इतिहास से रूबरू होने का सुनहरा मौका

आजादी की लड़ाई के समय सैंकड़ों देशभक्त जेल गए थे. कुछ को तो अंग्रेजों ने छोड़ दिया था और उन्होंने देश का इतिहास लिखा, पर कुछ ने हंसते हंसते मौत को गले लगा लिया था. अब आपके पास एक सुनहरा मौका उन मस्तानों को थोड़ा और करीब से जानने का. जेल टूरिज्म विदेशों में बहुत प्रचलित पर भारत में यह अभी चलन में नहीं आया है. साउथ अफ्रीका के रोबेन आइलैंड को देखने के लिए कई सैलानी आते हैं. यहां नेलसन मेंडेला को बंदी बनाकर रखा गया था. भारत के अंडमान के सेलुलर जेल को देखने के लिए हर साल कई सैलानी आते हैं.

पर महाराष्ट्र सरकार सैलानियों के लिए अपने जेलों के दरवाजें खोलने जा रही है. महाराष्ट्र में कई ऐतिहासिक जेल हैं जहां शोध और घूमने के लिए कई सैलानी आते हैं. जितने भी ऐतिहासिक महत्तवता के जेल हैं उन्हें हफ्ते में कुछ दिनों के लिए सीमित समय के लिए खोला जाएगा.

महाराष्ट्र के यरवदा जेल में ही महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी की लड़ाई के समय रखा गया था. जरा सोचिए इस जेल की दीवारों के सहारे बैठकर ही उन्होंने अपनों को खत लिखे थे. हाल ही में मशहूर बौलीवुड अभिनेता संजय दत्त को भी यहीं रखा गया था. जेल के रिकार्ड से आप स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारियां हासिल कर सकती हैं.

इन सब के अलावा आप जेल की बनावट और संरचना को भी देख सकती हैं. इतिहास और स्थापत्यकला में रूची रखने वालों के लिए तो यह बेस्ट प्लेस होगा.

तेलंगाना में रह सकते हैं जेल में

जेल टूरिजम को बढ़ावा देने के लिए तेलंगाना में 220 साल पुराने संगरेड्डी जेल में यात्रियों के ठहरने की सुविधा भी है. यह कोई मजाक नहीं बल्कि हकीकत है, अगर आप कुछ घंटें एक जेल की कोठरी में बिताना चाहती हैं तो कुछ रुपए देकर आप ऐसा कर सकती हैं. आपके पास अपनी यूनिफॉर्मस स्टील मग, बिस्तर होगा. पर आपको जेल का खाना नहीं मिलेगा.

जेल जाना चाहती हैं तो देर मत करिए बस बुकिंग करिए और जेल का एक्सपीरियंस लीजिए.

नेल पेंट लगाने का शौक पड़ ना जाए महंगा

फैशन के इस दौर में नेलपेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. नेल पेंट लगाना यूं तो हर लड़की को अच्छा लगता हैं. नेल पेंट नाखूनों की खूबसूरती को तो निखारते हैं, लेकिन हद से ज्यादा इस्तेमाल करने से कई बार नाखून कमजोर हो जाते हैं. अगर आप सोच रही हैं कि इससे क्या नुकसान हो सकता है, तो बता दें कि रोजाना बदल-बदल कर नेलपेंट लगाना आपके नाखूनों को खराब कर सकता है. इससे वे क्रैक होने लगते हैं और उनकी शाइनिंग खत्म होती जाती है. इसलिए जब भी नेलपेंट लगाएं तो ये सावधानियां जरूर बरतें.

घटिया क्वालिटी की नेल पॉलिश

सस्ती नेल पॉलिश में ऐसे केमिकल होते हैं जो आपके नाखूनों को रूखा-सूखा बना देते हैं. इसीलिए ऐसी नेल पॉलिश का इस्तेमाल करें जिनमें कम केमिकल हों. बाज़ार में विटामिन वाली नेल पॉलिश भी मिलती हैं जो नाखूनों को पोषण देकर उन्हें स्वस्थ बनाती हैं.

एसिटोन वाले रिमूवर का इस्तेमाल

अगर आप 2-3 दिनों में नेल पॉलिश बदलती हैं तो इसका मतलब है कि आप ढेर सारे रिमूवर का भी इस्तेमाल करती हैं. नेल पॉलिश रिमूवर में एसिटोन होता है जो नाखूनों में मौजूद नैचुरल ऑयल और नमी को सोख लेता है और नाखूनों के आसपास की त्वचा सूख जाती है.

