तीसरी गलती : क्यों परेशान थी सुधा?

टूर पर जाने के लिए प्रिया ने सारी तैयारी कर ली थी. 2 बैग में सारा सामान भर लिया था. बेटी को पैकिंग करते देख सुधा ने पूछा, ‘‘इस बार कुछ ज्यादा सामान नहीं ले जा रही हो?’’

‘‘हां मां, ज्यादा तो है,’’ गंभीर स्वर में प्रिया ने कहा. अपने जुड़वां भाई अनिल, भाभी रेखा को बाय कह कर, उदास आंखों से मां को देखती हुई प्रिया निकल गई. 10 मिनट के बाद ही प्रिया ने सुधा को फोन किया, ‘‘मां, एक पत्र लिख कर आप की अलमारी में रख आई हूं. जब समय मिले, पढ़ लेना.’’ इतना कह कर प्रिया ने फोन काट दिया.

सुधा मन ही मन बहुत हैरान हुईं, उन्होंने चुपचाप कमरे में आ कर अलमारी में रखा पत्र उठाया और बैड पर बैठ कर पत्र खोल कर पढ़ने लगीं. जैसेजैसे पढ़ती जा रही थीं, चेहरे का रंग बदलता जा रहा था. पत्र में लिखा था, ‘मां, मैं मुंबई जा रही हूं लेकिन किसी टूर पर नहीं. मैं ने अपना ट्रांसफर आप के पास से, दिल्ली से, मुंबई करवा लिया है क्योंकि मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका है. अभी तक तो मेरा कोई ठिकाना नहीं था, अब मैं आत्मनिर्भर हो चुकी हूं तो क्यों आप को अपना चेहरा दिखादिखा कर, आप की तीसरी गलती, हर समय महसूस करवाती रहूं. तीसरी गलती, आप के दिल में मेरा यही नाम हमेशा रहा है न. ‘इस दुनिया में आने का फैसला तो मेरे हाथ में नहीं था न. फिर आप क्यों मुझे हमेशा तीसरी गलती कहती रहीं. सुमन और मंजू दीदी को तो शायद उन के हिस्से का प्यार दे दिया आप ने. मेरी बड़ी बहनों के बाद भी आप को और पिताजी को बेटा चाहिए था तो इस में मेरा क्या कुसूर है? मेरी क्या गलती है? अनिल के साथ मैं जुड़वां हो कर इस दुनिया में आ गई. अपने इस अपराध की सजा मैं आज तक भुगत रही हूं. कितना दुखद होता है अनचाही संतान बन कर जीना.

‘आप सोच भी नहीं सकतीं कि तीसरी गलती के इन दो शब्दों ने मुझे हमेशा कितनी पीड़ा पहुंचाई है. जब से होश संभाला है, इधर से उधर भटकती रही हूं. सब के मुंह से यही सुनसुन कर बड़ी हुई हूं कि जरूरत अनिल की थी, यह तीसरी गलती कहां से आ गई. अनिल तो बेटा है. उसे तो हाथोंहाथ ही लिया जाता था. आप लोग हमेशा मुझे दुत्कारते ही रहे. मुझ से 10-12 साल बड़ी मेरी बहनों ने मेरी देखभाल न की होती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता. मेरी पढ़ाईलिखाई की जिम्मेदारी भी उन्होंने ही उठाई.

‘मेरी परेशानी तब और बढ़ गई जब दोनों का विवाह हो गया था. अब आप थीं, पिताजी थे और अनिल. वह तो गनीमत थी कि मेरा मन शुरू से पढ़ाईलिखाई में लगता था. शायद मेरे मन में बढ़ते अकेलेपन ने किताबों में पनाह पाई होगी. आज तक किताबें ही मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं. दुख तब और बढ़ा जब पिताजी भी नहीं रहे. मुझे याद है मेरे स्कूल की हर छुट्टी में आप कभी मुझे मामा के यहां अकेली भेज देती थीं, कभी मौसी के यहां, कभी सुमन या मंजू दीदी के घर. हर जगह अकेली. हर छुट्टी में कभी इस के घर, कभी उस के घर. जबकि मुझे तो हमेशा आप के साथ ही रहने का दिल करता था. ‘कहींकहीं तो मैं बिलकुल ऐसी स्पष्ट, अनचाही मेहमान होती थी जिस से घर के कामों में खूब मदद ली जाती थी, कहींकहीं तो 14 साल की उम्र में भी मैं ने भरेपूरे घर का खाना बनाया है. कहीं ममेरे भाईबहन मुझे किचन के काम सौंप खेलने चले जाते, कहीं मौसी किचन में अपने साथ खड़ा रखतीं. मेरे पास ऐसे कितने ही अनुभव हैं जिन में मैं ने साफसाफ महसूस किया था कि आप को मेरी कोई परवा नहीं थी. न ही आप को कुछ फर्क पड़ता था कि मैं आप के पास रहूं या कहीं और. मैं आप की ऐसी जिम्मेदारी थी, आप की ऐसी गलती थी जिसे आप ने कभी दिल से नहीं स्वीकारा.

‘मैं आप की ऐसी संतान थी जो आप के प्यार और साथ को हमेशा तरसती रही. मेरे स्कूल से लेट आने पर कभी आप ने यह नहीं पूछा कि मुझे देर क्यों हुई. वह तो मेरे पढ़नेलिखने के शौक ने पढ़ाई खत्म होते ही मुझे यह नौकरी दिलवा दी जिस से मैं अब सचमुच आप से दूर रहने की कोशिश करूंगी. अपने प्रति आप की उपेक्षा ने कई बार मुझे जो मानसिक और शारीरिक कष्ट दिए हैं. उन्हें भूल तो नहीं पाऊंगी पर हां, जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक मैं ने उन पलों से ही सीखे हैं. ‘आप की उपेक्षा ने मुझे एक ऐसी लड़की बना दिया है जिसे अब किसी भी रिश्ते पर भरोसा नहीं रहा. जीने के लिए थोड़े से रंग, थोड़ी सी खुशबू, थोड़ा सा उजाला भी तो चाहिए, खुशियोें के रंग, प्यार की खुशबू और चाहत का उजाला. पर इन में से कुछ भी तो नहीं आया मेरे हिस्से. अनिल के साथ जुड़वां बन दुनिया में आने की सजा के रूप में जैसे मुझे किसी मरुस्थल के ठीक बीचोंबीच ला बिठाया गया था जहां न कोई छावं थी, न कोई राह.

‘मां, आप को पता है अकेलापन किसी भयानक जंगल से कम नहीं होता. हर रास्ते पर खतरा लगता है. जब आप अनिल के आगेपीछे घूमतीं, मैं आप के आगेपीछे घूम रही होती थी. आप के एक तरफ जब अनिल लेटा होता था तब मेरा मन भी करता था कि आप की दूसरी तरफ लेट जाऊं पर मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कभी. आज आप का दिल दुखाना मेरा मकसद नहीं था पर मेरे अंदर लोगों से, आप से मिली उपेक्षा का इतना जहर भर गया है कि मैं चाह कर भी उसे निगल नहीं सकती. आखिर, मैं भी इंसान हूं. आज सबकुछ उगलना ही पड़ा मुझे. बस, आज मैं आप सब से दूर चली गई. आप अब अपने बेटे के साथ खुश रहिए.

