एस्ट्रो चाइल्ड, आधुनिक अंधविश्वास

पहले बच्चे का जन्म होने पर उस के जन्म समय, तिथि, दिन, स्थान के आधार पर उस की कुंडली पंडितों द्वारा तैयार करवा ली जाती थी. कुंडली तैयार होने के बाद ही इस बात का पता चलता था कि जन्म लेने वाला बालक मंगली है या नहीं. जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है या नहीं. और उस के जन्म के समय कौनकौन से ग्रहनक्षत्र शुभ थे और कौन से अशुभ. कुंडली के आधार पर ही उस के पूरे भविष्य की गणना कर ली जाती थी.

कुंडली के अनुसार जन्म लेने वाले बच्चे का यदि कोई ग्रह खराब होता था या वह मंगली होता था तो उन ग्रहनक्षत्रों की शांति के लिए पंडितों द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन अभिभावकों व बच्चों को करना पड़ता था. उस पर उन लोगों का कोई जोर नहीं होता था.

तेजी से बढ़ रहा है चलन

आज बच्चे के जन्म से पहले ही उस के मातापिता पंडितों और ज्योतिषियों से सलाहमशविरा कर के उन्हें प्रसव का समय बता कर उन से उत्तम शुभ मुहूर्त निकलवा लेते हैं और औपरेशन द्वारा डिलीवरी उसी समय पर करवाने का प्रयास करते हैं. मैडिकल टर्म में ‘प्रोग्राम डिलीवरी’ के नाम से मशहूर यह प्रचलन दिनबदिन बढ़ता ही जा रहा है. कुछ चिकित्सक इसे ‘एस्ट्रो चाइल्ड’ नाम देते हैं.

कमोबेश भारत के प्रत्येक महानगर एवं मेट्रो शहरों में शुभ मुहूर्त में बच्चों का जन्म कराने का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. अंधविश्वासी लोगों का मानना है कि पहले से जानकारी कर के शुभ मुहूर्त के अनुसार पैदा कराए गए बच्चे का भविष्य उज्ज्वल होता है.

सिर्फ एक भ्रम है

प्रतिस्पर्धा और एकदूसरे से आगे बढ़ने की होड़ के साथ कुछ बनने की ललक में शुभ ग्रहनक्षत्रों का योगदान स्वीकार करने वाले अब चाहने लगे हैं कि यदि जन्म से पहले ही उन्हें इस की जानकारी हो जाए कि कौन सा मुहूर्त जन्म लेने वाले बच्चे के लिए सब से ज्यादा अनुकूल रहेगा, तो वे उसी समय डाक्टरों से विनती कर के प्रसव करा लेंगे. ऐसे लोगों को यह भ्रम होता है कि उस समय पैदा हुआ बच्चा आगे चल कर ज्यादा सुखी रहेगा जो कि एक अंधविश्वास ही है.

डाक्टर सिजेरियन डिलीवरी के केसों में ऐसा बड़े ही आराम से कर देते हैं, क्योंकि 1-2 दिन आगेपीछे से उन्हें कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन जहां पर सिजेरियन डिलीवरी का चांस नहीं होता, वहां भी परिवार वाले डाक्टर से सिजेरियन डिलीवरी ही करने को कहते हैं.

शुभअशुभ का मायाजाल

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के डाक्टर घनश्याम ठाकुर शुभ मुहूर्त में 70 से अधिक बच्चों का जन्म करवा चुके हैं. इन का कहना है कि यदि कोई मांबाप किसी शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं, तो हम पूरी कोशिश करते हैं कि बताए गए मुहूर्त समय में ही प्रसव हो जाए. इस में अनैतिक कुछ भी नहीं है. आज हर मांबाप की अभिलाषा होती है कि उस का होने वाला बच्चा भविष्य में प्रगति के रास्ते पर बढ़े और कामयाबी हासिल करे.

अंधविश्वास की पराकाष्ठा

इलाहाबाद के ज्योतिषी बृजेंद्र मिश्र का कहना है कि उन्होंने ऐसी तमाम कुंडलियां तैयार की हैं, जिन के आधार पर बच्चे का जन्म कराया गया है.

