कहीं आपने गलत बौयफ्रेंड को तो नहीं चुन लिया है? तो खुद को इस तरह बचाएं

प्यार बेशक दिल से होता है. जब किसी से दिल के तार जुड़ते हैं, तो उससे हर एक पल शेयर करना अच्छा लगता है, उसे हर तरह से खुश करने की कोशिश करते हैं. चाहे वह शख्स हमारे लिए सही हो या नहीं?
कुछ ऐसा ही हुआ था रिया के साथ.

उसे आदित्य से पहले ही नजर में प्यार हो गया था. रिया उससे पागलों की तरह प्यार करती थी. शौपिंग, पार्टी या कहीं घूमने जाना हो, हर चीज का खर्चा रिया उठाती थी. यों कहें तो वह आदित्य पर अपने कमाई का पूरा पैसा खर्च करती थी. वह अपने पैरेंट्स की सिंगल चाइल्ड थी. उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी और यह बात आदित्य को पता था. आदित्य इसी का फायदा उठाता था. एक दिन आदित्य का फोन गलती से रिया के पास छूट गया था और उसमें पासवर्ड नहीं था. रिया ने उसका फोन चेक करने लगी. मैसेज से पता चला कि वह किसी और लड़की के साथ इंगेज्ड है और वह सिर्फ पैसों के लिए रिया के साथ प्यार का नाटक कर रहा है. ये जानकर रिया के पैरों तले जमीन खिसक गई.

रिया जैसी कई लड़कियां होती हैं, जो किसी लड़के को कुछ दिनों डेट करती हैं, उसके बाद समझ आता है कि उन्होंने गलत बौयफ्रैंड (Boyfriend) को चुन लिया है. ऐसे में आप डेटिंग के शुरुआती दिनों में ही लड़के को कुछ ट्रिक से चेक कर सकती हैं ताकि आगे बौयफ्रेंड बदलने की नौबत न आए.

हालांकि किसी भी इंसान को एक या दो बार की मुलाकातों में पहचानना मुश्किल है, खासकर जहां दिल का मामला हो.. अधिकत्तर लड़कियां इसी सोच के कारण धोखा खा जाती हैं, इसलिए जिस लड़के को आप डेट कर रही हैं, उसे कुछ मुलाकातों में ही जानने की कोशिश करें. उसे परखें कि आप जितना उससे प्यार करती हैं, वह भी आपसे उतना ही प्यार करता है, कहा जाता है कि लड़कियों का सेंस औफ ह्यूमर तेज होता है, तो जहां आपके लाइफ का सवाल है, वहां अपना दिमाग जरूर लगाएं.

जैसे – आप दोनों कहीं बाहर रेस्टोरैंट में खाना खा रहे हों और आप थोड़ी देर शांत रहें, और उसे परखें कि बिल देते समय देखें वह पैसे पहले देता है या नहीं?

आप उससे कोई मदद मांगे और देखें कि वह इमीडीएटली मदद करने के लिए तैयार होता है या नहीं.. या कभी आपको पैसों की जरूरत पड़ती है, तो वह उस समय आपके साथ खड़ा रहता है ? जब आप अपने रिलेशनशिप की शुरुआत कर रही हैं, तो इन छोटीछोटी चीजों पर जरूर ध्यान दें.

विचारों को सम्मान न करना

कपल में विचारों को लेकर मतभेद होना आम बात है, लेकिन अपने पार्टनर के विचारों को सुनना और असहमति के बावजूद भी उसकी बातों को रिसपैक्ट देना एक स्ट्रौंग रिलेशनशिप की निशानी है. अगर आपका पार्टनर आपकी बातों का सम्मान न करता हो, तो आगे चलकर आपके लिए समस्या खड़ी हो सकती है, इसलिए समय रहते ही आपके पार्टनर को पहचानने की कोशिश करें.

छोटीछोटी बातों पर गुस्‍सा दिखाना

गुस्सैल स्वभाव होने के कारण पार्टनर हर बात पर सुनाते रहते हैं. अगर आपका भी पार्टनर ऐसा करता है, तो इस तरह के टौक्सिक रिश्ते से खुद को बचा लें. क्योंकि इस तरह के लोग मानसिक रूप से भी बीमार हो सकते हैं.

महिला पार्टनर को कमजोर समझना

अगर आपको डेटिंग के दौरान ये अहसास हो रहा है कि आपका होने वाला पार्टनर हर बात पर आपको कमजोर दिखाने की कोशिश करता है और बारबार आपसे महिला होने की कहता है. जितना जल्दी हो सके, ऐसे लोगों से सतर्क हो जाएं. इस तरह के लोग महिलाओं को अबला नारि समझकर उन्हें घर के चारदीवारी में कैद करने की सोच रखते हैं.

बातबात पर अपने पुरुष और आपके महिला होने की बात करता है और आपको कमजोर दिखाने की कोशिश करता है तो भी ऐसे लोगों से सकर्त हो जाएं. ऐसे लोग जीवन के कुछ मोड़ पर काफी डौमिनेटिंग हो जाते हैं और महिलाओं को घर के अंदर रहने वाली सोच रखते हैं.

रोहित शेट्टी की ‘सिंघम अगेन’ में Salman Khan आएंगे नजर? फैंस हुए ऐक्साइटेड

1 नवंबर 2024 को रोहित शेट्टी निर्देशित और अजय देवगन अभिनीत फिल्म सिंघम अगेन 3 रिलीज हो रही है. पहले की दो सिंघम- सिंघम 1 और सिंघम 2 भी दर्शकों द्वारा सराही गई. जिसमें एक फिल्म जहां अजय देवगन के साथ रणवीर सिंह नजर आए, वही सिंघम 2 में अक्षय कुमार भी अजय देवगन और रणवीर सिंह के साथ नजर आए. इस बार सिंघम अगेन में टाइगर श्राफ भी नजर आने वाले हैं.

जिसके चलते दर्शकों को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं कि सिंघम अगेन बौक्स औफिस पर धमाल मचाने वाली है. गौरतलब है रोहित शेट्टी अभी तक पुलिस वालों पर इतनी फिल्में बना चुके हैं कि कई लोग उनको सच का पुलिस वाला समझने लगे हैं. यही वजह है कि रोहित शेट्टी सिंघम की अन्य सीरीज बनाने की हिम्मत जुटा पाते हैं. खबरों के अनुसार पुलिस के किरदार में अपार लोकप्रियता प्राप्त कर चुके चुलबुल पांडे अर्थात सलमान खान ने भी अपने दबंग अंदाज में फ़िल्म दबंग 1 और दबंग 2 में बौक्स औफिस पर सफलता के झंडे गाड़े हैं.

इस फिल्म के अलावा भी सलमान खान की कई और फिल्में आई है जिसमे उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई हैं और वह फिल्म सुपरहिट रही है जैसे की फिल्म वांटेड. इसी चुलबुल पांडे अर्थात सलमान खान को रोहित शेट्टी अपनी अगली सिंघम फिल्म में खबरों के अनुसार चुलबुल पांडे वाले किरदार में ही कास्ट करने वाले हैं.

इस बात का जिक्र रोहित शेट्टी ने बिग बौस 18 के शो के दौरान भी किया. खबरों की माने तो सलमान खान जल्दी रोहित शेट्टी के साथ अगली सिंघम में नजर आएंगे. सलमान खान और पुलिस वालों का साथ काफी पुराना रहा है फिर चाहे वह रियल लाइफ हो या रील लाइफ हो. बहरहाल चुलबुल पांडे को रोहित शेट्टी की सिंघम सीरी वाली फिल्म में देखना दिलचस्प जरूर होगा.

अपने दो शोज एक साथ बंद होने की वजह से Nia Sharma कई दिनों तक कमरे से नहीं निकलीं बाहर

अभिनय क्षेत्र एक ऐसी जगह है जहां पर कई बार कलाकार ज्यादा काम मिलने के चलते इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें सांस लेने की फुर्सत नहीं होती. लेकिन वही कलाकार अचानक से इतनी खाली हो जाते हैं कि उनकी सांस रुकने लगती है क्योंकि काम न मिलने पर कई सारी परेशानियां सामने आ खड़ी होती हैं. ऐसा ही कुछ टीवी की प्रसिद्ध एक्ट्रेस निया शर्मा के साथ उस वक्त हुआ जब उनके पास ढेर सारा काम था और बिग बौस में उनकी एंट्री होने वाली थी इसके बाद 4 महीने बिग बौस में रहने के बाद वह पैसों से मालामाल होने वाली थी.

सुहागन चुड़ैल और लाफ्टर शेफ कलर्स चैनल के दो शोज निया शर्मा की झोली में थे. इसकी वजह से निया शर्मा बहुत व्यस्त थी इससे पहले भी करीबन 14 साल से जमाई राजा, एक हजारों में मेरी बहना है, जैसे कई शोज करने के बाद निया शर्मा टीवी इंडस्ट्री का जाना माना चेहरा है. यही वजह है कि इतने सालों में वह कभी खाली नहीं बैठी.

लेकिन हाल ही में बिग बौस शुरू होने की वजह से अच्छी टीआरपी वाला लाफ्टर शेफ कलर्स वालों ने कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया और सुहागन चुड़ैल अच्छी टीआरपी ना होने की वजह से बंद हो गया. जिसकी वजह से निया शर्मा के दो बड़े शोज बंद हो जाने की वजह से वह सदमे में आ गई. खबरों के अनुसार टेंशन के मारे वह कई दिनों तक अपने कमरे से ही नहीं निकली. लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपने आप को संभाल लिया.

निया शर्मा के अनुसार उनको कलर्स चैनल से कोई शिकायत नहीं है क्योंकि आज निया शर्मा जो भी हैं उनकी सफलता में कलर्स का बहुत बड़ा हाथ है. इसी वजह से बिग बौस 18 में अचानक न लेने की वजह से निया शर्मा ने चैनल वालों से यह भी जानने की कोशिश नहीं की कि अचानक उनको बिग बौस 18 से क्यों निकाल दिया गया. निया के अनुसार मुझे नहीं लगा कि मुझे चैनल वालों से कोई सवाल जवाब करना चाहिए. क्योंकि अगर उन्होंने मुझे शो से आउट किया है तो पहले कई सारे सीरियल दिए भी है. जिसके लिए मैं हमेशा कलर्स चैनल की आभारी रहूंगी.

पर्सनल लाइफ में निया शर्मा बहुत ही मुंहफट और अपनी बात डंके की चोट पर कहने वालों में से है.
उन्होंने अपना 14 साल का करियर बहुत ही तकलीफों और संघर्ष के साथ तय किया है. इसलिए कामयाबी की अहमियत वह बहुत अच्छे से समझती हैं. निया के अनुसार वह मेहनत करने से नहीं घबराती. आज अगर उनके पास काम नहीं है तो मेहनत के चलते कल ज्यादा काम आ जाएगा. यह मुझे पूरा विश्वास है. ऐसा निया का मानना है.

रिटर्न गिफ्ट: अंकिता ने राकेशजी को कैसा रिटर्न गिफ्ट दिया

मैं  कालिज से 4 बजे के करीब बाहर आई तो शिखा और उस के पापा राकेशजी को अपने इंतजार में गेट  पास खड़ा पाया.

‘‘हैप्पी बर्थ डे, अंकिता,’’ शिखा यह कहती हुई भाग कर मेरे पास आई और गले से लग गई.

‘‘थैंक यू. मैं तो सोच रही थी कि शायद तुम्हें याद नहीं रहा मेरा जन्मदिन,’’ उस के हाथ से फूलों का गुलदस्ता लेते हुए मैं बहुत खुश हो गई.

‘‘मैं तो सचमुच भूल गई थी, पर पापा को तेरा जन्मदिन याद रहा.’’

‘‘पगली,’’ मैं ने नाराज होने का अभिनय किया और फिर हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़े.

राकेशजी से मुझे जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ मेरी मनपसंद चौकलेट का डब्बा भी मिला तो मैं किसी छोटी बच्ची की तरह तालियां बजाने से खुद को रोक नहीं पाई.

‘‘थैंक यू, सर. आप को कैसे पता लगा कि चौकलेट मेरी सब से बड़ी कमजोरी है? क्या मम्मी ने बताया?’’ मैं ने मुसकराते हुए पूछा.

‘‘नहीं,’’ उन्होंने मेरे बैठने के लिए कार का पिछला दरवाजा खोल दिया.

‘‘फिर किस ने बताया?’’

‘‘अरे, मेरे पास ढंग से काम करने वाले 2 कान हैं और पिछले 1 महीने में तुम्हारे मुंह से ‘आई लव चौकलेट्स’ मैं कम से कम 10 बार तो जरूर ही सुन चुका हूंगा.’’

‘‘क्या मैं डब्बा खोल लूं?’’ कार में बैठते ही मैं डब्बे की पैकिंग चैक करने लगी.

‘‘अभी रहने दो, अंकिता. इसे सब के सामने ही खोलना.’’

शिखा का यह जवाब सुन कर मैं चौंक पड़ी.

‘‘किन सब के सामने?’’ मैं ने यह सवाल उन दोनों से कई बार पूछा पर उन की मुसकराहटों के अलावा कोई जवाब नहीं मिला.

‘‘शिखा की बच्ची, मुझे तंग करने में तुझे बड़ा मजा आ रहा है न?’’ मैं ने रूठने का अभिनय किया तो वे दोनों जोर से हंस पड़े थे.

‘‘अच्छा, इतना तो बता दो कि हम जा कहां रहे हैं?’’ अपने मन की उत्सुकता शांत करने को मैं फिर से उन के पीछे पड़ गई.

‘‘मैं तो घर जा रही हूं,’’ शिखा के होंठों पर रहस्यमयी मुसकान उभर आई.

‘‘क्या हम सब वहीं नहीं जा रहे हैं?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘फिर तुम ही क्यों जा रही हो?’’

‘‘वह सीक्रेट तुम्हें नहीं बताया जा सकता है.’’

‘‘और आप कहां जा रहे हैं, सर?’’

‘‘मार्किट.’’

‘‘किसलिए?’’

‘‘यह सीक्रेट कुछ देर बाद ही तुम्हें पता लगेगा,’’ राकेशजी ने गोलमोल सा जवाब दिया और इस के बाद जब बापबेटी मेरे द्वारा पूछे गए हर सवाल पर ठहाका मार कर हंसने लगे तो मैं ने उन से कुछ भी उगलवाने की कोशिश छोड़ दी थी.

शिखा को घर के बाहर उतारने के बाद हम दोनों पास की मार्किट में पहुंच गए. राकेशजी ने कार एक रेडीमेड कपड़ों के बड़े से शोरूम के सामने रोक दी.

‘‘चलो, तुम्हें गिफ्ट दिला दिया जाए, बर्थ डे गर्ल,’’ कार लौक कर के उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और उस शोरूम की सीढि़यां चढ़ने लगे.

कुछ दिन पहले मैं शिखा के साथ इस मार्किट में घूमने आई थी. यहां की एक डमी, जो लाल रंग की टीशर्ट के साथ काली कैपरी पहने हुई थी, पहली नजर में ही मेरी नजरों को भा गई थी.

शिखा ने मेरी पसंद अपने पापा को जरूर बताई होगी क्योंकि 20 मिनट में ही उस डे्रस को राकेशजी ने मुझे खरीदवा दिया था.

‘‘वेरी ब्यूटीफुल,’’ मैं डे्रस पहन कर ट्रायल रूम से बाहर आई तो उन की आंखों में मैं ने तारीफ के भाव साफ पढ़े थे.

उन्होंने मुझे डे्रस बदलने नहीं दी और मुझे पहले पहने हुए कपड़े पैक कराने पड़े.

‘‘अब हम कहां जा रहे हैं, यह मुझे बताया जाएगा या यह बात अभी भी टौप सीक्रेट है?’’ कार में बैठते ही मैं ने उन्हें छेड़ा तो वह हौले से मुसकरा उठे थे.

‘‘क्या कुछ देर पास के पार्क में घूम लें?’’ वह अचानक गंभीर नजर आने लगे तो मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गईं.

‘‘मम्मी आफिस से घर पहुंच गई होंगी. मुझे घर जाना चाहिए,’’ मैं ने पार्क में जाने को टालना चाहा.

‘‘तुम्हारी मम्मी से भी तुम्हें मिलवा देंगे पर पहले पार्क में घूमेंगे. मैं तुम से कुछ खास बात करना चाहता हूं,’’ मेरे जवाब का इंतजार किए बिना उन्होंने कार आगे बढ़ा दी थी.

अब मेरे मन में जबरदस्त उथलपुथल मच गई. जो खास बात वह मुझ से करना चाहते थे उसे मैं सुनना भी चाहती थी और सुनने से मन डर भी रहा था.

मैं खामोश बैठ कर पिछले 1 महीने के बारे में सोचने लगी. शिखा और राकेशजी से मेरी जानपहचान इतनी ही पुरानी थी.

मम्मी के एक सहयोगी के बेटे की बरात में हम शामिल हुए तो पहले मेरी मुलाकात शिखा से हुई थी. मेरी तरह उसे भी नाचने का शौक था. हम दोनों दूल्हे के बाकी रिश्तेदारों को नहीं जानते थे, इसलिए हमारे बीच जल्दी ही अच्छी दोस्ती हो गई थी.

खाना खाते हुए शिखा ने अपने पापा राकेशजी से मेरा परिचय कराया था. उस पहली मुलाकात में ही उन्होंने अपने हंसमुख स्वभाव के कारण मुझे बहुत प्रभावित किया था. जब शिखा और मेरे साथ उन्होंने बढि़या डांस किया तो हमारे बीच उम्र का अंतर और भी कम हो गया, ऐसा मुझे लगा था.

शिखा से मेरी मुलाकात रोज ही होने लगी क्योंकि हमारे घर पासपास थे. अकसर वह मुझे अपने घर बुला लेती. जब तक मेरे लौटने का समय होता तब तक उस के पापा को आफिस से आए घंटा भर हो चुका होता था.

उन के साथ गपशप करने का मुझे इंतजार रहने लगा था. वह मेरा बहुत ध्यान रखते थे. हर बार मेरी मनपसंद खाने की कोई न कोई चीज वह मुझे जरूर खिलाते. उन के साथ हंसतेबोलते घंटे भर का समय निकल जाने का पता ही नहीं लगता था.

फिर उन्होंने मुझे घर तक छोड़ आने की जिम्मेदारी ले ली तो हम आधा घंटा और साथ रहने लगे. इस आधे घंटे के समय में उन्होंने मेरी जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जान लिया था.

जब पापा की सड़क दुर्घटना में 6 साल पहले मौत हुई थी तब मैं 14 साल की थी. मम्मी तो बुरी तरह से टूट गई थीं. उन्हें रातदिन रोते देख कर मैं कभीकभी इतनी ज्यादा दुखी और उदास हो जाती कि मन में आत्महत्या करने का विचार पैदा हो जाता. उस वक्त के बाद से मैं ने भगवान को मानना ही छोड़ दिया है.

मैं खुद को राकेशजी के इतना ज्यादा करीब महसूस करने लगी कि उन से मन की वे बातें कह जाती जो अब तक किसी को नहीं बताई थीं.

शिखा से मुझे उन के बारे में काफी जानकारी हासिल हुई :

‘वैसे तो मेरे पापा बहुत खुश रहते हैं पर कभीकभी अकेलापन उन्हें बहुत उदास कर जाता है. मैं उन से अकसर कहती हूं कि अकेलेपन को दूर करने के लिए कोई जीवनसाथी ढूंढ़ लो पर वह हंस कर मेरी बात टाल जाते हैं. मेरी शादी हो जाने के बाद तो पापा बहुत अकेले रह जाएंगे.’

शिखा को अपने पापा के लिए यों परेशान देख कर मुझे काफी हैरानी हुई थी.

‘मुझे तो शादी उसी युवक से करनी है जो मम्मी को अपने साथ रखने को राजी होगा. पापा की जगह मैं सारी जिंदगी उन की देखभाल करूंगी,’ मैं ने अपना फैसला शिखा को बताया तो वह चौंक पड़ी थी.

‘शादीशुदा बेटी का अपने मातापिता को साथ रखना हमारे समाज में संभव नहीं है अंकिता, और न ही मातापिता विवाहित बेटी के घर रहना चाहते हैं,’ शिखा की इस दलील को सुन कर मुझे गुस्सा आ गया था.

‘अगर ऐसा कोई चुनाव करना पड़ा तो मैं शादी करने से इनकार कर दूंगी पर मम्मी को अकेले छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता,’ मैं इस विषय पर शिखा से बहस करने को तैयार हो गई थी.

‘अच्छा यह बता कि तुझे अपने पापा की कितनी बातें याद हैं?’

‘वह गे्रट इनसान थे, शिखा. तभी तो हमारी जिंदगी में उन की जगह आज तक कोई दूसरा आदमी नहीं ले पाया है और न ले पाएगा,’ मेरी आंखों में अचानक आंसू छलक आए तो शिखा ने विषय बदल दिया था.

