इन 5 तरीकों से करें सेविंग

अपने पैसों का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए ये हैं 5 बेस्ट तरीके. इन तरीकों का इस्तेमाल करके आप अपने और अपने परिवार के फ्यूचर को अच्छे से सिक्योर कर सकते हैं.

एफडी की जगह करें डेट म्युचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट

अगर आप एफडी में इन्वेस्ट करने के लिए सोच रहे हैं तो इसकी जगह डेट म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करना अच्छा रहेगा, अगर आप लांग टर्म इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं. एफडी में जहां साल इंटरेस्ट पर टैक्स लगता है वहीं एमएफ फंड में टैक्स तभी लगता है जब आप इसे बेचते हैं.

सॉवरेन गोल्ड बांड में मिल सकता है 8.75 फीसदी तक रिटर्न

सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम लॉन्च की थी जिस पर फिलहाल 2.75 फीसदी इंटरेस्ट रेट मिल रहा है. इस स्कीम में गोल्ड का प्राइस मार्केट से लिंक है. अगर मानकर के चलें कि गोल्ड का प्राइस में साल भर में 6 फीसदी तक बढ़ता है तो आप साल के अंत में 8.75 फीसदी तक का रिटर्न पा सकेंगे. गोल्ड बांड में आप 8 साल तक के लिए इन्वेस्ट कर सकते हैं.

बेटी के लिए खोलें सुकन्या समृद्धि अकाउंट

2016 में सुकन्या समृद्धि योजना में इन्वेस्ट करने से आपको अच्छा टैक्स बेनेफिट मिलेगा. इस योजना में आप अपने 10 वर्ष तक की बेटी के नाम से यह खाता खोल सकते हैं. इस खाते में जमा रकम मौजूदा समय में 9.2 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. ब्याज की दर एफडी या फिक्सड डिपॉजिट से अधिक है जिसके चलते आपको अच्छा टैक्स बेनेफिट मिल सकता है. सुकन्या समृद्धि अकाउंट आप बैंक या पोस्‍ट ऑफिस में 1000 रुपए जमा करके खोल सकते हैं.

NPS में इन्वेस्ट करने से मिलेगा अतिरिक्त फायदा

NPS में इन्‍वेस्‍ट करने से न सिर्फ आपका फ्यूचर सिक्‍योर होगा, बल्कि इससे आपको टैक्‍स में 50 हजार रुपए का एक्‍सट्रा फायदा होगा. यह बेनिफिट 80 C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपए की छूट के बाद होगा. मतलब इसमें इन्‍वेस्‍ट करने से आपको 2 लाख रुपए का टैक्‍स बेनिफिट मिल सकता है.

E-Wallet का करें इस्तेमाल

ई-वॉलेट का इस साल आप ज्यादा से ज्यादा पेमेंट करने के लिए यूज करें. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके जरिए पेमेंट करने पर आपको काफी अच्छे ऑफर और कैशबैक डिस्काउंट मिलता है. कई ई-वॉलेट कंपनियां जैसे कि पेटीएम, पे यू और मोबीक्विक बढ़िया कैशबैक देती हैं, जिसके चलते आप काफी सेविंग कर सकते हैं. इन कंपनियों का सिक्योरिटी लेवल वैसा ही है जैसा कि बैंकों का होता है.

शाहरूख ले डूबे इनका कॅरियर

शाहरूख खान की फिल्म ‘रईस’ जुलाई से पोस्टपोंड होकर जनवरी 2017 तक पहुंच चुकी है. बहरहाल, जहां शाहरूख खान और प्रोडक्शन टीम फिल्म की क्लैश और रिलीज डेट को लेकर परेशान हैं. वहीं, फिल्म की एक्ट्रेस माहिरा खान भी फिल्म के पोस्टपोंड होने को लेकर काफी खफा हैं.

सूत्रों की मानें तो माहिरा खान के लिए यह किसी ख्वाब से कम नहीं था कि उनकी बॉलीवुड डेब्यू शाहरूख खान के साथ हो रही थी. लेकिन रईस का पोस्टपोंड होना उन्हें कहीं ना कहीं खल गया.

दरअसल, माहिरा खान के पास बॉलीवुड के कई प्रपोजल आ रहे हैं. लेकिन रईस के निर्माताओं के साथ कॉन्ट्रैक्ट होने की वजह से माहिरा किसी और फिल्म को फिलहाल साइन नहीं कर सकती हैं. लिहाजा, जब तक रईस रिलीज नहीं हो जाती, माहिरा किसी और फिल्म में नहीं दिख सकतीं.

इस वजह से माहिरा का कॅरियर अटक सा गया है. कोई शक नहीं कि माहिरा खान के लिए यह काफी अजीब सी स्थिति बन गई है. लेकिन साथ ही उम्मीद है कि रईस रिलीज होने के साथ ही उनका कॅरियर काफी धमाकेदार तरीके से आगे बढ़ेगा.

पहली बार एक भारतीय बना मिस्टर वर्ल्ड

रोहित खंडेलवाल ने मिस्टर वर्ल्ड 2016 टाइटल जीत लिया है. 20 साल से हो रहे इस कॉन्टेस्ट में पहली बार कोई भारतीय और एशियाई विनर बना है. मिस्टर वर्ल्ड कॉन्टेस्ट को यूके के साउथ पोर्ट के फ्लोरल हॉल में ऑर्गनाइज किया गया था.

27 साल के रोहित ने दुनियाभर से आए 47 पार्टिसिपेंट्स को पीछे छोड़ते हुए यह खिताब जीता. उन्हें 50 हजार डॉलर (करीब 33 लाख 60 हजार रुपए) की प्राइज मनी मिलेगी. रोहित को खास तैयारी कराने के लिए 20 लोगों की टीम ने मदद की थी.

डिजाइनर निवेदिता साबू की ड्रेस पहनी थी…

रोहित के लिए फैशन डिजाइनर निवेदिता साबू ने ड्रेस डिजाइन की थी. रोहित को पेजेंट में मिस्टर वर्ल्ड मल्टीमीडिया अवॉर्ड्स, मिस्टर वर्ल्ड टैलेंट, मॉबस्टार पीपुल च्वॉइस अवॉर्ड, मिस्टर वर्ल्ड स्पोर्ट्स इवेंट जैसे कई अवार्ड्स मिले.

रोहित के अलावा मिस्टर स्कॉटलैंड ने एक्सट्रीम चैलेंज, मिस्टर इंग्लैंड ने स्पोर्ट्स चैलेंज, मिस्टर चाइना ने स्टाइल एंड फैशन और मिस्टर पोलैंड ने टैलेंट चैलेंज अवॉर्ड जीता.

पेजेंट में मि. प्यूर्तोरिको फर्स्ट रनरअप और मि. मैक्सिको सेकंड रनरअप रहे.

क्या बोले रोहित?

रोहित ने कहा, “यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने मिस्टर वर्ल्ड टाइटल जीत लिया है और ऐसा करने वाला पहला भारतीय बन गया हूं. ये मेरे लिए काफी गर्व की बात है. मेरा सपना सच हुआ. इसके लिए मैं मिस इंडिया ऑर्गनाइजेशन का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे मौका और गाइडेंस दिया. मुझे फैमिली, फ्रेंड्स और फैन्स का काफी सपोर्ट मिला. इसी के चलते मैं ये मुकाम हासिल कर सका.”

