VIDEO: ‘FEVER’ बढ़ाने आई गौहर खान

बिग बॉस फेम एक्ट्रेस गौहर खान को तो भूले नहीं होंगे आप. गौहर जल्द ही आपको फिल्मी पर्दे पर दिखने वाली हैं. गौहर और राजीव खंडेलवाल की आने वाली फिल्म ‘फीवर’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है. फिल्म में गौहर खान काफी हॉट लुक में दिखी हैं.

इसके ट्रेलर से पता चलता है कि फिल्म में राजीव सीरियल किलर की भूमिका में हैं जिसके लिए ‘खूबसूरती आम बात है और खूबसूरत लड़किया रोज की बात…’. और अचानक इसी बीच एक हादसा होता है और राजीव की यादाश्त चली जाती है. फिर उसकी यादाश्त कैसे वापस आती है. क्या ये सिर्फ हादसा था या कोई साजिश थी ये फिल्म देखने के बाद आपको पता चलेगा.

इससे पहले जब फिल्म का पहला लुक जारी हुआ था तभी इसका अंदाजा था कि इस फिल्म में दोनों काफी हॉट दिखने वाले हैं क्योंकि फर्स्ट लुक में ही राजीव और गौहर एक दूसरे को किस करते नजर आ रहे थे.

राजीव झावेरी के निर्देशन में बन रही ‘फीवर’ के प्रोड्यूसर रवि अग्रवाल, महेश बेलकुंद्री, अजय छाबरया और रजत मंजूनाथ हैं. फिल्म 22 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

म्युचुअल फंड में निवेश से पहले रखे इन बातों का ध्यान

म्युचुअल फंड में किए हुए निवेश पर बैंक एफडी और पोस्टल स्कीम से ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. इसके चलते निवेशकों का रुझान तेजी से म्युचुअल फंड स्कीम की ओर बढ़ा है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सभी निवेशकों को मोटा रिटर्न ही मिला है. बिना सोचे-समझे किए हुए निवेश पर उम्‍मीद के अनुरूप रिटर्न नहीं मिलता है और अक्‍सर घाटा भी उठाना पड़ा है. इसकी वजह है निवेशक को फंड के बारे में सही जानकारी नहीं होना.

फंड का पिछला प्रदर्शन

किसी भी म्युचुअल फंड को समझने के लिए उस फंड के पिछले दो-तीन साल के प्रदर्शन को देखें. हालांकि, पिछला प्रदर्शन भविष्य के प्रदर्शन का आधार नहीं हो सकता है. लेकिन, इससे आपको यह पता चल जाएगा कि यह फंड कैसा प्रदर्शन कर रहा है. उदाहरण के तौर पर अगर कोई फंड तीन साल से मार्केट में है और उसमें 10,000 रुपए का निवेश किया गया है तो यह देखना होगा कि आज के समय में 10,000 रुपए की वैल्यू क्‍या है और उस पर कितना फीसदी रिटर्न साल दर साल मिला है.

पोर्टफोलिओ

निवेशक म्युचुअल फंड में इसलिए निवेश करता है क्योंकि इसमें शेयर मार्केट से कम रिस्क होता है. शेयर मार्केट में कोई निवेशक खुद से शेयर का चुनाव करने में असमर्थ होता है, जबकि म्युचुअल फंड का चुनाव वह कर सकता है. इसलिए म्युचुअल फंड में निवेश से पहले उसका पोर्टफोलियो चेक करना बहुत जरूरी होता है. अगर, आप डेट फंड में निवेश करते हैं तो उसका क्रेडिट प्रोफाइल जरूर चेक कर लें.

