खांस-खांसकर बुरा हाल है तो इसे हल्के में न लें, हो सकते हैं कैंसर के संकेत

शिवानी हर समय गले में दर्द और खांसी रहने की समस्या से परेशान रहती थी. उसने पहले घरेलू नुस्खे अपनाये. फिर आराम न मिलने पर डाक्टर से मिली और बोला,” डॉक्टर साब इतनी दवाइयां कर लीं पर आराम नहीं.”

इस पर डॉक्टर ने कहा,”थ्रोट कैंसर यानी गले के कैंसर में कई तरह के कैंसर शामिल होते हैं जिसमें लैरिनिक्स, फैरिनिक्स और टॉन्सिल्स के कैंसर होते हैं. इनके अलग-अलग लक्षण होते हैं जिनसे कैंसर का पता चलता है. इन लक्षणों पर ध्यान देकर तुरंत इलाज की जरूरत होती है. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत , हेड व नेक कैंसर के सर्जन डॉक्टर अक्षत मलिक का मानना है कि इन लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज कराना बेहद महत्वपूर्ण है.

गले के कैंसर के जो लक्षण होते हैं हालांकि दूसरी अन्य बीमारियों के कारण भी सामने आते हैं, लेकिन अगर ये लक्षण लगातार 2-3 हफ्तों तक दिखाई दे और वक्त के साथ-साथ हालात बिगड़ते जाएं तो इन्हें दरकिनार नहीं करना चाहिए.

लक्षण

लगातार आवाज बैठना या आवाज में बदलाव: अगर किसी का गला लगातार बैठा रहता है या आवाज दबी रहती है तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

गला सूखा: अगर गला सूखा रहने की परेशानी पुरानी है या फिर लगातार ऐसा रहता है और सामान्य इलाज से भी ठीक नहीं होता तो इसे इग्नोर न करें.

निगलने में समस्या: अगर खाना निगलने में दिक्कत हो रही है तो ये ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं.

लगातार खांसी: आमतौर पर लोग खांसी बहुत हल्के में लेते हैं लेकिन अगर सांस की दिक्कत आदि न हो और फिर भी लगातार खांसी रहती है तो दिखाने की जरूरत है.

एस्पिरेशन: कुछ निगलने पर खांसी आती है तो समस्या है. ऐसा हवा के पाइप में खाना जाने के कारण भी हो सकता है.

कान में दर्द: एक या दोनों कानों में बिना किसी खास वजह के दर्द होना भी गले में समस्या के कारण हो सकता है.

वजन कम होना: अचानक यूं ही वजन कम हो जाना, खाना निगलने में परेशानी और खाने की आदतों में बदलाव भी कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.

गर्दन में गांठ: अगर गर्दन में गांठ हो या सूजन हो तो ये बढ़े हुए लिम्फ नोड्स के कारण हो सकता है और इससे कैंसर फैलने के संकेत मिलते हैं.

सांस लेने में कठिनाई: अगर गले का कैंसर एडवांस स्टेज में हो तो इससे सांस की समस्या भी हो सकती है.

लगातार सांस में बदबू: अगर आप टूथब्रश करते हैं और मुंह साफ करने के अन्य तरीके भी अपनाते हैं और फिर सांसों में बदबू रहती है तो ये चिंता का कारण हो सकता है.

डॉक्टर के मुताबिक ये सभी लक्षण किसी कम गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकते हैं. लेकिन अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं. ऐसा करने से ट्यूमर होने की स्थिति में जल्दी डायग्नोज हो जाएगा और इलाज से इसे ठीक करना संभव रहेगा. वहीं, जो लोग स्मोकिंग करते हैं, तंबाकू का सेवन करते हैं, शराब पीते हैं वैसे लोग रेगुलर चेकअप कराएं और अपनी सेहत की मॉनिटरिंग रखें.

अपनी सेहत को सबसे ऊपर रखें, अवेयरनेस बढ़ाएं, समय पर डॉक्टर से सलाह लें और बेहतर इलाज लें ताकि गले के कैंसर के खिलाफ लड़ाई को जीता जा सके.

पोषक तत्वों का खजाना है मिलेट्स, जाने इसे कैसे करें खाने में शामिल

अच्छी सेहत के लिए सब से महत्त्वपूर्ण होता है कि आप क्या खा रहे हैं. यदि आप भी खाने में किसी हैल्दी औप्शन की तलाश कर रहे हैं तो nएक खाद्य अनाज जिसे आप को अपने आहार में शामिल करने की आवश्यकता है तो वह है मिलेट्स. मिलेट्स एक प्रकार का मोटा अनाज होता है जोकि गेहूं, चावल के समान होता है लेकिन उस में दूसरे अनाजों के मुकाबले अधिक पोषण और स्वास्थ्य लाभ होते हैं. मिलेट्स के कई प्रकार होते हैं जैसेकि ज्वार, बाजरा, रागी और प्रोसो मिलेट्स आदि.

मिलेट्स के बारे में सब से अच्छी बात यह है कि आप इसे खाने से कभी बोर नहीं हो सकते क्योंकि यह कई रूपों में उपलब्ध है और आसानी से पकाया जा सकता है. सभी तरह के मिलेट्स अलगअलग गुणों से भरपूर होते हैं. ये सब स्वास्थ्य के लिए समान रूप से अच्छे हैं और बेहद पौष्टिक हैं. तभी तो इसे ‘सुपर ग्रेन्स’ के रूप में जाना जाता है. अपने आहार में मिलेट्स का उपयोग कर के आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर
बना सकते हैं.

मिलेट्स के प्रकार

ज्वार: ज्वार भारत में एक पौपुलर मिलेट्स है और इसे अकसर रोटी, डोसा और चावल के रूप में खाया जाता है. यह फाइबर और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है और यह ग्लूटेन फ्री होता है जिस से ग्लूटेन ऐलर्जी वाले लोग भी इस का सेवन कर सकते हैं.

बाजरा: बाजरा विटामिन बी, फौलेट और ऐंटीऔक्सीडैंट्स का अच्छा स्रोत होता है. बाजरे को रोटी और खिचड़ी के रूप में खाया जाता है.

रागी: रागी उच्च प्रोटीन और कैल्सियम का स्रोत होता है. यह खासतौर पर साउथ इंडिया में पसंद किया जाता है और डोसा, इडली और रोटी के रूप में बना कर खाया जाता है.

कोरा: यह फाइबर और विटामिन का अच्छा स्रोत होता है. यह स्वादिष्ठ पुलाव और उपमा के रूप में खाया जा सकता है.

प्रोसो: यह विटामिंस, मिनरल्स और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है.

मिलेट्स के हैल्थ बैनिफिट्स: मिलेट्स कई तरह से हमारी हैल्थ के लिए फायदेमंद है:

पौष्टिकता: मिलेट्स विटामिन ए, विटामिन बी, मिनरल्स, फास्फोरस, पोटैशियम, ऐंटीऔक्सीडैंट, नियासिन, कैल्सियम और आयरन, प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत होता है. यह हमारे शरीर को सभी महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व देता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है. बाजरा में कई पोषक तत्त्वों का भंडार होता है.

वजन नियंत्रण: मिलेट्स का सेवन करने से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि इस में फाइबर होता है जो भूख को कम करता है.

दिल का स्वास्थ्य: मिलेट्स खराब कोलैस्ट्रौल को कम करने में भी मदद करता है जो हृदयरोग के लिए एक जोखिम कारक है. इस में ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं जो दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इसे खाने से दिल की बीमारियों का रिस्क कम होता है.

मधुमेह में फायदेमंद: मिलेट्स में ग्लाइसेमिक इंडैक्स कम होता है जिस का अर्थ है कि उस का रक्त शर्करा के स्तर पर कम प्रभाव पड़ता है. यह मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए फायदेमंद हो सकता है.
कैंसर प्रतिरोधक: मिलेट्स में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट्स कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकते हैं.

पेट के लिए अच्छा: मिलेट्स में मौजूद अघुलनशील फाइबर प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है जो आंत में अच्छे बैक्टीरिया का प्रवेश कराता है. मिलेट्स में फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. साबूत अनाज के रूप में सेवन करने पर फाइबर की मात्रा अधिक होती है और इस प्रकार यह पुरानी कब्ज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है.

ग्लूटेन मुक्त विकल्प: यदि आप को सीलिएक रोग या ग्लूटेन संवेदनशीलता है तो बाजरा गेहूं और जौ जैसे ग्लूटेन युक्त अनाज का एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है.

ऐंटीऔक्सीडैंट: मिलेट्स ऐंटीऔक्सीडैंट से भरपूर होता है जिस से इसे खाने से संभावित रूप से पुरानी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

हड्डियों का स्वास्थ्य: मिलेट्स कैल्सियम और फास्फोरस जैसे आवश्यक खनिजों का एक स्रोत है जो स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

कैसे खाएं मिलेट्स

मिलेट्स से तैयार किए जाने वाले विभिन्न पदार्थ खाने में स्वादिष्ठ होते हैं और स्वास्थ्यपूर्ण भी होते हैं. ये अपेक्षाकृत जल्दी पक जाते हैं और बिना किसी परेशानी के आप के दैनिक भोजन का हिस्सा बन सकते
हैं. आप इसे कई तरह से अपने आहार में शामिल कर सकते हैं.

मिलेट्स की रोटी, मिलेट्स की खिचड़ी, पुलाव, मिलेट्स की इडली, डोसा, उपमा और पोहे, मिलेट्स की ब्रैड, डैजर्ट्स, मिलेट्स का सूप आदि. सभी प्रकार के मिलेट्स को आप उपलब्धता के आधार पर अपने आहार में शामिल कर सकते हैं. यह पूरे साल बाजार में उपलब्ध रहता है. वैसे कुछ खास मिलेट्स खास मौसम में ज्यादा उपयोगी होता है मसलन:

सर्दी: सर्दी के लिए सब से अच्छा मक्का है. यह विशेष रूप से इसी समय उगाया जाता है. यह तासीर में भी गरम होता है.

गर्मी: पूरी गरमी में ज्वार और रागी का उपयोग करें. चिलचिलाती गरमी के दिनों में ये आप को हाइड्रेटेड रहने और आप के शरीर के तापमान को कम करने में मदद कर सकते हैं.

मिलेट्स खाने में कुछ सावधानियां भी जरूर रखें:

मिलेट्स अपने कई फायदों के कारण भोजन के लिए हैल्दी औप्शन है. लेकिन इसे खाने में कुछ सावधानियां रखनी भी जरूरी हैं तभी आप को इस का पूरा लाभ मिलेगा.

इस में मौजूद फाइटिक ऐसिड अन्य पोषक तत्त्वों के अवशोषण को कम कर सकता है. साथ ही यह कुछ लोगों के पेट के स्वास्थ्य के लिए भी परेशानी भरा हो सकता है. इसलिए इस को अपने आहार में शामिल करने से पहले उसे भिगोना चाहिए. भिगोने से उस में मौजूद फाइटिक ऐसिड की कमी होती है. मिलेट्स को भिगो कर, अंकुरित कर के खाने से इस के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं.

ज्वार और बाजरा वाले मिश्रण पर स्विच करने से पहले हलके अनाज जैसे रागी और फौक्सटेल बाजरा से शुरुआत करना बेहतर है. मिलेट्स में गोइट्रोजन भी होते हैं जो आयोडीन के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकते हैं जिसे खाना पकाने की प्रक्रिया में कम किया जा सकता है. इसलिए हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों को मिलेट्स से दूर रहना चाहिए.

मिलेट्स का सेवन करते समय भरपूर मात्रा में पानी पीना सुनिश्चित करें क्योंकि इस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. अगर आप मिलेट्स खाने के साथसाथ पानी नहीं पीते हैं तो इस से आप को पाचन संबंधी समस्या हो सकती है और निर्जलीकरण भी हो सकता है.

इम्यूनिटी बूस्ट करें

हमेशा फ्रैश मिलेट्स खाएं. कुछ लोगों की आदत होती है कि कई दिन पुराना मिलेट्स भी खा लेते हैं. ऐसा करना बिलकुल सही नहीं है. हमेशा ताजा मिलेट्स का सेवन करें. बिलकुल उसी तरह जैसे आप ताजा फल या सब्जियों का सेवन करते हैं.

मात्रा संतुलित रखें. मिलेट्स भले ही कई पोषक तत्त्वों का अच्छा स्रोत है, इस की मदद से इम्यूनिटी को बूस्ट किया जा सकता है, इस के बावजूद आप को यह सलाह दी जाती है कि अपनी डाइट में दूसरी तरहतरह की चीजों को भी शामिल करें जैसे दलिया, सलाद, फल आदि. इस से शरीर में पोषक तत्त्वों का बैलेंस बना रहेगा. डाइट में मिलेट्स के साथसाथ प्रोटीन, फैट और बैलेंस्ड डाइट का भी संतुलन बनाए रखें.
अधिक मात्रा में सेवन न करें जैसाकि किसी भी चीज की अति सही नहीं होती है. इसी तरह मिलेट्स का भी ज्यादा मात्रा में सेवन करना सही नहीं है.

स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि आप ज्यादा मात्रा में रिफाइंड मिलेट्स का सेवन न करें. इस से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. ज्यादा मसाले से न पकाएं. अकसर लोग मोटा अनाज को काफी मसालों के साथ पकाते हैं. ऐसा करना सही नहीं है. मसालों की वजह से भले यह खाने में स्वादिष्ठ हो जाए लेकिन पोषक तत्त्वों में कमी होने लगती है. इसे हलकेफुलके मसालों के साथ पकाया जा
सकता है.

मुझे अपनी फिगर को बरकरार रखने के लिए क्या करना चाहिए?

सवाल-

मैं 30 वर्षीया महिला हूं. मेरा वजन 70 किलो है और लंबाई 5.1 फुट है. मुझे अपनी फिगर को बरकरार रखने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

आपने सही समय रहते अपने फिगर को बरकरार रखने के विषय में सोचा है. खाने पर थोड़ा कंट्रोल कीजिए और सुबह पार्क में जाकर टहलिए व एक्सरसाइज कीजिए. दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीजिए. हो सके तो हिलतेडुलते रहने वाले कार्य कीजिए, एक ही जगह पर बैठने वाले नहीं. इस तरह आप अपने वजन को बरकरार रख पाएंगी. यह भी हो सकता है कि आप की फिगर पहले से और बेहतर हो जाए.

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शारीरिक फिटनेस को ले कर हमेशा यह उलझन रही है कि कौन सी गतिविधियां सुडौल और छरहरे बदन के लिए मददगार हैं. हम में से ज्यादातर लोग बाहर घूमने से परहेज करते हैं, क्योंकि हम अपनी अन्य समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा समय बिताते हैं.

साइकिलिंग हम में से उन लोगों के लिए एक खास विकल्प है, जो जिम की चारदीवारी से अलग व्यायाम संबंधी अन्य गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. साइकिल पर घूमना शारीरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. आप साइकिल के पैडल मार कर ही यह महसूस कर सकते हैं कि आप की मांसपेशियों में उत्तेजतना बढ़ी है. शारीरिक गतिविधि एड्रेनलिन से संबद्ध है, जो आप को बेहद ताकतवर कसरत का मौका प्रदान करती है. यह आप को बाकी व्यायाम के लिए भी उत्साहित करती है.

जिम की तुलना में जिन कारणों ने साइकिलिंग को अधिक प्रभावी बनाया है, वे मूलरूप से काफी सामान्य हैं. शरीर में सिर्फ एक मांसपेशी के व्यायाम के तहत आप को हमेशा दिल को तरजीह देनी चाहिए. इस का मतलब है दिल के लिए कसरत करना जिस से दिल संबंधी विभिन्न रोगों का जोखिम घटता है. महज एक स्वस्थ शरीर की तुलना में स्वस्थ दिल अधिक महत्त्वपूर्ण है.

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मैंस्ट्रुअल कप्स उन दिनों की चिंता से आजादी

मैंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन यों तो भारत में आम नहीं हुआ है, मगर महिलाओं के लिए यह कितना उपयोगी है, जरूर जानिए… समाचारपत्रों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 75% सैनिटरी पैड्स तयशुदा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और इन से मूत्र संक्रमण एवं गर्भाशय संक्रमण से ले कर गर्भाशय कैंसर तक का खतरा है. जो सुरक्षित हैं, वे बहुत महंगे हैं और कोई फुल डे तो कोई फुल नाइट प्रोटैक्शन की बात करता है इसलिए भी 5-6 घंटे में बदले नहीं जाते.

अभी केवल 12% भारतीय महिलाएं इस विकल्प को वहन कर सकती हैं फिर भी औसतन किसी महिला के अपने जीवनकाल में 125-150 किलोग्राम टैंपन, पैड और ऐप्लिकेटर प्रयुक्त करने का अनुमान है. प्रतिमाह भारत में 43.3 करोड़ ऐसे पदार्थ कूड़े में जाते हैं, जिन में से अधिकांश रिवर बैड, लैंडफिल या सीवेज सिस्टम में भरे मिलते हैं क्योंकि एक तो ठीक से डिस्पोज करने की व्यवस्था नहीं होती और दूसरा अपशिष्ट बीनने वाले सफाईकर्मी हाथों से सैनिटरी पैड्स और डायपर्स को अलग करने के प्रति अनिच्छुक होते हैं, जबकि उन को अलग कर के उन्हें जलाने के लिए तैयार करना भारत सरकार की नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंग नियमों के तहत आवश्यक है.

मैंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन भारत में अभी आम नहीं हुआ है. छोटे ही नहीं, बड़े शहरों में भी बहुत कम महिलाएं इन का उपयोग करती हैं.

मैंस्ट्रुअल कप्स के कम प्रचलन के कारण

सब से पहला और सब से बड़ा तो यही कि अभी तक कई लोगों ने इस के बारे में सुना भी नहीं है.
हमारे शरीर की रचना के प्रति ही इतनी अनभिज्ञता है कि इसके सही प्रयोग का तरीका नहीं पता होता.
द्य आज भी समाज में दाग लगने का हौआ इतना है कि मासिकस्राव शुरू होने से पहले ही इस का ट्रायल करने के बारे में सोचा जाता है जबकि सर्विक्स माहवारी के दौरान ही इतना नर्म और लचीला होता है कि इसे आसानी से लगाया जा सके. बाकी दिनों में बहुत मुश्किल और कष्टप्रद होता है.

सही आकार का चुनाव भी समस्या है. यह उम्र और प्रसव के प्रकार पर निर्भर है.
शुरुआती 1-2 या 3 साइकिल तक जब तक ठीक से अनुभव न हो, इस का प्रयोग मुश्किल लगता है और अधिकांश महिलाएं इसी दौरान इस के प्रयोग का विचार त्याग देती हैं, जबकि ठीक से इस्तेमाल करने पर जरूरी नहीं कि दिक्कत हो ही.

गलत तरीके, हाइजीन का खयाल न रखने, बड़े नाखून, बलपूर्वक लगाने की कोशिश या
फिर अनुपयुक्त साइज के कप के चलते कभीकभी योनि में जलन, खुजली, सूजन या लगाने के बाद पैल्विक पार्ट में दर्द हो सकता है. इस वजह से भी कई लड़कियां इसे छोड़ देती हैं.

मैंस्ट्रुअल कप्स के फायदे

सब से पहला फायदा बचत तो है ही, साथ ही यह विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से भी बचाव करता है. सैनिटरी पैड्स या टैंपोन की तरह हाई अब्जार्बेंट मैटीरियल न होने से यह योनि के स्वाभाविक पीएच से कोई छेड़छाड़ नहीं करता, न ही टौक्सिक शौक सिंड्रोम का खतरा होता है, न ही आसपास की त्वचा में रैशेज कटनेछिलने और इन्फैक्शन का डर.

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 89% आबादी के लिए मैंस्ट्रुअल हाइजीन एक चुनौती है. गांवों में ही नहीं शहरों में भी निम्नवर्ग की महिलाएं, मजदूरिनें, भिखारिनें आदि राख, मिट्टी और प्लास्टिक की पन्नियों का इस्तेमाल करती हैं. साफ सूखे सूती कपड़े भी मिलना मुश्किल है. उन के लिए मैंस्ट्रुअल कप बहुत बड़ी राहत है.
इस के अलावा जिन का फ्लो बहुत ज्यादा होता है या जो महंगे सैनिटरी पैड्स और टैंपोन पर खर्च नहीं कर सकतीं उन के लिए भी यह बहुत काम का है.

खर्च बचाने के अलावा भी यह बहुत सुविधाजनक है. एक बार लगाने के बाद आप फ्लो की चिंता से लगभग मुक्त हो जाती हैं. शौच और स्नान के समय इसे निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती. तैराकी, राइडिंग, कूदना, दौड़भाग सब आसानी से कर सकती हैं. ये कप्स लीकेज प्रूफ होते हैं.

सब से बड़ी बात आसानी से खाली कर के साफ पानी से धो कर पुन: इस्तेमाल किए जा सकते हैं. पीरियड्स समाप्त होने के बाद 5 मिनट उबलते पानी में स्टरलाइज कर अच्छी तरह सुखा कर वापस रखे जा सकते हैं.

कौन-सा कप उचित रहेगा

आप के कपड़ों या फुटवियर्स की तरह कप्स का भी कोई स्टैंडर्ड फिक्स साइज नहीं है. स्मौल, मीडियम और लार्ज साइज हर कंपनी के अलगअलग आते हैं. सामान्य नियम है कि: हार्ड रिम वाला कप चुनें. साइज फ्लो से ज्यादा फिटिंग पर निर्भर है. हार्ड रिम वाले कप आसानी से लीक नहीं होते. अंदर जा कर खुलने और बाहर निकालने में भी सरल होते हैं. पर लड़कियां सौफ्ट रिम वाले स्मौल कप से शुरुआत कर सकती हैं.

25 वर्ष से कम आयु और वे महिलाएं जिन का सामान्य प्रसव नहीं हुआ है सिजेरियन हुआ है स्मौल साइज से शुरुआत करें.

30 से अधिक आयु या सामान्य प्रसव वाली या फिर अत्यधिक फ्लो वाली महिलाएं मीडियम या लार्ज लें.
द्य यदि किसी किस्म की ऐलर्जी या मैडिकल कंडीशन नहीं है तो पहले कम कीमत के कप्स से शुरुआत की जा सकती है. ये क्व200 से क्व500 में उपलब्ध हैं. एक बार आदत हो जाने पर अच्छे ब्रैंड के कप ले सकती हैं, जब ये 10-15 साल चल सकते हैं तो क्व1,000 से क्व1,200 की इनवैस्टमैंट भी महंगी नहीं है.

प्रयोग का तरीका

अगर आप ने टैंपून इस्तेमाल किया है तो यह भी बिलकुल वैसा ही है. पैल्विक मसल्स को बिलकुल ढीला छोड़ दें. कप की रिम (ऊपर का गोल सख्त हिस्सा) को पानी या वाटर बेस्ड लूब्रिकैंट लगा कर शेप में मोड़ लें और धीरेधीरे प्रविष्ट करें. अंदर जाते ही यह खुल जाएगा. ठीक तरह से प्रविष्ट किए जाने पर यह बाहर से नहीं दिखता और अंदर वैक्यूम बनने से लीक भी नहीं होता.

हालांकि 8 से 12 घंटे में निकालने को कहा जाता है पर बेहतर है 7-8 घंटे में खाली कर लिया जाए. इस के लिए सब से पहले कप के बेस को चुटकी से पकड़ कर सक्शन प्रैशर तोडि़ए और धीरे से नीचे की ओर बाहर खींच लीजिए. बहुत जल्दी या तेजी नहीं दिखानी है. शुरुआत में स्कूल, कालेज, औफिस या पब्लिक टौयलेट्स का इस्तेमाल करने से बचें. घर पर ही कोशिश करें.

खाली करने के बाद साफ पानी से धोना पर्याप्त है. किसी डिसइनफैक्टैंट का सीधा प्रयोग कप या प्राइवेट पार्ट पर न करें. इंटरनैट पर बहुत से वीडियोज मौजूद हैं जिन से प्रयोग विधि समझी जा सकती है.

मैंस्ट्रुअल कप्स बहुत सुविधाजनक हैं और इन का प्रयोग भी मुश्किल नहीं है. बस थोड़ी सी प्रैक्टिस की जरूरत है. कम से कम 3 महीने दें. इस तरह आप माहवारी के समय होने वाली असुविधा, दाग की चिंता, रैशेज, पैड्स के दुष्प्रभाव और खर्च से भी बचेंगी और यह ईको फ्रैंडली विकल्प पर्यावरण के लिए भी मुफीद है.

प्रेग्नेंसी के बाद बढ़े वजन को ऐसे करें कम

प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाना एक बड़ी चुनौती होती है. आमतौर पर प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी वो अपना वजन कम नहीं कर पाती. इस खबर में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप प्रेग्नेंसी के बाद भी अपना वजन कम कर सकेंगी.

खाना और नींद रखें अच्छी

आपको बता दें कि तनाव और नींद पूरी ना होने से कई तरह के रोग हो जाते हैं. इसके अलावा आप बाहर का खाना बंद कर दें. घर का बना खाना खाएं और पर्याप्त नींद लें. स्ट्रेस ना लें. खुद को कूल रखें.

बच्चे को कराएं ब्रेस्टफीड

मां का दूध बच्चों के लिए अमृत रसपान

आपको ये जान कर हैरानी होगी पर ये सच है कि ब्रेस्टफीड कराने से महिलाओं के वजन में तेजी से गिरावट आती है. और इस बात का खुसाला कई शोधों में भी हो चुका है. ब्रेस्टफीड कराने से शरीर की 300 से 500 कैलोरी खर्च होती है. कई जानकारों का मानना है कि स्तमपान कराने से महिलाओं का अतिरिक्त वजन कम होता है.

 खूब पीएं पानी

diet to loose weight

पानी पीना वजन कम करने का सबसे आसान तरीका है. अगर आप सच में अपना वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से रोजाना 10 से 12 ग्लास पानी पीना शुरू कर दें.

टहला करें

प्रेग्नेंसी के बाद वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वौक शुरू करें. कई रिपोर्टों में भी ये बाते सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाने के लिए जरूरी है टहलना.

आज ही से पीना शुरू करें पालक का जूस, ये हैं फायदे

शरीर के विकास के लिए हरे साग सब्जियों का सेवन बेहद जरूरी है. इसमें पालक सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. इसमें कई तरह के मिनरल्स, विटामिन्स और कई अन्य जरूरी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें मैगनीज, कैरोटीन, आयरन, आयोडीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, फौस्फोरस और आवश्यक अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं. इस खबर में हम आपको पालक जूस से होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे.

  • पालक में एंटीऔक्सिडेंट पाए जाते हैं. इसके नियमित सेवन से त्वचा की झुर्रियां दूर रहती हैं और चेहरे पर चमक आती है.
  • गर्भवती महिलाओं के लिए भी पालक का जूस पीने की सलाह दी जाती है. इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को आयरन की कमी नहीं होती है.
  • कई तरह के अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि पालक में मौजूद कैरोटीन और क्लोरोफिल कैंसर से बचने में हमारी मदद करता है. आंखों की रोशनी के लिए भी ये काफी असरदार होता है.
  • इसमें विटामिन्स की अच्छी मात्रा होती है. इससे हड्डियों को मजबूती मिलती है.
  • पाचन क्रिया को बेहतर करने के लिए भी पालक के जूस के सेवन की राय दी जाती है. ये शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकाल कर पको स्वस्थ रखने का काम करती है. इसके अलावा कब्ज की परेशानी में भी खासा आराम देती है.
  • अगर आपको त्वचा से संबंधित परेशानियां हैं तो ये आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा. इसके नियमित सेवन से त्वचा पर चमक आती है. बालों के लिए भी ये काफी फायदेमंद है.

प्रेग्नेंसी के बाद कम करना है वजन तो अपनाएं ये आसान तरीके

प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाना एक बड़ी चुनौती होती है. आमतौर पर प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी वो अपना वजन कम नहीं कर पाती. इस खबर में हम आपको उन तरीकों के बारे में बताएंगे जिनकी मदद से आप प्रेग्नेंसी के बाद भी अपना वजन कम कर सकेंगी.

 खूब पीएं पानी

पानी पीना वजन कम करने का सबसे आसान तरीका है. अगर आप सच में अपना वजन कम करना चाहती हैं तो अभी से रोजाना 10 से 12 ग्लास पानी पीना शुरू कर दें.

टहला करें

प्रेग्नेंसी के बाद वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वौक शुरू करें. कई रिपोर्टों में भी ये बाते सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के बाद वजन घटाने के लिए जरूरी है टहलना.

खाना और नींद रखें अच्छी

आपको बता दें कि तनाव और नींद पूरी ना होने से कई तरह के रोग हो जाते हैं. इसके अलावा आप बाहर का खाना बंद कर दें. घर का बना खाना खाएं और पर्याप्त नींद लें. स्ट्रेस ना लें. खुद को कूल रखें.

बच्चे को कराएं ब्रेस्टफीड

आपको ये जान कर हैरानी होगी पर ये सच है कि ब्रेस्टफीड कराने से महिलाओं के वजन में तेजी से गिरावट आती है. और इस बात का खुसाला कई शोधों में भी हो चुका है. ब्रेस्टफीड कराने से शरीर की 300 से 500 कैलोरी खर्च होती है. कई जानकारों का मानना है कि स्तमपान कराने से महिलाओं का अतिरिक्त वजन कम होता है.

60 सेकेंड के इस एक्सरसाइज से कम करिए पेट की चर्बी

पेट पर आई चर्बी को कम करना बेहद मुश्किल काम होता है. ज्यादातर लोगों के पेट से ही मोटापे की शुरुआत होती है. पर लाख कोशिशों के बाद भी ये चर्बी कम नहीं होती. इस खबर में हम आपको एक ऐसी एक्सर्साइज बताएंगे जिससे आप आसानी से पेट की चर्बी कम कर सकेंगी. इसका नाम है प्लैंक.

कैलोरी बर्न करने के लिए एक कामगर एक्सरसाइज है प्लैंक. आपको बता दें कि इसे करने में शरीर की बहुत सी मांसपेशियां एक साथ एक्टिव हो जाती हैं, इसका असर पुरे शरीर पर होता है. देखने में बेहद आसान सा दिखने वाला ये एक्सरसाइज करने में काफी मुश्किल होता है. इसे करने के लिए सबसे अधिक जरूरी होता है कि आप संतुलन ना छोड़ें. जितना ज्यादा समय आप खुद को प्लैंक के पोजिशन में रख सकेंगी आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा. एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आप 60 सेकेंड तक प्लैंक 3 बार करते हैं तो इससे बेली फैट कम करने में मदद मिलती है.

एक्सपर्ट्स की माने तो 60 सेकेंड तक प्लैंक होल्ड करना सेहत के लिए काफी असरदार होता है. शुरुआत में आपके लिए 60 सेकेंड तक प्लैंक करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास के साथ आप इस एक्सरसाइज को कर सकेंगे.

प्लैंक को करते वक्त ये ध्यान दें कि आपकी पोजिशन सही रहे. आपका शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए. अगर आपके पोजिशन में अंतर है तो इसका असर नहीं होगा.

खुद को ऐसे रखें फिट

जिम की मैंबरशिप लेते समय तो बहुत उत्साह रहता है. 15 से 20 दिन रोजाना जिम जा कर कसरत भी बड़े मजे से करते हैं. लेकिन, धीरेधीरे रोज जिम जाना थकाने वाला हो जाता है. घर का कोई एक कोना जहां आप की कसरत के लिए थोड़ी जगह हो तो वहीं से अपना वर्कआउट शुरू कर दें.

1. सिटअप

सिटअप करने से पेट की मांसपेशियां मजबूत और टोन होती हैं. इस के साथसाथ यह एब्स एरिया को भी टोन करता है. इस से गरदन, छाती, पीठ का निचला हिस्सा और हिप फ्लैक्सर में मजबूती आती है. इसे नियमित करने से शरीर में लचीलापन भी बढ़ता है. सिटअप शरीर की मुद्रा को भी सही करता है.

सिटअप कैसे करें 

-किसी स्थान पर ऐक्सरसाइज मैट को बिछा कर उस पर सीधे लेट जाएं.

-दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर जमीन पर रखें.

-अपने दोनों हाथों को क्रौस की स्थिति में कंधे पर रख लें, अर्थात दायां हाथ बाएं कंधे पर और बायां हाथ दाएं कंधे पर रखें.

-अब सांस छोड़ते हुए अपने शरीर के ऊपर के हिस्से को अपने घुटनों की ओर ले जाएं.

-अब सांस लेते हुए दोबारा नीचे की ओर आएं और फिर से लेट जाएं.

2. क्रंचेस

क्रंचेस करने से पीठ के निचले हिस्से और पीठ की मांसपेशियों में चोट आने की संभावना कम होती है. इस से शारीरिक संतुलन में विकास होता है और शरीर में लचीलापन बढ़ता है. क्रंचेस से कैलोरी अधिक मात्रा में बर्न होती है, साथ ही मांसपेशियों में मजबूती आती है.

क्रंचेस कैसे करें

-किसी ऐक्सरसाइज मैट या जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं.

-अपने दोनों घुटनों को मोड़ लें ताकि आप के पैर जमीन पर एकदम सीधे रहें.

-दोनों हाथों को गरदन या सिर के पीछे रखें और अपने कंधों को जमीन से 7-8 इंच ऊपर की तरफ उठाएं.

-ध्यान रखें कि केवल शरीर का ऊपरी हिस्सा ऊपर उठे और कमर व पीठ जमीन पर ही टिकी रहें.

-इस अवस्था में एक से दो सैकंड रहने के बाद नीचे आ जाएं.

-फिर तुरंत ही वापस उठें और इस प्रक्रिया को 8 से 10 बार दोहराएं.

3. प्लैंक्स

प्लैंक्स से आप के कोर मसल्स में मजबूती आती है और एब्स भी मजबूत होते हैं. प्लैंक्स कंधों, छाती, कमर और पैरों को भी मजबूत बनाता है व शारीरिक संतुलन बेहतर करता है.

प्लैंक्स कैसे करें –

प्लैंक्स के लिए आप पुशअप की अवस्था में आ जाएं.

-अपनी कुहनियों और कलाइयों को जमीन पर टिकाएं.

-अब अपनी पीठ को सीधा करते हुए शरीर को ऊपर उठाएं.

-गरदन से पुट्ठों तक शरीर को एक सीध में रखें.

-शरीर का पूरा भार कुहनियों, कलाइयों और पैरों के पंजों पर रखें.

-इस अवस्था में एक मिनट तक बने रहें.

-इसे 2 से 3 बार दोहराएं.

4. स्क्वैट्स

स्क्वैट्स करने से मांसपेशियों का विकास होता है. इस से फेफड़े और हृदय मजबूत होते हैं और शरीर के जोड़ों में भी फायदा होता है. इस से कैलोरी बर्न होती है, शरीर में लचीलापन आता है, हड्डियां मजबूत होती हैं और शरीर का संतुलन विकसित होता है.

स्क्वैट्स कैसे करें

-दोनों पैरों को फैला लें और पैरों की उंगलियों को बाहर की तरफ निकाल कर खड़े हो जाएं.

-पीठ सीधी रखें और कंधे को ढीला छोड़ें.

-अपने हाथों को कमर पर रखें या सामने सीधा फैला लें.

-पीठ को सीधा रखते हुए बैठने की मुद्रा में जाएं जैसे किसी कुरसी पर बैठते हैं.

-अपने घुटनों को पंजों के ठीक सीध में रखें और आगे की ओर न झुकें.

-इस अवस्था में एक सैकंड तक रह कर वापस सीधे खड़े हो जाएं.

-शुरुआत में इसे 10 बार दोहराएं.

5. घर को बना लें जिम

जिम की मैंबरशिप लेते समय तो बहुत उत्साह रहता है. 15 से 20 दिन रोजाना जिम जा कर कसरत भी बड़े मजे से करते हैं. लेकिन, धीरेधीरे रोज जिम जाना थकाने वाला हो जाता है. घर का कोई एक कोना जहां आप की कसरत के लिए थोड़ी जगह हो तो वहीं से अपना वर्कआउट शुरू कर दें.

घर की बालकनी या टैरेस का भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां आप को ऐक्सरसाइज मैट डालने की जगह आराम से मिल जाएगी.

अगर आप का बजट सही हो तो आप जिम के कुछ इक्विपमैंट भी रख सकते हैं, जैसे डंबल्स, बारबेल रौड, मल्टी बैंड, वैट लिफ्टर आदि.  इन सब से आप की पूरे बौडी की वर्कआउट हो जाती है. साथ ही, ऐक्सरसाइज करने के लिए स्पोर्ट्स शूज और वर्कआउट ड्रैस भी ले सकते हैं.

6. पर्सनल ट्रेनर भी है अच्छा

अगर आप रोजाना जिम जाने के झंझटों से बचना चाहते हैं तो  पर्सनल फिटनैस ट्रेनर भी रख सकते हैं. वे आप को ऐक्सरसाइज करने के सही तरीकों के बारे में गहराई से बताएंगे और सब से अच्छी बात कि वे आप को पूरा समय और अपना पूरा ध्यान देंगे. इस से आप को अपने हर एक फिटनैस लैवल के बारे में सही जानकारी मिलेगी, ऐक्सरसाइज सही कर रहे हैं या नहीं. कौन सी ऐक्सरसाइज को करने से कितना फायदा होगा जैसी छोटीछोटी बातें वे आप को बताएंगे जिस से कि आप बिना डर और वहम के ऐक्सरसाइज का फायदा उठा सकेंगे.

कैसे रखें जिम किट का ध्यान 

-अपनी जिम किट में इक्विपमैंट्स को पानी से बचा कर रखें. पानी से जंग लगने की संभावना रहती है.

-मल्टी बैंड का इस्तेमाल व्यायाम के अलावा किसी और काम के लिए न करें.

-वर्कआउट क्लौथ को कुछ दिनों के अंतराल पर धोना चाहिए.

-अपनी जिम किट को बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

-भारी डंबल्स ऐसी जगह पर रखें जहां से वे गिरें नहीं.

-कुछ दिनों के अंतराल पर इक्विपमैंट के नटबोल्ट्स की जांच करते रहें ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न घटे.

-इक्विपमैंट की सफाई के लिए स्प्रे की जगह जिम वाइप्स का इस्तेमाल करें.

7. डांस भी है फायदेमंद

अगर आप अपने डेली वर्कआउट रूटीन से बोर हो गए हैं और कुछ मजेदार करना चाहते हैं तो डांस ऐक्सरसाइज शुरू कर दें. अगर आप को डांस की जानकारी है तो फिर बात ही क्या है, और अगर जानकारी नहीं है तो भी कोई परेशानी नहीं है. इस के लिए आप डांस क्लास जा सकते हैं या डांस वर्कआउट डीवीडी या औनलाइन वीडियो देख कर भी डांस, जैसे बालरूम या बैलेट, हिपहौप, एरोबिक्स कर सकते हैं. इन से आप के शरीर की लचक बढ़ेगी और साथ ही आप के मसल्स मजबूत होंगे व शारीरिक संतुलन भी बनेगा.

जिन्हें दिल की बीमारी है या हाई कोलैस्ट्रौल या डायबिटीज की समस्या है, उन के लिए भी डांस वर्कआउट बहुत फायदेमंद होता है. अगर आप की बीमारी ज्यादा गंभीर है तो पहले अपने डाक्टर से परामर्श ले लें. रोजाना 30 मिनट डांस ऐक्सरसाइज करने से 130 से 250 कैलोरी कम होती है. इतनी ही कैलोरी जौगिंग से भी बर्न होती है. अगर आप के शरीर में किसी प्रकार की कोई चोट हो या आप पहले से अस्वस्थ हों तो किसी भी नई ऐक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह जरूर लें.

8. यह भी करके देखें

दिनभर औफिस में बैठे रहने या ऐसे काम करने जिन से आप का शारीरिक श्रम न के बराबर होता हो और आप के शरीर से बहुत ही कम मात्रा में कैलोरी बर्न होती हो, तो उस स्थिति में यह जरूरी है कि ऐक्सरसाइज के अलावा भी छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर फिजिकली ऐक्टिव रहा जाए.

-लिफ्ट की जगह सीढि़यों का प्रयोग करें.

-बाजार अगर ज्यादा दूर न हो तो गाड़ी या दूसरी सवारी के बजाय पैदल चल कर जाएं.

-औफिस के लंचटाइम में 15 मिनट का वाक कर लें.

-पूरे दिन बैठे रहने की जगह कुछ घंटे खड़े हो कर भी काम करें.

एक अध्ययन के मुताबिक, अगर आप दिन के 6 घंटे खड़े रहते हैं तो आप का कुछ वजन कम हो सकता है.

-इस के अलावा अपना काम खुद से करने की आदत डालें. इस से आप के शरीर में हरकत होती रहेगी.

-अपने साथ कुछ हैल्दी स्नैक्स रखें और जरूरत से अधिक खाने से बचें.

-पूरे दिन में पानी पीते रहें, ताकि आप के शरीर में पानी की कमी न होने पाए.

अच्छी सेहत के लिए जरूरी है हर दिन बस एक कप ग्रीन टी

बदलती लाइफस्टाइल और काम के बढ़ते दवाब के बीच अगर एक कप ग्रीन टी ग्रीन टी ली जाए तो आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा. एक नियत मात्रा में प्रतिदिन ग्रीन टी का सेवन आपकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है. कई शोध में भी ग्रीन टी सेहत के लिए फायदेमंद बताया गया है, लेकिन ध्यान रखें कि जरूरत से ज्यादा ग्रीन टी आपके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है, इसलिए जरूरी है कि आप अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन न करें.

क्या आपको पता है कि ग्रीन टी पीने के अनेक फायदे हैं, आइये जानते हैं इसके असली फायदों के बारे में.

मानसिक शांति

यदि आप पर घर और आफिस मे काम का दबाव होता है और आप कुछ काम करने के बाद ही मानसिक रूप से थकान महसूस करने लगती हैं तो ग्रीन टी आपके इस मानसिक थकान को भगाने के लिए अच्छा रहेगा. ग्रीन टी में थेनाइन तत्व होता है, जिसमें एमिनो एसिड बनता है. एमिनो एसिड शरीर में ताजगी बनाए रखता है और आपको थकावट महसूस नहीं होने देता. जिससे आपको हमेशा ताजगी का एहसास होता है और मानसिक शांति भी मिलती है.

वजन कम करें

वजन कम करने में भी ग्रीन टी काफी हद तक सहायक है. ग्रीन टी पीने से आपके शरीर का मेटाबालिज्म बढ़ता है, जिससे पाचन क्रिया संतुलित रहती है. ऐसा होने से व्यक्ति का अतिरिक्त वजन कम होता है

नार्मल ब्लडप्रेशर

भागदौड़ भरी जिंदगी और आफिस की बढ़ती टेंशन के बीच उच्च रक्तचाप की अक्सर ही लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या का सामना करना पड़ता है. उच्च रक्तचाप आपके शरीर में अन्य कई बीमारियों का कारण भी हो सकता है. इसलिए यदि आपको ब्लड प्रेशर की समस्या है तो रोजाना ग्रीन टी पिए. इसे पीने से आपकी यह परेशानी नार्मल रहेगी. रक्तचाप सामान्य रहने से आपको गुस्सा भी नहीं आएगा.

कोलेस्ट्राल घटाएं

दिल के रोगियों के लिए ग्रीनटी का सेवन बहुत फायदेमंद है. ये शरीर में बेड कोलेस्ट्राल को कम करके गुड कोलेस्ट्राल को बढ़ाने में मददगार होती है. यदि आप आयली भोजन करती हैं तो आपको नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए.

डायबिटीज में फायदेमंद

यदि आपके शरीर में शुगर लेवल बढ़ रहा है तो ग्रीन टी का सेवन आपको बहुत फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा जिन रोगियों को डायबिटीज की दिक्कत हैं तो उन्हें प्रतिदिन सुबह उठकर एक कप ग्रीन टी पीनी चाहिए. यह आपके शरीर में मौजूद शुगर लेवल को कंट्रोल करने में आपकी मदद करता है. मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्ति को भोजन के बाद ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए.

त्वचा में चमक

ग्रीन टी में एंटी एजिंग तत्व पाया जाता है जो आपकी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद हैं. इसका सेवन करने से आपके चेहरे पर हमेशा चमक और ताजगी बनी रहती है साथ ही चेहरे की झुर्रियां भी कम होती है, इसके अलावा इसे पीने से आप चुस्त-दुरुस्त रहती हैं.

दांतों के लिए वरदान

आजकल युवा और बुजुर्गों में दांतों में पायरिया और केविटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है. ग्रीन टी में पाया जाने वाले कैफीन दांतों में लगे कीटाणुओं को मारने में सक्षम होता है. बैक्टीरिया कम होने से आपके दांत लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं. इसलिए अगर आपको दांतो की समस्या है तो रोजाना एक कप ग्रीन टी का सेवन करना न भुलें, इससे आपके मसूड़ो में भी मजबूती आती है.

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