लुट गई कांची

टीवी धारावाहिक ‘और प्यार हो गया’ में लीड रोल करने वाली और दर्शकों के दिलों पर डाका डालने वाली कांची के यहां चोरी हो गई. चोर ज्यादा तो कुछ नहीं, बस, 60 हजार के मोबाइल पर हाथ साफ कर गए. चोरी की घटना रात के समय हुई और कांची जब आधी रात को शूटिंग खत्म कर के घर आईं तब उन्हें घटना मालूम हुई. चोरी की वारदात की सूचना पर ओसिवारा पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है.

बेक्ड पनीर टिक्का

सामग्री

300 ग्राम पनीर के बड़े टुकड़े, एक हरी शिमलामिर्च बड़े टुकड़ों में कटी, 1 प्याज बड़े टुकड़ों में कटा, 1 टमाटर बड़े टुकड़ों में कटा, 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच अजवाइन, 1/2 कप मलाई, चाटमसाला ऊपर से छिड़कने के लिए, नमक स्वादानुसार.

विधि

सभी सब्जियों को एक बड़े कटोरे में ले कर उस में चाटमसाला और मलाई मिलाएं और अच्छी तरह से मिलने के लिए 1/2 घंटा छोड़ दें. फिर इसे ओवन में 15-20 मिनट 180 डिगरी सेल्सियस पर बेक करें और पुदीना चटनी और प्याज के साथ परोसें.

सोशल मीडिया से फंसीं प्रीतिका

धारावाहिक ‘बेइंतिहा’ की हीरोइन प्रीतिका इन दिनों एक नई मुसीबत से दोचार हो रही हैं. वे अपने और निर्देशक के बीच रोमांस की खबरों को सुन कर कर सकते में हैं.

उन का कहना है कि मेरे इस धारावाहिक के निर्देशक पुष्कर से दोस्ताना रिश्ते हैं. इस धारावाहिक के 2 निर्देशक हैं. दोनों के साथ मेरी ट्यूनिंग बहुत अच्छी है. यह गड़बड़ी उन तसवीरों की वजह से हुई जो पुष्कर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं. क्या तसवीर में साथ होने से किसी का किसी के साथ रिश्ता हो जाता है? यह बेवजह की अफवाह है.

चीज सैंडविच

सामग्री

2 ब्रैडस्लाइस, 2 टमाटर कटे हुए, 2 खीरे कटे हुए, 2 उबले आलू कटे हुए, 2 पनीर क्यूब्स स्लाइस में कटे हुए, नमक, कालीमिर्च, मक्खन, पुदीना चटनी स्वादानुसार.

विधि

एक ब्रैडस्लाइस पर मक्खन लगाएं. फिर उस पर खीरा, टमाटर, उबला आलू व पनीर स्लाइसेज रख कर नमक, कालीमिर्च छिड़क दें. फिर दूसरे ब्रैडस्लाइस से उसे ढक कर पुदीना चटनी के साथ परोसें.

बटर पनीर

सामग्री

5 उबले टमाटरों की प्यूरी, 1 बड़ा चम्मच तेल, 2 हरीमिर्च कटी हुई, 1 बड़ा चम्मच कसूरी मेथी, 100 ग्राम क्रीम, 300 ग्राम पनीर ट्रैंगल में कटा, 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च, 1 क्यूब मक्खन, नमक स्वादानुसार.

विधि

एक कड़ाही में तेल गरम कर, हरीमिर्च व कसूरी मेथी डालें. इस के बाद टोमैटो प्यूरी डाल कर 2-3 मिनट पकाएं. अब इस में नमक, कालीमिर्च, क्रीम, पनीर को मिलाएं. फिर इस के ऊपर मक्खन डाल कर गरमगरम रोटी या नान के साथ परोसें.

पीठ में छुरा घोंपते हैं पुनीत

‘बिग बौस 8’ की कंटैस्टैंट दीप शिखा नागपाल ने कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. साथ ही अपने सहयोगी पुनीत इस्सर के बरताव शिखा से बेहद दुखी हैं. बिग बौस के घर से रविवार को बेदखल हुईं दीपशिखा ने कहा, ‘‘मैं वहां 20 दिन रही और खूब मजा किया. यह लगातार चलने वाली पार्टी जैसा था. मैं ने पीठ पीछे वार करने वाले 3 लोगों को छोड़ कर सभी के साथ दोस्ती की.

उन्होंने पुनीत इस्सर, प्रणीत भट्ट और प्रीतम सिंह को पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया. ‘सोन परी’ और ‘होंगे जुदा ना हम’ सरीखे टैलीविजन धारावाहिकों में अभिनय कर चुकीं दीपशिखा पुनीत से खासतौर पर गुस्सा हैं. डांस रिऐलिटी शो ‘नच बलिए’ की पूर्व प्रतिभागी दीपशिखा ने कहा, ‘‘वे अविश्वसनीय रूप से दोगले हैं. हम जब एक सीक्रेट सोसायटी का हिस्सा थे तब मैं ने उन की खूब मदद की. पर जैसे ही बिग बौस के घर में आए उन का व्यवहार बिलकुल बदल गया.

पनीर चना सलाद

सामग्री

1 कप काबुली चना रात भर पानी में भिगोया हुआ, 200 ग्राम पनीर, 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1 प्याज कटा हुआ, 1 टमाटर कटा हुआ, 2 छोटे चम्मच नीबू का रस, चाटमसाला व नमक स्वादानुसार.

विधि

चने को उबाल कर एक कटोरे में रख लें. फिर इस में कतरा हुआ पनीर, प्याज, टमाटर, लालमिर्च पाउडर, चाटमसाला, नमक और नीबू का रस मिला कर ठंडा परोसें.

जानवरों ने पहुंचाया अंतरिक्ष में

सितारों की तरफ देखें और जरा विचार करें कि क्या कभी ब्रह्मांड की लाखों दुनिया में से किसी एक पर भी इंसान कभी पहुंच पाएगा? क्या चांद पर पहुंचने के प्रथम अभियान को कभी दोहाराया जा सकेगा? क्या कभी इंसान मंगल ग्रह पर अपने कदम रख पाएगा?

अगर हम कभी दूसरे ग्रह पर पहुंच पाए तो मुझे आशा है कि हमारे खोजकर्ता इस काम में कुत्ते के योगदान को याद रखेंगे. वैसे रूस ने पहली बार अंतरिक्ष में जाने की कोशिश की थी.

जीवित तौर पर अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा जाने वाला जीव एक कुत्ता था. साइबेरियन कुत्ते लाइका को मास्को की सड़कों से उठा कर 3 नवंबर, 1957 को ‘स्पूतनिक’ नामक रौकेट में बैठा दिया गया था. वैज्ञानिकों ने उसे अंतरिक्ष में भेज तो दिया, मगर उस की सुरक्षित वापसी के लिए कोई इंतजाम नहीं किया. रौकेट के भीतर बढ़ती गरमी और तनाव के चलते रौकेट के अंतरिक्ष की कक्षा में पहुचने से पहले ही लाइका ने दम तोड़ दिया.

रौकेट की छोटी सी मशीन में बंद लाइका ने दम तोड़ने से पहले 7 घंटों तक जिस भय और तनाव को महसूस किया होगा, उस का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. इस घटना के 40 सालों के बाद 1998 में सोवियत के वरिष्ठ वैज्ञानिक ओलेग गैजेंको ने इस के लिए माफी मांगी. गैजेंको भी उस मिशन का हिस्सा थे, जिस में लाइका को अंतरिक्ष में भेजा गया था.

अमानवीय व्यवहार

50 और 60 के दशक के बीच सोवियत के वैज्ञानिकों ने लगभग 57 कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजा और वह भी 1 से ज्यादा बार. इस के लिए मादा कुत्तों को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि मेल कुत्तों की अपेक्षा मादा कुत्तों में रौकेट के भीतर का तनाव सहने की क्षमता ज्यादा है. इन मादा कुत्तों को ट्रेनिंग के दौरान 15-20 दिनों तक छोटे बौक्सों में बंद कर के रखा गया. उन्हें भी अंतरिक्ष के लिए ऐस्ट्रोनौट सूट्स में विशेषरूप से तैयार किया गया.

बौक्सों में बंद कुत्तों को कृत्रिम रौकेटनुमा मशीन में रखा गया, जोकि असली रौकेट के जैसा व्यवहार करती थी. रौकेट को असली लौंच के समय दी जाने वाली गति के बराबर ही गति दी जाती थी ताकि पिंजरानुमा बौक्सों में बंद कुत्तों को अंतरिक्ष भेजने के लिए पूरी तरह से तैयार किया जा सके. इस ट्रेनिंग के दौरान उन कुत्तों को जिस तरह की यातना सहनी पड़ी होगी, उसे सोचने भर से ही मेरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है.

उन कुत्तों में से कई तो ट्रेनिंग के दौरान ही मर गए होंगे, पर सोवियत के वैज्ञानिकों ने इस खबर को बाहर नहीं आने दिया होगा, क्योंकि लाइका की मौत ने पहले ही लोगों को हिला दिया था. उन में से कुछ रौकेट की तकनीकी खराबी के चलते मारे गए. जो बच गए उन को दोबारा इस्तेमाल किया गया. उन के खाने में प्रोटीन जैली भी शामिल थी, जिस के कारण उन में से 60% कुत्तों को कब्ज और पित्त की थैली में पथरी जैसी परेशानियों से गुजरना पड़ा.

कुछ बच गए कुछ मारे गए

अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचने की सफलता केवल लाइका को मिली. कई कुत्तों को ऐसे रौकेटों में भेजा गया, जो अंतरिक्ष की कक्षा के नीचे उड़ते हैं. इस तरह की 29 उड़ानें 1951 और 1958 के बीच भरी गईं. ऐसी उड़ानों में उड़ान भरने वाले कुत्तों में डेजिक और साइगन पहले थे. इन कुत्तों ने 1951 में 110 किलोमीटर तक उड़ान भरी थी. दोनों इस उड़ान से सुरक्षित वापस आ गए थे. डेजिक को लीसा नामक कुत्ते के साथ दोबारा उड़ान पर भेजा गया पर इस बार ये दोनोें ही मारे गए.

कई कुत्तों ने बच कर भागने की कोशिश भी की. मेलाया ने अपनी उड़ान के 1 दिन पहले भागने की कोशिश की, लेकिन उसे पकड़ लिया गया और मैलिशका नाम के दूसरे कुत्ते के साथ उड़ान पर भेज दिया गया. बोलिक नाम की मादा कुतिया अपनी उड़ान के कुछ दिन पहले भागने में सफल रही. वैज्ञानिकों ने बोलिक की जगह सड़क से दूसरी कुतिया जिब को पकड़ कर उड़ान पर भेज दिया. जिब मरी नहीं, लेकिन उस का यह अनुभव भयावह जरूर रहा होगा.

ओटिझनाया ने मरने से पहले 5 उड़ाने भरीं. अल्बिना और साइगंका तो अपने कैप्सूल से निकल कर 85 किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे गिरे मगर आश्चर्य कि जिंदा बच गए.

डमका और रसवका को अंतरिक्ष की कक्षा में जाने के लिए 22 दिसंबर, 1960 को उड़ान भरनी थी. जिस रौकेट में वे सवार थे वह फेल हो गया. इस स्थिति में उन को इंजैक्शन सीट से बाहर आना था पर यह सिस्टम भी फेल हो गया. जब रौकेट जमीन पर गिर कर बर्फ के भीतर गहरा जा धंसा तब भी दोनों कुत्ते रौकेट के कैप्सूल में ही बंद थे. जिस टीम को रौकेट की खोज में भेजा गया उस ने कैप्सूल को 2 दिनों तक नहीं खोला, क्योंकि उन्हें यह बताया गया था कि इस में कोई जीवित नहीं बचा. लेकिन 2 दिनों के बाद टीम ने जब कैप्सूल खोला तो वे आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि दोनों कुत्ते जिंदा थे और भूंक रहे थे. बाद में इन्हें मास्को लाया गया जहां रसवका को एक वैज्ञानिक ने अपने साथ रख लिया. रसवका 14 सालों तक जीवित रही और कई बार मां बनी. वैज्ञानिक को सख्त हिदायत थी कि वह इस घटना का किसी से जिक्र न करे, क्योंकि लोग अंतरिक्ष मिशन में कुत्तों के इस्तेमाल की खबर से भड़क सकते हैं.

बलिदान और भी हैं

बार्स और लिसिवका रसवका की तरह नहीं बचे. 28 सैकंड की उड़ान के बाद ही उन के राकेट में धमाका हो गया था.

बेलका और स्टे्रलका ने 19 अगस्त, 1960 को स्पूतनिक 5 में बैठ कर अंतरिक्ष में पूरा 1 दिन बिताया और सुरक्षित धरती पर लौट आए. पृथ्वी पर पैदा हुए ये पहले जीव थे, जो अंतरिक्ष से जिंदा वापस आ गए.

बाद में स्ट्रेलका को 6 पिल्ले हुए. स्टे्रलका के मेल का नाम पुशोक था जिसे कभी अंतरिक्ष तो नहीं भेजा गया पर अंतरिक्ष से जुड़े कई जमीनी प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया गया. स्ट्रेलका के एक पिल्ले का नाम पुशिनका रखा गया जिसे बाद में रशियन प्रीमियर निकिता रशकेव ने 1961 में प्रैसिडैंट जान कैनेडी की बेटी कैरोलीन को भेंट कर दिया. इस के बाद यह कहानी सामने आई कि सीआईए को शक हुआ था कि भेंट किए गए पिल्ले के शरीर में जासूसी के लिए ट्रांसमीटर छिपाया गया है जिसे ढूंढ़ने के लिए कुत्ते को मारने के बाद डिसैक्ट कर के निकालना होगा. लेकिन कैनेडी ने इस के लिए मना कर दिया. पुशिनका और कैनेडी के कुत्ते चार्ली की मेटिंग से हुए बच्चों को कैनेडी पपनिक्स बुलाते थे. पुशिनका के वंशज आज भी जीवित हैं.

अनमोल योगदान

अगले स्पूतनिक पर अन्य पौधों और जानवरों के साथ भेजे गए कुत्ते श्योलका और मुश्का का रौकेट हवा में फट गया और सभी सवार मारे गए. स्पूतनिक 10 को 25 मार्च,1961 को मादा कुत्ते वेजडोचका के साथ लौंच किया गया. कहते हैं कि इस कुत्ते का नाम यूरी गैगरिन ने रखा था. इस कुत्ते की एक अंतरिक्ष यात्रा सफल रही थी. इस यात्रा के कुछ दिनों के बाद 12 अप्रैल को यूरी गैगरिन वेजडोचका के साथ अंतरिक्ष यात्रा कर के पहले मानव अंतरिक्ष यात्री बन गए.

वेटेरौक और यूगोल्यौक 22 फरवरी, 1966 को कौसमोस 110 से अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे और वहां 22 दिन बिता कर 16 मार्च को वापस अए थे. अंतरिक्ष यात्रा का यह रिकौर्ड 1971 में इंसानों द्वारा सोयज 11 की यात्रा से टूटा. मगर आज भी यह कुत्तों के द्वारा की गई सब से लंबी अंतरिक्ष यात्रा है.

लाइका, वेटेरौक और यूगोल्यौक को स्टांप पर छाप कर श्रद्धांजलि दी गई. बेलका और स्ट्रेलका के पार्थिव शरीरों को दूसरे देशों की यात्रा पर ले जाया गया. लेकिन मुझे लगता है कि हमारी पीढ़ी गुजर जाने के बाद इन के बलिदान को याद करना और भी कम हो जाएगा.

आज अंतरिक्ष में ऐस्ट्रोनौट्स का आनाजाना आम बात है. आने वाले समय में हो सकता है कि इंसान दूसरे ग्रह पर पहुंच जाए. लेकिन हमें उन जानवरों के त्याग, असहनीय पीड़ा को कभी नहीं भूलना चाहिए जिन के कारण आज हम अंतरिक्ष में कदम रख पाए हैं.

इस में आमिर फिट नहीं बैठते

90 के दशक में आई आमिर और माधुरी की ब्लौकबस्टर फिल्म ‘दिल’ की सीक्वल फिल्म ‘दिल 2’ जल्दी ही आने वाली है. इस फिल्म के निर्देशक इंद्र कुमार ने कहा कि वे जल्दी ही ‘दिल 2’ फिल्म के स्टाटरकास्ट की घोषणा करेंगे, जिस में माधुरी के रोल में मेरी बेटी श्वेता होगी.

‘‘तो आमिर खान के किरदार का क्या होगा?’’ जब इंद्र कुमार से यह पूछा गया तो वे बोले, ‘‘आमिर खान के किरदार के लिए हमारी तलाश जारी है. आमिर को हम दोबारा तो ऐसे रोल के लिए नहीं ले सकते क्योंकि उन पर यह किरदार अब फिट नहीं बैठेगा.’’

चांदी के चावल और परवल

दादामुनी अशोक कुमार और लेखक शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के बीच की दोस्ताना कैमिस्ट्री का एक मजेदार वाकेआ रहा. अशोक कुमार जब छोटे थे तो छुट्टियों में अपने ननिहाल जरूर जाया करते थे. उन की अपने नाना राजा साहब से बहुत बनती थी. वे बालक अशोक को रोज कहानी सुनाते थे.

अशोक ने भी एक दिन उन को एक दिलचस्प कहानी सुनाई. वे बोले कि नाना जब आप घर पर नहीं थे तो तो मैं जंगल में गया था. वहां शेर से मेरा सामना हुआ, लेकिन शेर मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया. नाना ने आश्चर्य से पूछा क्यों? तो अशोक बोले कि उसी समय मैं ने अपने शरीर में छिपे पंखों को बाहर निकाल लिया और शेर मेरे पास आता कि इस से पहले मैं उड़ गया और शेर देखता रह गया. वे अशोक की बातों पर खूब हंसे और बोले कि जरा हमें भी अपने पंख दिखाओ, तो अशोक ने बड़ी तत्परता से बाल सुलभ जवाब दिया कि आप पहले शेर बन कर दिखाओ.

शरतचंद्र अशोक के नाना के घर के पास ही रहते थे. वे एक दिन शरतचंद्र से अशोक को मिलवाने ले गए और उन से कहा कि यह भी तुम्हारी तरह बातें बनाने में माहिर है. तभी अशोक ने शरतचंद्र से कहा कि दादा, आप ने कभी चांदी के चावल और परवल खाए हैं? शरतचंद्र ने जवाब दिया कि अभी तक तो नहीं, जब खाऊंगा तुम्हें जरूर बताऊंगा.

वक्त का पहिया घूमा और बालक अशोक सुपर स्टार अशोक कुमार बन गए. इस दौरान शरत बाबू और अशोक कुमार की कोई मुलाकात नहीं हुई. फिर एक दिन किसी ने अशोक कुमार को शरत बाबू से मिलवाया, लेकिन अशोक कुमार उस बचपन की मुलाकात को बिलकुल भूल गए थे. लेकिन शरत बाबू ने जब कहा कि अशोक मुझे अभी तक चांदी के चावल और परवल नहीं मिले, तब अशोक कुमार को बचपन की घटना याद आ गई और वे शरत बाबू के गले लग गए.

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