एक्‍सपेन्‍सेज

म्‍युचुअल फंड में निवेश से पहले एक्‍सपेन्‍सेज रेशियो को जरूर चेक करें. अगर, डेट फंड में निवेश करने जा रहे हो तो एक्‍सपेन्‍स रेशियो देखना अनिवार्य हो जाता है. अगर डेट फंड में एक्‍सपेन्‍स रेशियो कम है तो इसमें निवेश करना ज्‍यादा फायदेमंद होगा. इसके साथ ही फंड का कार्पस भी चेक करें. कार्पस में तेजी से गिरना भी खतरे की घंटी होता है.

बड़ा नाम निवेश का पैमाना नहीं

कभी भी बड़े ब्रांड के नाम पर म्युचुअल फंड में निवेश एक मात्र मापदंड नहीं होना चाहिए. किसी भी म्युचुअल फंड में निवेश से पहले उसके विषय में रिसर्च और डेटा विश्लेषण करना चाहिए. व्यक्तिगत सुझाव, विज्ञापन और ब्रांड नामों को ज्‍यादा महत्‍व न दें. निवेश करने से पहले फंड का ट्रैक रिकॉर्ड देखें और फिर निवेश करने का फैसला करें.

रिटर्न की उम्‍मीद

आम तौर पर निवेशक म्युचुअल फंड में निवेश करने के बाद 20 से 30 फीसदी रिटर्न की उम्मीद करते हैं, जो अवास्तविक होता है.म्युचुअल फंड मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. ऐसे में निवेश से पहले ही अधिक रिटर्न की उम्‍मीद करना सही नहीं होता है.अगर, लंबे समय के लिए डेट फंड में निवेश करते हैं तो इस पर 9 फीसदी और इक्विटी में 16 फीसदी का रिटर्न मिलता है. निवेश करने से पहले यह तय कर लें कि आप कितना रिटर्न चाहते हैं. अगर, आप फिक्सड रिटर्न चाहते हैं तो म्युचुअल फंड आपके लिए नहीं है. इसमें निवेश के बाद रिटर्न अलग-अलग होता है. इनमें से प्रत्येक निवेश पर अनिश्चिता और जोखिम भी होते हैं.

ज्‍यादा से ज्‍यादा जानकारी जुटाएं

किसी भी म्युचुअल फंड में निवेश से पहले उस फंड के बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा जानकारी जुटाएं. यह भी पता करें कि इस फंड का पैसा कहां पर निवेश होगा. इसके लिए आप स्कीम इन्‍फॉर्मेशन डाक्यूमेंट्स (एसआईडी) से शुरू करें. लेकिन एसआईडी आपको सिर्फ स्कीम के विषय में जानकारी देगा. किसी भी स्कीम में निवेश के लिए यह काफी नहीं है. इसके लिए और भी कई तथ्यों की जानकारी जरूरी होती है.

खूबसूरती बढ़ाता है बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा कुकिंग की कई समस्याओं का समाधान चुटकियों में कर देता है और इसके इस्तेमाल से कई पकवानों का स्वाद दोगुना हो जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि यह सौंदर्य समस्याओं को भी मिनटों में निपटा देता है.

सिर से लेकर पैर तक की हर तरह की परेशानी को खत्म करने के लिए कुछ इस तरह इसका उपयोग…

1. पैरों को सुंदर और कोमल बनाने के लिए एक चम्मच पानी में तीन चम्मच सोडा डालें और इसमें पैर डालकर कुछ देर तक मसाज करें. इसके बाद तौलिए से पैरों को सुखाकर क्रीम या लोशन लगा लें.

2. घर बैठे मेनीक्योर करना चाहते हैं तो बेकिंग सोडा का पेस्ट बनाकर हाथों की त्वचा पर मलने से बैक्टीरिया तो खत्म होते ही हैं साथ ही हाथों की त्वचा साफ भी हो जाती है.

3. बालों को मुलायम बनाने के लिए शैंपू में एक चौथाई बेकिंग सोडा मिलाकर हेयरवॉश करें.

4. दांतों को चमकदार बनाने के लिए बेकिंग सोडा के पेस्ट से इन्हें साफ करें और फिर टूथपेस्ट कर लें. दांतों का पीलापन गायब हो जाएगा.

5. अगर आप दाद-खाज की समस्या से परेशान हैं तो नहाते समय पानी में बेकिंग सोडा मिलाकर नहाएं. आपको दाद से जल्द निजात मिलेगी.

 

होठों की खूबसूरती ऐसे बढ़ाएं

हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक भरे और मोटे होंठ आपको यंग लुक देते हैं. वहीं पतले होंठ हर किसी के चेहरे की बनावट पर अच्छे लगे जरूरी नहीं. इसलिए अगर आप चाहे तो मेकअप की मदद से अपने होंठों के आकार को बदल कर परफेक्ट लुक पा सकती हैं.

1. होंठों को भरा हुआ दिखाने के लिए आप लिपस्टिक और लिप ग्लॉसेज की मदद ले सकती हैं. क्रीमी टेक्स्चर वाली लिपस्टिक होंठों को एक्स्ट्रा लेयर देती है.

2. लिप ग्लॉस या लिपस्टिक का एक कोट लगाने के बाद इसे दोबारा फिर से लगाएं.

3. लिप कलर लगाने से पहले एक्सफोलिएशन जरूरी है ताकि होंठ चिकने और मुलायम रहें. बाजार में एक्सफोलिएटिंग लिप स्क्रब आसानी से मिल जाता है.

4. लिपस्टिक लगाने से पहले हमेशा कॉस्मेटिक पाउडर होंठ पर लगाएं और फिर लिपकलर लगाएं. इसके बाद टिश्यू पेपर से होंठों को थपथपाएं और दोबारा लिपस्टिक का एक कोट लगाएं.

5. त्वचा व्हीटिश है तो मीडियम टोंस के लिपकलर जैसे पिंक, बेज, पेल पीच और ऑरेंज शेड्स को चुनें.

6. बाल व त्वचा का रंग डार्क है तो डीप टोंस जैसे मैरून, फूशिया, डार्क चॉकलेट, प्लम, वाइन व रूबी कलर चुनें.

7. ऑलिव टोंड वाली त्वचा के लिए वॉयलेट और पेल लैवेंडर कलर अच्छे रहते हैं.

अलग हुए करिश्मा-संजय

मुंबई की पारिवारिक अदालत में बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर और उद्योगपति संजय कपूर का आधिकारिक रूप से तलाक हो गया. अलग रह रहे संजय और करिश्मा के बीच तलाक और दोनों बच्चों के संरक्षण के मुद्दे पर कड़वाहट खुलकर सामने आई थी. दोनों ने तलाक और बच्चों की कस्टडी के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी.

करिश्मा ने लोकल पुलिस स्टेशन में संजय कपूर के खिलाफ सारे केस वापस ले लिए. सूत्रों के मुताबिक फाइनेंनशियल और कस्टडी संबंधी सारे मसले सुलझा लिए गए हैं. संजय कपूर की वकील अमन हींगोरानी ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने सेटलमेंट को स्वीकार कर लिया है.

2014 में दोनों ने आपसी सहमति से कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी. बाद में आपसी मतभेद के कारण यह याचिका वापस ले ली गई थी. दिसम्बर में संजय कपूर ने ज्यूडिशियल सेपरेशन के लिए एक नई याचिका दायर की थी. उसके बाद करिश्मा ने संजय और अपनी सास के खिलाफ उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था.

आपको बता दें कि दोनों की शादी 2003 में हुई थी. लेकिन जल्द ही दोनों के बीच चीजें खराब होने लगी थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों को सेटलमेंट की सलाह भी दी थी. 2010 में करिश्मा संजय का घर छोड़कर पूरी तरह से मुंबई में सेटल हो गई. 2014 में दोनों ने अपने 12 साल लंबे रिश्ते को खत्म करने का निर्णय लिया और तलाक की याचिका दायर की थी.

संजय कपूर ने करिश्मा पर पैसों के लिए उनके बच्चों को प्यादे की तरह यूज करने का आरोप लगाया था. संजय का यह भी कहना था कि करिश्मा ने बच्चों को उनके बीमार पिता से मिलने से भी रोका था.

अब ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-3’ का विरोध

‘उड़ता पंजाब’ को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी के बाद अब अनुराग कश्यप की आने वाली फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-3’ के विरोध की पटकथा लिखी जा रही है.

झारखंड के धनबाद जिले के वासेपुर कस्बे के लोगों ने इसके विरोध का फैसला किया है. लोगों का मानना है कि फिल्म पहले के दोनों पार्ट में वासेपुर की गलत छवि दिखाई गई है जिसके कारण वहां के लोगों की बदनामी हुई है.

वार्ड काउंसलर निसार आलम का कहना है कि 2012 में इस फिल्म के पहले पार्ट के आने के बाद वासेपुर में अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. वो बताते हैं कि अब लोग वासेपुर में अपनी बेटियों की शादी करने से कतरा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वासेपुर के ही जीशान कादरी, फिल्म के सह पटकथा लेखक अपने स्वार्थ के लिए यहां की गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं, जबकि वासेपुर के सामाजिक ताना बाना में कौमी एकता की मिठास है. वो कहते हैं कि कई दूसरी अच्छी बातें भी हैं, जिन्हें शोकेस किया जा सकता था.

बकौल निसार आलम, “इस कस्बे के लोग आईएएस, आईआईटी इंजीनियर, डॉक्टर और पुलिस में बड़े अधिकारी हैं. फिल्म तो इन खूबियों पर भी बनाई जा सकती है.”

वासेपुर की आरा मोड़ कालोनी के निवासी रुस्तम अंसारी ने बताया कि कोलकाता में उन्हें होटल वालों ने सिर्फ इसलिए कमरा नहीं दिया क्योंकि वे वासेपुर से हैं.

ऐसा अनुभव दूसरे ग्रामीणों का भी है. लोगों ने बताया कि होटल वाले रेसिडेंशल प्रूफ देखते ही कमरों के बुक्ड होने का बहाना बना देते हैं.

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के धनबाद जिलाध्यक्ष बबलू फरीदी मानते हैं कि इस फिल्म के कारण वासेपुर के युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है और इसलिए फिल्म के पार्ट-3 का विरोध होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी.

पिछले दिनों जीशान कादरी वासेपुर में बढ़ रहे क्राइम ग्राफ का अध्ययन करने यहां आए थे. उन्होंने मीडिया को कहा, “हमने गैंग्स ऑफ वासेपुर के पहले दो पार्ट में साल 2002 तक की कहानी बताई थी. तीसरे पार्ट में हम 2003 से 2015 की कहानी बताने वाले हैं.

उन्होनें एक दिलचस्प बात भी बताई, वो ये कि यह फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ सीरीज का तीसरी पार्ट नहीं होगी. यानी यह फिल्म सिक्वल या प्रीक्वल नहीं होगी बल्कि दोनों के बीच की होगी. यही वजह है कि इसे ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 3’ कहने की बजाए ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 1.5’ कहना ठीक होगा.

फिल्म की स्क्रीप्टिंग का काम पूरा हो चुका है. शूटिंग भी चल रही है. हम इसे अक्टूबर तक पूरी कर लेंगे. इस साल के अंत तक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज कर दी जाएगी.”

जीशान ने कहा कि फिल्म को फिल्म की तरह ही लेना चाहिए और इसका विरोध करने वाले लोग सस्ती लोकप्रियता के फेर में ऐसा कर रहे हैं.

शराब की बोतलों से बना ‘रईस’ का पोस्टर

 

शाहरुख की अगली फिल्म ‘रईस’ का नया पोस्टर सामने आया है, जो एल्कोहल की बोतलों से बना है. मुंबई के फिल्म-पब्लिसिटी डिजाइनर राजेश ने यह पोस्टर डिजाइन किया है, जिसमें शाहरुख का चेहरा अलग-अलग रंगों की शराब की बोतलों से बना है.

‘रईस’ को शाहरुख की रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और फरहान अख्तर की एक्सल एंटरटेंमेंट प्रोड्यूस कर रहे हैं. इसके डायरेक्टर राहुल ढोलकिया हैं, जिन्हें 2005 की फिल्म ‘परजानिया’ के लिए नेशनल अवॉर्ड फॉर बेस्ट डायरेक्शन मिला था.

‘रईस’ में शाहरुख अवैध शराब का बिजनेस करते नजर आएंगे. रिपोर्टस के मुताबिक, यह फिल्म गुजरात के गैंगस्टर अब्दुल लतीफ की जिंदगी पर आधारित है जो गुजरात में अवैध शराब का बिजनेस चलाता था.

राजेश के काम से खुश होकर शाहरुख ने ट्विटर पर फिल्म का पोस्टर शेयर कर राजेश को शुक्रिया कहा और कैप्शन लिखा, ‘वेरी-वेरी कूल…’

राजेश सुपरस्टार के इस रिस्पॉन्स से बेहद खुश नजर आए. बता दें कि इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी नजर आएंगे. 26 जनवरी 2017 को रिलीज होने वाली इस फिल्म में सनी लियोनी का जबरदस्त आइटम नम्बर भी देखने को मिलेगा.

मनमोहन सिंह पर बनेगी फिल्म

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मूवी बनने जा रही है. मूवी का नाम रखा गया है ‘मनमोहन सिंह- द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’. मूवी साल 2017 के अंत तक रिलीज होगी.

इसकी कहानी संजय बारू की विवादित किताब ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ पर आधारित होगी. इसमें साल 2014 तक के सिंह के कार्यकाल के बारे में भी दिखाया जाएगा.

सूत्रों से खबर आई है कि मूवी का टीजर 30 अगस्त को जारी किया जा सकता है. साथ ही कहा गया है कि मूवी का फर्स्ट लुक कई बड़े कांग्रेस नेताओं की नींद उड़ा सकता है. इसमें दिखाया जाएगा कि कांग्रेस ने किस तरह से पूर्व पीएम नरसिंहा राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में नहीं होने के लिए कोशिश की थी.

सूत्रों से यह भी खबर मिली है कि मूवी भारत के साथ ही पूरे वर्ल्ड में एक दर्जन से ज्यादा भाषाओं में रिलीज होगी. मनमोहन सिंह की भूमिका के लिए पंजाब के एक युवा कलाकार को चुना गया है, लेकिन सोनिया और राहुल गांधी के किरदार के लिए अभी तलाश जारी है. साथ ही बताया गया है कि इसमें संजय बारू की भूमिका निभाने के लिए मनोज बाजपेयी को लिया जा सकता है.

…तो इसलिए अलग हुए रितिक और सुजैन

17 साल की खुशहाल शादीशुदा जिंदगी बिताने के बाद अचानक रितिक और सुजैन की तलाक की खबर फैन्स के लिए किसी झटके से कम नहीं थी.

हालांकि इसके पीछे वजह रितिक का दूसरे को-स्टार्स से अफेयर्स बताईं जा रही थीं. वहीं, अर्जुन रामपाल से सुजैन की बढ़ रही नजदीकियां भी इस रिश्ते के टूटने का एक कारण माना जा रहा था.

इस रिश्ते को खत्म हुए करीब दो साल हो चुके हैं इसके बावजूद दोनों कभी भी एक दूसरे के खिलाफ कुछ भी बोलते नजर नहीं आए. जिससे फैन्स कभी ये समझ ही नहीं पाए कि तलाक के बाद भी एक दूसरे को हमेशा सपोर्ट करने वाली ये जोड़ी आखिर अलग हुई क्यों? लेकिन अब इसका जवाब मिल गया है.

दरअसल रितिक की एक्स वाइफ सुजैन ने तलाक के दो साल बाद इस रिश्ते को खत्म करने की असली वजह बताई है. सुजैन ने कहा कि “हम जिंदगी के ऐसे मोड़ पर पहुंच चुके थे जहां मैंने सोचा कि हमारा अलग होना ही बेहतर है. झूठे रिश्ते में रहने से बेहतर था कि अब अपने रिश्ते की असलियत पहचानें.”

सुजैन ने कहा, ‘हम लोग करीबी दोस्त हैं. जब हम साथ हुआ करते थे, उससे कहीं ज्यादा आज हम चैट करते हैं. इन सबसे कहीं ज्यादा हम अपने बच्चों के लिए कमिटेड हैं. हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. जब बच्चे बीच में रहते हैं तो हमारे लिए यह अहम हो जाता है कि हम अपने डिफरेंसेस को साइड कर उनको प्रोटेक्ट करें.’

बता दें कि रितिक और सुजैन के दो बेटे रियान और रिदान हैं. तलाक के बावजूद ये दोनों बच्चों की खुशी के लिए एक साथ नजर आने से नहीं कतराते. हाल ही में इन्होंने एक साथ ही अपने छोटे बेटे का बर्थडे भी सेलिब्रेट किया था.

लेकिन इन सब के बावजूद सुजैन कह चुकीं है कि रितिक से दोबारा रिश्ता संभव नहीं.

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं ले सकती हैं सामान्य दवाएं

गर्भवती महिलाएं आम तौर पर सामान्य दवाओं से बचने की कोशिश करती हैं, लेकिन एक नए अध्ययन में पता चला है कि इलाज न होने पर अगर एक छोटी सी समस्या गंभीर रूप ले लेती हैं, तो यह मां और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगिल्या (यूएई) ने इस अध्ययन के लिए 1,120 महिलाओं पर सर्वेक्षण किया. इस दौरान महिलाओं से गर्भावस्था के दौरान सामान्य तकलीफों जैसे मिचली आना, सीने में जलन, कब्ज, जुकाम, मूत्र मार्ग में संक्रमण, गर्दन, सिर दर्द और नींद की समस्याओं संबंधित सवाल पूछे थे.

अध्ययन में यह बात सामने आई कि कुल महिलाओं में से लगभग एक तिहाई महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान विभिन्न तकलीफों में दवाओं के सेवन से परहेज किया. उन्होंने आमतौर पर बिना चिकित्सीय परामर्श के इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल, इबूप्रोफेन, कफ और सर्दी से संबंधित दवाओं के सेवन से भी परहेज किया.

शोध के नेतृत्वकर्ता माइकल ट्विग के अनुसार वह पता लगाना चाहते थे कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं दवाओं के जोखिमों और लाभों के बारे में क्या सोचती हैं.

ट्विग ने कहा, “शोध के दौरान हमने पाया कि महिलाओं की एक बड़ी संख्या गर्भावस्था के दौरान पैरासिटामोल के सेवन को जोखिम समझती है. हालांकि यह बिलकुल सुरक्षित है. “

उन्होंने बताया, ” इस अध्ययन में हमें सबसे अधिक चिंता की बात यह देखने को मिली कि कई महिलाएं मूत्र मार्ग में संक्रमण का अनुभव करने के दौरान भी दवाएं नहीं लेती हैं. अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है, यह जटिल होकर कई मां और भ्रूण दोनों को नुकसान पहुंचाता है.

इन निष्कर्षों से पता चलता है कि महिलाओं को प्रभावी ढंग से इलाज के लिए प्रोत्साहित करने के लिए गर्भावस्था के दौरान दवाओं के लाभों और सुरक्षा के बारे में अधिक जानकारी की जरूरत है.”

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