चौकलेट मूज केक

सामग्री

15 मैरी बिस्कुट

1 छोटा चम्मच मक्खन

500 ग्राम चौकलेट

500 ग्राम ताजा क्रीम चौकलेट फ्लैक्स सजाने के लिए.

विधि

बिस्कुट पिघले मक्खन के साथ ग्राइंड करें. पाई गोल्ड में चिकनाई लगा कर मिश्रण डालें और फ्रिज में 15 मिनट सैट होने के लिए रख दें. फिर ओवन में चौकलेट को 1-2 मिनट पिघला कर क्रीम के साथ मिलाएं. अब फ्रिज से पाई मोल्ड को निकाल लें और चौकलेट मिश्रण ऊपर से डाल कर दोबारा फ्रिज में 1 घंटे के लिए रख दें. 1 घंटे बाद फ्रिज से निकाल कर चौकलेट फ्लैक्स से सजा कर सर्व करें.

Donut Bun Hairstyle

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शैंपू ही नहीं देखभाल भी मांगते हैं बाल

खूबसूरत लहराते बाल नारी की सुंदरता को बढ़ाते हैं और बालों की खूबसूरती ही हेयरस्टाइल को जानदार बनाती है. आइए जानें, बालों के रखरखाव उन्हें सुंदर बनाने के लिए क्या करें, क्या न करें?

बालों की खूबसूरती बनी रहे, इस के लिए  है कि उन्हें सप्ताह में कम से कम 2 बार अवश्य धोया जाए.

गंदे और चिपचिपे बालों को हर दूसरे व तीसरे दिन शैंपू करें. इस से उन में जमी धूल के कण साफ हो जाते हैं तो वे चिपचिपे नहीं दिखते.

बालों को धोते समय पानी की कंजूसी नहीं करें. 4-5 बार साफ पानी से धोएं. यदि बालों में शैंपू या कंडीशनर रह जाए तो वह उन्हें हानि पहुंचाता है.

अगर आप स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स, जैल आदि का प्रयोग ज्यादा करती हैं तो बालों की नियमित सफाई जरूरी है. इन प्रोडक्ट्स के अंश बालों में रह जाने से शैंपू व कंडीशनर भी धीरेधीरे बेअसर साबित होते हैं. इस के लिए पहले बालों में पानी डाल कर शैंपू लगाने के बजाय पहले शैंपू लगाएं फिर पानी डालें.

जहां तक संभव हो सके बालों को धूप व हवा में सुखाएं. अगर ड्रायर से बाल सुखाने हों तो निम्न बातों का ध्यान रखें :

बालों को मैक्सिमम हीट पर न सुखाएं. हीट से सिर की त्वचा को नुकसान पहुंचाता है.

जब बाल बहुत गीले हों तो उन्हें ब्लो ड्राई न करें. इस से उन की जड़ों को नुकसान पहुंचता है.

बालों को गरदन से सुखाना शुरू कर माथे से होते हुए कनपटियों के बाल सुखाएं.

ड्रायर को कभी भी एक स्थान पर रोक कर न रखें. हलकेहलके घुमाते हुए बाल सुखाएं. आधे बालों के सूखने के बाद ड्रायर को कूल पर सेट करें.

बालों को खोल कर ही सुखाएं. गीले बालों को बांधें नहीं. बांधने से वे सख्त हो जाते हैं वे स्टाइल बनाते समय उन्हें सेट करने में कठिनाई होती है.

समुचित देखभाल

बालों को साफ रखने के लिए उन में अच्छी तरह कंघी करें. ध्यान रहे, जरूरत से ज्यादा कंघी भी बालों को नुकसान पहुंचाती है. ज्यादा कं घी करने से तेल ग्रंथियां बहुत ज्यादा सक्रिय हो उठती है, जिस से बालों में ‘सीबम’ की मात्रा बढ़ जाती है और वे चिपचिपे से हो जाते हैं. स्वस्थ व सुंदर बालों की सफाई के लिए शैंपू व कंडीशनर बेहद जरूरी है क्योंकि ये बालों पर एक अस्थायी सुरक्षात्मक परत चढ़ा देते हैं. इन में मौजूद केराटिन व सिल्क प्रोटीन बालों को खास चमक प्रदान करते हैं. इस के अलावा बालों में स्थायी चमक व मजबूती के लिए अपने आहार पर खास ध्यान दें. पौष्टिक आहार से बालों की जड़ों को अंदर से पोषण मिलता है जबकि शैंपू व कंडीशनर केवल ऊपरी सतह को ही चमक प्रदान करते हैं. ताजे फल, हरी सब्जियां व प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में लें. बालों में चमक लाने के लिए विटामिन ई युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें व सिर की तेल से मालिश करें.

म्यूचुअल फंड निवेश का बेहतर विकल्प

वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना एक बेहतरीन विकल्प है. नौसिखियों के लिए शेयर बाजार कई बार जोखिम भरा साबित हो जाता है. इसलिए म्यूचुअल फंड से शुरुआत करना और इस में मजबूती से जमे रहना हमेशा समझदारी भरा कदम साबित होता है. आप अगर अनुशासित तरीके से निवेश करेंगे तो म्यूचुअल फंड हर हाल में बैंक के फिक्स डिपोजिट या अन्य माध्यमों से 1.5 गुना तक ज्यादा रिटर्न देगा. आसान शब्दों में कहा जाए तो अगर गलत फैसले हो जाएं तो भविष्य की फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए की गई मेहनत कष्टदायी हो सकती है. दरअसल, निवेशकों का निवेश के जरिए रातोंरात अमीर बनने का सपना ही उन की बरबादी की वजह बनता है.

म्यूचुअल फंड में निवेश करने का फैसला तो निवेशक के ऊपर है, लेकिन सब से जरूरी चीज है म्यूचुअल फंड की नियमित मौनिटरिंग.   यह मौनिटरिंग हफ्तेवार, मासिक या तिमाही हो सकती है. कई बार लोग लंबे समय के निवेश का मतलब यह समझ लेते हैं कि पैसा लगा दो और कई साल बाद उस पर नजर डालो. लेकिन निवेशक ने पैसा लगाया है तो उस की दशादिशा का ध्यान रखना भी निवेशक की ही जिम्मेदारी है. अगर वह खुद न कर पाए तब इनवेस्टमेंट मैनेजर की मदद ली जा सकती है. निवेश से संबंधित कोई भी फैसला करने से पहले यह जानना अहम है कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं. इस बात पर गौर करें कि आप अपने निवेश के मूल्यांकन में उतारचढ़ाव को ले कर सहज रह पाएंगे या नहीं. निवेश में यह बात कोई माने नहीं रखती कि आप का पैसा इक्विटी में लगा हो और लघु अवधि के तेजी से बदलते हालात के चलते आप की रातों की नींद उड़े. लेकिन यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि आप का निवेश लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को भी पूरा करने में मददगार साबित हो. म्यूचुअल फंड में निवेश के कई लाभ हैं.

टैक्स लाभ

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से कर बचाने में भी मदद मिलती है. इस के अलावा कुछ विशेष फंडों में निवेश कर आप धारा 80 सी के तहत कर लाभ ले सकते हैं. लाभांश यानी डिविडेंड का पैसा सीधा निवेशक के हाथ में पहुंचता है, जो करमुक्त होता है.

योजना पर डटे रहें

निवेश करने से पहले इस बात की अच्छी तरह जांचपरख कर लें कि वर्तमान संपत्ति और व्यवसाय पर उस का क्या असर पड़ सकता है. जैसेजैसे वक्त बीतेगा, आप की जिंदगी में बदलाव आता रहेगा. इसलिए आप को नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कर उस में वांछित बदलाव भी करने होंगे. लेकिन कम वक्त की उथलपुथल की वजह से लंबी अवधि की योजना से छेड़छाड़ किया जाना समझदारी नहीं है.

विविधता ही है सही रणनीति

म्यूचुअल फंड में 500 रुपए में ही छोटा निवेशक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो हासिल कर सकता है. निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि पोर्टफोलियो का विविधीकरण (डायवर्सिफिकेशन) उन्हें बाजार में आने वाली मंदी के दौरान बचा सकता है. इसलिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होना जरूरी है. म्यूचुअल फंड मेें निवेश करते वक्त डायवर्सिफिकेशन की रणनीति अपनाई जानी चाहिए. दूसरा, आप को सेक्टरवार निवेश पर सीमा तय करनी चाहिए और लार्जकैप तथा मिडकैप शेयरों में कितना पैसा लगाया जाना है, यह निर्णय लेते वक्त संतुलन कायम करना काफी जरूरी है. अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से शेयरों पर निगाह रखने में नाकाम रहता है, तो उसे ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए, जिस में केवल म्यूचुअल फंड शामिल हों या फिर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का फायदा भी उठाया जा सकता है. इस से निवेशक पूंजी वापस हासिल कर सकता है और मुनाफा ज्यादा रफ्तार से बनाया जा सकता है.

सिस्टेमैटिक प्लान

जानकारों की सलाह है कि इंडेक्स में गिरावट के वक्त सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी में निवेश रोकने की गलती से निवेशकों को जरूर बचना चाहिए. बाजार लुढ़कने के दौरान आप को पोर्टफोलियो के किसी एक शेयर या सेक्टर की ओर झुके होने से जुड़ी गलती में सुधार करना चाहिए और इस दौरान नियमित रूप से निवेश जारी रखना चाहिए. अगर निवेशक लंबी अवधि की रणनीति के तहत डायवर्सिफाइड और व्यवस्थित निवेश का तरीका अपनाते हैं, तो बाजार में गिरावट के बावजूद वे फायदा बटोरने में कामयाब रहेंगे. किसी भी प्रकार के नुकसान से बचने के लिए जरूरत है धैर्य और म्यूचुअल फंड में जोखिम घटाने के रास्तों को जानने की.

म्यूचुअल फंड को आमतौर पर निवेश का सुरक्षित माध्यम बताया जाता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन के प्रबंधन का जिम्मा विशेषज्ञ लोग बड़े ही पेशेवर तरीके से संभालते हैं. लेकिन क्या इस का यह मतलब है कि म्यूचुअल फंड में कतई जोखिम नहीं होता? जी नहीं, ऐसा नहीं है. आइए, इन से जुड़े तरहतरह के खतरों को समझें तथा इन्हें कम करने के तरीकों और रणनीतियों से वाकिफ हों.

फंड का ढीला प्रदर्शन

आमतौर पर निवेशकों को उम्मीद रहती है कि उन की ओर से चुना गया फंड बेंचमार्क के समान रफ्तार दिखाए. हालांकि कई मामलों में फंड बेंचमार्क की गति से भी पिछड़ जाते हैं और निवेशकों की उम्मीदें बिखर जाती हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी फंड बेंचमार्क इंडेक्स को पटखनी देने में कामयाब साबित नहीं होते. यही वजह है कि इंडेक्स से हलका प्रदर्शन करने की संभावना वास्तविक होती है.

बाजार के जोखिम

म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिम से जुड़ा होता है और इस बात की कोई गारंटी या आश्वासन नहीं होता कि फंड का उद्देश्य हासिल हो जाएगा. शेयर, फंड या बांड फंड की कीमत में छोटी अवधि या लंबी मियाद में भी आने वाली गिरावट, बाजार से जुड़े जोखिम का नतीजा होती है. शेयर बाजार चक्रीय गति से चलते हैं. 2 तरह की अवधि सामने आती है. एक वक्त में बाजार में तेज रफ्तार दर्ज की जा सकती है तो दूसरे पल में इस में गिरावट के दर्शन हो सकते हैं. अतीत का बेहतर प्रदर्शन इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकता कि भविष्य में भी उस फंड की चाल बढि़या रहेगी और निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा मिलेगा.

जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन

जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन की स्थिति उस वक्त सामने आ सकती है, जब 2 या उस से ज्यादा निवेश एकदूसरे को ओवरलैप करते हैं. एक बढि़या डायवर्सिफिकेशन वाले पोर्टफोलियो में ऐसी एसेट क्लास शामिल होती हैं, जो ज्यादा गहरा रिश्ता नहीं रखतीं और इसलिए उन्हें अनुपूरक समझा जाता है. अलगअलग सेक्टरों में अपने निवेश का दायरा फैलाने से 2 निवेशों के बीच करीबी ताल्लुकात बनने से रोकने में मदद मिलेगी और साथ ही कीमतों में उथलपुथल का जोखिम भी काफी हद तक कम रह जाएगा. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सभी उद्योग या सेक्टर एक ही वक्त में एकसाथ ऊपर या नीचे नहीं चलते. जरूरत से ज्यादा डायवर्सिफिकेशन या निवेश को भेदभावपूर्ण तरीके से विस्तारित बनाने से ज्यादा मदद नहीं होगी. हां, यह नुकसान की वजह जरूर बन सकता है.

खर्च

भले ही कोई फंड मुनाफा देने में नाकाम साबित हो, लेकिन निवेशक को फीस और दूसरे शुल्क चुकाने ही होते हैं. म्यूचुअल फंड निवेशकों को कई तरह के शुल्कों का भुगतान करना होता है, जो एकसाथ पैकेज में आते हैं. फीस फंड हाउस मार्केटिंग, डिस्ट्रिब्यूशन, प्रोसेसिंग, एसेट मैनेजमेंट खर्च और दूसरे प्रशासनिक व्यय से निबटने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

निवेश के चलन में बदलाव

पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट मैनेजर को वक्त और हालात के साथ अपनी रणनीति में बदलाव करने होते हैं. इस मोरचे पर म्यूचुअल फंड अपने निवेश के उद्देश्य और स्टाइल से अलग राह पकड़ता है. ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब फंड मैनेजर अलगअलग रणनीतियों के साथ प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रयोग करता है. नतीजा यह होता है कि फंड का जोखिमरिटर्न अनुपात गड़बड़ा जाता है.

प्रबंधक का जोखिम

जब कोई इनवेस्टमेंट मैनेजर अपने पोर्टफोलियो को प्रभावी रूप से नहीं संभाल पाता, तो फंड अपने उद्देश्यों तक पहुंचने में नाकाम साबित हो सकता है. इस के अलावा फंड मैनेजर की रणनीति बदलने से निवेश का स्टाइल भी बदल सकता है.

उद्योग का जोखिम

उद्योग का जोखिम किसी एक उद्योग या सेक्टर के शेयरों के समूह से पैदा होता है. उद्योग से जुड़ी स्थिति बदलने पर मुश्किल हो सकती है.

‘बाबा’ चला बौलीवुड

सीबीआई जांच के घेरे में आए विवादित बाबा रामरहीम ने बौलीवुड की राह पकड़ ली है. डेरासच्चा सौदा के इस बाबा की फिल्म ‘मैसेंजर औफ गौड’ का पोस्टर और फर्स्ट लुक इन दिनों हर टीवी चैनल व सामाचार पत्रों में छाया हुआ है. धर्म के नाम पर बटोरी गई रकम का बड़ा हिस्सा इस फिल्म और उस की पब्लिसिटी पर खर्च किया जा रहा है. इस फिल्म का नायक भी खुद गुरमीत रामरहीम है जिस पर लगभग 400 लोगों को नपुंसक बनाने और महिलाओं का यौन शोषण करने जैसे संगीन आरोप हैं. इस फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए अकाल तख्त ने सरकार से मांग की है. पर सरकार सेंसर बोर्ड का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ रही है. ऐसा लगता है कि रामपाल, आसाराम जैसे बाबाओं का जो हाल हो रहा है, उस से डर कर रामरहीम ने बाबागीरी का धंधा छोड़ कर बौलीवुड का रास्ता पकड़ लिया है.

‘बाबा’ चला बौलीवुड

सीबीआई जांच के घेरे में आए विवादित बाबा रामरहीम ने बौलीवुड की राह पकड़ ली है. डेरासच्चा सौदा के इस बाबा की फिल्म ‘मैसेंजर औफ गौड’ का पोस्टर और फर्स्ट लुक इन दिनों हर टीवी चैनल व सामाचार पत्रों में छाया हुआ है. धर्म के नाम पर बटोरी गई रकम का बड़ा हिस्सा इस फिल्म और उस की पब्लिसिटी पर खर्च किया जा रहा है. इस फिल्म का नायक भी खुद गुरमीत रामरहीम है जिस पर लगभग 400 लोगों को नपुंसक बनाने और महिलाओं का यौन शोषण करने जैसे संगीन आरोप हैं. इस फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए अकाल तख्त ने सरकार से मांग की है. पर सरकार सेंसर बोर्ड का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ रही है. ऐसा लगता है कि रामपाल, आसाराम जैसे बाबाओं का जो हाल हो रहा है, उस से डर कर रामरहीम ने बाबागीरी का धंधा छोड़ कर बौलीवुड का रास्ता पकड़ लिया है.

औनलाइन शौपिंग के साइड इफैक्ट्स

शौपिंग लफ्ज का ईजाद और चलन कब और कैसे हुआ, मालूम नहीं, मगर आजकल इतना सामान्य व सहज हो गया है कि हम चाहे फुटपाथ पर सजे ठेलों पर चड्डीबनियान का मोलभाव करतेकरते पसीनापसीना हो जाएं या फिर फलसब्जी वाले से घंटों उलझ 2-4 रुपए कम कराने में लस्तपस्त, कहते हम उसे शौपिंग ही हैं, खरीदारी नहीं. सड़कों पर भटक, दुकानदारों से उलझ, धूलमिट्टी से सन, भीड़भाड़ में धक्कामुक्की खा कर जब हमें अक्ल आ ही गई तो हम ने औनलाइन बायर बनने की सच्ची वाली कसम खा ही ली और आननफानन ताबड़तोड़ और्डर कर डाले. अपनी देर आयद दुरुस्त आयद वाली सोच पर (काश, हम अपनी पीठ खुद थपथपा पाते.) हम फूले नहीं समाए (अब क्या कहें पहले से ही कितने फूले हुए हैं). फिर चैन से एक देशभक्ति के स्लोगन वाली चाय सिप करते हुए बेसब्री से और्डरों के आने का इंतजार करने लगे.

कुछ घडि़यां सुकून से घर की चारदीवारी में जो बिताईं तो पाया कि हम से पहले ही हमारे सभी पड़ोसी औनलाइन ग्राहक बन चुके हैं. कूरियर बौय का आना कुछ पोस्टमैनों की रोजाना वाली आमद की तरह था, जो अब गाहेबगाहे ही आया करते हैं और वे भी सरकारी चिट्ठियों के साथ. और तो और, कालोनी में औनलाइन ग्राहकों की गिनती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता था कि कंपनियों की गाडि़यां भारी सामान से लदीं फर्राटे भरतीं घूमघूम कर घर बैठे सब के शौपिंग यानी खरीदारी वाले गम को अपने कंधों पर मुस्तैदी से उठा रही थीं. हम मुंगेरीलालजी के नक्शेकदम चल कर के सुहानेहसीन सपनों में खो गए. सपना कि पैट्रोल के खर्च पर बचत. सपना कि अब ज्यादा रिलैक्स रह कर उम्दा काम करेंगे और औफिस में बौस को खुश कर देंगे… प्रोमोशन के चांसेज. सपना कि खरीदारी के दौरान सड़कों पर मुंह बाए खुले चैंबरों में असमय जान गंवाने से बचेंगे.