‘आप की तीसरी गलती.

‘प्रिया.’

सुधा को अब एहसास हुआ. आंसू तो कब से उन के गाल भिगोते जा रहे थे. यह क्या हो गया उन से. फूल सी बेटी का दिल अनजाने में ही दुखाती चली गई. वे पत्र सीने से लगा कर फफक पड़ीं. अब क्या करें. जीवन तो बहती नदी की तरह है, जिस राह से वह एक बार गुजर गया, वहां लौट कर फिर नहीं आता, आ ही नहीं सकता.

Abhishek Bachchan की रूमर्ड गर्लफ्रैंड ने तोड़ी चुप्पी, ‘कोई रोक नहीं सकता…’

जूनियर बच्चन (Abhishek Bachchan) और ऐश्वर्या राय बच्चन के तलाक की खबरें पिछले कई महीनों से सुर्खियों में छाई हुई हैं. अनंत अंबानी की शादी में एक तरफ बच्चन परिवार तो दूसरी तरफ ऐश्वर्या अपनी बेटी आराध्या के साथ नजर आ रही थीं. हालांकि बाद में अभिषेक भी ऐश और आराध्या संग नजर आए थे. लेकिन लोग कयास लगाने लगे कि दोनों का तलाक कन्फर्म है. दोनों के अलगाव की वजह जया बच्चन और श्वेता नंदा को माना जाता रहा है, लेकिन अब कुछ दिनों से खबरें आ रही है कि अभिषेक और ऐश्वर्या की जिंदगी में ‘वो’ की एंट्री हो चुकी है.

गपशप को कोई रोक नहीं सकता – निमरत कौर

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फिल्म दसवीं फेम निमरत कौर और जूनियर बच्चन एकदूसरे को डेट कर रहे हैं, इसी वजह से अभिषेक और ऐश्वर्या का तलाक हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक निमरत कौर ने चुप्पी तोड़ी है. एक बयान में निमरत ने कहा है कि ‘मैं कुछ भी कर सकती थी और लोगों को वही कहना है, जो वो कहना चाहते हैं. फिर भी वहीं कहेंगे जो वे चाहते हैं. ऐसी गपशप को रोकना संभव नहीं है और इन सबके बीच मैं अपने काम पर फोकस करना पसंद करती हूं.

जोगन बनीं निमरत कौर, शेयर किया वीडियो

अभिषेक संग लिंकअप के खबरों के बीच निमरत कौर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह किसी जोगन से कम नहीं लग रही हैं. इस वीडियो में पंजाबी गाना सोहनया अभी न जा…शेयर किया है. यह काफी रोमांटिक गाना है, इसमें निमरत पीले रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. इस वीडियो को यूजर्स अभिषेक से कनेक्ट कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि निमरत की आंखों में प्यार साफ दिखाई दे रहा है.

तलाक की खबरों पर अभिषेक ने दी थी सफाई

आपको बता दें कि निमरत से पहले अभिषेक बच्चन ने सफाई दी थी. पेरिस ओलंपिक के दौरान अपनी तलाक की खबरों पर वेडिंग रिंग दिखाते हुए कहा कि मैं अभी भी शादीशुदा हूं. हालांकि ऐश्वर्या या बच्चन फैमिली से किसी ने अभिषेक की शादीशुदा जिंदगी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

सिर्फ एक शख्स को ऐश करती हैं फौलो

इंस्टाग्राम पर ऐश्वर्या राय सिर्फ एक शख्स को फौलो करती हैं और वह हैं उनके पति अभिषेक बच्चन… इससे पता चलता है कि ऐश्वर्या की जिंदगी में अभिषेक कितना मायने रखते हैं. हालांकि अभिषेक बच्चन ऐश्वर्या राय के अलावा कई लोगों को फौलो करते हैं. अकसर हर इवेंट में ऐश अपनी बेटी आराध्या के साथ स्पौट की जाती हैं. दोनों मांबेटी की जोड़ी को फैंस बेहद पसंद करते हैं.

दीवाली पर आप भी अपनाएं विद्या बालन का मूवी प्रमोशन वाला मैथड ड्र‍ैसिंग लुक्‍स

विद्या बालन की लेटेस्ट फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ दिवाली पर रिलीज होने वाली है, ऐसे में उनको एक बार फिर मेथड ड्रेसिंग करते देखा गया. विद्या फिल्म प्रमोशन के दौरान मेथड ड्रेसिंग के प्रति डेडिकेशन के लिए फेमस हैं. उन्होंने पहले भी इस ड्रेसिंग स्टाइल को अपनाया है, जिससे यह अब उनके प्रमोशनल लुक्स की पहचान बन गई है. अपनी आने वाली फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ के प्रमोशन के लिए भी विद्या ने इस परंपरा को जारी रखा और ब्लैक कलर की थीम अपनाते हुए एक से बढ़कर एक लुभावने आउटफिट्स पेश किए, जो उनके लुक और भी बेहतर बना रहे हैं आइए, उनके छह शानदार प्रमोशनल लुक्स पर एक नज़र डालते हैं.

ब्लैक क्रेप अनारकली सूट

एक कौमेडी रियलिटी शो में विद्या ने अंजना बोहरा द्वारा डिजाइन किया गया ब्लैक कलर का खूबसूरत क्रेप अनारकली सूट पहना. इस सूट के साथ ब्लैक और्गेन्जा दुपट्टा था, जिसमें बारीक हैंड इम्ब्रौइडरी का काम किया गया था, जो अनारकली के साथ पूरी तरह मेल खा रहा था. यह लुक रोयल चार्म से भरपूर था, जिससे विद्या डिग्निटी और डिसेंसी की सिंबल लग रही थीं.

2. गोल्डन बौर्डर वाली ब्लैक साड़ी-

जयपुर में ट्रेलर रिलीज इवेंट पर, विद्या ने गोल्डन बौर्डर वाली प्लेन ब्लैक साड़ी पहनी, जिसे डिजाइनर टोरानी ने डिजाइन किया था. साड़ी को गोल्डन सितारों की बेल के साथ डेकोरेट किया गया था, जो उसमें शाइन और चार्म दिखा रहा था. ब्लाउज में मेगा स्लीव्स और हैवी डिजाइन था, जो आउटफिट को बेस्ट रूप दे रहा था. यह लुक परफेक्ट ट्रेडिशनल डिग्निटी और मौडर्निटी का एक बेहतरीन संगम था.

3.चंदेरी सिल्क लहंगा सेट

अहमदाबाद के एक गरबा इवेंट के लिए विद्या ने ब्लैक कलर की थीम से हटते हुए, जिगर माली द्वारा डिजाइन किया गया नेवी ब्लू चंदेरी सिल्क लहंगा सेट पहना. लहंगे के साथ और्गेन्जा दुपट्टा था, जिसमें एंटीक गोल्ड स्ट्रिंग और फाइन हैंड एम्ब्रायडरी थी. यह आउटफिट गरबा के उत्सवपूर्ण माहौल के लिए बेस्ट था इस आउटफिट में विद्या की शालीनता देखते ही बनती है.

