Foil Gold Eyes

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खुंब टिक्का

सामग्री

1/2 पैकेट मशरूम, 1 छोटा चम्मच बेसन, 1 छोटा चम्मच तेल, 1 छोटा चम्मच दही, 1/4 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट, 1/2 छोटा चम्मच अदरक पेस्ट, चाटमसाला व नमक स्वादानुसार.

विधि

मशरूम को धो कर कपड़े से पोंछ कर सुखा लें. अब सारी सामग्री को एक बरतन में मिला कर 1/2 घंटा रखा रखें. अब मशरूम मिला कर 1-2 मिनट (पकने तक) रोस्ट करें. चाटमसाला बुरक कर कटे प्याज से सजा कर सर्व करें.

आज भी शरमा जाते हैं धर्मेंद्र

बौलीवुड के ‘ही मैन’ 78 वर्षीय धर्मेंद्र के सामने आज भी कोई उन की तारीफ करता है, तो शर्म की लाली उन के गालों पर फैल जाती है. अपनी जिंदादिली के बारे में वे बताते हैं कि उन की आकर्षक छवि का राज जीवन से संतुष्टि है. एक साक्षात्कार में धर्मेंद्र ने कहा, ‘‘मैं एक शर्मीला व्यक्ति हूं और मैं वास्तव में उस समय शरमा जाता हूं जब लोग मेरी तारीफ करते हैं. लेकिन बाद में इस बारे में जब मैं सोचता हूं तो अच्छा महसूस करता हूं.’’

गुलाब पत्ती

सामग्री

1 किलोग्राम ताजा छेना, 250 ग्राम चीनी, 15 ग्राम गुलाबजल, थोड़ी सी गुलाब की पंखडि़यां.

विधि

ताजा छेना को मैश कर लें. अब इस में चीनी डालें. चीनी गल जाने तक छेना को मिलाती रहें. अब इस में गुलाबजल डाल कर मिला लें. हाथों से गोल आकार दें. एक ट्रे में सजा कर कतार में रखें. संदेश में एक उंगली की पोर से हलका सा गड्ढा बनाएं और उस पर गुलाब की 1-1 पंखड़ी रख कर सजा दें.

पारिवारिक विवाद पर कानून की कैंची

धन्यवाद सर्वोच्च न्यायालय. आप ने सैकड़ों नहीं लाखों परिवारों को केवल एक निर्णय से उजड़ने से बचा लिया है. आप ने देश के कानूनों में से सब से ज्यादा दुरुपयोग किए जाने वाले दहेज कानून के आतंकी शूलों को कुंद कर दिया है, जिस से पतिपत्नी विवादों में धौंस व धमकियों की जगह अब मानमनौअल, सहजता, समरसता और सहनशीलता को मिल सकती है.

भारतीय दंड विधान की धारा 498 ए, जिस के अंतर्गत कोई भी पत्नी ससुराल वालों द्वारा दहेज मांगने पर पुलिस में शिकायत कर सकती है, सामाजिक कानूनों में सब से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ है. इस के तहत मिले अधिकार के बल पर लाखों औरतों ने अपने पतियों को ही नहीं, उन के मातापिता, भैयाभाभी, बहनबहनोई, भतीजों, दादादादी आदि को भी पुलिस की गिरफ्त में पहुंचा दिया. छोटे से पारिवारिक विवाद पर दियासलाई से घर जलाने का काम इस कानून की 2 पंक्तियों ने किया है.

सर्वोच्च न्यायलय ने अभी सिर्फ यह कहा है कि कोई पुलिस अधिकारी इस प्रावधान में की गई शिकायत पर तब तक गिरफ्तारी नहीं करेगा जब तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के दिए गए निर्देश पूरी तरह लागू न हो जाएं. ये निर्देश किसी भी व्यक्ति को तभी पकड़ कर जेल भेजने का हक देते हैं, जब अन्य बातों समेत उस व्यक्ति के भाग जाने का डर हो.

पुलिस ने इन निर्देशों की जम कर अवहेलना की और हर शिकायत पर पूरे परिवार को बंद कर डाला. वह भूल गई कि इस कदम के बाद पतिपत्नी कभी दोबारा न मिल सकेंगे, एक छत के नीचे न रह पाएंगे.

पत्नियों की पहले धमकी होती थी कि कुएं में कूद जाऊंगी. अब यह धमकी होने लगी है कि पूरे घर को चक्की पिसवा दूंगी. इस धमकी के डर से पति बहुत से मामलों में पत्नी की जबान को सहन कर लेता है पर उस धमकी के चलते पति व पत्नी के बीच प्रेम, त्याग और भरोसे की जगह डर और घुटन ले लेती है. पति अपने घर में कैदी की तरह रहने को मजबूर हो जाता है और कई वर्ष बीत जाते हैं लेकिन पतिपत्नी का संबंध केवल बनावटी मुखौटे सा ही रहता है.

धारा 41 के अंतर्गत पुलिस कुछ ही मामलों की शिकायत पर किसी को गिरफ्तार कर सकती है. लेकिन यहां तो हर पुलिस वाला अपने कांटे भर के अधिकार को बोफोर्स तोप के बम के अधिकार के समान बना डालता है. वह शिकायत मिलते ही जीप ले कर घर पहुंच कर सारे घर वालों को बांध कर ले आता है. और तब पत्नी विजयी मुसकान से ससुराल वालों से कहती है कि अब करो मेरी खुशामदें.

इस धारा 41 को सही माने में लागू किया जाए तो देश के थानों की हवालातें खाली रह जाएं और जेलों में भीड़ कम हो जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने तो कानून की सही व्याख्या कर दी है पर क्या देश की पुलिस मानेगी.

सैफ ने उतरवाए इलियाना के कपड़े

कहीं और दिमाग मत लगाइए. दरअसल, इलियाना को अपनी फिल्म ‘हैप्पी ऐंडिंग’ की शूटिंग के दौरान एक स्ट्रिप सीन के लिए ऐक्टिंग करनी थी. सीन के मुताबिक, लास एंजिल्स और सैन फ्रांसिस्को के बीच पैसिफिक कोस्ट हाईवे पर इलियाना और सैफ को गाड़ी में लिफ्ट लेनी थी. जब लिफ्ट मांगने पर भी कोई कार वहां नहीं रुकी, तो सैफ ने इलियाना को लिफ्ट लेने की खातिर कपड़े उतारने के लिए कहा. मजे की बात यह है कि सैफ के कहने पर इलियाना ने वहां से गुजर रहे गाड़ी वालों को आकर्षित करने के लिए अपने कपड़े उतारने शुरू भी कर दिए. इस के बाद क्या हुआ, यह पता नहीं चल पाया है. वैसे इलियाना का यह स्ट्रिप सीन देखने के लिए आप को अगले महीने तक का इंतजार करना होगा, क्योंकि ‘हैप्पी ऐंडिंग’ 21 नवंबर में रिलीज होगी.

आईवीएफ में नई तकनीक

प्रौद्योगिकी ने हमारे जीने के तरीके को बदल दिया है और इस मामले में चिकित्सा का क्षेत्र भी अलग नहीं है. आईवीएफ के क्षेत्र में आधुनिक चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की मदद से नि:संतान दंपती अब अपने सपनों को साकार करने लगे हैं और नई तकनीक में आए सुधार के कारण आईवीएफ विशेषज्ञ अब प्रक्रिया और भी अधिक प्रभावी बना रहे हैं.

ऐसी ही एक प्रक्रिया सिंगल ब्लास्टोसिस्ट हस्तांतरण है. इस के बारे में गुड़गांव स्थित बौर्न हौल क्लीनिक में आईवीएफ विशेषज्ञ डा. संदीप तलवार बताते हैं, ‘‘इस में हमारे पास सर्वश्रेष्ठ भू्रण का चयन करने का विकल्प होता है क्योंकि अंतिम स्थिति तक केवल सब से मजबूत भू्रण ही जीवित रह पाते हैं.

‘‘इस चरण में भू्रण को पूर्ण सक्रिय ‘इम्ब्रायोनिक जीनोम’ के साथ शरीर में सामान्य रूप से प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. तीसरे दिन के भू्रणों की तुलना में ये ‘ब्लास्टोसिस्ट’ अधिक स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं और इन का प्रत्यारोपण दर अधिक होता है.’’

इस प्रक्रिया को आईवीएफ लैब के क्लीन रूम में किया जाता है और इस तरह के लैब एशिया में सिर्फ गुड़गांव और कोच्चि स्थित बौर्न हौल क्लीनिक में ही उपलब्ध हैं. आईवीएफ लैब के क्लीन रूम को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि उस में रोगाणु और नैनों कण कम से कम पैदा हों क्योंकि रोगाणुओं और नैनों कणों के कारण गर्भाधारण दर में कमी आ जाती है.

बौर्न हौल क्लीनिक में आईवीएफ विशेषज्ञ डा. मोनिका सचदेव के अनुसार, ब्लास्टोसिस्ट हस्तांतरण सर्वाधिक ताकतवर के जीवित रहने की अवधारणा पर आधारित है. इस में इस चरण में सभी भू्रणों में से सब से मजबूत भू्रण ही जीवित रहते हैं. 5वें दिन के ब्लास्टोसिस्ट डाक्टरों के लिए यह जानने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बनते हैं कि किस भू्रण के हस्तांतरण से स्वस्थ गर्भाधान एवं स्वस्थ बच्चे का जन्म होगा.

ब्लास्टोसिस्ट हस्तांतरण तकनीक

परंपरागत इन विट्रो निषेचर (आईवीएफ) चक्र में महिला के अंडे को निकाला जाता है और उसे निषेचित किया जाता है. अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो 3 दिन बाद भू्रण को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है. परंपरागत तरीके में चूंकि यह पूर्वानुमान करने में दिक्कत होती है कि तीसरे दिन कौन से भू्रण गर्भाधान की स्थिति पैदा करेगा. ऐसे में इस उम्मीद में 4 या अधिक भू्रण प्रत्यारोपित कर दिए जाते हैं कि कोई न कोई भू्रण गर्भाधान की स्थिति पैदा करेगा तथा बच्चे का जन्म होगा.