बेस कोट न लगाना

फंगस आदि की वजह से आपके नाखून पीले हो जाते हैं लेकिन बेस कोट के बिना लगी नेल पॉलिश से भी आपके नाखून पीले पड़ जाते हैं. इसलिए उन पीले धब्बों से बचने के लिए हमेशा बेस कोट लगाएं.

नेल पॉलिश खुरचने की आदत

वैसे यहां दोष नेल पॉलिश का नहीं बल्कि आपकी उस बुरी आदत का है जहां आप अपने नेल पॉलिश खुचरती रहती हैं. जब आप उखड़ रही नेल पॉलिश को नाखूनों से खुरचती हैं तो आपके नाखून की ऊपरी सुरक्षा परत भी निकल जाती है. जिससे नाखून कमजोर हो जाते हैं.

नाखूनों को ब्रेक नहीं मिलता

हमेशा नेल पॉलिश लगाए रहने से आपके नाखूनों को ब्रेक नहीं मिलता जिससे नाखूनों की परत पतली होकर टूटने लगती हैं. इसलिए कुछ दिनों के लिए नेल पॉलिश न लगाएं. रोज़ाना 10-15 मिनट के लिए अपने नाखूनों को गर्म पानी में डुबोकर रखें ताकि वे हाइड्रेट हो सकें.

जायकेदार चीजी राइस टोरटिला

सामग्री

– 1/2 कप चावल

– थोड़ा सा प्याज कटा

– 2 टमाटर कटे

– 1 हरीमिर्च कटी

– 1/2 कप चीज

– 3 बड़े चम्मच मक्खन

– 2-3 टोरटिला

– 3 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

– 1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

– नमक स्वादानुसार

विधि

एक पैन में मक्खन गरम कर प्याज भूनें. भुनने पर टमाटर व नमक डालें. साथ ही चावल व 1×1/4 कप पानी डालें और पकाएं. चावलों के पकने पर चीज ग्रेट कर डालें व मैल्ट होने दें. अब हरीमिर्च डालें व आंच से उतार लें. इन चावलों को एक पतली परत में हर टोरटिला पर लगाएं. ऊपर से सौस डालें. 1800 पर गरम ओवन में 5-6 मिनट ग्रिल कर गरमगरम परोसें.    

व्यंजन सहयोग

अनुपमा गुप्ता

कम्प्रोमाइज सफलता का रास्ता नहीं

कम्प्रोमाइजऔर कास्टिंग काउचजैसे रास्ते सफलता की ओर नहीं ले जाते. कड़ी मेहनत से ही सफलता हासिल की जा सकती है. कड़ी मेहनत का ही कमाल होता है कि वह लोग भी फिल्मी दुनिया में सफल होते है जिनमें कभी लोगों को आर्टिस्ट मैटेरियल नहीं दिखा था. इनमें हीरो और हीरोइन सभी शामिल है.

उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले बुलन्दशहर से ताल्लुक रखने वाली रेखा राना बचपन में ही दिल्ली आ गई थी. दिल्ली के ही ग्रीन फील्ड स्कूल, दिल्ली कालेज औफ आर्ट एंड कामर्स से शिक्षा हासिल करने वाली रेखा रानी को फिल्मों में करियर बनाने का शौक था. इसलिए वह एक्टिंग की पढाई करने न्यूयार्क गई. रेखा ने मिस दिल्ली प्रतियोगिता में फोटोजेनिक फेस और ब्यूटीफुल स्माइल का खिताब जीता था. साल 2011 से रेखा राना को हॉलीवुड फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया

रेखा राना ने फिल्मों के साथ ही साथ मौडलिंग, और डांस शो भी किये. रेखा ने हॉलीवुड और बौलीवुड दोनों के ही बीच तालमेल बैठाया. हिन्दी में अपने अभिनय को धार देने के लिये रेखा ने थियेटर का सहारा लिया. उनके प्ले जिसने लाहौर न देख्याऔर हाय मेरा दिलके 200 से अधिक शो हुए. इसके साथ हिदीं फिल्मों में भी रेखा राना की इंट्री हुई. सामाजिक विषय पर बनी फिल्म अब होगा धरना अनलिमिटेड’, ‘तारा ए जर्नी लव एंड पैशन’, ‘यहां अमीना बिकती हैऔर तमिल फिल्म सिनेमा स्टार’  रेखा की उपलब्धि में शामिल है.

रेखा को शार्ट फिल्म टेक केयरके लिये बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड दिया गया. रेखा को अपनी आने वाली फिल्म ब्लैक सितम्बरसे बहुत उम्मीद है. रेखा ने लौस एंजिल और दक्षिण अफ्रीका में भी फिल्मों और म्यूजिक वीडियों में काम जारी रखा है. फिल्मों के साथ वह वीडियों एलबम में एक्टिंग और डांस करती नजर आती हैं. वह फ्रैंच और हिंदी में बनने वाले वीडियों में हिन्दी में गाने भी गा रही हैं. रेखा कहती हैं मुझे गाने का भी शौक है. मेरी कोशिश है कि मेरा गाया और एक्टिंग किया वीडियो तैयार हो.

रेखा ने कम उम्र में जितनी सफलता और अनुभव हासिल किया है वह तारीफ के काबिल है. वह कहती हैं, मैं दूसरे कलाकारों की तरह काम के बाद छुट्टी लेने में भरोसा नहीं करती. एक जगह काम खत्म होता है तो दूसरी जगह काम करने लगती हूं. इसके बाद भी जो समय बचता है उसमें मैं समाजसेवा के काम में लग जाती हूं.

रेखा राना दक्षिण अफ्रीका के स्टार एनजीओकी ब्रांड एम्बेसडर हैं. यह एनजीओ सेव अवर विमेन कंपेन पर काम कर रहा है. रेखा ने अपना खुद का एक एनजीओ आई विमेनशुरू किया है. जिसके जरीये वह लड़कियों की मुफ्त शिक्षा के अभियान को भारत में बढावा देना चाहती हैं. इस एनजीओ का दूसरा पार्ट आई चाइल्डहोगा. जिसमें अनाथ बच्चों को सहारा दिया जायेगा.

फिल्म, मौडलिंग में करियर बनाने वाले लड़के लडकियों को संदेश देते रेखा राना कहती हैं, यहां कम्प्रोमाइज और कास्टिंग काउच जैसे शार्टकट रास्तों से सफलता नहीं मिलती. सफलता के लिये केवल मेहनत और सही रास्ता ही जरूरी होता है. शार्टकट से सफलता की चमक दिख सकती है जो स्थायी नहीं होती है. मेहनत से वह कलाकार भी सफल हुये है जो कभी फिल्मी दुनिया ने नकार दिये थे. बिलियर्ड, रीडिंग, लिखने और गाने का शौक रखने वाली रेखा राना का कहना है कि युवाओं पर बहुत अंकुश लगाना ठीक नहीं रहता. उनको फ्री छोड़ने से ज्यादा क्रियेशन सामने आता है. यही वजह है कि हमारे देश और बाहर के युवाओं में यही अंतर है. वहां युवाओं को अपनी पसंद का करियर चुनने के ज्यादा अवसर होते हैं. 

जब बचाना हो इनकम टैक्स…

नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा चिंता अपनी सैलरी पर लगने वाले टैक्स की होती है. सैलरी पर लगने वाले टैक्स के बारे में कम लोग ही जानते हैं.

जब बचाना हो सैलेरी पर इनकम टैक्स

1. मोबाइल या टेलिफोन रिम्बर्समेंट

अगर आपका नियोक्ता काम के लिए आपको मोबाइल, टेलिफोन या इंटरनेट कनेक्शन दे रहा है तो आप 100 फीसदी टैक्‍स छूट क्लेम की मांग कर सकते हैं. इसके लिए आपको बिल पेश करना होगा. इसके लिए केवल पोस्टपेड कनेक्शन ही वैध हैं.

2. मेडिकल अलाउंस

नियोक्ता अपने कर्मचारी को सेवा के दौरान किए गए मेडिकल खर्चे का भुगतान भी भत्ते के रूप में करता है. यह भुगतान आपको बिल के बदले मिलता है, इसके लिए आपको मेडिकल खर्च की रसीद देनी होती है. टैक्स की दृष्टि से 15,000 रुपए सालाना के मेडिकल बिल टैक्‍स मुक्त हैं.

3. लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)

छुट्टियों के दौरान कुछ नियोक्ता अपने कर्माचारियों को यह भत्ता भी देता है, जिसमें आपके परिवार का ट्रैवल खर्च भी शामिल होता है. टैक्स में राहत लेने के लिए सफर के खर्चे की सभी रसीदें जरूरी हैं. साथ ही सफर के खर्च के अलावा किसी भी प्रकार का खर्च आपके LTA में शामिल नहीं होगा. 4 वित्त वर्षों के दौरान सिर्फ 2 यात्राएं कर छूट के दायरे में आती हैं.

4. एंटरटेंमेंट अलाउंस

यह केवल सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है. 5,000 रुपए की राशि, सैलरी का पांचवा हिस्सा या फिर असल एंटरटेंनमेंट में से, जो भी कम होता है उसपर यह छूट मिलती है.

5. हाउस रेंट अलाउंस (House Rent Allowance)

घर का रेंट चुकाने के लिए मिलने वाला भत्ता. HRA बेसिक सैलरी का 40 से 50 फीसदी तक होता है, जो कि आपके स्थानीय निवास पर निर्भर करता है. कई नौकरीपेशा लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. यह असल एचआरए, सैलरी का 40 फीसदी, किराए में सैलरी का 10 फीसदी घटा कर, इसमें से जो भी कम होता है उस पर छूट दी जाती है.

6. बच्चों की पढ़ाई का अलाउंस

अगर आपका नियोक्ता यह अलाउंस दे रहा है तो आप 100 रुपए महीना प्रति बच्चे की छूट ले सकते हैं. यह केवल दो बच्चों के लिए ही दिया जाता है.

7. हॉस्टल एक्सपैंडिचर अलाउंस

अगर आपका नियोक्ता यह छूट दे रहा है तो 300 रुपए महीना प्रति बच्चे के लिए छूट की मांग कर सकते हैं. यह अधिकतम दो बच्चों के लिए ही वैध है.

8. यात्रा भत्ता

घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक आने-जाने के लिए कंपनी की तरफ से दिया जाने वाला भत्ता. इसमें अधिकतम 1600 रुपए या इससे कम की राशि, जो कि आपकी सैलरी स्लिप के मुताबिक देय है करमुक्त होती है.

9. यातायात भत्ता

यह ट्रांसपोर्ट भत्ता से अगल होता है. यह खर्चा कर्मचारी को ऑफिस से जुड़े कामों के लिए दिया जाता है. इसकी कोई लिमिट नहीं होती है. अगर यह 5,000 रुपए महीना है तो सारा अलाउंस छूट के दायरे में आता है.

10. परफोर्मेंस बोनस और स्पेशल अलाउंस

यह नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के प्रोत्साहन के लिए दिया जाने वाला भत्ता होता है. इसकी 100 फीसदी रकम कर योग्य होती है.इसके अतिरिक्त भी सैलरी में कुछ अन्य अलाउंस शामिल होते हैं, जो पूरी तरह करयोग्य होते हैं.

इस एक्ट्रेस की होगी बिग बॉस में वाइल्ड कार्ड एंट्री

बिग बॉस 10 के शो में अब जबर्दस्त ट्विस्ट आने वाला है. ये ट्विस्ट है वाइल्ड कार्ड एंट्री, जिसके जरिए घर में एक ऐसी एक्ट्रेस एंट्री लेने वाली हैं, जिन्होंने इमरान हाशमी के साथ उनकी डेब्यू फिल्म में स्क्रीन स्पेस शेयर किया है.

टीवी एक्ट्रेस अपर्णा तिलक इस वीकेंड बिग बॉस के घर में वाइल्ड कार्ड एंट्री लेंगी. बिग बॉस के हर सीजन में वाइल्ड कार्ड एंट्री से कंटेस्टेंट को शामिल किया जाता रहा है. इस बार भी दर्शकों को इस खास एंट्री का इंतजार था और ये इंतजार अपर्णा के साथ खत्म होने वाला है.

अपर्णा ने कुछ फिल्में और कई टीवी शो में काम किया है. इनमें फैमिली नंबर वन, जीत और कोई आपना सा शामिल है. अपर्णा ने इमरान हाशमी की डेब्यू फिल्म फुटपाथ में भी एक रोल निभाया था. वो इमरान के अपोजिट थीं. हालांकि इस फिल्म की लीड स्टार कास्ट में आफताब शिवदसानी और बिपाशा बसु शामिल थे.

बिग बॉस 10 में अभी तक चार कंटेस्टेंट्स इविक्ट हो चुके हैं. इनमें करन मेहरा, लोकेश कुमार शर्मा, आकांक्षा शर्मा और प्रियंका जग्गा शामिल हैं. घर में इस वक्त मनु पंजाबी, मनवीर गुर्जर, स्वामी ओम जी, नितिभा कौल, मोनालिसा अंतरा, लोपोमुद्रा राउत, बानी जे, रोहन मेहरा और गौरव चोपड़ा बचे हुए हैं.

जाहिर है कि अपर्णा की एंट्री के बाद घर में सेलिब्रटी की स्ट्रेंग्थ फिर बढ़ जाएगी. हालांकि फिलहाल बिग बॉस ने सेलिब्रटी और इंडियावालों के बीच के फर्क को खत्म कर दिया है. फिर भी अपर्णा की एंट्री पर इंडियावालों का रिएक्शन देखने लायक होगा.

सामने आई अरबाज की ‘अफेयर’ की बात

सलमान खान के भाई अरबाज की निजी जिंदगी को लेकर तो अक्सर खबर आती रहती है लेकिन अब फिल्मी खबर ये है कि वो जल्द ही एक ‘अफेयर’ करने जा रहे हैं.

दरअसल अरबाज खान ने एक और फिल्म साइन कर ली है जिसका नाम है ‘रेड अफेयर’. निर्माता प्रदीप रंगवानी की इस फिल्म में अरबाज की भूमिका एक क्राइम ब्रांच अफसर के रूप में होगी. ये फिल्म करीब 100 से ज्यादा नॉवेल लिख चुके अमित खान की लिखी किताब ‘रेड अफेयर’ पर आधारित होगी. अरबाज खान ने इस फिल्म को साइन करने की पुष्टि करते हुए बताया है कि फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग उन्हें बहुत पसंद आया है और वो इस फिल्म को लेकर काफी एक्साइटेड हैं.

अरबाज खान के साथ इस फिल्म में मंजरी फडनिस, कायनात अरोरा, अश्मित पटेल और मुकुल देव नजर आएंगे और फिल्म की पूरी शूटिंग मुंबई में होगी.

अरबाज खान आजकल खूब फिल्में साइन कर रहे हैं. अलग अलग किरदार में उन्हें देखा जा रहा है. पिछले दिनों उनकी मॉरीशस से तस्वीरें भी आई थी, जहां वो सनी लियोनी के साथ अपनी फिल्म ‘तेरा इंतजार’ की शूटिंग कर रहे हैं.

मैंने कभी फिल्म की कहानी नहीं सुनीः शाहरुख

फिल्म इंडस्ट्री में अपने 25 साल के शानदार सफर के बीच शाहरुख खान के लिए अपनी फिल्मों के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल रही है लेकिन इस सुपरस्टार का कहना है कि उन्होंने फिल्म बनाने के लिए हमेशा फिल्म निर्माता-निर्देशकों से संपर्क साधा है.

शाहरुख का कहना है, ‘‘मैं कहानियों को सुनने के बजाए सीधा लोगों से मिलता हूं. आशुतोष गोवारिकर मेरे दोस्त हैं, उन्होंने ‘लगान’ फिल्म बनायी, मैं चाहता तो उनके साथ मैं काम कर सकता था लेकिन मैंने ‘स्वदेस’ को चुना. मैंने फिल्म को नहीं चुना, बल्कि मैंने उनको (गोवारिकर) चुना क्योंकि उनकी इच्छा थी कि हम साथ में ‘स्वदेस’ को बनाए.’’

शाहरुख ने बताया, ‘‘लोग सोचते हैं कि ‘अगर मैं उनके साथ एक फिल्म बना लूंगा तो वे फिल्म को सुपरहिट बना देंगे. लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं है. मैंने कभी भी फिल्म की कहानियों को नहीं सुना और जब मैं ऐसा बोलता हूं तो लोग सोचते हैं कि मैं झूठ बोल रहा हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं.’’

शाहरुख का कहना है कि निर्देशक आनंद एल राय के साथ वह अगली फिल्म में काम कर रहे हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि आनंद एल राय उन्हें फिल्म की पटकथा सुनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया. शाहरुख का मानना है कि यह करना असंगत होता क्योंकि वे पहले से ही राय के साथ जुड़े हुए थे और इसलिए उन्होंने फिल्म की कहानी सुनना जरूरी नहीं समझा.

शाहरुख ने कहा, ‘‘कभी-कभी तो यह अच्छा होता है और कभी-कभी उम्मीदें बिल्कुल अलग हो जाती है. मैं तो वास्तव में मानता हूं कि फिल्म पर फिल्म निर्माताओं का विशेषाधिकार होता है और अभिनेता को इसके बीच में नहीं पड़ना चाहिए.”

निजी जिंदगी पर ज्यादा बात नहीं करतीः दिव्या दत्ता

दिव्या दत्ता का पूरा परिवार डॉक्टरी पेशे से जुड़ा होने के बावजूद उन्होंने स्कूली दिनों से ही एक्टिंग की दुनिया में जाने की इच्छा परिवार से जाहिर कर दी थी. इसका पूरे परिवार ने विरोध किया पर मां का सहयोग रहा और उन्हीं के कारण दिव्या बौलीवुड में आने का अपना सपना साकार कर पाईं.

मुंबई आने से पहले उन्होंने पंजाब में मौडलिंग भी की. पहली फिल्म उन्हें पंजाबी नहीं हिंदी मिली. इस के बाद उन्हें पंजाबी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. 1994 में आई फिल्म ‘इश्क में जीना इश्क में मरना’ से 17 साल की उम्र में दिव्या ने हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया. मगर उन्हें बड़ा ब्रेक मिला फिल्म ‘वीरगति’ (1995) में. इस फिल्म में दिव्या ने सलमान खान की बहन संध्या का किरदार निभाया. नेपाली फिल्म ‘बसंती’ और मलयालम फिल्म ‘ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार’ में भी दिव्या ने काम किया है.

मगर ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘वैलकम टू सज्जनपुर’ फिल्मों में उनके काम को खूब वाहवाही मिली.

दिव्या ने पहली बार अपनी भूमिका फिल्म ‘चौक एंड डस्टर’ से बदली है. इस फिल्म में उनकी निगेटिव भूमिका है. इस समय लाइफ ओके के क्राइम शो ‘सावधान इंडिया’ को होस्ट कर रही हैं.

हाल ही में दिव्या से मुलाकात के दौरान अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया, ‘‘मैं पंजाब के एक छोटे से गांव से हूं. वहां उस समय इंटर स्कूल भी नहीं था. मुझे अपनी सहेलियों के साथ दूसरे गांव में पढ़ने बस से जाना पड़ता था. बस स्टौप पर एक लड़का मुझे रोज घूरता था और जैसे ही बस आती तभी चढ़ने के बहाने से पीछे से धक्का मारा करता था. शुरू में तो मैं उस घटना को इग्नोर करती रही लेकिन मेरे इग्नोर करने से उस की हिम्मत और बढ़ने लगी. और वह बदतमीजियां करने लगा तब मैंने मां को बताया. तो उन्होंने कहा तूने बताने में देर कर दी है.  पहले ही दिन जब उसने तुझे टच किया था तभी तुझे उसे जवाब देना चाहिए था. तब मैंने ठान लिया कि अब मैं उसे सबक सिखा कर रहूंगी. दूसरे दिन जब में स्कूल के लिए बस पकड़ने निकली, मेरी मम्मी भी जो सरकारी जौब में थीं, वे भी सड़क पर अपने स्टाफ के साथ खड़ी हो गईं कि अगर बात आगे बढ़ी तो वो संभाल लेंगी. जैसे ही बस आई वह लड़का फिर से मेरे पीछे आया जैसे ही उस ने धक्का मारा मैं ने पलटकर तड़ाक से एक थप्पड़ उस के गाल पर रसीद कर दिया. थप्पड़ की आवाज सुन कर सभी देखने लगे. उस घटना के बाद वह लड़का कभी नजर नहीं आया. मेरे अंदर हिम्मत और आत्मविश्वास भर गया कि अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सहन नहीं वरन उस का डट कर सामना करना चाहिए.’’

मां का साथ हमेशा रहा

दिव्या ने बताया, ‘‘मेरे परिवार में जहां सभी डॉक्टर हैं. मेरे लिए भी मेरे पेरैंट्स पहले से तय कर चुके थे कि मुझे भी इसी लाइन में जाना है. पर मेरा दिल कहीं और लगता था. मुझे ऐक्टिंग पसंद थी. जब यह बात मैं ने मां को बताई तब सारे परिवार के विरोध के बाद मां ने मेरा साथ दिया और आज में उन्हीं की बदौलत यहां हूं. मेरी मां ने हमेशा यह बात समझाई कि जो मन करे वह करना चाहिए. इस पुरुषों के वर्चस्व वाली दुनिया में अगर तुम हिम्मत से परेशानियों का सामना करोगी तो कभी अपने आप को हारती नहीं पाओगी.’’

निजी जिंदगी सभी से शेयर नहीं करती

निजी जिंदगी की बातें कभी किसी से शेयर नहीं करने के सवाल पर दिव्या ने बताया, ‘‘मैं ने कभी किसी से नहीं कहा कि मुझ से पर्सनल सवाल न पूछें. बस मैं खुद इस के बारे में ज्यादा बात नहीं करती. मुझे लगता है कि एक कलाकार की जिंदगी कैमरे के पीछे और सामने बिल्कुल अलग होती है. मेरे साथ भी ऐसा ही है, मैं अपनी निजी जिंदगी को भुनाना जरूरी नहीं समझती और जो मुनासिब होता है उसे दर्शकों से शेयर करती हूं.’’

पार्टियों से दूरी

बौलीवुड अवार्ड फंक्शन और चमकदमक वाली पार्टियों से दिव्या हमेशा गायब रहती हैं. बुलाया नहीं जाता या खुद नहीं जाती? के सवाल पर दिव्या का कहना है, ‘‘मैं दूसरे सितारों से बिलकुल अलग हूं. मेरा मानना है कि हम लोगों को बड़ी मुश्किल से फ्री टाइम मिलता है. उसे भी क्यों दूसरों के चक्कर में खराब करें. मैं जब भी फ्री होती हूं तो पूरे घर की सफाई करती हूं. मुझे साफसफाई बहुत पसंद है. जब कुछ ज्यादा समय मिलता है तो अपने दोस्तों से मिलने चली जाती हूं. इस इंडस्ट्री में काम करने पर सब से बुरा यही होता है कि आप अपने दोस्तों को टाइम नहीं दे पाते. इसलिए मैं कोशिश करती हूं कि छुट्टी के दिनों में उन की शिकायतें भी दूर कर दूं.’’

सोच इनसान को नकारात्मक बनाती है

‘सावधान इंडिया’ जैसे शो समाज में अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं? के सवाल पर दिव्या का कहना है, ‘‘मुझे लगता है कि यह सिर्फ कुछ लोगों की सोच है और फिर जिसे अपनी सोच बनानी है वह ‘सावधान इंडिया’ देखने का इंतजार तो नहीं करेगा. हमारा उद्देश्य इस शो से लोगों को जागरूक करना है. मैं खुद ‘सावधान इंडिया’ में काम कर के काफी जागरूक हो गई हूं. मैं अब यों ही किसी पर भी भरोसा नहीं करती और जब किसी को मेरी मदद चाहिए होती है तो मैं पीछे भी नहीं हटती. कई बार गाड़ी में बैठे बैठे ही मुझे कई ऐसी चीजें दिखती हैं जो सही नहीं होती हैं तो मैं उसी समय उस के खिलाफ आवाज उठाती हूं.’’

लेखन का शौक

अभिनय में अपनी महारत सिद्ध कर चुकी अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने लेखन में भी हाथ आजमाया है. उन का कहना है कि लेखन सब से खूबसूरत काम है और वह इस वर्ष नाटकीयता से भरपूर अपने उपन्यास का भी लोकार्पण करेंगी. दिव्या ने एक समाचार पत्र के लिए लिखना भी तय किया और शीघ्र ही उन के प्रशंसक उन के कौलम के जरीए उन के विचारों से रूबरू हो सकेंगे.

दिव्या दत्ता ने बताया, ‘‘मैं एक उपन्यास लिख रही हूं. यह एक काल्पनिक कहानी है, जिसमें काफी नाटकीयता है. अगले साल तक इस के आने की उम्मीद है.’’

दिव्या ने बताया कि उन्हें लेखन बेहद पसंद है, लेकिन वे शुरू से ही जानती थीं कि अभिनय का क्षेत्र ही उनकी सही मंजिल है.

एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, मैं अपने स्कूल की हैडगर्ल थी. एक बार स्कूल में मुझ से पूंछा गया कि मैं बड़ी हो कर क्या बनना चाहती हूं. तो मैं ने कहा कि अभिनेत्री. तब मुझसे कहा गया कि मैं ऐसी कहानियां न गढ़ूं. लेकिन वर्षों बाद वे सब मुझसे मिलने मुंबई आए और सब ने कहा कि उन्हें मुझ पर गर्व है. 

मैं 4 साल की उम्र से ही अमिताभजी की एक्टिंग किया करती थी. बचपन से ही स्कूल में होने वाले हर नाटक में मेरी भागीदारी होती थी. बड़े होने पर मौका मिला तो मेहनत कर आज आप लोगों के बीच पहचान बनाई.

तू खुद की खोज में निकल कभी…

‘क्वीन’ फिल्म तो आपने देखी होगी. अगर नहीं देखी तो जरूर देखिए. रानी (कंगना रनौत) की शादी टूट जाती है. इससे दुखी होकर रानी अकेले ही अपने हनीमून पर निकल पड़ती है. रानी अकेले ही विदेश में सब मैनेज करती है. वह सब करती है जिसे करने से उसे रोका गया, दोस्त बनाती है. जिन्दगी को खुलकर जीती है. माना की आप संबंधों में बंधी हैं, जो जरूरी भी है. पर जिन्दगी तो एक ही है(7 जन्मों का क्या भरोसा?), इसलिए बस एक बार, अकेले, आजाद होकर निकल पड़िए खुद की खोज में.

सोलो ट्रेवल करने से आपको जिन्दगी, इंसानों और अलग अलग कल्चर के बारे में जानने का मौका मिलता है. अकेले ट्रेवल करना सारे बंधनों से मुक्त होने जैसा है. सारे हदों से परे हो जाना है. किसी पर निर्भरता नहीं, किसी की चिंता नहीं, आपके पास अगर कोई है तो वो आप खुद हैं. अगर आपको लगता है कि आप इन सब के लिए तैयार हैं तो निकल पड़िए अकेले सफर पर. आइए जानते हैं की अकेले सफर करना क्यों जरूरी है-

1. डीसिजन मेंकिंग

जब आप अकेली होती हैं, तब छोटे से छोटे डीसिजन भी आपको खुद ही लेना पड़ता है. कहां सेल्फी के लिए रुकना है, कहां खाना खाना है और भी बहुत कुछ. आपको हिचक महसूस होगी और आप से गलतियां भी होंगी पर ऐसे ही तो हम नई चीजें सीखते हैं, है ना?

2. खुद के इम्तहान

सोलो ट्रिप पर आप अपनी हर इच्छा पूरी कर सकती हैं. आपको किसी भी चीज को करने से पहले हिचकिचाहट महसूस होगी. जैसे- ट्रेकिंग, स्कींग, डाइविंग. ज्यादा सोचने से बेहतर है उसे कर के देखना.

3. सुनें सिर्फ खुद की

आपके आसपास हमेशा भीड़ लगी रहती है. इतने शोर में आप अपनी आवाज ही नहीं सुन पाती. पर जब आप अकेली होती हैं तब आप अपने अंदर की आवाज को भी सुन सकती हैं.

4. खुद पर निर्भरता

आपकी सहायता के लिए कोई नहीं होगा. इसका ख्याल आपको विचलित भी कर सकता है. पर इंसान में सब कुछ करने की क्षमता होती है. आपको अपना ट्रिप खुद प्लान करना होगा. सबसे बुरी और अच्छी बात यह है कि अपने हर डीसीजन की जिम्मेदार आप खुद होंगी.

5. खुद की खोज

सोलो ट्रेवलिंग से आप खुद को ढूंढ सकती हैं. अकेले सफर में आप खुद के बारे में बहुत कुछ पता कर सकती हैं. जैसे कि क्या आप ट्रेकिंग कर सकती हैं या फिर क्या आप स्काई डाइविंग कर सकती हैं?

6. खुद से करें बातें

इस बात का जवाब तो आपको मिल ही जाएगा, क्योंकि कई दिनों तक आप अकेली होंगी. खुद से बातें करने का भी अपना एक अलग ही मजा है.

7. अजनबियों से दोस्ती

जिनसे आप कभी मिले नहीं और जिनसे शायद फिर कभी मिलना न हो, ऐसे लोगों से बातें करने का अलग ही अनुभव होता है. कई बार दोस्तों से ज्यादा अजनबी ही आपको समझ पाते हैं.

8. बनें थोड़ा मतलबी

सोलो ट्रेवल का मतलब आप अपनी मनमानी कर सकती हैं. जो जी में आए वो करिए, क्योंकि क्या पता कल हो न हो!

तो इंतजार किस बात का है, जैसे ही मौका मिले निकल पड़िए सोलो ट्रिप पर.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें