अभी भी मैं जवां हूं

जिंदगी के 48 वसंत देख चुकीं सदाबहार दिलकश अदाकारा माधुरी दीक्षित का जलवा आज भी बरकरार है. अपनी पिछली फिल्म ‘गुलाब गैंग’ के नाकामयाब होने के बावजूद माधुरी ने फिल्म इंडस्ट्री से अपने को अलग नहीं किया है. माधुरी दीक्षित ने 1984 में आई राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘अबोध’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी और आज भी वह फिल्म उन के लिए खास है. माधुरी ने 15 मई को अपने जीवन के 48 बरस पूरे किए. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उम्र बढ़ी जरूर है, लेकिन मुझे उस का कोई डर नहीं है. वह मुझे कुछ भी करने से नहीं रोकती. मुझे लगता है प्रतिभा समय से परे है और मुझे उस में विश्वास है. इस समय माधुरी अपनी औनलाइन डांस अकादमी में व्यस्त हैं, जिस का उन्हें अच्छा रिस्पौंस मिल रहा है. माधुरी ने इस के लिए अपने परिवार, दोस्तों और फैन्स को शुक्रिया अदा किया और कहा, ‘‘मुझे अपना जन्मदिन का तोहफा 13 मई को ही मिल गया था, जब हम ने ‘डांसिंग विद माधुरी’ का वर्जन-2 और उस का मोबाइल ऐप लौंच किया था.’’

पति पर रेप का वार, कैसे चलेगा परिवार

परिवार चलाने के लिए जहां बहुत सारे समझौते पतिपत्नी दोनों को मिल कर करने होते हैं, तो वहां कई तरह के कानूनों का मुकाबला भी उन्हें ही करना होता है. राज्यसभा में द्रमुक सांसद कनिमोझी के लिखित सवाल का जवाब देते गृह राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि भारतीय विधि आयोग ने अपनी 172वीं रिपोर्ट में बलात्कार संबंधी कानून की समीक्षा करते हुए वैवाहिक बलात्कार के संबंध में किसी भी तरह की कोई सिफारिश नहीं की है. फिर अपने से किए गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इंटरनैशनल लैवल पर वैवाहिक बलात्कार को जिस संदर्भ में देखा जाता है, उसे भारत में लागू नहीं किया जा सकता. शिक्षा, साक्षरता और गरीबी के लैवल के साथ ही सामाजिक मूल्यों और धार्मिक भावनाओं को देखते हुए यह मुमकिन नहीं है.

हुआ क्या है

दरअसल, महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर संयुक्त राष्ट्र समिति ने इस कानून की सिफारिश विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से की थी. संयुक्त राष्ट्र समिति का मानना है कि भारत के लिए यह कानून बेहद जरूरी है. कई सामाजिक संगठन इसे अपराध की सूची में शामिल करने की मांग भी करने लगे हैं. भारत में आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक, किसी पुरुष का पत्नी संग सहवास बलात्कार नहीं है बशर्ते उस की उम्र 16 साल से कम न हो. वैवाहिक बलात्कार के संदर्भ में कहा गया है कि अगर पतिपत्नी में से किसी एक की मरजी के बिना अवांछित सैक्स किया जाए और इस में डरानेधमकाने का प्रयोग हो या न हो, तो यह मुकदमा दायर कराया जा सकता है. अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में वैवाहिक बलात्कार कानून की नजर में अपराध माना जाता है. ब्रिटेन में 1991 और अमेरिका में 1993 में यह कानून लागू किया गया. इस में बलात्कार के दूसरे मामलों की ही तरह सजा का प्रावधान रखा गया है.

दुनिया के 127 देशों में यह कानून अभी लागू नहीं है. वहां वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है. इन देशों में 2.6 अरब से ऊपर की आबादी है और लगभग 60.3 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं जहां घरेलू हिंसा अपराध की श्रेणी में नहीं आती. यह? सच है कि सैक्स हिंसा का बुरा प्रभाव महिलाओं पर पड़ता है. ऐसी महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों का वजन कम रहने की संभावना 16% ज्यादा होती है. उन के गर्भपात के मामले बढ़ जाते हैं और उन के डिप्रैशन में चले जाने की संभावना भी रहती है. ऐसी महिलाओं में एचआईवी होने की संभावना भी डेढ़ गुना बढ़ जाती है. भारत में पतिपत्नी के रिश्तों में सैक्स की अपनी अलग भूमिका है. यहां शादी के पहले सैक्स को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है. सैक्स में मानमनुहार का अपना अलग स्थान होता है. कई बार माना जाता है कि सैक्स के मामले में भारतीय पत्नी के ‘न’ में ही ‘हां’ छिपी होती है. ऐसे में अगर वैवाहिक बलात्कार कानून बन गया तो ‘न’ में छिपी ‘हां’ की मन:स्थिति को समझना मुश्किल हो जाएगा.

समर्पण का भाव है

स्त्रीपुरुष दोनों को सैक्स की सहज और स्वाभाविक जरूरत होती है. इसी को देखते हुए विवाह संस्था का जन्म हुआ. उस पर स्त्रीपुरुष ही दुनिया के एकमात्र ऐसे प्राणी हैं, जो केवल अपना वंश चलाने के लिए सैक्स नहीं करते. उन के अलावा दुनिया का हर प्राणी केवल अपने वंश को चलाने के लिए ही सैक्स करता है. पतिपत्नी के बीच सैक्स वंश चलाने के साथ ही एकदूसरे के प्रति समर्पण के भाव को भी दर्शाता है. महिला मुद्दों के पैरोकार सैक्स में औरत की भूमिका में खुलेपन की हिमायत करते हैं. वे चाहते हैं कि सैक्स में महिला और पुरुष की सोच एकजैसी हो. थोड़ेबहुत दकियानूसी विरोध के बाद पुरुष वर्ग ने इस को स्वीकार भी कर लिया है.

अब पहले की तरह पत्नी सैक्स संबंधों को ले कर पति के साथ मौन नहीं रहती. वह पति से अपनी इच्छाओं को खुल कर कहती है. कई तरह के सैक्स सर्वे बताते हैं कि भारतीय पत्नियां सैक्स को ले कर पहले से अधिक मुखर हुई हैं. वे पति के साथ खुल कर पोर्नोग्राफी का आनंद लेती हैं. भारत में खजुराहो के मंदिरों पर की गई चित्रकारी दर्शाती है कि सैक्स को ले कर हमारा समाज शुरू से ही सजग और सतर्क रहा है. इस में शुरू से पतिपत्नी की आपसी सहमति का खास खयाल रखा जाता था और माह के खास दिनों में सैक्स से परहेज का पूरा खयाल रख पत्नी की निजता और स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाता था. यही नहीं, पत्नी के गर्भवती होने से ले कर मां बनने तक के समय में उस की शारीरिक परेशानियों का भी ध्यान रखा जाता था. पतिपत्नी के बीच बनने वाले सैक्स संबंधों पर पहरेदारी करने के बजाय उसे उन दोनों के बीच ही छोड़ देना चाहिए. भारतीय पति इतना संवेदनशील है कि वह पत्नी के साथ ऐसे अत्याचार से बचेगा.

सोचनेसमझने वाली बात

यह सच है कि महिलाएं अपने शरीर और दिमाग पर पहले से ज्यादा अपना हक चाहती हैं. ऐसे में पतिपत्नी के बीच बनने वाले सैक्स संबंधों में भी आपसी सहमति जरूरी होती है. हमारे देश में शादी को सामाजिक स्वीकृति मिलती है. यहां उन शादियों को भी नकारा नहीं जा सकता जिन का रजिस्ट्रेशन न हुआ हो. शादी आपसी सामंजस्य और तालमेल पर टिकी होती है. बिना लिखापढ़ी के होने वाली शादी के लिए भी कोई पक्ष इनकार नहीं करता है. शादी की सफलता का मुख्य आधार सैक्स को ही माना जाता है. पतिपत्नी के रिश्ते में सैक्स का अपना महत्त्व होता है और अब सैक्स को पतिपत्नी मिल कर ऐंजौय करते हैं. अगर कोई पुरुष सैक्स के नजरिए से अनफिट की श्रेणी में आता है, तो पत्नी उस से तलाक लेने की हकदार मानी जाती है. लेकिन वैवाहिक बलात्कार कानून लागू होने के बाद पत्नी कभी भी पति पर बलात्कार का आरोप लगा सकती है. ऐसे में विवाह का क्या अर्थ रह जाएगा, यह सोचनेसमझने वाली बात है.

लखनऊ में पारिवारिक अदालत में पिछले 8-9 साल से पतिपत्नी विवाद सुलझा रहीं वकील कामिनी ओझा मानती हैं कि बहुत सारे कानून बेहद जटिल बन जाते हैं. पतिपत्नी के विवाद के बाद मामला जब कोर्ट में पहुंचता है, तो अपनी बात साबित करने में पीडि़त पक्ष को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कई बार बचाव पक्ष औरत की निजता को ले कर भी सवाल खड़े करता है, जिस का जवाब देना औरत के लिए मुश्किल हो जाता है. ऐसे में परेशान होने के बावजूद भी औरत को न्याय नहीं मिल पाता है. पारिवारिक झगड़ों को सुलझाने के लिए कानून के बजाय काउंसलिंग का सहारा लेना ज्यादा अच्छा होता है. अगर किसी पत्नी को ऐसी शिकायत होती है, तो घरेलू हिंसा कानून उस की मदद करने में सक्षम है.