अब तक गर्भाधान करने का यही तरीका अपनाया जाता रहा है. लेकिन अब अनेक नि:संतान दंपती परंपरागत तकनीक की बजाय ब्लास्टोसिस्ट हस्तांतरण तकनीक को अपना रहे हैं ताकि स्वस्थ औलाद पा सकें. अनेक केंद्रों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि ब्लास्टोसिस्ट से बेहतर गर्भाधान दर हासिल होता है.

मनीषा करेंगी वापसी

कैंसर की जंग से लड़ कर आईं बीते दिनों की ऐक्ट्रैस मनीषा कोइराला बी टाउन में फिर से आने वाली हैं. मनीषा ने 1991 में राजकुमार संतोषी की फिल्म से बौलीवुड में ऐंट्री की थी. अब वे दोबारा फिल्मों में वापसी भी उन्हीं की फिल्म से करना चाहती हैं. मनीषा के प्रबंधक सुब्रतो घोष ने कहा कि मनीषा अब बिलकुल स्वस्थ हैं. वे इस समय फिल्मों की पटकथाओं पर विचार कर रही हैं और उन्होंने संतोषी की फिल्म में काम करने का मन बना लिया है.

क्रैडिट कार्ड नहीं पति का पर्स

आप ने क्रैडिट कार्ड ले रखा है? ठीक है, लेकिन उस समय जब समधीजी के साथ रेस्तरां गए और कार्ड ने जवाब दे दिया, तो बेइज्जती हो गई न. क्रैडिट कार्ड कब मुंह मोड़ ले पता नहीं. आप ने समय पर भुगतान नहीं किया, पिन नंबर भूल गए, बिल ज्यादा बड़ा था, कार्ड ऐक्सपायर कर गया और आप ने ध्यान नहीं दिया वगैरह. ऐसा कुछ भी हो तो बड़ी बेइज्जती होती है.

मगर चिंता न करें. बराक ओबामा, अमेरिका के राष्ट्रपति, दुनिया के नंबर 1 शक्तिशाली व्यक्ति को भी यह सहना पड़ता है. साहब न्यूयार्क के एक रेस्तरां में पत्नी मिशेल के साथ गए पर जब क्रैडिट कार्ड से भुगतान करना चाहा तो कार्ड अकड़ गया. कहा पैसे नहीं देगा. रेस्तरां बेचारा भौचक्का. पता चला ओबामा साहब उस कार्ड को इस्तेमाल कम करते हैं इसलिए

चल नहीं रहा. जब पत्नी मिशेल ओबामा ने अपना कार्ड दिया तो बात आगे बनी.

वैसे आश्चर्य यह है कि अमेरिका में रेस्तरां ने बिल पेश करने की हिम्मत दिखाई. यहां तो नेता 50 का टोल टैक्स देने में आनाकानी करते हैं. आम रेस्तराओं का तो छोडि़ए, होटलों तक का किराया नहीं देते. वे अपनेआप को खास समझते हैं, देश का मालिक समझते हैं, चाहे पार्टी के महल्ला समिति के कनिष्ठ सचिव मात्र हों.

क्रैडिट कार्ड को असल में सुविधाजनक करैंसी नोट से ज्यादा समझना ही नहीं चाहिए और जेब में हमेशा 2 दिन लायक का कैश अवश्य होना चाहिए. क्रैडिट कार्ड वाले चाहे जितना हल्ला मचा लें, कैश बैक सुविधाएं दे दें, लौयल्टी पौइंट दे दें, अंतत: उन्हें ज्यादा खर्चना ही पड़ता है. कैश का अपना अलग लाभ है. क्रैडिट कार्ड को बेचना, उस से दुकानदार से पैसा वसूलना, पूरा तामझाम रखना, स्टेटमैंट भेजना सब खर्चीला है, जो इस्तेमाल करने वाला देता है. इसे कम से कम इस्तेमाल करें.

आजकल आइडैंटिटी थैफ्ट भी होने लगी है. लोग नंबर व पिन उड़ा कर आप के क्रैडिट कार्ड पर मजे लेते रहेंगे और अंतत: आप को ही भुगतना होगा. दुनिया भर में लाखों को हर साल चूना लगता है और यह दुरुपयोग न हो इसलिए कम इस्तेमाल हो रहे कार्ड अपनेआप मुंह बंद कर देते हैं, जैसे बराक ओबामा के कार्ड ने कर दिया. अब चूंकि औरतें भी जम कर कार्ड इस्तेमाल कर रही हैं उन्हें तो दोगुना होशियार रहना होगा क्योंकि वे तो कार्ड को पति का पर्स समझती हैं कि जब चाहे जितना निकाल लो.

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