विवाह वैभव नहीं जीवन निधि

भारतीय संस्कृति में विवाह एक विशेष उत्सव माना जाता है, इसलिए इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से किया जाता है. वैसे विवाह 7 वचन और अग्नि के 7 फेरों के साथ जीवन भर साथ निभाने की रस्म मात्र है. लेकिन कुछ मिनटों में हो सकने वाली इन रस्मों के लिए यदि आस्ट्रेलिया से फूलों का जहाज आए और पूरा नगर बिजली की रोशनी से जगमगाए या एक नकली विशाल महल ही खड़ा कर दिया जाए तो उस पर इतना खर्च हो जाता है जिस से हजारों की रोटी जीवन भर चल सकती है.

पर यह बात तो हुई उन संपन्न लोगों की शादी की जिस के लिए न तो उन्हें किसी से उधार लेना पड़ता है, न ही कर्ज और न ही घर या जमीन बेचना पड़ता है. हां, इस चकाचौंध का असर मध्यवर्ग पर जरूर पड़ता है, जो यह सोचता है कि यदि पूरा नगर सजाया गया है तो मैं क्या अपना घर भी नहीं सजा सकता? और इस के लिए वह अपनी जमापूंजी तो खर्च करता ही है, कर्जदार भी बन जाता है.

मध्यवर्ग से अधिक मुश्किल उच्च मध्यवर्ग की है जिसे समाज में अपनी रईसी का झंडा गाड़े रखना है. रवींद्र के यहां दावत में विदेशी फल थे, चाट के 5 स्टौल थे और खाने के 10 तो सुशील कैसे पीछे रहते. उन्होंने पार्टी की तो बड़ेबड़े बैलून से सारा पंडाल सजाया और 15 स्टौल आइसक्रीम, चुसकी आदि के ही रखवा दिए. मिठाइयां 50 तरह की रखीं.

हर व्यक्ति अमूमन एक बार में 300 ग्राम या 500 ग्राम से अधिक नहीं खा पाता. यदि बहुत वैराइटी होती है तो चखने के चक्कर में बरबाद बहुत करता है और यदि समझदार होता है तो चुन कर खा लेता है. इस में सब से अधिक चांदी कैटरर की होती है. जितनी अधिक चीजें होंगी उतने ही उन के दाम होंगे. लेकिन कोई भी व्यक्ति खाता तो सीमित ही है.

पहले और अब में फर्क

पहले बरात आती थी तो कई दिन रुकती थी. लड़की के घरपरिवार का हर सदस्य बरातियों की खातिर करता था. बराती बन कर जाना मतलब 2 या 3 दिन की बादशाहत थी. लेकिन तब और अब में फर्क यह है कि अब बरातीघराती में फर्क होता ही नहीं. न कोई काम करना चाहता है न ही जिम्मेदारी निभाना चाहता है. सभी साहब बन कर आते हैं, इसलिए कैटरर का प्रचलन अधिक हो गया है, जो बेहद खर्चीला है.

पहले विवाह की सभी रस्में गीतसंगीत व ढोलक की थाप के साथ घरपरिवार की महिलाओं के बीच होती थीं. बहन, बूआ, चाची, ताई और महल्ले व पड़ोस की महिलाएं जुटतीं तो तरहतरह के मधुर गीतों के साथ रस्में निभातीं जिस से घर में रौनक हो जाती. अब घरपरिवार हम 2 हमारे 2 ने सीमित कर दिए. अब चाची, ताई आदि रिश्ते सीमित हो गए हैं तो रौनक के लिए किट्टी पार्टी, क्लब आदि में बनाए रिश्ते ही सब से ऊपर हो जाते हैं. ये रिश्ते अब केवल जेवरकपड़े की नुमाइश मात्र हो गए हैं. अब पुरानी रस्मों का कोई औचित्य नहीं रह गया है. अब वे रस्में नए अंदाज में नजाकत से किट्टी पार्टी की महिलाओं को बुला कर होती हैं.

अब घर वालों को उन के करने का न तो कारण ज्ञात है न अवसर, लेकिन लकीर के फकीर की तरह उन को करना है इसलिए करना है. पहले हलदी आदि के उबटन से त्वचा चमक उठती थी, लेकिन अब सब से पहले यह पूछा जाता है कौन से पार्लर से मेकअप कराया है या कौन सी ब्यूटीशियन आई है? अब सभी शुभदिन में ही विवाह करना चाहते हैं, इसलिए उस दिन ब्यूटीपार्लर में दुलहनों की कतार रहती है. वैसे तो बरातें ही 12-1 बजे पहुंचती हैं, उस पर दूल्हा और घर वाले बैठे दुलहन का पार्लर से लौटने का इंतजार करते रहते हैं. अधिकांश निमंत्रित तो खाना खा और शगुन दे कर चले जाते हैं. बहुत कम लोग दुलहन को देखने के लिए रुक पाते हैं. आज हर महिला अच्छे से तैयार होना, पहननाओढ़ना जानती है और हर रस्म पर अलगअलग साजसज्जा. क्या यह हजारों रुपए की बरबादी नहीं कही जाएगी?

अनावश्यक दिखावा

एक गरीब कन्या का विवाह हो जाए इतना खर्च तो लेडीज संगीत तैयार कराने वाला ले लेता है. क्या ये सब दिखावा आवश्यक खर्च है? क्या लड़की होना इन सब की वजह से बोझ है? और क्या मात्र दहेज ही सामाजिक कुव्यवस्था की जिम्मेदार है या मानवीय मानसिकता भी, जिस ने विवाह को एक व्यापार बना दिया है?

अब दिखावे में खर्च ज्यादा

पुराने समय में कन्या पक्ष वर पक्ष वालों को मानसम्मान हेतु भेंट देता था व अपनी कन्या के उपयोग के लिए उस की पसंद की वस्तुएं. लेकिन यह उपहार दानवीय आकार ग्रहण कर दहेज बन गया है. दहेज के साथ जो दिखावा व तड़कभड़क जनजीवन और समाज के साथ जुड़ गया है, वह विवाह में अधिक कमर तोड़ देने वाला है. दिखावे में जो खर्च होता है वह अपव्यय है. हर वस्तु को सजा कर प्रस्तुत करना अच्छा है, लेकिन अब सजावट वस्तु से अधिक मूल्य की होने लगी है. पहले मात्र गोटे और कलावे से कपड़े बांध दिए जाते थे, लेकिन अब उन को तरहतरह की टे्र आदि में कलात्मक आकार दे कर प्रस्तुत किया जाता है.

बन गया व्यापार

इस में दोराय नहीं कि यदि कलात्मक सोच है तो अच्छा लगता है, लेकिन अब इस ने भी व्यापार का रूप ले लिया है. जहां एक तरफ दहेज प्रदर्शन बिलकुल निषिद्ध है, वहीं दूसरी तरफ सजी हुई दहेज की साडि़यां व जेवर वगैरह दिखाने के लिए लंबी जगह का इंतजाम किया जाता है. अफसोस तब होता है जब उस सजावट को एक क्षण में तोड़ कर कोने में ढेर कर दिया जाता है. तब यह लगता है यदि उतना मूल्य देय वस्तु में जुड़ा होता या स्वयं बचाया होता तो उपयोगी होता. क्व100 की वस्तु की सजावट में क्व100 खर्च कर देना कहां की समझदारी है?

वैवाहिक कार्यक्रम में वरमाला के नाम पर भव्य सैट तैयार किया जाता है. यह एक तरह से मुख्य रस्म बन चुकी है, इसलिए इस की विशेष तैयारियां की जाती हैं. वरमाला रस्म कम तमाशा अधिक होती है. अधिकतर देखा जाता है कि वर अपनी गरदन अकड़ा लेता है. शायद ऐसा कर के वह अपनी होने वाली पत्नी पर रोब डालना चाहता है. दोस्त उसे ऊंचा उठा लेते हैं, साथ ही उसे प्रोत्साहित करने के लिए व्यंग्य आदि भी करते रहते हैं, जो स्थिति को हास्यास्पद तो बनाता ही है कहींकहीं बिगाड़ भी देता है. वधू माला फेंक कर या उछल कर डाल रही है या उसे उस की सहेलियां या भाई उठा रहा है या फिर उस के लिए स्टूल लाया जा रहा है, ये स्थितियां भी बहुत अशोभनीय लगती हैं.

बिजली की बेहिसाब जगमगाहट और विशाल पंडाल की टनों फूलों से सजावट क्या यह सब आवश्यक है? जहां देश में बिजली का संकट गहराता जा रहा है, वहां इतना अपव्यय क्या ठीक है? बैंडबाजे ध्वनि प्रदूषण तो उत्पन्न करते ही हैं, उन की धुन पर नाचतेथिरकते अकसर हास्यास्पद भी लगते हैं. साथ ही बरात का शोर आसपास के बच्चों के पढ़ने में व्यवधान बनने के साथ थके हुए उन लोगों के लिए, जिन का उस शादी से कोई लेनादेना नहीं है, अप्रिय स्थिति पैदा करता है. यदि ये अनावश्यक खर्चे नवविवाहित जोड़े के आगे जीवन के लिए जीवन निधि बनें तो अधिक अच्छा है.

टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें

कोई भी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनी, फर्म, व्यक्तियों का समूह आदि, जिन की आमदनी आयकर छूट सीमा से अधिक है, उन्हें अपनी सालाना आय का लेखाजोखा प्रत्येक साल आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है. इसे आयकर रिटर्न कहते हैं. रिटर्न में पिछले वर्ष की आमदनी और निवेश का विवरण होता है.

वित्तीय वर्ष 2009-10 (1-4-09 से 31-03-10) के लिए आकलन वर्ष, 2010-11 में रिटर्न दाखिल की जाएगी.

किसे भरना है टैक्स

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं, जिन की सालाना आय 1 लाख 90 हजार रुपए से ऊपर हो.

65 वर्ष या उस से ऊपर के स्त्रीपुरुष, जिन की सालाना आय 2 लाख 40 हजार रुपए से ऊपर है.

अन्य 65 वर्ष से कम उम्र के पुरुष, फर्म व कंपनियां, जिन की सालाना आय 1 लाख 60 हजार रुपए से ज्यादा हो.

कंपनियां लाभ अर्जित कर रही हों या हानि, टैक्स भरना अनिवार्य है.

टैक्स नियत तिथि से पहले भरें ताकि पेनल्टी से बच सकें.

अंतिम तिथि

वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए टैक्स भरने की अंतिम तिथि :

1. वेतनभोगी या फिर जिन की कमाई आडिट नहीं होती- 31 जुलाई, 2010 तक.

2. जिन की कमाई आडिट होती है यानी 40 लाख रुपए से ज्यादा टर्नओवर करने वाले बिजनेसमैन या फिर 10 लाख रुपए से ज्यादा बिल इशू करने वाले डाक्टर, वकील, सी.ए. जैसे प्रोफेशनल व्यक्ति- 30 सितंबर, 2010 तक.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए

0.00 से 1.90 लाख तक     कोई टैक्स नहीं

1.90 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से ऊपर   30%

सरचार्ज खत्म कर दिया गया है. मगर एजुकेशन सेस टैक्स का 2% लगेगा. सेकेंडरी और हायर एजुकेशन टैक्स का 1% लगेगा.

टैक्स स्लैब

65 वर्ष से अधिक उम्र के स्त्रीपुरुष

0.00 से      2.40 लाख तक कोई टैक्स नहीं

2.40 लाख से 3.00 लाख तक 10%

3.00 लाख से 5.00 लाख तक 20%

5.00 लाख से  ऊपर   30%

जरूरी कागजात

1. आयकर रिटर्न भरते वक्त पैन कार्ड नंबर लिखना जरूरी होता है. फोटो आइडेंटिटी और एडे्रस प्रूफ दे कर आप 15 दिनों में अपना पैन कार्ड बनवा सकते हैं.

2. सेलरी से आय है तो नियोक्ता से फार्म 16 लें.

3. एनएससी, एलआईसी, इक्विटी लिंक्ड सेविंग प्लान वगैरह में इनवेस्ट किया है तो उन की रसीद पीपीएफ, टीडीएस आदि के सर्टिफिकेट की फोटोकापी, एडवांस टैक्स की रसीद रिटर्न के साथ कोई भी दस्तावेज/अटैचमेंट जमा नहीं करना होता. मगर करदाता को वे सभी दस्तावेज अपने पास संभाल कर रखने चाहिए. आयकर कानून के तहत अधिकारी, जांच या किसी अन्य प्रक्रिया के दौरान ये दस्तावेज मांगते हैं तो इन की मूल प्रति पेश करनी होती है.

कौन सा फार्म भरें

1. जिन लोगों को वेतन, पेंशन या ब्याज से होने वाली आमदनी है, उन के लिए फार्म- आईटीआर-1.

2. सेलरी/ब्याज के अलावा जिन्हें प्रौपर्टी/कैपिटल गेन से लाभ हुआ है मगर बिजनेस/प्रोफेशन से आय नहीं है- आईटीआर-2.

3. जो कहीं साझेदारी में हैं, फर्म में पार्टनर हैं, उन के लिए- आईटीआर-3.

4. प्रोपराइटरी बिजनेस/प्रोफेशन से प्राप्त आय आईटीआर-4.

आय के प्रमुख मद

1. वेतन से आय : मूल वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, कमीशन, अलाउंसेस वगैरह.

2. हाउस प्रौपर्टी : किराया, ब्याज आदि.

3. कैपिटल गेन : ट्रांसफर करने से होने वाला लाभ.

4. बिजनेस/प्रोफेशन इनकम.

5. दूसरे स्रोत : ब्याज, सेविंग, डिविडेंड, गिफ्ट.

एडवांस टैक्स

चार्टर्ड एकाउंटेंट सना बताती हैं कि वैसे इंडीविजुअल, जिन का सालाना टैक्स 10 हजार रुपए से ऊपर है, उन्हें एडवांस टैक्स इस तरह भरना होगा :

टैक्स का 30% :      हर वर्ष 15 सितंबर.

टैक्स का 60% :      हर वर्ष 15 दिसंबर.

टैक्स का 100% :     हर वर्ष 15 मार्च. (सेलरी वाले केस में टीडीएस कट गया हो तो एडवांस टैक्स सेलरी इनकम पर नहीं लगता.)

आई.आई.सी.एम. में सीनियर फाइनेंस आफिसर संजय सिंह बताते हैं, ‘‘रिटर्न मैनुअल भी भरी जा सकती है और औनलाइन भी. मैनुअल भरा हुआ फार्म इनकम टैक्स आफिस में जमा करना होता है. इनकम टैक्स आफिस में कई वार्ड/रेंज होते हैं. नाम और आय के मुताबिक नियत स्थान पर फार्म जमा करना होता है. आप चाहें तो अपना रिटर्न इनकम टैक्स प्रिपेयर की मदद से भी फाइल करा सकते हैं.’’

करदाताओं के लिए इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने का विकल्प भी मौजूद है. इसे ई रिटर्न कहा जाता है. यह आयकर विभाग की वेबसाइट है. यह तकनीक काफी सहज है और महिलाएं घर बैठबैठे रिटर्न भर सकती हैं.

इंटरनेट के जरिए रिटर्न दाखिल करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल करना चाहिए. ऐसा करने पर करदाता को आयकर कार्यालय में आईटीआर-वी फार्म जमा करने की जरूरत नहीं होती और अगर करदाता औनलाइन रिटर्न भरने में डिजिटल हस्ताक्षर का इस्तेमाल नहीं करते तो उन्हें इंटरनेट पर रिटर्न दाखिल करने के बाद सिग्नेचर की वेरिफिकेशन के लिए आईटीआर-वी फार्म निकाल कर बंगलोर आफिस भेजना पड़ता है.

टैक्स बचाने के लिए निवेश

सीनियर एडवोकेट मिसेज प्रेमलता बंसल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इनकम एक्ट की धारा 80 ष् में टैक्स छूट 1 लाख रुपए तक है. यह छूट निम्न निवेशों पर मिलती है :

बीमा पौलिसियां

पब्लिक प्रोविडेंट फंड्स (अधिकतम 70,000 रुपए प्रतिवर्ष).

प्रोविडेंट फंड

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम.

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट.

होम लोम प्रिंसिपल अमाउंट रिपेमेंट- मूलधन के भुगतान पर (घर खरीदने या बनाने पर).

बच्चों की एक्चुअल ट्यूशन फीस.

बैंकों की खास स्कीमें जैसे, सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम या टाइम डिपोजिट (5 वर्ष) स्कीम.

यूलिप-यूनिट लिंक्ड इश्योरेंस प्लान्स.

आईटी एक्ट की धारा 80 डी के अंतर्गत छूट

मेडिक्लेम प्रीमियम (अपना और परिवार का 15 हजार तक सीनियर सिटिजंस को एक्स्ट्रा 5 हजार तक.)

आईटी एक्ट की धारा 24 के अनुसार हाउसिंग लोन के ब्याज रिपेमेंट का डिडक्शन 1.50 लाख तक मिल सकता है.

पेनल्टी

नियत अवधि तक रिटर्न फाइल नहीं की तो नियत अवधि के बाद 1% प्रतिमाह पेनल्टी लगेगी.                   

व्यक्तिगत समस्याएं

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मैं ने प्रेमविवाह की है. विवाह को 3 वर्ष हो चुके हैं. शादी के महीने भर बाद ही मैं ने अपने पति को किसी अन्य लड़की से बातें करते हुए सुना. उस बात को ले कर हमारी अब तक रोज लड़ाई होती है. अब मेरे जीवन में भी कोई मुझे चाहने वाला आ चुका है. वह मेरे भाई का दोस्त है और मुझ से 1 साल छोटा है. उस ने मुझे बताया कि वह मुझे मेरे विवाह से पहले से चाहता है पर मैं ने कभी उस की ओर ध्यान नहीं दिया. अब जब उसे सब बातों का पता चला तो उस ने अपने प्रेम का इजहार किया. वह मुझ से शादी करने को तैयार है. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. फिर आप ने तो प्रेमविवाह किया है. बावजूद इस के शादी के मात्र महीने भर बाद ही आप पति पर शक करने लग गईं. इसी वजह से आप का पति से झगड़ा रहता है, जो बहुत ही गलत है. आप के पति ने आप से प्यार किया और फिर विवाह. ऐसे में आप को भरोसा होना चाहिए कि वे सब से ज्यादा आप को ही चाहते हैं. शादी हो जाने का मतलब यह नहीं कि पति किसी और लड़की से बात न करे.

यदि आप को ईर्ष्या हुई थी तो भी उसे जाहिर नहीं करना चाहिए था. अब भी यदि आप सुखी दांपत्य जीवन चाहती हैं, तो शक को दिमाग से निकाल दें और पति से सामान्य व्यवहार करें. चूंकि आप उन की ब्याहता हैं, इसलिए असुरक्षा की भावना मन से निकाल दें. अपने भाई के दोस्त की हमदर्दी को प्यार न समझें. वह अवसरवादी लगता है वरना आप को झूठे सब्जबाग न दिखाता.

मैं 34 वर्षीय विवाहिता हूं. पति के साथ सहवास करते मुझे रक्तस्राव हुआ, जिस से मैं बहुत भयभीत हूं. उस दौरान मुझे मासिकधर्म से निवृत्त हुए 10 दिन बीत चुके थे. ऐसा अब तक 2 बार हो चुका है, लेकिन अभी तक मैं ने किसी डाक्टर से परामर्श नहीं किया है. कृपया बताएं कि यह आम बात है या फिर यह किसी बीमारी का लक्षण है? और क्या मुझे किसी डाक्टर से मिलना चाहिए?

सहवास के दौरान हलका रक्तस्राव होना आम बात नहीं है, इसलिए आप को किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना चाहिए. वे जांच के बाद उपचार करेंगी.

मैं 20 वर्षीय युवती हूं. शीघ्र ही विवाह होने वाला है. मैं जितना अपनी शादी को ले कर रोमांचित हूं उतनी ही सुहागरात को ले कर भयभीत भी हूं. सुना है कि जब पहली बार पति संबंध बनाता है, तो बहुत दर्द होता है. पता नहीं मैं यह दर्द सह पाऊंगी या नहीं, यही सोचसोच कर भयभीत रहती हूं. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें?

आप सुहागरात को ले कर मन में कोई पूर्वाग्रह न पालें. प्रथम समागम के दौरान जब युवती का योनिच्छद होता है, तो हलका सा रक्तस्राव और दर्द होता है. पर यह दर्द इतना नहीं होता कि सहा न जाए. अत: बेवजह भयभीत न हों.

मेरे विवाह को 15 साल हो चुके हैं पर मेरे पति अब तक नहीं सुधरे. अब भी वे हमें छोड़ कर 2-2 साल तक कहीं चले जाते हैं. घर की सारी जिम्मेदारियों को मैं अकेले उठाती आई हूं. अब तक तो जैसेतैसे चलता रहा पर अब सहन नहीं होता. उन्हें कैसे समझाऊं ताकि वे ऐसा करना छोड़ दें.

आप ने पूरा खुलासा नहीं किया कि आप के पति घर छोड़ कर कहां जाते हैं और आप ने शुरू में ही इस का विरोध क्यों नहीं किया? एक पति अपने घरपरिवार से भला ऐसे कैसे दूर रह सकता है. आप को घर के बड़ों से (अपने सासससुर आदि) पहले ही इस विषय में बात करनी चाहिए थी. आप की चुप्पी की वजह से ही आप के पति इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत करते रहे हैं. आप को पति से दोटूक बात करनी चाहिए कि वे अपनी आवारागर्दी से बाज जाएं. चाहे तो अन्य सगेसंबंधियों से भी मदद ले सकती हैं. पति के प्रति सख्त रुख रखेंगी तो वे जरूर अपनी हरकतों से बाज आ जाएंगे.

मैं एक लड़के से 3 वर्षों से प्रेम करती हूं. हम दोनों के घर वाले भी हमारी शादी करने के लिए मान गए थे पर किसी रिश्तेदार ने मेरे घर वालों को भड़का दिया कि लड़के की हैसियत हमारे बराबर का नहीं है. रिश्ता बराबर वालों में ही करना चाहिए. अब मेरे घर वाले अड़ गए हैं कि वे यह शादी नहीं होने देंगे. मैं उन्हें मनातेमनाते हार गई हूं. कृपया बताएं कि क्या करूं?

यदि लड़का आत्मनिर्भर है, उस में कोई ऐब नहीं है और आप को लगता है कि वह आप के लिए योग्य जीवनसाथी साबित होगा तो आप घर वालों को बता दें कि आप सिर्फ और सिर्फ उसी से विवाह करेंगी. उन से यह भी कहें कि जब पहले इस शादी के लिए राजी थे तो अब दूसरों के बहकावे में आ कर शादी से क्यों पीछे हट रहे हैं? उन्हें मनाने का प्रयास करें. फिर भी वे राजी नहीं होते तो आप कोर्ट मैरिज कर सकते हैं.

मेरी शादी को 1 वर्ष हो गया है. मैं मां बनना चाहती हूं, पर पति अभी बच्चा नहीं चाहते. कहते हैं कि अभी कुछ साल हम अपनी शादी ऐंजौय करेंगे. उस के बाद बच्चे के बारे में विचार करेंगे. उन का कहना है कि बच्चा होने पर स्त्री का यौनांग ढीला हो जाता है. तब सैक्स में पहले जैसा मजा नहीं आता. क्या यह बात सच है?

यदि आप दोनों की अभी उम्र कम है और आप बच्चे की जिम्मेदारी उठाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं तो और कुछ साल बेफिक्र हो कर विवाह का आनंद उठा सकते हैं. मगर सिर्फ यह सोच कर बच्चा पैदा करने से कन्नी काटना कि इस से सहवास के आनंद में कमी आ जाएगी, गलत है. माना कि बच्चा पैदा होने पर स्त्री के यौनांग में थोड़ा ढीलापन आ जाता है, पर उस से सहवास के आनंद में कमी नहीं आती है.

सैक्स, औरत और धोखा

उच्च और उच्चतम न्यायालय के प्रौढ और उम्रदराज न्यायाधीश कितनी ही बार ऐसे निर्णय देते हैं, जो लगता है कि उन की आयु के लोग दे ही नहीं सकते. वे जिस तरह व्यावहारिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं के रक्षक बन कर सरकार और कट्टरपंथियों के बीच पत्थर की दीवार बन कर खड़े हो जाते हैं उस पर सुखद आश्चर्य होता है.

साल 2015 में मुंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति मृदुला भटनागर ने एक निर्णय में कहा कि जब एक औरत को सैक्स का हक है, मां बनने या न बनने का हक है, गर्भपात कराने का हक है तो विवाहपूर्व सैक्स करने का हक भी है. पर इस हक की आड़ में धोखे से सैक्स संबंध बनाने व बलात्कार करने का आरोप लगाने का हक नहीं बनता. उन के सामने एक ऐसे युवक का मामला था जिस ने एक लड़की से कई वर्ष तक सैक्स संबंध रखे पर विवाह न कर पाया.

लड़की ने शिकायत की थी कि उस के साथ सैक्स संबंध शादी करने के वादे कर के धोखे से बनाए गए थे जोकि बलात्कार है. उस लड़के पर पुलिस ने फौजदारी मामला चलाया तो वह उच्च न्यायालय आया था. उच्च न्यायालय ने कहा कि पढ़ीलिखी यह लड़की अच्छी तरह जानती थी कि वह क्या कर रही है. यह उस के शरीर की मांग थी जिस के लिए वह लड़के को दोषी नहीं ठहरा सकती.

सैक्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. हर जने का शरीर इस की मांग करता है और हर मामले में अविवाहितों को सैक्स करता देख उसे अनैतिक या बलात्कार नहीं माना जा सकता. लगातार बने संबंध तो सहमति के आधार पर ही माने जाएंगे और उस पर आपत्ति करना सरासर गलत है.

सैक्स संबंधों में सामाजिक वर्जनाएं तो वास्तव में बहुत से तनाव पैदा करती हैं. जब से गर्भ ठहरने की गारंटी मिलने लगी है, समाज को नैतिकता के नियम और कानून बदलने ही होंगे. तलाक के मामलों में तो ऐडल्ट्री यानी विवाह से बाहर संबंध को तलाक के आधार या अपराध से निकालना होगा. न्यायाधीश मृदुला भटनागर ने माना है कि सैक्स शरीर की आवश्यकता है और उन का यह कथन अविवाहित औरतों पर ही नहीं, विवाहित औरतों पर भी लागू होता है. पर पुरुष या पर स्त्री से जीवनसाथी के संबंध विवाह के स्थायित्व के लिए हानिकारक हो सकते हैं पर ये न तो अनैतिक हैं न सामाजिक पतन की निशानी.

अगर विवाहित स्त्री या पुरुष का संबंध कहीं बनता है, जो ढेरों में बनते हैं, तो इस में सामाजिक या कानूनी अपराध नहीं होता. हां, घर बिगड़ने वाली स्थिति जरूर खड़ी होती है. पर एक शराबी पुरुष और एक लड़ाकू, खर्चीली, आलसी औरत के कारण भी घरबार टूट सकता है, तो इस में सिर्फ बाहरी सैक्स संबंध को क्यों दोष दिया जाए?

बहुत से मामलों में सैक्स सुख न पा सकने के कारण पुरुष या स्त्री बेहद कुंठित हो जाते हैं. वे दिन भर तनाव में रहते हैं. किसी से अपनी बात शेयर नहीं कर सकते. सैक्स दवाओं का भारी व्यापार यह दर्शाता है कि किस तरह मर्द अपने को कमजोर समझते हैं यानी उन की औरतें उन से नाखुश रहती हैं.

विवाह संस्था आपसी स्त्रीपुरुष के सहयोग और बच्चों के लिए जरूरी है और उस की एक शर्त यही है कि पतिपत्नी दोनों में से कोई किसी और के प्रति निष्ठा न रखे. पर किसी और के प्रति लगाव को विवाह की बुनियाद की टूटन न मान कर दीवार पर आई दरार माना जाए, जिसे ठीक करना कोई मुश्किल नहीं है. यदि सहमति के साथ बने संबंधों को भी आपराधिक माना जाने लगा तो बहुत से परिवार उजड़ सकते हैं.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति के मोनिका लावंसकी के साथ संबंधों को आपराधिक मान लिया होता तो दोनों का कैरियर, घरबार, राजनीतिक आकांक्षाएं चूरचूर हो चुकी होतीं. न्यायमूर्ति मृदुला भटनागर का फैसला लड़की के खिलाफ होते हुए भी औरतों के पक्ष में है क्योंकि अगर सहमति से किए गए प्यार को भी अपराध माना जाएगा तो आदमी के अलावा औरत पर भी मुकदमा चलेगा जैसा खापों के कानूनों या इसलामिक कानून में है.

सैक्स संबंधों पर संस्कृति, इतिहास, परंपराओं व धार्मिक श्रेष्ठता का दावा करने वाले भूल जाते हैं कि लगभग हर धर्मग्रंथ में ऐसे किस्से भरे हैं जिन में विवाहितों के पराए साथी से संबंध रहे हैं. विवाह फिर भी चलता रहा है. तभी समाज में एक से ज्यादा पत्नियों का चलन रहा है. हां, एक से ज्यादा पतियों का चलन पुरुषों ने नहीं होने दिया. पर क्या यह पुरुषों की धौंसबाजी नहीं कही जाएगी?

मानसिकता में बदलाव जरूरी

धारावाहिक ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की सशक्त भूमिका निभा कर चर्चा में आईं टीवी अभिनेत्री मेघना मलिक रियल लाइफ में स्पष्टभाषी और हंसमुख हैं.

हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली मेघना को बचपन से ही अभिनय का शौक था. यही वजह थी कि अंगरेजी में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने दिल्ली के नैशनल स्कूल औफ ड्रामा में अभिनय की शिक्षा प्राप्त की. थिएटर में अभिनय के साथसाथ उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया. उसी दौरान उन्हें ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका के लिए चुना गया. हालांकि उन की उम्र के हिसाब से यह किरदार उन से काफी बड़ी उम्र की महिला का था पर उस की कहानी उन के दिल को छू गई इसलिए उन्होंने हां कर दी.

इस समय मेघना लाइफ ओके पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक ‘गुस्ताख दिल’ में बरखा की भूमिका निभा रही हैं, जो अच्छीअच्छी साडि़यों और सुंदर ब्लाउज पहन कर बीचबीच में आती है.

मेघना से बात करना रोचक था. पेश हैं, बातचीत के खास अंश:

इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

अभिनय मुझे कालेज लाइफ से ही बहुत पसंद था. कालेज में मैं जब भी स्टेज पर जाती थी, तो कुछ और हो जाती थी, जिस से मुझे बहुत आनंद आता था. इसीलिए जब मैं पढ़ाई पूरी कर रही थी तभी मन में विचार आया कि अभिनय की तालीम ली जाए, इसलिए एनएसडी में ऐडमिशन ले लिया.

आप की सफलता में परिवार का कितना सहयोग रहा?

मेरे मातापिता ने मुझे और मेरी बहन दोनों को हमेशा आत्मनिर्भर होने की सलाह दी. यही वजह थी कि मैं ने पढ़ाई पूरी की फिर इस क्षेत्र में आई. मेरी बहन मीमांसा मलिक मीडिया से जुड़ी है.

मुंबई आ कर रहना और काम का मिलना, इस में कितना संघर्ष था?

मैं 2000 में मुंबई आई. यहां एक नामचीन कंपनी में काम किया. साथसाथ हर फिल्मी औफिस जाती थी और वहां अपना फोटो डाल आती थी. फिर टीवी और विज्ञापन फिल्मों में जो भी काम मिला, मैं करती रही. बस ऐसे ही दिन गुजरते गए. फिर ‘लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका मिली और मैं चर्चा में आ गई. मेरा कैरियर चल पड़ा. लेकिन अभी भी संघर्ष जारी है. मुंबई में टिके रहना आसान नहीं होता. पर मैं खुश हूं कि मुझे सही समय पर सही काम मिला और मैं भटकी नहीं.

आप की भूमिका ‘गुस्ताख दिल’ में उतनी खास नहीं है जितनी ‘ना आना इस देस लाडो’ में थी. ऐसा होने पर आप कैसे अपनी अभिनय की महत्त्वाकांक्षा को ऐडजस्ट करती हैं?

यह एकदम सही है कि मुझे मन मार कर ऐडजस्ट करना पड़ता है, पर रोजीरोटी के लिए काम तो मिलना ही चाहिए, भले ही दमदार न हो. ‘ना आना इस देस लाडो’ में अम्मांजी की भूमिका वाकई मेरे लिए दमदार थी, क्योंकि उसे अच्छी तरह लिखा गया था. इसीलिए मैं ने उस के लिए हां कर दी थी.

आप को किस तरह की भूमिका पसंद है, नकारात्मक या सकारात्मक?

मैं नकारात्मक या सकारात्मक किसी भी भूमिका पर अधिक ध्यान नहीं देती. मुझे परदे पर जो किरदार जीवंत लगे, उसे करने में मजा आता है. वैसे मुझे कौमेडी करना भी पसंद है.

अभिनय के अलावा आप और क्या कर रही हैं? अपने प्रांत हरियाणा के लिए कुछ प्लान है?

इलैक्शन कमीशन ने 2012 में मुझे स्टेट आइकौन के रूप में ब्रैंड ऐंबैसडर बनाया है, जिस के तहत कालेज में लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. वह मैं समयसमय पर करती रहती हूं. हरियाणा में लिंग अनुपात में पिछले सालों की अपेक्षा काफी सुधार आया है. सरकार पौलिसी में बदलाव कर रही है पर इसे कंट्रोल करना आसान नहीं है. कोई भी बदलाव हमेशा घर से शुरू होता है, जहां पत्नी, बेटी, बहन सभी को सम्मान मिले और आर्थिक रूप से वे आत्मनिर्भर हों. उन्हें कोई बोझ न समझे. समाज और परिवार के मानसिकता में बदलाव जरूरी है.

मैं अपने मातापिता को हर साल कहीं घुमाने ले जाती हूं. मुंबई मेरी कर्मभूमि है पर समय मिलते ही मातापिता के पास जाती हूं, क्योंकि जो कुछ भी मैं ने पाया अपने परिवार से मिली प्रेरणा से ही पाया है.

आप कितनी फैशनेबल हैं? आप को कैसे परिधान पसंद हैं?

मैं जो ठीक से कैरी कर सकूं, उसे पहनती हूं यानी जो आरामदायक हो, जिसे पहन कर मैं आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो सकूं. वैसे कैजुअल अधिक पहनती हूं जिस में जींसटीशर्ट खास पसंद हैं.

कितनी फूडी हैं? कोई खास व्यंजन पसंद है?

मैं फूडी नहीं, लेकिन डाइटिंग नहीं करती. मुझे सरसों का साग व मक्के की रोटी पसंद है. मीठा भी बहुत पसंद है पर अवौइड करती हूं.

बिकनी से बिदकती हैं प्रियंका

ऐसा नहीं है कि प्रियंका को ऐक्सपोज करने से परहेज है. पर मिस वर्ल्ड रह चुकीं मैडम को स्टेज पर बिकनी पहनना बिलकुल पसंद नहीं. प्रियंका कहती हैं कि वह समय अच्छा था जब मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में स्टेज पर बिकनी और हाई हील नहीं पहनना पड़ता था. आजकल प्रियंका बिजनैस में अपना हाथ आजमा रही हैं. उन्होंने हाल ही में अमेरिका के एबीसी टैलीविजन स्टूडियो के साथ टैलेंट डैवलपमैंट डील साइन की है और अपनी आने वाली फिल्म ‘मैडम जी’ में वे बतौर निर्माता एवं अभिनेत्री आ रही हैं. मधुर भंडारकर के निर्देशन में बन रही इस फिल्म में वे लीड रोल में होंगी.

 

ऐश्वर्या से क्यों इतनी दूरी

हम सलमान खान की नहीं आमिर खान की बात कर रहे हैं. करण जौहर ऐश्वर्या और आमिर को ले कर एक फिल्म बनाना चाह रहे थे. पर आमिर ने फिल्म में काम करने से मना कर दिया. आमिर को राजी करने के लिए करण ने कई बार आमिर के दफ्तर में उन से मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी. वैसे पूर्व मिस विश्व सुंदरी के पास कई फिल्मों के औफर हैं जिन में से संजय गुप्ता की फिल्म ‘जज्बा’ की शूटिंग तो शुरू हो गई है. सुनने में आ रहा है कि प्रकाश झा और सुजौय घोष ने भी उन्हें अपनीअपनी फिल्मों के औफर दिए हैं. खबरों के मुताबिक ऐश्वर्या को सुजौय घोष ने फिल्म ‘दुर्गा रानी सिंह’ और प्रकाश झा ने फिल्म ‘गंगाजल 2’ के लिए संपर्क किया था. पर ताजा जानकारी के अनुसार ‘गंगाजल 2’ में प्रियंका का नाम फाइनल हो गया है.

बच्चों का भारी स्कूली खर्च

दिल्ली की अन्नपूर्णा ने अपने घरेलू बजट में कटौती कर के अपनी बच्ची के स्कूल प्रोजेक्ट का महंगा सामान खरीदा, पटना की अंजू को अपने 2 जुड़वां बच्चों को स्कूल भेजने पर आने वाले भारी खर्च की चिंता सता रही है और चंडीगढ़ के पुष्पेंद्र 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले अपने 2 बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए अपनी कमाई बढ़ाने की जुगत में है. तुर्रा यह कि देश के तमाम अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई पर आने वाले भारी खर्च से परेशान हैं. कमरतोड़ महंगाई के इस जमाने में इन अभिभावकों की चिंता अपनी जगह ठीक भी है.

दरअसल, उद्योग परिसंघ एसोचैम ने हाल ही में अपने अध्ययन में वर्ष 2000 से 2008 तक के 8 वर्षों की अवधि के दौरान बच्चों के स्कूली खर्च में 160% वृद्धि की बात कही है. एसोचैम के महसचिव डी.एस. रावत ने बताया कि वर्ष 2000 से 2008 के दौरान बच्चों के विभिन्न मदों में स्कूली खर्च में 160% की वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि महंगाई बढ़ने से स्कूली खर्च में आई इस जबरदस्त वृद्धि से अधिकांश परिवारों का बजट प्रभावित हो रहा है. अभिभावक अन्य खर्चों में कटौती तो कर लेते हैं लेकिन बच्चों के भविष्य से जुड़े स्कूली खर्च में कैसे कटौती करें?

एसोचैम के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 में बच्चों के शर्ट, टाई आदि का खर्च 2,500 रुपए सालाना था, जो 2008 में बढ़ कर 5,500 रुपए हो गया, जबकि जूते, सैंडल और इसी तरह के अन्य सामान का सालाना खर्च 3,000 रुपए से बढ़ कर 6,800 रुपए हो गया है.

कमरतोड़ महंगाई

एसोचैम के अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2000 में स्कूली बच्चों के बैग, पानी की बोतल, लंच बौक्स आदि का सालाना खर्च 1,500 रुपए से बढ़ कर वर्ष 2008 में 3,000 रुपए हो गया, जबकि खेल मद में स्कूली खर्च 2,000 रुपए बढ़ कर 4,500 रुपए हो गया है. अध्ययन के अनुसार बच्चों के किताब का खर्च वर्ष 2000 में करीब 3,000 रुपए था, जो वर्ष 2008 में बढ़ कर लगभग 7,000 रुपए हो गया है. इसी तरह स्कूल ट्रिप्स का खर्च 2000 से बढ़ कर 5,500 रुपए हो गया है.

बच्चों की ट्यूशन का खर्च वर्ष 2000 से 32,800 रुपए सालाना था, जो वर्ष 2008 में बढ़ कर 65,000 रुपए हो गया. शिक्षा एवं कैरियर काउंसलर अंजली कुमार का मानना है कि स्कूली खर्च में वृद्धि के कारण जो अभिभावक पहले अपने बच्चों को  स्कूली शिक्षा के साथ व्यावसायिक कोर्स और अतिरिक्त ट्यूशन के लिए भेजते थे, आज उस चलन में भी कमी आई है. कई अभिभावक बच्चों को पुरानी पुस्तकें भी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज के स्कूल की इमारतें ऐसी हैं जैसे पांच सितारा होटल हों और इस के रखरखाव में जो खर्च आता है वह छात्रों से ही वसूला जाता है.

अकसर स्कूलों में छोटेमोटे कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए भी अतिरिक्त रकम वसूली जाती है. लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई है कि  अच्छी पढ़ाई तो नामीगिरामी स्कूलों में ही होती है. 4 दशक पहले न तो ऐसे भव्य स्कूल हुआ करते थे और न ऐसे कार्यक्रम और तब स्कूलों में स्विमिंग पूल की बात तो छोडि़ए, छत भी मयस्सर नहीं थी. लेकिन तब भी लोगों ने पढ़ाई की और दुनिया में नाम कमाया.

रोबोट मेड करेंगी घर की देखभाल

वक्त के साथ एक औरत, गृहिणी से हाउसवाइफ और फिर होममेकर बन गई है. महिलाओं ने घर से कदम बाहर रखने शुरू किए तो घरगृहस्थी के काम को भी महत्त्व मिलने लगा. पश्चिमी देशों में तो हाउसकीपर एक बेहतरीन कैरियर विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है. वक्त बदला, महिला का स्वरूप बदला, जीवनशैली बदली तो जाहिर है उस की रोजमर्रा की जरूरतें भी बदल गईं.

वर्चुअल वर्ल्ड यानी कृत्रिम समाज से मित्रता बढ़ने की वजह से आजकल लोगों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं और लोगों के बीच भरोसे की डोर कमजोर होे गई है. प्रत्येक परिवार एकल परिवार में तबदील होता जा रहा है और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी का दायरा बढ़ता ही जा रहा है.

घर की देखभाल करने वाली महिला को किसी न किसी सहायक की जरूरत पड़ती ही है पर इस के लिए पहले की तरह परिवार के सदस्य मौजूद नहीं होते. आए दिन सुनने में आने वाली नौकरनौकरानियों द्वारा अंजाम दी गई तमाम दुर्घटनाओं को देखते हुए किसी आया पर भरोसा करना भी अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है.

सवाल सिर्फ सहायता का नहीं, सुरक्षा का भी है. हाईटेक होती महिलाओं का संसार हजारों हाइटेक चीजों से भरा है. उन्हें चाहिए एक खास विकल्प, जो बिना परेशानी के उन की मदद कर सके.

हर फन में माहिर

हम रोबोट के बारे में वर्षों से सुनते आ रहे हैं पर 21वीं सदी में यह केवल वैज्ञानिक उपयोग की वस्तु नहीं रह गया है. रोबोट के कई प्रकार आजकल लोगों के बीच रह कर उन्हें फायदा पहुंचा रहे हैं. इस से नुकसान की आशंका कम होने की वजह से इन की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.

रोबोटिक मेड यानी कंप्यूटर संचालित आया का निर्माण विश्व के कई कोनों में हो चुका है. यह यंत्रों का एक जखीरा है, जो बिना किसी चिकचिक के आप के घर का सारा काम मिनटों में निबटा देगा. घर की महिलाओं को बाइयों के नखरों से मुक्ति मिल जाएगी. एक आदेश पर बरतन साफ, दूसरे पर कमरा व्यवस्थित और न जाने क्याक्या. जरूरत है तो बस, बैटरी रीचार्ज करने की, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल की बैटरी चार्ज करते हैं. रोबोटिक मेड भी रिचार्ज होने पर फिर से फुरती से सारे काम कर देगी.

रूम्बा नामक रोबोट मेड घर को वैक्यूम क्लीन करती है, रोबोट स्कूबा भी किचन फ्लोर को पानी की सहायता से साफ कर के सुखा देती है. फर्बी नामक रोबोट घर वालों का मनोरंजन करती है, ‘पैरो’ और ‘हार्बर’ नामक रोबोट वृद्घ लोगों को संगत दे कर उन्हें सहूलियत पहुंचाते हैं.

‘आरआईडीसी-01 रोबोट मेड’ में वैक्यूम क्लीनर भी है, जो घर के कोनेकोने की सफाई अपने विशेष उपकरणों से कर देती है. जहां तक इस का भारीभरकम ढांचा नहीं पहुंच पाता, वहां की सफाई के लिए इस की बांहों में सफाई करने वाले दस्ताने रहते हैं. यह जापानी भाषा समझ सकती है. इस में डीवीडी प्लेयर व दुनिया भर की खबरों के लिए वायरलेस नेटवर्क भी होते हैं.

‘बट आर बाट घरेलू रोबोट’ किचन में खाना पकाने के साथसाथ कमरे भी साफ करेंगे और इन में लगे सेंसर, कैमरा और अन्य उपकरणों की मदद से घर के बाकी काम भी हो सकेंगे.

महिलाओं के लिए वरदान

टोयोटा द्वारा डिजाइन की गई घरेलू रोबोट मेड वाशिंग मशीन में कपड़े डाल सकती है, बरतन उठा कर रख सकती है और सफाई भी कर सकती है. इस के अलावा यह अपनी पिछली गलतियों से सीख भी ले सकती है, जिन्हें यह कभी नहीं दोहराएगी. इस में रास्ते के अवरोध को पहचानने के लिए सेंसर लगे हैं और 5 कैमरे लगे हैं. काम करने के लिए 2 बाजू और इधरउधर जाने के लिए चक्के लगे हैं.

इन सुपर घरेलू रोबोट्स के अलावा रोबोट कंपनियों द्वारा बाजार में ऐसे घरेलू रोबोट्स को उतारने की तैयारी भी चल रही है, जो बगीचे में घास काटेंगे, नलनाले साफ कर देंगे, फलसब्जियां काटेंगे और उन्हें व्यवस्थित कर के फ्रिज में रख देंगे, वे कार से सामान निकाल कर घर में रखेंगे, जमीन पर बिखरे सामान को समेट कर उसे सही जगह पर रखेंगे, वक्त पर जगाएंगे और घर की निगरानी भी करेंगे.

यही नहीं, ऐसे रोबोट्स का निर्माण भी होने जा रहा है, जो न केवल काम कर सकें बल्कि थोड़ाबहुत आपसी तालमेल भी बना सकें. ये रोबोट एक मशीन की तरह नहीं होंगे कि इन्हें जिस अवस्था में खरीद कर लाया जाए, उसी तरह उन का इस्तेमाल भी करना पड़े बल्कि इन के प्रोग्राम बदले जा सकेंगे, सौफ्टवेयर के माध्यम से इन्हें नई चीजें सिखाई जा सकेंगी. घरेलू रोबोट का उपयोगी, भरोसेमंद, आसानी से इस्तेमाल किया जाने वाला और वहन करने लायक कीमत होना बेहद जरूरी है.

विश्व की रोबोट कंपनियां और वैज्ञानिक इन तथ्यों का घरेलू रोबोट में समावेश करने की होड़ में लगे हैं. आने वाले वक्त में हर घर में मेहमाननवाजी से ले कर बच्चों को संभालने तक का काम घरेलू रोबोट करेंगे और घर की महिलाएं सुकून से बाहर का काम निबटा सकेंगी.

कैसे दिखें ब्यूटीफुल

जाड़े की कुनकुनी धूप में बैठ कर मूंगफली खाना तो बड़ा अच्छा लगता है, लेकिन चिंता सताती है खूबसूरत बने रहने की. जाड़े में खूबसूरत बने रहना और खूबसूरत दिखना एक समस्या बन कर सामने आ जाती है. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ आवश्यक रखरखाव के साथसाथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी है. आप अपनी डाइट में कुछ परिवर्तन कर के व कुछ बातों को भी ध्यान में रख कर इस मौसम में अपनी खूबसूरती को बरकरार रख सकती हैं.

विशेषज्ञ श्रीलता सुरेश के अनुसार, जाड़े के मौसम में ठंडी हवा के साथसाथ शुष्क हवा भी चलती है, साथ ही घर के अंदर भी कई तरह के उपकरण इस्तेमाल होते हैं. इस से त्वचा बेजान और शुष्क हो जाती है. अपनी त्वचा को ठंडी हवाओं से बचा कर रखें. बौडी को हमेशा गरम कपड़ों से ढक कर रखें. जब भी बाहर जाएं, अपने सिर को स्कार्फ, मफलर या हैट से कवर करें. विशेष कर अपने चेहरे को ठंडी और शुष्क हवाओं से बचाएं. घर में चलने वाले हीटिंग उपकरणों के बिलकुल नजदीक न बैठें, इन की हीट से आप की स्किन खराब हो सकती है.

बाथ आयल का इस्तेमाल

 नहाने से पहले गरम तेल से मसाज करें, बादाम का तेल इस के लिए अच्छा रहता है. इस से आप की हड्डियां मजबूत होंगी. जाड़े में नहाना बंद न करें, रोज नहाएं. बहुत ज्यादा गरम पानी से न नहाएं. गरम पानी स्किन के नैचुरल आयल को खत्म कर के ड्राई और खुरदरा बना देता है. अगर गरम पानी से नहाना ही पड़े तो बाथ आयल मिलाएं, फिर नहाएं या फिर औलिव आयल और नारियल तेल की कुछ बूंदें डालें, फिर नहाएं. गुलाब की पंखुडि़यों को कुनकुने पानी में डाल कर नहाएं, इस से आप की बौडी की स्किन चमक उठेगी. 10-15 मिनट में स्नान खत्म कर लें. नहाने के बाद आधे घंटे के बाद ही कहीं बाहर ठंडी हवा में निकलें.

गरम दूध पीएं. स्किन को मुलायम रखने के लिए खाने में वसा वाली चीजें लें. आप की त्वचा को सिर्फ बाहरी रखरखाव ही नहीं, बल्कि अंदरूनी पौष्टिकता भी चाहिए. इसलिए एक प्रौपर न्यूट्रिशन जरूरी है. पानी आप की स्किन को जीवित रखता है. पानी की अच्छी खुराक आप की स्किन को मुलायम भी करती है, साथ में स्किन डिसआर्डर को भी सही करती है. पानी वाले फलसब्जियां खूब खाएं. खूब सारा गरम पानी पीएं. गाजर खूब खाएं. जाड़े के मौसम में विटामिन ए एवं सी वाले फलसब्जियां जरूर खाएं आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, इसे खाएं. यह त्वचा की अंदरूनी सतह को अच्छा बनाता है.

टमाटर का जूस दिन में 2 बार लें. टमाटर को सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है. इसी तरह संतरे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. फल और सब्जियां अंदर से त्वचा को निखारती हैं, इसलिए प्रचुर मात्रा में इन्हें अपने खाने में शामिल करें.

जाड़े में बालों की देखभाल विशेष रूप से हफ्ते में 2 बार आयल मसाज करें. बालों को गरम पानी से न धोएं.

सनस्क्रीन लोशन

अपने चेहरे को ठंडी हवाओं से बचाएं. सनस्क्रीन लोशन लगाना न भूलें. दिन में 2 बार मास्चराइजर लगाएं. सोने से पहले एक अच्छी कोल्ड क्रीम अपने चेहरे पर लगाएं, इस से नमी बनी रहेगी.

चेहरे के साथ ही अपने होंठों पर भी ध्यान दें. होंठों को फटने से बचाने के लिए रात में घी या मक्खन लगाएं, फिर मसाज कर के छोड़ दें. इस से होंठ मुलायम बने रहेंगे. एसपीएफ वाला लिप बाम इस्तेमाल करें. लिपस्टिक लगाने से पहले वैसलीन लगाएं, फिर लिपस्टिक लगाएं. उस के बाद टिशू पेपर से सोख लें. होंठों पर जीभ न फेरें, होंठों को दांतों से भी न काटें.

अपने हाथों को इग्नोर न करें. सोने से पहले कोई अच्छी सी हैंड क्रीम लगा कर ही सोएं. हाथों को ज्यादा देर तक गीले न रहने दें. जब ऐसा काम करती हैं जिस में पानी में हाथ को डुबोना पड़ता है, तो रबर के ग्लव्स इस्तेमाल करें.

 नाखूनों की भी भलीभांति देखभाल करें. नेलपौलिश लगाने से पहले एक बेस कोट लगाएं. नाखूनों को क्यूटिकल या नेल आयल से ब्रश करें. नाखून टूट रहे हों, तो खूब पानी पीएं.

जाड़े में एक बड़ी समस्या होती है, फटी हुई एडि़यों की. इस समस्या से बचने के लिए अपने पैरों को हमेशा साफ रखें. नहाने के बाद मास्चराइजर लगाएं. रात को अपने पैरों को धो कर बराबर मात्रा में ग्लिसरीन और वैसेलीन ले कर पैरों की मालिश करें. सूती मोजे पहनें, फिर सोएं.

स्किन के इन्फेक्शन से भी एडि़यों की समस्या हो सकती है, इस के लिए पालक को उबाल कर उस के पानी में पैरों को डुबोएं. इस से स्किन की बीमारियां दूर होंगी. गरम पानी का कटोरा लें, उस में अरोमा आयल की 3 बूंदें डालें. पैर डुबोने के बाद कुछ देर रखें, फिर हर्बल लोशन से रगड़ें. यह आप को सोने में भी आराम पहुंचाएगा.

कभीकभी सूखी कुहनियां और घुटने शर्म का कारण बन जाते हैं, इस से बचने के लिए पके केले को मसल कर चीनी के दानों के साथ मिलाएं. इस मिश्रण को प्रभावित जगहों पर तब तक रगड़ें जब तक दाने पिघल न जाएं. इसे रेगुलर अपनाएं.

आई क्रीम का इस्तेमाल

ठंडी हवा आंखों पर अपना असर डालती है, इस से आंखों के आसपास की त्वचा प्रभावित हो सकती है. इस से बचने के लिए अच्छी आई क्रीम का इस्तेमाल करें. हवा से बचने के लिए सनग्लास लगाएं.

जब बाहर निकल रही हों और आप ने बड़ेबड़े इयररिंग्स पहन रखें हों, तो रास्ते में अपने कानों को अच्छी तरह से ढक लें. अपने इयररिंग्स को अंदर रखें, क्योंकि ठंडी हवा आप की इयररिंग्स के मेटल से अटैच्ड हो कर आप को ठंडक पहुंचाएगी. इस से कान की समस्या भी हो सकती है.

जाड़े में नौर्मल फाउडेंशन की जगह पर ब्रोंजिंग लिक्विड एवं विंटर फाउंडेशन को मिक्स कर के लगाएं. इसे शीशी में मिक्स कर के न रखें, हाथ में ले कर मिक्स करें. इस मौसम के लिए यह आप की स्किन को मैच करेगा.

अगर संभव हो तो ह्यूमिडीफायर खरीद लें, ताकि आप के घर के अंदर गरमी बनी रहे. इस से आप ठंड से भी बचेंगी और खूबसूरत भी बनी रहेंगी.

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