करिए आसमान की सैर यहां से

1. अगाट्टि एयरपोर्ट, लक्षद्वीप

भारत में वैसे तो बहुत से एयरपोर्ट हैं लेकिन उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. उनमें से एक हैं लक्ष्यद्वीप का अगाट्टि एयरपोर्ट. जो 45.9 एकड़ में फैला हुआ है. ​अगाट्टि एयरपोर्ट एक ऐसी जगह है जहां फ्लाइट लैंड होने पर लगता है जैसे आपकी फ्लाइट जमीन में नहीं बल्कि समुद्र में गिर रही है. यहां बना चार हजार फीट लंबा रन-वे देखते ही बनता है. चारों ओर समुद्र से घिरा यह रन-वे इस एयरपोर्ट की खूबसूरती बढ़ा देता है. यह एयरपोर्ट लक्षद्वीप आइलैंड के पश्चिमी तट पर बना है. आइलैंड 6 किमी में फैला हुआ है. हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक इस एयरपोर्ट की खूबसूरती देखने आते हैं.

आज कुछ तुफानी करने के हिसाब से यह एयरपोर्ट आपके लिए परफेक्ट है. यह एयरपोर्ट समुद्र के बीचों-बीच स्थित है. इस सुंदर चार हजार लंबे रन-वे को देखकर पहली बार में ही आप मंत्र-मुग्ध हो जाएंगे. अरब सागर के पानी से घिरा हुआ यह एयरपोर्ट बहुत ही खूबसूरत है.

2. जब्बरहट्टी एयरपोर्ट, शिमला

शिमला का जब्बरहट्टी एयरपोर्ट भारत की सबसे ऊंची और खतरनाक लैंडिंग वाले एयरपोर्ट में से एक है. ये एक बहुत ही सुंदर टूरिस्ट प्लेस है. शिमला से 22 किलोमीटर दूर स्थित यह एयरपोर्ट पहाड़ों को काटकर बनाया गया है. शिमला को वैसे भी ‘क्वीन ऑफ हील्स’ कहा जाता है. ऐसे में अगर इस गर्मी में आप शिमला घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो फ्लाइट से जाएं. वैसे भी यहां पर केवल दो हवाई जहाज ही पार्क हो सकते हैं. तो ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होगी. साथ ही आप एयरपोर्ट घूमते हुए शिमला भी घूम लेंगे.

3. कुशॉक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट, लेह

कुशॉक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट लेह में है इसका रन-वे 3,256 मीटर लंबा है. लेह जम्मू-कश्मीर में है जो इंडिया के सबसे ऊंचे इलाके में बसा हुआ है. लद्दाख को काफी सारे नामों से जाना जाता है. लेह तो ऐसे ही काफी खूबसूरत जगह है. वहां तो हर किसी को जाना चाहिए. लेकिन अगर आप अब तक नहीं गए हैं तो अब जाएं और लेह का ये खूबसूरत एयरपोर्ट घूम कर आएं. यह देश का सबसे ऊंचा और ठंडा एयरपोर्ट है. अभी इतनी गर्मी है. लेकिन अगर आप इस एयरपोर्ट में जाएंगे तो जम जाएंगे.

4. छत्रपति शिवाजी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, मुंबई

यह एयरपोर्ट बाहर से जितना भव्य है उतना ही अंदर से भी. इस एयरपोर्ट के अंदर बने शोकेसेस में आपको इंडिया की आर्ट और ब्यूटीफूल डिजाइन्स देखने को मिलेंगे. जैसे ही आप इंटरनेशनल टिकट लेने के लिए जाते हैं, वहीं पर आपको तीन किमी दीवार पर 7,000 आर्टफैक्ट्स देखने को मिलेंगे, जिन्हें 1,500 आर्टिस्ट्स ने बनाया है. यह दीवार चैक-इन और बैग क्लेम, मुंबई के नए इंटिग्रेटेड टर्मिनल 2 शोज पर देख सकते हैं. एयरपोर्ट में घुसते ही आप यहां के शोकेस में रखे इंडिया के आर्ट और सुंदर डिजाइन को देखकर खुश हो जाएंगे.

