देशभक्ति राष्ट्रगान गाने से नहीं आती

सुप्रीम कोर्ट ने न जाने किस कानून के अंतर्गत यह आदेश दिया है कि हर थिएटर में दिखाई जाने वाली फिल्म के प्रारंभ में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य है और उस दौरान सब को खड़ा होना पड़ेगा. किसी याचिकाकर्त्ता की याचिका पर निर्णय देते समय यह आदेश दिया गया है. कोई भी व्यक्ति किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज रखने का मौलिक अधिकार रखता है और सुप्रीम कोर्ट कईयों पर विचार कर लेता है और ज्यादातर पर सुनवाई कर के उन्हें खारिज कर देता है.

देशभक्ति के नाम पर राष्ट्रगान थोपना ठीक उसी तरह का काम है जैसा हिंदू होने के नाते सुबह सूर्य नमस्कार करना या मुसलमान होने के कारण नमाज पढ़ना या फिर ईसाई होने के कारण खाने से पहले प्रार्थना करना. ये सब काम जन्म से घुट्टी की तरह पिला दिए जाते हैं ताकि एक तरह की अंधभक्ति पैदा हो जाए और कोई भी धर्म या देश के फैसलों को तर्क, व्यावहारिकता, कथनी, स्वतंत्रताओं, निजता के अधिकारों के नाम पर चुनौती न दे सके.

देशभक्ति आज असल में धर्म भक्ति का पर्याप्त बन गई है. आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट इस से ऊपर रहा करता था और धर्म को या उस की छाया को राजनीतिक फैसलों से बचाती रही है पर न जाने क्यों इस पीठ ने एक ऐसा फैसला दे दिया जो ऊपर से अच्छा लगते हुए भी अंदर चोट पहुंचाता है.

देश के लिए जीना, काम करना और मरना सब के लिए हर देशवासी को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इसी से सामूहिक शक्ति और सुरक्षा मिलेगी. जिस देश में शारीरिक सुरक्षा नहीं है- 2014 के रेप कांड के बाद रेप बंद नहीं हुए, धार्मिक दंगे बंद नहीं हुए, कर चोरियां कम नहीं हुईं, दहेज हत्याओं में कमी आई है पर इसलिए कि अब हर युवा मौत को दहेज हत्या नहीं कहा जाता. आर्थिक सुरक्षा नहीं है. सरकार जेब, अलमारी में रखे धन को 8 मिनट के भाषण से छीन सकती है और घंटों, दिनों अपना पैसा लेने के लिए लाइनों में खड़ा कर सकती है. सरकार की निगाह हर औरत के सोने पर है. जहां सरकार महंगाई नहीं रोक पा रही हो. जहां सरकार करों की भरमार करने में लगी है. मानसिक सुरक्षा नहीं है. भारतपाक सीमा पर हर रोज घुसपैठिए आते हैं और सैनिकों को मार डालते हैं. मध्य भारत में माओवादी सक्रिय हैं, खालिस्तानी आज भी अलग देश का सपना देख रहे हैं. ऐसे देश में देशभक्ति क्या मनोरंजन के समय राष्ट्रगान से आ जाएगी?

इस जिद को कुतर्क बताते हुए लेखक चेतन भगत ने यह तक कह डाला कि क्या सैक्स करने पहले राष्ट्रगान गाया जाए? यही सवाल उठ सकता है कि क्या हर किट्टी पार्टी से पहले राष्ट्रगान गाया जाए जैसे बहुत सी धार्मिक किट्टियों में आरती गा ली जाती है.

देशभक्ति राष्ट्रगान गाने से नहीं आती. यह अंध अतार्किक  भक्ति है, जो कट्टर बना सकती है. देश महान उत्पादन से होता है, रातदिन मेहनत करने से बनता है, बरबादी रोकने से बचत करता है, नई खोजों से आगे दौड़ता है. वंदे मातरम या शांति पाठों से न धर्म बढ़ता है, न राष्ट्रगान से देश बनता है.

