अब बिग बॉस में नहीं रहेगें कोई इंडियावाले

बिग बॉस 10 का घर मालिकों और सेवकों के बीच जंग का मैदान बना हुआ है. एक-दूसरे पर हावी होने के लिए दोनों के बीच खूब खींचतान होती है. कभी सेलिब्रटी का पलड़ा भारी होता है तो कभी इंडियावाले भारी पड़ते हैं, लेकिन बहुत जल्द ये जंग खत्म होने वाली है क्योंकि बिग बॉस में आने वाले है चौंकाने वाला ट्विस्ट.

सूत्रों के मुताबिक अब बिग बॉस यह टास्क खत्म करने जा रहे हैं. मालिक और सेवक एक हो जायेंगे. अब बिग बॉस दोनों के बीच कोई बाउंडरी नहीं रखेंगे. खबर है कि दर्शक 9 नवम्बर के एपिसोड में देखेंगे कि अब सेलिब्रटी और इंडियावालों के बीच कोई भी टास्क नहीं रखा जायेगा. सभी को अब समान रूप से एक-दूसरे के सामने रहना होगा.

इस खबर से कुछ प्रतिभागी तो काफी खुश हो जायेंगे, लेकिन कुछ लोगों को अब भी इस बात की तकलीफ होगी कि यह टास्क क्यों हटाया जा रहा है. इनमें मनु और मनवीर का नाम सबसे आगे है, जो इस निर्णय से खुश नहीं हैं.

दरअसल, सेलिब्रटी वर्सेज इंडियावाले टास्क खत्म होने का असर मनु की स्ट्रेटजी पर पड़ने वाला है. अगर मनु की हरकतों पर गौर करें, तो उनका सारा फोकस दूसरे घर वालों को सेलिब्रटी के खिलाफ भड़काने पर रहता है, जिससे वो इंडियावालों को अपने फेवर में एकजुट करके रख सकें.

लोपामुद्रा इस बात से सबसे ज्यादा उत्साहित नजर आयेंगी. यह देखना वाकई दिलचस्प है कि बिग बॉस के इस नए रूल से घर का माहौल किस तरह प्रभावित होता है.

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अवॉर्ड नहीं मिला तो दुख होगा: आलिया

आलिया भट्ट ने सोनम कपूर अभिनित फिल्म ‘नीरजा’ की प्रशंसा की है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि ‘उड़ता पंजाब’ के लिए अगर उन्हें अवॉर्ड नहीं मिला तो दुख होगा. इस फिल्म में आलिया द्वारा किए गए अभिनय को व्यापक सराहना मिली थी.

‘कॉफी विद करण’ के हाल के एपिसोड में होस्ट करण जोहर ने आलिया से पूछा था कि क्या वह मानती हैं कि ‘उड़ता पंजाब’ में उन्होंने सोनम कपूर की ‘नीरजा’ से बेहतर अभिनय किया था. इस पर आलिया का कहना था, ‘ईमानदारी से कहूं तो सोनम ने ‘नीरजा’ में काफी अच्छा अभिनय किया था.’

आलिया से आगे करण ने पूछा कि क्या उन्हें अवॉर्ड नहीं जीतने पर निराशा होगी? इस पर अभिनेत्री का कहना था, ‘मुझे दुख होगा.’ अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में आलिया ने प्रवासी मजदूरनी का किरदार अदा किया था. यह फिल्म पंजाब में युवाओं के बीच फैले नशे की लत पर आधारित थी.

वहीं, सोनम कपूर ने ‘नीरजा’ में नीरजा भनोट का किरदार अदा किया था, जो पैन एम फ्लाइट की अटेंडेंट थी, जिसका अपहरण आतंकवादियों ने 1986 सितंबर में कर लिया था. नीरजा भनोट की जान सैकड़ों यात्रियों की जान बचाते हुए चली गई थी.

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महिलाओं के लिए जरूरी है जीवन बीमा

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भावनात्मक एवं शारीरिक सुरक्षा के साथ ही आर्थिक सुरक्षा भी बेहद जरूरी है. खासतौर पर महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है. इस की बड़ी वजह है, आजकल की महिलाओं का पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलना. जी हां, आज की सशक्त महिलाएं न केवल घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर अपना अस्तित्व निखार रही हैं, बल्कि अपने घर की आर्थिक जिम्मेदारियों को भी पूरा कर रही हैं. ऐसे में उन की अनुपस्थिति में परिवार को होने वाले आर्थिक नुकसान को पूरा करने के लिए उन का बीमित होना अनिवार्य है.

बचत से ज्यादा जरूरत

वैसे जीवन बीमा को अधिकतर महिलाएं बचत समझती हैं लेकिन जीवन बीमा बचत से ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस से बड़े होते बच्चों की शिक्षा, रोजगार व शादी सहित जीवन की कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस के और भी कई लाभ हैं, जो महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का समावेश करते हैं.

