मानसिकता में बदलाव जरूरी

धारावाहिक ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की सशक्त भूमिका निभा कर चर्चा में आईं टीवी अभिनेत्री मेघना मलिक रियल लाइफ में स्पष्टभाषी और हंसमुख हैं.

हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली मेघना को बचपन से ही अभिनय का शौक था. यही वजह थी कि अंगरेजी में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने दिल्ली के नैशनल स्कूल औफ ड्रामा में अभिनय की शिक्षा प्राप्त की. थिएटर में अभिनय के साथसाथ उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया. उसी दौरान उन्हें ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका के लिए चुना गया. हालांकि उन की उम्र के हिसाब से यह किरदार उन से काफी बड़ी उम्र की महिला का था पर उस की कहानी उन के दिल को छू गई इसलिए उन्होंने हां कर दी.

इस समय मेघना लाइफ ओके पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक ‘गुस्ताख दिल’ में बरखा की भूमिका निभा रही हैं, जो अच्छीअच्छी साडि़यों और सुंदर ब्लाउज पहन कर बीचबीच में आती है.

मेघना से बात करना रोचक था. पेश हैं, बातचीत के खास अंश:

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

अभिनय मुझे कालेज लाइफ से ही बहुत पसंद था. कालेज में मैं जब भी स्टेज पर जाती थी, तो कुछ और हो जाती थी, जिस से मुझे बहुत आनंद आता था. इसीलिए जब मैं पढ़ाई पूरी कर रही थी तभी मन में विचार आया कि अभिनय की तालीम ली जाए, इसलिए एनएसडी में ऐडमिशन ले लिया.

आप की सफलता में परिवार का कितना सहयोग रहा?

मेरे मातापिता ने मुझे और मेरी बहन दोनों को हमेशा आत्मनिर्भर होने की सलाह दी. यही वजह थी कि मैं ने पढ़ाई पूरी की फिर इस क्षेत्र में आई. मेरी बहन मीमांसा मलिक मीडिया से जुड़ी है.

मुंबई आ कर रहना और काम का मिलना, इस में कितना संघर्ष था?

मैं 2000 में मुंबई आई. यहां एक नामचीन कंपनी में काम किया. साथसाथ हर फिल्मी औफिस जाती थी और वहां अपना फोटो डाल आती थी. फिर टीवी और विज्ञापन फिल्मों में जो भी काम मिला, मैं करती रही. बस ऐसे ही दिन गुजरते गए. फिर ‘लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका मिली और मैं चर्चा में आ गई. मेरा कैरियर चल पड़ा. लेकिन अभी भी संघर्ष जारी है. मुंबई में टिके रहना आसान नहीं होता. पर मैं खुश हूं कि मुझे सही समय पर सही काम मिला और मैं भटकी नहीं.

आप की भूमिका ‘गुस्ताख दिल’ में उतनी खास नहीं है जितनी ‘ना आना इस देस लाडो’ में थी. ऐसा होने पर आप कैसे अपनी अभिनय की महत्त्वाकांक्षा को ऐडजस्ट करती हैं?

यह एकदम सही है कि मुझे मन मार कर ऐडजस्ट करना पड़ता है, पर रोजीरोटी के लिए काम तो मिलना ही चाहिए, भले ही दमदार न हो. ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका वाकई मेरे लिए दमदार थी, क्योंकि उसे अच्छी तरह लिखा गया था. इसीलिए मैं ने उस के लिए हां कर दी थी.

आप को किस तरह की भूमिका पसंद है, नकारात्मक या सकारात्मक?

मैं नकारात्मक या सकारात्मक किसी भी भूमिका पर अधिक ध्यान नहीं देती. मुझे परदे पर जो किरदार जीवंत लगे, उसे करने में मजा आता है. वैसे मुझे कौमेडी करना भी पसंद है.

अभिनय के अलावा आप और क्या कर रही हैं? अपने प्रांत हरियाणा के लिए कुछ प्लान है?

इलैक्शन कमीशन ने 2012 में मुझे स्टेट आइकौन के रूप में ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जिस के तहत कालेज में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. वह मैं समयसमय पर करती रहती हूं. हरियाणा में लिंग अनुपात में पिछले सालों की अपेक्षा काफी सुधार आया है. सरकार पौलिसी में बदलाव कर रही है पर इसे कंट्रोल करना आसान नहीं है. कोई भी बदलाव हमेशा घर से शुरू होता है, जहां पत्नी, बेटी, बहन सभी को सम्मान मिले और आर्थिक रूप से वे आत्मनिर्भर हों. उन्हें कोई बोझ न समझे. समाज और परिवार के मानसिकता में बदलाव जरूरी है.

मैं अपने मातापिता को हर साल कहीं घुमाने ले जाती हूं. मुंबई मेरी कर्मभूमि है पर समय मिलते ही मातापिता के पास जाती हूं, क्योंकि जो कुछ भी मैं ने पाया अपने परिवार से मिली प्रेरणा से ही पाया है.

आप कितनी फैशनेबल हैं? आप को कैसे परिधान पसंद हैं?

मैं जो ठीक से कैरी कर सकूं, उसे पहनती हूं यानी जो आरामदायक हो, जिसे पहन कर मैं आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो सकूं. वैसे कैजुअल अधिक पहनती हूं जिस में जींसटीशर्ट खास पसंद हैं.

कितनी फूडी हैं? कोई खास व्यंजन पसंद है?

मैं फूडी नहीं, लेकिन डाइटिंग नहीं करती. मुझे सरसों का साग व मक्के की रोटी पसंद है. मीठा भी बहुत पसंद है पर अवौइड करती हूं.

बिकनी से बिदकती हैं प्रियंका

ऐसा नहीं है कि प्रियंका को ऐक्सपोज करने से परहेज है. पर मिस वर्ल्ड रह चुकीं मैडम को स्टेज पर बिकनी पहनना बिलकुल पसंद नहीं. प्रियंका कहती हैं कि वह समय अच्छा था जब मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में स्टेज पर बिकनी और हाई हील नहीं पहनना पड़ता था. आजकल प्रियंका बिजनैस में अपना हाथ आजमा रही हैं. उन्होंने हाल ही में अमेरिका के एबीसी टैलीविजन स्टूडियो के साथ टैलेंट डैवलपमैंट डील साइन की है और अपनी आने वाली फिल्म ‘मैडम जी’ में वे बतौर निर्माता एवं अभिनेत्री आ रही हैं. मधुर भंडारकर के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में वे लीड रोल में होंगी.

 

ऐश्वर्या से क्यों इतनी दूरी

हम सलमान खान की नहीं आमिर खान की बात कर रहे हैं. करण जौहर ऐश्वर्या और आमिर को ले कर एक फिल्म बनाना चाह रहे थे. पर आमिर ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया. आमिर को राजी करने के लिए करण ने कई बार आमिर के दफ्तर में उन से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी. वैसे पूर्व मिस विश्व सुंदरी के पास कई फिल्मों के औफर हैं जिन में से संजय गुप्ता की फिल्म ‘जज्बा’ की शूटिंग तो शुरू हो गई है. सुनने में आ रहा है कि प्रकाश झा और सुजौय घोष ने भी उन्हें अपनीअपनी फिल्मों के औफर दिए हैं. खबरों के मुताबिक ऐश्वर्या को सुजौय घोष ने फिल्म ‘दुर्गा रानी सिंह’ और प्रकाश झा ने फिल्म ‘गंगाजल 2’ के लिए संपर्क किया था. पर ताजा जानकारी के अनुसार ‘गंगाजल 2’ में प्रियंका का नाम फाइनल हो गया है.

बच्चों का भारी स्कूली खर्च

दिल्ली की अन्नपूर्णा ने अपने घरेलू बजट में कटौती कर के अपनी बच्ची के स्कूल प्रोजेक्ट का महंगा सामान खरीदा, पटना की अंजू को अपने 2 जुड़वां बच्चों को स्कूल भेजने पर आने वाले भारी खर्च की चिंता सता रही है और चंडीगढ़ के पुष्पेंद्र 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले अपने 2 बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए अपनी कमाई बढ़ाने की जुगत में है. तुर्रा यह कि देश के तमाम अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई पर आने वाले भारी खर्च से परेशान हैं. कमरतोड़ महंगाई के इस जमाने में इन अभिभावकों की चिंता अपनी जगह ठीक भी है.

दरअसल, उद्योग परिसंघ एसोचैम ने हाल ही में अपने अध्ययन में वर्ष 2000 से 2008 तक के 8 वर्षों की अवधि के दौरान बच्चों के स्कूली खर्च में 160% वृद्धि की बात कही है. एसोचैम के महसचिव डी.एस. रावत ने बताया कि वर्ष 2000 से 2008 के दौरान बच्चों के विभिन्न मदों में स्कूली खर्च में 160% की वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि महंगाई बढ़ने से स्कूली खर्च में आई इस जबरदस्त वृद्धि से अधिकांश परिवारों का बजट प्रभावित हो रहा है. अभिभावक अन्य खर्चों में कटौती तो कर लेते हैं लेकिन बच्चों के भविष्य से जुड़े स्कूली खर्च में कैसे कटौती करें?

एसोचैम के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 में बच्चों के शर्ट, टाई आदि का खर्च 2,500 रुपए सालाना था, जो 2008 में बढ़ कर 5,500 रुपए हो गया, जबकि जूते, सैंडल और इसी तरह के अन्य सामान का सालाना खर्च 3,000 रुपए से बढ़ कर 6,800 रुपए हो गया है.

कमरतोड़ महंगाई

एसोचैम के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 में स्कूली बच्चों के बैग, पानी की बोतल, लंच बौक्स आदि का सालाना खर्च 1,500 रुपए से बढ़ कर वर्ष 2008 में 3,000 रुपए हो गया, जबकि खेल मद में स्कूली खर्च 2,000 रुपए बढ़ कर 4,500 रुपए हो गया है. अध्ययन के अनुसार बच्चों के किताब का खर्च वर्ष 2000 में करीब 3,000 रुपए था, जो वर्ष 2008 में बढ़ कर लगभग 7,000 रुपए हो गया है. इसी तरह स्कूल ट्रिप्स का खर्च 2000 से बढ़ कर 5,500 रुपए हो गया है.

बच्चों की ट्यूशन का खर्च वर्ष 2000 से 32,800 रुपए सालाना था, जो वर्ष 2008 में बढ़ कर 65,000 रुपए हो गया. शिक्षा एवं कैरियर काउंसलर अंजली कुमार का मानना है कि स्कूली खर्च में वृद्धि के कारण जो अभिभावक पहले अपने बच्चों को  स्कूली शिक्षा के साथ व्यावसायिक कोर्स और अतिरिक्त ट्यूशन के लिए भेजते थे, आज उस चलन में भी कमी आई है. कई अभिभावक बच्चों को पुरानी पुस्तकें भी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज के स्कूल की इमारतें ऐसी हैं जैसे पांच सितारा होटल हों और इस के रखरखाव में जो खर्च आता है वह छात्रों से ही वसूला जाता है.

अकसर स्कूलों में छोटेमोटे कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए भी अतिरिक्त रकम वसूली जाती है. लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई है कि  अच्छी पढ़ाई तो नामीगिरामी स्कूलों में ही होती है. 4 दशक पहले न तो ऐसे भव्य स्कूल हुआ करते थे और न ऐसे कार्यक्रम और तब स्कूलों में स्विमिंग पूल की बात तो छोडि़ए, छत भी मयस्सर नहीं थी. लेकिन तब भी लोगों ने पढ़ाई की और दुनिया में नाम कमाया.

रोबोट मेड करेंगी घर की देखभाल

वक्त के साथ एक औरत, गृहिणी से हाउसवाइफ और फिर होममेकर बन गई है. महिलाओं ने घर से कदम बाहर रखने शुरू किए तो घरगृहस्थी के काम को भी महत्त्व मिलने लगा. पश्चिमी देशों में तो हाउसकीपर एक बेहतरीन कैरियर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है. वक्त बदला, महिला का स्वरूप बदला, जीवनशैली बदली तो जाहिर है उस की रोजमर्रा की जरूरतें भी बदल गईं.

वर्चुअल वर्ल्ड यानी कृत्रिम समाज से मित्रता बढ़ने की वजह से आजकल लोगों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं और लोगों के बीच भरोसे की डोर कमजोर होे गई है. प्रत्येक परिवार एकल परिवार में तबदील होता जा रहा है और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी का दायरा बढ़ता ही जा रहा है.

घर की देखभाल करने वाली महिला को किसी न किसी सहायक की जरूरत पड़ती ही है पर इस के लिए पहले की तरह परिवार के सदस्य मौजूद नहीं होते. आए दिन सुनने में आने वाली नौकरनौकरानियों द्वारा अंजाम दी गई तमाम दुर्घटनाओं को देखते हुए किसी आया पर भरोसा करना भी अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है.

सवाल सिर्फ सहायता का नहीं, सुरक्षा का भी है. हाईटेक होती महिलाओं का संसार हजारों हाइटेक चीजों से भरा है. उन्हें चाहिए एक खास विकल्प, जो बिना परेशानी के उन की मदद कर सके.

हर फन में माहिर

हम रोबोट के बारे में वर्षों से सुनते आ रहे हैं पर 21वीं सदी में यह केवल वैज्ञानिक उपयोग की वस्तु नहीं रह गया है. रोबोट के कई प्रकार आजकल लोगों के बीच रह कर उन्हें फायदा पहुंचा रहे हैं. इस से नुकसान की आशंका कम होने की वजह से इन की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.

रोबोटिक मेड यानी कंप्यूटर संचालित आया का निर्माण विश्व के कई कोनों में हो चुका है. यह यंत्रों का एक जखीरा है, जो बिना किसी चिकचिक के आप के घर का सारा काम मिनटों में निबटा देगा. घर की महिलाओं को बाइयों के नखरों से मुक्ति मिल जाएगी. एक आदेश पर बरतन साफ, दूसरे पर कमरा व्यवस्थित और न जाने क्याक्या. जरूरत है तो बस, बैटरी रीचार्ज करने की, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल की बैटरी चार्ज करते हैं. रोबोटिक मेड भी रिचार्ज होने पर फिर से फुरती से सारे काम कर देगी.

रूम्बा नामक रोबोट मेड घर को वैक्यूम क्लीन करती है, रोबोट स्कूबा भी किचन फ्लोर को पानी की सहायता से साफ कर के सुखा देती है. फर्बी नामक रोबोट घर वालों का मनोरंजन करती है, ‘पैरो’ और ‘हार्बर’ नामक रोबोट वृद्घ लोगों को संगत दे कर उन्हें सहूलियत पहुंचाते हैं.

‘आरआईडीसी-01 रोबोट मेड’ में वैक्यूम क्लीनर भी है, जो घर के कोनेकोने की सफाई अपने विशेष उपकरणों से कर देती है. जहां तक इस का भारीभरकम ढांचा नहीं पहुंच पाता, वहां की सफाई के लिए इस की बांहों में सफाई करने वाले दस्ताने रहते हैं. यह जापानी भाषा समझ सकती है. इस में डीवीडी प्लेयर व दुनिया भर की खबरों के लिए वायरलेस नेटवर्क भी होते हैं.

‘बट आर बाट घरेलू रोबोट’ किचन में खाना पकाने के साथसाथ कमरे भी साफ करेंगे और इन में लगे सेंसर, कैमरा और अन्य उपकरणों की मदद से घर के बाकी काम भी हो सकेंगे.

महिलाओं के लिए वरदान

टोयोटा द्वारा डिजाइन की गई घरेलू रोबोट मेड वाशिंग मशीन में कपड़े डाल सकती है, बरतन उठा कर रख सकती है और सफाई भी कर सकती है. इस के अलावा यह अपनी पिछली गलतियों से सीख भी ले सकती है, जिन्हें यह कभी नहीं दोहराएगी. इस में रास्ते के अवरोध को पहचानने के लिए सेंसर लगे हैं और 5 कैमरे लगे हैं. काम करने के लिए 2 बाजू और इधरउधर जाने के लिए चक्के लगे हैं.

इन सुपर घरेलू रोबोट्स के अलावा रोबोट कंपनियों द्वारा बाजार में ऐसे घरेलू रोबोट्स को उतारने की तैयारी भी चल रही है, जो बगीचे में घास काटेंगे, नलनाले साफ कर देंगे, फलसब्जियां काटेंगे और उन्हें व्यवस्थित कर के फ्रिज में रख देंगे, वे कार से सामान निकाल कर घर में रखेंगे, जमीन पर बिखरे सामान को समेट कर उसे सही जगह पर रखेंगे, वक्त पर जगाएंगे और घर की निगरानी भी करेंगे.

यही नहीं, ऐसे रोबोट्स का निर्माण भी होने जा रहा है, जो न केवल काम कर सकें बल्कि थोड़ाबहुत आपसी तालमेल भी बना सकें. ये रोबोट एक मशीन की तरह नहीं होंगे कि इन्हें जिस अवस्था में खरीद कर लाया जाए, उसी तरह उन का इस्तेमाल भी करना पड़े बल्कि इन के प्रोग्राम बदले जा सकेंगे, सौफ्टवेयर के माध्यम से इन्हें नई चीजें सिखाई जा सकेंगी. घरेलू रोबोट का उपयोगी, भरोसेमंद, आसानी से इस्तेमाल किया जाने वाला और वहन करने लायक कीमत होना बेहद जरूरी है.

विश्व की रोबोट कंपनियां और वैज्ञानिक इन तथ्यों का घरेलू रोबोट में समावेश करने की होड़ में लगे हैं. आने वाले वक्त में हर घर में मेहमाननवाजी से ले कर बच्चों को संभालने तक का काम घरेलू रोबोट करेंगे और घर की महिलाएं सुकून से बाहर का काम निबटा सकेंगी.

