मैंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी को अधिक महत्व दिया है – फ्रीडा पिंटो

साल 2007 में मॉडलिंग से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री फ्रीडा पिंटो मुंबई की है. उसकी चर्चित फिल्म स्लम डॉग मेलियनेयर  है, जिसमें उसने एक साधारण लड़की लतिका की भूमिका निभाई और अभिनेता देव पटेल की प्रेमिका बनी थी. इस फिल्म ने कई नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड जीते और फ्रीडा सबकी नजरों में आ गयी. वह इंडियन क्लासिकल डांस और साल्सा में भी प्रशिक्षित है.  फ्रीडा का फ़िल्मी सफ़र बहुत सफल रहा, पर उसका निजी जीवन कई उतार-चढ़ाव के बीच गुजरा है. फिल्मों में आने से पहले उसका रिश्ता पब्लिसिस्ट रोहन अंताओ के साथ था, लेकिन 2009 में स्टार बनने के बाद फ्रीडा उससे सगाई तोड़ दी और स्लम डॉग मेलियनेयर के अभिनेता देव पटेल के साथ डेटिंग करनी शुरू की.

करीब 6 साल तक साथ रहने के बाद वे एक दूसरे से सौहार्दपूर्ण तरीके से अलग हो गए और अब उसका नाम फोटोग्राफ़र कोरी ट्रान के साथ जोड़ा जाता है. फ्रीडा ने अधिकतर ब्रिटिश और अमेरिकन फिल्में की है और एक सफल एक्ट्रेस की श्रेणी में आ चुकी है. हॉलीवुड फिल्मो के अलावा उसने कई बॉलीवुड फिल्में टीवी शोज और वेब सीरीज में भी काम किया है. फ्रीडा अपने आपको फेमिनिस्ट मानती है और हमेशा बच्चो और महिलाओं के स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्याओं के लिए काम करती है. उसका नाम दुनिया की बेस्ट ड्रेस्ड वुमन की श्रेणी में भी शामिल है.

अमेरिका बेस्ड भारतीय अभिनेत्री, फ्रीडा अभी अमेरिका में है, क्योंकि वह किसी फिल्म की अंतिम भाग शूट करने वहां गयी थी और लॉक डाउन की वजह से वहां फंस गयी है. वह वहां पर अकेली है और मुंबई में रह रहे अपने माता-पिता, दोस्तों और भारतीय व्यंजन को मिस कर रही है. फ्रीडा ने डिजनी चैनल  की  एनिमेशन शो मीरा, रॉयल डिटेक्टिव  में क्वीन शांति की आवाज दी है, जिसे करना उसके लिए आसान नहीं था. स्पष्टभाषी और चार्मिंग फ्रीडा से बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

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सवाल-इस शो में काम करना कितना मुश्किल था? कितनी उत्साहित थी?

मुश्किल कुछ भी नहीं था. मुझे जब इस शो का ऑफ़र आया तो मैं बहुत खुश और उत्साहित थी, क्योंकि इसमें सभी स्टारकास्ट और चरित्र इंडियन है. मुझे इंडियन कल्चर और ट्रेडिशन को सेलिब्रेट करना बहुत पसंद है. (हंसती हुई ) ऐसी एनिमेशन वाली शो पहले ही भारत में कर लेनी चाहिए थी. देर सही पर अच्छी शुरुआत है.  मुझे इसमें अपनी आवाज देने का मौका मिला. ये हिंदी में भी है, जो अच्छी बात है. पहले मुझे इसकी रुपरेखा समझ में नहीं आ रही थी, पर पूरी फिल्म बन जाने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है.

 

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Representation Matters! In 2008 when Slumdog Millionaire was released I knew how important that film would be in the way the South Asian narrative would be viewed for the better. I felt so lucky to be part of it. It would mean more opportunities and more acceptance. But that alone was not going to be enough. Because “normalizing” can only achieve scale when we start young. Being part of Mira, Royal Detective is one of my proudest achievements to date. I get to play Queen Shanti who appoints a kind, empathetic, intelligent and confident little girl named Mira to be the Royal detective to her kingdom. This show is groundbreaking on many levels- first of it’s kind ever in the animation world, an all South Asian voiceover cast and the best part NO APU accents. Thank you very much. I couldn’t help but tear up at the premiere watching the littlest of little kids of all races and ethnicities, to their teenage siblings and their parents completely enthralled while watching Mira Royal Detective. Thank you Disney Junior for putting your time, resources and sincere efforts in making this adorable little animation series that I predict is gonna be monumental in shaping culture. #MiraRoyalDetective @disneyjunior

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सवाल- डबिंग के लिए कितनी तैयारी करनी पड़ी

इसकी तैयारी में भी खूब मजा आया. चरित्र की कमिटमेंट बहुत अच्छी रही, जिसमें उसकी रॉयल्टी, ग्रेटनेस और परोपकारी की भावना ये सब सम्मिलित होने की वजह से चरित्र सबके मन को मोह लेती है. क्वीन शांति का मेरा किरदार बहुत ही अलग और मजेदार है, जिसे करने में भी अलग एहसास था. इसमें मेरे अंदर का बचपना भी जग गया, जो मेरे लिए काफी आकर्षक था.

सवाल-इस चरित्र से आप अपने आपको कैसे जोड़ पाती है?

मैंने जीवन में हमेशा अपनी जिम्मेदारी को अधिक महत्व दिया है और उन लोगों की सहायता की, जिन्हें मेरी जरुरत है. जो लोग कमजोर है, उनके अधिकार के लिए मैंने हमेशा लड़ी और उन्हें उनका हक़ दिलाने की कोशिश की. एक लीडर के रूप में मैंने हमेशा इसे किया और क्वीन शांति भी ऐसी ही कुछ करती है.

 

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This one has hit me hard. A VOID that can NEVER be filled because there was simply no one like Irrfan Khan. His grace and dignity along with his monumental talent as an artist, actor – a portrayer of humanity in all it’s shapes and forms made me not only have deep admiration for him but I instinctively wanted to emulate that grace in my career as well. . . There is a picture from the SAG awards( Irrfan, Dev, me and Anil) that sits on my book shelf in Mumbai and everytime I look at it, I am taken down a memory lane of all things so beautiful and joyous about Slumdog Millionaire and the awards celebrations. And in all of it I have this one beautiful and powerful memory of Irrfan – Unfazed by the glitzy glamour, no matter which Hollywood icon walked past us. Quiet but not silent- his responses to every interviewer were so meaningful and never lacking humour. He was representing India with achingly high levels of grace and dignity. He stood grounded in reality on every world stage, every red carpet- Grateful and so collected! How lucky was I, a complete little mess of a newbie, to have him as a role model! . . For those who know of his talent, you know it cannot be replaced. For those who have not yet been introduced to his talent…Oh, do not deprive yourselves please! His repertoire has something for everyone. Warrior, Namesake, Piku, Maqbool, Life of Pi, The Lunchbox, Paan Singh Tomar and ofcourse Slumdog Millionaire. Start somewhere, anywhere! I promise you…Irrfan Khan will be FOREVER carved in your memories too!

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सवाल-ये एनीमेशन शो बाक़ी शो से कितना अलग है?

ऐनिमेशन वाले शो कई बनाये जाते है, पर इसमें भारतीय ट्रेडिशनल कपडे, फ़ूड, कल्चर, भाषा आदि सबका समावेश है, जो देखने वालों को अच्छा लगेगा. इस तरीके का शो मैंने पहले कभी नहीं देखा है.

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थ्रिलर फिल्मों में निर्देशक के विजन को समझने की जरुरत होती है- मनोज बाजपेयी

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने ‘बेंडिट क्वीनफिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उन्हें पॉपुलैरिटी फिल्म ‘सत्या’ से मिली. इस फिल्म ने उन्हें उस समय की सभी बड़े अभिनेताओं की श्रेणी में रख दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलगू भाषाओं में फिल्में की है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर यहाँ तक पहुंचना और कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. साधारण और शांत व्यक्तित्व के मनोज फिल्मों के लिए ‘चूजी’ नहीं, उन्हें जो भी कहानी प्रेरित करती है, वे उसे कर लेते है.यही वजह है कि उन्होंने हर तरह की फिल्में की है. उनके इस सफ़र में उनकी पत्नी नेहा और बेटी का साथ है, जिनके साथ वे क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते है. लॉक डाउन के इस समय में वे उत्तराखंड के किसी होटल में अपने परिवार के साथ समय बिता रहे है.

मनोज बाजपेयी को बचपन से कवितायें  पढ़ने का शौक है. उन्हें हिंदी और अंग्रेजी  में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीता है,पर वे कविता खुद लिखते नहीं. साल 2019 में साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. अभी उनकी फिल्म ‘मिसेज सीरियल किलर’ डिजिटल पर रिलीज हो चुकी है. बातचीत हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-लॉक डाउन में कहाँ है और क्या कर रहे है?

मैं अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के एक होटल में हूं. पहाड़ों और वादियों का लुत्फ़ उठा रहा हूं. मैं इधर एक शूटिंग के लिए आया था और परिवार वाले भी यहाँ मुझसे मिलने आ गए थे. इतने में लॉक डाउन हो गया और यही रहने लगा हूं. मुझे अच्छा लग रहा है कि मुंबई की भीड़ भाड़ से दूर यहाँ प्राकृतिक वातावरण के बीच में दो महीने से रह रहा हूं.

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सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या है?

इसकी स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी. निर्देशक शिरीष कुंदर के साथ मैंने कई शोर्ट फिल्में की थी. इस वजह से हम दोनों की केमिस्ट्री बहुत अच्छी हो गयी थी. साथ ही हम दोनों पडोसी भी है. भूमिका बड़ी नहीं है, पर बहुत पावरफुल है. इसके अलावा शिरीष एक अच्छे निर्देशक भी है, इसलिए उनके साथ काम करने की इच्छा हुई और मैंने फिल्म की.

सवाल-आप किसी भी फिल्म में एक अलग छाप छोड़ते है, ये कैसे होता है? इसके लिए आपको क्या अलग से मेहनत अपनी भूमिका के लिए करनी पड़ती है?

मैं अपना काम करता हूं. दर्शकों को पसंद आता है इसकी ख़ुशी मुझे है. मैं कई सालों से काम कर रहा हूं. हर फिल्म के साथ वर्कशॉप करना, अभिनय की तकनीक को सीखना आदि करता आ रहा हूं. मेहनत, लगन और तकनिकी ज्ञान सब होने पर ही ये शायद हो पाता है. दर्शकों का प्यार ही मुझे यहाँ तक ले आया है और मैं अच्छा काम कर पा रहा हूं.