आइए, कुछ लाभों के बारे में हम बताते हैं:

– ‘मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों का क्या होगा?’, ‘क्या पति अकेले सभी बड़ी जिम्मेदारियां उठा लेंगे?’ यह सवाल अकसर आप को परेशान करते होंगे. जायज भी है, बढ़ती हुई महंगाई में घर एक कमाने वाले की कमाई से नहीं चल सकता, बल्कि जरूरी है कि घर की कुछ आर्थिक जिम्मेदारियां आप भी उठाएं. हो सकता है कि आप की सैलरी घर की बड़ी जिम्मेदारियां उठाने में मददगार न हो लेकिन आप की छोटीछोटी बचत इस में आप की मदद कर सकती है. इस में जीवन बीमा की अहम भूमिका है क्योंकि यह आप को एकमुश्त बड़ी रकम देता है, जिस से आप अपने दायित्वों को पूरा कर सकती हैं.

– आजकल ऐसी इंश्योरैंस पौलिसी भी आ गई है जिस में जीवन बीमा के साथ ही सेविंग और क्रिटिकल इलनैस (बीमारियां एवं प्रैगनैंसी) को भी कवर किया जाता है. यह पौलिसी खासतौर पर उन महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी है जो घर और बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, क्योंकि ऐसे में सेहत पर विपरीत असर तो पड़ता ही है, तब इस तरह की पौलिसियां आर्थिक रूप से मददगार बनती हैं.

– यदि आप का परिवार पूरी तरह आप की आय पर निर्भर है तो आप को टर्म इंश्योरैंस पौलिसी लेनी चाहिए. इस में परिपक्वता पर तो कोई राशि प्राप्त नहीं होती लेकिन बहुत कम प्रीमियम पर बड़ा सुरक्षा कवर मिल जाता है.

– कुछ जीवन बीमा योजनाओं में विशेष बीमारी होने पर कुछ बीमा कंपनियों द्वारा इलाज हेतु अग्रिम राशि दे दी जाती है.

– यदि आप की आय, आयकर में महिलाओं को दी गई छूट से अधिक है, तो बीमा पौलिसी पर आप को आयकर की छूट भी प्राप्त होगी.

कैसे चुनें बीमा पौलिसी

बीमा पौलिसी कराने से पहले यह देखना जरूरी है कि बीमाधारक अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक कितनी रकम का प्रीमियम भर सकता है. दरअसल, अधिक प्रीमियम वाली बीमा पौलिसी लेने के बाद, जब प्रीमियम भरने में कठिनाई महसूस होती है, तब कई बीमाधारक तय समय से पहले ही बीमा अनुबंध तोड़ देते हैं. इस से बीमाधारक को फायदे की जगह नुकसान ही उठाना पड़ता है. पौलिसी चलती रहे, यही कोशिश करनी चाहिए.

इन टिप्स पर गौर करें, बीमा पौलिसी चुनते समय मदद मिल सकती है:

– बीमाधारक पर कितने लोग आश्रित हैं और वह उन्हें कैसी जीवनशैली देना चाहता है.

– बीमाधारक को अपने रोजमर्रा के खर्चे और अपने दायित्वों को भी समझना चाहिए.

– किस तरह की इंश्योरैंस पौलिसी आप के लिए मददगार है, इस बात का भी खयाल रखें.

– आप अपना प्रीमियम समय पर भर सकते हैं या नहीं इस बात का भी ध्यान रखें.

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ऐसे बचें ट्रैवल सिकनैस से

यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने को ट्रैवल सिकनैस भी कहते हैं. यह बहुत अनियमित स्थिति होती है, जो पूरी तरह तोड़ देती है. सफर में होने वाली यह पीड़ा किसी को भी हो सकती है, हालांकि महिलाओं और 3 से 12 साल तक के बच्चों को यह परेशानी ज्यादा प्रभावित करती है.

ट्रैवल सिकनैस कान के अंदरूनी हिस्से को बेचैन कर देने वाला प्रभाव है, जो बारबार होने वाली गतिविधियों जैसे समुद्र की लहरों, औटो की आवाज, हवाईजहाज के चलने आदि के कारण होता है. कानों के अंदरूनी भाग उन चीजों के विविध इशारों को महसूस करते हैं, जिन्हें आप की आंखें देखती हैं और फिर वे दिमाग को संदेश भेजते हैं और परेशानी उत्पन्न करते हैं.

ट्रैवल सिकनैस के लक्षण: उबकाई आना, त्वचा का पीला पड़ना, पसीना आना, उलटियां आना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, थकान महसूस करना आदि.

