टाइगर को पटाया पाटनी ने

इस में कोई शक नहीं कि टाइगर श्रोफ जैसे डांस स्टैप करने वाला इस समय बौलीवुड में कोई दूसरा नहीं. तभी तो कृति सैनन और श्रद्धा कपूर को छोड़ कर टाइगर आजकल दिशा पटानी के साथ डांस के कदम मिला रहे हैं. दिशा भी फिल्म ‘एमएस धोनी अनटोल्ड स्टोरी’ से बौलीवुड डैब्यू कर रही हैं और कई दिनों से टाइगर को डेट कर रही हैं. इन दिनों टाइगर अपनी 2 फिल्मों ‘बागी’ और ‘ए फ्लाइंग जाट’ की शूटिंग में व्यस्त होने के बावजूद अपनी गर्लफ्रैंड दिशा पाटनी के साथ क्वालिटी टाइम पास करना नहीं भूलते हैं.

सोनम के पास नहीं काम

‘नीरजा’ जैसी फिल्म में काम कर के वाहवाही लूट चुकीं सोनम के पास इन दिनों काम नहीं है. मगर मुहतरमा का कहना है कि लगातार फिल्में करने के बाद वे थक चुकी हैं, इसलिए आराम कर रही हैं. उन की फिल्म ‘नीरजा’ ने बौक्स औफिस पर अच्छी कमाई भी की है. सोनम का कहना है कि कुछ सालों से फिल्मों में महिलाओं का चित्रण दमदार हुआ है. पर अभी भी बौलीवुड में पैसे देने के मामले में उन के साथ भेदभाव किया जाता है.

उर्वशी ने शाहरुख का डोलाया आसन

यहां फिल्मी नैनमटक्कों की बात नहीं हो रही है. बादशाह खान इन दिनों उर्वशी रतौला के साथ गुटरगूं करने में व्यस्त हैं. यह सब देख कर उन की वाइफ गौरी की टैंशन बढ़ रही है. पिछले  दिनों दुबई में हुए एक अवार्ड समारोह के दौरान शाहरुख और उर्वशी की बढ़ती नजदीकियों ने सब को हैरत में डाल दिया था. कहा जा रहा है कि शाहरुख के बेटे आर्यन अपने पिता की इस कथित नई दोस्त से सिर्फ 3 साल ही छोटे हैं. इस से पहले फिल्म ‘डौन’ की शूटिंग के दौरान शाहरुख की नजदीकियां प्रियंका चोपड़ा से बढ़ती दिखी थीं. तब भी गौरी काफी परेशान हुई थीं. मगर गौरी का इतना परेशान होना ठीक नहीं, क्योंकि बौलीवुड में तो इस तरह के प्रेमप्रसंग भी फिल्मों की तरह होते हैं जिन की अवधि सीमित होती है.

वैजयंतीमाला पहली पसंद नहीं थीं

दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला द्वारा अभिनीत बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ में पहले फिल्म की नायिका के रूप में मधुबाला बीआर चोपड़ा की पसंद थीं, क्योंकि उस समय दिलीप कुमार मधुबाला को पसंद करते थे और दोनों की जोड़ी खासी चर्चित भी थी. पर मधुबाला के वालिद को दोनों के रिश्ते पर आपत्ति थी. वे मधुबाला को मुंबई से बाहर नहीं भेजना चाहते थे. फिल्म की पूरी शूटिंग मुंबई से बाहर हुई थी. अंतिम क्षणों में मधुबाला द्वारा मना करने पर वैजयंतीमाला को लाया गया. चोपड़ा मधुबाला के इस व्यवहार से इतने आहत हुए कि मधुबाला को कोर्ट तक ले गए.

बहू ने की अपने पा की तारीफ

73 वर्ष की उम्र में भी महानायक का अपना जलवा कायम रखने वाले अमिताभ बच्चन को ‘पीकू’ में उन के दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया है. उन की बहू ऐश्वर्या का कहना है कि उन की हर भूमिका पुरस्कार के काबिल होती है. हमें पा पर बहुत नाज है.

राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना मेरे अभिनय का रिजल्ट

रितिक के साथ ब्रेकअप, ई मेल वार और कानूनी लड़ाई झेल रहीं कंगना के लिए बैस्ट अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना उन के अच्छे दिनों की शुरुआत की निशानी है. कंगना ने एक बयान में कहा, ‘‘यह मेरे जन्मदिन पर अब तक का सब से बड़ा तोहफा है. मैं रोमांचित हूं और मानती हूं कि मेरे अभिनय में कुछ दम है. मैं ज्यादा रोमांचित इसलिए भी हूं, क्योंकि मेरे साथसाथ अमिताभ बच्चन को भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है. बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को फिल्म ‘पीकू’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है. उन का भी यह चौथा राष्ट्रीय पुरस्कार है. आने वाले दिनों में कंगना विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘रंगून’, हंसल मेहता की फिल्म ‘सिमरन’ और केतन मेहता की ‘रानी लक्ष्मीबाई’ की बायोपिक में नजर आएंगी.

मैं फैशन के बारे में ज्यादा टैंशन नहीं लेती

हीरो गर्ल आथिया शेट्टी जो मिले वही पहन लेने वाली लड़की हैं. एक फैशन शो में उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्टाइल फैशन पर ज्यादा ध्यान नहीं देती जो मुझे अच्छा लगता है उसे पहन लेती हूं.’’ अब आप इसे यह कहें कि मुझ में स्टाइल सैंस नहीं है या मैं फैशन के साथ नहीं चलती हूं. बात तो एक ही है. कुछ समय पहले आथिया और अर्जुन कपूर के लिंकअप की खबरें खूब गरम थीं.

ग्लैमर का डबल तड़का

यह सच है कि ग्लैमर के आगे अच्छेअच्छों के आसन डोल गए हैं. इस का ताजा उदाहरण जय और माही के बीच उठे ताजे तूफान से समझ सकते हैं. 2008 में मिस इंडिया रह चुकीं पार्वती ओमनाकुट्टन के कारण दोनों के बीच टैंशन चल रही है. ‘फेयरफैक्टर सीजन 7’ में जय और माही के अलावा पार्वती भी प्रतिभागी हैं. कुछ दिनों से जय का पार्वती के प्रति झुकाव देख कर माही ने जय और पार्वती के बीच दूरी बनाने के पर्याप्त इंतजाम कर दिए. पिछले दिनों पार्वती मौडल अमरुता पटकी पोलो कप के मौके पर एकसाथ पोलो ग्राउंड में नजर आईं. जब ग्लैमर की डबल डोज इन पोलो खिलाडि़नों को मिली होगी.

 

ब्रेकअप का असर फिल्म पर

कैसेनोवा इमेज वाले रणबीर और नीली आंखों वाली कैटरीना के ब्रेकअप का सब से ज्यादा खमियाजा कोई भुगत रहा है, तो वे हैं अनुराग बसु जो अपनी फिल्म ‘जग्गा जासूस’ को पूरा करने के लिए कई सालों से इंतजार कर रहे हैं. जैसे ही शूटिंग आगे बढ़ती है कभी रणबीर तो कभी कैट के कारण शूटिंग रद्द हो जाती है. दोनों के बीच तनातनी इस कदर बढ़ गई है कि कैट की मां सुजैन और रणबीर की मां नीतू को उन दोनों के बीच आना पड़ा. वे दोनों के पैचअप की योजना बना रही हैं.

घूरना तकलीफ देता है

हमारे देश में सड़क हो या सिनेमाघर, बाजार हो या दफ्तर कुछ नजरें हर वक्त महिलाओं और लड़कियों का पीछा करती हैं. चौकचौराहे पर बैठे लड़के आतीजाती महिलाओं को तब तक घूरते रहते हैं जब तक वे उन की नजरों से ओझल नहीं हो जातीं. सरेराह महिलाओं को एक वस्तु समझ कर जब पुरुष घूरते हैं, फबतियां कसते हैं तो वे इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाते कि उन की गंदी नजरों का सामना करने वाली लड़की के दिलोदिमाग पर क्या गुजर रही होगी. दरअसल, महिलाएं जिसे घूरना कहती हैं पुरुष उसे निहारना कहते हैं. लेकिन पुरुषों का वह निहारना महिलाओं को लगता है जैसे वे बदन पर गड़ी आंखों से बलात्कार कर रहे हों.

हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘फितूर’ में भी जब आदित्य राय कपूर कैटरीना को देखता है तो वह कहती है, ‘‘घूरना बंद करो.’’ पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘वूमन औफ वर्थ कौन्क्लेव’ में पत्रकार रवीश कुमार के साथ ‘हम जिस तरह से देखने के आदी हैं’ विषय पर चर्चा हुई. इस चर्चा में रवीश कुमार ने कहा, ‘‘लड़की देखी जाती है, लड़की देखना सिखाया जाता है. राह चलती लड़की को हजार तरह की निगाहों से गुजरना पड़ता है. किस ने लड़कों को इस तरह देखना सिखाया? कोई घर में बड़े हो रहे लड़कों को क्यों नहीं सिखाता कि लड़कियों को किस तरह देखना है? क्या इस में कहीं पारिवारिक परिवेश जिम्मेदार होता है? क्या परिवारों में लड़कों को लड़कियों के मुकाबले अतिरिक्त छूट मिलती है?’’

इस ताड़ने, देखने, घूरने, ताकने को कैसे रोका जा सकता है आदि सवालों के जवाब इस कौन्क्लेव तलाशे गए. ‘हम जिस तरह से देखने आदी हैं’ विषय पर अभिनेत्री शबाना आजमी का कहना था कि इस समस्या की जड़ में पितृसत्तात्मक मानसिकता है, जहां पुरुषों को महिलाओं से बेहतर दिखाया जाता है. एक पुरुष सिर्फ अपनी मां को अच्छी निगाह से यानी सम्मान की नजर से देखता है. लेकिन वह घर से बाहर की महिलाओं को मां, बहन, बेटी की नजर से नहीं देखता.

दरअसल, निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे सुर्खियों में जरूर आए, लेकिन आखिरकार जो मुद्दा उभर कर सामने आया, वह यही है कि महिलाओं को आज भी सुरक्षा की जरूरत है. आज की युवती, आज की महिला पहननेओढ़ने, घूमनेफिरने की आजादी चाहती है. आज भी अगर वह मर्द के द्वारा तय किए गए दायरे में है तो सुरक्षित है और अगर वह शराब, सिगरेट पीए, मिनी स्कर्ट पहन कर सड़क पर निकले तो फौरन उसे लूज कैरेक्टर का दर्जा दे दिया जाता है. कहा जाता है कि वह खुद को औब्जैक्टिफाई कर रही है. उस के लिए कहा जाता है कि वह ऐसा कर के पुरुषों को आकर्षित कर रही है. निर्भया कांड के बाद जो स्लोगन सामने आया वह है ‘शिफ्ट द ब्लेम शिफ्ट द गेन’.

शबाना आजमी ने आगे कहा कि जहां तक फिल्मों में महिलाओं की कामुकता को दिखाने की बात है तो उस के लिए फिल्मों में महिलाओं की कामुकता को दिखाने का तरीका बदलना चाहिए, क्योंकि कामुकता और अश्लीलता के बीच एक महीन रेखा है. कामुकता को जिस तरह दिखाया जाता है, वह कैमरे के घूमने पर निर्भर करता है न कि इस बात पर कि आप किस तरह के कपड़े पहनते हैं या कैसे नृत्य करते हैं.

इसी विषय पर सेफ्टीपिन की सहसंस्थापक कल्पना विश्वनाथ का कहना है, ‘‘हम लोगों ने एक अभियान चलाया था, ‘घूरना तकलीफ देता है’ घूरने और देखने में फर्क होता है. पुरुष घूरने के लिए महिलाओं की पोशाक को दोष देते हैं. हमारे समाज में सारे नियंत्रण महिलाओं पर ही लगाए जाते हैं कि ऐसे कपड़े पहनें, शाम के बाद घर से बाहर न निकलें वगैरह. समाज महिलाओं की आजादी पर पहरा लगा रहा है. हम औरतों की सुरक्षा की बात करते हैं उन के अधिकारों की नहीं. जरूरत है कि समाज में सैक्सुअलिटी पर खुल कर बात की जाए, घर में लड़कों के साथ हर विषय पर खुल कर बात की जाए ताकि वे समझ सकें कि महिलाओं के साथ कैसे पेश आना चाहिए. टकटकी लगाए देखने में सीधा संबंध सैक्सुअल आजादी से है.’’