सवाल-आपके यहां तक पहुंचने में परिवार किस तरह से सहयोग देता है?

परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं हो सकता. परिवार मेरी व्यस्तता को जानता और समझता है. साथ ही उसका आदर भी करता है. परिवार के साथ मेरा तालमेल हमेशा सही रहा है. समय मिलते ही मैं अधिक से अधिक समय उनके साथ बिताता हूं. काम के समय परिवार पूरा सहयोग देता है, ताकि मैं स्वछंद तरीके से काम को अंजाम दूँ. ये सामंजस्य है, जो बना हुआ है और मैं अपने आपको इस बारें में भाग्यशाली समझता हूं.

सवाल-कोरोना वायरस की वजह से कुछ एहतियात हर रोज बरतने को कही जा रही है, क्या लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री में भी कुछ बदलाव आयेगा?

लॉक डाउन एक न एक दिन अवश्य खुलेगा. वायरस भी एक दिन पूरे समाज से जायेगा. तब तक मास्क पहनना और अपना ख्याल रखना बहुत जरुरी है. उसके लिए क्या रास्ता अपनाया जायेगा, उसपर एसोसिएशन काम कर रही है. कैसे शूटिंग की जायेगी, कैसे सावधानी बरतते हुए इसे अंजाम दिया जायेगा आदि विषयों पर भी विचार किया जा रहा है. थिएटर को खोलने पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन जब भी ये खुलेगी दर्शक आयेगे, क्योंकि समूह में बैठकर जो मजा फिल्म और नाटक देखने में है, उसे अकेले बैठकर नहीं लिया जा सकता. ये सही है कि ओटीटी प्लेटफार्म से जो मजा अभी दर्शक ले रहे है. आगे फिल्मों से उनकी अपेक्षा अधिक हो जाएगी. फिल्मों को भी उस स्तर पर प्रभावशाली कहानी कहने की जरुरत होगी.

सवाल-थ्रिलर फिल्म को बनाना कितनी चुनौती होती है, किस बात का बहुत ख्याल रखना पड़ता है?

इसमें चुनौती निर्देशक की होती है, निर्देशक पूरी फिल्म को देख रहा होता है और वह उसकी सुर और लय को पहचानता है, ऐसे में निर्देशक के विजन को समझने की बहुत जरुरत होती है. निर्देशक के साथ चलने और उसकी सुर को समझने पर काम आसान हो जाता है.

सवाल-आगे और क्या करने की सोच रहे है?

कोरोना वायरस के आने के बाद मैंने भविष्य की प्लानिंग करना छोड़ दिया है. आज जो है उसी के बारें में बात करें और जितना हो सके उसे जीने की कोशिश करें. ये एक बहुत बड़ी सीख है. मेरी दो फिल्में पूरी हो चुकी है. फॅमिली मैन 2 आने वाली है, लेकिन आगे समय में क्या परिवर्तन आएगा. इसके बारें में कुछ नहीं कह सकते.

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सवाल-क्या आप मानते है कि हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव होने की जरुरत है?

हमने अपने जीवन और समाज में मेडिकल फैसिलिटी को लेकर उतना काम नहीं किया, जितनी जरुरत है. ये सेवा जन-जन तक गरीब लोगों में उपलब्ध हो. उन्हें हर तरह की सुविधा मिले, इसपर काम नहीं किया गया. इस पर अब सोचने की जरुरत है, क्योंकि आज पता चला है कि डॉक्टर नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.

सवाल-मां के साथ बिताया पल जिसे आप याद करते है?

मां शब्द पैदा होने के बाद से ही आप से जुड़ जाता है और जितना समय इस दुनिया में हम जीते है आप के साथ वह जुड़ा रहता है. इसलिए धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है, जो सबसे अधिक विकराल और सबसे अधिक नम्र है. मेरा अस्तित्व और जो मैं आज हूं वह मां की वजह से है. हर दिन उनका है और हर दिन उनको चरणस्पर्श है.

Mother’s Day 2020: मेरी मां का ड्राइव करना मेरे लिए गर्व हुआ करता था– गोल्डी बहल

फिल्म बस इतना सा ख्वाब है से निर्माता, निर्देशक के क्षेत्र में कदम रखने वाले निर्माता, निर्देशक गोल्डी बहल ने 15 साल की उम्र में अपने पिता और फिल्ममेकर रमेश बहल को खोया. तबसे लेकर आजतक वे फिल्म निर्माण और निर्देशन का काम करते आये है. उन्हें हर नयी कहानी को कहना पसंद है. सालों पहले उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखी और फिल्मों के काम के ज़रिये उन्होंने प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली है. फिल्म ‘नाराज़’ के दौरान, महेश भट्ट को एसिस्ट करते हुए वे अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे से मिले प्यार हुआ, शादी की और बेटा रणवीर के पिता बने. अभी जी 5 पर उनकी वेब सीरीज रिजेक्ट्स का दूसरा भाग रिलीज पर है, जिसे लेकर वे काफी उत्साहित है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-ये कहानी क्या कहना चाहती है? क्या कोई मेसेज है?

ये यूथ की कहानी है, जहां मौज मस्ती के साथ-साथ थ्रिलर, क्राइम और तकलीफे दोनों ही है. साथ में ये संगीतमय भी है, क्योंकि इसमें एक बैंड की ग्रुप है. इसके अलावा इसमें कुछ ऐसी समस्या भी दिखाई गयी है, जो पैसों से भी हल नहीं हो सकती, ऐसे में वे कैसे बाहर निकलते है उसे दिखाने की कोशिश की गयी है. बड़े से बड़े इंसान भी पैसे से सबकुछ नहीं कर सकता, कुछ चीजे उनके हाथ में नहीं होती.

फिल्म मेकर के हिसाब से मैंने किसी मेसेज के बारे में नहीं सोचा है, मनोरंजक फिल्म बनाने की कोशिश की है, पर अगर कोई मेसेज जाती है, तो अच्छी बात है.

सवाल-आप यंग ऐज में कैसे थे और कोई यादगार पल जो आप शेयर करना चाहे.

मैं जब 15 साल का था तो मेरे पिताजी गुजर गए थे. उस उम्र में मैंने काम शुरू कर दिया था. मैं कॉलेज जा नहीं पाया. काश मैं उसे फील कर पाता. शायद यही वजह है कि मैं अधिकतर यंग शोज बनाता हूं और जिंदगी को अपनी कहानी और चरित्र के ज़रिये जीता हूं. ये सही है कि मैंने उस अवस्था को जी नहीं पाया और काम पर लग गया. मेरे हिसाब से फिल्म लाइन में भी शिक्षा का होना जरुरी होता है. फिल्म स्कूल में जाना और तकनीक का ज्ञान जरुरी है. मैंने काम के साथ-साथ ट्रेनिंग ली, मसलन किसी का एसिस्टेंट डायरेक्टर बन गया या फिर पिता की अधूरी फिल्म को पूरी कर दी. परिवार का व्यवसाय था, इसलिए उसमें जाकर सीखा और ये सही तरीका नहीं होता है. इसमें प्रैक्टिकल नॉलेज मिल जाती है, लेकिन उसके ग्राफ को बनाये रखने के लिए स्कूल की ट्रेनिंग जरुरी है.

सवाल-आपने ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म के बारें में सालों पहले सोचा था और आज इसका बोलबाला है, इस बारें में तब कैसे सोचा ?

मैंने दो तीन फिल्में बनायीं जो बिलकुल कामयाब नहीं थी. मेरी बहन भी मेरे साथ काम करती थी. मैंने सोचा कि जो कहानी मैं कहना चाहता हूं. जब उसे बनाता भी हूं तो उस कहानी के बनने के बाद समय के हिसाब से एडिटिंग करते वक़्त कई चीजे काट देता हूं और कहानी सही नहीं बन पाती. वेब सीरीज की इस फोर्मेट में मैंने देखा कि विदेश में एपिसोडिक फिल्में बन रही है, जिसमें कहानी को कहने के लिए बहुत सारा समय मिल जाता है, ये मुझे अच्छा लगा. मैंने फिर इसी को अपनाना शुरू कर दिया. इसमें बजट और समय की पाबन्दी नहीं होती . ड्रामा अब स्माल स्क्रीन पर आ गया है. हॉल तक न जाकर भी आप फिल्में देख सकते है.

सवाल-लॉक डाउन का असर इंडस्ट्री पर कितना पड़ने वाला है?

कुछ फिल्में जो तैयार है वह ओटीटी पर रिलीज हो जाएगी, जिससे एक्टर्स से लेकर टेक्नीशियन सभी को थोडा-थोडा पैसा मिल जायेगा, जो अच्छी बात है, पर कुछ कहानी के लिए थिएटर ही सही होता है. उन्हें रुकना पड़ेगा. सलमान खान की फिल्म हॉल में ही देखना अच्छा लगता है. इस समय थिएटर सबसे अधिक प्रभावित है, क्योंकि इस हालात में उसे खोलना संभव नहीं होगा. दिवाली तक उम्मीद है थिएटर खुल पायेगा.

सवाल-आप के जीवन में जब मुश्किल घड़ी आई, उससे आप कैसे निकले? देश में भी कठिन दौर चल रहा है, क्या सन्देश देना चाहते है?

समय किसी का नही होता. अगर अच्छा समय नहीं रहता है, तो ख़राब समय भी अधिक दिनों तक नहीं रहेगा. मेरे जीवन में बहुत कठिन दौर आया और इसी के साथ मैं आगे बढ़ा हूं.

देश पर आये इस समय को भी हम अगले साल याद करेंगे, जब सबकुछ ठप्प हो गया था. ये पृथ्वी केवल मानव की नहीं, जीव जंतुओं की भी है. पृथ्वी हमारी नहीं हम पृथ्वी के है.

सवाल-बचपन में मां के साथ बिताया पल जिसे आप मिस करते है?

मां अभी मेरे साथ रहती है. जब भी समय मिलता है, मैं उनके पास बैठ जाता हूं. बचपन में मेरी मां हर जगह ड्राइव कर ले जाती थी, उसे मैं मिस करता हूं. बहुत मज़ा आता था, क्योंकि वह जब भी ड्राइव करती थी तो मैं उनके बगल में बैठता था. मेरे लिए ये बात गर्व का हुआ करता था कि मेरी मां ड्राइव जानती है.

#coronavirus: प्लेन में सीटबेल्ट की सफाई करती दिखीं भूमि पेडनेकर, PHOTOS VIRAL

डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन)ने ‘‘कोरोना 19’’यानी ‘‘कोविड 19’’को एक महामारी घोषित किए जाने के साथ ही पूरे भारत में बंद का माहौल है. इस घातक और जानलेवा वायरस के प्रसार को रोकने के मकसद से इस सप्ताह बड़े पैमाने पर होने वाली सभाओं, शादी समारोहों के साथ ही जिम,सिनेमा हाल,माल्स, रेस्टारेंट,पब पूरी तरह से बंद किए जा चुके हैं. इसी के साथ फिल्म की शूटिंग भी बंद कर दी गयी है.

जब भारत में ‘कोरोना’वायरस ने पैर पसारे उस वक्त अक्षय कुमार निर्मित फिल्म ‘‘दुर्गावती’’की शूटिंग मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में चल रही थी, जिसे बीच में ही स्थगित करना पड़ा. इसके बाद फिल्म की पूरी युनिट,अभिनेत्री भूमि पेडणेकर व अभिनेता तथा अक्षय कुमार के भतीजे करण कापड़िया भी हवाई जहाज पकड़कर भोपाल से मुंबई वापस आए.

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हवाई जहाज में चढ़ते ही अभिनेत्री भूमि पेडणेकर ने ‘कोरोना’से बचाव के उपाय के तहत भूमि पेडणेकर ने उस हवाई जहाज की सीटबेल्ट वगैरह को साफ करना शुरू किया, जिसमें वह मुंबई के लिए यात्रा कर रही थी.उनके साथ यात्रा कर रहे कुछ साथियों ने उनका मजाक उड़ाया,तो वहीं अक्षय कुमार भतीजे ने उसका वीडियो बना डाला.

बाद में भूमि पेडनेकर ने अपनी इंस्टाग्राम कहानियों पर कई तस्वीरें और वीडियो साझा किए कि वह भोपाल से मुंबई वापस अपने घर जा रही हैं. इंस्टाग्राम पर मौजूद तस्वीरों में भूमि ने अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के भतीजे करण कपाड़िया द्वारा ली गई तस्वीर को रीपोस्ट किया. जबकि तस्वीर को साझा करते हुए करण ने इसे कैप्शन दिया, “व्यामोह? व्यामोह क्या है? ” और पोस्ट में अभिनेत्री को टैग किया. तस्वीर में भूमि पेडनेकर को आरामदायक कपड़ों की एक जोड़ी में देखा गया है.लेकिन यात्रा के दौरान आवश्यक निवारक उपाय किए गए हैं.

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एक फोटो में भूमि ने अपने चेहरे पर मास्क पहना हुआ है और अपने हाथों को दस्ताने से ढंका हुआ है. यानी कि भूमि पेडणेकर खुद को ‘कोरोना’ वायरस से संपर्क में आने से बचने के लिए उपाय करने में व्यस्त नजर आती हैं.

वहीं मास्क और दस्ताने पहनने के अलावा भूमि जब हवाई जहाज की जिस सीटबेल्ट पर वह बैठने वाली हैं, उसे स्प्रे करने के बाद उसे साफ करती हैं, तो उसकी भी तस्वीर खींची गयी. करण ने अपने इंस्टा्राम पर इन तस्वीरों को साझा करते हुए लिखा कि यात्रा के दौरान पैरानोइया ने भूमि को कैसे मारा है. मगर अभिनेत्री को अतिरिक्त देखभाल करते देखना सराहनीय प्रयास है.

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इस बीच फिल्म‘‘दुर्गावती’’ में दुर्गावती की शीर्ष भूमिका निभा रही  अभिनेत्री ने तस्वीरों की एक श्रृंखला भी साझा की, जिसमें करण कपाड़िया के साथ एक सेल्फी शामिल है. दूसरी ओर जैसे ही अगले स्तर पर व्यामोह हिट होता है, पूरी टीम दुर्गावती के सेट से वापस मुंबई आ जाती है और फ्लाइट और एयरपोर्ट से तस्वीरों में मास्क पहने हुए भाग जाती है.

इस पर भूमि कहती हैं-‘‘मैंने हवाई जहाज के अंदर जो कुछ किया, वह ‘कोरोना वायरस’से खुद को बचाने के लिए किया. मगर जब करा ने तस्वीरे खींच ली और वीडियो बना डाला, तो  मैने भी सोचा कि इन्हे अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दूं, जिससे हर आम इंसान खुद को सुरक्षित रखने के लिए इस तरह के उपाय करने से न हिचकिचाए.’’

FILM REVIEW: जानें कैसी है सारा अली खान और कार्तिक आर्यन की Love Aaj Kal 2

रेटिंग: एक स्टार

निर्माता:इम्तियाज अली दिनेश विजन और जियोस्टूडियो

निर्देशक: इम्तियाज अली

कलाकार: कार्तिक आर्यन सारा अली खान आयुषी शर्मा रणदीप हुडा व अन्य

अवधि: 2 घंटे 22 मिनट

रॉकस्टार, (Rockstar) कभी सोचा ना था (Kabhi Socha Na Tha) जैसी फिल्मों के निर्देशक इम्तियाज अली ( Imtiaz Ali) 2009 में एक प्यारी सी प्रेम कहानी वाली फिल्म लव आज कल (Love Aaj Kal ) लेकर आए थे, जिसे काफी सराहा गया था. अब पूरे 11 वर्ष बाद इम्तियाज अली उसी फिल्म का सीक्वल लव आज कल दो लेकर आए हैं. इस फिल्म 90 के दशक और 21वीं सदी के प्यार को पेश करते हुए इम्तियाज अली जितनी खराब में खराब फिल्म बना सकते थे ,इतनी खराब फिल्म मनाई है.

कहानी

फिल्म फिल्म शुरू होने पर दर्शक कि समझ में नहीं आता की फिल्म शुरू हो गई या वह अभी भी फिल्म का ट्रेलर देख रहा है. फिल्म की शुरुआत के पहले दृश्य मैं स्कूल के बाहर रघु से लीना कहती है कि कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो और रघु कहता है कि मैं नहीं कर रहा. फिल्म के दूसरे दृश्य में वीर से जोई कहती है कि तुम मेरे साथ सेक्स नहीं कर सकते ,तो फिर मेरा पीछा क्यों कर रहे हो. इसके बाद पता चलता है कि माजी  नामक एक कैफे मैं जोई (सारा अली) (Sara Ali Khan) बैठी हुई है वह वहीं पर बैठकर अपनी इवेंट कंपनी खड़ी करने के लिए काम की तलाश कर रही है उसका पीछा करते हुए वहीं पर वीर (कार्तिक आर्यन) (Kartik Aaryan) पहुंच जाता है. दोनों में बात होती है और   जोई , वीर के साथ वीर के घर पहुंच जाती है.

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और वीर के साथ हमबिस्तर होकर सेक्स करना चाहती हैं. पर वीर उसे  एक स्पेशल लड़की  मानकर ऐसा करने से मना कर देता है.  इससे जो ई  नाराज हो जाती हैं. पर वीर उसका पीछा करना नहीं छोड़ता यह सब देख कर माजी कैफे का मालिक जो ई को अपनी जवानी की प्रेम कहानी को बताना शुरु करता है. तो पता चलता है कि जवानी में यह रघु थे, जिन्हें लीना से प्यार हुआ था. उसके बाद रघु और लीना की प्रेम कहानी के साथ-साथ वर्तमान में वीर और जोईकी प्रेम कहानी चलती रहती है. कैफे के मालिक उर्फ रघु अपनी कहानी को जिस तरह से पेश करते हैं उससे प्रभावित होकर जो अली अपनी मां की सलाह को दरकिनार कर कैरियर को भूल कर वीर के साथ हमबिस्तर होकर पूरी जिंदगी बिताने का निर्णय ले लेती है. एक दिन वीर जब जो ई को अपने माता-पिता से मिलाने ले जाता है ,तो उस वक्त जो ई की मां उसेसे कुछ ऐसा कह देती है की वीर के घर पहुंचते ही जो ई को लगता है कि कैरियर को छोड़कर शादी करने का गलत निर्णय ले रही है. और वह वीर के माता-पिता के सामने ही वीर से अलग होने की बात कह देती है. उसके बाद फिर कैफे का मालिक यानी कि रघु अपनी जिंदगी की कहानी को सुनाता है उधर जो ई बहुत बड़ी इवेंट कंपनी की मालकिन हो जाती है. पर उसे लगता है जिंदगी में कुछ कमी है जबकि वीर हिमालय में पानी बचाने को मुद्दों पर काम करने पहुंच गया है खैर रघु को दोबारा लीना नहीं मिली थी पर जो ई को एहसास होता है कि उसने वीर को छोड़कर गलती की तो वह वीर के पास हिमालय पर पहुंच जाती है.

लेखन और निर्देशन:

इस फिल्म मैं इम्तियाज अली ने कैरियर निजी जिंदगी और प्यार के बीच सामंजस्य बैठाने के मुद्दे को उठाया है मगर पहले दृश्य से ही वह पूरी तरह से कंफ्यूज नजर आते हैं निर्देशक के तौर पर इम्तियाज अली ने हर रिश्ते को जितना जितने बना सकते थे इतना जटिल बनाने की पूरी कोशिश की पर वह कहना क्या चाहते हैं या स्पष्ट नहीं हो पाया फिल्म की कहानी के नाम पर बेसिर पैर की कहानी है फिल्म की  पटकथा बहुत ही खराब है फिल्म कब अतीत में जाती है कब वर्तमान में आ जाती है कुछ समझ में नहीं आता कुछ दृश्यों में अतीत और वर्तमान के दृश्य समानांतर चलते रहते हैं

जिन लोगों ने इम्तियाज अली की रॉकस्टार या पहली वाली लव आज कल देखी है उन सब को इस फिल्म से घोर निराशा होगी निर्देशक के तौर पर इम्तियाज अली अब तक इससे घटिया फिल्म नहीं दी होगी फिल्म में फूहर और अश्लील संवादों की भरमार है इतना ही नहीं निदेशक ने मान लिया है कि दर्शक सिर्फ सेक्स और बोल्ड व किसिंग  दृश्य देखने के लिए ही फिल्म देखने आता है इसी के चलते अंदर इस तरह के दृश्य जबरन ठोसे गए हैं.

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अभिनय

जहां तक अपने का सवाल है तो जब निर्देशन कहानी और पटकथा ही गड़बड़ हो तो कलाकारों से अच्छे अपने की उम्मीद करना भी बेमानी हो जाता है वैसे भी कार्तिक आर्यन निर्देशक के कलाकार  है पर अफसोस इस फिल्में कार्तिक आर्यन को निर्देशक की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल पाया परिणाम था इस फिल्म में रघु और वीर दोनों ही किरदारों में वह दर्शकों का दिल नहीं जीत पाते अब तक कार्तिक आर्यन फिल्म दर फिल्म अपनी परफॉर्मेंस को लेकर सराहना बटोर रहे थे पर इस फिल्म से उनकी अभिनय क्षमता पर सवालिया निशान खड़े होते हैं फिल्म केदारनाथ से सारा अली खान ने खुद को बेहतरीन अदाकारा साबित किया था मगर अफसोस इस फिल्म में उन्होंने भी निराश किया है और इसके लिए भी उससे कहीं ज्यादा गलती फिल्म की पटकथा और निर्देशक की है  वह जोई के किरदार की गहराई में उतर पाने में कमतर साबित हुई हैं. नवोदित आरुषि शर्मा ने लीना के रूप में सहज और सुंदर अभिनय किया है. रणदीप हुडा का कैरियर ढलान पर है और इस फिल्म से उनके करियर में कोई अच्छा बदलाव नहीं आ पाएगा.

हीरो से ज्यादा एक्टर बनने की जरुरत है – सनी सिंह

फिल्म ‘प्यार का पंचनामा 2’ से अभिनय कैरियर में चर्चित होने वाले सनी सिंह, एक्शन डायरेक्टर जय सिंह निज्जर के बेटे है. बचपन से ही उन्हें कला का माहौल मिला है इसलिए इससे परे उन्होंने कुछ नहीं सोचा. उन्हें कॉमेडी फिल्में बहुत पसंद है और कई ऐसी फिल्में कर चुके है. टीवी पर भी उन्होंने काम किया है. उनकी फिल्म ‘जय मम्मी जी’ में वे कार्तिक भाटिया की भूमिका निभा रहे है, शांत और खुश मिजाज़ सनी सिंह से हुई बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार है.

सवाल-इस फिल्म का आकर्षण आपके लिए क्या थी?

इस फिल्म में मम्मी मेरे लिए ख़ास थी, क्योंकि कई कॉमेडी की फिल्में बनती है,पर ये फिल्म कई मम्मियों को केंद्र में रखकर बनायीं गयी पहली फिल्म है. शूट करते हुए और माँ को बताते हुए बहुत मज़ा आया. मैं माँ की डांट को हमेशा यहाँ पर मिस करता हूं. नहीं डांटे तो खाली-खाली लगता है. ये सब इस फिल्म में है और यही मुझे अच्छा लगा था.

सवाल-रियल लाइफ में आप मम्मास बॉय कितने है और कितनी डांट सुननी पड़ती है?

जब डांटती है तो हर कोई हिल जाता है, मेरी दो बहने बड़ी है. मैं सबसे छोटा हूं. इसलिए पैमपर्ड चाइल्ड हूं. परीक्षा में फेल होने पर भी अधिक नहीं डांटती थी, लेकिन कई बार कुछ गलत करने पर बहुत गुस्सा हो जाती थी, पर मैं मना तो लेता हूं. माँ से मैं हर बात शेयर करता हूं, कॉलेज में कई बार लड़कियों की चिट्ठियां आने पर मुझे डांटती थी पर अपनी सहेलियों को बताकर खुश होती थी. मुझे प्यार और शादी उस लड़की से करनी है जो अपने माता-पिता से प्यार करें और रूटेड हो.

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सवाल-आपके भविष्य में मां की भूमिका कितनी है? इस बारें में आपकी सोच क्या है?

उसे कह पाना मुश्किल है. उनसे ही मेरा संसार है, एक माँ बिना शर्तों के बच्चे से प्यार करती है. बचपन में मैं बहुत शरारती था. पहले कुछ कहने पर वे मना करती थी पर बाद में हां कर देती थी. मैं कितनी भी व्यस्त रहूं, माँ को समय हर दिन देता हूं. मैंने उनके लिए एक ट्रोफी बनाकर दी है, क्योंकि वह मेरी बेस्ट माँ है. वह घरेलू माँ है, इसलिए मैं कभी-कभी उन्हें कुछ अच्छी सरप्राइज गिफ्ट भी देता हूं. समय मिलने पर फिल्में देखने या घूमने भी साथ में जाता हूं.

सवाल-आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है?

मुझे लगता है कि मैंने कई फिल्में की है और कर भी रहा हूं, इतना काम मेरे लिए काफी है और मैं संतुष्ट हूं. फिल्मों के हिट होने या फ्लॉप होने से मैं अधिक समबन्ध नहीं रखता.मैंने मेहनत की है और फिल्म सफल होनी चाहिए. हर सफल कलाकार फ्लॉप फिल्में देता है. वह किये बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते, क्योंकि फैल्योर आपको जिंदगी के बारें में बताती है और उससे आप बहुत कुछ सीखते है. काम करना कभी बंद नहीं करना चाहिए, इससे उसका फल अवश्य मिलता है. काम के लिए अधिक सोचने की जरुरत होती है. काम के बाद का समय मेरे परिवार के लिए होता है.

सवाल-किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का खास ध्यान रखते है?

मैं कभी भी अधिक नहीं सोचता.स्क्रिप्ट पढने के बाद अगर अच्छी लगती है तो मैं निर्देशक के बारें में भी नहीं सोचता. प्रोड्यूसर के बारें में अधिक सोचता हूं, क्योंकि वही फिल्म को अच्छी तरह से पर्दे पर लाने की कोशिश करता है. हीरो से अधिक एक्टर बनना अधिक जरुरी है. मैं अच्छा काम करने की इच्छा रखता हूं.

सवाल-फिल्मों के सफल होने की वजह क्या मानते है?

निर्देशक और कहानी ये दोनों चीजे सबसे पहले आती है, इसके बाद कलाकार की बारी आती है. मेरी पहली फिल्म में निर्देशक ने सभी नए कलाकारों को मौका दिया ये बड़ी बात थी, लेकिन फिल्म सफल रही और सभी अच्छा काम कर रहे है. मेरे पिता जय सिंह निज्जर एक एक्शन डायरेक्टर है. उनके साथ भी एक फिल्म मैंने की थी, जो नहीं चल पायी. उनके सेट पर मैं बहुत कम जाता था.

सवाल-क्या पिता की वजह से इंडस्ट्री में काम मिलना आसान हुआ?

मैं काफी लोगों को जानता था, क्योंकि पार्टी में लोग आते थे. बचपन में मैंने देखा है, पर मुझे एक्टिंग करना है, उसकी तैयारी मुझे करनी पड़ी. मैं असफलता को अधिक महत्व नहीं देता. एक फिल्म का मिलना ही मेरे लिए बड़ी बात है. मैं छोटी भूमिका भी अच्छी हो, तो करने के लिए मना नहीं करता. डिजिटल पर भी काम करने की इच्छा रखता हूं.

सवाल-क्या पिता से एक्शन की तकनीक सीखी है?

मैंने अधिक नहीं सीखा है, वे ज्योही कुछ सीखाने की कोशिश करते थे मैं कुछ बहाना बना देता था. वे अभी भी एक्टिव है और फिल्मों में एक्शन का काम कर रहे है. उन्होंने कामयाबी बहुत मुश्किल से पायी है, कई बार मैंने उन्हें चोट लगते हुए भी देखा है. वे स्टंट बहुत बहादुरी से करते थे.  आज चाहते है कि मैं भी सफलता प्राप्त करूँ. वे जो भी कहते है हम आँख मूदकर फोलो करते है.

सवाल-किसकी बायोपिक करना चाहते है?

अक्षय कुमार, अजय देवगन, भगत सिंह जैसे किसी की भी बायोपिक में काम करने की इच्छा रखता हूं.

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सवाल-माँ के हाथ का बनाया क्या खाना पसंद करते है?

गुड़ शक्कर और रोटी. पंजाब के गाँव में बनने वाली ये डिश मुझे बहुत पसंद है.

सवाल-यूथ को क्या सन्देश देना चाहते है?

आज के यूथ किसी भी चीज से बहुत अधिक प्रभावित हो जाते है, उनसे मेरा कहना है कि किसी भी नशे की लत में न पड़े. अपनी जर्नी पर ध्यान दे, दूसरे की दिशा में न चले. समय मिले तो परिवार के साथ बिताएं.

क्रिमिनल एक्ट की जिम्मेदारी केवल दिमाग पर होती है– मेघना गुलज़ार

गीतकार संगीतकार गुलज़ार की बेटी मेघना गुलज़ार अपनी पढाई पूरी करने के बाद पहले अपने पिता को एसिस्ट किया और बाद में पटकथा लेखन के क्षेत्र में उतरी. उसे नयी कहानियां कहना पसंद है और इसके लिए वह पूरी मेहनत करती है. फिल्म फिलहाल उसकी निर्देशित डेब्यू फिल्म थी. इसके बाद उसने जस्ट मैरिड, दस कहानियां, तलवार, राज़ी आदि कई फिल्मों का निर्देशन किया और कमोवेश सफल रही. वह हर कहानी को अपने तरीके से कहने की कोशिश करती है. वह अपने आप को महिला निर्देशक नहीं, केवल निर्देशक कहलाना पसंद करती है. यही वजह है कि उसने ‘छपाक’ जैसी फिल्म का निर्देशन किया और उसने इसे अलग ढंग से इसे फिल्माने की कोशिश की है. फिल्म के प्रमोशन पर उनसे बात करना रोचक था, पेश है कुछ अंश.

सवाल- दीपिका को इस तरह की भूमिका में लेने की खास वजह क्या रही?

दीपिका पादुकोण ने सिर्फ ग्लैमरस भूमिका ही नहीं निभाई है, उसने कई अलग तरह की फिल्में भी की है. उनका काम का दायरा बहुत बड़ा है. दीपिका को इस भूमिका में लेने की खास वजह दीपिका की शारीरिक बनावट लक्ष्मी अग्रवाल से मिलना है. आज से 10 साल पहले की दीपिका और लक्ष्मी की पिक्चर बहुत मेल खाती हुयी है. इसलिए उससे अलग किसी और को लेना मेरे लिए सम्भव नहीं था.

सवाल- दीपिका को उस भूमिका में ढालना कितना मुश्किल था?

प्रोस्थेटिक के प्रयोग के अलावा उस व्यक्ति की चाल चलन को अडॉप्ट करना कलाकार के पास होता है. मैं केवल उसे निर्देश दे सकती हूँ उसकी मानसिक अवस्था को महसूस कर उसी रूप में सामने लाना कलाकार की प्रतिभा और मेहनत होती है, जो दीपिका ने हूबहू किया है.

सवाल- दीपिका इसकी प्रोड्यूसर भी है इसका फायदा आपको कितना हुआ?