ट्रैवल सिकनैस के कारण: यात्रा के दौरान होने वाली इस परेशानी का सब से बड़ा कारण यह है कि यह न्यूरोटौक्सिन के विरुद्ध मानसिक सुरक्षा के रूप में उत्पन्न होता है. आप का शरीर जिस गति में होता है, उस की पहचान आप का दिमाग संवेदी सिस्टम के 3 अलग अलग हिस्सों- कानों के अंदरूनी भागों, आंखों और शरीर के गहरे ऊतकों से करता है. उदाहरण के लिए अगर आंखें दिमाग को बताती हैं कि व्यक्ति ठहरा हुआ है जबकि वैस्टिबुलर फ्रेमवर्क में सिर की गतिविधियों का पता चलता है तो यह दिमाग को संदेश दे कर चकरा देता है और यात्रा के दौरान होने वाली परेशानी का संकेत देता है. कानों के अंदरूनी भागों द्वारा गतिविधियों की पहचान नहीं किए जाने के बिना यात्रा के दौरान होने वाली पीड़ा नहीं होती है, जिस से पता चलता है कि यात्रा में होने वाले कष्ट के बढ़ने के लिए कानों के अंदरूनी भाग मूल भूमिका निभाते हैं.

नेत्रहीन लोगों में भी यात्रा के दौरान होने वाली पीड़ा पाए जाने का कारण यह माना जा सकता है कि दृश्य इनपुट इस में कम भूमिका निभाते हैं. मूवमैंट सिकनैस संभवतया जटिल प्रकार के डैवलपमैंट के कारण होती है.

परेशानी को कम करने के उपाय

– जब औटो या गाड़ी से सफर करते समय परेशानी हो, तो पिछली सीट पर बैठने से बचें. पीछे बैठ कर किताब पढ़ने के बजाय सामने की सीट पर बैठने से आप को गति से संबंधित सवाल कम परेशान करते हैं, जो इस परेशानी से दूर रखते हैं.

– खुद को ऐसी स्थिति में रखें जहां आप को कम से कम गतिविधि का एहसास हो, जैसे किसी जहाज में विंग्स के ऊपर.

– यात्रा के दौरान हमेशा प्राकृतिक हवा लेने का प्रयास करें, क्योंकि आप के लिए सांस लेना जरूरी होता है और आप बेहतर महसूस करते हैं.

– यात्रा के दौरान कभी अपनी आंखें बंद न करें, क्योंकि इस से कुछ गतिविधियों का एहसास अधिक होता है और आप को ट्रैवल सिकनैस शुरू हो जाती है. जब भी आप को परेशानी शुरू हो तो बदलती चीजों पर नजर डालना शुरू करें.

– लंबी यात्रा में बहुत ज्यादा न खाएं. समुद्री यात्रा से पहले हलका खाना खाएं और लंबे ट्रैक पर कम मात्रा में थोड़ीथोड़ी देर पर खाएं.

– समुद्री यात्रा के दौरान सिर और शरीर की गतिविधियों को कम करें. आप आराम कर सकते हैं या कमर टेक सकते हैं. किसी तकिए से अपने सिर को स्थिर रख सकते हैं.

– दवा कानों के अंदरूनी भागों की तंत्रिकाओं को और दिमाग की उबकाई के प्रति प्रतिक्रिया को शांत कर देती है. दवा तब ज्यादा कारगर होती है जब उसे परेशानी का एहसास होने से पहले ले लिया जाए.

– इस परेशानी से बचने के लिए खिड़की से बाहर देखें या ताजा हवा के लिए खिड़की खोल लें.

– झपकी लेने से साइकोडेनिक प्रभाव से भी राहत मिलती है.

– टै्रवल सिकनैस से बचने का एक आसान तरीका कुछ चबाते रहना भी है. यात्रा के दौरान चुइंगम चबाते रहने से राहत मिलती है.

– कुछ लोगों में ऐसे कलाई बैंड पहनने से भी ट्रैवल सिकनैस में राहत मिलती जो नीडल पौइंट थेरैपी (पी60) पर दबाव डालते हैं.

– अदरक ट्रैवल सिकनैस को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है. लंबे समय से उबकाई के उपचार के लिए अदरक का उपयोग किया जा रहा है. 

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देशप्रेम या राजनीति

हाल ही में सोशल मीडिया सरकार के नारों के साथ खूब गुहार लगाता दिखा कि इस दीवाली चीनी वस्तुओं के उपभोग का बहिष्कार करें. कभी व्हाट्सऐप पर संदेश आए कि इस दीवाली खरीदें भारतीय वस्तुएं, भले ही वे महंगी हों.

राजनीति के खिलाडि़यों ने भारत की भोलीभाली जनता की संवेदनाओं को इस्तेमाल कर राजनीति खेलने का अच्छा तरीका अपनाया है.

