रेटिंग: एक स्टार

निर्माता:इम्तियाज अली दिनेश विजन और जियोस्टूडियो

निर्देशक: इम्तियाज अली

कलाकार: कार्तिक आर्यन सारा अली खान आयुषी शर्मा रणदीप हुडा व अन्य

अवधि: 2 घंटे 22 मिनट

रॉकस्टार, (Rockstar) कभी सोचा ना था (Kabhi Socha Na Tha) जैसी फिल्मों के निर्देशक इम्तियाज अली ( Imtiaz Ali) 2009 में एक प्यारी सी प्रेम कहानी वाली फिल्म लव आज कल (Love Aaj Kal ) लेकर आए थे, जिसे काफी सराहा गया था. अब पूरे 11 वर्ष बाद इम्तियाज अली उसी फिल्म का सीक्वल लव आज कल दो लेकर आए हैं. इस फिल्म 90 के दशक और 21वीं सदी के प्यार को पेश करते हुए इम्तियाज अली जितनी खराब में खराब फिल्म बना सकते थे ,इतनी खराब फिल्म मनाई है.

कहानी

फिल्म फिल्म शुरू होने पर दर्शक कि समझ में नहीं आता की फिल्म शुरू हो गई या वह अभी भी फिल्म का ट्रेलर देख रहा है. फिल्म की शुरुआत के पहले दृश्य मैं स्कूल के बाहर रघु से लीना कहती है कि कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो और रघु कहता है कि मैं नहीं कर रहा. फिल्म के दूसरे दृश्य में वीर से जोई कहती है कि तुम मेरे साथ सेक्स नहीं कर सकते ,तो फिर मेरा पीछा क्यों कर रहे हो. इसके बाद पता चलता है कि माजी  नामक एक कैफे मैं जोई (सारा अली) (Sara Ali Khan) बैठी हुई है वह वहीं पर बैठकर अपनी इवेंट कंपनी खड़ी करने के लिए काम की तलाश कर रही है उसका पीछा करते हुए वहीं पर वीर (कार्तिक आर्यन) (Kartik Aaryan) पहुंच जाता है. दोनों में बात होती है और   जोई , वीर के साथ वीर के घर पहुंच जाती है.

ये भी पढ़ें- असल जिंदगी का प्यार फिल्मों से बहुत अलग होता है- सारा अली खान

और वीर के साथ हमबिस्तर होकर सेक्स करना चाहती हैं. पर वीर उसे  एक स्पेशल लड़की  मानकर ऐसा करने से मना कर देता है.  इससे जो ई  नाराज हो जाती हैं. पर वीर उसका पीछा करना नहीं छोड़ता यह सब देख कर माजी कैफे का मालिक जो ई को अपनी जवानी की प्रेम कहानी को बताना शुरु करता है. तो पता चलता है कि जवानी में यह रघु थे, जिन्हें लीना से प्यार हुआ था. उसके बाद रघु और लीना की प्रेम कहानी के साथ-साथ वर्तमान में वीर और जोईकी प्रेम कहानी चलती रहती है. कैफे के मालिक उर्फ रघु अपनी कहानी को जिस तरह से पेश करते हैं उससे प्रभावित होकर जो अली अपनी मां की सलाह को दरकिनार कर कैरियर को भूल कर वीर के साथ हमबिस्तर होकर पूरी जिंदगी बिताने का निर्णय ले लेती है. एक दिन वीर जब जो ई को अपने माता-पिता से मिलाने ले जाता है ,तो उस वक्त जो ई की मां उसेसे कुछ ऐसा कह देती है की वीर के घर पहुंचते ही जो ई को लगता है कि कैरियर को छोड़कर शादी करने का गलत निर्णय ले रही है. और वह वीर के माता-पिता के सामने ही वीर से अलग होने की बात कह देती है. उसके बाद फिर कैफे का मालिक यानी कि रघु अपनी जिंदगी की कहानी को सुनाता है उधर जो ई बहुत बड़ी इवेंट कंपनी की मालकिन हो जाती है. पर उसे लगता है जिंदगी में कुछ कमी है जबकि वीर हिमालय में पानी बचाने को मुद्दों पर काम करने पहुंच गया है खैर रघु को दोबारा लीना नहीं मिली थी पर जो ई को एहसास होता है कि उसने वीर को छोड़कर गलती की तो वह वीर के पास हिमालय पर पहुंच जाती है.

लेखन और निर्देशन:

इस फिल्म मैं इम्तियाज अली ने कैरियर निजी जिंदगी और प्यार के बीच सामंजस्य बैठाने के मुद्दे को उठाया है मगर पहले दृश्य से ही वह पूरी तरह से कंफ्यूज नजर आते हैं निर्देशक के तौर पर इम्तियाज अली ने हर रिश्ते को जितना जितने बना सकते थे इतना जटिल बनाने की पूरी कोशिश की पर वह कहना क्या चाहते हैं या स्पष्ट नहीं हो पाया फिल्म की कहानी के नाम पर बेसिर पैर की कहानी है फिल्म की  पटकथा बहुत ही खराब है फिल्म कब अतीत में जाती है कब वर्तमान में आ जाती है कुछ समझ में नहीं आता कुछ दृश्यों में अतीत और वर्तमान के दृश्य समानांतर चलते रहते हैं

जिन लोगों ने इम्तियाज अली की रॉकस्टार या पहली वाली लव आज कल देखी है उन सब को इस फिल्म से घोर निराशा होगी निर्देशक के तौर पर इम्तियाज अली अब तक इससे घटिया फिल्म नहीं दी होगी फिल्म में फूहर और अश्लील संवादों की भरमार है इतना ही नहीं निदेशक ने मान लिया है कि दर्शक सिर्फ सेक्स और बोल्ड व किसिंग  दृश्य देखने के लिए ही फिल्म देखने आता है इसी के चलते अंदर इस तरह के दृश्य जबरन ठोसे गए हैं.

ये भी पढ़ें- सच्चा प्यार मिलना आजकल काफी मुश्किल है– कार्तिक आर्यन

अभिनय

जहां तक अपने का सवाल है तो जब निर्देशन कहानी और पटकथा ही गड़बड़ हो तो कलाकारों से अच्छे अपने की उम्मीद करना भी बेमानी हो जाता है वैसे भी कार्तिक आर्यन निर्देशक के कलाकार  है पर अफसोस इस फिल्में कार्तिक आर्यन को निर्देशक की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल पाया परिणाम था इस फिल्म में रघु और वीर दोनों ही किरदारों में वह दर्शकों का दिल नहीं जीत पाते अब तक कार्तिक आर्यन फिल्म दर फिल्म अपनी परफॉर्मेंस को लेकर सराहना बटोर रहे थे पर इस फिल्म से उनकी अभिनय क्षमता पर सवालिया निशान खड़े होते हैं फिल्म केदारनाथ से सारा अली खान ने खुद को बेहतरीन अदाकारा साबित किया था मगर अफसोस इस फिल्म में उन्होंने भी निराश किया है और इसके लिए भी उससे कहीं ज्यादा गलती फिल्म की पटकथा और निर्देशक की है  वह जोई के किरदार की गहराई में उतर पाने में कमतर साबित हुई हैं. नवोदित आरुषि शर्मा ने लीना के रूप में सहज और सुंदर अभिनय किया है. रणदीप हुडा का कैरियर ढलान पर है और इस फिल्म से उनके करियर में कोई अच्छा बदलाव नहीं आ पाएगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...