इससे वह मेरे साथ हर काम में रही और अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन देना चाह रही थी. कलाकार के रूप में अच्छे अभिनय की इच्छा तो रहती है, लेकिन प्रोड्यूसर बनने के बाद इसका फायदा अधिक होता है.

सवाल- ये कहानी किस तरह के सन्देश देने की कोशिश कर रही है?

ये कहानी एसिड वायलेंस की हकीकत को दिखाती है. कहेगी क्या ये कहना मुश्किल है. मैं हर फिल्म को दर्शकों के उपर छोड़ती हूँ. दर्शक काफी सेंसेटिव है और मेरा अनुभव ये रहा है कि वे कुछ न कुछ फिल्म से ले लेते है और मैं उसे कंट्रोल नहीं करना चाहती.

सवाल- इस फिल्म को करने में मुश्किल क्या रही?

इस फिल्म को करते समय मुश्किल नहीं, पर कुछ बातें ध्यान में रखनी जरुरी थी. पहली, ये लोग कोई भी बेचारे नही, दूसरी, फिल्म बनाते वक़्त इसे भी बहुत अधिक डरावनी बनाना नहीं था, ताकि दर्शक इसे देखकर डर जाय या अपनी आँखे बंद कर लें. इसके अलावा इसे शुगर कोट भी नहीं कर सकते, क्योंकि जो सच्चाई है उसे लोगों तक पहुँचाने की जरुरत है. ये बैलेंस करना बहुत जरुरी था. मेरे इमोशन फिल्म के रिलीज के बाद में आती है. इतना ही नहीं दीपिका के लिए भी ये फिल्म बहुत चुनौतीपूर्ण थी. दिल्ली की गर्मी उसमें प्रोस्थेटिक, धूप, धूल, पसीना आदि सबकुछ सहना पड़ा.

सवाल- क्या गुलज़ार ने आपकी फिल्म देखी है?

वे हमेशा मेरी फिल्म को देखकर अपनी प्रतिक्रिया देते है अभी तक उन्होंने पूरी फिल्म देखी नहीं  है, क्योंकि अभी वे मुंबई में नहीं है, लेकिन जितना भी उन्होंने देखा है, उससे उनकी आँखे नम हो गयी थी. वे रो पड़े थे. मैं ये समझ नहीं पाती कि वे मेरी फिल्म को देखकर इतना इमोशनल क्यों हो जाते है?

सवाल- इस तरह की तेजाब फेंकने की घटनाएं आज भी हमेशा अख़बारों की  सुर्ख़ियों में होती है, इसे कैसे कम किया जा सकता है? आप इस बारें में क्या कहना चाहेंगी?

क्रिमिनल एक्ट की जिम्मेदारी केवल उसके दिमाग पर होती है, उसके परिवार, समाज या किसी पर नहीं होती. एसिड वायलेंस ऐसा है कि ये किसी भी वजह से लोग कर देते है. ये स्वत: हो जाया करती है. एकतरफा प्यार के अलावा संपत्ति विवाद पर भी एसिड एटैक होते है. ये इतने आधारहीन होते है कि इसे सम्हालना मुश्किल होता है. हमारे पास एसिड एटैकर की कोई क्लियर प्रोफाइल नहीं है, ताकि वजह समझी जा सकें. वो कोई भी हो सकता है, क्योंकि एसिड आसानी से बाज़ार में मिलता है.

सवाल- ऐसी फिल्में व्यवसाय को ध्यान में रखकर बनायी जाती है, पर पीड़ित लोगों को इसका फायदा कितना होता है?

मेरी इस फिल्म में कई और एसिड एटैकर ने काम किया है. यहाँ मेरा सबसे कहना है कि उन्हें हम पैसे तो देते है, पर क्या उन्हें हम अपने साथ देखना या काम करना पसंद करते है? मैंने इसे महसूस किया है.

सवाल- क्या ईगो की वजह से ऐसे काम अधिक होते है? आज ये अधिक बढ़ चुका है?

इसे परिभाषित करना मुश्किल है, क्योंकि केवल पुरुष ही नहीं, महिलाये भी तेजाब पुरुषों पर फेंकती है, अगर उसने शादी से इंकार किया. एक पिता भी अपनी नवजात बेटी पर तेजाब फेकता है. इसलिए इसे कम करने की जरुरत है और कैसे इसे करना है? इसका हल सबको खोजने की जरुरत है.

सवाल- आगे क्या करने की इच्छा है?

मुझे बच्चे की फिल्म बनाने की इच्छा है, क्योंकि मेरा बेटा चाहता है. इसके अलावा कौमेडी फिल्म बनाने की इच्छा है.

मैं लो प्रोफाइल पर्सन हूं – अक्षय खन्ना

फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ से हिंदी फिल्म में डेब्यू करने वाले अभिनेता अक्षय खन्ना, 70 और 80 के दशक के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना के बेटे है. इस फिल्म को उनके पिता ने ही प्रोड्यूस किया था. इसके बाद अक्षय ने कई फिल्में की और कमोवेश एक सफल कैरियर गुजारे है. उन्होंने कॉमेडी से लेकर रोमांटिक और निगेटिव हर तरीके की फिल्मों में काम किया है. वे आज भी अकेले है और अकेले ही जीवन बिताना पसंद करते है. उन्होंने आजतक जो भी काम किया उसी को सफल मानते है. वे बोलते बहुत कम है और अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना पसंद करते है. उनकी फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ रिलीज पर है और इसमें वे अपनी अलग भूमिका को लेकर बहुत खुश है पेश है कुछ अंश.

सवाल-आपके जीवन का कुशल मंगल क्या है?

मुझे आज भी काम करने का मौके का मिलना ही मेरे जीवन का कुशल मंगल है. अच्छे-अच्छे स्क्रिप्ट मुझे आज मिल रहे है.

सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या रही?

इसकी कहानी बहुत अलग है इस तरह की भूमिका मैंने पहले कभी की नहीं है. दो नए कलाकार मेरे साथ डेब्यू कर रहे है ये सब मेरे लिए ख़ास और नया है. जो मैं हर फिल्म मैं खोजता हूं वह इसमें मिल रहा था इसलिए ना कहने की कोई गुंजाईश नहीं थी.

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सवाल-आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है, कोई मलाल अभी भी रह गया है क्या?

मुझे लगता है मैं अगर 20 साल और भी काम करूं तो भी मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी. ये सफ़र जो कलाकार की होती है, वह कभी खुद ब खुद समाप्त नहीं होती. इसमें उतार चढ़ाव तो आते रहते है, जो जिंदगी की एक पहलू है, जिससे गुजरना पड़ता है साथ ही जिंदगी में संघर्ष हमेशा चलता रहता है. इसे मैं अधिक सिरियसली नहीं लेता. नकारात्मक बातों पर अधिक फोकस नहीं करता, क्योंकि उससे कोई फायदा नहीं होता.

सवाल-नए कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

मैं इनके लिए बहुत प्रोटेक्टिव रहता हूं और चाहता हूं कि इनके साथ कुछ गलत न हो, ये फिल्म सफल हो, उनका काम सबको पसंद आये, ताकि उनकी जर्नी आगे अच्छी हो, बस यही अनुभव रहा है.

सवाल-किसी फिल्म के लिए अब कितनी तैयारी करनी पड़ती है?

आज भी तैयारी और मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि हर निर्देशक की कहानी अलग होती है और मुझे उसके मुताबिक काम करने की जरुरत होती है, ताकि उसकी फिल्म सफल हो. अभिनय के साथ-साथ ये एक व्यवसाय भी होता है, जिसका ध्यान मैं हमेशा रखता हूं. निर्देशक के अनुसार काम करने का डर अभी भी रहता है. सेट पर मैं ऐसे मैं कई बार नर्वस भी हो जाता हूं. मैं कभी अपने निर्देशक को निराश नहीं देखना चाहता.

सवाल-इस फिल्म में निर्देशक से लेकर कलाकार सभी नए है,ऐसे में आप उन्हें कितनी सहजता प्रदान करते है,ताकि उन्हें आपको निर्देश देने में कोई प्रेशर महसूस न हो?

क्रिएटिव फील्ड में किसी का किसी के उपर प्रेशर होने पर काम करना मुश्किल होता है. प्रेशर को घर पर छोडकर आना पड़ता है.

सवाल-आजकल फिल्मों से मनोरंजन गायब होता जा रहा है, इसकी जगह समाज की डार्क साइड या  किसी अप्रत्याशित और डरावनी घटनाएं ले रही है, इसकी वजह क्या मानते है?

फील गुड वाली पिक्चर आज भी बन रही है, लेकिन रीयलिस्टिक फिल्में पहले भी बनती थी. इसे दिखाना और समझना दर्शकों के लिए आवश्यक है. इससे बचकर हम कही नहीं जा सकते. समाज को पूरे में देखने की जरुरत है.

सवाल-आपने बीच में थोडा ब्रेक लिया और फिर काम शुरू किया इसकी वजह क्या रही?

मैंने हमेशा अच्छी फिल्मों की स्क्रिप्ट चाही है, कभी मिलता है तो कभी नहीं. जिसे मिलने में कई बार सालों लग जाते है. इससे मेरा काम कम हो जाता है. जो मुझे ऑफर मिलता है उसमें से कुछ अच्छा खोज लेता हूं.

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सवाल-आपके हमेशा लो प्रोफाइल रहने की वजह क्या है?

मैं अपनी जिंदगी लो प्रोफाइल तरीके से ही जीना चाहता हूं. मैं हाई प्रोफाइल इंसान नहीं हूं, मुझे उसी में कम्फर्ट फील होता है और ये ब्लड प्रेशर के लिए भी अच्छा होता है.

सवाल-फिटनेस का राज क्या है?

सही समय पर खाना, सोना ,उठना, व्यायाम करना आदि करता हूं. इसके लिए मैं मेहनत बहुत करता हूं.

सवाल-आप अपने पिता की किस सीख को आप अपने जीवन में उतारते है?

मेरे पिता कभी ज्ञान नहीं बाटते थे. वे जियो और जीने दो पर विश्वास करते थे. वे नॉन जजमेंटल इन्सान थे. वे कभी किसी की आलोचना नहीं करते थे. जो ठीक लगे उसे करने की  सलाह देते थे. उन्होंने अपनी जिंदगी उसी तरह से जिया है.

‘मिशन मंगल’ से शरमन का कमबैक, पढ़ें बौलीवुड की ऐसी ही 10 बड़ी खबरें

  1. अरे भाई अब यह न समझ लेना कि शरमन जोशी मंगल ग्रह पर गए थे. दरअसल शरमन काफी दिनों से एक सफल फिल्म की तलाश में थे. ‘मिशन मंगल’ फिल्म से उन्हें यह सफलता हाथ लगी. इस से पहले तो फिल्म मिलना ही उन के लिए मंगल ग्रह पर जाने जैसा था. यह इंडस्ट्री भी बड़ी अजीब है, शरमन ने बड़ेबड़े सितारों से सजी बेहतरीन फिल्मों में काम किया है, मगर फिर अचानक उन्हें को फिल्में मिलनी बंद हो गईं. अब जब शरमन की वापसी हो ही गई है तो हम तो यही उम्मीद करेंगे कि इतिहास खुद को न दोहराए और शरमन फिल्मों में नजर आते रहें.

2. साउथ की भी चहेती बन गईं कियारा

फिल्म ‘कबीर सिंह’ करने के बाद तो कियारा आडवाणी के दिन ही बदल गए. हिंदी फिल्मों के औफर तो उन के पास आ ही रहे हैं अब साउथ के बड़ेबड़े निर्मातानिर्देशक भी उन के साथ काम करने को बेताब हैं. खबरचियों ने खबर लपकी है कि साउथ के सुपरस्टार विजय की आने वाली फिल्म ‘थालपति 64’ के लिए कियारा को लीड ऐक्ट्रैस के तौर पर साइन किया गया है. वैसे कियारा इन दिनों फिल्म ‘कबीर सिंह’ की सफलता का जश्न मना रही हैं. कभी फिल्म के निर्देशक विजय देवरकोंडा के साथ तो कभी करण जौहर के साथ पार्टी करते हुए पैपराजी की चकाचौंध में कैद होती रहती हैं.

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3. हौलीवुड में रिजैक्ट बौलीवुड में हिट

नुसरत भरुचा ने खुलासा किया कि हिंदी फिल्मों में आने से पहले उन्होंने एक हौलीवुड फिल्म के लिए औडिशन दिया था, मगर उन्हें रिजैक्ट कर दिया गया था. जो होता है अच्छे के लिए ही होता है. नुसरत तभी तो ‘प्यार का पंचनामा,’ ‘सोनू के टिट्टू की स्वीटी’ जैसी सफल बौलीवुड फिल्में आप की झोली में हैं. अब तो नुसरत आयुष्मान खुराना के साथ ‘ड्रीम गर्ल’ फिल्म में नजर आने वाली हैं और आजकल तो जिस फिल्म में आयुष्मान होते हैं वह फिल्म तो सफल होती ही है. तो हम तो यही कहेंगे नुसरत कि बौलीवुड में आने की चौइस राइट है और आप का फ्यूचर ब्राइट है.

4. आसान नहीं हमारी शादी

फिल्म ‘सैक्शन 375’ में अपने दमदार अभिनय से छा जाने वाली ऋचा चड्ढा अपने बौयफ्रैंड अली फजल के साथ शादी तो करना चाहती हैं, मगर मुश्किल यह है कि दोनों ही अपनेअपने काम में इतना बिजी हैं कि हमसफर बनने का प्लान ही नहीं बना पा रहे. ऋचा का तो यह कहना है कि हमारी शादी करवाने के लिए एक बड़ी प्लानिंग टीम चाहिए जो सारा अरेंजमैंट कर दे वरना तो यह शादी दूर की कौड़ी ही लगती है.

हम तो कहेंगे कि शादी के बारे में अभी सोचा ही मत ऋचा, क्योंकि शादी के बाद बौलीवुड हीरोइन अपने हीरो के तो करीब आ जाती है, मगर फैंस से दूर हो जाती है. दूसरी बात यह कि अली फजल का कैरियर अब जमना शुरू हुआ है, थोड़ा टाइम तो दो अली भाई को.

5. बौडी नहीं टैलेंट बोलता है

फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ से ले कर ‘टौयलेट एक प्रेमकथा’ तक भूमि की फैन फौलोइंग में जितनी बढ़ोतरी हुई है उन का वजन उतना ही कम हुआ है. भूमि ने यह साबित कर दिया कि छरहरी काया फिल्मों में सफलता पाने का एकमात्र पैमाना नहीं है, टैलेंट के कद्रदान आज भी जिंदा हैं. बेहतरीन विषयों पर आधारित फिल्मों में काम कर तारीफ बटोर चुकीं भूमि ने यह भी जता दिया कि सही स्क्रिप्ट चुनने की समझ भी उन के पास है. लेकिन इतनी समझदार भूमि की एक फालतू ऐक्टर के साथ रिलेशनशिप की बात कुछ हजम नहीं हो रही. अरे भाई, फालतू ऐक्टर मतलब फिल्म ‘फालतू’ के ऐक्टर जैकी भगनानी. हालांकि इस बात के पुख्ता सुबूत नहीं हैं, इसलिए खबरची दस्ता इस की पड़ताल में लग गया है.

6. देर आए दुरुस्त आए

लंबे समय तक रुपहले परदे से दूरी बना कर रखने वाले अक्षय खन्ना ने वापसी कर सभी को चौंका दिया है. उन की हालिया रिलीज सारी फिल्में सफल रही हैं. उन के अभिनय में भी काफी ठहराव आया है. खबरची यह पता लगाने की जुगत में हैं कि कहीं अक्षय अपने पिता वाला फौर्मूला तो नहीं इस्तेमाल कर रहे. विनोद खन्ना भी लंबे समय तक फिल्मों से दूर रहे थे और जब वापस आए तो छा गए थे.

हाल ही में आई अक्षय की फिल्म ‘आर्टिकल 375’ को दर्शकों ने काफी सराहा. पूरी फिल्म में बस अक्षय ही छाए रहे. वैसे अक्षय की सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तसवीरों को देख कर उन के फैंस काफी परेशान हैं, क्योंकि वे उन में कमजोर नजर आ रहे हैं. हालांकि अक्षय ने ऐसी खबरों को कोरी अफवाह बताया है.

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7. मुगल बनेंगे आमिर      

आखिरकार आमिर खान ने भूषण कुमार की फिल्म ‘मुगल’ में काम करने के लिए हां कर ही दी. आमिर ने यह फिल्म मीटू की चपेट में आए फिल्म निर्देशक सुभाष कपूर के चलते छोड़ी थी. आमिर के फिल्म छोड़ने के बाद अक्षय कुमार और कपिल शर्मा को भी यह फिल्म औफर की गई थी. अब नया मामला यह है कि मीटू आंदोलन छेड़ने वाली तनुश्री दत्ता को आमिर का यह फैसला रास नहीं आ रहा. वे आमिर से पूछ रही हैं कि उन्होंने मेरे बारे में क्यों नहीं सोचा. फिलहाल आमिर ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, मगर यह बात तो तय है कि मीटू आंदोलन ने आज भी कई लोगों की नींद हराम कर रखी है.

8. अब क्या करेगी जायरा

पिछले दिनों जायरा ने एक लंबीचौड़ी पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिस में असहज महसूस करने का हवाला देते हुए बौलीवुड को अलबिदा कहने की बात की थी. जायरा के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी. लेकिन फिल्म ‘द स्काई इस पिंक’ के हालिया रिलीज टेलर में जायरा की झलक क्या दिखी कि ट्रोलर आर्मी ऐक्शन में आ गई. कोई कह रहा है कि यह जायरा का डबल स्टैंडर्ड है तो कोई उन्हें ड्रामेबाज की उपाधि दे रहा है. जायरा बेबी इस मुसीबत में इसलिए घिरीं कि वे अभी इस इंडस्ट्री के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं. और एक बात यह भी है कि धर्म ने बचपन से ही अपने बनाए सहीगलत के कायदेकानून उस के दिलोदिमाग में भर दिए हैं. जायरा बेबी फैसला नहीं कर पा रहीं कि धर्म की बात सुनें या अपने दिल की.

9. क्या खूब कैमिस्ट्री है इस कपल की

शाहिद और मीरा की जोड़ी से जुड़ी किसी भी खबर पर खबरखोजी दस्ते की पैनी नजर रहती है. हाल ही में जब दोनों साथ में जिम से वर्कआउट कर के निकले तो पैपराजी ने उन को कैमरों में कैद कर लिया. कमाल की बात यह है कि दोनों अलगअलग हों या फिर एकसाथ मीडिया के सामने संतुलन बनाए रखते हैं. खबरची इन की कैमिस्ट्री की तारीफ करते नहीं थकते. दोनों की उम्र में 14 साल का फासला है, मगर मजाल है कि दोनों में से किसी एक की भी बौडी लैंग्वेज से यह बात झलक तक जाए. यों ही थोड़े न इन को बैस्ट बौलीवुड कपल का खिताब मिला हुआ है.

10. सोशल मीडिया पर छाईं दिशा

आजकल फिल्मों से दूर चल रहीं दिशा इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हैं. अपनी हौटनैस और बोल्डनैस को सोशल मीडिया पर इतना जम कर परोश रही हैं कि उन के यूजर्स की चांदी हो गई है. वैसे भी आजकल दिशा 2 ही जगहों पर ज्यादा दिखाई देती हैं. एक सोशल मीडिया साइट्स पर और दूसरा टाइगर श्रौफ के साथ डिनर या लंच डेट पर.

मैडम ये सब तो अपनी जगह ठीक है, मगर रुपहले परदे पर भी दिखतीं रहो वरना कहीं दर्शक आप को देखना ही बंद न कर दें.

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2019 में कंटेंट पर आधारित फिल्मों का होगा बोलबाला

गत वर्ष से सबक लेते हुए 2019 में बौलीवुड में कंटेंट को प्रधानता देने वाली फिल्में ज्यादा आने वाली हैं. वास्तव में डिजीटल की बढ़ती लोकप्रियता और 2018 में जिस तरह से आमीर खान, सलमान खान व शाहरुख खान जैसे दिग्गजों की फिल्में बाक्स आफिस पर मात खायी हैं, उसी के चलते अब यह दिग्गज भी इस साल कुछ नया और कंटेंट को महत्व देने वाली फिल्में करने पर आमादा नजर आ रहे हैं. इस वर्ष जिस तरह की फिल्में आने वाली हैं, उनमें ऐतिहासिक, राजनीतिक, बायोपिक, देशभक्ति, एक्शन, ड्रामा, रोमांस, पीरियड सहित विविधता पूर्ण फिल्मों का समावेश है.

2019 की शुरुआत यानी कि ग्यारह जनवरी के दिन एक साथ ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’, ‘उरी’, ‘बटालियन 609’ जैसी फिल्मों के प्रदर्शन के साथ होगी.

उरीः आदित्य धर निर्देशित 2016 में भारतीय सैनिकों द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित यथाथपरक फिल्म ‘‘उरी’’ में विक्की कौशल के साथ यामी गौतम व परेश रावल नजर आएंगे.

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द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टरः 2019 की शुरुआत ग्यारह जनवरी को प्रदर्शित हो रही पोलीटिकल फिल्म  ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ से होगी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू द्वारा लिखित इसी नाम की किताब पर आधारित इस फिल्म ने प्रदर्शन से पहले ही भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है. इसमे मनमोहन सिंह के किरदार में अनुपम खेर हैं.

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तानाजीः महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ मिलकर देश के हित में लड़ाई वाले तानाजी मलुसरे ने सिंहगढ़ युद्ध के वक्त अहम भूमिका निभायी थी. ऐसे ही वीर सेनापति तानाजी की जिंदगी पर आधारित ऐतिहासिक व पीरियड फिल्म ‘‘तानाजी’’ का निर्देशन ओम राउत कर रहे हैं. इस फिल्म में सैफ अली खान नगेटिव किरदार में, जबकि अजय देवगन तानाजी का किरदार निभा रहे हैं. इस फिल्म में काजोल भी अहम किरदार में होंगी.

जंगलीः सर्वश्रेष्ठ मार्शल आर्टिस्ट के रूप में मशहूर बौलीवुड अभिनेता विद्युत मावल अब हौलीवुड फिल्म ‘मास्क’ के निर्देशक चुक रूसेल के निर्देशन में एक एक्शन प्रधान फिल्म ‘‘जंगली’’ की है, जिसमें उनकी दोस्त एक हथिनी है.

जबरिया जोड़ीः बिहार के मशहूर ‘‘पकड़वा शादी’’ पर आधारित प्रेम कहानी प्रधान फिल्म ‘‘जबरिया जोड़ी’’ का निर्देशन प्रशांत सिंह कर रहे हैं. बिहार की पृष्ठभूमि में जबरन कराई जाने वाली शादी के तत्वों को सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति चोपड़ा अपने अभिनय से संवारते नजर आएंगे.

बाटला हाउसः 25 जनवरी के अवसर पर प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘बाटला हाउस’’ की कहानी 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के बाटला हाउस में हुए एनकाउंटर पर आधारित है. निखिल अडवाणी निर्देशित इस फिल्म में तत्कालीन एसीपी संजय कुमार यादव का किरदार जौन अब्राहम ने निभाया है. इसके अलावा मृणाल ठाकुर व नोरा फतेही के भी अहम किरदार  हैं.

ठाकरेः महाराष्ट्र में ‘शिवसेना’ नामक राजनीतिक पार्टी का गठन करने वाले स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘‘ठाकरे’’ 25 जनवरी को रिलीज होगी, जिसमें बाला साहब का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दकी व उनकी पत्नी मीना ताई का किरदार अमृता राव ने निभाया है. फिल्म के निर्देशक अभिजीत पानसे हैं. फिल्म की कहानी शिवसेना नेता व सांसद संजय राउत ने लिखी है.

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मणिकर्णिका-द क्वीन औफ झांसीः अग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने दम पर बहुत कठिन लड़ाई लड़ी थी. उन्ही के जीवन पर बनी फिल्म ‘‘मणिकर्णिका’’ का निर्देशन कृष ने किया है. जबकि रानी लक्ष्मी बाई का किरदार निभाने के साथ ही कंगना रनौत इसकी सह निर्देशक भी हैं. फिल्म के लेखक विजयेद्र प्रसाद और प्रसून जोशी हैं. 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली इस फिल्म में अंकिता लोखंडे व जिसु सेन गुप्ता के भी अहम किरदार हैं.

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संदीप और पिंकी फरारः दिबाकर बनर्जी की फिल्म ‘‘संदीप और पिंकी फरार’’ में एक बार फिर अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा की जोड़ी नजर आएगी. इस फिल्म में अर्जुन कपूर पहली बार हरियाणवी पुलिस हवलदार के किरदार में नजर आएंगे,  जबकि परिणीति चोपड़ा एक अतिमहत्वाकांक्षी लड़की के किरदार में हैं. फिल्म की कहानी दो ऐसे इंसानो की है, जो कि विरोधाभासी हैं और एक दूसरे से नफरत करते हैं, फिर भी एक साथ आ जाते हैं.

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छिछोरेः ‘दंगल’ फेम निर्देशक नितीश तिवारी निर्देशित फिल्म ‘‘छिछोरे’’ में सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्धा कपूर की जोड़ी नजर आएगी. दोनों पहली बार एकदम अलग किरदार में नजर आएंगे.

पंगा: फिल्म ‘‘निल बटे सन्नाटा’’ जैसी सफल फिल्म की निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी फिल्म ‘‘पंगा’’ लेकर आ रही हैं, जिसमें पारिवारिक रिश्तों व जीवन मूल्यों के साथ अपने आपको चुनौती देने वाली महिला की कथा है. इस फिल्म में कबड्डी खिलाड़ी का मुख्य किरदार कंगना रनौत निभा रही हैं.

चीट इंडिया: फिल्म ‘‘चीट इंडिया’’ से अभिनेता इमरान हाशमी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरे हैं. सौमिक सेन निर्देशित फिल्म ‘‘चीट इंडिया’’ में देश के शिक्षा तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कुठाराघात किया गया है. फिल्म में इमरान हाशमी के साथ ही श्रेया और धनवतंरी की अहम भूमिका है.

हाउसफुल 4:  कई हास्य फिल्मों के लेखक फरहाद सामजी ‘हाउसफुल’ सीरीज की फिल्म ‘हाउसफुल 4’ का निर्देशन कर रहे हैं. इससे पहले इस फिल्म के निर्देशक साजिद खान कर रहे थे. इस हास्य फिल्म में अक्षय कुमार बौबी देओल, रितेश देशमुख, पूजा हेगड़े, कृति सैनन व कृति खरबंदा की अहम भूमिकाएं हैं.

मेड इन चाइनाः 2016 में सर्वश्रेष्ठ गुजराती फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्म ‘‘रौंग साइड राजू’’ के निर्देशक मिखिल मुसाले अब एक गुजराती उद्योगपति की सफलता की कहानी को फिल्म ‘‘मेड इन चाइना’’ में लेकर आ रहे हैं. गुजराती उद्योगपति की भूमिका में राजकुमार राव हैं. जबकि फिल्म में मौनी राय और बोमन इरानी की भी अहम भूमिकाएं हैं.

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दे दे प्यार दे: रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘दे दे प्यार दे’’ के साथ अजय देवगन पूरे 9 साल के बाद किसी रोमांटिक फिल्म में अभिनय करते नजर आएंगे. फिल्म के निर्देशक आकिव अली की यह पहली फिल्म है.

लुका छुपी: उत्तर प्रदेश के शहर मथुरा की पृष्ठभूमि की इस रोमांटिक कौमेडी फिल्म की कहानी एक टीवी रिपोर्टर की है, जो कि एक सशक्त महिला से प्यार कर बैठता है. लक्ष्मण उतेकर निर्देशित फिल्म में कृति सैनन व कार्तिक आर्यन की मुख्य भूमिका है.

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एक लड़की को देखा तो ऐसा लगाः शैली चोपड़ा धर निर्देशित फिल्म ‘‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’’ में अनिल कपूर और उनकी बेटी सोनम मुख्य किरदार में हैं. इस फिल्म में सोनम कपूर ने लेसबियन का किरदार निभाया है. इतना ही नहीं इस फिल्म में राजकुमार राव व जुही चावला भी नजर आएंगे.

द जोया फैक्टरः मशहूर उपन्यासकार अनुजा चौहाण के 2008 में प्रकाशित इसी नाम के उपन्यास पर बनी फिल्म में सोनम के आहुजा व दुलकेर सलमान नजर आएंगे, जिसका निर्देशन अभिषेक शर्मा कर रहे हैं. 5 अप्रैल को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘जोया फैक्टर’’ में जोया की कहानी है, जिसे भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडी निखिल खोदा अपना लकी चार्म मानते हैं. जब विश्व कप के समय जोया टीम के साथ यात्रा करती है, तो दोनों के बीच प्यार पनपता है.

इंडियाज मोस्ट वांटेड: 2012 से 2014 के बीच एक आतंकवादी को पकड़ने के लिए चलाई गई मुहीम पर आधारित इस फिल्म के निर्देशक राजकुमार गुप्ता हैं. जबकि मुख्य भूमिका अर्जुन कपूर की है.

मेंटल है क्याः हास्य व अपराध पर आधारित इस कहानी में सफलतम फिल्म ‘क्वीन’ की जोड़ी यानी कि राजकुमार राव व कंगना रानौट नजर आएंगे. प्रकाश कोवेलमुडी निर्देशित इस फिल्म में अमायरा दस्तूर व जिम्मी शेरगिल की अहम भूमिका है.

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मरजावा: हिंसात्मक प्रेम कहानी प्रधान फिल्म ‘‘मरजावां’’ में सिद्धार्थ मल्होत्रा, रितेश देशमुख, तारा सुखारिया और रकुल प्रीत सिंह नजर आएंगी. इस हार्ड हिंटिंग एक्शन फिल्म के निर्देशक मिलाप जवेरी हैं.

अर्जुन पटियाला: पुलिस व अपराध की पृष्ठभूमि में पंजाब के एक छोटे शहर की कहानी वाली फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ में दिलजीत दोशांज पुलिस अफसर के किरदारार में हैं. इस फिल्म में कृति क्राइम रिपोर्टर के किरदार में होगी. अपराधी के किरदार जीशान कादरी हैं.

प्रस्थानमः दक्षिण की सुपर हिट पोलीटिकल ड्रामा फिल्म ‘‘प्रस्थानम’’ से अभिनेता संजय दत्त फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सात वर्ष बाद वापसी कर रहें हैं. वह इस फिल्म में मुख्य भूमिका भी निभा रहे हैं. इसके अलावा इस फिल्म में उनके बेटे के किरदार में अली फैजल भी हैं. फिल्म के निर्देशक देवा पट्टा हैं.

कबीर सिंह: तेलगू की सुपर हिट फिल्म ‘‘अर्जुन रेड्डी’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘कबीर सिंह’’ में शाहिद कपूर की मुख्य भूमिका में हैं फिल्म के निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा हैं.

साहो: ‘‘बाहुबली’’ फेम दक्षिण के अभिनेता प्रभास, श्रद्धा कपूर के साथ नजर आएंगे. फिल्म के निर्देशक सुजीत हैं. यह हिंदी, तमिल व तेलगू इन तीन भाषाओँ में बनी है.

साइना: कई बाल फिल्में निर्देशित कर चुके अमोल गुप्ते मशहूर बैटमिंटन खिलाड़ी ‘‘साइना नेहवाल’’ के जीवन पर आधारित इस फिल्म को निर्देशित कर रहें हैं, जिसमें साइना की मुख्य भूमिका में श्रद्धा कपूर हैं. उनके कोच के किरदार में ईशान नकवी हैं.

स्टूडेंट औफ द ईयर 2: 2012 की सफलतम फिल्म ‘‘स्टूडेंट औफ द ईयर’’ की इस सिक्वअल फिल्म का निर्देशन पुनीत मल्होत्रा कर रहे हैं. जबकि इस फिल्म में टाइगर श्रौफ, अनन्या पांडे, तारा सुतारिया व गुल पनाग अभिनय कर रहे हैं.

छपाकः एसिड अटैक में जीवित बचने वाली लक्ष्मी अग्रवाल की हृदय विदारक कहानी पर आधारित फिल्म ‘‘छपाक’’ का निर्देशन मेघना गुलजार कर रही हैं. इस फिल्म में दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसे की जोड़ी होगी. इसके अलावा बतौर निर्माता दीपिका की यह पहली फिल्म होगी.

रौ- रोमियो अकबर वाल्टरः रौबी ग्रेवाल निर्देशित फिल्म ‘रोमियो अकबर वाल्टर’’ एक सत्य घटना पर आधारित रोमांचक फिल्म है, जिसे 80 जगहों पर फिल्माया गया है. इसमें जौन अब्राहम, जैकी श्रौफ और मौनी राय की मुख्य भूमिका हैं.

टोटल धमालः इंद्र कुमार इरानी एक बार फिर अपनी हास्य फिल्म ‘‘धमाल’’ की अगली सीरीज लेकर आ रहे हैं, जिसमें अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित,जावेद जाफरी, रितेश देशमुख व अरशद वारसी की अहम भूमिका है.

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पानीपतः ऐतिहासिक फिल्मों को बड़े स्तर पर लेकर आने वाले फिल्म निर्देशक आशुतोष गोवारीकर इस बार एक ऐतिहासिक पात्र व मराठा कमांडर सदाशिवराव भाउ की जीवनी को फिल्म ‘‘पानीपत’’ में चित्रित कर रहे हैं. इस फिल्म को फिल्माने के लिए कर्जत के एनडी स्टूडियो में खासतौर पर सेट तैयार किया गया है. फिल्म में अर्जुन कपूर के साथ संजय दत्त की भी अहम भूमिका है.

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मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टरः मुंबई के स्लम क्षेत्र की पृष्ठभूमि में शौचालय जाने वाली लड़कियों के साथ होने वाले बलात्कार कि कथा को निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा फिल्म ‘‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’’ में पेश कर रहे हैं. वैसे तो कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो अपनी मां के लिए शौचालय बनवाना चाहता है. फिल्म के कलाकार हैं रसिका अगासे, सोनिया अलबिजवारी, सानिया आनंद व आदर्श भारती.

बदलाः फिल्म ‘पिंक’ फेम सुजाय घोष की अपराध पर आधारित फिल्म ‘‘बदला’’ में अमिताभ बच्चन व तापसी पन्नू की मुख्य भूमिका है. फिल्म में तापसी पन्नू स्कौटलैंड में रह रही बिजनेस वुमैन के किरदार में नजर आएंगी.

द स्काय इज पिंक: लोगों को मोटीवेट करने वाली वक्ता आएशा चौधरी के जीवन पर आघारित फिल्म ‘‘द स्काय इज पिंक’’ में प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख्तर व जया वासिम की मुख्य भूमिका है. फिल्म की निर्देशक सोनाली बोस हैं.

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गली ब्वायः मुंबई रैपर डिवाइन और नैवेजी के जीवन से प्रेरित इस फिल्म में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट रैपर्स की भूमिका में है. फिल्म की निर्देशक जोया अख्तर हैं.

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सोन चिड़िया: इस बार निर्देशक अभिषेक चौबे डाकुओं के जीवन पर फिल्म ‘‘सोन चिड़िया’’ लेकर आ रहे हैं, जिसे उन्होंने चम्बल घाटी में फिल्माया है. इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत, भूमि पेडनेकर और मनोज बाजपेयी की मुख्य भूमिका है.

केसरीः अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा के अभिनय से सजी पीरियाडिक, एतिहासिक ओर देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्म ‘‘केसरी’’ की कहानी 1897 के सारागढ़ी युद्ध की है, जहां 21 सिख जवानों ने दस हजार अफगान सैनिकों से लोहा लेते हुए विजय पताका फहराई थी. करण जोहर व अक्षय कुमार द्वारा निर्मित इस फिल्म के निर्देशक अनुराग सिंह हैं.

झुंड: मराठी भाषा की फिल्म ‘‘सैराट’’ का निर्देशन कर शोहरत बटोरने वाले नागराज मजुंले अब अमिताभ बच्चन को लेकर फिल्म ‘‘झुंड’’ बना रहे हैं. यह फिल्म फुटबाल कोच विजय बरसे की बायोपिक है, जो ‘स्लम सौकर’ एनजीओ के फाउंडर हैं. और स्लम एरिया के बच्चों को फुटबाल सिखाने का काम करते हैं. अब तक पचास हजार बच्चां को वह ट्रेनिंग दे चुके हैं. इस फिल्म में इस बात का भी चित्रण होगा कि स्पोर्ट्स/खेल किस तरह से बच्चों के बीच बढ़ते ड्रग्स एब्यूज व अपराध जैसे मुद्दों पर उनकी मदद कर सकता है. फुटबाल खेलने का मौका पाकर बच्चे न सिर्फ शारीरिक रूप से फिट होते हैं, बल्कि टीम निर्माण, आत्म सम्मान, दोस्ती, समाज के साथ एकजुटता, आत्म विश्वास और रचनात्मकता जैसे कौशल में निपुण होते हैं.

पेट्टाः औनर किलिंग जैसे विषय पर आधारित निर्देशक कार्तिक सुब्बा राज की इस फिल्म में रजनीकांत के साथ ही नवाजुद्दीन सिद्दिकी भी हैं. इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग लखनउ में हुई है.

भारतः ‘ट्यूबलाइट’ व ‘रेस 3’ सहित कई असफल फिल्मों के बाद अब सलमान खान को फिल्म ‘‘भारत’’ से काफी उम्मीदे हैं. अली अब्बास जफर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में सलमान खान के साथ कटरीना कैफ हैं. यह 2014 की सफल कोरियन फिल्म ‘‘ओड टू माई फादर’’ का भारतीय करण है. इसमें सलमान खान के पांच लुक है. फिल्म में तब्बू और दिशा पाटनी भी हैं.

सुपर 30: बिहार में ‘‘सुपर 30’’की शुरुआत करने वाले गणित के शिक्षक आनंद कुमार के जीवन पर आधारित फिल्म ‘‘सुपर 30’’ में आनंद कुमार के किरदार में रितिक रोशन हैं.

कलंकः 19 अप्रैल 2019 को प्रदर्शित होने वाली करण जोहर निर्मित फिल्म ‘‘कलंक’’ 1940 की पृष्ठभूमि पर आधारित एक एपिक फिल्म है. फिल्म में बंटवारे का दर्द भी है. इस फिल्म की कल्पना करण जोहर और उनके पिता यश जोहर ने 15 वर्ष पहले की थी. फिल्म ‘‘कलंक’’ में माधुरी दीक्षित, संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, आलिया भट्ट, वरूण धवन व आदित्य रौय कपूर हैं. जबकि करण जोहर इस फिल्म का निर्माण अपनी कंपनी ‘‘धर्मा प्रोडक्शन’’ के साजिद नाड़ियावाला व फौक्स स्टार स्टूडियो के साथ मिलकर कर रहे हैं. फिल्म के निर्देशक अभिषेक वर्मन हैं व कहानी शिबानी बठीजा ने लिखी है.

‘‘कलंक’’ ऐसी फिल्म है, जिसमें 1997 में प्रदर्शित फिल्म ‘महानता’ के 21 वर्ष बाद संजय दत्त और माधुरी दीक्षित एक साथ काम कर रहे हैं.

शकीलाः दक्षिण की सर्वाधिक चर्चित बोल्ड अदाकारा शकीला खान की जिंदगी पर इंद्रजीत लंकेश एक अति बोल्ड बायोपिक फिल्म ‘‘शकीला’’ बना रहे हैं, जिसमें शीर्ष भूमिका में रिचा चड्ढा हैं. दक्षिण भारत में हर फिल्म के प्रदर्शन के साथ ही शकीला की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती गयी. हालात ऐसे हो गए थे कि पुरुष कलाकारों के बनिस्बत शकीला की इज्जत काफी अधिक थी.

मिशन मंगलः 15 अगस्त को प्रदर्शित होने वाली भारत की पहली स्पेस फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ मंगल यान मिशन की है. फिल्म में एक महिला वैज्ञानिक की कहानी को सूत्रधार के रूप में अक्षय कुमार पेश कर रहे हैं, जो कि इस फिल्म के निर्माण से भी जुड़े हुए हैं. फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ में विद्या बालन, कीर्ति कुल्हारी, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, नियति मोहन और शर्मन जोशी भी अभिनय कर रहे हैं.

ब्रम्हास्त्रः अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर व आलिया भट्ट है.

ड्रीम गर्लः राज शांडिल्य निर्देशित फिल्म ‘‘ड्रीम गर्ल’’ एक प्रयोगात्मक फिल्म है, जिसमें आयुष्मान खुराना कौल सेंटर कर्मचारी की भूमिका में हैं.

हंटरः नवदीप सिंह निर्देशित बदले की कहानी पर आधारित इस फिल्म में सैफ अली खान नजर आएंगे.

हाथी मेरे साथीः प्रभु सोलोमन के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘हाथी मेरे साथी’’ में राणा डग्गुबट्टी के साथ कई हाथी होंगे.

गुड न्यूजः इस फिल्म में अक्षय कुमार और करीना कपूर खान ऐसे दंपति की भूमिका में हैं, जो कि अपना बच्चा चाहते हैं. अंत में वह ‘आई वीएफ’ तकनीक को अपनाते हैं.

दीन दयाल उपाध्यायः पं. दीन दयाल उपाध्याय की इस बायोपिक फिल्म का लेखन व निर्देशन धीरज मिश्रा ने किया है. फिल्म में सभी नए कलाकार हैं.

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