मिला ड्रीमगर्ल का ताज

फिल्म इंड्रस्ट्री की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी और श्रद्धा कपूर एक कार्यक्रम के दौरान जब एकदूसरे से मिलीं तब डांस और फिल्म को ले कर देर तक बातें करती रहीं. अचानक हेमा ने श्रद्धा से कहा कि न्यू ड्रीमगर्ल तो तुम हो, तो हेमा के मुंह से यह बात सुन श्रद्धा दंग रह गई. खुशी के मारे वह कुछ देर कुछ बोल नहीं पाई. बाद में उस ने अपनी मां शिवांगी को फोन कर के यह बात बताई. श्रद्धा ने इसे अपने लिए अब तक का बैस्ट कौंप्लिमैंट माना है.

सैफरीना और शाहिद एकसाथ

करीना अपने पुराने बौयफ्रैंड और हब्बी के साथ एक फिल्म में आ रही हैं. लगता है शाहिद कपूर की शादी की बात सुन कर वे सभी बीती बातों को भुलाने के मूड में हैं. तभी तो फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में शाहिद के साथ काम करने के बाद दूसरी फिल्म में आ रही हैं. लेकिन इस फिल्म में करीना के साथ नवाब सैफ भी दिखेंगे. खबर है कि तीनों को विशाल भारद्वाज ने अपना अपकमिंग फिल्म के लिए अप्रोच किया है. हालांकि अभी तक फिल्म का नाम तय नहीं हुआ है पर फिल्म इंडस्ट्री के सूत्रों की मानें तो सैफ चाहते थे कि करीना इस फिल्म में काम करें. वहीं दूसरी तरफ, शाहिद ने भी इस रोल के लिए करीना को एकदम सही चौइस माना है.

जब घर में ही दानव हो

लड़कियां कितनी असुरक्षित हैं, खासतौर पर अपनों के हाथों, दिल्ली के एक मामले से स्पष्ट है. इस मामले में एक 12 वर्ष की लड़की की मां ने उस के चचेरे भाई पर बलात्कार का मामला दर्ज कराया था. पर वह चचेरा भाई बरी हो गया. दरअसल, शिकायत करने वाली मां ने, शिकार लड़की ने और मैडिकल जांच ने भी जब मामला अदालत में पहुंचा तो बयान ऐसे दिए गोया मामला सिर्फ रंजिश के कारण दर्ज किया गया हो. मां ने कह दिया कि पड़ोसियों के उकसाने पर शिकायत की गई और लड़की ने कह दिया कि आरोपी उसे पागल कह कर चिढ़ाता था. जज के पास उसे छोड़ने के अलावा कोई चारा न था. यह कहना आसान नहीं है कि इस मामले के बाद परिवार में आपसी दबाव और रजामंदी हुई थी या वास्तव में मामला झूठा था. पर जिस तरह मामला पुलिस थाने से हो कर अदालत पहुंचा उस से इतना तो साफ है कि इस तरह के मामले होते रहते हैं जिन में छोटी लड़कियां अपनों की ही हवस की शिकार बनती हैं.

बलात्कार के मामलों में अपनों पर मुकदमा चलाना बहुमुखी तलवार बन जाता है. अपना जेल चला जाए तो घरपरिवार बिखर जाता है. संबंधियों में सदा के लिए दुश्मनी हो जाती है. अपनों के प्रति शक हो जाता है. जो शिकार बनी उस की जिंदगी तो खराब होती ही है बाकी लड़कियां भी दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हो जाती हैं. दोनों तरफ के लोगों को पुलिस व वकीलों पर मोटा पैसा खर्च करना पड़ता है और कमाऊ सदस्यों को कामधाम छोड़ कर फालतू में थानों, वकीलों और अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. एक शिकायत मानसिक रूप से तो भारी होती ही है, आर्थिक रूप से भी. फिर सामाजिक तौर पर भी घातक होती है. ऐसे समाज का क्या लाभ जहां लड़कियां अपने को सुरक्षित न समझें? बलात्कार, अनचाहा जबरन सैक्स शराब और नशे की तरह घरपरिवार को खोखला करता है. लड़कियों की उम्मीदों को कुचलता है. क्या इतना पाठ भी पढ़ाना संभव नहीं है?

इन आंखों की मस्ती के…

मेकअप में आईशैडो, ब्लशर, आईलाइनर आदि पर तो आप का ध्यान होता ही है, तो फिर क्यों न हम आईलैशेज की बात करें. किस तरह आईलैशेज पर ध्यान दे कर आप अपने मेकअप को और उभार कर अपना सौंदर्य बढ़ा सकती हैं, आइए जानें:

आईलैशेज

आंखों को शेप देनी हो या फिर उन्हें और भी खूबसूरत बनाना हो तो आप नकली यानी फेक आईलैशेज लगा सकती हैं. बौलीवुड की कई ऐक्ट्रैस सौंदर्य बढ़ाने के लिए फेक आईलैशेज का प्रयोग करती हैं.

