ऐसा हो आई मेकअप

गरमी का मौसम है. आप पार्टी में जा रही हैं. आप मेकअप नहीं करना चाहती हैं. लेकिन चाहती हैं कि आप पार्टी में सब से अलग दिखें. ऐसे में आप हैवी मेकअप करने के बजाय अपनी आंखों को ही आकर्षक बनाएं. आज मार्केट में आंखों को आकर्षक बनाने के लिए बहुत से ट्रैंडी आई मेकअप हैं. आंखों को हाइलाइट करने के लिए कलर्स, स्पार्कल, सितारा, स्वरोस्की का प्रयोग किया जा सकता है. आइए जानें, कैसे आप इन के जरिए अपनी आंखों को आकर्षक बना सकती हैं.

आंखें जो लगें सब से अलग

लैपर्ड व कैट मेकअप से आंखों को आकर्षक लुक दिया जाता है. यह मेकअप बेहद खूबसूरत दिखता है. इस से आप की आंखें दूसरों से अलग दिखेंगी. इस मेकअप में आप की आंखों पर लैपर्ड व कैट की स्किन जैसे प्रिंट्स बनाए जाते हैं. इस मेकअप में लिक्विड कलर और एकसाथ 2-3 कलर प्रयोग किए जाते हैं.

आकर्षक लुक देती आंखें

कई बार मेकअप ऐसा होता है कि उस में खालीपन महसूस होता है और यह अच्छा भी लगता है. इन दिनोें यह खालीपन ही चलन का हिस्सा बना हुआ है. आंखों को स्मोकी व कजरारी बनाने के लिए ब्लैक आईलाइनर प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब व्हाइट आई मेकअप चलन में है. इस में आंखों के ऊपर व नीचे सिल्वर व व्हाइट आई मेकअप किया जाता है, जिस से आंखों का खालीपन बरकरार रहता है और आंखें दूसरों से अलग भी दिखती हैं.

कलरफुल कलर्स

ड्रामैटिक आई मेकअप में रंगों का काफी प्रयोग किया जाता है. आईब्रो व आंखों के आसपास आप की ड्रैस से मैच करता ड्रामैटिक मेकअप किया जाता है.

फैदर्स जो अलग लुक दे

आजकल फैदर्स का इस्तेमाल मेकअप में भी काफी देखने को मिल रहा है. मार्केट में अलग स्टाइल के फैदर आ रहे हैं, जिन्हें आप आई मेकअप में प्रयोग कर सकती हैं. आप इस में बर्ड्स, पीकौक व ईगल के फैदर ट्राई कर सकती हैं.

फैंटेसी आइज

फैंटेसी मेकअप में सारा कमाल आर्टिस्ट की क्रिएटिविटी का होता है. दरअसल, आर्टिस्ट की कल्पना जितनी अच्छी होगी, वह उतना ही खूबसूरत मेकअप आप की आंखों पर करेगा. फैंटेसी मेकअप में पलकों की ऊपर वाली जगह पर अलग स्टाइल की पेंटिंग की जाती है. इस में पेड़, बटरफ्लाई, फूल, पक्षी वगैरह बनाए जाते हैं. इस के लिए कलर, क्रिस्टल, सैटन, स्पार्कल व ग्लिटर का इस्तेमाल किया जाता है. आंखों के मेकअप का यह आर्ट सब से ज्यादा अलग व ज्यादा वक्त लेने वाला है. फैंटेसी आइज मेकअप में आंखों को सजाने के लिए करीब 2 से 4 घंटे लगते हैं. हालांकि इस स्टाइल से आंखों का मेकअप करने पर ज्यादा खर्च नहीं आता है.

जोड़ी मिलाएं धन कमाएं

शादी के अटूट बंधन के मद्देनजर लड़के के लिए उपयुक्त लड़की और लड़की के लिए उपयुक्त लड़का उपलब्ध कराना नेक काम तो है ही, इस से लाभ भी हासिल होता है. आज जोड़ी बनाने यानी मैचमेकिंग का काम रोजगार का रूप ले चुका है. इस काम को कहीं से भी किया जा सकता है. कुछ लोग इस के लिए कमर्शियल कौंप्लैक्स में औफिस खोलते हैं तो कुछ घर से ही इस काम को अंजाम दे कर खासी कमाई कर रहे हैं. मैचमेकिंग के काम में महिलाएं महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा कर अपने घर में धनवर्षा कर रही हैं.

मैचमेकिंग यानी जोड़ी मिलाने के व्यवसाय में न तो बहुत ज्यादा जगह की जरूरत होती है और न ही भारी पूंजी की. ‘हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा होय’ की कहावत को चरितार्थ करता यह व्यवसाय एक बार जम गया तो फिर समझो इस में सोनाचांदी सबकुछ है.

इस में अधिकाधिक रिश्ते जुटानेके लिए आप के संपर्क जितने ज्यादा होंगे, आप की संपर्क सूची उतनी ही लंबी होगी, जो व्यवसाय में फायदेमंद साबित होगी. एक समय था जब लोग रिश्तों के लिए रिश्तेदारों व अन्य विश्वस्त सूत्रों पर निर्भर होते थे लेकिन आज मैचमेकर्स पर निर्भर होने लगे हैं क्योंकि मैचमेकर्स ने अपनी सेवाओं से लोगों में विश्वास जमाया है.

मैचमेकर्स के लिए न्यू टैक्नोलौजी यानी कंप्यूटर लाभ का सौदा सिद्ध हो रही है. लड़केलड़की की सारी जानकारी को कंप्यूटर में सेव कर लिया जाता है जिस से काफी सुविधा होती है. लोगों का इन पर विश्वास करने का कारण यह भी है कि उन्हें इन के द्वारा अधिक से अधिक कौंटैक्ट्स की सारी जानकारी मिल जाती है. व्यक्तिगत स्तर पर लड़केलड़की और उन के परिवार की पूरी व सही जानकारी हासिल करना आसान नहीं होता.

जोड़ी की खोज में पेरैंट्स मैचमेकर को अपने लड़केलड़की के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं. जानकारी में पेरैंट्स लड़के/लड़की का नाम, पता, पिता व माता का नाम, आयु, कद, व्यवसाय, फैमिली बैकग्राउंड, मांगलिक/नौन मांगलिक, कास्ट/नो कास्ट बार, एजुकेशन, सैलरी, मंथली इनकम, किस तरह के परिवार में शादी करना पसंद करेंगे आदि जानकारियां देते हैं. इस से मैचमेकर को परिवार की पसंद के बारे में पता चल जाता है और वह उसी के आधार पर रिश्ते ढूंढ़ता है.

दोनों परिवारों को जब मनमाफिक मैच मिल जाता है और विस्तार से जानकारी भी प्राप्त हो जाती है तो उस के अगले कदम में कई मीटिंग्स आयोजित करवाई जाती हैं, जिन में लड़कालड़की को कई बार एकदूसरे को समझने का मौका मिल जाता है, और वे एकदूसरे के व्यवहार से भी परिचित हो जाते हैं, ऐसे में उन्हें निर्णय लेने में सुविधा होती है.

अंतिम निर्णय दोनों पार्टियों पर ही टिका होता है, वे अपने रिस्क पर ही कोई निर्णय लेते हैं. हर मैचमेकर की फीस अलगअलग होती है. कुछ मैचमेकर तो लड़के/लड़की की व उस के पूरे परिवार की सारी जानकारी स्वयं जांचपड़ताल कर उपलब्ध कराते हैं. इस कार्यशैली के आधार पर उन की फीस निर्भर करती है.

मैचमेकर क्यों

अगर आप खुद लाइफपार्टनर सर्च करना प्रारंभ करते हैं तो आप का बहुत समय बरबाद होता है. औनलाइन डेटिंग या होटल वगैरह में जा कर मिलने में यह भी पता नहीं होता कि आप सही और ईमानदार व्यक्ति से मिल रहे हैं या नहीं. हो सकता है कि आप जल्दबाजी में गलत व्यक्ति को चुन लें. लेकिन मैचमेकर्स आप की हर संभव सहायता करते हैं.

अनुभव

लोगों की जोडि़यां बनाने के काम में जुटे मैचमेकर्स को लोगों को परखना ज्यादा अच्छी तरह आता है. वे पहली नजर में ही पहचान जाते हैं कि अमुक व्यक्ति कैसा है. इसलिए वे मैचिंग बहुत सोचसमझ कर ही करवाते हैं.

डेट कोचिंग : सब से पहले मैचमेकर सही मैच करवाने का प्रयास करते हैं. यदि दोनों को बताया हुआ मैच पसंद आता है तो बात आगे बढ़ाई जाती है. इस में वे बताते हैं कि कैसे आप सामने वाले व्यक्ति को परख कर अपना सही फैसला ले सकते हैं. वे एकदूसरे को तय तिथि व समय पर मिलवाते हैं.

सुरक्षा : आप की सुरक्षा मैचमेकर्स की प्राथमिकता होती है. वे खुद अपने स्तर पर सारी जांचपड़ताल कर आप को इस बात के लिए निश्चिंत करते हैं कि अमुक परिवार सही है और आप बात आगे बढ़ा सकते हैं.

मैचमेकिंग के काम के संबंध में गाजियाबाद की कुमुद, जो अपने घर से मैचमेकिंग का काम करती हैं, ने बताया कि शुरू में उन्हें इस व्यवसाय को जमाने में दिक्कत हुई लेकिन धीरेधीरे जब लोगों को विश्वास हो गया तो अब उन के पास आएदिन कोई न कोई अपनी लड़की या लड़के के रिश्ते के लिए आता रहता है. वे बताती हैं कि लड़के या लड़की वालों से रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर वे 400 रुपए चार्ज करती हैं. रजिस्ट्रेशन फीस लेने के समय हम लड़के या लड़की की संपूर्ण जानकारी ले कर उसे अपने कंप्यूटर में फीड कर लेते हैं और उसी के अनुसार ही उन्हें रिश्ते बताते हैं.

रिश्तों के लिए अकसर सामूहिक सम्मेलन का आयोजन करते हैं जिस में वे सभी लोग आमंत्रित होते हैं जिन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया होता है. वहां पर आए लड़केलड़कियों को एकदूसरे से परिचित कराया जाता है, फिर पेरैंट्स को अपने लड़के या लड़की के लिए जो उपयुक्त लगता है, उन से बात आगे बढ़ाई जाती है.

दिल्ली के पीतमपुरा महल्ले में मैचमेकिंग के व्यवसाय में व्यस्त पूनम ने बताया कि वे जो भी रिश्ता बताती हैं उस की गारंटी लेती हैं. इस के लिए वे क्लाइंट से शुरुआत में टोकनमनी के रूप में 5,100 रुपए लेती हैं. उन की कोशिश यही होती है कि वे 6 से 8 महीने के बीच बात पक्की करवा दें. लेकिन इस बीच अगर संयोगवश रिश्ता पक्का न हो सका या फिर पार्टी को लगे कि वे उन्हें धोखा दे रही हैं तो उन के द्वारा दी गई टोकनमनी वे उन्हें 6 महीने के बाद वापस कर देती हैं.

वे बताती हैं कि वे लड़का या लड़की की पूरी वैरिफिकेशन करवाती हैं, मीटिंग्स दोनों पार्टियों की सुविधा के हिसाब से आयोजित करवाती हैं, ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो. वे मैचमेकिंग के सम्मेलन भी करवाती हैं. इस के लिए उन का कई लोगों व संस्थाओं से टाइअप होता है. जब रिश्ता पक्का हो जाता है और शादी का कार्ड छप जाता है तब वे क्लाइंट से 40 हजार रुपए चार्ज करती हैं. जो भी रिश्ता वे बताती हैं, उस की वे खुद भी व्यक्तिगत स्तर पर जांचपड़ताल करती हैं ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो.

दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित अपने घर से मैचमेकिंग का काम कर रही कुसुम ने बताया कि जब भी कोई लड़के या लड़की के रिश्ते के लिए उन के पास आता है तो वे उन्हें सारी बातें शुरू में ही बता देती हैं ताकि शुरुआती चरण में ही सब स्पष्ट हो जाए. अगर हमारी सर्विस पसंद आती है तो हम उन से 6,500 रुपए लेते हैं और उन से लड़का या लड़की की सारी जानकारी ले लेते हैं क्योंकि उसी उपलब्ध जानकारी के अनुसार मैच करवाया जाता है. यह सारा रिकौर्ड हम कंप्यूटर में दर्ज कर लेते हैं.

इस तरह कोई भी पुरुष या महिला घर बैठे जोड़ी मिलाने का काम आसानी से व अच्छी तरह से कर अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर सकता है.

मिलन की रात बन जाए बात

अनिल और सुधा की शादी की पहली रात थी. शादी में आए लोगों के जातेजाते रात का 1 बज गया. तब अनिल की बहन को ध्यान आया कि इस नवविवाहित जोड़े को तो अपने कक्ष में भेजो. चूंकि रात काफी बीत चुकी थी, इसलिए अपने कक्ष में पहुंचते ही अनिल आननफानन सहवास करने लगा तो एक हलकी सी चीख के साथ सुधा उस के बाहुपाश से अलग हो गई. बोली कि नहीं, मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकूंगी. मुझे दर्द होता है. बेचारा अनिल मन मसोस कर रह गया. सुधा की दिन पर दिन बीतते चले गए और फिर दर्द की तीव्रता भी बढ़ती चली गई. पहली रात की मिठास कड़वाहट में बदल गई थी. फिर एक दिन जब अनिल ने यह बात अपने दोस्त को बताई तो उस की सलाह पर वह पत्नी के साथ चिकित्सक के पास पहुंचा. तब जा कर दोनों सहवास का आनंद उठाने में कामयाब हो पाए.

वास्तव में सहवास परम आनंद देता है. मगर इस में इस तरह की कोई परेशानी हो जाए तो नौबत तलाक तक की भी आ जाती है.

आइए, जानें कि ऐसी स्थिति आने पर क्या करें:

पतिपत्नी को चाहिए कि भले प्रथम 1-2 मिलन में दर्द हो, तो भी वे संपर्क बनाना न छोड़ें. कामक्रीड़ा करते रहें ताकि एकदूसरे के प्रति आकर्षण बना रहे और दर्द की बात मन में न बैठे.

चूंकि यह शारीरिक से ज्यादा मनोवैज्ञानिक समस्या है, अत: मानसिक स्तर पर भी मजबूत बने रहें.

ऐसे पतिपत्नी को चाहिए कि वे यह सोच कर कि सहवास नहीं करेंगे, प्रतिदिन यौनक्रीड़ा यानी आलिंगन, चुंबन, बाहुपाश में बांधना, सहलाना आदि करते रहें. यौनक्रीड़ा में बहतेबहते उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि वे कब सहवास में सफल हो गए. तब सारा डर जाता रहेगा.

यदि एकदूसरे के प्रति पूर्ण आकर्षण न हो कर कोई गिलाशिकवा, नफरत, गुस्सा हो तो उसे दिमाग से निकाल देने मात्र से दर्दयुक्त सहवास की समस्या समाप्त हो सकती है.

यदि पहले कभी बलात्कार हुआ हो या आप के पुरुष साथी (वह पति ही क्यों न हो) ने यदि आप के जननांगों को चोट पहुंचाई हो तब भी ऐसी स्थिति में भी स्त्री को सहवास से भय पैदा हो जाता है. इस स्थिति का यथोचित समाधान आवश्यक है.

दर्दयुक्त सहवास के अन्य कारण पुरुषों में

अंग में कड़ापन न आने के कारण भी सैक्स नामुमकिन हो जाता है.

यदि आप अत्यधिक मोटापे से ग्रस्त हैं तब भी यह स्थिति पैदा हो जाती है.

यौन संपर्क के प्रति नकारात्मक रवैया भी यह स्थिति पैदा कर देता है. इस के अलावा सैक्स के अन्य तरीकों को तवज्जो देना भी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी हो सकता है.

जननांग में कोई जन्मजात कमी.

स्त्रियों में

यौन संपर्क के वक्त जननांग में स्थित खास प्रकार की ग्रंथियां कुछ लसलसा सा पदार्थ स्रावित करती हैं जो पुरुष के अंग को योनि में प्रवेश कराने में मददगार होता है. कई बार ये ग्रंथियां अपना यह कार्य करना बंद कर देती हैं. फलस्वरूप योनि में कथित सूखापन रहता है, जिस से सहवास में दर्द होता है. अकसर यह स्थिति डर या फिर गैरजिम्मेदाराना तरीके से स्थापित यौन संबंध से उत्पन्न होती है.

यदि स्त्री को अत्यधिक मोटापा है या पैरों अथवा कूल्हों की हड्डियों का कोई रोग है, तब भी यह स्थिति आ सकती है.

यदि जन्मजात योनि के ऊपर की झिल्ली (हाईमन) बहुत ज्यादा मोटी या सख्त हो तो भी सहवास के वक्त तकलीफ होती है.

जिन स्त्रियों की शादी देर से होती है उन में योनि का लचीलापन कमजोर हो जाता है तथा मार्ग भी संकरा हो जाता है, जिस से मिलन के वक्त तकलीफ होती है.

योनि मार्ग में अगर कोई सर्जरी हुई हो या वहां चोट आदि लगी हो तब भी संभोग के वक्त दर्द होता है.

ऊपरी सतह पर कुछ व्याधियां भी सहवास को दर्दयुक्त बनाती हैं जैसे बवासीर, खूनी मस्से, पेशाब के मार्ग में संक्रमण, जन्म से ही योनि मार्ग की लंबाई कम होना आदि.

इसी तरह अंदर की व्याधियां भी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी होती हैं जैसे सर्विक्स संक्रमण, ओवरी का संक्रमण, गर्भाशय का क्षय रोग आदि.

विक्की डोनर से बचें

रामायण और महाभारत काल से ही पुरुष प्रधान भारतीय समाज बच्चा न होने पर महिला को ही दोषी ठहरा कर उसे बांझ कहना शुरू कर देता है. लेकिन यदि देखा जाए तो वर्तमान समय में एकतिहाई जोड़ों में स्त्रियां बांझ हैं तो एकतिहाई जोड़ों में केवल वीर्य की खराबी प्राकृतिक गर्भाधान की विफलता का कारण है. फिर क्यों अकेले महिलाओं को ही बच्चा न हो पाने का दोषी ठहराया जाता है?

शादी के बाद एक निश्चित अवधि के अंदर यदि गर्भधारण न हो तो पतिपत्नी स्वाभाविक तौर पर स्त्रीरोग विशेषज्ञा के पास जाते हैं, जिस के बाद महिला को हर तरह की जांचपड़ताल से गुजरना पड़ता है. महिलाओं की जांच से पहले पुरुष की जांच बेहद जरूरी है, जो कई बार नहीं करवाई जाती और बच्चा न हो पाने का दोष महिला के सिर मढ़ दिया जाता है. जबकि सही रूप में देखा जाए तो बांझ दंपती में पुरुष के वीर्य का टैस्ट पहले होना चाहिए क्योंकि पुरुष के वीर्य विश्लेषण से ज्यादा आसानी से पता लगाया जा सकता है कि दिक्कत कहां है. यदि वीर्य अच्छा नहीं पाया जाता तो विकल्प के रूप में स्त्रीरोग विशेषज्ञा द्वारा वीर्यदाता (डोनर सीमन) की पेशकश कर दी जाती है. लेकिन अत्यधिक उन्नत चिकित्सा विज्ञान की दुनिया में पति की जगह किसी और के वीर्य का प्रतिस्थापन सही नहीं है.

स्पर्म टैस्ट

बच्चा न पैदा कर सकने वाले पुरुष की मूत्र रोग विशेषज्ञ (यूरोलौजिस्ट) द्वारा जांच करवानी चाहिए. यदि वीर्य में शुक्राणु अनुपस्थित हों या फिर खराब गुणवत्ता के हों, तो उस स्थिति में अंडकोश (टैस्टिस) की जांच करनी चाहिए. वीर्य की जांच में शुक्राणु न पाए जाने की स्थिति में, एपिडिडिमिस और वास डिफैरैस जैसे जननांगों की जांच होनी चाहिए. जनन प्रणाली की किसी भी नाड़ी में रुकावट पाए जाने पर, उसी नाड़ी को खोल कर रुका हुआ वीर्य बाहर निकाला जा सकता है. इस तरह से प्राप्त किए हुए शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में स्त्री के अंडे से मिला कर भू्रण बनाया जा सकता है. ये दोनों प्रक्रिया इक्सी और एम टीस के नाम से जानी जाती हैं. इन का इस्तेमाल कर के वीर्य में शुक्राणु न होने पर भी गर्भधारण किया जा सकता है. इस पद्धति से जन्म होने पर शिशु पूरी तरह से हर जांच में अपने मातापिता से मेल खाता है. चूंकि डीएनए टैस्ट आजकल आसानी से उपलब्ध है, इसलिए स्त्रीपुरुष टैस्ट अपनी संतुष्टि के लिए यह जांच भी करा सकते हैं.    

– डा. अशोक के. गुप्ता, यूरोजिन एआरटी सैंटर

सौंदर्य समस्याएं

मैं 17 वर्षीय लड़की हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे ऊपरी होंठ पर बहुत बाल हैं, जिन का रंग चेहरे के बालों से गहरा है. इस वजह से चेहरा बहुत खराब दिखता है. जब ऊपरी होंठ बनवाती हूं तो कुछ दिनों के लिए बाल छिप जाते हैं पर थोड़े दिनों में फिर दिखने लगते हैं. क्या करूं कि इन का रंग हलका हो जाए?

ऊपरी होंठ बनवाने के अलावा आप कटोरी वैक्स भी ट्राई कर सकती हैं. साथ ही ब्लीच भी बालों के रंग को हलका कर देगा. घरेलू उपाय के तौर पर आप कच्ची हलदी या पाउडर हलदी में दही व बादाम पाउडर मिला कर पेस्ट बनाएं और फिर उसे 20 मिनट तक ऊपरी होंठ पर लगाए रखें. ऐसा सप्ताह में 2 बार करें. बालों का रंग हलका हो जाएगा.

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मेरी आयु 21 वर्ष है. मेरे चेहरे पर ब्लैकहैड्स की तरह सफेद रंग के छोटेछोटे दाने हो गए हैं. मैं स्क्रब, स्टीम वगैरह सब ट्राई कर चुकी हूं, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. कोई उपाय बताएं, जिस से ये दाने हट जाएं?

चेहरे को धोने के लिए फेसवाश का प्रयोग करें और चेहरा पोंछने के लिए हमेशा पर्सनल तौलिए का प्रयोग करें. इस के अलावा चेहरा धोने के बाद चेहरे को तौलिए से हमेशा अपवर्ड मोशन में पोंछें, खासकर नाक के आसपास के एरिया को.

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मैं 14 वर्षीय लड़की हूं. चेहरे को क्लीन लुक व पार्टी में बैस्ट लुक देने के लिए क्या करूं?

चेहरे की रोजाना क्लींजिंग, टोनिंग व मौइश्चराइजिंग करें. इस से चेहरे पर नैचुरल ग्लो आता है. पार्टी में बैस्ट दिखने के लिए आंखों को स्मोकी लुक दें. काजल से आंखों को डिफाइन करें. इस से ग्लैमरस लुक आता है. मैसी हेयरस्टाइल बनाएं, जो आजकल फैशन में है. यंग गर्ल्स पर पर्पल, ब्लू, ग्रीन और गोल्डन आईशैडो भी खूब फबता है. मेकअप द्वारा फीचर्स को उभारें. फुटवियर में हील पहनें.

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मेरे चेहरे का रंग गोरा है, पर हाथों का सांवला. कृपया उन का रंग निखारने का कोई उपाय बताएं?

चेहरे की तरह हाथों की भी क्लींजिंग, टोनिंग व मौइश्चराइजिंग करें. इस के अलावा दही में हलदी व बादाम का पाउडर मिला कर 20 मिनट तक हाथों पर लगाएं. इस से हाथों के रंग में निखार आएगा. गरमी के मौसम में हाथों पर सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग करें. दोपहर की तेज धूप में निकलना हो तो दस्तानों से हाथों को कवर कर के निकलें. हाथों में हैंड लोशन लगाएं वरना ड्राईनैस व रिंकल्स से भी हाथ भद्दे व बदरंग दिखने लगते हैं.

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मैं 20 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे चेहरे पर बहुत बाल हैं. बहुत पहले चेहरे पर हुए मुंहासों के कारण दाग भी बन गए हैं. उन्हें हलका करने का कोई उपाय बताएं?

टमाटर के रस में मुलतानी मिट्टी और धुली उरद दाल का पाउडर मिला कर चेहरे पर 20 मिनट तक लगाएं. इस से न केवल रंग साफ होगा वरन बालों का रंग हलका होने के साथसाथ मुंहासों के दाग भी हलके हो जाएंगे. चेहरे पर गरम पानी का प्रयोग न करें.

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मैं 16 वर्षीय लड़की हूं. मैं चेहरे पर हो रहे मुंहासों से बहुत परेशान हूं. उन से छुटकारा पाने का कोई उपाय बताएं?

इस आयु में हारमोनल बदलाव के कारण मुंहासे अधिक होते हैं. इस के अलावा धूल, प्रदूषण, धूप, तलेभुने व मिर्चमसाले वाले भोजन से भी मुंहासे होते हैं. पानी अधिक से अधिक पीएं. फलों व जूस का सेवन करें. चेहरा धोने के लिए ऐंटीपिंपल फेसवाश का प्रयोग करें. सौंदर्य प्रसाधन औयल फ्री ही प्रयोग करें. चेहरे पर चंदन और मुलतानी मिट्टी के पैक का प्रयोग करें.

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मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मैं अपने चेहरे की स्किनटोन को ले कर बहुत परेशान हूं. चेहरे की त्वचा कहीं डार्क तो कहीं लाइट है. कृपया बताएं कि क्या करूं जिस से चेहरे की त्वचा एकजैसी हो जाए?

चेहरे की असमान स्किनटोन को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता. हां, गहरी रंगत वाले स्थान को थोड़ा हलका अवश्य किया जा सकता है. इस के लिए वहां पर टमाटर के रस में मुलतानी मिट्टी व धुली उरद की दाल का पाउडर मिला कर पेस्ट बना कर लगाएं. सूखने के बाद धो लें. जरूर फर्क आएगा. इस के अलावा मेकअप के तौर पर डार्क टोन पर डार्क बेस का प्रयोग करने के बाद फिर लाइटनर टोन का प्रयोग करें. लाइटर टोन पर लाइटर बेस का प्रयोग करें व अच्छी तरह मर्ज करें.

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मेरा रंग सांवला है. यह देखने में बहुत खराब लगता है. इस में निखार लाने के लिए कोई घरेलू उपाय बताएं?

मिल्क पाउडर में शहद व दही मिला कर पेस्ट बनाएं व चेहरे पर लगाएं. सूखने पर धो लें. इस से रंग तो साफ होगा ही, चेहरे पर ग्लो भी आएगा.

– समस्याओं के समाधान ब्यूटी ऐक्सपर्ट परमजीत सोही द्वारा प्राप्त किए गए हैं.

आमार बांग्ला प्रेम

हिंदी फिल्मों को बायबाय कह चुकीं सुष्मिता अब एक बांग्ला फिल्म ‘निर्वाक’ कर रही हैं. यह सुष की पहली बांग्ला फिल्म है. इस से पहले वे तमिल फिल्मों में हाथ आजमा चुकी हैं. सुष कहती हैं कि वैसे तो मैं ने इस से पहले कभी बांग्ला फिल्म नहीं की, पर बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री के बारे में बराबर खोजखबर लेती रही हूं. इस फिल्म के डायरैक्टर सुनील मुखर्जी मेरे प्रिय डायरैक्टर हैं. अब आप यह पूछ सकते हैं कि बांग्ला फिल्म में काम करने में मैं ने इतनी देरी क्यों की? तो मेरा कहना यही है कि सच कहूं तो बांग्लाभाषी होने की वजह से मैं बांग्ला फिल्मों के प्रति एक अतिरिक्त जिम्मेदारी महसूस करती हूं, इसलिए मैं ने बांग्ला फिल्म करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. मैं इस भाषा में एक ऐसी फिल्म से शुरुआत करना चाहती थी, जो दर्शकों के मन में एक गहरी छाप छोड़े. इस फिल्म में काम करने से मैं इस बात को ले कर निश्चिंत हूं.

मैचो मैन का जलवा

आशुतोष गोवरिकर की फिल्म ‘मोहनजोदड़ो’ में रितिक न्यूकमर पूजा हेगड़े के साथ नजर आएंगे. कबीर बेदी इस में खलनायक का किरदार निभा रहे हैं. अभी हाल ही में भुज (गुजरात) में इस फिल्म की शूटिंग शुरू भी हो गई है. पिछले दिनों मुंबई पुलिस के ‘उमंग 2015, शो में बापबेटे यानी रितिक और राकेश रोशन की अच्छी कैमिस्ट्री देखने को मिली. शो के दौरान ही रितिक ने अपने पिता राकेश रोशन का जन्मदिन मनाया, तो स्टेज पर ही केक काट कर दोनों ने साथ में ठुमके भी लगाए.

आभूषणों का जुड़ाव सौंदर्य से है परंपराओं से नहीं

प्राचीनकाल में पत्थरों, सीपियों, हाथीदांत, तांबे व अन्य धातुओं से बने भारीभरकम आभूषणों को महिलाएं पहनती थीं. लेकिन आज भी आभूषणों पर रूढिवादी परंपराओं और अंधविश्वासों की मुहर लगी है. आजकल ऐडवर्टाइजिंग, मौडलिंग, ऐक्टिंग जैसे कैरियर में शृंगार व आभूषणों को प्राथमिकता दी जाती है. वैसे भी आज की हर नारी खूबसूरत व स्मार्ट दिखना चाहती है. उसे और आकर्षक बनाने के लिए शृंगार व आभूषणों की खास जरूरत पड़ती है. उसे मांगटीका, नथ, झुमके, मंगलसूत्र, बाजूबंद, कमरबंद, चूडि़यां, कंगन, पायल यानी माथे से ले कर पैरों तक आभूषण इसलिए पहनाए जाते हैं ताकि वह और आकर्षक लगे.

आभूषणों को खासकर सुहागचिह्नों को निरर्थक अंधविश्वासों और झूठी मान्यताओं से जोड़ दिया गया है. यदि कोई स्त्री शृंगार करती है, आभूषण पहनती है, तो सिर्फ अपने रूपसौंदर्य को और आकर्षक बनाने के लिए. आभूषण नारी की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के बीच प्यार के अटूट रिश्ते को मजबूत बनाने में आभूषण अहम भूमिका निभाते हैं. किसी महिला की आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तीजत्योहारों पर रूढिवादी परंपराओं व कुरीतियों को निभाने के लिए उस के पास आभूषण न हों,? तो वह क्या करेगी? रूढिवादी परंपराओं को निभाने के लिए कहां से लाएगी आभूषण?

आभूषण सिर्फ और सिर्फ नारी के सौंदर्य का ही अटूट हिस्सा हैं. परंपराओं व झूठी मान्यताओं से इन का दूरदूर तक कोई सरोकार नहीं है. हम ने इस विषय में समाज की कुछ खास महिलाओं से मुलाकात कर उन के विचार जाने. शबाना सिद्दीकी डीएवी स्कूल में काउंसलर हैं और समाज सुधार के लिए प्रयासरत हैं. आइए, जानते हैं उन के विचार:

सवाल: भारतीय महिलाओं का शृंगार व आभूषण किन बातों से जुड़े हैं? उन के सौंदर्य से या पुरातनपंथी ढकोसलों से?

शबाना: कहीं न कहीं यहां दोनों ही बातें लागू होती हैं. जहां महिलाएं आभूषण पहन कर खूबसूरत दिखना चाहती हैं, आकर्षक दिखना चाहती हैं, वहीं कुछ पारंपरिक नियम व रीतिरिवाज भी उन के लिए अनिवार्य हो जाते हैं.

सवाल: आज भी कई परिवारों में बहुओं को मौकेबेमौके मजबूरन रूढिवादी परंपराओं का बोझ उठाना ही पड़ता है. इस से उन के दिलोदिमाग पर क्या असर पड़ता है?

शबाना: परिवार व समाज में 90% महिलाएं जागरूक होते हुए भी इन बुराइयों के खिलाफ आवाज नहीं उठा पातीं, लेकिन इन सब के प्रति दिमाग में थोड़ी तो खिलाफत हो ही जाती है. उदाहरण के तौर पर यदि परिवार की बहू शारीरिक रूप से कमजोर या बीमार है, तब भी वह रोजे रखेगी, सुहाग के लिए व्रत रखेगी. वैसे भी महिलाओं में सब कुछ सहने की क्षमता होती है.

सवाल: समाजसुधार के लिए महिलाओं के दिमाग से दकियानूसी विचारों, अंधविश्वासों को दूर करना जरूरी है?

शबाना: हां, बिलकुल. समाज में काफी बदलाव आए हैं, लेकिन परंपराओं को ले कर वह अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है. इस के लिए महिलाओं के विचारों में भी यह बदलाव लाना बहुत जरूरी है कि आभूषण सिर्फ सौंदर्य से जुड़े हैं.

डा. शालिनी खत्री स्त्रीरोग विशेषज्ञा हैं. आभूषण को ले कर आज की जागरूक महिलाएं क्या सोचती हैं, इस बारे में जानिए डा. शालिनी के विचार:

सवाल: क्या भारतीय महिलाओं के आभूषण उन के सौंदर्य में चार चांद लगाते हैं?

शालिनी खत्री: आभूषणों से ही नहीं, बल्कि आज की महिलाओं का हर दृष्टिकोण से जागरूक होना व आकर्षक दिखना जरूरी है.

सवाल: अंधविश्वासों व रूढिवादी परंपराओं को ले कर आज की जागरूक महिलाओं की सोच में क्या परिवर्तन आया है?

शालिनी खत्री: महिलाओं की सोच बदल रही है, मगर पूरी तरह बदलाव लाने में अभी टाइम लगेगा, क्योंकि शिक्षित व जागरूक महिलाएं भी सामाजिक बुराइयों का खुल कर विरोध नहीं कर पातीं.

सवाल: महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उन के सौंदर्य पर क्या असर पड़ता है?

शालिनी खत्री: जब किसी महिला का स्वास्थ्य ही ठीक नहीं रहेगा, वह अंदरूनी कष्ट से पीडि़त रहेगी तो उस की सजनेसंवरने, आभूषण पहनने में कोई दिलचस्पी नहीं रहेगी. हां, अपने शृंगार को पूरा करने के लिए थोड़ी ज्वैलरी जरूरी हो जाती है.

संदीप गुप्ता वाराणसी की मशहूर फर्म पन्नालाल सर्राफ के मालिक हैं. पेश हैं, उन से की गई बातचीत के खास अंश:

सवाल: आज महिलाएं पुराने जमाने के पारंपरिक आभूषण खरीदना पसंद करती हैं या फिर आधुनिक फैशन के हिसाब से लेती हैं?

संदीप गुप्ता: आभूषणों की पुरानी डिजाइनों का नवीनीकरण हो रहा है. नाम वही है, बस उन की डिजाइन व क्वालिटी में बदलाव हुआ है. अब महिलाएं पुराने आभूषणों को तुड़वा कर नई डिजाइनों में बनवाना ज्यादा पसंद कर रही हैं.

सवाल: यदि आप के परिवार में आप की पत्नी, आप की बहनें कुरीतियों को न मान कर आभूषणों को सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए इस्तेमाल करती हैं, तो क्या आप को बुरा लगेगा?

संदीप गुप्ता: बिलकुल नहीं. यदि रीतिरिवाज गलत हैं, तनमन को कष्ट देने वाले हैं तो हम उन्हें नहीं मानेंगे.

रंगिता अपने परिवार की बड़ी बहू हैं. आभूषण को ले कर क्या कहती हैं रंगिता:

सवाल: आप किसी शादी अथवा पार्टी के अवसर पर जब मेकअप करती हैं, आभूषण पहनती हैं तो क्या सोच कर पहनती हैं? समाज, परिवार के डर से पहनती हैं या अपने रूपसौंदर्य को और आकर्षक बनाने के लिए?

रंगिता: महिलाएं आभूषण अपनी सुंदरता को बढ़ाने के साथसाथ सब की तारीफ पाने के लिए भी पहनती हैं.

सवाल: आप को हलकेफुलके आभूषण पसंद हैं या फिर भारीभरकम अच्छे लगते हैं?

रंगिता: मैं मौके और माहौल को देखते हुए ही आभूषणों का चुनाव करती हूं. वैसे हलके आभूषण ही पसंद करती हूं, जो मेरी सुंदरता भी बढ़ाते हैं और चुभते भी नहीं हैं.

सवाल: यदि मैं यह कहूं कि आभूषण हम महिलाओं के सौंदर्य को और आकर्षक बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं तो क्या आप मेरी बात का समर्थन करेंगी?

रंगिता: हां, मैं भी यही मानती हूं कि ये सुंदरता बढ़ाते हैं. आभूषणों के बिना नारी का शृंगार अधूरा है.

ब्रोकली ऐंड बेसन सब्जी

सामग्री

250 ग्राम ब्रोकली कटी हुई

2 बड़े चम्मच तेल

1/2 छोटा चम्मच जीरा

1/8 छोटा चम्मच हींग

1 बड़ा चम्मच लहसुन कटा हुआ

स्वादानुसार हरीमिर्च कटी हुई

1/2 कप बेसन

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1/4 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

1/2 छोटा चम्मच सूखा अमचूर पाउडर

1/4 छोटा चम्मच गरममसाला

1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/4 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर,

नमक व नीबू का रस स्वादानुसार.

विधि

एक नौनस्टिक कड़ाही में 1 बड़ा चम्मच तेल मध्यम आंच पर गरम करें. फिर इस में जीरा मिलाएं. जब जीरा चटकने लगे तब हींग, लहसुन और हरीमिर्च मिला कर 15 सैकंड भूनें. अब ब्रोकली डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर इसे ढक कर 2-3 मिनट पकाएं. फिर अलग बरतन में बेसन, हलदी पाउडर, जीरा पाउडर, सूखा अमचूर पाउडर, गरममसाला, नमक, धनिया पाउडर और लालमिर्च पाउडर मिलाएं. अब 1 बड़ा चम्मच तेल इस में मिलाएं. फिर ब्रोकली पर बेसन मिश्रण ऊपर से डालें, लेकिन इसे मिक्स न करें. अब ढक कर 5 मिनट पकाएं. फिर आंच से हटा कर नीबू का रस मिलाएं और गरमा गरम चपाती और चावलदाल के साथ सर्व करें.

बेक्ड दूधी कोफ्ता करी

सामग्री

1 कप लौकी कद्दूकस की हुई

1/4 कप गेहूं का आटा

1/4 कप बेसन

1/2 छोटा चम्मच मिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

एक चुटकी सोडा

स्वादानुसार नमक.

गे्रवी के लिए

6 टमाटर

3 सूखी व साबूत लालमिर्च

2 छोटे चम्मच धनिया

2 छोटे चम्मच हरीमिर्च कटी हुई

2 छोटे चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

1/2 छोटा चम्मच चीनी

1/2 छोटा चम्मच मिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/2 छोटा चम्मच कौर्नफ्लोर

2 बड़े चम्मच लो फैट दूध में घुला हुआ

3 छोटे चम्मच तेल

स्वादानुसार नमक.

सजाने के लिए: 2 बड़े चम्मच कटी धनियापत्ती.

विधि

दूधी कोफ्ता बनाने के लिए सभी सामग्री को एक बरतन में अच्छी तरह मिलाएं. फिर इस मिश्रण को बराबर हिस्से में गोल आकार में बनाएं और माइक्रोवेव में हाई स्टीम में 15 मिनट स्टीम दे कर एक तरफ रख दें. ग्रेवी के लिए एक बरतन में पानी भर कर उस में टमाटर मिलाएं. फिर कुछ देर बाद टमाटर को छील कर मिक्सी में डाल कर स्मूद प्यूरी बना कर एक तरफ रख दें. फिर कश्मीरी सूखी मिर्च और धनिया को पीसें और एक तरफ रख दें.

अब एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम करें. इस में हरीमिर्च व अदरकलहसुन पेस्ट को 30 सैकंड धीमी आंच में भूनें. अब पहले से तैयार टमाटर प्यूरी, 3-4 कप पानी, चीनी और नमक को अच्छी तरह से मिलाएं और उबालें. फिर लालमिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और कौर्नफ्लोर मिल्क के मिश्रण को डालें और कुछ मिनट उबालें. करी तैयार हो जाएगी. अब तैयार कोफ्तों को करी में मिला कर 5-10 मिनट पकाएं. फिर गरमगरम धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

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