उफ ये दीवाने

अपने फैंस की दीवानगी की वजह से सिने तारिकाओं को अकसर परेशानी उठानी पड़ती है. प्रियंका चोपड़ा के साथ अभी हाल में ऐसा ही हुआ. प्रियंका का एक चाहने वाला रात को शराब के नशे में टल्ली हो कर उन के बरेली वाले बंगले पर पहुंच गया और जोरजोर से सौरी प्रियंका, मुझे माफ कर दो… बारबार चिल्लाने लगा.

बवाल की सूचना फैली तो कोतवाली पुलिस उसे उठा लाई और हवालात में डाल दिया. पकड़ा गया युवक फर्रुखाबाद का रहने वाला है और एमबीए पास है. पिछले दिनों भी उस ने बंगले पर पहुंच कर हंगामा किया था. तब भी पुलिस ने उसे जेल की हवा खिलाई थी.

दीवानी हांड़ी

सामग्री

3 आलू, 10-12 फ्रैंच बींस, 1 कप सेम कटी हुईं, 3 गाजर, 1/2 कप मटर, 6 छोटे बैगन, 1 गड्डी मेथी, 3 प्याज कटे, 1 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट, 1 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 1/2 कप तेल, 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी, 6 हरीमिर्चें, नमक स्वादानुसार.

विधि

आलुओं को छील कर काट लें. बैगनों के डंठल हटा कर 2 टुकड़ों में काट लें. मेथी साफ कर काट लें. हरीमिर्चों को भी बीज निकाल कर काट लें. अब एक बरतन में तेल गरम कर प्याज भूनें. इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट डाल कर थोड़ी देर भूनें. फिर इस में मिर्च पाउडर, हलदी पाउडर, मेथी और नमक मिला कर 3-4 मिनट पकाएं. अब इस में सारी कटी सब्जियां और 1 कप पानी मिला कर अच्छी तरह पकाएं. फिर धनियापत्ती और हरीमिर्चें डाल कर पानी सूखने तक पकाएं और फिर गरमगरम परांठों के साथ सर्व करें.

आखिर ले डूबी अतिमहत्त्वाकांक्षा

आमतौर पर समझा यह जाता है कि औरतें अपने बेटबेटियों के लिए पतियों को कालीसफेद कमाई करने के लिए उकसाती हैं. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता बिना बच्चों वाली अनब्याही नेता हैं पर अब 1991 से 1996 के बीच करोड़ों कमाने के आरोप में गुनहगार पाई गई हैं. मामले तो उन पर बहुत से चले पर बाकियों में बच गईं और अस्वाभाविक कमाई से धन जमा करने के आरोप में फंस गईं. बैंगलुरु की विशेष अदालत ने उन्हें 66 करोड़ कमाने के आरोप में 4 साल की जेल और 100 करोड़ के जुर्माने की सजा सुनाई है.

18 साल से चल रहा यह मुकदमा अभी सुप्रीम कोर्ट तक 2-3 सालों में आएगा और तब तक जयललिता शायद जेल में रहेंगी. बीचबीच में निकलेंगी पर उन का राजनीतिक कैरियर लगभग खत्म हो जाएगा.

जयललिता ने ऐसा क्यों किया, यह सवाल हमेशा पूछा जाता रहेगा क्योंकि जब वे राजनीति में आई थीं उस वक्त भी पैसे वाली सफल तमिल हीरोइन थीं. राजनीति उन की महत्त्वाकांक्षा थी, पैसा कमाने की मशीन नहीं पर उन्होंने उसे ऐसे ही इस्तेमाल किया जैसे आज पत्नियां अपने पतियों को करती हैं कि और दो, और दो. उन दिनों उन्होंने अपने एक मुंहबोले बेटे का विवाह भी किया था, जिस में बेहिसाब खर्च किया गया था. इस शादी में जयललिता और उन की सहेली शशिकला तब भी लाखों में मिल रही साडि़यों में सजीधजी और लाखों के हीरों से लदीफदी मेहमानों का स्वागत करती रही थीं.

जब पहली बार जयललिता जेल गई थीं तो उन के घर से मिले उन के कपड़े, जूते व जेवर वगैरह महीनों तक खबरों में रहे थे. बिना बच्चों वाली, बिना पति वाली, बिना रिश्तेदारों वाली जयललिता को आखिर किसलिए पैसे, जेवर, साडि़यों का मोह था, यह सब को आश्चर्यचकित करता रहा था.

औरतें असल में इन्हें अपनी शक्ति का प्रतीक समझती हैं. यह वह धन है जिसे वे छिपा कर अपने कब्जे में रख सकती हैं. वे इसे न कम करना चाहती हैं, न शेयर करना चाहती हैं. यह धन वे खुद मैनेज कर सकती हैं. मकान, दुकान, उद्योग, जमीन को मैनेज करने के लिए उन्हें दूसरों की जरूरत होती है. किस पर वे भरोसा करें किस पर नहीं, उन्हें पता नहीं रहता.

औरतों की सब से बड़ी शक्ति उन का अपना शरीर है और वे शरीर का उपयोग कर के अपने अस्तित्व को बचाती हैं. वैसे ही वे उस धन को बचाती हैं, जो शरीर के निकट हो. आदमियों की तरह उन्हें टाटा, बिड़ला, अंबानी बनने में सुख नहीं मिलता.

जयललिता ने जो कुछ कमाया वह अपने लिए कमाया और यदि वह कमाई हो सकती थी तो कोई वजह नहीं थी कि वे इस कमाई को छोड़तीं. राजनीति में पैसा है और जो कह रहे हैं कि न खाएंगे न खाने देंगे, वे यह भूल रहे हैं कि उन के नाम पर लोग खाएंगे भी खिलाएंगे भी. नरेंद्र मोदी को जिताया है उन लाखों व्यापारियों ने जो दुनिया भर में फैले हैं और भारत के संसाधनों का उपयोग कर के अरबों कमाना चाहते हैं. उन्हें जिताया है धर्म की दुकानें खोले लोगों ने जो दान, कुंडली, वास्तु, पूजापाठ व तीर्थयात्राओं के नाम पर कमा रहे हैं.

जयललिता को सजा मिली है पर इस का अर्थ यह नहीं कि देश से भ्रष्टाचार समाप्त हो गया. जयललिता साजिशों की शिकार हुई हैं और अपने को बचा नहीं पाईं. दूसरे कई राजनीतिबाज ऐसे हैं जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं पर वे बच निकल रहे हैं क्योंकि उन्होंने तरीके अपना लिए हैं बच निकलने के.

धनलोलुपता सत्ता के साथ आएगी ही. जब आप के साथ रह कर लोग करोड़ों नहीं अरबों कमाएंगे तो आप अपना कमीशन क्यों न लेंगे? जयललिता ने यही किया है. नई सरकार जब तेल, कोयले, सड़कों, हवाईजहाजों, जमीनों, हथियारों के सौदे करेगी और साफ दिखेगा कि सामने वाला अरबों कमीशन या मुनाफा कमा रहा है तो कैसे अपनों को बनाने नहीं देगा? अपने बच्चे न होना, विवाहित साथी का न होना कोई वजह नहीं कि रिश्वत के सोने का पाउडर अपने हाथों में न लगने दिया जाए. सोने की चमक से कौन अछूता रह सकता है. खुद नहीं खाओ, यह अपनी मरजी पर दूसरे नहीं खाएंगे इस की कोई गारंटी नहीं है.

सब को पता है सब को खबर है

कहते हैं कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छिपते. लेकिन बौलीवुड की ऐसी कई जोडि़यां हैं जिन का रोमांस दुनिया वालों से छिपा कर रखा गया. जबकि कई विवाद भी हुए कई घटनाएं भी घटित हुईं. कई बेमेल जोडि़यां भी थीं जिन के प्यार का अंजाम एकदूजे को भुला कर हुआ. यहां हम आप को ऐसी ही कुछ जोडि़यों के बारे में बता रहे हैं, जो आज की तारीख में एकदूजे के लिए अनजान बन चुकी हैं.

कंगना और आदित्य पंचोली: जब 18 साल की कंगना ने बी टाउन में कदम रखा तो 40 साल के आदित्य का उन्हें साथ मिला. दोनों के बीच अफेयर भी हुआ पर जल्दी ही दोनों अलग हो गए. आदित्य से कंगना के अलग होने की वजह आदित्य का गुस्सा था, जिस की वजह से आदित्य ने कथित रूप से कंगना की पिटाई तक की.

गोविंदा और रानी: इन दोनों के प्रेम की खबर भी खूब गरम हुई. कहा तो यह भी गया कि रानी के प्रेम में गोविंदा इस कदर दीवाने हुए थे कि वर्सोवा के फ्लैट में दोनों साथसाथ रहने लगे थे. 4 साल की लंबी रिलेशनशिप के बाद दोनों का अलगाव हो गया.

सुष्मिता और विक्रम भट्ट: सुष्मिता अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत में ही शूटिंग के दौरान विक्रम भट्ट को दिल दे बैठीं. इस के बाद दोनों ने एक छत के नीचे रहने का फैसला किया. लेकिन इन का अफेयर ज्यादा दिन नहीं चल सका और जल्द ही दोनों की राहें जुदा हो गईं.

काका और अनीता: डिंपल से अलग रहने के बाद राजेश खन्ना और अनीता आडवाणी के बीच काफी नजदीकियां रहीं. अनीता के बारे में यह तो सभी जानते हैं कि वे काका की अंतिम प्रेमिका थीं.

जीवन फूलों की सेज नहीं होता

अच्छी नौकरी का क्या लाभ अगर बच्चों को अच्छी पढ़ाई न दे सके. विदेश सेवा देश की सब से अधिक सरकारी सुविधाओं वाली नौकरी मानी जाती है जिस में बाहर रह कर विदेशी माहौल में विदेशी करैंसी के हिसाब से मोटा पैसा खर्च करने का अवसर मिलता है. चूंकि विदेश सेवा में विदेशियों से समझौतों, खरीदारी अनुमतियों के अधिकार मिलते हैं, विदेश सेवा के कर्मचारियों की शक्ति अपार होती है. एक बार जिसे विकसित देश में पोस्टिंग मिल जाए वह जगह वह छोड़ना नहीं चाहता.

एक मामले में सेवाओं के लिए बनी प्रशासनिक अदालत ने एक विदेश सेवा अधिकारी की तबादला न करने की मांग इसलिए ठुकरा दी कि उस के बच्चे बाहर के देश के स्कूल में पढ़ रहे हैं. इस अधिकारी का एक बेटा संयुक्त अरब अमीरात के एक स्कूल में पढ़ रहा है और वह भारत वापस नहीं आना चाहता था.

भारत लौटने का मतलब था कि बच्चों की पढ़ाई नए स्कूल में होगी और पिता की सारी सुविधाएं भी समाप्त हो जाएंगी. अदालतों के पास इस तरह के मामले आते रहते हैं जिन में पारिवारिक कारणों से तबादला रोकने, अधिक वेतन देने, छुट्टी देने, पतिपत्नी व बच्चे एकसाथ रह सकें आदि की मांग होती है. कई बार कर्मचारी मातापिता की बीमारी या देखभाल को कारण बता कर तबादला कराना चाहता है या रुकवाना चाहता है.

वैसे अदालतें आमतौर पर फैसला सरकार के अधिकारों के अनुसार देती हैं पर चूंकि आवेदन करने और फैसला होने में 3-4 साल गुजर ही जाते हैं, बहुत से मामलों में आवेदन करने वाले का मंतव्य सिद्ध हो जाता है. औरतों को नौकरी पर रखा जाता है तो इस तरह की मांगें ज्यादा होती हैं और तरहतरह की होती हैं.

परिवार की खुशी के लिए ही लोग नौकरी करते हैं पर यह नहीं भुलाया जा सकता कि हम सब नियमकानूनों में बंधे हैं और घर पर चाहे जो आवश्यकता हो, अपनी मरजी एक हद तक ही चल सकती है. औरतों को तो विशेष अधिकारों की मांग ही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उन से वे जाहिर कर देती हैं कि वे कमजोर हैं. जहां पुरुष घर वालों के बहाने कुछ विशेष सहूलियत चाहते हैं, वे असल में अपने परिवार के कारण अपनी कमजोरी जाहिर करते हैं.

जीवन कभी फूलों की सेज नहीं होता. फूलों की सेज भी सजाने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ती है. जीवन तो संघर्ष है और हर कोने पर एक नए रूप में अवरोध खड़ा होता है. उस के लिए न तो जीवन रोका जाता है न पीछे हटा जाता है. अवरोध हटाना या पार करना ही सफलता है.

अगर अदालत ने पिता के खिलाफ फैसला दिया है तो इस में आंसू बहाना ठीक नहीं. सदियों से लोग अपने बच्चों, बीवी को छोड़ कर दूर जाते रहे हैं ताकि कुछ नया जानें, कुछ ज्यादा कमाएं.

भोपाल में दूंगी दावत

हीरोइन सोहा अली खान का भोपाल से गहरा नाता है. उन के पिता मशहूर क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी यहां के नवाब थे. हालांकि नवाब खानदान के वारिसों में जायदाद की जंग अदालत में चल रही है, लेकिन सोहा अली खान इस बारे में बोलने से कतराती हैं.

बीते दिनों वे एक जलसे में भोपाल आईं तो हमारे संवाददाता ने उन से बातचीत की. पेश हैं, उसी के कुछ खास अंश:

सुना है आप ने मंगनी कर ली है?

जी हां, आप ने ठीक सुना है. मैं ने कुनाल खेमू से मंगनी कर ली है.

शादी कब कर रही हैं?

अभी जल्दी नहीं है. अभी दोनों एकदूसरे को और समझ लेना चाहते हैं.

क्या भोपाल में शादी करेंगी?

अभी कुछ नहीं कह सकती पर इतना तय है कि शादी के बाद एक दावत यहां पटौदी हाउस में जरूर दूंगी. आखिर यह हमारा घर है. एक दावत तो यहां बनती ही है.

क्या आप की और भी फिल्में आ रही हैं?

जी हां, अक्तूबर में एक अहम फिल्म रिलीज होने वाली है, जो 1984 में हुए सिक्ख दंगों पर बनी है. एक और फिल्म ‘जीने दो’ राहुल बोस के साथ कर रही हूं, जिस के डाइरैक्टर वरुण मल्होत्रा हैं. यह एक अलग तरह की लव स्टोरी है.

घर वालों से कैसा तालमेल है?

बहुत बेहतर है. भाई सैफ अली खान न केवल जिंदगी, बल्कि फिल्मों को ले कर भी मुझे मशवरा देते रहते हैं. मैं उन के जरीए जिंदगी को एक मर्द के नजरिए से देख पाती हूं जबकि मां मुझे गलत और सही की सीख देती रहती हैं.

और भाभी करीना?

करीना उम्र में मुझ से छोटी हैं, लेकिन उन का फिल्म इंडस्ट्री में तजरबा मुझ से ज्यादा है. एक तरह से वे मेरी सीनियर हैं. हम दोनों अच्छी सहेलियां हैं और वक्त मिलने पर बौलीवुड पर गपशप करती रहती हैं.

मक्खनी गे्रवी

सामग्री

3 बड़े टमाटर कटे हुए, 2 लौंग, 4-5 काजू, 1 बड़ा चम्मच मक्खन, 1/2 छोटा चम्मच जीरा, 2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन का पेस्ट, 1/2 कप प्याज कटा हुआ, 1 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 3 बड़े चम्मच क्रीम, 1/4 छोटा चम्मच गरममसाला, 1/2 छोटा चम्मच कसूरी मेथी, 1 छोटा चम्मच टोमैटो कैचअप, 1 छोटा चम्मच चीनी, नमक स्वादानुसार.

विधि

टमाटर, लौंग और काजू का 1/2 कप पानी के साथ पेस्ट बनाएं. एक बरतन में मक्खन डाल कर जीरा चटकाएं. फिर इस में अदरक व लहसुन का पेस्ट और प्याज डाल कर भूनें. अब इस में टमाटर का पेस्ट, मिर्च पाउडर, क्रीम, गरममसाला, कसूरी मेथी, टोमैटो कैचअप, चीनी व नमक मिला कर उबाल आने दें. अब इस में मनपसंद सब्जियां डाल कर सर्व करें.

गुणवत्ता से समझौता नहीं

नरेंद्र मोदी सरकार ने देशी उत्पादकों को राहत देने के लिए खुद ही गुणवत्ता का प्रमाणपत्र देने के सुझाव को मान लिया है. अरसा पहले सरकार ने भारतीय मानक संस्थान बना कर यह अधिकार अपने हाथ में ले लिया था और रिश्वत बटोरने के सैकड़ों तरीकों में यह भी एक अच्छा तरीका था जिस के इंस्पैक्टरों के बिना बहुत से उत्पाद बाजार में नहीं बिक सकते थे और बहुतों की सरकारी खरीदारी प्रतिबंधित थी.