इससे पहले बने थे प्रोवोग पर्सनल केयर मिस्टर इंडिया 2015

इससे पहले रोहित प्रोवोग पर्सनल केयर मिस्टर इंडिया 2015 का खिताब जीत चुके हैं. रोहित को इंटरनेशनल पेजेंट के लिए तैयार करने में फैशन और ग्लैमर इंडस्ट्री के कई लोगों को कॉन्ट्रिब्यूशन रहा है. इनमें रॉकी एस, सबीरा मर्चेंट, सुप्रीत बेदी, जमुना पई, डॉ. संदेश मायेकर, अमित खन्ना, स्वरूप मेदारा और रुखसाना आइसा के नाम प्रमुख हैं.

पेजेंट में कई फिजिकल चैलेंजेस भी होते हैं. इसके लिए रोहित को परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए स्पेशल फुटबॉल और कई तरह की ट्रेनिंग दी गई. कुल 20 लोगों की टीम रोहित के साथ तैयारियों में जुटी रही.

करीना के साथ एक ऐड में नजर आ चुके हैं.

19 अगस्त 1989 को हैदराबाद में जन्मे रोहित स्पाइस जेट के ग्राउंड स्टाफ में शामिल रहे हैं. वे करीना कपूर के साथ एक ज्वैलरी एडवर्टाइजमेंट में नजर आ चुके हैं.

उन्हें ‘ये है आशिकी’ सीरियल में भी रोल मिला था. इसके बाद वे ‘मिलियन डॉलर गर्ल’, ‘क्रिस’, ‘एमटीवी बिग एफ’ और ‘प्यार तूने क्या किया’ जैसे सीरियल्स में नजर आए.

2015 में वे मिस्टर इंडिया चुने गए. रोहित के मुताबिक, ‘जब मैं मुंबई आया था तो किसी को नहीं जानता था. मैंने कुछ ऑडिशन दिए और सीरियल ‘ये है आशिकी’ में डेब्यू करने का मौका मिला. 2015 में जब प्रोवोग पर्सनल केयर मिस्टर इंडिया खिताब जीता तो मेरी जिंदगी बदल गई. इसके बाद मुझे बॉलीवुड से भी ऑफर मिले.’

रोहित ये भी कहते हैं, ‘कम्युनिकेशन स्किल्स से मैंने खुद को काफी निखारा. जब मुंबई आया था तो अच्छी हिंदी नहीं आती थी. इसके लिए दोस्तों-टीचर्स-बुक्स की मदद ली. अगर आप कहीं बड़ी जगह जाना चाहते हैं तो किस शब्द को कैसे यूज करना है, इसका अहम रोल होता है.’

रोहित, शाहरुख खान और हॉलीवुड स्टार विल स्मिथ को अपना आईकॉन मानते हैं. इसकी वजह वे उनका सेल्फ-मेड होना बताते हैं.

‘कबाली’ के लिए चेन्नई-बंगलुरु में छुट्टी

रजनीकांत की ‘कबाली’ का क्रेज साउथ इंडिया में काफी बढ़ गया है. खासकर टिकटों की भारी डिमांड है. चेन्नई और बंगलुरु में कुछ कंपनियों ने फिल्म की रिलीज डेट यानी 22 जुलाई को हॉलीडे का एलान कर दिया है.

एम्प्लॉई मास लीव या सिक लीव पर जाने वाले थे. इसके चलते कंपनियों ने पहले ही छुट्टी का एलान कर दिया.

एडवांस बुकिंग में ही बिक गए अधिकतर शो के टिकट

इसमें रजनीकांत ने एक गैंगस्टर का रोल प्ले किया है. पीए रंजीत के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में राधिका आप्टे भी हैं. 65 साल के रजनीकांत की फिल्म की एडवांस बुकिंग शुरू होते ही ज्यादातर शो के सारे टिकट बिक गए.

कुछ थिएटर्स में तो एक टिकट 500-600 रुपए में बिक रहा है. उर्वशी डिजिटल 4K सिनेमा बंगलुरु में ऑनलाइन टिकट बेच रही है.

अमेरिका के 500 सिनेमाघरों में भी फिल्म के तमिल और तेलुगु वर्जन को रिलीज किया जा रहा है. वहां पिछले तीन हफ्तों से बुकिंग हो रही है. मूवी के प्रोडयूसर कलाईपुली थानु के मुताबिक, ‘कबाली’ के लिए 500 स्क्रीन केवल यूएस में होंगी.

मजबूरी में कंपनियां दे रही हैं छुट्टी

कई कंपनियां मजबूरी में कबाली के रिलीज के दिन छुट्टी दे रही हैं. बेंगुलुरु की Opus Waterproofing और चेन्नई की Fyndus India Pvt Ltd ने बकायदा नोटिस जारी कर अपने एम्पलॉईज को 22 जुलाई को लीव दी है.

इसी में से एक कंपनी के मनोज पुष्पराज ने कहा, ”कंपनी में इंटर्नल सर्कुलेशन रविवार को भेजा गया था. उस दिन मास लीव हो जाए, एम्पॉलाईज मोबाइल का स्वीच ऑफ कर बैठ जाएं उससे अच्छा हॉलीडे देने का आइडिया आया. इससे उन्हें मोटिवेशन भी मिलेगा. दीवाली की तरह हम इसे कबाली बोनस के तौर पर ट्रीट कर रहे हैं. ”

टिकट न मिलने से फैन्स निराश

तमिलनाडु में अधिकतर मल्टीप्लेक्स में एडवांस बुकिंग शुरू हो गई है. चेन्नई के थिएटरों में भी एडवांस बुकिंग शुरू हो चुकी है. उनके सभी टिकट बिक गए हैं. फैन्स टिकट न मिलने से निराश हैं.

शहर के आईटी प्रोफेशनल राहुल जयसूर्या ने कहा कि वह एक से दूसरी वेबसाइट पर टिकट खोजते रहे हैं, लेकिन फ्राइडे के लिए कहीं भी टिकट नहीं मिला. घंटों बाद वुडलैंड्स में मॉर्निंग का शो मिल सका है.

फिल्म ने रिलीज से पहले ही कमाए 200 करोड़ से ज्यादा

रजनीकांत की अपकमिंग मूवी ‘कबाली’ ने रिलीज से पहले ही सैटेलाइट और डिस्ट्रिब्यूशन राइट्स बेचकर 200 करोड़ रुपए कमा लिए हैं. जबकि मूवी 160 करोड़ के बजट में बनी है.

ऐसा पहली बार होगा, जब कोई इंडियन मूवी दुनियाभर में 5000 स्क्रीन पर दिखाई जाएगी. यह मूवी मलेशिया, चाइनीज और थाई लैंग्वेज में डब की गई है.

‘मुन्ना भाई’ को किसने दिया धोखा

जब से संजय दत्त जेल से रिहा हुए हैं, तब से वो बॉलीवुड में कम बैक करने की तैयारियों में जुटे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक उनकी कम बैक फिल्म ‘बैंग बैंग’ डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद की ‘बदला’ को माना जा रहा था. मगर इस पर अब तक काम शुरू नहीं हुआ है.