दीवाली पूर्व ही क्यों जागा राष्ट्रवाद

यह सही है कि चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें, लेकिन दीवाली पर ही इन की देशभक्ति क्यों जागी? क्या पूरा साल हम चीनी वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करते या चीन से हम सिर्फ रंग, दीए, झालरें और पटाखे ही आयात करते हैं? यह सारा कारोबार तो छोटे व्यवसायी करते हैं और गरीब तबके के लोग ही इन सस्ती वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं.

उच्चमध्य वर्ग तो वैसे ही बढि़या, ब्रैंडेड कंपनी की वस्तुओं का इस्तेमाल करता है. यह हमारे देश के गरीब वर्ग को और अधिक गरीब बनाने की साजिश तो नहीं ताकि देश की जनता त्राहित्राहि करती रहे और इन राजनेताओं की गुलामी को हमेशा की तरह मूक बन कर सहन करती रहे?

दोगली नीति चल रही है यहां

एक तरफ हमारी वर्तमान सरकार ‘मेक इन इंडिया’ का नारा लगाती है, तो दूसरी तरफ ‘रिलायंस जियो’ जो कि भारत का अकेला पैन इंडिया (बीडब्ल्यूए) लाइसैंस होल्डर है, ने चीन से 4 लाख 35 हजार नए 4जी सिम कार्ड आयात किए हैं क्योंकि यह देश में कमर्शियल रोलआउट सर्विसेज लौंच करने की तैयारी में लगा है.

इंपोर्ट ट्रैकिंग साइट जुआबा के अनुसार इन सिम कार्ड्स की लागत क्व 93,92,846 है और टैल्को ने इन्हें आयात किया है. क्या इन सिम कार्ड्स को भारतीय इस्तेमाल नहीं करेंगे? उच्चमध्य वर्ग के लोग ही खुल्लमखुल्ला इन सिम कार्ड्स को बड़ी शानोशौकत के साथ अपने फोन में फिक्स करेंगे. क्यों हमारी सरकार इन पर रोक नहीं लगाती? क्या छोटी और रोजमर्रा की वस्तुओं का बहिष्कार कर के ही हम चीन को पछाड़ लगाएंगे?

न कर दें नैपोलियन वाली भूल

नैपोलियन का बोलबाला मास्को, मैड्रिड तक फैला था और वह इंगलैंड के सामने झुकने को तैयार नहीं था, जिस के चलते उस ने इंगलैंड के पेट पर लात मारने की नीति अपनाई पर वह खुद ही इस का शिकार हो गया. चूंकि पूरा यूरोप ही इंगलैंड के उद्योग पर निर्भर था इसलिए परिणाम यह हुआ कि यूरोप के कई राज्य नैपोलियन के शत्रु हो गए. यह भी उस के पतन का एक कारण बना. कहीं ऐसा ही हाल हमारे देश का न हो.

शुरू करें निर्माण और बनें आत्मनिर्भर

सिर्फ सोशल मीडिया पर कुछ पढ़े और कुछ अधपढ़े लोगों के संदेश देख और जोश के साथ आगे फौरवर्ड कर हम चीन का मुकाबला नहीं कर सकते.

हमारा देश चीन को 6.7 बिलियन डालर का सामान बेचता है, जिस में ज्यादातर कच्चा सामान यानी खनिज पदार्थ और कृषि उत्पाद हैं. सब से पहले भारत को यह निर्यात रोकना होगा. लेकिन इस से भी समस्या का समाधान नहीं होता. ऐसा करने से तो देश की जनता को तैयार माल मुहैया कराने की समस्या और भी बढ़ जाएगी.

तो जिस तरह से चीन ने अपनी बड़ी जनसंख्या का इस्तेमाल कर घरघर में लघु उद्योग शुरू किए हैं, वह नीति हमें भी अपनानी होगी. भारत में मजदूर वर्ग बहुत बड़ा है. यदि उसे स्किल्ड लेबर बना कर, अपने ही कच्चे माल का इस्तेमाल स्वयं कर घरघर में लघु उद्योग खोल दिए जाएं तो क्या यह समस्या का समाधान नहीं है?

क्या हम फिर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नीतियों पर नहीं चल सकते? जिस तरह से चीन ने अपनी मैन पावर का इस्तेमाल कर प्रोडक्शन शुरू किया, वैसे ही हमारी सरकार अपने लोगों को ट्रेनिंग दे कर यहां निर्माण शुरू नहीं कर सकती? मजदूर को सही मजदूरी मिले तो वह काम करने की इच्छा तो जरूर रखेगा, न कि मंदिर के बाहर ‘हरे राम हरे कृष्ण’ चिल्लाचिल्ला कर भीख मांगेगा. फिर यह सब तैयारी अभी चीन से दुश्मनी निभाने के लिए ही क्यों? क्या हमें सदा के लिए भी आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए?

बदलने होंगे सरकारी नियम

हमारे देश में तो कुछ भी नया शुरू करते समय सैकड़ों नियमकानून आड़े आ जाते हैं. यदि इन नियमों का पालन कर उद्योग शुरू करें तो कार्यवाही इतनी धीमी की इनसान की आधी उम्र तो सरकारी दफ्तरों  के चक्कर काटने में निकल जाए. क्या इन नियमों में बदलाव लाने की आवश्यकता नहीं?

राज चीन की तरक्की का

चीन का एक शहर है ‘इवू’, जहां पूरे विश्व से निर्यात के और्डर लिए जाते हैं. वहां किसी भी और्डर को मना नहीं किया जाता. जैसी मांग वैसी सप्लाई. सस्ता या महंगा, छोटा या बड़ा और्डर, सभी को महत्त्व दिया जाता है.

चीन के ही मांगचेंग में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने अपना प्लांट लगाया है और इस की गिनती ट्रैक्टर बनाने वाली सब से बड़ी कंपनियों में होती है.

तो क्या यह कंपनी भारत में अपना काम नहीं कर सकती थी? यह तो एक बड़ी कंपनी है. भारत के तो और कई निवेशकों ने चीन में उद्योग लगाने का फैसला किया.

चीन में राजनीति ने विकास के आगे विरोध व बहस को एक तरफ रख कर विकास को प्राथमिकता दी. साथ ही चीन के आर्थिक विकास का एक कारण वहां के लोगों का शिक्षित होना भी है. 1980 में भी वहां की साक्षरता दर 65 फीसदी थी जब कि भारत की 37 फीसदी. क्यों हमारे यहां के पढ़ेलिखे लोग विदेशों में नौकरी करने जाते हैं? क्या वे अपने देश में ही कोई उद्योग स्थापित नहीं कर सकते, जिस से लोगों को भी काम मिले? वे यह कर सकते हैं, लेकिन हमारी सरकारी नीतियां उन्हें सहयोग नहीं करतीं.

इस के अलावा चीन में काम में महिलाओं की भागीदारी 74 फीसदी है जबकि भारत में 34 फीसदी. इस के अलावा वहां हड़ताल, तालाबंदी, यूनियनबाजी बिलकुल नहीं होती.

भूल जाइए बहिष्कार की बातें

कुल मिला कर चीन दुनिया का सब से बड़ा ऐक्सपोर्टर है. तो क्या ऐसे में हम चीन के पेट पर लात मार पाएंगे या सिर्फ झूठे भाषण ही देते रहेंगे? यदि सच में मारनी है लात तो करिए बहिष्कार डिजिटल इंडिया का या रिलायंस जिओ का. अगर सचमुच आप अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाना चाहते हैं तो डालिए दबाव अपने अंबानी साहब पर और कैंसिल करवा दीजिए एलवाईएफ का कौंट्रैक्ट. क्या कर पाएंगे यह सब? नहीं न? तो भूल जाइए बहिष्कार की बातें. मनाने दीजिए हमारे देश को दीवाली और होली अपने शौक से, करने दीजिए गरीब को चीनी झालरों, दीयों और रंगों की बिक्री, जलने दीजिए उन के घर में भी दो वक्त का चूल्हा. यहां बात किसी एक पार्टी या सरकार की खिलाफत की नहीं. यहां खिलाफत है भोलेभाले गरीबों के साथ खेली जाने वाली सियासत और धार्मिक राजनीति की.

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मैं फिल्मों से रोमांस कर रही हूं: श्रद्धा कपूर

‘आशिकी 2’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री श्रद्धा कपूर आज शीर्ष अभिनेत्रियों में मानी जाती हैं. वह हर फिल्म को कामयाब देखना चाहती हैं पर कई बार उनकी सोच और फिल्म का चयन गलत हो जाता है. वह हर फिल्म को चुनौती समझती हैं और उसे करने में अपनी पूरी मेहनत लगाती हैं. इन दिनों वह ‘रॉक ऑन 2’ के प्रमोशन पर हैं. बहुत ही सहज अंदाज में वह सामने आईं, आइये जाने क्या कहा श्रद्धा ने अपनी बातचीत में.

प्र. इस फिल्म के ज़रिये आप एक गायिका के रूप में उभर रही हैं, कितनी खुश हैं?

यह अचानक हुआ कि मुझे एक सिंगर की भूमिका मिली. चरित्र और स्क्रिप्ट की मांग थी कि मैं फिल्म के सारे गाने खुद गाऊं. वह मैंने गाए. इसके अलावा मेरा सपना भी था, क्योंकि मैंने पहली फिल्म रॉक ऑन अपने माता-पिता और भाई के साथ देखी थी. उस समय फ़िल्मी अंदाज़ में कहा था कि इसके सीक्वल में मैं ही काम करुंगी. पिता ने कहा था कि ठीक है अगर बनी तो तुम काम करना. वैसा ही हुआ और मैं बहुत खुश हूं.

प्र. फरहान के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

फरहान एक अच्छे कलाकार हैं, उनके साथ काम करने का अच्छा अनुभव रहा. उनके साथ काम करते हुए बहुत सारी अभिनय की बारीकियां मैंने सीखी हैं.

प्र. इस फिल्म को करने के लिए क्या-क्या तैयारियां की हैं?

मैंने कई लाइव शो देखे. उसमें कैसे लोग गाना गाते हैं, उसे समझने की कोशिश की. मैंने ‘फरहान लाइव शो’ में फरहान की परफोर्मेंस देखी थी. स्टेज पर वे जिस तरह से परफॉर्म करते हैं वह देखने लायक था. पूरी भीड़ को वे बहुत ही आसानी से अपने साथ जोड़ लेते हैं. इसके अलावा ‘समंथा एड्वोर्ड’ जो एक वोकल कोच हैं उनके साथ ट्रेनिंग ली. बहुत सारी ब्रीदिंग एक्सरसाइज की. मेरी आवाज में थोड़ा ‘बेस’ आ गया है. इसके अलावा मैं ‘बियोंसे’ की लाइव परफोर्मेंस करते देखना चाहती हूं. मैंने उनकी जितनी भी वीडियोज देखी है, वह कमाल की है.

प्र. गाने का शौक आपको कैसे पैदा हुआ?

बचपन में मैंने अपने दादाजी पंढरीनाथ कोल्हापुरे से थोड़ी ट्रेनिग ली थी. लेकिन मुझे अधिक समय नहीं मिला, क्योंकि वे अब नहीं रहे. इसके अलावा मेरी मां बहुत अच्छा गाती है. मेरी इन्फ्लुएंस लता मंगेशकर भी है. मेरी दोनों मासी गाती हैं. इसलिए कही न कही संगीत से जुड़ाव रहा है.

प्र. अपनी अब तक की यात्रा को कैसे देखती हैं?

अब तक मैंने 7 फिल्में की हैं और ‘रॉक ऑन 2’ मेरी आठवीं फिल्म है. ’तीन पत्ती’ और ‘लव का द एंड’ अधिक नहीं चली. कई बार आप नहीं समझ सकते हैं कि फिल्म सफल होगी या नहीं. कहानी ठीक होते हुए भी फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं करती. मैं फिल्म करते वक़्त पहले स्क्रिप्ट पढ़ती हूं और अगर अंदर से लगे कि यह फिल्म करनी है, तो मै कर लेती हूं. मैं अपनी लाइफ में केवल फिल्में ही करती हूं. मैं परिवार के साथ रहना अधिक पसंद करती हूं, इसके अलावा मैं अधिक बाहर नहीं जाती. सुबह जल्दी उठती हूं, रात को जल्दी सो जाती हूं. इस साल मैंने 4 फिल्मों के लिए शूटिंग पूरी की है, अगले साल भी कई रिलीज हैं तो मैं उसमें व्यस्त हूं. ये मेरे लिए एक अच्छा फेज है.

प्र. आपने हर फिल्म में अलग भूमिका निभाई है, कुछ और अलग करने की इच्छा रखती हैं?

मेरे लिए स्क्रिप्ट सबसे जरुरी है. किसी भी तरह के फिल्म की अगर स्क्रिप्ट अच्छी हो, तो मैं काम करना चाहूंगी. एक अच्छी कहानी बताने के लिए आवश्यक है एक अच्छी स्क्रिप्ट का होना. इसके बाद निर्देशक का नाम आता है.

प्र. आपकी दोस्ती अलिया भट्ट और परिणिति चोपड़ा से है, इंडस्ट्री में ये दोस्ती रियल है या फ़िल्मी?

दोस्ती हमेशा अच्छी होती है. इंडस्ट्री में लड़कियों में दोस्ती अधिक होती है. ये गलत ‘इम्प्रैशन’ है कि लड़कियां झगड़ती है. जब हम मिलते है तो अच्छी बातचीत करते हैं. मेरे बचपन का दोस्त वरुण धवन है.

प्र. काम के अलावा कुछ चैरिटी करती हैं?

मेरी इच्छा है कि मैं थोड़ा समय निकालकर जरुरतमंदों के लिए काम करुं. इससे आपको संतुष्टि मिलती है. मेरे परिवार ने मुझे सबकुछ दिया है और मुझे भी उन्हें कुछ हद तक लौटाने की जरुरत है. ‘गिविंग’ से मन को ख़ुशी मिलती है. समय मिले तो खाना देना चाहूंगी, क्योंकि हमारे देश में काफी लोग भूख से तड़पते हैं. इसका समाधान होना जरुरी है.

प्र. आप अपने आप को कैसे एक्सप्लेन करेंगी?

मैं एक जिज्ञासु लड़की हूं. हर चीज को जानने की इच्छा होती है.

प्र. क्या ‘स्टारडम’ के लिए कुछ खोना पड़ा?

मुझे कुछ खोना नहीं पड़ा. घर में मैं आम लड़की की तरह हूं और पहले की तरह वही सारी हरकते करती हूं. हम चार मिलकर खूब शोरगुल मचाते हैं.

प्र. आपका नाम फरहान के साथ जुड़ा, ऐसी बातें आपको कितना परेशान करती हैं?

मुझे पता नहीं ये अफवाह कहां से आती है. जबकि इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं. हम मेहनत से काम करते हैं. मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. उनकी वजह से हमें सफाई देनी पड़ती है. में सिंगल हूं और फिल्मों से रोमांस कर रही हूं.

लिव इन कपल्स के लिए फाइनेंशियल टिप्स

भारत में लिव-इन रिलेशन का ट्रेंड जोर पकड़ रहा है. खास कर मेट्रो शहरों में स्‍टूडेंट और वर्किंग एग्जीक्‍यूटिव के लिए यह इमोशनली और फाइनेंशियली सुविधाजनक रहता है. सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को मान्‍यता दी है. अगर आप लिव-इन में रहते हैं तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि लिव-इन कपल के तौर पर आपके फाइनेंशियल राइट्स क्‍या हैं. भारत में रहने वाले लिव-इन कपल कई मामलों में मैरिड कपल से अलग हैं और बतौर लिव-इन कपल इन लोगों को कई तरह की दिक्‍कतों का भी सामना करना पड़ता है.

लिव-इन पार्टनर को बैंक अकाउंट में बना सकते हैं नॉमिनी

अगर आप लिव-इन रिलेशनशिप में हैं और आप बैंक में अकाउंट खोलते हैं तो आप अपने पार्टनर को अकाउंट में नॉमिनी बना सकते हैं.

आपको नहीं मिलेगा फैमिली इन्‍श्‍योरेंस कवर

अगर आप लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तो बीमा कंपनी आपको फैमिली प्रोटेक्‍शन प्‍लान या फैमिली हेल्‍थ इन्‍श्‍योरेंस कवर नहीं देगी. आप इंडीविजुअल प्‍लान ले सकते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल फैमिली प्‍लान नहीं ले सकते हैं क्‍योंकि लिव-इन रिलेशनशिप अभी डिफाइंड रिलेशन में नहीं आता है.

प्रॉपर्टी का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर दो लोग शादी किए बिना लंबे समय तक पति और पत्‍नी के तौर पर रहते हैं तो दोनों को कानूनी तौर पर मैरिड माना जाएगा. ऐसे में अगर लिव-इन में रहने वाली महिला के पार्टनर की मौत हो जाती है तो उसे अपने पार्टनर की प्रॉपर्टी मिलेगी.

लिव-इन पार्टनर के तौर पर वीजा मिलने में होगी मुश्किल

अगर आप लिव-इन में रह रहे हैं और आपके पार्टनर को विदेश में जॉब मिल गई है और आपका पार्टनर विदेश में सेटल होना चाहता है तो आप उसके साथ लिव-इन पार्टनर के तौर पर विदेश में सेटल नहीं हो पाएंगे. आपको वीजा मिलने में दिक्‍कत आएगी क्‍योंकि आप को वीजा के लिए आवेदन करते समय आपको वैवाहिक स्थिति बतानी होगी. अभी तक भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को डिफाइंड रिलेशन में नहीं माना जाता है. ऐसे में इसके आधार पर आपका वीजा नहीं बनेगा.

गमले में लगायें सोलर प्लांट

सर्दीयों का मौसम है पर बिजली की कमी तो हमेशा ही खलती है. बैकअप पर बिजली मिल तो जाती है लेकिन इतनी महंगी कि बल्ब जलाने में भी डर लगता है. इस डर को दूर करने का सबसे बेहतरीन विकल्प है सोलर एनर्जी.

आप सोच रहे होंगे कि सोलर पैनल लगाने के लिए तो काफी जगह की जरूरत होगी और आज के समय में जगह की ही तो सबसे ज्यादा कमी है. पर अब घबराने की जरूरत नहीं है. आप चाहें तो गमले के साइज में भी सोलर पैनल लगा सकते हैं. या यूं कहें कि सोलर ट्री उगा सकते हैं. डेढ़ फुट के गमले में आप ये सोलर ट्री आसानी से उगा सकते हैं.

यूं तो सोलर पैनल लगाने के लिए काफी जगह चाहिए होती लेकिन नई तकनीक की मदद से आप कम जगह में ज्यादा एनर्जी प्राप्त कर सकते हैं.

ये हैं वो वजहें जिनसे कम जगह में मिलती है ज्यादा एनर्जी:

– आमतौर पर पारंपरिक सौर ऊर्जा की एक SPV (solar photo voatic) प्लेट लगाने में प्रति किलो वॉट के लिए 100-125 स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत होती है. इतनी जमीन की कीमत करोड़ों रुपये होती है. जबकि इस सोलर प्लांट को 1.5X1.5 फुट की जगह में ही फिट किया जा सकता है.

– पारंपरिक सोलर पार्क में एक किलोवाट ऊर्जा के लिए प्लेट लगाने की लागत 75 से 80 हजार रुपये आती है. हालां‍कि सोलर ट्री की लागत करीब एक लाख पंद्रह हजार से सवा लाख रुपये तक आती है लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि इससे करोड़ों रूपये की जमीन की बचत होती है. जिसे दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

– इसका रखरखाव काफी आसान है. इसे बनाने वालों ने इस पेड़ के मूल तने पर एक फव्वारा भी लगाया है. इसे पानी के पाइप से जोड़ देने पर फुहारें सभी प्लेटों की सफाई भी कर देती हैं.

अजय की बेटी संग रोमांस करेंगे कपिल शर्मा

कॉमेडियन कपिल शर्मा के फैन्स के लिए खुशखबरी है. जी हां, आपके चहेते कॉमेडियन कपिल, डेब्यू फिल्म ‘किस किस को प्यार करूं’ के बाद अब एक दूसरी बॉलीवुड फिल्म में नजर आने वाले हैं.

फिल्म का नाम है ‘फिरंग’, जिसमें वह न सिर्फ लीड एक्टर होंगे बल्कि फिल्म को को-प्रड्यूस भी करेंगे. खास बात यह है कि इस फिल्म में कपिल की हिरोइन होंगी, अजय देवगन की ऑनस्क्रीन बेटी इशिता दत्ता.

जी हां, कपिल अपनी अगली फिल्म में इशिता के साथ रोमांस करते नजर आएंगे. बता दें कि इशिता, पूर्व मिस इंडिया और बॉलीवुड ऐक्ट्रेस तनुश्री दत्ता की बहन हैं और उन्होंने फिल्म ‘दृश्यम’ में अजय की बेटी का किरदार निभाया था.

बॉलीवुड के गलियारों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस फिल्म की शूटिंग 25 नवंबर से शुरू हो सकती है. यही वजह है कि कपिल की टीम इन दिनों कॉमिडी शो के अडवांस शूटिंग में व्यस्त है.

अब देखना ये होगा कि पिछली फिल्म में तीन ऐक्ट्रेसेज के साथ रोमांस करने वाले कपिल, इस बार सिर्फ एक हिरोइन के साथ पर्दे पर कैसा जादू चलाते हैं.

सोनू सूद की फिल्म को मिला ऑस्कर का टिकट

एक्टर और अब प्रड्यूसर बन चुके सोनू सूद ने हाल ही में जिस चाइनीज फिल्म में काम किया था, उसे चीन की ओर से ऑस्कर में भेजे जाने की अनाउंसमेंट हुई है. इससे सोनू सूद बेहद खुश हैं और इसे अपने करियर और सिनेमा के लिए बड़ा सम्मान मानते हैं.

सोनू सूद ने इस फिल्म में हर्षवर्धन नाम के भारतीय राजा का रोल किया है. ‘जुआजांग’ नाम की इस फिल्म में सोनू सूद के साथ-साथ नेहा शर्मा और बिग बॉस फेम मंदाना करीमी ने भी काम किया है. इस फिल्म की शूटिंग भारत में भी हुई है.

पिछले साल सोनू ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में इस फिल्म की शूटिंग में हिस्सा लिया था. फिल्म में सोनू के साथ एक्शन स्टार जैकी चेन भी है जिससे उन्होंने काफी कुछ सीखने को मिला. सोनू ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘तूतक तूतक तूतिया’ में काम भी किया था और उन्होंने ही इसे प्रड्यूस भी किया.

अपनी फिल्म की सफलता से खुश सोनू ने कहा कि जब वह इस फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तभी उन्हें ऐसा लगा कि ये फिल्म कुछ बड़ा करने वाली है. सोनू ने बताया कि उनकी मां इतिहास की टीचर रही हैं और बचपन में उन्होंने राजा हर्षवर्धन के बारे में काफी पढ़ा था.

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