4.गोल्ड फायल प्रिंटेड साड़ी-

अहमदाबाद प्रेस शो के दौरान, विद्या ने फिर से ब्लैक कलर की थीम पर लौटते हुए शौप 369 के सस्टेनेबल फैशन ब्रांड की गोल्ड फायल प्रिंटेड साड़ी पहनी. इस साड़ी में गोल्डन फ्लावर्स का खूबसूरत प्रिंट था. विद्या की यह पसंद उनके सस्टेनेबल फैशन के प्रति डेडिकेशन को दर्शाती है, जिससे एक स्ट्रांग मैसेज भी जाता है.

5. कलीदार अनारकली

एक सिंगिंग रियलिटी शो में विद्या ने सू मुए द्वारा डिजाइन किया गया ब्लैक कलर का कलीदार अनारकली पहना। यह कच्चे सिल्क का बना हुआ था, जिसमें वी-नेकलाइन और फुल स्लीव्स थीं. साथ में मैचिंग पैंट्स और ब्लैक प्योर सिल्क और्गेन्जा दुपट्टे ने इस लुक को पूरा किया। इस पर लाइट गोल्ड जरी और मल्टीकलर सिल्क थ्रेड से बनी आरी एम्ब्रौयडरी की गई थी, जिसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए सीक्विन और पर्ल लगाए गए थे.

6. सीक्विन डौटेड ब्लैक साड़ी-

एक रियलिटी गेम शो में प्रमोशन के लिए यह लुक अब्राहम एंड ठाकोर द्वारा डिज़ाइन की गई सीक्विन डौटेड ब्लैक साड़ी थी, जिसमें व्हाइट एब्सट्रैक्ट प्रिंट थे. सेमीशीयर जौर्जेट सिल्क से बनी इस साड़ी में प्राचीन हाथ से की गई अड्डा एम्ब्रौयडरी का काम था, जो इस आउटफिट को और भी शानदार रूप दे रहा था.

ननद का पति मुझे गलत तरीके से टच करता है और धमकी भी देता है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरे ननद का पति मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश करता है. जब मैंने ये बात अपने ननद और सास से बताई, तो वह दोनों ही उल्टा में मुझे बुरा कहने लगे. मेरे पति घर से दूर रहते हैं, ऐसे में वह मुझे मेरे पति के खिलाफ भड़काता है और मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने की बात कहता है, जब मैं मना करती हूं, तो वह मुझे धमकी भी देता है, समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं?

जवाब

आपके ननद के हसबैंड एक तो आपके साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं और धमकी भी दे रहे हैं. आपको उनसे थोड़ा संभल कर रहने की जरूरत है. आपके पति घर से बाहर रहते हैं, लेकिन आपको ये बात उनसे शेयर करना चाहिए, ताकि वह आपका सपोर्ट करें और उस आदमी की सच्चाई जान सकें. कई लोग रिश्ते के आड़ में ही महिलाओं का फायदा उठाते हैं. वह आपके रिश्तेदार है, ये सोचकर आप बिलकुल चुप न बैठें. आजकल तो मोबाइल का जमाना है, जब भी वह आपके पास आते हैं, ये आपको धमकी देते हैं, तो आप चुपके से मोबाइल रिकौर्डिंग भी औन कर सकती हैं. इस सच्चाई को सामने लाने के लिए आपके पास कोई प्रूफ होना जरूरी है, तभी आपके परिवार के लोग विश्वास कर पाएंगे.

रिश्ते में भूलकर भी न बोलें ये झूठ

बीमारियां कभीकभी जिंदगीभर तक जुड़ी रहती हैं. इसलिए अगर आप किसी ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है तो अपने पार्टनर को इस के बारे में बताना बेहद जरूरी है. कभीकभी झूठ बोलना ठीक होता है. मान लीजिए किसी का भला हो रहा है तो फिर भी वह झूठ सहन किया जा सकता है लेकिन अगर आप हर बात पर झूठ बोलेंगे तो पार्टनर के मन पर गलत असर पड़ेगा. इससे आपके रिश्ते में शक की दीवार बनेगी. धीरेधीरे शायद वह आप की किसी बात पर विश्वास न करे और हर बात की पहले पड़ताल करे. इसलिए कभी ऐसा न करें. जिस रिश्ते की बुनियाद झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं चलता है.

कई बार झूठ बोलेने की वजह से रिश्ते टूटने लगते हैं. हर किसी के लाइफ में एक ऐसा शख्स होना चाहिए, जिससे हम अपने मन की हर बात शेयर कर सकें और लाइफ पार्टनर को आप सच्चा दोस्त बना सकते हैं.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

वैवाहिक बलात्कार और कानून का ऊंट

कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिन के जवाब न तो समाज के पास होते हैं और न ही कानून के पास. ऐसे प्रश्नों के जवाब प्रकृति के पास अवश्य होते हैं. ऐसा ही एक सवाल है वैवाहिक बलात्कार का. क्या वैश्विक रूप से उठते समाज के इस गूढ़ प्रश्न का जवाब मनुष्य के ही पास है?

कैसे सुलझेगी गुत्थी

दरअसल, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वैवाहिक बलात्कार के मामलों में पतियों को दी गई ‘छूट’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को को 4 सप्ताह के लिए टाल दिया. प्रधान न्यायाधीश 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसे में स्पष्ट हो जाता है कि अब भारत के नए प्रधान न्यायाधीश ही वैवाहिक बलात्कार की गुत्थी को सुलझाएंगे.

आइए, आप को बताते हैं कि देश के सब से बड़े न्यायालय में 23 अक्तूबर, 2024 को वैवाहिक बलात्कार के मसले पर क्या संवाद हुआ :

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकीलों से पूछा कि अलगअलग दलील पेश करने के लिए उन्हें कितना वक्त चाहिए?

यह कि पीठ ने याचिकाओं पर 17 अक्तूबर, 2024 को अंतिम सुनवाई शुरू की थी. एक पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल
शंकरनारायण ने कहा,”उन्हें अपनी दलीलें पूरी करने के लिए कम से कम 1 दिन का वक्त लगेगा क्योंकि इस तरह के महत्त्वपूर्ण विषय में जरूरी विस्तृत दलीलों को वह संक्षिप्त नहीं करना चाहते.”

दूसरी तरफ केंद्र की ओर से सौलिसिटर जनरल तुषार मेहता, महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और एक महिला की पैरवी कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन में से प्रत्येक को दलील पूरी करने के लिए 1-1 दिन का वक्त चाहिए.

फैसला कब तक

इधर उच्चतम अदालत दीवाली की छुट्टियों के लिए 26 अक्तूबर, 2024 को बंद हो रही है और 4 नवंबर को खुलेगी. मामले की सुनवाई करने और फैसला सुनाने के लिए प्रधान न्यायाधीश के पास 5 दिन ही शेष बचेंगे.

ऐसे में प्रधान न्यायाधीश ने कहा,”यदि इस हफ्ते दलीलें पूरी नहीं हो पाती हैं तो उन के लिए निर्णय सुना पाना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वे 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. समय के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि निकट भविष्य में सुनवाई पूरी करना संभव नहीं होगा. याचिकाओं को 4 सप्ताह बाद किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.”

अधिवक्ता शंकरनारायण ने कहा,”हमें बहुत अफसोस है कि हम इसे जारी रखना चाहते हैं.”

सौलिसिटर जनरल ने कहा,”केंद्र का यह कहना है कि विवाह सहमति की अवधारणा को समाप्त नहीं करता, लेकिन साथ ही वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में डालने के लिए मामले का विभिन्न दृष्टिकोणों से आंकलन करना होगा.”

वहीं एक याचिकाकर्ता की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा,”याचिका देश की करोड़ों महिलाओं के बारे में है और इस की ‘अत्यधिक तात्कालिकता’ है. प्रधान न्यायाधीश सुनवाई जारी रखें क्योंकि उन्होंने पूर्व में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय सुनाए हैं.”

पीठ ने 17 अक्तूबर, 2024 को कहा था कि यह भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के उन दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर निर्णय करेगी, जो पत्नी के
नाबालिग नहीं होने की स्थिति में उस के साथ जबरन यौन संबंध बनाने पर बलात्कार के अपराध के लिए पति को अभियोजन से छूट प्रदान करते हैं.

अंत में प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं से केंद्र की इस दलील पर विचार मांगा कि ऐसे कृत्यों को दंडनीय बनाने से वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा और विवाह नाम की संस्था प्रभावित होगी.

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद खंड को अब निरस्त कर दिया गया है और बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। इस अपवाद खंड के तहत पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना, यदि पत्नी नाबालिग न हो, बलात्कार नहीं है.

नए कानून के तहत भी धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद खंड 2 में कहा गया है कि पति द्वारा पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना, यदि पत्नी 18 वर्ष से कम आयु की न हो, बलात्कार नहीं है.

वैवाहिक बलात्कार का सवाल

दरअसल, जीवनसाथी की सहमति के बिना उन के साथ यौन संबंध बनाना एक तरह से घरेलू हिंसा और यौन शोषण है। हालांकि पहले शादी के बाद संभोग को पति या पत्नी का अधिकार माना जाता था, मगर अब यह एक कानूनन अपराध माना जाने लगा है और अनेक देशों में इस के लिए कानूनी उपचार हैं.

वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने की अवधारणा समय के साथ विकसित हुई है.1960 के समय में नारीवाद की लहर उठी। इस दौरान महिलाओं को अपने शरीर से संबंधित निर्णय लेने और सहमति वापस लेने का अधिकार दिया गया। आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किया गया है.

वैवाहिक बलात्कार की घटनाएं समाज में अकसर होती हैं, जो भारत में भी आज बड़ा सवाल बन गया है.

देश में वैवाहिक बलात्कार कानून

हमारे देश में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है. 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की.
अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार कानून 1993 में, अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया. इस से पहले कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता था.

आस्ट्रेलिया में वैवाहिक बलात्कार कानून 1980 के सालों में अपराध मानने वाला कानून पारित किया गया.

यूनाइटेड किंगडम में वैवाहिक बलात्कार कानून 1991 में, वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया.

नौर्वे में वैवाहिक बलात्कार कानून 1990 में, अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया.

इन मामलों से दुनिया में चर्चा पैदा की

मैरी वौकर का मामला (अमेरिका) : 1980 में मैरी वौकर ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ पहला मामला था.

किरण निधि का मामला : भारत में 2015 में किरण निधि ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला भारत में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ महत्त्वपूर्ण मामलों में से एक है.

लारा मिलर का मामला : यूनाइटेड किंगडम में 2013 में लारा मिलर ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला यूनाइटेड किंगडम में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ महत्त्वपूर्ण मामलों में से एक है.

यह कुछ उदाहरण हैं जो वैवाहिक बलात्कार की गंभीरता और इस के खिलाफ लड़ने की आवश्यकता को दर्शाते हैं. देखना यह होगा कि दुनियाभर में वैवाहिक बलात्कार की कुछ परिस्थितियों को कानून अपराध मानने का कानून बन जाने के बाद भी भारत जैसे देश में इस मसले पर कानून का ऊंट किस करवट बैठता है।

फिल्म ‘कांगुवा’ की प्रैस कौन्फ्रैंस के दौरान साउथ के सुपरस्टार सूर्या क्यों हुए भावुक?

हाल ही में मुंबई में फिल्म ‘कांगुआ’ का ट्रैलर लौंच हुआ जहां पर साउथ के सुपरस्टार सूर्या और बौबी देओल जोकि इस फिल्म में खूंखार विलेन का किरदार निभा रहे हैं, हीरोइन दिशा पटानी और ‘कांगुआ’ की पूरी टीम शामिल हुई.

साउथ की सुपरहिट फिल्में ‘गजनी’,’ ‘जय भीम’, ‘सिंघम’ आदि रही हैं और जिस में से फिल्म ‘गजनी’ और ‘सिंघम’ की रीमेक में काम कर के आमिर खान और अजय देवगन ने अपार लोकप्रियता बटोरी है।

बौबी देओल पर फिदा

सूर्या हिंदी फिल्मों की मीडिया के सामने बहुत ही डाउन टू अर्थ नजर आए. गौरतलब है कौन्फ्रेंस के दौरान सूर्या बाबी देओल पर पूरी तरह फिदा नजर आए.

प्रैस कौन्फ्रेंस के दौरान जहां सूर्या ने बौबी देओल की तारीफों के पुल बांध दिए, वहीं सूर्या बौबी देओल पर प्यार लुटाते हुए प्रैस कौन्फ्रेंस के दौरान गले मिलते नजर आए.

सूर्या का प्यार देख कर बौबी देओल ने भी सूर्या को गले से लगा लिया. ऐसे में कहना गलत न होगा कि भले ही साउथ के ऐक्टर वहां पर सुपरस्टार हैं लेकिन बौलीवुड हीरो से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते.

बनेंगे खतरनाक विलेन

बौबी देओल हों, संजय दत्त हों या फिर सलमान खान, बौलीवुड के इन सभी हीरोज पर साउथ के ऐक्टर जान छिड़कते नजर आते हैं. बौबी देओल की फिल्मों की अगर बात करें तो फिल्म ‘एनिमल’ के बाद बौबी देओल फिल्म ‘कगुवा’ में भी खतरनाक विलेन के रोल में नजर आएंगे.

इस के अलावे भी बौबी आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म ‘अल्फा’ में भी विलेन के किरदार में नजर आएंगे. इस के अलावा फिल्म ‘हरिहरा वीरा मल्लू’, ‘थलापति 69’, ‘एनिमल पार्क’, ‘एनबीके 109’ और प्रियदर्शन की अगली फिल्म में भी बौबी देओल विलेन की किरदार में नजर आने वाले हैं.

