निकट से देख सकते हैं. चीता, सांभर, बार्किंग डियर, भीमकाय मलबार खरगोश आदि वन्यजीव भी यहां देखे जा सकते हैं. 12 वर्षों में एक बार खिलने वाला नीलकुरुंजी नामक पौधा यहां के वन की खासीयत है. यह स्थानीय पौधा जब पहाड़ों की ढलान पर पनपता है तो पहाड़ नीली चादर में लिपटा सा लगता है.

पल्लिवासल : यह केरल का पहला हाइड्रोइलैक्ट्रिक परियोजना स्थल है. यह मुन्नार से 8 किलोमीटर की दूरी पर है.

माट्टुपेट्टी : यह मुन्नार से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रोज गार्डन, हरीभरी घास के मैदान, बड़ीबड़ी गाएं यहां की खासीयत हैं. यहां आप नौकाविहार का भी आनंद उठा सकते हैं.

मरयूर, चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य, देवीकुलम चिलिरपुरम, चीत्वारा, मीनूली, आनमुड़ी राजमला आदि भी यहां के आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल हैं.

कोवलम

यह केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के कोवलम बीच, द लाइटहाउस बीच और हवाह बीच मशहूर हैं. यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए सैलानियों का जमघट लगा रहता है. यहां रेत पर धूप स्नान, तैराकी, जड़ीबूटियों से बने तेल से शरीर की मालिश, क्रूजिंग जैसे असंख्य आकर्षण उपलब्ध हैं.

दर्शनीय स्थल

श्री चित्रा आर्ट गैलरी : प्रसिद्ध नेपियर म्यूजियम के पास यह आर्ट गैलरी है. यहां रवि वर्मा, रियोरिक पेंटिंग्स के अलावा राजपूत, मुगल, तंजावूर स्कूल की पेंटिंग्स का अच्छा संकलन है. चीन, जापान, तिब्बत, बाली से एकत्र की गई पेंटिंग्स भी यहां देखने को मिलती हैं.

नेय्यार डैम : यह तिरुवनंतपुरम से 32 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां का मगरमच्छ फार्म और लायन सफारी पार्क भी दर्शनीय है.

अलप्पुझा

केरल के सामुद्रिक इतिहास में अलप्पुझा का महत्त्वपूर्ण स्थान है. अलप्पुझा बीच पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. नौका दौड़, बैकवाटर टूरिज्म, कौपर उद्योग, समुद्री उत्पाद के लिए भी यह शहर विख्यात है. यहां समुद्र में घुसा हुआ पोनघाट 137 साल पुराना है. विजया बीच पार्क की मनोरंजक सुविधाएं बीच का खास आकर्षण हैं. यहां पास ही एक पुराना लाइट हाउस भी है. यहां हाउसबोट की सैर पर्यटकों के लिए एक रोमांचक अनुभव होता है.

इन हाउसबोटों में अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. शयन-कक्ष, आधुनिक टौयलेट, आरामदेह बैठक, रसोईघर भी मौजूद हैं. अगर आप की दिलचस्पी खुद मछली पकड़ कर खाने में है तो यहां फिशिंग की भी सुविधा है.

अन्य दर्शनीय स्थल

कृष्णपुरम म्यूजियम : यह अलप्पुझा से कोल्लम रूट पर 47 किलोमीटर की दूरी पर है. केरल की सब से बड़ी म्यूरल पेंटिंग ‘गजेंद्र मोक्षम’ इस संग्रहालय में सुरक्षित रखी है.

पातिरामनल : यह वेबनाट झील का सब से छोटा व खूबसूरत द्वीप है. यह ‘सैंड औफ मिडनाइट’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां आप दुर्लभ पक्षियों के दर्शन भी कर सकते हैं.

कुट्टनाड : संसार में शायद ही ऐसी कोई जगह होगी जहां समुद्रतल से भी नीचे खेती की जा रही है. लेकिन कुट्टनाड ऐसी ही जगह है. इसे केरल का ‘राइस बाउल’ भी कहते हैं. यहां की खास फसल धान है.

थेक्कड़ी

थेक्कड़ी यहां का सब से अहम पर्यटन स्थल है. यहां तरह तरह के वन्यजीव देखे जा सकते हैं. यह 777 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है जिस में 360 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र घना जंगल है. 1978 में इसे टाइगर रिजर्व का दरजा मिला था. यहां की झील में बोट में सैर कर के वन्यजीव को निकट से देख पाने का मौका भी मिलता है. झील के आसपास हाथियों के टहलने का दृश्य भी मनमोहक होता है.

दर्शनीय स्थल

कुमली : यह थेक्कड़ी से 4 किलोमीटर दूर है. यह एक शौपिंग जोन है, साथ ही साथ यह सुगंधित व्यंजनों का केंद्र भी है.

मुरीकड़ी : यह थेक्कड़ी से 5 किलोमीटर दूर है. यहां इलायची, कौफी, कालीमिर्च के बाग दर्शनीय हैं.

वंडिपेरियार : यह थेक्कड़ी से 14 किलोमीटर दूर है. इस खास ट्रेड सैंटर में कई टी फैक्टरियां हैं.

कुट्टिकानम : यह थेक्कड़ी से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. इस हिल स्टेशन का ठंडा व सुखद मौसम किसी को भी यहां दोबारा आने के लिए आमंत्रित करता है. यहां जलप्रपात के नीचे स्नान करने का आनंद भी उठाया जा सकता है.

कोच्चि

कोच्चि शहर केरल के केंद्र भाग में स्थित है. यह इस राज्य की व्यापारिक राजधानी है. यहूदी, पुर्तगाली, यूनानी, अरब, रोमन व्यापारी व्यापार के लिए यहां आया जाया करते थे. इसलिए यहां के स्थानीय लोगों के जीवन पर उन की संस्कृति का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है. कोच्चि संसार के सब से पुराने व विख्यात बंदरगाहों में एक है. यह ‘अरब सागर की रानी’ के नाम से विख्यात है. पैलेस, किले, झील, नृत्य, ऐतिहासिक स्मारक, लंबे समुद्री तट साथ ही साथ गगनचुंबी इमारतें, मौल कोच्चि का चेहरा बदल रहे हैं. प्राचीन व नवीन का समृद्ध मिश्रण यहां की खूबी है.

दर्शनीय स्थल

मट्टानचेरी : एरणाकुलम से बस द्वारा 30 मिनट के भीतर मट्टानचेरी पहुंचा जा सकता है. मट्टानचेरी के आसपास अनेक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल हैं.

जू टाउन : ऐतिहासिक स्मारक जूविश सिनगेग के चारों ओर का इलाका जू टाउन नाम से जाना जाता है. 

चाइनीज फिशिंग नैट : वास्कोडिगामा स्क्वायर से आप टीक व बांस की लकड़ियों से बने चाइनीज फिशिंग नैट की कतारों का अच्छा नजारा देख सकते हैं.

अन्य दर्शनीय स्थल

परिक्षित नंबुरान म्यूजियम, म्यूजियम औफ केरला हिस्ट्री, आर्ट गैलरी, बोलगाटी पैलेस, सांताक्रूज बसिलिका डच सिमिट्री, बिशप हाउस, गुंडु द्वीप के अलावा यहां और भी बहुत से दर्शनीय स्थल हैं.

आपने देखी अदा की ग्लैमरस अदाएं

बॉलीवुड म्यूजिक डायरेक्टर-सिंगर अनु मलिक को तो आप सब जानते ही होंगे. उन्होंने अपने मेहनत से बॉलीवुड म्यूजिक इंडस्ट्री में एक खास जगह बनाई है. अनु की दो बेटियां अनमोल और अदा हैं.

उनकी बड़ी बेटी अनमोल अपने पिता की तरह सिंगिंग को अपना करियर बना रही हैं, जबकि उनकी छोटी बेटी फैशन और स्टाइल में विश्वाश रखती हैं.

अदा, सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और अपनी तस्वीरें शेयर करती रहती हैं. अदा काफी हॉट और स्टाइलिश हैं. अदा न्यूयॉर्क के पर्सन स्कूल ऑफ डिजाइन से फैशन डिजाइनिंग कर रही हैं.

देखिए अदा की दिलकश अदाएं वाली ये तस्वीर.

 

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Wore my hand-sewn gown to the FilmFare awards last night. #filmfare2017 #Bollywood #fashion

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आपातकाल की पृष्ठभूमि दर्शाएगी ‘इंदु सरकार’

फिल्म फैशन और हिरोइन के निर्देशक मधुर भंडारकर की आने वाली फिल्म ‘इंदु सरकार’ का सभी को बेसब्री से इंतजार है. बॉलीवुड अभिनेता नील नितिन मुकेश की आने वाली फिल्म ‘इंदु सरकार’ का पहला लुक सामने आ गया है. फिल्म के पहले लुक में एक्टर नील नितिन मुकेश हू-ब-हू संजय गांधी की तरह लग रहे हैं. फिल्म में नील इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी का किरदार अदा कर रहे हैं.

हिंदुस्तान की नौजवान पीढ़ी, आज के आजादी के माहौल में खुलकर अपने विचार रखती है. सरकार की आलोचना भी करती है लेकिन अगर नौजवानों को फेसबुक की हर पोस्ट पहले सरकार को भेजनी पड़े और सरकार जो चाहे वही फेसबुक पर दिखे तो क्या होगा. टीवी पर वही दिखे-अखबार में वही छपे जो सरकार चाहती है. बोलने-लिखने-सुनने की आजादी न रहे तो, आज की पीढ़ी कल्पना भी नहीं कर सकती, लेकिन जिन लोगों ने 41 साल पहले आपातकाल का दौर देखा है-वो जानते हैं ऐसी स्थिति में क्या होता है. मधुर भंडारकर निर्देशित फिल्म ‘इंदु सरकार’ 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक, भारत में 21 महीने की आपातकाल की पृष्ठभूमि पर आधारित है. और फिल्म में आपातकाल के दौर को समझाने की कोशिश की गई है.

फिल्म में इंदिरा गांधी के किरदार में सुप्रिया विनोद हैं. सुप्रिया के लुक पर भी काफी गहराई से काम किया गया है. फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है. माना जा रहा है कि फिल्म साल के अंत तक सिनेमाघरों में दस्तक दे सकती है.

होली स्पेशल : ठंडई

ठंडई के बिना होली अधूरी है. वैसे तो आजकल बाजार में रेडीमेड ठंडई भी मिल जाती है, लेकिन उसमें कुछ मिलावट होने की भी संभावना रहती है. इसलिए घर की बनी ठंडई ही सही मायने में फायदेमंद होती है. आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका.

सामग्री

पानी – 1 कप

दूध – आधा लीटर

चीनी – आवश्यकतानुसार

खरबूजे के बीज – 2 बड़े चम्मच

सौंफ – 1/2 बड़ा चम्मच

सौंफ के बीज – 100 ग्राम

गुलाब की पंखुड़ियां – 8 से 10

गुलाब जल – 1/2 चम्मच

काली मिर्च – 1 छोटा चम्मच

हरी इलायची – 1/2 बड़ा चम्मच

खसखस – 100 ग्राम

बादाम – 2 बड़े चम्मच

विधि

ठंडई बनाने के लिये सबसे पहले एक बर्तन में चीनी और पानी मिला कर उबाल लगा लीजिए और उसे 5-6 मिनट पका कर ठंडा कर लीजिए.

अब सौंफ, काली मिर्च, बादाम, खरबूजे के बीज, इलायची के दाने और खसखस को साफ कीजिए और धोकर 1 घंटे के लिये पानी में भिगो कर रख दीजिए.

अब पानी निकाल कर बादाम को छील लीजिए और मिक्सी में ये छिले हुए बादाम और बाकी सारे मेवा-मसाले डाल कर बारीक पीस लीजिए. अब इस मिश्रण को दूध में मिला दीजिए.

अब दूध में चीनी की चाशनी और केसर मिलाकर, इसे धीमी आंच पर करीब 5 मिनट पकाएं.

बाद में इसे ठंडा कर लें. गुलाब की पंखुड़ियों और बादाम के साथ इसे गार्निश करके सर्व करें.

चाय पीने के शौकीन हैं तो सेहतमंद हैं आप

ये बात तो आपको बताने की जरूरत नहीं है कि चाय बहुत समय से चली आ रही है. कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि चाय सदियों से लोगों का प्रिय पेय है. हमारे देश की तो करीब 80 से 90 फीसदी आबादी सुबह उठने के साथ ही चाय पीना पसंद करती है और बेड-टी का कल्चर तो न केवल शहरों में बल्कि देश के गांव-देहातों में भी प्रचलित है. लोग सुबह उठकर दिन की शुरुआत चाय से ही करना पसंद करते हैं.

इस वजह से लोग पीते हैं चाय

कई लोग चाय को सेहत के लिए अच्छा मानते हैं. अब आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान ने भी चाय को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बता दिया है. कुछ समय पहले तक लोग चाय किन्हीं कारणों वश पीते थे, जैसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए, सर्दी में कमी करने के लिए, वजन कम करने के लिए और हैंगओवर रोकथाम के लिए आदि.

चाय में होती हैं ये खासियत

चाय चाहे काली चाय हो या ग्रीन चाय या किसी और फ्लेवर की हो, सभी प्रकार की चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी कैटेचिन्स और पोलीफेनॉल्स तत्व होते है जो हमारे शरीर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं.

अलग-अलग तरह की चाय

आइये आज हम आपको बताते हैं कि किस प्रकार अलग-अलग तरह की चाय रंग के अनुसार आपकी सेहत को प्रभवित करती हैं. ये हैं कुछ खास तरह के रंगों की चाय और उनकी खास बातें..

1. ग्रीन टी

आजकल कॉफी प्रचलित, हरी चाय धमनियों के क्लोग्गिंग रोकने, वसा कम करने में, मस्तिष्क परऑक्सीडेटिव तनाव प्रतिक्रिया को कम करने, अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करने, स्ट्रोक का खतरा कम करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार में मदद करती है.

2. लेमन टी

आपके मूत्राशय, स्तन, फेफड़े, पेट, अग्नाशय के लिए एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है. ग्रीन टी कोलोरेक्टल कैंसर के विकास की रोकथाम में बहुत फायदा करती है.

3. ब्लैक टी

काली चाय में सबसे ज्यादा कैफीन सामग्री है. अध्ययनों से पता चला है काली चाय सिगरेट के धुएं के संपर्क की वजह से फेफड़ों को नुकसान से रक्षा करती है. यह स्ट्रोक का खतरा भी कम करती है.

आइए जानते हैं क्या-क्या हैं चाय पीने के फायदे..

1. प्रदूषण के प्रभाव को करती है कम

चाय में एंटीऑक्सीडेंट तत्व शामिल होता है, जो कि उम्र बढ़ाने और प्रदूषण के प्रभाव के प्रकोपों से आपके शरीर की रक्षा करती है. कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है. चाय में कॉफी के मुकाबले कम कैफीन होती है.

2. स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा कम

चाय पीने से आपको आने वाला दिल का दौरा और स्ट्रोक के जोखिम कम हो सकता है. चाय पीने की वजह से आपके शरीर की धमनियां चिकनी और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त हो जाती हैं. एक अध्ययन में पाया गया है कि चाय पीने वाले लोगों की हड्डियां अधिक उम्र, अधिक वजन, व्यायाम, धूम्रपान और शरीर के अन्य जोखिमों के बावजूद भी अपेक्षाकृत मजबूत होती हैं.

3. प्रतिरोधक क्षमता होती है मजबूत

चाय पीने से आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण के विरुद्ध लड़ने में बहुत मदद मिलती है. सर्दी-जुखाम जैसी आम बीमारियां चाय पीने से कॉफी हद तक गायब हो जाती हैं.

बड़ा भाई करे छोटे की मदद

आज के व्यस्त महानगरीय जीवन में हर व्यक्ति के पास समय का अभाव है. ऐसे में यदि बड़ा भाई घर के छोटेछोटे कामों में मातापिता का हाथ बंटाए, तो कामकाजी पेरैंट्स को सहारा तो मिलता ही है साथ ही युवा हो रहे बच्चों में जिम्मेदारी का भाव भी पैदा होता है.

9वीं में पढ़ने वाले रोहित  का छोटा भाई मोहित 5वीं कक्षा में दूसरे स्कूल में पढ़ता है. रोहित स्कूल के लिए तैयार होने में तो उस की मदद करता ही है साथ ही साइकिल से उसे उस के स्कूल भी छोड़ता हुआ अपने स्कूल जाता है. इस प्रकार उस के कामकाजी मातापिता का काफी समय बचता है और वे भी समय से अपने औफिस जाते हैं.

अंकुर के पापा बैंक में हैं. उन का ट्रांसफर हर 3 साल के लिए दूसरे शहर में होता रहता है, ऐसे में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाला अंकुर अपने छोटे भाई मधुर की देखभाल में मां का सहयोग करता है.

अंकुर ने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अपने छोटे भाई को होमवर्क कराने की जिम्मेदारी खुद ले रखी है. रात को वह दोनों भाइयों की किताबें बस्ते में रखने व दोनों के जूते पौलिश करने जैसे काम भी करता है. इस से मां को बड़ा आराम मिलता है.

वास्तव में ये छोटेछोटे काम किशोरों को आत्मविश्वासी बनाते हैं और उन के व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास में सहायता करते हैं. किशोरों को भी छोटे भाईबहनों के काम बढ़चढ़ कर करने चाहिए. इस प्रकार मातापिता की सहायता कर सकते हैं.

पड़ोस में रहने वाली राधा जब शाम को औफिस से थकीहारी घर लौटी तो साफसुथरा घर देख कर हैरान रह गई, क्योंकि उन की बाई 2 दिन की छुट्टी पर थी. उन के 11वीं तथा 10वीं में पढ़ने वाले दोनों बेटों ने पूरे घर की साफसफाई करने के साथसाथ मम्मी के लिए टेस्टी पास्ता भी तैयार कर रखा था. पूछने पर उन्होंने बताया कि उन के बच्चे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं.

12वीं में पढ़ रहा शरद 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले अपने छोटे भाई अक्षय की सभी विषय समझने में मदद करता है. इस से उस के खुद के भी कौन्सैप्ट क्लियर हो जाते हैं और उस के उस खाली समय का भी सदुपयोग हो जाता है.

– डा. ममता रानी बडोला

प्यार की भाषा से बड़ी कोई भाषा नहीं : डा. सुचेता धामणे

40 वर्षीय डा. सुचेता बताती हैं, ‘‘मैं और मेरे पति डा. राजेंद्र धामणे पेशे से डाक्टर हैं. हम दोनों के मन में शुरुआत से ही दूसरों के लिए कुछ करने की ख्वाहिश थी. हम अकसर फ्री मैडिकल कैंप के जरीए लोगों का इलाज करते थे. बात आज से 10 साल पहले की है. डा. साहब मुझे अपनी बाइक से कालेज जहां मैं लैक्चर लेने जाती थी छोड़ने जा रहे थे. रास्ते में हमें मानसिक रूप से पीडि़त एक आदमी दिखाई पड़ा, जो कूड़ेदान के पास बैठा कुछ कर रहा था. हम उस के पास गए. वह अर्धनग्न था. उस के बाल बहुत लंबे थे, जिस्म से बदबू आ रही थी. वह वहां विष्ठा खा रहा था और नाले का पानी पी रहा था. यह देख कर कुछ पल के लिए हम दोनों सन्न रह गए. यकीन नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है. मैं ने उसे अपना टिफिन और पानी का बोतल दी. कई घंटे उसी बारे में सोचने के बाद हम ने ऐसे लोगों के लिए कुछ करने की सोची.’’

शुरुआत की अन्नपूर्णा योजना की

डा. सुचेता आगे कहती हैं, ‘‘मानसिक रूप से पीडि़त ये लोग कम से कम विष्ठा और कूड़ा न खाएं, इसलिए हम दोनों ने अन्नपूर्णा योजना की शुरुआत की, जिस के तहत मैं रोज 40-50 लोगों के लिए टिफिन बनाती थी. मैं और मेरे पति रोजाना सुबह एकसाथ बाइक पर निकलते और अहमदनगर से सटे 20 किलोमीटर के हाईवे पर घूम कर ऐसे लोगों तक खाना पहुंचाते थे. 2 साल हम ने यही किया. लेकिन एक रोज हमें उसी हाईवे पर 25-30 साल की एक युवती मिली, जो मानसिक रूप से पीडि़त और अर्धनग्न थी. उसे हम ने खाना खिलाया, लेकिन उसे अकेला छोड़ कर जाने का मन नहीं हुआ, इस डर से कि कहीं उस के साथ कुछ गलत न हो जाए.’’

स्थापित किया माउली सेवा प्रतिष्ठान

‘‘हम उस औरत को अपने साथ घर ले आए. हम ने 2010 में ‘माउली सेवा प्रतिष्ठान’ की स्थापना कर कमरे बनवाने का काम शुरू किया. इस में कई लोगों ने हमारी आर्थिक मदद भी की. जब तक काम चलता रहा, तब तक मानसिक रूप से पीडि़त 3-4 महिलाएं हमारे साथ हमारे घर में रहती थीं. आज इस संस्था में कुल 107 महिलाएं और 17 बच्चे हैं. ये बच्चे उन्हीं के हैं, इन में से कुछ महिलाएं हमें बच्चों के साथ मिली थीं, तो कुछ गर्भवती मिली थीं, जिन्होंने बच्चों को जन्म दिया. ये बच्चे उन के हैं, जिन्होंने मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बनाया था.

‘‘एक बार इसी तरह हमें पंढरपुर में पूरी तरह से निर्वस्त्र और 6 माह से गर्भवती स्त्री मिली थी, जिसे हम अपने साथ ले आए थे. यह किस्सा मैं इसलिए बता रही हूं ताकि लोग इस बात को समझें कि इन स्त्रियों के साथ जो अत्याचार हो रहा है उस का जिम्मेदार कौन है और इन की हिफाजत किस की जिम्मेदारी है?’’

माउली सेवा प्रतिष्ठान ऐसे करता है काम

‘‘मुझ से कई लोग पूछते हैं कि आप ऐसी औरतों को कैसे संभालती हैं? तब मेरा जवाब यही होता है कि प्यार की भाषा से बड़ी भाषा और कोई नहीं. अगर इनसान, इनसान की तरह ही व्यवहार करे तो सब कुछ मुमकिन है. हमारे यहां जब ऐसी महिलाएं आती हैं, तब वे पूरी तरह से शून्य होती हैं, उन्हें मंजन करने से ले कर नहानाधोना हम सिखाते हैं. लेकिन साल भर बाद कई औरतें खुद ही ये सब करने लगती हैं. संस्था में इन्हें सुबह 9 बजे उठाया और नहलाया जाता है फिर 10 बजे तक चायनाश्ता करा कर ट्रीटमैंट और काउंसलिंग का काम होता है.’’

कुछ ऐसा है मेरा परिवार

निजी जिंदगी के बारे में डा. सुचेता बताती हैं, ‘‘मैं, मेरे पति, मेरा बेटा, मेरे ससुरजी और 2 बेटियां यह है हमारा परिवार. मेरे ससुरजी पेशे से प्रिंसिपल रहे हैं. अब हमारे साथ भी हमारा हाथ बंटाते हैं. मेरा बेटा अभी कक्षा 12वीं में है. दरअसल, जो 2 बेटियां मेरे घर में हैं वे मेरी नहीं, उन महिलाओं की हैं जो हमें तब मिली थीं जब उन की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. इसलिए मैं ने इन को अपने पास रख कर अपनी बेटी की तरह पाला. अब एक लड़की कक्षा 7वीं में दूसरी कक्षा 8वीं में है.

यो होती है मेरी दिनचर्या शुरू में

मैं सुबह उठ कर पहले अपने घर का सारा जरूरी काम निबटाती हूं, उस के बाद 8 बजे माउली संस्था की ओर निकल जाती हूं. वहां लोगों को खाना खिलाने के बाद दोपहर 3 बजे तक घर आती हूं. उस के बाद अपने बेटे पर

ध्यान देती हूं, चूंकि वह अब 12वीं कक्षा में है, इसलिए उसे मैं खुद पढ़ाती हूं. हमारी तरह हमारा बेटा भी डाक्टर बनाना चाहता है. हमें भी उस से काफी उम्मीदें हैं ताकि हम उस के साथ और भी अच्छे और नए प्रोजैक्ट्स पर काम कर सकें.’’

पति के संग होती हैं बस पल भर बातें

डा. सुचेता ने मुसकराते हुए बताती हैं, ‘‘शादी के शुरुआती दिनों में भले हम ने बाइक से सैर की हो, लेकिन अब वक्त नहीं मिलता है. इच्छा होती है एकसाथ समय बिताने की, लेकिन काम की वजह से समय नहीं मिल पाता. हमारे बीच खास और लंबी बातचीत भी तब होती है जब हम एकसाथ किराने का सामान, पीडि़तों के लिए दवाएं और सब्जियां लेने जाते हैं. उसी दौरान हम एकदूसरे के साथ दोनों से जुड़ी बातें शेयर कर पाते हैं.

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