उत्पादों की क्वालिटी का देश में उत्पादक कोई खास खयाल नहीं रखते, यह मान लेना चाहिए पर उस की वजह उत्पादकों की लापरवाही या मुनाफाखोरी कम है, कम मूल्य पर ज्यादा माल बिकने की संभावना ज्यादा है. हमारे अधिकांश ग्राहक समझते ही नहीं कि क्वालिटी का क्या महत्त्व है. हर घर में टूटे हैंडलों वाले बरतन, लटकते बल्बों के होल्डर, टेढ़ी पंखडि़यों वाले पंखे और चूंचूं करते एअरकंडीशनर दिख जाएंगे.

जब से विदेशी कंपनियों ने बिना मानक संस्थान के उपकरण बाजार में पेश किए हैं, यहां सरकारी प्रमाणपत्र से क्वालिटी का कोई महत्त्व ही नहीं रहा है. धुआंधार प्रचार और बढि़या क्वालिटी के बल पर ही विदेशी माल भारतीय माल को धकेल पाया है और भारतीय मानक संस्थान के प्रमाणपत्र मुंह ताकते रह गए हैं.

दर्जनों जांचों के बावजूद भारतीय मानक संस्थान असल में घरवाली का मित्र नहीं बना है. वह तो उत्पादक और उपभोक्ता के बीच का एक और बिचौलिया बन रहा है, जिस बाधा को बिना लिएदिए पार करना संभव ही नहीं था. अब औनलाइन रिव्यू करने की जो परंपरा चली है उस से और ज्यादा साबित हो रहा है कि गुणवत्ता के लिए सरकारी दखल नहीं ग्राहकी दखल चाहिए.

गृहिणियों को चाहिए कि यदि वे किसी उत्पाद से खुश हैं तो खुदबखुद अपनी प्रिय पत्रिका को लिखें कि यह उत्पाद किस तरह ठीक है और उस में सुधार की जरूरत है तो कौन से? जब तक ग्राहक खुद आगे आ कर अपनी राय देना शुरू न करेंगे सरकारी प्रमाणपत्र निरर्थक होंगे.

सैल्फ सर्टिफिकेशन की मांग उद्योग पिछले कई दशकों से कर रहा था पर रिश्वती कानों को यह सुनाई नहीं दे रहा था. वैसे यह छूट दरियादिली नहीं है. अब बाजार में सामान इतना ज्यादा है कि उन सब की जांच करना ही असंभव हो गया है. अब चूंकि इंतजार में लगे उत्पादकों की लाइन लंबी हो गई, भारतीय मानक संस्थान खुद ही यह काम कम करना चाहता है.

रामू की ‘श्रीदेवी’ को श्रीदेवी की नोटिस

ऐसा लगता है कि रामगोपाल वर्मा का समय आजकल सही नहीं चल रहा है. तभी तो बौलीवुड से बोरियाबिस्तर समेटने के बाद भी उन्हें आराम नहीं मिल रहा है. ताजा विवाद उन की नई तेलुगु फिल्म के नाम को ले कर है. उन की नई फिल्म के नाम ‘श्रीदेवी’ पर हवाहवाई गर्ल श्रीदेवी को एतराज है. उन्होंने रामू को कोर्ट में देख लेने की धमकी तक दी है.

इतना ही नहीं, श्रीदेवी ने उन्हें यह चेतावनी भी दी है कि अगर उन्होंने फिल्म का नाम नहीं बदला तो फिर वे नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहें. इस से पहले फिल्म के पोस्टर पर रामगोपाल वर्मा को स्टेट कमीशन फौर प्रोटैक्शन औफ चाइल्ड राइट्स की तरफ से नोटिस भी भेजी जा चुकी है. रामगोपाल वर्मा की विवादित फिल्म 15 साल के एक टीनएजर की 25 साल की एक युवती की तरफ आकर्षित होने की कहानी है. फिल्म के पोस्टरों में एक टीनएजर को एक युवती के शरीर को घूरते हुए दिखाया गया है

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