कितने तरह के होते हैं Hot Pants, ट्रैंडी लुक के लिए इस तरह करें स्टाइल

लड़कियां स्टाइलिश दिखने के लिए अलगअलग तरीके के कपड़ों को चयन करती हैं. किसी को ऐथनिक ड्रैस पहनना अच्छा लगता है, तो वहीं कुछ लड़कियों को वैस्टर्न ड्रैस पसंद आता है. कई लड़कियां तो वैस्टर्न ड्रैस को कैरी कर अपने लुक को पूरी तरह बदल देती हैं, जिस से वे काफी स्टाइलिश दिखती हैं.

ऐसे कई वैस्टर्न आउटफिट्स हैं, जिन्हें कई तरीकों से स्टाइल किया जा सकता है.

हौट पैंट(Hot Pants) में लड़कियां स्टाइलिश दिखती हैं और उन के लिए यह पैंट आरामदायक भी होता है. दरअसल, हौट पैंट्स लाइटवेट कपड़ों से बने होते हैं, जो कई कलर और साइज में उपलब्ध हैं.

हालांकि कई बार लड़किया हौट पैंट तो खरीद लेती हैं, लेकिन एक कन्फ्यूजन रहता है कि इसे किस तरह के टौप के साथ स्टाइल करें. तो आइए, जानते हैं कितने तरह के हौट पैंट होते हैं और आप इसे किन कपड़ों के साथ कैरी करें.

रैगुलर डैनिम शौर्ट्स

यह लड़कियों के लिए सूटेबल हौट पैंट है. आप इसे रैगुलर कैरी कर सकती हैं. इस को पहन कर आप कंफर्ट महसूस करेंगी. इस में आप को कई साइज मिल जाएंगे जिन्हें आप अपनी फिटिंग के हिसाब से चूज कर सकती हैं. आप इस डैनिम शौर्ट्स को क्रौप टौप के साथ पहन सकती हैं.

कौटन हौट पैंट्स

जो लड़कियां स्पोर्ट्स ऐक्टिविटीज करती हैं, उन के लिए ये कौटन हौट पेंट्स अच्छा औप्शन है. इस के अलावा आप इसे घर पर भी कैरी कर सकती हैं. इन में साइज और कलर के बैस्ट औप्शंस हैं. ये पहनने में काफी हलके होते हैं. आप कौटन हौट पेंट्स पहन कर स्टाइलिश भी नजर आएंगी. आप इस पर अपने पसंद के अनुसार टीशर्ट कैरी कर सकती हैं या ये कौटन हौट पैंट्स सैट भी मिलता है.

डैनिम हाई वेस्ट शौर्ट्स

आप इस शौर्ट्स को कैजुअल वियर के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैं. ये हौट पैंट लाइट ब्लू और ब्लैक कलर में भी आप को मिल जाएंगे. आप इसे मौसम के अनुसार कैरी कर सकती हैं. आप डैनिम हाई वेस्ट के साथ लौंग टीशर्ट या क्रौप टौप भी पहन सकती हैं, जिस से आप को कूल लुक मिलेगा.

ड्राई फिट हौट पैंट

यह पैंट स्ट्रेचेबल होता है। बौडी पौस्चर के हिसाब से यह पैंट ऐडजस्ट हो जाता है. यह पैंट सिर्फ ब्लैक कलर में आता है. लड़कियां इसे खासकर ऐक्सरसाइज करते समय पहनती हैं. आप इस के साथ स्पोर्ट्स ब्रा कैरी कर सकती हैं, जिस से आप को हौट लुक मिलेगा.

प्रिंटेड कौटन पैंट

प्रिंटेड पैटर्न वाला हौट पैंट कूल लुक के साथ पहनने में आरामदायक है. यह पैंट काफी सौफ्ट होता है. आप इसे लंबे समय तक पहन सकती हैं. प्रिंटेड कौटन पैंट कैरी करने से स्टाइलिश और ट्रैंडी लुक मिलेगा.

हौट पैंट के साथ वियर करें ये टौप

हौट पैंट के साथ कई तरह के टौप वियर किए जा सकते हैं. अगर आप को डीप नेकलाइन वाले टौप पहनना पसंद है, तो आप इस पैंट के साथ ये टौप भी कैरी कर सकती हैं. इस के अलावा औफ शोल्डर टौप, वन शोल्डर टौप भी पहन सकती हैं.

अगर आप को कूल लुक चाहिए, तो हौट पैंट के साथ नैकलेस, इयररिंग्स, हाई हिल्स को भी स्टाइल कर सकती हैं. आप अपने बालों को पोनी टेल या शौर्ट हेयर है, तो खुला रख सकती हैं.

ये ऐक्ट्रैस हौट पैंट में दिखती हैं बेहद स्टाइलिश

अकसर बौलीवुड ऐक्ट्रैस हौट पैंट के साथ बिकिनी टौप पहन कर पोज देती हैं. आप इन ऐक्ट्रैस के लुक को भी फौलो कर सकती हैं. दीपिका पादुकोण को कई बार हौट पैंट के साथ टीशर्ट या टौप पहने हुए देखा गया है. निया शर्मा भी अकसर हौट पैंट में नजर आती हैं. उन का बोल्ड अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है. रकुल प्रीत सिंह को भी कई बार डैनिम हौट पैंट में देखा गया है.

दिल से दिल तक: शादीशुदा आभा के प्यार का क्या था अंजाम

‘‘हर्ष,अब क्या होगा?’’ आभा ने कराहते हुए पूछा. उस की आंखों में भय साफसाफ देखा जा सकता था. उसे अपनी चोट से ज्यादा आने वाली परिस्थिति को ले कर घबराहट हो रही थी.

‘‘कुछ नहीं होगा… मैं हूं न, तुम फिक्र मत करो…’’ हर्ष ने उस के गाल थपथपाते हुए कहा.

मगर आभा चाह कर भी मुसकरा नहीं सकी. हर्ष ने उसे दवा खिला कर आराम करने को कहा और खुद भी उसी बैड के एक किनारे अधलेटा सा हो गया. आभा शायद दवा के असर से नींद के आगोश में चली गई, मगर हर्र्ष के दिमाग में कई उल झनें एकसाथ चहलकदमी कर रही थी…

कितने खुश थे दोनों जब सुबह रेलवे स्टेशन पर मिले थे. उस की ट्रेन सुबह 8 बजे ही स्टेशन पर लग चुकी थी. आभा की ट्रेन आने में अभी

1 घंटा बाकी था. चाय की चुसकियों के साथसाथ वह आभा की चैट का भी घूंटघूंट कर स्वाद ले रहा था. जैसे ही आभा की ट्रेन के प्लेटफौर्म पर आने की घोषणा हुई, वह लपक कर उस के कोच की तरफ बढ़ा. आभा ने उसे देखते ही जोरजोर से हाथ हिलाया. स्टेशन की भीड़ से बेपरवाह दोनों वहीं कस कर गले मिले और फिर अपनाअपना बैग ले कर स्टेशन से बाहर निकल आए.

पोलो विक्ट्री पर एक स्टोर होटल में कमरा ले कर दोनों ने चैक इन किया. अटैंडैंट के सामान रख कर जाते ही दोनों फिर एकदूसरे से लिपट गए. थोड़ी देर तक एकदूसरे को महसूस करने के बाद वे नहाधो कर नाश्ता करने बाहर निकले. हालांकि आभा का मन नहीं था कहीं बाहर जाने का, वह तो हर्ष के साथ पूरा दिन कमरे में ही बंद रहना चाहती थी, मगर हर्ष ने ही मनुहार की थी बाहर जा कर उसे जयपुर की स्पैशल प्याज की कचौरी खिलाने की जिसे वह टाल नहीं सकी थी. हर्ष को अब अपने उस फैसले पर अफसोस हो रहा था. न वह बाहर जाने की जिद करता और न यह हादसा होता…

होटल से निकल कर जैसे ही वे मुख्य सड़क पर आए, पीछे से आई एक अनियंत्रित कार ने आभा को टक्कर मार दी. वह सड़क पर गिर पड़ी. कोशिश करने के बाद भी जब वह उठ नहीं सकी तो हर्ष ऐबुलैंस की मदद से उसे सिटी हौस्पिटल ले कर आया. ऐक्सरे जांच में आभा के पांव की हड्डी टूटी हुई पाई गई. डाक्टर ने दवाओं की हिदायत देने के साथसाथ 6 सप्ताह का प्लास्टर बांध दिया. थोड़ी देर में दर्द कम होते ही उसे हौस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

मोबाइल की आवाज से आभा की नींद टूटी. उस के मोबाइल में ‘रिमाइंडर मैसेज’ बजा. लिखा था, ‘से हैप्पी ऐनिवर्सरी टू हर्ष.’ आभ दर्द में भी मुसकरा दी. उस ने हर्ष को विश करने के लिए यह रिमाइंडर अपने मोबाइल में डाला था.

पिछले साल इसी दिन यानी 4 मार्च को दोपहर 12 बजे जैसे ही इस ‘रिमाइंडर मैसेज’ ने उसे विश करना याद दिलाया था उस ने हर्ष को किस कर के अपने पुनर्मिलन की सालगिरह विश की थी और उसी वक्त इस में आज की तारीख सैट कर दी थी. मगर आज वह चाह कर भी हर्ष को गले लगा कर विश नहीं कर पाई क्योंकि वह तो जख्मी हालत में बैड पर है. उस ने एक नजर हर्ष पर डाली और रिमाइंडर में अगले साल की डेट सैट कर दी. हर्ष अभी आंखें मूंदे लेटा था. पता नहीं सो रहा था या कुछ सोच रहा था. आभा ने दर्द को सहन करते हुए एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.

‘पता नहीं क्याक्या लिखा है विधि ने मेरे हिस्से में,’ सोचते हुए अब आभा का दिमाग भी चेतन हो कर यादों की बीती गलियों में घूमने लगा…

लगभग सालभर पहले की बात है. उसे अच्छी तरह याद है 4 मार्च की वह शाम. वह अपने कालेज की तरफ से 2 दिन का एक सेमिनार अटैंड करने जयपुर आई थी. शाम के समय टाइम पास करने के लिए जीटी पर घूमतेघूमते अचानक उसे हर्ष जैसा एक व्यक्ति दिखाई दिया. वह चौंक गई.