शिखा के पापा के साथ मेरे संबंध इतने करीबी हो गए थे कि उन से रोज मिले या फोन पर लंबी बात किए बिना मुझे चैन नहीं मिलता था.

उन्होंने जब पार्क के सामने कार रोकी तो मैं झटके से पुरानी यादों की दुनिया से निकल आई थी.

‘‘आओ,’’ उन्होंने बड़े अधिकार से मेरा हाथ पकड़ा और पार्क के गेट की तरफ बढ़ चले.

उन के हाथ का स्पर्श मैं बड़ी प्रबलता से महसूस कर रही थी. इस का कारण यह था कि उन को ले कर मेरे मन के भावों में पिछले दिनों बदलाव आया था.

करीब सप्ताह भर पहले मुझे घर छोड़ने के लिए जाते हुए उन्होंने इसी अंदाज में मेरा हाथ पकड़ कर कहा था, ‘‘अंकिता, तुम मुझे हमेशा अपना अच्छा दोस्त और शुभचिंतक मानना. हमारे बीच जो संबंध बना है, मैं उसे और ज्यादा गहराई और मजबूती देना चाहता हूं. क्या तुम मुझे ऐसा करने का मौका दोगी?’’

‘‘हम अच्छे दोस्त तो हैं ही,’’ उन की आंखों में अजीब सी बेचैनी के भाव को पहचान कर मैं ने जमीन की तरफ देखते हुए जवाब दिया था.

‘‘मैं तुम्हें दुनिया भर की खुशियां देना चाहता हूं.’’

‘‘थैंक यू, सर,’’ उस समय के बाद से मैं ने उन के लिए ‘अंकल’ का संबोधन त्याग दिया था.

उस दिन उन्होंने अपनी बात को आगे नहीं बढ़ाया था. रात भर करवटें बदलने के बाद मुझे ऐसा लगा कि हमारा रिश्ता उस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा था जिसे समाज गलत मानता है.

कम उम्र की लड़की के बड़ी उम्र के आदमी से प्यार हो जाने के किस्से मैं ने भी सुने थे, पर ऐसा कुछ मेरी जिंदगी में भी घट सकता है, यह मैं ने कभी नहीं सोचा था.

मेरा मन कह रहा था कि आज राकेशजी मुझ से प्रेम करने की बात अपनी जबान पर लाने वाले हैं. मैं उन्हें बहुत पसंद करती थी लेकिन उन के साथ गलत तरह का रिश्ता रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था. मैं अपनी मां और शिखा की नजरों में कैसे गिर सकती थी?

ये अगर कोई उलटीसीधी बात मुंह से न निकालें तो कितना अच्छा हो. तब मैं इन से अपने संबंध सदा के लिए तोड़ने की पीड़ा से बच जाऊंगी. मुझे अपनी प्रेमिका बनाने की इच्छा को जबान पर मत लाना, प्लीज. मन ही मन ऐसी प्रार्थना करते हुए मैं राकेशजी के साथ पार्क में प्रवेश कर गई थी.

मेरा हाथ पकड़ कर कुछ दूर चलने के बाद उन्होंने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘अपने जन्मदिन पर क्या तुम मुझे एक रिटर्न गिफ्ट दोगी?’’

‘‘मेरे बस में होगा तो जरूर दूंगी,’’ आगे पैदा होने वाली स्थिति का सामना करने के लिए मैं गंभीर हो गई.

कुछ पलों की खामोशी के बाद उन्होंने कहा, ‘‘अंकिता, जिंदगी में कभी ऐसे मौके भी आते हैं जब हमें पुरानी मान्यताओं और अडि़यल रुख को त्याग कर नए फैसले करने पड़ते हैं. नई परिस्थितियों को स्वीकार करना पड़ता है. क्या तुम्हें थोड़ाबहुत अंदाजा है कि मैं तुम से रिटर्न गिफ्ट में क्या चाहता हूं?’’

‘‘आप के मन की बात मैं कैसे बता सकती हूं,’’ मैं ने उन्हें आगे कुछ कहने से रोकने के लिए रूखे लहजे में जवाब दिया.

‘‘इस का जवाब मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुना कर देता हूं. किसी राज्य की राजकुमारी रोज सुबह भिखारियों को धन और कपड़े दोनों दिया करती थी. एक दिन महल के सामने एक फकीर आया और गरीबों की लाइन से हट कर चुपचाप एक तरफ खड़ा हो गया.

‘‘राजकुमारी के सेवकों ने उस से कई बार कहा कि वह लाइन में न भी लगे पर अपने मुंह से राजकुमारी से जो भी चाहिए उसे मांग तो ले. फकीर ने तब सहज भाव से उन लोगों को जवाब दिया था, ‘क्या तुम्हारी राजकुमारी को मेरा भूख से पिचका हुआ पेट, फटे कपड़े और खस्ता हालत नजर नहीं आ रही है? मुझे उस के सामने फिर भी हाथ फैलाने पड़ें या गिड़गिड़ाना पड़े तो बात का मजा क्या. और फिर मुझे ऐसी नासमझ राजकुमारी से कुछ नहीं चाहिए.’

‘‘अंकिता, जब कभी तुम्हें भी एहसास हो जाए कि मुझे रिटर्न गिफ्ट में क्या चाहिए तो खुद ही उसे मुझे दे देना. उस फकीर की तरह मैं भी कभी तुम्हें अपने मन की इच्छा अपने मुंह से नहीं बताना चाहूंगा,’’ उन्होंने बड़ी चालाकी से सारे मामले में पहल करने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर डाल दी थी.

‘‘जब मुझे आप की पसंद की गिफ्ट का एहसास हो जाएगा तो मैं अपना फैसला आप को जरूर बता दूंगी, अब यहां से चलें?’’

‘‘हां,’’ उन के चेहरे पर एक उदास सी मुसकान उभरी और हम वापस गेट की तरफ चल पड़े थे.

‘‘अब आप मुझे मेरे घर छोड़ दो, प्लीज,’’ मेरी इस प्रार्थना को सुन कर वह अचानक जोर से हंस पड़े थे.

‘‘अरे, अभी एक बढि़या सरप्राइज तुम्हारे लिए बचा कर रखा है. उस का मजा लेने के बाद घर जाना,’’ वह एकदम से सहज नजर आने लगे तो मेरा मन भी तनावमुक्त होने लगा था.

मुझे सचमुच उन के घर पहुंच कर जबरदस्त सरप्राइज मिला.

उन के ड्राइंगरूम में मेरी शानदार बर्थडे पार्टी का आयोजन शिखा ने बड़ी मेहनत से किया था. उस ने बड़ी शानदार सजावट की थी. मेरी खास सहेलियों को उस ने मुझ से छिपा कर बुलाया हुआ था.

‘‘हैप्पी बर्थडे, अंकिता,’’ मेरे अंदर घुसते ही सब ने तालियां बजा कर मेरा स्वागत किया तो मेरा मन खुशी से नाच उठा था.

अचानक मेरी नजर अपनी मम्मी पर पड़ी तो मैं जोशीले अंदाज में चिल्ला उठी, ‘‘अरे, आप यहां कैसे? इस शानदार पार्टी के बारे में आप को तो कम से कम मुझे जरूर बता देना चाहिए था.’’

‘‘हैप्पी बर्थडे, माई डार्लिंग. मुझे ही शिखा ने 2 घंटे पहले फोन कर के इस पार्टी की खबर दी तो मैं तुम्हें पहले से क्या बताती?’’ उन्होंने मुझे छाती से लगाने के बाद जब मेरा माथा प्यार से चूमा तो मेरी पलकें भीग उठी थीं.

कुछ देर बाद मैं ने चौकलेट वाला केक काटा. मेरी सहेलियों ने मौका नहीं चूका और मेरे गालों पर जम कर केक मला.

खाने का बहुत सारा सामान वहां था. हम सब सहेलियों ने डट कर पेट भरा और फिर डांस करने के मूड में आ गए. सब ने मिल कर सोफे दीवार से लगाए और कमरे में डांस करने की जगह बना ली.

मस्त हो कर नाचते हुए अचानक मेरी नजर राकेशजी पर पड़ी. वह मंत्रमुग्ध से हो कर मेरी मम्मी को देख रहे थे. तालियां बजा कर हम सब का उत्साह बढ़ा रही मम्मी को कतई अंदाजा नहीं था कि वह किसी की प्रेम भरी नजरों का आकर्षण केंद्र बनी हुई थीं.

उसी पल में बहुत सी बातें मेरी समझ में अपनेआप आ गईं, राकेशजी पिछले दिनों मम्मी को पाने के लिए मेरा दिल जीतने की कोशिश कर रहे थे और मैं कमअक्ल इस गलतफहमी का शिकार हो गई कि वह मुझ से इश्क लड़ाने के चक्कर में थे.

‘तो क्या मम्मी भी उन्हें चाहती हैं?’ अपने मन में उभरे इस सवाल का जवाब पाना मेरे लिए एकाएक ही बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया.

‘‘मैं पानी पी कर अभी आई,’’ अपनी सहेलियों से यह बहाना बना कर मैं ने नाचना रोका और सीधे राकेशजी के पास पहुंच गई.

‘‘तो आप मुझ से और ज्यादा गहरे और मजबूत संबंध मेरी मम्मी को अपनी जीवनसंगिनी बना कर कायम करना चाहते हैं?’’ मेरा यह स्पष्ट सवाल सुन कर राकेशजी पहले चौंके और फिर झेंपे से अंदाज में मुसकराते हुए उन्होंने अपना सिर कई बार ऊपरनीचे हिला कर ‘हां’ कहा.

‘‘और मम्मी क्या कहती हैं आप को अपना जीवनसाथी बनाने के बारे में?’’ मैं तनाव से भर उठी.

‘‘पता नहीं,’’ उन्होंने गहरी सांस छोड़ी.

‘‘इस ‘पता नहीं’ का क्या मतलब है, सर?’’

‘‘सारा आफिस जानता है कि तुम उन की जिंदगी में अपने सौतेले पिता की मौजूदगी को स्वीकार करने के हमेशा से खिलाफ रही हो. फिलहाल तो हम बस अच्छे सहयोगी हैं. अब तुम्हारी ‘हां’ हो जाए तो मैं उन का दिल जीतने की कोशिश शुरू करूं,’’ वह मेरी तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे.

‘‘क्या आप उन का दिल जीतने में सफल होने की उम्मीद रखते हैं?’’ कुछ पलों की खामोशी के बाद मैं ने संजीदा लहजे में पूछा.

‘‘अगर मैं ने बेटी का दिल जीत लिया है तो फिर यह काम भी कर लूंगा.’’

‘मेरा तो बाजा ही बजवा दिया था आप ने,’ मैं मुंह ही मुंह में बड़बड़ा उठी और फिर उन के बारे में अपने मनोभावों को याद कर जोर से शरमा भी गई.

‘‘क्या कहा तुम ने?’’ मेरी बड़बड़ाहट को वह समझ नहीं सके और मेरे शरमाने ने उन्हें उलझन का शिकार बना दिया था.

‘‘मैं ने कहा है कि मैं अभी ही आप के सवाल पर मम्मी का जवाब दिलवा देती हूं. वैसे क्या शिखा को आप के दिल की यह इच्छा मालूम है, अंकल?’’ बहुत दिनों के बाद मैं ने उन्हें उचित ढंग से संबोधित किया था.

‘‘तुम ने हरी झंडी दिखा दी तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा,’’ उन्होंने बड़े अधिकार से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उन के स्पर्श में सिर्फ स्नेह और अपनापन ही महसूस हुआ.

‘‘आप चलो मेरे साथ,’’ उन्हें साथ ले कर मैं मम्मी के पास आ गई.

मैं ने मम्मी से थोड़ा इतराते हुए पूछा, ‘‘मौम, अगर अपने साथ के लिए मैं एक हमउम्र बहन बना लूं तो आप को कोई एतराज होगा?’’

‘‘बिलकुल नहीं होगा,’’ मम्मी ने मुसकराते हुए फौरन जवाब दिया.

‘‘राकेश अंकल रिटर्न गिफ्ट मांग रहे हैं.’’

‘‘तो दे दो.’’

‘‘आप से पूछना जरूरी है, मौम.’’

‘‘समझ ले मैं ने ‘हां’ कर दी है.’’

‘‘बाद में नाराज मत होना.’’

‘‘नहीं होऊंगी, मेरी गुडि़या.’’

‘‘रिटर्न गिफ्ट में अंकल आप की दोस्ती चाहते हैं. आप संभालिए अपने इस दोस्त को और मैं चली अपनी नई बहन को खुशखबरी देने कि उस की जिंदगी में बड़ी प्यारी सी नई मां आ गई हैं,’’ मैं ने अपनी मम्मी का हाथ राकेशजी के हाथ में पकड़ाया और शिखा से मिलने जाने को तैयार हो गई.

‘‘इस रिटर्न गिफ्ट को मैं सारी जिंदगी बड़े प्यार से रखूंगा,’’ राकेशजी के मुंह से निकले इन शब्दों को सुन कर मम्मी जिस अंदाज में लजाईंशरमाईं, वह मेरी समझ से उन के दिल में अपने नए दोस्त के लिए कोमल भावनाएं होने का पक्का सुबूत था.

SALE : सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी, रखें इन बातों का ख्याल

डिस्काउंट और औफर का जादू ही ऐसा होता है कि हम बिना जरूरत की चीजें भी खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन कई बार यह सेल की खुशी जेब और दिल दोनों पर भारी पड़ जाती है. अगर सही सावधानी न बरती जाए तो यह शौपिंग हमें फायदा देने की बजाय नुकसान में डाल सकती है.

सेल में शौपिंग करते समय आप किनकिन बातों का ध्यान में रखें ताकि आप का अनुभव अच्छा रहे और बाद में पछतावा न हो :

नो रिटर्न पौलिसी का रखें ध्यान

अकसर सेल में दुकानदार ऐसे प्रोडक्ट बेचते हैं जो नो रिटर्न पौलिसी के अंतर्गत आते हैं. इस का मतलब है कि एक बार खरीदने के बाद आप को वह सामान किसी भी हालत में न ही वापस किया जाएगा ना ही एक्सचेंज यानी बदला जा सकता है. इसलिए कुछ खरीदने से पहले यह कन्फर्म अवश्य कर लें कि जिस प्रोडक्ट पर आप हाथ डाल रहे हैं, वह रिटर्नेबल है या नहीं.

• औफलाइन स्टोर्स : दुकानदार कई बार साफ नहीं बताते कि सेल के आइटम पर रिटर्न पौलिसी लागू नहीं है. इसलिए खरीदने से पहले खुल कर पूछें और रसीद संभाल कर रखें.

• औनलाइन शौपिंग : जल्दबाजी या हड़बड़ाहट में और्डर करने से बचें. प्रोडक्ट पेज पर नो रिटर्न पौलिसी का जिक्र कई बार छोटे अक्षरों में होता है, इसलिए ध्यान से पढ़ें. अगर नो रिर्टन पौलिसी दिखे तो उस प्रोडक्ट के बारे में पुराने कस्टमर्स के रिव्यू पर जरूर पढ़ें ताकि आप को सामान की क्वालिटी के बारे में कुछ अंदाजा हो जाए.

कपड़े का रखें खास ध्यान

सेल में कपड़े खरीदना एक अच्छा मौका हो सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि आप कपड़ों की गुणवत्ता और फिटिंग पर ध्यान दें.

• औफलाइन शॉपिंग : कपड़े का फैब्रिक जांच कर ही खरीदें. कई बार डिस्प्ले पर अच्छे कपड़े दिखते हैं, लेकिन असल में वे डैमेज हो सकते हैं. कहीं ऐसा न हो कि आप को घर आ कर कपड़ों में धागे खिंचे हुए या स्टिचिंग खराब मिले. कपड़े की हैंडलिंग के बारे में भी दुकानदार से पूछें। अगर निर्देश लिखें हैं तो उन्हें ध्यान से पढ़ें, उस के बाद ही उसे खरीदने का मन बनाएं.

• औनलाइन शौपिंग : औनलाइन शौपिंग में कपड़े का मैटीरियल साफ नजर नहीं आता. प्रोडक्ट के डिस्क्रिप्शन में दिए गए फैब्रिक डिटेल्स को ध्यान से पढ़ें ताकि बाद में आप को निराशा न हो. आप इस में पुराने कस्टमर्स के पिक्चर रिव्यू भी देख सकते हैं जिस में आप को समझ आए कि कपड़ा खराब क्वालिटी का तो नहीं है.

जूते खरीदते समय रहें सतर्क

सेल के दौरान कई बार जूते बड़े आकर्षक डिस्काउंट पर मिलते हैं, लेकिन यहां भी सावधानी जरूरी है.

• औफलाइन स्टोर्स : दुकानदार डिस्प्ले पर सही दिखने वाले जूते का डब्बे में खराब या मिक्स्ड पेयर रख देते हैं. इसलिए दोनों जूतों को अच्छी तरह से देखपरख कर ही खरीदें. अकसर डिस्पले में सालों से रखे जूते जो खराब हो गए हैं उन के दूसरे पेयर को सेल में दिखा कर खराब जोड़ी बेच दी जाती है, जो बाद में रिर्टन भी नहीं होती.

• नो रिटर्न के मामले : सेल के जूतों पर अकसर रिटर्न पौलिसी नहीं होती, इसलिए बाद में पछतावा न हो, इस के लिए पूरी तरह संतुष्ट हो कर ही खरीदें.

जल्दबाजी से बचें और जरूरतों पर ध्यान दें

सेल में अकसर हम डिस्काउंट के लालच में फंस कर ऐसी चीजें खरीद लेते हैं जिन की हमें जरूरत ही नहीं होती। इस तरह की शौपिंग से बचने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखें :

• खरीदारी से पहले एक लिस्ट तैयार कर लें कि आप को क्याक्या खरीदना है।

• अपने बजट का ध्यान रखें और सिर्फ उन चीजों पर खर्च करें जो आप के लिए जरूरी हैं।

• ‘सेल निकल जाएगी’ की घबराहट में जल्दबाजी न करें। हर साल सेल आती है, इसलिए इस बार न भी खरीदें तो अगली बार का इंतजार कर सकते हैं।

डिस्काउंट के जाल में फंसने से बचें

कई बार दुकानदार और औनलाइन पोर्टल बड़ी छूट का दिखावा करते हैं, लेकिन असलियत में उतना फायदा नहीं होता. कुछ दुकानदार पहले प्रोडक्ट का दाम बढ़ा देते हैं और फिर डिस्काउंट दिखा कर असली कीमत पर ही बेचते हैं.

• औनलाइन स्टोर्स पर प्राइस ट्रैकिंग टूल्स का इस्तेमाल करें, ताकि आप जान सकें कि वास्तव में छूट दी जा रही है या नहीं.

• किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उस की असली कीमत की तुलना दूसरे स्टोर्स पर भी कर लें. जल्दबाजी न करें, आप की मेहनत की कमाई है तो उसे खर्च करने से पहले विचार जरूर करें.

सेल में खरीदे गए सामान की देखभाल और उपयोग

अगर आप ने सेल से सामान खरीद लिया है, तो उस की देखभाल और उपयोग सही तरीके से करें ताकि वह ज्यादा समय तक टिकें. खासतौर पर कपड़ों और जूतों को निर्देशानुसार ही इस्तेमाल करें.

सेल में शौपिंग करना एक रोमांचक अनुभव हो सकता है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही इसे महंगा सौदा बना सकती है. रिटर्न पौलिसी की जानकारी, प्रोडक्ट की गुणवत्ता और अपनी जरूरतों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.

याद रखें, सेल में खरीदारी का मकसद सिर्फ पैसे बचाना नहीं, बल्कि सही चीजों का चुनाव करना भी है. अगर आप सावधानी से शौपिंग करेंगे तो सेल का मजा दोगुना हो जाएगा और आप का अनुभव भी बेहतरीन रहेगा. तो अगली बार जब सेल में जाएं, तो इन बातों का ध्यान रखें ताकि सेल में शौपिंग सस्ती के बजाय महंगी न पड़ जाए.

टैटू बनवाने से पहले जानें कुछ जरूरी बातें, इन बीमारियों का होता है खतरा

टैटू का क्रेज युवाओं में बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस की वजह है फैशन स्टेटमैंट. यंगस्टर्स सोचते हैं कि अगर हम टैटू कराएंगे तो कूल नजर आएंगे. हालांकि टैटू एक प्राचीन कला है, जिस की जड़ें हजारों साल पुरानी हैं.

टैटू कराना कितना फायदेमंद है, यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन यह आप के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है, यह जानना आप के बेहद जरूरी है :

त्वचा संक्रमण का खतरा

टैटू कराने के लिए आप ऐक्साइटेड तो बहुत हो जाते हैं लेकिन आप को यह भी पता होना चाहिए कि इस की सुइयां सीधी त्वचा के नीचे जा कर इंक को इंजैक्ट करती हैं, जिस से त्वचा में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

अगर टैटू बनाने के दौरान सफाई का ध्यान नहीं रखा गया या इंक और उपकरण अच्छी तरह से स्टरलाइज नहीं किए गए, तो बैक्टीरिया और अन्य संक्रमण फैल सकते हैं। यह स्थिति त्वचा पर लालिमा, सूजन, दर्द और फोड़े जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं.

ऐलर्जी रिएक्शन

टैटू इंक में मौजूद रसायन और धातुएं कभीकभी त्वचा पर ऐलर्जी भी कर सकती हैं. लाल, नीले, पीले, और हरे रंग की स्याही में अकसर ऐलर्जिक तत्त्व होते हैं जो त्वचा में जलन, खुजली या लाल धब्बों का कारण बन सकते हैं. कभीकभी यह ऐलर्जी लंबे समय तक बनी रह सकती है और इस का इलाज मुश्किल हो सकता है.

हेपेटाइटिस और एचआईवी जैसी बीमारियों का खतरा

अगर टैटू बनाते समय इस्तेमाल की गई सुइयां साफ और स्टरलाइज नहीं हैं, तो इस से हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा होता है। असुरक्षित उपकरणों का उपयोग संक्रमण के प्रसार को बढ़ा सकता है, जिस से इन घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

खून बहने की समस्या

टैटू बनवाने के दौरान त्वचा पर सुइयों के बारबार चुभने से खून बह सकता है. यह सामान्य बात है, लेकिन अगर व्यक्ति को ब्लड क्लौटिंग या खून जमने से संबंधित कोई समस्या है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. इस से त्वचा पर बड़े घाव या जख्म भी हो सकते हैं, जिन का ठीक होना मुश्किल हो सकता है.

किलोइड और स्कारिंग

कुछ लोगों की त्वचा पर टैटू बनवाने के बाद किलोइड (खास प्रकार का उभार) या स्थायी स्कार (निशान) बन सकते हैं. यह शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती है, जब त्वचा को टैटू सुइयों से नुकसान पहुंचता है। इस से त्वचा पर स्थायी और भद्दे निशान बन सकते हैं, जो दिखने में खराब लग सकते हैं और इन्हें ठीक करना मुश्किल होता है.

एमआरआई के दौरान समस्याएं

टैटू में इस्तेमाल की गई इंक में कभीकभी धातु आधारित तत्त्व होते हैं, जो एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) टेस्ट के दौरान समस्याएं पैदा कर सकते हैं.

एमआरआई स्कैन के दौरान टैटू वाले स्थान पर जलन, खुजली या सूजन हो सकती है. हालांकि यह एक दुर्लभ समस्या है, लेकिन जिन लोगों को नियमित चिकित्सा परीक्षणों की आवश्यकता होती है, उन्हें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

टैटू हटाने में कठिनाई

टैटू बनवाना जितना आसान और आकर्षक लगता है, उसे हटाना उतना ही मुश्किल और महंगा होता है. टैटू हटाने के लिए लेजर तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो न केवल दर्दनाक होता है बल्कि इस में कई सत्रों की आवश्यकता भी होती है. इस के अलावा, टैटू हटाने के बाद भी त्वचा पर निशान और धब्बे बने रह सकते हैं.

प्रोफैशनल लाइफ पर पड़ता है असर

हालांकि अब टैटू कराना नौर्मल हो गया है लेकिन कुछ नौकरियो में इसे अभी भी सही नहीं माना जाता है खासकर कुछ कारपोरेट और सरकारी संगठनों में यह रोजगार के अवसरों को आप के लिए बंद कर सकता है। कई कंपनियां अब भी टैटू को अपने कर्मचारियों की प्रोफैशनल इमेज के लिए गलत मानती हैं. अगर आप का टैटू बहुत ज्यादा दिखाई देने वाला है, तो यह नौकरी पाने की संभावनाओं को कम कर सकता है, खासकर उन उद्योगों में जो कस्टमर से सीधे जुड़ते हैं, जैसे बैंकिंग, कानून, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं.

फैशन ट्रैंड का हिस्सा

टैटू अकसर फैशन ट्रैंड का हिस्सा बन जाते हैं। लोग अपने पसंदीदा सितारों, खिलाड़ियों या दोस्तों को देख कर टैटू बनवा लेते हैं. लेकिन फैशन ट्रैंड हमेशा बदलते रहते हैं और जो टैटू आज आप को कूल लगता है, वह कुछ सालों बाद पुराना या आउटडेटेड लग सकता है, जो बदलते फैशन के साथ नहीं चलता और फिर इसे चेंज करना या हटाना इतना आसान नहीं होता, इसलिए टैटू बनवाने से पहले जरा सोच लें.

मैरिड कपल्स और काम का बंटवारा, जीएं खुशहाल जिंदगी

आज के समय में जब समाज और परिवार की बनावट में बड़े बदलाव आ रहे हैं, मैरिड कपल्स के बीच वर्कलोड के बराबरी से बंटवारे की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है. बदलते आर्थिक और सामाजिक माहौल में, जहां महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रही हैं, पारिवारिक जिम्मेदारियों का बराबरी से विभाजन बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो गया है.

कार्यभार का सही ढंग से बंटवारा न केवल पतिपत्नी के जीवन को खुशहाल बनाता है, बल्कि एक स्वस्थ और सशक्त समाज की नींव भी रखता है.

पारंपरिक धारणाएं और बदलाव की आवश्यकता

पारंपरिक भारतीय समाज में कार्यभार का बंटवारा पहले से ही समाज द्वारा स्पष्ट था, पुरुष परिवार का पालनकर्ता था जबकि महिलाएं घरेलू कामकाज संभालती थीं.

लेकिन समय के साथ महिलाओं ने न केवल अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, बल्कि कार्यक्षेत्र में अपनी महत्त्वपूर्ण भागीदारी भी दर्ज कराई. आज महिलाएं घर और बाहर दोनों जगह पर कार्य कर रही हैं.

लेकिन क्या कार्यभार का सही ढंग से विभाजन हो पाया है? जवाब ढूंढने पर अकसर देखने को मिलता है कि महिलाओं पर अब भी घर का ज्यादातर काम रहता है, जिस से उन्हें शारीरिक और मानसिक थकान का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में बदलाव की आवश्यकता है. ऐसी परिस्थिति में दोनों पतिपत्नी को मिल कर घर और काम की जिम्मेदारियों को संभालना चाहिए, ताकि कोई भी एक साथी अत्यधिक दबाव में न रहे.

घरेलू काम के विभाजन से वैवाहिक जीवन में संतुलन

शादीशुदा जीवन में कार्य का संतुलित विभाजन कपल्स के लिए कई तरीकों से लाभकारी हो सकता है. यह कपल्स के बीच बेहतर समझ और बातचीत को बढ़ावा देता है और एकदूसरे के लिए सम्मान को भी गहरा करता है. जब दोनों पार्टनर घर और बाहर के कामों में बराबरी से पार्टिसिपेट करते हैं, तो यह शादीशुदा जीवन में संतुलन और संतोष लाता है.

भावनात्मक संतुलन

जब घर का कार्यभार बराबरी से बांटा जाता है, तो यह भावनात्मक संतुलन बनाता है. किसी भी एक व्यक्ति पर जिम्मेदारियों का भार न होने से मानसिक तनाव कम होता है. इस प्रकार दोनों साथी एकदूसरे के साथ ज्यादा समय बिता सकते हैं और अपनी इमोशनल नीड्स पर ध्यान दे सकते हैं.

आपसी समझ और समर्थन

जब कपल्स एकदूसरे की समस्याओं और जिम्मेदारियों को समझने लगते हैं, तो आपसी समझ और समर्थन बढ़ता है. यह न केवल घर के काम का बोझ हलका करता है, बल्कि वैवाहिक रिश्ते को भी मजबूत बनाता है. साथ मिल कर काम करने से एकदूसरे के प्रति सहानुभूति बढ़ती है, जिस से उन के संबंध में सुधार आता है.

कार्यक्षेत्र और घर के बीच तालमेल बैठाना

आजकल कपल्स के लिए घर और कार्यक्षेत्र के बीच तालमेल बैठाना एक बड़ी चुनौती है. कार्यों का सही ढंग से बंटवारा ही इस चुनौती का समाधान हो सकता है. आप घरेलू कार्य का विभाजन कुछ इस प्रकार से कर सकते हैं :

कार्यसूची तैयार करें : पतिपत्नी दोनों को मिल कर एक कार्यसूची तैयार करनी चाहिए, जिस में घर के कामों का सही विभाजन हो. जैसे खाना बनाना, बच्चों की देखभाल, खरीदारी, सफाई आदि. यह सूची सप्ताह के प्रत्येक दिन के अनुसार बनाई जा सकती है, जिस से किसी भी काम का भार केवल एक व्यक्ति पर न पड़े.

बाहर और घर का काम मिलकर करें : यदि दोनों पार्टनर कामकाजी हैं, तो जरूरी है कि बाहर और घर के कामों का सही बैलेंस बनाया जाए. जैसेकि अगर एक व्यक्ति औफिस का काम अधिक करता है, तो दूसरे को घर के कामों में अधिक योगदान देना चाहिए. यह तालमेल बना कर ही तनावमुक्त जीवन जिया जा सकता है.

स्वतंत्रता और सहमति का सम्मान करें : घर के कामों को बांटते समय दोनों की स्वतंत्रता और सहमति का ध्यान रखना आवश्यक है. जब दोनों की सहमति से काम का बंटवारा होता है, तो एकदूसरे के प्रति प्रेम और सहयोग का भाव भी बढ़ता है.

लिंग के आधार पर कार्य विभाजन के मिथक तोड़ना : अभी भी हमारे समाज में यह धारणा चली आ रही है कि कुछ काम केवल महिलाओं के लिए हैं और कुछ काम केवल पुरुषों के लिए. जैसे खाना बनाना, साफसफाई और बच्चों की देखभाल करना महिलाओं का काम माना जाता है जबकि आर्थिक जिम्मेदारी पुरुषों का काम. लेकिन समय को देखते हुए इस धारणा को बदल देना चाहिए.

घर के सभी कामों को लिंग के आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए. पुरुष भी खाना बना सकते हैं, बच्चों का ध्यान रख सकते हैं और महिलाएं भी परिवार की आर्थिक जिम्मेदारियां उठा सकती हैं. यह समानता तभी आ सकती है जब हम इन रुढ़िवादी धारणाओं को पीछे छोड़ दें और एकदूसरे के काम को समान दृष्टि से देख कर आगे बढ़ें.

बच्चों को सिखाएं समानता

ज्यादातर बच्चों के जीवन में मातापिता ही उन के सब से बड़े रोल मौडल होते हैं. जब बच्चे यह देखते हैं कि उन के मातापिता घर के कामों में बराबर का योगदान दे रहे हैं, तो वे भी समानता और न्याय को सीखते हैं. इस से बच्चों में यह समझ विकसित होती है कि घर का काम केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि सभी की है. यह समाज में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रखता है.

कठिनाइयां और समाधान

समानता का सिद्धांत सुनने में तो सरल लगता है, पर इसे व्यवहार में लाना मुश्किल हो सकता है. कई बार कपल्स अपनी पुरानी आदतों के कारण इस तरह का बैलेंस अपने वैवाहिक जीवन में नहीं बना पाते. इस के लिए आप अपने पार्टनर से खुल कर कार्यभार बंटवारे के विषय पर बातचीत करें. एकदूसरे की राय लें और समस्याओं को सुनें और एक साथ मिल कर हल ढूंढ़ें. लेकिन याद रखें कि घरेलू कार्यों का बंटवारा रातोंरात संभव नहीं होता. यह एक प्रक्रिया है, जिस में समय लगता है. धैर्य और आपसी समझदारी से धीरेधीरे यह संतुलन बनाया जा सकता है और सब से जरूरी है कि आप अपने पार्टनर के साथ मिल कर समय की योजना बनाएं जिस से आप दोनों घर के काम भी कर सकें और एकदूसरे के लिए वक्त भी निकाल सकें.

कार्यभार का सही विभाजन शादीशुदा कपल्स के जीवन में संतुलन और खुशी लाता है. यह केवल वैवाहिक संबंधों को मजबूत नहीं करता, बल्कि पूरे परिवार को एक स्वस्थ और सशक्त वातावरण प्रदान करता है. आज के समय में जब हर व्यक्ति पर काम और परिवार का दबाव है, यह आवश्यक हो जाता है कि पतिपत्नी मिल कर घर के कामों को साझा करें और एकदूसरे के सहयोगी बनें. यही स्वस्थ और सुखी जीवन की कुंजी है.

नाश्ते में सहजन की फली से बनाएं ये खास रेसिपी, टैस्टी के साथ सेहतमंद भी

ड्रमस्टिक अर्थात सहजन की फली कैल्सियम के साथसाथ मिनरल्स, विटामिंस और फाइबर का भी प्रचुर स्रोत होती है. रंग में एकदम हरी इस फली को खाना बहुत लाभकारी होता है पर आमतौर पर इसे खाने से लोग इसलिए परहेज करते हैं क्योंकि इसे चूस कर खाना पड़ता है. यदि आप फली को बीच से काट कर चाकू से खुरच कर इस का गूदा निकाल लें तो इसे खाना काफी आसान हो जाता है.

इस गूदे से आप सब्जी, दाल के साथसाथ पूरियां और परांठे में भी प्रयोग कर सकते हैं. फली के इस गूदे को आप डीप फ्रीजर में स्टोर कर के महीनों तक प्रयोग कर सकते हैं.

आज हम आप को सहजन की फली के गूदे से बहुत ही हैल्दी नाश्ता बनाना बता रहे हैं, जिसे आप घर की सामग्री से ही बहुत आसानी से बना सकते हैं. आप इसे बना कर फ्रिज में रख कर भी झटपट प्रयोग कर सकते हैं। तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है :

कितने लोगों के लिए : 6

बनने में लगने वाला समय : 30 मिनट
मील टाइप : वेज

सामग्री (कवर के लिए)
चावल का आटा : 2 कप
घी : 1 टेबलस्पून
पानी : 2 कप
नमक : 1/2 टीस्पून
हलदी पाउडर : 1/4 टीस्पून
राई : 1/4 टीस्पून
सफेद तिल्ली : 1/4 टीस्पून
तेल : 1 टीस्पून

सामग्री (भरावन के लिए)

सहजन (ड्रमस्टिक फली) का गूदा 1 कप
बारीक कटी शिमलामिर्च 1/4 कप बारीक कटा गाजर 1/4 कप बारीक कटा प्याज 1 कटी हरीमिर्च 4 बारीक कटा टमाटर 1 कटा हरा धनियापत्ती 1 टीस्पून जीरा 1/4 टीस्पून गरममसाला पाउडर 1/4 टीस्पून अमचूर पाउडर 1/4 टीस्पून शेजवान चटनी 1 टीस्पून तेल

विधि : पानी में 1/4 चम्मच नमक और 1/2 टीस्पून घी डाल कर उबालें. अब गैस बंद कर दें और लगातार चलाते हुए पानी में चावल के आटे को धीरेधीरे मिलाएं. अब इसे आधा घंटा के लिए ढक कर रख दें.

भरावन बनाने के लिए गरम तेल में जीरा भून कर प्याज और हरीमिर्च डालें. जब प्याज हलका भूरा होने लगे तो सभी सब्जियां, सहजन का गूदा और नमक डाल कर अच्छी तरह चला कर ढक कर सब्जियों के गलने तक पकाएं.

अब शेजवान चटनी और अन्य मसाले मिला कर चलाएं. खोल कर 5 से 7 मिनट तक चलाएं ताकि पानी पूरी तरह सूख जाए. हरा धनिया डाल कर ठंडा होने दें. चावल के आटे को आधा टीस्पून तेल लगा कर मसलें और 4 हिस्सों में बांट लें. सिल्वर फौयल या बटर पेपर पर थोड़ी चिकनाई लगाएं और एक हिस्से को रख कर आधा इंच मोटाई का बेलें. चाकू से 2 इंच के स्क्वेयर काट लें. अब एक स्क्वेयर के बीच में 1 टेबलस्पून भरावन को फैलाते हुए रखें, इस के ऊपर दूसरा स्क्वेयर रख कर हलके हाथ से चारों तरफ से फोल्ड कर के दबा दें. इसी तरह सारे स्क्वेयर तैयार करें.

फिर 1 लीटर उबलते पानी के ऊपर छलनी रखें और उस में चिकनाई लगा कर सभी स्क्वेयर को रख दें. ढक कर 5 से 7 मिनट तक पका कर गैस बंद कर दें.

अब एक पैन में तेल गरम करें और राई, तिल्ली और हलदी पाउडर डाल कर चलाएं. तैयार पार्सल्स को पैन में डाल कर हलके हाथ से चलाएं. धीमी आंच पर 5 मिनट तक भूनें. चाट मसाला बुरकें और बीच से काट कर टोमेटो सौस के साथ सर्व करें.

नाक की सर्जरी से लेकर जोलाइन तक, इन परमानैंट सौल्यूशन से बढ़ाएं चेहरे की खूबसूरती

लड़कियां किसी भी उम्र की हों वे हमेशा सुंदर ही दिखना चाहती हैं, लेकिन हम में से बहुत सी ऐसी यंग गर्ल्स होंगी जो अपने फीचर्स में चैंज करना चाहेंगी इसलिए अगर आप को भी अपने चेहरे में कोई कमी नजर आ रही है तो इस का परमानैंट सौल्यूशन कराएं.

अपने फीचर्स को इन्हैंस करने के लिए सर्जिकल ट्रीटमैंट अपनाएं. इस की मदद से आप चेहरे की कमियों को दूर कर सकती हैं और अपनी सुंदरता को निखार सकती हैं.

यहां हम ऐसे ही सर्जिकल उपचारों के बारे में बताएंगे जो चेहरे की कमियों को दूर करने में मदद करेंगे :

राइनोप्लास्टी (नाक की सर्जरी)

राइनोप्लास्टी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिस में नाक के आकार को सही किया जाता है. यह नाक की लंबाई, चौड़ाई, नथुने की आकार और नाक के टिप को सही करने के लिए की जाती है.

जिन लोगों की नाक असंतुलित या बहुत बड़ी या छोटी होती है, वे इस सर्जरी का सहारा लेते हैं. जिन व्यक्तियों की नाक का आकार उन के चेहरे के साथ मेल नहीं खाता है या जिन की नाक में श्वसन संबंधी कोई समस्या होती है, उन के लिए यह सर्जरी उपयुक्त हो सकती है.

फेसलिफ्ट (राइनोफेसलिफ्ट)

फेसलिफ्ट सर्जरी उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियों और ढीली त्वचा को टाइट करने का एक तरीका है. इस में चेहरे की त्वचा को खींच कर उसे प्राकृतिक रूप से युवा दिखने के लिए टाइट किया जाता है. इस के माध्यम से चेहरे की झुर्रियां, जोलाइन और गरदन की त्वचा में सुधार किया जाता है. यह सर्जरी उन व्यक्तियों के लिए परफैक्ट है जिन्हें उम्र बढ़ने के कारण चेहरे पर ढीलापन और झुर्रियां नजर आती हैं.

ब्लीफेरोप्लास्टी (आंखों की सर्जरी)

ब्लीफेरोप्लास्टी सर्जरी का उद्देश्य आंखों के आसपास की अतिरिक्त त्वचा और फैट को हटा कर आंखों की खूबसूरती को बढ़ाना है. इस में आंखों की ऊपरी और निचली पलकों की सर्जरी की जाती है, जिस से आंखें बड़ी और अधिक उभरी हुई दिखती हैं.

यह सर्जरी उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन की पलकों पर ढीली त्वचा लटक गई है या जिन की आंखों के नीचे बैग्स (सूजन) हो गई है.

जोलाइन सर्जरी (जोलाइन इनहैंसमैंट)

जोलाइन सर्जरी का उद्देश्य जोलाइन को और उभरा हुआ बनाना है. इस प्रक्रिया के तहत चेहरे के निचले हिस्से में इंप्लांट लगाए जाते हैं ताकि जोलाइन शार्प और अट्रैक्टिव दिखाई दे. इस से चेहरे का संपूर्ण आकार अधिक आकर्षक और संतुलित लगता है.

यह सर्जरी उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन का चेहरा गोल है या जिनकी जोलाइन बहुत कम उभरी होती है.

चीक इंप्लांट (गालों की सर्जरी)

चीक इंप्लांट सर्जरी में गालों को अधिक उभरा और परिपूर्ण बनाने के लिए गालों में इंप्लांट लगाए जाते हैं. इस से चेहरे की संरचना में सुधार होता है और चेहरा अधिक संतुलित और सुंदर दिखता है.

जिन लोगों के गाल सपाट या धंसे हुए होते हैं, उन के लिए यह सर्जरी उपयुक्त हो सकती है.

मैंटोप्लास्टी (ठुड्डी की सर्जरी)

मैंटोप्लास्टी, जिसे चिन इनहैंसमैंट या चिन रिडक्शन भी कहा जाता है, ठुड्डी के आकार को बढ़ाने या कम करने के लिए की जाती है. ठुड्डी का आकार चेहरे की समग्र सुंदरता पर बहुत प्रभाव डालता है और यह सर्जरी ठुड्डी की लंबाई या चौड़ाई को सही करने में मदद करती है. यह सर्जरी उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन की ठुड्डी बहुत छोटी या बहुत बड़ी होती है और चेहरा असंतुलित लगता है.

लिपोसक्शन (चेहरे की चर्बी हटाने की सर्जरी)

लिपोसक्शन एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिस में चेहरे के उन हिस्सों से अनचाही चर्बी हटाई जाती है जहां अतिरिक्त फैट जमा हो गया है. इस से चेहरे का आकार और टोन बेहतर होता है, खासकर गरदन और जबड़े के आसपास.

यह सर्जरी उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जिन के चेहरे पर अतिरिक्त फैट जमा हो गया है और वे इसे हटा कर चेहरे को अधिक परिभाषित बनाना चाहते हैं.

ओटोप्लास्टी (कान की सर्जरी)

ओटोप्लास्टी सर्जरी कानों के आकार, स्थिति और संरचना को सही करने के लिए की जाती है. यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन के कान बहुत बड़े होते हैं या असामान्य रूप से बाहर की ओर निकले होते हैं. जिन लोगों के कान असंतुलित दिखते हैं या जिन्हें अपने कानों के आकार से संबंधित समस्या है उन के लिए यह सर्जरी उपयुक्त हो सकती है।

लिप इनहैंसमैंट (होठों की सर्जरी)

लिप इनहैंसमैंट सर्जरी का उद्देश्य होंठों को अधिक भरा हुआ और आकर्षक दिखाना है. इस में होंठों में फिलर्स का इंजैक्शन लगाया जाता है, जिस से होंठों की मोटाई बढ़ती है और वे अधिक उभरे हुए दिखते हैं.यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन के होंठ बहुत पतले होते हैं और वे उन्हें अधिक भरा हुआ दिखाना चाहते हैं.

 जब मैं छोटा था: क्या कहना चाहता था केशव

केशव ने घूर कर अपने बेटे अंगद को देखा. वह सहम गया और सोचने लगा कि उस ने ऐसा क्या कह दिया जो उस के पिता को खल गया. अगर उसे कुछ चाहिए तो वह अपने पिता से नहीं मांगेगा तो और किस से मांगेगा. रानी बेटे की बात समझती है पर वह केवल उस की सिफारिश ही तो कर सकती है. निर्णय तो इस परिवार में केशव ही लेता है.

रानी ने मुसकरा कर केशव को हलकी झिड़की दी, ‘‘अब घूरना बंद करो और मुंह से कुछ बोलो.’’

केशव ने रानी को मुंह सिकोड़ कर देखा और फिर सांस छोड़ते हुए कहा, ‘‘क्या समय आ गया है.’’

‘‘क्यों, क्या तुम ने अपने पिता से कभी कुछ नहीं मांगा?’’ रानी ने हंस कर कहा, ‘‘बेकार में समय को दोष क्यों देते हो?’’

‘‘मांगा?’’ केशव ने तैश खा कर कहा, ‘‘मांगना तो दूर हमारा तो उन के सामने मुंह भी नहीं खुलता था. इतनी इज्जत करते थे उन की.’’

‘‘इज्जत करते थे या डरते थे?’’ रानी ने व्यंग्य से कहा.

केशव ने लापरवाही का नाटक किया, ‘‘एक ही बात है. अब हमारी औलाद हम से डरती कहां है?’’

अवसर का लाभ उठाते हुए अंगद ने शरारत से पूछा, ‘‘पिताजी, क्या आप के समय में आजकल की तरह जन्मदिन मनाया जाता था?’’

केशव ने व्यंग्य से हंस कर कहा, ‘‘जनाब, ऐसी फुजूलखर्ची के बारे में सोचना ही गुनाह था. ये तो आजकल के चोंचले हैं.’’

‘‘फिर भी पिताजी,’’ अंगद ने कहा, ‘‘कभी न कभी तो आप को जन्मदिन पर कुछ तो विशेष मिला होगा.’’

रानी ने हंसते हुए कहा, ‘‘मिला था, एक पाजामा. क्यों, ठीक है न?’’

केशव भी हंसा, ‘‘ठीक है, तुम्हें तो मेरा राज मालूम है.’’

‘‘पाजामा?’’ अंगद ने चकित हो कर पूछा, ‘‘क्या यह भी कोई उपहार है?’’

‘‘बहुत बड़ा उपहार था, बेटे,’’ केशव ने यादों में खोते हुए कहा, ‘‘पिताजी से तो बात करने का सवाल ही नहीं था. जब मैं ने मां से हठ की तो उन्होंने अपने हाथों से नया पाजामा सिल कर दिया था. मैं बहुत खुश था. रानी, तुम भी अंगद को एक पाजामा सिल

कर दो, पर…पर तुम्हें तो सिलना आता ही नहीं.’’

‘‘सारे दरजी मर गए क्या?’’ रानी ने चिढ़ कर कहा.

‘‘पाजामावाजामा नहीं,’’ अंगद ने जोर दे कर कहा, ‘‘अगर कुछ देना है तो मोपेड दीजिए. मेरे सारे दोस्तों के पास है. सब मोपेड पर ही स्कूल आते हैं. बस, एक मैं ही हूं, खटारा साइकिल वाला.’’

के शव ने तनिक नाराजगी से कहा, ‘‘साइकिल की इज्जत करना सीखो. उस ने 20 साल मेरी सेवा की है.’’

‘‘दहेज में जो मिली थी,’’ रानी ने टांग खींची.

‘‘क्या करता,’’ केशव चिढ़ कर बोला, ‘‘अगर स्कूटर मांगता तो तुम्हारे पिताजी को घर बेचना पड़ जाता.’’

‘‘अरे, जाओ भी,’’ रानी ने चोट खाए स्वर में कहा, ‘‘लेने वाले की हैसियत भी देखी जाती है.’’

अंगद ने महसूस किया कि बातों का रुख बदल रहा है इसीलिए बीच में पड़ कर बोला, ‘‘आप लोग तो

फिर लड़ने लगे. मेरे लिए मोपेड लेंगे या नहीं?’’

‘‘बरखुरदार,’’ केशव ने फिर से घूरते हुए कहा, ‘‘जब हम तुम्हारे बराबर थे तो पैदल स्कूल जाते थे. स्कूल भी कोई पास नहीं था. पूरे 3 मील दूर था. उन दिनों घर में बिजली भी नहीं थी इसलिए सड़क के किनारे लैंपपोस्ट के नीचे बैठ कर पढ़ते थे. जेबखर्च के पैसे भी नहीं मिलते थे. दिन भर कुछ नहीं खाते थे. घर आ कर 5 बजे तक रात का खाना निबट जाता था. समझे जनाब? आप मोपेड की बात करते हैं.’’

रानी इस भाषण को कई बार सुनसुन कर उकता चुकी थी इसलिए ताना मार कर बोली, ‘‘तो यह है आप की सफलता का रहस्य. देखो बेटे, ऐसा करोगे तो पिताजी की तरह एक दिन किसी कारखाने के महाप्रबंधक बन जाओगे.’’

अंगद मूर्खों की तरह मांबाप को देख रहा था. उस के मन में विद्रोह की आग सुलग रही थी. बड़ी बहन मानिनी जब भी कुछ मांगती थी तो उसे तुरंत मिल जाता था. एक वही है इस घर में दलित वर्ग का शोषित प्राणी.

नाश्ता समाप्त होने पर केशव कार्यालय जाने की तैयारी में लग गया और नौकरानी के आ जाने से रानी घर की सफाई कराने में व्यस्त हो गई. अंगद कब स्कूल चला गया किसी को पता ही नहीं चला.

कार निकालते समय केशव ने रोज के मुकाबले कुछ फर्क महसूस किया, पर समझ नहीं पाया. बहुत दूर निकल जाने पर उसे ध्यान आया कि आज अंगद की साइकिल अपनी जगह पर ही खड़ी थी. वैसे अकसर साइकिल खराब होने पर अंगद साइकिल घर छोड़ कर बस से चला जाता था.

घर का काम निबट जाने के बाद रानी ने देखा कि अंगद का लंच बाक्स मेज पर ही पड़ा था. वैसे आमतौर पर वह लंच बाक्स ले जाना भूलता नहीं है क्योंकि रानी हमेशा बेटे का मनपसंद खाना ही रखती थी. खैर, कोई बात नहीं, अंगद की जेब में इतने रुपए तो होते ही हैं कि वह कुछ ले कर खा ले.

शाम को रानी को च्ंिता हुई क्योंकि अंगद हमेशा 3 बजे तक घर आ जाता था, पर आज 5 बज रहे थे. केशव के फोन से वह जान चुकी थी कि आज अंगद साइकिल भी नहीं ले गया था, पर बस से भी इतनी देर नहीं लगती. उस वक्त 6 बज रहे थे जब अंगद ने घर में प्रवेश किया. उस का चेहरा लाल हो रहा था और जूते धूलधूसरित हो गए थे. थकान के लक्षण भी स्पष्ट थे.

‘‘इतनी देर कहां लगा दी?’’ रानी ने बस्ता संभालते हुए पूछा.

‘‘बस, हो गई देर, मां,’’ अंगद ने टालते हुए कहा, ‘‘जल्दी से खाना दो. बहुत भूख लगी है.’’

‘‘खाना क्यों नहीं ले गया?’’ रानी ने शिकायत की.

‘‘भूल गया था,’’ अंगद का झूठ पता चल रहा था.

‘‘भूल गया या ले नहीं गया?’’ रानी ने तनिक क्रोध से पूछा.

‘‘कहा न, भूल गया,’’ अंगद चिढ़ कर बोला.

रानी ने अधिक जोर नहीं दिया. बोली, ‘‘जा, जल्दी से कपड़े बदल और हाथमुंह धो कर आ. आलू के परांठे और गाजर का हलवा बना है.’’

अंगद के चेहरे पर झलकती प्रसन्नता से रानी को संतोष हुआ. उसे लगा कि वह वाकई बहुत भूखा है. अंगद के आने से पहले ही उस ने खाना मेज पर लगा दिया था.

अंगद ने भरपेट खाया. कुछ देर तक टीवी देखा और फिर पढ़ाई करने अपने कमरे में चला गया.

8 बजे केशव कार्यालय से आया.

आराम से बैठने के बाद केशव ने रानी से पूछा, ‘‘बच्चे कहां हैं? बहुत शांति है घर में.’’

‘‘मन्नू तो शालू के यहां गई है,’’ रानी ने सामने बैठते हुए कहा, ‘‘कोई पार्टी है. देर से आएगी.’’

‘‘अकेली आएगी क्या?’’ केशव ने च्ंिता से पूछा.

‘‘नहीं,’’ रानी ने उत्तर दिया, ‘‘शालू का भाई छोड़ने आएगा.’’

‘‘उफ, ये बच्चे,’’ केशव ने अप्रसन्नता से कहा, ‘‘इतनी आजादी भी ठीक नहीं. जब मैं छोटा था तो बहन को तो छोड़ो, मुझे भी देर से आने नहीं दिया जाता था. आगे से ध्यान रखना. वैसे मन्नू कब तक आएगी?’’

‘‘अब क्यों च्ंिता करते हो,’’ रानी ने कहा, पर केशव की मुद्रा देख कर बोली, ‘‘ठीक है, फोन कर के पूछ लूंगी.’’

‘‘और साहबजादे कहां हैं?’’ केशव ने पूछा.

‘‘पढ़ रहा है,’’ रानी ने उत्तर दिया.

‘‘पर मुझे तो कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही,’’ केशव ने पुकारा, ‘‘अंगद…अंगद?’’

‘‘ओ हो, पढ़ने दो न,’’ रानी ने झिड़का, ‘‘कल परीक्षा है उस की.’’

‘‘तो जवाब नहीं देगा क्या?’’ केशव ने क्रोध से पुकारा, ‘‘अंगद?’’

अंगद का उत्तर नहीं आया. केशव अब अधिक सब्र नहीं कर सका. उठ कर अंगद के कमरे की ओर गया और झटके से अंदर घुसा.

‘‘यहां तो है नहीं,’’ केशव ने क्रोध से कहा.

‘‘नहीं है,’’ रानी को विश्वास नहीं हुआ, ‘‘थोड़ी देर पहले ही तो मैं उस के मांगने पर चाय देने गई थी.’’

केशव ने व्यंग्य से कहा, ‘‘हां, चाय का प्याला तो है, पर जनाब नहीं हैं. गया कहां?’’

‘‘मुझ से तो कुछ कह कर नहीं गया,’’ रानी ने च्ंिता से कहा, ‘‘मन्नू के कमरे में देखो.’’

‘‘मन्नू के कमरे में भी होता तो जवाब देता न,’’ केशव ने क्रोध से कहा, ‘‘बहरा तो नहीं है.’’

रानी ने तसल्ली के लिए मन्नू के कमरे में  देखा और बोली, ‘‘पता नहीं कहां गया. शायद अखिल के यहां चला गया होगा. उस के साथ ही पढ़ता है न.’’

‘‘कह कर तो जाना था,’’ केशव भी अब च्ंितित था, ‘‘अखिल का घर कहां है?’’

‘‘वह राममनोहरजी का लड़का है,’’ रानी ने कहा, ‘‘309 नंबर में रहता है.’’

‘‘ओह,’’ केशव ने कहा, ‘‘उन के यहां तो फोन भी नहीं है.’’

‘‘थोड़ी देर देख लो,’’ रानी ने अपनी च्ंिता छिपाते हुए कहा, ‘‘आ जाएगा.’’

‘‘और मन्नू…’’

केशव का वाक्य समाप्त होेने से पहले ही रानी ने चिढ़ कर कहा, ‘‘अब मन्नू के पीछे पड़ गए. कभी तो चैन से बैठा करो.’’

झिड़की खा कर केशव कुरसी पर बैठ कर पत्रिका पढ़ने का नाटक करने लगा.

‘‘खाना लगाऊं क्या?’’ रानी ने कुछ देर बाद पूछा.

‘‘नहीं,’’ केशव ने कहा, ‘‘बच्चों को आने दो.’’

‘‘मन्नू तो खा कर आएगी,’’ रानी ने सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘अंगद बाद में खा लेगा. स्कूल से आ कर कुछ ज्यादा ही खा लिया था.’’

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘2 की जगह पूरे 4 परांठे खा लिए,’’ रानी ने मुसकरा कर कहा, ‘‘उसे आलू के परांठे अच्छे लगते हैं न.’’

कुछ और समय बीतने पर केशव उठ खड़ा हुआ, ‘‘मैं राममनोहरजी के घर हो कर आता हूं.’’

उसी समय घंटी बजी और मानिनी ने प्रवेश किया. वह बहुत प्रसन्न थी.

‘‘शालू की पार्टी में बहुत मजा आया,’’ मानिनी ने हंसते हुए पूछा, ‘‘यह अंगद सड़क के किनारे क्यों बैठा है? क्या आप ने सजा दी है?’’

‘‘सड़क के किनारे?’’ केशव और रानी ने एकसाथ पूछा, ‘‘कहां?’’

‘‘साधना स्टोर के सामने,’’ मानिनी ने उत्तर दिया, ‘‘क्या मैं उसे बुला कर ले आऊं?’’

इस से पहले कि रानी कुछ कहती केशव ने गंभीरता से कहा, ‘‘नहीं, रहने दो. शायद पढ़ रहा होगा.’’

‘‘क्या घर में बिजली नहीं है?’’ मानिनी ने पूछा, पर फिर ध्यान आया कि बिजली तो है.

रानी ने खाना लगा दिया. केशव हाथ धो कर बैठने ही वाला था कि अंगद ने आहिस्ताआहिस्ता घर में प्रवेश किया.

केशव ने घूरते हुए पूछा, ‘‘इतनी दूर पढ़ने क्यों गए थे?’’

‘‘क्योंकि पास में कोई लैंपपोस्ट नहीं था,’’ अंगद ने मासूमियत से कहा.

केशव को हंसी भी आई और क्रोध भी. रानी भी हंस कर रह गई.

‘‘चलो, खाने के लिए बैठो,’’ रानी ने कहा.

‘‘स्कूल से आते ही खा तो लिया था,’’ अंगद ने कहा और अपने कमरे में चला गया.

केशव और रानी को अंगद का व्यवहार अब समझ में आ रहा था. लगता था कि नाटक की शुरुआत है.

मानिनी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था. उस ने पूछा, ‘‘बात क्या है? आज अंगद के तेवर क्यों बिगड़े हुए हैं?’’

‘‘कुछ नहीं,’’ रानी हंसी, ‘‘शीत- युद्ध है.’’

‘‘क्यों?’’ मानिनी ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘मोपेड चाहिए जनाब को,’’ केशव ने कहा, ‘‘हमारे जमाने में…’’

‘‘ओ हो, पिताजी,’’ मानिनी ने चिढ़ कर कहा, ‘‘अब मैं समझ गई. न आप कभी बदलेंगे, न आप का जमाना. ठीक है, मैं चंदा इकट्ठा करती हूं.’’

एक मानिनी ही थी जो केशव से बेझिझक हो कर बात कर सकती थी.

केशव ने उसे घूर कर देखा और फिर उठ कर चला गया.

सुबह की चाय हो चुकी थी. जब नाश्ता लगा तो अंगद जा चुका था.

उस की साइकिल पर धूल जम गई थी और हवा भी निकल गई थी.

शाम को थकामांदा अंगद 6 बजे आया.

‘‘क्यों, बस नहीं मिली क्या?’’ रानी ने क्रोध से पूछा.

‘‘बसें तो आतीजाती रहती हैं.’’

‘‘तो फिर?’’ रानी ने पूछा.

‘‘तो फिर क्या? मुझे भूख लगी है. खाना तो मिलेगा न?’’

रानी को अब क्रोध नहीं आया. जानती थी कि वह भूखा होगा. उस के लिए खीर, पूडि़यां और गोभी की

सब्जी बनाई थी. अंगद ने प्रसन्न हो

कर भरपेट खाया और कमरे में चला गया.

केशव जब आया तब अंगद घर में नहीं था. आते वक्त केशव ने लैंपपोस्ट के नीचे निगाह डाली थी. अंगद धुंधली रोशनी में आंखें गड़ाए पढ़ रहा था.

3 दिन तक यह नाटक चलता रहा.

आज अंगद का जन्मदिन था. हर साल इस दिन रौनक छा जाती थी. पार्टी में आने वाले मित्रों की सूची बनती थी. लजीज व्यंजन बनाए जाते थे. मानिनी कुछ दिन पहले ही से उसे छेड़ने लगती थी और इस छेड़छाड़ में लड़ाई भी

हो जाती थी. वैसे अंगद को इस

बात का बहुत मलाल रहता था कि मानिनी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है.

नींद खुलते ही अंगद की नजर पास पड़े लिफाफे पर पड़ी. लिफाफे को उठाते ही उस में से एक चाबी गिरी. चाबी से लटका एक छोटा सा कार्ड था. उस पर लिखा था, ‘जन्मदिन पर छोटा सा उपहार.’

अंगद की आंखों में चमक आ गई. यह तो मोपेड की चाबी थी. आधी रात को वह एक चिट्ठी खाने की मेज पर छोड़ कर आया जिस में लिखा था :

पूज्य पिताजी और मां,

क्या आप मुझे क्षमा करेंगे? मोपेड के लिए हठ करना मेरी भूल थी. मुझे सिवा आप के आशीर्वाद और प्यार के कुछ नहीं चाहिए.

आप का पुत्र

अंगद.

जब अंगद नीचे पहुंचा तो पत्र मां के हाथ में था और वह पढ़ कर सुना रही थीं. केशव और मानिनी हंस रहे थे.

‘‘पिताजी, आप ने भी जल्दी कर दी. बेकार में मोपेड की चपत पड़ी,’’ मानिनी हंस कर कह रही थी.

अंगद सिर झुकाए शर्मिंदा सा खड़ा था.

‘‘तो आप को मोपेड नहीं चाहिए,’’ केशव ने नकली गंभीरता से पूछा.

‘‘नहीं,’’ अंगद ने दृढ़ता से उत्तर दिया.

‘‘क्यों?’’ केशव ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘क्योंकि,’’ अंगद ने गंभीरता से शरारती अंदाज में कहा, ‘‘अब मुझे स्कूटर चाहिए.’’

‘‘क्या?’’ केशव ने मारने के अंदाज में हाथ उठाते हुए पूछा, ‘‘क्या कहा?’’

मानिनी ने बीच में आते हुए कहा, ‘‘पिताजी, छोडि़ए भी. हमारा अंगद अब छोटा नहीं है.’’

‘‘पर जब मैं छोटा था…’’

होहल्ले में केशव अपना वाक्य पूरा न कर सका.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें