स्मार्टफोन की लत है गलत

स्मार्टफोन हम सब की जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है. सुबह उठने से ले कर रात सोने तक हम इस पर निर्भर रहते हैं, फिर चाहे बात मौर्निंग अलार्म की हो, औन लाइन पेमैंट की, शौपिंग की, बोरियत के समय संगीत सुनने या फिल्म देखने की, कोई जरूरी मेल करना हो या फिर अपने दोस्तों व रिश्तों से जुड़ने की. हम सभी का पूरा संसार इसी छोटे से उपकरण में समाया हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से उपकरण से हमारा यह जुड़ाव हमारे व्यवहार में कई समस्याएं भी पैदा कर रहा है? अगर आप स्मार्टफोन से जरूरी जानकारी नहीं निकाल पा रहे, तो आप परेशान हो जाते हैं. अगर आप तक मैसेज या कौल नहीं पहुंच रही, तो आप परेशान होने लगते हैं. अगर आप के पास प्रीपेड कनैक्शन है, तो स्मार्टफोन में बैलेंस कम होते ही आप को घबराहट होने लगती है. कई लोगों में इंटरनैंट की स्पीड भी तनाव को बढ़ाती है.

फेसबुक या अन्य सोशल नैटवर्किंग साइट पर खुद का स्टेटस अपलोड न कर पाने या दूसरों केस्टेटस न पढ़ पाने पर भी बेचैनी होती है. इस के अतिरिक्त कुछ लोगों को हमेशा अपने स्मार्टफोन के खोने का डर बना रहता है यानी अगर एक मिनट भी फोन उन की नजरों से दूर हो जाए, तो वे बेचैन होने लगते हैं. अपने स्मार्टफोन के खो जाने के डर से उन की दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं.

नोमोफोबिया नामक बीमारी

लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए हालिया शोध के अनुसार स्मार्टफोन लोगों में नोमोफोबिया नामक नई बीमारी पैदा कर रहा है. इस रोग में व्यक्ति को हर वक्त अपने मोबाइल फोन के गुम हो जाने का भय रहता है और कईर् बार तो यह फोबिया लोगों पर इस कदर हावी हो जाता है कि वे टौयलेट भी जाते हैं तो भी अपना मोबाइल फोन साथ ले जाते हैं और दिन में औसतन 30 से अधिक बार अपना फोन चैक करते हैं. असल में उन्हें डर होता है कि फोन घर पर या कहीं भूल जाने पर उन का कोई जरूरी मैसेज या कौल छूट जाएगी और उन का यह डर उन के व्यवहार और व्यक्तित्व में बदलाव का कारण भी बनता है. इस डर से ग्रस्त लोगों को लगता है कि बिना फोन के वे दुनिया से पूरी तरह कट जाएंगे.

फोन के बिना जिंदगी अधूरी

लंदन में हुए अन्य अध्ययन में कहा गया है कि नोमोफोबिया आज के दौर की एक गंभीर समस्या है और इस की गंभीरता को जानने के लिए लंदन में करीब 1 हजार लोगों पर एक अध्ययन हुआ, जिस में 66% लोगों ने कहा कि उन्हें अपने मोबाइल फोन के खोने का डर सताता रहता है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि 18 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं में मोबाइल के प्रति सब से ज्यादा लगाव होता है. इस उम्र के करीब 77% लोग अपने मोबाइल के बिना 1 मिनट भी नहीं रह सकते. ऐसे लोगों को लगता है कि मोबाइल फोन के बिना उन की जिंदगी अधूरी है. वे इस के बिना नहीं रह पाएंगे. अध्ययन में यह भी पाया गया कि नोमोफोबिया का शिकार व्यक्ति औसतन 1 दिन में करीब 37 बार अपना मोबाइल फोन चैक करता है.

क्या है इलाज

माना कि स्मार्टफोन की तकनीक आप को स्मार्ट और अपडेट रखती है, मगर साथ ही यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि यह तकनीक आप के लिए सुविधा बनने की बजाय परेशानी का कारण न बने. मोबाइल फोन की इस लत से निकलने के लिए जरूरी है कि आप अपने जीवन के कुछ लक्ष्य बनाएं. खुद को अपनी मनपसंद हौबी में व्यस्त रखने की कोशिश करें. औफिस में काम करते समय फोन को ऐरोप्लेन मोड पर रखें. ऐसा करने से आप फालतू की कौल्स और मैसेजेस से बच जाएंगे. अपने सभी सोशल मीडिया एप्स की नोटिफिकेशन बंद रखें. साथ

ही फोन में फालतू के एप्स न रखें. इस से आप फोन पर निर्भर नहीं रहेंगे. वर्चुअल वर्ल्ड में रिश्तों को निभाने की बजाय वास्तविक जीवन में दोेस्तों के साथ समय बिताएं. जितना हो सके फोन को खुद दूर रखने की कोशिश करें. धीरेधीरे अनुशासन से ही आप इस लत से निकल पाएंगे.

पाकिस्तान में जल्द ही रिलीज हो सकती है दंगल

आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘दंगल’ के स्थानीय कारोबारी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से देश में इसके रिलीज की औपचारिक मंजूरी मिलने की आशा कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि फिल्म की जल्द ही स्क्रीनिंग होगी.

पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, सूचना, प्रसारण एवं राष्ट्रीय धरोहर मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय के साथ शरीफ को एक आधिकारिक समीक्षा भेज कर पाकिस्तान में फिल्म की रिलीज के लिए उनकी इजाजत मांगी है. स्थानीय वितरकों ने भारतीय मीडिया में आई इन खबरों को झूठी बताया है कि पाकिस्तान में यह फिल्म रिलीज नहीं होगी.

उन्होंने बताया कि स्क्रीनिंग में एक हफ्ते की देर हो सकती है. जियो फिल्म्स के मोहम्मद नासिर ने बताया कि ये झूठी खबरें हैं. हां, पाकिस्तान में फिल्म के रिलीज में बाधाओं का सामना किया जा रहा है, लेकिन हमने अब तक आस नहीं खोई है. फिल्म में एक हफ्ता देर हो सकती है लेकिन अब तक कोई आखिरी फैसला नहीं किया गया है.

मंत्रालय में मौजूदा एक सूत्र ने बताया कि अब सिर्फ प्रधानमंत्री ही चीजों को आगे बढ़ा सकते हैं. पाकिस्तान फिल्म एग्जिबिटर्स असोसिएशन के अध्यक्ष जोरैब लशारी ने बताया कि वे भी प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह साफ कर देना चाहते हैं कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि सरकार ने कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है.

सिंघम चलें रितिक की राह

सिंघम बनकर गुंडों के छक्के छुड़ाने वाले एक्टर अजय देवगन अब बिल्कुल अलग और चैलेंजिंग रोल में नजर आने वाले हैं. इस बार वह एक ब्लाइंड कैरेक्टर निभाने वाले हैं. अपनी असरदार एक्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले अजय हर तरह के रोल में फिट बैठते हैं. अभी तक वह कॉमेडी, एक्शन, ड्रामा हर तरह की फिल्में कर चुके हैं.

सूत्रों की मानें तो अजय देवगन का यह नया और चैलेंजिंग कोल प्रियदर्शन की फिल्म में देखने को मिलने वाला है. प्रियदर्शन अजय को लेकर एक ब्लॉकबस्टर मलयालम फिल्म ओप्पम का रीमेक बनाने जा रहे हैं. इस फिल्म की कहानी एक नेत्रहीन शख्स के इर्द-गिर्द घूमती है. इस रोल के लिए प्रियदर्शन ने अजय देवगन से बातचीत कर ली है.

यह पहली बार नहीं है जब अजय देवगन किसी साउथ की फिल्म के रीमेक में काम कर रहे हैं. इससे पहले वो साउथ के स्टार मोहन लाल की फिल्म दृश्यम के रीमेक में भी काम कर चुके हैं. अजय देवगन के करीबी सूत्रों की मानें तो उन्होंने प्रियदर्शन की इस फिल्म के लिए हां कह दिया है.

फिलहाल अजय देवन अपनी फिल्म बादशाहो में बिजी हैं. इस फिल्म में इमरान हाशमी लीड रोल में हैं. इससे पहले अजय देवगन शिवाय फिल्म में नजर आए थे. इस फिल्म के डायरेक्शन की जिम्मेदारी खुद अजय देवगन ने ही ली थी.

जॉली एलएलबी 2: जूते की बेइज्जती का इल्जाम

अभी तो जॉली एलएलबी 2 रिलीज भी नहीं हुई है और फिल्म कानूनी पचड़े में फस गई है. फिल्म का ट्रेलर कानूनी विवाद में फंस गया है. दरअसल एक जूता बनाने वाली कंपनी ने जॉली एलएलबी 2 में उसके ब्रांड की बेइज्जती करने का आरोप लगाते हुए नोटिस भेजा है.

जॉली एलएलबी 2 के ट्रेलर का वो सीन तो आपको याद ही होगा, जिसमें हाईप्रोफाइल वकील बने अन्नू कपूर अक्षय कुमार से कहते हैं, ”… का जूता पहनकर, टुच्ची सी टेरीकॉट की शर्ट पहनकर, हमसे ज़ुबान लड़ा रहे हैं.”

इसी संवाद पर मशहूर और बेहद पुराना शू ब्रांड ने प्रोड्यूसर्स को लीगल नोटिस भेजा है. इस नोटिस में कहा गया है कि ब्रांड की इमेज खराब करने के लिए जान-बूझकर इस डायलॉग को फिल्म में डाला गया है. कंपनी को शक है कि इसके पीछे प्रतिद्वंदी ब्रांड्स की साजिश हो सकती है, क्योंकि इस राइवल ब्रांड को खुद जॉली यानि अक्षय कुमार एंडोर्स करते हैं.

कंपनी ने इस ट्रेलर को सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और थिएटर्स से हटाने की मांग की है. साथ ही कंपनी ने उसके ब्रांड का नाम और ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने और इमेज को बिगाड़ने के लिए लिखित माफी की मांग की है.

इतना ही नहीं इस कंपनी ने ट्रेलर में एक नोटिस लगाने की भी मांग की है, जिसमें लिखा हो कि ब्रांड का नाम भूलवश लिया गया है. नोटिस प्रोड्यूसर्स के अलावा अक्षय कुमार, डायरेक्टर सुभाष कपूर और अन्नू कपूर को भी भेजा गया है.

पैसों के लिए अवॉर्ड शो में जाते हैं करण

फिल्म मेकर करण जोहर ने एक विवादित बयान देते हुए कहा है कि वह या तो अवॉर्ड शो में अवॉर्ड लेने जाते हैं या पैसे के लिए जाते हैं. मालूम हो कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में कुछ एक्टर्स हैं जो कि अवॉर्ड शो के खिलाफ खड़े हुए हैं.

करण से जब इस बारे में सवाल किया गया तो 62वें जियो फिल्मफेयर अवॉर्ड 2017 की कॉन्फ्रेंस में करण ने कहा, “हमारी इंडस्ट्री में बस कुछ गिने चुने लोग ही हैं जिन्होंने इसके खिलाफ स्टैंड लिया है. कंगना रनौत और आमिर खान जैसे लोग अवॉर्ड शो में नहीं जाते हैं. मैंने इस बारे में कोई स्टैंड नहीं लिया है, ना मैं लेना चाहता हूं. मैं अवॉर्ड शो में या तो अवॉर्ड लेने जाता हूं या पैसे लेने. मैं बस इतिहास का हिस्सा बनने के लिए अवॉर्ड शो में जाता हूं.”

करण का कहना है कि लोगों का इसके प्रति उत्साह खत्म होता जा रहा है क्योंकि अब बहुत सारे अवॉर्ड शो होने लगे हैं. उन्होंने कहा, “इसलिए उनकी वैध्यता या भरोसे पर संदेह होता जा रहा है कि यह कोई वास्तविक डील है या नहीं. हालांकि लोग इन्हें देखते हैं. चैनल्स की तादात काफी है इसलिए ज्यादातर लोग इन्हें टीवी पर देखते हैं, इसकी टीआपी काफी आती है, लोग अपने स्टार्स को देखना चाहते हैं और ऐसे शो में भरोसा रखते हैं. इसलिए इस बात पर अभी भी संदेह है कि क्या हमें ऐसे अवॉर्ड शो का समर्थन करना चाहिए या इनसे दूर रहना चाहिए.”

गौरतलब है कि बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और फिल्ममेकर करण जौहर 62वें जियो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स 2017 को होस्ट करेंगे. अपने मजेदार जोक्स और ह्यूमर से पब्लिक को एक लाइन में ही हंसा देने वाले यह दोनों सेलेब्स हंसी-मजाक के माहौल के बीच हिंदी सिनेमा में अपना अभूतपूर्व योगदान करने वाले एक्टर्स को सम्मानित करेंगे.

होम लोन शिफ्ट करने से पहले

जब भी रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है, इसके बाद तकरीबन सभी बैंकों व कर्जदाताओं को बेस रेट घटाना पड़ता है. ऐसे में बहुत से लोग होम लोन ऐसे बैंक को शिफ्ट करना चाहते हैं जिसका बेस रेट सबसे कम हो. ऐसा करते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. वजह यह है कि होम लोन में केवल ब्याज दर की ही अहमियत नहीं होती. लिहाजा, उसे शिफ्ट करने से पहले कुछ अन्य बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

बैंक से अच्छे से बात करें

होम लोन शिफ्ट करने में उन सारी प्रक्रियाओं को फिर से पूरा करना पड़ता है जो पहला होम लोन लेते वक्त करनी पड़ी थी. फिर नया होम लोन प्रदाता आपकी साख की नए सिरे से समीक्षा करेगा. लिहाजा पहले अपनी मौजूदा क्रेडिट हिस्ट्री और स्कोर के अलावा मकान खरीद संबंधी कागजात और कानूनी व तकनीकी पहलुओं की जांच कर लें.

ईएमआई पर भी विचार करें

ब्याज दरों की तुलना करना आवश्यक है. इसी के साथ यह भी देखें कि कितने समय तक ईएमआइ की अदायगी और करनी है. यदि अभी हाल ही में होम लोन लिया है और ईएमआइ की अदायगी के कुछ वर्ष ही हुए हैं तो कम ब्याज दर के लिए होम लोन शिफ्ट करना फायदेमंद हो सकता है.

लोन शिफ्ट करने का खर्च

होम लोन स्विच करने पर खर्च आता है. इसमें प्रोसेसिंग फीस, प्रॉपर्टी का मूल्यांकन कराने, कागजात तैयार करवाने, स्टांप ड्यूटी तथा बीमा कराने आदि के खर्च शामिल हैं. इन सबका आकलन करें. यदि कम ब्याज दर से मिलने वाला लाभ इस खर्च से काफी अधिक है तभी होम लोन शिफ्ट करने के लिए आगे बढ़ें.

क्रेडिट स्कोर व रिपोर्ट पर भी हो नजर

होम लोन शिफ्ट करने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट अवश्य देख लें. जिस नए बैंक को आप अपना होम लोन शिफ्ट करने जा रहे हैं वह क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया)लिमिटेड (सिबिल) से आपका क्रेडिट स्कोर व रिपोर्ट मंगाकर जरूर देखेगा. यदि क्रेडिट हिस्ट्री कमजोर व क्रेडिट स्कोर कम हुआ तो नया बैंक होम लोन ट्रांसफर का आवेदन अस्वीकार कर सकता है.

चेहरा दिखे खिला खिला

विंटर सीजन अपने साथ खुशनुमा मौसम लाता है और साथ ही लाता है आप की त्वचा के लिए रूखापन और खिंचाव. जलवायु त्वचा की सब से बड़ी दुश्मन होती है. अगर उचित देखभाल नहीं की जाए तो चेहरे पर रूखापन आ सकता है.

जानिए कुछ नैचुरल फेस केयर टिप्स जो आप के चेहरे को ठंड के मौसम में भी कोमल और खूबसूरत बनाए रखने में आप की मदद करेंगे:

ऐलो वेरा प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल

ऐलो वेरा को चेहरे के लिए बहुत ही बेहतरीन मौइश्चराइजर माना जाता है. ऐलो वेरा स्किन रिजुविनेट करता है और साथ ही चेहरे को तरोताजा भी रखता है. यह चेहरे को मुलायम और सुंदर बनाए रखने में बहुत उपयोगी है. ऐलो वेरा में जैतून का तेल मिला कर रोजाना लगाने से चेहरे की त्वचा पर सर्दियों की वजह से आया खिंचाव व इरिटेशन दूर हो जाती है और चेहरा ग्लो करता है.

लाएं इस्तेमाल में खीरा

ठंड का मौसम अपने साथ लाता है बहुत सारी स्किन प्रौब्लम्स जिन की वजह से चेहरा बहुत ही अनाकर्षित और रूखा दिखने लगता है. सर्दियों में सब से बड़ी परेशानी रूखी और असामान्य स्किनटोन होती है. पर इस समस्या से निबटने के उपाय हैं. ये उपाय आप के किचन में ही हैं. जैसे कि खीरा एक बहु उपयोगी चीज है जोकि न सिर्फ आप की सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि आप की स्किन के लिए भी बहुत अच्छा है. खीरे का फेस पैक चेहरे के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. इस के इस्तेमाल से चेहरे का रूखापन दूर होता है और आप की त्वचा मुलायम और कोमल बनी रहती है.

शहद से स्किन केयर

यदि आप को ठंड के मौसम में अपने चेहरे को रूखेपन से बचना है और अपनी त्वचा को कोमल बनाए रखना है, तो शहद का इस्तेमाल करना आप की त्वचा के लिए उपयोगी होगा. शहद में कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो त्वचा को मौइश्चराइज भी करते हैं और उस की नमी को भी बनाए रखते हैं.

दूध से पाएं कोमल त्वचा

सर्द हवाएं चेहरे की त्वचा से कोमलता चुरा कर उसे रूखा बना देती हैं. ऐसे में दूध से चेहरे की स्क्रबिंग और क्लींजिंग करना बेहद लाभकारी होता है. चेहरे की सफाई के लिए दूध का इस्तेमाल कर रही हैं, तो बेहतर होगा कि यह काम रात में करें जिस से चेहरे की सारी गंदगी साफ हो जाए. दूध के नैचुरल मौइश्चराइजिंग तत्त्व त्वचा को साफ कर उसे कोमल बनाते हैं.

सर्दियों में नहीं झड़ेंगे आपके बाल

वैसे तो बालों के झड़ने की प्रॉब्लम हमेशा ही बनी रहती है लेकिन सर्दियों में यह कुछ बढ़ जाती है. ऐसा कहा जाता है कि एक दिन में 100 बाल गिरना समान्य बात है लेकिन अगर इनकी गिनती बहुत ज्यादा है तो यह वक्त संभलने का है. इन उपायों को अपनाकर आप अपने बेशकीमती बालों को गिरने से रोक सकती हैं.

बाल धोने से पहले कंघी जरूर करें. बाल धोने के दौरान उलझ जाते हैं. ऐसे में पहले से ही उलझे बाल और भी बुरे हो जाएंगे. इसके साथ ही यह भी याद रखें कि गीले बालों में गलती से भी कंघी न करें. इससे बाल कमजोर हो जाएंगे.

हर रात कंघी करके ही सोएं. इससे सुबह उठने पर आपको उलझे हुए बाल नहीं मिलेंगे. इससे बालों का गिरना भी कम होगा.

गुनगुने पानी से बाल धोएं. गर्म पानी से बाल धोना सही नहीं है. इससे बाल और ज्यादा गिरने लगेंगे. ज्यादातर लोग इन दिनों में गर्म पानी से बाल धो लेते हैं, जिससे यह समस्या बढ़ जाती है.

बेबी शैंपू यूज करें. माइल्ड शैंपू यूज करने से बाल उलझेंगे भी कम और झड़ेंगे भी कम.

कंडिशनर का इस्तेमाल करें लेकिन जड़ों में नहीं.

बालों को सामान्य तरीके से सूखने दें. ड्रायर का इस्तेमाल बालों को रूखा तो बनाएगा ही साथ इससे बाल भी गिरेंगे.

सुल्तान से बेहतर है दंगल: सलमान

अभिनेता सलमान खान ने ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ आमिर खान की कुश्ती पर आधारित फिल्म ‘दंगल’ की तारीफ करते हुए कहा है कि यह ‘सुल्तान’ से बेहतर है. ‘दंगल’ शुक्रवार को दुनियाभर में रिलीज की गई है. अली अब्बास जफर निर्देशित सुल्तान इस साल रिलीज हुई थी. इसमें सलमान ने हरियाणा के पहलवान का किरदार निभाया था, जिसका सफल करियर उसके जीवन में तबाही मचा देता है.

सलमान ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा, “मेरे परिवार ने ‘दंगल’ देखी और उन्हें लगता है कि यह ‘सुलतान’ से काफी बेहतर है. निजी पर मैं आपको प्यार करता हूं आमिर, लेकिन पेशेवर तौर पर आप मुझे पसंद नहीं.”

इस पर आमिर ने ट्वीट किया, “सलमान खान आपकी नफरत में मुझे केवल प्यार महसूस होता है. मैं आपको उसी तरह प्यार करता हूं जिस तरह आपसे नफरत करता हूं.”

नितेश तिवारी निर्देशित यह फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित है. यह एक पिता के द्वारा अपनी बेटियों को कुश्ती में प्रशिक्षित करने और सशक्त बनाने की प्रेरणादायक यात्रा है. इस फिल्म में आमिर ने कुश्ती के एक पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ी महावीर सिंग फोगट का किरदार निभाया है, जो अपनी पत्नी और पूरे गांव की असहमति के बावजूद अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती का प्रशिक्षण देते हैं.

इतना ही नहीं सलमान खान ने खुद आमिर की फिल्म दंगल को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया उन्होंने कहा कि आमिर की दंगल उनके घरवालो ने भ जिसे देखकर उन्हें काफी मजा आया.

“गौडफादर सिर्फ इंडस्ट्री में एंट्री करा सकता हैं”

छोटा मुंबई कहे जाने वाले शहर इंदौर में पली बढ़ी समीक्षा ने एक्टिंग में जाने का मन तभी बना लिया था जब उन्होंने पत्रकारिता में ग्रैजुएशन करने के लिए एडमिशन लिया था. जीवन के हर कदम पर मां का साथ पाने वाली समीक्षा कहती हैं कि वे आज जो कुछ भी हैं अपनी मां के कारण हैं. अपने पहले ही औडिशन में जी टीवी के शो ‘जिंदगी की महक: महक’ में लीड रोल पाने वाली समीक्षा इसे अपनी जिंदगी का सब से बड़ा अचीवमैंट मानती हैं.

खाने और खिलाने की शौकीन समीक्षा कहती हैं कि शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब उन की रसोई से लजीज खाने की महक न आती हो. कड़ाही और चम्मच तो जैसे उन के खास दोस्त बन गए हैं. जी टीवी के इस शो की कहानी चूंकि दिल्ली की है इसलिए दिल्ली की रियल लोकेशन पर इस की शूटिंग की जा रही है. शूटिंग स्पौट पर ही समय निकाल कर समीक्षा ने अपनी बातें गृहशोभा से शेयर कीं:

जब पहली बार कैमरे के सामने आईं तो कैसा अनुभव रहा?

उस दिन को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी. जब इस शो के प्रोमो शूट के लिए मैं शूटिंग स्पौट पर पहुंची, तो पूरी शूटिंग यूनिट, भारीभरकम लाइटों और कैमरों को देख कर हालत पतली हो गई. उस समय मैं सोच रही थी कि कैसे मैं अपना सीन कर पाउंगी. पर शो के निर्देशक और पूरी टीम ने मेरा हौसला बढ़ाया. शुरुआत में कुछ समस्याएं आईं, क्योंकि इस से पहले मैं ने कभी कोई सीन शूट नहीं किया था. पहली बार कैमरे से रूबरू हुई थी. मैंने उन छोटीछोटी प्रौब्लम्स को बहुत अच्छे तरीके से सुलझाया और आज एक ही टेक में सीन ओके हो जाता है. रीटेक की नौबत कम ही आती है. कारण है मैं अब थोड़ीबहुत एक्टिंग में मैच्यौर हो गई हूं, क्योंकि अब 3 महीनों से ज्यादा का समय शूटिंग करते बीत गया है.

महक से समीक्षा कितनी मिलती है ?

सच बताऊं तो मैं खाने की बहुत शौकीन हूं, मुझे तरहतरह का खाना बहुत पसंद है, पर बनाना नहीं आता है. शो के कैरैक्टर महक को भी खाना बहुत पसंद है पर वह अच्छा खाना बना भी लेती है. मैं भी संयुक्त परिवार से हूं और महक के परिवार में भी सभी साथ रहते हैं. जब इस शो की कहानी मुझे सुनाई गई तब मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरी ही कहानी सुनाई जा रही है. जब इस शो का औडिशन देने गई तब भी मैं डर रही थी कि मैं कैसे कर पाऊंगी, क्या होगा. लेकिन मेरी मां ने मेरा आत्मविश्वास बहुत मजबूत कर दिया था, इसलिए बेखौफ हो कर औडिशन दिया और सलैक्ट हो गई.

जर्नलिस्ट से एक्टर कैसे बन गईं?

मैं ने इलैक्ट्रौनिक मीडिया में ग्रैजुऐशन किया है. जब ऐडमिशन लिया था तभी यह सोच लिया था कि पत्रकार नहीं बनना है. कुछ हट कर काम करूंगी. एक्टिंग का कीड़ा बचपन से ही था. स्कूल में होने वाले नाटकों में मेरी सक्रियता हमेशा रहती थी. शुरुआत में मुझे सैट डिजाइनिंग का शौक था. कालेज में पढ़ाई करते हुए इस पर ही फोकस किया था. कुछ प्रोजेक्ट्स और डौक्यूमैंटरीज बनाते समय एक्टिंग भी की.

इस के बाद लगा कि सैट डिजाइनिंग के बजाय मेरे लिए सही कैरियर औप्शन एक्टिंग है. इसलिए छोटीछोटी डौक्यूमैंटरीज में काम कर के अपनी एक्टिंग स्किल को ग्रूम करना शुरू किया. इस ग्रूमिंग की मदद से ही आज यह बड़ा ब्रेक मिल पाया है. मैं आज 21 साल की हूं. 6 साल पहले मैं ने सोच लिया था कि मैं कुछ ऐसे काम में कैरियर बनाऊंगी जो हट कर हो. मेरे हर फैसले पर मेरी मां का बहुत साथ मिला. उन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया है. मेरे पापा शुरू में कुछ असमंजस में थे पर उन्हें इतना विश्वास था कि उन की बेटी जो भी फैसला लेगी अच्छा ही लेगी.

इंदौर को मिस करती हैं?

बहुत ज्यादा. वहां के राजबाड़ा की शाम और दोस्तों के साथ जा कर स्ट्रीट फूड का मजा लेना बहुत याद आता है. 4 महीने से मैं घर नहीं गई हूं. दिल्ली में ही हूं. परिवार के लोग तो मिलने यहां आ जाते हैं पर दोस्तों से नहीं मिल पाई हूं. याद तो सभी आते हैं पर यह सोच कर अपने को समझा लेती हूं कि घर वालों के साथसाथ मेरे शहर वालों की मुझ से बहुत उम्मीदें हैं. कुछ अच्छा करूंगी तभी सब की उम्मीदों पर खरा उतर पाऊंगी.

दिल्ली ने दिल जीता या नहीं?

यहां के लोग अच्छे हैं, दिलवाले भी हैं पर यहां प्रदूषण और ट्रैफिक बहुत ज्यादा है. पिछले दिनों दीवाली के बाद छाई धुंध को देख कर मैं सकते में आ गई थी. मुझे सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. यहां रहने वाले लोग कैसे इस प्रदूषण को सहन करते होंगे. हमेशा इतना शोर होता है कि लगता है कि यहां ज्यादा रहूंगी तो कम सुनाई देने लगेगा. पिछले दिनों हमारे शो की शूटिंग चांदनी चौक में हुई. तब मैं ने रियल दिल्ली को देखा. लोगों की रेलमपेल के बीच परांठे वाली गली का स्वाद भी चखा. लेकिन मैं कहती हूं कि दिल तक पहुंचने का रास्ता पेट से हो कर जाता है और पेट भरने का सब से अच्छा तरीका हम इंदौरियों से अच्छा कौन जानता है.

इस शो में महक को ऐसी लड़की के तौर पर दिखाया गया है, जो अपने परिवार और खाने का बहुत ध्यान रखती है. तो रियल लाइफ में घर संभालना कितना बड़ा टास्क है?

होममेकर होना कोई छोटी चीज नहीं है. यह बहुत बड़ा काम है. बहुत सारी ऐसी घरेलू महिलाएं हैं, जो अपनी अहमियत नहीं समझ पाती हैं. उन्हें फैमिली के सामने कुछ नजर नहीं आता. कभी वे खाना बनाने में बिजी होती हैं, तो कभी किसी के लिए कुछ और करने में. मेरा कहना है कि उन्हें अपना भी ध्यान रखना चाहिए.

क्या अकेले दम पर अपनी पहचान बनाना मुमकिन है?

हां, अगर मन में ठान लिया जाए तो यह जरूर मुमकिन है. शुरुआत में तमाम मुश्किलों से दोचार होना पड़ता है पर मंजिल निश्चित मिलती है. आप का गौडफादर या इंड्रस्ट्री में रहने वाला रिलेटिव आप की यहां इजी ऐंट्री तो करा सकता है पर सर्वाइव तो आप को ही करना पड़ता है. अगर आप में वह काबिलीयत और अदाकारी नहीं है तो जल्द ही आप बाहर हो जाते हैं. हमारी इंडस्ट्री में तो ऐसे स्टार किड्स के कई उदाहरण आप को मिल जाएंगे जो अच्छे बैनर की फिल्मों के सहारे लौंच तो हुए लेकिन उस के बाद आज भी उन की पहचान उन के पेरैंट्स से है. उन की अपनी पहचान कुछ नहीं है.

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