वहीं हाल ही में यह तक कहा जाने लगा कि संजय की कम बैक फिल्म डिब्बा बंद हो सकती है. ऐसे में संजय का क्या हाल हुआ होगा, ये आप बखूबी समझ सकते हैं. मगर अब जो बातें सामने आई हैं, उससे यह पता चल गया है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है.

मामला ये है कि सिद्धार्थ आनंद, संजय दत्त की बजाय रितिक रोशन को भाव दे रहे हैं और संजय की फिल्म ‘बदला’ को छोड़कर रितिक के साथ अपनी अगली फिल्म की तैयारियों में जुट गए हैं, जिसका टाइटल है ‘फाइटर’.

इससे पहले सिद्धार्थ आनंद ने रितिक के साथ ही ‘बैंग बैंग’ बनाई थी और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई करने में कामयाब रही थी.

अब जब से संजय को यह पता चला है कि सिद्धार्थ आनंद उनकी फिल्म छोड़ रितिक के साथ काम करने जा रहे हैं, तब से वो ठगा महसूस कर रहे हैं. उन्हें ऐसा लग रहा है जैसे उनके साथ धोखा हुआ है. ऐसा होना लाजिमी भी है, क्योंकि संजय ने इस फिल्म के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी थीं.

रितिक के साथ सिद्धार्थ आनंद की ‘फाइटर’ जबरदस्त एक्शन-थ्रिलर फिल्म होगी. एक सूत्र का कहना है कि रितिक नवंबर से ‘फाइटर’ की शूटिंग शुरू कर देंगे. सच तो ये है कि सिद्धार्थ ने रितिक के लिए संजय को धोखा दिया है.

उन्होंने प्रोड्यूसर्स को पहले कहा कि वो फिल्म में आलिया भट्ट को लेना चाहते हैं और फिर कहा कि वो कृति सेनन को साइन करेंगे. अब ऐसा लग रहा है कि यह फिल्म को लटकाने की यह उनकी एक चाल है. सूत्र के मुताबिक, इन सबके बीच ही सिद्धार्थ ने चुपके से रितिक को ‘फाइटर’ की कहानी सुनाई और उन्होंने हां कह दी.

इधर, संजय को कानों-कानों इसकी भनक नहीं लगी और इस बात का जरा भी एहसास नहीं हुआ कि उन्हें धोखा देने की साजिश चल रही है. खैर, अब संजय, विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म से वापसी करेंगे, जिसका टाइटल है ‘मार्को भाउ’.

यह पिता-बेटी के रिश्ते पर आधारित फिल्म होगी और कृति सेनन इसमें संजय की बेटी बनेंगी. तो संजय के फैंस को ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है. उनकी वापसी होगी, भले देर से ही सही.

दुखवा कासे कहूं

बेशकफेसबुक पर अपनी खराब से खराब डैस्कटौप पिक डाल लेना या फिर अपना स्टेटस कौंप्लिकेटेड अथवा 4-5 बौयफ्रैंड्स वाला डालने से भी परहेज मत करना, पर एक कौमेडियन से शादी भूल कर भी न करना.

मैं उस दिन को कोस रही हूं जब मैं एक शादी समारोह में ऐसे ही दुनिया के विरले अजूबे को दिल दे बैठी थी. मेरी अक्ल घास चरने चली गई थी कि मुझे भी वही दिखाई दे रहा था, जो सब देख रहे थे. एक के बाद एक चुटकुले जो उफान खाई नदियों, नालों, झरनों की तरह कलकल करते हुए उन के भोलेभाले मुख से प्रवाहित हुए जा रहे थे. उन्होंने मेरे दिल पर समंदर बना दिया. मैं अपनी इसी कारस्तानी का खमियाजा आज तक भुगत रही हूं.

मांबाप ने बहुत समझाया, ‘‘बेटा, ऐसे लड़के घरगृहस्थी संभालने लायक नहीं होते. बस शोरूम में सजे महंगे सामान की तरह होते हैं. उन्हें चाहे सेल पर भी बेचा जाए, तब भी वहीं अच्छे लगते हैं. हम मिडिल क्लास वाले इन्हें अफोर्ड नहीं कर सकते. यह तुझे तानोंउलाहनों से नहीं, अपितु चुटकुलों से हंसाहंसा कर मार डालेगा.’’

दुनिया देखी थी उन्होंने. मैं बावली, नादान यह सोच कर मरी जा रही थी कि शायद दुनिया का यह आखिरी आदमी है, जो मेरे लिए बचा है. मैं ने मांबाप की एक न सुनी और आज पछता रही हूं.

कितना मनहूस दिन था वह जब मेरी सगाई हुई थी. सारे रिश्तेदार, चुटकुलों और इन की हाजिरजवाबी पर हंसहंस कर लोटपोट हो रहे थे और मैं भी फूल कर गोलगप्पा हुई जा रही थी.

‘‘तुम खुशकिस्मत हो, जो तुम्हें ऐसा पति मिला,’’ सब बधाई के साथ यह कह रहे थे, तो मैं अपनी किस्मत पर खूब इतरा रही थी.

मगर शादी होते ही मेरे गोलगप्पे की हवा फुस्स हो गई और पापड़ी बन कर रह गई.

बोलने की इतनी आदत है कि बस सुहागरात पर भी चुटकुलों की माला ही गले में पहनाते रहे. मेरा तो हंसतेहंसते पेट और मुंह दुखने लगे, पर जनाब चुप नहीं हुए.

यहां तक बात रहती तो ठीक था पर जनाब को तो कोई टौपिक मिलना चाहिए. बस फिर क्या था. मेरे गहनों, मेकअप, उपहारों और रिश्तेदारों का ऐसा मजाक बनाया कि आज तक मैं ने उन का रुख नहीं किया.

मेरी जिस जगतविजयी मुसकान पर पूरा जहान फिदा था, उस पर कटाक्ष किया, ‘‘तुम हंसती हो तो ऐसा लगता है जैसे पौपकौर्न की मशीन औन कर दी, मक्की के दानों की तरह कहीं तुम्हारे दांत उछलउछल कर बाहर न आ गिरें.’’

सच कहूं वह दिन और आज का दिन मैं ने हंसना ही छोड़ दिया और अपना मुंह भुट्टे की तरह बंद कर लिया.

अपने गोरे रंग पर, जिस पर मुझे नाज था, उस का तो ऐसा तियापांचा किया कि सोचती हूं कि गोरा रंग किसी को न मिले.

कहते हैं, ‘‘यह ट्यूबलाइट बनी क्यों घूम रही हो? फेयर ऐंड लवली से रिचार्ज करवा कर आई हो क्या?’’

मेरे बालों से ले कर पैरों तक की ऐसी बखिया उधेड़ी कि बाल रूठ कर दोमुंहे हो गए हैं और पैर फट कर चौड़े. सारा दिन जाने क्या उलटासीधा बोलते रहते हैं.

एक दिन मैं ने खीज कर कहा कि कोई काम क्यों नहीं करते, तो जनाब हाथ नचाते हुए बोले कि वही तो कर रहा हूं. बोलना ही तो मेरा काम है.

त्योहार आने वाले थे. अत: सोचा एक जोड़ी सुंदर चांद वाले इयररिंग्स ले आऊं. जनाब उन्हें देखते ही कहते हैं कि क्यों पीछे पड़ी हो कि बच्चों के लिए झूला डाल दो. इन में ही बच्चों को बैठा कर झुला लिया करो न.

सारा का सारा उत्साह खत्म कर दिया एक झटके में. मांबाप से भी शिकायत नहीं कर सकती. उन्होंने तो पहले ही मना किया था.

जो मैं ऐसा जानती, शादी किए अनगिनत दुख होए, नगर ढिंढोरा पीटती, कौमेडियन से शादी न करियो कोई.                                    

मैट्रो का सफर होगा सुहाना, ऐटीकेट्स कभी न भुलाना

दिनः रोज की ही तरह.

सफरः नई दिल्ली के निर्माण विहार मैट्रो स्टेशन से झंडेवालान मैट्रो स्टेशन तक.

मैट्रो स्टेटसः खचाखच यात्रियों से भरी हुई.

निर्माण विहार के बाद अगला मैट्रो स्टेशन लक्ष्मी नगर आते ही मैट्रो पर सवार सभी यात्री (अधिकांश जो ट्रेन के दरवाजे के नजदीक खड़े हैं.) दहशत में पीछे की ओर भागने की कोशिश करते हैं. कोई किनारा ढूंढ़ता है, तो कोई सहारा. सभी के चेहरों पर बाहर खड़ी भीड़ के धक्केमुक्के का खौफ बखूबी देखा जा सकता है.

गेट खुलता है और बाहर का हुजूम कुछ इस कदर मैट्रो के अंदर घुसता है कि मानो भूचाल आ गया हो. बच्चे, बूढ़े और महिलाओं की चीखें एकाएक कोच में गूंजने लगती हैं. कुछ मजनू टाइप दिलफेंक लड़के भीड़ की आड़ में ही अपनी बेहुदा करतूतों को अंजाम देने में लग जाते हैं. इसी बीच एक महिला की चीख से सभी का ध्यान उस की ओर हो जाता है.

महिलाः गंवार कहीं की दिखता नहीं है, किसी के कपड़े फट रहे हैं?

महिला के इतना कहते ही पुरुषों की आंखे 2 इंच बाहर निकल आती हैं और कुछ के तो कैमरे भी औन हो जाते हैं. भई, कपड़े फट गए और वो एक महिला के, तो सैल्फी तो बनती ही है…

महिला (रोआंसे स्वर में): अब औफिस कैसे जाउंगी?

दूसरी महिला: चिल्लाने से क्या होगा? क्यों घुस रही थी भीड़ में. तितली बन कर आने को किसने कहा था. अपने कपड़े संभाल लेती, तो न फटते.

महिला (गुस्से से आगबबूला हो कर):  तू नहीं घुसी न भीड़ में, तेरे लिए रैड कारपेट बिछाया गया था.

दोनों महिलाओं के बीच वाकयुद्घ यों ही चलता रहा. अगला स्टेशन आया और फिर अगला. मैं झंडेवालान मैट्रो स्टेशन पर उतर गई. मगर पूरे रास्ते यह सवाल मेरे मन में कौंधता रहा कि यदि मेरे कपड़े फट जाते तो क्या होता? औफिस देर से पहुंचती तो बौस की फटकार सुनती और लीव लेती तो सैलरी कट जाती. लेकिन सबक तो मुझे भी मिल ही चुका था. उसी वक्त ठान ली मन में कि समय से 15 मिनट पहले मैट्रो स्टेशन पहुंच जाउंगी लेकिन भागमभाग में कपड़े फड़वाने का जोखिम…न न कभी नहीं.

आपबीती सुनाने वाली अनुप्रिया बैंक में काम करती हैं. पिछले 4 साल से मैट्रो में सफर कर रही हैं. इन 4 वर्षों में अनुप्रिया को मैट्रो में ऐसे कई अनुभव हुए हैं, जिन से मैट्रो की खूबियों और खामियों से वे अच्छी तरह वाकिफ हो गई हैं. भले ही अब अनुप्रिया को पीक टाइम में भीड़ से जूझते हुए मैट्रो के अंदर घुसने के पैतरे भी आ गए हैं, लेकिन अब इन पैतरों को इस्तेमाल करने से पहले अनुप्रिया 2 बार सोचेंगी जरूर.

वैसे अनुप्रिया जैसे न जाने कितनी महिलाएं हैं, जो मैट्रो में सफर के शुरुआती दिनों में भले ही भीड़ के आगे घुटने टेक देते होंगे लेकिन अब धक्कामुक्की कर के मैट्रो में अपनी जगह बनाने में वे ऐक्सपर्ट बन चुके हैं. लेकिन इस के फायदे सीमित और नुकसान अधिक हैं. एक उदाहरण के द्वारा समझने का प्रयास किया जाए, तो जिस तरह स्वास्थ्यवर्धक भोजन कर भूख को शांत करने औैर कुछ भी चटरपटर खा कर पेट भर लेने और फिर बीमार पड़ जाने में अंतर है वही अंतर मैट्रो में सलीके से सफर करने और बेतरतीब सफर करने में है. सफर तो दोनों ही सूरत में पूरा हो जाएगा लेकिन सलीके से करने पर सफर आसान हो सकता है औैर मुश्किलों व जोखिम की संभावनाएं भी कम हो सकती हैं. तो आइए, जानते हैं मैट्रो ऐटिकेट्स कोः

सीट के लिए कुछ भी करेगा

मैट्रो ट्रेन में अधिकतर लड़ाइयां और हादसों का कारण सीट हासिल करने के इर्दगिर्द ही रहता है. यत्रियों के लिए मैट्रो में सफर के दौरान सीट मिल जाना बिलकुल वैसा ही जैसे किसी नेता के लिए सत्ता की कुर्सी हासिल कर लेना. फिर भले ही 2 लोगों के बीच जगह बना कर और आधी तशरीफ सीट पर रख कर ही पूरा सफर क्यों न तय करना पड़े, सीट मिलने का सुकून उन्हें जरूर मिल जाता है. कई बार तो अगलबगल वाले नाकमुंह सिकोड़ कर सिर्फ दिखाने के लिए इंच भर ही सरक जाते हैं. यहां गलती दोनों तरफ से होती है. जब जगह 2 लोगों के बैठने की ही है तो तीसरे व्यक्ति के लिए  जगह बनाने का औचित्य ही क्या है? सीट न मिलने कि दशा में खड़े हुए व्यक्ति को इस बात की तसल्ली रखनी चाहिए कि कम से कम उसे ठीक से खड़े होने की जगह तो मिल ही रही है.

इसी तरह खाली सीट को लपकने के लिए अकसर लोग जल्दबाजी में भूल जाते हैं कि उन्हें इस के गलत परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं. सीए अंशुल गर्ग बताती हैं, “महिलाओं को सीट की बहुत चुल रहती है. खासतौर पर यदि वे महिला कोच में न चढ़ कर आम कोच में चढ़़ी हों, तो सीट मिलने की उन की उम्मीद और भी बढ़ जाती है. इस कोच में पुरुष भी होते हैं. कई महिलाएं टच मी नौट के तेवर लिए कोच में घुसती हैं. अब भीड़ में तो यह मुमकिन नहीं है कि लोग आपस में एकदूसरे से न टकराएं. लेकिन टच मी नौट एटीट्यूड वाली महिलाओं को यह हरगिज मंजूर नहीं कि कोई उन से गलती से भी टच हो जाए ,ऐसी महिलाएं कोच में घुसते ही सीट की तलाश में जुट जाती हैं. चूंकी साधारण कोच में भी महिलओं के लिए 4 सीटें रिजर्व होती हैं. पुरुष तो गलती से भी इन सीटों की तरफ नजर उठा कर नहीं देख सकते. फिर किसी बहादुर ने यह हिमाकत दिखा भी दी हो , तो इस की कीमत उसे चुकानी ही पड़ती है.

भले ही कम उम्र की लड़कियां एक बार ओनली फौर लेडीज वाली सीट पर पुरुष को बैठा देख कुछ न कहें, मगर आंटी टाइप महिलाओं को 2 सैकंड भी नहीं लगते सीट खाली करवाने में. कुछ महिलाओं को तो ऐसे पैतरें पता होते हैं , जो उन्हें झटपट सीट दिलवाने में  मददगार साबित होते हैं. इन्हीं पैतरों में से एक है बीमार होने का नाटक करना या फिर किसी भी बैठे हुए पुरुष की सीट के सामने खड़े हो कर बेचारों जैसी शक्ल बना लेना. कई पुरुष महिलाओं के इन झासों में आ जाते हैं. लेकिन जब कोई पैतरा काम नहीं आता तब यही महिलाएं सीट न मिलने की खिसियाहट में चीखनेचिल्लाने लगती हैं. ऐसी ही महिलाओं को पुरुष भी यह कहने से नहीं चूकते कि इतनी ही दिक्कत है तो महिला कोच में जाओ. भलाई इसी में है कि इस बात की उम्मीद छोड़ दें की मैट्रो में बैठने को सीट मिलेगी और यदि मिल जाए तो उसे किसी के लिए गंवाने की जरूरत नहीं है.”

वैसे सीट प्रेमी सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी होते हैं एक वाकेआ का जिक्र करते हुए पीआर प्रोफैशनल नितिश पांडे कहते हैं, “ मैं मैट्रो ट्रेन की उस सीट पर बैठा हुआ था जो बुजुर्गों के लिए रिर्जव होती है. तब तक वहां कोई बुजुर्ग नहीं आया था. बगल में एक कम उम्र की लड़की बैठी थी. अगले स्टेशन पर एक अधेड़ उम्र का आदमी चढ़ा और हमारी ओर सीट हासिल करने की नियत से आगे बढ़ा. मेरी नजरें उस से टकराईं तो मैं ने मुंह बिचका लिया. वह भी समझ गया कि यह बंदा तो सीट नहीं देगा. फिर उसने लड़की को निशाना बनाने की कोशिश की. लड़की होशियार थी, तुरंत बोली क्यों दूं सीट? मुझे भी तो खड़ा होना पड़ेगा. वह आदमी ने खिसियानी हंसी हंसते हुए बोला कि मेरे सफेद बाल देख कर तुम्हें पहले ही उठ जाना चाहिए था. लड़की ने भी अपने बालों की ओर इशारा करते हुए कहा अंकल मेरे भी कुछ बाल सफेद हैं इसलिए मुझे भी सीट की जरूरत है. कोच में मौजूद सभी लोग जोरजोर से हंसने लगे. बेचारे अंकल, जो ऐक्चुली अंकल नहीं थे धीरे-धीरे वहां से खिसक लिए.”

सीट पाना ही मुद्दा नहीं

मैट्रो में सीट हासिल करने से पहले मैट्रो में घुसने की जंग लड़नी पड़ती है और यह जंग मैट्रो स्टेशन की सीढि़यां चढ़ते ही शुरू हो जाती है. एक लंबी यात्रियों की कतार के साथ जब स्वागत होता है, तो किसी को भी झुंझुलाहट हो सकती है. ऐसे में कई बार कतार को नजरअंदाज करते हुए लोग चैकिंग प्वाइंट पर पहुंच जाते हैं लेकिन पिछले आधा घंटा से कतार में खड़़े यात्रियों द्वारा जिन शब्दों से ऐेसे लोगों को संबोधित किया जाता है उन की व्याख्या यहां नहीं की जा सकती है. कई बार तो ऐसे लोगों की शक्ल पहचान ली जाती है और फिर अन्य यात्री उनके  साथ वही सलूक करते हैं जिस के वे हकदार होते हैं. पुरुष यात्रियों के बीच तो अंदर का मामला मैट्रो स्टेशन के बाहर सुलटाने की डील भी हो जाती है वहीं महिलाओं में औन दी स्पौट गुत्थमगुत्था जैसे सीन देखने को मिलते हैं. इन सब पचड़ों में समय की बरबादी के अलावा और कुछ नहीं होता. साथ ही शारीरिक ऊर्जा भी व्यर्थ जाती है. लंबी कतार से बचने के लिए जरूरी है कि समय की पहचान कर ली जाए कि कब भीड़ कम होती है. उसी हिसाब से मैट्रो स्टेशन जाया जाए.

हेयरस्टाइल और ड्रैस का चुनाव

महिलाएं इसे अन्यथा न लें, लेकिन मैट्रो में सफर के लिए अपने कपड़ों और हेयरस्टाइल का चुनाव बड़ी सावधानी से करें. कहीं ऐसा न हो कि आप के लंबे, घने बाल मैट्रो में आप के लिए ही फांसी का फंदा बन जाएं या फिर आपका 2 मीटर का दुपट्टा भीड़ में फट कर रूमाल भर रह जाए तो?

ऐसा अकसर देखने को मिलता है जब बाल खिचने या दुपट्टा फटने की वजह से महिलाओं को दर्द और असुविधा से जूझना पड़ता है, लेकिन इन सब से बचा जा सकता है. यदि मैट्रो में बालों को अच्छे से पिनअप और टाइअप करके चढ़े. अपनी मंजिल पर पहुंच कर भले ही आप हेयरस्टाइल अपने मनमुताबिक कर लें लेकिन मैट्रो में बालों को अच्छी तरह से बांध लें.

इसी तरह मैट्रो में जो भी आउटफिट पहन कर चढ़ रही हैं उसे इस तरह कैरी करें कि उस के फटने की संभावनाएं न हों. कई बार साड़ी और और सलवार कमीज पहनने वाली महिलाओं के साथ हादसा हो जाता है. भीड़ में दुपट्टा खिंचने चोट आ जाती है इसलिए हमेशा मैट्रो में चढ़ने से पहले दुपट्टे को इस तरह मैनेज करें कि उस के खिंचने का डर न हो. वहीं साड़ी पहनने वाली महिलाएं भी अपने पल्लू का विशेष ध्यान रखें और मैट्रो में पल्लू को हाथ में ही फोल्ड कर लें.

तांकाझांकी कम करें

मैट्रो से सफर करने वालों में एक बड़ी खराब आदत होती है. यदि उन के बगल में बैठा या खड़ा कोई शक्स अखबार पढ़ रहा हो या अपने मोबाइल पर कुछ काम कर रहा हो तो नजरें वहीं गड़ जाती हैं. भले आदमी से जान पहचान हो या न हो आंखें टकटकी लगा कर उस के अखबार और मोबाइल को निहारती रहती है. यदि पढ़ने का इतना ही शौक है तो अपने लिए खुद अखबार लाएं या फिर अपने मोबाइल को निहारें. सोचिए, यदि वह व्यक्ति आप को ऐसा करते पकड़ ले और चार बातें सुना दे, तो भरी भीड़ में बेइज्जती हो जाएगी.

मैट्रों में इस से भी अव्वल दर्जे के लोग चढ़ते हैं. यह जानते हुए कि किसी को उस की मरजी के खिलाफ घूरना अपराध है, तब भी ऐसे लोगों की आंखें उन के बस में नहीं होतीं. इस का खमियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ता है. वैसे ऐसे लोगों में पुरुषों की संख्या ज्यादा होती है. ऐसे पुरुष ज्यादातर महिलाओं को ही घूर रहे होते हैं. मगर इन्हें सबक सिखाने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. बस एक बार उन का लाउडस्पीकर खुलने की देरी होती है. फिर तो नोनस्टाप रिमिक्स की तरह वे बजती ही जाती हैं. इसलिए पुरुष हों या महिला, आंखों पर नियंत्रण रखना जरूर सीख लें.

आंखों के साथ मैट्रो के सफर के दौरान लोगों को अपने हाथों पर भी कंट्रोल रखना चाहिए. नहीं तो बेवजह बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं जैसे पिछले दिनों दिल्ली मैट्रो में अफ्रीकी मूल की महिला अयाम की बिना पूछे तसवीर खींचने पर एक  भारतीय महिला पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा.  मसला यह था कि अयाम महिला कोच में सफर कर रही थी तब ही कुछ माहिलाएं उस के लुक्स और औउटफिट पर हंसने लगी. बहुत देर से उन महिलाओं द्वारा खुद को नोटिस किए जाने पर और मोबाइल पर तस्वीर लेने पर अयाम उन महिलाओं पर भड़क उठी. अफ्रीकी मुल्क की इस महिला ने फोटो क्लिक करने वाली महिला के हाथ से मोबाइल छीन लिया और तब तक नहीं लौटाया जब तक उस महिला ने फोटो डिलीट नहीं कर दी.

लोग इस बात को बहुत ही हल्के में लेते हैं मगर किसी की तसवीर उसकी इजाजत के बिना लेना एक अपराध है. मैट्रो के सफर में लोग यह गलत हरकत कई बार कर बैठते हैं और पकड़े जाने पर मुकर जाते हैं लेकिन सबूत के आधर पर ऐसे लोगों को कड़ी सजा भी हो सकती है.

छोटी छोटी पर अहम बातें

1. भले ही मैट्रो में बेतहाशा भीड़ क्यों न हो यदि खड़े होने पर हैंडल स्ट्रैप पकड़ने को न मिले तो जबरदस्ती किसी और के द्वारा पकड़े हैंडल स्ट्रैप को न पकड़ें .

2. मैट्रो अनाउंसर चीखचीख कर हर 5 मिनट बाद यही कहती है कि कृपया मैट्रो में म्यूजिक न बजाएं. इस से साथी यात्री को असुविधा हो सकती है. फिर भी मैट्रो के अंदर लोग अनाउंसमैंट को अनसुना कर न सिर्फ संगीत सुनते हैं, कुछ लोग तो फिल्म भी देखते हैं. हालाकि कान में इयरफोन लगा कर सुनने से भले ही साथी यात्रियों को आवाज नहीं सुनाई दे रही होती है लेकिन साथी यात्रियों की आवाज कान में इयरफोन लगाए हुए व्यक्ति को भी तो नहीं सुनाई देती है. ऐसे में सहयात्री को किसी भी तरह की असुविधा होने पर वह अपनी बात इयरफोन लगाए हुए व्यक्ति को कैसे बताएगा.

3. सीट मिलने की खुशी में अकसर लोगों को नींद आ जाती है. उन्हें लगता है कि अब तो सफर उन की नींद टूटने पर ही खत्म होगा. कई बार ऐसे लोगों की मंजिल पीछे छूट जाती है और वह आगे निकल आते हैं. लेकिन इसके अतिरिक्त नींद में बगल में बैठे व्यक्ति के कंधे को ताकिया बना कर जो असुविधा का माहौल उस के लिए बनाया जाता उससे खुशियों के छिनने के भी आसार बन सकते हैं. इसलिए मैट्रो को बैडरूम समझने की भूल न करें.

4. हमे स्कूल में सिखाया जाता है कि पब्लिक प्लेस पर या लोगों के बीच में बिना मुंह पर हाथ रखे छीकना, डकार लेना या जम्हाई लेना बैड हैबिट होती है लेकिन मैट्रो में हर तरह का व्यक्ति सफर करता है. कुछ पढ़ेलिखे होते हैं, कुछ नहीं होते और कुछ पढ़ेलिखे गंवार होते हैं. वैसे पढ़ेलिखे गंवार व्यक्ति ज्यादा खतरनाक होते हैं. उन में यह सारी बैड हैबिट्स होती हैं. लेकिन मैट्रो कोई पाठशाला नहीं और आप अध्यापक नहीं है. इस लिए बेहतरी इसी में है कि अपने ही मुंह पर रूमाल रख लें. इससे हर तरह के संक्रमण से आप का बचाव भी हो जाएगा.

मैट्रो में सफर करने वाले हर व्यक्ति के लिए यह समझना आवश्यक है कि मैट्रो एक साधन है जो सफर को आसान बनाता है. दिल्ली एनसीआर में रहने वालों के लिए यह मैट्रो सुविधा एक लाइफलाइन की तरह काम करती है. इस सुविधा को सुविधा ही रहने दिया जाए, इस में सभी की बेहतरी है, नहीं तो 15 मिनट का सफर तय करना भी मुश्किल हो जाएगा. इसलिए जरूरी है कि जिस अनुशासन के साथ आप घर परिवार के बीच रहते हैं उतने ही अनुशासन के साथ मैट्रो में यात्री के बीच भी रहें.

नया ट्रैंड बेबी बंप फोटोशूट का

शादी, पार्टी, मौडलिंग फोटोशूट के बारे में तो आप ने काफी सुना होगा लेकिन आजकल एक नए तरह के फोटोशूट का ट्रैंड शुरू हुआ है, वह है बेबी बंप का. पहले जहां महिलाएं अपने बेबी बंप को ढक कर रखती थीं, वहीं आज वे अपनी इस खबसूरती को कैप्चर कर हमेशा के लिए अपने साथ रखना चाहती हैं, यह उन के फैशन और लाइफस्टाइल का हिस्सा बनता जा रहा है.

सिलैब्स से हुआ ट्रैंड हिट

पहले बेबी बंप केवल हौलीवुड सैलिब्रिटीज ही दिखाया करती थीं, लेकिन अब यह ट्रैंड बौलीवुड ‘सैलिब्रिटीज भी फौलो कर रही हैं. वे अपने फैंस के बीच बने रहने के लिए सोशल मीडिया पर अपने बेबी बंप्स की तसवीरें शेयर कर रही हैं. अभी हाल ही में हुए लैक्मे फैशन वीक समर 2016 में मौडल कैरोल ग्रेसियस ने साड़ी पहन कर रैंप पर वौक कर के इस ट्रैंड को और भी ज्यादा पौपुलर बना दिया है. हरे रंग की साड़ी में कैरोल बेहद ही खूबसूरत नजर आ रही थीं.

इन सैलिब्रिटीज ने करवाई बेबी बंप फोटोशूट

कोंकणा सेनः अपने औफ बीट परफौरमैंस के लिए जानी जाने वाली कोंकणा ने अपने बेबी बंप के साथ भी कुछ ऐसा ही किया, कोंकणा ने एक मैगजीन के कवर पेज के लिए बेबी बंप के साथ फोटोशूट करवाया था.

श्वेता साल्वेः श्वेता साल्वे के बेबी बंप ऐक्सपैरिमैंट को देख कर आप हैरान हो जाएंगे कि बेबी बंप के साथ इतनी क्रिएटिविटी की जा सकती है. श्वेता ने काफी अलगअलग स्टाइल में फोटोशूट करवाया है.

लारा दत्ताः अपने प्रैगनैंसी के दौरान लारा दत्ता ने कभी भी अपनी सोशल लाइफ खत्म नहीं की बल्कि वे हमेशा अपने बेबी बंप के साथ ट्रैंडी आउटफिट में छाई रहीं.

जिनेलिया डीसूजाः बौलीवुड के क्यूट कपल जिनेलिया और रितेश देशमुख ने भी अपने दूसरे बेटे के जन्म पर ब्लैक ऐंड व्हाइट फोटोशूट करवाया है.

अर्पिता खान और आयूष शर्माः ये कपल अपनी शादी के लिए चर्चा में आए थे, इस कपल ने भी मैटरनिटी फोटोशूट करवाया है. व्हाइट ड्रैस में दोनों काफी ऐलिगैंट लग रहे हैं.

बेबी बंप फोटोशूट अपने बच्चे के साथ अपने खूबसूरत एहसास को सहेज कर रखने का एक तरीका है. अगर आप भी प्लानिंग कर रही हैं मैटरनिटी फोटोशूट की, तो हिचक ना करें बल्कि अपने खूबसूरत पलों को यादों के एलबम में रखने के लिए इन टिप्स का सहारा लें.

कब कराएं फोटोशूट

आप के दिमाग में यह बात अवश्य आ रही होगी कि प्रैग्नैंसी में कब फोटोशूट करवाएं, तो हम आप को बता दें कि 6-7वें महीने के बीच का समय बेबी बंप फोटोशूट के लिए बैस्ट होता है, इस समय आप का बंप गोलमटोल और खूबसूरत लगता है.

क्या पहनें और क्या ना पहनें

आप वैसे कपड़े पहनें जो आप के बंप को उभारे, बहुत ज्यादा ढीले कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि इस से आप के बंप की खूबसूरती नजर नहीं आती.

आप बटन वाले शर्ट भी पहन सकती हैं, इसे थोड़ा सैक्सी लुक देने के लिए बंप के पास के बटन को खुला रखें, आप चाहें तो टी शर्ट भी ट्राई कर सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे टीशर्ट फिटिंग वाली ना हो.

कलर में आप लाइट कलर जैसे क्रीम, बेज, ग्रे, व्हाइट इत्यादि कलर के कपड़ों का चुनाव करें. डार्क कलर, फ्लोरल प्रिंट और चैक वाले कपड़े पहनने से बचें.

बेबी बंप फोटोशूट में हैवी ज्वैलरी ना पहनें क्योंकि अगर आप हैवी ज्वैलरी पहनती हैं तो बेबी बंप की खूबसूरती कम हो जाती है, इसलिए कोशिश करें सिंपल व नैचुरल दिखने की.

हेयरस्टाइल व मेकअप भी सिंपल हो

आप फोटोशूट करवा रही हैं इस का यह मतलब नहीं है कि आप ढेर सारा मेकअप अप्लाई करें, लेटैस्ट हेयरस्टाइल बनवाएं. कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा नैचुरल दिखने की क्योंकि आप जितना नैचुरल दिखेंगी फोटो में आप की खूबसूरती उतनी ही निखर कर आएगी. मेकअप में आप हलका सा फाउंडेशन, लाइट कलर के आई शैडो, काजल, मसकारा और नैचुरल टोन की लिपस्टिक लगा सकती हैं. बालों को कोशिश करें खुला रखने की, आप चाहें तो एक पोनी भी बना सकती हैं.

फोटोशूट के लिए कुछ टिप्स

आप अपने बंप पर अपने हाथ रख कर फोटो क्लिक करवा सकती हैं. आप कुछ प्रौप्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जैसे बेबी का पहला अल्ट्रासाउंड, बेबी शूज, ब्लून इत्यादि. पर एक ही फोटो में कई सारे प्रौप्स का इस्तेमाल ना करें.

आप सैल्फी के माध्यम से भी अपने बेबी बंप को शूट कर सकती हैं, इस के लिए बस आप को अपने कैमरे का ऐंगल सेट करना होगा ताकि आप का बंप नजर आए. आप आइने में देख कर भी क्लिक कर सकती हैं.

सिर्फ अपनी फोटो ही ना क्लिक करवाते रहें, कुछ रोमांटिक कपल शौर्ट भी लें. आप का बच्चा आप के लिए जितना खास है, उतना ही आप के पार्टनर के लिए भी है. आप चाहें तो कुछ फोटोज में अपने फैमिली मैंबर को भी शामिल कर सकती हैं.

आप घर, बाहर या फिर स्टूडियो में फोटोशूट करवा रही हों, अपने खानेपीने और जरूरत की चीजें कैरी करें ताकि फोटोशूट के दौरान भी आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकें.

लगातार फोटोशूट ना करवाते रहें बल्कि थोड़ाथोड़ा ब्रेक लें. थकान से बचने का सब से अच्छा तरीका है कि आप फोटोग्राफर के साथ बैठ कर पहले ही बातचीत कर लें कि वह कैसा शौर्ट लेने वाला है और आप को कैसी फोटोज चाहिए ताकि शूट में ज्यादा समय ना लगे. आप चाहें तो जिस फोटोग्राफर से फोटो खिंचवा रही हैं आप उस के द्वारा क्लिक की हुई फोटो देख लें, आप को एक आइडिया मिल जाएगा और आप फोटोग्राफर को सही से समझा पाएंगी.

जैसे ही कैमरा औन होता है हम सब कुछ भूल जाते हैं, फोटो अच्छी आए इसलिए डिफरैंट पोजेज ट्राई करने लगते हैं, लेकिन आप अपना थोड़ा ध्यान रखें. आप जिस पोज में कंफर्टेबल फील करें, वही पोज लें. ऐसा ना करें कि आप ने फेसबुक पर या किसी सैलिब्रिटी की कोई तसवीर देखी हो तो वैसा ही पोज ट्राई करने लगें.

मस्सा हटाने के घरेलू नुस्खे

चेहरे पर कहीं मस्सा हो जाए तो हम परेशान हो जाते हैं. कई बार तो ये खूबसूरती में चार-चांद लगाने का काम करता है तो कई बार खूबसूरती पर धब्बे की तरह नजर आता है.

आमतौर पर स्किन के बाहरी परत पर एक छोटे से मस्से जैसा दिखता है, जो ज्यादातर गर्दन, चेहरा, नाक आर्मपिट और इनर थाईज पर होते हैं. अगर आप भी इस परेशानी से जूझ रही हैं तो आपको जरूरत है बस कुछ घरेलू नुस्खे अपनाने की. फिर देखिए कैसे ये स्किन टैग हमेशा के लिए आपकी जिंदगी से दूर हो जाएगा.

अगर आपके चेहरे पर भी मस्सा है और आपकी सुंदरता में धब्बा बन कर आपको परेशान कर रहे हैं और आप उसे हटान चाहते हैं तो अपनाएं ये घरेलू नुस्खे.

लहसुन के इस्तेमाल से

लहसुन में एक ऐसा नेचुरल एंजाइम पाया जाता है जो पिग्मेंट्स को नष्ट करके मस्सा उभरने से रोक देता है. मस्से से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए लहसुन का एक टुकड़ा या फिर उसके पेस्ट को मस्से के ऊपर लगाकर छोड़ दीजिए. ऐसा करने के 3 से 5 दिन के भीतर मस्सा घटना शुरू हो जाएगा.

काजू का पेस्ट

शरीर की त्वचा पर यदि छोटे-छोटे काले मस्से हो गए हों तो उन पर काजू के छिलकों का लेप लगाने से मस्से साफ हो जाते हैं. चूना और घी एक समान मात्रा में लेकर दोनों को खूब फेंटकर सुरक्षित रखें. उसे दिन में 3-4 बार मस्सों पर लगाएं. उससे मस्से जड़ से हट जाएंगे और दूबारा नहीं होंगे.

कैस्टर ऑयल

ये एक चमत्कारिक तेल है. त्वचा पर इसके इस्तेमाल से दाग-धब्बे दूर होते हैं साथ ही मस्सों को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. अगर आपको और बेहतर परिणाम चाहिए तो आप इसमें बेकिंग पाउडर भी मिला सकते हैं.

प्याज का रस

प्याज के रस में एसिडिक गुण होता है. ये दाग-धब्बों को हल्का करने के काम आता है और साथ ही अगर इसे नियमित रूप से मस्से के ऊपर लगाया जाए तो मस्सा धीरे-धीरे गलकर समाप्त हो जाएगा.

एलोवेरा के प्रयोग से

एलोवेरा के भीतरी भाग को सीधे त्वचा पर लगाइए. इसका नियमित इस्तेमाल जहां पिग्मेंटेशन को कम करने का काम करता है वहीं मस्से को भी धीरे-धीरे समाप्त कर देता है.

बी कॉपलेक्स

बी काम्पलेक्स, विटामिन ए, सी, ई युक्तआहार के सेवन से मस्सों को दूर किया जा सकता है. मस्सों से छुटकारा पाने के लिए पोटेशियम बहुत लाभदायक है. पोटेशियम बहुत सी साग-सब्जी और फलों में पाया जाता है. जैसे – सेब, केला, अंगूर, आलू, मशरूम, टमाटर, पालक इत्यादि.

मौसमी का रस

एक बूंद ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगा दें, और इसे भी पट्टी से बांध लें. ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें. ऐसा करने से मस्से गायब हो जायेंगे.

मॉनसून में भी फैशन का टशन

मॉनसूनी फुहारों में भीगना तो आपको पसंद ही होगा पर इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है, जब बारिश में भीगने के बाद कपड़ों और बालों समेत आपके पूरे लुक का हो जाता है हाल-बेहाल. इसका मतलब यह कतई नहीं कि इस मौसम में भीगने से बचने के लिए बाहर ही न निकलें या फैशनेबल दिखने में कोई कमी रखें.

ऐसे में बस जरूरत है सही फैब्रिक, कलर और ड्रेसेज के चयन की. और इस रोमांचक मौसम में आप भी दिख सकती हैं खिली-खिली.

आया मौसम शॉर्टस का

काकादेव की फैशन एक्सपर्ट सारिका त्रिपाठी बताती हैं, ‘मॉनसून में स्टाइलिश लुक पाने के लिए ऑप्शंस की कमी होती है. यह मौसम कैप्री, बरमूडा, शॉर्टस और स्कर्ट को अलमारी से बाहर निकालने के लिए सबसे अच्छा और सही होता है. इस मौसम में आरामदेह और लूज कपड़ों का चयन करें.

अगर आप वर्किंग वुमन हैं तो बारिश में भीगने के बाद ऑफिस में सहज दिख पाना थोड़ा मुश्किल होता है. ऐसे में कपड़ों का चयन सही हो तो इस स्थिति से बचा जा सकता है. अगर आप ऑफिस ट्राउजर या पैंट पहनकर जाती हैं तो उन्हें फोल्ड करके स्टाइलिश लुक पा सकती हैं. फुल या फ्लोर लैंथ के बजाय एंकल लैंथ, नी लैंथ या केप्री पहन सकती हैं. इसके अलावा वाटरप्रूफ बैग और रेनकोट साथ रखना न भूलें.

फैब्रिक का रखें ख्याल

फैशन डिजाइनर सारिका अग्रवाल बताती हैं, ‘इस मौसम में कॉटन अवॉइड करना चाहिए. दरअसल, कॉटन भीगने पर जल्दी सूखता नहीं और शरीर से चिपकता भी है. ऐसे मौसम में पोली नायलॉन्स, शिफॉन, रेयान और सूती मिश्रित कपड़े पहनें. शिफॉन और जॉर्जट ऐसे फैब्रिक हैं जो भीगने पर जल्दी सूख जाते हैं और इन्हें आयरन करने की भी जरूरत नहीं होती.

हालांकि शिफॉन और जॉर्जट पहनने के दौरान इसे मिक्स कॉटन के साथ कैरी करना चाहिए जिससे भीगने के बाद ये शरीर से न चिपकें. बारिश में डेनिम पहनने से भी बचना चाहिए क्योंकि ये जल्दी सूखते नहीं और इनका रंग भी निकलने लगता है जिससे आपके बाकी कपड़े भी खराब हो सकते हैं.

ट्राई करें हर रंग

ब्यूटी एक्सपर्ट अंजू कालरा बताती हैं, ‘इस मौसम में आप चाहे जितना बचें थोड़ा बहुत भीग ही जाती हैं. ऐसे में बारिश में हेवी मेकअप के बजाय हल्का और नेचुरल मेकअप करें. हां, फैशनेबल दिखने के लिए ब्राइट रंग की वॉटरप्रूफ लिपस्टिक लगाएं. मॉनसून रंगों के साथ प्रयोग करने का उत्तम समय है. नए-नए कलर ट्राई करें और अपने आपको नया लुक दें.

इसके अलावा मॉनसून के दिन बालों के लिए थोड़े बुरे होते हैं. उनका टूटना, गिरना, झड़ना इस मौसम में एक आम बात है. ऐसे में परेशान होने के बजाय बालों को थोड़ी केयर दें और समय-समय पर हेयर थेरेपी लेती रहें.

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