5. डाबोलिम एयरपोर्ट, गोवा

गोवा के बारे में तो वैसे भी कुछ कहने की जरूरत नहीं है. इंडिया का सबसे छोटा और सबसे सुंदर स्टेट जहां आप अपनी छुट्टियां बिताने का कब से सपना देख रहे होंगे. गोवा का यह एयरपोर्ट डैबोलिम शहर में बना हुआ है. यहां आप अरब सागर की गहराइयों के नजारे आराम से देख सकते हैं. यहां भी आपको रहने की कमी नहीं होगी.

नरगिस फाखरी का सच उनकी जुबानी

फिल्म ‘हाउसफुल 3’ के प्रदर्शन से कुछ दिन पहले नरगिस फाखरी के अचानक अमरीका चले जाने से बॉलीवुड में चर्चाएं गर्म हो गयी थी कि उदय चोपड़ा के संग संबंध विच्छेद होने के कारण डिप्रेशन का शिकार नरगिस फाखरी ने हमेशा के लिए भारत और बॉलीवुड को अलविदा कह दिया है.

उसके बाद से नरगिस फाखरी की तरफ से खामोशी ही रही. बीच में उदय चोपड़ा ने जरुर ट्वीट कर इन अफवाहों पर विराम लगाने का प्रयास किया था कि नरगिस फाखरी के साथ उनकी आज भी अच्छी दोस्ती है. पर बॉलीवुड में यह चर्चा गर्म रही कि नरगिस फाखरी ने बॉलीवुड न आने का फैसला कर रखा है.

मगर अब नरगिस फाखरी ने इंस्टाग्राम का सहारा लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है. नरगिस फाखरी ने इंस्टाग्राम पर रितेश देशमुख के साथ वाली अपनी फिल्म ‘बैंजो’ का पोस्टर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘अगले कुछ सप्ताह में मैं अमरीका के अपने अनुबंधों को पूरा कर भारत पहुंचकर फिल्म ‘बैंजो’ का प्रमोशन शुरू करने वाली हूं. बॉलीवुड को छोड़ने की मेरी कोई योजना नहीं है.’

नरगिस फाखरी ने ‘बैंजो’ के पोस्टर के साथ इंस्टाग्राम पर अंग्रेजी में लिखा है-

“Looking forward to finishing my assignment in the US and being back to start promoting #Banjo in the next few weeks. #noplanstoquit #hatersgonnahate #allthesearebaselessrumours.”

चाचा संग अर्जुन का डबल रोल

अपनी पीढ़ी के एक्टर्स में अर्जुन कपूर ऐसे पहले हीरो हैं, जिन्होंने दो फिल्मों में डबल रोल किया है. सूत्रों की माने तो अर्जुन ‘मुबारकां’ में डबल रोल में नजर आएंगे. इसके पहले उन्होंने ‘औरंगजेब’ में भी डबल रोल निभाया था.

आपको बता दें कि इस फिल्म में अर्जुन पहली बार अपने चाचा अनिल कपूर के साथ काम कर रहे हैं. फिल्म में भी दोनों चाचा-भतीजे के रोल में ही दिखेंगे. अर्जुन का एक रोल भतीजे का होगा और दूसरा एकदम अलग होगा.

इस फिल्म के डायरेक्टर अनीश बज्मी हैं. अनीश ने इसके पहले अनिल कपूर और नाना पाटेकर को लेकर ‘वेलकम’ और ‘वेलकम बैक’ बनाया था. फिलहाल अर्जुन चेतन भगत के नोवल ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ पर आधारित फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं.

अर्जुन की पिछली तीन फिल्में ‘फाइंडिंग फैनी’, ‘तेवर’ और ‘की एंड का’ बॉक्स-ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर पाई थी. अब ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ और ‘मुबारकां’ जैसी फिल्मों से अर्जुन को एक हिट की तलाश होगी.

फाइनेंशियल एडवाइजर: एक अच्छा करियर ऑपशन

क्‍या आपको अच्‍छे करियर की तलाश है जिसमें अच्‍छी कमाई भी हो और आप सम्‍मानजनक तरीके से काम भी कर सकें? तो एक जॉब है जो आपकी उम्‍मीदों पर खरा उतरेगा. ये है फाइनेंशियल एडवाइजर का जॉब जिसमें बेहतर कमाई और आगे बढ़ने के काफी मौके हैं.

फाइनेंशियल एडवाइजर बनने के लिए जरूरी शिक्षा

अगर आप फाइनेंशियल एडवाइजर बनना चाहते हैं तो आपको ग्रेजुएशन के बाद कैट की परीक्षा उत्‍तीर्ण करनी होगी. इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप कॉमर्स स्‍ट्रीम के ही छात्र हों, हालाकि पहले आमतौर पर केवल कॉमर्स स्‍टूडेंट ही इस दिशा में आगे बढ़ते थे.

आपको फाइनेंस में आगे की शिक्षा के लिए लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. ग्रेजुएशन करने के बाद आप एमबीए इन फाइनेंस, एमएस इन फाइनेंस, मास्टर डिग्री इन फाइनेंशियल इंजिनियरिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग ऐंड फाइनेंस, एडवांस डिप्लोमा इन बैंकिंग ऐंड फाइनेंस, मास्टर्स इन कमोडिटी एक्सचेंज आदि जैसे कोर्सेज में प्रवेश ले सकते हैं.

क्‍या करता है फाइनेंशियल एडवाइजर

एक फाइनेंशियल एडवाइजर का काम होता है कि वो अपने क्‍लाइंट की वित्‍तीय स्‍थिती सुधारने के लिए रास्‍ते ढूंढे और उसे इस बारे में आवश्‍यक सलाह दे. इसके साथ ही उसे क्‍लाइंट को निवेश, बीमा, बचत योजनाओं और कर्ज आदि के बारे में सही जानकारी देनी होती है जो उसके हित में हो. फाइनेंशियल एडवाइजर बनने के लिए आपको बाजार की समझ और स्‍टैटस को सही तरीके मैनेज करना आना चाहिए ताकि आप अपने क्‍लाइंट को पूरी जानकारी और सही फाइनेंशियल एडवाइज दे सकें.

कहां कहां काम कर सकते हैं

बतौर फाइनेंशियल एडवाइजर आपके पास कई तरह के जॉब आप्‍शन मौजूद हो ते हैं जैसे एकाउंटेंट, ऑडिटर, इकॉनमिस्ट, इंश्योरेंस सेल्स एजेंट, इंश्योरेंस अंडरराइटर, लोन ऑफिसर, पर्सनल फाइनेंशल एडवाइजर, टैक्स इंस्पेक्टर, रेवेन्यु एजेंट आदि. इसके अलावा अगर आप फाइनेंस ग्रेजुएट हैं तो किसी बिजनेस समाचारपत्र, पत्रिका या सामान्‍य अखबार में बतौर वित्‍त संवाददाता और वित्तीय विश्लेषक के रूप में काम कर सकते हैं.

इसके साथ ही बैंक, इंश्योरेंस और ट्रेडिंग कंपनियां अपने वित्तीय उत्पादों जैसे कर्ज, इंश्योरेंस, शेयर, ब्रैंड्स और म्युचुअल फंड को बेचने के लिए फाइनेंशल एडवाइजर्स को हायर करती है. विदेशों में भी फाइनेंशियल एडवाइजर्स की काफी डिमांड रहती है. अगर अाप कॉमर्स और इकॉनामिक्‍स के क्षेत्र से ग्रेजुएट हैं तो इंटरनेशनल फाइनेंसिंग कंपनीज, लैंडिंग ऐंड बॉरोइंग, मल्टी करेंसी ट्रेडिंग आदि की फाइनेंशियल कंपनियों में प्रोफेशन तलाश कर सकते हैं.

किंग केक फन

सामग्री

– 8 ब्रैड केक

– 1 कप मिक्स फ्रूट जैली

– 4-5 छोटे चम्मच मिक्स फ्रूट जैम

– 3 स्कूप वैनिला आइसक्रीम

– 2 छोटे चम्मच चौकलेट सौस, हरा, लाल, नीला फूड कलर.

विधि

ब्रैड केक को प्लेट में रखें. जैली को फूड कलर डाल कर 2 या 3 कलर में तैयार कर लें. अब ब्रैड केक को रंगबिरंगा करने के लिए जैली और जैम का इस्तेमाल करें. ब्रैड के साथ वैनिला आइसक्रीम को चौकलेट सौस से सजा कर सर्व करें.

दांतों को बनाएं स्‍वस्‍थ

अगर आप अपने दांतों को सुबह-शाम ब्रश करते हैं तो अच्‍छी बात है लेकिन दांतों को हेल्‍दी बनाएं रखने के लिए इसके अलावा भी देखभाल करना जरूरी होता है.

दांतों को साफ व स्‍वस्‍थ बनाने के लिए साल में कम से कम एक बार डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करना चाहिए. सही पेस्‍ट का इस्‍तेमाल करना चाहिए. दांतों में कोई संक्रमण होने पर, दर्द होने पर या कैविटी होने के मामले में कोताही नहीं बरतनी चाहिए.

हर 6 महीने में अपने टूथब्रश को बदल दें. दांतों के बीच खाने को न भरा रहना दें, भोजन के बाद सही तरीके से कुल्‍ला करें. आप चाहें तो मुँह को साफ बनाएं रखने के लिए माउथवॉश का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं.

अनहेल्‍दी फूड का सेवन न करें, ऐसी खुराक लें जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्‍व और कैल्शियम हो. सलाद का सेवन करें, इसके मौजूद पोषक तत्‍व, दांतों को बहुत हेल्‍दी बनाते हैं. भोजन के बाद आधा गिलास पानी पिएं. इससे मुँह साफ हो जाता है.

दांतों के लिए कोई भी मीठी खाद्य सामग्री, नुकसानदायक होती है. कैंडी, टॉफी, चॉकलेट या बिस्‍कुट आदि का सेवन करने से दांतों में कीडे लगने का डर बना रहता है. छोटे बच्‍चों को इन सबसे दूर ही रखना बेहतर होगा.

अगर आपके दांत पीले दिखते हैं तो किसी अच्‍छे पेस्‍ट का इस्‍तेमाल करें. बेकिंग पाउडर से दांतों को साफ कर लें. टूथपेस्‍ट की बजाय सरसों के तेल और नमक से दांतों को साफ करें. प्रति वर्ष, किसी अच्‍छे दंत चिकित्‍सक को दिखाना चाहिए, चाहें दांतों में कोई समस्‍या हो या नहीं. इससे आपके दांत स्‍वस्‍थ बने रहेंगे और उनकी चमक भी बनी रहेगी. क्‍योंकि दांतों का गंदा दिखना, पूरी पर्सनालिटी पर बुरा असर डालता है.

‘पी के’ पहुंची जापान

धूम 3,भाग मिल्खा भाग और  3 इडियट्स के बाद अब ‘पी के’ भी जापान के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है. वास्तव में जापान में भारतीय सिनेमा का कोई बाजार नहीं है. ऐसे में किसी भारतीय फिल्म का वहां के दर्शकों के बीच प्रदर्शित होना बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. फिल्म पी के के निर्देशक राज कुमार हिरानी के लिए तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि वह जापानी फिल्मकार अकीरा कुरोसोवा ओर उनकी ‘सेवन समुराय’, ‘योजिम्बो’, ‘रेड बियर्ड’ और ‘रोशोमन’ जैसी फिल्मों के बहुत बड़े प्रशंसक हैं.

इस बात को स्वीकार करते हुए राज कुमार हिरानी कहते हैं, ‘मेरे लिए खुशी और गर्व की बात है कि मेरी फिल्म मेरे पसंदीदा फिल्मकार के देश जापान में रिलीज हो रही है. इसके लिए मैं भी जापान पहुंच रहा हूं. इस अवसर पर मैं वहां के कई फिल्मकारों व कलोकारों से भी मिलने वाला हूं. जापान की मेरी यह पहली यात्रा है.

कब शुरू होगी संजय दत्त की बायोपिक?

जेल में सजा काटते हुए संजय दत्त ने अपने करियर व अपनी जिंदगी को लेकर कई तरह की योजनाएं बनानी शुरू कर दी थी. बीच बीच में जब वह पैरोल पर घर आते थे,तो अपनी उन योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए काम भी किया करते थे.

जेल में रहते हुए संजय दत्त ने जिस तरह से योजना बनायी थी, उससे उन्हें उम्मीद थी कि जेल से बाहर निकलते ही वह एक बार फिर स्टार की तरह काम करना शुरू  कर देंगे. मगर जेल से बाहर आने के बाद उनकी किस्मत साथ नहीं दे रही है.