‘हर्ष यहां कैसे हो सकता है?’ सोचतेसोचते वह उस व्यक्ति के पीछे हो ली. एक  शौप पर आखिर वह उस के सामने आ ही गई. उस व्यक्ति की आंखों में भी पहचान की परछाईं सी उभरी. दोनों सकपकाए और फिर मुसकरा दिए. हां, यह हर्ष ही था… उस का कालेज का साथी… उस का खास दोस्त… जो न जाने उसे किस अपराध की सजा दे कर अचानक उस से दूर चला गया था…

कालेज के आखिरी दिनों में ही हर्ष उस से कुछ खिंचाखिंचा सा रहने लगा था और फिर फाइनल ऐग्जाम खत्म होतेहोते बिना कुछ कहेसुने हर्ष उस की जिंदगी से चला गया. कितना ढूंढ़ा था उस ने हर्ष को, मगर किसी से भी उसे हर्ष की कोई खबर नहीं मिली. आभा आज तक हर्ष के उस बदले हुए व्यवहार का कारण नहीं सम झ पाई थी.

धीरेधीरे वक्त अपने रंग बदलता रहा. डौक्टरेट करने के बाद आभा  स्थानीय गर्ल्स कालेज में लैक्चरर हो गई और अपने विगत से लड़ कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी. इस बीच आभा ने अपने पापा की पसंद के लड़के राहुल से शादी भी कर ली. बच्चों की मां बनने के बाद भी आभा को राहुल के लिए अपने दिल में कभी प्यार वाली तड़प महसूस नहीं हुई. दिल आज भी हर्ष के लिए धड़क उठता था.

शादी कर के जैसे उस ने अपनी जिंदगी से एक सम झौता किया था. हालांकि समय के साथसाथ हर्ष की स्मृतियां पर जमती धूल की परत भी मोटी होती चली गई थी, मगर कहीं न कहीं उस के अवचेतन मन में हर्ष आज भी मौजूद था. शायद इसलिए भी वह राहुल को कभी दिल से प्यार नहीं कर पाई थी. राहुल सिर्फ उस के तन को ही छू पाया था, मन के दरवाजे पर न तो कभी राहुल ने दस्तक दी और न ही कभी आभा ने उस के लिए खोलने की कोशिश की.

जीटी में हर्ष को अचानक यों अपने सामने पा कर आभा को यकीन ही नहीं हुआ. हर्ष का भी लगभग यही हाल था.

‘‘कैसी हो आभा?’’ आखिर हर्ष ने ही चुप्पी तोड़ी.

‘तुम कौन होते हो यह पूछने वाले?’ आभा मन ही मन गुस्साई. फिर बोली, ‘‘अच्छी हूं… आप सुनाइए… अकेले हैं या आप की मैडम भी साथ हैं?’’ वह प्रत्यक्ष में बोली.

‘अभी तो अकेला ही हूं,’’ हर्ष ने अपने चिरपरिचित अंदाज में मुसकराते हुए कहा और आभा को कौफी पीने का औफर दिया. उस की मुसकान देख कर आभा का दिल जैसे  उछल कर बाहर आ गया.

‘कमबख्त यह मुसकान आज भी वैसी ही कातिल है,’ दिल ने कहा. लेकिन दिमाग ने सहज हो कर हर्ष का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. पूरी शाम दोनों ने साथ बिताई.

थोड़ी देर तो दोनों में औपचारिक बातें हुईं. फिर एकएक कर के संकोच की दीवारें टूटने लगीं और देर रात तक गिलेशिकवे होते रहे. कभी हर्ष ने अपनी पलकें नम कीं तो कभी आभा ने. हर्ष ने अपनेआप को आभा का गुनहगार मानते हुए अपनी मजबूरियां बताईं… अपनी कायरता भी स्वीकार की… और यों बिना कहेसुने चले जाने के लिए उस से माफी भी मांगी…

आभा ने भी ‘‘जो हुआ… सो हुआ…’’ कहते हुए उसे माफ कर दिया. फिर डिनर के बाद विदा लेते हुए दोनों ने एकदूसरे को गले लगाया और अगले दिन शाम को फिर यहीं मिलने का वादा कर के दोनों अपनेअपने होटल की तरफ चल दिए.

अगले दिन बातचीत के दौरान हर्ष ने उसे बताया कि वह एक कंस्ट्रक्शन  कंपनी में साइट इंजीनियर है और इस सिलसिले में उसे महीने में लगभग 15-20 दिन घर से बाहर रहना पड़ता है और यह भी कि उस के 2 बच्चे हैं और वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से काफी संतुष्ट है.

‘‘तुम अपनी लाइफ से संतुष्ट हो या खुश भी हो?’’ एकाएक आभा ने उस की आंखों में  झांका.

‘‘दोनों में क्या फर्क है?’’ हर्ष ने पूछा.

‘‘वक्त आने पर बताऊंगी,’’ आभा ने टाल दिया.

आभा की टे्रन रात 11 बजे की थी और हर्ष तब तक उस के साथ ही था. दोनों ने आगे भी टच में रहने का वादा करते हुए विदा ली.

अगले दिन कालेज पहुंचते ही आभा ने हर्ष को फोन किया. हर्ष ने जिस तत्परता से फोन उठाया उसे महसूस कर के आभा को हंसी आ गई.

‘‘फोन का इंतजार ही कर रहे थे क्या?’’ आभा हंसी तो हर्ष को भी अपने उतावलेपन पर आश्चर्य हुआ.

बातें करतेकरते कब 1 घंटा बीत गया, दोनों को पता ही नहीं चला. आभा की क्लास का टाइम हो गया, वह पीरियड लेने चली गई. वापस आते ही उस ने फिर हर्ष को फोन लगाया… और फिर वही लंबी बातें… दिन कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला… देर रात तक दोनों व्हाट्सऐप पर औनलाइन रहे और सुबह उठते ही फिर वही सिलसिला…

अब तो यह रोज का नियम ही बन गया. न जाने कितनी बातें थीं उन के पास जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थीं. कई बार तो ये होता था कि दोनों के पास ही कहने के लिए शब्द नहीं होते थे, मगर बस वे एकदूसरे से जड़े हुए हैं यही सोच कर फोन थामे रहते. इसी चक्कर में दोनों के कई जरूरी काम भी छूटने लगे. मगर न जाने कैसा नशा सवार था दोनों पर ही कि यदि 1 घंटा भी फोन पर बात न हो तो दोनों को ही बेचैनी होने लगती… ऐसी दीवानगी तो शायद उस कच्ची उम्र में भी नहीं थी जब उन के प्यार की शुरुआत हुई थी.

आभा को लग रहा था जैसे खोया हुआ प्यार फिर से उस के जीवन में दस्तक  दे रहा है, मगर हर्ष अब भी इस सचाई को जानते हुए भी यह स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था कि उसे आभा से प्यार है.

‘‘हर्ष, तुम इस बात को स्वीकार क्यों नहीं कर लेते कि तुम्हें आज भी मु झ से प्यार है?’’ एक दिन आभा ने पूछा.

‘‘मैं अगर यह प्यार स्वीकार कर भी लूं तो क्या समाज इसे स्वीकार करने देगा? कौन इस बात का समर्थन करेगा कि मैं ने शादी किसी और से की है और प्यार तुम से करता हूं…’’ हर्ष ने कड़वा सच उस के सामने रखा.

‘‘शादी करना और प्यार करना दोनों अलगअलग बातें हैं हर्ष… जिसे चाहें शादी भी उसी से हो यह जरूरी नहीं… तो फिर यह जरूरी क्यों है कि जिस से शादी हो उसी को चाहा भी जाए?’’ आभा का तर्क भी अपनी जगह सही था.

‘‘चलो, माना कि यह जरूरी नहीं, मगर इस में हमारे जीवनसाथियों की क्या गलती है? उन्हें हमारी अधूरी चाहत की सजा क्यों मिले?’’ हर्ष अपनी बात पर अड़ा था.

‘‘हर्ष, मैं किसी को सजा देने की बात नहीं कर रही… हम ने अपनी सारी जिंदगी उन की खुशी के लिए जी है… क्या हमें अपनी खुशी के लिए जीने का अधिकार नहीं? वैसे भी अब हम उम्र की मध्यवय में आ चुके हैं, जीने लायक जिंदगी बची ही कितनी है हमारे पास… मैं कुछ लमहे अपने लिए जीना चाहती हूं… मैं तुम्हारे साथ जीना चाहती हूं… मैं महसूस करना चाहती हूं कि खुशी क्या होती है…’’ कहतेकहते आभा का स्वर भीग गया.

‘‘क्यों? क्या तुम अपनी लाइफ से अब तक खुश नहीं थी? क्या कमी है तुम्हें? सबकुछ तो है तुम्हारे पास…’’ हर्ष ने उसे टटोला.

‘‘खुश दिखना और खुश होना… दोनों में बहुत फर्क होता है हर्ष… तुम नहीं सम झोगे.’’ आभा ने जब कहा तो उस की आवाज की तरलता हर्ष ने भी महसूस की. शायद वह भी उस में भीग गया था. मगर सच का सामना करने की हिम्मत फिर भी नहीं जुटा पाया.

लगभग 10 महीने दोनों इसी  तरह सोशल मीडिया पर जुड़े रहे. रोज घंटों बात कर के भी उन की बातें खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थीं. आभा की तड़प इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि अब वह हर्ष से प्रत्यक्ष मिलने के लिए बेचैन होने लगी, लेकिन हर्ष का व्यवहार अभी भी उस के लिए एक पहले बना हुआ था. कभी तो उसे लगता था जैसे हर्ष सिर्फ उसी का है और कभी वह एकदम बेगानों सा लगने लगता.

हर्ष के अपनेआप से तर्क अब तक भी जारी थे. वह 2 कदम आगे बढ़ता और अगले ही पल 4 कदम पीछे हट जाता. वह आभा का साथ तो चाहता था, मगर समाज में दोनों की ही प्रतिष्ठा को भी दांव पर नहीं लगाना चाहता था. उसे डर था कि कहीं ऐसा न हो वह एक बार मिलने के बाद आभा से दूर ही न रह पाए. फिर क्या करेगा वह? मगर आभा अब मन ही मन एक ठोस निर्णय ले चुकी थी.

4 मार्च आने वाला था. आभा ने हर्ष को याद दिलाया कि पिछले साल इसी दिन वे दोनों जयपुर में मिले थे. उस ने आखिर हर्षको यह दिन एकसाथ बिताने के लिए मना ही लिया और बहुत सोचविचार कर के दोनों ने फिर से उसी दिन उसी जगह मिलना तय किया.

हर्ष दिल्ली से टूर पर और आभा जोधपुर से कालेज के काम का बहाना बना कर सुबह ही जयपुर आ गई. होटल में पतिपत्नी की तरह रुके… पूरा दिन साथ बिताया. जीभर के प्यार किया और दोपहर ठीक 12 बजे आभा ने हर्ष को ‘हैप्पी एनिवर्सरी’ विश किया. उसी समय आभा ने अपने मोबाइल में अगले साल के लिए यह रिमाइंडर डाल लिया.

‘‘हर्ष खुशी क्या होती है, यह आज तुम ने मु झे महसूस करवाया. थैंक्स… अब अगर मैं मर भी जाऊं तो कोई गम नहीं…’’ रात को जब विदा लेने लगे तो आभा ने हर्ष को एक बार फिर चूमते हुए कहा.

‘‘मरें तुम्हारे दुश्मन… अभी तो हमारी जिंदगी से फिर से मुलाकात हुई है… सच आभा, मैं तो मशीन ही बन चुका था. मेरे दिल को फिर से धड़काने के लिए शुक्रिया. और हां, खुशी और संतुष्टि में फर्क महसूस करवाने के लिए भी…’’ हर्ष ने उस के चेहरे पर से बाल हटाते हुए कहा और फिर से उस की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींच लिया.

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‘‘अब आशिकी छोड़ो…मेरी ट्रेन का टाइम हो रहा है…’’ आभा ने मुसकराते हुए हर्ष को अपनेआप से अलग किया. उसी शाम दोनों ने वादा किया कि हर साल 4 मार्च को वे दोनों इसी तरह… इसी जगह मिला करेंगे… उसी वादे के तहत आज भी दोनों यहां जयपुर आए थे और यह हादसा हो गया.

‘‘आभा, डाक्टर ने तुम्हारे डिस्चार्ज पेपर बना दिए… मैं टैक्सी ले कर आता हूं…’’ हर्ष ने धीरे से उसे जगाते हुए कहा.

‘कैसे वापस जाएगी अब वह जोधपुर? कैसे राहुल का सामना कर पाएगी? आभा फिर से भयभीत हो गई, मगर जाना तो पड़ेगा ही. जो होगा, देखा जाएगा…’ सोचते हुए आभा ने अपनी सारी हिम्मत को एकसाथ समेटने की कोशिश की और जोधपुर जाने के लिए अपनेआप को मानसिक रूप से तैयार करने लगी.

आभा ने राहुल को फोन कर के अपने ऐक्सीडैंट के बारे में बता दिया.

‘‘ज्यादा चोट तो नहीं आई?’’ राहुन ने सिर्फ इतना ही पूछा.

‘‘नहीं.’’

‘‘सरकारी हौस्पिटल में ही दिखाया था न… ये प्राइवेट वाले तो बस लूटने के मौके ही ढूंढ़ते हैं.’’

सुन कर आभा को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. उसे राहुल से इसी तरह की उम्मीद थी.

आभा ने बहुत कहा कि वह अकेली ही जोधपुर चली जाएगी, मगर हर्ष ने उस की एक न सुनी और टैक्सी में उस के साथ जोधपुर चल पड़ा. आभा को हर्ष का सहारा ले कर उतरते देख राहुल का माथा ठनका.

‘‘ये मेरे पुराने दोस्त हैं… जयपुर में अचानक मिल गए,’’ आभा ने परिचय करवाते हुए कहा.

राहुल ने हर्ष में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई. बोला, ‘‘टैक्सी से आने की क्या जरूरत थी? टे्रन से भी आ सकती थी,’’ टैक्सी वाले को किराया चुकाना राहुल को अच्छा नहीं लग रहा था.

‘‘आप रहने दीजिए… किराया मैं दे दूंगा…वापस भी जाना है न…’’ हर्ष ने उसे इस स्थिति से उबार लिया. आभा को जोधपुर छोड़ कर उसी टैक्सी से हर्ष लौट गया.

आभा 6 सप्ताह की बैड रैस्ट पर थी. दिन भर बिस्तर पर पड़ेपड़े उसे हर्ष से बातें करने के अलावा और कोई काम ही नहीं सू झता था. कभी जब हर्ष अपने प्रोजैक्ट में बिजी होता तो उस से बात नहीं कर पाता था. यह बात आभा को अखर जाती थी. वह फोन या व्हाट्सऐप पर मैसेज कर के अपनी नाराजगी जताती थी. फिर हर्ष उसे मनुहार कर के मनाता था.

आभा को उस का यों मनाना बहुत सुहाता था. वह मन ही मन प्रार्थना करती कि उन के रिश्ते को किसी की नजर न लग जाए.

ऐसे ही एक दिन वह अपने बैड पर लेटीलेटी हर्ष से बातें कर रही थी. उस ने अपनी  आंखें बंद कर रखी थीं. उसे पता ही नहीं चला कि राहुल कब से वहां खड़ा उस की बातें सुन रहा है.

‘‘बाय… लव यू…’’ कहते हुए फोन रखने के साथ ही जब राहुल पर उस की नजर पड़ी तो वह सकपका गई. राहुल की आंखों का गुस्सा उसे अंदर तक हिला गया. उसे लगा मानो आज उस की जिंदगी से खुशियों की विदाई हो गई.

‘‘किस से कहा जा रहा था ये सब?’’

‘‘जो उस दिन मु झे जयपुर से छोड़ने आया था यानी हर्ष,’’ आभा अब राहुल के सवालों के जवाब देने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो चुकी थी.

‘‘तो तुम इसलिए बारबार जयपुर जाया करती थी?’’ राहुल अपने काबू में नहीं था.

आभा ने कोई जवाब नहीं दिया.

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‘‘अपनी नहीं तो कम से कम मेरी इज्जत का ही खयाल कर लेती… समाज में बात खुलेगी तो क्या होगा? कभी सोचा है तुम ने?’’ राहुल ने उस के चरित्र को निशाना बनाते हुए चोट की.

‘‘तुम्हारी इज्जत का खयाल था, इसीलिए तो बाहर मिली उस से वरना यहां… इस शहर में भी मिल सकती थी और समाज, किस समाज की बात करते हो तुम? किसे इतनी फुरसत है कि इतनी आपाधापी में मेरे बारे में कोई सोचे… मैं कितना सोचती हूं किसी और के बारे में और यदि कोई सोचता भी है तो 2 दिन सोच कर भूल जाएगा… वैसे भी लोगों की याददाश्त बहुत कमजोर होती है,’’ आभा ने बहुत ही संयत स्वर में कहा.

‘‘बच्चे क्या सोचेंगे तुम्हारे बारे में? उन का तो कुछ खयाल करो…’’ राहुल ने इस बार इमोशनल वार किया.

‘‘2-4 सालों में बच्चे भी अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाएंगे, फिर शायद वे वापस मुड़ कर भी इधर न आएं. राहुल. मैं ने सारी उम्र अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं… बिना तुम से कोईर् सवाल किए अपना हर फर्ज निभाया है, फिर चाहे वह पत्नी का हो अथवा मां का… अब मैं कुछ समय अपने लिए जीना चाहती हूं… क्या मु झे इतना भी अधिकार नहीं? आभा की आवाज लगभग भर्रा गई थी.

‘‘तुम पत्नी हो मेरी… मैं कैसे तुम्हें किसी और की बांहों में देख सकता हूं?’’ राहुल ने उसे  झक झोरते हुए कहा.’’

‘‘हां, पत्नी हूं तुम्हारी… मेरे शरीर पर तुम्हारा अधिकार है… मगर कभी सोचा है तुम ने कि मेरा मन आज तक तुम्हारा क्यों नहीं हुआ? तुम्हारे प्यार के छींटों से मेरे मन का आंगन क्यों नहीं भीगा? तुम चाहो तो अपने अधिकार का प्रयोग कर के मेरे शरीर को बंदी बना सकते हो… एक जिंदा लाश पर अपने स्वामित्व का हक जता कर अपने अहम को संतुष्ट कर सकते हो, मगर मेरे मन को तुम सीमाओं में नहीं बांध सकते… हर्ष के बारे में सोचने से नहीं रोक सकते…’’ आभा ने शून्य में ताकते हुए कहा.

‘‘अच्छा? क्या वह हर्ष भी तुम्हारे लिए इतना ही दीवाना है? क्या वह भी तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तैयार है?’’ राहुल ने व्यंग्य से कहा.

‘‘दीवानगी का कोई पैमाना नहीं होता… वह मेरे लिए किस हद तक जा सकता है यह मैं नहीं जानती, मगर मैं उस के लिए किसी भी हक तक जा सकती हूं,’’ आशा ने दृढ़ता से कहा.

‘‘अगर तुम ने इस व्यक्ति से अपना रिश्ता खत्म नहीं किया तो मैं उस के घर जा कर उस की सारी हकीकत बता दूंगा,’’ कहते हुए राहुल ने गुस्से में आ कर आभा के हाथ से मोबाइल छीन कर उसे जमीन पर पटक दिया. मोबाइल बिखर कर आभा के दिल की तरह टुकड़ेटुकड़े हो गया.

राहुल की आखिरी धमकी ने आभा को सचमुच ही डरा दिया था. वह नहीं  चाहती थी कि उस के कारण हर्ष की जिंदगी में कोई तूफान आए. वह अपनी खुशियों की इतनी बड़ी कीमत नहीं चुका सकती थी. उस ने मोबाइल के सारे पार्ट्स फिर से जोड़े और देखा तो पाया कि वह अभी भी चालू स्थिति में है.

‘‘शायद मेरे हिस्से नियति ने खुशी लिखी ही नहीं… मगर मैं तुम्हारी खुशियां नहीं निगलने दूंगी… तुम ने जो खूबसूरत यादें मु झे दी हैं उन के लिए तुम्हारा शुक्रिया…’’ एक आखिरी मैसेज उस ने हर्ष को लिखा और मोबाइल से सिम निकाल कर टुकड़ेटुकड़े कर दी.

उधर हर्ष को कुछ भी सम झ नहीं आया कि यह अचानक क्या हो गया. उस ने आभा को फोन लगाया, मगर फोन ‘स्विच्डऔफ’ था. फिर उस ने व्हाट्सऐप पर मैसेज छोड़ा, मगर वह भी अनसीन ही रह गया. अगले कई दिन हर्ष उसे फोन ट्राई करता रहा, मगर हर बार ‘स्विच्डऔफ’ का मैसेज पा कर निराश हो उठता. उस ने आभा को फेस बुक पर भी कौंटैक्ट करने की कोशिश की, लेकिन शायद आभा ने फेस बुक का अपना अकाउंट ही डिलीट कर दिया था. उस के किसी भी मेल का जवाब भी आभा की तरफ से नहीं आया.

एक बार तो हर्र्ष ने जोधपुर जा कर उस से मिलने का मन भी बनाया, मगर फिर यह सोच कर कि कहीं उस की वजह से स्थिति ज्यादा खरब न हो जाए… उस ने सबकुछ वक्त पर छोड़ कर अपने दिल पर पत्थर रख लिया और आभा को तलाश करना बंद कर दिया.