वहीं वाराणसी जनपद के सिगरा इलाके में स्थित शिव ज्योतिष अस्पताल के प्रमुख ज्योतिषाचार्य, वास्तुविद व रत्न सलाहकार डा. अनूप कुमार जायसवाल का कहना है कि जन्म लेने वाले प्रत्येक बच्चे का पूरा भविष्य सिर्फ शुभ मुहूर्त में जन्म लेने मात्र से ही निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए. बच्चे का भविष्य उस के पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर बनता है. इस में उस के वंश, परिवारिकसामाजिक परिवेश, वातावरण, पूर्वजन्म के कर्मफल के बाद 5वें स्थान पर कुंडली आती है.

ऐसे कई उदाहरण हैं जिन में एक ही मुहूर्त में पैदा हुए 2 बच्चों का भविष्य एक जैसा नहीं रहा है. ऐसे जुड़वां बच्चों के भी कई उदाहरण हैं, जिन का भविष्य एकसमान नहीं रहा है. लेकिन यह जरूर हुआ है कि इस प्रकार की मान्यता से ज्योतिषियोंपंडितों और प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वाले डाक्टरों की कमाई खूब बढ़ गई है.

मनुष्य जहां चांद पर जा चुका है और विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, वहीं अंधविश्वासी लोग पंडितों और ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ कर अपनी मेहनत की कमाई उन पर लुटा रहे हैं. अफसोस तो तब होता है जब पढ़ेलिखे लोग भी अपने बच्चों का भविष्य धन के लोलुप इन पंडितों से बंचवाते हैं और बदले में उन को मोटी रकमें देते हैं.

वो बदलें तो ये आजमाएं

भागदौड़ भरी जिंदगी और काम के अतिरिक्त बोझ से अगर पति पारिवारिक जीवन से सही तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं, तो घबराएं नहीं, उन का साथ दें. यकीनन दांपत्य महक उठेगा और सही माने में आप हैप्पी कपल कहलाएंगे…

जिंदगी का सफर उन पतिपत्नी के लिए और भी आसान बन जाता है, जो एकदूसरे को समझ कर चलते हैं. कई बार दिनबदिन बढ़ती जिम्मेदारियों व जीवन की आपाधापी की वजह से पति पारिवारिक जीवन में सही तालमेल नहीं रख पाते. जिस के कारण उन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन व बदलाव आना स्वाभाविक होता है. ऐसी स्थिति में पत्नी ही पति के साथ सामंजस्य बैठा कर दांपत्य की गाड़ी को पटरी पर ला सकती है.

पति का सहयोग लें

पति की अहमियत को कम न आंकें. वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं में उन की सलाह जरूर लें. परिवार की समस्याओं का समाधान अकेले न कर के उन का भी सहयोग लें. यकीनन उन के व्यवहार में बदलाव आएगा.

जब उम्मीदें पूरी नहीं होतीं

कई बार पति चाहते हैं कि घरेलू कामों में उन की साझेदारी कम से कम हो. लेकिन पत्नियां अगर कामकाजी हैं तो वे पति से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा करती हैं. इस स्थिति से उपजा विवाद भी पति के स्वभाव में बदलाव का कारण बनता है. ऐसे में कार्यों का बंटवारा आपसी सूझबूझ व प्यार से करें. फिर देखिएगा, पति खुशीखुशी आप का हाथ बंटाएंगे.

छोटी पोस्ट को कम न आंकें

एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत आराधना को यह शिकायत रहती थी कि उन के पति एक फैक्टरी में सुपरवाइजर की छोटी पोस्ट पर हैं. इसे ले कर दोनों में गाहेबगाहे तकरार भी होती थी, जिस से पति चिड़चिड़े हो उठे. घर में अशांति रहने लगी.

हार कर आराधना को साइकोलौजिस्ट के पास जाना पड़ा. उन्होंने समझाया कि पत्नी को पति के सुपरवाइजर पद को ले कर हीनभावना का शिकार नहीं बनना चाहिए और न ही पति की पोस्ट को कम आंकना चाहिए.

नजरिया बदलें

परिवार से जुड़ी छोटीछोटी समस्याओं का निबटारा स्वयं करें. रोज शाम को पति के सामने अपने दुख का पिटारा न खोलें. इस का सीधा असर पति के स्वभाव पर पड़ता है. वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगते हैं या स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं.

संयुक्त परिवारों में रह रहे कपल्स में यह समस्या आम है. छोटीछोटी घरेलू समस्याओं का हल स्वयं निकालने से आप का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, पति भी आप जैसी समझदार पत्नी पर नाज करेंगे.