कानून की छवि पर असर

कानूनी धाराओं की धमक का प्रभाव किस तरह परिवारों पर पड़ता है इस को देखने के लिए एनसीआरबी की रिपोर्ट को देखा जा सकता है. 2013-14 की रिपोर्ट बताती है कि आत्महत्या करने वालों में 51% लोग शादीशुदा थे और इन में 70% पुरुष थे. रिपोर्ट का मनोविज्ञानी अध्ययन बताता है कि शादी के बाद कानून की धाराओं का दखल जिस तरह से पतिपत्नी के बीच बढ़ गया है उस से आपसी तनाव बढ़ गया है. देश की किसी भी पारिवारिक अदालत को देखें तो वहां रोज नएनए केसों की तादाद बढ़ती जा रही है. यह हालत देश के हर हिस्से की है. सिहोर जिले के पिछले 3 साल के आंकड़े बताते हैं कि पारिवारिक परामर्श केंद्र में कुल 460 मामले आए, जिन में 70% मामलों में फरियादी पुरुष थे.

राजस्थान सरकार इस तरह के मामलों को बढ़ता देख कर झूठे मुकदमे लिखाने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है. दूसरे प्रदेशों में भी इसी तरह के हालात हैं. कई परेशान पतियों ने आत्महत्या कर ली, तो कुछ ने अपना सब कुछ छोड़ कर मुकदमा लड़ने को ही अपना पेशा बना लिया. उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले डाक्टर संजीव टंडन की शादी काशीपुर की आराधना के साथ हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही आराधना ने पति के साथ ही पति की मां, चाची, भाई और भाभी के खिलाफ दहेज प्रताड़ना कानून के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. डाक्टर संजीव टंडन मुकदमा लड़ने काशीपुर जाने लगे और कुछ दिनों के बाद वे अपने मामले को समझने लगे. इस के बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की और अपना केस खुद लड़ा. उन्होंने काशीपुर के अपर जिला जज के यहां खुद को बेकुसूर साबित किया.

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के थाना जलालपुर में स्थित गांव मेघपुर में आशा देवी की शादी सोहन लाल के साथ हुई थी. शादी के कुछ दिनों के बाद ही आशा देवी की एक दुर्घटना में जल कर मौत हो गई. आशा के घर वालों ने सोहनलाल और उस के परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. अदालत के सामने जब मामले की गवाही शुरू हुई तो गवाही देने वाले मुकर गए. साक्ष्य के अभाव में सोहनलाल और उस के परिवार के लोगों को अदालत ने छोड़ दिया. दहेज से जुड़े ज्यादातर मुकदमों में पीडि़त परिवार शिकायत दर्ज कराते समय यह कोशिश करता है कि दूसरे पक्ष को ज्यादा से ज्यादा सजा मिल सके. ऐसे में कई बार अपनी कही गई बात को अदालत के सामने साबित करना मुश्किल हो जाता है, जिस से पूरे कानून की छवि खराब होती है. दहेज कानून के साथ ऐसा ही हो रहा है.

हक मिलना जरूरी

किसी भी स्वस्थ समाज के लिए जरूरी होता है कि वहां रहने वाले सभी लोगों के लिए समान अधिकार हो. इस को औरत और आदमी के नजरिए से न देखा जाए. आदमीऔरत दोनों कंधे से कंधा मिला कर काम करेंगे तो वे अपने हक और अधिकारों को ले कर भी सचेत और समझदार रहेंगे. देश की महिलाओं की जो तरक्की दिख रही है उस में सब से बड़ा हाथ शिक्षा का है. आज के दौर में महिलाएं पढ़लिख कर समान रूप से देश की तरक्की की दौड़ में पुरुषों से आगे खड़ी नजर आती हैं. औरतों को विशेष अधिकार दिए जाने की मांग उन की क्षमता को कमजोर करने का काम करती है.

हो बराबरी की बात

कई बार सरकारें भी ऐसे काम करती हैं, जो महिलाओं की तरक्की में बाधा बन कर खड़े होते हैं. जरूरत इस बात की है कि महिलाओं को इतना सक्षम और मजबूत बनाया जाए कि वे अपना उत्पीड़न करने वाले को सटीक जवाब दे सकें. ऐसा न कर के जब हम महिलाओं को शैल्टर देने की कोशिश करते हैं, तो उन को कमजोर ही बनाते हैं. महिलाओं के खिलाफ ऐसे भेदभाव हर जगह बने हुए हैं. फिल्म और टीवी की दुनिया औरतों की खूबसूरती से चकाचौंध होती है. हीरोइन के बिना किसी फिल्म की कल्पना नहीं की जा सकती. इस के बाद भी जब मेहनताना की बात आती है, तो आदमीऔरत में भेदभाव किया जाता है. हीरोइन को हीरो के मुकाबले कम मेहनताना दिया जाता है.

इस तरह के समाज में बहुत से उदाहरण हैं जहां पर औरतों को दोयम दर्जे का माना जाता है. ऐसी सोच का विरोध होना चाहिए. एक जैसा काम करने के लिए मेहनताना भी एक जैसा ही मिलना चाहिए. जरूरत इस बात की है कि आदमीऔरत के बीच बराबरी की बात की जाए, उन्हें बराबर का हक दिया जाए.

व्यक्तिगत समस्याएं

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मेरे घर वालों ने एक जगह मेरे रिश्ते की बात चलाई. लड़का इंजीनियर है. परिवार भी अच्छा है. अभी देखनेदिखाने तक बात नहीं पहुंची थी, उस से पहले ही मेरी चचेरी बहन ने पहले फेसबुक और फिर फोन पर हमारी बात करवा दी. कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा. लड़के को बिना देखे ही मुझे उस से प्यार हो गया. पर अब लड़का और उस के घर वाले शादी से मना कर रहे हैं. लड़का कहता है कि घर वाले इनकार कर रहे हैं और घर वाले कह रहे हैं कि लड़का मना कर रहा है. लड़के से मेरी अब भी बात होती है. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

इनकार किसी की भी तरफ से हो, आप को संकेत मिल गया है कि आप का विवाह उस लड़के से नहीं हो सकता. ऐसे में उस से संपर्क बनाए रखना गलत है. आप उस से बात करना छोड़ दें.

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मैं 19 वर्षीय युवती हूं. 2 साल पहले एक लड़के से दोस्ती हुई और फिर प्यार. हम दोनों ने शादी भी कर ली है पर यह सिर्फ हम दोनों को ही पता है. धीरेधीरे लड़के के घर वाले भी हमारे संबंध के बारे में जान गए हैं. मेरे घर में कोई नहीं जानता. मैं समझ नहीं पा रही कि अपने घर में कैसे बताऊं. पता नहीं वे हमें स्वीकारेंगे या नहीं. बताएं क्या करूं?

आप ने पूरी बात नहीं बताई कि जब आप दोनों ने विवाह का फैसला किया तो दोनों परिवारों को इस में सम्मिलित क्यों नहीं किया? इस तरह चोरीछिपे किए गए विवाह को समाज स्वीकार नहीं करता. अत: आप को अपने घर में खुल कर बात करनी होगी. यदि उन का सहयोग नहीं मिलता है तो कोर्ट मैरिज कर लें. विवाह हो जाने के बाद वे देरसवेर मान जाएंगे.

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मैं 20 वर्षीया और अनाथ हूं. 3 सालों से अपने 42 वर्षीय प्रेमी के घर में रह रही हूं. चूंकि मेरे कई लोगों से प्रेम संबंध हैं, इसलिए वह मुझ से विवाह नहीं करना चाहता. मैं स्वयं को काफी असुरक्षित महसूस कर रही हूं. कृपया मार्गदर्शन करें?

यदि आप का प्रेमी गंभीर है और आप से शादी न करने के पीछे आप का अन्य लोगों से संबंध ही वजह है तो आप को उन लोगों से किनारा कर लेना चाहिए. यदि वह बिना विवाह किए आप को यों ही इस्तेमाल करना चाहता है तो अच्छा होगा कि आप अपने लिए कोई ऐसा व्यक्ति तलाश लें जो आप से शादी करने को राजी हो. उस स्थिति में भी आप को भटकाव का यह रास्ता जो किसी भी नजरिए से आप के हित में नहीं है, छोड़ना होगा.

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मैं बी.ए. अंतिम वर्ष की छात्रा हूं. सगाई हो चुकी है. जल्दी शादी होने वाली है. मुझ से और मेरे मंगेतर से एक भूल हो गई है. हम ने एक बार सहवास कर लिया है. अब डर लग रहा है कि कहीं गर्भ न ठहर जाए. मैं यह भी जानना चाहती हूं कि क्या संबंध बनाने के 2 साल बाद भी गर्भ ठहर सकता है?

संबंध बनाने के बाद कुछ निश्चित दिनों तक ही गर्भ ठहरता है. जबकि आप को तो संबंध बनाए 2 साल हो गए हैं. अत: बेकार की आशंका न पालें.

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मैं 16 वर्षीय युवती हूं. 3 वर्षों से बहन के घर में रह रही हूं. मैं अपने बहनोई से बहुत प्यार करती हूं. उन के बिना जी नहीं सकती. वे भी मुझे उतना ही चाहते हैं. हम ने एक बार सहवास भी किया है. वे मेरी बहन को छोड़ कर मुझ से शादी करने की बात करते हैं. कहते हैं कि हम कोर्ट मैरिज कर लेंगे. पर मैं सोचती हूं कि जो व्यक्ति आज मेरे लिए मेरी बहन को छोड़ सकता है वह कल को किसी और के लिए मुझे भी छोड़ सकता है. बताएं क्या करूं?

आप ने पूरा खुलासा नहीं किया कि आप अपनी बहन के पास क्यों रह रही हैं? यदि कोई मजबूरी नहीं है तो आप को अपने घर लौट जाना चाहिए. आप अभी बहुत छोटी हैं. प्यार का मतलब तक नहीं जानतीं. आप का बहनोई आप की इसी नासमझी का फायदा उठा कर आप को झूठे सब्जबाग दिखा रहा है. आप उस की बातों में आ कर बहन के दांपत्य की शांति तो नष्ट करेंगी ही स्वयं भी किसी मुसीबत में फंस जाएंगी. यदि बहन के घर में रहना आप की मजबूरी है, तो बहनोई से जरा सावधान रहें.

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मैं विवाहित युवती हूं. मेरे और मेरे पति के बीच काफी कहासुनी हो जाती है, जिस से मुझे काफी क्रोध आता है. पर उन्हें मेरी नाराजगी से जरा भी फर्क नहीं पड़ता. वे मुझे पूरी तरह अनदेखा कर देते हैं. उन का यह व्यवहार मुझ से बरदाश्त नहीं होता. बताएं, मैं क्या करूं?

आप गंभीरता से सोचें और विश्लेषण करें कि किन बातों पर आप की पति से कहासुनी होती है. कोशिश करें कि ऐसा व्यवहार न करें जो उन्हें नागवार गुजरता हो. उन की इच्छानुसार काम करेंगी तो वे भी आप को तरजीह देंगे. आप की अनदेखी नहीं करेंगे. तब दांपत्य में शांति आ जाएगी. दांपत्य में शांति के लिए पतिपत्नी दोनों को ही प्रयास करना पड़ता है. फिर न केवल दांपत्य के लिए वरन बच्चों के लिए भी शांति का माहौल जरूरी है.

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मैं हमेशा बेकार की बातें सोचती रहती हूं. यह समस्या 15 सालों से है. मुझे क्या करना चाहिए कि ऊलजलूल खयाल मेरे दिमाग में न आएं?

लगता है आप के पास काफी खाली समय होता है इसीलिए दिमाग इधरउधर की बेकार बातों में उलझा रहता है. आप स्वयं को व्यस्त रखें. अच्छी पुस्तकें पढ़ें. यदि समय और सुविधा हो तो कोई समाजसेवी संस्था जौइन करें. खुद को अधिक से अधिक सक्रिय रखेंगी तो दिमाग में बेकार के खयाल नहीं आएंगे.

हकीकत में बदला सपना : ऐन जोसेफ

22 वर्षीय ऐन जोसेफ ने अपने सपने की खातिर इन्वैस्टमैंट बैंक की बढि़या जौब छोड़ दी. आखिर ऐन का सपना क्या था? अपना डिजाइन ब्रैंड शुरू करना. पर क्यों? ऐन के इस फैसले पर सभी ने सवाल उठाए. लोगों का कहना था कि उन्हें अपनी इतनी अच्छी जौब नहीं छोड़नी चाहिए थी. लेकिन ऐन तो फैसला कर चुकी थीं, इसलिए ऐन के सभी परिचितों को उन्हें सपोर्ट करना ही पड़ा. ऐन के हाईप्रोफाइल इमेज वाले पेरैंट्स ने भी उन का साथ दिया.

ऐन के पिता जोसेफ प्रिंस न्यू इंडिया इंश्योरैंस कंपनी से रिटायर हुए थे तो उन की मां डा. मैरी वीनस जोसेफ राजागिरी कालेज औफ सोशल साइंसेज की वाइस प्रिंसिपल और डीन रह चुकी हैं. ऐन ने एक प्रपोजल तैयार कर कुदुंबाश्री मिशन डिस्ट्रिक्ट कोऔर्डिनेटर टैनी थौमस को दिया. यह केरल सरकार का महिलाओं से संबंधित संगठन था. ऐन की योजना कुदुंबाश्री की इकाइयों के लिए अपना डिजाइन बनाने की थी. इस के लिए उन्हें निराश नहीं होना पड़ा. उन्हें कुदुंबाश्री के प्रस्ताव को जल्दी मंजूरी भी मिल गई.

एनेहा डिजाइन के जरीए विकास

कुदुंबाश्री मिशन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ऐन का अगला कदम अपने डिजाइन ब्रैंड के लिए एक अच्छा नाम तलाशना था. उन के पास समय बहुत कम था. अंत में उन्हें एक आइडिया सूझा. उन्होंने अपने ब्रैंड को एनेहा नाम दिया और उस की टैगलाइन रखी- डिजाइन के जरीए विकास. इस के बाद ऐन को एक डिजाइन तैयार करने के लिए एक उचित इकाई तलाशनी थी. इसी बीच उन्हें गांव की एक इकाई के बारे में पता चला. यह इकाई फैशन वियर बनाने पर ध्यान दे रही थी. इस तरह एनेहा मार्केट में एक जानापहचाना ब्रैंड बन गया. आज एनेहा को मेहनत और प्यार के ब्रैंड के तौर पर जाना जाता है. अब ऐन अपने संगठन में पुरुषों को भी बराबर मौका देने की योजना बना रही हैं. उन का मानना है कि महिलाओं और पुरुषों के सहयोग से ही वे एकदूसरे का और ज्यादा सम्मान करेंगे. इस के साथ ही दोनों का मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है. एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर वे इस बात पर जोर देती हैं कि उन का अगला मकसद इसे और आगे बढ़ाना है.

