फैशन में विज्ञान का दखल

फैशन तकनीक में विज्ञान के बढ़ते दखल के बारे में पहले कभी किसी ने शायद सोचा भी न होगा कि एक दिन ये दोनों एकदूसरे के पर्याय बन जाएंगे, क्योंकि फैशन की दुनिया तो अपनेआप में एक अलग दुनिया है, जहां कल्पना और रचनात्मकता मिल कर एक नया सृजन करते हैं. ऐसे में पहले लोगों का यही सोचना था कि यहां तकनीक का क्या काम? लेकिन अब जमाना तकनीक का ही है. जीवन का हर क्षण, हर पहलू किसी न किसी रूप में तकनीक के ज्ञान से जुड़ा है. दिनचर्या से ले कर रोजमर्रा की जरूरतें सब कुछ तकनीक पर ही आधारित हो चुका है. ऐसे में कोई फैशन तकनीक से कैसे अलग रह सकता है.

20 वीं सदी में फैशन इंडस्ट्री में फोटोग्राफी के रास्ते जब विज्ञान ने अपने कदम बढ़ाए तो फैशन के दीवानों ने विज्ञान द्वारा सुझाए इस विकल्प को हाथोंहाथ लिया, जिस से उन का व्यवसाय और प्रभावकारी बना. इस नए विकल्प के माध्यम से डिजाइनरों के फोटो मैगजीन व न्यूजपेपर में छप कर कस्टमर के घरों तक जा पहुंचे.

आज कंप्यूटर डिजाइनिंग का फैशन इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. फैशन डिजाइनिंग से संबंधित ज्यादातर काम कंप्यूटर से होते हैं. इन में शामिल हैं स्क्रीन पर रेखांकन, ड्राइंग, पैटर्न, टैक्सचर, रंग संयोजन तैयार करना, तसवीरों व नमूनों की स्कैनिंग, तसवीरों में हेरफेर, शरीर रचना के मुताबिक कपड़ों को ढालना आदि. इस के अलावा फैशन उद्योग में मुख्य काम कंप्यूटर से ही होते हैं. जैसे पैटर्न तैयार करना, ग्रेडिंग यानी पैटर्न को अलगअलग आकारों में ढालना, मार्किंग, पैटर्न के मुताबिक कटाई, वस्त्र निर्माण, वस्त्र का असली उत्पादन, डिजाइन का हाथ से चित्रण, लागत और बिक्री संबंधी आंकड़े तैयार करना.

साई फाई इनस्पायर्ड क्लोदिंग

फैशन डिजाइनरों को अंतरिक्ष में भी फैशन की संभावनाएं दिखने लगी हैं. लिहाजा साई फाई (साइंस फिक्शन) इनस्पायर्ड पोशाकों और स्पेस सूट डिजाइनरों की कल्पना के साथसाथ सब के सामने आने लगे हैं. इन का अनुमान हौलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाए वस्त्रों से लग जाता है. ये सोलर पावर आउटफिट, रंग बदलने के साथ पहनने वाले के साथ संवाद भी कर सकते हैं.

साइबर ट्रे विंग्स नामक एक सूट ड्रेस में कार्बन फाइबर और एल्यूमिनियम से एक डिजाइन बनाई गई है, जिस में सर्दीगरमी के लिए पावर देने की क्षमता है. इस पोशाक के लिए बैटरी को बाहरी पावर की जरूरत नहीं है. इस पोशाक में चिडि़यों की तरह पंख हैं. खुल कर 7 बार फड़फड़ाने पर वे 5 से 10 मिनट के लिए चार्ज हो जाते हैं. चार्ज होने पर यह पोशाक चमकती है और हीटिंग व कूलिंग दोनों करती है. भविष्य की सूट ड्रेस यूरोपियन फैशन मेकर लुमी टाप सौफिया द्वारा बनाई गई है, जो बैटरियों से चलती है. ऐसे फैशन के दीवाने, जो अपने कपड़ों को रोशनी से चमकाना चाहते हों, उन के लिए यह करिश्माई ड्रेस बेहतरीन विकल्प है, जो लाल, नीले, हरे, पीले रंगों में चमक कर पहनने वाले को पार्टी में सब की निगाहों का निशाना बन सकती है.

पर्यावरण प्रेमी पावर जनेरेटिंग ड्रेसेस में सोलर एनर्जी के बलबूते पावर जनरेट की जाएगी. भविष्य में इन कपड़ों का फायदा 2 तरह से उठाया जा सकेगा. एक तो तन ढकने में, दूसरे, चलते हुए, पार्क में टहलते हुए, मोबाइल या आईपौड जैसे गैजेट्स को चार्ज करने में. किसी बीच पर अगर आप के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई हो तो कोई बात नहीं, आप अपने सामने धूप स्नान का मजा लेते हुए सोलर बिकनी पहने खूबसूरत लड़की से मोबाइल चार्ज करने की रिक्वेस्ट कर सकेंगे. अमांडा पार्कर नामक डिजाइनर ने एक ऐसी पोशाक ईजाद की है, जो पहनने वालों के हाथपैर हिलाने पर पावर जनरेट कर सकती है. प्लेजोइलेक्ट्रिक मैटेरियल से बनी यह पोशाक कुहनी और कूल्हों के जोड़ों के हिलने से जब बिजली बनाएगी तो उसे स्टोर भी किया जा सकेगा, ताकि जरूरत के वक्त उस का इस्तेमाल किया जा सके.

हाइटेक फैशन का एक और फंडा है, सर्किट बोर्ड डे्रसेस. इन में कंप्यूटर के सर्किट बोर्ड होते हैं जिन्हें आसानी से पहन कर अपना पूरा डाटा उन पर लाया ले जाया सकेगा. सर्किट बोर्ड ड्रेस की ही तरह एक दूसरी ड्रेस बनाई गई है फ्लैक्सिबल डिस्प्ले स्क्रीन के साथ. डिजाइनरों के प्रयत्न से अब ऐसी डे्रस उपलब्ध है जिस में ग्राहक अपने कपड़ों के साथ ऐसी स्क्रीन ले कर चल सकता है, जिस पर वह जो चाहे लिख कर किसी विज्ञापन का माध्यम भी बन सकता है.

थर्मोक्रोमेटिक क्लोदिंग

आने वाले समय में पोशाकों में प्रयुक्त किए जाने वाले थ्रेड पहनने वाले के मूड के हिसाब से अपने रंग बदलें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. जिस प्रकार आम जिंदगी में सूरज की रोशनी से प्रभावित हो कर धूप और छांव में अपना रंग क्रमश: गहरा और हलका करने वाले लाइट सेंसेटिव आईग्लासों का लोग अभी भी उपयोग कर रहे हैं, उसी तरह इन्हीं लाइट सेंसेटिव आईग्लासों की तर्ज पर ऐसे कपड़े ईजाद करने की ओर कदम बढ़ाए जा चुके हैं.

इलेक्ट्रोमेटिक पोलीमर नामक मैटेरियल से बनने वाले ये कपड़े रोशनी को एब्जार्ब करने की क्षमता रखने वाले होंगे. पोलीमर और आर्गेनिक केमिस्ट्री के प्रोफेसर जौर्जी स्टोजिंग का कहना है कि नायलोन जैसे पोलीमर बहुत पतले होते हैं लेकिन इलेक्ट्रोक्रोमेटिक पोलीमर को पतला करने के लिए उन्हें केमिकल रिएक्शन से गुजरना पड़ता है. स्टोजिंग अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऐसे फाइबर विकसित कर चुके हैं, जो नारंगी से नीले और लाल से नीले रंग में बदल जाते हैं. इस काम के लिए एक छोटी सी बैटरी द्वारा इलेक्ट्रिक करंट दे कर भी कपड़ों के रंग बदले जाते हैं.

विज्ञान की सहायता लेते हुए डिजाइनर ऐसे वस्त्र भी बनाने में कामयाब हो चुके हैं,जो शरीर का तापमान तो नियंत्रित कर ही  सकते हैं साथ ही जीवाणुओं को भी मार सकते हैं. शायद उन्हें धोने की ही जरूरत न हो, क्योंकि इन में सेल्फ क्लीनिंग फैसिलिटी हो सकती है.

स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस

फैशन और तकनीक का मिलाजुला सटीक स्वरूप स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस हैं. ये ड्रेसेस ऐसे मैटेरियल से बनाई गई हैं, जो न सिर्फ अपने आसपास के वातावरण से बल्कि अपने पहनने वाले की प्रतिक्रिया से स्वयं में बदलाव ले आती हैं. उन्हें आर्कटिक या सहारा मरुस्थल तक में पहना जा सकता है. ये क्लाइमेटिक कंडीशंस को झेल सकेंगी. ऐसे बायो सूट नैनोटेक्नोलोजी की सहायता से बनाए जा रहे हैं. अनब्रेकेबल, वाशेबल और स्ट्रेचेबल होने के कारण इन्हें मोटापतला कोई भी पहन सकता है. बहरहाल, फैशन तो नित बदलता रहा है, लिहाजा इस के साथ हाइटेक फैशनेबल कपड़ों की डिजाइनें भी बदलेंगी.

यह विज्ञापन का ही कमाल है कि अब तो अपने कपड़ों की डिजाइनिंग के लिए कस्टमर घर बैठे ही डिजाइनर से संपर्क कर सकता है. वीडियो कान्फरेंसिंग के जरिए ही वह तैयार की गई नई डिजाइन देख कर अपने लिए पसंद कर सकता है. इस में स्केच तैयार करने, परिधान की डिजाइन बनाने और उस की फिटिंग जैसे सारे काम वेबकैम की सहायता से टीवी स्क्रीन पर हो सकते हैं, फिर चाहे डिजाइनिंग हो, फैब्रिक हो, टेक्सचर हो, सजावट हो या प्रिंट आप को जो चाहिए सिर्फ बोल कर बता सकते हैं. इस तकनीक का सब से बड़ा फायदा डिजाइनरों को हुआ है, क्योंकि ये दूसरे शहर या देश में बैठे क्लाइंट की जरूरतों को पूरी कर देते हैं. अगर किसी क्लाइंट को एक परिधान फिट नहीं बैठता है तो डिजाइनर उसे नए सिरे से तैयार कर देता है. इस से डिजाइनर का काफी समय बच जाता है.