ज्यादा पजेसिव न हों

पति के पत्नी के लिए और पत्नी के पति के लिए जरूरत से ज्यादा पजेसिव होने पर दोनों में एकदूसरे के प्रति चिड़चिड़ाहट पैदा हो जाती है. अत: रिश्ते में स्पेस देना भी जरूरी है.

पति की महिला मित्रों या पत्नी के पुरुष मित्रों को ले कर अकसर विवाद पनपता है, जिस का बुरा असर आपसी रिश्तों पर व पतिपत्नी के व्यवहार पर पड़ता है. जीवनसाथी को हमेशा शक की निगाहों से देखने के बजाय उन पर विश्वास करना आवश्यक है.

ईर्ष्यालु न बनने दें

कभीकभी ऐसा भी होता है कि कैरियर के क्षेत्र में पत्नी पति से आगे निकल जाती है. इस स्थिति में पति के स्वभाव में बदलाव आना तब शुरू होता है, जब पत्नी अपने अधिकतर फैसलों में पति से सलाहमशवरा करना आवश्यक नहीं समझतीं.

ऐसे हालात अलगाव का कारण भी बन जाते हैं. अपनी तरक्की के साथसाथ पति की सलाह का भी सम्मान करें. इस से पति को अपनी उपेक्षा का एहसास भी नहीं होगा और रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा.

खुल कर दें साथ

खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए सैक्स संबंध में खुलापन भी बेहद जरूरी है. रोजरोज बहाने बना कर पति के आग्रह को ठुकराते रहने से एक समय ऐसा आता है कि पति आप से दूरी बनाने लगते हैं या कटेकटे से रहने लगते हैं, जिस से दांपत्य में नीरसता आने लगती है.

कभीकभी ऐसा हो सकता है कि आप पति का सहयोग करने में असक्षम हों. ऐसे में पति को प्यार से समझाएं. सैक्स में पति का खुल कर साथ दें, क्योंकि यह खुशहाल दांपत्य की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की भी कुंजी है.

घर का बजट

घर का बजट संतुलित रखने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर होती है. अनापशनाप खर्चों का बोझ जब पति पर पड़ने लगे तो वे चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस समस्या से निबटने का सब से सरल उपाय है महीने भर के बजट की प्लानिंग करना व खर्चों को निर्धारित करना. समझदार गृहिणी की तरह जब आप अपने बजट के अलावा बचत भी करेंगी, तो आप के पति की नजरों में आप के लिए प्यार दोगुना हो जाएगा.      

स्टेटस देता है मेकअप

आप का स्टेटस दिखता है आप के रहनसहन में. जब आप को स्टेटस की अहमियत समझ आएगी तभी आप जान पाएंगी कि आज की डेट में आप का पहनावा, चालचलन, उठनाबैठना कितना माने रखता है. क्या आप नहीं चाहतीं कि हर कोई आप से बात करना चाहे? लेकिन आप तो बस सोचती हैं, मुझे क्या करना इन सब बातों से.

इस से लगता है अभी से आप ने अपने व्यक्तित्व को बोरिंग बनाने की ठान ली है. लेकिन आप अपने से जुड़े हर पहलू, जैसे डै्रस से ले कर मेकअप तक पर गौर कीजिए. तब आप का भी स्टेटस दिखेगा.

यहां हम आप को मेकअप के बारे में बता रहे हैं, जिस से आप बदलते मौसम में भी खिलीखिली, फ्रैश और ब्राइट नजर आएंगी.

ब्लशर औन

बदलते मौसम में लाइट मेकअप अच्छा लगता है, जो ताजगी भरा एहसास देता है. आप पिंक और पीच कलर के ब्लशर का इस्तेमाल कर सकती हैं. ये लाइट कलर्स आप पर काफी फबेंगे. फेयर ही नहीं, बल्कि डस्की कांप्लैक्शन पर भी ये रंग काफी फबते व खिलते हैं. सब से पहले चीक बोन को शेड करें. चेहरे के मेकअप को फाइनल टच देने के लिए हमेशा पिंक ब्लश इस्तेमाल करें.