 

दर्द जो नासूर बन कर रहेगा

अकेली औरतें चाहे कितनी ही बोल्ड, शिक्षित व समर्थ हों, जब यौन हिंसा की बात हो तो वे किस आसानी से शिकार हो सकती हैं यह उस अमेरिकी युवती के मामले से साफ है जिस का 5 माह पहले 5 लोगों ने, जिन में से एक उन का गाइड भी था, उसी के पांच सितारे होटल के कमरे में बलात्कार किया और इस बुरी तरह डराया कि वह अगले ही दिन अमेरिका चली गई और अब जा कर उस में शिकायत करने की हिम्मत आई और उस ने ईमेल से शिकायत भेजी.

अकेली युवतियों को यात्रा के दौरान बहुतों को अपना साथी बनाना पड़ता है पर वे साथी कब धोखा दे दें, बलात्कार कर लें, लूट लें, इमोशनल व एकतरफा प्यार में बांध लें या केवल यूज ऐंड थ्रो कर डालें पता नहीं चलता. पुरुष चाहे कितना सभ्य, सुसंस्कृत दिखे, कब धोखा दे दे और औरत के अकेलेपन का लाभ उठा ले, यह कहा नहीं जा सकता.

इस तरह का मामला केवल भारत में होता हो, ऐसा नहीं, बलात्कार दुनिया भर में होते हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रंप ने तो एक वीडियो क्लिप में उन के जननांग को अकारण पकड़ लेने तक की हिम्मत का रौब मार डाला था और फिर भी वह जीत गए. अमेरिकी समाज ने ऐसे व्यक्ति को चुना जो अपनी मर्दानगी का सुबूत औरतों को मनचाहे ढंग से इस्तेमाल करने में विश्वास करता हो.

इस औरत को न्याय दिलाने के चक्कर में हो सकता है कि पांचों को ढूंढ़ निकाला जाए और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाए पर उस औरत ने जो उन घंटों में, जब उस का बारबार 5 जनों द्वारा बलात्कार हुआ, जो दहशत सही वह किसी भी सजा से कम नहीं हो सकती.

हमारा समाज, दुनिया भर का, ऐसा है कि वह बलात्कार को केवल शारीरिक हिंसा नहीं मानता, कहीं न कहीं औरत को दोषी मानता है और इसी का दंश औरत को अंदर तक चोट सहने में मजबूर करता है. सैकड़ों पुरुष मारपीट में घायल होते हैं, दुर्घटनाओं में उन का अंग भंग हो जाता है, लंबी बीमारियां हो जाती हैं पर औरत को बलात्कार के दौरान जो वेदना होती है और बाद में जो आत्मग्लानि होती है वह शारीरिक देन नहीं, सामाजिक देन है. समाज, कानून, पुलिस, अदालतों,  मीडिया और घरों ने ऐसा माहौल बनाया है कि जो शारीरिक क्रिया औरतें खुशीखुशी करती हैं यकायक बोझ बन जाती है.

बलात्कार और सहमति से बने  यौन संबंधों में फर्क है तो वह सामाजिक, मानसिक देन है. यह थोपी हुई है. उस अमेरिकी औरत का भारत की गंदी सामाजिक कानून व्यवस्था पर इतना ज्यादा अविश्वास था कि वह महीनों चुप रही. अमेरिका में भी औरतें बलात्कार के बाद दिनों, महीनों और सालों चुप रहती हैं, क्योंकि डर समाज का है जो अब पुरुष को दंड तो दिलवाने लगा है पर फिर भी विक्टिम को भी मानसिक जेल में ठूंस देता है. बहुत औरतें इस जहर को पी कर आगे चलना चाहती हैं पर असल में ऐसा हो नहीं पाता, क्योंकि माहौल ऐसा है कि बलात्कार की शिकार को जानेअनजाने एहसास दिलाया जाता है कि वह खुद भी गलत ही होगी और अब वह दूषित है, कुलटा है, त्याज्य है, अहिल्या है, सीता है, अक्षभ्य है.

लैंसडाउन में मनायें नया साल

उत्तराखण्ड को प्रकृति ने बड़ी शिद्दत से संवारा है. यहां कुदरत के करिश्मों का अंबार है. जिधर नजर डालो वहां हरियाली और खूबसूरत वादियां ही नजर आते हैं. उत्तराखण्ड के पौडी जिले में स्थित ऐसी ही एक सुन्दर जगह है लैंसडाउन. समुद्री तल से 1706 मीटर की ऊंचाई पर बसे लैंसडाउन में सेना की छावनी भी है. चारों तरफ पहली हरियाली आपको एक अलग ही एहसास दिलाएगी. 1887 में, भारत के वाइसरॉय रहे लोर्ड लैंसडाउन ने इस हिल स्टेशन की खोज की थी. इस जगह को पहाड़ों को काटकर बसाया गया था. लैंसडाउन का वास्तविक नाम कालूडांडा था.

बलूत और देवदार के जंगलों से घिरा यह हिल स्टेशन सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है. साथ ही, यह पर्यावरणीय पर्यटन के लिए भी उत्तम स्थान है.

कहां घूमें?

प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर लैंसडाउन में देखने के लिए काफी कुछ है.

टिप एन टॉप

टिप एन टॉप को टीफिन टॉप भा कहा जाता है. अगर आप प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेना चाहती हैं तो आपको यहां जरूर जाना चाहिए. आप यहां से बर्फीली चोटीयों का मनोरम दृश्य देख सकती हैं. दूर-दूर तक फैले पर्वतों और उनके बीच बसे छोटे-छोटे गांवों यहां से देके जा सकते हैं.

गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक

गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट युद्ध स्मारक और गढवाली मैस यहां के लोकप्रिय पर्यटक स्थल है. गढवाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक का निर्माण 11 नवंबर 1923 में, भारत के पूर्व कमांडर इन चीफ, ट्रेंट के लोर्ड लोरींस्न ने करवाया था. 1888 में, अंग्रेजों द्वारा बनाई गई गढ़वाली मैस लैंसडाउन की प्राचीन इमारत है. जो आज, एशिया के प्रमुख संग्रहालयों में से एक है.

भुल्ला तालाब

भुल्ला तालाब गढ़वाल राइफल्स के योद्धाओं को समर्पित, अप्राकृतिक सुन्दर झील, लैंसडाउन का आकर्षक स्थल है. इस झील का नाम गढ़वाली शब्द ‘बूल्ला’ पर रखा गया है. आपने डूबते सूरज को तो कई बार देखा होगा, पर इस झील के किनारे बैठकर डूबते सूरज को देखना एक अलग ही एहसास कराता है.

सेंट मैरी चर्च

1895 में ए.हेच.बी ह्यूम द्वारा बनाई गई सेंट मैरी चर्च, लैंसडाउन के सुन्दर चर्चों में से एक है. इस विक्षिप्त चर्च को गढ़वाल रेजिमेंटल राइफल्स सेंटर फिर से खड़ा किया है और अब यहां आजादी के पहले के भारत के चित्रों का प्रदर्शन किया जाता है.

भीम पकोड़ा

2 किमी के ढलान पर ट्रेक कर के यहां पहुंचना पड़ता है. यहां एक के ऊपर एक दो बड़े पत्थर बिल्कुल बैलेंस में रखे हैं. वैसे तो पत्थरों को हिलाया जा सकता है, पर कोई भी पत्थरों को गिरा नहीं पाया है.

अगर आपको ऐडवेन्चर पसंद है तो आप यहां ट्रेकिंग और जंगल सफारी भी कर सकती हैं.

