टोमैटो स्किन स्पा है गर्मियों के लिए खास

गर्मियों का मौसम यूं तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से स्किन यानि त्वचा की समस्यायें काफी अहम होती हैं. आप चिलचिलाती गर्मियों की मार से बच नहीं सकते हैं मगर कुछ उपाय करके इसके असर को कुछ कम जरुर कर सकते हैं.

दाने, काले धब्बे तैलीय त्वचा, लाली, खुजली, काले धब्बे, झुर्रियां, आदि गर्मियों में खासे परेशान करते हैं. यही वजह है कि लाल रसदार टमाटरों को अपना सबसे अच्छे दोस्त बनाने के लिए गर्मियों का समय काफी अच्छा है. टोमेटो स्किन स्पा इन तमाम चीजों से निपटने के लिए बेहद कारगर है.

आप घर पर ही टोमेटो स्किन स्पा कर सकते हैं. इसके लिए आपको कोई ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी. एक टमाटर को काटकर उसका रस को शक्कर में मिला लें, पर इसे घल कर मिक्स न करें. अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो आप इनके साथ थोड़ा सा शहद भी मिली सकते हैं. अगर आपकी त्वचा रूखी या थोड़ी सैंसटिव है तो शहद की जगह आपको नारियल या बादाम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए.

अपनी जरुरत के हिसाब से तैयार किए गए इस मिश्रण को स्क्रब की तरह अपने चेहरे पर दो मिनिट तक रगड़ें. चेहरे पर लगाने के बाद इसे दो से तीन मिनिट के लिए चेहरे पर ही छोड़ दें. अब सामान्य से पानी से इसे धो लें. ऐसा हफ्ते में दो से तीन बार करें.आपको आपके चेहरे पर फर्क साफ नजर आने लगेगा.

आप भी तलाशती हैं रातों में अच्छी नींद?

गर्मियों के मौसम में लू के कारण बहुत से लोगों को नींद लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगती है. क्या आपको भी कई बार रातों में नींद नहीं आती. ऐसे में हम सबको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखना पड़ता हैं, ताकि हम शारीरिक तौर पर हमेशा अच्छे रहें.

ऐसे मौसम में आपको हल्का भोजन करना चाहिएं क्योंकि ज्यादा भारी भोजन करने से आपको अच्छी नींद नहीं आएगी और रात में बैचेनी भी रहती है. इसलिए आज हम आपको अच्छी नींद पाने के लिए कुछ चीजों का सेवन करने के बारे में बताएगें. इन चीजों के सेवन से शरीर दुर्बल नहीं होता और शरीर में तरलता भी बनी रहती है. तो जानिए…

लौकी  : ज्यादातर लोगों को लौकी की सब्जी पसंद नहीं आती. पर इसका सेवन करने से हमारा शरीर डिहाईड्रेट नहीं होता. यह हमारे खाने को पचाने में भी मददगार साबित होती हैं. आप लौकी की सब्जी, खीर या फिर रायता बनाकर भी खा सकते हैं. यह ठंडी होती है तभी गर्मी से इसका सेवन करने से हमें ठंडक मिलती है.

खीरा : निरोग और स्वस्थ रखने के लिए खीरे को अपने आहार में जरूर शामिल करें. रात के समय इसे खाने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है अौर यह बॉडी को डिहाईड्रेट नहीं होने देता है.

कद्दू  : कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है. इसे खाने से शरीर की गर्मी खत्म होती है. इसमें पौटेशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर का ब्लड सुगर लेवल ठीक रखता है.

तोरई : तोरई एक लता है जिसके फल सब्जी बनाने के काम आते हैं. यह बारिश के मौसम में पैदा होती है. कुछ क्षेत्रों में इसे नेनुआ भी कहा जाता है. इसे खाने से पाचन क्रिया दुरूस्त रहती है.

उबला आलू : उबले हुए आलू का सेवन करने से गर्मियों के दिनों में धूप कुपोषण से लड़ने में सहायक का काम करते हैं. इसे खाने से नींद अच्छी आती है. आप इसकी सब्जी व परोठें बना कर खा सकते हैं.

दही : दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिनका सेवन करने से हमारा पेट अच्छा रहते हैं और किसी तरह की समस्या भी नहीं होती है. इसे खाने से हमारे शरीर को ठंडक मिलती है.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया, यामी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोच-सोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए?

रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

 प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

पुस्तक मेले में छाई ‘गृहशोभा’

गृहशोभा को महिलाओं की पंसदीदा पत्रिका यूं ही नहीं कहा जाता. गृहशोभा पाकर हर क्षेत्र की महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोतीमहल लौन में 7 से 16 अप्रैल के बीच पुस्तक मेला चल रहा है. पुस्तक मेले में पुस्तकों के तमाम तरह के स्टाल लगे हैं. प्रतिदिन लेखन से जुड़ा यहां कोई न कोई आयोजन होता रहता है. रेयान अस्मिता सम्मान का आयोजन किया गया. जिसमें अलग अलग क्षेत्र की 12 महिलाओं को सम्मानित किया गया. इनमें महिला मुद्दों पर लंबे समय से काम करने वाली ताहिरा हसन, गजल लेखिका और गायिका मालविका हरिओम, पुलिस आफिसर सत्या सिंह, फोक आर्टिस्ट कुसुम वर्मा, कथाकार डाक्टर अमिता दुबे, अभिनेत्री मधुरिमा तिवारी, पत्रकार आंचल अवस्थी, कवियत्री और लेखिका शीला पांडेय, वत्सला पांडेय, आभा खरे, भावना मौर्या, अनीता श्रीवास्तव प्रमुख थी.

कार्यक्रम की आयोजक रेंवात पत्रिका की अनीता श्रीवास्तव ने कहा कि गृहशोभा पत्रिका के साथ जुड़ने से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. कार्यक्रम का संचालन रचना मिश्र के द्वारा किया गया और मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार सरिता शर्मा ने पुरस्कार वितरण किया. सभी ने इस बात पर जोर दिया कि पत्रिका के रूप में गृहशोभा ने अपने मापदंडों का कायम रखा है. आज भी वह महिलाओं से जुड़े लेख और विचारों के जरिये जागरुकता को कायम रखे है. पुस्तक मेले के आयोजक मनोज चंदेल ने कहा कि ऐसे आयोजन से मेले और भी प्रभावी होते हैं. पुस्तकों को लोगों तक पहुंचा कर पढ़ने और लिखने की कला को आगे बढ़ाना है. पुस्तकों का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है. हम सबको अपने अपने प्रयासों से इसको और अधिक प्रभावी और मजबूत बनाना है.

अपनी जेब को भरा हुआ रखना चाहती हैं तो…

ये तो कहा भी जाता है कि पैसा बचाने में महिलाएं पुरुषों से ज्यादा आगे हैं. प्रत्येक महिला हर दिन पैसे बचाने के लिए संघर्ष करती है. यदि आप भी अपनी जेब को भरा हुआ रखना चाहती हैं तो महिलाओं के लिए यहां पैसे बचाने के कुछ आसान टिप्स, जिससे आप चुटकियों में कर सकती हैं बड़ी बचत…

खर्चों पर ध्यान दें

ध्यान दें कि आप कहां और कितना पैसा खर्च करती हैं. यह पैसा बचाने का सबसे पहला चरण है. अपने सारे स्टेटमेंट चेक करें और पिछले कुछ महीनों के खर्च पर ध्यान दें. यदि आवश्यक हो तो फाइनेंशियल कंसल्टेंट से सलाह भी लें. आप मोबाइल ऐप्स से भी सहायता ले सकती हैं. अब कई पर्सनल फाइनेंस एप्स भी उपलब्ध हैं. और अब प्रत्येक सप्ताह अपने खर्चों पर पुन: विचार करने की आदत डाल लें.

बजट बनायें

अब आपको बजट बनाने की शुरुआत कर देनी चाहिए. यह साप्ताहिक, मासिक या त्रैमासिक हो सकता है. ध्यान रहे कि आप इस बजट का पालन करें. अपनी सभी संभावित आय और व्यय को इसमें शामिल करें.

खर्चों को कम करें

अनचाहे खर्चों को कम करें. शॉपिंग करने और बाहर खाने की आदत को कम करें. अधिकतर हम बिना सोचे समझे ही खर्च कर देते हैं. व्यर्थ के खर्चों पर ध्यान रखें.

पैसे बचाएं

पैसा बचाने के लिए मासिक खाता खोलें. बजट बनाते समय आपको सेविंग के विकल्प पर भी ध्यान देना चाहिए. इस पैसे का निवेश अधिक लाभ प्राप्त करने वाले विकल्पों में किया जा सकता है. बैंकों में कई तरह की स्कीम उपलब्ध है जिसमें महिलाओं को अच्छा रिटर्न मिलता है.

इमरजेंसी के लिए पैसा बचाएं

जीवन बहुत अनिश्चित है. हमें भविष्य के लिए स्वयं को तैयार रखने की आवश्यकता है. सेविंग्स के अलावा भी कुछ पैसा आपात स्थितियों के लिए भी बचाकर रखें. आप इस पैसे को खाते में रख सकती हैं या इसे लिक्विड कैश के रूप में आपके पास रख सकती हैं.

असल क्राइम माफिया पर बनी ये हिट फिल्में

बॉलीवुड में कई फिल्में ऐसी हैं, जो असल जिंदगी पर आधारित हैं और ऐसी फिल्में अमूमन अच्छा कारोबार भी करती हैं, लेकिन बॉलीवुड में ऐसी भी कई फिल्में हैं, जो रियल लाइफ विलेन को पर्दे पर हीरो की तरह दिखाती हैं.

आइए देखते हैं ऐसी ही कुछ फिल्में जो रियल लाइफ विलेन्स से प्रेरित हैं और असल क्राइम माफिया के जीवन की कहानी को दर्शाती हैं :

1. शूटआउट ऐट लोखंडवाला

शूटआउट ऐट लोखंडवाला कहानी है एटीएस के चीफ, ए. ए. खान की, जो 16 नवंबर 1991 को 400 पुलिसकर्मियों के साथ लोखंडवाला कॉम्प्लैक्स में एक कुख्यात गैंगस्टर माया दोलास का एंकाउंटर करते हैं. अपूर्व लाखिया की इस फिल्म में विलेन को ही असली हीरो दिखाया गया है .

2. बैंडिट क्वीन

डकैत फूलन देवी के जीवन पर आधारित इस फिल्म में सीमा बिस्वास मुख्य किरदार में है. शेखर कपूर की इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ट फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्दशन का भी पुरस्कार मिला था.

3. शूटआउट ऐट वडाला

साल 2013 में आई संजय गुप्ता की यह फिल्म देश में पहले दर्ज हुए एंकाउटर पर आधारित है. मुंबई पुलिस ने सबसे पहला एंकाउंटर मान्या सुर्वे का डॉं अंबेडकर कॉलेज, वडाला में जनवरी 11, 1982 को किया था. यह फिल्म काफी हिट रही.

4. पान सिंह तोमर

एक सैनिक और एथलीट से बाघी डकैत बने पान सिंह तोमर के जीवन पर आधारित यह फिल्म बेहद शानदार है. तिग्मांशु धुलिया की इस फिल्म में इरफान खान मुख्य भूमिका में है. नेश्र्नल गेम्स में गोल्ड जीतने वाले पान सिंह तोमर की फिल्म को भी नेश्र्नल अवॉर्ड मिला.

5. स्पेशल 26

नीरज पांडे की इस फिल्म की कहानी आधारित है सबसे कुख्यात ओपेरा हाउस में की गई चोरी पर, जिसमें नकली सीबीआई बन कर एक शख्स और उसकी कुछ लोगों की टीम मशहूर ज्वैलरी वाले को करोड़ों को चूना लगा कर चंपत हो जाते हैं. फिल्म टिकट खिड़की पर भी खूब चली.

6. सिन्स

कई आपत्तिजनक सीन के चलते विनोद पांडे की इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया. फिल्म कैथलिक पादरी और एक महिला के प्रेम संबंध की सच्ची घटना पर आधारित हैं. इस फिल्म का काफी विरोध भी हुआ था. केरल के एक पादरी को एक शादीशुदा महिला के साथ अवैध संबंध और हत्या के मामले में मौत की सजा हुई थी.

7. वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई

मिलन लथूरिया की यह फिल्म मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया को बेहद करीब से दिखाती है. हाजी मस्तान और दाउद इब्राहिम के जीवन पर बनी इस फिल्म ने अंडरवर्ल्ड की काली दुनिया पर राज करने वाले डॉन की अच्छाई और उसूलों को दर्शाया था. फिल्म बेहद सफल रही थी.

8. रक्त चरित्र

आंध्र प्रदेश के राजनेता के जीवन पर बनी इस फिल्म में विवेक ऑबेरॉय मुख्य किरदार में हैं. एक नेता की असल जिंदगी में तमान-उतार चढ़ाव और सत्ता तक पहुंचने की उसके सफर को इस फिल्म में अच्छे ढंग से दिखाया गया है.

9. ओए लक्की, लक्की ओए

‘सुपरचोर’ कहलाने वाले देवेंद्र बंटी की जिंदगी से प्रेरित इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया. एक चोर अपने शातिर दिमाग से कैसे लोगों और पुलिस वालों को बेवकूफ बना सकता है. अमीर लोगों के घरों से गाड़ियां, गहने, टीवी, म्युजिक सिस्टम के साथ यह चोर पालतू जानवरों को भी चुरा सकता है.

10. डर्टी पॉलिटिक्स

राजस्थान के कुख्यात भंवरी देवी मर्डर केस पर बनी इस फिल्म को दर्शकों ने कोई खास तवज्जो नहीं दी. राजनैतिक दबावों के चलते फिल्म ने रिलीज से पहले ही दम तोड़ दिया और फिल्म असलियत से भटक गई. कमजोर स्क्रिप्ट के कारण फिल्म फ्लॉप रही.

मशहूर हैं भोजपुरी फिल्मों के ये अभिनेता

भारत में हर साल करीब 140 फिल्में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री रिलीज करती है. उत्तर प्रदेश-बिहार-उत्तराखंड कई हिस्सों में ये फिल्में धूम मचाती है. पर इनकी कमाई और इनके अभिनेताओं की कमाई कितनी होती है, इस पर शायद ही किसी की नजर जाती है.

भोजपुरी इंडस्ट्री की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म मनोज तिवारी की ‘ससुरा बड़ा पइसा वाला’ है. इसकी कमाई 20 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई थी. भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता भी बॉलीवुड अभिनेताओं के जितनी ही कमाई करते हैं. ऐसे ही भोजपुरी फिल्मों के कुछ अभिनेता भी हैं जो मशहूर भी हैं और कमाई भी अच्छी कर लेते हैं.

मनोज तिवारी

मनोज तिवारी की फीस 50 से 55 लाख है. मनोज तिवारी अब राजनेता बन चुके हैं. वह दिल्‍ली भाजपा के अध्यक्ष हैं. लेकिन आज भी वह भोजपुरी फिल्मों के सबसे महंगे अभिनेता हैं. वह मौका निकाल-निकाल कर दिल्ली से पटना जाते हैं. वहां से फिल्में कर के लौट आते हैं. हालांकि अब वह कैरियर के ढलान पर हैं. लेकिन बावजूद इसके इनकी फीस कम नहीं हो रही. उनकी आखिरी फिल्में “अंधा कौन” और “यादव जी पान वाले”. मनोज ने भोजपुरी फिल्म जगत में फिल्म “ससुरा बड़ा पइसा वाला” से कदम रखा था. इसके बाद वह हिट होते गए.

रवि किशन

रवि किशन की फीस 50 लाख है. बॉलीवुड फिल्मों से असफल होकर भोजपुरी फिल्मों का रुख करने वाले रवि किशन आज भी 15 से 20 भोजपुरी फिल्मों का हिस्सा होते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि उनका स्वर्णिम दौर अब निकल चुका है. लेकिन रवि ने अपनी फीस नहीं घटाई. एक दौर में वह भोजपुरी फिल्मों के बिग बी जैसी उपाधियां पाने लगे थे. लेकिन पिछले साल उनकी ‘लव और राजनीति’ और 2015 में ‘पंडित जी बताई न बियाह कब होई 2’ ही आ पाईं. इन दिनों वह फिर से बॉलीवुड और दक्षिण के सिनेमा में लौट गए हैं.

पवन सिंह

पवन सिंह की फीस 45 से 50 लाख है. गायकी के रास्ते अभिनेता बनने वाली लीक पर चलकर पवन ‌सिंह ने सबसे अधिक ख्याति बटोरी है. वह एक समय पर सबसे अधिक महंगे गायक और फिलहाल भोजपुरी के सबसे ख्यातिप्राप्त अभिनेता हैं. इन दिनों आप कई बार टीवी पर श्री जंगरोधक सिमेंट के विज्ञापन में देखते होंगे. उन्होंने कम समय में इतनी उचाई छूने का रिकॉर्ड बनाया है. पिछले साल उनकी फिल्म “गदर” ने खूब धूम मचाया. पिछले साल वह भोजपुरी इंडस्ट्री से सबसे अधिक टैक्स चुकाने वाले शख्स रहे.

खेसारी लाल यादव

यादव जी की फीस 35 से 40 लाख है. यह भोजपुरी इंडस्ट्री के तेज तर्रार अभिनेताओं में गिने जाते हैं. यह बॉलीवुड के अभिनेताओं के पदचिह्नों पर चलते हुए फिल्मों से होने वाले मुनाफों में अपना हिस्सा मांगते हैं. फिर भी उनकी आम फीस 35 से 40 लाख रुपये है. फिलहाल भोजपुरी इंडस्ट्री में खेसारी सबसे अधिक मांग वाले अभिनेता हैं. फिल्मों के मामलों में वह बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार से भी आगे हैं.

पिछले साल उनकी छह फिल्में रिलीज हुईं. “खिलाड़ी”, “साजन चले ससुराल 2”, “होगी प्यार की जीत”, “दंबग आशिक”, “जलवा”, “दिलवाला”. फिल्मों के नाम सुनने में आपको बॉलीवुडी लगेंगे. ‌इनकी फिल्‍में भी बॉलीवुड की तरह ही होती हैं. इनकी बाकी फिल्में भी आपको “शोला और शबनम”, “लहू के दो रंग”, “कच्चे धागे”, “बंधन”, “प्रेम रोग” आदि हैं.

दिनेश लाल यादव

दिनेश लाल की फीस 10 लाख है. दिनेश लाला जी निरहुआ नाम से भोजपुरी इंडस्ट्री में जाने जाते है. ये वो अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने कैरियर के साथ अपनी फीस घटाई-बढ़ाई. फिलहाल यह अपनी हर फिल्म के लिए 10 लाख रुपये लेते हैं. दिनेश ने भी गायकी के रास्ते फिल्मों में जगह बनाई. बाद में “बिग बॉस” और “निरहुआ” सिरीज की फिल्मों में इन्होंने अपनी पहचान देशव्यापी कर ली.

इस एक्टर ने शाहरुख को बनाया सुपरस्टार

शाहरुख खान आज बॉलीवुड के बादशाह हैं. आज शाहरुख खान सफलता के जिस मुकाम पर हैं वहां पहुंचना और उसे बरकरार रखना सभी के बस की बात नहीं. बहुत ही कम लोगों को ऐसा स्टारडम नसीब होता है और बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जो इसे बनाकर रख पाते हैं.

शाहरुख बॉलीवुड के उन चुनिंदा सितारों में से हैं जिन्हें अपने करियर की शुरुआत में काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन इस मामले में वो खुशनसीब रहे कि कई लोगों ने करियर बनाने में उनकी मदद भी की.

फिल्मों में शाहरुख को लाने का श्रेय बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी को दिया जाता है जिन्होंने फिल्म ‘दिल आशना है’ से शाहरुख को लॉन्च किया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में शाहरुख को सुपरस्टार किसने बनाया.

शाहरुख को सुपरस्टार बनाने का श्रेय जिस शख्स को जाता है असल में वो भी एक एक्टर है. और वह एक्टर और कोई नहीं बल्कि अरमान कोहली है.

शाहरुख की फिल्म ‘दीवाना’ जबरदस्त हिट थी और इसी फिल्म की कामयाबी के बाद शाहरुख को ‘बाजीगर’ और ‘डर’ जैसी फिल्में मिलीं. इन फिल्मों ने शाहरुख को टॉप स्टार्स की लीग में ला खड़ा किया.

एक तरह से फिल्म ‘दीवाना’ शाहरुख के करियर में टर्निंग पॉइंट साबित हुई थी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले इस फिल्म के हीरो शाहरुख नहीं बल्कि अरमान कोहली थे. ‘दीवाना’ में अरमान कोहली और दिव्या भारती की जोड़ी थी.

अरमान इस फिल्म के लिए पोस्टर से लेकर फोटोशूट तक कर चुके थे. यहां तक कि फिल्म का पहला शेड्यूल भी उन्होंने शूट कर लिया था, लेकिन किसी कारणवश अरमान को ये फिल्म छोड़नी पड़ी.

अरमान के इस तरह बीच में फिल्म छोड़ने से निर्देशक राज कंवर के होश उड़ गए, उन्हें कुछ समझ नहीं आया और फिर बिना देर किए उन्होंने शाहरुख खान को ‘दीवाना’ के लिए साइन कर लिया. उसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया. फिल्म जबरदस्त हिट रही और शाहरुख सुपरस्टार बन गए. उनकी और दिव्या भारती की जोड़ी को भी खूब पसंद किया गया. और इस तरह अरमान कोहली की वजह से शाहरुख खान ने स्टारडम का परचम बॉलीवुड में लहरा दिया. इस फिल्म के बाद शाहरुख ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता के नए आयाम रचे.

आज भी शाहरुख अरमान को अपने गॉडफादर मानते हैं. इसका खुलासा शाहरुख ने कुछ वक्त पहले एक रिएलटी शो में भी किया था. तब शाहरुख ने बताया था कि आज भी उन्होंने अपने घर में ‘दीवाना’ का वो पोस्टर फ्रेम करके लगाया हुआ है जिसमें अरमान कोहली और दिव्या भारती हैं.

कटप्पा के कारण यहां रिलीज नहीं होगी बाहुबली 2

बाहुबली में कटप्पा का किरदार निभाने वाले एक्टर सत्यराज की वजह से ‘बाहुबली 2’ के कर्नाटक में रिलीज होने को लेकर मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं. तकरीबन 2,000 कन्नड़ संगठन इस फिल्म की रिलीज को पूरे प्रदेश में रोकने के लिए तैयार हैं. इनका नेतृत्व ऐक्टिविस्ट वतल नागराज कर रहे हैं.

मीडिया से बातचीत में वतल ने कहा, ‘हम कर्नाटक के एक भी थिएटर में इस फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे. हम फिल्म के खिलाफ नहीं, बल्कि इसमें कटप्पा का रोल प्ले करने वाले ऐक्टर सत्यराज के खिलाफ हैं.’

उन्होंने कहा कि जब सभी तमिल एक्टर्स ने कावेरी के पानी को शेयर करने के लिए आवाज उठाई तो ऐसे में सत्यराज का कदम अपमानजनक रहा. वतल के मुताबिक, ‘सत्यराज ने सभ्यता की सभी सीमाओं को लांघा है. उन्होंने कर्नाटक और यहां के वासियों के खिलाफ फालतू बातें की हैं. हमने भी तमिलनाडु के खिलाफ प्रोटेस्ट किया लेकिन हम वहां के लोगों के खिलाफ नहीं हैं.’

वतल की मानें तो जब बाहुबली का पहला भाग यहां हाल ही में फिर से रिलीज किया गया तो प्रदर्शनकारियों ने सिनेमाघरों के मालिकों से आग्रह किया था कि वे इस फिल्म को बैन करें और उन्होंने मांगों को स्वीकारा भी था. आगामी 28 अप्रैल को रिलीज होने वाली इस फिल्म को लेकर पूरी तैयारी है और इसको प्रदर्शित नहीं करने दिया जाएगा.

हालांकि, वतल नागराज ने यह भी कहा कि अगर एक्टर माफी मांग लेता है तो वह अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं. इससे पहले सुपरस्टार रजनीकांत ने भी कर्नाटक के खिलाफ कुछ ऐसे कॉमेंट किए थे जिसे लेकर प्रदर्शनकारियों ने उनसे माफी मांगने को कहा था. रजनीकांत ने माफी मांगी थी और उसके बाद ही उनकी फिल्म ‘शिवाजी’ रिलीज हो सकी थी.

अद्भुत हैं अजंता-एलोरा की गुफाएं

पुरातनकाल की ऐतिहासिक धरोहरों व कलाकृतियों में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए अजंता-एलोरा की गुफाएं बेहतर पर्यटन विकल्प हैं. सौंदर्यबोध की अप्रतिम सुंदरता समेटे इन गुफाओं में एक बार आ कर तो देखिए.

गुफाओं की अनूठी स्थापत्यकला देखने के लिए देशीविदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. इन गुफाओं के भित्तिचित्र भारतीय शिल्पकला के सर्वोत्तम नमूने माने जाते हैं.

अजंता-एलोरा की गुफाओं की यात्रा एक शानदार अनुभव है. यदि आप कलाप्रेमी हैं और पुरातनकाल की ऐतिहासिक धरोहरों व कलाकृतियों के प्रशंसक हैं तो अजंता-एलोरा आप के लिए एक बहुत अच्छा पर्यटन स्थल है. इन गुफाओं को 1983 में वर्ल्ड हैरिटेज की सूची में शामिल किया जा चुका है. यहां की गुफाओं में की गई नायाब चित्रकारी व मूर्तिकला अपनेआप में अद्वितीय है.

औरंगाबाद से तकरीबन 2 घंटे की ड्राइव में टैक्सी से अजंता की गुफाओं तक पहुंचा जा सकता है. विश्वप्रसिद्ध अजंता-एलोरा की चित्रकारी व गुफाएं कलाप्रेमियों के लिए हमेशा से ही आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही हैं. विशालकाय चट्टानें, हरियाली, सुंदर मूर्तियां और यहां बहने वाली वाघोरा नदी यहां की खूबसूरती में चारचांद लगाती हैं.

अजंता में छोटीबड़ी 32 प्राचीन गुफाएं हैं. 2,000 साल पुरानी अजंता की गुफाओं के द्वार को बहुत ही खूबसूरती से सजाया हुआ है. घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएं अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्त्व की हैं. खूबसूरत चित्रों और भव्य मूर्तियों के अलावा यहां सीलिंग पर बने चित्र अजंता की गुफाओं को एक नया सौंदर्यबोध देते हैं. इन शानदार कलाकृतियों को बनाने में कौन सी तकनीक इस्तेमाल की गई होगी, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है. इस पहेली को सुलझाने के लिए विश्वभर के लोग यहां आते हैं.

वाघोरा नदी यहां की खूबसूरती में और चारचांद लगा देती है. कहा जाता है कि गुफाओं की खोज आर्मी औफिसर जौन स्मिथ व उन के दल ने 1819 में की थी. वे यहां शिकार करने आए थे. तभी उन्हें कतारबद्ध 29 गुफाएं नजर आईं. इस के बाद ही ये गुफाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गईं. यहां की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों के लिए अनमोल तोहफा हैं.

हथौड़े और छेनी की सहायता से तराशी गई ये मूर्तियां अपने आप में अप्रतिम सुंदरता समेटे हैं. गुफाएं देखने के लिए आप को कई बार सीढि़यां चढ़नी और उतरनी होंगी. इस के लिए आप को स्वास्थ्य की दृष्टि से फिट रहना होगा. हर गुफा के पास एक बोर्ड लगा है जिस पर हिंदी व अंगरेजी में गुफा की संख्या और संबंधित जानकारी लिखी हुई है. चित्रों की उम्र तीव्र प्रकाश के कारण कम हो रही थी, इसलिए गुफाओं में 4 से 5 लक्स की रोशनी ही होती है यानी टिमटिमाती मोमबत्ती जैसी रोशनी. किसी भी चित्र की खूबसूरती का पूरा एहसास होने के लिए 40 से 50 लक्स तीव्रता वाली रोशनी की जरूरत होती है.

एलोरा की गुफाएं औरंगाबाद से लगभग 30 किलोमीटर दूर एलोरा की गुफाएं हैं. एलोरा में 34 गुफाएं हैं. ये गुफाएं बसाल्टिक की पहाड़ी के किनारेकिनारे बनी हुई हैं.

महत्त्वपूर्ण बातें

मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, नासिक, इंदौर, धूले, जलगांव आदि शहरों से औरंगाबाद के लिए बस सुविधा उपलब्ध है. सोमवार का दिन छोड़ कर आप कभी भी अजंता-एलोरा जा सकते हैं. औरंगाबाद रेलवेस्टेशन से दिल्ली व मुंबई के लिए ट्रेन सुविधा है. औरंगाबाद रेलवे स्टेशन के पास महाराष्ट्र पर्यटन विभाग का होटल है.

अगर गरमी के मौसम में जा रहे हैं तो सुबह जल्दी पहुंच जाएं, साथ में पानी, हैट और सन ग्लासेज ले जाना न भूलें. वैसे, यहां की यात्रा करने का सब से अच्छा समय नवंबर से फरवरी का है.

गुफाओं तक पहुंचने के लिए आप को कुछ चढ़ाई वाला रास्ता तय करना पड़ेगा, बाद में रास्ता सरल और सुगम है. इसलिए इस दौरान आरामदायक जूते पहनें.

बंदरों से सावधान रहें.

यूनेस्को की इस विरासत स्थल को पूरी तरह देखने के लिए आप को 3-4 घंटे की आवश्यकता होगी. पूरे दिन का यह ट्रिप आप को निराश नहीं करेगा.

भोजन के लिए एमटीडीसी के रेस्तरां काफी अच्छे हैं.

टिकट एरिया के पास मंडराने वाले फेरीवालों से बच कर रहें, वे परेशान करते रहते हैं.

जरूरी बातें

ऐसे गाइडों से बच कर रहें जो अपनी जानपहचान वाली उन दुकानों पर ले जाते हैं जहां उन का कमीशन बंधा होता है. उन दुकानों पर खरीदारी का सामान महंगा होता है.

बुजुर्गों के लिए यहां जाना थोड़ा थकानभरा हो सकता है. इसलिए वे स्वस्थ हों तभी वहां जाएं. यहां जाने का सब से बेहतरीन समय सर्दी का है.

सुबह जल्दी से जल्दी गुफाओं तक पहुंच जाएं और शाम को 4 बजे तक वापस औरंगाबाद पहुंच जाएं ताकि आप बीबी का मकबरा, पंचकी और सिद्धार्थ गार्डन व चिडि़याघर जैसे स्थलों का भी आनंद ले सकें.

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