‘‘जहां तक घूरने की और थाने में रिपोर्ट करने का सवाल है तो इस की रिपोर्ट शायद ही कभी होती है, क्योंकि कोई भी महिला पुलिस के पास जा कर रिपोर्ट करने और फिर अपराध को साबित करने के झंझट में नहीं पड़ना चाहती. जबकि घूरना, टकटकी लगाए देखना कानूनन गलत है. कानून पुरुष व महिला को बराबर अधिकार देता है, लेकिन भारतीय समाज की संस्कृति में असमानता है. आज की महिला एक आजाद इनसान की तरह जीना चाहती है,’’ यह कहना है वकील, शोधकर्ता तथा मानवाधिकार एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर का.

इस अवसर पर राजनेता बलिकेश नारायण सिंह देव ने कहा कि समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने की जरूरत है. लड़कों को घर से बाहर महिलाओं के साथ कैसे पेश आना चाहिए, यह वे अपने घर के पुरुषों से ही सीखते हैं कि वे कैसे उन की मां, भाभी, बहन के साथ व्यवहार करते हैं. आज जरूरत लड़कों को लड़कियों की तरह पालने की है ताकि वे महिलाओं का सम्मान करना सीख सकें.

घूरना अपमान निहारना सम्मान

‘‘घूरना अपराध है लेकिन देखना सौंदर्य का सम्मान,’’ पिछले दिनों जनता दल के राज्यसभा के सांसद केसी त्यागी ने महिलाओं को ले कर यह विवादित बयान दिया. उन के अनुसार, देश के प्राचीन कवियों ने भी महिलाओं के सौंदर्य का वर्णन किया है और वे संसद भवन में बैठने वाली फिल्म अदाकारा सांसदों को अकसर देखते रहते हैं.

इस के जवाब में बीजेपी महिला मोरचा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्या लज्जारानी गर्ग ने कहा, ‘‘यह बयान त्यागी और उन के दल की मानसिकता को दर्शाता है. देश में प्राचीनकाल से ही महिलाओं को मां के रूप में देखा गया है और मां के शरीर की सुंदरता नहीं बल्कि उस का स्नेह देखा जाता है.’’

जब जनप्रतिनिधि ही इस तरह की टिप्पणी करते हैं तो महिलाओं का सम्मान करने की इन की दावेदारी पर सवालिया निशान लग जाता है.

क्यों घूरते हैं पुरुष महिलाओं को

एक ब्रिटिश रिसर्च के अनुसार, हर इनसान में विपरीत सैक्स को घूरने की फितरत होती है. इनसान चाह कर भी यह आदत छोड़ नहीं पाता, क्योंकि विपरीत सैक्स को निहारने या घूरने में जो आनंद या सुख मिलता है वह वैसा ही होता है जैसा किसी भूखे को भोजन और प्यासे को पानी मिलने के बाद होता है. विपरीत सैक्स पर नजर पड़ते ही शरीर में हारमोनल प्रतिक्रिया होती है और आनंदित होने का एहसास होता है. पुरुषों के अंदर मौजूद टैस्टोस्टेरौन नामक हारमोन उन में महिलाओं के प्रति अट्रैक्शन उत्पन्न करता है, जिस के चलते वे कई बार विपरीत सैक्स की तरफ ज्यादा देखते हैं या कहें घूरते हैं. लेकिन जब पुरुषों की घूरती नजरें जिस्म को भेदने वाली होती हैं तो लड़कियां घबरा जाती हैं. इस से उन के आत्मविश्वास में गिरावट आ सकती हैं, दिमागी सक्रियता में भी कमी हो सकती है.

सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार, महिलाओं को जब लंबे समय तक पुरुषों द्वारा घूरा जाता है तो वे खुद को फिगर के आधार पर मूल्यांकन करना शुरू कर देती हैं. और वे शर्मिंदगी महसूस करने लगती हैं.

हस्तियां भी नहीं छोड़तीं मौका

ऐसा नहीं है कि सिर्फ आम पुरुष ही महिलाओं को घूरते हैं. ऐसा बड़ी हस्तियां भी करती हैं, जिन में किसी देश के राष्ट्रपति, खिलाड़ी भी शामिल होते हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इटली में हुए जी-8 के सम्मेलन में लड़कियों को घूरते पाए गए. ऐसी ही कुछ हरकत फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलेस सरकोजी ने भी की. वे जी-8 सम्मेलन में हिस्सा लेने आई ब्राजील की महिला डैलिगेट को घूरते नजर आए. इसी तरह तिरछी नजर से अमेरिकी चीयर गर्ल पर नजरें गड़ाने वालों में जानेमाने फुटबौलर डैविड बेकहम भी हैं.

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