सभी को लुभाती तांत साडि़यां

हमारे देश के विभिन्न प्रांत खास साडि़यों के लिए मशहूर हैं जैसे बनारस की बनारसी, तमिलनाडु की कांजीवरम, गुजरात की पैठणी, लखनऊ की चिकन, चेन्नई की मद्रासी सिल्क, जयपुर की जयपुरी या बाटिक प्रिंट आदि. ये खास साडि़यां भारतीय महिलाओं द्वारा विशेष तरीके से पहनी जाती हैं और अपने प्रांत विशेष की पहचान को भी दर्शाती हैं.

पश्चिम बंगाल मशहूर है अपनी तांत की साडि़यों के लिए. जी हां, तांत या कहें प्योर कौटन. बंग समुदाय के लिए कोई भी उत्सव हो, तांत के बिना वे स्वयं को अधूरा मानते हैं. तांत साडि़यों की खास बात यह है कि साड़ी धागे की बनी होती है, जिसे कारीगर स्वयं अपने हाथों से बनाते हैं. कलर, वेराइटी, पिं्रट और नाना प्रकार की डिजाइन के कारण आज बंग समुदाय ही नहीं, नौन बंग समुदाय में भी यह अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है. यही वजह है कि बाजार में इस की डिमांड और कीमत दोनों ही हमेशा हाई रहती हैं.

विशेषता

पश्चिम बंगाल के शांतिपुर, फुलिया, कृष्णानगर और धोनेखाली की खास तांत की साडि़यां पूरे देश में मशहूर हैं. ये प्योर कौटन की होती हैं. अनेक वेराइटी में कौटन और सिल्क ये दोनों प्रकार की होती हैं. हाथ से निर्मित होने के कारण इस का अपना ही लुक होता है. बाजार में इस की कीमत 200 रुपए से प्रारंभ हो कर उस के बाद जैसी साड़ी वैसी कीमत. तांत साडि़यों के शौकीन कोलकाता निवासी लक्ष्मीनारायण बताते हैं, ‘‘तांत साड़ी को पहनते ही नारी में अलग ही निखार आ जाता है और यदि साड़ी के अनुरूप गहने भी आप ने पहन लिए तो सोने में सुहागा या कहें तो आप किसी राजवंश खानदान की बहू से कम नहीं लगेंगी.

‘‘अच्छी साड़ी महंगी अवश्य होती है परंतु वह आप के रूप और आप के व्यक्तित्व को क्षण भर में बदल देगी. यही तांत की साड़ी की खास विशेषता है.’’

धोनेखाली तांत की साडि़यां

तांत 2 प्रकार की होती है. पहली शांतिपुरी तांत और दूसरी धोनेखाली तांत. यह केवल कौटन में होती है. घर में डेली यूज के लिए यह साड़ी आरामदायक और सस्ती भी होती है. धोनेखाली साडि़यां प्लेन और चेक दोनों प्रकार की होती हैं. इस की खास पहचान यह होती है कि इस के आंचल में 2 जगह पतली सी लाइन होती है, जिस में छोटीछोटी बुनाई रहती है. बाजार में यह 150-200 रुपए में उपलब्ध होती है. पश्चिम बंगाल के धोनेखाली जगह में इस प्रकार की साडि़यां बनाई जाती हैं.

शांतिपुरी तांत की साडि़यां

यह कौटन और सिल्क दोनों प्रकार की होती है. इस में धागे का काम कारीगरों द्वारा हाथ से किया जाता है. शांतिपुरी तांत में तांत सिल्क प्रमुख है. तांत सिल्क में करीगर धागे से बुनाई करते हैं. तांत सिल्क अर्थात तांत और सिल्क की बूटी. इस का बार्डर पतला और पूरी साड़ी में बूटियां होती हैं. लेकिन आंचल नहीं होता. तांत सिल्क की शौकीन शुक्ला बताती हैं, ‘‘मुझे छोटेमोटे फंक्शन में तांत सिल्क पहनना अच्छा लगता है. आंचल न होने के कारण आंचल ठीक करने का झंझट नहीं रहता, साथ ही पहनने पर कंफरटेबल भी लगता है.’’

तांत टांगाई

तांत टांगाई साड़ी पर पूरा धागे का काम रहता है. इस का बार्डर चौड़ा परंतु साड़ी प्लेन होती है. इस में बूटी नहीं होती, लेकिन आंचल होता है. यह प्योर कौटन की साड़ी होती है.

तांत ढाकाई

इस का नाम ढाकाई अवश्य है लेकिन यह अपने ही देश शांतिपुर में बनती है. यह सूती और सिल्क दोनों प्रकार की होती है.

तांत जामदानी

इस में भी पूरा धागे का काम रहता है. कपड़ा फाइन होने के कारण साड़ी देखने में बहुत ही सुंदर दिखती है.

तांत बनारसी

शादीविवाह के अवसर पर तांत बनारसी का चलन है. संपूर्ण साड़ी में कांच वर्क रहता है. तांत और सिल्क दोनों का मिश्रण रहता है. आंचल और बार्डर दोनों भारी होते हैं. आंचल में ताज, मंदिर आदि पिं्रट बने रहते हैं. तांत बनारसी पहनने पर आप किसी नईनवेली दुलहन से कम नहीं लगेंगी.

तांत बालूचूड़ी

यह साड़ी भी सूती और सिल्क दोनों प्रकार की होती है, परंतु आजकल सिल्क का ही ज्यादा प्रचलन है. साड़ी के आंचल में पालकी, घोड़ा, घोड़ागाड़ी आदि प्रिंट बने रहते हैं. दीपाली मुखर्जी कहती हैं, ‘‘हमारे यहां ऐट होम या रिसेप्शन पर पहले बनारसी साड़ी पहनने का चलन था, परंतु समय के साथ आजकल नई बहू को तांत बालुचूड़ी साड़ी ही पहनाई जाती है. इस की कीमत 2,500-3,000 रुपए से कम नहीं होती. इसलिए आप यदि विवाह पर अच्छा उपहार देना चाहती हैं तो तांत बालूचुड़ी साड़ी भी दे सकती हैं और स्वयं भी पहन कर ऐट होम में अपनी एक अलग पहचान भी बना सकती हैं.’’

साड़ी का रखरखाव

हाथ से निर्मित होने के कारण तांत की साड़ी में कोई भी तकनीकी परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा. रंग, प्रिंट और डिजाइन सदैव परिवर्तित मिलेंगे. कौटन और सिल्क मिक्स होने के कारण इस की देखभाल उतनी ही आवश्यक है जितनी कि आप के लिए इस का पहनना. तांत की धोनेखाली साड़ी सस्ती होने के कारण आप इसे घर पर धो सकती हैं. लेकिन तांत सिल्क, बालूचुड़ी, बनारसी, जामदानी आदि साड़ी कांसली होने के कारण लांड्री में धुलाई, चर्क और पौलिश कराना आवश्यक है. तभी आप साड़ी की लाइफ को बरकरार रख सकती हैं.

फैशन ट्रैंड २०१५

अपने देश में अधिकांश जगहों पर जो चीज निरंतर बदलती है, वह है मौसम. यहां आप जहां गरमियों में स्लीवलैस और लो कट पहन सकती हैं, वहीं सर्दियों में पूरी तरह से गरम कपड़ों में ढकी हुई ही बाहर निकल सकती हैं. वैसे तो आप जो चाहें वह पहनना पसंद करती हैं, लेकिन साथ ही अपने आसपास की लड़कियों को प्रभावित भी करना चाहती हैं तो जानें 2015 का फैशन ट्रैंड:

विंटर फैशन

फोर्टिफाइड रंग: फोर्टिफाइड रंग इस साल बहुत चलन में है. ताजा और स्निग्ध यह रंग भारतीय महिलाओं के लिए काफी अच्छा है. यह बेहतरीन शेड चूंकि आप के रूप में भव्यता और श्रेष्ठता का समावेश कर देता है, इसलिए साड़ी, ड्रैस और पुलोवर्स के साथ यह रंग सर्दियों के दिनों में आप में काफी आकर्षण भर देगा.

कौंबैट बूट्स: कौंबैट बूट्स महिलाओं की सर्दियों की वार्डरोब को पूर्ण करते हैं और यह प्रचलन इस साल खूब चलने वाला है. आप इन्हें अपनी ड्रैस और स्कर्ट के साथ पहन सकती हैं और अपनी स्किनी जौगिंग्स के ऊपर जिप कर सकती हैं.

बड़े आकार के स्वैटर: बड़े आकार के स्वैटर सर्दियों के लिए काफी आकर्षक परिधान होते हैं और इस साल ये खूब चलन में हैं. आप इन्हें कार्यस्थल हो या मनोरंजक आउटिंग, एक फैशन स्टेटमैंट की तरह पहन सकती हैं. ये काफी आरामदायक और स्टाइलिश होते हैं और इन्हें सुपर स्किनी जींस से ले कर मिनी स्कर्ट्स तक किसी के भी साथ पहना जा सकता है.