इस वाकेआ के बाद आभा ने अब मोबाइल रखना ही बंद कर दिया. राहुल के बहुत जिद करने पर भी उस ने नई सिम नहीं ली. बस कालेज से घर और घर से कालेज तक ही उस ने खुद को सीमित कर लिया. कालेज से भी जब मन उचटने लगा तो उस ने छुट्टियां लेनी शुरू कर दीं, मगर छुट्टियों की भी एक सीमा होती है. साल भर होने को आया. अब आभा अकसर ही विदआउट पे रहने लगी. धीरेधीरे वह गहरे अवसाद में चली गई. राहुल ने बहुत इलाज करवाया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ.

अब राहुल भी चिड़चिड़ा सा होने लगा था. एक तो आभा की बीमारी ऊपर से उस की सैलरी भी नहीं आ रही थी. राहुल को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ रही थी जिसे वह सहन नहीं कर पा रहा था. पतिपत्नी जैसा भी कोई रिश्ता अब उन के बीच नहीं रहा था. यहां तक कि आजकल तो खाना भी अक्सर या तो राहुल को खुद बनाना पड़ता था या फिर बाहर से आता.

‘‘मरीज ने शायद खुद को खत्म करने की ठान ली है… जब तक यह खुद जीना नहीं चाहेंगी, कोई भी दवा या इलाज का तरीका इन पर कारगर नहीं हो सकता,’’ सारे उपाय करने के बाद अंत में डाक्टर ने भी हाथ खड़े कर दिए.

‘‘देखो, अब बहुत हो चुका… मैं अब तुम्हारे नाटक और नहीं सहन कर सकता… आज तुम्हारी प्रिंसिपल का फोन आया था. कह रहे थे कि तुम्हारे कालेज की तरफ से जयपुर में 5 दिन का एक ट्रेनिंग कैंप लग रहा है. अगर तुम ने उस में भाग नहीं लिया तो तुम्हारा इन्क्रीमैंट रुक सकता है. हो सकता है कि यह नौकरी ही हाथ से चली जाए. मेरी सम झ में नहीं आता कि तुम क्यों अच्छीभली नौकरी को लात मारने पर तुली हो… मैं ने तुम्हारी प्रिंसिपल से कह कर कैंप के लिए तुम्हारा नाम जुड़वा दिया है. 2 दिन बाद तुम्हें जयपुर जाना है,’’ एक शाम राहुल ने आभा से तलखी से कहा.

आभा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

आभा के न चाहते हुए भी राहुल ने उसे ट्रेनिंग कैंप में भेज दिया.

‘‘यह लो अपना मोबाइल… इस में नई सिम डाल दी है. अपनी प्रिसिपल को फोन कर के कैंप जौइन करने की सूचना दे देना ताकि उसे तसल्ली हो जाए,’’ टे्रन में बैठाते समय राहुल ने कहा.

आभा ने एक नजर अपने पुराने टूटे मोबाइल पर डाली और फिर उसे पर्स में धकेलते हुए टे्रन की तरफ बढ़ गई. सुबह जैसे ही आभा की ट्रेन जयपुर स्टेशन पर पहुंची, वह यंत्रचलित सी नीचे उतरी और धीरेधीरे उस बैंच की तरफ बढ़ चली जहां हर्ष उसे बैठा मिला करता था. अचानक ही कुछ याद कर के आभा के आंसुओं का बांध टूट गया. वह उस बैंच पर बैठ कर फफक पड़ी. फिर अपनेआप को संभालते हुए उसी होटल की तरफ चल दी जहां वह हर्ष के साथ रुका करती थी. उसे दोपहर बाद 3 बजे कैंप में रिपोर्ट करनी थी.

संयोग से आभा आज भी उसी कमरे में ठहरी थी जहां उस ने पिछली दोनों बार हर्ष के साथ यादगार लमहे बिताए थे. वह कटे वृक्ष की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी. उस ने रूम का दरवाजा तक बंद नहीं किया था.

तभी अचानक उस के पर्र्स में रखे मोबाइल में रिमाइंडर मैसेज बज उठा, ‘से हैप्पी ऐनिवर्सरी टू हर्ष’ देख कर आभा एक बार फिर सिसक उठी, ‘‘उफ्फ, आज 4 मार्च है.’’

अचानक 2 मजबूत हाथ पीछे से आ कर उस के गले के इर्दगिर्द लिपट गए. आभा ने अपना भीगा चेहरा ऊपर उठाया तो सामने हर्ष को देख कर उसे यकीन ही नहीं हुआ. वह उस से कस कर लिपट गई. हर्ष ने उस के गालों को चूमते हुए कहा, ‘हैप्पी ऐनिवर्सरी.’

आभा का सारा अवसाद आंखों के रास्ते बहता हुआ हर्ष की शर्ट को भिगोने लगा. वह सबकुछ भूल कर उस के चौड़े सीने में सिमट गई.

मेरी उम्र 25 साल है और मेरा संबंध एक टीचर से है, जो शादीशुदा हैं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित लड़की हूं. एक स्कूल में अध्यापिका हूं. स्कूल के ही एक विवाहित अध्यापक के साथ शारीरिक संबंध हैं. हर हफ्ते हम संबंध बनाते हैं. मैं जानना चाहती हूं कि क्या अपनी शादी होने तक मैं इस सिलसिले को जारी रख सकती हूं? इस से कोई परेशानी तो नहीं होगी?

जवाब

आप की उम्र विवाह योग्य है, इसलिए आप को उपयुक्त व्यक्ति से विवाह कर लेना चाहिए. किसी विवाहित पुरुष से अवैध संबंधों की बात ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रह सकती. कभी न कभी अवैध संबंधों की भनक उक्त अध्यापक के परिवार को लग जाएगी. इस से उस का दांपत्य तो प्रभावित होगा ही, आप की भी समाज में बदनामी होगी. तब हो सकता है आप को अपने लिए उपयुक्त वर न मिले.

इस के अलावा आप अध्यापिका हैं और अध्यापक अपने विद्यार्थियों के लिए रोल मौडल होता है. आप के अनैतिक आचरण का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आप सोच सकती हैं. अत: तुरंत इस सिलसिले को बंद कर दें.

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जब बिस्तर पर पकड़े जाएं रंगे हाथों

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Anupama को धक्का देगी बड़ी आध्या, अपने पौप्स की मौत का लगाएगी आरोप

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupama) में लीप आने के कारण कहानी का ट्रैक बदलता हुआ नजर आ रहा है. सीरियल में कई नए किरदार जुड़ गए हैं. तो कहानी का फोकस अनुपमा और आध्या पर ही दिखाया जा रहा है. इस सीरियल के कई फैंस इस शो को अब बोरिंग बता रहे हैं, कुछ लोगों का कहना है कि कहानी में अब कुछ नया नहीं बचा है, वहीं घिसीपिटी मांबेटी की कहानी का ट्रैक चल रहा है, शो में पहले जो दमदार किरदार थे, उनका पत्ता कट चुका है. तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें अनुपमा की कहानी पसंद आ रही है. तो चलिए बताते हैं, इस शो के लेटेस्ट एपिसोड में क्या होने वाला है.

इस सीरियल में अनुज और अनुपमा की जोड़ी को दर्शक बेहद पसंद करते हैं, लेकिन अभी इस कहानी में यह जोड़ी कहीं भी नजर नहीं आ रही है. शो में आध्या और अनुपमा आमनेसामने आ चुके हैं. हालांकि अनुपमा बड़ी आध्या को देखते ही पहचान गई है कि वह उसकी छोटी अनु है. अब लेटेस्ट एपिसोड में आप देखेंगे कि आध्या यानी राही अपनी मां का दिल तोड़ देगी. वह अपने मां के जीते ही उसको मरा हुआ मानेगी. इतना ही नहीं, अनुपमा पर अनुज की मौत का आरोप भी लगाएगी.

घाट पर अनुपमा का श्राद्ध करेगी आध्या

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा प्रेम की मदद से उस आश्रम में पहुंच जाती है, जहां पर उसकी छोटी अनु यानी राही रहती है लेकिन राही को वहां नहीं देखकर वह तड़प जाती है. अनुपमा राही की तलाश में घाट पर पहुंच जाती है. यहां पर वह अपनी बेटी को देखकर बेहद खुश होती है और उसे गले लगाने के लिए दौड़ती है. लेकिन राही अपनी मां को धक्का देती है और घाट किनारे अनुपमा का श्राद्ध करती है.

अनु की रसोई में  मिलावट

दूसरी तरफ प्रेम उसे बहुत समझाता है, लेकिन राही उसकी एक नहीं सुनती है और अनुपमा के खिलाफ कहती है. अपनी बेटी की इस नफरत को देख अनुपमा टूट जाती है. शो में आप आगे ये भी देखेंगे कि अनुपमा के बिजनेस में कई दिक्कतें आती हैं. मसाले में मिलावट की वजह से उसका सारा आर्डर कैंसिल हो जाता है. दूसरी तरफ अनु की रसोई की औरतें भी काम करने से मना कर देती हैं.

अपनी बेटी के सामने गिड़गिड़ाएगी अनुपमा

जिस वजह से बा उनसे बहस करने लगती हैं. दूसरी तरफ अपनी बेटी से इतना बेइज्जत होने के बाद भी अनुपमा आध्या से उसकी नाराजगी की वजह पूछती है. तो वह कहती है कि उसकी वजह से राही को घर छोड़ना पड़ा. वह अपने पौप्स अनुज की मौत का जिम्मेदार अनुपमा को ठहराती है. ये सब सुनकर अनुपमा अपनी बेटी के सामने गिड़गिड़ाती है. अब शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या राही अनुपमा को माफ करेगी या उसकी नफरत बढ़ती ही जाएगी?

पट्टेदार ननुआ : पटवारी ने कैसे बदल दी ननुआ और रनिया की जिंदगी

लेखक- डा. प्रमोद कुमार अग्रवाल

ननुआ और रनिया रामपुरा गांव में भीख मांग कर जिंदगी गुजारते थे. उन की दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त भी नहीं हो पाता था. ननुआ के पास हरिजन बस्ती में एक मड़ैया थी. मड़ैया एक कमरे की थी. उस में ही खाना पकाना और उस में ही सोना.

मड़ैया से लगे बरामदे में पत्तों और टहनियों का एक छप्पर था, जिस में वे उठनाबैठना करते थे. तरक्की ने ननुआ की मड़ैया तक पैर नहीं पसारे थे, पर पास में सरकारी नल से रनिया को पानी भरने की सहूलियत हो गई थी. गांव के कुएं, बावली या तो सूख चुके थे या उन में कूड़ाकचरा जमा हो गया था.

एक समय ननुआ के पिता के पास 2 बीघे का खेत हुआ करता था, पर उस के पिता ने उसे बेच कर ननुआ की जान बचाई थी. तब ननुआ को एक अजीबोगरीब बीमारी ने ऐसा जकड़ा था कि जिला, शहर में निजी अस्पतालों व डाक्टरों ने मिल कर उस के पिता को दिवालिया कर दिया था, पर मरते समय ननुआ के पिता खुश थे कि वे इस दुनिया में अपने वंश का नाम रखने के लिए ननुआ को छोड़ रहे थे, चाहे उसे भिखारी ही बना कर.

ननुआ की पत्नी रनिया उस पर लट्टू रहती थी. वह कहती थी कि ननुआ ने उसे क्याकुछ नहीं दिया? जवानी का मजा, औलाद का सुख और हर समय साथ रहना. जैसेतैसे कलुआ तो पल ही रहा है.

गांव में भीख मांगने का पेशा पूरी तरह भिखारी जैसा नहीं होता है, क्योंकि न तो गांव में अनेक भीख मांगने वाले होते हैं और न ही बहुत लोग भीख देने वाले. गांव में भीख में जो मिलता है, उस से पेटपूजा हो जाती है, यानी  गेहूं, चावल, आटा और खेत से ताजी सब्जियां. कभीकभी बासी खाना भी मिल जाता है.

त्योहारों पर तो मांगने वालों की चांदी हो जाती है, क्योंकि दान देने वाले उन्हें खुद ढूंढ़ने जाते हैं. गांव का भिखारी महीने में कम से कम 10 से 12 दिन तक दूसरों के खेतखलिहानों में काम करता है. गांव के जमींदार की बेगारी भी. कुछ भी नहीं मिला, तो वह पशुओं को चराने के लिए ले जाता है, जबकि उस की बीवी बड़े लोगों के घरों में चौकाबरतन, पशुघर की सफाई या अन्न भंडार की साफसफाई का काम करती है. आजकल घरों के सामने बहती नालियों की सफाई का काम भी कभीकभी मिल जाता है. ननुआ व रनिया का शरीर सुडौल था. उन्हें काम से फुरसत कहां? दिनभर या तो भीख मांगना या काम की तलाश में निकल जाना.

गांव में सभी लोग उन दोनों के साथ अच्छे बरताव के चलते उन से हमदर्दी रखते थे. सब कहते, ‘काश, ननुआ को अपना बेचा हुआ 2 बीघे का खेत वापस मिल जाए, तो उसे भीख मांगने का घटिया काम न करना पड़े.’

गांव में एक चतुर सेठ था, जो गांव वालों को उचित सलाह दे कर उन की समस्या का समाधान करता था. वह गांव वालों के बारबार कहने पर ननुआ की समस्या का समाधान करने की उधेड़बुन में लग गया.

इस बीच रामपुरा आते समय पटवारी मोटरसाइकिल समेत गड्ढे में गिर गया. उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल ले जाया गया. वहां से उसे तुरंत प्रदेश की राजधानी के सब से बड़े सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया. पटवारी की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी और डाक्टरों ने उसे 6 महीने तक बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी थी. पटवारी की पत्नी मास्टरनी थी और घर में और कोई नहीं था.

पटवारी की पत्नी के पास घर के काम निबटाने का समय नहीं था और न ही उसे घर के काम में दिलचस्पी थी. फिर क्या था. सेठ को हल मिल गया. उस की सलाह पर गांव की ओर से रनिया को पटवारी के यहां बेगारी के लिए भेज दिया गया. वह चोरीछिपे ननुआ को भी पटवारी के घर से बचाखुचा खाना देती रही. अब तो दोनों के मजे हो रहे थे.

पटवारी रनिया की सेवा से बहुत खुश हुआ. उस ने एक दिन ननुआ को बुला कर पूछा, ‘‘मैं तुम्हारी औरत की सेवा से खुश हूं. मैं नहीं जानता था कि घर का काम इतनी अच्छी तरह से हो सकता है. मैं तुम्हारे लिए कुछ करना चाहता हूं. कहो, मैं तुम्हारे लिए क्या करूं?’’

सेठ के सिखाए ननुआ ने जवाब दिया, ‘‘साहब, हम तो भटकभटक कर अपना पेट पालते हैं. आप के यहां आने पर रनिया कम से कम छत के नीचे तो काम कर रही है, वरना हम तो आसमान तले रहते हैं. हम इसी बात से खुश हैं कि आप के यहां रनिया को काम करने का मौका मिला.’’

‘‘फिर भी तुम कुछ तो मांगो?’’

‘‘साहब, आप तो जानते ही हैं कि गांव के लोगों को अपनी जमीन सब से ज्यादा प्यारी होती है. पहले मेरे पिता के पास 2 बीघा जमीन थी, जो मेरी बीमारी में चली गई. अगर मुझे 2 बीघा जमीन मिल जाए, तो मैं आप का जिंदगीभर एहसान नहीं भूलूंगा.’’

‘‘तुम्हें तुम्हारी जमीन जरूर मिलेगी. तुम केवल मेरे ठीक होने का इंतजार करो,’’ पटवारी ने ननुआ को भरोसा दिलाया.

पटवारी ने बिस्तर पर पड़ेपड़े गांव की खतौनी को ध्यान से देखा, तो उस ने पाया कि ननुआ के पिता के नाम पर अभी भी वही 2 बीघा जमीन चढ़ी हुई है, क्योंकि खरीदार ने उसे अभी तक अपने नाम पर नहीं चढ़वाया था. पहले यह जमीन उस खरीदार के नाम पर चढ़ेगी, तभी सरकारी दस्तावेज में ननुआ सरकारी जमीन पाने के काबिल होगा. फिर सरकारी जमीन ननुआ के लिए ठीक करनी पड़ेगी. उस के बाद सरपंच से लिखवाना होगा. फिर ननुआ को नियमानुसार जमीन देनी होगी, जो एक लंबा रास्ता है.

पटवारी जल्दी ठीक हो गया. अपने इलाज में उस ने पानी की तरह पैसा बहाया. वह रनिया की सेवा व मेहनत को न भूल सका.

पूरी तरह ठीक होने के बाद पटवारी ने दफ्तर जाना शुरू किया व ननुआ को जमीन देने की प्रक्रिया शुरू की. बाधा देने वाले बाबुओं, पंच व अफसरों को पटवारी ने चेतावनी दी, ‘‘आप ने अगर यह निजी काम रोका, तो मैं आप के सभी कामों को रोक दूंगा. इन्हीं लोगों ने मेरी जान बचाई है.’’

पटवारी की इस धमकी से सभी चौंक गए. किसी ने भी पटवारी के काम में विरोध नहीं किया. नतीजतन, पटवारी ने ननुआ के लिए जमीन का पट्टा ठीक किया. आखिर में बड़े साहब के दस्तखत के बाद ही राज्यपाल द्वारा ननुआ को 2 बीघा जमीन का पट्टा दे दिया गया. नए सरकारी हुक्म के मुताबिक पट्टे में रनिया का नाम भी लिख दिया गया.

गांव वाले ननुआ को ले कर सेठ के पास गए. ननुआ ने उन के पैर छुए. सेठ ने कहा, ‘‘बेटा, अभी तो तुम्हारा सिर्फ आधा काम हुआ है. ऐसे तो गांव में कई लोगों के पास परती जमीनों के पट्टे हैं, पर उन के पास उन जमीनों के कब्जे नहीं हैं. बिना कब्जे की जमीन वैसी ही है, जैसे बिना गौने की बहू.

‘‘पटवारी सरकार का ऐसा आखिरी पुरजा है, जो सरकारी जमीनों का कब्जा दिला सकता है. वह जमींदारों की जमीनें सरकार में जाने के बाद भी इन सरकारी जमीनों को उन से ही जुतवा कर पैदावार में हर साल अंश लेता है.

‘‘पटवारी के पास सभी जमीन मालिकों व जमींदारों की काली करतूतों का पूरा लेखाजोखा रहता है. ऊपर के अफसर या तो दूसरे सरकारी कामों में लगे रहते हैं या पटवारी सुविधा शुल्क भेज कर उन्हें अपने पक्ष में रखता है.

‘‘पटवारी ही आज गांव का जमींदार है. और वह तुम्हारी मुट्ठी में है. समस्या हो, तो रनिया के साथ उस के पैर पड़ने चले  जाओ.’’ ननुआ को गांव वालों के सामने जमीन का कब्जा मिल गया. गांव में खुशी की लहर दौड़ गई.

पटवारी ने घोषणा की, ‘‘इस जमीन को और नहीं बेचा जा सकता है.’’ अब ननुआ के लिए पटवारी ही सबकुछ था. उस का 2 बीघा जमीन पाने का सपना पूरा हो चुका था.

ननुआ व रनिया ने मिल कर उस बंजर जमीन को अपने खूनपसीने से सींच कर उपजाऊ बना लिया, फिर पटवारी की मदद से उसे उस ऊबड़खाबड़ जमीन को बराबर करने के लिए सरकारी मदद मिल गई.

पटवारी ने स्थानीय पंचायत से मिल कर ननुआ के लिए इंदिरा आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए सरकारी मदद भी मुहैया करा दी.

ननुआ व रनिया अपने 2 बीघा खेत में गेहूं, बाजरा, मक्का के साथसाथ दालें, तिलहन और सब्जियां भी उगाने लगे. किनारेकिनारे कुछ फलों के पेड़ भी लगा लिए. मेंड़ पर 10-12 सागौन के पेड़ लगा दिए. उन का बेटा कलुआ भी पढ़लिख गया. उन्होंने अपने घर में पटवारी की तसवीर लगाई और सोचा कि कलुआ भी पढ़लिख कर पटवारी बने.

इन लक्षणों से पता करें कि बढ़ने लगा है आपका थायरायड लेवल, जानें इसे कंट्रोल करने के तरीके

थायरायड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है जो आप की गर्दन के सामने त्वचा के नीचे स्थित होती है. यह आप के अंतःस्रावी तंत्र का एक हिस्सा है और थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायोनिन (T3) जैसे थायरायड हार्मोन का उत्पादन और रिलीज करके आपके शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित
करता है .इस के द्वारा शरीर के मेटाबौलिज्म (शरीर में एनर्जी के उपयोग और उत्पादन की प्रक्रिया) को नियंत्रित किया जाता है. अगर थायराइड ग्लैंड सामान्य से अधिक या कम हार्मोन बनाने लगती है तो यह थायराइड से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न कर सकती है. थायराइड से जुड़ी बीमारियों में सबसे आम हैं हाइपोथायरायडिज्म और हाइपोथायरौइडिज़्म. इन बीमारियों की शुरुआत में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें जानना जरूरी है ताकि समय पर इलाज हो सके.

आइए जानते हैं थायराइड के लक्षणों के बारे में मैरिंगो एशिया हौस्पिटल,
गुरुग्राम की डा मुज़म्मिल सुल्तान कोका से ;

1. थकान और कमजोरी

थायराइड के शुरुआती लक्षणों में थकान और कमजोरी होना बहुत ही आम बात है.
हाइपोथाइरॉइडिज़्म (जब शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होती है) में
व्यक्ति को बिना किसी मेहनत के भी थकान महसूस हो सकती है. शरीर को ऊर्जा
प्राप्त करने में दिक्कत होती है, जिससे व्यक्ति हर समय थका हुआ और सुस्त
महसूस करता है. यह थकान दिनभर बनी रह सकती है और व्यक्ति को अपने
रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई महसूस हो सकती है.

2. वजन में बदलाव

थायराइड के असंतुलन से वजन में तेजी से बदलाव आ सकता है.
हाइपोथाइरौइडिज़्म में व्यक्ति का वजन अचानक से बढ़ सकता है, जबकि
हाइपोथायरायडिज्म (जब शरीर में थायराइड हार्मोन की अधिकता होती है) में
व्यक्ति का वजन कम हो सकता है. वजन में बिना किसी स्पष्ट कारण के बदलाव
होने पर यह संकेत हो सकता है कि आपकी थायराइड ग्रंथि ठीक से काम नहीं कर
रही है.

3. बाल झड़ना और त्वचा का सूखापन

थायराइड की समस्या से बालों का झड़ना भी हो सकता है. शरीर में थायराइड
हार्मोन की कमी से बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे बाल पतले
होने लगते हैं और तेज़ी से झड़ने लगते हैं. इसके साथ ही त्वचा भी सूखी और
रूखी हो सकती है. हाइपोथाइरौइडिज़्म में व्यक्ति की त्वचा सख्त और बेजान
हो सकती है, जिससे खुजली और रूखापन महसूस हो सकता है.

4. हार्मोनल बदलाव और मूड स्विंग्स

थायराइड ग्लैंड ग्रंथि के असंतुलन से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. हाइपोथाइरॉइडिज़्म में व्यक्ति को उदासी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है. वहीं, हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति अत्यधिक चिंतित, घबराया हुआ और परेशान महसूस कर सकता है. मूड स्विंग्स और मानसिक अस्थिरता
थायराइड की समस्या का महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है.

5. गर्दन में सूजन और दर्द

थायराइड की समस्या से गर्दन के सामने हिस्से में सूजन या दर्द हो सकता
है. अगर थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है या उसमें गांठ बनने लगती है,
तो गर्दन में दर्द और सूजन हो सकती है. इसे गौइटर कहते हैं, जो थायराइड
की गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है. अगर आपको गर्दन में किसी प्रकार की
असामान्य सूजन महसूस होती है, तो तुरंत डौक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.

6. कब्ज या पेट की अन्य समस्याएं

थायराइड की समस्या से पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है. हाइपोथाइरौइडिज़्म में कब्ज की समस्या हो सकती है, जबकि हाइपोथायरायडिज्म में दस्त या पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं. अगर आपको नियमित रूप से पेट की समस्याएं हो रही हैं, तो यह थायराइड की समस्या का संकेत हो सकता
है.

7. ज़्यादा ठंड या गर्मी महसूस होना

थायरौइड हार्मोन शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. अगर आपको सामान्य से ज्यादा ठंड या गर्मी महसूस होती है, तो यह थायराइड समस्या का लक्षण हो सकता है. हाइपोथाइरॉइडिज़्म में व्यक्ति को ज्यादा ठंड लग सकती है, जबकि हाइपोथायरायडिज्म में व्यक्ति को ज्यादा गर्मी
महसूस हो सकती है. शरीर के तापमान को सहन करने की क्षमता में बदलाव आना
थायराइड के असंतुलन का संकेत हो सकता है.

8. दिल की धड़कन में बदलाव

थायराइड हार्मोन दिल की धड़कन को भी प्रभावित कर सकते हैं. हाइपोथाइरौइडिज़्म में दिल की धड़कन धीमी हो सकती है, जिससे चक्कर आना, कमजोरी और थकान हो सकती है. वहीं, हाइपोथायरायडिज्म में दिल की धड़कन तेज हो सकती है, जिससे व्यक्ति को घबराहट और बेचैनी महसूस हो सकती है. अगर
आपको अपनी दिल की धड़कन में कोई असामान्य बदलाव महसूस होता है, तो यह थायराइड की समस्या हो सकती है.

9. मासिक धर्म में गड़बड़ी

महिलाओं में थायरौइड की समस्या से मासिक धर्म में अनियमितता हो सकती है.  हाइपोथायरौइडिज्म में पीरियड्स लंबे समय तक चल सकते हैं और ब्लड फ्लो ज्यादा हो सकता है, जबकि हाइपरथायरौइडिज़्म में पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और ब्लड फ्लो कम हो सकता है. अगर आपके मासिक धर्म में कोई
असामान्यता है, तो यह थायरॉइड समस्या का संकेत हो सकता है.

10. शारीरिक कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द

थायरौइड की समस्या से मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द हो सकता है. हाइपोथायरौइडिज़्म में व्यक्ति को मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द और अकड़न महसूस हो सकती है. शारीरिक कार्यों को करने में कठिनाई और मांसपेशियों में कमजोरी थायरौइड की समस्या के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

11. नींद की समस्या

थायरौइड असंतुलन से नींद पर भी असर पड़ सकता है. हाइपरथायरौइडिज़्म में
व्यक्ति को नींद न आना की समस्या हो सकती है, जबकि हाइपोथायरॉइडिज़्म
में व्यक्ति को बहुत ज्यादा नींद आ सकती है. अगर आपकी नींद में अचानक कोई
बदलाव आता है, तो यह थायरौइड की समस्या का संकेत हो सकता है.

12. ध्यान और याददाश्त में कमी

थायरौइड की समस्या से मानसिक ध्यान और याददाश्त पर भी असर पड़ सकता है.
हाइपोथायरॉइडिज़्म में व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है और याददाश्त कमजोर हो सकती है. यह स्थिति व्यक्ति के रोजमर्रा के कामों पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकती है. अगर आपको अपनी मानसिक क्षमता में गिरावट महसूस होती है, तो यह थायरॉइड की समस्या का संकेत हो सकता है.

इलाज और डायग्नोसिस

थायरौइड की समस्या का इलाज और डायग्नोसिस डौक्टर द्वारा किया जाता है.
सबसे पहले ब्लड टेस्ट के माध्यम से शरीर में थायरौइड हार्मोन का स्तर जांचा जाता है. अगर टेस्ट के परिणाम में असंतुलन पाया जाता है, तो डौक्टर उचित उपचार की सलाह देते हैं. थायरॉइड की समस्या का इलाज दवाइयों के माध्यम से किया जाता है, और नियमित जांच के द्वारा स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है. अगर समय पर इलाज किया जाए तो थायरौइड की समस्या को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है.

थायरौइड की समस्या के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है ताकि समय पर इलाज हो सके. थकान, वजन में बदलाव, बालों का झड़ना, मूड स्विंग्स, गर्दन में सूजन, और पाचन संबंधी समस्याएं थायरौइड की समस्या के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं. अगर आपको इन लक्षणों में से कोई भी महसूस हो रहा है, तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श लें.

हैंड पेंटिंग से लेकर खास तारीख तक, वैडिंग डे पर इन यूनिक तरीकों से सजाएं अपना आउटफिट

शादी का दिन हर किसी के जीवन का सब से खास और यादगार पल होता है. इस मौके को और भी खास बनाने के लिए दुलहन का लहंगा न सिर्फ फैशन स्टेटमैंट बन सकता है, बल्कि उस में अपनी अनमोल यादों को सजा कर उसे आप पर्सनल टच भी दे सकती हैं.

आजकल दुलहनें अपने वैडिंग आउटफिट्स को कस्टमाइज कर रही हैं, ताकि हर ऐलीमैंट में उन की प्रेम कहानी और खास पलों की झलक दिखाई दे.

आइए, जानें कि आप मेहंदी डिजाइन, लहंगे, दुपट्टे और स्नीकर्स को कैसे पर्सनलाइज कर सकती हैं :

मेहंदी से सजाएं अपनी प्रेम कहानी

वक्त के साथ लोगों की मेहंदी डिजाइन की पसंद भी काफी बदल रही है, कभी कमल का फूल लोगों को ज्यादा लुभा रहे थे, तो कभी रजवाड़ा या अरेबिक थीम की मेहंदी ज्यादा पसंद की जाती थी, लेकिन अब मेहंदी प्रेम कहानी कहने का एक जरीया बन गई है. दुलहनें अपनी मेहंदी में अब सिर्फ अपने सजना का नाम ही नहीं, बल्कि उन की पूरी तसवीर बनवा रही हैं.

आप अपनी मेहंदी को खास बनाने के लिए अपनी पहली डेट की तारीख, पसंदीदा डेटिंग प्लेस और खास पलों की झलक मेहंदी डिजाइन में शामिल कर सकती हैं. मसलन :

पहली मुलाकात की थीम : मेहंदी के एक हाथ पर आप की पहली मुलाकात का सीन और दूसरे हाथ पर आप का रिश्ता कैसे आगे बढ़ा, यह दिखा सकती हैं.

कपल इनीशियल्स : अपने और अपने पार्टनर के नाम के पहले अक्षर को मेहंदी डिजाइन में शामिल करें.

स्पैशल मोमैंट्स : जैसे पहला गिफ्ट, खास तारीखें या वह जगह जहां आप ने शादी का प्रपोजल स्वीकार किया, इन सब को मेहंदी में जोड़ा जा सकता है.

लहंगे को बनाएं यादों का खजाना

आप के लहंगे पर पारंपरिक जरी वर्क या कढ़ाई के अलावा व्यक्तिगत ऐलिमैंट्स को शामिल करना उसे और भी खास बना देगा. यह आप की प्रेम कहानी को कपड़े में बुनने का बेहतरीन तरीका है. मसलन :

● हैंड पेंटिंग : लहंगे के बौर्डर या स्कर्ट पर उन जगहों की पेंटिंग बनवाएं, जहां आप दोनों ने अपने सब से यादगार पल बिताए. यह हो सकता है कि कोई समुद्र किनारा, पार्क या वह रेस्तरां जहां आप पहली बार मिले थे. बहुत से आर्टिस्ट आजकल खास इसी तरह के प्रोजैक्ट्स पर काम कर रहे हैं, जिस में वे आप के लहंगे को खास आप के लिए हैंडपेंट करते हैं.

