रिश्तों में दरार

छोटे परदे के हौट कपल्स करण और जेनिफर विंग्नेट के अलग होने की खबर गरम है. फिलहाल इस बात में कितनी सचाई है यह कहना मुश्किल है लेकिन इस राज से परदा उठाने के लिए मीडिया ने करण और जेनिफर से संपर्क करने की कोशिश की. तब दोनों ने ही बात करने या सामने आने से इनकार कर दिया. जहां दोनों मीडिया की नजरों से बचने की कोशिश कर रहे हैं वहीं अचानक जेनिफर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट किया जिस में उन्होंने लिखा कि उन के और करण के बीच सब कुछ ठीक चल रहा है और शादी टूटने जैसी कोई बात नहीं है. लेकिन इन दिनों करण बिपाशा के साथ इश्क फरमा रहे हैं. हाल ही में दोनोें को जुहू में साथ देखा गया.

काश धर्म न होता

साल 2014. बच्चों की हत्याएं, वे भी इतनी बेरहमी से कि सदियों से शायद न हुई हों, खासतौर पर एक ही दिन में खुलेआम, सोचीसमझी साजिश के तहत. हिटलर ने बहुतों को अपने गैस चैंबरों में मरवाया था पर उस ने भी शायद यह वहशीपन नहीं दिखाया था, जो अपने ही धर्म के कट्टर सिरफिरों ने पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में दिखाया. जिस में 135 बच्चे तो मारे गए पर 1,100 में से बाकी बचे बच्चे, जिन्होंने इस कांड को आंखों से देखा होगा, वे सामान्य जीवन जी भी पाएंगे, कह नहीं सकते.

सिर्फ यह दिखाने के लिए धर्म के कट्टर लोगों की बात मानें वरना वे नरसंहार कहीं भी, कैसे भी कर डालेंगे, पाकिस्तानी तालिबानियों ने न केवल पाकिस्तान की जनता और शासकों को चेतावनी दे डाली, उस सेना को भी दे डाली जिस ने उन्हें अरसे से पाला था और प्रशिक्षण दिया था. इन धर्म के कट्टरों को उन मांओं, पिताओं, भाइयों, बहनों पर कोई दया नहीं आई, जिन्हें ये रोता छोड़ गए हैं. अनायास दुर्घटना या प्राकृतिक विपदा के दौरान बहुत से लोग एकसाथ मरते हैं पर इस तरह सोचसमझ कर आतंकवादियों का भारी हथियारों से लैस हो कर स्कूल में खुद पर बम लगाए आत्मघाती बन कर घुसना और फिर चुनचुन कर बच्चों और उन की टीचरों को मार डालना सिर्फ धर्म या सिरफिरा तानाशाह ही कर सकता है. धर्म का नाम ले कर जितना नरसंहार मानव समाज ने देखा है उस का अंश भर भी चोरों, लुटेरों, डाकुओं के हाथों न देखा होगा. यहां तक कि फिल्म ‘शोले’ के गब्बर सिंह जैसे वहशी हैं पर वे भी पूरे गांव के लोगों को नहीं मार डालते.

धर्म का नशा इतना जहरीला होता है कि पेशावर नरसंहार के आतंकवादी मुंबई के हमलावरों की तरह अपने को शहीद मान कर स्कूल में घुसे थे कि जिंदा बाहर न निकलेंगे. जब कोई मरने को तैयार हो जाए तो उसे मारने में हिचक नहीं होती पर जिंदा रहने की कोशिश करना हरेक का प्राकृतिक गुण है और धर्म ही ऐसा है, जो बिना वजह मरने को तैयार कर लेता है. अभी हाल में ही भारत के सिरसा में रामपाल नाम के फरेबी संत को बचाने के लिए हजारों औरतें, बच्चे, आदमी मरने को तैयार होते दिखे थे. धर्म की काली पट्टी इस तरह के आतंकवादियों को उन मदरसों में चढ़ाई जा रही है जहां उन से रातदिन केवल यही कहा जा रहा है कि जीना है तो धर्म के लिए, मरना है तो धर्म के लिए. गीता में कृष्ण ने बारबार धर्म के नाम पर मारने और मरने के लिए उकसाया था और उसी को भारत सरकार राष्ट्रीय पुस्तक बनाना चाहती है. क्या इसलिए कि पेशावर की तरह के आतंकवादियों की फौज तैयार की जा सके?

धर्मयुद्धों के लिए तैयार किए गए सैनिक सदियों से एकदूसरे को मारते रहे हैं और हजारों में मरते रहे हैं. पर जो दर्द इन दरिंदों ने दिया वह दहलाने वाला था, क्योंकि इस तूफान के काले बादल पहले नहीं दिख रहे थे. यह आतंक सुनामी या भूकंप की तरह हुआ और कुछ ही घंटों में सैकड़ों परिवारों को रोताबिलखता छोड़ गया. इस का क्या उपाय है, आज दिख नहीं रहा. आज पूरे विश्व में धार्मिक कट्टरपन फिर से सिर उठा रहा है और अब यह इंटरनैट, सैटेलाइट फोन, मोबाइल व रिमोट विस्फोटकों का इस्तेमाल करने लगा है. अब योजना बनानी आसान होने लगी है. धर्मगुरु और उन के चेले सरकार और सेना पर भारी पड़ने लगे हैं, क्योंकि जो बच्चे मरे हैं, उन की मांओं जैसी करोड़ों औरतें और उन के पिताओं जैसे करोड़ों पुरुष धर्म के नाम पर अरबों नहीं खरबों रुपया अपनी जेब से निकाल कर आतंक फैलाने वाले धर्म को खुशीखुशी दे रहे हैं.

इस हमले को कानून व्यवस्था की कमजोरी समझने की भूल न करें. जब तक कट्टरपंथियों के कारखाने खुले हैं तब तक भोपाल गैस कांड जैसी गैसें बनती रहेंगी. मंदिर, आश्रम, मसजिदें, मदरसे, चर्च, कौन्वैंट इस तरह के आतंकवादियों की खेप तैयार करते रहेंगे. हर पैस्टीसाइड बनाने वाली कंपनी की गैस नहीं रिसती, हर परमाणु बिजलीघर से रेडिएशन नहीं निकलता. पर जब संहारक चीज का उत्पादन हो रहा है तो कहीं भी कभी भी उसे साजिश की तरह इस्तेमाल किया ही जा सकता है. इस तरह बच्चों को कसाईखाने में मारने की तरह न मारा जाए उस के लिए जरूरी है कि धर्म के कसाई पैदा ही न हों. क्या दुनिया इन जहर के पौधों को जड़ से निकालने के लिए तैयार है? क्या धर्म का साम्राज्य, जहां कट्टरपन को पनाह दी जाती है, नष्ट हो सकता है?

वेडिंग इंश्योरेंस है न…

दीपाली के घर से विवाह की सजावट भी नहीं उतरी थी कि पूरे घर को एक सन्नाटे ने घेर लिया दीपाली की शादी में लाखों रुपए खर्च कर चुके उस के पापा अस्पताल पहुंच चुके थे. दरअसल हुआ यह कि दीपाली की शादी में स्टेज पर शौट सर्किट की वजह से आग लग गई और दीपाली के पापा की जिंदगी भर की मेहनत की कमाई राख हो गई.

यह देख कर दीपाली के पापा को हार्ट अटैक हो गया, विवाहस्थल पर हुए नुकसान, साथसाथ दवाओं व आपरेशन का खर्च उठा पाना अब उन के लिए मुश्किल हो चला था. जिंदगी में ऐसे कई लमहे आ जाते हैं, जिन के बारे में लोग सोचना भी नहीं चाहते हैं और फिर शादीब्याह तो ऐसे मौके हैं, जो बेहद यादगार पलों में शुमार होेते हैं. सभी चाहते हैं कि जब भी वे उन लमहों को याद करें, तो चेहरे पर आंसू की बूंदें होने के बजाय मुसकराहट हो.

आप के जीवन के ये यादगार खुशी के पल दुखद न हों, इसलिए वेडिंग इंश्योरेंस अवश्य कराएं. ज्यादातर लोग यह सोच कर इंश्योरेंस नहीं कराते कि इंश्योरेंस बेहद महंगा होगा, लेकिन आप को यह जान कर हैरानी होगी कि इस का प्रीमियम तकरीब 3,770 रुपए से 14,076 रुपए तक होता है. जहां 5 लाख रुपए के इंश्योरेंस के लिए करीब 0.50 से 3.05 फीसदी प्रीमियम देना पड़ता है, वहीं 2 लाख रुपए के इंश्योरेंस के लिए करीब 3,770 रुपए का प्रीमियम देना होता है.

आज बाजार में कई कंपनियां आप की मदद के लिए खड़ी हैं. बस, जरूरत है यह जानने की कि आप अपने विवाह आयोजन का इंश्योरेंस कैसे कराएं और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखें.

कवर वेडिंग इंश्योरेंस

वेडिंग इंश्योरेंस में आप को उन छोटी चीजों का भी कवर दिया जाता है, जिन के बारे में शायद आप सोचते भी नहीं होंगे. इंश्योरेंस में कैटरिंग, पंडितपुरोहित, ब्यूटीशियन, कुक, डाक्टर, मैरिज हाल, फोटोग्राफी, म्यूजिक पार्टी वगैरह पर भी कवर मिलता है.बुरे वक्त की सोच कर चलें, अगर आप के विवाह समारोह में कुछ बुरा घट जाता है, मसलन किसी सदस्य की अचानक तबीयत खराब होना, पंडित का समय पर न पहुंचना, खाने में किसी तरह की परेशानी होना या किसी प्राकृतिक आपदा के चलते कोई समस्या उत्पन्न होना, आप की पौलिसी में जोजो कवर होंगे क्लेम करने पर आप को भुगतान कर दिया जाएगा.

इन परेशानियों से तो आप फिर भी अपने स्तर पर निबट सकते हैं. लेकिन किन्ही कारणों से अगर विवाह को स्थगित करना पड़े, तो भी बेकार बहने वाला पैसा आप के लिए आर्थिक समस्या खड़ी कर सकता है. ऐसे में अगर आप ने विवाह समारोह का इंश्योरेंस कराया हुआ है, तो आप विवाह स्थगित होने पर क्लेम कर सकते हैं. ऐसे में कंपनी आप के नुकसान का भुगतान करती है. लेकिन विवाह स्थगित क्लेम विवाह की तिथि से 3 दिन पहले तक की अवधि में स्थगित होने पर ही किया जा सकता है.

सामान्यत: आग लगने या किसी प्राकृतिक आपदा, किसी सगेसंबंधी की अकस्मात मौत या दुर्घटना या अथवा दूल्हे या दुलहन की दुर्घटना वगैरह कारणों से विवाह स्थगित होने पर ही आप क्लेम कर सकते हैं. वेडिंग इंश्योरेंस से आप को जहां इन बड़ीबड़ी समस्याओं से राहत मिलती है, वहीं यह दूल्हे व दुलहन की डे्रस को भी कवर करता है, मतलब अगर ऐन वक्त पर दूल्हे या दुलहन की वेडिंग डे्रस में कोई परेशानी होती है, तो भी आप की मदद के लिए इंश्योरेंस है न.

वेडिंग इंश्योरेंस कवर नहीं करता

लगभग विवाह के दौरान होने वाली हर समस्या से बचा लेने वाली वेडिंग पौलिसी में कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जो कवर नहीं की जातीं जैसे विवाह टूटने की वजह अगर परिवार की आपसी अनबन, दूल्हा या दुलहन में से किसी एक का शादी से इनकार करना या विवाह स्थल से उठ कर चले जाने पर इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम नहीं किया जा सकता. इस के अलावा किसी तरह के आपराधिक मामले, दुर्व्यवहार, क्लेम के इरादे से की गई लापरवाही या स्वयं को दीवालिया घोषित करने पर क्लेम मान्य नहीं होगा.

बाजार में मौजूद इंश्योरेंस कंपनियां

आज आम आदमी की जरूरत को देखते हुए बाजार में कई बीमा कंपनियां वेडिंग इंश्योरेंस करा रही हैं. नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी, युनाइटिड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी आदि ऐसी कंपनियां हैं, जो वेडिंग इंश्योरेंस देती हैं. बजाज आलियांज और आईसीआईसीआई भी पिछले कुछ समय से वेडिंग इश्योरेंस पालिसी दे रही हैं.

ऐसे करें क्लेम

क्लेम के लिए आप को यह साबित करना होगा कि जिस घटना के लिए आप क्लेम कर रहे हैं वह आप के साथ घटित हुई है. इसी के साथ आप को अपने नुकसान का ब्योरा व इस के साक्ष्य के तौर पर सभी कागजात व बिल भी कंपनी को देने होते हैं.

क्लेम करना कौस्ट इफेक्टिव और बेहद आसान है, जिस से आप विवाह समारोह को बिना किसी डर के सुकून से एंज्वाय करते हुए संपन्न करा सकते हैं. क्लेम करने के लिए अपने इंश्योरर से बात करें. क्लेम के दौरान आप को एक फार्म भरने के लिए दिया जाएगा, जिस में आप को अपने इंश्योरेंस के पूरे ब्योरे के

साथ ही क्लेम का मोड भी बताना पड़ेगा. आप चाहें तो औनलाइन क्लेम भी कर सकते हैं. एक बार आप का क्लेम स्वीकार होने पर आप के पास आप की निर्धारित राशि पहुंचा दी जाएगी.

कुछ खास बातें

विवाह समारोह के दौरान ज्यादा कांटै्रक्ट न करें, क्योंकि जितने कांट्रैक्ट होंगे आप को प्रीमियम उतना ही ज्यादा देना पड़ेगा, इसलिए ध्यान रखें कि कांट्रक्टों की संख्या ज्यादा न हो.

रीदारी करते समय कुछ पैसे बचाने के  चक्कर में बिल लेने से परहेज न करें, क्योंकि क्लेम के समय आप को उन्हीं चीजों पर भुगतान किया जाता है, जिन का आप बिल देते हैं.

परिवार के सभी सदस्यों को भी इस बात से सूचित कर दें कि वे कोई भी सामान खरीदते समय उस का बिल जरूर ले लें.

क्लेम करने के लिए जाएं, तो अपने साथ हर जरूरी कागज ले जाएं. इन कागजातों में सभी सर्टिफिकेट, किए गए खर्च के बिल वगैरह दें.

ध्यान रहे, जब तक मांगे न जाएं ओरिजनल बिल व सर्टिफिकेट इंश्योरेंस कंपनी को न दें. इन की फोटोस्टेट ही फार्म के साथ लगाएं.

क्लेम के समय सभी चीजों का पूरा ब्योरा दें. अगर प्रौपर्टी डैमेज का क्लेम कर रहे हैं, तो सजावट में लगा खर्च, विवाह स्थल पर लगाए गए सेट, उन के लिए हायर किए गए डेकोरेटरों का खर्च या बुकिंग खर्च को भी सूची में लिखें.            

ई-बुक्स

पिछले 30 सालों में सूचना क्रांति की लहर दौड़ी है. पत्रपत्रिकाएं घरघर पहुंच गई हैं. कंप्यूटरों, मोबाइलों, टेलीविजनों ने हल्ला बोल दिया है. अगले 30 सालों में क्या होगा, इस का अंदाजा लगाना भी आसान नहीं है, क्योंकि आज भी लोगों के हाथों में किताब, डायरी, पेन नजर नहीं आते. उन की जगह ले ली है मोबाइल, आईपौड और लैपटौप ने. बाहर ही नहीं, जगह बचाने के चक्कर में घर में भी लोग अब बुकरैक या बुकशेल्फ नहीं रखना चाहते. बुकशेल्फ की जगह कंप्यूटर ने ले ली है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे हाथ से किताब, डायरी और पेन का रिश्ता किस्सेकहानियों तक ही सीमित रह जाएगा.

पाठकों की बात तो एक तरफ, नई पीढ़ी के लेखक भी कंप्यूटर पर किताबें लिखने लगे हैं. अधिकतर लेखक इस बात को मानते हैं कि कंप्यूटर पर किताब लिखना अधिक आसान एवं सुविधाजनक है, क्योंकि उसे संपादित करना आसान होता है. किसी भी रचना को लिखने के बाद सजानासंवारना होता है यानी संपादित करना होता है. काटछांट की इस प्रक्रिया में हस्तलिखित पांडुलिपि खराब हो जाती थी. कंप्यूटर पर किताब पढ़ना नई पीढ़ी का शगल है ही, अब बहुत से बुजुर्ग एवं मध्य आयुवर्ग के लोग भी ई-बुक्स के साथ जुड़ते जा रहे हैं. जब भी आप को किसी साहित्यिक या अन्य किसी भी प्रकार की किताब की जरूरत महसूस हो तो उसे देखनेपरखने और खरीदने के लिए दुकानों पर भटकने की जरूरत नहीं है. आज अंगरेजी की अधिकतर किताबें इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. आप इन्हें डाउनलोड कर अपने पास सेव कर सकते हैं और जब भी समय मिले, पढ़ सकते हैं. 

इंटरनेट के माध्यम से तुरंत पता लग जाता है, किताबों के बाजार में कब, क्या नया घटित हो रहा है. किसी भी किताब के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए अब आप को अखबारों और पत्रिकाओं में पुस्तक समीक्षा नामक कालम खंगालने की भी जरूरत नहीं है. किसी भी पुस्तक की समीक्षा के चुनिंदा अंश भी आप को नेट पर पढ़ने को मिल जाते हैं. इतना ही नहीं, आप पूरी पुस्तक भी डाउनलोड कर सकते हैं और अगर आप छपी हुई पुस्तक को पढ़ कर ही उस का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो पुस्तक के कुछ चुनिंदा अंश पढ़ कर उसे घर पर मंगवा सकते हैं. कुछ प्रकाशकों की अपनी वेबसाइटें भी हैं, जिन पर वे अपनी पुस्तकों को क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बेच रहे हैं.

जी हां, औनलाइन किताबें खरीदना बहुत ही आसान है. इस के लिए आप को दुकान में जाने की जरूरत नहीं है. आप जो किताब खरीदना चाहती हैं, उस का चयन कीजिए और ‘ऐड टू कार्ट’ पर क्लिक कर के अपनी शौपिंग कार्ट में रख लीजिए. इन पुस्तकों का भुगतान आप क्रेडिट कार्ड से भी कर सकती हैं या फिर वी.पी.पी. से घर मंगवा कर उसी समय भुगतान कर सकती हैं. हर पुस्तक नेट पर मुफ्त उपलब्ध नहीं है. विदेशी प्रकाशकों की ई पुस्तकें इंटरनेट पर उपलब्ध तो हैं लेकिन इन्हें डाउनलोड करने के लिए आप को कुछ शुल्क अदा करना होता है. यह शुल्क क्रेडिट कार्ड द्वारा अदा किया जा सकता है. अगर आप की किताबों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने में दिलचस्पी है तो आप कुछ ई-बुक्स साइट्स पर ई मेल अलर्ट के लिए अपना नाम रजिस्टर कर सकती हैं. इस तरह से जब भी कोई नई किताब रिलीज होती है तो उस की सूचना ई मेल के माध्यम से आप के पास तुरंत पहुंच जाएगी. साइटों पर जा कर आप अपनी मनपसंद किताब को डाउनलोड कर सकती हैं या फिर खरीद सकती हैं.

पुस्तक को डाउनलोड करते समय ध्यान रखें कि आप उसे पी.डी.एफ. फोरमेट में डाउनलोड करें ताकि पढ़ते समय फोंट आदि की समस्या से न जूझना पड़े. ई-बुक्स साइट्स पर आप को किताब के लेखक, प्रकाशक के साथसाथ किताब के बारे में विस्तृत जानकारी जैसे, पुस्तक के कुछ चुनिंदा अंश व पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित समीक्षाएं आदि भी मिल जाएंगी. वेब पर बहुत सी साइट्स ऐसी हैं, जहां आप को फ्री ई-बुक्स डाउनलोड की सुविधा उपलब्ध है.

अंगरेजी ई-बुक्स की परंपरा तो बहुत पुरानी है. अब हिंदी में भी ई-बुक्स और अन्य पठनीय सामग्री कई वेबसाइटों पर उपलब्ध है. इसी तरह की एक वेबसाइट है.

यह हिंदी की प्रसिद्ध रचनाओं की साइट है. इस साइट पर आप को अपनी मनपसंद पठनीय सामग्री मिल जाएगी. इस साइट पर प्रेमचंद जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों की कहानियां और कुछ प्रसिद्ध विदेशी लेखकों की कहानियों का हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध है. इन्हें आप अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर पढ़ सकती हैं. इस के अतिरिक्त कुछ किताबें जैसे बंकिमचंद्र चटर्जी का ‘आनंदमठ’, रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’, प्रेमचंद का ‘गोदान’, हरिवंशराय बच्चन की ‘मधुशाला’ जैसी पुस्तकें भी फ्री डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं. हिंदी में औनलाइन बुक्स, यानी ई-बुक्स पर तेजी से काम चल रहा है. बहुत सी साइट्स अभी निर्माणाधीन हैं. अगले सालों में तो बहुत अंतर आएगा और हर घर का नक्शा बदल सकता है. जीवनशैली में भी परिवर्तन आ सकते हैं.

ई-बुक्स के फायदे

 ई-बुक्स आप के कंप्यूटर पर ही सेव हो जाती हैं, अतिरिक्त स्थान नहीं घेरतीं.

आप अपने कंप्यूटर पर एक नहीं, असंख्य पुस्तकें डाउनलोड कर रख सकते हैं.

अगर आप कुछ दिनों के लिए घर से बाहर ऐसी जगह जा रही हैं जहां कंप्यूटर तो है लेकिन इंटरनेट नहीं, तो आप पेनड्राइव या सी.डी. में बहुत सी किताबें अपने साथ ले जा सकती हैं.

बादशाह खान की नई हीरोइन

सरहद पर भले ही भारतपाकिस्तान के रिश्तों में हमेशा तनाव रहता हो पर पाकिस्तानी कला, संगीत और वहां के कलाकारों को हमेशा भारत में पाकिस्तान से ज्यादा प्यार और सम्मान मिला. तभी तो सलमा आगा से ले कर नरगिस फाखरी तक तमाम ऐक्ट्रैसों ने बौलीवुड में काम करने में हमेशा दिलचस्पी दिखाई. अब इस लिस्ट में एक नया नाम माहिरा खान का जुड़ने वाला है. राहुल ढोलकिया द्वारा निर्देशित और फरहान अख्तर द्वारा सहनिर्देशित फिल्म ‘रईस’ में माहिरा बौलीवुड किंग शाहरुख खान की पत्नी की भूमिका में नजर आएंगी. माहिरा पिछले दिनों जिंदगी चैनल पर प्रसारित हुए पाकिस्तानी धारावाहिक ‘हमसफर’ से भारतीयों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रही हैं. इस में माहिरा के साथ फवाद खान ने भी काम किया था.

होम लोन लेना आसान है

आवास संबंधी ऋणों को होमलोन, हाउसिंग लोन, हाउसिंग फाइनेंस जैसे नामों से जाना जाता है. कुछ बैंक अपने होमलोन प्रोडक्ट्स के कुछ खास नाम रख देते हैं. आप अपनी आवश्यकता के अनुरूप कोई योजना चुन सकते हैं. प्लाट खरीदने, घर का निर्माण करने, फ्लैट खरीदने, घर का विस्तार या नवीनीकरण करने जैसी सभी जरूरतों के लिए हर बैंक की अपनीअपनी स्कीमें हैं. ऋण देते समय वित्तीय संस्थान मुख्यत 2 बातों पर ध्यान देते हैं. होमलोन की स्थिति में ऋणदाता के लिए यह देखना आवश्यक है कि लोन लेने वाला उसे चुकाने योग्य स्थिति में भी है या नहीं. इस के अलावा यह भी देखा जाता है कि उस संपत्ति की कीमत सही दर्शाई गई है एवं ऋण अदायगी में किसी तरह की चूक होने की दृष्टि में उस संपत्ति से ऋण की भरपाई संभव हो सकेगी.

ऋण की राशि तय करते समय संपत्ति की कीमत में मकान का रजिस्टे्रशन, स्टांप ड्यूटी आदि व्यय भी जोड़े जाते हैं. बैंक या वित्तीय संस्थान इस राशि का 75 से 85% तक ऋण दे सकते हैं. शेष 15 से 25% राशि की व्यवस्था ऋण लेने वाले व्यक्ति को निजी साधनों से करनी होती है. यदि पहले केवल प्लाट खरीदना हो तो ऋण की मात्रा का 30% तक भुगतान किया जाता है. शेष राशि निर्माण के विभिन्न स्तरों पर दी जाती है. होमलोन लेते समय आप को यह भी देखना है कि आप कितनी अवधि में ऋण चुका सकते हैं. उतनी अवधि तक आप को प्रतिमाह एक निश्चित राशि किस्त के रूप में अदा करनी होगी. यह अवधि 5 वर्ष से 20 वर्ष तक हो सकती है.

होमलोन लेने की प्रक्रिया आज कोई जटिल नहीं रही. क्योंकि इस के लिए की जाने वाली औपचारिकताओं की पूरी जानकारी अब आवेदन से पूर्व मिल जाती है. हालांकि ऋण देने वाले संस्थानों की शर्तों, नियमों तथा ब्याज दरों में अंतर जरूर होता है. इन की तुलना कर के ही आप यह तय कर सकते हैं कि आप को ऋण कहां से लेना है. आप उन दस्तावेजों की सूची भी प्राप्त कर सकते हैं, जो आप को ऋण का आवेदन करते समय एवं ऋण प्राप्त करते समय जमा कराने होंगे. इन की जांच समय पर कर के बैंक के लिए ऋण स्वीकृत करना सरल हो जाता है.

ऋण की शर्तों में ब्याज के अतिरिक्त कुछ शुल्क भी शामिल होते हैं. जैसे प्रक्रिया शुल्क, प्रशासनिक व्यय, कानूनी शुल्क, मूल्यांकन शुल्क आदि. इन के विषय में भी पहले ही जान लेना चाहिए. ताकि बाद में ऋणदाता मनमाने शुल्क न जोड़ सके. बैंक आदि ऋण से ली गई संपत्ति को सुरक्षा की दृष्टि से बंधक रखते हैं. साथ ही गारंटर की आवश्यकता भी होती है. इस संदर्भ में क्याक्या नियम हैं. यह भी जान लेना चाहिए. कई बार कोलेट्रल सिक्योरिटी साथ होने पर गारंटर की जरूरत नहीं होती. ध्यान रहे, होमलोन ‘पावर औफ एटार्नी’ वाली संपत्ति पर नहीं मिलता है.

यदि कोई निजी संस्थान ऐसा करता भी है तो वह ऊंची ब्याज दर वसूल करता है. होम लोन लेते समय उस की ब्याजदर पर भी खास ध्यान देना होता है. ब्याजदर विभिन्न अवधि के लिए भिन्न हो सकती है.

सावधानी जरूरी

आजकल अधिकतर बैंक फिक्स्ड रेट पर ही लोन देते हैं. इस में पूरी अवधि तक उसी दर पर ब्याज लगता है. फ्लोटिंग रेट के मामले में ब्याजदर रिजर्व बैंक द्वारा पीएलआर की घोषणा पर निर्भर करती है तथा इस के घटनेबढ़ने के साथ इस में परिवर्तन आता है. ऋण लेते समय यह भी जानना आवश्यक है कि ब्याज खाते के घटते शेष पर लगाया गया है या हमेशा पूरी राशि पर ब्याज लगता रहेगा. हर वर्ष या प्रति तिमाही या फिर हर माह घटते शेष पर ब्याज लगना ग्राहक के लिए लाभप्रद होता है, जबकि पूरी ऋण राशि पर ब्याज देना बहुत महंगा पड़ता है. सभी राष्ट्रीयकृत बैंक प्राय: घटते शेष पर ब्याज लगाते हैं. कुछ निजी बैंक पूरी ऋण राशि पर ब्याज लगा कर मासिक किस्त तय करते हैं. कुछ बैंक ऋण देते समय ऋण लेने वाले व्यक्ति का बीमा भी कराते हैं.

घर बनाने के बाद होमलोन चुकाने का क्रम शुरू होता है. ऐसे में किसी निर्माणाधीन घर या फ्लैट के लिए ऋण लिया हो तो कुछ बैंक ऋण अदायगी अवकाश भी प्रदान करते हैं. ऐसे में ऋण की अदायगी गृह निर्माण के बाद या 12 से 18 मास बाद शुरू होती है. यह हमेशा ध्यान रखें कि आप के होमलोन की किस्त समय पर दी जा रही है. अन्यथा बैंक पेनल्टी या पेनल ब्याज चार्ज करते हैं. कई बार किसी माध्यम से आप को कोई बड़ी राशि प्राप्त हो और उस की तुरंत कोई आवश्यकता न हो तो उसे होमलोन में जमा कराना अच्छा रहता है. क्योंकि उस से आप को भविष्य में ब्याज कम देना होगा. कुछ बैंक होमलोन के पूर्व भुगतान और समाप्ति पर 1 से 2% तक का शुल्क भी लेते हैं. लेकिन ज्यादातर बैंक उस स्थिति में यह शुल्क लेते हैं जब ऋण किसी नए ऋण की राशि से चुकाया जाता है. होमलोन का एक बड़ा लाभ आयकर में छूट के रूप में होता है. आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार गृह ऋण पर वित्तीय वर्ष में देय ब्याज की राशि कर योग्य आय में से घटाई जा सकती है. इस विषय में वर्तमान नियम देख लेने चाहिए. इसी तरह धारा 88 के अनुसार एक निश्चित सीमा तक मूलधन की वापसी को निवेश के समान मान लिया जाता है.

खाइए मगर सलीके से

आज पार्टी, पिकनिक, रेस्तरां में समूह में खाना खाना आम बात है. हर जगह अलग माहौल होता है. अत: हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए, क्या शिष्टाचार बरतने चाहिए, इस ओर ध्यान देना आवश्यक है. पहले लोग अपने घर पर ही ज्यादातर आयोजन किया करते थे, किंतु आज रेस्तरां या क्लब में पार्टी करना फैशन बन गया है इन अवसरों पर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. पहले अपने से बड़ों व छोटे बच्चों को खाना परोसें. खाने की तारीफ में कुछ जरूर कहें. सभी के खाना खत्म करने तक इंतजार करें. अलगअलग जगह खाते समय हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए, इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. जैसे हम फैशनेबल दिखने के लिए जीवनशैली में बदलाव ला रहे हैं उसी भांति आधुनिक रंगढंग अपना कर शिष्टाचार व आदतों में भी बदलाव लाना आवश्यक है.

सफर के दौरान शिष्टाचार

यदि आप रेल में सफर कर रहे हैं तब भी मानवीय स्वभाववश आप को शिष्टाचार निभाना चाहिए. जैसे कि ट्रेन में खाना ले जाते समय सावधानी बरतें कि अधिक घी, तेलयुक्त भोजन न हो. रसेदार सब्जी की अपेक्षा सूखी सब्जी ले कर जाएं. जाहिर सी बात है कि ट्रेन में आप बरतन तो धोएंगे नहीं, क्योंकि उसी वाशबेसिन में लोग हाथ धोते हैं, कुल्ला करते हैं. इसलिए पेपर प्लेट, पेपर नैपकिंस, कुछ अखबार इत्यादि साथ ले कर चलें. खाने से पहले अखबार को सीट पर बिछा लें. यदि बच्चे साथ हैं तो पहले उन्हें खाना परोस कर दें. सहयात्रियों से भी औपचारिकता वश खाने के लिए जरूर पूछें, पर जहरखुरानियों के कारण दोबारा न पूछें, न किसी से ले कर खाएं. यदि परिवार के सदस्य एक जगह नहीं बैठे हैं तो सहयात्रियों से अनुरोध कर, खाने के समय तक के लिए आसपास बैठें जिस से एकदूसरे को खाना परोसते समय दूसरे यात्रियों को असुविधा न हो.

थोड़ाथोड़ा खाना लें ताकि अतिरिक्त खाना प्लेट से बाहर जमीन पर या सीट पर न गिरे. पानी के गिलास पहले से भर कर न रखें. यदि चाय पी रहे हों तो अपने कप को हाथ में लें. जिस से चाय बिखरने का खतरा न रहे. खाने के बाद एक सदस्य सभी की प्लेटों को एकत्रित कर एकसाथ खिड़की से बाहर न फेंके ताकि खिड़की के पास बैठे व्यक्ति को परेशानी न हो. अखबार से सीट साफ कर अखबार डस्टबिन में फेंकें व पेपरसोप का प्रयोग कर हाथ धो लें.

रेस्तरां में शिष्टाचार

रेस्तरां में खाने के दौरान भी आप को विशेष प्रकार की सावधानी बरतनी होती है कि वहां सेल्फ सर्विस है, बुफे है या आम रेस्तरां की तरह वेटर आप तक आएगा. सेल्फ सर्विस के लिए दीवारों या नोटिस बोर्ड पर ही मेन्यू लगा होता है, जिसे देख कर आप अपनी आवश्यकतानुसार आर्डर दे कर अपना टोकन नंबर आने तक किसी खाली टेबल पर प्रतीक्षा कर सकते हैं  यहां आप को सौस, चटनी, पानी, पेपर नैपकिन, चम्मच, कांटे इत्यादि सभी जरूरत की चीजें स्वयं उठानी होती हैं और खाने के बाद बरतन भी स्वयं ही उठा कर वेस्टबिन (बड़े कंटेनर डस्टबिननुमा) में डालने होते हैं. बुफे है तो आप आम पार्टी की तरह ही वहां भी शिष्टाचार बरत सकते हैं. परंतु यदि आप टेबल पर बैठे हैं तो खाने के इंतजार में कटलरी से  आवाज न करें. मेज पर कोहनियां न टिकाएं. छुरी, कांटा इत्यादि गिर जाएं तो जमीन से न उठा कर दूसरा मंगा लें. दिखावे के लिए छुरीकांटे का प्रयोग न करें जैसे कि चपाती, पूरी, नान आदि हाथ से खाना ही उचित लगता है.

यहां भी आप सभी के खाना समाप्त होने की प्रतीक्षा करें. एकसाथ ही टेबल से उठें. कुछ रेस्तरां में घंटी लगी होती है, जिसे जाते समय बजा कर आप प्रशंसा जाहिर कर सकते हैं.

पार्टी में शिष्टाचार

यदि आप किसी पार्टी में आमंत्रित हैं तो शगुन देने के उपरांत, मेजबान से मिल कर भोजन में शामिल हों. स्नैक्स व भोजन एकसाथ न लें. दूसरों की प्लेटों में न झांकें, न ही बच्चों को टोकें कि फलां चीज क्यों ली? अमुक व्यंजन ज्यादा टेस्टी है, इसे छोड़ो, वह ले आओ इत्यादि. ये बातें फूहड़पन को दर्शाती हैं. क्यूब वाले फ्रूट व स्नैक्स पेपर नैपकिन पर ही सर्व किए जाते हैं. लालच में आ कर नैपकिन को पूरा न भर लें. एक बार में एक प्रकार का ही पेय लें और धीरेधीरे आनंद लेते हुए पीएं. यदि आप अकेले आए हैं तो अपने मित्रों को ढूंढि़ए, जिन के वहां मिलने की उम्मीद हो. परिवार या अन्य रिश्तेदारों के साथ आए हैं तो भोजन भी उन के साथ ही कीजिए.

खाते समय हलकफुलका मजाक या औपचारिक बातें ही शोभा देती हैं. नुक्ताचीनी निकालना या दूसरों के पहनावे व साजशृंगार की बुराइयां करना शोभा नहीं देता अपितु आप के भीतर की कुंठा को उजागर करता है. थोड़ाथोड़ा हर व्यंजन को चखें. सभी को भर कर प्लेट में न उड़ेलें. आप के साथियों ने खत्म न किया हो और आप का भोजन समाप्त हो जाए तो स्वीट डिश खाने के लिए उन सभी का इंतजार करें, जो आप के साथ खा रहे थे. अंत में मित्रों से विदा ले कर मेजबान से विदा लें और प्रशंसा में कुछ वाक्य जरूर कहें.

पिकनिक पर भोजन के समय शिष्टाचार

पिकनिक पर भी खाने के दौरान आप निम्न बातों का ध्यान रखें. सभी के इकट्ठा होने तक इंतजार करें, अकेले ही खाना शुरू न करें. यदि कोई व्यंजन आप की पहुंच से दूर हो तो उस के पास बैठे व्यक्ति को डिश पास करने के लिए कहें, स्वयं हाथ न बढ़ाएं. मुंह बंद कर के खाएं, आवाज न निकालें. यदि दूसरे की प्लेटें से लेना हो तो साफ चम्मच का प्रयोग करें. अपना जूठा चम्मच दूसरे की प्लेट में न डालें. खाने के बाद बरतन समेटने में, सामान पैक करने में, फ्रूट काटने में सभी की मदद करें. खाली बोतलें, पोलिथीन, नैपकिन इत्यादि एक जगह इकट्ठा कर के डस्टबिन में ही फेंकें.

कैंटीन में चाय के दौरान शिष्टाचार

कैंटीन में अकसर लोग पेय पदार्थों के लिए ही आते हैं वहां चायकौफी पीते समय आवाज न निकालें. चुसकियां ले कर पीना असभ्यता का प्रतीक है. चीन में यदि पीते समय मुंह से आवाज निकल जाए तो शुभ माना जाता है. स्नैक्स खा रहे हैं तो उंगलियां गंदी न करें. उत्तर भारतीय शिष्टाचार के मुताबिक उंगलियों के पोर तक ही ग्रेवी लगना उचित है, किंतु दक्षिण भारतीय शिष्टाचार के अनुसार अपने हाथ व उंगलियों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सकते हैं. यह खाने के प्रति सम्मान को दर्शाता है. कैंटीन में ज्यादातर आप के जानने वाले लोग ही होते हैं. यदि आप खा रहे हैं और कोई जानने वाला पास से गुजरता है तो औपचारिकतावश उसे भी खाने के लिए पूछें. यदि कूपन द्वारा खाना या चाय मिलता है और कोई आप से बड़ा है या महिला है तो पहले उन के लिए ले कर आएं. वहां के वेटर भी रोज के मिलने वाले ही होते हैं. उन्हें वेटर कह कर संबोधित न करें, नाम पूछ सकते हैं या कैप्टन कह कर संबोधित करें. यदि बिल लाने को कहना है तो ‘चैक प्लीज’ कह कर बिल मांगें. कुछ क्लबों या कैंटीन में चाय, खाने व ड्रिंक्स का निश्चित समय होता है और 10 मिनट पहले घंटी बज जाती है, इस ओर ध्यान दें अन्यथा बैठे न रहें. कहींकहीं कांच की टेबल होने के बावजूद वहां टेबल मैट्स नहीं होते तो आप अपनी प्लेट के नीचे पेपर नैपकिन रख सकते हैं. ताकि आप की प्लेट आवाज न करे, न ही हिले.

स्पेशल बैंक्वेट में भोजन के शिष्टाचार

ये खास लोगों के सम्मान में आयोजित किए जाने वाले खास मौके के आयोजन होते हैं. इसलिए इस में अतिविशिष्ट सावधानियां बरतें, जैसे कि किसी महारानी के आगमन पर देश की सरकार की ओर से या किसी अफसर की ओर से दिया जाने वाला भोज. यहां जाने से पहले इन के आमंत्रणपत्र को भी भलीभांति पढ़ें. यदि उत्तर मांगा गया है तो उचित उत्तर भी दें जैसे कि आप मांसाहारी हैं या शाकाहारी? आप के जीवनसाथी आप के साथ जा रहे हैं या आप अकेले ही जाएंगे? इत्यादि. कई बार ड्रेस कोड दिया जाता है कि फलां रंग ही पहन कर आएं. इन बातों पर अवश्य ध्यान दें. ये औपचारिक अवसर होते हैं, इसलिए बच्चों को न ले जाएं.

यदि ड्रेस कोड नहीं दिया जा रहा और आप मर्द हैं तो सूट के साथ टाई लगा कर और महिला हैं तो साड़ी पहन कर जा सकते हैं. यहां समय की पाबंदी होती है, इसलिए समय से पहुंचें. खाना लेते समय यदि कोई महिला आप के पीछे है तो पहले उसे प्लेट उठा कर दें. भोजन के उपरांत किसी को कार तक छोड़ने जा रहे हैं और वे महिला हैं तो उन के लिए कार का दरवाजा खोलें. यदि खाने में विभिन्न प्रकार की खाद्य शैलियां हैं तो एक बाद में एक प्रकार का ही भोजन लें जैसे कि चाइनीज के साथ मैक्सिकन मिक्स न करें. यहां प्लेट सिस्टम होता है, इसलिए थोड़ाथोड़ा लें, फिर दोबारा उसी में खाना ले सकते हैं.

चुनौती से नहीं घबरातीं माधुरी

उम्र के 4 दशक पार कर चुकीं माधुरी दीक्षित को अपने काम में आज भी उतना ही मजा आता है जितना कि ढाई दशक पहले आता था. हालांकि दूसरी पारी की उन की फिल्में ‘डेढ़ इश्किया’ और ‘गुलाब गैंग’ फ्लौप रहीं, पर माधुरी इस से निराश नहीं हैं. वे कभी नैगेटिव नहीं सोचतीं. बौलीवुड की डांसिंग दिवा के नाम से जानी जाने वाली माधुरी ने डांस रिऐलिटी शो ‘झलक दिखला जा सत्र 7’ में जज की भूमिका निभाई, जिस में उन का रंग, पहनावा सब कुछ पाश्चात्य था. अपने इस बदले लुक पर माधुरी कहती हैं कि वे मौडर्न पोशाकें भी पहनती हैं, जिन में वे काफी कंफर्टेबल महसूस करती हैं. पहले लोगों ने हमेशा उन्हें भारीभरकम लहंगे और साड़ी में ही देखा है, इसलिए इस बार उन्होंने थोड़ा नया लुक ऐडौप्ट किया है. चेंज वैसे भी हमेशा अच्छा लगता है. लैटिन डांस और कत्थक डांस में समानता पर माधुरी कहती हैं कि लैटिन डांस में फुटवर्क अधिक होता है. यह डांस फौर्म मुझे बहुत पसंद है, क्योंकि इस में शालीनता भी होती है. अपनी खूबसूरती का राज जाहिर करते हुए माधुरी का कहना है कि वे रोज कत्थक की रिहर्सल करती हैं और संतुलित आहार लेती हैं. नौनस्मोकर और नौन ड्रिंकर हैं और हमेशा खुश रहती हैं.

चौकलेट मूज केक

सामग्री

15 मैरी बिस्कुट

1 छोटा चम्मच मक्खन

500 ग्राम चौकलेट

500 ग्राम ताजा क्रीम चौकलेट फ्लैक्स सजाने के लिए.

विधि

बिस्कुट पिघले मक्खन के साथ ग्राइंड करें. पाई गोल्ड में चिकनाई लगा कर मिश्रण डालें और फ्रिज में 15 मिनट सैट होने के लिए रख दें. फिर ओवन में चौकलेट को 1-2 मिनट पिघला कर क्रीम के साथ मिलाएं. अब फ्रिज से पाई मोल्ड को निकाल लें और चौकलेट मिश्रण ऊपर से डाल कर दोबारा फ्रिज में 1 घंटे के लिए रख दें. 1 घंटे बाद फ्रिज से निकाल कर चौकलेट फ्लैक्स से सजा कर सर्व करें.

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