सलमान कर चुके हैं यूलिया से शादी!

सलमान खान और यूलिया वंतूर के रोमांस की खबरें हमेशा मीडिया में छाई रहती है. कुछ दिनों से ये खबरें भी आ रहीं थी कि दोनों इस साल के अंत तक शादी भी कर लेंगे. लेकिन दोनों में से किसी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया.

इसी बीच एक रोमानियन टेब्लॉयड ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि सलमान और यूलिया की शादी हो चुकी है. टैबलॉयड की माने तो रोमानिया में यूलिया को मिसेज खान कहा जाता है. अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो सलमान और यूलिया ही बता सकते हैं.

अभी हाल ही में सलमान ने लेह लद्दाख में ‘ट्यूबलाइट’ की शेड्यूल पूरी की है. बता दें कि इस शूट में सलमान के साथ यूलिया भी मौजूद थीं. यूलिया, सलमान की फैमिली और फ्रैंड्स के बहुत करीब हैं. कहा जाता है कि सलमान और यूलिया की पसंद बहुत हद तक एक-दूसरे से मिलती हैं. दोनों को डिनर डेट और फिल्मों की स्क्रीनिंग पर बहुत बार साथ देखा गया है.

जैकलीन का ये डांस देख आप भी हो जाएंगी उनकी दीवानी

बौलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस इन दिनों सोशल मीडिया में छाई हुई हैं. जैकलीन अपनी अपकमिंग फिल्म में पोल डांस को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं. फिल्म ‘अ जेंटलमैन’ में वह पोल डांस करती हुई नजर आएंगी. इसे लेकर उनके फैंस उनके डांस मूव्ज देखने को बेताब हैं.

इन दिनों जैकलीन का एक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह कमाल के डांस मूव्ज करती दिख रही हैं. जैकलीन ने यह वीडियो अपने सोशल अकाउंट पर शेयर किया है. इस वीडियो में वह डांस प्रैक्टिस करती हुई नजर आ रही हैं. यह डांस वह अपने अपकमिंग नंबर पर करती हुई दिखाई देंगी ‘बंदूक मेरी लैला’.

इस वीडियो को जैकलीन ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है. वहीं उन्होंने अनाउंस भी किया है कि यह एक वर्कशाप है. इस वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है, ‘इनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा.’

‘ए जेंटलमैन सुंदर सुशील रिस्की’ एक एक्शन-कामेडी फिल्म है. फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा डबल रोल में हैं. एक का नाम गौरव है और दूसरे का ऋषि. गौरव एक सीधा-साधा इंसान है, जबकि ऋषि थोड़ा टेढ़ा है. जैकलीन फिल्म में काव्या के किरदार में नजर आएंगी.

कुछ दिनों पहले जैकलीन ने दो वीडियो जारी किए थे, जिसमें वे अपने गाने चंद्रलेखा के लिए डांस मूव्ज की प्रैक्टिस करती दिखी थीं. मालूम हो कि,  ‘ए जेंटलमैन’ का गाना चंद्रलेखा काफी पसंद किया जा रहा है, इसमें जैकलीन अपनी मदमस्त अदाएं दिखाकर सुर्खियां बटोर रही हैं.

फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों से अच्छा रिस्पान्स मिला है. गाने भी दर्शकों द्वारा पसंद किए जा रहा हैं. फाक्स स्टार स्टूडियोज द्वारा निर्मित, राज और डी.के. के निर्देशन में बनी यह फिल्म 25 अगस्त, 2017 को रिलीज होगी.

 

 

 

 

 

 

‘‘देश का बंटवारा हुआ था या आजादी मिली थी, समझ नहीं पाया’’

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था. इस आजादी को 69 वर्ष हो रहे हैं. पर यह आजादी क्या है? आजादी के बाद देश ,समाज व सिनेमा में क्या बदलाव आए? इस पर विचार करने की जरूरत है. इसीलिए हमने दस साल पहले फिल्म ‘‘रंग दे बसंती’’ से युवा पीढ़ी के अंदर जोश भरने वाले फिल्मकार राकेश ओम प्रकाश मेहरा से बात की.

भ्रष्टाचार पर ‘‘रंग दे बंसती’, धर्म व जात पात के खिलाफ ‘‘दिल्ली 6’’, खेल के साथ देश के बंटवारे पर ‘‘भाग मिल्खा भाग’’ बनाने के बाद अब राकेश ओम प्रकाश मेहरा प्रेम की व्याख्या करने वाली फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ बनायी है, जो कि सात अक्टूबर को प्रदर्शित होगी.

राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने हमारा यह सवाल सुनने के बाद कहा- ‘‘सच कहूं तो उस वक्त देश का बंटवारा हुआ था या हमें आजादी मिली थी, यह बात आज तक मेरी समझ में नही आयी. जहां तक सिनेमा का सवाल है तो, लेखक व निर्देशक वही कहानी बता सकेगा, जो उसे तंग करती है.’’

राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने अपनी बात को आगे बढाते हुए कहा- ‘‘जब देश को आजादी मिली थी, तब एक नया जोश था.उमंग थी, तब ‘साथी हाथ बढा़ना रे’, यह देश है वीर जवानों का’गीत बने थे.

उस वक्त कमाल का सिनेमा बना. ‘दो आंखे बारह हाथ’,‘नया दौर’ जैसी फिल्में बनी. उस वक्त देश वासियों के साथ साथ फिल्मकारों के दिल में भी था कि चलो देश बनाते हैं. मगर देश बना नहीं. अचानक युवा वर्ग को नौकरियां नहीं मिली. भ्रष्टाचार बढ़ गया. बंगाल फेमिना आ गया. महाराष्ट्र में अकाल पड़ गया. पाकिस्तान के साथ दो तीन युद्ध हो गए. चीन से चपट खायी. हाल यह हुआ कि ‘जिन्हें हिंद पर नाज है, वह कहां हैं? कहां हैं? कहां हैं? मतलब, ‘नहीं चाहिए यह दुनिया, यह ताजो यह तख्त.’ और तब हमारा हीरो वह बन गया, जो उस वक्त ब्लैक में सिनेमा की टिकट बेचता था. काला बाजारी करता था. देव आनंद पहले अभिनेता थे, जो नेगेटिव यानी कि नकारात्मक किरदार निभाकर हीरो/नायक बना.

अन्यथा उन दिनों हीरो तो स्कूल शिक्षक हुआ करता था. पहले पुलिस आपके मोहल्ले में आ जाए, तो पूरा मोहल्ला बदनाम हो जाता था. पर कहां चोर हीरो बनने लगा. 1965 के काल में जब इतना बुरा हाल हुआ, तो हमने पलायनवाद ढूंढ़ लिया. हमारा हीरो नाचने लगा. पहली बार नाचा. इससे पहले सिनेमा की शुरूआत से हीरो नाचता नहीं था. वह गीत भले गा लेता था. राज कपूर,अशोक कुमार और दिलीप कुमार तो देव आनंद से बड़े हीरो रहे हैं. के एल सहगल से बड़ा स्टार रहा ही नहीं.

जब शम्मी कपूर साहब पहली बार नाचे थे, मेरी उनसे बात भी हुई, उन्होंने खुद कबूल किया था कि उन्हें भी यह बात बहुत बाद में समझ में आयी थी. क्योंकि देश रो रहा था. उसे खुशियों की जरूरत थी. जो उसकी रोज की जिंदगी में नहीं मिल रही थी. उस वक्त हम ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशन रवाना होते समय मानकर चलते थे कि जहां हमें पहुंचना है, वहां पहुंचने तक ट्रेन सोलह से 17 घंटे लेट होनी ही है.

ट्रेन कहीं भी रूक जाएगी. पटरी से उतर जाएगी, एक्सीडेंट हो जाएगा. जेब कतरे या डाकू ट्रेन के डिब्बे में घुस जाएंगे. तो हमने अपने सिनेमा में पलायनवाद डाला. और फिल्म में हमारा हीरो नाचने लगा. अब शायद समय बदला. बीच में डार्क स्टेज आ गया था. हमने ऐसा हीरो पैदा किया, जो सिस्टम के विरुद्ध था. तब ‘सत्यकाम’ जैसी फिल्में बनी.

अमिताभ बच्चन जी की कई फिल्में इसी तरह की आयीं.फिर चाहे वह‘दीवार’रही हो या ‘त्रिशूल’ या कोई अन्य.जब हमने सिस्टम के खिलाफ स्मगलर बन गए, हमने स्मगलर को अपना हीरो बना दिया, तो समाज का पतन का परिचायक था. स्मगलर को पैसा दिखता है और लोगों को उस वक्त पैसा ही चाहिए था.

फिर हीरो ही गायब हो गए. बीस तीस साल तक फिल्म से हीरो गायब रहा. क्योंकि समाज से ही हीरो गायब हो चुका था. किसको हीरो बनाएं. तब दकियानूसी बातें होने लगीं. उस वक्त फिल्मकार ने सोचा कि किसी को हीरो नहीं बनाते.

पोलीटीशियन/ राजनेता को ही गालियां बकते जाओ,वही हीरो हो गया. हीरो वाली बात थी ही नहीं. हीरो वह होता है जो आपको प्रेरणा दे. वैसा प्रेरणा देने वाला कोई आया ही नहीं.तो फिल्मों में मसाला, धूम धड़ाम, एक्शन,सब पिरोया जाने लगा. पलायनवाद एक नए स्तर पर पहुंच गया.’’

अपनी ही लय में बोलते हुए उन्होंने आगे कहा- ‘‘अब सुनने में आया है कि इकोनामी खुली है, जिसकी वजह से चीजें बदली हैं. कहा जा रहा है कि लोगों के पास पैसा आ गया. मुझे लगता है कि कन्जूमेरिज्म आ गया है. प्रगति आयी या नहीं, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा. क्योंकि अभी भी गरीब तो बेचारा गरीब ही है. आपने गरीब के लिए आफिस जाने के लिए ऐसी कोई ए.सी. ट्रेन बनाकर नहीं दी, जिसमें वह आराम से बैठकर आ जा सके. उसे दूसरे का पसीना नहीं सूंघना पड़ता. उसका मोबाइल छीनकर कोई न भागता. हर दिन आठ दस लोग लोकल ट्रेन में चढ़ते उतरते मरते हैं.

अभी लोग रेलवे पटरी पर बैठकर शौच करते हैं और ट्रेन उन्हे उड़ाकर ले जाती है. तो सिनेमा वही बनेगा, जो समाज व देश में हो रहा है. या समाज को रिफलेक्ट करेगा या उसे न्याय संगत बताएगा. समाज में जो कुछ हो रहा है, उससे सिनेमा प्रेरित होगा अथवा उससे वह आपको पलायनवाद देगा.’’

वह आगे कहते हैं- ‘‘सिनेमा की यह जो स्थिति है,उसके लिए फिल्मकार या गैर फिल्मकार या आम जनता या राजनेता किसी का दोष नहीं है.उन्होने न तो अच्छा काम किया और न ही बुरा काम किया.’’

‘‘यदि फिल्मकार समाज का बदलाव कर रहा है,तो इसके यह मायने नहीं कि वह बहुत भारी काम कर रहा है. हम फिल्मकार कोई बड़ा काम नहीं कर रहे हैं. हमारा काम दर्शकों का मनोरंजन करना, उसको कहानी सुनाना है, यह मानना बहुत जरुरी है अन्यथा मेरी नानी मुझे थप्पड़ मार देगी. उसका कहना है कि मान लिया तुमने सब कुछ कर लिया,पर मोरल आफ स्टोरी क्या है? मैं खुश हूं या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है. देश बदल रहा है या नहीं, यह अति महत्वपूर्ण है. देश बदलेगा,तभी समाज व हम बदलेंगे.’’  

अब हमारे देश में हीरो कम कैसे हो गए? इस सवाल पर ‘‘सरिता’’पत्रिका से राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने कहा- ‘‘क्योंकि हमने सही बात नहीं सिखायी. हम बच्चे को सिखाते हैं कि चिंता मत कर. तेरा ड्रायविंग लायसेंस बनकर आ जाएगा. रेड लाइट क्रास करने पर वह कुछ रूपए देकर जिस तरह से आगे बढ़ जाता है,उससे लड़के को लगा कि यह तो ज्यादा आसान है.तो कहीं न कहीं परिवार के स्तर पर ही हमने अपने अंदर के हीरो को मार दिया. तो परदे पर हीरो कैसे नजर आएगा. परदे पर हमने हीरो को सिर्फ नारे लगाते ही दिखाया. इसीलिए हीरो खत्म हो गए.

किसने अक्षय के साथ शूट करने से किया इंकार

बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार अपने को स्टार इलियाना डिक्रूज और इशा गुप्ता के साथ अपनी फिल्म ‘रुस्तम’ के प्रमोशन के लिए कपिल शर्मा के शो ‘द कपिल शर्मा शो’ के सेट पर पहुंचे थे. अपने पसंदीदा स्टार्स को देख कर ऑडियंस के अंदर काफी उत्साह था और वो अपने पसंदीदा स्टार्स से मिलना चाहते थे.

मगर उन में से दो ऐसे थे जो इस मुलाकात को नजर अंदाज करना चाहते थे. जी हां! वो दो कोई और नहीं बल्कि अली असगर और किकू शारदा थे.

मगर इससे पहले कि आप अपनी कल्पनाओं से कुछ अलग अनुमान लगाएं हम आपको बता दें कि अली और किकू दरअसल ‘रुस्तम’ के स्टार्स से नाराज होने की वजह से नहीं बल्कि अक्षय कुमार को देख कर दर्शकों के उत्साह की खींच-तान में खुद के घायल होने से बचना चाहते थे.

करीबी सूत्रों से पता चला कि अली और किकू सेट पर थे, अक्षय कुमार जैसे ही सेट पर आए तो दर्शकों का क्रेज देखने के बाद दोनों ने शूट करने के लिए मना कर दिया. इस कोलाहल के बीच दोनों ने सेट पर नहीं आए और अपने रूम में ही बैठे रहे.

जब अक्षय को इस बात का पता चला वो उन्हें सेट पर ले आने के लिए ऑफ स्टेज दोनों को ढ़ूंढने के लिए गए और बड़े ही रोचक तरीके से अक्षय और उनके बॉडीगार्ड ने दोनों को खींच कर सेट पर ले गए. आपको बता दें कि ये सब ऑन कैमरा दर्शाया गया हैं जो ‘द कपिल शर्मा शो’ के आने वाले एपिसोड में दिखाया जाएगा.

सुधा चंद्रण फिर दिखेंगी ग्रे शेड में

नागिन सीरियल के फैन्स को ये गुड न्यूज तो पहले ही मिल चुकी है कि इसका दूसरा पार्ट जल्द आपके सामने आने वाला है. इसी के साथ आप इस खबर से भी रू-ब-रू होंगे कि इसमें मौनी रॉय और अदा खान भी आपको नजर आएंगी.

लेकिन हम आपके लिए इस सीरियल से जुड़ी एक और गुड न्यूज लेकर आए हैं. दरअसल सूत्रों की माने तो नागिन के सीजन 2 में आपको टीवी की मशहूर एक्ट्रेस सुधा चंद्रन भी दिखाई देंगी.

पहले सीजन में यामिनी का रोल काफी पॉपुलर हुआ था, इसलिए इस बार भी इस कैरेक्टर को सीजन 2 में दिखाया जाएगा. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि सुधा को इस सीरियल में किस अवतार में दिखाया जाएगा.

आपको बता दें कि सुधा इससे पहले कई सीरियल्स और फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. सुधा एकता कपूर के सीरियल ‘कहीं किसी रोज’ में रमोला सिकंद के किरदार में देखी गई थीं, जिसके बाद उनका ये कैरेक्टर काफी पॉपुलर हुआ था. इसमें मौली गांगुली भी लीड रोल में थीं.

आपको बता दें कि सुधा चंद्रन एक बेहतरीन क्लासिकल डांसर भी हैं. लगभग पांच वर्ष की उम्र से ही संगीत की तालीम शुरू कर देने वाली सुधा ने 17 साल की होते-होते 75 से अधिक स्टेज शो देकर भरतनाट्यम की उम्दा कलाकार के रूप में शोहरत हासिल कर ली थी.

2017 में ये जोड़ी करेगी धमाल

अजय देवगन फैंस के लिए एक बेहतरीन खबर. जो दर्शक काफी समय से अजय देवगन और काजोल को एक साथ स्क्रीन पर देखना चाहते थे. बस उनकी इच्छी पूरी होने ही वाली है. जी हां, अजय देवगन ने खुद रिवील किया है कि वे काजोल के साथ एक फिल्म करने वाले हैं.

शिवाय प्रमोशन के दौरान मीडिया से बात करते हुए अजय देवगन ने साफ साफ कहा कि उनकी प्रोडक्शन फिलहाल एक फिल्म पर काम कर रही है, जिसमें अजय और काजोल मेनलीड किरदार निभाएंगे.

प्रोजेक्ट की शुरुआत इस साल के अंत तक हो जाएगी.  जबकि फिल्म साल 2017 में रिलीज होगी. है ना धमाकेदार खबर. बता दें, अजय देवगन और काजोल अंतिम बार साल 2010 में फिल्म टोनपुर का हीरो में नजर आए थे. सात सालों के बाद इन्हें साथ देखना दिलचस्प होगा.

फिल्म शिवाय के बाद अजय देवगन अगली फिल्म बादशाहो और गोलमाल अगेन पर भी काम शुरु करने वाले हैं. यानि एक के बाद एक अजय धमाका करने के लिए तैयार हैं.

जानें अजय देवगन की आने वाली फिल्में

अजय देवगन-काजोल

अजय देवगन ने कहा है कि काजोल के साथ उनकी एक फिल्म जल्द ही आएगी. फिल्म 2017 में रिलीज होगी.

शिवाय

अजय देवगन की इस फिल्म का हमें बेसब्री से इंतजार है. फिल्म 2016 की दिवाली पर रिलीज होने वाली है. फिल्म की डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स इरोज इंटरनेश्नल ने खरीद ली है.

सन्स ऑफ सरदार

‘सन्स ऑफ सरदार’ सारागढ़ी की ऐतिहासिक लडाई पर बन रही है, जो 12 सितंबर 1897 में सिक्ख रेजिमेंट के 4th बैटेलियन के 21 सिक्खों ने लड़ी थी. दिसंबर में ‘शिवाय’ की शूटिंग पूरी करने के बाद अजय देवगन ‘सन्स ऑफ सरदार’ की शूटिंग शुरू करेंगे. फिल्म 2017 की दिवाली पर रिलीज होगी.

बादशाहो

मिलन लूथरिया निर्देशित फिल्म बादशाहो अब 26 जनवरी को रिलीज ना होकर 10 मार्च 2017 को रिलीज होगी. फिल्म में अजय के साथ श्रुति हसन दिखेंगी.

गोलमाल 4

रोहित शेट्टी अपनी अगली फिल्म गोलमाल 4 पर काम शुरू करने वाले हैं. अजय देवगन स्टारर इस फिल्म अगले साल अगस्त में रिलीज हो सकती है.    

सिंघम 3

गोलमाल 4 पर काम खत्म कर रोहित शेट्टी सिंघम 3 पर काम शुरू कर देंगे. फिल्म में अजय देवगन का होना फाइनल ही है. फिलहाल फिल्म से जुड़ी कोई जानकारी बाहर नहीं आई है.

कबीर

अजय देवगन और अमिताभ बच्चन की इस फिल्म का नाम ‘कबीर’ कहा जा रहा है. फिल्म का निर्देशन पहलाज निहलानी करेंगे. फिल्म बाबरी मस्जिद कांड पर बनेगी.

रेमो डिसूजा की फिल्म

अजय देवगन-सूरज पंचोली की फिल्म की शूटिंग अगस्त-सितंबर तक शुरू हो जाएगी. इस फिल्म का निर्देशन रेमो डिसूजा करेंगे. यह दो भाईयों की डांस-एक्शन फिल्म होगी.

ट्रिपल रोल में दिखेंगी विद्या

विद्या बालन इस समय ‘बेगम जान’ नाम की महिला केंद्रित फिल्म कर रही हैं. इसकी कहानी एक वैश्यालय के इर्द गिर्द घूमती है, जिसकी वैश्याएं भारत-पाकिस्तान विभाजन का शिकार बनती हैं.

जानकारी के अनुसार फिल्म में विद्या, रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुल्तान और मीराबाई तीनों के किरदार में दिखेंगी. डिजाइनर रिकी रॉय ने विद्या के लिए तीनों के कॉस्ट्यूम पर कई सप्ताह तक रिसर्च किया है.

‘बेगम जान’ बंगाली फिल्म राजकाहिनी की रीमेक है. इसका निर्देशन सृजित मुखर्जी ने किया है. इसमें विद्या वाली भूमिका रितुपर्णा सेनगुप्ता ने निभाई है. बेगम जान में गौहर खान, ईला अरुण और मिष्ठी भी नजर आएंगी.

अमीर बनने के लिए 10 आसान तरीके

हर इंसान अमीर बनना चाहता है. इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता है. बावजूद इसके अधिकांश लोग सफल नहीं हो पाते. असफल होने पर ज्‍यादातर लोग अपनी किस्‍मत को कोसते नजर आते हैं. वहीं,  कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बहुत कम समय में सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं. ऐसे में आपके जेहन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि धनी लोगों में ऐसा क्‍या खास है, जिसके दम पर वे बड़ा एम्पायर तैयार कर लेते हैं?

एक ही काम पर फोकस

एक लेजर बीम किसी भी कठोर चीज को कैसे काट देती है. ऐसा इसलिए होता है कि बीम अपनी पूरी क्षमता एक ही स्‍थान पर केंद्रित करती है. ऐसा कर वह कठोर से कठोर चीज को काट देती है. ठीक इसी तरह की जीवटता अमीर या सफल लोगों में होती है. वे अपनी पूरी शक्ति एक समय में एक ही काम पर लगाते हैं. वहीं, आम लोग एक वक्‍त में कई कामों को एक साथ लेकर चलते हैं. ऐसे में वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और असफल हो जाते हैं.

गोल पर फोकस

अमीर और गरीब के बीच दूसरा बड़ा अंतर गोल को लेकर संजीदा होने का होता है. अमीर लोग अपने लक्ष्‍य को लेकर हमेशा फोकस्‍ड रहते हैं. दुनिया भर के 80% अमीर लोग अपनी सफलता की वजह अपने गोल पर फोकस्‍ड होना मानते हैं. वे अपने तय किए हुए गोल को पाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. उनके लिए गोल प्राप्‍त करने के लिए कोई चांस फैक्‍टर नहीं होता है.

सोचने का विस्तृत दायरा

अमीर और गरीब के बीच तीसरा सबसे बड़ा अंतर सोचने का दायरा होता है. अमीर लोग हमेशा खुल कर सोचने में विश्‍वास रखते हैं जबकि आम लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं. ज्‍यादातर लोग अपनी जीवन को बेहतर बनाने के चक्‍कर में ही सोचते रह जाते हैं. इस कारण वह कभी भी बड़ा नहीं सोच पाते हैं.

समय का मूल्य

अमीर और गरीब के बीच समय का उपयोग करने में भी बड़ा फर्क होता है. अमीर आदमी प्रत्‍येक घंटे के अनुसार प्लान बनाकर काम करते हैं, जबकि आम लोग महीने और साल में इसकी गणना करते हैं. अमीर जब घंटे के हिसाब से सोचते हैं तो वे अपना समय सही कामों में उपयोग कर पाते हैं. दो घंटा भी किसी फालतू के काम में खराब करते हैं तो उनको इसका अहसास हो जाता है. वहीं, आम लोग के कई दिन बर्बाद हो जाए फिर भी उनको इसका पता नहीं चल पाता है.

सीखने की ललक

अमीर बनने के लिए मार्केट के अनुसार चलना बहुत जरूरी होता है. अमीर आदमी अपने अंदर हमेशा सीखने की ललक बरकरार रखता है. किसी ने कहा है कि जिसके पास जितना ज्ञान होगा वह उतना तेजी से आगे बढ़ेगा. इसलिए अमीर आदमी हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने का प्रयास करता है. वह टीवी न देखकर किताब पढ़ना ज्‍यादा पसंद करता है.

काम के प्रति जिद्दी होना

अमीर लोग अपने काम के प्रति जिद्दी होते हैं. असफलता हाथ लगने के बावजूद वह उस पर टीके रहते हैं. यह क्रम उनके सफल होने तक चलता रहता है. कई दफा इस प्रक्रिया में अमीर लोग अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं या डुबा लेते हैं. फिर भी अपने तय लक्ष्य को पाने के लिए डटे रहते हैं. यही उनके सफलता का मंत्र होता है. एक समय के बाद वे सफल हो जाते हैं.

नेटवर्किंग की समझ

अमीर लोग नेटवर्किंग के पावर को समझते हैं. वे अपने लक्ष्य के सपोर्ट करने वाले लोगों से नेटवर्किंग करते हैं. इससे उनको अपने लक्ष्य को पाने में सहुलियत मिलती है. नेटवर्किंग से अमीर आदमी और इनोवेटिव हो जाते हैं और इसका इस्‍तेमाल वे अपने काम में करते हैं. इससे उनको सफल होने में मदद मिलती है.

जैकपॉट की उम्‍मीद नहीं

आमतौर पर आम आदमी ख्यालों में जैकपॉट  मिलने की आस लगाए हुए रहता है. उसे लगाता है कि किस्‍मत साथ देगी तो वह कुछ दिनों में करोड़पति बन जाएगा. इस चक्‍कर में वह अपना कीमती वक्‍त बर्बाद करता रहता है लेकिन अमीर  बनने वाला आदमी कभी भी ऐसा नहीं सोचता है. वह सतत प्रयास कर और निरंतर पैसा कमाने पर फोकस करता है.

डेवलपमेंट को ट्रैक करता है

आम आदमी अपनी किए हुए काम को शायद ही ट्रैक करता है. वह इस बात की परवाह बहुत ही कम करता है कि उसने पीछे क्‍या पाया और खोया. वहीं, अमीर आदमी या सफल आदमी अपने काम को हमेशा खुद से ट्रैक करते रहता है. वह अपने किए हुए कामों में खामियां ढूंढता है और उसे बेहतर करने का प्रयास करता रहता है.

शब्दकोष में भाग्‍य या लक जैसे शब्‍द नहीं होते हैं

गरीब आदमी या आर्थिक रूप से कमजोर लोग अपने भाग्‍य या लक को कोसते हैं. अपनी असफलता के पीछे लक को जिम्‍मेदार मानते हैं. वहीं, अमीर आदमी के शब्दकोष में लक या भाग्‍य जैसा कोई शब्‍द नहीं होता है. वे अपने मेहनत और कर्म पर विश्वास करते हैं.

सिर जो तेरा चकराए…

चक्‍कर आना एक आम समस्‍या है जिसमें कमजोरी महसूस होती है और बेहोशी लगती है. इसके आने के कई कारण होते हैं. कई बार शरीर में हारमोनल प्रॉब्‍लम की वजह से चक्‍कर आने लगते हैं और कई बार रक्‍तचाप के संतुलित न रहने के कारण ऐसा होता है.

चक्‍कर आने के दौरान, व्‍यक्ति को कम सुनाई देता है, उसे धुंधला दिखाई देता है और बात करने में तकलीफ होती है, साथ ही आलस्‍य भी आता है. चक्‍कर आने की वजह से वर्टिगो भी हो सकता है जिसमें व्‍यक्ति को हमेशा ऐसा महसूस होता है कि वह चक्‍कर खाकर गिर जाएगा.

अधेड़ उम्र की महिलाओं में ये समस्‍या अक्‍सर देखने को मिलती है. कई व्‍यक्ति अपना संतुलन भी खो देता है और गिर जाता है. रक्‍तचाप में अचानक से बदलाव आने से ऐसा होता है. इसके लिए व्‍यक्ति को अपना ध्‍यान रखना चाहिए, उसे समय पर भोजन करना चाहिए और कभी भी भोजन को स्किप नहीं करना चाहिए.

एंटीबायोटिक के सेवन के दौरान भी चक्‍कर आ सकता है. इसलिए, डॉक्‍टर की सलाह पर ही दवाओं का सेवन करें. एनिमिया होने की स्थिति में चक्‍कर आना सामान्‍य है क्‍योंकि शरीर में रेड ब्‍लड सेल्‍स की कमी हो जाती है. अगर किसी के शरीर में पानी की कमी है तो उस अवस्‍था में भी चक्‍कर आ सकता है.

ऐसे में अपने साथ हमेशा एक बोतल पानी रखें और समय-समय पर पीते रहें. धड़कन सही न होने पर शरीर से ब्रेन को रक्‍त उचित मात्रा में नहीं पहुँच पाता है, कई बार इस कारण से भी चक्‍कर आने लगते हैं. बहुत बार, इस कारण से मृत्‍यु तक हो जाती है. दिल स्‍वस्‍थ न होने पर भी चक्‍कर आता है.

अब नहीं होंगे डार्क सर्कल

आंखों के नीचे काले घेरे पड़े हुए हैं तो इसका साफ मतलब है कि आपकी नींद पूरी नहीं हो रही है. यानी अब से आपको पूरे 8 घंटों की नींद लेनी शुरु कर देनी चाहिये. इसके अलावा आपको खीरे और नींबू के रस का मिश्रण लगाना होगा, जिससे आपको कुछ ही दिनों में रिजल्‍ट मिलना शुरु हो जाएगा. आइये जानते हैं यह मिश्रण किस तरह से बना कर लगाना है.

सामग्री

खीरा और नींबू  बनाने और लगाने की विधि  

खीरे को घिस कर उसमें आधा नींबू का रस मिलाइये.  फिर इसे फ्रिज में ठंडा होने के लिये छोड़ दीजिये.  जब यह ठंडा हो जाए तब इसे छान कर इसका रस निकाल लीजिये और इस रस को आंखों के नीचे उंगलियों की सहायता से लगाइये. 15-20 मिनट के बाद चेहरे को धो लीजिये.  इस विधि को हर दूसरे दिन कीजिये और रिजल्‍ट देखिये.

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