कहां घंटों ड्राइव कर के मौल्स, दुकानों तक पहुंचने की जद्दोजेहद. वह जाम में फंसना. कीचड़ का छपाका राहगीरों पर उड़ा कर (दाग अच्छे हैं. पर केवल क्यूट सी एड में.) खुद उन की गालियों की बौछार झेलना. पर यहां तो सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली बात हो गई. हमारा पहला और्डर उन की 3 खूबसूरत साडि़यों का था. लेकिन तोलमाप डौट.कौम की चकाचक मौडलों पर झकास सजी साडि़यां छेदों से भरी थीं. रंग यहांवहां से उड़ा था. बिटिया के 4 जोड़ी सैंडलों का साइज (हालांकि हम ने अच्छी तरह देख कर साइज और्डर किया था) उन्हीं नंबरों के साथ छोटा था. हमारे लख्तेजिगर के सल्लू स्टाइल बूट्स के दोनों पैरों का लैदर अलगअलग रंग का था. डेढ़ घंटे का वक्त बरबाद कर जो और्डर हम ने क्लिक किया था उसे वापस लौटाने के लिए हमें बस 15 किलोमीटर दूर जाना था.

अभी टूटे सपनों का जनाजा उठ भी न पाया था कि जल्द ही दोबारा हमारी जिंदगी गच्चे खाने लगी. कनैक्टिविटी प्रौब्लम से दोचार होते ही हमें अपनी नानी याद आ गईं. मुई इंटरनैट कनैक्टिविटी के लपेटे में एक ही सामान के 2-2 और्डर जो क्लिक हो गए. हम ने सिर पीट लिया. अभी तो पहले ही सामान की वापसी के लिए मर्केंडाइज रिटर्निंग वालों के यहां चक्कर लगालगा कर वास्कोडिगामा हो रहे थे और… और अब जब तक दोबारा कनैक्टिविटी आए तब तक धाड़धाड़ करते कलेजे के साथ हम सारा कामधाम छोड़छाड़ डबल और्डर कैंसिल करने के लिए मौनीटर के सामने बिसूरते बैठे रहने को मजबूर थे. हमारी दुखभरी दास्तान इतने पर ही खत्म हो जाती, ऐसा भला हमारे नसीब में कहां था? एक मध्यवर्गीय भारतीय होने का श्राप हमारे सिर पर बेताल का ताल ठोंकता ही रहता.

अपने बौस को उन की शदी की सालगिरह पर तोहफे में देने के लिए खरीदा माइक्रोवेव एक छोटी सी शिपिंग मिस्टेक की वजह से किसी दूसरे के घर पहुंच गया था और बदले में उन साहब का पैकेजिंग मिस्टेक के कारण टूटा डिनर सैट सामने पड़ा हमारा मुंह चिढ़ा रहा था. माइकल शूमाकर और सेबैस्टियन वेट्टल भैया के बाद हम एक नया रिकौर्ड बनाने जा रहे हैं, क्योंकि फौर्मूला वन की रेस में दौड़ना हमारे शहर की गलियों में कार दौड़ाने से इतर नहीं है. हमारे पिद्दी से कलेजे में सोतेजागते बस अपनी शौपिंग आइटम्स और और्डर्स को ले कर धुकधुकी बनी रहती. न जाने कब क्या हो जाए? हम ने पूरे परिवार के साथ बैठ कर तय किया कि चाहे जो हो जाए अब गिनीचुनी अच्छी कंपनियों को ही और्डर करेेंगे और साथ ही सब को घुड़काया भी कि घंटों बैस्ट औफर के चक्कर में इंटरनैट और बिजली के बिल से घर की बजटरूपी नैया को न डुबोएं.

इस सब के बावजूद हालांकि रबड़पैंसिल, जूतों के तस्मे, दियासलाई, ताजा पनीर, नीबू, मिर्ची वगैरह जैसी रोजमर्रा की डिमांड में चक्करघिन्नी हो गलीसड़कों पर फाकाकशी करनी ही पड़ती थी. कभी किसी आइटम की डबल बिलिंग का लफड़ा तो कभी दोगुने शिपिंग चार्ज का थपेड़ा. कुछ ही महीने बीते थे कि एक दिन अचानक हम ने पाया कि हम अस्पताल के बिछौने पर बड़े सुकून से आराम फरमा रहे हैं (और भला सुकून की नींद हमें कहां नसीब होती?). हम वापस आंखें खोल कर इस दुनिया से रूबरू नहीं होना चाहते थे. फिर… बस… हम श्रीमतीजी की जबानी अपने टूटे हुए दिल की कहानी सुनते रहे…

हमारी मिजाजपुर्सी को पहुंची किन्हीं मुहतरमा को वे बता रही थीं कि कैसे एक स्पाईवेयर ने हमारे क्रैडिट कार्ड पर खुफिया डाका डाल कर हमारे बचेखुचे बैंक बैलेंस को लूट लिया. हम ने हारे जुआरी की तरह एक लंबी सांस (हालांकि औक्सीजन मास्क लगा हुआ था हमें) खींच कर फिर कसम खाई कि अब कभी औनलाइन शौपिंग के लिए क्लिक नहीं करेंगे. आखिरकार हम भी एक जागे हुए ग्राहक थे और ग्राहक सेल में ठोंके गए मुकदमे में अपनी जीत का हमें पूरा भरोसा था. (भरोसा करना हमारी पुरानी मजबूरी थी). हम नेताओं, पुजारियों, मुल्लाओं, बीमा कंपनियों सब पर भरोसा करते चले आ रहे हैं. एक बार फिर गृहस्थी के जंजाल और संसार की मोहमाया में जकड़े हम हरभजन भैया के ठेले से 500 ग्राम टमाटरों पर 1 रुपया कम करा कर अपने पुराने दिनों में (सहीसलामत न सही) लाइफलाइन बचा लौट आए थे.

चौकलेट मफिंस

सामग्री

11/2 कप मैदा

1 कप बूरा

1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

100 ग्राम मक्खन

100 ग्राम डार्क चौकलेट

1 कप दूध

1 छोटा चम्मच वैनिला ऐसेंस

2 बड़े चम्मच सिरका

2 बड़े चम्मच कोको पाउडर.

विधि

एक बाउल में मैदा, बेकिंग पाउडर और बूरा को मिलाएं. अब कोको पाउडर और मक्खन को मैदे में मिलाएं. फिर इस में दूध अच्छी तरह मिलाएं और सिरका भी मिलाएं. अब डार्क चौकलेट को माइक्रोवेव में 11/2 मिनट पिघला कर मैदे के मिश्रण में अच्छी तरह से मिलाएं. वैनिला ऐसेंस डालें और उसे भी अच्छी तरह मिलाएं. अब इस मिश्रण को 1 कप में 3/4 भाग भर कर ओवन में 180 डिग्री सैल्सियस पर 10 मिनट बेक करें.

सोनम किस से नजरें नहीं मिलाना चाहतीं

सोनम कपूर और दीपिका के बीच का मनमुटाव अब खुल कर सामने आ गया है. हद तो तब हो गई जब एक अवार्ड फंक्शन के दौरान सोनम को यह पता चला कि बगल वाली सीट पर दीपिका को बैठना है, तो उन्होंने तुरंत अपनी सीट बदलवा ली. पर सोनम के प्रवक्ता ने इस खबर को नकारते हुए कहा कि सोनम दीपिका के आने से पहले ही चली गई थीं. लेकिन इस खबर से यह तो साफ जाहिर होता है कि दोनों अभिनेत्रियां अब भी एकदूसरे का सामना करने से बचती हैं.

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