कैसे पहुंचे?

दिल्ली से लैंसडाउन आसानी से पहुंचा जा सकता है.

रोड से: आप कैब बुक कर के या बस द्वारा लैंसडाउन पहुंच सकती हैं.

रेल से: कोटद्वार यहां पहुंचने का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है. कोटद्वार से फिर टैक्सी से लैंसडाउन पहुंचा जा सकता है.

हवाई अड्डा: जौलाग्रांट एयरपोर्ट यहां पहुंचने का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है. यह लैंसडाउन से 152 कि मी की दूरी पर है.

दंगल के लिए आमिर जीत सकते हैं ऑस्करः कुणाल

फिल्मकार कुणाल कोहली ने बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान की आने वाली फिल्म दंगल की प्रशंसा करते हुए कहा है कि आमिर खेल पर आधारित इस फिल्म के लिए ऑस्कर जीत सकते हैं. कोहली 2006 में आमिर को फिल्म ‘फना’ में निर्देशित कर चुके हैं.

कोहली ने ट्वीट किया, “दंगल विश्व में बनाई गई बेहतरीन फिल्मों में से एक है. जैसे गीता (फोगट) ने स्वर्ण जीता था, वैसे ही आमिर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए ऑस्कर जीत सकते हैं.”

51 साल के आमिर ने फिल्म में पिता और एक युवा पहलवान दोनों का किरदार निभाया है. पिता के किरदार के लिए उन्होंने अपना वजन बढ़ाया. इसके कारण उन्हें चलने और सांस लेने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

महावीर फोगट के पुराने रूप के अपने दृश्यों को खत्म करने के बाद, आमिर को एक युवा पहलवान दिखने के लिए 5 महीनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी. उन्होंने लगातार 5 महीनों तक व्यायाम किया और अपना करीब 25 किलो वजन घटाया.

इस फिल्म में फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा, फोगट बहनों की भूमिका में हैं. यह फिल्म 23 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है.

सुत्रों कि मानें तो ‘दंगल’ पाकिस्तान में रिलीज नहीं होगी. इससे पहले खबर आई थी कि इस फिल्म का पाकिस्तान में प्रदर्शन होगा. फिल्म वितरकों के प्रवक्ता ने एक बयान जारी करके पुष्टि की है कि ‘दंगल’ पाकिस्तान में रिलीज नहीं होगी, इसके उलट किसी भी तरह की खबरें झूठी हैं.

पहली बार शेयर बाजार में निवेश

शेयर बाजार से वारेन बफेट ने बेहिसाब मुनाफा कमाया है और नुकसान न के बराबर. कामयाबी का गुर उन से साझा करने की विनती की गई तो उन्होंने बताया, ‘‘मैं शेयर बाजार में निवेश नहीं करता बल्कि मैं तो बिजनैस में निवेश करता हूं. ’’

तात्पर्य यह था कि बफेट उन्हीं बिजनैस कंपनियों के शेयर खरीदते हैं जिन की उन्हें समझ है. इस के लिए वे उपलब्ध डाटा, रिपोर्ट और कंपनी की बिजनैस मैनेजमैंट टीम के बारे में पूरी जानकारी जुटा कर बारीकी से अध्ययन करते हैं. यही नहीं, वे बिजनैस मौडल को समझने पर ही निवेश करने की सोचते हैं.

शेयर बाजार में अलगअलग कंपनियों के नाम से शेयर होते हैं जो अलगअलग क्षेत्रों से सबंधित होती हैं. जैसे रियल एस्टेट, औयल, बैंकिंग, कंज्यूमर गुड्स, पावर, स्टील, संचार व मैटल आदि. यदि आप को पहले अपनी पसंद की कंपनी चुननी है तो सब से उस कंपनी के इतिहास को खंगालें और अच्छी तरह से उस कंपनी की बैलेंस शीट और टर्न ओवर के बारे में जांचपड़ताल कर लें. तभी निवेश के बारे में सोचें.

हालांकि यह बात काफी हद तक सही है कि बाजार के भविष्य के बारे में कोई भी नहीं बता सकता. परंतु उपलब्ध आंकड़े, तथ्य एवं अच्छे बिजनैस में पैसा लगा कर जोखिम को कम तो किया ही जा सकता है.

पहली बार अगर आप बाजार में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सब से पहले यह पता करें कि बाजार की चाल क्या है. आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, कितने रिटर्न की चाहत रखते हैं. आप शौर्ट टर्म, मिड टर्म या फिर लंबे समय के निवेश की सोच रहे हैं.

ज्यादा रिटर्न, ज्यादा रिस्क

अधकचरे ज्ञान के साथ या फिर ब्रोकर के कहे अनुसार निवेश करना अक्लमंदी नहीं है. वैसे भी पहली बार निवेशक अधिक उत्साह में होता है. लगता है, कोई बनाए न बनाए, वह तो बाजार से पैसा बनाएगा ही. दुख की बात तब होती है जब रिटायर्ड आदमी अपनी तमाम जमापूंजी के साथ खिलवाड़ कर बैठता है. फिक्स्ड डिपौजिट की ब्याज दर घटती देख कर लोग चाहते हैं कि शेयर बाजार से बढि़या रिटर्न लें. ज्यादा रिटर्न, ज्यादा रिस्क.

राकेश झुनझुनवाला ने रातोंरात अत्यधिक मुनाफा कमाने की चाह रखने वाले व्यक्तियों को शेयर बाजार में निवेश न करने की सलाह दी है. उन का कहना है, ‘‘यह तो जुआ खेलने से ही संभव है. बाजार में निवेश लंबी अवधि, संयम एवं उतारचढ़ाव से न घबराने वाले लोगों को ही करना चाहिए.’’

पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों को कम से कम इन बातों को जरूर ध्यान में रखना चाहिए-

– बाजार में उतारचढ़ाव आतेजाते हैं. शेयर में गिरावट आने पर घबरा कर तुरंत पैसा निकालने से पहले दस बार सोचें.

– अगर आप ने लंबी अवधि के लिए निवेश किया है तो मासिक या वीकली रिपोर्ट पर ही गौर करें. रोजरोज शेयर की घटतीबढ़ती दरों को देख कर परेशान न हों.

– मार्केट कैपिटलाइजेशन यानी पूंजीकरण के हिसाब से अधिक बड़ी कंपनियों में निवेश शुरुआती दौर में ठीक है. दरअसल, आप का पहला फोकस अपनी पूंजी को गंवाना (किसी भी हाल में) नहीं होना चाहिए.

– अगर लाभ नहीं भी मिले तो पूंजी हर हाल में सुरक्षित रहे. ऐसा सोच कर निवेश करें.

– निवेश से पहले ईपीएस यानी (अर्निंग पर शेयर) जरूर देखें.

– बुक वैल्यू/शेयर जरूर देखें. बुक वैल्यू अच्छी होनी चाहिए.

– ऋण इक्विटी अनुपात यानी डैब्ट इक्विटी रेशियो जरूर देखें. यह जितना निम्न हो, उतना बढि़या है.

– वर्तमान संपत्तियों/ वर्तमान देनदारियों का वर्तमान अनुपात देख कर ही निवेश करने की सोचें.

– ध्यान दें कि 1 साल से कम पैसा निकालने पर शौर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है. इस की दर 15 प्रतिशत है.

– डीमैट अकाउंट की मैंटेनैंस फीस हर बैंक या संस्था की अलग होती है. कुछ बैंक पहले वर्ष कोई फीस नहीं लेते परंतु दूसरे या तीसरे वर्ष उन की फीस में काफी बढ़ोतरी हो जाती है.