आईशैडो

डार्क और डस्की आंखें हर किसी को आकर्षित करती हैं. लेकिन आंखों के लिए कलर का इस्तेमाल करने से पहले ध्यान रखें कि आप कौन सा लिपकलर यूज करने जा रही हैं. उस से मेल खाता आईशैडो इस्तेमाल करें. फिर देखें, आप की आंखें कैसे दूसरों पर अपना जादू चलाती हैं.

लिपस्टिक

जब आप लिपस्टिक लगा रही होती हैं, तो ध्यान रखें कि ऐसी लिपस्टिक लगाएं जिस से आप का मेकअप उभर कर आए. साथ ही दिन में लाइट कलर्स जैसे पिंक और पीच आदि यूज कर सकती हैं. रात में लाल शेड्स की लिपस्टिक अच्छा लुक देती है. चैरी, औरेंजी, टोमैटी और ब्लड रैड बेहतर औप्शन हैं.

फाउंडेशन

सब से पहले अपनी स्किन पर ग्लो मौइश्चराइजर लगाएं. फिर अपनी स्किनटोन से मेल खाता फाउंडेशन लगाएं. ध्यान रखें कि फाउंडेशन अलग सा महसूस न हो. वह काफी भद्दा नजर आता है. आज बाजार में कई तरह के फाउंडेशन मौजूद हैं.

कांपैक्ट

शिमर प्रोडक्ट्स का काफी चलन है. ये काफी रौयल लुक भी देते हैं. लेकिन ध्यान रखें, जब आप इन्हें इस्तेमाल करें तो बहुत ज्यादा न लगाएं, क्योंकि चेहरे पर अधिक चमक आ जाती है, जो अच्छी नहीं लगती या फिर इस चमक को कम करने के लिए इस पर कांपैक्ट पाउडर लगाएं. पाउडर त्वचा से मेल खाता हो. कांपैक्ट में आप के फेस अनुसार वैराइटी भी आप को मिल जाएगी.

सेहतमंद स्नैक्स

औफिस गोइंग महिलाओं में व्यवस्तता बढ़ जाने के कारण हैल्दी ईटिंग की आदत लगातार कम होती जाती है. समय की कमी की वजह से आप को जो भी खाने को मिलता है उसे खाती जाती हैं, जैसे बर्गर, पिज्जा, पोटैटो चिप्स या फिर कैंडी.

अगर आप दिन भर में 3 बार खाना खाती हैं, तो कई बार ऐसा भी होता है कि खाना खाने के बाद भी भूख लगती है. वह समय दिन में खासकर 4 से 5 बजे का होता है जब आप कुछ हलकाफुलका नाश्ता लेना पसंद करती हैं.
स्नैक्स मुख्य भोजन के बीच के अंतर को भरता है. अगर आप स्नैक्स नहीं लेती हैं, तो कमजोरी महसूस करती हैं.
ऐसे में यह सोचना पड़ता है कि आप खाएं तो खाएं क्या, जो थोड़े समय के लिए आप की भूख को कम करे, साथ ही आप की सेहत पर भी बुरा असर न पड़े.

रेडीमेड स्नैक्स

ऐनर्जी लेवल को कायम रखने के लिए आजकल कई ऐसे लो फैट उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं जिन्हें आप खा सकती हैं. उन में वसा की मात्रा कम और प्रोटीन की अधिक रहती है.
बड़े शहरों में बदलती हुई लाइफस्टाइल को देखते हुए स्नैक्स निर्माता कंपनियां मल्टीग्रेन बिस्कुट, जीरो कैलोरी चिप्स जैसे उत्पाद बाजार में उतार रही हैं. इन में स्वाद भी है और ये सेहतमंद भी हैं.
आज की पीढ़ी के लिए स्वादिष्ठ अल्पाहार (स्नैक्स) बहुत आवश्यक है. शोध में पाया गया है कि लोग आजकल अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो चुके हैं. कोई भी उत्पाद वे आसानी से नहीं खाना चाहते.
 