● डिजाइन में छिपी कहानियां : पैनल्स या मोटिफ्स में आप की जर्नी के खास मोमैंट्स, जैसे ट्रिप्स, फेवरिट मूवी सीन या कपल फोटो के आइडियाज को मैटल वर्क या धागे से उकेरा जा सकता है. आप लहंगे के डिजाइन में अपने पसंद के फूलों से प्रेरित डिजाइन बनवा सकती हैं.

● इनीशियल्स और तारीखें : अपने लहंगे में कहीं छिपी हुई जगह पर (जैसे कमरबंध के पास) अपने और पार्टनर के इनीशियल्स या वैडिंग डेट को कढ़ाई से उकेरा जा सकता है. आप चाहें तो लटकनों पर भी ये ऐंब्रौयडरी करा सकती हैं.

दुपट्टे में भी हो यादों की मिठास

दुपट्टा वह हिस्सा है जो आप के पूरे वैडिंग लुक को खूबसूरती से कवर करता है, तो क्यों न इसे भी पर्सनलाइज किया जाए। मसलन :

● कोट्स और वचन : अपने फेवरिट कोट्स, गाने की लाइंस या वह वादा जिसे आप हमेशा निभाना चाहती हैं, उसे दुपट्टे के बौर्डर पर लिखवाएं.

● कस्टम बौर्डर : दुपट्टे के किनारों पर हैंड पेंटिंग या कढ़ाई से आप की पहली डेट, फेवरिट फूड प्लेस या हनीमून डैस्टिनेशन के छोटेछोटे मोटिफ्स उकेरवाएं.

● स्पैशल ऐंब्रौयडरी : आप की शादी की तारीख और पार्टनर का नाम भी दुपट्टे के कोने में शामिल किया जा सकता है, ताकि यह हमेशा के लिए यादगार बना रहे.

कूल और पर्सनलाइज्ड स्नीकर्स

आजकल कई ब्राइड्स अपनी शादी के लहंगे के साथ स्नीकर्स पहन कर एक कंफर्टेबल और ट्रैंडी लुक अपनाती हैं. अब आप इन स्नीकर्स को भी अपनी पर्सनल टच दे सकती हैं :

● हैंड पेंटेड स्नीकर्स : अपने फर्स्ट डेट का लोकेशन, फेवरिट मूवी कैरेक्टर या जोक्स को स्नीकर्स पर पेंट करवाएं.

● इनीशियल्स और वैडिंग डेट : स्नीकर्स के लेस या सोल पर अपने और अपने पार्टनर के इनीशियल्स और शादी की तारीख प्रिंट करवा सकती हैं.

● फनी मैसेजेस : स्नीकर्स के हील्स पर छोटेछोटे फनी मैसेज या Just Married जैसी थीम भी ऐड कर सकती हैं.

आप के वैडिंग डे पर हर डिटेल में आप की प्रेम कहानी की झलक मिलनी चाहिए. लहंगे से ले कर स्नीकर्स तक, हर चीज में अपना पर्सनल टच जोड़ना इस खास दिन को और भी यादगार बना देगा.

शादी के बाद जब आप अपने आउटफिट को संभाल कर रखेंगी, तो उस में बसी ये छोटीछोटी यादें हमेशा आप के चेहरे पर मुसकान लाएंगी. तो आगे बढ़िए और अपने सपनों का आउटफिट तैयार करवाइए, जो केवल सुंदर ही नहीं, बल्कि आप की जर्नी की कहानी भी सुनाए।

दीवाली पर किचन को दें मौडर्न लुक, अपनाएं ये बैस्ट आइडियाज

दीवाली पर हम अकसर अपने घर की सजावट में कुछ नया करना चाहते हैं. हमारे घर का सब से जरूरी जगह किचन एक ऐसी जगह है, जहां स्वादिष्ठ पकवान बनाए जाते हैं और जहां कई यादें बनती हैं.

फैस्टिवल के अनुरूप घर का रूप बदलने की शुरुआत करने के लिए यह एक उत्तम जगह है क्योंकि यह न केवल दीवाली के सैलिब्रेशन का आनंद बढ़ाती है बल्कि पूरे घर के रौनक को उभारती है.

तो आइए, किचन के लुक को बदलने के लिए श्रेयस त्रिवेदी, वाइस प्रेसिडैंट, रिटेल बिजनैस
(यूनिस्पेस) अपर्णा इंटरप्राइजेज लिमिटेड, बता रहे है 5 आइडियाज, जो आप के किचन को फैस्टिवल सैलेब्रेशंस के लिए एक शानदार सैटिंग में बदल देंगे और एक ऐसी जगह बनाएंगे जिसे आप पूरे साल संजो कर रखेंगे.

ओपन कौंसेप्ट लेआउट अपनाएं

ट्रैडिशनल इंडियन किचन में अकसर खाना पकाने और खाने के लिए अलगअलग जगह होती है, पर मौडर्न घरों में ओपन कौंसेप्ट अच्छी तरह से काम कर सकता है. यह अपनेपन को बढ़ावा देता है और बेहतर वैंटिलेशन प्रदान करता है.

अपने किचन को मौडर्न बनाने के सब से प्रभावी तरीकों में से एक ओपन कौंसेप्ट लेआउट डिजाइन है. अपने किचन को लिविंग या डाइनिंग एरिया से अलग करने वाली दीवारों को हटा कर आप स्पेस के बीच एक स्मूद फ्लो बना सकते हैं. यह डिजाइन बातचीत को प्रोत्साहित करता है और किचन को अधिक बड़ा बनाता है, जिस से फैमिली और फ्रैंड्स खाना बनाते समय इकट्ठा हो सकते हैं.

मौड्यूलर किचन कैबिनेट

दीवाली के लिए अपने किचन को नया रूप देने का सब से आसान तरीका मौड्यूलर किचन कैबिनेट में अपग्रेड करना है. आकर्षक, मौडर्न कैबिनेट न केवल आप की किचन की खूबसूरती को बढ़ाते हैं बल्कि इस की जगह को बड़ा दिखाने के लिए प्रैक्टिकल सोल्यूशन भी प्रदान करते हैं. मौड्यूलर कैबिनेट कई तरह के डिजाइन, रंग और फिनिश में आते हैं, जिस से आप के घर की सजावट के लिए उपयुक्त कैबिनेट ढूंढ़ना आसान हो जाता है.

फैस्टिवल सीजन और दीवाली की डैकोरेशन को दिखाने के लिए ग्लासफ्रंट कैबिनेट को शामिल करें, जिस से किचन का लुक अक्ट्रैटिव दिखाई दे.

मौडर्न इक्विपमैंट को अपनाएं

पुराने उपकरण आप के खाना पकाने के अनुभव को नीरस बना सकते हैं. (energy efficient)
ऊर्जा कुशल, स्मार्ट उपकरणों में निवेश करने पर विचार करें जो आप की आदतों के अनुकूल हों.

वाईफाई कनैक्टिविटी जैसी सुविधाओं पर ध्यान दें, जो आप को अपने फोन से, अपने ओवन या रैफ्रिजरेटर की निगरानी करने की सुविधा देती है. आधुनिक उपकरण न केवल खाना पकाने को अधिक आनंददायक और कुशल बनाते हैं, बल्कि वे अधिक पर्यावरण अनुकूल घर बनाने में भी योगदान देते हैं, ऊर्जा की बचत करते हैं और आप के बिजली के बिलों को कम करते हैं.

स्मार्ट स्टोरेज सौल्यूशन

दीवाली के दौरान फैस्टिवल डिशेज तैयार करने में आप का किचन पहले से कहीं ज्यादा बिजी हो जाता है. अव्यवस्थित किचन निराशाजनक और पेचीदा हो सकता है. यहीं पर स्मार्ट स्टोरेज सौल्यूशन एक बड़ा अंतर ला सकते हैं क्योंकि वे आप की अव्यवस्था को दूर करने में मदद कर सकते हैं.

स्मार्ट स्टोरेज सौल्यूशन समाधानों को शामिल कर के आप अपनी रसोई को सहज और व्यवस्थित बना सकते हैं जैसे पुलआउट पेंट्री शेल्फ मुश्किल से पहुंचने वाली वस्तुओं को आसानी से पकड़ की रेंज में लाते हैं और कोने वाली कैरोसेल इकाइयां असुविधाजनक स्थानों को कार्यात्मक भंडारण क्षेत्रों में बदल देती हैं.

खुली शेल्फिग अकसर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं को आसानी से सुलभ बनाते हुए एक स्टाइलिश आकर्षण भी जोड़ सकती है. एक सुव्यवस्थित रसोई खाना पकाने को अधिक आनंददायक बनाती है.

लाइटिंग अरैंजमेंट

किसी भी स्थान के मूड को सैट करने में प्रकाश व्यवस्था एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आप की किचन को अक्ट्रैटिव बनाने मे इस का उतना ही योगदान होता है. दीवाली पर किचन की लाइट को बेहतर बनाने पर विचार करें. अंडर कैबिनेट लाइटिंग आप के कार्यस्थल को रोशन करते हुए एक चमक भी प्रदान करती है. अच्छी रोशनी न केवल किचन के सौंदर्य को बढ़ाती है बल्कि एक स्वागतयोग्य वातावरण भी बनाती है.

किचन के रूप मे नए बदलाव लाने से सिर्फ इस की कार्यक्षमता ही नहीं बढ़ती बल्कि यह आप की पूरी जीवनशैली को भी बेहतर बना सकती है. चाहे आप दोस्तों की मेजबानी कर रहे हों, परिवार के साथ डिनर का मजा ले रहे हों या सिर्फ अपने लिए खाना बना रहे हों, ये नवीनीकरण आप को एक ऐसी जगह बनाने में मदद कर सकते हैं जो वास्तव में आप की पर्सनैलिटी को दर्शाती हो.

इस फैस्टिव सीजन घर को प्लास्टिक नहीं, जीतेजागते पौधों से सजाएं

त्योहार पर ज्यादातर लोग अपने घरों को सजाने के लिए प्लास्टिक के फूलों का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ये सस्ते और बारबार इस्तेमाल करने में आसान लगते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक के फूलों के बजाय असली पौधों से सजा हुआ घर न केवल सुंदर दिखता है, बल्कि घर के वातावरण को भी ताजगी और शांति से भर देता है.

जीतेजागते पौधे आप के घर में रंग और जीवन लाते हैं, जिस से हर दिन किसी त्योहार से कम नहीं लगता. तो फिर क्यों इस फैस्टिव सीजन अपने घर को सजाएं जीवंत पौधों के साथ, जो न सिर्फ आप के घर की शोभा बढ़ाएंगे बल्कि वातावरण को भी बेहतर बनाएंगे.

आइए, जानें कि आप के घर के बैडरूम, किचन, लिविंगरूम और बाथरूम के लिए कौनकौन से पौधे सब से उपयुक्त रहेंगे जो कम रोशनी में भी अच्छा ग्रो करते हैं और पौकेट फ्रैंडली भी हैं :

ताजगी और शांति का अनुभव देते हैं बैडरूम में लगे ये प्लांट्स

बैडरूम वह जगह है जहां आप आराम और सुकून चाहते हैं. इसलिए ऐसे पौधों का चुनाव करना जरूरी है जो आप के मन को शांत करें और रातभर बेहतर नींद में मदद करें.

स्नैक प्लांट (Snake Plant) : यह पौधा रात में भी औक्सीजन रिलीज करता है और हवा को शुद्ध करता है, जिस से गहरी नींद आती है.

लैवेंडर (Lavender) : इस की भीनीभीनी खुशबू तनाव को कम करती है और मूड को बेहतर बनाती है.

मनी प्लांट (Money Plant) : यह न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि देखने में भी खूबसूरत लगता है. इसे किसी खूबसूरत प्लांटर में लगा कर बैडरूम की शोभा बढ़ाएं. आप मनी प्लांट को घर के हर कोने में लगा सकते हैं.

ताजगी और जड़ीबूटियों से महकेगा आप का किचन

किचन में पौधों को लगाने का मतलब सिर्फ साजसज्जा नहीं बल्कि उपयोगी जड़ीबूटियों को उगाना भी है. ये न केवल किचन का माहौल बेहतर बनाएंगे, बल्कि आपशके खाने को भी स्वादिष्ठ और पौष्टिक बना देंगे.

तुलसी (Holy Basil) : यह पौधा पवित्रता और औषधीय गुणों का प्रतीक है. इस की पत्तियां चाय या भोजन में इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

ऐलोवेरा (Aloe Vera) : किचन में छोटीमोटी जलन या कट लगने पर ऐलोवेरा का जैल बहुत काम आता है.

मिंट (Mint) : पुदीना का पौधा ताजगी से भरपूर होता है और इसे सलाद, चटनी या पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

बाथरूम में नैचुरल लुक देंगे ये पौधे

बाथरूम में पौधों का होना ताजगी और प्रकृति के करीब होने का एहसास दिलाता है. ऐसे पौधों का चुनाव करें जो कम रोशनी और ज्यादा नमी में भी आसानी से जीवित रह सकें.

स्पाइडर प्लांट (Spider Plant) : यह पौधा नमी को अच्छी तरह झेल सकता है और बाथरूम के छोटे कोनों में फिट हो जाता है.

फर्न (Fern) : फर्न के हरेभरे पत्ते बाथरूम में फ्रैशनैस का एहसास कराते हैं और मौइस्चर में भी अच्छी तरह बढ़ते हैं.

पीस लिली (Peace Lily) : यह पौधा हवा को शुद्ध करता है और बाथरूम को एक ऐलिगैंट लुक देता है.

लिविंगरूम में लगे ये पौधे मेहमानों का स्वागत करेंगे हरेभरे अंदाज में लिविंगरूम वह जगह है जहां आप सब से ज्यादा समय बिताते हैं और मेहमानों का स्वागत भी यहीं होता है. इसलिए यहां ऐसे पौधों का चयन करें जो आप की स्टाइल और सुंदरता को दर्शाएं.

फिडल लीफ फिग (Fiddle Leaf Fig) : यह पौधा बड़ेबड़े पत्तों के कारण बहुत ही आकर्षक लगता है और लिविंगरूम को मौडर्न लुक देता है.

रबर प्लांट (Rubber Plant) : इस की गहरी हरी पत्तियां रूम को एक रिच और क्लासी लुक देती हैं. इस पौधे में आप को ज्यादा देखभाल की जरूरत भी नहीं है, हफ्ते में 1 बार पानी और हलकी रोशनी में भी यह पौधा अच्छा ग्रो करता है.

एरेका पाम (Areca Palm) : यह पौधा न केवल लिविंगरूम की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि हवा को भी साफ करता है. इस की खूबसूरत पत्तियां आप के इंटीरियर में जान डाल देंगी.

सजावट में चार चांद लगाने के लिए प्लांटर्स पर दें खास ध्यान

पौधों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए प्लांटर्स का सही चुनाव भी बहुत जरूरी है. प्लास्टिक के साधारण गमलों के बजाय सिरेमिक, मैटल या जूट के प्लांटर्स का इस्तेमाल करें. ये न केवल आप के पौधों को सपोर्ट देंगे, बल्कि घर की सजावट में भी जान डालेंगे.

आप रंगबिरंगे प्लांटर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि हर कोने में एक अलग ही आकर्षण नजर आए. यदि आप का इंटीरियर मिनिमलिस्टिक है, तो सफेद या मैटल फिनिश वाले प्लांटर्स का चयन करें. वहीं, रंगीन दीवारों के लिए कंट्रास्ट कलर वाले प्लांटर्स बहुत अच्छे लगते हैं.

प्लास्टिक के फूलों से नहीं, पौधों से सजाएं घर

प्लास्टिक के फूल भले ही देखने में आकर्षक लगते हों, लेकिन वे कभी भी असली पौधों की खूबसूरती और ताजगी का मुकाबला नहीं कर सकते. एक बार पौधों में किया गया निवेश लंबे समय तक आप के घर को सजाता रहेगा. हर दिन आप को प्रकृति का एहसास कराएगा और आप के घर के वातावरण को शुद्ध बनाएगा.

हर सीजन को फैस्टिव सीजन बनाना चाहते हैं तो अपने घर को पौधों से सजाएं. रंगबिरंगे फूलों वाले पौधे घर में रंग भर देंगे और हरीभरी पत्तियों वाले पौधे शांति और सुकून का एहसास कराएंगे. पौधों के साथ बिताया गया हर पल आप को प्रकृति से जोड़ता है और एक नई ऊर्जा से भर देता है. यह सजावट न सिर्फ आप के घर को खूबसूरत बनाएगी, बल्कि आप के मन और जीवन को भी सकारात्मकता से भर देगी. घर हर कोने में रखे पौधे एक नई कहानी बयां करेंगे और आप के घर को सदाबहार सुंदरता से भर देंगे.

पंडितों ने 4 सालों तक मां नहीं बनने की बात कही है, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल- 

मैं 27 साल की हूं. मेरे विवाह को 5 महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक प्रैगनैंट नहीं हुई हूं. क्या यह मेरे भीतर किसी कमी या गड़बड़ी का लक्षण है? कई पंडितों ने मुझ से कहा है कि मैं कम से कम अगले 4 सालों तक मां नहीं बन पाऊंगी. मैं इस बात से बहुत डरी हुई हूं. बताएं, मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

यह निश्चित तौर पर बता पाना कि आप कब मां बनेंगी, किसी के वश की बात नहीं है. अगर पतिपत्नी दोनों की फर्टिलिटी नौर्मल है यानी दोनों की प्रजननशक्ति अच्छी है और सारे हालात प्रैगनैंसी के अनुकूल हैं तब भी प्रैगनैंट होने के लिए यह जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों का शारीरिक मेल उन दिनों में हो जिन दिनों में पुरुष शुक्राणु और स्त्री डिंब के मेलमिलाप का संयोग बनता है. स्त्री के मासिकचक्र में हर महीने कुछ ही दिन ऐसे होते हैं जिन में प्रैंगनैंसी का संयोग बनता है. फर्टिलिटी स्टडीज में देखा गया है कि जो दंपती हर तरह से सामान्य होते हैं उन में भी स्त्री के प्रैंगनैंट होने के चांसेज किसी 1 महीने में 20-25% ही होते हैं. 3 महीने लगातार जतन करने पर चांसेज 50%, 6 महीने में 72% और 12 महीने में 85% पाए गए हैं. अभी आप के विवाह को मात्र 5 महीने ही बीते हैं, इसलिए इस तरह निराश होना कतई ठीक नहीं है. अगर आप का मासिकचक्र 28 दिनों का है, तो आप दोनों का 11वें से 17वें दिन के बीच मिलन फलदायी हो सकता है. मसलन अगर आप का मासिक धर्म 8 अगस्त को शुरू होता है, तो इस हिसाब से 19 से 25 अगस्त के बीच का शारीरिक मेल आप को प्रैगनैंट बना सकता है. दरअसल, यही वे दिन होंगे जब आप की ओवरी से एग रिलीज होने के सब से ज्यादा चांसेज बनेंगे. किसी पंडित, ज्योतिषी या हस्तरेखा वाचक की बातों में आ कर बिना वजह अपने जीवन को संशय, चिंता या भय में न डालें.

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लेखिका- दीप्ति गुप्ता

ज्यादातर भारतीय लोगों को सुबह और शाम चाय पीने की आदत  होती  है. इसे पीने के बाद वे ताजा महसूस करते हैं. वैसे देखा जाए, तो चाय गर्भवती महिलाओं सहित दुनियाभर के लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पीऐ जाने वाले खाद्य पदार्थों में से एक  है. प्रैग्नेंसी में खासतौर से सीमित मात्रा में चाय का सेवन बहुत अच्छा माना जाता है. दरअसल, चाय की पत्तियों में पॉलीफेनॉल और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं., जो न केवल आपके ह्दय स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं बल्कि आपकी प्रतिरक्षा को भी बढ़ाते हैं. हालांकि,  इनमें कैफीन भी होता है, इसलिए इनका सेवन आपको एक दिन में 200 मिग्रा से ज्यादा नहीं करना चाहिए. वैसे विशेषज्ञ प्रैग्नेंसी में कुछ खास तरह की चाय का सेवन करने की सलाह देते हैं. उनके अनुसार, आमतौर पर ब्लैक टी, मिल्क टी, ग्रीन टी में 40 से 50 मिग्रा कैफीन होता है, जबकि हर्बल टी में कैफीन की मात्रा न के बराबर होती है. इसलिए प्रैग्नेंसी के दौरान हर्बल टी को एक स्वस्थ और बेहतरीन विकल्प माना गया है. यहां 6 तरह की हर्बल चाय हैं, जिनका प्रैग्नेंसी के दौरान सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है.

1. अदरक की चाय-

अदरक की चाय में जो स्वाद है, वो किसी आम चाय में नहीं. इसे खासतौर से सर्दियों में पीया जाए, तो गर्माहट तो आती ही है ,साथ ही ताजगी का अहसास भी होता है. लेकिन किसी भी गर्भवती महिला को अपने रूटीन में अदरक की चाय जरूर शामिल करनी चाहिए. क्योंकि यह मॉर्निंग सिकनेस को कम करती है. इसे अपने रूटीन में शामिल करने के बाद सर्दी, गले की खराश और कंजेशन की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है. इसके लिए अदरक के कुछ टुकड़ों को गर्म पानी में उबाल  लें और दूध, शहद के साथ लाकर पी जाएं.

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