– अगर आप सिर्फ म्यूचुअल फंडों में निवेश करना चाहते हैं तो बिना डीमैट अकाउंट खोले भी कर सकते हैं.

– बैंक बेहद कम चार्ज ले कर म्यूचुअल फंडों में निवेश की सुविधा देते हैं. कुछ बैक प्रोसेसिंग फीस भी चार्ज नहीं करते. इन सब के बारे में अच्छी जानकारी लेने के बाद ही निवेश करें. निवेश करने से पहले ब्रोकरेज के बारे में भी पता कर लें. पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही आगे बढ़ें.

– यह जरूर ध्यान में रखें कि बाजार की चाल कोई नहीं जान सकता.

उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए निवेश करें. साथ ही बाजार में फैली अफवाहों और दोस्त, रिश्तेदारों या ब्रोकरों के बताए टिप्स से दूर ही रहें तो अच्छा है. नियमित रूप से बाजार के बारे में जानकारी हासिल करते रहें. शुरुआत हमेशा कम पूंजी से करें ताकि ज्यादा नुकसान न हो. बाजार को कई बार बड़ेबड़े खिलाड़ी भी भांप नहीं पाते हैं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

निवेशक के अधिकार

– हर क्लाइंट का अलग यूनीक क्लाइंट कोड होता है.

– केवाईसी की कौपी एवं अन्य दस्तावेज.

– निवेश या व्यापार सिर्फ आप के यूनीक क्लाइंट कोड के साथ ही करें.

– फंड एवं सिक्युरिटीज समय से प्राप्त करने का अधिकार.

– शुल्क या किसी भी अन्य कटौती का विवरण जानने का अधिकार.

– कंपनी के विरुद्ध शिकायत का अधिकार.

– अकाउंट के सैटलमैंट का अधिकार.

सनी की राह पर चले सलमान

बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान ने यह घोषणा किया कि अपने 51वें जन्मदिन (27 दिसंबर) पर वह अपना ऐप लॉन्च करेंगे. सलमान ने ट्वीट कर इस खबर की जानकारी दी और एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उन्होंने अपनी योजनाओं का खुलासा किया है.

तस्वीर के अनुसार, ’27 दिसंबर को मेरे ऐप का जन्मदिन. यह ऐप केवल आपके लिए.’ हालांकि सलमान ने ऐप के बारे में ज्यादा जानकारियां शेयर नहीं कीं. यह उनके जन्मदिन पर प्रशंसकों के लिए तोहफा है.

सलमान खान की ‘दबंग 3’ के बाद अगली फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ आने वाली है. हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस सनी लियोनी भी अपना ऐप लॉन्च कर चुकी हैं, जिसके जरिए उनके फैन्स उनके फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम हैंडल को एक ही प्लैटफॉर्म पर देख सकते हैं.

किंग खान को मिलेगा यश चोपड़ा मेमोरियल अवॉर्ड

बॉलीवुड किंग शाहरुख खान को यश चोपड़ा मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. हर साल नेशनल यश चोपड़ा मेमोरियल अवॉर्ड दिया जाता है. इस साल चौथा नेशनल यश चोपड़ा मेमोरियल अवॉर्ड शाहरुख खान को दिया जाएगा.

फेमस डायरेक्टर यश चोपड़ा किंग खान की बॉन्डिंग काफी अच्छी थी. फिल्मों में दोनों की केमेस्ट्री खूब रंग लाई.

‘दिल वाले दुलहनिया ले’ जाएंगे फिल्म आपको याद होगी. आज भी ऑडियंस के दिलों पर राज करती इस फिल्म को यश चोपड़ा ने ही प्रोड्यूस किया था और डायरेक्ट उनके बेटे आदित्य चोपड़ा ने किया था.

इससे पहले यह अवॉर्ड लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन और रेखा को मिल चुका है. 25 फरवरी को यह अवॉर्ड शाहरुख को मिलेगा. मतलब शहंशाह के बाद अब बादशाह को यह अवॉर्ड मिलने जा रहा है.

किंग खान ने यश चोपड़ा डायरेक्टेड फिल्म ‘दिल तो पागल है’ और ‘वीर जारा’ में काम किया था. यह दोनों फिल्में भी सुपरहिट रही थीं.

सैफीना के घर आया छोटा नवाब

कुछ वक्त पहले तक सिर्फ करीना कपूर खान नाम से पहचानी जाने वाली करीना की पहचान अब बदल गई है. सब कुछ वैसा ही है, बस करीना मां बन गई हैं. सैफ अली खान तीसरी बार पिता बने हैं, लेकिन करीना का पहला बेबी है.

सैफ अली खान और करीना ने बेटे का नाम तैमूर खान अली पटौदी रखा है. सैफ ने बताया कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. सैफ ने कहा, ‘मैं अपने बेटे के होने की खबर आप लोगों से शेयर करके बेहद खुश हूं.’  वाकई सैफ और करीना के लिए यह खुशी का मौका है.

आईए जानते हैं कि तैमूर के करीबी रिश्तेदारों में स्टार मम्मी-पापा के साथ और कौन-कौन शामिल हैं.

परनाना: राज कपूर

दादा: मंसूर अली खान पटौदी, जो अपने समय के स्टार क्रि‍केटर और पटौदी के नवाब रहे हैं.

दादी: शर्मिला टैगोर, बॉलीवुड की अपने समय की सबसे खूबसूरत और टैलेंटेड अभिनेत्री रही हैं.

नाना: रणधीर कपूर,  मशहूर एक्टर रहे हैं

नानी: बबिता कपूर, पॉपुलर बॉलीवुड अभिनेत्री रही हैं

सौतेली मां: अमृता सिंह (सैफ की एक्स वाइफ)

बड़ी बुआ: सबा अली खान, ज्वेलरी डिजाइनर

छोटी बुआ: सोहा अली खान, एक्ट्रेस हैं

फूफा जी: कुणाल खेमू, एक्टर

मामा: रणबीर कपूर, बॉलीवुड एक्टर

मौसी: करिश्मा कपूर, जानी मानी एक्ट्रेस

मौसेरी बहन: समीरा कपूर (तैमूर से 11 साल बड़ी)

मौसेरा भाई: किआन राज कपूर (तैमूर से 6 साल बड़े)

सौतेली बहन: सारा अली खान (जल्द ही फिल्मों में डेब्यू करने वाली हैं और तैमूर से 23 साल बड़ी हैं)

सौतेला भाई: इब्राहिम अली खान (एक्टर, तैमूर से 16 साल बड़े)

इस सर्दी ट्राई करें डिजाइनर कैप

सर्दियों में आप कितने ही कपड़े क्‍यों न पहन लें, जब तक कानों को कवर न किया जाए, ठंड लगना बंद ही नहीं होती. कानों में हवा लगने के कारण शरीर गर्म नहीं हो पाता. ऐसे में लगातार ठंड लगती रहती है.

अगर आप इस मौसम में ठंड से बचना चाहती हैं तो आपको अपने कानों को कवर करने के लिए कैप इस्‍तेमाल करनी चाहिए. कुछ लोग खुद को ट्रेंडी दिखाने के लिए कैप को इग्‍नोर करते हैं. अगर आप चाहती हैं कि आप स्‍टाइलिश भी लगें और ठंड से बचे भी रहें, तो कैप्‍स की डिजाइनर वैरायटी ट्राई की जा सकती है.

बेनी

सर्दियों में शरीर को गर्म रखने के लिए बेनी को बेस्‍ट माना जाता है. ये बोरिंग कलर्स को खुद से दूर करके आपकी स्‍टाइलिश दिखने की चाहत को पूरा कर सकती हैं. बेनी में कई ब्राइट कलर्स आपको मार्केट में मिल जाएंगे, जिसे ट्राई करके आप बोरिंग विंटर्स को मजेदार बना सकते हैं.

वूलन कैप

वह दिन चले गए जब पूरे सिर को कैप के साथ कवर कर लिया जाता था. इन दिनों हाथ से बनी कैप्‍स को काफी पसंद किया जा रहा है. ये काफी स्‍टाइलिश होने के साथ-साथ गर्म भी होती हैं.

पॉम-पॉम्‍प्‍स वूलन कैप

इस तरह की कैप को सर्दियों के मौसम के लिए एकदम परफेक्‍ट माना जाता है. इसमें ऊनी फ्लैप कान को कवर कर लेते हैं जिससे हमारा शरीर गर्म रहता है. ये ध्‍यान रखें कि से काफी ट्रेंडी भी लगती हैं.

कशीदाकारी टोपी

अपनी ड्रेस में नयापन लाने के लिए कशीदाकारी टोपी का इस्‍तेमाल किया जा सकता है. अगर आपका आऊटफिट प्‍लेन है तो आप इस कैप को जरूर ट्राई करें.

फेडोरा

आपने ठंड से बचने के लिए नी-हाई बूट्स और ओवरकोट पहना है, लेकिन फिर भी आपको कुछ अधूरा-सा महसूस हो रहा है. तो जनाब आपके लिये फेडोरा कैप्‍स परफेक्‍ट रहेंगी. इस कैप की खासियत है कि इसे महिला और पुरुष दोनों इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

सात फेरों से पहले मेडिकल चेकअप

शादी आजकल जिन्दगी का मकसद नहीं रहा, हिस्सा बन गया. ये सही भी है, करियर बनाने के बाद शादी करने में कोई बुराई नहीं है. अगर आप भी करियर बनाने में व्यस्त हैं और आपको शादी की कोई जल्दी नहीं है, तो कुछ बातें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है. लेट शादी करने वालों को शादी की तैयारियां शुरू करने से पहले कुछ जरूरी टेस्ट करवा लेने चाहिए.

आप सोच रहे होंगे कि शादी का मेडिकल चेकअप से क्या लेना देना. पर सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है और सच्चाई ये है कि 1 उम्र के बाद कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स शरीर में घर करने लगती हैं. ये मेडिकल चेकअप आपको शादी से पहले जरूर करवा लेने चाहिए-

1. प्रजनन क्षमता

महिलाओं को अपनी ओवरी की जांच जरूर करानी चाहिए. इससे आपके मां बनने की क्षमता का पता चल जाएगा. अपने जीवनसाथी को भी ऐसे टेस्ट के लिए मनाइए. इसमें शर्म महसूस करने की कोई बात नहीं है. शहरी लाइफस्टाइल के कारण आजकल कई बिमारियां हो रही हैं.

2. एसटीडी टेस्ट

आप दोनों को ही एसटीडी टेस्ट भी कराना चाहिए ताकि शादी के बाद कोई भी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का शि‍कार न हो.

3. ब्लड टेस्ट

ब्लड टेस्ट जरूर कराएं. कहीं आपके ब्लड में कोई ऐसी प्रॉब्लम न हो जिसका असर आपके बच्चे पर पड़े.या फिर दांपत्य जीवन पर.

4. जेनेटिक टेस्ट

जेनेटिक डिजीज को जानने के लिए जेनेटिक टेस्‍ट करवाना जरूरी है. इससे पता चल जाएगा कि आपके होने वाले पार्टनर को कोई अनुवांशि‍क बीमारी तो नहीं.

आपके सुनहरे कल के लिए ऐसे टेस्ट करवाना बहुत जरूरी हैं. आप आज के जमाने को हो या न हो आपको इन टेस्ट की एहमियत पता होनी चाहिए. आप दोनों अपने परिवारों को भी इस मामले में जागरूक करें.

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