ऐन अपने ड्रीम प्रोजैक्ट के बारे में बताती हैं, ‘‘हालांकि, मेरा पहला अनुभव इन्वैस्टमैंट बैकिंग का था. मेरा विषय अर्थशास्त्र रहा था. मैं ने डैवलपमैंट इकोनोमिक्स में विशेषज्ञता हासिल की थी. पढ़ाई के दौरान मेरा रिसर्च टौपिक था कि कैसे सामुदायिक विकास के लिए एक नियमित आय प्राप्त की जा सकती है. मैं ने कुदुंबाश्री से 3 महीने का कोर्स किया. इसी दौरान मैं ने तय कर लिया था कि मुझे सामुदायिक विकास के लिए कुछ करना है.’’

ऐन अपने ब्रैंड एनेहा को रनसूत्र की तरह देश का एक बड़ा ब्रैंड बनाना चाहती हैं. रनसूत्र फैब इंडिया को कपड़े सप्लाई करने वाला बड़ा ब्रैंड है.

केरला कसावू (जरी) फैशन वियर

फैशन वियर के डिजाइन कौन्सैप्ट के पीछे ऐन का ही दिमाग काम कर रहा है. शुरुआत में उन्होंने एनेहा ब्रैंड के लिए केरल की पारंपरिक जरी में अनारकली कुरतियां और चूड़ीदार डिजाइन कीं. इन्हें काफी पसंद किया गया और मार्केट में बहुत हिट हुईं. ऐन को देश के विभिन्न हिस्सों के साथसाथ विदेशों खासतौर पर अमेरिका, स्पेन से भी और्डर मिलने लगे. अब ऐन की योजना वैस्टर्न वियर लौंच करने की है. ऐन की एक योजना पूरे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में साउथ इंडियन टैक्सटाइल प्रमोट करने की है. 2008 में ऐन मिस केरला कंपीटिशन में दूसरी रनरअप रही थीं. इस कंपीटिशन से उन्हें मौडलिंग का अनुभव और फैशन की समझ हुई.

न्यूज बनना पसंद नहीं

खबरों में छाए रहने के लिए फिल्मी सितारे क्याक्या नहीं करते पर अनुष्का शर्मा को रोज अखबारों में खुद को देखना बिलकुल पसंद नहीं. उन्हें लगता है कि ऐक्टर्स की भी निजी जिंदगी होती है जिसे दुनिया से छिपा कर रखने का उन्हें पूरा अधिकार है. अब इस तरह की बयानबाजी अनुष्का कहीं अपने और विराट के रिश्ते को ले कर तो नहीं कर रहीं? क्योंकि अकसर अनुष्का और क्रिकेटर विराट कोहली के रिश्ते की खबरें सुर्खियां बनी रहती हैं. अनुष्का अपनी निजी जिंदगी को मीडिया की नजरों से दूर ही रखने की कोशिश करती हैं. उन्होंने कहा कि ऐक्टर्स जरूरत से ज्यादा ऐक्सपोज हो गए हैं. उन के और मीडिया के बीच एक बाउंड्री लाइन जरूरी है, जिस से किसी की निजता भंग न हो.

मनीषा की वापसी

अगर आप के इरादे मजबूत हों तो आप वही सब कुछ दोबारा पा सकती हैं, जिसे आप ने कभी किसी कारणवश खो दिया था. इस का जीताजागता उदाहरण मनीषा कोइराला हैं. मनीषा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ कर बौलीवुड में फिर से वापसी कर रही हैं और खबर है कि वे अभिनेता कमल हासन की फिल्म में उन की पत्नी की रोल निभाएंगी. फिल्म की शूटिंग इस महीने के अंत से शुरू हो सकती है. फिल्म में उन की भूमिका छोटी है, लेकिन है महत्त्वपूर्ण. मनीषा और कमल इस से पूर्व एस. शंकर के निर्देशन में फिल्म ‘इंडियन’ में काम कर चुके हैं. कमल की इस फिल्म का नाम ‘थूंगा वनम’ है, इस में अभिनेत्री तृषा कृष्णन भी हैं.

कंगना की शादी के 100 फेरे

फिल्म ‘तनु वैड्स मनु रिटर्न’ में हरियाणवी दत्तो और मनु की भूमिका निभा रहीं कंगना के लिए इस फिल्म में दोहरी भूमिका निभाना आसान नहीं था. दत्तो के किरादार के लिए कंगना बताती हैं कि मुझे हमेशा यही डर लगा रहता था कि मैं हरियाणवी कहीं गलत न बोल जाऊं. पर यूनिट के और सदस्यों का मनु की जगह दत्तो का बढ़ता प्रभाव देख कर यही लगा कि मैं एकदम सही जा रही हूं. इसी फिल्म में शादी के फेरे के समय जब 7वां फेरा हो रहा था तब कंगना ने पूछा कि शादी के फेरे कितने होते हैं? तब यह बताया गया कि 7 फेरों में पूरी शादी हो जाती है, तो कंगना ने 100 फेरे लगा डाले कि फेरे फिल्मी ही रहें. 

अजय का माचो लुक

बहुत दिनों से एक हिट फिल्म की तलाश में भटकते हुए अजय देवगन की आने वाली फिल्म ‘शिवाय’ का फर्स्ट लुक देख कर तो यही लगता है कि फिल्म निश्चित रूप से सफलता के झंडे गाड़ेगी. इस के पोस्टर में अजय पूरे शरीर पर लार्ज टैटू के साथ डार्क शेड में दिख रहे हैं. इस फिल्म को अजय खुद ही निर्देशित करेंगे और फिल्म में काजोल का कैमियो रोल रहेगा. लीड रोल में अजय के साथ शायशा रहेंगी. 2017 में आने वाली इस फिल्म की शूटिंग हिमालय के आसपास और कई दुर्गम इलाकों में होगी.

प्रीकट वैजिटेबल्स कितनी हैल्दी

बढ़ती महंगाई, औरतों के पास समय की कमी, शौपिंग मौल कल्चर आदि ने प्रीकट वैजिटेबल्स के उपयोग को बढ़ावा दिया है. आज लोग सप्ताह में 1 दिन बाजार जा कर पूरे सप्ताह की सब्जियां खरीद कर फ्रिज में रख लेते हैं ताकि रोजरोज सब्जी खरीदने के लिए समय बरबाद न करना पड़े. इन सब्जियों को ज्यादातर थर्मोकोल की ट्रे में काट कर प्लास्टिक के कवर से ढक कर शून्य से 4 डिग्री सैल्सियस तापमान में स्टोर कर दिया जाता है. मौल्स के अलावा अब लोकल सब्जी विक्रेता भी इसी कौंसैप्ट को फौलो कर रहे हैं. फ्रिज न होने पर भी वे सब्जियों को काट कर प्लास्टिक से कवर कर रख लेते हैं. इन में ज्यादातर बेबीकौर्न, मशरूम, ब्रोकली, छिला लहसुन आदि होता है.

ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि ये सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं या नहीं. वर्ल्ड हैल्थ डे के अवसर पर कुछ ऐक्सपर्ट्स ने माना कि जो लोग बाजार से कटी कुछ सब्जियां लाते हैं वे केवल 10 से 15 मिनट अतिरिक्त खर्च न कर अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता करते हैं. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. अगर सही तापमान में सब्जियों और अंकुरित दालों को रखा जाए तो उन का स्वाद और गुण दोनों सुरक्षित रहते हैं. मुंबई की न्यूट्रीशनिस्ट और डायबेटोलौजिस्ट डा. प्रीति राहुल बताती हैं कि आजकल ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हैं. ऐसे में उन्हें स्मार्ट कुकिंग करनी पड़ती है, जिस में प्रीकट वैजिटेबल्स उन के काम को आसान बनाती हैं. नूडल्स, फ्राइड राइस आदि में कई सब्जियों का प्रयोग होता है. ऐसे में प्रीकट सब्जियां उपलब्ध होने पर आसानी रहती है.

विटामिन सी और ए की कमी इन सब्जियों में अवश्य होती है, लेकिन अगर इन्हें अच्छी तरह पैक कर फ्रिज में रखा जाए तो 4 दिनों तक खास अंतर नहीं पड़ता. हर दिन 10 मिनट भी अगर सब्जी काटने में बचाए जाएं तो सप्ताह में 70 मिनट बचते हैं. यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया ने एक अध्ययन में पाया कि पहले से कटी सब्जियों को प्लास्टिक शीट में रैप कर 7 दिन तक 4 डिग्री सैंटीग्रेड में रखा जाए तो हरे मटरों में 15%, हरी बींस में 77%, ब्रोकली में 0% विटामिन सी की कमी होती है. लेकिन अगर सब्जियों को ला कर सही प्रक्रिया के साथ डब्बों में बंद किया जाए या काट कर प्रिजर्व किया जाए तो उन की पोषक मात्रा में ज्यादा कमी नहीं आती. फलों, सब्जियों को ला कर जल्दी प्रयोग कर लिया जाए तो उन की गुणवत्ता बनी रहती है. सब्जियों के काटने के बाद से ही उन का सरफेस औक्सिडेशन शुरू हो जाता है.

हर सब्जी के लिए यह मात्रा अलगअलग होती है. मसलन, बंदगोभी, फूलगोभी में कम जबकि आलुओं या टमाटरों में अधिक विटामिन की क्षति होती है. जो सब्जी काटने के बाद जितनी जल्दी अपना रंग बदले उस की पोषकता उतनी ही जल्दी खत्म हो जाती है. अत: वैजिटेबल्स घर ला कर जल्दी प्रयोग कर लेनी चाहिए.

७ उपाय मुंहासों से बचाएं

मुंहासे युवा व उम्रदराज दोनों लोगों को बिना किसी भेदभाव के प्रभावित करते हैं और गरमी के मौसम में तो मुंहासों की समस्या सब से अधिक होती है. मुंहासों का अधिक प्रकोप आप को हतोत्साहित कर सकता है और मुंहासे खतरनाक इसलिए भी होते हैं, क्योंकि ये त्वचा पर निशान छोड़ सकते हैं. यहां हम आप को बता रहे हैं, उन से बचने और उन्हें दूर करने के उपाय:

अपने आहार को बदलें: मुंहासों को दूर करने और उन से बचने का यह सब से अच्छा उपाय है. ऐसे आहार के सेवन से बचें जो आप के ब्लड शुगर को तुरंत बढ़ाए. यह इंसुलिन की कार्यवाही को बदल सकता है और ग्रंथियों में समस्या हो सकती है, इसलिए अपने आहार में थोड़ा बदलाव करें. अपने चेहरे को साफ रखें: अपने चेहरे को हमेशा साफ रखें और सोने से पहले अपने मेकअप को उतार दें. इस के लिए ऐसा मेकअप रिमूवर इस्तेमाल करें जो अलकोहलमुक्त हो और चेहरे को आसानी से साफ कर दे. करें ऐक्सफोलिएटिंग: इस से त्वचा चिकनी, मुलायम और स्वस्थ दिखती है और उस की बनावट और टोन में सुधार होता है. ऐक्सफोलिएटिंग से त्वचा की मृत कोशिकाओं से भी छुटकारा मिलता है और त्वचा सुस्त नहीं दिखती.

चेहरे को न छुएं: वैसे यह काम तो बहुत कठिन है क्योंकि सभी लोग दिन में कई बार चेहरे को छूने के आदी तो होते ही हैं. लेकिन अपने चेहरे को हाथों से स्क्रैच करते वक्त सावधानी बरतें, इस से मुंहासे होने की आशंका अधिक रहती है. साथ ही गंदे हाथों से चेहरे को छूने से बचें. इस से त्वचा की दूसरी समस्याएं हो सकती हैं.

हमेशा मौइश्चराइजर लगाएं: तैलीय त्वचा मुंहासे उत्पन्न करती है और अगर आप की त्वचा सूखी है तो शरीर सीबम बनाने में समस्या पैदा करता है. हर सुबह और शाम चेहरा धोने के बाद मौइश्चराइजर करें और ऐसे मौइश्चराइजर का प्रयोग करें, जो आप की त्वचा को सूट करे.

पर्याप्त पानी पीएं: हालांकि हम सभी ने सुना है कि रोज कम से कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए, लेकिन वास्तव में हम कितना पानी पीते हैं? पानी आप की त्वचा को शुद्ध करता है तो मुंहासों से भी नजात मिलता है, इसलिए यह सुनिश्चित कर लें कि आप ने पर्याप्त मात्रा में पानी पीया है.

लेजर ट्रीटमैंट आजमाएं: अगर उपर्युक्त तरीके आप के मुंहासों को दूर करने में कामयाब न हों, तो डर्मैटोलौजिस्ट से मिलें. कई डर्मैटोलौजिस्ट लेजर ट्रीटमैंट का सुझाव देते हैं. लेजर मजबूत किरणें होती हैं, जो त्वचा की अति उत्पादक ग्रंथियों को समाप्त करती हैं. यह प्रक्रिया बहुत समय भी नहीं लेती और इस से दर्द भी नहीं होता. कुछ सिटिंग्स से ही आप को बेहतर परिणाम मिलता है.          -डा. सोनिया मंगल म्यरा स्किन ऐंड हेयर सोल्यूशंस, नई दिल्ली द्य

घरेलू नुसखा

आप अपने घर पर इस प्राकृतिक नुसखे का प्रयोग कर सकती हैं: 2 चम्मच बेकिंग सोडा, 1 चम्मच दालचीनी पाउडर, 1/2 नीबू का जूस और 5 चम्मच शहद मिला लें. फिर इसे चेहरे पर लगा कर 5 मिनट बाद धो लें.

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