लगाने का तरीका

ट्रिम: अगर आईलैशेज आप की आंखों से ज्यादा लंबी हैं, तो उन्हें अपनी आंखों के साइज के अनुसार काट लें. लेकिन ध्यान रहे कि आईलैशेज का आखिरी हिस्सा कुछ बाहर की ओर जरूर निकला हो.

ग्लू लगाएं: आईलैशेज के आखिरी छोर पर ग्लू लगाएं. ग्लू को अपनी उंगली में लगाएं और उसी पर पलकों को थोड़ी देर के लिए दबा दें ताकि उन पर ग्लू लग जाए.

चिमटी: अब धीरे से अपनी नकली पलकों को चिमटी की सहायता से बारीबारी से पकड़ें और आंखों के करीब लाएं. जब आईलैशेज सही जगह पर आ जाएं तब उन्हें तुरंत उंगली से चिपका दें. चिपकाते वक्त ज्यादा प्रैशर न डालें वरना चिपकने के बजाय निकल आएंगी. अब अपनी उंगली को धीरे से हटा लें.

मेकअप

मसकारा लगाएं: जब पलकें सूख जाएं तब मसकारा लगाएं. मसकारा पलकों को और भी ज्यादा घना लुक देगा और लंबा भी दिखाएगा. जब मसकारा लगा लें तब पलकों को दोबारा प्रैस करें ताकि वे निकलें नहीं. मसकारा नकली पलकों को असली पलकों से जुड़ने में मदद करता है.

कलर मसकारा: यदि आप चाहती हैं कि आप की आंखें उभरी दिखें तो आप आईशैडो से मैच करता मसकारा आईलैशेज पर लगाएं. जैसे यदि आप ग्रीन आईशैडो का प्रयोग कर रही हैं, तो ग्रीन मसकारा आईलैशेज पर लगाएं. ऐसा करने पर आप की आंखें और ज्यादा खूबसूरत दिखेंगी.

आईलाइनर: जब आप नकली पलकें लगाएंगी तो आंखों के नीचे थोड़ी खाली जगह बच जाएगी. अत: इस जगह को आप आईलाइनर लगा कर भर सकती हैं.

यह भी रखें खयाल

आंखों को मलने से पलकें कमजोर पड़ जाती हैं और टूटने लगती हैं. अत: ऐसा न करें.

यदि आप नकली आईलैशेज का इस्तेमाल करती हैं, तो ध्यान रखें कि आप के हाथ आंखों पर कम लगें.

सोने से पहले आईलैशेज को उतार दें ताकि आंखें ज्यादा भारीपन महसूस न करें.

सोनाक्षी लगाएंगी अभिषेक संग ठुमके

बौलीवुड की और अभिनेत्रियों की तरह अब सोनाक्षी सिन्हा भी हर तरह के रोल करने को तैयार हैं. वे अब उमेश शुक्ला की आने वाली फिल्म ‘औल इज वैल’ में आइटम नंबर करने वाली हैं. इस आइटम नंबर में उन के साथ अभिषेक बच्चन होंगे. इस आइटम नंबर के लिए सोनाक्षी ग्रीन सिग्नल दे चुकी हैं और अभिषेक बच्चन व ऋषि कपूर पहले ही फिल्म की शूटिंग शुरू कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि इस फिल्म में ऋषि कपूर ने कुछ नए डांस मूव्स भी किए हैं.

एक्सेसरीज सिलैक्शन टिप्स

हैंड बैग्स

बौडी शेप के अनुसार हैंड बैग चुनें. यदि आप की बौडी पीयर शेप में है, तो इतना बड़ा बैग न चुनें, जो आप के हिप्स तक पहुंचता हो.

यदि आप का ऊपरी भाग हैवी है, तो लंबे व पतले बैग का चुनाव करें.

यदि आप का निचला भाग हैवी है, तो छोटा बैग चुनें, जिसे आप बगल में दबा सकें.

पार्टी में जाना हो तो छोटा बैग चुनें.

जीन्स, टीशर्ट, बाटिक, बांधनी की कौटन ड्रैस के साथ जूट और इंडो बैग वैस्टर्न लुक देते हैं.

लौंग वन पीस ड्रैस के साथ क्लच बैग स्मार्ट लुक देता है. 

बैल्ट

आजकल लैदर बैल्ट फैशन में हैं, जो आप की ड्रैस को फैंसी टच देती हैं.

रोमांटिक लुक के लिए बैल्ट में टौप इस तरह दबाएं कि उस का कुछ भाग बैल्ट के नीचे से निकले.

कार्डिगन के ऊपर पतली मेटैलिक बैल्ट पहनें. यह ग्लैमरस लुक देगी.

अपनी बौडी शेप के अनुसार बैल्ट का आकार चुनें.

यदि आप के हिप्स हैवी हैं, तो बैल्ट ऊंची पहनें.

शर्ट या ट्यूनिक के ऊपर बैल्टबहुत फबेगी.

यदि आप का फिगर परफैक्ट है, तो आप मोटी या बड़ी बैल्ट पहनें.

ज्यादा बड़ी रैप अराउंड बैल्ट स्टाइलिश लुक देती है.

यदि आप का पेट बड़ा है, तो कमर से नीचे मीडियम साइज की ऐसी बैल्ट पहनें, जिस में बड़ा फंकीचंकी बक्कल न हो.

इयररिंग्स

यदि आप का चेहरा गोल है, तो लंबी इयररिंग्स पहनें. इस से आप का चेहरा लंबा दिखेगा. गोल चेहरे पर कानों से चिपकी इयररिंग्स अच्छी नहीं लगतीं.

यदि आप का चेहरा चौकोर है, तो गोल आकार की मीडियम, लंबी इयररिंग्स या हूप्स आप पर खूब फबेंगे.

यदि आप का चेहरा अंडाकार है, तो आप सभी तरह के इयररिंग्स पहन सकती हैं. मोतियों वाले टौप्स या स्टड्स खूबसूरत लुक देंगे.

टै्रडीशनल टौप्स के साथ चमकदार या स्पार्कलिंग इयररिंग्स से ग्लैमरस लुक आता है.

औफ शोल्डर ड्रैस के साथ बड़ीबड़ी इयररिंग्स पहनें.

टरनट नैक वाले टौप के साथ पतली ड्रौप इयररिंग्स फबती हैं.

चेन

छोटी नैकलाइन के साथ छोटी डिजाइनर चेन, लौकेट या पेंडेंट पहनने चाहिए.

कौलर शर्ट के साथ लंबी चेन पहनें. इसे शर्ट के बाहर ऐसे ही रखें या गरदन में 1 या 2 बार लपेट कर बाकी खुली छोड़ दें, बहुत जंचेगी.

कभीकभी छोटी व लंबी दोनों चेन को मिक्स मैच करके पहनें.

शूज या चप्पल

सभी तरह के बौडी टाइप पर हाई हील फुटवेयर ग्लैमरस लगते हैं.

पार्टीज में हाई हील्स ही पहनें.

जीन्स व कैप्रीज पर फ्लैट हील अच्छी लगती हैं.

प्लेटफार्म हील्स लंबे ट्राउजर के साथ जंचती हैं.

स्कर्ट के साथ काउबौय बूट्स, हील वाले शूज और अलगअलग स्टाइल की स्टिलैटो हील्स पहनें.

कैजुअल स्टाइल के लिए पैंट या स्कर्ट पर फ्लैट शूज पहनें.

डैलीकेट स्ट्रैप्स वाली सैंडल के बजाय ब्रौड स्ट्रैप्स की फुटवेयर चुनें.

ब्लू जीन्स के साथ स्टिलैटो हील्स पैरों को लंबा व पतला लुक देती हैं.

औफिस या डेली वेयर के लिए कलरफुल फ्लैट्स व स्लिप औन फुटवेयर चुनें. ये आरामदायक होते हैं और ट्रैंडी भी लगते हैं.

घर के आसपास, दुकान, पार्क या बीच पर जाना हो, तो फ्लैट्स ही पहनें.

क्रेज कोल्हापुरी चप्पलों का

कोल्हापुरी चप्पलों का महाराष्ट्र के कोल्हापुर से शुरू हुआ व्यवसाय आज विश्व भर में मशहूर है. कोल्हापुरी चप्पलें 13वीं सदी की शुरुआत से पहनी जा रही हैं. इस से पहले जिस गांव में ये चप्पलें बनती थीं उसी गांव के नाम पर उन का नाम रख दिया जाता था. इन्हें तब कपाशी, पायटन, कचकडी, बक्कलनवी और पुकारी के नाम से जाना जाता था. इस के बाद 1920 में सौदागर परिवार ने इन चप्पलों के नए डिजाइन निकाले. कानों की तरह बेहद पतली होने की वजह से इन्हें कनवली नाम दिया गया. फिर इन्हें मुंबई बेचने के लिए भेजा गया, जहां लोगों ने खूब पसंद किया. इन की मांग बढ़ने लगी तो सौदागर परिवार ने कुछ नए लोगों को इस की कला सिखाई. फिर धीरेधीरे ये देश के अन्य भागों में भी पसंद की जाने लगीं. कनवली चप्पलें ही बाद में कोल्हापुरी चप्पलों के नाम से मशहूर हुईं.

बैलों और भैंसों के चमड़े से बनने वाली कोल्हापुरी चप्पलें टिकाऊ होने के साथसाथ कड़ी धूप से भी पैरों को बचाती हैं.

मुंबई से परिचय

मुंबई के दादर स्थित चंद्रकांत चप्पल मार्ट के मालिक चंद्रकांत पाखरे की मुंबई में कोल्हापुरी चप्पलों की कई दुकानें अलगअलग स्थानों पर हैं. यह व्यवसाय उन का परिवार 50 सालों से भी अधिक समय से करता आ रहा है. पांडूराम पाखरे पहले इंसान थे, जिन्होंने मुंबई में पहली बार कोल्हापुरी चप्पलों से लोगों का परिचय कराया. इस के बाद उन का बेटा चंद्रकांत, भानजा किरण सीताराम चव्हाण आदि इस व्यवसाय से जुडे़. अब चप्पलें समय की मांग के हिसाब से अलगअलग पैटर्न में बनाई जाने लगी हैं. ये चप्पलें अधिकतर कोल्हापुर, मीरज, सतारा आदि जगहों से बना कर कारीगर मुंबई जा कर बेचते हैं. इन्हें बनाने के लिए चमड़ा अधिकतर चैन्नई और कोलकाता से आता है.

डिजाइनर पूजा पवार कहती हैं कि कोल्हापुरी चप्पलों की रेंज 4 से 5 तरह की है. स्टाइलिस्ट और फैशनेबल होने के साथसाथ ये रिचनैस को भी दर्शाती हैं. कोल्हापुरी चप्पलें ‘कार टू कारपेट’ की श्रेणी में आती हैं. धनगढ़ जाति और किसान अधिकतर कोल्हापुरी चप्पलें ही पहनते हैं, क्योंकि ये टिकाऊ होने के साथसाथ आरामदायक भी होती हैं. रैंप शो और फिल्मों में भी कोल्हापुरी चप्पलों को पहने दिखाया जाता है. हमारा पूरा परिवार इन्हें पहनता है.

क्रेज विदेशों में भी

कोल्हापुरी चप्पलों का के्रज भारत में नहीं विदेशों में भी है. वहां भी इन्हें पहना जाता है. यहां वैस्टर्न, इंडियन सभी तरह की पोशाकों के साथ ये खूब फबती हैं. इन्हें जरमनी, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, सिंगापुर आदि देशों में निर्यात किया जाता है. कोल्हापुरी काप्सी, महाराजा, बीसबंदी गांधी, कोल्हापुरी पोइंटेड, लेडीज और जैंट्स मोजरी आदि सभी इस के अलगअलग पैटर्न हैं.

कोल्हापुरी चप्पलें खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

इन की सिलाई पर ध्यान दें.

पहन कर देखें कि कहीं चप्पलें चुभ तो नहीं रहीं.

चप्पलें ढीली न हों, क्योंकि अकसर कोल्हापुरी चप्पलें और जूतियां कुछ समय बाद ढीली हो जाती हैं.

बारिश के मौसम में कोल्हापुरी चप्पलों को प्लास्टिक की थैली में डाल कर बंद कर रखें ताकि इन के अंदर हवा न जा पाए. समयसमय पर थोड़ी पौलिश करते रहने से ये आराम से 2-3 साल चल जाती हैं.

खतरे में उद्योग

गत 4 मार्च, 2015 के महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम द्वारा बैलों और भैंसों के वध पर प्रतिबंध लगा दिए जाने से यह व्यवसाय खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है. इस कानून के तहत किसी को भी गोमांस बेचने या वध करने पर क्व10 हजार का जुर्माना और 5 साल तक की जेल हो सकती है.

भले महाराष्ट्र सरकार इस पर प्रतिबंध लगा कर अपनी पीठ को थपथपाती हुई कह रही हो कि इस से न केवल लोगों में जानवरों के प्रति दया की भावना जाग्रत होगी, बल्कि इस से कृषि संबंधी अर्थव्यवस्था का भी विकास होगा. लेकिन जानकार बताते हैं कि हमारे देश में वयस्क पशुओं को संरक्षण देने की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं है. कुछ स्थानों पर ऐसे पशुओं को चारा न दे पाने की वजह से खुला छोड़ दिया जाता है. ये पशु चारे की तलाश में सैकड़ों मील चलते हुए मर जाते हैं जो पर्यावरण के लिए खतरा बन सकते हैं. पशु वध महाराष्ट्र को छोड़ कर बाकी किसी राज्य में बैन नहीं है. ऐसे में जानवरों की बिक्री को ले कर कालाबाजारी शुरू हो सकती है. कोल्हापुरी चप्पलें बनाने वाले मानते हैं कि इस व्यवसाय में भैंसों और बैलों का चमड़ा ही प्रयोग होता है, गाय का नहीं. अधिक ब्रैंडेड कंपनियां ही लैदर शूज के लिए गाय के चमड़े का प्रयोग करती हैं. इसलिए इस तरह के बैन से महाराष्ट्र के हजारों लोगों की रोजीरोटी छिन जाएगी.

हालांकि पिछले कुछ सालों से सस्ती और नकली कोल्हापुरी चप्पलें बनाई जा रही हैं, जिन में चमड़े की जगह प्लाइवुड का प्रयोग होता है. इसलिए उन की कोई गारंटी नहीं, अगर इस पर विचार नहीं किया गया तो असली अच्छी कोल्हापुरी चप्पलें पहनने को लोग तरस जाएंगे.

वैस्टर्न आउटफिट पर ट्रैडिशनल ज्वैलरी ऐसे करें फिट

भारत विविधताओं वाला देश है. यहां अलगअलग अवसरों पर अलगअलग परिधान पहनने का रिवाज है. पुराने समय में पुरुष धोतीकुरता और फेंटा जबकि महिलाएं चोली और साड़ी पहनती थीं. समय के साथ भारतवासियों का नए फैशन के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा. वे तेजी से वैस्टर्न फैशन को फौलो करने लगे. मगर उन्होंने अपने पारंपरिक फैशन को नहीं छोड़ा. फिर चाहे बात कपड़ों की हो या फिर गहनों की. इसीलिए तो पश्चिमी पोशाकों के साथ ट्रैडिशनल ज्वैलरी का भी क्रेज बढ़ रहा है. ज्वैलरी डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं कि आजकल स्टेटमैंट ज्वैलरी का चलन है. इस का मतलब यह है कि अगर आप के पास परंपरागत आभूषण हैं जो आप को आप की दादी या नानी ने दिए हैं और उन का लुक काफी ऐलिगैंट है, तो उन आभूषणों को वैस्टर्न आउटफिट के साथ पहनने पर किसी भी महिला की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाएगी.

आज की व्यस्त दिनचर्या में सोलह शृंगार करने के लिए किसी के पास समय नहीं होता. ऐसे में आप माथापट्टी, नथ, रानीहार, गोखरू, हथफूल आदि कई गहने हैं, जिन्हें कभी भी किसी भी अवसर पर तुरंत पहन कर सुंदर दिख सकती हैं. पोशाक और गहने ऐसे होने चाहिए जो देशविदेश कहीं भी पहने जा सकें. ब्लैक टीशर्ट, जींस के साथ माथापट्टी, गले का हार, हथफूल, गोखरू आदि में से कोई भी एक गहना पहन लेने पर सौंदर्य बढ़ जाता है. हथफूल भी 5 उंगलियों में न पहन कर केवल 1 उंगली में भी पहना जाता है. अगर आप के पास ट्रैडिशनल गहने हों तो फिर क्या कहने, क्योंकि उन जैसी कलाकारी, नक्काशी, आजकल मिलना मुमकिन नहीं. ऐसे गहने पहन कर आप भीड़ में भी अलग दिखेंगी. हैवी गहनों में चोकर नैकलैस साड़ी या सलवारकमीज के साथ सुंदर लगता है. ऐसे ट्रैडिशनल गहने बाजार में भी मिलते हैं, जिन्हें खरीद कर आप पहन सकती हैं.

माथापट्टी: माथापट्टी आजकल चलन में है. सलवारकमीज, साड़ी, गाउन या फिर स्कर्ट के साथ भी आप इसे पहन सकती हैं.बालियां: मोती लगी बालियां वैस्टर्न आउटफिट के साथ ग्लैमरस दिखती हैं.

 ज्वैल्ड हेयर कौंब: हेयरस्टाइल को ग्लैमरस लुक देने में इस तरह के कौंब अधिक उपयोगी होते हैं. वैस्टर्न पोशाक के साथ मैस्सी बन और उस पर यह ज्वैल्ड कौंब ग्लैमर की गारंटी देता है.

नैकलैस या हार: स्कर्ट, जींस, टीशर्ट, प्लाजो पैंट, फ्रौक आदि के साथ लंबी चेन या नैकपीस आप के पहनावे को आकर्षक बनाता है.

इयरकफ: इस तरह के इयरपीस पूरे कानों को ढकते हैं. हालांकि ये बड़े दिखते हैं, लेकिन होते ये हलके हैं और कानों को सुरक्षित रखते हैं. वैस्टर्न आउटफिट के साथ ये ट्रैंडी लुक देते हैं.