घरेलू स्नैक्स

औफिस के लिए लंच ले जाने के साथ ही अगर घर में बने स्नैक्स ले जाएं, तो यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है.
अंकुरित चने, सोयाबीन से बना सलाद, ड्राई व नमकीन ओटमील या दलिया शाम की चाय को और भी हैल्दी बना देंगे. इन को तैयार करने में समय भी कम लगता है. ऊर्जावान रखता है

इस बारे में फिटनैस ऐंड वैलनैस ऐक्सपर्ट अनुराधा नरसिंहम कहती हैं कि हमारे देश में परंपरागत दालरोटी, चावल, सब्जी खाने की प्रथा कम हो चुकी है. ऐसे में जंक फूड का प्रचलन बढ़ा है. फलस्वरूप कम उम्र में ब्लडप्रैशर, मधुमेह, मोटापा और लिवर की बीमारी का सामना करना पड़ता है. जब आप घर पर कुछ बनाते हैं, तो आप उस की सामग्री पर ध्यान रखते हैं, जिस में आप ताजा फल या सब्जियों का प्रयोग करते हैं. लेकिन औफिस में काम करते वक्त यह मुमकिन नहीं होता.

ऐसे में कोई भी स्नैक्स लेते समय कुछ बातें ध्यान में रखनी आवश्यक हैं:

– स्नैक्स लेते समय उस में कितना कैलोरी है, इस की जांच कर लें. एक समय में 100 से 200 कैलोरी तक लेना ठीक रहता है.
– वसारहित स्नैक्स खाएं.
– जीरो ट्रांसफैट वाले स्नैक्स खाएं.
– मल्टीग्रेन युक्त और फाइबर वाले स्नैक्स खाएं, क्योंकि इस में खाना जल्दी पचता नहीं है, जिस से भूख कम लगती है और मोटापा घटता है.
– कभी भी मसालेदार स्नैक्स न खाएं.

बिपाशा का हौरर लव

जब से बिपाशा ने विक्रम भट्ट की फिल्म ‘राज’ की तब से सब से ज्यादा औफर उन्हें जिन फिल्मों के मिले हैं वे हैं हौरर फिल्में. पिछली फिल्म ‘3डी क्रेचर’ के बाद अब वे एक और फिल्म ‘अलोन’ कर रही हैं, मगर इन दिनों एक नई मुसीबत से वे दोचार हो रही हैं. खबर तो यह भी है कि इस से उन के और हरमन के बीच खटास पैदा हो गई है. वाकेआ कुछ यह है कि फिल्म ‘अलोन’ की शूटिंग के लिए वे जब केरल गई थीं, उस वक्त दोनों के बीच सब कुछ ठीक था. लेकिन 2 हफ्तों के शेड्यूल के बीच ही दोनों में दूरियां आ गईं. इसी बीच खबर यह भी आ रही थी कि बिपाशा अपने कोस्टार से काफी दोस्ताना व्यवहार रख रही हैं, जो एक टीवी अभिनेता है. जबकि दोनों के बीच इस खटास का कारण बिपाशा का ‘अलोन’ फिल्म में एक इंटीमेट सीन करना है.

बुरा बनने में मजा आता है

पूर्व मिस इंडिया रेशमी घोष की फिल्मों में ऐक्टिंग की गाड़ी नहीं चली, लेकिन टेलीविजन पर वह सरपट दौड़ रही है, खासकर पौराणिक, ऐतिहासिक और कौस्ट्यूम सीरियल्स में. ‘शोभा सोमनाथ की’ और ‘बुद्ध’ के बाद रेशमी नए सुपरहीरो शो ‘महारक्षक आर्यन’ के लिए जीटीवी के साथ तीसरी बार जुड़ी हैं. इस बार भी रेशमी का कैरेक्टर ग्रे है. बुराई पर अच्छाई की जीत पर बने ‘महारक्षक आर्यन’ में रेशमी घोष विषकन्या का रोल कर रही हैं. वे अपने किरदार के बारे में बताती हैं कि दूसरों की जिंदगी को बुरा बनाना अच्छा लगता है. यदि दुनिया में बुराई नहीं होती, तो अच्छाई कहां से होती? मैं हैरान हूं कि जितने मैं ऐतिहासिक, पौराणिक और पीरियड ड्रामा में पौजिटिव रोल्स करना चाहती हूं, उतने ही मुझे नैगेटिव रोल्स मिलते हैं.

ऐसे तो सपने बिखर जाएंगे

संविधान में संशोधन होना चाहिए कि कोई कुंआरा बड़े पद पर नहीं बैठेगा. कुंआरे रहे नरेंद्र मोदी के मंत्री वैंकैया नायडू ने 2014 में कहा था कि नरेंद्र मोदी न सोते हैं न सोने देते हैं. वे जम कर काम कराते हैं. और नरेंद्र मोदी ने तो पहले से कह रखा है कि वे न खाएंगे न खाने देंगे.

न सोओ न खाओ तो फिर बीवियों वालों का तो बुरा हाल हो जाएगा. पति मंत्री, प्रधानमंत्री, संतरी बना और काम पर लग गया, लेकिन 24 घंटे, बिना खाए, बिना पत्नीबच्चों को खिलाए बिताए, तो जो सपने बुने थे सब धराशायी हो जाएंगे.

हर पत्नी को खुशी होती है कि चलो पति कुछ बना है. अब अच्छे दिन आएंगे. पति के साथ खाएंगेपिएंगे और मौजमस्ती करेेंगे. पर यहां तो पद पर रह कर भी न फर्स्टक्लास का सुख है, न घर का, न बिस्तर का.

अगर यही हाल रहा तो पत्नी वाले मंत्रियों को पता चलेगा कि वे आधा टाइम अदालतों में खड़े हैं, क्योंकि उन की पत्नियों ने उन पर तलाक के मुकदमे ठोक रखे हैं. पत्नियां कहेंगी कि पति न तो मुनासिब गुजाराभत्ता देता है, न पास फटकता है. उस ने तो नरेंद्र मोदी की पार्टी के साथ दूसरी शादी कर ली है. और माई लार्ड, ऐसे में पति से तलाक ले कर पत्नी क्यों न दूसरा पति तलाशे जो कम कमाए, कम काम करे पर खाएखिलाए और साथ सोए?

डर तो यह है कि कहीं भाजपा में बगावत न हो जाए और सारे शादीशुदा नेता पार्टी छोड़छोड़ कर भाग न जाएं. नरेंद्र मोदी से जो डरते हैं वे पत्नियों से भी डरते होंगे और अगर पत्नी नाराज हो गई तो पति महाशय का वही हाल होगा, जो नरेंद्र मोदी का हुआ है कि वे विवाहित होते हुए भी अविवाहित की तरह जीवन गुजार रहे हैं.

अब किसी को नरेंद्र मोदी को समझाना चाहिए कि यदि इस बार भाजपा की जीत हुई है तो उस के पीछे वे करोड़ों अंधश्रद्धालु पत्नियां थीं जिन्होंने अपने पंडितजी के कहने के अनुसार पति को भारतीय जनता पार्टी की ओर ठेला था. अगर वे नाराज हो गईं तो अगले चुनावों में भाजपा का हाल राहुल गांधी और मायावती जैसी की पार्टियों का बनाया जा सकता है.

हमारा सुझाव तो यह है कि पत्नियों को ‘भारतीय पत्नी पार्टी’ बना डालनी चाहिए, जिस में खाने और सोने के मौलिक अधिकारों की बात हो. ये अधिकार मौलिक मानवी (मानव नहीं) अधिकार हैं और इन के बिना कोई स्त्री समाज उन्नति नहीं कर सकता. यह प्रकृति के विरुद्ध है.

यह जननी विरोधी है. यह जेंडर बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन है. इस मामले को इंटरनैशनल कोर्ट औफ जस्टिस में ले जाया जा सकता है. हर औरत जशोदा बेन नहीं होती कि चुपचाप जा कर स्कूल में पढ़ा ले फिर रिटायर हो कर गांव में रहने लगे और पति फोटोग्राफरों के बीच घिरा रहे.

शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा और…

पहले की तरह घर बैठे खरीदारी अब फिर धूमधड़ाके से होने लगी है. भारत में ही नहीं, दुनिया भर में पहले दुकानें घरों तक पहुंचती थीं. व्यापारी सिर पर या पीठ पर सामान लादे घरघर जाते और घरवालियों को सामान दिखा कर बिक्री करते थे. एक घर में घुसे नहीं कि पूरा महल्ला जमा हो गया. मगर शहरों के बनने और बड़ेबड़े स्टोर बनने से यह परंपरा गायब हो गई थी. पर अब औनलाइन तरीके से लौट रही है.