उनकी जो फिल्में शुरू होने वाली थी, वह सब धीरे धीरे बंद हो गयी. जिस फिल्म के लिए उन्होने लगातार तीन माह तक ट्रेनिंग ली थी, वह फिल्म भी अंततः बंद हो गयी. उधर उनके अपने खास मित्र सलमान खान से भी संबंध बिगड़ गए.

इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो अपने आपको सही अंदाज में लोगों तक पहुंचाने के लिए ही उन्होने अपने मित्र व फिल्मकार राज कुमार हिरानी को अपनी जिंदगी पर फिल्म बनाने के हक दिए थे. मगर संजय दत्त की खराब किस्मत का ही असर है कि यह फिल्म भी शुरू नहीं हो पायी.

खुद राज कुमार हिरानी ने दो साल पहले हमसे बात करते हुए कबूल किया था कि उन्होने संजय दत्त के मुंह से सारी कहानी सुनी और उसी के आधार पर पटकथा लिखी.

बहरहाल,राज कुमार हिरानी ने नवंबर 2014 में संजय दत्त की बायोपिक फिल्म में संजय दत्त का किरदार निभाने के लिए रणबीर कपूर से संपर्क किया था. रणबीर कपूर ने इस किरदार के लिए हामी भी भर दी थी. उसके बाद खबर आयी थी कि दो चार माह के अंदर ही इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. बीच में तो यह खबर भी आयी थी कि अब यह फिल्म कभी नहीं बनेगी.

सूत्रों की माने तो संजय दत्त की बायोपिक फिल्म के लटकने की कई वजहें रहीं. एक तरफ संजय दत्त खुद बार बार फिल्म की पटकथा में बदलाव करा रहे थे. तो दूसरी तरफ रणबीर कपूर का करियर डांवाडोल होने के साथ साथ कटरीना कैफ के साथ संबंध खत्म होने के बाद वह अपनी निजी जिंदगी में इस कदर उलझ गए कि वह अपनी खुद की फिल्म ‘‘जग्गा जासूस’’ तक पूरी नहीं कर पाए. अभी भी ‘‘जग्गा जासूस’’ के रिलीज होने की कोई संभावनाएं नजर नहीं आ रही हैं.

जेल से बाहर आने के बाद फरवरी माह में पटकथा पढ़कर संजय दत्त ने राज कुमार हिरानी को हरी झंडी दे दी थी.

उसके बाद जून 2016 से शूटिंग शुरू होनी थी,पर नहीं हो पायी. तब कहा गया कि अब अगस्त 2016 से शूटिंग शुरू होगी, पर यह तय हो गया है कि अगस्त माह से इस फिल्म की शूटिंग नहीं शुरू होने वाली है.

बहरहाल,अब राज कुमार हिरानी कैंप से खबर मिली है कि संजय दत्त की बायोपिक फिल्म जनवरी 2017 में शुरू हो जाएगी. रणबीर कपूर ने कह दिया है कि वह जनवरी 2017 से इस फिल्म की शूटिंग करने के लिए तैयार हैं.

सूत्रों का दावा है कि 2017 के क्रिसमस के मौके पर संजय दत्त की बायोपिक फिल्म थिएटरों में पहुंच जाएगी.

मगर संशय की स्थिति अभी भी बनी हुई है. क्योंकि संजय दत्त और सलमान खान के रिश्ते बिगड़ चुके हैं. और हाल ही में संजय दत्त की बायोपिक फिल्म का जिक्र छिड़ने पर सलमान खान मीडिया से साफ साफ कह चुके हैं कि उनके बिना यह फिल्म कभी नहीं बन सकती.

खैर,हमारी निगाह इस बात पर टिकी हुई है कि राज कुमार हिरानी जनवरी 2017 में संजय दत्त की बायोपिक फिल्म शुरू कर पाते हैं या नहीं.

जानिए कैसे शुरू करते हैं नई कंपनी

ज्‍यादातर लोगों कि इच्‍छा होती है कि उनका अपना कोई काम या कारोबार हो और वे खुद अपने बॉस हों. उनके पास ऐशोआराम की वे तमाम सुविधाएं उपलब्‍ध हों, जो देश एवं दुनिया के अमीर लोगों और कारोबारियों के पास होते हैं. ऐसे में यदि आप भी अपनी कंपनी बनाकर खुद का कारोबार शुरू करना चाहते हैं. तो आइए हम बताते हैं कि कंपनी शुरू करने के लिए कौन-कौन सी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं. इसके साथ ही नई कंपनी रजिस्‍टर्ड कराने के लिए कितना शुल्‍क देना पड़ता है.

नई कंपनी के रजिस्‍ट्रेशन में लगते हैं 14-20 दिन

आमतौर पर किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रजिस्‍ट्रेशन के लिए 14-20 दिन का समय लगता है, लेकिन रजिस्‍ट्रेशन में लगने वाला समय कस्‍टमर के द्वारा संबंधित डॉक्‍यूमेंट को जमा करने और सरकार के द्वारा इसको कितनी जल्‍दी स्‍वीकृति मिलती है, उस पर निर्भर करता है. इसलिए आपको अपनी कंपनी का नाम यूनिक रखना चाहिए और इससे संबंधित डॉक्‍यूमेंट को रजिस्‍ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू होते ही जमा कराना चाहिए

कंपनी में अधिकतम 200 शेयर होल्‍डर्स

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरूरत होती है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम दो डायरेक्‍टर और अधिक से अधिक 15 डायरेक्‍टर हो सकते हैं. इसमें कम से कम 2 शेयर होल्‍डर्स हो सकते हैं, जबकि आपको ज्‍यादा से ज्‍यादा 200 शेयर होल्‍डर्स रखने की इजाजत कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (एमसीए) देता है.

कंपनी के डायरेक्‍टर बनने की योग्‍यता

आमतौर पर किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्‍टर बनने के लिए किसी व्‍यक्ति की आयु कम से कम 18 साल या इससे अधिक होनी चाहिए, जबकि योग्‍यता संबंधी कोई नियम तय नहीं है. इसलिए एक साधारण व्‍यक्ति भी किसी कंपनी का डायरेक्‍टर बन सकता है. इसके अलावा, डायरेक्‍टर बनने के लिए निवास स्‍थान और नागरिकता जैसी कोई बाध्‍यता भी नहीं है.

कंपनी शुरू करने के लिए कैपिटल

यदि आप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो कैपिटल मनी के रूप वह राशि कुछ भी हो सकती है. हालांकि कंपनी शुरू करने के लिए सरकार को फीस के तौर पर कम से कम 1 लाख रुपए शेयर के रूप में देना अनिवार्य है. ये पैसे ऑथराइज्‍ड कैपिटल फी के तौर पर कंपनी का रजिस्‍ट्रेशन कराने के दौरान देने होते हैं.

कंपनी खोलने के लिए ऑफिस जरूरी

भारत में कंपनी शुरू करने के लिए एक जगह की आवश्‍यकता होती है, जहां से कंपनी का संचालन होता है और उसी पते पर नई कंपनी रजिस्‍टर्ड भी होती है. यह जगह कमर्शियल, इंडस्ट्रियल और रेजिडेंशियल एरिया के अंदर भी हो सकती है.

रजिस्‍ट्रेशन के लिए अनिवार्य डाक्‍यूमेंट

  • कंपनी का रजिस्‍ट्रेशन कराते समय पहचान पत्र और पते के लिए प्रमाण पत्र प्रस्‍तावित सभी डारयेक्‍टर्स को देना होगा.
  • नई कंपनी के रजिस्‍ट्रेशन में भारतीय नागरिकों के लिए पैन कार्ड का होना भी जरूरी है. 
  • जिस पते पर कंपनी का रजिस्‍ट्रेशन कराया जाना है, उसका प्रमाण पत्र देना होगा.
  • कंपनी के रजिस्‍ट्रेशन के लिए मकान मालिक की ओर से जारी किया गया नो ऑब्‍जेक्‍शन सर्टिफिकेट भी देना अनिवार्य है.
  • जिस व्‍यक्ति के नाम से रजिस्‍ट्रेशन कराया जाना है, उसका पहचान प्रमाण पत्र और पत्राचार प्रमाण पत्र भी देना जरूरी है.
  • जिस पते पर नई कंपनी का रजिस्‍ट्रेशन होना है, उस पते का भी प्रमाण पत्र पेश करना जरूरी है. 

कंपनी की रजिस्‍ट्रेशन प्रक्रिया और फीस

कंपनी का रजिस्‍ट्रेशन कराने के लिए सबसे पहले आपको फॉर्म आईएनसी-29 भरकर जरूरी डॉक्‍यूमेंट के साथ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के ऑफिस में जमा कराना होगा. यदि एमसीए द्वारा रजिट्रेशन के लिए प्रस्‍तावित कंपनी के नाम को स्‍वीकार कर लिया जाता है तो वह इनकॉरपोरेशन जारी करेगा. अगर वह नाम को स्‍वीकार नहीं करता है तो आपको नया नाम देना होगा.

शान पर न पड़े कहीं नुकसान भारी

अमीरों के बच्चों के हाथों बड़ी तेज पावरफुल गाडि़यों से निर्दोषों की हत्याओं के मामले बढ़ रहे हैं. अब किस्तों में मर्सिडीज, औडी, जगुआर काफी आसानी से मिलने लगी हैं और नए पैसे वालों के बच्चे इन का मोह छोड़ नहीं पाते और इन्हें सैरसपाटे के लिए निकाल इन की पूरी पावर टैस्ट करने में लग जाते हैं.

हमारे देश में जहां रोड सैंस बिलकुल नहीं, तेज दौड़ती गाड़ी खाली सड़क पर भी खतरा है, क्योंकि कब कहां से कौन बिना देखे रुके निकल जाए, पता नहीं.

‘जौली एलएलबी’ में युवा बेटे के हाथों पटरी पर हुई मौत के से मुकदमे देश भर की अदालतों में चल रहे हैं. राजस्थान में सीकर के विधायक के बेटे ने जयपुर में 3 को बीएमडब्लू से मार डाला. अब वह 1-2 माह जरूर जेल में रहे, पर शानशौकत से मानो बैंगलुरु के जिंदल के स्वास्थ्य केंद्र में आया हो और फिर घरलौट जाएगा.

इस देश में बड़ी गाडि़यां शान के लिए जरूरी हैं स्पीड के लिए नहीं, क्योंकि यहां की सड़कों पर अनुशासन का नामोनिशान नहीं है. सड़कों का प्रबंध करने वाले असल में बिगड़ैल बच्चों से भी ज्यादा बिगड़े हैं और उन्हें कोई दोष नहीं देता.

नई तकनीक के कारण सड़कों की बनावट तो ठीक हो गई है पर उन पर चलने वालों की नहीं. पढ़ेलिखे कार वाले, स्कूटर वाले, अनपढ़ औटोरिकशा वाले, साइकिल वाले सब सड़कों को बेघरों के शौच करने की जगह सा मानते हैं, जहां जो मरजी जैसा मरजी करा जा सके.

इन सड़कों पर वे बच्चे जिन के खून में उबाल हो, दिमाग में मांबाप के पैसे की गरमी हो और हाथ में पावरफुल गाड़ी हो, वे मिनटों में  आपे से बाहर हो जाते हैं. अगर साथ में शराब की बोतल, 2 गर्लफ्रैंड और 2 लड़के हों तो कहने ही क्या.

कानून इस में कुछ नहीं कर सकता. मातापिता भी बेबस से ही होते हैं. इकलौते बच्चे उन के पीछे क्या करते हैं, उस पर उन का जोर बहुत कम होता है. बच्चों के साथियों का प्रैशर इतना होता है कि मौजमस्ती एक वर्ग के लिए पिता की कमाई का सदुपयोग करने का अकेला तरीका बचा है.

यह जिम्मेदारी असल में मातापिता की ही है कि वे अपने बच्चों को अनुशासन में रखें वरना उन्हें ही नुकसान उठाना होगा. यह नुकसान उस शान से कहीं भारी होगा जिस पर वे इतरा रहे होते हैं.

शान के लिए महंगे कपड़े खरीदें, बड़ा मकान बनवाएं, महंगी घड़ी दिलाएं, पर पावरफुल गाड़ी न दें. हो सके तो सरकार को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा तेज चलने वाली गाडि़यां ही न बनने दे.                

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