क्लींजिंग करना क्यों है जरूरी, जानें इसका सही तरीका

क्लींजिंग यंग लड़कियों के लिए स्किन केयर का पहला और सब से महत्त्वपूर्ण कदम है. यंग लड़कियों की त्वचा कोमल, नाजुक और हारमोनल बदलावों के कारण सेंसिटिव होती है. इस उम्र में त्वचा पर तेल, धूलमिट्टी और पसीना अधिक जमा होता है, जिस से ऐक्ने, ब्लैकहेड्स और अन्य स्किन प्रौब्लम्स की समस्या बढ़ सकती है.

ऐसे में, डेली क्लींजिंग करना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि यह स्किन की गंदगी को हटा कर उसे स्वस्थ, साफ और चमकदार बनाए रखने में मदद करती है. इसलिए एक अच्छी क्लींजिंग रूटीन को अपना कर यंग लड़कियां अपनी स्किन को हर रोज तरोताजा और खूबसूरत रख सकती हैं.

क्लींजिंग क्या है

क्लींजिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस में त्वचा पर जमी धूल, गंदगी, तेल और मेकअप को हटाया जाता है. यह स्किन केयर रूटीन का पहला और सब से महत्त्वपूर्ण कदम है. यह पोर्स को खोलता है और त्वचा को सांस लेने में मदद करता है, जिस से त्वचा में ग्लो बना रहता है.

यंग लड़कियों के लिए क्लींजिंग क्यों जरूरी है

● हारमोनल बदलाव और ऐक्ने की समस्या : यंग लड़कियों में हारमोनल बदलाव के कारण त्वचा पर ऐक्ने (पिंपल्स) होने की समस्या आम होती है. क्लींजिंग से चेहरे पर जमा अतिरिक्त तेल और गंदगी हटती है, जिस से पोर्स बंद नहीं होते और ऐक्ने की समस्या कम हो जाती है.

● त्वचा को ताजगी और नमी प्रदान करना : क्लींजिंग से त्वचा की गहराई से सफाई होती है, जिस से त्वचा ताजगी और नमी से भरपूर रहती है. जब त्वचा साफ रहती है, तो मौइश्चराइजर और अन्य स्किन केयर प्रोडक्ट्स अच्छे से त्वचा में समाहित हो जाते हैं, जिस से त्वचा हाइड्रेटेड और मुलायम रहती है.

● प्रदूषण और धूल से बचाव : आजकल के पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई है, जो त्वचा पर हानिकारक प्रभाव डालती है. धूल, धुआं और अन्य प्रदूषक तत्त्व त्वचा पर जम जाते हैं और अगर इन्हें सही समय पर साफ न किया जाए, तो यह त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. क्लींजिंग से त्वचा पर जमी हुई गंदगी को आसानी से हटाया जा सकता है.

● त्वचा की प्राकृतिक चमक बनाए रखना : नियमित रूप से क्लींजिंग करने से त्वचा की प्राकृतिक चमक बरकरार रहती है. जब चेहरे पर गंदगी या अतिरिक्त तेल जमा हो जाता है, तो त्वचा डल (dull) दिखने लगती है. क्लींजिंग से इस गंदगी को हटाया जा सकता है, जिस से त्वचा साफ और चमकदार नजर आती है.

● ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स से बचाव : यंग लड़कियों की त्वचा पर ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स की समस्या आम होती है, जो त्वचा पर गंदगी और तेल जमने के कारण होते हैं. क्लींजिंग से पोर्स की सफाई होती है और ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स की समस्या को कम किया जा सकता है.

क्लींजिंग करने का सही तरीका

● सही क्लींजर चुनना : हर लड़की की त्वचा का प्रकार अलग होता है. क्लींजर का चुनाव हमेशा अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार करना चाहिए.

● औयली स्किन : टी ट्री औयल या नीमयुक्त क्लींजर अच्छा होता है.

● ड्राई स्किन : हाइड्रेटिंग क्लींजर, जिस में शिया बटर या एलोवेरा हो, बेहतर रहेगा.

● सैंसिटिव स्किन : सौम्य और बिना खुशबू वाले क्लींजर का इस्तेमाल करें, ताकि त्वचा पर जलन न हो.

दिन में 2 बार क्लींजिंग करें

यंग लड़कियों को दिन में कम से कम 2 बार क्लींजिंग जरूर करनी चाहिए, एक बार सुबह और एक बार रात में सोने से पहले. इस से दिनभर की धूलमिट्टी और रातभर का अतिरिक्त तेल साफ हो जाता है.

हलके हाथों से मसाज करें

क्लींजर को चेहरे पर हलके हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें. इस से रक्तसंचार बेहतर होता है और त्वचा की सफाई अच्छे से हो जाती है. मसाज करते समय ध्यान रखें कि इसे बहुत जोर से न रगड़ें, क्योंकि इस से त्वचा को नुकसान हो सकता है.

कुनकुने पानी से धोएं

क्लींजिंग के बाद चेहरे को कुनकुने पानी से धोना चाहिए, ताकि पोर्स खुल जाएं और गंदगी अच्छे से निकल जाए. इस के बाद तौलिए से हलके हाथों से चेहरा पोंछ लें.

क्लींजिंग के बाद मौइश्चराइजर लगाएं

क्लींजिंग के बाद त्वचा पर मौइश्चराइजर लगाना जरूरी है, ताकि त्वचा में नमी बनी रहे और वह मुलायम दिखे. खासकर ड्राई स्किन वालों को यह स्टैप कभी नहीं छोड़ना चाहिए.

क्लींजिंग के फायदे

● त्वचा साफ और चमकदार रहती है.

● ऐक्ने, ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स की समस्या कम होती है.

● त्वचा हाइड्रेटेड और स्वस्थ रहती है.

वर्क लाइफ बैलेंस की चिंता छोड़ एक महिला के लिए जौब करना क्यों है जरूरी ?

आज जमाना बदला है और महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए एक खुला आसमान मिल गया है. वे अपनी काबिलियत दिखा कर ऊंचे ओहदों तक पहुंच रही हैं. कामकाजी बन कर पैसे अपनी मुट्ठी में कर रही हैं. पर यह सब उन के लिए इतना आसान भी नहीं. उन्हें घरपरिवार और बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी के साथ जौब की जिम्मेदारियां उठानी पड़ रही हैं. इस चक्कर में कई दफा उन का वर्क लाइफ बैलेंस बिगड़ भी जाता है. वे हतोत्साहित भी हो जाती हैं. मगर फिर भी उन्हें अपने मकसद पर टिके रहना है. यही तो उन की असली जंग है.

क्या कहता है सर्वे

‘वूमेन इन इंडिया इंक एचआर मैनेजर्स सर्वे रिपोर्ट’ के अनुसार देश में 34% महिलाएं वर्क लाइफ बैलेंस के कारण नौकरी छोड़ देती हैं जबकि पुरुषों में यह सिर्फ 4 प्रतिशत के लिए होता है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के नौकरी छोड़ने के शीर्ष 3 कारणों में वेतन संबंधी चिंताएं, कैरियर के अवसर और वर्क लाइफ बैलेंस हैं. वहीं पुरुषों के लिए इस के कारण वेतन संबंधी चिंताएं, कैरियर के अवसर और भविष्य में रोजगार की दिशा है.

आईआईएम अहमदाबाद की जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में केवल 32.25% महिलाएं ही वर्कलाइफ बैलेंस कर पाती हैं.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में काफी अधिक तनावग्रस्त होती हैं, जिस का मुख्य कारण ‘वर्क लाइफ बैलेंस की कमी’ है. कामकाजी जीवन में संतुलन की कमी तनाव का मुख्य कारण है.

दरअसल, रोजगार की दुनिया में महिलाओं का आना और टिकना बेहद मुश्किल है. हमारे पितृसत्तात्मक समाज में एक कामकाजी महिला से यह उम्मीद की जाती है कि वह घर के काम, बच्चों और परिवार के सदस्यों की देखभाल पर भी पूरा समय देगी. तीजत्योहार हो या घर में किसी की शादी, बच्चे का जन्म हो या घरों में बड़ेबुजुर्गों की बीमारी, महिलाओं को अपने काम के साथ इन सभी हालात को संभालने के लिए वक्त निकालना होता है.

यही वजह है कि अकसर कंपनियां महिलाओं को विशेषकर शादीशुदा महिलाओं को एसेट नहीं बल्कि लियैबिलिटी समझती है. समस्या हमारे समाज और परिवार की भी है जो महिलाओं को नौकरी की इजाजत तो देता है पर साथ ही यह उम्मीद करता है कि वह घर के काम और बच्चों की जिम्मेदारी में मदद नहीं मांगेंगी.

दोहरी जिम्मेदारियों का बोझ

शहरीकरण और आधुनिकीकरण के कारण भारतीय परिवारों की सोच में बदलाव आ रहे हैं. महिलाओं ने अपने घरों में पैसों की तंगी दूर करने और आत्मनिर्भर जिंदगी के लिए नौकरियां करनी शुरू की हैं. लेकिन घर वाले अकसर कामकाजी महिलाओं का साथ नहीं देते हैं. औरतों के ऊपर काम पर जाने से पहले और घर आ कर भी घर के काम और बच्चों की जिम्मेदारी होती हैं जबकि पति को इन कामों में योगदान देने की जरूरत नहीं होती. कामकाजी महिलाओं को न केवल अपने पेशेवर जीवन में सफल होना होता है बल्कि उन्हें अपने घर और परिवार की देखभाल भी करनी होती है. नतीजा वे हमेशा दोहरी जिम्मेदारी निभाती हैं जिस से मानसिक और शारीरिक थकान बढ़ती है.

बच्चे संभालना सिर्फ मां की जिम्मेदारी

मातृत्व को इतना ज्यादा गौरवान्वित किया गया है कि महानता के चक्कर में समानता नहीं रह पाती. हमारे घरों में कामों का समान बंटवारा वैसे भी नहीं. कामकाजी महिलाओं के लिए भले कई कंपनियों में आज मैटरनिटी लीव का प्रावधान हो पर हकीकत यह है कि बच्चे को कम से कम 1 या डेढ़ साल तक हर समय देखभाल की आवश्यकता पड़ती है. महिलाओं से उम्मीद की जाती है कि अगर वे कामकाजी हैं तो भी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी. घर के आदमी अकसर बच्चों को नहलानेधुलाने, पोटी साफ करने, खिलानेपिलाने या पढ़ाने जैसे कामों में सहयोग नहीं देते. यह सब काम मां को ही करने होते हैं. ऐसे में उन्हें या तो जौब छोड़नी पड़ती है या फिर वर्क लाइफ बैलेंस नहीं हो पाता. यही वजह है कि अकसर किसी बहुत बड़ी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम कर रही महिला या तो सिंगल है, तलाकशुदा है या फिर विधवा.

एक ऐसी महिला जो शादी में है और जिस के बच्चे हैं उस के लिए घर और काम में संतुलन बनाए रखना बेहद मुश्किल हो जाता है.

ससुराल में बहू से उम्मीदें

अकसर एक महिला को अपने मायके और ससुराल में एकजैसा वातावरण नहीं मिलता. मायके में रहते हुए वे आसानी से नौकरी कर पाती हैं क्योंकि मां, बहनें या भाभियां जिम्मेदारियां संभाल लेती हैं पर वहीं ससुराल में उन से उम्मीदें बहुत होतीं हैं. सारे काम उसे खुद ही निबटाने होते हैं. इस वजह से उन का वर्क लाइफ बैलेंस बिगड़ने लगता है. अच्छे पद के बावजूद घरों में अकसर पुरुष और महिला के काम को समान महत्त्व नहीं मिलता. महिलाओं के काम को कई बार सिर्फ हौबी के रूप में देखा जाता है. तभी तो देश के कार्य बल में आदमियों की हिस्सेदारी ही ज्यादा रहती है.

मानसिक स्वास्थ्य और काम का दबाव

कारपोरेट जगत में काम का अत्यधिक दबाव महिलाओं पर मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव डालता है. मानसिक तनाव के कारण महिलाओं में अवसाद, चिंता और आत्महत्या से मौत की प्रवृत्ति जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. कई बार महिलाएं अपनी काबिलियत के बावजूद उन्नति और प्रमोशन से वंचित रह जाती हैं जो उन्हें मानसिक रूप से हताश कर देता है.

क्या हो सकता है समाधान की दिशा में कदम

महिलाओं के लिए वर्क लाइफ बैलेंस के लिए जरूरी है कि समाज और कार्यस्थल दोनों में बदलाव आएं. जरूरी है कि हम बदलाव की शुरुआत घरों से करें. जहां हम महिलाओं के आगे बढ़ने की बात कहते हैं, वहीं यह भी जरूरी है कि हम पुरुषों के साथसाथ परिवार को भी सिखाएं कि नौकरीपेशा या नौकरी की इच्छा रखने वाली हजारों काबिल महिलाओं का साथ देने के लिए खुद को आगे आना होगा. कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए लचीले काम के घंटे, मातृत्व अवकाश और सुरक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. इस के अलावा घरेलू जिम्मेदारियों को भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं को राहत मिल सके. कार्यस्थल पर लैंगिक समानता को बढ़ावा दे कर महिलाओं को मानसिक तनाव से बचाया जा सकता है.

महिलाएं नौकरी करने की अहमियत को समझें

इन सब से ऊपर महिलाओं को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. कितनी भी परेशानी आए उन्हें अपना काम नहीं छोड़ना चाहिए. औरतों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. उन्हें समझना चाहिए कि नौकरी करना या कामकाजी होना उन के लिए कितने फायदे की बात है. अगर आप कामकाजी हैं तो आप के पास अपने कमाए रुपए आते हैं. उन रुपयों का रुतबा ही अलग होता है. नौकरी आप की आजादी की चाबी है. आप अपने घर से 8-9 घंटे बाहर रहती हैं. इतने घंटे आप के अपने होते हैं. औफिस में या काम की जगह पर आप कितने ही लोगों से मिलती हैं. आप का मन बदलता है. कुछ करने की प्रेरणा मिलती है. लोगों से बातें कर के आप का दिमाग खुलता है. आप के नए दोस्त बनते हैं. उन के साथ आप जिंदगी को अलग नजरिए से देख पाती हैं. आप के पास सोचने करने और जीने का नया अंदाज होता है. कुछ घंटों के लिए ही सही मगर आप घर के बोरिंग कामों से छुटकारा पाती हैं. कहीं जाने और लोगों से मिलने का मौका मिलता है.

इसलिए भले ही आप की सैलरी इतनी कम हो कि अधिकांश रूपए आनेजाने के किराए में खर्च हो जाते हैं पर आप काम जरूर करें. भले ही आप को घर जा कर घरेलू काम निबटाने की टैंशन रहती हो मगर नौकरी न छोड़ें. जिंदगी में बिलकुल फुरसत नहीं मिल पाती हो तो भी कामकाजी बनी रहें क्योंकि यह आप के आगे बढ़ने, आजादी महसूस करने और खुद को पहचानने का जरीया है. घर में रह कर घरेलू कामों में लगे रहने या फिर भजन कीर्तन और फोन पर गप्पें मारने से बहुत अच्छा है औफिस में आम कर के अपनी काबिलियत दिखाना. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है और नजरिया विकसित होता है. वर्क लाइफ बैलेंस बने न बने पर अपने आप को औफिस जाने और काम करने से न रोकें.

आत्मसम्मान: रवि के सौदे का क्या था अंजाम

रवि को फ्लैट अच्छा लगा. हवादार, सारे दिन की धूप, बड़े कमरे, बड़ी रसोई, बड़े बाथरूम. पहली नजर में ही रवि को पसंद आ गया. दाम कुछ अधिक लग रहा है, दूसरे ब्रोकर्स कम कीमत में फ्लैट दिलाने को कह रहे थे परंतु रवि मनपसंद  फ्लैट, जैसे उस की कल्पना थी वैसा, पा कर कुछ अधिक कीमत देने को तैयार हो गया. पत्नी रीना और बच्चों को भी फ्लैट पसंद आया. लोकेशन औफिस के पास होने के कारण रवि ने उस फ्लैट को खरीदने के लिए ब्रोकर से कहा. फ्लैट के मालिक से शाम को डील फाइनल करने के लिए समय तय हो गया.

रवि ने ब्रीफकेस में चैकबुक रखी और कैश निकालने के लिए बैंक गया. कार को बैंक के बाहर पार्क कर रवि ने बैंक से कैश निकाला. लगभग 10 मिनट बाद रवि जब बैंक से बाहर आया तब उस समय बहुत सी कारें आड़ीतिरछी पार्क थीं.

रवि सोचने लगा कि कार पार्किंग से कैसे बाहर आए. 2 कारों के बीच जगह थी. रवि कार को वहां से निकालने के लिए कार को उन 2 कारों के बीच में करने लगा, परंतु तेजी से एक बड़ी सी महंगी कार उन 2 कारों के बीच खाली जगह पर गोली की रफ्तार से दनदनाती हुई आई और रवि की कार के सामने तेजी से ब्रेक मार कर रुक गई.

कार में बैठा नवयुवक कीमती मोबाइल फोन पर बात कर रहा था और हाथ से कुछ इशारे कर रहा था जो रवि समझ नहीं सका. नवयुवक मोबाइल पर बात करता हुआ इशारे करता जा रहा था. रवि ने कार से उतर कर नवयुवक से अनुरोध किया कि उसे अपनी कार को निकालना है, सो प्लीज, उसे निकलने दीजिए, फिर आप इसी जगह पार्क कर लीजिए.

तभी वह युवक ताव में आ कर कहने लगा, ‘‘बुड्ढे, कार यहीं खड़ी होगी, इतनी देर से इशारा कर रहा हूं, कार पीछे कर. मेरी कार यहीं खड़ी होगी. समझा बुड्ढे या दूसरे तरीके से समझाना पड़ेगा. मेरे से बहस कर रहा है. पीछे हटा मच्छर को, नहीं तो मसल दूंगा, जरा सी आगे की तो उड़ जाएगी, पीछे हट. मेरी कार यहीं पार्क होगी.’’

इतना सुन कर रवि ने किसी अनहोनी से घबरा कर कार पीछे की और नवयुवक ने कार वहां पार्क की और गोली की रफ्तार से कार को लौक कर के मोबाइल पर बात करता हुआ चला गया. महंगी कार, सिरफिरा नवयुवक शायद कोई चाकू, पिस्तौल जेब में हो, चला दे. आजकल कुछ पता नहीं चलता. छोटीछोटी बातों पर आपा खो कर नवयुवक गोलीचाकू चला देते हैं. यही सोच कर रवि ने कार पीछे कर ली और लुटेपिटे खिलाड़ी की तरह होंठ पर हाथ रख कर सोचने लगा.

एक आम व्यक्ति की कोई औकात नहीं है. माना अमीर नहीं है, नौकरी करता है, मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है. एक छोटी सी कार उस की नजर में बड़ी संपति है, मगर एक मगरूर इंसान ने उसे मच्छर बना दिया. कोई कीमत नहीं है छोटी कार की. अमीर आदमी की नजर में वह और उस की कार की कोई कीमत नहीं. न सही, किसी के बारे में वह क्या कर सकता है. उस नवयुवक के घमंड को देख कर उस ने दांतों तले उंगली दबा ली.

वह इंतजार करने लगा कि आसपास खड़ी कोई कार हिले, तो वह अपनी कार को हिलाए. लगभग 20 मिनट बाद उस के पास खड़ी कार हटी, तब रवि को शांति मिली. उस का दिमाग, जो अब तक कई सौ मील दूर तक की कल्पना कर चुका था, जमीन पर आया, कार स्टार्ट की और घर वापस आया.शाम को रवि, रीना ब्रोकर सतीश के साथ फ्लैट मालिक ओंकारनाथ के औफिस पहुंचे. सतीश ने सेठ ओंकारनाथ का गुणगान शुरू किया. ‘‘सेठजी का क्या कहना, धन्ना सेठ हैं. प्रौपर्टी में निवेश करते हैं. पूरे देश में, हर कोने में सेठजी की प्रौपर्टी मिलेगी. बस, शहर का नाम लो, प्रौपर्टी हाजिर है. 100 से अधिक प्रौपर्टी हैं सेठजी की.’’

‘‘आज इस समय 140 प्रौपर्टीज हैं,’’ सेठजी ने पुष्टि की. ‘लोन मेरा पास हो गया है. आप प्रौपर्टी के कागजों की कौपी दे दें. मुझे पेमैंट की कोई चिंता नहीं है. अधिक से अधिक एक सप्ताह में पूरी पेमैंट हो जाएगी. प्रौपर्टी के कागज बैंक में दिखा कर लोन की पेमैंट हो जाएगी. बयाना मैं अभी दे देता हूं. सौदा पक्का कर लेते हैं. बस, आप एक बार कागज दिखा दीजिए,’’ रवि ने सेठजी से कहा.

‘‘ठीक है. अलमारी की चाबी मेरे लड़के के पास है. फोन कर के बुलाता हूं,’’ कह कर सेठजी ने फोन किया. 2 मिनट बाद सेठजी के लड़के ने औफिस में प्रवेश किया. मोबाइल पर बात करतेकरते अलमारी खोली और फाइल टेबल पर रखी. रवि ने लड़के को देखा. लड़का वही सुबह वाला नवयुवक था, जिस की महंगी कार ने उस की कार को निकलने नहीं दिया और घमंड में रवि का उपहास किया. रवि ने उसे पहचान लिया. बुड्ढा, मच्छर, उड़ा दूंगा, कार यहीं पार्क करूंगा, नहीं निकलने दूंगा कार, ये शब्द उस के कानों में बारबार गूंज रहे थे. रवि उस लड़के को लगातार देखता रहा. सतीश ने फाइल रवि की ओर करते हुए चुप्पी तोड़ी.

‘‘तसल्ली कर लीजिए और बयाना दे कर सौदा पक्का कीजिए.’’

‘‘सतीशजी, अब इस की कोई जरूरत नहीं है. आप कोई दूसरा सौदा बताना.’’

‘‘क्या बात है, रविजी, आप के सपने का फ्लैट आप को मिल रहा है, जिस की तलाश कर रहे थे, वह आप के सामने है.’’ रवि ने ब्रीफकेस को बंद किया और सौदा न करने पर खेद व्यक्त  किया और जाने के लिए कुरसी से उठा, ‘‘रीना, कोई दूसरा फ्लैट देखेंगे, अब चलते हैं.’’

‘‘मिस्टर रवि, कोई बात नहीं, आप फ्लैट खरीदना नहीं चाहते, यह आप का निर्णय है. परंतु मैं इस का कारण जानना चाहता हूं, क्योंकि आप इस फ्लैट के लिए उत्सुक थे. फाइल देखना चाहते थे. जब फाइल सामने रखी, तो बिना फाइल देखे इरादा बदल लिया,’’ सेठजी ने रवि से बैठने के लिए कहा.

‘‘सेठजी, यह मत पूछिए.’’

‘‘कोई बात नहीं. यदि कोई कड़वी बात है, वह भी बताओ. कारण जानना चाहता हूं.’’ ‘‘सेठजी, बात आत्मसम्मान की है. आज सुबह बहुत गालियां सुनी हैं. ठेस पहुंची है. कलेजे को चीर गई हैं बातें,’’ कह कर सुबह का किस्सा सुनाया, ‘‘वह नवयुवक और कोई नहीं, आप के सुपुत्र हैं. इसी कारण मैं ने अपने सपने को तोड़ा. जिस तरह के फ्लैट की चाह थी, जिस के लिए अधिक रकम देने को तैयार था, वही सौदा तोड़ रहा हूं. मेरा आत्मसम्मान मुझे सौदा करने की इजाजत नहीं देता. आप के सामने आर्थिक रूप में मेरी कोई औकात नहीं है. परंतु अमीरों का गरीबों की बिना बात के तौहीन करना उचित नहीं है. सिर्फ विनती की थी, कार निकालने के  लिए, 10-15 सैकंड में क्या फर्क पड़ता. कार मुझे तो निकालनी थी, पार्क तो आप की कार ही होती, परंतु आप के बरखुरदार ने मेरी खूब बेइज्जती की.’’ उठतेउठते रवि ने एक बात कही, ‘‘सेठजी, आप ने रुपएपैसों से अपने लड़के की जेबें भर रखी हैं. थोड़ी समझदारी, दुनियादारी की तालीम दीजिए. संयम रखना सिखाइए. इज्जत दीजिए और इज्जत लीजिए.’’

रवि चला गया. औफिस में रह गए सेठजी और उन के सुपुत्र. सेठजी कुछ कह नहीं सके. लड़के ने मोबाइल से फोन मिलाया और दनदनाता हुआ औफिस से बाहर चला गया.

मैं एक शादीशुदा आदमी से प्यार करती हूं, क्या यह रिश्ता सही है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 23 वर्षीय युवती हूं और एक शादीशुदा आदमी से प्यार करती हूं. हमारे बीच फिजिकल रिलेशन भी हैं. वह मुझे बहुत प्यार करता है और कहता है कि हम शादी करेंगे. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप जिस आग से खेल रही हैं वह एकसाथ कई परिवारों को जला सकती है. आप का तथाकथित प्रेमी आप को बेवकूफ बना रहा है. इस रिश्ते को यहीं विराम दे कर भविष्य संवारने में लग जाना ही अच्छा है. रही बात एक शादीशुदा व्यक्ति से शादी करने की, तो यह कानून में अवैध मानी जाएगी.

ये भी पढ़ें- 

रात के 10 बज रहे थे. 10वीं फ्लोर पर स्थित अपने फ्लैट से सोम कभी इस खिड़की से नीचे देखता तो कभी उस खिड़की से. उस की पत्नी सान्वी डिनर कर के नीचे टहलने गई थी. अभी तक नहीं आई थी. उन का 10 साल का बेटा धु्रव कार्टून देख रहा था. सोम अभी तक लैपटौप पर ही था, पर अब बोर होने लगा तो घर की चाबी ले कर नीचे उतर गया.

सोसाइटी में अभी भी अच्छीखासी रौनक थी. काफी लोग सैर कर रहे थे. सोम को सान्वी कहीं दिखाई नहीं दी. वह घूमताघूमता सोसाइटी के शौपिंग कौंप्लैक्स में भी चक्कर लगा आया. अचानक उसे दूर जहां रोशनी कम थी, सान्वी किसी पुरुष के साथ ठहाके लगाती दिखी तो उस का दिमाग चकरा गया. मन हुआ जा कर जोर का चांटा सान्वी के मुंह पर मारे पर आसपास के माहौल पर नजर डालते हुए सोम ने अपने गुस्से पर कंट्रोल कर उन दोनों के पीछे चलते हुए आवाज दी, ‘‘सान्वी.’’

सान्वी चौंक कर पलटी. चेहरे पर कई भाव आएगए. साथ चलते पुरुष से तो सोम खूब परिचित था ही. सो उसे मुसकरा कर बोलना ही पड़ा, ‘‘अरे प्रशांत, कैसे हो?’’

प्रशांत ने फौरन हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ाया, ‘‘मैं ठीक हूं, तुम सुनाओ, क्या हाल है?’’

सोम ने पूरी तरह से अपने दिलोदिमाग पर काबू रखते हुए आम बातें जारी रखीं. सान्वी चुप सी हो गई थी. सोम मौसम, सोसाइटी की आम बातें करने लगा. प्रशांत भी रोजमर्रा के ऐसे विषयों पर बातें करता हुआ कुछ दूर साथ चला. फिर ‘घर पर सब इंतजार कर रहे होंगे’ कह कर चला गया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें