‘गदर 2’ से गदर मचाने के बाद नाना पाटेकर संग धमाल करेंगे अनिल शर्मा

गदर और गदर 2 जैसी देशभक्ति पर आधारित फिल्मों का निर्माण करने वाले अनिल शर्मा मौजूदा हालात को देखते हुए वनवास नामक फिल्म लेकर आ रहे हैं जिसका हाल ही में ट्रीजर आउट हुआ इस फिल्म की कहानी अवतार ओर बाबुल जैसी फिल्मों से प्रेरित नजर आती है. जिसके तहत नाना पाटेकर अपने बेटे को थप्पड़ मारते हैं और वह बचपन में घर से चला जाता है.

अपने इसी बेटे को ढूंढने में पिता अर्थात नाना पाटेकर को 20 साल लग जाते हैं. और आखिर में जब वह बेटा-पिता को मिलता है तो उसके हाथ में शराब की बोतल होती है और जिंदा पिता की फोटो पर हर चढ़ा होता है. वनवास में बेटे का किरदार एक्टर उत्कर्ष शर्मा ने निभाया है जिन्होंने फिल्म ग़दर 2 में सनी देओल के बेटे की भूमिका निभाई थी. वनवास फिल्म धर्मेंद्र एंड फैमिली की फिल्म अपने के कुछ सीन दिखाए गए हैं ग़दर 2 के भी कुछ दृश्य को फिल्म दिखाया गया है. अनिल शर्मा निर्देशित और उत्कर्ष शर्मा अभिनीत यह फिल्म बागवा या अवतार से प्रेरित लगती है या की कहानी किसी अलग रूप में पेश होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

वनवास फिल्म में दो खास बात है पहली बात तो यह है मौजूदा हालात को देखते हुए फिल्म का नाम ही वनवास रखा गया है. जैसा कि आजकल बाकी फिल्मों के निर्माता भी कर रहे हैं फिल्म को राम भगवान से कनेक्ट कर रहे हैं. अनिल शर्मा इसमें दो कदम आगे चले और उन्होंने फिल्म का नाम ही वनवास रख दिया. इस फिल्म में कलयुग की रामायण दिखाई गई है के थप्पड़ के जवाब में घर छोड़कर ही चला जाता है . इस कलयुग की रामायण में बेटे के बजाय बाप को वनवास भोगना पड़ता है. यह फिल्म दिसंबर 2024 में रिलीज हो रही है.

मेरी भाभी नहीं चाहती हैं कि मैं उनके भाई से शादी करूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं अपने भाभी की भाई से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बहुत चाहते हैं. हम 4 सालों से रिलेशनशिप में है. लेकिन हाल ही में ये बात मेरी भाभी को पता चला. हमदोनों शादी करना चाहते हैं. इससे मेरे परिवार वालों को ज्यादा दिक्कत नहीं है. लेकिन मेरी भाभी नहीं चाहती कि मैं उनके भाई से शादी करूं, समझ नहीं आ रहा है, भाभी को इस शादी के लिए कैसे मनाऊं?

जवाब

अगर आपके परिवार वाले शादी के लिए तैयार है, तो आपकी भाभी को क्या दिक्कत है, ये सोचने वाली बात है. हो सकता है पहले भाभी के साथ आपके रिश्ते अच्छे नहीं हो, इसलिए वह इस शादी से खुश नहीं है. सबसे जरूरी चीज अगर आप अपनी भाभी के भाई से रिश्ता जोड़ने जा रही है, तो उनके साथ रिश्ता ठीक करना जरूरी है. क्योंकि अगर वह इस शादी के लिए तैयार हो जाती है, तो आपको बहुत बड़ी मदद मिल जाएगी. आप अपनी भाभी को अपनी फ्रैंड बनाएं, उनके साथ शौपिंग करने जाएं. आप उनका कोई मनपसंद तोहफा भी उन्हें दे सकती हैं. रिश्ते को सुधारने में तोहफा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्हें एहसास दिलाएं कि आप अपने उनके भाई से कितना प्यार करती हैं.  आप अपने भाभी को खुश रखने की कोशिश करें, समय के साथ उनका भी मन बदल जाएगा.

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कितने सिक्योर हैं आप रिलेशनशिप में

कोई भी रिश्ता उस समय दोगुना खूबसूरत और प्यारा लगने लगता है, जब आप उसमें अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं. एक सुरक्षित रिश्ता, खूबसूरत जिंदगी की नींव है. इसी नींव पर आपके प्यार का आशियाना बनता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपने रिश्ते को सिक्योर बनाने पर पूरा ध्यान दें. समय-समय पर आपको ऐसे कई संकेत मिलते हैं आइए जानते हैं, इन संकेतों के बारे में…

कितना खुलकर बात करते हैं आप

दो लोगों के रिश्ते में कम्युनिकेशन बहुत जरूरी है.  जिस दिन आप अपने पार्टनर से बिना कुछ डरे, निसंकोच अपनी सारी फिलिंग्स, राय और समझ को साझा करने में सहज महसूस करते हैं, उस दिन  मान लीजिए कि आपका रिश्ता सिक्योर है. एक ऐसा रिश्ता, जहां आपका पार्टनर आपको किसी भी बात के लिए जज नहीं करेगा, ना ही आपकी बात से नाराज होगा. यह है सिक्योरिटी का पहला संकेत है.

विश्वास  रिश्ते की मजबूत नीव है. यह रिश्ते की नाजुक डोर को मजबूती देता है. इसके बिना दुनिया का हर रिश्ता बेईमानी है. खासतौर पर एक कपल के रिश्ते में विश्वास बहुत मायने रखता है. जब आप महसूस करें कि आपका पार्टनर आपके लिए पूरी तरीके से समर्पित है और आपके अलावा वह किसी और का ख्याल अपने दिल और दिमाग में नहीं लाता तो ऐसा रिश्ता सुरक्षित कहलाता है.

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ऐश्वर्या-अभिषेक की ये है सबसे बड़ी फ्लौप फिल्म, 12 सालों तक सदमे में रहे मेकर्स

ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) और अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) इन दिनों लाइमलाइट में हैं. चाहे सोशल मीडिया हो या टीवी या कोई न्यूज वेबसाइट हर जगह कपल की तलाक की खबरें छाई हुई हैं. लेकिन न तो बच्चन परिवार की तरफ से कोई बयान आया है और न ऐश्वर्या राय ने रिएक्ट किया है. खैर इनके रिश्ते की सच्चाई क्या है, अब ऐश और अभिषेक ही जानें.

लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि इनका डिवोर्स हो चुका है, इसलिए ऐश्वर्या बच्चन परिवार से अलग रहती हैं. आपको बता दें कि अक्टूबर में अमिताभ बच्चन का बर्थडे था ऐश ने अपने ससुर को एक पोस्ट शेयर कर बर्थडे विश किया. लेकिन ऐश्वर्या राय के बर्थडे पर न तो सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले  अमिताभ बच्चन का कोई पोस्ट नहीं आया और न अभिषेक ने अपनी पत्नी को बर्थडे विश किया. इसी बात को लेकर ऐश के फैंस उन्हें ट्रोल कर रहे हैं. ज्यादातर लोग ऐश्वर्या का ही सपोर्ट कर रहे हैं. तो वहीं कुछ लोग बच्चन परिवार के भी सपोर्ट में हैं.

ऐश्वर्या राय की सबसे बड़ी फ्लौप मूवी

विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय बौलीवुड का एक अहम हिस्सा रही हैं. उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में की हैं. ऐक्शन, कौमेडी, ड्रामा, हिस्टोरिकल मूवीज और कई तरह की तमाम फिल्में की हैं. इनमें कुछ फिल्में हिट रहीं, तो वही कुछ सुपरडुपर फ्लौप भी हुईं.

‘उमराव जान’ में ऐश ने अपने पति के साथ किया रोमांस

ऐश्वर्या राय की एक ऐसी मूवी है, जो उनके करियर सबसे बड़ी फ्लौप फिल्म साबित हई. इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन लीड रोल में थीं. जी हां हम बात कर रहे हैं, फिल्म उमराव जान की, जो रीमेक है, इससे पहले उमराव जान में रेखा और फारूक शेख नजर आए थे. रेखा की फिल्म उमराव जान हिट हुई. लेकिन 2006 में बनी उमराव जान दर्शकों को खास पसंद नहीं आई. इस फिल्म में ऐश्वर्या राय के साथ उनके पति अभिषेक बच्चन भी रोमांस करते नजर आए. काफी उम्मीदों के बावजूद फिल्म सफल नहीं हो सकी.

उमराव जान उर्दू साहित्य के बेहतरीन उपन्यासों में से एक माना जाता है. इसे 1899 में लेखक मिर्जा हादी रुसवा ने लिखा. उमराव जान की कहानी एक ऐसी लड़की के इर्दगिर्द घूमती है जिसे बचपन में कोठे में बेच दिया जाता है और लखनऊ की सबसे मशहूर तवायफों में उसका नाम शामिल हो जाता है. इस उपन्यास की मदद से भारत और पाकिस्तान में कई फ़िल्में और टीवी सीरिज बनाए गए हैं.

साल 2006 में जेपी दत्ता ने ऐश्वर्या राय को मुख्य भूमिका में लेकर ‘उमराव जान’ बनाई. इसमें अभिषेक बच्चन के अलावा शबाना आजमी, सुनील शेट्टी, दिव्या दत्ता जैसे कई दमदार ऐक्टर्स ने काम किया था.

पहले प्रियंका को औफर हुई थी ‘उमराव जान’

रिपोर्ट के अनुसार, 15 करोड़ रुपये की लागत से बनी ‘उमराव जान’ ऐश्वर्या राय की सबसे बड़ी फ्लौप फिल्म साबित हुई. बॉक्स ऑफिस इंडिया पोर्टल के मुताबिक, यह फिल्म भारत में सिर्फ 7.42 करोड़ रुपये कमाए. इस फिल्म की रिलीज से पहले जेपी दत्ता ने खुलासा किया था कि इस फिल्म के लिए उनकी पहली पसंद प्रियंका चोपड़ा थीं. जेपी दत्ता ने ये भी बताया था कि प्रियंका ने अपने बिजी शेड्यूल के कारण फिल्म रिजेक्ट कर दी थी. एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रियंका चोपड़ा ने भी उमराव जान रिजेक्ट करने पर कहा था कि ‘इस रोल से पहले मेरे पास कई अच्छे प्रोजेक्ट थे.’

फिल्म फ्लौप होने के कारण जेपी दत्ता ने 12 सालों  तक नहीं किया काम

जेपी दत्ता ने 12 साल तक काम नहीं किया’उमराव जान’ की असफलता से जेपी दत्ता इतने निराश हुए कि उन्होंने अपनी अगली फिल्म ‘पलटन’ को 12 साल के लिए टाल दिया. 12 साल तक फिल्मों से दूर रहने के बाद उन्होंने साल 2018 में इस फिल्म से वापसी की. अब जेपी दत्ता ‘बौर्डर 2’ पर काम कर रहे हैं. इस फिल्म के लिए उन्होंने सनी देओल, दिलजीत दोसांझ और वरुण धवन जैसे स्टार्स को कास्ट किया है. देशभक्ति ‘बौर्डर 2’ की अनाउंसमेंट के बाद से फैंस इस फिल्म की रिलीज डेट का बेसब्री से इंतजार है.

किट्टी पार्टी का मजाकिया महासंग्राम

लेखक- नृपेंद्र अभिषेक नृप

भोपाल के पंजाबी बाग में दीवा गर्ल्स जागृति की महिलाओं ने आज फिर से अपने चिरपरिचित अंदाज में किट्टी पार्टी का आयोजन किया. यह कोई साधारण पार्टी नहीं थी, यह तो मानो महिलाओं का महासंग्राम था जहां नोक?ांक, हंसीमजाक, डांस और गीतगानेबजाने का रंगारंग प्रदर्शन होना तय था. जैसे ही घड़ी ने 4 बजाए सजीधजी महिलाएं सजावट की भव्यता को चार चांद लगाती हुई आ पहुंचीं.

मीनाजी सब से पहले आईं. उन के हाथ में बड़ा सा गुलदस्ता था जो उन की मर्मस्पर्शी मुसकान के साथ दमक रहा था.

‘‘वाह मीनाजी, आप तो हमेशा फूलों की तरह खिला करती हैं,’’ सविताजी ने मुसकराते हुए कहा.

मीनाजी ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘क्या करें सविताजी, हमें तो हर महीने यह किट्टी का बहाना चाहिए मिलने के लिए.’’

जल्द ही सभी महिलाएं वहां उपस्थित हो गईं और पार्टी का उद्घाटन हुआ. सब से पहले रीताजी ने जोरदार आवाज में कहा, ‘‘चलिए बहनो, आज की इस खास किट्टी पार्टी का आगाज करते हैं एक छोटे से खेल से.’’

खेल का नाम सुनते ही सुमनजी तपाक से बोलीं, ‘‘खेल के साथसाथ थोड़ा नाचगाना भी हो जाए, आखिर हमारी भी तो एक ख्वाहिश है क्योंकि हम भी किसी डांसिंग क्वीन से कम नहीं हैं.’’

रीताजी ने हंसते हुए जवाब दिया, ‘‘बिलकुल सुमनजी, आज तो पूरा मैदान आप का है, लेकिन पहले खेल. इस खेल का नाम है ‘सत्य और चुनौती.’’’

सत्य और चुनौती सुनते ही सभी के चेहरों पर शरारती मुसकान फैल गई.

खेल का आरंभ हुआ और सब से पहले बारी आई रजनीजी की. रजनीजी को चुनौती दी गई कि वे गीत गा कर दिखाएं. रजनीजी ने बिना किसी झिझक के तुरंत ‘चुरा लिया है तुम ने…’ गीत शुरू कर दिया. उन की मधुर आवाज ने सब को मंत्रमुग्ध कर दिया.

तभी भावनाजी ठिठोली करते हुए बोलीं, ‘‘रजनीजी, अगर आप ऐसे गाती रहीं तो हमें अगली किट्टी के लिए फुजूलखर्ची की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, बस आप का लाइव कंसर्ट ही काफी होगा.’’

गीत के बाद सभी ने ठहाके लगाए और डांस का दौर शुरू हो गया. सविताजी ने डांस फ्लोर पर कदम रखते ही मानो आग लगा दी. उन्होंने अपने नृत्य में ऐसे स्टैप्स दिखाए कि सभी का मन मोह लिया.

उन के अनूठे ‘नागिन डांस’ को देख कर प्रीतिजी ने मजाक में कहा, ‘‘सविताजी, आप की ये नागिन वाली अदाएं तो घर के ड्राइंगरूम में शोभा देती हैं, कहीं पार्क में कर देतीं तो वाइल्डलाइफ डिपार्टमैंट को बुलाना पड़ जाता.’’

सभी महिलाएं हंसी से लोटपोट हो गईं. तभी अचानक ज्योतिजी ने घोषणा की, ‘‘हम करेंगे ‘नारी सशक्तीकरण डांस’ हर महिला अपनी पसंद का नृत्य कर के दिखाएगी, जिस में उस का आत्मविश्वास झलकना चाहिए.’’

यह सुनते ही सब ने अपनीअपनी डांसिंग शैलियों का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.

मीनाजी ने अपनी अदाओं से भरपूर कत्थक की प्रस्तुति दी, जिसे देख कर सब ने तालियां बजाईं.

तभी शीलाजी ने माइक थामते हुए कहा, ‘‘वाह मीनाजी, अगर आप का डांस देखे बिना हमारा किट्टी क्लब कोई मिस यूनिवर्स भेजता तो हम यकीनन जीत जाते.’’

डांस के बाद मजाकमस्ती का दौर शुरू हुआ. रीताजी ने माइक उठाया और बोलीं, ‘‘अब वक्त है कुछ दिलचस्प सवालों का. आप सभी को 1-1 कर के अपने जीवन का सब से मजेदार किस्सा सुनाना है.’’

सब से पहले बारी आई मंजूजी की. उन्होंने कहा, ‘‘अरे, हमारे जीवन में सब से मजेदार किस्सा तो तब हुआ जब हम ने पहली बार पति को किचन में भेजा था. कुछ देर बाद मैं ने जा कर देखा तो वे कुकिंग विद सुप्रिया सत्यार्थी यूट्यूब चैनल देख कर खाना बनाने की कोशिश कर रहे थे. मगर उन से बताए अनुसार कुछ भी नहीं हो पा रहा था. मुझे यह देख जोर की हंसी आ गई. मैं ने कहा कि क्यों सुप्रिया के यूट्यूब चैनल की शिकायत कर रहे हो? वे कितना अच्छा खाना बनाना सिखाती हैं पर आप से नहीं बन फिर क्या था? साहब ने आधे घंटे में ही हार मान ली और बाहर से खाना और्डर कर दिया. तब से आज तक हम ने किचन की चाबी संभाल कर रखी है.’’

मंजूजी की बात सुन कर सब की हंसी छूट गई.

तभी भावनाजी ने कहा, ‘‘मंजूजी, आप भी कमाल करती हैं. हमारी तो हर बार कोशिश यही रहती है कि पति महोदय को किचन में भेज कर खुद आराम फरमाएं. अब देखिए, हम हैं ‘आधुनिक नारी’ जो केवल बाहरी काम ही नहीं बल्कि ‘वर्क फ्रौम होम’ भी सम?ाते हैं.’’

सभी महिलाएं इस पर खिलखिला कर हंस पड़ीं. मीनाजी ने हंसते हुए कहा, ‘‘भावनाजी, लगता है आप की सोच से हमें प्रेरणा लेनी पड़ेगी.’’

खेल और मजाकमस्ती के इस दौर के बाद अब वक्त था खानेपीने का. एक लंबी मेज पर भांतिभांति के व्यंजन सजे हुए थे- चाट, पकौड़े, पावभाजी और मीठे में गुलाबजामुन और रसमलाई. जैसे ही खाने की घोषणा हुई सभी महिलाएं अपनीअपनी कुरसी से उठीं और मेज की ओर बढ़ीं.

रीताजी ने एक बार फिर माइक संभाला और कहा, ‘‘अरे रुकिए, पहले हम मीनाजी से उन के स्पैशल मौकटेल का राज पूछें, फिर कुछ खाया जाएगा.’’

मीनाजी ने हंसते हुए बताया, ‘‘इस मौकटेल का राज तो सीधासादा है- बस थोड़ी सी मस्ती, थोड़ा सा प्यार और बाकी सब बाजार.’’

खानेपीने के साथसाथ हंसीमजाक का दौर भी जारी रहा. सविताजी ने एक मजेदार चुटकुला सुनाया, ‘‘अरे, यह शादी भी क्या चीज है- पति को हर दिन यही लगता है कि वे बौस हैं और पत्नी को हर दिन यह साबित करना पड़ता है कि असल बौस कौन है.’’

यह सुन कर सभी महिलाएं जोर से हंस पड़ीं.

शालिनीजी ने कहा, ‘‘सविताजी, आप की यह बात सुन कर तो हमारे भी कान खड़े हो गए हैं. अब हमें भी कुछ नया सोचना पड़ेगा.’’

अंत में शीलाजी ने सब का धन्यवाद किया और कहा, ‘‘बहनो, आज की इस किट्टी पार्टी में हम ने खूब मस्ती की, हंसीमजाक किया. आशा है कि आप सभी ने आनंद लिया होगा. अब अगले महीने फिर मिलेंगे और कुछ नई यादें बनाएंगे.’’

सभी महिलाओं ने मिल कर ‘पंजाबी बाग’ की इस किट्टी पार्टी को सफल बनाने के लिए तहे दिल से सराहना की और एकदूसरे से विदा ली. एक अद्भुत दिन का समापन हुआ, जिस में हंसी, मजाक और अपार आनंद के साथसाथ दोस्ती की मिठास भी घुली हुई थी. यह किट्टी पार्टी हमेशा सभी के दिलों में एक सुखद स्मृति बन कर रहेगी.

चाल : फहीम ने सिखाया हैदर को सबक

लेखक- सलीम अनवर

कौफी हाउस के बाहर हैदर को देख कर फहीम के चेहरे की रंगत उड़ गई थी. हैदर ने भी उसे देख लिया था. इसलिए उस के पास जा कर बोला, ‘‘हैलो फहीम, बहुत दिनों बाद दिखाई दिए.’’

‘‘अरे हैदर तुम..?’’ फहीम ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘अगर और ज्यादा दिनों बाद मिलते तो ज्यादा अच्छा होता.’’

‘‘दोस्त से इस तरह नहीं कहा जाता भाई फहीम.’’ हैदर ने कहा तो जवाब में फहीम बोला, ‘‘तुम कभी मेरे दोस्त नहीं रहे हैदर. तुम यह बात जानते भी हो.’’

‘‘अब मिल गए हो तो चलो एकएक कौफी पी लेते हैं.’’ हैदर ने कहा.

‘‘नहीं,’’ फहीम ने कहा, ‘‘मैं कौफी पी चुका हूं. अब घर जा रहा हूं.’’

कह कर फहीम ने आगे बढ़ना चाहा तो हैदर ने उस का रास्ता रोकते हुए कहा, ‘‘मैं ने कहा न कि अंदर चल कर मेरे साथ भी एक कप कौफी पी लो. अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो बाद में तुम्हें बहुत अफसोस होगा.’’

फहीम अपने होंठ काटने लगा. उसे मालूम था कि हैदर की इस धमकी का क्या मतलब है. फहीम हैदर को देख कर ही समझ गया था कि अब यह गड़े मुर्दे उखाड़ने बैठ जाएगा. हैदर हमेशा उस के लिए बुरी खबर ही लाता था. इसीलिए उस ने उकताए स्वर में कहा, ‘‘ठीक है, चलो अंदर.’’

दोनों अंदर जा कर कोने की मेज पर आमनेसामने बैठ कर कौफी पी रहे थे. फहीम ने उकताते हुए कहा, ‘‘अब बोलो, क्या कहना चाहते हो?’’

हैदर ने कौफी पीते हुए कहा, ‘‘अब मैं ने सुलतान ज्वैलर के यहां की नौकरी छोड़ दी है.’’

‘‘सुलतान आखिर असलियत जान ही गया.’’ फहीम ने इधरउधर देखते हुए कहा.

हैदर का चेहरा लाल हो गया, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. मेरी उस के साथ निभी नहीं.’’

फहीम को हैदर की इस बात पर किसी तरह का कोई शक नहीं हुआ. ज्वैलरी स्टोर के मालिक सुलतान अहमद अपने नौकरों के चालचलन के बारे में बहुत सख्त मिजाज था. ज्वैलरी स्टोर में काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के बारे में शक होता नहीं था कि वह उस कर्मचारी को तुरंत हटा देता था.

फहीम ने सुलतान ज्वैलरी स्टोर में 5 सालों तक नौकरी की थी. सुलतान अहमद को जब पता चला था कि फहीम कभीकभी रेस के घोड़ों पर दांव लगाता है और जुआ खेलता है तो उस ने उसे तुरंत नौकरी से निकाल दिया था.

‘‘तुम्हारे नौकरी से निकाले जाने का मुझ से क्या संबंध है?’’ फहीम ने पूछा.

हैदर ने उस की इस बात का कोई जवाब न देते हुए बात को दूसरी तरफ मोड़ दिया, ‘‘आज मैं अपनी कुछ पुरानी चीजों को देख रहा था तो जानते हो अचानक उस में मेरे हाथ एक चीज लग गई. तुम्हारी वह पुरानी तसवीर, जिसे ‘इवनिंग टाइम्स’ अखबार के एक रिपोर्टर ने उस समय खींची थी, जब पुलिस ने ‘पैराडाइज’ में छापा मारा था. उस तस्वीर में तुम्हें पुलिस की गाड़ी में बैठते हुए दिखाया गया था.’’

फहीम के चेहरे का रंग लाल पड़ गया. उस ने रुखाई से कहा, ‘‘मुझे वह तस्वीर याद है. तुम ने वह तस्वीर अपने शराबी रिपोर्टर दोस्त से प्राप्त की थी और उस के बदले मुझ से 2 लाख रुपए वसूलने की कोशिश की थी. लेकिन जब मैं ने तुम्हें रुपए नहीं दिए तो तुम ने सुलतान अहमद से मेरी चुगली कर दी थी. तब मुझे नौकरी से निकाल दिया गया था. मैं ने पिछले 4 सालों से घोड़ों पर कोई रकम भी नहीं लगाई है. अब मेरी शादी भी हो चुकी है और मेरे पास अपनी रकम को खर्च करने के कई दूसरे तरीके भी हैं.’’

‘‘बिलकुल… बिलकुल,’’ हैदर ने हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘और अब तुम्हारी नौकरी भी बहुत बढि़या है बैंक में.’’

यह सुन कर फहीम के चेहरे का रंग उड़ गया, ‘‘तुम्हें कैसे पता?’’

‘‘तुम क्या समझ रहे हो कि मेरी तुम से यहां हुई मुलाकात इत्तफाक है?’’ हैदर ने भेडि़ए की तरह दांत निकालते हुए कहा.

फहीम ने तीखी नजरों से हैदर की ओर देखते हुए कहा, ‘‘ये चूहेबिल्ली का खेल खत्म करो. यह बताओ कि तुम चाहते क्या हो?’’

हैदर ने बेयरे की ओर देखते हुए धीमे स्वर में कहा, ‘‘बात यह है फहीम कि सुलतान अहमद के पास बिना तराशे हीरों की लाट आने वाली है. उन की शिनाख्त नहीं हो सकती और उन की कीमत करोड़ों रुपए में है.’’

यह सुन कर फहीम के जबड़े कस गए. उस ने गुर्राते हुए कहा, ‘‘तो तुम उन्हें चोरी करना चाहते हो और चाहते हो कि मैं तुम्हारी इस काम में मदद करूं?’’

‘‘तुम बहुत समझदार हो फहीम,’’ हैदर ने चेहरे पर कुटिलता ला कर कहा, ‘‘लेकिन यह काम केवल तुम करोगे.’’

फहीम उस का चेहरा देखता रह गया.

‘‘तुम्हें याद होगा कि सुलतान अहमद अपनी तिजोरी के ताले का कंबीनेशन नंबर हर महीने बदल देता है और हमेशा उस नंबर को भूल जाता है. जब तुम जहां रहे तुम उस के उस ताले को खोल देते थे. तुम्हें उस तिजोरी को खोलने में महारत हासिल है, इसलिए…’’

‘‘इसलिए तुम चाहते हो कि मैं सुलतान ज्वैलरी स्टोर में घुस कर उस की तिजोरी खोलूं और उन बिना तराशे हीरों को निकाल कर तुम्हें दे दूं?’’ फहीम ने चिढ़ कर कहा.

‘‘इतनी ऊंची आवाज में बात मत करो,’’ हैदर ने आंख निकाल कर कहा, ‘‘यही तो असल हकीकत है. तुम वे हीरे ला कर मुझे सौंप दो और वह तस्वीर, निगेटिव सहित मुझ से ले लो. अगर तुम इस काम के लिए इनकार करोगे तो मैं वह तस्वीर तुम्हारे बौस को डाक से भेज दूंगा.’’

पलभर के लिए फहीम की आंखों में खून उतर आया. वह भी हैदर से कम नहीं था. उस ने दोनों हाथों की मुटिठयां भींच लीं. उस का मन हुआ कि वह घूंसों से हैदर के चेहरे को लहूलुहान कर दे, लेकिन इस समय जज्बाती होना ठीक नहीं था. उस ने खुद पर काबू पाया. क्योंकि अगर हैदर ने वह तसवीर बैंक में भेज दी तो उस की नौकरी तुरंत चली जाएगी.

फहीम को उस कर्ज के बारे में याद आया, जो उस ने मकान के लिए लिया था. उसे अपनी बीवी की याद आई, जो अगले महीने उस के बच्चे की मां बनने वाली थी. अगर उस की बैंक की नौकरी छूट गई तो सब बरबाद हो जाएगा. हैदर बहुत कमीना आदमी था. उस ने फहीम को अब भी ढूंढ़ निकाला था. अगर उस ने किसी दूसरी जगह नौकरी कर ली तो यह वहां भी पहुंच जाएगा. ऐसी स्थिति में हैदर को हमेशा के लिए खत्म करना ही ठीक रहेगा.

‘‘तुम सचमुच मुझे वह तसवीर और उस की निगेटिव दे दोगे?’’ फहीम ने पूछा.

हैदर की आंखें चमक उठीं. उस ने कहा, ‘‘जिस समय तुम मुझे वे हीरे दोगे, उसी समय मैं दोनों चीजें तुम्हारे हवाले कर दूंगा. यह मेरा वादा है.’’

फहीम ने विवश हो कर हैदर की बात मान ली. हैदर अपने घर में बैठा फहीम का इंतजार कर रहा था. उस के यहां फहीम पहुंचा तो रात के 3 बज रहे थे. उस के आते ही उस ने पूछा ‘‘तुम हीरे ले आए?’’

फहीम ने अपने ओवरकोट की जेब से मखमली चमड़े की एक थैली निकाल कर मेज पर रखते हुए कहा, ‘‘वह तसवीर और उस की निगेटिव?’’

हैदर ने अपने कोट की जेब से एक लिफाफा निकाल कर फहीम के हवाले करते हुए हीरे की थैली उठाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया.

‘‘एक मिनट…’’ फहीम ने कहा. इस के बाद लिफाफे में मौजूद तसवीर और निगेटिव निकाल कर बारीकी से निरीक्षण करने लगा. संतुष्ट हो कर सिर हिलाते हुए बोला, ‘‘ठीक है, ये रहे तुम्हारे हीरे.’’

हैदर ने हीरों की थैली मेज से उठा ली. फहीम ने जेब से सिगरेट लाइटर निकाला और खटके से उस का शोला औन कर के तसवीर और निगेटिव में आग लगा दी. उन्हें फर्श पर गिरा कर जलते हुए देखता रहा.

अचानक उस के कानों में हैदर की हैरानी भरी आवाज पड़ी, ‘‘अरे, ये तो साधारण हीरे हैं.’’

फहीम ने तसवीर और निगेटिव की राख को जूतों से रगड़ते हुए कहा, ‘‘हां, मैं ने इन्हें एक साधारण सी दुकान से खरीदे हैं.’’

यह सुन कर हैदर फहीम की ओर बढ़ा और क्रोध से बोला, ‘‘यू डबल क्रौसर! तुम समझते हो कि इस तरह तुम बच निकलोगे. कल सुबह मैं तुम्हारे बौस के पास बैंक जाऊंगा और उसे सब कुछ बता दूंगा.’’

हैदर की इस धमकी से साफ हो गया था कि उस के पास तसवीर की अन्य कापियां नहीं थीं. फहीम दिल ही दिल में खुश हो कर बोला, ‘‘हैदर, कल सुबह तुम इस शहर से मीलों दूर होगे या फिर जेल की सलाखों के पीछे पाए जाओगे.’’

‘‘क्या मतलब?’’ हैदर सिटपिटा गया.

‘‘मेरा मतलब यह है कि मैं ने सुलतान ज्वैलरी स्टोर के चौकीदार को रस्सी से बांध दिया है. छेनी की मदद से तिजोरी पर इस तरह के निशान लगा दिए हैं, जैसे किसी ने उसे खोलने की कोशिश की हो. लेकिन खोलने में सफल न हुआ हो. ऐसे में सुलतान अहमद की समझ में आ जाएगा कि यह हरकत तुम्हारी है.

‘‘इस के लिए मैं ने तिजोरी के पास एक विजीटिंग कार्ड गिरा दिया है, जिस पर तुम्हारा नाम और पता छपा है. वह कार्ड कल रात ही मैं ने छपवाया था. अगर तुम्हारा ख्याल है कि तुम सुलतान अहमद को इस बात से कायल कर सकते हो कि तिजोरी को तोड़ने की कोशिश के दौरान वह कार्ड तुम्हारे पास से वहां नहीं गिरा तो फिर तुम इस शहर रहने की हिम्मत कर सकते हो.

‘‘लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते तो बेहतर यही होगा कि तुम अभी इस शहर से भाग जाने की तैयारी कर लो. मैं ने सुलतान ज्वैलरी स्टोर के चौकीदार को ज्यादा मजबूती से नहीं बांधा था. वह अब तक स्वयं को रस्सी से खोलने में कामयाब हो गया होगा.’’

हैदर कुछ क्षणों तक फहीम को पागलों की तरह घूरता रहा. इस के बाद वह अलमारी की तरफ लपका और अपने कपड़े तथा अन्य जरूरी सामान ब्रीफकेस में रख कर तेजी से सीढि़यों की ओर बढ़ गया.

फहीम इत्मीनान से टहलता हुआ हैदर के घर से बाहर निकला. बाहर आ कर बड़बड़ाया, ‘मेरा ख्याल है कि अब हैदर कभी इस शहर में लौट कर नहीं आएगा. हां, कुछ समय बाद वह यह जरूर सोच सकता है कि मैं वास्तव में सुलतान ज्वैलरी स्टोर में गया भी था या नहीं? लेकिन अब उस में इतनी हिम्मत नहीं रही कि वह वापस आ कर हकीकत का पता करे. फिलहाल मेरी यह चाल कामयाब रही. मैं ने उसे जो बता दिया, उस ने उसे सच मान लिया.’

क्या आपको भी है औनलाइन शौपिंग का चसका ?

औनलाइन खरीदारी का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है क्योंकि एक क्लिक में पूरा बाजार आप के सामने आ जाता है और घर बैठे सबकुछ खरीद लेना आसान हो गया है. ऐसे ही राधिका को भी औनलाइन शौपिंग करना बेहद पसंद था. जब भी उस के हाथ में फोन होता तो आंखें औनलाइन शौपिंग वैबसाइटों पर जमी होतीं. वह हर दिन नएनए प्रोडक्ट्स देखती और बिना जरूरत के भी कुछ न कुछ और्डर कर देती.

एक दिन उस ने एक शानदार औफर देखा 70% की छूट, सिर्फ आज के लिए. हालांकि उसे कोई नई चीज की जरूरत नहीं थी लेकिन इतने बड़े डिस्काउंट को वह नजरअंदाज नहीं कर सकी. उस ने तुरंत एक नई ड्रैस, कुछ जूते और एक बैग और्डर कर दिया.

पैकेज अगले दिन आ भी गया. जब उस ने चीजें देखीं तो उसे महसूस हुआ कि ड्रैस का रंग वैसा नहीं था जैसा तसवीर में दिखा था, जूतों का साइज भी सही नहीं था और बैग तो पहले से उस के पास था. राधिका को अब समझ में आया कि वह फालतू चीजों पर पैसे बरबाद कर रही है. उस की अलमारी पहले से ही कपड़ों और ऐक्सैसरीज से भरी थी, जिन में से कई उस ने सिर्फ एक बार ही कभीकभी इस्तेमाल किया था.

कुछ हफ्तों बाद उस ने अपने बैंक अकाउंट पर नजर डाली और देखा कि उस की औनलाइन शौपिंग की वजह से काफी पैसे खर्च हो चुके हैं. उस ने यह भी महसूस किया कि वह बारबार ऐसा सामान खरीद रही थी, जिस की उसे बिलकुल जरूरत नहीं थी.

यह कहानी राधिका की ही नहीं अपितु ऐसा हम में से कई लोगों के साथ होता है. औनलाइन शौपिंग आसान और आकर्षक होती है लेकिन अगर ध्यान न दिया जाए तो यह आदत बन सकती है जो हमें फालतू खर्च की ओर ले जाती है. इसलिए औनलाइन शौपिंग हमेशा सोचसमझ कर करनी चाहिए,

जरूरत और चाहत में अंतर समझें

औनलाइन शौपिंग करते समय अकसर हम अपनी जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर भूल जाते हैं. किसी नई चीज को देख कर हमारा मन उसे खरीदने के लिए तुरंत तैयार हो जाता है लेकिन यह जरूरी नहीं होता कि वह चीज हमारे लिए वास्तव में आवश्यक हो. खरीदारी करने से पहले यह सवाल पूछें कि क्या यह मेरे लिए जरूरी है? अगर जवाब नहीं है तो उस वस्तु को खरीदने से बचें.

बजट डिसाइड करें

औनलाइन खरीदारी को नियंत्रित करने का सब से अच्छा तरीका है कि आप एक सख्त बजट तय करें. महीने की शुरुआत में तय करें कि आप कितना खर्च करेंगे और उसी के अनुसार शौपिंग करें. बजट को फौलो करने से आप अनावश्यक खर्चों से बच सकेंगे और पैसों की बचत कर पाएंगे.

इंस्टैंट औफर और डील्स से बचें

ई कौमर्स वैबसाइट्स पर हमेशा कोई न कोई ‘फ्लैश सेल,’ ‘ऐक्सक्लूसिव डील’ या ‘लिमिटेड टाइम औफर’ चलता रहता है. ये सिर्फ आप को लुभाने के लिए होते हैं ताकि आप फालतू चीजें खरीदें. इन औफर्स के जाल में न फंसें. याद रखें, सस्ता होने का मतलब जरूरी नहीं कि वह आप के फायदे का सामान है. सिर्फ सस्ती चीजों के चक्कर में अपनी जरूरतों से ज्यादा खर्च न करें.

इच्छा को शांत करने के लिए समय दें

जब भी आप को कुछ औनलाइन खरीदने की इच्छा हो, तुरंत फैसला न करें. एक दिन या कुछ घंटे का समय दें और खुद से पूछें कि क्या यह वाकई जरूरी है. इस तरह से कई बार आप की अनावश्यक खरीदारी की इच्छा खुदबखुद खत्म हो जाएगी. इस वेटिंग पीरियड के दौरान आप यह जान पाएंगे कि वह चीज आप की प्राथमिकता में कहां है.

सैल्फ कंट्रोल की आदत डालें

औनलाइन खरीदारी से दूर रहने के लिए आत्मनियंत्रण बहुत जरूरी है. जब भी आप की शौपिंग साइट्स पर ब्राउजिंग करने की इच्छा हो, अपनेआप को व्यस्त रखें. किसी अन्य गतिविधि में मन लगाएं जैसे पढ़ाई, काम या किसी शौक में. इस के अलावा अगर आप को फालतू शौपिंग की आदत हो गई है तो अपने फोन से शौपिंग ऐप्स को अनइंस्टौल कर दें या नोटिफिकेशन बंद कर दें.

प्रोडक्ट रिव्यू और कीमत की तुलना करें

कई बार हम किसी प्रोडक्ट को देख कर प्रभावित हो जाते हैं और तुरंत उसे खरीद लेते हैं. मगर बिना प्रोडक्ट की पूरी जानकारी के खरीदारी करना गलत हो सकता है. खरीदारी से पहले विभिन्न वैबसाइट्स पर उस की कीमत की तुलना करें और उस के रिव्यू पढ़ें. इस से आप यह तय कर सकेंगे कि वह प्रोडक्ट आप की जरूरत के हिसाब से सही है या नहीं.

ईमेल और नोटिफिकेशन अलर्ट बंद करें

ज्यादातर ई कौमर्स साइट्स और शौपिंग ऐप्स लगातार ईमेल और नोटिफिकेशन भेजते हैं, जिन में नए औफर और सेल्स की जानकारी दी जाती है. ये आप को बारबार खरीदारी के लिए उकसाते हैं. आप अपने ईमेल से इन प्रमोशनल सब्सक्रिप्शन को अनसब्सक्राइब कर सकते हैं और ऐप्स के नोटिफिकेशन को बंद कर सकते हैं. इस से आप का ध्यान बारबार इन औफर्स की ओर नहीं जाएगा.

देखादेखी से बचें

कभीकभी हमारे दोस्त, सहकर्मी या सोशल मीडिया हमें प्रभावित करती हैं कि हम उन चीजों को खरीदें जो वे खरीद रहे हैं. लेकिन हर किसी की जरूरत और बजट अलग होता है इसलिए दूसरों को देख कर शौपिंग न करें. अगर आप केवल सोशल स्टेटस या दिखावे के लिए शौपिंग कर रहे हैं तो यह शौक आप की जेब खाली कर सकता है.

कुकिंग के शौकीन हैं आपके हसबैंड ? तो इन बातों का रखें ख्याल

कुकिंग के शौकीन चिन्मय ने वीकैंड पर बटर पनीर मसाला बनाने के लिए जैसे ही किचन में  प्रवेश किया, कुछ देर बाद ही झुंझलाते हुए उस ने अपनी पत्नी जूही को आवाज लगाई, ‘‘अरे यार जब भी किचन में काम करने आओ कुछ मिलता ही नहीं है. कभी नमक नहीं होता तो कभी मिर्च नहीं होती. समझ नहीं आता तुम कैसे काम करती हो.’’

‘‘उफ, आज ही खत्म हुआ है मैं भरना भूल गई थी. अभी भर देती हूं,’’ पर तब तक चिन्मय का कुकिंग का मूड खराब हो गया था और फिर जूही को ही पूरा डिनर बनाना पड़ा.

श्यामली और उस के पति अनिमेष एक ही औफिस में काम करते हैं. शाम को औफिस से आ कर श्यामली ने आंच पर चाय चढ़ाई और अनिमेष से नाश्ता लगाने को कहा पर कुछ ही देर में दोनों में बहस हो गई, ‘‘अरे यार तुम्हारे इन नाश्तों के कंटेनर्स में कभी नाश्ता होता क्यों नहीं है? अरे हर संडे को रिफिल कर दिया करो.’’

‘‘तुम रिफिल कर दोगे तो क्या गुनाह हो जाएगा.’’

‘‘रिफिल करना कोई बहुत बड़ी प्रौब्लम नहीं है प्रौब्लम है चीजों का पता न होना. तुम्हारी रखी चीजें मुझे क्या अकसर तुम्हें ख़ुद नहीं मिलतीं,’’ और फिर इस बहस के बीच दोनों का सामंजस्य कहां गायब हो गया पता ही नहीं चला.

यह चिन्मय या अनिमेष की ही नहीं बल्कि अधिकांश पुरुषों की व्यथा है कि जब भी किचन में अपनी पत्नी का हाथ बंटाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें सामान ही नहीं मिलता. सदियों से घरों में किचन की व्यवस्था महिलाएं ही संभालती आई हैं और इसीलिए वे किचन और उस के सामान को अपने अनुसार मैनेज करती हैं. परिणामस्वरूप उन के लिए तो काम करना आसान होता है परंतु किसी दूसरे के लिए उतना ही मुश्किल.

आज जब अधिकांश दंपती कामकाजी होते हैं तो पत्नी की अपेक्षा होती है कि किचन की जिम्मेदारी भी दोनों मिल कर निभाएं. आजकल के पुरुष अपनी पत्नी के कामों में हाथ बंटाना भी चाहते हैं परंतु एक तो बचपन से उन्हें किचन का काम करना सिखाया नहीं जाता दूसरे जब भी वे किचन में काम करना चाहते हैं तो किचन की व्यवस्था में स्वयं को असहज पाते हैं. ऐसे में आज के समय में यह आवश्यक है किचन की व्यवस्था इस प्रकार की जाए कि उस में आप के पति भी आराम से काम कर सकें.

यदि आप चाहती हैं कि आप के पति भी किचन के कामों में आप की मदद करें तो आप अपनी किचन में निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

कंटेनर्स हों पारदर्शी

स्नेहा और सुमित दोनों का ही वर्क फ्रौम होम है इसलिए आपसी सहमति से तय किया कि जिस की छुट्टी होगी वह कुकिंग कर लेगा. छुट्टी वाले दिन जब सुमित ने दाल बनानी चाही तो मिली ही नहीं. झुंझला कर वह स्नेहा के पास पहुंचा, ‘‘अरे यार आधा घंटा हो गया ढूंढ़तेढूंढ़ते दाल का डब्बा ही नहीं मिल रहा.’’

दाल का डब्बा न मिलने का कारण था कि स्नेहा ने सभी दालें स्टील के डब्बों में रखी थीं. आजकल बहुत कम कीमत में पारदर्शी किचन कंटेनर्स बाजार में उपलब्ध हैं इसलिए दालचावल, नमक, शकर और मसाले आदि को ट्रांसपैरेंट कंटेनर्स में रखें ताकि किचन में काम करने वाले को खाद्य वस्तुएं आसानी से दिख सकें.

लेबलिंग है बहुत जरूरी

नमिता कुछ दिनों के लिए मायके गई तो केतन ने खाना बनाया. लेबलिंग न होने का कारण उसे चना और अरहर दाल में फर्क ही समझ नहीं आ सका और वह चने की दाल को अरहर की समझ कर बनाता रहा. अरहर और चना दाल, नमक और बेकिंग सोडा, कालीमिर्च पाउडर और भुना जीरा पाउडर जैसी अनेक खाद्य वस्तुएं देखने में एकजैसी दिखती लगती हैं जिस से अकसर पुरुष कन्फ्यूज हो जाते हैं इसलिए किचन के प्रत्येक कंटेनर पर लेबल लगाएं ताकि चीजों को पहचानने में आसानी रहे, साथ ही समय भी बचे.

सैक्शंस निर्धारित करें

सौफ्टवेयर इंजीनियर रसिका कहती हैं, ‘‘मैं ने अपनी किचन के हर सामान के लिए एक खाना तय कर रखा है, साथ ही उस के ऊपर एक पतली सी स्ट्रिप में लिख भी दिया है कि किस जगह पर क्या रखा है जिस से मेरी किचन में मेरा हसबैंड तो क्या कोई अजनबी भी जा कर कुकिंग कर सकता है.’’

आप की किचन की स्पेस के अनुसार प्रत्येक चीज के लिए जगह निर्धारित करें. मसाले, दालें, चायपत्ती, नमक, स्नैक्स आदि को अलगअलग सैक्शंस में रखें. आधुनिक गैजेट्स का प्रयोग करें

सी ए प्रेरित कहते हैं, ‘‘मुझे कुकिंग करना बहुत पसंद है पर आटा गूंधना बिलकुल नापसंद.’’

वहीं सौफ्टवेयर इंजीनियर रचित को चौपिंग करना बिलकुल पसंद नहीं है. ब्लैंडर, चौपर, ब्रैड मेकर, इलैक्ट्रिक केटल जैसे अनेक किचन के उपकरण बाजार में उपलब्ध हैं जिन की मदद से किचन का काम काफी आसान हो जाता है. आप इन्हें अपनी आवश्यकतानुसार अपनी किचन में जगह दें.

फ्रिज को व्यवस्थित रखें

सम्यक ने जैसे ही दूध निकालने के लिए फ्रिज में से भगौना निकाला उस के ऊपर रखा दही का बाउल नीचे गिर गया और पूरी किचन खराब हो गई. आधुनिक समय में फ्रिज के बिना कुकिंग संभव ही नहीं है. फ्रिज में भी कोशिश करें कि एक बरतन के ऊपर दूसरा बरतन न रखें, पारदर्शी कांच के कंटेनर्स का प्रयोग करें, चीजों के सैक्शंस निर्धारित करें ताकि किचन में काम करना आसान हो सके.

वापसी: अमित के पास तृप्ति वापस क्यों लौट आई?

आंगन में तुलसी के चबूतरे पर लगी अगरबत्ती की खुशबू ने पूरे घर को महका दिया था. पूनम अभीअभी पूजा कर के रसोईघर में गई ही थी कि दादी मां ने रोज की तरह चिल्लाना शुरू कर दिया था, “अरी ओ पूनम, पूजापाठ का ढकोसला खत्म हो गया तो चायवाय मिलेगी कि नहीं.

“ऐसे भी कौन सा सुख दिया है भगवान ने… मेरे हंसतेखेलते परिवार की सारी खुशियां छीन लीं,” बोलते हुए दादी मां ने गुस्से से अपनी भौएं सिकोड़ ली थीं.

पूनम ने रसोईघर में से झांकते हुए कहा, “चाय बन गई है दादी मां, अभी लाती हूं.”

माथे पर बिंदी, दोनों कलाइयां कांच की चूड़ियों से भरी हुईं, लाल रंग के सलवारकमीज में पूनम किसी नई दुलहन सी दिख रही थी.

दादी मां को चाय दे कर पूनम मुड़ी ही थी कि उन्होंने फुसफुसाना शुरू कर दिया, “आदमी का तो कुछ अतापता नहीं है… जिंदा भी है कि नहीं, फिर भी न जाने क्यों इतना बनसंवर कर रहती है…”

पूनम ने सबकुछ सुन कर भी अनसुना कर दिया था. और करती भी क्या. उस के दिन की शुरुआत रोज ऐसे ही दादी मां के तीखे शब्दों से होती थी.

दादी मां को चाय देने के बाद पूनम अपने ससुर को चाय देने के लिए उन के कमरे में जाने लगी, तो उन्होंने उसे आवाज दे कर कहा, “पूनम बेटा, मेरी चाय बाहर ही रख दे, मैं उधर ही आ कर पी लूंगा.”

“जी पापा,” बोल कर पूनम वापस चली आई थी.

पूनम के ससुर शशिकांतजी रिटायर्ड आर्मी आफसर थे. उन का बेटा मोहित भी सेना में जवान था. पूनम मोहित की पत्नी थी. 3 साल पहले ही मोहित और पूनम का ब्याह हुआ था और ब्याह के 2-4 दिन बाद ही मोहित को किसी खुफिया मिशन पर जाने के लिए सेना में वापस बुला लिया गया था.

इस बात को 3 साल बीत चुके थे, पर अब तक मोहित वापस नहीं लौटा था और न ही उस की कोई खबर आई थी, इसलिए फौज की तरफ से उसे गुमशुदा घोषित कर दिया गया था.

मोहित के लापता होने की खबर से शशिकांतजी की पत्नी को गहरा सदमा लगा था, जिस के चलते वे कोमा में चली गई थीं. डाक्टर का कहना था कि मोहित की वापसी ही उन के लिए दवा का काम कर सकती है.

पूनम को विश्वास था कि मोहित जिंदा है और एक दिन जरूर वापस आएगा. उस के इस विश्वास को कायम रखने के लिए शशिकांतजी पूरा सहयोग देते थे. उन्हें पूनम का पहनओढ़ कर रहना पसंद था. मोहित के हिस्से का लाड़प्यार भी वे पूनम पर ही लुटाते थे.

पूनम ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया हुआ था. उस की शादी के कुछ समय बाद ही उस के ससुर ने एक बुटीक खुलवा दिया था.

तब दादी मां ने इस बात का भरपूर विरोध करते हुए कहा था कि समय काटने के लिए घर के काम कम होते हैं क्या. पर शशिकांतजी ने उन की एक न सुनी थी.

सास की बीमारी के बाद घर के कामकाज की पूरी जिम्मेदारी पूनम के कंधों पर आ गई थी. बुटीक के साथ वह घर भी बखूबी संभाल रही थी. पर दादी मां हमेशा उस से नाराज ही रहती थीं. उन्हें पूनम का साजसिंगार करना, गाड़ी चलाना, बुटीक जाना बिलकुल नहीं सुहाता था. वे पूनम को ताने मारने का एक भी मौका अपने हाथों से जाने नहीं देती थीं.

समय बीतता जा रहा था. मोहित की मां की तबीयत में कोई सुधार नहीं था. इस बीच पूनम के मातापिता कई बार उसे अपने साथ घर ले जाने के लिए आए, पर हर बार उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा. पूनम का कहना था कि मोहित वापस आएगा तो उसे यहां न पा कर परेशान होगा और उस के परिवार की जिम्मेदारी भी अब मेरी है. अब ससुराल ही मेरा मायका है.

शशिकांतजी को पूनम की ऐसी सोच और समझदारी पर बहुत गर्व होता था.

एक दिन शशिकांतजी के करीबी दोस्त कर्नल मोहन घर आए और बोले, “शशि, मैं एक प्रस्ताव ले कर तेरे पास आया हूं.”

“कैसा प्रस्ताव?” शशिकांतजी ने पूछा.

इस के बाद उन दोनों दोस्तों ने बहुत देर तक साथ में समय बिताया और बातें कीं, फिर कर्नल मोहन जातेजाते बोले, “मुझे तेरे जवाब का इंतजार रहेगा.”

कर्नल मोहन के जाने के बाद शशिकांतजी काफी दिन तक किसी गहरी सोच में डूबे रहे. पूनम ने कई बार पूछने की कोशिश की, पर उन्होंने ‘चिंता की कोई बात नहीं’ बोल कर उसे टाल दिया. पर मन ही मन वे पूनम के लिए एक बड़ा फैसला ले चुके थे, जिस की चर्चा पूनम के मातापिता से करने के लिए आज वे उस के मायके जा रहे थे. पूनम इस बात से पूरी तरह बेखबर थी.

पूनम के बुटीक जाते ही शशिकांतजी घर से निकल गए थे. उन्हें अचानक यों देख कर पूनम के मातापिता थोड़े चिंतित हो उठे थे. पूनम के पिताजी ने हाथ जोड़ कर शशिकांतजी से पूछा, “आप अचानक यहां, सब ठीक तो है न?”

“हांहां, सब ठीक है. चिंता की कोई बात नहीं…” शशिकांतजी बोले, “मैं ने पूनम के लिए एक फैसला लिया है, जिस में आप दोनों की राय लेना जरूरी था.”

यह सुन कर पूनम के मातापिता एकदूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे. पूनम की मां ने बड़े ही उतावलेपन से पूछा, “कैसा फैसला भाई साहब?”

शशिकांतजी ने कहा, “पूनम के दूसरे ब्याह का फैसला.”

“यह आप क्या कह रहे हैं… यह कैसे मुमकिन है…” पूनम के पिता ने हैरानी से.

शशिकांतजी बोले, “क्यों मुमकिन नहीं है? मोहित की वापसी अब एक सपने जैसी है. चार दिन की शादी को निभाने के लिए पूनम अपनी पूरी जिंदगी अकेलेपन के हवाले कर दे, ऐसा मैं नहीं होने दे सकता. उस बच्ची के विश्वास पर अपने यकीन की मोहर अब और नहीं लगा सकता. बिना किसी दोष के वह एक अधूरेपन की सजा क्यों काटेगी…”

“पर भाई साहब…” पूनम की मां ने बीच में बोलना चाहा तो शशिकांतजी ने उन्हें रोकते हुए कहा, “माफ कीजिएगा, पर मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है.”

इतना कह कर वे आगे बोले, “मैं अपने बेटे के मोह में पूनम के भविष्य की बलि नहीं चढ़ने दूंगा. आज मेरी जगह मोहित भी होता तो पूनम के लिए इस तरह की अधूरी जिंदगी उसे कभी स्वीकार नहीं होती.

“आप दोनों ने उसे जन्म दिया है. उस की जिंदगी का इतना बड़ा फैसला लेने के पहले आप को इस की सूचना देना मेरा फर्ज था, इसलिए चला आया वरना पूनम का कन्यादान करने का फैसला मैं ले चुका हूं. अब आज्ञा चाहता हूं.”

शशिकांत जी के जाने के बाद पूनम के मातापिता बहुत देर तक सोचते रहे कि वे अपनी बेटी के भविष्य के बारे में इतनी गहराई से नहीं सोच पाए, पर शशिकांतजी जैसे लोग बहू को बेटी की जगह रख कर अपनी सोच का लैवल कितना ऊपर उठाए हुए हैं. पूनम के दूसरे ब्याह के बारे में सोचते समय मोहित का चेहरा न जाने कितनी बार उन की आंखों के सामने घूमा होगा.

पूनम के मायके से लौटने के बाद शशिकांतजी अपने कमरे से बाहर नहीं आए थे. पूनम शाम की चाय ले कर उन के कमरे में ही चली गई थी. चाय का कप टेबल पर रखते हुए उस ने पूछा, “क्या हुआ पापा? तबीयत ठीक नहीं है क्या?”

“सब ठीक है बेटा,” उन्होंने जवाब दिया और कहा, “आ थोड़ी देर मेरे पास बैठ, तुझ से कुछ बात करनी है.”

“जी पापा,” बोल कर पूनम उन के पास बैठ गई.

शशिकांतजी ने एक गहरी सांस ली और बोलना शुरू किया, “मोहित की गैरमौजूदगी में तू ने इस घर की जिम्मेदारियों के साथसाथ हम सब को भी बहुत अच्छे से संभाला है. अपने छोटेबड़े हर फर्ज को तू ने प्यार और अपनेपन से निभाया है. इतना ही नहीं, अपनी दादी मां के रूखे बरताव के बाद भी तू कभी उन की सेवा करने से पीछे नहीं हटी. अगर मैं यह कहूं कि मोहित की कमी तू ने कभी महसूस ही नहीं होने दी, तो यह गलत नहीं होगा.

“पर अब नहीं बेटा. मैं चाहता हूं कि मोहित की चंद यादों का जो दायरा तू ने अपने आसपास बना रखा है, उसे तोड़ कर तू बाहर निकले और जिंदगी में आगे बढ़े…”

पूनम ने कहा, “आज अचानक ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं आप? कुछ हुआ है क्या? मोहित की कोई खबर आई क्या? बोलिए न पापा, क्या हुआ है?” पूनम बेचैन हो उठी थी.

शशिकांतजी ने भरे हुए गले से कहा, “कोई खबर नहीं आई मोहित की और न ही आएगी. उस की वापसी की उम्मीद अब छोड़नी होगी हमें.”

पूनम जोर से चिल्लाते हुए बोली, “नहीं पापा, ऐसा मत कहिए…” इतने साल से पति के बिछड़ने का दर्द जो उस ने अपने अंदर दबा कर रखा था, वह आज आंसुओं की धार के साथ बहता जा रहा था.

शशिकांतजी ने पूनम के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “आज यह लाचार और बेबस पिता तुझ से कुछ मांगना चाहता है बेटा, मना मत करना. बहुत सोचसमझ कर मैं ने तेरा कन्यादान करने का फैसला लिया है.”

पूनम ने चौंकते हुए कहा, “पापा, आप भी…” कमरे से बाहर जातेजाते वह रुकी और बोली, “आप गलत कह रहे हैं पापा, अगर मोहित की कमी मैं पूरी कर पाती तो मम्मी आज अस्पताल में कोमा में न होतीं, दादी मां को मुझ से इतनी नफरत न होती और आज आप मुझे इस घर से विदा करने की बात नहीं करते,” ऐसा बोल कर वह तेजी से कमरे से बाहर निकल गई.”

पूनम के जाने के बाद शशिकांतजी सोच में पड़ गए थे कि ‘आप भी’ से पूनम का क्या मतलब था.

इस बात को 8 दिन बीत चुके थे. शशिकांतजी अपने फैसले पर अटल थे. उन के इस फैसले से दादी मां बहुत नाराज थीं और दादी मां ने उन से बात करना बंद कर दिया था. पर उन्होंने हार नहीं मानी थी.

शशिकांतजी एक बार फिर पूनम को समझाने की उम्मीद से उस के बुटीक पहुंच गए थे. उन्हें देखते ही पूनम ने कहा, “अरे पापा, आप यहां कैसे?”

“कुछ नहीं बेटा, शाम की सैर के लिए निकला था…” शशिकांतजी बोले, “सोचा तुझे देख लेता हूं… तेरा काम खत्म हो गया होगा तो साथ में घर चलेंगे.”

पूनम ने कहा, “पापा, मुझे थोड़ा समय और लगेगा.”

“ठीक है…” शशिकांतजी बोले, “मैं बाहर तेरा इंतजार करता हूं, आ जाना.”

थोड़ी देर बाद बुटीक बंद कर के पूनम अपनी कार ले कर बाहर आ गई. शशिकांतजी ने उस से कहा, “आज मैं गाड़ी चलाता हूं.”

कार चलाते हुए शशिकांतजी ने फिर अपनी बात शुरू की और पूनम से कहा, “तू ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बेटा… और उस दिन तू ने ‘आप भी’ ऐसा क्यों कहा था?”

पूनम ने कहा, “मोहित ने मिशन पर जाने से पहले मुझे कसम दी थी कि अगर वह वापस नहीं लौटा तो मैं उस के इंतजार में अपनी पूरी जिंदगी नहीं निकालूंगी और एक नई शुरुआत करूंगी. उस दिन आप ने भी वही बात कह दी. आप ही की तरह शायद वह भी मुझे अपने से दूर करना चाहता था.”

शशिकांतजी को इस बात की बहुत खुशी हो रही थी कि मोहित के बारे में उन की सोच गलत नहीं थी. वह भी पूनम के लिए इस तरह की अधूरी जिंदगी नहीं चाहता था.

शशिकांतजी अपने फैसले पर अब और ज्यादा मजबूत हो गए थे. उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “तुझे याद है, कुछ दिन पहले कर्नल मोहन अपने घर आए थे. वे अपने बेटे गौरव के लिए तेरा हाथ मांगने आए थे.

“गौरव की पहली पत्नी का शादी के 4 महीने बाद ही देहांत हो गया था. वह अमेरिका में बहुत बड़ी कंपनी में काम करता है. वह अभी यही है और कुछ दिन में वापस जाने वाला है, इसलिए उन्हें शादी की जल्दी है.

“कर्नल मोहन को मैं बहुत सालों से जानता हूं. वे बेहद सुलझे और समझदार लोग हैं. तू बहुत खुश रहेगी… और तुझे तो गौरव के साथ अमेरिका में ही रहना होगा. इस रिश्ते के लिए हां कह दे बेटा,” शशिकांतजी ने जोर देते हुए पूनम से कहा.

पूनम ने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता था पापा कि आप के लाड़प्यार का कर्ज मुझे एक दिन आप से दूर जा कर चुकाना पड़ेगा.”

शशिकांतजी ने पूनम और गौरव का रिश्ता तय कर दिया. पूनम के मातापिता को भी खबर कर दी गई.

शादी का दिन आ चुका था. बंगले की सजावट शशिकांतजी ने पूनम की पसंद के लाल गुलाब के फूलों से कराई थी.

बरात जैसे ही बंगले के सामने पहुंची तो शशिकांतजी ने सभी का स्वागत किया. थोड़ी देर बाद पूनम की मां उसे मंडप में ले जाने के लिए आईं, तो पूनम ने कस कर अपनी मां के हाथों को पकड़ा और कहा, “मुझ से यह नहीं होगा मां. मेरा मन बहुत घबरा रहा है. पता नहीं क्यों बारबार ऐसा लग रहा है कि मोहित यहीं कहीं आसपास है.

“मैं किसी और से शादी नहीं कर सकती. यह सब होने से रोक दो मां,” पूनम अपनी मां के सामने हाथ जोड़ कर रोते हुए बोली और बेसुध हो कर जमीन पर गिर पड़ी.

पूनम की मां उस के बेसुध होने की सूचना देने बाहर आईं तो उन्होंने देखा कि फौज की एक गाड़ी बंगले के बाहर आ कर रुकी है. उस में से सेना के 2 जवान उतरे, फिर उन्होंने हाथ पकड़ कर काला चश्मा पहने एक शख्स को गाड़ी से नीचे उतारा.

विवाह समारोह में आए सभी लोगों की नजरें बड़ी हैरानी से उस शख्स को देख रही थीं. उसे देखते ही शशिकांतजी की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा.

“मोहित… मेरे बेटे, तू ने बहुत इंतजार कराया,” बोलते हुए शशिकांतजी ने उसे अपने सीने से लगा कर बेटे की वापसी की तड़प को शांत कर दिया.

पूनम की मां खुशी से भागते हुए अंदर गईं और उन्होंने पूनम के ऊपर पानी के छींटे मारे, फिर जोर से उसे झकझोर कर बोलीं, “उठ बेटा, बाहर जा कर देख… तेरे विश्वास ने आज तेरे सुहाग की वापसी कर ही दी.”

पूनम सभी मर्यादाओं को लांघ कर गिरतीपड़ती भागते हुए बाहर गई और मोहित से जा लिपटी. वह फूटफूट कर रोते हुए बोली, “आखिर आप ने मेरे विश्वास की लाज रख ही ली मोहित.”

शोरगुल की आवाज से दादी मां भी बाहर आ गई थीं और मोहित को देख कर अपने आंसुओं के बहाव को रोक नहीं पाई थीं.

मोहित ने पूनम से कहा, “मेरी वापसी एक अधूरेपन के साथ हुई है पूनम. लड़ाई में मैं अपनी दोनों आंखें गंवा चुका हूं. जिसे अब खुद हर समय सहारे की जरूरत पड़ेगी वह तुम्हारा सहारा क्या बनेगा.”

पूनम ने चिल्लाते हुए कहा, “यह कैसी बात कर रहे हैं आप. हम पूरी जिंदगी के साथी है. हमें एकदूसरे के सहारे और हमदर्दी की नहीं, बल्कि साथ की जरूरत है…” इतना कह कर पूनम ने अपना हाथ मोहित के आगे बढ़ाया और कहा, “आप देंगे न मेरा साथ?”

गौरव इतनी देर से दूर खड़ा हो कर सब देख रहा था. उस ने मोहित का हाथ पकड़ कर अपने हाथों से पूनम के हाथ में दे दिया.

पूनम कर्नल मोहन के पास गई और हाथ जोड़ कर बोली, “मुझे माफ कर दीजिए अंकल. इस घर और मोहित को छोड़ कर मैं कहीं नहीं जा सकती.”

कर्नल मोहन ने पूनम के सिर पर हाथ रख कर अपना आशीर्वाद दे दिया.

चाहिए हैल्दी स्किन, तो मेकअप करते समय रखें हाइजीन का ख्याल

मेकअप करते समय भी सावधानी हटने से दुर्घटना घट सकती है. इस की बानगी आप को अपने फ्रैंडसर्कल व नातेरिश्तेदारों में मिल जाएगी. कंघी, लिपस्टिक, मसकारा, काजल, ब्लशर, फाउंडेशन, आईशैडो की शेयरिंग बहुत आम है. अपनी इस आदत को सुधारें वरना देर करने पर दाग सेहत पर पड़ेगा.

ऐसी छोटी छोटी आदतें, जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं वही त्वचा संबंधी रोगों का कारण बनती हैं. लापरवाही बरतने पर यही फुजूल आदतें गंभीर बीमारी का रूप इख्तियार कर लेती हैं.

नमी की पहुंच नहीं

जहां नमी पहुंची वहीं कीटाणु पनपने शुरू हो जाते हैं, जो बीमारियों को खुला न्योता देते हैं. यही बात आप के वैनिटी बौक्स में शामिल हर एक कौस्मैटिक पर लागू होती है. इस्तेमाल के बाद प्रत्येक कौस्मैटिक को कस कर बंद करें. कौस्मैटिक्स को नमीरहित अंधेरी जगह रखें.

याद रहे नमी पहुंचते ही कीटाणु को कहीं भी पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगता. इसलिए अपने मेकअप कंटेनर को अच्छी तरह बंद करना न भूलें. अगर मेकअप के सामान तक मौइश्चर पहुंच गया, तो कीटाणुओं को उस में घर बनाने में समय नहीं लगेगा और यह त्वचा के कैंसर का कारण भी बन सकता है.

वैनिटी की सफाई

अपनी वैनिटी का इस्तेमाल सिर्फ सजनेसंवरने तक ही सीमित न रखें. सप्ताह में एक दिन वैनिटी की सफाई जरूर करें. खासतौर से मेकअप में प्रयोग होने वाले ब्रशेज की. पानी और डिटर्जैंट से ब्रश साफ कर रही हैं, तो उन्हें साफ, सूखे कपड़े से पोंछने के बाद धूप में जरूर सुखाएं. मेकअप ब्रश की ब्रिसल टूट गई है या ब्रश पुराना हो गया है, तो उस की जगह नया ब्रश इस्तेमाल करें. समयसमय पर मेकअप ब्रश बदलती रहें. याद रहे मेकअप ब्रश के प्रति लापरवाही आप को महंगी पड़ सकती है यानी नमी का एक कण भी फंगल इन्फैक्शन से गंभीर त्वचा रोग दे सकता है.

स्पौंज से मोह है गलत

सजनेसंवरने के लिए सिर्फ वैनिटी का प्रयोग अहम नहीं है. नियमित अंतराल पर उस की सफाई भी बहुत जरूरी है. मेकअप के लिए ब्रश के बाद स्पौंज का इस्तेमाल आप जरूर करती होंगी. याद रहे स्पौंज की सफाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कौंपैक्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले स्पौंज और पाउडर के लिए प्रयोग होने वाले पफ को नियमित अंतराल पर बदलती रहें. ऐसा न करने से चेहरे पर मौजूद गंदगी स्पौंज या पफ पर चिपक जाती है. इन्हें बिना बदले या धोए प्रयोग में लाने से फंगल इन्फैक्शन का खतरा हो सकता है. अगर आप इन्हें धो रही हैं, तो तेज धूप में सुखाना न भूलें.

ऐसे करें फेस क्लीन

फंगल इन्फैक्शन या त्वचा संबंधी रोगों से बचने के लिए चेहरे की डीप सफाई बहुत जरूरी है. आप की त्वचा नौर्मल या तैलीय है, तो कोल्ड वाइपअप करें. ठंडे या बर्फ के पानी में नैपकिन डुबो कर रखें. इस नैपकिन से रात को मेकअप वाले चेहरे को साफ करें. इस तरह पोर साफ हो जाएंगे और इन में गंदगी भी नहीं जमेगी. आप की त्वचा रूखी है, तो रोजाना चेहरे को मौइश्चराइजरयुक्त क्लींजर से साफ करें. इस से चेहरा रूखा नहीं रहेगा. यदि चेहरे पर खुले रोमछिद्र हैं, तो भी चेहरे को स्टरलाइज करें. इस के लिए चेहरे को ठंडे पानी से स्टरलाइज करें. नमी वाले मौसम में खुले पोरों में तेल और गंदगी जमा हो जाती है, जिस से दाने आने लगते हैं.

यह भी जानें

इस्तेमाल के बाद कौस्मैटिक अच्छी तरह पैक करें.

कौस्मैटिक शेयरिंग न करें.

चेहरे को वाइप टिशू से साफ करने के बाद उसे फेंक दें, क्योंकि वाइप टिशू का दोबारा इस्तेमाल त्वचा के लिए घातक हो सकता है.

हाल ही में आई अमेरिकन औप्टोमैटिरक ऐसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक कौस्मैटिक की ऐक्सपाइरी डेट होती है. एक तय सीमा के बाद कौस्मैटिक का प्रयोग घातक होता है.

कौस्मैटिक की ऐक्सपाइरी डेट जान कर ही उसे वैनिटी केस में जगह दें.

कोई भी कौस्मैटिक खरीदने से पहले उस पर लिखी बैस्ट बिफोर डेट जरूर पढें.

लिपस्टिक की आयु 1-2 साल होती है. आयुसीमा के बाद लिपस्टिक का प्रयोग सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालना शुरू कर देता है.

नेल पेंट की आयुसीमा सिर्फ 12 महीने होती है.

3 साल तक बेफिक्र हो कर आईशैडो का प्रयोग किया जा सकता है.

वाटरबेस्ड फाउंडेशन 12 महीने और औयलबेस्ड फाउंडेशन 18 महीने तक त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव नहीं छोड़ता.

सभी कौस्मैटिक्स में सब से कम आयु मसकारा की होती है. सिर्फ 8 महीने.

12 महीने के बाद हेयरस्प्रे का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

पाउडर 2 साल, कंसीलर 12 महीने, क्रीम व जैल क्लींजर 1 साल, पैंसिल आईलाइनर 3 साल व लिपलाइनर 3 साल के बाद प्रयोग नहीं करना चाहिए.

मेरे पति ‘मम्माज बौय’ हैं, जिसके कारण मैं बहुत परेशान हूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

28 वर्षीय महिला हूं. पिछले साल ही शादी हुई थी. शादी के बाद ससुराल आई तो 2-3 दिन में ही सम झ गई कि पति ‘मम्माज बौय’ हैं. वे अपनी मां से पूछ कर ही कोई काम करते हैं और मेरी एक भी बात नहीं मानते. खाने से ले कर परदे के रंग तक का चयन मेरी सास ही करती हैं और मेरी बातों को जरा भी अहमियत नहीं देतीं. इस से मैं काफी तनाव में रहती हूं. सम झ नहीं आ रहा क्या करूं?

जवाब-

अभी आप की नईनई शादी हुई है. आप के पति सम झदार हैं और इसीलिए वे नहीं चाहते होंगे कि अचानक मां को नजरअंदाज कर आप की बातों को उन के सामने ज्यादा तवज्जो दें. इस से घर में अनावश्यक ही तनाव भरा माहौल हो जाएगा.

आप को धीरेधीरे समय के साथ घर में अपनी जगह बनानी चाहिए. बेहतर होगा कि आप अपनी सास को सास नहीं मां सम झें. उन के साथ खाली वक्त में साथ बैठें, टीवी देखें, शौपिंग करने जाएं, उन की पसंद की ड्रैस खरीद कर उन्हें दें. घर के कामकाज में उन की सहायता करें.

जब आप की सास को यह यकीन हो जाएगा कि अब आप अच्छी तरह से गृहस्थी संभाल सकती हैं, तो धीरेधीरे वे आप को पूरी जिम्मेदारी सौंप देंगी.

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नेहा की नई-नई शादी हुई है. वह विवाह के बाद जब कुछ दिन अपने मायके रहने के लिए आई तो उसे अपने पति से एक ही शिकायत थी कि वह उस का पति कम और ‘मदर्स बौय’ ज्यादा है. यह पूछने पर कि उसे ऐसा क्यों लगता है? उस का जवाब था कि वह अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए मां पर निर्भर है. वह उस का कोई काम करने की कोशिश करती तो वह यह कह कर टाल देता कि तुम से नहीं होगा, मां को ही करने दो.

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