कौर्डुरौय: डेनिम त्याग दें, कश्मीरी को उठा कर अलग रख दें और सिल्क को अलविदा कह दें. इन सर्दियों में आप के लिए नया मैटीरियल कौर्डुरौय पेश है. वूमन कौर्डुरौय आप की वार्डरोब के लिए एक बेहतरीन पेशकश. इस के टौप्स, स्वैटर्स, जैकेट्स और ब्लेजर्स काफी अच्छे लगते हैं. ब्लैक और रैड हील्स आदि के साथ डार्क कौर्डुरौय पैंट पहन कर आप रैट्रो इंस्पायर्ड दिखें.

स्कार्फ: स्कार्फ हर बार की तरह इस बार भी इस मौसम में हर लड़की का सब से अच्छा दोस्त है. यह आप को गरम रखता है और आप के पूरे परिधान की खूबसूरती बढ़ाता है. यह विभिन्न मैटीरियल और पैटर्न में आता है. कश्मीरी और वूल स्कार्फ सर्दी के दिनों में आप के लिए सब से अच्छे होते हैं. वाईब्रैंट चैकर्ड स्कार्फ और विंटेज पैटर्न के स्कार्फ सर्दियों के मौसम में लोगों के पसंदीदा होते हैं और हाथोंहाथ बिक जाते हैं.

समर फैशन

लंबे कुरते: इस बार सभी को लंबे और ढीले कुरते आकर्षित करेंगे. वैसे भी अलगअलग रंगों और प्रिंट्स वाले ये कुरते सभी को आकर्षित करते हैं. खासतौर पर उन्हें जिन्हें ऐथनिक परिधान पसंद होता है. ये कुरते चूड़ीदार, वाइड लैग्ड पैलेजोज या कौटन स्कर्ट के साथ अच्छे लगते हैं. निश्चय ही ये वसंत और गरमी के लिए भी श्रेष्ठ परिधान हैं.

फ्लौरल ड्रैस: फ्लौरल ड्रैस इस साल लेटैस्ट ट्रैंड पसंद करने वाली हर लड़की के पास होनी चाहिए. वैसे भी देखने में यही आता है कि फ्लोरल प्रिंट्स साल भर प्रचलन में रहते हैं. आप गरमियों में फ्लोरल प्रिंट्स रौंपर, फुल स्कर्ट या शौर्ट डै्रस पहन सकती हैं. यह ड्रैस कई तरह से पहनी जा सकती है. दिन में इस ड्रैस के साथ फ्लैट टैनन ग्लेडिएटर या स्लिंग बैग और क्यूटी इयरिंग्स के साथ ब्रोग्स पहनें. रात में अपना पसंदीदा ब्लेजर पहनें और कुछ सुंदर ऐक्सैसरीज और हील्स का प्रयोग करें. आप की ड्रैस उतनी खूबसूरत लगने लगेगी, जितना आप सोच भी नहीं सकती हैं.

हैंडलूम कौटन साडि़यां: गरमियों के दिनों में हैंडलूम कौटन साडि़यां महिलाएं खूब पसंद करेंगी क्योंकि इन से आप के संपूर्ण व्यक्तित्व में ऐथनिक लुक आता है और ये पहनने में काफी सहज होती हैं. इन से आप मर्यादित दिखती हैं, साथ ही इतनी खूबसूरत लगती हैं कि आप को इन्हें पहनने पर खुशी होगी. चाहे आप शौपिंग के लिए जाएं या किसी पारिवारिक आयोजन या अपने बच्चे के स्कूल में पेरैंट्स टीचर्स मीटिंग में शामिल हों, कौटन साड़ी से बेहतर परिधान और कोई नहीं हो सकता.

– लाइमरोड स्टाइल काउंसिल

हाईटेक एक्सेसरीज

अगर आप एक जगह बैठेबैठे ही सारी चीजों को नियंत्रित कर पाएं या संबंधों को बिना किसी परेशानी या बहस में उल?ो सुधार पाएं तो सोचिए जीवन में कितना सुकून और खुशी आ सकती है. यह अब सपने की बात नहीं रहेगी, बल्कि कुछ सालों में हकीकत का जामा अवश्य पहन लेगी. आप का भविष्य इतना आरामदायक हो जाएगा कि आप आज की सारी मुश्किलों को बड़ी सहजता से भूल तरक्की की उस मंजिल को पा लेंगी, जो आज आप की कल्पना में विचरती है.

आज के इस आधुनिक तकनीक के युग में जब हर काम के लिए गैजेट्स व एक्सेसरीज उपलब्ध हैं, ऐसे में महिलाओं के जीवन के साथसाथ उन के घर के डेकोर, किचन, वार्डरोब, ब्यूटी, हेल्थ, एक्सेसरीज, यहां तक कि सोचने के ढंग में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है. लेकिन ये बदलाव यहीं तक सीमित रहने वाले नहीं हैं, क्योंकि अगले कुछ दशकों में जिंदगी के पूर्णतया हाईटेक हो जाने से चौंकाने की हद तक व्यापक स्तर पर बदलाव होगा.

वह दिन दूर नहीं जब ऐसे फ्रिज बनने लगेंगे, जो खाना खत्म होने पर खाने का आर्डर अपनेआप कर देंगे, आप की किचन के लिए आवश्यक सामान अपनेआप संग्रहीत कर लेंगे, अपनी सफाई खुद ही करने वाले माइक्रोवेव ओवन होंगे और उंगली उठाए बिना ही रोबो क्लीनर पूरे घर की सफाई कर देंगे. भविष्य में ऐसा कोई द्रव बाजार में उपलब्ध हो जाएगा जिसे पीने के बाद आप हर समय जवां रहेंगी और आप के चेहरे पर न ?ार्रियां होंगी न ही बूढ़े होने का एहसास सताएगा. भविष्य में ऐसी ही तकनीकें विकसित होने वाली हैं, जो औरतों की जिंदगी को बहुत सुगम बना देंगी. हाथ से काम करने की परंपरा तो बिलकुल खत्म ही हो जाएगी. उस की वजह है कि आज की कामकाजी महिला ऐसे गैजेट्स व एक्सेसरीज की चाह करने लगी है, जो सुविधाजनक, उस की कार्यशैली के अनुरूप व फैशनेबल हों तथा जिन्हें वह अपने साथ हर समय रख सके. शायद इसीलिए यह कहावत आज के समय के हिसाब से ‘हीरा किसी भी औरत की पहली पसंद होता है,’ फिट नहीं बैठती है, क्योंकि अब गैजेट्स स्त्री की सच्ची पसंद बन चुके हैं.

दर्पण, बता मैं कितनी सुंदर हूं

आज की हर स्त्री अपने लुक और फिटनेस को ले कर सतर्क हो गई है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए ऐसे उपकरण तैयार किए जा रहे हैं, जिन के इस्तेमाल से वह खुद को स्मार्ट और फिट रख सके और वह भी बिना किसी ?ां?ाट के. बौडी ट्रेनर हैडसेट किट एक पर्सनल एक्सरसाइज ट्रेनर की तरह काम करती है. पल्स रेट के हिसाब से चलने वाले डिवाइस पर लिखी हिदायतों का पालन करें और रहेें हमेशा फिट. हैडसेट में 3 प्रोग्राम हैं- वाकिंग, जौगिंग और एरोबिक्स.

एक्सरसाइज करते हुए आप संगीत का आनंद भी उठा सकती हैं. पोर्टेबल होने के कारण इसे हमेशा अपने साथ रखा जा सकता है और जब एक्सरसाइज न कर रही हों तो हैडसेट का प्रयोग एक सामान्य हैडफोन की तरह किया जा सकता है, जो आप के म्यूजिक प्लेयर के साथ जुड़ सकता है. वियरेबल फेशल मसाजर चुटकियों में आप के तनाव को दूर कर देता है. सिरदर्द हो या काम से थक कर लौटी हों, यह मास्क आप में एक ताजगी भर देता है. इस गैजेट को सिर पर लपेटा जाता है.

आज दर्पण के सामने खड़े हो कर यह निश्चय करने में घंटों लग जाते हैं कि क्या पहना जाए या आप खूबसूरत लग रही हैं या नहीं, पर अगले 10-20 वर्षों बाद यह सब सोचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि आप की खूबसूरती को हाईटेक गैजेट चुटकियों में संवार देंगे और कब क्या पहना जाए, यह आप नहीं वे तय करेंगे. हाईटेक दर्पण आप को यहां तक हिदायतें देंगे कि फलां ड्रेस के साथ फलां ज्वेलरी पहनी जाए या नहीं, स्कार्फ को टाइट करें, बेज कलर के बजाय ब्लैक सैंडल पहनें. आप का मेकअप वही दर्पण कर देगा और आप को तैयार होने में लगेंगे सिर्फ 2-3 मिनट और तब आप समय को अपनी मुट्ठी में कर पाएंगी.

ड्रेस पर डिस्प्ले स्क्रीन

हाईटेक फैशन ने समय के साथ ऐसी छलांग लगाई है कि ऐसे आउटफिट मार्केट में आ गए हैं, जो पावर उत्पन्न कर सकते हैं. ऐसी ड्रेस आप के एक इशारे पर कुहनी के जोड़ों व नितंबों पर लगे विशेष मैटीरियल द्वारा बिजली पैदा कर सकती है और उसे वोल्टेज की तरह स्टोर किया जा सकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर उस का उपयोग किया जा सके.

मजे की बात तो यह है कि अब आप अपने कपड़ों पर डिस्प्ले स्क्रीन ले कर घूम सकती हैं. इस से आप जो चाहेें अपनी ड्रेस पर लिख सकती हैं. कहीं बाहर जाने पर साथ में डायरी या पेन रखने की सिरदर्दी खत्म. इस में निहित लचीले सर्किट बोर्ड में लगा एलईडी डिस्प्ले ग्रिड आप की हथेलियों से निर्देश ग्रहण करता है. इसलिए आज की सुपरवूमेन के लिए अपनी क्रिएटिविटी दर्शाने का यह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है और अगर काम करतेकरते बोरियत महसूस होने लगे तो ऐसी टीशर्ट भी मौजूद है, जिस पर पियानो जड़ा है. इस के फैब्रिक बटन को दबा कर संगीत बजाएं. यह डिटैचेबल भी है, इसलिए धोने में भी कोई परेशानी नहीं होगी. वैसे भी कुछ सालों बाद वाशिंग मशीनों की आवश्यकता ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि पहनेपहने ही कपड़े डिस्प्ले स्क्रीन पर निर्देश देने के साथ साफ हो जाएंगे और प्रेस भी.

आज की महिला अपनी फिटनेस के साथसाथ अपने परिधानों के प्रति भी अत्यधिक सतर्क व चूजी हो गई है. अपनी सुंदरता को बरकरार रखने के लिए उस ने फैशन की नई परिभाषा ही गढ़ ली, जिस में कंफर्ट के साथसाथ उपयोगिता का समन्वय भी हो और इसलिए ऐसी जींस बाजार में आ गई है,जिस के अंदर ही कीबोर्ड, माउस व कंप्यूटर स्पीकर हैं. इस जींस को अपने डेस्कटोप कंप्यूटर के साथसाथ लैपटोप से भी चलाया जा सकता है, जिस के लिए वायरलेस ब्लूटूथ कनेक्शन की आवश्यकता पड़ती है. घुटनों के पास स्पीकर लगाए गए हैं और पीछे की पाकेट में माउस है, जो इलास्टिक के साथ पैंट से जुड़ा है.

हाईटेक फैशन केवल बाहरी परिधानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आप के अंडरगारमेंट्स भी इस से अछूते नहीं हैं. यूवी मापने वाली ऐसी बिकनियां उपलब्ध हैं, जो एक्सरसाइज करते समय यह बताएंगी कि यूवी स्केल पर 0 से 20 के बीच सूरज कहां था और आप की सौर बिकनियां आईपौड चार्ज करने में भी आप की मदद करेंगी.

स्टाइलिश ज्वेलरी

डिजिटल क्लच कंप्यूटर लैपटोप ऐसी हाईटेक एक्सेसरीज है, जो विभिन्न रंगों में उपलब्ध है, इसलिए अपनी डे्रस के साथ ज्वेलरी के रूप में आप उसे मैच कर सकती हैं. ये इतने छोटे व कम वजन के हैं कि इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है, ये आप के स्टाइल को एक अनोखा अंदाज देते हैं और दूसरों को लगता है कि आप ने हाथ में क्लच पर्स पकड़ा हुआ है.

अपनी सुरक्षा के लिए अब आप को किसी हथियार की आवश्यकता नहीं. पर्स में लिपस्टिक रखें और बेफिक्र हो जाएं. लिपस्टिकनुमा पेपर स्प्रे आप मुश्किल के समय पर्स से निकाल कर सामने वाले पर छिड़क सकती हैं. ब्लूटूथ अगर कान की ज्वेलरी की तरह काम करे या अंगूठी बन जाए तो फिर आप की अन्य कोई आभूषण पहनने की इच्छा ही नहीं होगी. ऐसे भी ब्लूटूथ उपलब्ध हैं, जो कान में पहनने पर किसी बाली की तरह लगते हैं और अगर उन्हें थोड़ा सा घुमा दिया जाए तो अंगूठी की तरह पहना जा सकता है. जेमस्टोंस लगे होने से इन की ही नहीं आप की भी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे.

प्लेन, बोरिंग सनग्लास आज किसी भी महिला को नहीं भाते, क्योंकि वे उस की जिंदगी में एक खास एक्सेसरीज की जगह ले चुके हैं. लेकिन अपने सनग्लास को पहन कर आप ट्रेंडी तो लगेंगी ही, साथ ही अपने मनपसंद गाने भी सुन पाएंगी. खूबसूरत रंगों व डिजाइनों वाले सनग्लास में अगर वायरलेस स्टीरियो हैडफोन लगा हो और वह ब्लूटूथ हैडसेट का काम भी करे तो वह न सिर्फ एक बेहतरीन म्यूजिक प्लेयर का काम करेगा, बल्कि आप मोबाइल फोन की तरह उस में से बात भी कर पाएंगी.

सनग्लास के हैंडिल पर लगे बटनों से आप वायस कम्युनिकेशन और स्टीरियो साउंड को संभाल सकती हैं. यही नहीं, ऐसे यूएसबी मेमोरी फे्रम्स भी बाजार में उपलब्ध हैं जिन के फे्रम में 4 जीबी यूएसबी है, जिस से आप डाटा, पिक्चर और संगीत आदि को भेज सकती हैं. अब आप अपनी सारी जानकारी अपने दिल के पास रख सकती हैं, क्योंकि खास औरतों के लिए तैयार किया गया है एक हार्ट नेकलेस, जो यूएसबी फ्लैश ड्राइव है. पिंक कलर का होने के कारण यह गले पर खूब सजता है. 4 जीबी की क्षमता होने के कारण इस में आप डाटा, पिक्चर और संगीत कुछ भी स्टोर कर सकती हैं.

जब से सेलफोन आए हैं, घड़ी पहनने का टें्रड लगभग खत्म ही हो गया है, लेकिन अब ऐसा सेलफोन आ गया है जिसे आप घड़ी की तरह अपनी कलाई पर पहन सकती हैं. बहुत ही स्लीक होने के बावजूद इस में टच स्क्रीन, कैमरा व ब्लूटूथ हैडसेट भी है. तो फिर बांधें सेलफोन को कलाई पर और लें स्टाइलिश घड़ी का मजा.

टच एंड टाक

मोबाइल हाथ में पकड़ने में अगर आप परेशानी महसूस करती हैं तो आप के लिए अब ऐसा मोबाइल उपलब्ध है, जो पेपर की तरह हलका होने के साथसाथ कलाई पर भी बांधा जा सकता है. यह इतना लचीला है कि इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है. यहां तक कि हर बदलते आकार के साथ इस का रंग भी बदल जाता है. अगर कलाई पर बांधने में दिक्कत हो तो इसे आप अपने ब्लाउज या टौप पर भी टांग सकती हैं. इस का कांसेप्ट है टच एंड टाक.

वैसे भी कुछ सालों बाद मोबाइल फोन आउटडेटेड होने वाले हैं, क्योंकि इतना बड़ा सेट हाथ में उठाने का चलन ही खत्म हो जाएगा. आप के नाखूनों या अंगूठे में कोई चिप फिट कर दी जाएगी और आप को बात करने के लिए कान तक भी उसे ले जाना नहीं पड़ेगा. केवल लिप मूवमेंट से बातों का आदानप्रदान हो जाएगा. ऐसे कांटेक्स लेंस होंगे, जो खबरें तो आप तक पहुंचाएंगे ही,साथ ही ई-मेल भी आप की आंखों के सामने होगी और एक ऐसा यंत्र उस में फिट होगा,जिस से आप किसी भी शब्द को छू कर उस का अर्थ व उच्चारण जान सकेंगी. इस से आप हर समय अपडेटेड रहेंगी. महिलाएं इन उपकरणों की वजह से उन ऊंचाइयों को छू पाएंगी, जिन की वे आज तक केवल कल्पना ही करती आई हैं.

स्मार्ट होम

कामकाजी स्त्री की जिंदगी में इतनी भागदौड़ रहती है कि वह ठीक से खा तक नहीं पाती या फिर ठंडे खाने से ही काम चलाना पड़ता है. ऐसे में अगर कार में ही एक माइक्रोवेव ओवन बना हो तो कितनी आसानी से आप स्नैक्स तैयार कर पाएंगी. कार के लिए बने ये माइक्रोवेव ओवन कार की बैटरी से चलेंगे.

सफाई को ले कर हर स्त्री चिंतित रहती है, खासकर बाथरूम और किचन की सफाई को ले कर. लेकिन अब ऐसा कोर्डलेस वेट स्क्रबर बाजार में उपलब्ध है, जिस में बैटरी और चार्जर लगे हुए हैं, जिन्हें काम खत्म होने के बाद अलग किया जा सकता है. अब आराम से बिना हाथ गंदे किए कीजिए सफाई. रोबो क्लीनर भी एक और विकल्प है, जिस में सेंसर लगे हुए हैं, जो अपनेआप सारे घर की फ्लोरिंग को साफ कर देते हैं और वह भी आप की अनुपस्थिति में. इस में इन्फ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे चलाती है. हाईटेक कटिंग बोर्ड की मदद से न सिर्फ सब्जी काटना आसान होगा, बल्कि सामग्री का वजन भी आप को पता चल जाएगा. हाथ से काटने के बजाय स्क्रीन पर आप को सिर्फ हिदायत देनी होगी कि किस सब्जी को किस आकार में काटना है और वह मनचाही शेप में आप को मिल जाएगी.

हाईटेक खाना बनाने के लिए एक डिस्प्ले स्क्रीन होगा, जिस पर से पढ़ कर आप मनपसंद रेसिपी चुन कर उसे बनाने की हिदायत भी उसे दे पाएंगी. आने वाली दुनिया केवल निर्देशों पर चलेगी, जो हाथ हिला कर या मात्र छू कर देने होंगे, यानी वह महिला जो आज तक दूसरों के इशारों पर नाचती आई है, उस की जिंदगी हाईटेक गैजेट्स के चलते इतनी सुविधाजनक हो जाएगी कि वह अपनी उंगली पर हर किसी को घुमा पाएगी.

वह दिन दूर नहीं जब टच या फिर आप की पल्स रेट के हिसाब से चीजें काम करेंगी और आप भी किसी पार्लर में जाने के बजाय घर में ही सारे ब्यूटी ट्रीटमेंट चुटकी बजाते ही कर लेंगी. रही बात घर की सज्जा की तो  वह तो स्क्रीन पर निर्देश देने से भी हो जाएगी वरना रोबोट तो रहेंगे न आप की सेवा करने के लिए.पूरी तरह से आटोमैटिक हर्ब गार्डन

ताजा सब्जियों व मसालों के ?ां?ाट को दूर कर देगा. बीज डालना, खुदाई करना या पानी देने जैसे काम आप भूल जाइए, क्योंकि यह हाईटेक हर्ब गार्डन खुद ही सब कुछ करने में सक्षम होगा और बिना मिट्टी या कीटनाशक का प्रयोग किए आप अपनी किचन में ताजा फलसब्जियां व हर्ब्स उगा पाएंगी. भविष्य में इस तरह के पोर्टेबल किचन काउंटर, शेल्फ और स्टोरेज होंगे, जिन्हें कहीं भी साथ ले जाया जा सकेगा. उस में फ्रिज से ले कर हीटिंग स्पेस तक होगी. इस हाईटेक किचन की वजह से औरत को दिनरात गरमी या धुएं में नहीं खपना पड़ेगा, बल्कि अपने कमरे में बैठेबैठे वह रोबोट को संचालित कर खाना बना सकेगी और वह भी इंस्टेंट.

भविष्य के घर स्वीट होम के साथसाथ स्मार्ट होम भी होंगे और वे बने होंगे क्लिक एंड एक्सेस तकनीक के साथ. कल्पना कीजिए ऐसे घर की जहां एक ही नेटवर्क से जुड़े आप के आधुनिकतम टीवी, फ्रिज, कैमरा, मोबाइल आदि स्वचालित एकसाथ मिल कर काम कर रहे होंगे और वह भी जब आप घर पर नहीं आफिस में होंगी. ऐसा होना संभव है और इस के साथ ही औरत का जीवन कहीं अधिक सुविधाजनक व आलीशान हो जाएगा.

हर काम एक सिस्टम व प्लानिंग से होगा. घर की कोई चीज खराब हो जाएगी तो आफिस में बैठेबैठे आप को खबर हो जाएगी और आप वहीं से उसे ठीक करने वाले गैजेट को चालू कर उसे फिर से काम पर लगा पाएंगी. आप के उस स्मार्ट होम में हर कमरे और उस में रहने वाले सदस्य की जरूरत के अनुसार डिवाइस फिट होंगे, जिन का कंट्रोल आप के हाथ में होगा.

सिक्योरिटी चेक

आने वाले समय में बच्चों को घर में अकेला छोड़ना भी समस्या नहीं रहेगी, क्योंकि रोबोट सोते हुए, खेलते हुए बच्चे की निगरानी करेंगे और मांएं चिंतामुक्त हो कर जी सकेंगी. सब से अच्छी बात तो यह होगी कि औरतों की सुविधा के लिए बनने वाले ये हाईटेक गैजेट्स उन से न कोई सवाल करेंगे न ही कोई बहस. बस सिर ?ाकाए उन के आदेशों का पालन करेंगे, जिस से औरत के लिए नौकरी करते हुए परिवार की जिम्मेदारियां उठाना मुश्किल नहीं रहेगा, न ही सासननद और पति के तानों से उस की रातों की नींद में खलल पड़ेगा.

आने वाले समय में आप को अपने टीनएज बच्चों को ले कर टेंशन में रहने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अगर आप की किशोर बेटी कुछ गलत करने वाली होगी तो उस की कार में आप लगा सकती हैं ऐसा जीपीएस सिस्टम, जो आप को तुरंत उस की हरकतों का पता दे देगा और आप दूर से ही उस की एक्टिविटी को कंट्रोल कर लेंगी. उस के बाद कार तब तक नहीं चल पाएगी जब तक आप की बेटी को अपनी गलती सम?ा नहीं आ जाएगी और वह घर आने को तैयार नहीं हो जाएगी.

यही नहीं पतियों को ले कर आप टेंशन फ्री हो जाएंगी, क्योंकि हसबैंड ट्रांसलेटर जैसा गैजेट आप के कान में न सिर्फ उस के दिल की बात बता देगा, बल्कि उस तक आप के दिल की बात पहुंचा कर संबंधों में आने वाली कड़वाहट व गलतफहमियों को भी सुल?ा देगा.

हाईटेक सिक्योरिटी सर्विस गैजेट की वजह से आप के लिए परिवार के साथ कहीं बाहर जाना भी बहुत आसान हो जाएगा, क्योंकि घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस की होगी और आप दूसरे देश में बैठी हुई भी अपने घर के अंदर इस की मदद से ?ांक पाएंगी. महिलाओं की जीवनशैली पर इन हाईटेक गैजेट्स और एक्सेसरीज का बहुत व्यापक असर पड़ेगा, क्योंकि इन की वजह से सारे अधिकार व नियंत्रण उन के हाथ में आ जाएंगे, जिन्हें पाने के लिए वे आज हर संभव कोशिश कर रही हैं. जिन चीजों के न होने की वजह से आज की पढ़ीलिखी महिला भी अपने को असहाय महसूस करती है उस के लिए भविष्य ऐसे द्वार खोलने के लिए आतुर है जिन के भरपूर सुविधाओं से युक्त रास्ते उसे ऐशोआराम की हाईटेक जिंदगी देंगे.

गैजेट्स रीसाइकिल होने वाले और इकोफें्रडली होंगे ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे न ही आप के बच्चों को प्रदूषण के साइड इफेक्ट्स ?ोलने पड़ें.

इंटरनेट प्रोटोकोल टीवी आप का मनोरंजन करेगा और गैजेट्स आप की सुरक्षा व स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, वह भी बिना आप के कहे. ये हाईटेक गैजेट्स छोटे और हमारे शरीर की तरह की शेप वाले होंगे. फिर आज की तरह का इन का बेडौल व भारी आकार आप को परेशान नहीं कर पाएगा. ये भी घर की सज्जा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

लंबी छुट्टी चाहती हैं दबंग गर्ल

लंबी छुट्टी का मतलब कुछ और न समझें. दरअसल, सोनाक्षी एक के बाद एक लगातार फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन करतेकरते थक गई हैं, इसलिए कुछ दिन आराम करना चाहती हैं. सोनाक्षी वाकई पिछले 2 सालों से लगातार ‘बुलेट राजा’, ‘आर. राजकुमार’, ‘हौलीडे’, ‘एक्शन जैक्सन’, ‘लिंगा’ और ‘तेवर’ जैसी फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन में बिजी रही, इसीलिए उन्होंने तय किया है कि वे कुछ दिनों की छुट्टियां लेंगी. वे इस ब्रेक के दौरान तरोताजा होना चाहती हैं. इसी के चलते उन्होंने ‘तेवर’ के बाद कोई और फिल्म साइन नहीं की है. सोनाक्षी इन छुट्टियों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताएंगी.

इधर ध्यान बंटा उधर डब्बा गायब

‘हाय बीवीजी, तेरे रुपए तो गाड़ी से नीचे गिर गए, देख तो.’ यह सुनते ही किसी भी औरत का चिंतित हो जाना आम बात है. इधर देवीजी गाड़ी से निकलीं नहीं कि उधर पर्स, बैग आदि गाड़ी के दूसरे दरवाजे से यह जा वह जा. दिल्ली का ठकठक गैंग इस तरह बहुतों को लूट रहा है. पर चूंकि औरतें कम ड्राइव कर रही हैं, इसलिए अभी औरतों को चोट पहुंचने के समाचार कम मिले हैं. पर यह काम है आसान.

इस काम को 5-6 लोग मिल कर करते हैं. पहले भोली सूरत का लड़का, आदमी या औरत में से कोई किसी का ध्यान बंटाता है फिर दूसरा उठाता है, तीसरे को पकड़ाता है और बाकी ले कर रफूचक्कर. अकेली औरत इधर देखे, उधर देखे, चिल्लाए, रोए पर माल तो गया.

अब छीनाझपटी उतनी नहीं होती नजर आ रही, जितनी ठकठक गैंग की उचकाई, क्योंकि इस में मोटा माल मिलता है और गाडि़यों में सीट पर रखे सामान की कीमत हाथ के पर्स या गले की चेन से ज्यादा होती है. एअरकंडीशंड गाडि़यों, जिन के शीशे बंद रहते हैं और सैंट्रल लौक की सुविधा होती है, से भी शातिर गैंग हाथ साफ करने में सफल हो जाते हैं, क्योंकि जैसे ही ड्राइव कर रहा जना दरवाजा खोल कर उतरता या उतरती है, दूसरी ओर का दरवाजा भी अनलौक हो जाता है. यही तो मौका होता है माल पार करने का.

गाडि़यों में सामान ले जाना तो आम और स्वाभाविक बात है और उसे इस तरह के उचक्कों की निगाहों से छिपाया तो नहीं जा सकता पर अपनी आदतें सुधारी जरूर जा सकती हैं. सामान सीट पर रखने की जगह पैरों के पायदान पर रखना ज्यादा ठीक रहेगा चाहे वह हाथ का पर्स ही क्यों न हो.

धर्म के नाम पर पुण्य कमाने के चक्कर में भीख मांगने वालों की ठकठक को अनदेखा करने की आदत भी डालनी होगी. असल में गाड़ी तो कभी रास्ते में दूसरे के कहने पर रोकनी ही नहीं चाहिए, क्योंकि ज्यादातर लूटपाट ऐसे ही होती है. अगर कोई कहे कि गाड़ी में कुछ खराबी है, पिछला दरवाजा खुला, डिक्की बंद नहीं, टायर पंचर है तो अपनी मरजी की जगह रोकें. किसी दुकान या बस स्टैंड पर जहां लोग जमा हों और 8-10 मिनट चलने के बाद. ऐसे में फिक्र अपनी करिए, गाड़ी या सामान की नहीं, क्योंकि उचक्के आप पर भी हाथ मार सकते हैं.

विवाह वैभव नहीं जीवन निधि

भारतीय संस्कृति में विवाह एक विशेष उत्सव माना जाता है, इसलिए इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से किया जाता है. वैसे विवाह 7 वचन और अग्नि के 7 फेरों के साथ जीवन भर साथ निभाने की रस्म मात्र है. लेकिन कुछ मिनटों में हो सकने वाली इन रस्मों के लिए यदि आस्ट्रेलिया से फूलों का जहाज आए और पूरा नगर बिजली की रोशनी से जगमगाए या एक नकली विशाल महल ही खड़ा कर दिया जाए तो उस पर इतना खर्च हो जाता है जिस से हजारों की रोटी जीवन भर चल सकती है.

पर यह बात तो हुई उन संपन्न लोगों की शादी की जिस के लिए न तो उन्हें किसी से उधार लेना पड़ता है, न ही कर्ज और न ही घर या जमीन बेचना पड़ता है. हां, इस चकाचौंध का असर मध्यवर्ग पर जरूर पड़ता है, जो यह सोचता है कि यदि पूरा नगर सजाया गया है तो मैं क्या अपना घर भी नहीं सजा सकता? और इस के लिए वह अपनी जमापूंजी तो खर्च करता ही है, कर्जदार भी बन जाता है.

मध्यवर्ग से अधिक मुश्किल उच्च मध्यवर्ग की है जिसे समाज में अपनी रईसी का झंडा गाड़े रखना है. रवींद्र के यहां दावत में विदेशी फल थे, चाट के 5 स्टौल थे और खाने के 10 तो सुशील कैसे पीछे रहते. उन्होंने पार्टी की तो बड़ेबड़े बैलून से सारा पंडाल सजाया और 15 स्टौल आइसक्रीम, चुसकी आदि के ही रखवा दिए. मिठाइयां 50 तरह की रखीं.

हर व्यक्ति अमूमन एक बार में 300 ग्राम या 500 ग्राम से अधिक नहीं खा पाता. यदि बहुत वैराइटी होती है तो चखने के चक्कर में बरबाद बहुत करता है और यदि समझदार होता है तो चुन कर खा लेता है. इस में सब से अधिक चांदी कैटरर की होती है. जितनी अधिक चीजें होंगी उतने ही उन के दाम होंगे. लेकिन कोई भी व्यक्ति खाता तो सीमित ही है.

पहले और अब में फर्क

पहले बरात आती थी तो कई दिन रुकती थी. लड़की के घरपरिवार का हर सदस्य बरातियों की खातिर करता था. बराती बन कर जाना मतलब 2 या 3 दिन की बादशाहत थी. लेकिन तब और अब में फर्क यह है कि अब बरातीघराती में फर्क होता ही नहीं. न कोई काम करना चाहता है न ही जिम्मेदारी निभाना चाहता है. सभी साहब बन कर आते हैं, इसलिए कैटरर का प्रचलन अधिक हो गया है, जो बेहद खर्चीला है.

पहले विवाह की सभी रस्में गीतसंगीत व ढोलक की थाप के साथ घरपरिवार की महिलाओं के बीच होती थीं. बहन, बूआ, चाची, ताई और महल्ले व पड़ोस की महिलाएं जुटतीं तो तरहतरह के मधुर गीतों के साथ रस्में निभातीं जिस से घर में रौनक हो जाती. अब घरपरिवार हम 2 हमारे 2 ने सीमित कर दिए. अब चाची, ताई आदि रिश्ते सीमित हो गए हैं तो रौनक के लिए किट्टी पार्टी, क्लब आदि में बनाए रिश्ते ही सब से ऊपर हो जाते हैं. ये रिश्ते अब केवल जेवरकपड़े की नुमाइश मात्र हो गए हैं. अब पुरानी रस्मों का कोई औचित्य नहीं रह गया है. अब वे रस्में नए अंदाज में नजाकत से किट्टी पार्टी की महिलाओं को बुला कर होती हैं.

अब घर वालों को उन के करने का न तो कारण ज्ञात है न अवसर, लेकिन लकीर के फकीर की तरह उन को करना है इसलिए करना है. पहले हलदी आदि के उबटन से त्वचा चमक उठती थी, लेकिन अब सब से पहले यह पूछा जाता है कौन से पार्लर से मेकअप कराया है या कौन सी ब्यूटीशियन आई है? अब सभी शुभदिन में ही विवाह करना चाहते हैं, इसलिए उस दिन ब्यूटीपार्लर में दुलहनों की कतार रहती है. वैसे तो बरातें ही 12-1 बजे पहुंचती हैं, उस पर दूल्हा और घर वाले बैठे दुलहन का पार्लर से लौटने का इंतजार करते रहते हैं. अधिकांश निमंत्रित तो खाना खा और शगुन दे कर चले जाते हैं. बहुत कम लोग दुलहन को देखने के लिए रुक पाते हैं. आज हर महिला अच्छे से तैयार होना, पहननाओढ़ना जानती है और हर रस्म पर अलगअलग साजसज्जा. क्या यह हजारों रुपए की बरबादी नहीं कही जाएगी?

अनावश्यक दिखावा

एक गरीब कन्या का विवाह हो जाए इतना खर्च तो लेडीज संगीत तैयार कराने वाला ले लेता है. क्या ये सब दिखावा आवश्यक खर्च है? क्या लड़की होना इन सब की वजह से बोझ है? और क्या मात्र दहेज ही सामाजिक कुव्यवस्था की जिम्मेदार है या मानवीय मानसिकता भी, जिस ने विवाह को एक व्यापार बना दिया है?

अब दिखावे में खर्च ज्यादा

पुराने समय में कन्या पक्ष वर पक्ष वालों को मानसम्मान हेतु भेंट देता था व अपनी कन्या के उपयोग के लिए उस की पसंद की वस्तुएं. लेकिन यह उपहार दानवीय आकार ग्रहण कर दहेज बन गया है. दहेज के साथ जो दिखावा व तड़कभड़क जनजीवन और समाज के साथ जुड़ गया है, वह विवाह में अधिक कमर तोड़ देने वाला है. दिखावे में जो खर्च होता है वह अपव्यय है. हर वस्तु को सजा कर प्रस्तुत करना अच्छा है, लेकिन अब सजावट वस्तु से अधिक मूल्य की होने लगी है. पहले मात्र गोटे और कलावे से कपड़े बांध दिए जाते थे, लेकिन अब उन को तरहतरह की टे्र आदि में कलात्मक आकार दे कर प्रस्तुत किया जाता है.

बन गया व्यापार

इस में दोराय नहीं कि यदि कलात्मक सोच है तो अच्छा लगता है, लेकिन अब इस ने भी व्यापार का रूप ले लिया है. जहां एक तरफ दहेज प्रदर्शन बिलकुल निषिद्ध है, वहीं दूसरी तरफ सजी हुई दहेज की साडि़यां व जेवर वगैरह दिखाने के लिए लंबी जगह का इंतजाम किया जाता है. अफसोस तब होता है जब उस सजावट को एक क्षण में तोड़ कर कोने में ढेर कर दिया जाता है. तब यह लगता है यदि उतना मूल्य देय वस्तु में जुड़ा होता या स्वयं बचाया होता तो उपयोगी होता. क्व100 की वस्तु की सजावट में क्व100 खर्च कर देना कहां की समझदारी है?

वैवाहिक कार्यक्रम में वरमाला के नाम पर भव्य सैट तैयार किया जाता है. यह एक तरह से मुख्य रस्म बन चुकी है, इसलिए इस की विशेष तैयारियां की जाती हैं. वरमाला रस्म कम तमाशा अधिक होती है. अधिकतर देखा जाता है कि वर अपनी गरदन अकड़ा लेता है. शायद ऐसा कर के वह अपनी होने वाली पत्नी पर रोब डालना चाहता है. दोस्त उसे ऊंचा उठा लेते हैं, साथ ही उसे प्रोत्साहित करने के लिए व्यंग्य आदि भी करते रहते हैं, जो स्थिति को हास्यास्पद तो बनाता ही है कहींकहीं बिगाड़ भी देता है. वधू माला फेंक कर या उछल कर डाल रही है या उसे उस की सहेलियां या भाई उठा रहा है या फिर उस के लिए स्टूल लाया जा रहा है, ये स्थितियां भी बहुत अशोभनीय लगती हैं.

बिजली की बेहिसाब जगमगाहट और विशाल पंडाल की टनों फूलों से सजावट क्या यह सब आवश्यक है? जहां देश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है, वहां इतना अपव्यय क्या ठीक है? बैंडबाजे ध्वनि प्रदूषण तो उत्पन्न करते ही हैं, उन की धुन पर नाचतेथिरकते अकसर हास्यास्पद भी लगते हैं. साथ ही बरात का शोर आसपास के बच्चों के पढ़ने में व्यवधान बनने के साथ थके हुए उन लोगों के लिए, जिन का उस शादी से कोई लेनादेना नहीं है, अप्रिय स्थिति पैदा करता है. यदि ये अनावश्यक खर्चे नवविवाहित जोड़े के आगे जीवन के लिए जीवन निधि बनें तो अधिक अच्छा है.

टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें

कोई भी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनी, फर्म, व्यक्तियों का समूह आदि, जिन की आमदनी आयकर छूट सीमा से अधिक है, उन्हें अपनी सालाना आय का लेखाजोखा प्रत्येक साल आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है. इसे आयकर रिटर्न कहते हैं. रिटर्न में पिछले वर्ष की आमदनी और निवेश का विवरण होता है.

वित्तीय वर्ष 2009-10 (1-4-09 से 31-03-10) के लिए आकलन वर्ष, 2010-11 में रिटर्न दाखिल की जाएगी.

किसे भरना है टैक्स

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जिन की सालाना आय 1 लाख 90 हजार रुपए से ऊपर हो.

65 वर्ष या उस से ऊपर के स्त्रीपुरुष, जिन की सालाना आय 2 लाख 40 हजार रुपए से ऊपर है.

अन्य 65 वर्ष से कम उम्र के पुरुष, फर्म व कंपनियां, जिन की सालाना आय 1 लाख 60 हजार रुपए से ज्यादा हो.

कंपनियां लाभ अर्जित कर रही हों या हानि, टैक्स भरना अनिवार्य है.

टैक्स नियत तिथि से पहले भरें ताकि पेनल्टी से बच सकें.

अंतिम तिथि

वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए टैक्स भरने की अंतिम तिथि :

1. वेतनभोगी या फिर जिन की कमाई आडिट नहीं होती- 31 जुलाई, 2010 तक.

2. जिन की कमाई आडिट होती है यानी 40 लाख रुपए से ज्यादा टर्नओवर करने वाले बिजनेसमैन या फिर 10 लाख रुपए से ज्यादा बिल इशू करने वाले डाक्टर, वकील, सी.ए. जैसे प्रोफेशनल व्यक्ति- 30 सितंबर, 2010 तक.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए

0.00 से 1.90 लाख तक     कोई टैक्स नहीं

1.90 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से ऊपर   30%

सरचार्ज खत्म कर दिया गया है. मगर एजुकेशन सेस टैक्स का 2% लगेगा. सेकेंडरी और हायर एजुकेशन टैक्स का 1% लगेगा.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्रीपुरुष

0.00 से      2.40 लाख तक कोई टैक्स नहीं

2.40 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से  ऊपर   30%

जरूरी कागजात

1. आयकर रिटर्न भरते वक्त पैन कार्ड नंबर लिखना जरूरी होता है. फोटो आइडेंटिटी और एडे्रस प्रूफ दे कर आप 15 दिनों में अपना पैन कार्ड बनवा सकते हैं.

2. सेलरी से आय है तो नियोक्ता से फार्म 16 लें.

3. एनएससी, एलआईसी, इक्विटी लिंक्ड सेविंग प्लान वगैरह में इनवेस्ट किया है तो उन की रसीद पीपीएफ, टीडीएस आदि के सर्टिफिकेट की फोटोकापी, एडवांस टैक्स की रसीद रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज/अटैचमेंट जमा नहीं करना होता. मगर करदाता को वे सभी दस्तावेज अपने पास संभाल कर रखने चाहिए. आयकर कानून के तहत अधिकारी, जांच या किसी अन्य प्रक्रिया के दौरान ये दस्तावेज मांगते हैं तो इन की मूल प्रति पेश करनी होती है.

कौन सा फार्म भरें

1. जिन लोगों को वेतन, पेंशन या ब्याज से होने वाली आमदनी है, उन के लिए फार्म- आईटीआर-1.

2. सेलरी/ब्याज के अलावा जिन्हें प्रौपर्टी/कैपिटल गेन से लाभ हुआ है मगर बिजनेस/प्रोफेशन से आय नहीं है- आईटीआर-2.

3. जो कहीं साझेदारी में हैं, फर्म में पार्टनर हैं, उन के लिए- आईटीआर-3.

4. प्रोपराइटरी बिजनेस/प्रोफेशन से प्राप्त आय आईटीआर-4.

आय के प्रमुख मद

1. वेतन से आय : मूल वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, कमीशन, अलाउंसेस वगैरह.

2. हाउस प्रौपर्टी : किराया, ब्याज आदि.

3. कैपिटल गेन : ट्रांसफर करने से होने वाला लाभ.

4. बिजनेस/प्रोफेशन इनकम.

5. दूसरे स्रोत : ब्याज, सेविंग, डिविडेंड, गिफ्ट.

एडवांस टैक्स

चार्टर्ड एकाउंटेंट सना बताती हैं कि वैसे इंडीविजुअल, जिन का सालाना टैक्स 10 हजार रुपए से ऊपर है, उन्हें एडवांस टैक्स इस तरह भरना होगा :

टैक्स का 30% :      हर वर्ष 15 सितंबर.

टैक्स का 60% :      हर वर्ष 15 दिसंबर.

टैक्स का 100% :     हर वर्ष 15 मार्च. (सेलरी वाले केस में टीडीएस कट गया हो तो एडवांस टैक्स सेलरी इनकम पर नहीं लगता.)

आई.आई.सी.एम. में सीनियर फाइनेंस आफिसर संजय सिंह बताते हैं, ‘‘रिटर्न मैनुअल भी भरी जा सकती है और औनलाइन भी. मैनुअल भरा हुआ फार्म इनकम टैक्स आफिस में जमा करना होता है. इनकम टैक्स आफिस में कई वार्ड/रेंज होते हैं. नाम और आय के मुताबिक नियत स्थान पर फार्म जमा करना होता है. आप चाहें तो अपना रिटर्न इनकम टैक्स प्रिपेयर की मदद से भी फाइल करा सकते हैं.’’

करदाताओं के लिए इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने का विकल्प भी मौजूद है. इसे ई रिटर्न कहा जाता है. यह आयकर विभाग की वेबसाइट है. यह तकनीक काफी सहज है और महिलाएं घर बैठबैठे रिटर्न भर सकती हैं.

इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसा करने पर करदाता को आयकर कार्यालय में आईटीआर-वी फार्म जमा करने की जरूरत नहीं होती और अगर करदाता औनलाइन रिटर्न भरने में डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल नहीं करते तो उन्हें इंटरनेट पर रिटर्न दाखिल करने के बाद सिग्नेचर की वेरिफिकेशन के लिए आईटीआर-वी फार्म निकाल कर बंगलोर आफिस भेजना पड़ता है.

टैक्स बचाने के लिए निवेश

सीनियर एडवोकेट मिसेज प्रेमलता बंसल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इनकम एक्ट की धारा 80 ष् में टैक्स छूट 1 लाख रुपए तक है. यह छूट निम्न निवेशों पर मिलती है :

बीमा पौलिसियां

पब्लिक प्रोविडेंट फंड्स (अधिकतम 70,000 रुपए प्रतिवर्ष).

प्रोविडेंट फंड

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम.

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट.

होम लोम प्रिंसिपल अमाउंट रिपेमेंट- मूलधन के भुगतान पर (घर खरीदने या बनाने पर).

बच्चों की एक्चुअल ट्यूशन फीस.

बैंकों की खास स्कीमें जैसे, सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम या टाइम डिपोजिट (5 वर्ष) स्कीम.

यूलिप-यूनिट लिंक्ड इश्योरेंस प्लान्स.

आईटी एक्ट की धारा 80 डी के अंतर्गत छूट

मेडिक्लेम प्रीमियम (अपना और परिवार का 15 हजार तक सीनियर सिटिजंस को एक्स्ट्रा 5 हजार तक.)

आईटी एक्ट की धारा 24 के अनुसार हाउसिंग लोन के ब्याज रिपेमेंट का डिडक्शन 1.50 लाख तक मिल सकता है.

पेनल्टी

नियत अवधि तक रिटर्न फाइल नहीं की तो नियत अवधि के बाद 1% प्रतिमाह पेनल्टी लगेगी.                   

व्यक्तिगत समस्याएं

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मैं ने प्रेमविवाह की है. विवाह को 3 वर्ष हो चुके हैं. शादी के महीने भर बाद ही मैं ने अपने पति को किसी अन्य लड़की से बातें करते हुए सुना. उस बात को ले कर हमारी अब तक रोज लड़ाई होती है. अब मेरे जीवन में भी कोई मुझे चाहने वाला आ चुका है. वह मेरे भाई का दोस्त है और मुझ से 1 साल छोटा है. उस ने मुझे बताया कि वह मुझे मेरे विवाह से पहले से चाहता है पर मैं ने कभी उस की ओर ध्यान नहीं दिया. अब जब उसे सब बातों का पता चला तो उस ने अपने प्रेम का इजहार किया. वह मुझ से शादी करने को तैयार है. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. फिर आप ने तो प्रेमविवाह किया है. बावजूद इस के शादी के मात्र महीने भर बाद ही आप पति पर शक करने लग गईं. इसी वजह से आप का पति से झगड़ा रहता है, जो बहुत ही गलत है. आप के पति ने आप से प्यार किया और फिर विवाह. ऐसे में आप को भरोसा होना चाहिए कि वे सब से ज्यादा आप को ही चाहते हैं. शादी हो जाने का मतलब यह नहीं कि पति किसी और लड़की से बात न करे.

यदि आप को ईर्ष्या हुई थी तो भी उसे जाहिर नहीं करना चाहिए था. अब भी यदि आप सुखी दांपत्य जीवन चाहती हैं, तो शक को दिमाग से निकाल दें और पति से सामान्य व्यवहार करें. चूंकि आप उन की ब्याहता हैं, इसलिए असुरक्षा की भावना मन से निकाल दें. अपने भाई के दोस्त की हमदर्दी को प्यार न समझें. वह अवसरवादी लगता है वरना आप को झूठे सब्जबाग न दिखाता.

मैं 34 वर्षीय विवाहिता हूं. पति के साथ सहवास करते मुझे रक्तस्राव हुआ, जिस से मैं बहुत भयभीत हूं. उस दौरान मुझे मासिकधर्म से निवृत्त हुए 10 दिन बीत चुके थे. ऐसा अब तक 2 बार हो चुका है, लेकिन अभी तक मैं ने किसी डाक्टर से परामर्श नहीं किया है. कृपया बताएं कि यह आम बात है या फिर यह किसी बीमारी का लक्षण है? और क्या मुझे किसी डाक्टर से मिलना चाहिए?

सहवास के दौरान हलका रक्तस्राव होना आम बात नहीं है, इसलिए आप को किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना चाहिए. वे जांच के बाद उपचार करेंगी.

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. शीघ्र ही विवाह होने वाला है. मैं जितना अपनी शादी को ले कर रोमांचित हूं उतनी ही सुहागरात को ले कर भयभीत भी हूं. सुना है कि जब पहली बार पति संबंध बनाता है, तो बहुत दर्द होता है. पता नहीं मैं यह दर्द सह पाऊंगी या नहीं, यही सोचसोच कर भयभीत रहती हूं. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें?

आप सुहागरात को ले कर मन में कोई पूर्वाग्रह न पालें. प्रथम समागम के दौरान जब युवती का योनिच्छद होता है, तो हलका सा रक्तस्राव और दर्द होता है. पर यह दर्द इतना नहीं होता कि सहा न जाए. अत: बेवजह भयभीत न हों.

मेरे विवाह को 15 साल हो चुके हैं पर मेरे पति अब तक नहीं सुधरे. अब भी वे हमें छोड़ कर 2-2 साल तक कहीं चले जाते हैं. घर की सारी जिम्मेदारियों को मैं अकेले उठाती आई हूं. अब तक तो जैसेतैसे चलता रहा पर अब सहन नहीं होता. उन्हें कैसे समझाऊं ताकि वे ऐसा करना छोड़ दें.

आप ने पूरा खुलासा नहीं किया कि आप के पति घर छोड़ कर कहां जाते हैं और आप ने शुरू में ही इस का विरोध क्यों नहीं किया? एक पति अपने घरपरिवार से भला ऐसे कैसे दूर रह सकता है. आप को घर के बड़ों से (अपने सासससुर आदि) पहले ही इस विषय में बात करनी चाहिए थी. आप की चुप्पी की वजह से ही आप के पति इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत करते रहे हैं. आप को पति से दोटूक बात करनी चाहिए कि वे अपनी आवारागर्दी से बाज जाएं. चाहे तो अन्य सगेसंबंधियों से भी मदद ले सकती हैं. पति के प्रति सख्त रुख रखेंगी तो वे जरूर अपनी हरकतों से बाज आ जाएंगे.

मैं एक लड़के से 3 वर्षों से प्रेम करती हूं. हम दोनों के घर वाले भी हमारी शादी करने के लिए मान गए थे पर किसी रिश्तेदार ने मेरे घर वालों को भड़का दिया कि लड़के की हैसियत हमारे बराबर का नहीं है. रिश्ता बराबर वालों में ही करना चाहिए. अब मेरे घर वाले अड़ गए हैं कि वे यह शादी नहीं होने देंगे. मैं उन्हें मनातेमनाते हार गई हूं. कृपया बताएं कि क्या करूं?

यदि लड़का आत्मनिर्भर है, उस में कोई ऐब नहीं है और आप को लगता है कि वह आप के लिए योग्य जीवनसाथी साबित होगा तो आप घर वालों को बता दें कि आप सिर्फ और सिर्फ उसी से विवाह करेंगी. उन से यह भी कहें कि जब पहले इस शादी के लिए राजी थे तो अब दूसरों के बहकावे में आ कर शादी से क्यों पीछे हट रहे हैं? उन्हें मनाने का प्रयास करें. फिर भी वे राजी नहीं होते तो आप कोर्ट मैरिज कर सकते हैं.

मेरी शादी को 1 वर्ष हो गया है. मैं मां बनना चाहती हूं, पर पति अभी बच्चा नहीं चाहते. कहते हैं कि अभी कुछ साल हम अपनी शादी ऐंजौय करेंगे. उस के बाद बच्चे के बारे में विचार करेंगे. उन का कहना है कि बच्चा होने पर स्त्री का यौनांग ढीला हो जाता है. तब सैक्स में पहले जैसा मजा नहीं आता. क्या यह बात सच है?

यदि आप दोनों की अभी उम्र कम है और आप बच्चे की जिम्मेदारी उठाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं तो और कुछ साल बेफिक्र हो कर विवाह का आनंद उठा सकते हैं. मगर सिर्फ यह सोच कर बच्चा पैदा करने से कन्नी काटना कि इस से सहवास के आनंद में कमी आ जाएगी, गलत है. माना कि बच्चा पैदा होने पर स्त्री के यौनांग में थोड़ा ढीलापन आ जाता है, पर उस से सहवास के आनंद में कमी नहीं आती है.

सैक्स, औरत और धोखा

उच्च और उच्चतम न्यायालय के प्रौढ और उम्रदराज न्यायाधीश कितनी ही बार ऐसे निर्णय देते हैं, जो लगता है कि उन की आयु के लोग दे ही नहीं सकते. वे जिस तरह व्यावहारिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं के रक्षक बन कर सरकार और कट्टरपंथियों के बीच पत्थर की दीवार बन कर खड़े हो जाते हैं उस पर सुखद आश्चर्य होता है.

साल 2015 में मुंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति मृदुला भटनागर ने एक निर्णय में कहा कि जब एक औरत को सैक्स का हक है, मां बनने या न बनने का हक है, गर्भपात कराने का हक है तो विवाहपूर्व सैक्स करने का हक भी है. पर इस हक की आड़ में धोखे से सैक्स संबंध बनाने व बलात्कार करने का आरोप लगाने का हक नहीं बनता. उन के सामने एक ऐसे युवक का मामला था जिस ने एक लड़की से कई वर्ष तक सैक्स संबंध रखे पर विवाह न कर पाया.

लड़की ने शिकायत की थी कि उस के साथ सैक्स संबंध शादी करने के वादे कर के धोखे से बनाए गए थे जोकि बलात्कार है. उस लड़के पर पुलिस ने फौजदारी मामला चलाया तो वह उच्च न्यायालय आया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि पढ़ीलिखी यह लड़की अच्छी तरह जानती थी कि वह क्या कर रही है. यह उस के शरीर की मांग थी जिस के लिए वह लड़के को दोषी नहीं ठहरा सकती.

सैक्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. हर जने का शरीर इस की मांग करता है और हर मामले में अविवाहितों को सैक्स करता देख उसे अनैतिक या बलात्कार नहीं माना जा सकता. लगातार बने संबंध तो सहमति के आधार पर ही माने जाएंगे और उस पर आपत्ति करना सरासर गलत है.

सैक्स संबंधों में सामाजिक वर्जनाएं तो वास्तव में बहुत से तनाव पैदा करती हैं. जब से गर्भ ठहरने की गारंटी मिलने लगी है, समाज को नैतिकता के नियम और कानून बदलने ही होंगे. तलाक के मामलों में तो ऐडल्ट्री यानी विवाह से बाहर संबंध को तलाक के आधार या अपराध से निकालना होगा. न्यायाधीश मृदुला भटनागर ने माना है कि सैक्स शरीर की आवश्यकता है और उन का यह कथन अविवाहित औरतों पर ही नहीं, विवाहित औरतों पर भी लागू होता है. पर पुरुष या पर स्त्री से जीवनसाथी के संबंध विवाह के स्थायित्व के लिए हानिकारक हो सकते हैं पर ये न तो अनैतिक हैं न सामाजिक पतन की निशानी.

अगर विवाहित स्त्री या पुरुष का संबंध कहीं बनता है, जो ढेरों में बनते हैं, तो इस में सामाजिक या कानूनी अपराध नहीं होता. हां, घर बिगड़ने वाली स्थिति जरूर खड़ी होती है. पर एक शराबी पुरुष और एक लड़ाकू, खर्चीली, आलसी औरत के कारण भी घरबार टूट सकता है, तो इस में सिर्फ बाहरी सैक्स संबंध को क्यों दोष दिया जाए?

बहुत से मामलों में सैक्स सुख न पा सकने के कारण पुरुष या स्त्री बेहद कुंठित हो जाते हैं. वे दिन भर तनाव में रहते हैं. किसी से अपनी बात शेयर नहीं कर सकते. सैक्स दवाओं का भारी व्यापार यह दर्शाता है कि किस तरह मर्द अपने को कमजोर समझते हैं यानी उन की औरतें उन से नाखुश रहती हैं.

विवाह संस्था आपसी स्त्रीपुरुष के सहयोग और बच्चों के लिए जरूरी है और उस की एक शर्त यही है कि पतिपत्नी दोनों में से कोई किसी और के प्रति निष्ठा न रखे. पर किसी और के प्रति लगाव को विवाह की बुनियाद की टूटन न मान कर दीवार पर आई दरार माना जाए, जिसे ठीक करना कोई मुश्किल नहीं है. यदि सहमति के साथ बने संबंधों को भी आपराधिक माना जाने लगा तो बहुत से परिवार उजड़ सकते हैं.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति के मोनिका लावंसकी के साथ संबंधों को आपराधिक मान लिया होता तो दोनों का कैरियर, घरबार, राजनीतिक आकांक्षाएं चूरचूर हो चुकी होतीं. न्यायमूर्ति मृदुला भटनागर का फैसला लड़की के खिलाफ होते हुए भी औरतों के पक्ष में है क्योंकि अगर सहमति से किए गए प्यार को भी अपराध माना जाएगा तो आदमी के अलावा औरत पर भी मुकदमा चलेगा जैसा खापों के कानूनों या इसलामिक कानून में है.

सैक्स संबंधों पर संस्कृति, इतिहास, परंपराओं व धार्मिक श्रेष्ठता का दावा करने वाले भूल जाते हैं कि लगभग हर धर्मग्रंथ में ऐसे किस्से भरे हैं जिन में विवाहितों के पराए साथी से संबंध रहे हैं. विवाह फिर भी चलता रहा है. तभी समाज में एक से ज्यादा पत्नियों का चलन रहा है. हां, एक से ज्यादा पतियों का चलन पुरुषों ने नहीं होने दिया. पर क्या यह पुरुषों की धौंसबाजी नहीं कही जाएगी?

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