एपिलेप्सी के आयुर्वेदिक उपाय

एपिलेप्सी (मिर्गी) जिसे एक प्रकार का दौरा भी कहा जाता है एक तंत्रिका सम्बन्धी गड़बड़ी है जिसमें अचानक से इंसान होश खो बैठता है. यह कुछ सेकंड से लेकर मिनट तक रह सकता है.

एपिलेप्सी इसलिए भी होती है जब दिमाग जरूरत से ज्यादा विद्युत आवेग भेजने लगता है और इंसान को दौरे पड़ने लगते हैं. यह दौरे कई तरह के हो सकते हैं जैसे अंग का जरूरत से ज्यादा हिलना, आंखों के आगे अंधेरा छा जाना, याद्दाश्त खोना, शरीर धीमी गति से काम करना, पेशाब हो जाना आदि.

एपिलेप्सी के लक्षण हर इंसान में अलग हो सकते हैं. कुछ लोग आँखों के सामने अंधेरा हो जाने से बेहोश हो जाते हैं, कुछ लोगों को अंग में ऐंठन हो जाती है और कुछ लोगों के मुंह से फेन भी निकल सकता है.

आपको यह जानना पड़ेगा कि आपको दौरे पड़ते क्यों हैं और तभी आप इसका सामना करने के लिए तैयार रह पाएंगे. कुछ मरीजों का कहना है कि ज्यादा तनाव से या शराब पीने से या ज्यादा काम करने से यह दौरे पड़ सकते हैं. हालांकि, इन दौरों का कारण हॉर्मोन के कारण या फिर कुछ विशेष खाने से भी हो सकता है.

आयुर्वेद में इस हालात को अपसमरा कहते हैं. आयुर्वेद में कई हर्ब और उपाय हैं जिससे इन दौरों से निजात पाया जा सकता है. इसके अलावा आयुर्वेद अपने जीवन जीने में कुछ बदलाव करने की सलाह देता है जैसे हानिकारक खाने और आदत से बचें. कुछ और बातो का ध्यान रखना जरूरी है जैसे अनिद्रा, ज्यादा काम, शराब, अनैतिक काम, काफी समय तक भूखे या प्यासे रहना. इसलिए आइए आयुर्वेद के अनुसार दौरों को रोकने के लिए कुछ उपाय और हर्ब के बारे में जानें.

लहसुन:  लहसुन भारतीय औषधियों में कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इस्तमाल में लाया जाता रहा है. इससे शरीर की एैठन भी दूर होती है. इसमें एंटी-स्पास्म, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेट्री विशेषता होती है जिससे दौरों से बचाव होता है.

ऐसे करें इस्तेमाल: आधा कप दूध और पानी को मिलाकर इनमें 5 लहसन की कलियाँ डालकर उबाल लें. तब तक उबालें जब तक मिश्रण आधा न हो जाए. इस मिश्रण को नियमित रूप से पीने पर दौरे नहीं पड़ेंगे.

ब्रह्मी:  ब्रह्मी एक ऐसा ही हर्ब है जिसे आयुर्वेद लेने की सलाह देता है. इससे तनाव भी कम होता है और शरीर को फ्री रैडिकल से बचाता है. यह दिमाग सम्बन्धी बीमारियों के उपचार के लिये काफी लाभदायक है. यह दिमाग में न्यूरोन का तालमेल ठीक करता है जिससे एपिलेप्सी के इलाज में मदद मिलती है.

ऐसे करें इस्तेमाल: जिस इंसान को दौरे आते हैं उसे रोज ब्रह्मी के 5-6 पत्ते खाने चाहिए. इसके बाद एक ग्लास गर्म दूध पी लेना चाहिए. ऐसा करने से धीरे धीरे दौरे आना बंद हो जाएंगे.

तुलसी: भारतीय घरों में यह मिलना आम बात है तुलसी पूज्यनीय पेड़ है. यह दौरों को खत्म करने में भी काफी मददगार साबित होता है. इससे तनाव भी दूर होता है.

ऐसे करें इस्तेमाल: तुलसी के पत्तों को रोज चबाना या एक चम्मच तुलसी का जूस पीने से दिमाग में न्यूरोन का तालमेल बैठता है और दौरे नहीं पड़ते.

ऐश गॉर्ड: इसे सफेद कद्दू या पेठा भी कहते हैं और इसका विवरण इसके रोगनाशक गुण की कारण ‘चरक संहिता’ में भी किया गया है. यह दौरे के इलाज के रूप में काफी असरदार सिद्ध हो सकता है.

ऐसे करें इस्तेमाल: ऐश गॉर्ड को घिसकर इससे आधा कप जूस निकाल लें. सुबह उठकर यह जूस पीएं. इससे दौरे पड़ना बंद हो जाएंगे.

नारियल तेल: नारियल तेल से दौरों में काफी फायदा होता है. इससे दिमाग में न्यूरोन को ऊर्जा मिलती है और ब्रेन वेव पर इसका शांतिदायक असर पड़ता है. नारियल में जो फैटी ऐसिड होते हैं वह एपिलेप्सी से निजात पाने में मदद करते हैं. ऐसे करें इस्तेमाल: दिन में एक चम्मच नारियल का तेल खाएं. आप चाहें तो खाना नारियल तेल में ही बनाएं या सलाद पर डाल कर खाएं.

5 मिनट के ठुमके के लिए 4 करोड़

स्टारडम किसे कहा जाता है ये तो आप सेलिब्रिटी से पूछिए. हाल ही में आईफा अवार्ड खत्म हुए हैं लेकिन यहां सितारों के ठुमकों की कीमत जानकर आपके होश ही उड़ जाएंगे.

ये तो हम आपको बता ही चुके हैं कि आईफा अवार्ड में दीपिका पादुकोण ने प्रियंका के साथ स्टेज पर परफॉर्म करने से मना कर दिया.

लेकिन दरअसल, असल वजह थी दोनों की फीस का अंतर.  प्रियंका चोपड़ा को आईफा के 5 मिनट के परफॉर्मेंस के लिए 2 करोड़ रूपये दिए गए जबकि दीपिका पादुकोण को 1 करोड़ 85 लाख. बस इसीलिए दीपिका पादुकोण ने प्रियंका के साथ परफॉर्म करने से मना कर दिया जिस पर प्रियंका का रिएक्शन शानदार था.

अब ये तो सभी को पता है कि प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड की दुनिया में अपना नाम कमा चुकी हैं. लेकिन इसके लिए उन्होंने डील कितने में साइन की है ये सुनकर ज़रा चौंकिएगा मत. क्योंकि ये प्रियंका चोपड़ा की कीमत है. हॉलीवुडिया कीमत! पीसी पहली भारतीय अभिनेत्री हैं जिनके साथ अमेरिकी टीवी नेटवर्क एबीसी ने अनुबंध किया है. इस कॉनट्रैक्ट की कीमत है 25 करोड़ रूपये.

जानिए बाकी हीरोइनों की बॉलीवुडिया कीमत

कंगना रनौत

कहा जाता है कि कंगना रनौत हर फिल्म का 10 – 11 करोड़ रूपये लेती हैं. और उनकी ये फीस तनु वेड्स मनु रिटर्न्स की सफलता के बाद बढ़ गई है.

करीना कपूर

करीना कपूर हर फिल्म का 9 से 10 करोड़ रूपये चार्ज करती है. इसलिए अजय देवगन से खान्स और अक्षय कुमार तक सब उनकी लिस्ट में हैं.

दीपिका पादुकोण

दीपिका पादुकोण हर फिल्म का 8 – 9 करोड़ रूपये चार्ज करती है.

प्रियंका चोपड़ा

पीसी भी हर फिल्म का 8 से 9 करोड़ रूपये चार्ज करती हैं.

विद्या बालन

विद्या बालन हर फिल्म का 6 से 7 करोड़ रूपये लेती हैं.

कैटरीना कैफ

कैट भी हर फिल्म का 6 से 7 करोड़ चार्ज करती हैं.

अनुष्का शर्मा

अनुष्का शर्मा हर फिल्म का 5 – 6 करोड़ रूपये चार्ज करती हैं.

आलिया भट्ट

आलिया हर फिल्म का 4 से 5  करोड़ लेती हैं.

किसानों पर भारी बैंकों की मनमानी

इटहर गांव के रहने वाले किसान रामसूरत कई दिनों से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए बैंक का चक्कर लगा रहे थे, लेकिन बैंक वालों द्वारा कोई न कोई कमी निकाल कर हर बार उन्हें लौटा दिया जाता था. रामसूरत ने थकहार कर किसान क्रेडिट कार्ड न बनवाने का फैसला लिया, जिस की वजह से उन के बोए गए गन्ने की फसल को समय से खाद व पानी न मिल पाया. इस वजह से गन्ने की फसल अच्छी नहीं हुई.

एक दिन रामसूरत की मुलाकात बैंक के एक दलाल से हुई, जिस ने रामसूरत को बिना झंझटों के ही किसान के्रडिट कार्ड बनवाने का तरीका बताया. बैंक दलाल के बताए तरीके के अनुसार रामसूरत ने बैंक वालों को रिश्वत दी और फिर उन का क्रेडिट कार्ड आसानी से बन गया.

इसी तरह किसान सुरेंद्र ने भैंस खरीदने के लिए बैंक से कर्ज लेने की अर्जी दी, लेकिन बैंक वालों ने उसे कोई कारण बताए बिना ही उस की अर्जी खारिज कर दी. बैंकों द्वारा किसानों को कर्ज न देने के लाखों बहाने बनाए जाते हैं. किसानों के लिए चलने वाली तमाम योजनाओं में बैंकों की महत्तवपूर्ण भूमिका होती है. बैंकों को खेती किसानी के लिए आसान शर्तों पर कर्ज देने को भारत सरकार ने कहा है, लेकिन बैंक किसानों को आसानी से कर्ज नहीं देते हैं.

कई बार किसानों को अपनी खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेने के लिए सालों तक चक्कर लगाना पड़ता है, लेकिन बैंकों द्वारा सिर्फ उन्हीं किसानों को कर्ज देने में दिलचस्पी दिखाई जाती है, जो पढ़े-लिखे होते हैं या पहुंच वाले होते हैं. भोले-भाले किसान बैंक से कर्ज तभी ले पाते हैं, जब वे किसी दलाल की मदद लेते हैं.

किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में भारी गड़बड़झाला

खेती की रीढ़ माने जाने वाले किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में बैंकों द्वारा भारी गड़बड़झाला किया जा रहा है. किसान नेता मंगेश दूबे का कहना है कि किसान जब बैंक में क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए अर्जी देता है, तो बैंक किसान की खेती के रकबे के अनुसार कर्ज तय करता है. कितना कर्ज किसान को देना है, बैंक यह किसान द्वारा ली जाने वाली फसल के अनुसार तय करता है. सरकार ने अलग-अलग फसलों के अनुसार किसान क्रेडिट कार्ड की कर्ज सीमा तय करने का हुक्म दिया है.

मंगेश दूबे ने बताया कि बैंक द्वारा कर्ज सीमा की जानकारी किसानों को नहीं दी जाती है, जबकि मनमाने तरीके से किसानों की कर्ज सीमा तय की जा रही है. कृषि महकमे व बैंकों द्वारा किसानों के क्रेडिट कार्ड को बनाने के लिए जो कर्ज सीमा तय है, उस में धान की फसल के लिए 29 हजार रुपए प्रति एकड़, गेहूं की फसल के लिए 27 हजार रुपए प्रति एकड़, मक्के की फसल के लिए 17 हजार रुपए प्रति एकड़, गन्ने की फसल के लिए 47 हजार रुपए प्रति एकड़, आलू की सामान्य फसल पर 42 हजार रुपए प्रति एकड़ व हाईब्रिड फसल पर 59 हजार रुपए प्रति एकड़, सरसों, चना व मटर के लिए 17 हजार रुपए प्रति एकड़ और केले की खेती के लिए 1 लाख, 43 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से कर्ज सीमा तय करनी होती है.

किसान अपनी खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पैसे को कभी भी बैंक से निकाल सकता है. कर्ज सीमा तय करने में भी बैंकों द्वारा खेल खेला जा रहा है. अगर कोई किसान बैंक वालों को रिश्वत दे तो वह भले ही धान या गेहूं की फसल लेता हो, उसे केले या आलू की खेती के नाम पर कर कर्ज दिया जाता है. जबकि केले की खेती करने वाले किसान को बैंक वालों को रिश्वत न देने की वजह से धान या गेहूं पर मिलने वाला कर्ज दिया जाता है. इस के चलते किसान क्रेडिट कार्ड के पैसों को जमा करने में देरी होती है.

बैंकों के चलते नहीं मिल पाता फसलबीमा का लाभ

किसानों द्वारा उन की बोई गई फसल को सूखे या बरसात की वजह से हुए नुकसान से उबारने के लिए फसल बीमा योजना जिसे अब प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना के नाम से जाना जाता है, को चलाया गया है. इस के तहत बीमा की गई फसल की किस्त की रकम की कटौती बैंकों द्वारा किसान द्वारा बनवाए गए क्रेडिट कार्ड की कर्ज सीमा पर की जाती है. इस मसले पर किसान राममूरत मिश्र का कहना है कि बैंक का यह मानना है कि अगर किसान के केसीसी की कर्ज सीमा 1 लाख रुपए तय की गई है, तो उस की बोई गई फसल में से 1 लाख रुपए की आमदनी मिलती होगी.

ऐसे में किसान की कर्ज सीमा पर ही बीमा किस्त की रकम को काटा जाता है, जो कि प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत कुल कर्ज सीमा का 5 फीसदी बाजारू फसलों पर, 1.5 फीसदी रबी की फसल पर व 2 फीसदी खरीफ की फसल पर तय है.

किसान अगर फसल लेने के लिए अपनी 1 लाख रुपए की कर्ज सीमा से 30 हजार रुपए निकालता है तो भी बैंक द्वारा 1 लाख रुपए पर किस्त की रकम काटी जाती है, जबकि फसल के नुकसान की दशा में बैंक का यह मानना है कि किसान ने जितना पैसा बैंक से निकाला था उतने ही रुपए की फसल का नुकसान हुआ होगा और इसी को आधार बना कर फसल की बीमा रकम का भुगतान किया जाता है. ज्यादातर मामलों में किसानों को यह बताया ही नहीं जाता कि उन के किसान क्रेडिट कार्ड से बीमा की किस्त की रकम काटी गई है. इस वजह से किसान फसल के नुकसान की दशा में भी बीमा रकम नहीं पा पाता है.

सहायता योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा

कृषि महकमे द्वारा किसानों को आसानी से कृषि यंत्र मुहैया कराने के लिए किसान समूहों के जरीए मशीनरी बैंक चलाए जा रहे हैं. इसमें कुल 10 लाख रुपए की लागत आती है, जिस में कृषि महकमे द्वारा 8 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है. बाकी के 2 लाख रुपए में से 1 लाख रुपए किसान को लगाने होते हैं. जबकि 1 लाख रुपए बैंक से कर्ज लेने होते हैं. इस योजना के तहत पिछले साल पूर्वांचल के कई किसान समूहों को चुना गया था, लेकिन 1 लाख रुपए के कर्ज के लिए बैंकों द्वारा कई बार चक्कर लगवाए गए, तब कहीं जा कर किसानों को कर्ज की रकम

मिल पाई और कई समूहों को बैंक से कर्ज न मिलने की दशा में इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया.

इसी तरह उत्तर प्रदेश में डेरी और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए 100 दुधारू पशुओं की कामधेनु योजना और 50 दुधारू पशुओं की मिनी कामधेनु योजना चल रही है. इस में किसानों को 5 साल के लिए 1 करोड़ व 50 लाख रुपए के ब्याज मुक्त कर्ज दिए जाते हैं, लेकिन बैंकों ने इस का लाभ उन्हीं लोगों को दिया जो राजनीतिक पहुंच वाले थे. मध्यम व छोटे किसानों को इस योजना से दूर रखा गया, जिस की वजह से यह योजना असफल होती नजर आ रही है. जबकि बैंकों को कर्ज की पूरी रकम पर लगने वाले ब्याज की रकम सरकार द्वारा चुकाई जाती है.

इस के अलावा कृषि कार्यों के लिए आसान शर्तों पर कृषि स्नातक बेरोजगारों के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिन में कृषि महकमे द्वारा एग्री क्लीनिक खोलने के लिए माली सहयोग दिया जाता है. इस में सामान्य व पिछड़ी श्रेणी के लिए कुल लागत का 36 फीसदी व अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति की श्रेणियों को 44 फीसदी का योगदान दिया जाता है. बाकी का पैसा बैंक से कर्ज लेना होता है. इस मसले पर बुंदेलखंड के झांसी में एग्री क्लीनिक चलाने वाले रवी नरायन व्यास का कहना है कि उन के जिले में बैकों की मनमानी के चलते हजारों कृषि स्नातक बेरोजगार घूम रहे हैं, जबकि एग्री क्लीनिक के खुलने से किसानों को एक ही छत के नीचे खाद, बीज, कीटनाशक व सलाह मिलने में आसानी होती है.

रवी नरायन व्यास के अनुसार उन्होंने शुरू में 2 लाख रुपए का बैंक से कर्ज ले कर एग्री क्लीनिक की शुरुआत की, जिसका भुगतान उन के द्वारा समय से किया गया. जब उन्हें दोबारा कर्ज की जरूरत पड़ी तो बैंक द्वारा उन की फाइल को बिना किसी कारण बताए लटका कर रखा गया. वह पिछले 5 महीने से कर्ज के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें कर्ज की रकम नहीं दी गई.

किसानों के मुद्दे पर काम कर रहे सेना के रिटायर्ड कर्नल केसी मिश्र का कहना है कि किसानों को फसल के लिए समय से खाद, बीज, सिंचाई, मड़ाई, कीटनाशक आदि के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है. इस के साथ ही परिवार की जरूरतों को पूरा करने, बच्चों की पढ़ाईलिखाई, शादी वगैरह के लिए भी खर्च करने होते हैं, जिस के लिए किसान खेती पर ही निर्भर होता?है. ऐसी दशा में अपनी खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान बैंक से आसान शर्तों पर कर्ज मिलने की आशा रखता है, लेकिन बैंकों को इस तरह की छूट मिली है कि वे किसी भी अर्जी को बिना कारण बताए रद्द कर सकते हैं.

कर्नल केसी मिश्र के अनुसार किसानों को आसान शर्तों पर कर्ज दिए जाने के लिए सरकार द्वारा एक मानक तय किया जाना चाहिए जिस की जानकारी के लिए प्रचारप्रसार किया जाना जरूरी है.

किसान राममूर्ति मिश्र का कहना है कि खेती के अलावा किसानों को कृषि से जुड़े दूसरे रोजगारों को शुरू करने के लिए भी कर्ज की शर्तों में ढील देनी होगी और बैंक को दलालों के कब्जे से मुक्त कराना होगा. अगर कोई भी किसान पशुपालन, बकरीपालन, मत्स्यपालन, रेशम कीटपालन सहित कृषि के अन्य कामों को करने के लिए बैंक से कर्ज लेना चाहे तो उसे परेशान न किया जाए. तभी किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं सफल हो पाएंगी. 

चलो पुरानी दिल्ली का स्वाद लेते हैं…

तंग गलियों में महकते पकवान यही तो खासियत है पुरानी दिल्ली की गलियों की. पुरानी दिल्ली अपने जायकेदार चटपटे व्यंजनों के लिये पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां मिलने वाले व्यंजनों को जो एक बार चख लेता है वो पूरी जिंदगी इस स्वाद को भूल नही पाता.

1. पराठे वाली गली

पराठे वाली गली में पराठा खाने के लिये आपको इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि इन जायके दार पराठों को खाने के लिए हमेशा लोगों की भीड़ लगी रहती है. इस गली के अंतिम में एक दुकान के पास आपको पराठों की कई वैरायटी की लिस्ट दिख जाएगी. इस लिस्ट को देखने के बाद आप डिसाइड ही नहीं कर पाओगे की कौन से पराठे को ट्राई किया जाए. यह दुकानें 1872 में बनाई गई थी. यहां पनीर पराठा, गाजर पराठा, आलू पराठा, या प्याज का पराठा आदि सभी को अलग-अलग तरह की सब्जियों, दही, चटनी और अचार के साथ परोसा जाता है.

2. कुरेमल मोहन लाल कुल्फी वाले

कुरेमल मोहन लाल कुल्फी वाले की दुकान बेहद ही छोटी है. इनकी दुकान चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन के पास बने एचडीएफसी बैंक के नजदीक है. इस जगह पर आप हर तरह की कुल्फियों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां की मशहूर स्टफ्ड मैंगो कुल्फी की कीमत 200 रुपए है. यह दुकान सुबह नौ बजे से साढ़े दस बजे तक खुलती है.

3. कल्लू निहारीवाला

अगर आप लजीज निहारी को खाना चाहते है तो इसके लिए आपको कल्लू नहारीवाला के पास जाना होगा. इनकी दुकान जामा मस्जिद के पास है. इनकी दुकान सुबह 6 बजे से शाम 7:30 तक खुलती है. नॉन वेजिटेरियन के शौकिनों के लिए जगह स्वर्ग के जैसी है. यहां पर दो आदमियों के खाने का खर्च करीब 250 से 300 होगा.

4. नटराज के दही भल्ले

पराठे वाली गली के पीछे ही नटराज के दही भल्लों की दुकान है. इस दुकान के दही भल्ले खाने के लिए लोगों को लाइन लगानी पड़ती है. यहां के दही भल्ले बेहद मशहूर और स्वाद में बेजोड़ है. यह दुकान सुबह साढ़े दस बजे से रात के ग्यारह बजे तक पूरे सप्ताह खुली रहती है.

5. ज्ञानी दी हट्टी

फतेहपुरी मस्जिद से करीब 50 मीटर की दूरी पर ज्ञानी दी हट्टी की दूकान हैं. यहां पर आप स्वादिष्ट मिठाईयों के साथ ही रबडी फलूदा को टेस्ट कर सकते है. यहां पर रबड़ी के अंदर फलुदा और दूध के साथ ऊपर से बर्फ को डालकर दिया जाता है. जो दिल्ली की गर्मी को शांत कर देता है. यहां का गाजर और मूंग दाल का हलवा भी आपको जरूर पसंद आएगा.

6. वेदप्रकाश नींबू पानी वाला

यह दुकान चादंनी चैक मैट्रो स्टेशन के पास बने टाउन हॉल के नजदीक स्थित है. आपको इनका बड़ा सा बोर्ड दिख जाएगा कि हमारी कोई ब्रांच नहीं है. वेद प्रकश की दुकान का नींबू पानी पीकर आपकी थकान और प्यास पल भर में ही दूर हो जाती है.

7. दौलत की चाट

अगर आप भी अपनी अंगुलिया चाटना चाहते है तो दौलत की चाट को जरूर टाई करें. इस चाट के बनने की प्रक्रिया के राज को आज तक कोई भी जान नहीं पाया है. यहां पर रात भर चाट के मसाले को तैयार किया जाता है. इसके बाद यहां पर सुबह दूध में केसर और चांदी का वर्क लगाया जाता है. जब आप दौलत की चाट को खाने के बाद ही आप इसके लाजवाब टेस्ट का अंदाजा लगा सकते है.

8. करीम

नॉनवेज के शौकीनों के लिये करीम कोई नया नाम नहीं है. ये नाम तो मुगल काल से चर्चित है. यहां पर न सिर्फ नॉन वेज बल्कि वेजिटेरियन फूड भी मिलता है. मुगलों का खाना करीम द्वारा ही बनाया जाता था. इसी कारण इनकी दुकान लाल किले के पास ही बनी हुई है. यहां पर पहुंचकर आप मुगलई खाने का परफेक्ट टेस्ट ले सकते है. करीम के मशहूर जायकों में कबाब, मटन कोरमा, चिकन मुगलई, ब्रेन करी, चिकन जहांगिरी आदि लोगों को बहुत पसंद आते हैं.

होश उड़ा देगा इस मोबाइल का दाम

अगर गलती से आप के हाथ 35.2 करोड़ लग जाएं तो जरा सोचिए आप इस रकम से क्या क्या खरीद सकते हैं? इतनी रकम में अनिल अंबानी या लक्ष्मी मित्तल के आलीशान बंगला सरीखा बंगला बनाएंगे. अगर पैसे बच गए तो शानदार कार खरीदेंगे. जाहिर है, और पैसे बचे तो शानोशौकत के हर उस विकल्प को आजमाना चाहेंगे जो आप की जिंदगी को अर्श पर पहुंचा दे. कुछ लोग दुनिया दर्शन करना चाहेंगे और कुछ लोग दुनिया भर के जेवरों का ढेर लगा लेंगे. 35.2 करोड़ में यह काम आसानी से हो भी जाएगा. ऐशोआराम के तमाम जरीयों और खरीदारी के अनगिनत विकल्पों के बीच अगर कोई आप से पूरे 35.2 करोड़ का एक अदना सा मोबाइल फोन लेने को कहे तो वह शख्स आप को पागल ही नजर आएगा. आप कहेंगे कि बेवकूफ किसी और को बनाना.  35.2 करोड़ का फोन भी भला कहीं होता है?

मगर जरा ठहरिए, आप को बेवकूफ नहीं बनाया जा रहा, बल्कि इस कीमत का शानदार फोन मौजूद है और किसी रईसजादे की जेब की शोभा भी बढ़ा रहा है. जी हां, दुनिया का सब से महंगा मोबाइल है आईफोन 4 डायमंड्स रोस एडिशन. इस की कीमत सुन कर अच्छेअच्छों के होश उड़ जाते हैं.  35.2 करोड़ के इस फोन की बौडी 100 कैरेट के दोषरहित डायमंड से सज्जित है और इस पर 53 हीरों के साथ एप्पल का लोगो लगा है. इस का होम बटन दुर्लभ7.4 कैरेट के गुलाबी डायमंड का है.

विशेषता

दरअसल, यह फोन इंगलैंड के नामी डिजाइनर स्टुअर्ट ह्यूज अपने खास ग्राहकों के लिए बनाते हैं. इस फोन की खासीयत है इस में जडे़ खालिस महंगे और दुर्लभ हीरे. इस की एक और विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से हाथ से बनाया जाता है. एक फोन को बनाने और उस में हीरे जड़ने में कई महीने लग जाते हैं.

इस फोन को 32 जीबी की मैमोरी के साथ पेश किया गया है, जिस का मौडल रोज गोल्ड जैसा है. रोज पैनल फोन में अतिरिक्त 500 हीरे जड़े हुए हैं, जिन का कुल कैरेट 100 है. इस के प्लैटिनम नैविगेशन बटन पर 7.4 कैरेट पिंक डायमंड लगा है. अगर आप को गुलाबी रंग पसंद नहीं तो कंपनी इस की जगह 8 कैरेट का डायमंड भी लगा कर दे सकती है.

क्या है खास

जब फोन इतना महंगा है तो इस का बौक्स भी कम शाही मिजाज का थोड़े ही होगा.

7 किलोग्राम भारी वजन वाले इस के कैरी बौक्स को चैस्ट कहते हैं, जो सिंगल ग्रेनाइट ब्लौक से खासतौर पर इस मोबाइल के लिए बनाया जाता है. इंपीरियल गुलाबी रंग से सजे इस चैस्ट के अंदरूनी हिस्से में सर्वोत्तम गुणवत्ता का लैदर कोट किया जाता है. बाकी सारे फीचर्स तो आईफोन 4 वाले हैं, लेकिन इस की कीमत बढ़ाती है. इस की विशेष डिजाइन और कीमती हीरे.

दुनिया भर में इस के शौकीन खरीदार हैं. स्टुअर्ट ह्यूज और एलिट क्लास के लिए खासतौर से गैजेट्स बनाते हैं. वे लग्जरी को टैक्नोलौजी से जोड़ने में विश्वास रखते हैं. इस से पहले वे 24 कैरेट सोने वाला एक मोबाइल फोन बना चुके हैं. स्टुअर्ट को यह फोन आस्ट्रेलिया के व्यापारी ने स्पैशल और्डर दे कर बनवाया था.

इस मौडल के 2 ही पीस तैयार किए जाते हैं. अब तक आप समझ गए होंगे इसे खरीदना सब के बस की बात नहीं है. स्टुअर्ट बताते हैं कि जब उन्हें इतने महंगे फोन को डिजाइन करने का काम मिला तो पहले तो वे नर्वस हो गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने इस काम को एक चुनौती की तरह लिया. इस में लगे हीरे बेहद दुर्लभ हैं और स्टोंस से भी रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है. स्टुअर्ट को यह जान कर बेहद खुशी हुई कि कोई इतनी भारी रकम एक मोबाइल पर खर्चने को तैयार है, लेकिन जरा सोचिए अगर यह फोन खो गया तो करोड़ों के इस फोन के खोने पर एक जानलेवा दिल का दौरा तो बनता ही है.

सब से सस्ता मोबाइल भी

अगर करोड़ों रुपए, हीरों की बातें और महंगा शब्द सुन कर आप बुरा मान जाते हैं तो चलिए आप का मूड़ ठीक करने के लिए आप को ले चलते हैं दुनिया के सब से सस्ते फोन की सैर पर. सस्ता इतना कि एक फिल्म का टिकट भी इस की कीमत देख कर महंगा लगे. किसी दोस्त को कोल्डड्रिंक पिलाने या समोसे खिलाने जितना सस्ता

है यह फोन.  35.2 करोड़ में अगर दुनिया का सब से महंगा मोबाइल है तो सिर्फ  60 में ले आइए दुनिया का सब से सस्ता मोबाइल. अब इस से सस्ता भला और क्या हो सकता है? नाम है फायर फोन. सिर्फ 99 सैंट यानी 60 रुपए में अमेजन इसे बेच रही है. हालांकि अपनी लौंचिंग के दौरान मोबाइल  198 का था, लेकिन कंपनी इसे सीधे 99 सैंट पर ले आई. यह कोई आम जावा या पुराना मौडल नहीं, बल्कि बाकायदा स्मार्ट फोन है. इसलिए कीमत देख कर इस के फीचर्स को हलके में न लें तो बेहतर होगा. कंपनी यह फोन दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ अनुबंध के तहत ग्राहकों को बेचती है.

यह भी जानिए

32 जीबी संस्करण वाला यह फोन वाकई चौंकाने वाला है. वहीं मोबाइल ऐक्सपर्ट इस के हाई क्वालिटी कैमरे और इस की बेहतरीन 3 डी स्क्रीन के लिए पीठ थपथपा चुके हैं. 4.7 इंच डिस्प्ले वाले इस फोन की जबरदस्त खरीदारी हुई. हालांकि कंपनी के मुताबिक यह मात्र 99 सैंट में 2 साल के लिए उपलब्ध होगा. इस में से 1 साल के लिए प्रीमियम सदस्यता और अन्य क्लाउड सेवाओं पर वायरस सेवा उपलब्ध कराएगी. वैसे ब्रिटेन और जरमनी में भी उपभोक्ताओं को करीबकरीब मुफ्त या 1 यूरो में यह फोन मिल रहा है.

इस से पहले सब से सस्ते मोबाइल का रुतबा कार फोन वेयरहाउस नाम की कंपनी के नाम था, करीब  81.34 कीमत वाला मोबाइल उतार चुकी है. वहीं कम कीमत के हैंडसैट बनाने वाली अल्कापटेल ने दुनिया का सब से सस्ता मोबाइल बनाने का दावा करते हुए ओटी 232 नाम का हैंडसैट बाजार में  90 में उतारा था. लेकिन पिछले साल इन सब का रिकौर्ड तोड़ते हुए फायर फोन ने सब से सस्ते मोबाइल के सैगमैंट में अपना नाम दर्ज कर लिया. हालांकि कई चाइनीज कंपनियां अभी भी बाजार में बेहद कम प्राइस रेंज में अपने मोबाइल फोन बेच रही हैं, लेकिन इन की बिक्री गे्र मार्केट तक ही सीमित है यानी इन पर किसी तरह की वारंटी नहीं दी जाती है.

बहरहाल  60 से ले कर करोड़ों के महंगे मोबाइल का सफर सब का अपनाअपना होता है. भले ही मुकम्मल जहां न मिले, लेकिन शाही ठाट दिखाने के लिए ये तकनीकी तोहफे किसी से कम थोड़े ही हैं.                   

फुसीली पैक्ड सैंडविच

सामग्री

– 6 सैंडविच ब्रैड

– 100 ग्राम फुसीली पास्ता उबला हुआ

– 3 छोटे चम्मच टोमैटो कैचअप

– 1/2 छोटा चम्मच ओरिगैनो

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च चटनी

– थोड़ा सा प्याज कटा

– 2 छोटे चम्मच मक्खन

– पिज्जा चीज व नमक स्वादानुसार.

विधि

एक फ्राइंगपैन में 1 चम्मच मक्खन गरम कर प्याज को हलका सा भूनें.

– फिर इस में फुसीली पास्ता डाल कर चलाएं. अब नमक, चीज, टोमैटो कैचअप, लालमिर्च चटनी व ओरिगैनो डाल कर अच्छी तरह मिला लें. ठंडा होने दें.

– ब्रैड पर मक्खन लगा कर फुसीली को ब्रैड पर फैला कर ऊपर दूसरी ब्रैड रखें.

– स्टिक से ब्रैड के किनारे बंद कर के ब्रैड के तिरछे पीस काट कर सौस के साथ सर्व करें.

बोन कैंसर को न करें नजरअंदाज

बोन (हड्डी) कैंसर को बोन का घातक ट्यूमर भी कह सकते हैं. जो नॉर्मल बोन टिसू को नष्ट कर देता है. दूसरे शब्दों में कहें तो बोन कैंसर असामान्य कैंसर है जिसकी शुरुआत बोन में होती है. कई तरह के बोन कैंसर होते हैं. बोन कैंसर के कुछ प्रकार बचपन में ही होते हैं.

अन्य अधिकांशतः वयस्कों में होता है. बोन कैंसर होने के क्या कारण हैं जानना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन शोधकर्ताओं ने इस बीमारी के होने के खतरे के कई कारणों का पता लगाया. जैसे- उम्र, आनुवंशिकी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, ट्यूमर या बोन की अलग स्थिति.

चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रगति के बावजूद, जिसमें कैंसर के प्रकार को शुरु में पता लगाना संभव हो सका. जैसे स्तन, सर्विकल, कोलोरेक्टल और त्वचा कैंसर. दुर्भाग्य से अभी तक कोई स्पेशल जांच नहीं है जिसकी सहायता से बोन कैंसर का पता शुरुआत में लगाया जा सके.

इसलिए, इस कैंसर का पता लगाने के लिए किसी तरह के लक्षण या संकेत का पता चले तो जितना जल्द संभव हो सके डॉक्टर द्वारा जांच कराएं. बोन कैंसर के संकेत और लक्षण कैंसर के आकार पर बहुत हद तक निर्भर करता है. और शरीर का जो हिस्सा प्रभावित है.

ये हैं आम लक्षणः-

– हड्डियों में दर्द पहले आता हो जाता हो, उसके बाद दर्द और ज्यादा बढ़ जाता हो और यह लगातार होता रहता हो.

– प्रभावित इलाके में सूजन होना.

– हड्डी का टूटा होना.

– मूवमेंट में प्रोब्लम होना.

– अन्य छोटी आम लक्षण हैं- वजन घटाना, थकान, बुखार, और एनीमिया.

फिलहाल बोन कैंसर का कोई इलाज नहीं है. हालांकि पहले कैंसर पहचाना जाय. उसके बाद इलाज संभव किया जा सकता है.

सांवली सलोनी के लिए ये हैं मेकअप टिप्स

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि तमाम बदलावों के बावजूद हमारे देश में गोरे रंग को ही प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे में डार्क कॉम्‍प्‍लेक्‍शन वालों के लिए मेकअप को लेकर उतनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है जितनी गोरी रंगत वालों के लिए उपलब्ध है.

अक्सर डार्क कॉम्‍प्‍लेक्‍शन वाले भी वही मेकअप अपलाई कर लेते हैं जो गोरे रंग वालों पर फबते हैं. पर ये जानना जरूरी है कि आपका रंग उनके रंग से अलग है इसलिए आपके मेकअप में भी अंतर होगा.

य‍हां हम कुछ ऐसे मेकअप टिप्स बता रहे हैं जिससे डार्क कॉम्‍प्‍लेक्‍शन वालों को मेकअप लगाते वक्त काफी मदद मिलेगी:

1. डार्क कॉम्‍प्‍लेक्‍शन वालों को फ्रूटी लिपस्ट‍िक लगाने से बचना चाहिए. आपको कुछ ऐसे रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए जो गहरे तो हों लेकिन भड़कीले न हों.

2. ब्रिक कलर सा ब्राउन-रेड कलर का ब्लश इस्तेमाल करना चाहिए. चमकीले या हल्के रंगों के इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए.

3. अगर आपको लगता है कि आपकी रंगत डार्क है तो आपके लिए आईशैडो का चयन करना थोड़ा मुश्‍किल हो सकता है. ऐसे में आप आप कई रंगों का मेल करके आई शैडो लगा सकती हैं.

4. फेस पाउडर अच्‍छी तरह लगाएं. पाउडर पूरे चेहरे पर एकसार हो और जरूरत से ज्यादा न हो. पाउडर का शेड भी सही होना चाहिए.

5. ये बात हर तरह के मेकअप के लिए लागू होती है. मेकअप लगाते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके सभी उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले हों. अन्यथा बेकार क्वालिटी का उत्पाद इस्तेमाल करने से वो कुछ ही वक्त में फीका होना शुरू हो जाता है, जिससे आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है.

रेड वाइन फेसपैक, चेहरे की रंगत लौटाए

क्या आपके चेहरे का निखार कहीं खो गया है? क्या बढ़ती उम्र के लक्षण आपके चेहरे पर साफ नजर आने लगे हैं? सही देखरेख के अभाव में बढ़ती उम्र के लक्षण 25 साल की उम्र से ही दिखने लग जाते हैं. बारीक रेखाएं, झांइयां, दाग-धब्बे चेहरे की रंगत फीकी कर देते हैं. इसके अलावा आंखों के नीचे के काले घेरे भी आपकी परेशानी बढ़ाने का काम करते हैं.

इन लक्षणों को छिपाने की आप लाख कोशिश कर लें लेकिन ये किसी भी मेकअप से छिपते नहीं हैं. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप इस बदलाव को जितना जल्दी हो सके स्वीकार कर लें और कोशिश करें कि ये परेशानी और न बढ़े.

बाजार में बहुत से ब्यूटी प्रोडक्ट ऐसे हैं जो ये दावा करते हैं कि उनके इस्तेमाल से एजिंग की प्रोसेज रुक जाती है या फिर धीमी हो जाती है. अब इन दावों में कितनी सच्चाई होती है ये तो हम नहीं कह सकते लेकिन इस देसी उपाय से आप एजिंग की प्रॉब्लम को जरूर कम कर सकते हैं.

रेड वाइन का फेसपैक एक कंप्लीट ब्यूटी प्रोडक्ट है जो एजिंग की प्रॉब्लम को तो कम करता है ही साथ ही स्क‍िन से जुड़ी दूसरी प्रॉब्लम्स को भी दूर करने का करता है.

कैसे बनाएं रेड वाइन का फेसपैक

1. आधा कप रेड वाइन ले लें.

2. दो या तीन चम्मच शहद ले लें.

कैसे लगाएं ये फेस पैक?

एक छोटी कटोरी में इन दोनों चीजों को अच्छी तरह मिला लें. इसके बाद इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर एक समान तरीके से लगाएं. इसे आधे घंटे तक लगाकर यूं ही छोड़ दें. धोने के बाद आपको खुद ही महसूस होगा कि आपकी स्क‍िन पहले से ज्यादा सॉफ्ट हो गई है. सप्ताह में एक बार ये उपाय जरूर करें.

किंग खान को IT का नोटिस

मोदी सरकार के काला धन विरोधी अभियान की जद में शाहरुख खान भी आ गए हैं. बॉलीवुड एक्टर शाहरुख को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस भेजकर विदेशों में उनके निवेश के बारे में जानकारी मांगी गई है.

सूत्रों के मानें तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नोटिस भेजकर शाहरुख खान से बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और दुबई जैसे देशों में निवेश का ब्योरा मांगा है. सिंगापुर के जरिए इसी तरह के निवेश करने वाले कुछ दूसरे कारोबारियों को भी ऐसे ही नोटिस भेजे गए हैं.

अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि डिपार्टमेंट के पास शाहरुख की विदेशी संपत्तियों के बारे में मिली जानकारियों में रकम काला धन के तहत आती है या नहीं.

जानकारी के मुताबिक यह नोटिस इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन-131 के तहत भेजा गया है. यह एक्ट टैक्स अधिकारियों को जांच का अधिकार देता है.

शाहरुख की ओर से कोई जवाब नहीं

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स हेवन देशों की कंपनियों में शाहरुख के घोषित निवेश से हटकर इन गतिविधियों के बारे में जानकारी चाहता है. इस मामले में शाहरुख और उनके बिजनेस मैनेजर ने फिलहाल कुछ नहीं कहा है.

अघोषित आय के खुलासे के लिए 30 सितंबर तक मोहलत

मोदी सरकार काला धन के खुलासे के अपने वादे को जल्द पूरा करने के लिए अमीर भारतीयों की पड़ताल में जुटी है. विदेशों में अपने बैंक खाते और संपत्ति का ऐलान करने के लिए सरकार ने सबको 30 सितंबर तक की मोहलत दी है.

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