सलीम खान का अंधा पुत्र प्रेम

फिल्म ‘‘सुल्तान’’ के प्रमोशन के समय कुछ पत्रकारों के समूह के साथ बात करते हुए ‘रेप पीड़िता औरत’ को लेकर सलमान खान द्वारा दिए गए बयान की वजह से गर्माया हुआ माहौल ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा है. महाराष्ट्र महिला आयोग को वकील के माध्यम से भेजे गए सलमान खान के सफाई नामा से ‘महाराष्ट्र महिला आयोग’’ भी संतुष्ट नहीं है.

उधर सलमान खान ठहरे जिद्दी इंसान,जो कि माफी मांगने को तैयार नहीं. इतना ही नहीं उस सामूहिक इंटरव्यू के बाद सलमान खान ने किसी भी पत्रकार से ‘सुल्तान’ को लेकर भी बात नहीं की.

यह एक अलग बात है कि सलमान खान के ‘रेप पीड़ित महिला’ को लेकर दिए गए बयान के बाद जब बवाल मचा,तो हमेशा की ही तरह सलमान खान के पिता सलीम खान ने उसी दिन माफी मांग ली थी.

उन्हें उम्मीद थी कि इसी के साथ सारा मसला खत्म हो जाएगा. पर पिता की माफी नामे के बाद भी मामला ठंडा नहीं हुआ है. बालीवुड में कोई भी इंसान सलमान खान के बचाव में सामने नहीं आया.

अब महाराष्ट्र महिला आयोग ने सलमान खान को व्यक्तिगत रूप से आठ जुलाई को हाजिर होने का आदेश दिया है. उधर सूत्र बताते हैं कि इस मसले पर सलमान खान माफी नहीं मांगने वाले हैं.ऐसी परिस्थिति में सलमान खान के पिता सलीम खान अपने बेटे पर कोई दबाव नहीं बना पाए, मगर मीडिया के प्रति उनका गुस्सा सामने आ गया है. अब ‘‘शोले’’ जैसी फिल्म के पटकथा लेखक सलीम खान का यह गुस्सा पुत्र प्रेम का नतीजा है या कुछ और,यह तो वही जाने.. मगर सलीम खान ट्वीटर का सहरा लेकर मीडिया पर बरसे हैं.

सलीम खान ने ट्वीटर पर लिखा है- ‘‘आमतौर पर लोग समस्या से छुटकारा पाने के लिए माफी मांग लेते हैं. मैंने भी यही सोचा था कि समस्या खत्म हो जाएगी. लेकिन मीडिया की व्यावसायिक मजबूरी उसे मुद्दे को दूर तक ले जाने के लिए प्रेरित करती है. मुझे अफसोस है कि मुझे यह बात पता नहीं थी.’’

सलीम खान ट्वीटर पर ही आगे लिखते हैं-‘‘किसी के सिर पर तलवार रखकर उससे माफी मंगवाने का क्या मतलब? चाहे वह गलत है या सही,उस व्यक्ति को पता है कि उसने कोई अपराध नहीं किया.’’

किरण राव सिक्रेटली कर रही यह फिल्म शूट

आमीर खान की पत्नी और ‘धोबीघाट’ जैसी फिल्म निर्देशित कर चुकी किरण राव पिछले डेढ़ माह से गुप्त रूप से मुंबई के फिल्मालय स्टूडियो में अपनी नई फिल्म ‘बेगम आपा’ की शूटिंग करने में व्यस्त हैं. यूं तो किरण राव अपनी इस फिल्म को लेकर बहुत गोपनीयता बरत रही हैं, पर सूत्रों के अनुसार किरण राव ने अपनी इस फिल्म से जुडे़ हर तकनीशियन, स्पॉट ब्वॉय व कलाकार से लिखत रूप में लिया है कि वह कहीं भी इस फिल्म का जिक्र नहीं करेंगे.

सूत्रों की माने तो फिल्म ‘बेगम आपा’ की कहानी एक अधेड़ उम्र की औरत का कुछ बच्चों के साथ रिश्ते की है. किरण राव इसे अनूठी कथा मानकर चल रही हैं. सूत्रों के अनुसार किरण राव की पिछली फिल्म ‘धोबीघाट’ की ही तरह ‘बेगम आपा’ में भी आमीर खान अभिनय करते हुए नजर आएंगे. सूत्रों का दावा है कि इस फिल्म में आमीर खान ने एक कैमियो किया है.

मत मारो, मैं जीना चाहती हूं

पिछले दिनों दिल्ली के डाबड़ी में एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया. एक पति ने महज इस वजह से अपनी गर्भवती पत्नी के साथ मारपीट की और उस की हत्या का प्रयास किया, क्योंकि उसे और उस की मां को शक था कि होने वाला बच्चा लड़की है, लड़का नहीं. पुलिस को दिए गए महिला के बयान के मुताबिक 2014 में इस महिला ने लव मैरिज की थी. इस बीच उसे एक बेटी हुई. वह दोबारा गर्भवती हो गई.

पति को शक था कि गर्भ में फिर से लड़की है, इसलिए वह गर्भपात कराना चाहता था. पर महिला ने इनकार कर दिया. इस पर पति उसे घसीट कर जबरन ले जाने का प्रयास करने लगा. महिला ने इस का विरोध किया, तो पति ने जान से मारने की धमकी देते हुए उस का गला दबाने की कोशिश की. फिर उसे बालों से पकड़ कर उस का सिर जोर से दीवार पर दे मारा. घायल महिला ने किसी तरह 100 नंबर पर काल कर के पुलिस को वारदात की जानकारी दी. आरोपी पति पर धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू की गई है.

ऐंड टीवी पर ‘वारिस’ धारावाहिक आता है, जिस में एक मां अपनी बच्ची की जान बचाने के लिए सब से झूठ बोलती है कि उसे बेटी नहीं बेटा हुआ है. वह बेटे के रूप में ही बेटी का पालनपोषण करती है. उसे जमाने से लड़ना सिखाती है, उसे वारिस के तौर पर तैयार करती है. यह महज एक कहानी नहीं. कहीं न कहीं हमारी जिंदगी से जुड़ी हुई हकीकत है.

चुनौतियों का सामना

आज भी जीवन के हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़ रही लड़कियों को अपने वजूद की रक्षा हेतु दूसरों का मुंह देखना पड़ता है. कितनी विसंगतियां हैं, हमारे समाज में. बुढ़ापे में मांबाप का खयाल रखने के लिए जीजान एक करने वाली बेटियों को जन्म लेते ही नमक चटा कर मारने का प्रयास किया जाता है. स्त्री कोख में पलबढ़ कर दुनिया में कदम रखने वाला पुरुष, उसी स्त्री के वजूद को कोख में ही छिन्नभिन्न कर डालने का दुस्साहस करता है. देवी की तरह पूजने का ढोंग करने वाला समाज लड़कियों को ही आग की लपटों के हवाले करने में संकोच नहीं करता. कभी हत्या, कभी बलात्कार, कभी दहेज हत्या, कभीकभी घरेलू हिंसा का शिकार होती ये लड़कियां आखिर कब तक अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष करती रहेंगी?

2011 के जनसंख्या आंकड़ों के मुताबिक 1000 बच्चों में लड़कियों का अनुपात 943 है. इस संदर्भ में सोशल वर्कर अनुजा कपूर कहती हैं, ‘‘आखिर एक लड़की को अपना वजूद बनाए रखने के लिए इतनी चुनौतियों का सामना क्यों करना पड़ता है? हम लड़कियों को कोख में ही मार डालते हैं. मगर कभी लड़कों का गला क्यों नहीं दबाते? हमारे कानून ऐसे हैं, जो महिलाओं को कहीं न कहीं कमजोर बनाते हैं. तभी उन के साथ हो रहे अन्यायों की कोई रोकथाम नहीं हो पाती. कानून ही नहीं स्वयं औरत ही औरत के विरुद्ध हो जाती है.’’

पारस हौस्पिटल, गुड़गांव की डा. नूपुर गुप्ता कहती हैं कि भ्रूण हत्या डिलिवरी से कहीं ज्यादा रिस्की होती है. मां के जीवन को भी खतरा हो सकता है. कई दफा इस तरह गर्भपात कराने के बाद दूसरी प्रैगनैंसी में दिक्कतें आती हैं.  20 सप्ताह के बाद यों भी गर्भपात कराना जिंदगी को खतरे में डालने के समान है.’’

‘अस्तित्व मुझ से मेरी पहचान’ एनजीओ की फाउंडर प्रैसीडैंट अनामिका यदुवंशी कहती हैं, ‘‘अशिक्षा, असुरक्षा एवं गरीबी समाज में लड़की को बोझ समझने का मुख्य कारण हैं. हमारे देश में तकनीकी उन्नति ने भ्रूण जांच को बहुत आसान बना दिया है. जरूरी है कि लोगों की सोच बदली जाए. उन्हें समझाया जाए कि बच्चा स्वस्थ होना जरूरी है. फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की, इस से उस की अहमियत में फर्क नहीं पड़ता.’’

ताकि कसी जा सके लगाम

इस संदर्भ में कुछ समय पूर्व एक बहुत ही दिलचस्प वाकेआ सुनने को मिला. हरियाणा की 2 बहनों ने अपनी शादी की रस्मों में 2 फेरे जुड़वाए और अपनेअपने पति से वचन लिया कि वे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ काम करेंगे और पर्यावरण का ध्यान रखेंगे.

जींद जिले की इन 2 बहनों- दामिनी और चंचल की इस अनूठी शादी का खयाल उन के पिता जगदीप सिंह के दिमाग में आया था और ऐसा उन्होंने जिले में लड़कियों के लिहाज से बेहद दयनीय लिंगानुपात की वजह से सोचा. ऐसी घटनाएं समाज में कोई आधारभूत परिवर्तन ले आएं कुछ कहा नहीं जा सकता, मगर इस तरह की प्रतीकात्मक पहल इस दिशा में समाज को कुछ सोचने पर तो जरूर विवश करती है.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने अपना निजी विचार रखा था कि लिंग जांच को अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि जिन महिलाओं के गर्भ में लड़की है, उन का ध्यान रखा जा सके. इस जांच को रजिस्टर किया जाए ताकि पता लग सके कि इन लड़कियों को जन्म दिया गया या नहीं. इस तरह कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसी जा सकती है.

क्या कहता है कानून

भारतीय कानून में प्रीकंसैप्शन ऐंड प्रीनेटल डायग्नोस्टिक टैकनीक्स ऐक्ट 2002 के अनुसार, गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच करना, शब्दों या इशारों से गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बताना या पता करना, गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच कराने का विज्ञापन देना, गर्भवती महिला को उस के गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में जानने के लिए उकसाना, किसी व्यक्ति द्वारा रजिस्ट्रेशन करवाए बिना प्रसव पूर्व निदान तकनीक अर्थात अल्ट्रासाउंड इत्यादि मशीनों का इस्तेमाल करना, गर्भवती महिला को उस के परिजनों या अन्य के द्वारा लिंग जांचने के लिए प्रेरित करना आदि कानूनन अपराध है. इस से पहले हमारे देश में प्रीनेटल डायग्नोस्टिक ऐक्ट 1994 था, लेकिन इस कानून में प्रीकंसैप्शन डायग्नोसिस का प्रावधान न होने की वजह से 2004 में नया कानून लाया गया.

कानून का उल्लंघन करने पर सजा

प्रीकंसैप्शन ऐंड प्रीनेटल डायग्नोस्टिक टैकनीक्स ऐक्ट 2002 के अनुसार पहली बार कानून का उल्लंघन करने पर अपराधी को 3 साल की कैद व क्व50 हजार तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 5 साल की कैद व क्व1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. वहीं लिंग की जांच करने का दोषी पाए जाने पर क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा.

कुनाल मदान, अधिवक्ता, के एम ए ला फर्म का कहना है, ‘‘कन्या भ्रूण हत्या भी कत्ल के समान ही एक गंभीर अपराध है, इसलिए इस जघन्य अपराध के लिए 3 साल की सजा अपर्याप्त है. मेरा मानना है कि मौजूदा कानून को और अधिक सख्त बनाया जाना चाहिए. हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए एक महिला को जिस ने लड़के की चाहत में अपनी 3 साल की लड़की के कत्ल को अंजाम दिया, को उम्र कैद की सजा सुना कर पूरे समाज को एक बड़ा सबक दिया है. इसलिए जरूरी है कि कानून को और अधिक सख्त  बनाया जाए, तभी भ्रूण हत्या को नियंत्रित किया जा सकेगा.

जरूरी यह भी है कि लोगों की मानसिकता बदली जाए, महिलाओं को शिक्षित किया जाए, समाज को जागरूक बनाया जाए ताकि लड़कियों को उन के हिस्से का आसमान मिल सके और किसी भी अजन्मी बच्ची का मन यह चीत्कार न करे कि-

‘मेरा भी था यह अरमान,

बढ़ाऊं घर वालों का मान,

मगर कोख में ही ले ली गई,

अपनों द्वारा मेरी जान.’

बुरका बनाम हाई हील्स

बुरके और हाई हील्स में क्या समानता है? यही कि दोनों चीजें महिलाएं बतौर फैशन टूल कभी धर्म के नाम पर तो कभी स्टाइल के नाम पर इस्तेमाल करती हैं. बुरका बेहद पिछड़ा माना जाता है और हाई हील्स पहन कर आई महिलाएं कौरपोरेट कंपनियां संभालती हैं. हालांकि अब तर्क दिया जा रहा है कि ये दोनों ही चीजें अपनेअपने तरीके से औरतों की आजादी पर पहरा लगा रही हैं.

इसलामिक देशों में जहां कट्टर और रूढिवादी समाज के पुरुष औरतों को परदे में ढकने के लिए धर्म के रेशम से बुरका बुनते हैं, भले ही औरतों का उस में दम घुट जाए. लेकिन धर्म के रेशम को कुतरने की हिम्मत अकसर औरतें नहीं कर पाती हैं. वहीं वैस्टर्न कंट्रीज में हाई हील्स पहनने का ड्रैस कोड का जामा पहना कर महिलाओं को पाबंदियों की दीवार में चुनवाया जा रहा है. कई महिलाएं यह सोच कर खुश होती हैं कि इसलामिक देशों में ही महिलाओं को ले कर इस तरह की पाबंदियां हैं और बाकी देशों में खासतौर से यूरोपियन देशों में औरतें बड़ी स्वछंद और मनमुताबिक लाइफ जी रही हैं. दरअसल, यह एक गलतफहमी है. सच तो यह है कि महिलाएं दुनिया में हर जगह पुरुष समाज की दकियानूसी सोच, धार्मिक बंधनों और लिंगभेद का शिकार हो रही हैं.

विकसित देशों का भी बुरा हाल

इसलामिक देशों को तो भूल जाइए, जरा लंदन का हाल सुनिए:

पिछले दिनों लंदन से ऐसी खबर आई जो आमतौर पर इराक या सीरिया से आने वाली खबरों सरीखी है, जहां लड़कियों को स्कूल जाने से रोका जाता है और उन को तरहतरह के ड्रैस कोड समझाए जाते हैं. जो उन की बात मान लेती हैं वे बाजारों में आ जा सकती हैं और जो नहीं मानतीं उन्हें घर वापसी का रास्ता दिखा दिया जाता है.

दूसरी ओर लंदन की एक फर्म में बतौर रिसैप्शनिस्ट काम कर रही निकोला थौर्प को उन के औफिस वालों ने सिर्फ इसलिए घर का रास्ता दिखाया कि उन्होंने हाई हील्स के सैंडल नहीं पहने थे. प्राइस वाटर कंपनी नाम की इस फाइनैंस कंपनी में काम करने वाली निकोला का काम दिन भर स्टैंड पोजीशन वाला था, इसलिए उस ने फ्लैट सैंडल पहन लिए. लेकिन पीडब्ल्यूसी ने फरमाया कि यहां तो हाई हील्स ही पहननी होंगी और हील्स की ऊंचाई भी 2 से 4 इंच होनी चाहिए. यानी जो हम कहेंगे वही पहनना होगा.

निरंकुश मानसिकता

आमतौर पर बुरके की खिलाफत करने वाले ये देश जब अपनी बारी आती है, तो महिलाओं को क्या पहनना है और क्या नहीं, इस का पाठ उन्हीं मौलानाओं के फतवे सरीखा पढ़ने लगते हैं. चूंकि निकोला आजाद खयाल महिला थी, इसलिए उस ने भी दफ्तर के हुक्मरानों से पूछ डाला कि आप मुझे एक वजह बताइए, जो साबित करे कि फ्लैट सैंडलों में मैं अपना काम वैसा नहीं कर पाऊंगी, जैसा आप उम्मीद करते हैं? जाहिर है, इस का उन के पास कोई जवाब नहीं था. इस के बाद जब निकोला ने पूछा कि अगर यही काम पुरुष को करना होता तो उसे भी क्या हाई हील्स पहननी पड़तीं? इस के जवाब में तिलमिलाए मैनेजमैंट ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा कर अपनी तानाशाही निरंकुश मानसिकता का परिचय दे डाला.

महिलाओं की आजादी में बाधा ड्रैस कोड

निकोला ने हिम्मत नहीं हारी और सोशल मीडिया में यह मसला उठा दिया. जाहिर है उन्हें जम कर समर्थन मिला और चर्चा भी. यहां से मिले अनुभव से मालूम पड़ा कि ऐसा भेदभाव झेलने वाली वह अकेली महिला नहीं है. कहीं पर स्कर्ट को थोड़ा ऊंचा करने का ड्रैस कोड है, तो कहीं कुछ और. ज्यादातर दफ्तरों में महिला कर्मचारियों के साथ लिंगभेद किया जाता है.

निकोला ने तो इस यूरोपियन फतवे के खिलाफ ब्रिटेन की सरकार को एक याचिका भेजी है कि अगर कहीं भी हाई हील्स पहनना जरूरी है, तो उसे फौरन हटाया जाए. गौरतलब है कि ब्रिटिश कानून के तहत नौकरी देने वाला उन कर्मचारियों को दफा कर सकता है, जो ड्रैस कोड का पालन नहीं करते हैं. हालांकि सब जानते हैं कि इन ड्रैस कोड की आड़ में महिलाओं को उपभोग का सामान बना कर पेश करना होता है. उन्हें ऐसे कपड़े पहनाए जाते हैं ताकि वे सैक्सी लगें.

पहनावे पर पाबंदी के खिलाफ मुहिम

निकोला प्रकरण इस बात की तसदीक कर रहा है कि अब अगर किसी महिला को हिजाब पहनने के लिए मजबूर करो या हाई हील्स पहनने के लिए, दोनों ही मामलों में उस की स्वछंदता का हनन होता है. क्या पहन कर कोई कंफर्टेबल होगा, इस का फैसला न तो कोई मुल्लामौलवी कर सकता है और न ही लंदन का कोई ड्रैस कोड बताने वाला आला अफसर. जिस तरह बुरका उन को घुटन देता है उस तरह हाई हील्स भी किसी को घुटन भरी चोट दे सकती हैं.

निकोला ने जिस तरह से ड्रैस कोड के नाम पर मनमरजी करने वालों के खिलाफ मुहिम चलाई है, उस से देशदुनिया की हर महिला को सबक लेना होगा और ऐसे समाज और जातिधर्म व ड्रैस कोड के ठेकेदारों से बुलंद आवाज में पूछना ही होगा कि ओए तू है कौन हमें बताने वाला कि हम क्या पहनें और क्या नहीं?     

मैं डाइटिंग नहीं कर सकती: सोनम कपूर

स्टाइल आइकॉन सोनम का फैट से फिट बनने का यह सीक्रेट आपको भी छरहरा और खूबसूरत बना सकता है…

मैंने अपने जीवन के अब तक के अनुभव से यह सीखा है कि अगर आपकी जिंदगी में कोई मकसद नहीं है या आपको किसी को नहीं दिखाना है कि आप खूबसूरत हैं या आपका घर या बाहर कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है, तो आप में अच्छे दिखने की चाह धीरे-धीरे खत्म होने लगती है.

आप सोचते हैं जैसे हैं वैसे ही अच्छे हैं. इसके बाद शुरू होता है शरीर का बेडॉल होना और साथ ही कई बीमारियों से घिरना.

एक समय मेरे साथ भी ऐसा ही था. मुझे अपनी फिगर को लेकर ज्यादा टेंशन नहीं थी. मैं मस्तमौला इनसान थी. खाओ-पीओ ऐश करो मेरा सिद्धांत था. लेकिन जब मुझे संजय लीला भंसाली से पहली फिल्म का ऑफर आया, तो मेरी जिंदगी में एक मकसद आ गया और मैंने पतला होने की सोची.

इसमें मेरी मम्मी ने मेरी सब से ज्यादा हेल्प की. तब मैंने जाना कि अगर इनसान में आत्मविश्वास हो, कुछ कर गुजरने का जनून और मेहनत हो तो वह फिट ऐंड फाइन के साथ-साथ हॉट ऐंड सेक्सी भी बन सकता है. अपनी इसी सोच के चलते मैं आज आपके सामने हूं. अपना करीब 40 किलोग्राम वजन कम कर के बतौर हीरोइन फिल्मों में सरवाइव कर रही हूं.

अच्छी फिगर का राज जबान पर कंट्रोल

जब मैंने अपनी खराब फिगर को शेप में लाने की शुरुआत की तो सब से पहले मेरी मां ने मेरा आइसक्रीम,चॉकलेट, मिठाई, चीज, बटर और तैलीय खाने पर रोक लगाई. मैं इन सभी चीजों की इतनी ज्यादा आदी थी कि इन्हें 1 दिन खाए बिना नहीं रह सकती थी.

बहुत कम लोग यह जानते हैं कि मेरी मां बहुत अच्छी डाइटिशियन हैं. मेरे डैड की अच्छी फिगर में उन्हीं का योगदान है. एक समय मां ने डैड का 20 किलोग्राम वजन कम करवाया था. लिहाजा मैंने अपनी मॉम की बताई डाइट शुरू कर दी.

डाइटिंग

लोगों को लगता होगा कि मैं पतली होने के लिए बहुत ज्यादा डाइटिंग करती हूं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. मैं डाइटिंग तो कर ही नहीं सकती. मुझे बहुत भूख लगती है. इसलिए मैं हर 2 घंटे में कुछ न कुछ खाती रहती हूं.

पर वह फास्टफूड या मीठा नहीं होता. मैं चॉकलेट भी खाती हूं, लेकिन वह कैलोरी रहित होती है. कहने का मतलब यह है कि मैंने कभी अपने मन को नहीं मारा. मैं सब कुछ खाती हूं, लेकिन सोच समझ कर और कैलोरी को ध्यान में रख कर.

डाइट प्लान

मैं हर 2 घंटों में कुछ न कुछ खाती रहती हूं. जैसे अगर बहुत भूख लगे और कुछ भी खाने के लिए न हो तो सेब खाती हूं. सेब तुरंत भूख को मार देता है. हमेशा सेब जरूर साथ रखें. इस के अलावा नारियल जूस भी पीती हूं, जो त्वचा और बालों के लिए बहुत लाभदायक है.

सुबह के नाश्ते में ओट मील और फल खाती हूं. उस के बाद 2 घंटे बाद नाश्ते में ब्राउन ब्रेड, प्रोटीन शेक, अंडे का सिर्फ सफेद हिस्सा और जूस पीती हूं. लंच में 1 रोटी, 1 कटोरी दाल, थोड़ी सी सब्जी, सलाद और चिकन या फिश के कुछ टुकड़े लेती हूं. उसके बाद शाम के नाश्ते में हाई फाइबर क्रैकर्स, भुना चिकन और अंडा खाती हूं. डिनर में सूप, सलाद और चिकन, उबले हुए फिश खाती हूं.

ऐक्सरसाइज करने के तरीके

रोज-रोज जिम जाने में कई बार बोरियत होती है. इसलिए मैं अपने ऐक्सरसाइज शैड्यूल को 2-3 हिस्सों में बांट लेती हूं. जैसे कि मैं रोज आधा घंटा जिम जा कर कार्डियो जरूर करती हूं. इस के अलावा शूटिंग के साथ-साथ स्वीमिंग, डांस मेरी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हैं.

मैं स्क्वैश भी खेलती हूं, जिसमें अच्छी खासी ऐक्सरसाइज हो जाती है. मेरा मानना है कि जरूरी नहीं है कि हम घंटों जिम में गुजारें. हम इस तरीके से भी अपना वजन कम कर सकते हैं, जो मनोरंजन से भी भरपूर होता है और हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद.

मेकअप टिप्स

अगर एक लड़की की खूबसूरती की बात करें तो उसके बालों का नाम सब से पहले आता है. अगर किसी लड़की के बाल खूबसूरत हैं, तो वह खूबसूरत मानी जाती है. लिहाजा, अपनी हेल्थ और फिगर के साथ-साथ मैं अपने बालों को भी खास ध्यान देती हूं. हफ्ते में 2 बार ऑयल मसाज करवाती हूं. बालों पर आंवला,रीठा, शिकाकाई से धोती हूं. प्रोटीनयुक्त शैंपू का भी इस्तेमाल करती हूं.

जहां तक मेकअप का सवाल है, तो मैं बहुत ही लो प्रोफाइल मेकअप करना पसंद करती हूं. मैं सनस्क्रीन और मौइश्चराइजर के साथ चेहरे पर मसाज करती हूं. उसके बाद चेहरे पर हलका फाउंडेशन और पाउडर लगाती हूं. मैं काजल और मसकारा जरूर इस्तेमाल करती हूं, क्योंकि इन के इस्तेमाल से आंखें सुंदर लगती हैं.

इसके अलावा मैं लिपस्टिक लाइट शेड की लगाना पसंद करती हूं और हलका पिंक और ब्राउन रंग मुझे ज्यादा पसंद है. कंसीलर भी रोज लगाती हूं और लिप ग्लॉस लगाने की भी आदत है. ये सब चीजें आप को हमेशा मेरे बैग में मिलेंगी.

ज्वैलरी और ड्रेसिंग स्टाइल

मुझे फंकी ज्वेलरी बहुत पसंद है. मैं मॉडलिंग के दौरान इस तरह की ज्वेलरी जरूर पहनती हूं. मुझे रोजमर्रा में लाइट वेट ज्वेलरी पहनना पसंद है. मैं डायमंड और पर्ल की ज्वेलरी पहनना भी पसंद करती हूं.

जहां तक ड्रेसिंग स्टाइल की बात है, तो मेरा मानना है कि आपकी ड्रेस जितनी कम ऐक्सपोज वाली होगी उतनी ही आकर्षक होगी. जरूरी नहीं है कि मॉडलिंग के दौरान या रोजमर्रा में बदन दिखाने वाले कपड़े पहने जाएं.

पूरे कपड़ों के साथ भी डिजाइनर ड्रेसिंग हो सकती है, जो मैंने अपने मॉडलिंग कॅरियर में साबित कर दिया है. मैंने कभी बहुत ज्यादा बदन दिखाने वाले कपड़े नहीं पहने हैं. मेरा मानना है कि हमें वही कपड़े पहनने चाहिए जिन में हम कंफर्टेबल महसूस करें.

‘आदमी नहीं, कुत्ता चाहिए’: नरगिस फाखरी

नरगिस फाखरी की इमेज बॉलीवुड में एक बोल्ड एक्ट्रेस की है. वह फिल्मों में काफी बोल्ड सीन दे चुकी हैं. वैसे नरगिस रील लाइफ में ही नहीं, रियल लाइफ में भी काफी बोल्ड हैं. वह खुलकर अपनी बात को कहने में यकीन रखती हैं.

नरगिस फाखरी ने कहा कि उन्हें अपनी जिंदगी में किसी आदमी को पाने की इच्छा नहीं है. उन्होंने ट्विटर पर फैन्स के साथ अपने विचार साझा करते हुए लिखा, ‘मुझे आदमी नहीं, कुत्ता चाहिए.’ इसके बाद उन्होंने लिखा, ‘जब कुत्ता अपने मालिक को देखता है तो हमारी तरह ही उसका दिमाग भी दौड़ता है कि वह प्यार में है.’

नरगिस फाखरी एनिमल लवर है इसमें कोई शक नहीं, ना सिर्फ ट्विटर बल्कि इंस्टाग्राम पर भी वह पेट्स के साथ तस्वीरें शेयर कर जानवरों के प्रति अपने प्यार का इजहार करती नजर आती हैं.

पिछले दिनों ‘हाउसफुल 3’ में अभिषेक बच्चन के अपोजिट नजर आईं नरगिस फाखरी जल्द ही रितेश के साथ फिल्म ‘बैंजो’ में नजर आएंगी. खबर थी कि नरगिस फाखरी निर्माता-निर्देशक उदय चोपड़ा के साथ रिलेशनशिप में थीं. लेकिन पिछले दिनों उनके बीच अनबन होने की खबर आई, जिसके बाद नरगिस ‘हाउसफुल 3’ के ज्यादातर प्रमोशनल इवेंट्स में भी नजर नहीं आई थीं.

उलटे पांव लौटे ‘सुल्तान’

‘सुल्तान’ की शानदार ओपनिंग के लिए रचना रची गई थी. योजना तो ये बनाई गई थी कि सलमान खान और अनुष्का शर्मा शहर-दर-शहर जाकर अपनी फिल्म ‘सुल्तान’ का प्रचार करेंगे. फिल्म को पांच दिन का लम्बा वीकेंड मिला है और निर्माता इस दौरान तगड़ा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन चाहते हैं.

सलमान ने पहली प्रेस कांफ्रेंस में ऐसा कुछ बोल दिया कि बवाल मच गया. ‘बलात्कार पीड़ित महिला जैसा महसूस होता था’ बोलकर उन्होंने अपनी थकान की तुलना कर डाली. अब यदि सलमान देश के शहरों में जाते तो इस बारे में ही पत्रकार सवाल पूछते.

‘सुल्तान’ तो एक तरफ रह जाती और बात इस मुद्दे को लेकर ही होती. ऐसे में सल्लू मियां के मुंह से कुछ और निकल जाता तो राई का पहाड़ बनने में देर नहीं लगती. इससे फिल्म को नुकसान भी संभव था. लिहाजा ‘सु्ल्तान’ के निर्माताओं ने अपने कदम पीछे खींच लिए. शहरों का दौरा रद्द कर दिया. नुकसान न होने में ही फायदा ढूंढ लिया गया.

वैसे सलमान की इस फिल्म को ज्यादा प्रचार की जरूरत भी नहीं है. जिन लोगों ने सोच रखा है कि भाई की फिल्म देखना है तो बस देखना है. उन्हें कोई ताकत नहीं रोक सकती. न विवाद, न रिव्यू. फिल्म तो हिट होना ही है तो फिर प्रचार की जरूरत क्या.

फिल्म से जुड़े लोग कहते हैं कि ‘सुल्तान’ की कामयाबी पर कोई शक नहीं है, लेकिन थोड़ा जोर लगा दिया जाए तो कलेक्शन तीन सौ करोड़ के पार हो जाए. इसी बैनर ने शाहरुख को लेकर ‘फैन’ भी बनाई थी जो सुपरस्टार के फिल्म से जुड़े होने के बावजूद सौ करोड़ तक भी नहीं पहुंचाई.

लिहाजा बैनर कोई जोखिम उठाना नहीं चाहता था, लेकिन सलमान ने पहला बाउंसर ही ऐसा डाल दिया कि सलमान और मीडिया में दूरी बनाने में ही भलाई समझी गई.

सैफीना के घर आनेवाला है नया मेहमान

सैफ अली खान ने पत्नी करीना कपूर की प्रेग्नेंसी की खबर कन्फर्म कर दी है. मुताबिक सैफ ने एक इंटरव्यू में कहा, “मेरी पत्नी और मैं यह अनाउंस करना चाहते हैं कि दिसंबर में हमारा पहला बच्चा आएगा.

हम सभी वेलविशर्स की दुआओं और सपोर्ट के लिए शुक्रिया अदा करते हैं. साथ ही प्रेस के डिस्क्रेशन और पेशेंस के लिए भी शुक्रिया.”

जून में पहली बार आई थी मीडिया में खबर…

करीना की प्रेग्नेंसी की खबर पिछले महीने के शुरुआत से ही मीडिया में बनी हुई है. कहा जा रहा था कि करीना साढ़े तीन महीने से प्रेग्नेनेंट है. लेकिन न तो करीना और न ही उनके फैमिली मेंबर्स में से किसी ने इस बात की पुष्टि की थी.

इस बारे में जब करीना के पिता रणधीर कपूर से बात की गई तो उन्होंने कहा था,‘मुझे इस बारे अभी तक उन्होंने कुछ नहीं बताया, मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन आशा करता हूं कि ये सच हो.’

2012 में हुई थी सैफ-करीना की शादी

सैफ अली खान ने 16 अक्टूबर 2012 को 10 साल छोटी करीना कपूर से दूसरी शादी की थी. उनकी पहली पत्नी अमृता सिंह रही हैं.

21 सितंबर, 1980 को मुंबई में जन्मी करीना का अफेयर लंबे समय तक शाहिद कपूर के साथ चला, लेकिन शाहिद से ब्रेकअप के बाद उन्होंने सैफ का दामन थामा जो शादी तक पहुंच गया.

सैफ-करीना की जोड़ी को सैफीना के नाम से भी जाना जाता है. दोनों की लव स्टोरी की शुरुआत फिल्‍म ‘टशन'(2008) की शूटिंग के दौरान हुई थी.

दोनों ने मीडिया के सामने कभी भी अपने रिश्‍ते को कबूलने से परहेज नहीं किया. बता दें कि सैफ और उनकी पहली पत्नी अमृता के दो बच्चे (बेटी सारा और बेटा अब्राहम) हैं.

फ्रूट ग्रनोला बार

सामग्री

– 1 कप ओट्स

– 50 ग्राम मिक्स फ्रूट कटे

– 20 ग्राम चीनी

– 2 बड़े चम्मच शहद

– 1/2 छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर

– 2 बड़े चम्मच पिघली चौकलेट.

विधि

एक बाउल में ओट्स, शहद, फल, चीनी और दालचीनी डाल कर अच्छी तरह मिला कर 5 मिनट के लिए अलग रख दें. इस में चौकलेट मिला कर चिकनाई लगी प्लेट में डाल कर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रखें. फिर लंबाई में काट कर ठंडा-ठंडा सर्व करें.

जानिए रिवर्स मोर्गेज के बारे में

भारत में व्यक्ति की औसत आयु पिछले वर्षों से लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ-साथ डायबटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां भी अब आम हो चली हैं. ये बीमारियां लोगों को उनको उम्रदराज होने पर ज्यादा परेशान करती हैं. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद पेंशन की पर्याप्त व्यवस्था के बाद भी कई बार बीमारियों के खर्च बुढ़ापे को कठिन बना देते हैं. ऐसी स्थिति में वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2007 में सरकार की ओर से शुरू की गई रिवर्स मॉर्गेज स्कीम एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है.

क्या होता है रिवर्स मोर्गेज?

रिवर्स मॉर्गेज दरअसल एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें देश के वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति जैसे घर आदि को सरकार के हवाले कर उसकी मौजूदा कीमत के आधार पर हर महीने या तिमाही अपनी आय की व्यवस्था कर सकते हैं.

सरल भाषा में समझें तो रिवर्स मोर्गेज सामान्यत: होम लोन से विपरित होता है. इसमें वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति को कर्जदाता के (बैंक या कोई अन्य वित्तीय संस्थान) पास गिरवी रख देता है और इसके एवज में एक नियमित आय लेता रहता है. कर्ज लेने वाले वरिष्ठ नागरिक जब तक जीवित रहते हैं, तब तक इस घर में रहते हैं. लेकिन कर्ज संपत्ति की कुल कीमत या अधिकतम 20 साल तक के लिए ही मिलता है. रिवर्स मोर्गेज उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए सहायक है, जिन्हें नियमित आय की जरूरत होती है और साथ ही जिनकी प्रॉपर्टी आसानी से बिक न रही हो.

कैसे काम करता है रिवर्स मॉर्गेज

जब घर को गिरवी रखा जाता है तब बैंक इसकी कीमत का मूल्यांकन प्रॉपर्टी की मांग, मौजूदा समय में प्रॉपर्टी की कीमत और घर की हालत को देखते हुए तय करता है. इसके बाद बैंक कर्ज लेने वाले को लोन की राशि तय करके बताता है, जिसके बाद ब्याज व कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए हर महीने भुगतान किया जाता है. इस मासिक भुगतान को रिवर्स ईएमआई भी कहा जाता है. यह कर्ज, संपत्तिधारक को एक निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है. यह पेमेंट मासिक या तिमाही आधार पर किया जा सकता है. हर पेमेंट के बाद वरिष्ठ नागरिक की उस घर में हिस्सेदारी कम होती चली जाती है. लेकिन रहने का अधिकार कर्ज लेने वाले व्यक्ति को पूरे जीवन के लिए होता है.

रिवर्स मोर्गेज में किन बातों का रखें ख्याल

  • घर की कुल कीमत का 60 फीसदी से ज्यादा लोन की राशि नहीं हो सकती.
  • मोर्गेज की अधिकतम अवधि 15 वर्ष और न्यूनतम 10 वर्ष होती है. हालांकि कुछ बैंक 20 वर्षों की अधिकतम अवधि का भी विकल्प देते हैं.
  • मासिक, तिमाही, सालाना और लंप सम पेमेंट का विकल्प होता है.
  • कर्जदाता को हर पांच साल के बाद प्रॉपर्टी का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए.
  • यदि इस दौरान वैल्यूएशन बढ़ जाती है तो कर्ज लेने वाले के पास लोन की राशि बढ़ाने का विकल्प होता है.
  • रिवर्स मोर्गेज से मिली राशि आय नहीं लोन होती है. इसलिए इसपर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता.
  • रिवर्स मोर्गेज की ब्याज दरें फिक्स्ड या फ्लोटिंग होती हैं. यह दर बाजार में चल रही ब्याज दरों को ध्यान में रखकर तय की जाती हैं.

कौन से लोग रिवर्स मोर्गेज का फायदा उठा सकते हैं?

  • घर के मालिक की उम्र 60 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए. अगर पत्नी को-एप्लीकैंट हैं तो उनकी आयु 58 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए.
  • सेल्फ एक्वायर्ड, सेल्फ ऑक्यूपाइड रेजीडेंशियल हाउस या फ्लैट भारत में होने चाहिए.
  • प्रॉपर्टी विवादित न हो.
  • प्रॉपर्टी 20 वर्ष से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए.
  • प्रॉपर्टी रहने वाले व्यक्तियों का स्थायी प्रथम एड्रेस होना चाहिए.
  • रिवर्स मोर्गेज को कैसे करें सेटल
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