कैसे दिखें ब्यूटीफुल

जाड़े की कुनकुनी धूप में बैठ कर मूंगफली खाना तो बड़ा अच्छा लगता है, लेकिन चिंता सताती है खूबसूरत बने रहने की. जाड़े में खूबसूरत बने रहना और खूबसूरत दिखना एक समस्या बन कर सामने आ जाती है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ आवश्यक रखरखाव के साथसाथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी है. आप अपनी डाइट में कुछ परिवर्तन कर के व कुछ बातों को भी ध्यान में रख कर इस मौसम में अपनी खूबसूरती को बरकरार रख सकती हैं.

विशेषज्ञ श्रीलता सुरेश के अनुसार, जाड़े के मौसम में ठंडी हवा के साथसाथ शुष्क हवा भी चलती है, साथ ही घर के अंदर भी कई तरह के उपकरण इस्तेमाल होते हैं. इस से त्वचा बेजान और शुष्क हो जाती है. अपनी त्वचा को ठंडी हवाओं से बचा कर रखें. बौडी को हमेशा गरम कपड़ों से ढक कर रखें. जब भी बाहर जाएं, अपने सिर को स्कार्फ, मफलर या हैट से कवर करें. विशेष कर अपने चेहरे को ठंडी और शुष्क हवाओं से बचाएं. घर में चलने वाले हीटिंग उपकरणों के बिलकुल नजदीक न बैठें, इन की हीट से आप की स्किन खराब हो सकती है.

बाथ आयल का इस्तेमाल

 नहाने से पहले गरम तेल से मसाज करें, बादाम का तेल इस के लिए अच्छा रहता है. इस से आप की हड्डियां मजबूत होंगी. जाड़े में नहाना बंद न करें, रोज नहाएं. बहुत ज्यादा गरम पानी से न नहाएं. गरम पानी स्किन के नैचुरल आयल को खत्म कर के ड्राई और खुरदरा बना देता है. अगर गरम पानी से नहाना ही पड़े तो बाथ आयल मिलाएं, फिर नहाएं या फिर औलिव आयल और नारियल तेल की कुछ बूंदें डालें, फिर नहाएं. गुलाब की पंखुडि़यों को कुनकुने पानी में डाल कर नहाएं, इस से आप की बौडी की स्किन चमक उठेगी. 10-15 मिनट में स्नान खत्म कर लें. नहाने के बाद आधे घंटे के बाद ही कहीं बाहर ठंडी हवा में निकलें.

गरम दूध पीएं. स्किन को मुलायम रखने के लिए खाने में वसा वाली चीजें लें. आप की त्वचा को सिर्फ बाहरी रखरखाव ही नहीं, बल्कि अंदरूनी पौष्टिकता भी चाहिए. इसलिए एक प्रौपर न्यूट्रिशन जरूरी है. पानी आप की स्किन को जीवित रखता है. पानी की अच्छी खुराक आप की स्किन को मुलायम भी करती है, साथ में स्किन डिसआर्डर को भी सही करती है. पानी वाले फलसब्जियां खूब खाएं. खूब सारा गरम पानी पीएं. गाजर खूब खाएं. जाड़े के मौसम में विटामिन ए एवं सी वाले फलसब्जियां जरूर खाएं आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, इसे खाएं. यह त्वचा की अंदरूनी सतह को अच्छा बनाता है.

टमाटर का जूस दिन में 2 बार लें. टमाटर को सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है. इसी तरह संतरे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फल और सब्जियां अंदर से त्वचा को निखारती हैं, इसलिए प्रचुर मात्रा में इन्हें अपने खाने में शामिल करें.

जाड़े में बालों की देखभाल विशेष रूप से हफ्ते में 2 बार आयल मसाज करें. बालों को गरम पानी से न धोएं.

सनस्क्रीन लोशन

अपने चेहरे को ठंडी हवाओं से बचाएं. सनस्क्रीन लोशन लगाना न भूलें. दिन में 2 बार मास्चराइजर लगाएं. सोने से पहले एक अच्छी कोल्ड क्रीम अपने चेहरे पर लगाएं, इस से नमी बनी रहेगी.

चेहरे के साथ ही अपने होंठों पर भी ध्यान दें. होंठों को फटने से बचाने के लिए रात में घी या मक्खन लगाएं, फिर मसाज कर के छोड़ दें. इस से होंठ मुलायम बने रहेंगे. एसपीएफ वाला लिप बाम इस्तेमाल करें. लिपस्टिक लगाने से पहले वैसलीन लगाएं, फिर लिपस्टिक लगाएं. उस के बाद टिशू पेपर से सोख लें. होंठों पर जीभ न फेरें, होंठों को दांतों से भी न काटें.

अपने हाथों को इग्नोर न करें. सोने से पहले कोई अच्छी सी हैंड क्रीम लगा कर ही सोएं. हाथों को ज्यादा देर तक गीले न रहने दें. जब ऐसा काम करती हैं जिस में पानी में हाथ को डुबोना पड़ता है, तो रबर के ग्लव्स इस्तेमाल करें.

 नाखूनों की भी भलीभांति देखभाल करें. नेलपौलिश लगाने से पहले एक बेस कोट लगाएं. नाखूनों को क्यूटिकल या नेल आयल से ब्रश करें. नाखून टूट रहे हों, तो खूब पानी पीएं.

जाड़े में एक बड़ी समस्या होती है, फटी हुई एडि़यों की. इस समस्या से बचने के लिए अपने पैरों को हमेशा साफ रखें. नहाने के बाद मास्चराइजर लगाएं. रात को अपने पैरों को धो कर बराबर मात्रा में ग्लिसरीन और वैसेलीन ले कर पैरों की मालिश करें. सूती मोजे पहनें, फिर सोएं.

स्किन के इन्फेक्शन से भी एडि़यों की समस्या हो सकती है, इस के लिए पालक को उबाल कर उस के पानी में पैरों को डुबोएं. इस से स्किन की बीमारियां दूर होंगी. गरम पानी का कटोरा लें, उस में अरोमा आयल की 3 बूंदें डालें. पैर डुबोने के बाद कुछ देर रखें, फिर हर्बल लोशन से रगड़ें. यह आप को सोने में भी आराम पहुंचाएगा.

कभीकभी सूखी कुहनियां और घुटने शर्म का कारण बन जाते हैं, इस से बचने के लिए पके केले को मसल कर चीनी के दानों के साथ मिलाएं. इस मिश्रण को प्रभावित जगहों पर तब तक रगड़ें जब तक दाने पिघल न जाएं. इसे रेगुलर अपनाएं.

आई क्रीम का इस्तेमाल

ठंडी हवा आंखों पर अपना असर डालती है, इस से आंखों के आसपास की त्वचा प्रभावित हो सकती है. इस से बचने के लिए अच्छी आई क्रीम का इस्तेमाल करें. हवा से बचने के लिए सनग्लास लगाएं.

जब बाहर निकल रही हों और आप ने बड़ेबड़े इयररिंग्स पहन रखें हों, तो रास्ते में अपने कानों को अच्छी तरह से ढक लें. अपने इयररिंग्स को अंदर रखें, क्योंकि ठंडी हवा आप की इयररिंग्स के मेटल से अटैच्ड हो कर आप को ठंडक पहुंचाएगी. इस से कान की समस्या भी हो सकती है.

जाड़े में नौर्मल फाउडेंशन की जगह पर ब्रोंजिंग लिक्विड एवं विंटर फाउंडेशन को मिक्स कर के लगाएं. इसे शीशी में मिक्स कर के न रखें, हाथ में ले कर मिक्स करें. इस मौसम के लिए यह आप की स्किन को मैच करेगा.

अगर संभव हो तो ह्यूमिडीफायर खरीद लें, ताकि आप के घर के अंदर गरमी बनी रहे. इस से आप ठंड से भी बचेंगी और खूबसूरत भी बनी रहेंगी.

सुंदरता आप के कदमों में

स्वस्थ त्वचा और सुंदर चेहरे की चाह सभी की होती है. लेकिन आज के दौर में चेहरे की सुंदरता को बनाए रख पाना बेहद मुश्किल हो गया है. सर्दियों का मौसम तो त्वचा को और भी ज्यादा खुश्क और बेरंग बना देता है. सुंदर दिखने की इसी चाहत को पूरा करने के लिए आज बाजार में कई तरह के सौंदर्य प्रसाधन मौजूद हैं. इन प्रसाधनों का इस्तेमाल कर आप अपनी त्वचा को कुदरती चमकदार और कोमल बनाए रख सकती हैं.

बाजार में उपलब्ध प्रसाधनों के अलावा घरों में भी ऐसी कई चीजें मौजूद हैं, जो आप की सुंदरता में चार चांद लगा सकती हैं. कुल मिला कर अगर आप सुंदर बने रहना चाहती हैं, तो आप को जरूरत है बस, बाजार और घर में उपलब्ध साधनों की सही जानकारी और इस्तेमाल की ताकि आप इन का पूरा फायदा उठा सकें.

बनी रहे त्वचा की रंगत

त्वचा अकसर अपनी सुंदरता और नमी खो देती है. सर्दियों के मौसम में त्वचा का रूखापन बढ़ जाता है, जिस से खिंचाव महसूस होता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब वातावरण में नमी होती है, तो तैलीय त्वचा को ज्यादा मास्चराइजर की जरूरत ही नहीं पड़ती. इसलिए अगर आप की त्वचा तैलीय है तो सर्दियों में मास्चराइजर का इस्तेमाल न करें.

तैलीय त्वचा पर ऊपर से मास्चराइजर लगाने से त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाएंगे, जिस से ब्लैकहैड्स और पिंपल्स हो सकते हैं. अगर मौसम ज्यादा ही सूखा हो, तो जरूरत के हिसाब से हलका सा मास्चराइजर इस्तेमाल कर सकती हैं. पर मास्चराइजर को सिर्फ लगा कर छोड़ने के बजाय उस से चेहरे की त्वचा की मसाज करें.

सर्दियों में गुलाब स्किन टोनर के इस्तेमाल से त्वचा की खोई नमी वापस मिलती है. तैलीय त्वचा के लिए आयल फ्री क्रीम में चंदन का पेस्ट मिला कर लगाएं. त्वचा की नमी और चमक बनाए रखने के लिए इसे दिन में 2 बार जरूर लगाएं. इस से त्वचा की ऊपरी सतह के साथसाथ धूल व डस्ट से भी आप की त्वचा बची रहेगी.

स्किन टोनर की जगह आप शहद का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यह तैलीय और सामान्य हर तरह की त्वचा के लिए अच्छा होता है. अंडे की सफेद जरदी में नीबू का रस और शहद मिला कर त्वचा पर लगा कर 20 मिनट के बाद धो लें. इस के अलावा नीबू के रस और अंडे की सफेद जरदी को क्लींजिंग के तौर पर इस्तेमाल कर सकती हैं.

कास्मेटिक बाजार से उठाएं लाभ

त्वचा को स्वस्थ रखने और खुद को सुंदर दिखाने के लिए कास्मेटिक्स भी अच्छा विकल्प हैं. स्किनकेयर क्रीम, लोशन, बाथ सोप, बाथ तेल और आफ्टर बाथ प्रोडक्ट्स के रूप में आप कई कास्मेटिक्स का इस्तेमाल तो कर रही होंगी, लेकिन आप को जान कर हैरानी होगी कि बाजार में भले ही अलगअलग त्वचा के लिए अलगअलग कास्मेटिक्स उपलब्ध हों, लेकिन सच तो यह है कि ज्यादातर कास्मेटिक्स हर तरह की त्वचा को ध्यान में रख कर बनाए जाते हैं. इसलिए जरूरी हो जाता है कि जब भी आप कास्मेटिक्स का चुनाव करें, तो सावधानी के साथ करें.

कास्मेटिक्स का चुनाव

ज्यादातर कास्मेटिक्स में खुशबू और प्रिजरवेटिब्स होते हैं, लेकिन उन कास्मेटिक्स को चुनें, जिन में सिंथेटिक तत्त्वों का इस्तेमाल न किया गया हो, क्योंकि ये आप की त्वचा को लाभ पहुंचाने के  बजाय नुकसान पहुंचाते हैं. इन के विकल्प के तौर पर औरगेनिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.

कास्मेटिक्स आप के रंग को निखारने के साथसाथ त्वचा को भी सुंदर बना सकते हैं. स्किन क्रीम और लोशन त्वचा को गहराई से साफ कर देते हैं. अगर त्वचा के पोर्स बंद हों, तो इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है. क्लींजिंग के लिए बनाए जाने वाले प्रोडक्ट्स को इसी तरीके  से बनाया जाता है कि वे त्वचा से हर तरह की डस्ट को हटा दें. क्लींजिंग के बाद हमेशा त्वचा को मास्चराइजर की जरूरत होती है. यह त्वचा को नमी देता है. धूप और सर्द हवा से बचाव के लिए भी मास्चराइजर काफी मददगार होता है.

धूप से बचने के लिए सन प्रोटेक्शन क्रीम या लोशन का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह आप को सूरज से निकलने वाली यूवी किरणों से बचा कर रखती है, जो त्वचा कैंसर के लिए जिम्मेदार होती हैं. कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स भी हैं, जो रंग को निखारते हैं. विटामिन ए, डी, ई और के वाले प्रोडक्ट्स त्वचा के रंग को हलका करते हैं और ये त्वचा के साथसाथ स्वस्थ बालों को भी स्वस्थ बना देते हैं.

क्या खाएं क्या नहीं

त्वचा को बाहरी सुंदरता तो बाजार में उपलब्ध प्रसाधन दे सकते हैं, लेकिन उसे प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाए रखने के लिए जरूरी है भीतर की देखभाल. आप की त्वचा को हमेशा स्वस्थ बनाए रखने में आप का आहार अहम भूमिका निभाता है. अगर खानपान ठीक होगा, तो त्वचा रोग आप से दूर रहेंगे. त्वचा को कांतिमय बनाए रखने के लिए मौसमी फलसब्जियों का सेवन करें. अपनी डाइट में हरी सब्जियां, दही, दूध, पपीता, सेब और मौसमी फल शामिल करें. इन के अलावा अंकुरित अनाज, सलाद व सूप को भी डाइट में शामिल करें. ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.

कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिन्हें खाने से बचना चाहिए, जंक फूड, तेलमसाले, ड्राईमसाले, मिठाइयां और कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह का ज्यादा सेवन त्वचा को नुकसान पहुंचाता है.

लें योग की मदद

भले ही आज जमाना कितना ही हाईटेक हो गया हो, लेकिन योग से होने वाले फायदों को नकारा नहीं जा सकता. योग जहां आप को स्वस्थ बनाए रखता है, वही इस की मदद से आप अपनी सुंदरता भी बरकरार रख सकती हैं. योग से मिलने वाली सुंदरता अस्थायी न हो कर लंबे समय तक बनी रहती है. योगासनों से त्वचा को स्वस्थ बनाया जा सकता है.

वज्रासन करने से आप अपनी त्वचा को कांतिमय बना सकते हैं. इस के लिए दोनों हाथ पीछे ले जाएं और एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड़ लें. अब धीरेधीरे सांस लेने के साथ आगे की तरफ झुकें. जब नीचे की ओर झुक रहे हों, तो सांस को रोके रखें. कुछ देर बाद ऊपर की ओर वापस आते हुए सांस छोड़ दें. शुरुआत में इस आसन को 2 बार ही करें. बाद में आप 6 से 7 बार कर सकती हैं. इस आसन से त्वचा व चेहरे में चमक आएगी. आंखों की रोशनी भी तेज होती है.

घरेलू नुसखे

नाश्ते में दूध, दही, अंडा, लस्सी या अंकुरित अनाज खाने से त्वचा साफ रहती है.

केले या पपीते के गूदे को मसल कर शहद के साथ मिला कर चेहरे पर लगाने से चेहरे को आवश्यक नमी मिलती है.

दही में शहद मिला कर चेहरे पर लगाने से यह क्लींजर का काम करता है.

घीया के रस में, तुलसी, पुदीना और पिसी हुई कालीमिर्च मिला कर पीएं.

कुनकुने पानी में नीबू का रस मिला कर पीएं. यह आप के रंग को निखारने का काम करेगा.

गाजर, खीरे, टमाटर या संतरे के रस को चेहरे पर लगाने से त्वचा निखरती है.

 चम्मच चने की दाल को दूध में रात भर भिगोने के बाद सुबह इस में हलदी, मलाई और 2-4 बूंदें गुलाबजल मिला कर पीस कर चेहरे पर लगाएं. सूखने पर धोने के बजाय हाथों से छुड़ाएं. यह तैलीय त्वचा से निकलने वाले तेल को कम करता है.

मूली का रस चेहरे की झांइयां खत्म करने का काम बखूबी करता है.

सुंदरता और संस्कृति का संगम : ओडिशा

ओडिशा भारत का एक ऐसा राज्य है जहां संस्कृति, सभ्यता और प्राकृतिक सुंदरता का ऐसा अनूठा संगम है कि जो भी यहां एक बार आता है, वह बारबार यहां आने को विवश हो जाता है. शायद यही कारण है कि ओडिशा के 3 प्रमुख दर्शनीय स्थलों- मितरकर्णिका वन्यजीव अभयारण्य, चिलका झील तथा ऐतिहासिक शहर भुवनेश्वर को संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को की ऐतिहासिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है.

एक ओर जहां ओडिशा का लहलहाता हरित वन आवरण फलफूलों तथा पशुपक्षियों की व्यापक किस्मों के लिए मेजबान का काम करता है, वहीं दूसरी ओर चित्रलिखित सी पहाडि़यों तथा घाटियों के मध्य अनेक चौंका देने वाले प्रपात तथा नदियां हैं, जो विश्व भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. 500 किलोमीटर तटरेखा वाले ओडिशा में जहां बालेश्वर तट, चांदीपुर तट, कोणार्क तट, पारद्वीप तट, पुरी तट हैं, जो उत्तर भारत के पर्यटकों को नया अनुभव देते हैं, तो वहीं प्राकृतिक सौंदर्य, लहलहाते हरित वन आवरण, फलफूलों तथा पशुपक्षियों की मेजबानी करते अभयारण्य, जैसे नंदन कानन अभयारण्य, चिलका झील पक्षी अभयारण्य हैं, जो वनस्पतियों और जीवजंतुओं को कुदरती वातावरण में फलनेफूलने का मौका देते हैं.

चिलका झील

एशिया की सब से बड़ी खारे पानी की चिलका झील सैकड़ों पक्षियों को आश्रय देने के साथसाथ भारत के उन कुछेक स्थानों में से है, जहां आप डौल्फिन का दीदार भी कर सकते हैं. राज्य के समुद्रतटीय हिस्से में फैली यह झील अपनी खूबसूरती एवं वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है. अफ्रीका की विक्टोरिया झील के बाद यह दूसरी झील है, जहां पक्षियों का इतना बड़ा जमघट लगता है. चिलका झील ओडिशा की एक ऐसी सैरगाह है जिसे देखे बिना ओडिशा की यात्रा पूरी नहीं हो सकती. सूर्य की किरणें व झील के ऊपर मंडराते बादलों में परिवर्तन के साथ यह नयनाभिराम झील दिन के हर पहर में अलगअलग रूप व रंग में नजर आती है.

फूलबानी

फूलबानी प्राकृतिक दृष्टि से काफी खूबसूरत स्थान है. चारों ओर पहाड़ों से घिरे फूलबानी के 3 ओर पिल्लसंलुकी नदी बहती है. फूलबानी, कंधमाल जिले का मुख्यालय है जहां आ कर पर्यटकों को सुकून मिलता है. भीड़भाड़ से दूर इस इलाके में अपूर्व शांति है. पहाडि़यों की चोटियों से फूलबानी का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. यहां सितंबर से मई के बीच कभी भी जाया जा सकता है. भुवनेश्वर यहां का निकटतम हवाई अड्डा है जबकि बहरामपुर निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो भारत के मुख्य नगरों से जुड़ा हुआ है.

ओडिशा का कंधमाल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथसाथ हस्तशिल्प के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां के दरिंगबाड़ी को ओडिशा का कश्मीर कहा जाता है. दिलोदिमाग को तरोताजा करने के लिए यह नगर श्रेष्ठ है. यहां का वन्यजीव, पहाड़ व झरने पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

फूलबानी से 98 किलोमीटर दूर कलिंग घाटी है. इस घाटी के पास ही दशमिल्ला नामक स्थान है जहां पर सम्राट अशोक ने कलिंग का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा था. यह घाटी सिल्वी कल्चर गार्डन व आयुर्वेदिक पौधों के लिए भी जानी जाती है.

चंद्रभागा समुद्री तट

ओडिशा का चंद्रभागा समुद्रीतट सैरसपाटे, नौका विहार व तैराकी के लिए बेहतरीन जगह है. अगर आप अपने कुछ खास पलों को खूबसूरत यादगार का रूप देना चाहते हैं तो यहां जरूर आएं. कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर यहां से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस तट पर वार्षिक चंद्रभागा मेला लगता है. इस दौरान यह तट पर्यटकों, रंगों व प्रकाश से जीवंत हो उठता है. यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाईअड्डा भुवनेश्वर है. इस के अतिरिक्त यह पुरी, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद, विशाखापट्टनम आदि शहरों के रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है.

मेरे और विराट के रिश्ते का सच एक दिन सामने आएगा

फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ से शाहरुख खान के साथ अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की एक तरफ उन के रोमांस की चर्चा होती रही तो दूसरी तरफ वे आदित्य चोपड़ा, विशाल भारद्वाज, राजकुमार हिरानी जैसे नामीगिरामी निर्देशकों के साथ फिल्में करते हुए आगे बढ़ती रहीं.

हाल ही में उन की फिल्म ‘पीके’ रिलीज हुई है. इसी को ले कर उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश प्रस्तुत हैं:

शाहरुख खान के साथ पहली फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के बाद अब आमिर खान के साथ ‘पीके’ की है. दोनों कलाकारों में क्या अंतर पाया?

शाहरुख खान के साथ मैं ‘रब ने बना दी जोड़ी’ और ‘जब तक है जान’ 2 फिल्में कर चुकी हूं. वे काफी स्पोंटेनियस कलाकार हैं, जबकि आमिर खान मैथड कलाकार हैं. अभिनय करने का उन का अपना मैथड है. आमिर खान बहुत रिजर्व रहते हैं. शाहरुख खान विनम्र इंसान हैं. उन का सैंस औफ ह्यूमर बहुत अच्छा है. उन में बनावटीपन नहीं है, इसीलिए लोग उन्हें गलत समझ लेते हैं.

मैथड कलाकार के साथ काम करना आसान है या कठिन?

जो मैथड कलाकार होते हैं, उन का अपना मैथड होता है. उन का वह मैथड खुद को चरित्र में ढालने का होता है. उस से दूसरों का कोई लेनादेना नहीं होता, क्योंकि यह हर कलाकार का अपना निजी मसला है. हर कलाकार चरित्र को आत्मसात करने के लिए अपने हिसाब से काम करता है. चरित्र में ढलने का मेरा भी अपना एक मैथड है.

जब आप को पता चला कि आमिर खान के साथ फिल्म ‘पीके’ में अभिनय करना है, तो आप की पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

मैं ने अब तक के अपने कैरियर में कभी यह नहीं सोचा कि मैं किस कलाकार के साथ काम करने जा रही हूं. मुझे खुशी है कि मैं ने आमिर खान, शाहरुख खान, रणबीर कपूर, शाहिद कपूर के साथ काम कर लिया और इस के लिए मुझे प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ी.

फिल्म ‘पीके’ की शुरुआत के वक्त आप की सुशांत सिंह राजपूत के साथ काफी नोकझोंक की खबरें आई थीं?

यह सब कनफ्यूजन का मसला था. जब 2 इंसानों के बीच कम्युनिकेशन साफ नहीं होता है, तब इस तरह की चीजें पैदा होती हैं. वास्तव में मैं ने एक इंटरव्यू दिया था. उस में मैं ने जिस संदर्भ में बातें की थीं उन को पत्रकार ने दूसरे संदर्भ में लिखा. उस वक्त मुझे लग रहा था कि सुशांत ने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया है. फिर भी मैं ने सुशांत को एक एसएमएस भेजा कि इंटरव्यू में जो कुछ छपा है, वह मैं ने आप का अपमान करने के इरादे से नहीं कहा था, बात किसी अन्य संदर्भ में थी.

उस के बाद जब हम ने एकसाथ काम किया, तो एकदूसरे के प्रशंसक बन गए. जब हम एक अच्छे कलाकार के साथ काम करते हैं, तो ऐक्साइटमैंट होता है. काम करने में मजा आता है. हम दोनों ने ही काम के दौरान खूब ऐंजौय किया.

इन दिनों आप कुछ खास तरह की फिल्में कर रही हैं. उन में से किस फिल्म के किरदार के लिए ज्यादा मेहनत की?

मैं ने अपनी आने वाली चारों फिल्मों में बहुत अलगअलग तरह के किरदार निभाए हैं. इन में से फिल्म ‘एनएच 10’ का मैं ने निर्माण भी किया है. मैं ने ‘एनएच 10’ और ‘बौंबे वेलवेट’ के लिए ज्यादा मेहनत की. वैसे ‘दिल धड़कने दो’ में भी अलग तरह का किरदार है. ‘एनएच 10’ फिल्म का नाम ‘नैशनल हाईवे 10’ से प्रेरित है. यह कंटैंट प्रधान फिल्म है.

‘बौंबे वेलवेट’ पीरियड फिल्म है. मैं ने इस में अलग तरह का किरदार निभाया है. इस फिल्म में तमाम ऐसे सीन हैं, जिन के लिए मुझे अनुराग कश्यप से कहना पड़ा कि मैं इस तरह के सीन नहीं निभा पाऊंगी. पर वे मुझ से कहते कि चिंता न करो. सब हो जाएगा, क्योंकि उन्हें मुझ पर कौन्फिडैंस था.

इन दिनों तमाम कलाकार निर्माता बन रहे हैं. क्या आप ने भी इसी के चलते निर्माता बनने का निर्णय लिया?

माफ करना, मैं किसी की नकल नहीं करती.

तो क्या यह कहा जाए कि आप पर आप के परिवार का दबाव था?

नहीं. ऐसा कुछ नहीं था. यदि आप मेरे कैरियर पर नजर डालें, तो आप को एहसास होगा कि मैं ने हमेशा अलगअलग तरह का काम किया है. मैं ने बहुत छोटी उम्र में अभिनय करना शुरू कर दिया था. 25 साल की उम्र में मैं ने निर्माता बनने का निर्णय लिया. जब मैं फिल्में देखती थी, तो कुछ फिल्मों को देख कर मुझे भी लगता था कि मुझे भी ऐसी फिल्में बनानी चाहिए. मैं सिनेमा को ले कर पैशिनेट हूूं.

आज आप छोटे बालों में नजर आ रही हैं. मगर फिल्म ‘पीके’ में बाल छोटे करने के बजाय विग पहनने का निर्णय लिया था?

यहां पर लोग हर बात को गलत अंदाज में पेश करते हैं. फिल्म ‘पीके’ में मेरा जो किरदार है, उस के लिए बाल छोटे चाहिए थे. मैं अपने बाल कटवाने वाली थी और मेरे इस निर्णय से फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी उत्साहित थे. पर अचानक मेरे मैनेजर ने मुझे बताया कि आप अपने बाल नहीं कटवा सकतीं, क्योंकि इसी फिल्म के साथ आप ‘बौंबे वेलवेट’ की शूटिंग भी कर रही हैं. मैं बड़े बालों के साथ ‘बौंबे वेलवेट’ की कुछ शूटिंग कर चुकी थी, इसलिए मुझे ‘पीके’ में विग पहनना पड़ा.

सुना है, आप यशराज फिल्म्स के साथ एक फिल्म कर रही हैं, जिस में विराट कोहली आप के साथ हैं?

गलत. आए दिन ऐसी कहानियां छपती रहती हैं. कई बार तो मैं परेशान हो जाती हूं. मुझे लगता है कि जब लोगों को किसी के बारे में चर्चा करनी होती है, तो वे कुछ भी बोलने के लिए तैयार रहते हैं.

विराट के साथ आप का रिश्ता काफी चर्चा में है?

मैं निजी जीवन से जुड़ी बातों पर बात करना पसंद नहीं करती. सच एक दिन सभी के सामने होगा.

अंजीर भरवां कोफ्ते

सामग्री

1 अंजीर रात भर गरम पानी में भिगो कर बारीक कटा

250 ग्राम काजू

2 मध्यम आकार के प्याज कटे

1 चम्मच अदरकलहुसन का पेस्ट

4-5 हरीमिर्चें

9-10 कालीमिर्चें

250 ग्राम पनीर

1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन बारीक कटा

थोड़ी सी क्रीम सजाने के लिए

थोड़ी सी कालीमिर्च कुटी

कोफ्ते तलने के लिए पर्याप्त तेल

नमक स्वादानुसार.

विधि

काजू, प्याज, अदरकलहसुन का पेस्ट, हरीमिर्चें, कालीमिर्च व नमक को मिला कर अच्छी तरह उबाल कर छान लें. अब पनीर को मैश कर के उस में अदरकलहसुन, नमक, कुटी कालीमिर्च और अंजीर मिला कर कोफ्ते का आकार दें और डीप फ्राई कर लें. एक बाउल में कोफ्ते रख कर ऊपर से उबाल कर छानी हुई ग्रेवी डालें और क्रीम से सजा कर सर्व करें.

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