कंप्यूटर खोलो, सामान के गुण, फोटो देखो, क्रैडिट कार्ड निकालो, पेमैंट करो और 2 दिन में सामान हाजिर. पहले यह आयोजन किताबों के लिए किया गया, अब हर चीज के लिए होने लगा है और छोटा बिचौलिया गायब होने लगा है. रिलायंस ने मुंबई में दालचावल व सब्जियां भी बेचनी शुरू कर दी हैं. पिज्जा की तरह घर बैठे रसोई का सामान हाजिर, सजावट का सामान भी व कपड़े भी. पर इस धंधे में जल्दी ही शातिर लोग उतरेंगे, जो दिखाएंगे कुछ भेजेंगे कुछ. ऐसे लोगों की कमी नहीं जो व्यापार को बिगाड़ने में कसर न छोड़ेंगे. यह आज के युग की सुविधा है, क्योंकि अब बाजारों में पार्किंग की किल्लत है और भीड़, धूलधक्कड़ असहनीय होने लगी है. बाजारों में दुकानों को महंगी जमीन पर सामान बेचना होता है और दुकान की सजावट भी महंगी हो गई है. यही नहीं, बेचने वालियां अब सजीधजी हों, यह भी जरूरी है.

औनलाइन खरीदारी में चाहे मजा नहीं आए पर सुविधा भरपूर है. यदि उस के पीछे नाम वाली कंपनियां हों तो थोड़ा संतोष रहता है कि सामान में खराबी नहीं होगी और जो कहा जाएगा वही बेचा जाएगा. औनलाइन शौपिंग में घर बैठे सामान का पैकेट खोलते हुए वैसा ही लगता है जैसा बच्चों को जन्मदिन पर मिले उपहारों को खोलते हुए लगता है.

औनलाइन खरीदारी की जड़ में विश्वसनीयता का बड़ा अहम रोल है. फ्लिपकार्ट कंपनी ने एक रोज बड़े विज्ञापन दे कर बेहद सस्ते में बहुत सारी चीजें बेचने का प्रस्ताव रखा पर जब लोगों ने कंप्यूटर खोला तो पता चला कि या तो साइट खुल ही नहीं रही या सस्ता माल खत्म हो गया और अब महंगा बचा है. लोगों को लगा कि वे ठगे गए. कंप्यूटर पर बैठ कर सस्ते की चाह में जो समय उन्होंने लगाया वे उस की कीमत भी सामान में जोड़ने लगे.

औनलाइन शौपिंग में डिस्काउंट के चक्कर में नामी कंपनियां उत्पादकों को सस्ता माल बेचने को मजबूर कर रही हैं और उत्पादकों को क्वालिटी घटानी पड़ रही है. चूंकि ग्राहक को पता नहीं होता कि सामान 2-4 माह बाद खराब हो जाए तो वह कहां जाए, किस से शिकायत करे, इसलिए ऐसा कुछ होने पर वह मन मार कर रह जाता है.

औनलाइन शौपिंग फेरी वालों की तरह सिद्ध होगी यह पक्का है. भारत में सिर पर गठरी रख कर सामान बेचा जाता था और अमेरिका में पीठ पर संदूक लाद कर, जिस में 100 किलोग्राम तक का सामान लादा जाता था. बाद में लोगों ने ट्रकों तक में दुकानें लगा ली थीं. उन में भी एक बार बिका माल वापस न होगा जैसी शर्त साफसाफ लिखी होती थी और यही इस औनलाइन व्यापार में कूद रही बड़ी कंपनियां भी कर सकती हैं, यह पक्का है.

उस की खरीदारी में क्रैडिट कार्ड जरूरी हो गया है पर क्रैडिट कार्ड कंपनियां बेहद दंभी और एकतरफा हो गई हैं. उन्होंने मिल कर क्रैडिट रेटिंग सौफ्टवेयर तैयार कर लिए हैं और यदि नाराज हो कर आप ने एक कंपनी का पैसा रख लिया तो दूसरी कंपनी क्रैडिट कार्ड नहीं देगी. यही औनलाइन व्यापार में भी हो सकता है. जो ग्राहक सेवा मांगने में झिकझिक करेंगे उन्हें अब नई कंप्यूटर टैक्नोलौजी के सहारे आसानी से ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. बड़ी कंपनियां अब ग्राहकों को बंधक बना सकती हैं यानी छूट का लालच देख कर जाल में मक्खी की तरह फंस जाओ और निकल न पाओ. ‘मैं सर्वव्यापी हूं, मैं सर्वमयी हूं, मैं सर्वशक्तिशाली हूं, मेरी शरण में रहो तो ही उद्धार है,’ यह महामंत्र चाहे बोला न जाए, चलेगा जरूर.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें