आसानी से करें विदेश यात्रा

जब ऊबर के सीईओ बिना वीजा के भारत आ सकते हैं, तो आप भी बिना विजा के विदेश जा सकती हैं. अपने देश के बाहर जाना किसे पसंद नहीं है? पर वीजा के चक्कर में हर बार आपका प्लैन पोसपोन हो जाता है. पर भारत के आसपास ही कुछ ऐसे देश हैं जहां जाने के लिए वीजा की जरूरत नहीं है.

यहां जाइए बिना विदेश के-

भूटान

इस देश में आप खुलकर इंजॉय कर सकती हैं. आपको यहां बहुत खुशी होगी. इस देश को हैपियेस्ट कन्ट्री के खिताब से नवाजा गया था. यहां के लोग काफी खुश और हेल्दी रहते हैं. यहां आप अगर एक बार जाएंगी तो लौटते वक्त आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर होगी. कई परेशानियों के बावज

मालदीव

यह देश अपने शानदार रिजॉर्ट्स के लिए जाना जाता है. अपने हमसफर के साथ यहां जायें और प्यार के कुछ पल बितायें. यहां के बीच पर घूमने का अलग ही मजा है.

मॉरिशस

यहां के सागा डांस को आप अच्छे से इंजॉय कर सकती हैं. इसके अलावा यहां के लैंडस्केप्स, एडवेंचर प्लेस और सी फूड भी आपको पसंद आएंगे. यह आपको बहुत से हिन्दी भाषी भी मिल जायेंगे.

कंबोडिया

अगर आपको हिस्ट्री में रुचि है तो यह जगह आपको काफी पसंद आ सकती है. यहां हिस्ट्री की खूबसूरत यादों को कैमरे में कैद करना ना भूलें.

जॉर्डन

यह देश बिल्कुल आपकी सोशल साइंस की बुक जैसी है. इसमें आपको हर जगह कुछ नया और अलग मिलेगा. लेकिन यहां घूमने आने से पहले मौसम का हाल जरूर जान लें.

नेपाल

हिमालय से लिपटा हुआ यह छोटा सा देश खूबसूरत लैंडस्केप्स और खूबसूरत लोगों से भरा है. यहां घूमना काफी पॉकेट फ्रेंडली भी है. एवरेस्ट बेस कैंप भी नेपाल में ही स्थित है, जहां पर कई लोग माउंटेनिंग करने आते हैं. यहां के पोखरा और काठमांडू में आप खूबसूरत मोर नाचते देख सकते हैं और थमेल स्ट्रीट में शॉपिंग का लुफ्त भी उठा सकते हैं.

आप दिखें सब से हसीन

सर्दियों का मौसम किसे अच्छा नहीं लगता. झुलसा देने वाली गर्मी और बरसात की नमी के बाद सर्दियों की धूप सभी को लुभाती है. लेकिन इस बदलते मौसम का सब से ज्यादा असर पड़ता है हमारे शरीर पर. त्वचा में रूखापन, बालों की चमक का खोना, बेजान होंठ, चेहरे की चमक फीकी पड़ना ये कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिन से सभी को दोचार होना पड़ता है.

सर्दियों में अपनी त्वचा की देखभाल के लिए मार्केट में ऐसे कई प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिन के सही इस्तेमाल से आप की त्वचा रूखी और बेजान नहीं, बल्कि खिली खिली नजर आएगी.

बौडी लोशन का प्रयोग

सर्दियों में त्वचा को नमी देने और मौइश्चराइज्ड रखने के लिए जरूरी है कि रोजाना किसी अच्छी कंपनी के बौडी लोशन का प्रयोग किया जाए. प्राकृतिक तत्त्वों जैसे कोकोआ बटर, वीट जर्म आदि के गुणों से युक्त बौडी लोशन आप की त्वचा को स्वस्थ व आकर्षक लुक देता है.

कोकोआ बटर

कोकोआ बटर नैचुरल फैट होता है, जो कोको बींस से मिलता है. कोकोआ बटर का रंग हलका पीला होता है और इसे कोको बींस से निकाला जाता है. यह लगभग हर ब्यूटी प्रोडक्ट में इस्तेमाल होता है. इसे सीधे इस्तेमाल करने से बेहतर होगा व्हीट जर्म के पैक के साथ मिला कर उपयोग में लाया जाए. यह न केवल त्वचा को हाईड्रेट करता है, बल्कि त्वचा में भीतर से कसाव लाने में भी मदद करता है. यह ऐंटीऔक्सीडैंट का बहुत बड़ा स्रोत है. इस के साथसाथ इस में विटामिन ई और विटामिन ए भरपूर मात्रा में होते हैं. इन दोनों विटामिंस से चेहरे पर रौनक आती है और त्वचा संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं.

व्हीट जर्म

व्हीट जर्म औयल को त्वचा के लिए बेहतर व उपयोगी माना जाता है. यह एक बेहद ही प्रभावी उपचार है जो कि सर्दियों में त्वचा को रूखा होने से बचाता है. व्हीट जर्म औयल में विटामिन ई की अच्छी मात्रा होती है जोकि त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी है. आप इसे रोजाना बौडी केयर का हिस्सा बना सकती हैं. जैसे कि आप इसे अपने चेहरे को साफ करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं, क्योंकि यह त्वचा को हाईड्रेट करने में भी मदद करता है.

पानी पीने से न हिचकिचाएं

सर्दियों में शरीर का तापमान बहुत कम होता है, इसलिए हमें प्यास कम लगती है. लेकिन सर्दी हो या गर्मी, स्वस्थ रहने के लिए दिन में 10 से 12 गिलास पानी पीना जरूरी है. अकसर सर्दियों में कम पानी पीने की वजह से हमारे शरीर से जहरीले टौक्सिंस बाहर नहीं निकल पाते हैं.

सनस्क्रीन जरूरी

सर्दियों में भले ही धूप की तीव्रता कम होती है लेकिन उस में मौजूद अल्ट्रावायलेट रेज का असर त्वचा पर हर मौसम में एक जैसा ही होता है. गरमियों से उलट, इस मौसम में लोग धूप का पूरा आनंद उठाते हैं और सीधे अल्ट्रावायलेट रेज के कौंटैक्ट में आते हैं. घर से बाहर निकलने से पहले अच्छी कंपनी का सनस्क्रीन इस्तेमाल करें. अगर हो सके तो हाथों और पंजों को भी कवर कर ही बाहर निकलें.

ड्राई फेस पैक न लगाएं

मुलतानी मिट्टी या ऐसे फेस पैक जो स्किन को ड्राई बनाते हैं, का इस्तेमाल न करें. इन के बदले क्लींजिंग मिल्क और ऐसे पैक लगाएं जिन में तेल मिला हो.

एडि़यों को बनाएं मुलायम

सर्दियों में एडि़यों का फटना आम समस्या है. फटी एडि़यों को ठीक करने के लिए रात को सोने से पहले पैरों को कुनकुने पानी में शैंपू, नमक, फिटकरी और ऐंटीसैप्टिक लोशन मिला कर धोएं. फिर उन्हें पोंछ कर पैट्रोलियम जैली लगाएं.

2017 में लें ये फाइनेंशियल रिजोल्युशन

2016 का आखिरी सप्ताह. नए साल की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. हर बार नए साल की शुरुआत पर आप कुछ नया करने की कोशिश करती हैं. साथ ही अपने व्‍यक्तित्‍व में सुधार के लिए कोई न कोई रिजोल्‍यूशन लेती हैं. इस बार व्यक्तित्व में सुधार के साथ साथ अपनी आर्थिक आदतों में भी सुधार का रिजोल्यूशन लें.

1. फाइनेंशियल ऐम बनायें और उन्हें पूरा करें

लक्ष्‍य के बिना न तो हम फाइनेंशियल प्‍लानिंग का पहला कदम रख सकते हैं और न ही कहीं निवेश की तैयारी कर सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप नए साल की शुरुआत लक्ष्‍यों के साथ करें. हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न लक्ष्य होते हैं जैसे कार, मकान खरीदना, बच्चों की पढ़ाई-शादी, रिटायरमेंट आदि. अपने लक्ष्यों की लिस्ट बनायें और उन्हें पूरा करने का समय भी तय करें.

2. बेमतलब खर्च न करें

आपकी बचत आपके खर्चों और लाइफ स्‍टाइल पर निर्भर करती है. इसलिए अपने खर्चों का हिसाब-किताब रखें एवं समय पर रिव्यू करें कि कैसे खर्चों में कमी की जा सकती है.

3. टैक्‍स सेविंग

ज्यादातर व्यक्ति जल्दबाजी में टैक्स बचत के लिए बिना अधिक विचार किए कहीं भी निवेश कर देते हैं, जिसमें टैक्स बचत तो हो जाती है, परंतु भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति सही ढंग से नहीं हो पाती है. इसलिए वर्ष के शुरूआत में ही प्लैनिंग कर लेनी चाहिए.

4. इमर्जेंसी फंड एवं इंश्‍यारेंस कवर का बढ़ाएं दायरा

हम सभी चाहते हैं कि हमारा कल सुखमय हो. लेकिन समय आपको किसी भी परिस्थिति में लाकर खड़ा कर सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता को पहचाने और अपनी जरूरत के अनुसार एक इमर्जेंसी फंड तैयार करें. इसके साथ ही इंश्‍योरेंस कवरेज का भी ध्‍यान रखें.

5. अपनी वसीयत लिखें

सामान्यत: लोग 60 से 70 वर्ष की आयु के बाद ही वसीयत लिखने की योजना बनाते हैं एवं अधिकांश लोगों की मृत्यु बिना वसीयत लिखे ही हो जाती है, जिससे परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, अत: 18 वर्ष की आयु से अधिक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति, जिनके पास संपत्ति/जीवन बीमा पॉलिसी है, को अपनी वसीयत आवश्यक रूप से लिखना चाहिए.

सिंगल हैं तो क्या

यूनिवर्सिटी औफ कोलंबिया में सालों मनोविज्ञान की विजिटिंग प्रोफैसर रह चुकीं बेला डी पाउलो फिलहाल वहां प्रोजैक्ट साइंटिस्ट हैं. वे 60 साल की हैं, मगर सिंगल हैं और इस बात का उन्हें तनिक भी पछतावा या अफसोस नहीं, क्योंकि वे अपनी इच्छा से सिंगल हैं.

बड़े ही उत्साहपूर्ण रवैए के साथ वे स्वीकार करती हैं कि वे सिंगल हैं, हमेशा रही हैं और आगे भी रहेंगी. वे कहती हैं, ‘‘मैं दिल से सिंगल हूं. सिंगल यानी मैं अपनी बेहतरीन और सब से अधिक मकसदपूर्ण जिंदगी जी रही हूं.’’

1994 में देश की पहली मिस यूनिवर्स बनी सुष्मिता सेन भी 2 बेटियों को गोद ले कर सिंगल लाइफ ऐंजौय कर रही हैं. एक इंटरव्यू में जब उन से सिंगल हुड के बारे में सवाल किया गया था, तो उन्होंने साफ स्वीकारा कि उन्हें जिंदगी में कभी शादी की हड़बड़ी नहीं रही है. ऐसा नहीं कि उन्हें प्रिंस चार्मिंग का इंतजार नहीं, मगर सही व्यक्ति न मिले तो पूरी उम्र सिंगल रह कर भी वे खुश रहेंगी. उन के पास किसी चीज की कमी नहीं है.

ऐसी ही एक अन्य इंडियन सैलिब्रिटी शैफ हैं रितु डालमिया जो अपने शो ‘ट्रैवलिंग दीवा’ के जरीए लोगों का दिल और स्वाद जीत चुकी हैं. वे पकवानों पर बहुत सारी किताबें भी लिख चुकी हैं. एक इंटरव्यू के दौरान शादी न करने के प्रश्न पर उन का जवाब था, ‘‘सिंगल वूमन के रूप में मुझे सब आसान लगता है. अपना परिवार होने और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम न बिता पाने का मुझे अफसोस नहीं होता, क्योंकि हर तरह के कौंटैक्ट्स मुझे मेरे रैस्टोरैंट से मिल जाते हैं.’’

ऐसे बहुत उदाहरण हैं ऊंचा मुकाम छू चुकीं 40+ सिंगल महिलाओं के, जिन्होंने अपनी इच्छा से सिंगल रहना स्वीकार किया और जो पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने सिंगल स्टेटस का आनंद ले रही हैं.

आज के समय में महिलाएं शादी करने की सामाजिक बाध्यता से आजाद हो रही हैं. वे अपनी जिंदगी की कहानी अपने हिसाब से लिखना चाहती हैं और ऐसा करने वाली महिलाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है.

9 जुलाई, 2015 को सोशल साइकोलौजिस्ट डी पाउलो ने औनलाइन ऐसे लोगों से आगे आने व अपने अनुभव शेयर करने को आमंत्रित किया, जो अपनी इच्छा से सिंगल थे और अपने इस स्टेटस से खुश थे. ‘कम्यूनिटी औफ सिंगल पीपुल’ नाम के इस गु्रप में 5 महीनों के अंदर अलगअलग देशों से 600 से ज्यादा लोग शामिल हुए. मई, 2016 तक यानी 1 साल बाद यह संख्या बढ़ कर 1,170 तक पहुंच गई. इस औनलाइन ग्रुप में सिंगल लाइफ से जुड़े सभी तरह के मसलों व अच्छे अनुभवों पर चर्चा की जाती है न कि किसी संभावित हमसफर को आकर्षित करने के तरीके बताए जाते हैं.

बदलती सोच

पिछले दशक से अमेरिका के जनगणना करने वाले यू.एस. सैंसस ब्यूरो द्वारा सितंबर के तीसरे सप्ताह को ‘अनमैरिड और सिंगल अमेरिकन वीक’ के रूप में मनाया जा रहा है. पिछले 10 सालों से तलाकशुदा, अविवाहित या विधवा/विधुरों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. सिर्फ अमेरिका या अन्य विकसित देशों में ही नहीं, विकासशील देशों में भी स्थिति कमोबेश यही है.

दरअसल, अब विवाह को प्रसन्नता की गोली नहीं माना जाता. जरूरी नहीं कि हर शख्स विवाह कर परिवार के दायरे में स्वयं को सीमित करे. पुरुष हो या स्त्री, सभी को अपनी मंजिल तय करने का हक है. इस दिशा में कुछ हद तक सामाजिक सोच भी बदल रही है.

लोग मानने लगे हैं कि सिंगल एक स्टेटस नहीं वरन एक शब्द है, जो यह बताता है कि यह शख्स मन से इतना मजबूत और दृढ़संकल्प वाला है कि किसी और पर निर्भर हुए बगैर भी अपनी जिंदगी जी सकता है.

सामाजिक दबाव

वैसे ऐसा नहीं कि हर जगह सिंगल्स की भावनाओं को समझा जाता है. यूनिवर्सिटी औफ मिसूरी के शोधकर्ताओं के नए अध्ययन के मुताबिक भले ही मिड 30 की सिंगल महिलाओं की संख्या बढ़ी है, मगर सामाजिक अकेलेपन से जुड़ा खौफ कम नहीं हुआ है.

अविवाहित महिलाओं पर सामाजिक परंपरा को निभाने का सामाजिक दबाव कायम है.

टैक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा मध्यवर्ग की 32 अविवाहित महिलाओं का इंटरव्यू लिया गया. इन महिलाओं ने स्वीकारा कि विवाह या दूसरे इस तरह के मौकों पर उन के सिंगल स्टेटस को ले कर बेवजह भेदते हुए से सवाल पूछे जाते हैं, तो वहीं बहुत से लोग यह कल्पना भी करने लगते हैं, ‘जरूर वह झूठ बोल रही है. उस की शादी हो चुकी होगी’, ‘पति से नहीं बनती होगी’ या ‘वह तलाकशुदा होगी.’ कई लोग तो मुंह पर यह भी कह देते हैं कि शादी नहीं हुई तो जीवन बेकार है.

बिना पूछे ही सलाह देने वाले बहुत सी बातें याद दिलाते हैं. मसलन, ‘उम्र बढ़ने के साथ अच्छे लड़के मिलने बंद हो जाएंगे और फिर प्रैगनैंसी में भी दिक्कत होगी,’ ‘असुरक्षा और अकेलेपन के साथ जीना मुश्किल हो जाएगा,’ ‘आज तो मांबाप हैं, कल वे नहीं रहेंगे फिर कैसे जीओगी?’, ‘भाईबहन या रिश्तेदार किसी के नहीं होते जीवनसाथी ही साथ निभाता है.’

इस तरह के जुमलों के साथसाथ उन की स्थिति पर व्यंग्य भी किए जाते हैं, ‘तेरा सही है यार, कोई जिम्मेदारी, कोई टैंशन नहीं’, ‘तुझे नहीं पता आगे जा कर बहुत पछताएगी तू.’

स्वयं इस बारे में सोशल साइकोलौजिस्ट डी पाउलो ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘‘मैं ने अपनी पूरी जिंदगी सिंगल रह कर गुजारी है और इसे मैं पसंद करती हूं. मगर हां यह बात मैं ने महसूस की है कि सोशल इवेंट्स में सिंगल पर्सन के रूप में मुझे कम तवज्जो दी गई और मैं ही नहीं, मेरी दूसरी सहेलियों के साथ भी ऐसा ही बरताव हुआ है. तभी मैं ने तय किया कि मैं सिंगल हुड के बारे में विस्तार से शोध करूंगी जिन पर लोगों का ध्यान नहीं जाता.’’

हाल के एक शोध के मुताबिक अविवाहित महिलाओं को दुख इस बात का नहीं होता कि वे सिंगल हैं, बल्कि तकलीफ यह रहती है कि समाज उन के सिंगल स्टेटस को स्वीकार नहीं करता और उन पर लगातार किसी से भी शादी कर लेने का दबाव बनाया जाता है.

ब्रिटिश सोशियोलौजिकल ऐसोसिएशन कौन्फ्रैंस में किए गए एक अध्ययन में पूरे विश्व से 22,000 विवाहित और अविवाहित लोगों के प्रसन्नता के स्तर को मापा गया और पाया गया कि वे देश जहां विवाह से जुड़ी पारंपरिक सोच अधिक मजबूत थी, वहां अविवाहितों में अधिक अप्रसन्नता पाई गई, क्योंकि वहां शादी न करने वाली महिलाओं को दया की पात्र या नीची निगाहों से देखा जाता है.

शोध में पाया गया है कि 35 साल से ऊपर की सिंगल महिलाएं फिर भी अपनी स्थिति से संतुष्ट रहती हैं, जबकि युवा खासकर 25 से 35 साल की, जमाने से सब से ज्यादा खौफजदा रहती हैं, क्योंकि उन से सब से ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं. 25 से पहले इस संदर्भ में चर्चा नहीं होती.

समय के साथ अब बहुत सी महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त कर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर अच्छा कमा रही हैं, अपनी जिंदगी अपने बल पर बेहतर ढंग से जीने के काबिल बन रही हैं, तो फिर यदि वे सिंगल रहने का फैसला लेती हैं तो लोगों को उन के इस फैसले का सम्मान करना चाहिए न कि उस पर एतराज. क्या जरूरी है कि प्रत्येक स्त्री के जीवन का मकसद एक परिवार बनाना और बच्चे पैदा करना ही हो? इस से हट कर कुछ अपनी रुचि और पैशन के नाम जिंदगी करने या फिर अपने वजूद को एक मुकाम तक पहुंचाने का हक उन्हें नहीं मिलना चाहिए?

कुछ तो लोग कहेंगे

सिंगल महिलाओं के लिए जरूरी है कि मुफ्त की सलाह देने वालों की बातों से दिलोदिमाग पर दबाव न बनने दें. आप जरा अपनी निगाहें घुमा कर देखिए, जो शादीशुदा हैं, क्या उन्हें हर खुशी मिल रही है? क्या उन की जिंदगी में नई परेशानियों ने धावा नहीं बोला? कोई भी काम करने से पहले घर वालों को सूचित करना, पैसों के लिए दूसरों का मुंह देखना,

1-1 पैसे का हिसाब देना, अपने वजूद को भूल कर हर तरह के कंप्रोमाइज के लिए तैयार रहना, घर संभालना, यह सब आसान नहीं होता. बहुत तालमेल बैठाना होता है, इन से जुड़े तनाव से सिंगल वूमन आजाद रहती है.

जो महिलाएं आप पर शादी करने का दबाव डाल रही हैं, वे दरअसल आप की स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और झंझटों से मुक्त जिंदगी से जलती हैं.

आप अपने दिल की सुनिए और यदि आप किसी ऐसे शख्स का इंतजार कर रही हैं, जो आप की सोच और नजरिए वाला हो तो इस में कुछ भी गलत नहीं. बस शादी करनी जरूरी है, इसलिए किसी से भी कर लो, भले ही वह आप के योग्य नहीं, इस बात का कोई औचित्य नहीं.

कुछ कर के दिखाना है

बहुत सी लड़कियों/महिलाओं में कुछ करने का जज्बा होता है, मगर शादी के बाद आमतौर पर वे ऐसा कर पाने में स्वयं को असमर्थ पाती हैं. एक तरफ तो घरपरिवार की जिम्मेदारियां, दूसरी तरफ बच्चे. ऐसे में वे चाह कर भी अपने सपनों को नहीं जी पातीं. जिन लड़कियों की पहली प्राथमिकता अपना पैशन होता है, शादी नहीं वे सहजता से शादी न करने का फैसला ले पाती हैं या फिर शादी करती भी हैं तो अपने ही जैसा पैशन या हौबी रखने वाले से.

पछतावा कभी नहीं

जब तक आप स्वयं अपने फैसले से संतुष्ट और खुश नहीं, दूसरों को बोलने का मौका मिलता है. सोचसमझ कर फैसला लीजिए. अपनी परिस्थितियों को तोल कर देखिए फिर पछताइए नहीं.

गलत से बेहतर है, न हो जीवनसाथी

पेशे से पत्रकार 32 वर्षीय अनिंदिता कहती हैं, ‘‘गलत व्यक्ति के साथ आप जुड़ जाती हैं तो आप को धोखा मिलता है या फिर आप का जीवनसाथी गालीगलौज और मारपीट करता है तो क्या इस कदर अपने सम्मान को दांव पर लगा कर भी विवाह बंधन में बंधना जरूरी है.’’

सिंगल हुड इज वंडरफुल

कुछ महिलाएं परंपराओं और रीतिरिवाजों से अलग रह कर जीने का हौसला रखती हैं और सिंगल रहना पसंद करती हैं. ऐसा नहीं कि उन्हें कोई मिला नहीं या फिर उन के साथ कुछ इश्यू थे वरन इसलिए, क्योंकि वे ऐसा चाहती थीं.

सिर्फ इसलिए शादी कर लेना कि सब करते हैं, इस बात का कोई औचित्य नहीं. बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन की जिंदगी का कोई खास मकसद होता है. अकेले रह कर वे अपनी क्रिएटिविटी को नए आयाम तक पहुंचाते हैं या फिर कुछ डिफरैंट काम कर सामाजिक क्रांति में योगदान दे सकते हैं. सिंगल व्यक्ति के पास मौका है कि वह अपनी ऊर्जा और समय का सर्वोत्तम उपयोग करे. सिंगल रहने का चुनाव उस का अपना होना चाहिए. आयु के 30 वर्षीय व्यक्ति को अपनी जिंदगी के मकसद तय करने में गुजारने होते हैं. 30 पार करतेकरते ही आप के अंदर पूरा आत्मविश्वास आता है.

बहुत से अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि विवाहितों की तुलना में सिंगल रहने का फैसला करने वालों में संपूर्ण स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर पाया गया.

10 हजार से ज्यादा महिलाओं पर की गई एक आस्ट्रेलियन स्टडी के मुताबिक अपने जीवन के 70वें दशक में हमेशा सिंगल महिलाओं, जिन की कोई संतान नहीं थी, उन में बीमारियां बहुत कम पाई गईं. उन का बौडी मास इंडैक्स सब से बेहतर पाया गया. यही नहीं, उन में विवाहित महिलाओं की तुलना में स्मोकिंग और ड्रिंकिंग की आदत या डिप्रैशन की संभावना भी काफी कम पाई गई.

सिंगल होते हैं ज्यादा जिम्मेदार

एक बात जो अकसर मानी जाती है कि सिंगल व्यक्ति सैल्फ सैंटर्ड होते हैं, पर ऐसा नहीं है. सिंगल अपनी जिंदगी की स्क्रिप्ट स्वयं लिखते हैं. उन का दिलोदिमाग ज्यादा ओपन होता है. जब व्यक्ति शादी करता है तो उस का फोकस अपने परिवार और बच्चों तक सिमट कर रह जाता है. मगर सिंगल व्यक्ति दिल से मांबाप, दोस्तों, रिश्तेदारों व सभी करीबी व्यक्तियों के करीब होता है. सही अर्थों में वह स्वार्थ रहित और सब के लिए स्नेहपूर्ण व्यवहार कर पाता है.

ये हैं मिसाल

रीमा कागती, डायरैक्टर, हनीमून ट्रैवल्स प्रा. लि.

अपनी अलग नजर रखने वाली असिस्टैंट डायरैक्टर रीमा कागती ने ‘तलाश’ जैसी फिल्मों के जरीए अपनी पहचान बनाई पर अब तक शादी नहीं की.       

ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

ममता बनर्जी की ताकत से कौन वाकिफ नहीं है. 15 साल की उम्र से राजनीति में प्रवेश करने वाली ममता आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं.

तब्बू, अभिनेत्री

ऐक्टिंग के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाली तब्बू आज तक सिंगल हैं. वे कई भाषाओं, हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी, बंगाली और अंगरेजी फिल्मों में काम कर रही हैं. पद्मश्री सहित कई अवार्ड जीत चुकी हैं.

जे जयललिता

6 दफा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता की हाल ही में मृत्यु हो गई. 68 वर्षीया जयललिता को लोग प्यार से ‘अम्मा’ बोलते थे, वजह थी कि उन्होंने राज्य की खुशहाली के लिए करीब 18 लोक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की थीं. फिल्मों के बाद राजनीति के क्षेत्र में अपूर्व ऐक्टिंग में सफलता पाने वाली जयललिता ने भी शादी नहीं की थी.

साक्षी तंवर, टीवी ऐक्ट्रैस

टीवी ऐक्ट्रैस ‘कहानी घरघर की’ धारावाही से पार्वती के रूप में पहचान बनाने वाली साक्षी ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ में बहुत पसंद की गईं. एक इंटरव्यू में शादी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने जबाव दिया था, ‘‘जब होनी होगी, मैं शादी कर लूंगी.’’

वैभवी मर्चेंट, कोरियोग्राफर

कौन भूल सकता है, ‘हम दिल दे चुके सनम’ फिल्म के लोकप्रिय गीत ‘ढोल बाजे…’ की कोरियोग्राफर वैभवी को. वैभवी द्वारा कोरियोग्राफ किए गए इस गाने ने बहुत वाहवाही बटोरी थी. वैभवी डांस शो की जज भी रह चुकी हैं. शादी के प्रश्न पर उन का जबाव था, ‘‘यदि मुझे मेरे मनलायक व्यक्ति नहीं मिला तो हो सकता है मैं शादी न भी करूं.’’

एकता कपूर, फिल्म निर्मात्री

अपनी प्रोडक्शन कंपनी ‘बालाजी टैलीफिल्म्स’ के साथ भारतीय टैलीविजन इंडस्ट्री में एक नई जान फूंकने वाली एकता कपूर एक जानामाना नाम हैं. क्रिएटिविटी में डूब कर जीने वाली एकता भी अपनी इच्छा से अब तक सिंगल हैं.

देबजानी घोष, एम.डी., इंटेल कौरपोरेशन

देबजानी 19 सालों से इस कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के सफर में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही हैं.

किरण देसाई, मशहूर लेखिका

बूकर अवार्ड जीत चुकीं किरण देसाई ने साहित्य के क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया और अपने बल पर कामयाबी हासिल की.

लता मंगेशकर, गायिका

अपनी मीठी आवाज से देश का नाम रोशन करने वाली लता को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने भी अपनी मरजी से शादी न करने का फैसला लिया था.

साइना नेहवाल, बैडमिंटन प्लेयर

अपने कैरियर के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहीं और भारत का नाम रोशन कर रहीं साइना ने भी अब तक शादी नहीं की है.

रितु डालमिया, शैफ

इंडियन सैलिब्रिटी शैफ रितु अपने ट्रैवलिंग शो ‘ट्रैवलिंग दीवा’ के जरीए लोगों का दिल जीत चुकी हैं. वे कुकिंग पर कई किताबें लिख चुकी हैं. शादी न करने के प्रश्न पर उन का जवाब था, ‘‘सिंगल वूमन के रूप में मुझे सब आसान लगता है. अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम न बिता पाने का मुझे कोई अफसोस नहीं होता. हर तरह के कौंटैक्ट्स मुझे अपने रैस्टोरैंट से मिल जाते हैं.’’

थोड़े समय की खुशी है शादी

1,000 कपल्स पर 15 वर्षों तक किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शादी जिंदगी में एक छोटे समय के लिए थोड़ी सी खुशी ले कर आती है, जोकि मैरिज ऐनिवर्सरी के आसपास होती है. इस के बाद लोग उसी तरह से जीने लगते हैं, जैसी शादी से पूर्व उन की जिंदगी थी.

शोधों के मुताबिक हम सभी के पास खुशी की एक बेसलाइन होती है और शादी साधारणतया इसे बदलती नहीं, उस अल्पकालीन खुशी के सिवा.

विशेषज्ञों के विचार

मनोचिकित्सक समीर पारीख के अनुसार, विशेषरूप से भारतीय संदर्भ में शादी या जीवन के अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सामाजिक अपेक्षाएं बनी रहती हैं और फिर इन अपेक्षाओं को पूरा न करने पर चुनौतीपूर्ण एहसास का सामना करना पड़ता है. हालांकि यह ध्यान देना आवश्यक है कि हम में से प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को स्वयं स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार होता है. हालांकि, इस तरह के दबाव से निबटना दुखदाई हो सकता है. यदि इस से आप असहज महसूस करते हैं, तो इस बारे में अपनी राय जोर दे कर रखनी होगी. याद रखें, किसी भी प्रकार का दबाव मन पर न डालें, क्योंकि शादी अपने व्यक्तिगत जीवन का विकल्प है और आप को इस के लिए निर्णय लेने से पहले मानसिक रूप से तैयार होना जरूरी है.

मनोचिकित्सक डा. संदीप गोविल कहते हैं, ‘‘अकेला होना हमेशा नकारात्मक हो, यह जरूरी नहीं है. कई महिलाएं हैं, जिन्होंने शादी नहीं की है, लेकिन उन्होंने अपने अकेलेपन को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया, बल्कि जीवन की हर चुनौती का डट कर सामना करने से वे मानसिक रूप से अधिक मजबूत व दृढ़निश्चयी बन गईं. अगर आप भी अकेली हैं तो खुद को बेबस न समझें. अपने अकेलेपन को अपनी ताकत बना लें. अपने जीवन का कोई उद्देश्य आप के जीवन को एक दिशा देगा और उसे नई संभावनाओं से भर देगा.’’   

– समीर पारीख, मनोचिकित्सक

स्मार्टफोन की लत है गलत

स्मार्टफोन हम सब की जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है. सुबह उठने से ले कर रात सोने तक हम इस पर निर्भर रहते हैं, फिर चाहे बात मौर्निंग अलार्म की हो, औन लाइन पेमैंट की, शौपिंग की, बोरियत के समय संगीत सुनने या फिल्म देखने की, कोई जरूरी मेल करना हो या फिर अपने दोस्तों व रिश्तों से जुड़ने की. हम सभी का पूरा संसार इसी छोटे से उपकरण में समाया हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से उपकरण से हमारा यह जुड़ाव हमारे व्यवहार में कई समस्याएं भी पैदा कर रहा है? अगर आप स्मार्टफोन से जरूरी जानकारी नहीं निकाल पा रहे, तो आप परेशान हो जाते हैं. अगर आप तक मैसेज या कौल नहीं पहुंच रही, तो आप परेशान होने लगते हैं. अगर आप के पास प्रीपेड कनैक्शन है, तो स्मार्टफोन में बैलेंस कम होते ही आप को घबराहट होने लगती है. कई लोगों में इंटरनैंट की स्पीड भी तनाव को बढ़ाती है.

फेसबुक या अन्य सोशल नैटवर्किंग साइट पर खुद का स्टेटस अपलोड न कर पाने या दूसरों केस्टेटस न पढ़ पाने पर भी बेचैनी होती है. इस के अतिरिक्त कुछ लोगों को हमेशा अपने स्मार्टफोन के खोने का डर बना रहता है यानी अगर एक मिनट भी फोन उन की नजरों से दूर हो जाए, तो वे बेचैन होने लगते हैं. अपने स्मार्टफोन के खो जाने के डर से उन की दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं.

नोमोफोबिया नामक बीमारी

लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए हालिया शोध के अनुसार स्मार्टफोन लोगों में नोमोफोबिया नामक नई बीमारी पैदा कर रहा है. इस रोग में व्यक्ति को हर वक्त अपने मोबाइल फोन के गुम हो जाने का भय रहता है और कईर् बार तो यह फोबिया लोगों पर इस कदर हावी हो जाता है कि वे टौयलेट भी जाते हैं तो भी अपना मोबाइल फोन साथ ले जाते हैं और दिन में औसतन 30 से अधिक बार अपना फोन चैक करते हैं. असल में उन्हें डर होता है कि फोन घर पर या कहीं भूल जाने पर उन का कोई जरूरी मैसेज या कौल छूट जाएगी और उन का यह डर उन के व्यवहार और व्यक्तित्व में बदलाव का कारण भी बनता है. इस डर से ग्रस्त लोगों को लगता है कि बिना फोन के वे दुनिया से पूरी तरह कट जाएंगे.

फोन के बिना जिंदगी अधूरी

लंदन में हुए अन्य अध्ययन में कहा गया है कि नोमोफोबिया आज के दौर की एक गंभीर समस्या है और इस की गंभीरता को जानने के लिए लंदन में करीब 1 हजार लोगों पर एक अध्ययन हुआ, जिस में 66% लोगों ने कहा कि उन्हें अपने मोबाइल फोन के खोने का डर सताता रहता है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि 18 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं में मोबाइल के प्रति सब से ज्यादा लगाव होता है. इस उम्र के करीब 77% लोग अपने मोबाइल के बिना 1 मिनट भी नहीं रह सकते. ऐसे लोगों को लगता है कि मोबाइल फोन के बिना उन की जिंदगी अधूरी है. वे इस के बिना नहीं रह पाएंगे. अध्ययन में यह भी पाया गया कि नोमोफोबिया का शिकार व्यक्ति औसतन 1 दिन में करीब 37 बार अपना मोबाइल फोन चैक करता है.

क्या है इलाज

माना कि स्मार्टफोन की तकनीक आप को स्मार्ट और अपडेट रखती है, मगर साथ ही यह ध्यान रखने की भी जरूरत है कि यह तकनीक आप के लिए सुविधा बनने की बजाय परेशानी का कारण न बने. मोबाइल फोन की इस लत से निकलने के लिए जरूरी है कि आप अपने जीवन के कुछ लक्ष्य बनाएं. खुद को अपनी मनपसंद हौबी में व्यस्त रखने की कोशिश करें. औफिस में काम करते समय फोन को ऐरोप्लेन मोड पर रखें. ऐसा करने से आप फालतू की कौल्स और मैसेजेस से बच जाएंगे. अपने सभी सोशल मीडिया एप्स की नोटिफिकेशन बंद रखें. साथ

ही फोन में फालतू के एप्स न रखें. इस से आप फोन पर निर्भर नहीं रहेंगे. वर्चुअल वर्ल्ड में रिश्तों को निभाने की बजाय वास्तविक जीवन में दोेस्तों के साथ समय बिताएं. जितना हो सके फोन को खुद दूर रखने की कोशिश करें. धीरेधीरे अनुशासन से ही आप इस लत से निकल पाएंगे.

पाकिस्तान में जल्द ही रिलीज हो सकती है दंगल

आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘दंगल’ के स्थानीय कारोबारी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से देश में इसके रिलीज की औपचारिक मंजूरी मिलने की आशा कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि फिल्म की जल्द ही स्क्रीनिंग होगी.

पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, सूचना, प्रसारण एवं राष्ट्रीय धरोहर मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय के साथ शरीफ को एक आधिकारिक समीक्षा भेज कर पाकिस्तान में फिल्म की रिलीज के लिए उनकी इजाजत मांगी है. स्थानीय वितरकों ने भारतीय मीडिया में आई इन खबरों को झूठी बताया है कि पाकिस्तान में यह फिल्म रिलीज नहीं होगी.

उन्होंने बताया कि स्क्रीनिंग में एक हफ्ते की देर हो सकती है. जियो फिल्म्स के मोहम्मद नासिर ने बताया कि ये झूठी खबरें हैं. हां, पाकिस्तान में फिल्म के रिलीज में बाधाओं का सामना किया जा रहा है, लेकिन हमने अब तक आस नहीं खोई है. फिल्म में एक हफ्ता देर हो सकती है लेकिन अब तक कोई आखिरी फैसला नहीं किया गया है.

मंत्रालय में मौजूदा एक सूत्र ने बताया कि अब सिर्फ प्रधानमंत्री ही चीजों को आगे बढ़ा सकते हैं. पाकिस्तान फिल्म एग्जिबिटर्स असोसिएशन के अध्यक्ष जोरैब लशारी ने बताया कि वे भी प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह साफ कर देना चाहते हैं कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि सरकार ने कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है.

सिंघम चलें रितिक की राह

सिंघम बनकर गुंडों के छक्के छुड़ाने वाले एक्टर अजय देवगन अब बिल्कुल अलग और चैलेंजिंग रोल में नजर आने वाले हैं. इस बार वह एक ब्लाइंड कैरेक्टर निभाने वाले हैं. अपनी असरदार एक्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले अजय हर तरह के रोल में फिट बैठते हैं. अभी तक वह कॉमेडी, एक्शन, ड्रामा हर तरह की फिल्में कर चुके हैं.

सूत्रों की मानें तो अजय देवगन का यह नया और चैलेंजिंग कोल प्रियदर्शन की फिल्म में देखने को मिलने वाला है. प्रियदर्शन अजय को लेकर एक ब्लॉकबस्टर मलयालम फिल्म ओप्पम का रीमेक बनाने जा रहे हैं. इस फिल्म की कहानी एक नेत्रहीन शख्स के इर्द-गिर्द घूमती है. इस रोल के लिए प्रियदर्शन ने अजय देवगन से बातचीत कर ली है.

यह पहली बार नहीं है जब अजय देवगन किसी साउथ की फिल्म के रीमेक में काम कर रहे हैं. इससे पहले वो साउथ के स्टार मोहन लाल की फिल्म दृश्यम के रीमेक में भी काम कर चुके हैं. अजय देवगन के करीबी सूत्रों की मानें तो उन्होंने प्रियदर्शन की इस फिल्म के लिए हां कह दिया है.

फिलहाल अजय देवन अपनी फिल्म बादशाहो में बिजी हैं. इस फिल्म में इमरान हाशमी लीड रोल में हैं. इससे पहले अजय देवगन शिवाय फिल्म में नजर आए थे. इस फिल्म के डायरेक्शन की जिम्मेदारी खुद अजय देवगन ने ही ली थी.

जॉली एलएलबी 2: जूते की बेइज्जती का इल्जाम

अभी तो जॉली एलएलबी 2 रिलीज भी नहीं हुई है और फिल्म कानूनी पचड़े में फस गई है. फिल्म का ट्रेलर कानूनी विवाद में फंस गया है. दरअसल एक जूता बनाने वाली कंपनी ने जॉली एलएलबी 2 में उसके ब्रांड की बेइज्जती करने का आरोप लगाते हुए नोटिस भेजा है.

जॉली एलएलबी 2 के ट्रेलर का वो सीन तो आपको याद ही होगा, जिसमें हाईप्रोफाइल वकील बने अन्नू कपूर अक्षय कुमार से कहते हैं, ”… का जूता पहनकर, टुच्ची सी टेरीकॉट की शर्ट पहनकर, हमसे ज़ुबान लड़ा रहे हैं.”

इसी संवाद पर मशहूर और बेहद पुराना शू ब्रांड ने प्रोड्यूसर्स को लीगल नोटिस भेजा है. इस नोटिस में कहा गया है कि ब्रांड की इमेज खराब करने के लिए जान-बूझकर इस डायलॉग को फिल्म में डाला गया है. कंपनी को शक है कि इसके पीछे प्रतिद्वंदी ब्रांड्स की साजिश हो सकती है, क्योंकि इस राइवल ब्रांड को खुद जॉली यानि अक्षय कुमार एंडोर्स करते हैं.

कंपनी ने इस ट्रेलर को सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और थिएटर्स से हटाने की मांग की है. साथ ही कंपनी ने उसके ब्रांड का नाम और ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने और इमेज को बिगाड़ने के लिए लिखित माफी की मांग की है.

इतना ही नहीं इस कंपनी ने ट्रेलर में एक नोटिस लगाने की भी मांग की है, जिसमें लिखा हो कि ब्रांड का नाम भूलवश लिया गया है. नोटिस प्रोड्यूसर्स के अलावा अक्षय कुमार, डायरेक्टर सुभाष कपूर और अन्नू कपूर को भी भेजा गया है.

पैसों के लिए अवॉर्ड शो में जाते हैं करण

फिल्म मेकर करण जोहर ने एक विवादित बयान देते हुए कहा है कि वह या तो अवॉर्ड शो में अवॉर्ड लेने जाते हैं या पैसे के लिए जाते हैं. मालूम हो कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में कुछ एक्टर्स हैं जो कि अवॉर्ड शो के खिलाफ खड़े हुए हैं.

करण से जब इस बारे में सवाल किया गया तो 62वें जियो फिल्मफेयर अवॉर्ड 2017 की कॉन्फ्रेंस में करण ने कहा, “हमारी इंडस्ट्री में बस कुछ गिने चुने लोग ही हैं जिन्होंने इसके खिलाफ स्टैंड लिया है. कंगना रनौत और आमिर खान जैसे लोग अवॉर्ड शो में नहीं जाते हैं. मैंने इस बारे में कोई स्टैंड नहीं लिया है, ना मैं लेना चाहता हूं. मैं अवॉर्ड शो में या तो अवॉर्ड लेने जाता हूं या पैसे लेने. मैं बस इतिहास का हिस्सा बनने के लिए अवॉर्ड शो में जाता हूं.”

करण का कहना है कि लोगों का इसके प्रति उत्साह खत्म होता जा रहा है क्योंकि अब बहुत सारे अवॉर्ड शो होने लगे हैं. उन्होंने कहा, “इसलिए उनकी वैध्यता या भरोसे पर संदेह होता जा रहा है कि यह कोई वास्तविक डील है या नहीं. हालांकि लोग इन्हें देखते हैं. चैनल्स की तादात काफी है इसलिए ज्यादातर लोग इन्हें टीवी पर देखते हैं, इसकी टीआपी काफी आती है, लोग अपने स्टार्स को देखना चाहते हैं और ऐसे शो में भरोसा रखते हैं. इसलिए इस बात पर अभी भी संदेह है कि क्या हमें ऐसे अवॉर्ड शो का समर्थन करना चाहिए या इनसे दूर रहना चाहिए.”

गौरतलब है कि बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और फिल्ममेकर करण जौहर 62वें जियो फिल्मफेयर अवॉर्ड्स 2017 को होस्ट करेंगे. अपने मजेदार जोक्स और ह्यूमर से पब्लिक को एक लाइन में ही हंसा देने वाले यह दोनों सेलेब्स हंसी-मजाक के माहौल के बीच हिंदी सिनेमा में अपना अभूतपूर्व योगदान करने वाले एक्टर्स को सम्मानित करेंगे.

होम लोन शिफ्ट करने से पहले

जब भी रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है, इसके बाद तकरीबन सभी बैंकों व कर्जदाताओं को बेस रेट घटाना पड़ता है. ऐसे में बहुत से लोग होम लोन ऐसे बैंक को शिफ्ट करना चाहते हैं जिसका बेस रेट सबसे कम हो. ऐसा करते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. वजह यह है कि होम लोन में केवल ब्याज दर की ही अहमियत नहीं होती. लिहाजा, उसे शिफ्ट करने से पहले कुछ अन्य बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

बैंक से अच्छे से बात करें

होम लोन शिफ्ट करने में उन सारी प्रक्रियाओं को फिर से पूरा करना पड़ता है जो पहला होम लोन लेते वक्त करनी पड़ी थी. फिर नया होम लोन प्रदाता आपकी साख की नए सिरे से समीक्षा करेगा. लिहाजा पहले अपनी मौजूदा क्रेडिट हिस्ट्री और स्कोर के अलावा मकान खरीद संबंधी कागजात और कानूनी व तकनीकी पहलुओं की जांच कर लें.

ईएमआई पर भी विचार करें

ब्याज दरों की तुलना करना आवश्यक है. इसी के साथ यह भी देखें कि कितने समय तक ईएमआइ की अदायगी और करनी है. यदि अभी हाल ही में होम लोन लिया है और ईएमआइ की अदायगी के कुछ वर्ष ही हुए हैं तो कम ब्याज दर के लिए होम लोन शिफ्ट करना फायदेमंद हो सकता है.

लोन शिफ्ट करने का खर्च

होम लोन स्विच करने पर खर्च आता है. इसमें प्रोसेसिंग फीस, प्रॉपर्टी का मूल्यांकन कराने, कागजात तैयार करवाने, स्टांप ड्यूटी तथा बीमा कराने आदि के खर्च शामिल हैं. इन सबका आकलन करें. यदि कम ब्याज दर से मिलने वाला लाभ इस खर्च से काफी अधिक है तभी होम लोन शिफ्ट करने के लिए आगे बढ़ें.

क्रेडिट स्कोर व रिपोर्ट पर भी हो नजर

होम लोन शिफ्ट करने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट अवश्य देख लें. जिस नए बैंक को आप अपना होम लोन शिफ्ट करने जा रहे हैं वह क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया)लिमिटेड (सिबिल) से आपका क्रेडिट स्कोर व रिपोर्ट मंगाकर जरूर देखेगा. यदि क्रेडिट हिस्ट्री कमजोर व क्रेडिट स्कोर कम हुआ तो नया बैंक होम लोन ट्रांसफर का आवेदन अस्वीकार कर सकता है.

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