‘बाबा’ चला बौलीवुड

सीबीआई जांच के घेरे में आए विवादित बाबा रामरहीम ने बौलीवुड की राह पकड़ ली है. डेरासच्चा सौदा के इस बाबा की फिल्म ‘मैसेंजर औफ गौड’ का पोस्टर और फर्स्ट लुक इन दिनों हर टीवी चैनल व सामाचार पत्रों में छाया हुआ है. धर्म के नाम पर बटोरी गई रकम का बड़ा हिस्सा इस फिल्म और उस की पब्लिसिटी पर खर्च किया जा रहा है. इस फिल्म का नायक भी खुद गुरमीत रामरहीम है जिस पर लगभग 400 लोगों को नपुंसक बनाने और महिलाओं का यौन शोषण करने जैसे संगीन आरोप हैं. इस फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए अकाल तख्त ने सरकार से मांग की है. पर सरकार सेंसर बोर्ड का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ रही है. ऐसा लगता है कि रामपाल, आसाराम जैसे बाबाओं का जो हाल हो रहा है, उस से डर कर रामरहीम ने बाबागीरी का धंधा छोड़ कर बौलीवुड का रास्ता पकड़ लिया है.

औनलाइन शौपिंग के साइड इफैक्ट्स

शौपिंग लफ्ज का ईजाद और चलन कब और कैसे हुआ, मालूम नहीं, मगर आजकल इतना सामान्य व सहज हो गया है कि हम चाहे फुटपाथ पर सजे ठेलों पर चड्डीबनियान का मोलभाव करतेकरते पसीनापसीना हो जाएं या फिर फलसब्जी वाले से घंटों उलझ 2-4 रुपए कम कराने में लस्तपस्त, कहते हम उसे शौपिंग ही हैं, खरीदारी नहीं. सड़कों पर भटक, दुकानदारों से उलझ, धूलमिट्टी से सन, भीड़भाड़ में धक्कामुक्की खा कर जब हमें अक्ल आ ही गई तो हम ने औनलाइन बायर बनने की सच्ची वाली कसम खा ही ली और आननफानन ताबड़तोड़ और्डर कर डाले. अपनी देर आयद दुरुस्त आयद वाली सोच पर (काश, हम अपनी पीठ खुद थपथपा पाते.) हम फूले नहीं समाए (अब क्या कहें पहले से ही कितने फूले हुए हैं). फिर चैन से एक देशभक्ति के स्लोगन वाली चाय सिप करते हुए बेसब्री से और्डरों के आने का इंतजार करने लगे.

कुछ घडि़यां सुकून से घर की चारदीवारी में जो बिताईं तो पाया कि हम से पहले ही हमारे सभी पड़ोसी औनलाइन ग्राहक बन चुके हैं. कूरियर बौय का आना कुछ पोस्टमैनों की रोजाना वाली आमद की तरह था, जो अब गाहेबगाहे ही आया करते हैं और वे भी सरकारी चिट्ठियों के साथ. और तो और, कालोनी में औनलाइन ग्राहकों की गिनती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता था कि कंपनियों की गाडि़यां भारी सामान से लदीं फर्राटे भरतीं घूमघूम कर घर बैठे सब के शौपिंग यानी खरीदारी वाले गम को अपने कंधों पर मुस्तैदी से उठा रही थीं. हम मुंगेरीलालजी के नक्शेकदम चल कर के सुहानेहसीन सपनों में खो गए. सपना कि पैट्रोल के खर्च पर बचत. सपना कि अब ज्यादा रिलैक्स रह कर उम्दा काम करेंगे और औफिस में बौस को खुश कर देंगे… प्रोमोशन के चांसेज. सपना कि खरीदारी के दौरान सड़कों पर मुंह बाए खुले चैंबरों में असमय जान गंवाने से बचेंगे.

कहां घंटों ड्राइव कर के मौल्स, दुकानों तक पहुंचने की जद्दोजेहद. वह जाम में फंसना. कीचड़ का छपाका राहगीरों पर उड़ा कर (दाग अच्छे हैं. पर केवल क्यूट सी एड में.) खुद उन की गालियों की बौछार झेलना. पर यहां तो सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली बात हो गई. हमारा पहला और्डर उन की 3 खूबसूरत साडि़यों का था. लेकिन तोलमाप डौट.कौम की चकाचक मौडलों पर झकास सजी साडि़यां छेदों से भरी थीं. रंग यहांवहां से उड़ा था. बिटिया के 4 जोड़ी सैंडलों का साइज (हालांकि हम ने अच्छी तरह देख कर साइज और्डर किया था) उन्हीं नंबरों के साथ छोटा था. हमारे लख्तेजिगर के सल्लू स्टाइल बूट्स के दोनों पैरों का लैदर अलगअलग रंग का था. डेढ़ घंटे का वक्त बरबाद कर जो और्डर हम ने क्लिक किया था उसे वापस लौटाने के लिए हमें बस 15 किलोमीटर दूर जाना था.

अभी टूटे सपनों का जनाजा उठ भी न पाया था कि जल्द ही दोबारा हमारी जिंदगी गच्चे खाने लगी. कनैक्टिविटी प्रौब्लम से दोचार होते ही हमें अपनी नानी याद आ गईं. मुई इंटरनैट कनैक्टिविटी के लपेटे में एक ही सामान के 2-2 और्डर जो क्लिक हो गए. हम ने सिर पीट लिया. अभी तो पहले ही सामान की वापसी के लिए मर्केंडाइज रिटर्निंग वालों के यहां चक्कर लगालगा कर वास्कोडिगामा हो रहे थे और… और अब जब तक दोबारा कनैक्टिविटी आए तब तक धाड़धाड़ करते कलेजे के साथ हम सारा कामधाम छोड़छाड़ डबल और्डर कैंसिल करने के लिए मौनीटर के सामने बिसूरते बैठे रहने को मजबूर थे. हमारी दुखभरी दास्तान इतने पर ही खत्म हो जाती, ऐसा भला हमारे नसीब में कहां था? एक मध्यवर्गीय भारतीय होने का श्राप हमारे सिर पर बेताल का ताल ठोंकता ही रहता.

अपने बौस को उन की शदी की सालगिरह पर तोहफे में देने के लिए खरीदा माइक्रोवेव एक छोटी सी शिपिंग मिस्टेक की वजह से किसी दूसरे के घर पहुंच गया था और बदले में उन साहब का पैकेजिंग मिस्टेक के कारण टूटा डिनर सैट सामने पड़ा हमारा मुंह चिढ़ा रहा था. माइकल शूमाकर और सेबैस्टियन वेट्टल भैया के बाद हम एक नया रिकौर्ड बनाने जा रहे हैं, क्योंकि फौर्मूला वन की रेस में दौड़ना हमारे शहर की गलियों में कार दौड़ाने से इतर नहीं है. हमारे पिद्दी से कलेजे में सोतेजागते बस अपनी शौपिंग आइटम्स और और्डर्स को ले कर धुकधुकी बनी रहती. न जाने कब क्या हो जाए? हम ने पूरे परिवार के साथ बैठ कर तय किया कि चाहे जो हो जाए अब गिनीचुनी अच्छी कंपनियों को ही और्डर करेेंगे और साथ ही सब को घुड़काया भी कि घंटों बैस्ट औफर के चक्कर में इंटरनैट और बिजली के बिल से घर की बजटरूपी नैया को न डुबोएं.

इस सब के बावजूद हालांकि रबड़पैंसिल, जूतों के तस्मे, दियासलाई, ताजा पनीर, नीबू, मिर्ची वगैरह जैसी रोजमर्रा की डिमांड में चक्करघिन्नी हो गलीसड़कों पर फाकाकशी करनी ही पड़ती थी. कभी किसी आइटम की डबल बिलिंग का लफड़ा तो कभी दोगुने शिपिंग चार्ज का थपेड़ा. कुछ ही महीने बीते थे कि एक दिन अचानक हम ने पाया कि हम अस्पताल के बिछौने पर बड़े सुकून से आराम फरमा रहे हैं (और भला सुकून की नींद हमें कहां नसीब होती?). हम वापस आंखें खोल कर इस दुनिया से रूबरू नहीं होना चाहते थे. फिर… बस… हम श्रीमतीजी की जबानी अपने टूटे हुए दिल की कहानी सुनते रहे…

हमारी मिजाजपुर्सी को पहुंची किन्हीं मुहतरमा को वे बता रही थीं कि कैसे एक स्पाईवेयर ने हमारे क्रैडिट कार्ड पर खुफिया डाका डाल कर हमारे बचेखुचे बैंक बैलेंस को लूट लिया. हम ने हारे जुआरी की तरह एक लंबी सांस (हालांकि औक्सीजन मास्क लगा हुआ था हमें) खींच कर फिर कसम खाई कि अब कभी औनलाइन शौपिंग के लिए क्लिक नहीं करेंगे. आखिरकार हम भी एक जागे हुए ग्राहक थे और ग्राहक सेल में ठोंके गए मुकदमे में अपनी जीत का हमें पूरा भरोसा था. (भरोसा करना हमारी पुरानी मजबूरी थी). हम नेताओं, पुजारियों, मुल्लाओं, बीमा कंपनियों सब पर भरोसा करते चले आ रहे हैं. एक बार फिर गृहस्थी के जंजाल और संसार की मोहमाया में जकड़े हम हरभजन भैया के ठेले से 500 ग्राम टमाटरों पर 1 रुपया कम करा कर अपने पुराने दिनों में (सहीसलामत न सही) लाइफलाइन बचा लौट आए थे.

चौकलेट मफिंस

सामग्री

11/2 कप मैदा

1 कप बूरा

1 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर

100 ग्राम मक्खन

100 ग्राम डार्क चौकलेट

1 कप दूध

1 छोटा चम्मच वैनिला ऐसेंस

2 बड़े चम्मच सिरका

2 बड़े चम्मच कोको पाउडर.

विधि

एक बाउल में मैदा, बेकिंग पाउडर और बूरा को मिलाएं. अब कोको पाउडर और मक्खन को मैदे में मिलाएं. फिर इस में दूध अच्छी तरह मिलाएं और सिरका भी मिलाएं. अब डार्क चौकलेट को माइक्रोवेव में 11/2 मिनट पिघला कर मैदे के मिश्रण में अच्छी तरह से मिलाएं. वैनिला ऐसेंस डालें और उसे भी अच्छी तरह मिलाएं. अब इस मिश्रण को 1 कप में 3/4 भाग भर कर ओवन में 180 डिग्री सैल्सियस पर 10 मिनट बेक करें.

सोनम किस से नजरें नहीं मिलाना चाहतीं

सोनम कपूर और दीपिका के बीच का मनमुटाव अब खुल कर सामने आ गया है. हद तो तब हो गई जब एक अवार्ड फंक्शन के दौरान सोनम को यह पता चला कि बगल वाली सीट पर दीपिका को बैठना है, तो उन्होंने तुरंत अपनी सीट बदलवा ली. पर सोनम के प्रवक्ता ने इस खबर को नकारते हुए कहा कि सोनम दीपिका के आने से पहले ही चली गई थीं. लेकिन इस खबर से यह तो साफ जाहिर होता है कि दोनों अभिनेत्रियां अब भी एकदूसरे का सामना करने से बचती हैं.

फैशन में विज्ञान का दखल

फैशन तकनीक में विज्ञान के बढ़ते दखल के बारे में पहले कभी किसी ने शायद सोचा भी न होगा कि एक दिन ये दोनों एकदूसरे के पर्याय बन जाएंगे, क्योंकि फैशन की दुनिया तो अपनेआप में एक अलग दुनिया है, जहां कल्पना और रचनात्मकता मिल कर एक नया सृजन करते हैं. ऐसे में पहले लोगों का यही सोचना था कि यहां तकनीक का क्या काम? लेकिन अब जमाना तकनीक का ही है. जीवन का हर क्षण, हर पहलू किसी न किसी रूप में तकनीक के ज्ञान से जुड़ा है. दिनचर्या से ले कर रोजमर्रा की जरूरतें सब कुछ तकनीक पर ही आधारित हो चुका है. ऐसे में कोई फैशन तकनीक से कैसे अलग रह सकता है.

20 वीं सदी में फैशन इंडस्ट्री में फोटोग्राफी के रास्ते जब विज्ञान ने अपने कदम बढ़ाए तो फैशन के दीवानों ने विज्ञान द्वारा सुझाए इस विकल्प को हाथोंहाथ लिया, जिस से उन का व्यवसाय और प्रभावकारी बना. इस नए विकल्प के माध्यम से डिजाइनरों के फोटो मैगजीन व न्यूजपेपर में छप कर कस्टमर के घरों तक जा पहुंचे.

आज कंप्यूटर डिजाइनिंग का फैशन इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. फैशन डिजाइनिंग से संबंधित ज्यादातर काम कंप्यूटर से होते हैं. इन में शामिल हैं स्क्रीन पर रेखांकन, ड्राइंग, पैटर्न, टैक्सचर, रंग संयोजन तैयार करना, तसवीरों व नमूनों की स्कैनिंग, तसवीरों में हेरफेर, शरीर रचना के मुताबिक कपड़ों को ढालना आदि. इस के अलावा फैशन उद्योग में मुख्य काम कंप्यूटर से ही होते हैं. जैसे पैटर्न तैयार करना, ग्रेडिंग यानी पैटर्न को अलगअलग आकारों में ढालना, मार्किंग, पैटर्न के मुताबिक कटाई, वस्त्र निर्माण, वस्त्र का असली उत्पादन, डिजाइन का हाथ से चित्रण, लागत और बिक्री संबंधी आंकड़े तैयार करना.

साई फाई इनस्पायर्ड क्लोदिंग

फैशन डिजाइनरों को अंतरिक्ष में भी फैशन की संभावनाएं दिखने लगी हैं. लिहाजा साई फाई (साइंस फिक्शन) इनस्पायर्ड पोशाकों और स्पेस सूट डिजाइनरों की कल्पना के साथसाथ सब के सामने आने लगे हैं. इन का अनुमान हौलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्मों में दिखाए वस्त्रों से लग जाता है. ये सोलर पावर आउटफिट, रंग बदलने के साथ पहनने वाले के साथ संवाद भी कर सकते हैं.

साइबर ट्रे विंग्स नामक एक सूट ड्रेस में कार्बन फाइबर और एल्यूमिनियम से एक डिजाइन बनाई गई है, जिस में सर्दीगरमी के लिए पावर देने की क्षमता है. इस पोशाक के लिए बैटरी को बाहरी पावर की जरूरत नहीं है. इस पोशाक में चिडि़यों की तरह पंख हैं. खुल कर 7 बार फड़फड़ाने पर वे 5 से 10 मिनट के लिए चार्ज हो जाते हैं. चार्ज होने पर यह पोशाक चमकती है और हीटिंग व कूलिंग दोनों करती है. भविष्य की सूट ड्रेस यूरोपियन फैशन मेकर लुमी टाप सौफिया द्वारा बनाई गई है, जो बैटरियों से चलती है. ऐसे फैशन के दीवाने, जो अपने कपड़ों को रोशनी से चमकाना चाहते हों, उन के लिए यह करिश्माई ड्रेस बेहतरीन विकल्प है, जो लाल, नीले, हरे, पीले रंगों में चमक कर पहनने वाले को पार्टी में सब की निगाहों का निशाना बन सकती है.

पर्यावरण प्रेमी पावर जनेरेटिंग ड्रेसेस में सोलर एनर्जी के बलबूते पावर जनरेट की जाएगी. भविष्य में इन कपड़ों का फायदा 2 तरह से उठाया जा सकेगा. एक तो तन ढकने में, दूसरे, चलते हुए, पार्क में टहलते हुए, मोबाइल या आईपौड जैसे गैजेट्स को चार्ज करने में. किसी बीच पर अगर आप के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई हो तो कोई बात नहीं, आप अपने सामने धूप स्नान का मजा लेते हुए सोलर बिकनी पहने खूबसूरत लड़की से मोबाइल चार्ज करने की रिक्वेस्ट कर सकेंगे. अमांडा पार्कर नामक डिजाइनर ने एक ऐसी पोशाक ईजाद की है, जो पहनने वालों के हाथपैर हिलाने पर पावर जनरेट कर सकती है. प्लेजोइलेक्ट्रिक मैटेरियल से बनी यह पोशाक कुहनी और कूल्हों के जोड़ों के हिलने से जब बिजली बनाएगी तो उसे स्टोर भी किया जा सकेगा, ताकि जरूरत के वक्त उस का इस्तेमाल किया जा सके.

हाइटेक फैशन का एक और फंडा है, सर्किट बोर्ड डे्रसेस. इन में कंप्यूटर के सर्किट बोर्ड होते हैं जिन्हें आसानी से पहन कर अपना पूरा डाटा उन पर लाया ले जाया सकेगा. सर्किट बोर्ड ड्रेस की ही तरह एक दूसरी ड्रेस बनाई गई है फ्लैक्सिबल डिस्प्ले स्क्रीन के साथ. डिजाइनरों के प्रयत्न से अब ऐसी डे्रस उपलब्ध है जिस में ग्राहक अपने कपड़ों के साथ ऐसी स्क्रीन ले कर चल सकता है, जिस पर वह जो चाहे लिख कर किसी विज्ञापन का माध्यम भी बन सकता है.

थर्मोक्रोमेटिक क्लोदिंग

आने वाले समय में पोशाकों में प्रयुक्त किए जाने वाले थ्रेड पहनने वाले के मूड के हिसाब से अपने रंग बदलें तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. जिस प्रकार आम जिंदगी में सूरज की रोशनी से प्रभावित हो कर धूप और छांव में अपना रंग क्रमश: गहरा और हलका करने वाले लाइट सेंसेटिव आईग्लासों का लोग अभी भी उपयोग कर रहे हैं, उसी तरह इन्हीं लाइट सेंसेटिव आईग्लासों की तर्ज पर ऐसे कपड़े ईजाद करने की ओर कदम बढ़ाए जा चुके हैं.

इलेक्ट्रोमेटिक पोलीमर नामक मैटेरियल से बनने वाले ये कपड़े रोशनी को एब्जार्ब करने की क्षमता रखने वाले होंगे. पोलीमर और आर्गेनिक केमिस्ट्री के प्रोफेसर जौर्जी स्टोजिंग का कहना है कि नायलोन जैसे पोलीमर बहुत पतले होते हैं लेकिन इलेक्ट्रोक्रोमेटिक पोलीमर को पतला करने के लिए उन्हें केमिकल रिएक्शन से गुजरना पड़ता है. स्टोजिंग अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ऐसे फाइबर विकसित कर चुके हैं, जो नारंगी से नीले और लाल से नीले रंग में बदल जाते हैं. इस काम के लिए एक छोटी सी बैटरी द्वारा इलेक्ट्रिक करंट दे कर भी कपड़ों के रंग बदले जाते हैं.

विज्ञान की सहायता लेते हुए डिजाइनर ऐसे वस्त्र भी बनाने में कामयाब हो चुके हैं,जो शरीर का तापमान तो नियंत्रित कर ही  सकते हैं साथ ही जीवाणुओं को भी मार सकते हैं. शायद उन्हें धोने की ही जरूरत न हो, क्योंकि इन में सेल्फ क्लीनिंग फैसिलिटी हो सकती है.

स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस

फैशन और तकनीक का मिलाजुला सटीक स्वरूप स्मार्ट इंटरेक्टिव ड्रेसेस हैं. ये ड्रेसेस ऐसे मैटेरियल से बनाई गई हैं, जो न सिर्फ अपने आसपास के वातावरण से बल्कि अपने पहनने वाले की प्रतिक्रिया से स्वयं में बदलाव ले आती हैं. उन्हें आर्कटिक या सहारा मरुस्थल तक में पहना जा सकता है. ये क्लाइमेटिक कंडीशंस को झेल सकेंगी. ऐसे बायो सूट नैनोटेक्नोलोजी की सहायता से बनाए जा रहे हैं. अनब्रेकेबल, वाशेबल और स्ट्रेचेबल होने के कारण इन्हें मोटापतला कोई भी पहन सकता है. बहरहाल, फैशन तो नित बदलता रहा है, लिहाजा इस के साथ हाइटेक फैशनेबल कपड़ों की डिजाइनें भी बदलेंगी.

यह विज्ञापन का ही कमाल है कि अब तो अपने कपड़ों की डिजाइनिंग के लिए कस्टमर घर बैठे ही डिजाइनर से संपर्क कर सकता है. वीडियो कान्फरेंसिंग के जरिए ही वह तैयार की गई नई डिजाइन देख कर अपने लिए पसंद कर सकता है. इस में स्केच तैयार करने, परिधान की डिजाइन बनाने और उस की फिटिंग जैसे सारे काम वेबकैम की सहायता से टीवी स्क्रीन पर हो सकते हैं, फिर चाहे डिजाइनिंग हो, फैब्रिक हो, टेक्सचर हो, सजावट हो या प्रिंट आप को जो चाहिए सिर्फ बोल कर बता सकते हैं. इस तकनीक का सब से बड़ा फायदा डिजाइनरों को हुआ है, क्योंकि ये दूसरे शहर या देश में बैठे क्लाइंट की जरूरतों को पूरी कर देते हैं. अगर किसी क्लाइंट को एक परिधान फिट नहीं बैठता है तो डिजाइनर उसे नए सिरे से तैयार कर देता है. इस से डिजाइनर का काफी समय बच जाता है.

सभी को लुभाती तांत साडि़यां

हमारे देश के विभिन्न प्रांत खास साडि़यों के लिए मशहूर हैं जैसे बनारस की बनारसी, तमिलनाडु की कांजीवरम, गुजरात की पैठणी, लखनऊ की चिकन, चेन्नई की मद्रासी सिल्क, जयपुर की जयपुरी या बाटिक प्रिंट आदि. ये खास साडि़यां भारतीय महिलाओं द्वारा विशेष तरीके से पहनी जाती हैं और अपने प्रांत विशेष की पहचान को भी दर्शाती हैं.

पश्चिम बंगाल मशहूर है अपनी तांत की साडि़यों के लिए. जी हां, तांत या कहें प्योर कौटन. बंग समुदाय के लिए कोई भी उत्सव हो, तांत के बिना वे स्वयं को अधूरा मानते हैं. तांत साडि़यों की खास बात यह है कि साड़ी धागे की बनी होती है, जिसे कारीगर स्वयं अपने हाथों से बनाते हैं. कलर, वेराइटी, पिं्रट और नाना प्रकार की डिजाइन के कारण आज बंग समुदाय ही नहीं, नौन बंग समुदाय में भी यह अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है. यही वजह है कि बाजार में इस की डिमांड और कीमत दोनों ही हमेशा हाई रहती हैं.

विशेषता

पश्चिम बंगाल के शांतिपुर, फुलिया, कृष्णानगर और धोनेखाली की खास तांत की साडि़यां पूरे देश में मशहूर हैं. ये प्योर कौटन की होती हैं. अनेक वेराइटी में कौटन और सिल्क ये दोनों प्रकार की होती हैं. हाथ से निर्मित होने के कारण इस का अपना ही लुक होता है. बाजार में इस की कीमत 200 रुपए से प्रारंभ हो कर उस के बाद जैसी साड़ी वैसी कीमत. तांत साडि़यों के शौकीन कोलकाता निवासी लक्ष्मीनारायण बताते हैं, ‘‘तांत साड़ी को पहनते ही नारी में अलग ही निखार आ जाता है और यदि साड़ी के अनुरूप गहने भी आप ने पहन लिए तो सोने में सुहागा या कहें तो आप किसी राजवंश खानदान की बहू से कम नहीं लगेंगी.

‘‘अच्छी साड़ी महंगी अवश्य होती है परंतु वह आप के रूप और आप के व्यक्तित्व को क्षण भर में बदल देगी. यही तांत की साड़ी की खास विशेषता है.’’

धोनेखाली तांत की साडि़यां

तांत 2 प्रकार की होती है. पहली शांतिपुरी तांत और दूसरी धोनेखाली तांत. यह केवल कौटन में होती है. घर में डेली यूज के लिए यह साड़ी आरामदायक और सस्ती भी होती है. धोनेखाली साडि़यां प्लेन और चेक दोनों प्रकार की होती हैं. इस की खास पहचान यह होती है कि इस के आंचल में 2 जगह पतली सी लाइन होती है, जिस में छोटीछोटी बुनाई रहती है. बाजार में यह 150-200 रुपए में उपलब्ध होती है. पश्चिम बंगाल के धोनेखाली जगह में इस प्रकार की साडि़यां बनाई जाती हैं.

शांतिपुरी तांत की साडि़यां

यह कौटन और सिल्क दोनों प्रकार की होती है. इस में धागे का काम कारीगरों द्वारा हाथ से किया जाता है. शांतिपुरी तांत में तांत सिल्क प्रमुख है. तांत सिल्क में करीगर धागे से बुनाई करते हैं. तांत सिल्क अर्थात तांत और सिल्क की बूटी. इस का बार्डर पतला और पूरी साड़ी में बूटियां होती हैं. लेकिन आंचल नहीं होता. तांत सिल्क की शौकीन शुक्ला बताती हैं, ‘‘मुझे छोटेमोटे फंक्शन में तांत सिल्क पहनना अच्छा लगता है. आंचल न होने के कारण आंचल ठीक करने का झंझट नहीं रहता, साथ ही पहनने पर कंफरटेबल भी लगता है.’’

तांत टांगाई

तांत टांगाई साड़ी पर पूरा धागे का काम रहता है. इस का बार्डर चौड़ा परंतु साड़ी प्लेन होती है. इस में बूटी नहीं होती, लेकिन आंचल होता है. यह प्योर कौटन की साड़ी होती है.

तांत ढाकाई

इस का नाम ढाकाई अवश्य है लेकिन यह अपने ही देश शांतिपुर में बनती है. यह सूती और सिल्क दोनों प्रकार की होती है.

तांत जामदानी

इस में भी पूरा धागे का काम रहता है. कपड़ा फाइन होने के कारण साड़ी देखने में बहुत ही सुंदर दिखती है.

तांत बनारसी

शादीविवाह के अवसर पर तांत बनारसी का चलन है. संपूर्ण साड़ी में कांच वर्क रहता है. तांत और सिल्क दोनों का मिश्रण रहता है. आंचल और बार्डर दोनों भारी होते हैं. आंचल में ताज, मंदिर आदि पिं्रट बने रहते हैं. तांत बनारसी पहनने पर आप किसी नईनवेली दुलहन से कम नहीं लगेंगी.

तांत बालूचूड़ी

यह साड़ी भी सूती और सिल्क दोनों प्रकार की होती है, परंतु आजकल सिल्क का ही ज्यादा प्रचलन है. साड़ी के आंचल में पालकी, घोड़ा, घोड़ागाड़ी आदि प्रिंट बने रहते हैं. दीपाली मुखर्जी कहती हैं, ‘‘हमारे यहां ऐट होम या रिसेप्शन पर पहले बनारसी साड़ी पहनने का चलन था, परंतु समय के साथ आजकल नई बहू को तांत बालुचूड़ी साड़ी ही पहनाई जाती है. इस की कीमत 2,500-3,000 रुपए से कम नहीं होती. इसलिए आप यदि विवाह पर अच्छा उपहार देना चाहती हैं तो तांत बालूचुड़ी साड़ी भी दे सकती हैं और स्वयं भी पहन कर ऐट होम में अपनी एक अलग पहचान भी बना सकती हैं.’’

साड़ी का रखरखाव

हाथ से निर्मित होने के कारण तांत की साड़ी में कोई भी तकनीकी परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा. रंग, प्रिंट और डिजाइन सदैव परिवर्तित मिलेंगे. कौटन और सिल्क मिक्स होने के कारण इस की देखभाल उतनी ही आवश्यक है जितनी कि आप के लिए इस का पहनना. तांत की धोनेखाली साड़ी सस्ती होने के कारण आप इसे घर पर धो सकती हैं. लेकिन तांत सिल्क, बालूचुड़ी, बनारसी, जामदानी आदि साड़ी कांसली होने के कारण लांड्री में धुलाई, चर्क और पौलिश कराना आवश्यक है. तभी आप साड़ी की लाइफ को बरकरार रख सकती हैं.

फैशन ट्रैंड २०१५

अपने देश में अधिकांश जगहों पर जो चीज निरंतर बदलती है, वह है मौसम. यहां आप जहां गरमियों में स्लीवलैस और लो कट पहन सकती हैं, वहीं सर्दियों में पूरी तरह से गरम कपड़ों में ढकी हुई ही बाहर निकल सकती हैं. वैसे तो आप जो चाहें वह पहनना पसंद करती हैं, लेकिन साथ ही अपने आसपास की लड़कियों को प्रभावित भी करना चाहती हैं तो जानें 2015 का फैशन ट्रैंड:

विंटर फैशन

फोर्टिफाइड रंग: फोर्टिफाइड रंग इस साल बहुत चलन में है. ताजा और स्निग्ध यह रंग भारतीय महिलाओं के लिए काफी अच्छा है. यह बेहतरीन शेड चूंकि आप के रूप में भव्यता और श्रेष्ठता का समावेश कर देता है, इसलिए साड़ी, ड्रैस और पुलोवर्स के साथ यह रंग सर्दियों के दिनों में आप में काफी आकर्षण भर देगा.

कौंबैट बूट्स: कौंबैट बूट्स महिलाओं की सर्दियों की वार्डरोब को पूर्ण करते हैं और यह प्रचलन इस साल खूब चलने वाला है. आप इन्हें अपनी ड्रैस और स्कर्ट के साथ पहन सकती हैं और अपनी स्किनी जौगिंग्स के ऊपर जिप कर सकती हैं.

बड़े आकार के स्वैटर: बड़े आकार के स्वैटर सर्दियों के लिए काफी आकर्षक परिधान होते हैं और इस साल ये खूब चलन में हैं. आप इन्हें कार्यस्थल हो या मनोरंजक आउटिंग, एक फैशन स्टेटमैंट की तरह पहन सकती हैं. ये काफी आरामदायक और स्टाइलिश होते हैं और इन्हें सुपर स्किनी जींस से ले कर मिनी स्कर्ट्स तक किसी के भी साथ पहना जा सकता है.

कौर्डुरौय: डेनिम त्याग दें, कश्मीरी को उठा कर अलग रख दें और सिल्क को अलविदा कह दें. इन सर्दियों में आप के लिए नया मैटीरियल कौर्डुरौय पेश है. वूमन कौर्डुरौय आप की वार्डरोब के लिए एक बेहतरीन पेशकश. इस के टौप्स, स्वैटर्स, जैकेट्स और ब्लेजर्स काफी अच्छे लगते हैं. ब्लैक और रैड हील्स आदि के साथ डार्क कौर्डुरौय पैंट पहन कर आप रैट्रो इंस्पायर्ड दिखें.

स्कार्फ: स्कार्फ हर बार की तरह इस बार भी इस मौसम में हर लड़की का सब से अच्छा दोस्त है. यह आप को गरम रखता है और आप के पूरे परिधान की खूबसूरती बढ़ाता है. यह विभिन्न मैटीरियल और पैटर्न में आता है. कश्मीरी और वूल स्कार्फ सर्दी के दिनों में आप के लिए सब से अच्छे होते हैं. वाईब्रैंट चैकर्ड स्कार्फ और विंटेज पैटर्न के स्कार्फ सर्दियों के मौसम में लोगों के पसंदीदा होते हैं और हाथोंहाथ बिक जाते हैं.

समर फैशन

लंबे कुरते: इस बार सभी को लंबे और ढीले कुरते आकर्षित करेंगे. वैसे भी अलगअलग रंगों और प्रिंट्स वाले ये कुरते सभी को आकर्षित करते हैं. खासतौर पर उन्हें जिन्हें ऐथनिक परिधान पसंद होता है. ये कुरते चूड़ीदार, वाइड लैग्ड पैलेजोज या कौटन स्कर्ट के साथ अच्छे लगते हैं. निश्चय ही ये वसंत और गरमी के लिए भी श्रेष्ठ परिधान हैं.

फ्लौरल ड्रैस: फ्लौरल ड्रैस इस साल लेटैस्ट ट्रैंड पसंद करने वाली हर लड़की के पास होनी चाहिए. वैसे भी देखने में यही आता है कि फ्लोरल प्रिंट्स साल भर प्रचलन में रहते हैं. आप गरमियों में फ्लोरल प्रिंट्स रौंपर, फुल स्कर्ट या शौर्ट डै्रस पहन सकती हैं. यह ड्रैस कई तरह से पहनी जा सकती है. दिन में इस ड्रैस के साथ फ्लैट टैनन ग्लेडिएटर या स्लिंग बैग और क्यूटी इयरिंग्स के साथ ब्रोग्स पहनें. रात में अपना पसंदीदा ब्लेजर पहनें और कुछ सुंदर ऐक्सैसरीज और हील्स का प्रयोग करें. आप की ड्रैस उतनी खूबसूरत लगने लगेगी, जितना आप सोच भी नहीं सकती हैं.

हैंडलूम कौटन साडि़यां: गरमियों के दिनों में हैंडलूम कौटन साडि़यां महिलाएं खूब पसंद करेंगी क्योंकि इन से आप के संपूर्ण व्यक्तित्व में ऐथनिक लुक आता है और ये पहनने में काफी सहज होती हैं. इन से आप मर्यादित दिखती हैं, साथ ही इतनी खूबसूरत लगती हैं कि आप को इन्हें पहनने पर खुशी होगी. चाहे आप शौपिंग के लिए जाएं या किसी पारिवारिक आयोजन या अपने बच्चे के स्कूल में पेरैंट्स टीचर्स मीटिंग में शामिल हों, कौटन साड़ी से बेहतर परिधान और कोई नहीं हो सकता.

– लाइमरोड स्टाइल काउंसिल

हाईटेक एक्सेसरीज

अगर आप एक जगह बैठेबैठे ही सारी चीजों को नियंत्रित कर पाएं या संबंधों को बिना किसी परेशानी या बहस में उल?ो सुधार पाएं तो सोचिए जीवन में कितना सुकून और खुशी आ सकती है. यह अब सपने की बात नहीं रहेगी, बल्कि कुछ सालों में हकीकत का जामा अवश्य पहन लेगी. आप का भविष्य इतना आरामदायक हो जाएगा कि आप आज की सारी मुश्किलों को बड़ी सहजता से भूल तरक्की की उस मंजिल को पा लेंगी, जो आज आप की कल्पना में विचरती है.

आज के इस आधुनिक तकनीक के युग में जब हर काम के लिए गैजेट्स व एक्सेसरीज उपलब्ध हैं, ऐसे में महिलाओं के जीवन के साथसाथ उन के घर के डेकोर, किचन, वार्डरोब, ब्यूटी, हेल्थ, एक्सेसरीज, यहां तक कि सोचने के ढंग में भी परिवर्तन आना स्वाभाविक है. लेकिन ये बदलाव यहीं तक सीमित रहने वाले नहीं हैं, क्योंकि अगले कुछ दशकों में जिंदगी के पूर्णतया हाईटेक हो जाने से चौंकाने की हद तक व्यापक स्तर पर बदलाव होगा.

वह दिन दूर नहीं जब ऐसे फ्रिज बनने लगेंगे, जो खाना खत्म होने पर खाने का आर्डर अपनेआप कर देंगे, आप की किचन के लिए आवश्यक सामान अपनेआप संग्रहीत कर लेंगे, अपनी सफाई खुद ही करने वाले माइक्रोवेव ओवन होंगे और उंगली उठाए बिना ही रोबो क्लीनर पूरे घर की सफाई कर देंगे. भविष्य में ऐसा कोई द्रव बाजार में उपलब्ध हो जाएगा जिसे पीने के बाद आप हर समय जवां रहेंगी और आप के चेहरे पर न ?ार्रियां होंगी न ही बूढ़े होने का एहसास सताएगा. भविष्य में ऐसी ही तकनीकें विकसित होने वाली हैं, जो औरतों की जिंदगी को बहुत सुगम बना देंगी. हाथ से काम करने की परंपरा तो बिलकुल खत्म ही हो जाएगी. उस की वजह है कि आज की कामकाजी महिला ऐसे गैजेट्स व एक्सेसरीज की चाह करने लगी है, जो सुविधाजनक, उस की कार्यशैली के अनुरूप व फैशनेबल हों तथा जिन्हें वह अपने साथ हर समय रख सके. शायद इसीलिए यह कहावत आज के समय के हिसाब से ‘हीरा किसी भी औरत की पहली पसंद होता है,’ फिट नहीं बैठती है, क्योंकि अब गैजेट्स स्त्री की सच्ची पसंद बन चुके हैं.

दर्पण, बता मैं कितनी सुंदर हूं

आज की हर स्त्री अपने लुक और फिटनेस को ले कर सतर्क हो गई है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए ऐसे उपकरण तैयार किए जा रहे हैं, जिन के इस्तेमाल से वह खुद को स्मार्ट और फिट रख सके और वह भी बिना किसी ?ां?ाट के. बौडी ट्रेनर हैडसेट किट एक पर्सनल एक्सरसाइज ट्रेनर की तरह काम करती है. पल्स रेट के हिसाब से चलने वाले डिवाइस पर लिखी हिदायतों का पालन करें और रहेें हमेशा फिट. हैडसेट में 3 प्रोग्राम हैं- वाकिंग, जौगिंग और एरोबिक्स.

एक्सरसाइज करते हुए आप संगीत का आनंद भी उठा सकती हैं. पोर्टेबल होने के कारण इसे हमेशा अपने साथ रखा जा सकता है और जब एक्सरसाइज न कर रही हों तो हैडसेट का प्रयोग एक सामान्य हैडफोन की तरह किया जा सकता है, जो आप के म्यूजिक प्लेयर के साथ जुड़ सकता है. वियरेबल फेशल मसाजर चुटकियों में आप के तनाव को दूर कर देता है. सिरदर्द हो या काम से थक कर लौटी हों, यह मास्क आप में एक ताजगी भर देता है. इस गैजेट को सिर पर लपेटा जाता है.

आज दर्पण के सामने खड़े हो कर यह निश्चय करने में घंटों लग जाते हैं कि क्या पहना जाए या आप खूबसूरत लग रही हैं या नहीं, पर अगले 10-20 वर्षों बाद यह सब सोचना नहीं पड़ेगा, क्योंकि आप की खूबसूरती को हाईटेक गैजेट चुटकियों में संवार देंगे और कब क्या पहना जाए, यह आप नहीं वे तय करेंगे. हाईटेक दर्पण आप को यहां तक हिदायतें देंगे कि फलां ड्रेस के साथ फलां ज्वेलरी पहनी जाए या नहीं, स्कार्फ को टाइट करें, बेज कलर के बजाय ब्लैक सैंडल पहनें. आप का मेकअप वही दर्पण कर देगा और आप को तैयार होने में लगेंगे सिर्फ 2-3 मिनट और तब आप समय को अपनी मुट्ठी में कर पाएंगी.

ड्रेस पर डिस्प्ले स्क्रीन

हाईटेक फैशन ने समय के साथ ऐसी छलांग लगाई है कि ऐसे आउटफिट मार्केट में आ गए हैं, जो पावर उत्पन्न कर सकते हैं. ऐसी ड्रेस आप के एक इशारे पर कुहनी के जोड़ों व नितंबों पर लगे विशेष मैटीरियल द्वारा बिजली पैदा कर सकती है और उसे वोल्टेज की तरह स्टोर किया जा सकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर उस का उपयोग किया जा सके.

मजे की बात तो यह है कि अब आप अपने कपड़ों पर डिस्प्ले स्क्रीन ले कर घूम सकती हैं. इस से आप जो चाहेें अपनी ड्रेस पर लिख सकती हैं. कहीं बाहर जाने पर साथ में डायरी या पेन रखने की सिरदर्दी खत्म. इस में निहित लचीले सर्किट बोर्ड में लगा एलईडी डिस्प्ले ग्रिड आप की हथेलियों से निर्देश ग्रहण करता है. इसलिए आज की सुपरवूमेन के लिए अपनी क्रिएटिविटी दर्शाने का यह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है और अगर काम करतेकरते बोरियत महसूस होने लगे तो ऐसी टीशर्ट भी मौजूद है, जिस पर पियानो जड़ा है. इस के फैब्रिक बटन को दबा कर संगीत बजाएं. यह डिटैचेबल भी है, इसलिए धोने में भी कोई परेशानी नहीं होगी. वैसे भी कुछ सालों बाद वाशिंग मशीनों की आवश्यकता ही खत्म हो जाएगी, क्योंकि पहनेपहने ही कपड़े डिस्प्ले स्क्रीन पर निर्देश देने के साथ साफ हो जाएंगे और प्रेस भी.

आज की महिला अपनी फिटनेस के साथसाथ अपने परिधानों के प्रति भी अत्यधिक सतर्क व चूजी हो गई है. अपनी सुंदरता को बरकरार रखने के लिए उस ने फैशन की नई परिभाषा ही गढ़ ली, जिस में कंफर्ट के साथसाथ उपयोगिता का समन्वय भी हो और इसलिए ऐसी जींस बाजार में आ गई है,जिस के अंदर ही कीबोर्ड, माउस व कंप्यूटर स्पीकर हैं. इस जींस को अपने डेस्कटोप कंप्यूटर के साथसाथ लैपटोप से भी चलाया जा सकता है, जिस के लिए वायरलेस ब्लूटूथ कनेक्शन की आवश्यकता पड़ती है. घुटनों के पास स्पीकर लगाए गए हैं और पीछे की पाकेट में माउस है, जो इलास्टिक के साथ पैंट से जुड़ा है.

हाईटेक फैशन केवल बाहरी परिधानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आप के अंडरगारमेंट्स भी इस से अछूते नहीं हैं. यूवी मापने वाली ऐसी बिकनियां उपलब्ध हैं, जो एक्सरसाइज करते समय यह बताएंगी कि यूवी स्केल पर 0 से 20 के बीच सूरज कहां था और आप की सौर बिकनियां आईपौड चार्ज करने में भी आप की मदद करेंगी.

स्टाइलिश ज्वेलरी

डिजिटल क्लच कंप्यूटर लैपटोप ऐसी हाईटेक एक्सेसरीज है, जो विभिन्न रंगों में उपलब्ध है, इसलिए अपनी डे्रस के साथ ज्वेलरी के रूप में आप उसे मैच कर सकती हैं. ये इतने छोटे व कम वजन के हैं कि इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है, ये आप के स्टाइल को एक अनोखा अंदाज देते हैं और दूसरों को लगता है कि आप ने हाथ में क्लच पर्स पकड़ा हुआ है.

अपनी सुरक्षा के लिए अब आप को किसी हथियार की आवश्यकता नहीं. पर्स में लिपस्टिक रखें और बेफिक्र हो जाएं. लिपस्टिकनुमा पेपर स्प्रे आप मुश्किल के समय पर्स से निकाल कर सामने वाले पर छिड़क सकती हैं. ब्लूटूथ अगर कान की ज्वेलरी की तरह काम करे या अंगूठी बन जाए तो फिर आप की अन्य कोई आभूषण पहनने की इच्छा ही नहीं होगी. ऐसे भी ब्लूटूथ उपलब्ध हैं, जो कान में पहनने पर किसी बाली की तरह लगते हैं और अगर उन्हें थोड़ा सा घुमा दिया जाए तो अंगूठी की तरह पहना जा सकता है. जेमस्टोंस लगे होने से इन की ही नहीं आप की भी खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे.

प्लेन, बोरिंग सनग्लास आज किसी भी महिला को नहीं भाते, क्योंकि वे उस की जिंदगी में एक खास एक्सेसरीज की जगह ले चुके हैं. लेकिन अपने सनग्लास को पहन कर आप ट्रेंडी तो लगेंगी ही, साथ ही अपने मनपसंद गाने भी सुन पाएंगी. खूबसूरत रंगों व डिजाइनों वाले सनग्लास में अगर वायरलेस स्टीरियो हैडफोन लगा हो और वह ब्लूटूथ हैडसेट का काम भी करे तो वह न सिर्फ एक बेहतरीन म्यूजिक प्लेयर का काम करेगा, बल्कि आप मोबाइल फोन की तरह उस में से बात भी कर पाएंगी.

सनग्लास के हैंडिल पर लगे बटनों से आप वायस कम्युनिकेशन और स्टीरियो साउंड को संभाल सकती हैं. यही नहीं, ऐसे यूएसबी मेमोरी फे्रम्स भी बाजार में उपलब्ध हैं जिन के फे्रम में 4 जीबी यूएसबी है, जिस से आप डाटा, पिक्चर और संगीत आदि को भेज सकती हैं. अब आप अपनी सारी जानकारी अपने दिल के पास रख सकती हैं, क्योंकि खास औरतों के लिए तैयार किया गया है एक हार्ट नेकलेस, जो यूएसबी फ्लैश ड्राइव है. पिंक कलर का होने के कारण यह गले पर खूब सजता है. 4 जीबी की क्षमता होने के कारण इस में आप डाटा, पिक्चर और संगीत कुछ भी स्टोर कर सकती हैं.

जब से सेलफोन आए हैं, घड़ी पहनने का टें्रड लगभग खत्म ही हो गया है, लेकिन अब ऐसा सेलफोन आ गया है जिसे आप घड़ी की तरह अपनी कलाई पर पहन सकती हैं. बहुत ही स्लीक होने के बावजूद इस में टच स्क्रीन, कैमरा व ब्लूटूथ हैडसेट भी है. तो फिर बांधें सेलफोन को कलाई पर और लें स्टाइलिश घड़ी का मजा.

टच एंड टाक

मोबाइल हाथ में पकड़ने में अगर आप परेशानी महसूस करती हैं तो आप के लिए अब ऐसा मोबाइल उपलब्ध है, जो पेपर की तरह हलका होने के साथसाथ कलाई पर भी बांधा जा सकता है. यह इतना लचीला है कि इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है. यहां तक कि हर बदलते आकार के साथ इस का रंग भी बदल जाता है. अगर कलाई पर बांधने में दिक्कत हो तो इसे आप अपने ब्लाउज या टौप पर भी टांग सकती हैं. इस का कांसेप्ट है टच एंड टाक.

वैसे भी कुछ सालों बाद मोबाइल फोन आउटडेटेड होने वाले हैं, क्योंकि इतना बड़ा सेट हाथ में उठाने का चलन ही खत्म हो जाएगा. आप के नाखूनों या अंगूठे में कोई चिप फिट कर दी जाएगी और आप को बात करने के लिए कान तक भी उसे ले जाना नहीं पड़ेगा. केवल लिप मूवमेंट से बातों का आदानप्रदान हो जाएगा. ऐसे कांटेक्स लेंस होंगे, जो खबरें तो आप तक पहुंचाएंगे ही,साथ ही ई-मेल भी आप की आंखों के सामने होगी और एक ऐसा यंत्र उस में फिट होगा,जिस से आप किसी भी शब्द को छू कर उस का अर्थ व उच्चारण जान सकेंगी. इस से आप हर समय अपडेटेड रहेंगी. महिलाएं इन उपकरणों की वजह से उन ऊंचाइयों को छू पाएंगी, जिन की वे आज तक केवल कल्पना ही करती आई हैं.

स्मार्ट होम

कामकाजी स्त्री की जिंदगी में इतनी भागदौड़ रहती है कि वह ठीक से खा तक नहीं पाती या फिर ठंडे खाने से ही काम चलाना पड़ता है. ऐसे में अगर कार में ही एक माइक्रोवेव ओवन बना हो तो कितनी आसानी से आप स्नैक्स तैयार कर पाएंगी. कार के लिए बने ये माइक्रोवेव ओवन कार की बैटरी से चलेंगे.

सफाई को ले कर हर स्त्री चिंतित रहती है, खासकर बाथरूम और किचन की सफाई को ले कर. लेकिन अब ऐसा कोर्डलेस वेट स्क्रबर बाजार में उपलब्ध है, जिस में बैटरी और चार्जर लगे हुए हैं, जिन्हें काम खत्म होने के बाद अलग किया जा सकता है. अब आराम से बिना हाथ गंदे किए कीजिए सफाई. रोबो क्लीनर भी एक और विकल्प है, जिस में सेंसर लगे हुए हैं, जो अपनेआप सारे घर की फ्लोरिंग को साफ कर देते हैं और वह भी आप की अनुपस्थिति में. इस में इन्फ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे चलाती है. हाईटेक कटिंग बोर्ड की मदद से न सिर्फ सब्जी काटना आसान होगा, बल्कि सामग्री का वजन भी आप को पता चल जाएगा. हाथ से काटने के बजाय स्क्रीन पर आप को सिर्फ हिदायत देनी होगी कि किस सब्जी को किस आकार में काटना है और वह मनचाही शेप में आप को मिल जाएगी.

हाईटेक खाना बनाने के लिए एक डिस्प्ले स्क्रीन होगा, जिस पर से पढ़ कर आप मनपसंद रेसिपी चुन कर उसे बनाने की हिदायत भी उसे दे पाएंगी. आने वाली दुनिया केवल निर्देशों पर चलेगी, जो हाथ हिला कर या मात्र छू कर देने होंगे, यानी वह महिला जो आज तक दूसरों के इशारों पर नाचती आई है, उस की जिंदगी हाईटेक गैजेट्स के चलते इतनी सुविधाजनक हो जाएगी कि वह अपनी उंगली पर हर किसी को घुमा पाएगी.

वह दिन दूर नहीं जब टच या फिर आप की पल्स रेट के हिसाब से चीजें काम करेंगी और आप भी किसी पार्लर में जाने के बजाय घर में ही सारे ब्यूटी ट्रीटमेंट चुटकी बजाते ही कर लेंगी. रही बात घर की सज्जा की तो  वह तो स्क्रीन पर निर्देश देने से भी हो जाएगी वरना रोबोट तो रहेंगे न आप की सेवा करने के लिए.पूरी तरह से आटोमैटिक हर्ब गार्डन

ताजा सब्जियों व मसालों के ?ां?ाट को दूर कर देगा. बीज डालना, खुदाई करना या पानी देने जैसे काम आप भूल जाइए, क्योंकि यह हाईटेक हर्ब गार्डन खुद ही सब कुछ करने में सक्षम होगा और बिना मिट्टी या कीटनाशक का प्रयोग किए आप अपनी किचन में ताजा फलसब्जियां व हर्ब्स उगा पाएंगी. भविष्य में इस तरह के पोर्टेबल किचन काउंटर, शेल्फ और स्टोरेज होंगे, जिन्हें कहीं भी साथ ले जाया जा सकेगा. उस में फ्रिज से ले कर हीटिंग स्पेस तक होगी. इस हाईटेक किचन की वजह से औरत को दिनरात गरमी या धुएं में नहीं खपना पड़ेगा, बल्कि अपने कमरे में बैठेबैठे वह रोबोट को संचालित कर खाना बना सकेगी और वह भी इंस्टेंट.

भविष्य के घर स्वीट होम के साथसाथ स्मार्ट होम भी होंगे और वे बने होंगे क्लिक एंड एक्सेस तकनीक के साथ. कल्पना कीजिए ऐसे घर की जहां एक ही नेटवर्क से जुड़े आप के आधुनिकतम टीवी, फ्रिज, कैमरा, मोबाइल आदि स्वचालित एकसाथ मिल कर काम कर रहे होंगे और वह भी जब आप घर पर नहीं आफिस में होंगी. ऐसा होना संभव है और इस के साथ ही औरत का जीवन कहीं अधिक सुविधाजनक व आलीशान हो जाएगा.

हर काम एक सिस्टम व प्लानिंग से होगा. घर की कोई चीज खराब हो जाएगी तो आफिस में बैठेबैठे आप को खबर हो जाएगी और आप वहीं से उसे ठीक करने वाले गैजेट को चालू कर उसे फिर से काम पर लगा पाएंगी. आप के उस स्मार्ट होम में हर कमरे और उस में रहने वाले सदस्य की जरूरत के अनुसार डिवाइस फिट होंगे, जिन का कंट्रोल आप के हाथ में होगा.

सिक्योरिटी चेक

आने वाले समय में बच्चों को घर में अकेला छोड़ना भी समस्या नहीं रहेगी, क्योंकि रोबोट सोते हुए, खेलते हुए बच्चे की निगरानी करेंगे और मांएं चिंतामुक्त हो कर जी सकेंगी. सब से अच्छी बात तो यह होगी कि औरतों की सुविधा के लिए बनने वाले ये हाईटेक गैजेट्स उन से न कोई सवाल करेंगे न ही कोई बहस. बस सिर ?ाकाए उन के आदेशों का पालन करेंगे, जिस से औरत के लिए नौकरी करते हुए परिवार की जिम्मेदारियां उठाना मुश्किल नहीं रहेगा, न ही सासननद और पति के तानों से उस की रातों की नींद में खलल पड़ेगा.

आने वाले समय में आप को अपने टीनएज बच्चों को ले कर टेंशन में रहने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. अगर आप की किशोर बेटी कुछ गलत करने वाली होगी तो उस की कार में आप लगा सकती हैं ऐसा जीपीएस सिस्टम, जो आप को तुरंत उस की हरकतों का पता दे देगा और आप दूर से ही उस की एक्टिविटी को कंट्रोल कर लेंगी. उस के बाद कार तब तक नहीं चल पाएगी जब तक आप की बेटी को अपनी गलती सम?ा नहीं आ जाएगी और वह घर आने को तैयार नहीं हो जाएगी.

यही नहीं पतियों को ले कर आप टेंशन फ्री हो जाएंगी, क्योंकि हसबैंड ट्रांसलेटर जैसा गैजेट आप के कान में न सिर्फ उस के दिल की बात बता देगा, बल्कि उस तक आप के दिल की बात पहुंचा कर संबंधों में आने वाली कड़वाहट व गलतफहमियों को भी सुल?ा देगा.

हाईटेक सिक्योरिटी सर्विस गैजेट की वजह से आप के लिए परिवार के साथ कहीं बाहर जाना भी बहुत आसान हो जाएगा, क्योंकि घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस की होगी और आप दूसरे देश में बैठी हुई भी अपने घर के अंदर इस की मदद से ?ांक पाएंगी. महिलाओं की जीवनशैली पर इन हाईटेक गैजेट्स और एक्सेसरीज का बहुत व्यापक असर पड़ेगा, क्योंकि इन की वजह से सारे अधिकार व नियंत्रण उन के हाथ में आ जाएंगे, जिन्हें पाने के लिए वे आज हर संभव कोशिश कर रही हैं. जिन चीजों के न होने की वजह से आज की पढ़ीलिखी महिला भी अपने को असहाय महसूस करती है उस के लिए भविष्य ऐसे द्वार खोलने के लिए आतुर है जिन के भरपूर सुविधाओं से युक्त रास्ते उसे ऐशोआराम की हाईटेक जिंदगी देंगे.

गैजेट्स रीसाइकिल होने वाले और इकोफें्रडली होंगे ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे न ही आप के बच्चों को प्रदूषण के साइड इफेक्ट्स ?ोलने पड़ें.

इंटरनेट प्रोटोकोल टीवी आप का मनोरंजन करेगा और गैजेट्स आप की सुरक्षा व स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, वह भी बिना आप के कहे. ये हाईटेक गैजेट्स छोटे और हमारे शरीर की तरह की शेप वाले होंगे. फिर आज की तरह का इन का बेडौल व भारी आकार आप को परेशान नहीं कर पाएगा. ये भी घर की सज्जा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

लंबी छुट्टी चाहती हैं दबंग गर्ल

लंबी छुट्टी का मतलब कुछ और न समझें. दरअसल, सोनाक्षी एक के बाद एक लगातार फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन करतेकरते थक गई हैं, इसलिए कुछ दिन आराम करना चाहती हैं. सोनाक्षी वाकई पिछले 2 सालों से लगातार ‘बुलेट राजा’, ‘आर. राजकुमार’, ‘हौलीडे’, ‘एक्शन जैक्सन’, ‘लिंगा’ और ‘तेवर’ जैसी फिल्मों की शूटिंग और प्रमोशन में बिजी रही, इसीलिए उन्होंने तय किया है कि वे कुछ दिनों की छुट्टियां लेंगी. वे इस ब्रेक के दौरान तरोताजा होना चाहती हैं. इसी के चलते उन्होंने ‘तेवर’ के बाद कोई और फिल्म साइन नहीं की है. सोनाक्षी इन छुट्टियों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताएंगी.

इधर ध्यान बंटा उधर डब्बा गायब

‘हाय बीवीजी, तेरे रुपए तो गाड़ी से नीचे गिर गए, देख तो.’ यह सुनते ही किसी भी औरत का चिंतित हो जाना आम बात है. इधर देवीजी गाड़ी से निकलीं नहीं कि उधर पर्स, बैग आदि गाड़ी के दूसरे दरवाजे से यह जा वह जा. दिल्ली का ठकठक गैंग इस तरह बहुतों को लूट रहा है. पर चूंकि औरतें कम ड्राइव कर रही हैं, इसलिए अभी औरतों को चोट पहुंचने के समाचार कम मिले हैं. पर यह काम है आसान.

इस काम को 5-6 लोग मिल कर करते हैं. पहले भोली सूरत का लड़का, आदमी या औरत में से कोई किसी का ध्यान बंटाता है फिर दूसरा उठाता है, तीसरे को पकड़ाता है और बाकी ले कर रफूचक्कर. अकेली औरत इधर देखे, उधर देखे, चिल्लाए, रोए पर माल तो गया.

अब छीनाझपटी उतनी नहीं होती नजर आ रही, जितनी ठकठक गैंग की उचकाई, क्योंकि इस में मोटा माल मिलता है और गाडि़यों में सीट पर रखे सामान की कीमत हाथ के पर्स या गले की चेन से ज्यादा होती है. एअरकंडीशंड गाडि़यों, जिन के शीशे बंद रहते हैं और सैंट्रल लौक की सुविधा होती है, से भी शातिर गैंग हाथ साफ करने में सफल हो जाते हैं, क्योंकि जैसे ही ड्राइव कर रहा जना दरवाजा खोल कर उतरता या उतरती है, दूसरी ओर का दरवाजा भी अनलौक हो जाता है. यही तो मौका होता है माल पार करने का.

गाडि़यों में सामान ले जाना तो आम और स्वाभाविक बात है और उसे इस तरह के उचक्कों की निगाहों से छिपाया तो नहीं जा सकता पर अपनी आदतें सुधारी जरूर जा सकती हैं. सामान सीट पर रखने की जगह पैरों के पायदान पर रखना ज्यादा ठीक रहेगा चाहे वह हाथ का पर्स ही क्यों न हो.

धर्म के नाम पर पुण्य कमाने के चक्कर में भीख मांगने वालों की ठकठक को अनदेखा करने की आदत भी डालनी होगी. असल में गाड़ी तो कभी रास्ते में दूसरे के कहने पर रोकनी ही नहीं चाहिए, क्योंकि ज्यादातर लूटपाट ऐसे ही होती है. अगर कोई कहे कि गाड़ी में कुछ खराबी है, पिछला दरवाजा खुला, डिक्की बंद नहीं, टायर पंचर है तो अपनी मरजी की जगह रोकें. किसी दुकान या बस स्टैंड पर जहां लोग जमा हों और 8-10 मिनट चलने के बाद. ऐसे में फिक्र अपनी करिए, गाड़ी या सामान की नहीं, क्योंकि उचक्के आप पर भी हाथ मार सकते हैं.

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