नथ: ज्वैलरी डिजाइनर मानते हैं कि नथ का प्रयोग राजामहाराजाओं के जमाने का है. इसे पहनने पर महिला अतिसुंदर दिखती है. गाउन, लौंगस्कर्ट, जींस, टीशर्ट के साथ आज इसे पहन सकती हैं. नथ आप के व्यक्तित्व को निखारती है. मोतीजडि़त नथ वैस्टर्न आउटफिट पर फबने के साथसाथ परंपरा का भी एहसास कराती है.

कुसुमलाई नैकलैस: सिक्कों से बना यह नैकलैस दक्षिण भारत का मशहूर आभूषण है. इसे किसी खास अवसर या त्योहार पर पहना जाता है. किसी भी हैवी गहने के 1-2 पीस ही पहनने चाहिए ताकि ग्लैमरस लुक बना रहे.

गोखरू: गोखरू गोल्डन और सिल्वर दोनों होते हैं. स्कर्ट, फ्रौक के साथ आजकल एक पांव में गोखरू पहनने का काफी रिवाज है. वैस्टर्न आउटफिट के साथ भी इसे पहना जा सकता है.

ड्रैसेज के रंगों के बारे में श्रुति संचेती कहती हैं कि इस साल चटकीले रंगों का चलन है, जिन में नीला, संतरी, गुलाबी, लाल काफी पौपुलर हैं

पीसीओएस से ग्रस्त हौसला न करें पस्त

पीसीओएस यानी पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक सामान्य हारमोन में अस्थिरता से जुड़ी समस्या है जो महिलाओं की प्रजनन आयु में उन के गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है. यह देश में करीब 10% महिलाओं को प्रभावित करती है. पीसीओएस बीमारी में ओवरी में कई तरह के सिस्ट्स और थैलीनुमा कोष उभर जाते हैं जिन में तरल पदार्थ भरा होता है. ये शरीर के हारमोनल मार्ग को बाधित कर देते हैं जो अंडों को पैदा कर गर्भाशय को गर्भाधान के लिए तैयार करते हैं. पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन होता है. इस की अधिक मात्रा के चलते उन के शरीर में पुरुष हारमोन और ऐंड्रोजेंस के उत्पादन की मात्रा बढ़ जाती है. अत्यधिक पुरुष हारमोन इन महिलाओं में अंडे पैदा करने की प्रक्रिया को शिथिल कर देते हैं. इस का परिणाम यह होता है कि महिलाएं जिन की ओवरी में पौलीसिस्टिक सिंड्रोम होता है उन के शरीर में अंडे पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है और वे गर्भधारण नहीं कर पातीं.

यह एनोवुलेट्री बांझपन का सब से मुख्य कारण है और यदि इस का शुरू में ही इलाज न कराया जाए तो इस से महिलाओं की शारीरिक बनावट में भी खतरनाक बदलाव आ जाता है. आगे चल कर यह एक गंभीर बीमारी की शक्ल ले लेता है. इन में मधुमेह और हृदयरोग प्रमुख है.

पीसीओएस के लक्षण

मासिकधर्म संबंधी विकार. पीसीओएस ज्यादातर मासिकधर्म अवरुद्ध करता है, लेकिन मासिकधर्म संबंधी विकार भी कई प्रकार के हो सकते हैं. सब से सामान्य लक्षण मुंहासे और पुरुषों की तरह दाढ़ी उगना, वजन बढ़ना, बाल गिरना आदि हैं.

आईवीएम आशाजनक उपचार पद्धति

ऐसे में आईवीएम यानी इन विट्रो मैंचुरेशन प्रक्रिया उन लाखों महिलाओं की समस्या के लिए एक बेहतरीन समाधान है जोकि पौलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से ग्रस्त हैं, लेकिन गर्भधारण करना चाहती हैं. आईवीएम प्रक्रिया इन महिलाओं की गर्भधारण करने में मदद करती है. आईवीएम प्रक्रिया में किसी तरह के हारमोन इंजैक्शन की जरूरत नहीं होती जैसेकि विट्रो फर्टीलाइजेशन में होता है, जोकि बांझपन के इलाज का एक परंपरागत इलाज है. इस के चलते जहां एक ओर कई तरह के दुष्प्रभावों का जोखिम कम हो जाता है, वहीं महिलाओं में गर्भधारण की संभावना भी बढ़ जाती है. यह क्रांतिकारी बांझपन उपचार पद्धति परंपरागत आईवीएफ तकनीक के एक सस्ते और सुरक्षित विकल्प के तौर पर विकसित की गई है.

एक सामान्य आईवीएफ में महिला के अंडे को हारमोन दवाओं के द्वारा परिपक्व बनाया जाता है. इस के बाद उस में शुक्राणु मिला कर ट्रांस वैजिनल सूई के द्वारा गर्भित किया जाता है. सेल विकास के उपयुक्त चरण में भू्रण को गर्भ में पोषित कर दिया जाता है. वहीं इन विट्रो मैंचुरेशन पद्धति में एक न्यूनतम हारमोनल स्टिम्यूलेशन के बाद अंडे को सीधे अंडकोष से ले लिया जाता है और प्रयोगशाला में 24 से 48 घंटों तक परिपक्व किया जाता है न कि महिला के शरीर में ही इसे परिपक्वता प्रदान की जाती है. एक बार परिपक्व होने के बाद गर्भधारण करने के लिए उस में शुक्राणुओं को इंजैक्ट किया जाता है. अति आधुनिक आईसीएसआई तकनीक का प्रयोग अंडे को परिपक्व करने में किया जाता है. इस के बाद भू्रण को महिला के गर्भ में पोषित कर दिया जाता है. स्टिम्यूलेटेड आईवीएम के चलते ओवेरियन हाईपर स्टिम्यूलेशन सिंड्रोम का खतरा बहुत बढ़ जाता है, जिस के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं. वहीं आईवीएम से वह खतरा पूरी तरह कम हो जाता है, क्योंकि इस में अंडकोश के स्टिम्यूलेशन की प्रक्रिया खासी कम होती है. साथ में आईवीएम आईवीएफ के मुकाबले कम महंगी प्रक्रिया भी है. एक अनुमान के मुताबिक शिशु पैदा करने की उम्र वाली 5 से 10% महिलाएं पीसीओएस से ग्रस्त रहती हैं. अधिकतर महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि वे इस से ग्रस्त हैं. अत: वे जब तक यह नहीं जान पाएं तब तक गर्भधारण का प्रयास न करें.

आईवीएम प्रक्रिया निश्चित रूप से पीसीओएस से ग्रस्त मरीजों के इलाज की दिशा में एक मील का पत्थर है. 

– डा. अर्चना धवन बजाज, नर्चर आईवीएफ

सौंदर्य समस्याएं

मेरी उम्र 20 वर्ष है. मैं अपने बालों को ले कर बहुत परेशान हूं. उन में स्पिलिट एंड्स हैं, जिन की वजह से बाल बिलकुल रूखे लगते हैं. जो भी हेयरस्टाइल बनाऊं खराब दिखता है. कृपया कोई उपाय बताएं ताकि मैं भी मनचाहा हेयरस्टाइल बना सकूं?

दोमुंहे बालों की समस्या से नजात पाने के लिए आप नियमित हेयरकट कराएं और बालों को सन ऐक्सपोजर से बचाएं. घर से बाहर निकलते समय स्टोल या स्कार्फ का प्रयोग करें. बालों में हेयर ड्रायर का प्रयोग ज्यादा न करें. उन्हें प्राकृतिक रूप से सूखने दें. इस के अलावा चाहें तो ब्यूटीपार्लर जा कर स्पिलिट एंड्स निकलवा भी सकती हैं.

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मैं कालेज में पढ़ती हूं. मेरे घुटनों और कुहनियों का रंग शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा अधिक गहरा है. इस वजह से मुझे स्लीवलेस व शौर्ट ड्रैसेज पहनने में हिचक होती है. बताएं क्या करूं जिस से घुटनों और कुहनियों का रंग साफ हो जाए?

घुटनों व कुहनियों के रंग को साफ करने के लिए इमली के पानी में 2 चम्मच पिसी कलौंजी, 2 चम्मच दही, 2 चम्मच ओट्स व 2 चम्मच चावल का आटा मिला कर पेस्ट बना लें. फिर इस से घुटनों व कुहनियों की स्क्रबिंग करें. इस से इन जगहों की टैनिंग दूर होगी और वहां की त्वचा का रंग साफ हो जाएगा.

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मैं स्कूल की छात्रा हूं. मैं जब भी वैक्सिंग कराती हूं, तो मेरी बांहों व पीठ पर छोटेछोटे दाने हो जाते हैं. इन दानों की वजह से हाथ और पीठ भद्दी दिखती है. कृपया सुझाव दें कि मैं क्या करूं जिस से वैक्सिंग के बाद बांहों और पीठ पर दाने न हों?

कुछ लोगों की त्वचा अत्यंत संवेदनशील होती है. इस वजह से उन की त्वचा पर वैक्सिंग के बाद दाने हो जाते हैं. वैक्सिंग के बाद त्वचा पर दाने न हों, इस के लिए 200 मिलीलिटर पानी में 3-4 बूंदें टी ट्री औयल डाल कर घोल बना लें और फिर वैक्सिंग के बाद इस का त्वचा पर स्प्रे करें. ऐलर्जी और दाने नहीं होंगे.

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मैं स्कूल टीचर हूं. मुझे हमेशा प्रैजैंटेबल दिखना पड़ता है. मुझे लिपस्टिक लगाने का कोई ऐसा तरीका बताएं जिस से होंठों पर लिपस्टिक ज्यादा देर तक टिकी रहे. साथ ही मेरे प्रोफैशन को मैच भी करे?

बाजार में लौंग लास्टिंग 7-8 घंटों तक टिकने वाली कई ब्रैंड्स की लिपस्टिक उपलब्ध हैं. आप उन का प्रयोग कर सकती हैं. इस के अलावा लिपस्टिक लगाने से पहले होंठों पर कौंपैक्ट पाउडर जरूर लगा लें. उस के बाद ही लिपस्टिक लगाएं. इस से लिपस्टिक ज्यादा देर तक टिकी रहेगी और आप प्रैजैंटेबल भी दिखेंगी.

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मेरी उम्र 35 वर्ष है. मेरी समस्या बालों को ले कर है. मेरे बाल बहुत ही कमजोर और रूखे हैं. उन में कतई चमक नहीं है. इस वजह से कोई भी हेयरस्टाइल मुझ पर नहीं फबता है. क्या करूं जिस से बालों में चमक आने के साथसाथ वे मजबूत भी हो जाएं?

कमजोर व रूखे बालों के लिए  आप इन नुसखों को नियमित रूप से आजमाएं – 4 केले, 2 अंडे, 2 छोेटे चम्मच मेथी पिसी और 2 छोटे चम्मच औलिव औयल मिला कर पैक बना लें. फिर इस पैक को बालों में लगा कर आधे घंटे के बाद शैंपू कर लें. बाल मुलायम और चमकदार हो जाएंगे और साथ ही उन्हें मजबूती भी मिलेगी.

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मेरी उम्र 40 वर्ष है. मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे की त्वचा पर ओपन पोर्स हैं. इस वजह से गरमी के मौसम में मेरी त्वचा अत्यधिक औयली हो जाती है, जिस से चेहरा कांतिविहीन सा लगता है. कृपया कोई उपाय बताएं?

त्वचा में ओपन पोर्स होने का कारण त्वचा की बारबार स्क्रबिंग करना है. स्क्रबिंग करने से त्वचा के पोर्स खुल जाते हैं. लेकिन स्क्रबिंग के बाद टोनिंग न करने से पोर खुले रह जाते हैं. इसलिए जब भी स्क्रबिंग करें टोनिंग अवश्य करें. इस के अलावा ओपन पोर्स को बंद करने के लिए टमाटर का जूस निकाल कर त्वचा पर लगाएं. सूखने के बाद धो लें. फिर ऐस्ट्रिंजैंट लगाएं. 200 एमएल पानी में 3-4 बूंदें टी ट्री औयल मिला कर स्प्रे बोतल में भर लें. फिर दिन में 3-4 बार त्वचा पर स्प्रे किया करें. इस से औयलीनैस भी खत्म होगी व पिंपल्स भी नहीं होंगे.

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मैं एक कामकाजी महिला हूं. मेरे चेहरे पर ऐजिंग के निशान दिखने लगे हैं, साथ ही त्वचा पिग्मैंटेड भी है. मैं घरेलू उपाय के तौर पर क्या करूं जिस से मुझे आराम मिले?

नारियल पानी को ठंडा कर के उस में रुई का फाहा डुबो कर हलका सा निचोड़ें और उसे पूरे चेहरे पर मलें. नारियल पानी का यह कोल्ड क्रंपै्रशन पिग्मैंटेशन और ऐजिंग से छुटकारा दिलाने में मददगार होगा.

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मैं 32 वर्षीय सेल्सगर्ल हूं. मेरी समस्या यह है कि गरमियों में मेरे होंठ ड्राई हो जाते हैं. उन में पपड़ी सी आ जाती है. खून भी निकलने लगता है. मैं क्या करूं जिस से होंठ मुलायम रहें?

स्किन में ड्राइनैस की वजह से होंठ ड्राई हो सकते हैं. गरमियों में हवा में खुश्की के कारण भी ऐसा होता है. अत: होंठ नरम व मुलायम रहें इस के लिए नाभि पर नारियल तेल लगाएं. होंठों पर क्रीम बेस्ड लिपस्टिक या लिपबाम लगाएं. दिन में थोड़ीथोड़ी देर में आप पानी पीती रहें. फलों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें.

– समाधान ब्यूटी ऐक्सपर्ट मीनू अरोड़ा के सहयोग से

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