टाइगर बनेंगे करण के स्टूडैंट

‘हीरोपंती’ के हीरो टाइगर श्रौफ अब बौलीवुड के यंग निर्देशक करण जौहर की क्लास के स्टूडैंट बनने वाले हैं. करण आलिया और वरुण, सिद्धार्थ के साथ आई हिट फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ का सीक्वल बनाने जा रहे हैं. यह फिल्म युवाओं को बहुत पसंद आई थी. अब खबर यह है कि टाइगर श्रौफ इस फिल्म में लीड रोल में होंगे. उन के अलावा 2-3 अन्य युवा हीरो भी इस फिल्म में होंगे. ऐसा फैसला शायद इसलिए है, क्योंकि टाइगर ने अपनी पहली ही फिल्म से सभी को प्रभावित किया है.

रिश्ते को समय देना जरूरी : सैफ करीना

5 साल की जानपहचान के बाद सैफ अली खान और करीना कपूर ने शादी कर ली. शादी से दोनों ही खुश हैं. फिल्म ‘टशन’ को सैफ यादगार मानते हैं क्योंकि भले ही फिल्म नहीं चली पर करीना उन के जीवन में आ गईं. करीना भी इस विवाह को काफी महत्त्व देती हैं. काम से अधिक वे अपने परिवार और सैफ का ध्यान रखती हैं.

हैड ऐंड शोल्डर की ब्रैंड ऐंबैसेडर करीना कपूर खान और सैफ अली खान ने एक मुलाकात के दौरान बताया कि कैसे वे दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी में तालमेल बैठा रहे हैं.

करीना, आप सैफ की किस बात से आकर्षित हुईं?

करीना: वे अच्छे कलाकार हैं. मैं जब पहली बार उन से मिली थी, तभी लगा था कि यही मेरा प्यार है. मुझे उन की हर बात अच्छी लगी थी. मैं उन मैजिक क्षणों का वर्णन नहीं कर सकती. मैं ने न तो अपने प्यार के लिए काम छोड़ा और न ही काम के लिए अपना प्यार.

सैफ, करीना बौलीवुड की नंबरवन हीरोइन हैं. ऐेसे में गर्लफ्रैंड, फिर पत्नी के रूप में वे कितनी कामयाब हैं?

सैफ: करीना गर्लफ्रैंड और पत्नी दोनों ही रूपों में बेहद कामयाब हैं. वे गर्लफ्रैंड के रूप में हों या पत्नी के रूप में, हमेशा तालमेल रखती हैं. वे मैच्योर भी हैं और बच्चों जैसा व्यवहार भी करती हैं, जो हमारे रिश्ते को मजबूती देने के साथसाथ नयापन भी देता है.

हम जब घर आते हैं, तो साथ रहना पसंद करते हैं. हर काम साथसाथ करते हैं. मैं वैसे तो बाहर पार्टी ऐंजौय नहीं करता पर कई बार प्रोफैशन के मद्देनजर जाना भी पड़ता है. इस से हमें स्पेस भी मिल जाता है.

आप दोनों एकदूसरे के साथ कैसे संतुलन रखते हैं?

करीना: एक कलाकार के रूप में सैफ ने मुझे हमेशा सम्मान दिया. टैलेंट वैल्यूज को हमेशा महत्त्व दिया. मेरे लंबे बाल उन्हें बहुत आकर्षित करते हैं तभी तो उन्होंने उन्हें कभी न कटाने को कहा है. चूंकि विवाह दोनों का हुआ है, इसलिए आपस में तालमेल बैठाने का फर्ज भी दोनों का बनता है.

सैफ: करीना बेहद समझदार हैं. वे मेरी हर बात को समझती हैं. वे इस रिश्ते को पर्याप्त समय देती हैं. जब भी मुझे उन की जरूरत पड़ती है, वे हमेशा साथ होती हैं. मेरी भी कोशिश रहती है कि मैं हमेशा उन का साथ दूं.

रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए क्या आवश्यक है?

करीना: परिवार और काम के बीच समय का तालमेल. कई लोग कहते हैं कि उन्हें पर्सनल लाइफ के लिए वक्त नहीं मिलता. मुझे यह कहना पसंद नहीं. हम दोनों एकदूसरे और परिवार के साथ रहें और फिल्में भी करें, तभी हमारी लाइफ सुखद हो सकती है, किसी भी रिश्ते को वक्त चाहिए होता है, कैरियर के मुकाम पर पहुंच कर लोग इस बात को भूल जाते हैं. पर मैं ने ऐसा नहीं किया. शर्मिलाजी ने भी शादी के बाद परिवार को पूरा महत्त्व दिया.

क्या आप दोनों एकदूसरे की परफौर्मैंस को ले कर कभी आलोचना करते हैं?

सैफ: हम अपनी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ को अलग रखते हैं और यह ठीक भी होता है. हम एकदूसरे की फिल्में तक नहीं देखते. प्रोफैशनल फैसला हम खुद ही लेते हैं. लेकिन हम दोनों में आपसी समझौता यह होता है कि हम उतना ही काम करें जितना आराम से कर सकें ताकि हमारी परफौर्मेंस भी अच्छी रहे. हम आपस में कभी झगड़ते नहीं, बल्कि हैल्दी चर्चा करते हैं. मेरे हिसाब से पतिपत्नी आपस में एकदूसरे से हर बात शेयर करें तो ही रिश्ता अच्छा बना रहता है और यह कोशिश दोनों को करनी पड़ती है.

करीना: मैं एक बिंदास लड़की हूं. अपनी शर्तों पर जीती हूं. लेकिन किसी को मेरी किसी बात से दुख न पहुंचे, इस का खयाल हमेशा रखती हूं. मैं बौलीवुड पार्टियों में अधिक नहीं जाती. काम से समय मिलने पर परिवार के साथ वक्त बिताती हूं. शादी के बाद भी मेरे जीवन में अधिक बदलाव नहीं आया.

सैफ का परिवार मौडर्न विचार रखता है. सैफ के पिता क्रिकेटर थे, इसलिए अधिकतर चर्चा हम क्रिकेट से संबंधित विषयों पर ही करते हैं. बौलीवुड की बातें कम होती हैं.

आप दोनों को एकदूसरे की कौन सी बात पसंद नहीं?

करीना: सैफ नवाब हैं, बहुत सोते हैं. कई बार मैं कहीं जाने के लिए तैयार भी हो जाती हूं, मगर नवाब साहब सोए ही होते हैं.

सैफ: करीना की कोई बात ऐसी नहीं जो मुझे पसंद नहीं.

किचन का मौडर्न तड़का : माइक्रोवेव ओवन

आधुनिक किचन की शान बन चुका माइक्रोवेव ओवन आज भारतीय गृहिणियों की नजरों में चढ़ रहा है, तो इस के पीछे शायद आम भारतीय ग्राहक परिवार की जीवनशैली में आया बदलाव एक प्रमुख कारण है.

ऊर्जा की बचत

दरअसल, उच्च आवृत्ति दर (सामान्यतया 2,500 मेगाहर्ट्ज या 25 गीगाहर्ट्ज) वाली माइक्रोवेव्स को उत्पन्न कर के खाना पकाने या खाना गरम करने में माइक्रोवेव ओवन का कोई सानी नहीं है. एल.जी. कंपनी के राजीव जैन इस संबंध में बताते हैं कि माइक्रोवेव ओवन में उत्पन्न होने वाली माइक्रोवेव्स जहां पानी, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स द्वारा आसानी से अवशोषित कर ली जाती हैं, वहीं वे कागज, ग्लास, प्लास्टिक और सिरेमिक द्वारा शोषित नहीं होतीं और अधिकांश धातुओं द्वारा ये परावर्तित हो जाती हैं.

जिन पदार्थों द्वारा इन का शोषण होता है वे उन के परमाणुओं को उत्तेजित कर के ताप ऊर्जा को उत्पन्न करते हैं. इस प्रकार उत्पन्न होने वाली ताप ऊर्जा का उपयोग खाना गरम करने से ले कर खाना पकाने तक में होता है. कागज, प्लास्टिक, ग्लास या सिरेमिक के बरतन में माइक्रोवेव्स द्वारा खाना पकाने में परंपरागत इलैक्ट्रिक ओवन की तुलना में काफी कम ऊर्जा खर्च होती है तथा बहुत ही कम समय लगता है, क्योंकि माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स केवल खाने के अणुओं को उत्तेजित करने में ही खर्च होती हैं, जिस से भोजन एकसार रूप में एक ही समय में अंदर से बाहर की ओर पकता है. जबकि तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो इलैक्ट्रिकल ओवन में संचालन द्वारा ताप बाहर से अंदर की ओर जाता है, जिस की वजह से पहले ओवन की हवा गरम होती है, फिर बरतन गरम होता है, तब जा कर भोजन बाहर से अंदर की ओर गरम होता है. वह भी धीरेधीरे, इसलिए इस में समय लगता है. मतलब साफ है कि ज्यादा समय लगने से ऊर्जा की खपत भी ज्यादा होती है.

पकाने का जादू भोजन में

माइक्रोवेव ओवन में माइक्रोवेव्स का उत्पादन करने के लिए वैक्यूम्ड ट्यूब के अंदर कैथोडएनोड और एक ग्रिड की व्यवस्था की जाती है. ट्रायोड इलैक्ट्रोड ट्यूब में एक इलैक्ट्रोड से दूसरे इलैक्ट्रोड की दूरी तय करने में लगने वाले समय का तरंगों की आवृत्ति से सीधा संबंध होता है. उच्च वाटेज पर माइक्रोवेव ओवन के मैग्नेट्रौन ट्यूब से 25 गीगाहर्ट्ज की उच्च आवृत्ति दर वाली माइक्रोवेव्स से भोजन को पकाए जाने पर ये माइक्रोवेव्स भोजन में उपस्थित अणुओं (विशेषकर भोजन में उपस्थित पानी के अणुओं) की पोलैरिटी को प्रति सैकंड लाखों बार परिवर्तित करते रहते हैं. इन की इसी उत्तेजना के फलस्वरूप उत्पन्न घर्षण ऊर्जा द्वारा भोजन गरम हो कर पकता है. माइक्रोवेव में उच्च आवृत्ति दर वाले माइक्रोवेव का उपयोग अवश्य होता है, लेकिन इस ओवन में एक ऐसी पक्की व्यवस्था की जाती है कि ये वेव्स ओवन के बाहर न निकल सकें. अत: माइक्रोवेव ओवन के उपयोग से हमारे शरीर के किसी भी हिस्से को क्षति पहुंचने की संभावना न के बराबर होती है. शर्त यह है कि माइक्रोवेव ओवन किसी प्रकार से दोषयुक्त न हो.

हालांकि माइक्रोवेव्स की आवृत्ति की दर सामान्य रेडियो तरंगों की तुलना में कई गुना अधिक होती है, लेकिन ये तरंगें नौन आयोनाइजिंग प्रकार की होती हैं अर्थात इन में इतनी ऊर्जा नहीं होती है कि ये एक्सरे जैसी आयोनाइजिंग किरणों की तरह जैविक कोशिकाओं के परमाणुओं से टकरा कर उन से इलेक्ट्रौन को अलग कर के गंभीर क्षति पहुंचा सकें.

माइक्रोवेव रहे कितना नया

आमतौर पर एक ऐप्लाइंसेस के बाजार में आने के बाद भी कंपनियां नए से नए ऐप्लाइंस बाजार में लाने की पेशकश करती रहती हैं. इस के पीछे उन की निश्चित तौर पर यही सोच रहती है कि घरेलू और कामकाजी गृहिणियां नई टैक्नोलोजी का नए और आसान सौल्यूशंस के साथ समायोजन कर सकें. इसलिए खास डिजाइन और स्टाइल के साथ माइक्रोवेव ऐप्लायंसेस ग्राहकों की जीवनशैली को आधुनिक बनाने का काम कर रहे हैं और पूरी तरह से इनडोर प्रबंधन का भी मौका दे रहे हैं.

इस संबंध में एल.जी. के राजीव जैन कहते हैं कि आप का माइक्रोवेव चाहे किसी भी कंपनी का क्यों न हो, उस की औसत आयु लगभग 10 साल ही होती है, क्योंकि उस के बाद ओवन की कार्यक्षमता में बदलाव आने लगता है. यह बदलाव इतना धीमा होता है कि अमूमन किसी को पता भी नहीं चलता. जैसे अगर किसी गृहिणी का नया माइक्रोवेव एक कप पानी 1 मिनट में उबाल देता है तो 10 साल बाद वह इस काम को करने के लिए डेढ़ मिनट लेगा. अकसर गृहिणियां इस बात पर ध्यान दिए बिना कुकिंग टाइम को ऐडजस्ट कर देती हैं, जिस से बिजली का बिल नियंत्रित नहीं रह पाता. अगर बिजली के बिल को नियंत्रण में रखना है तो 10 साल के बाद ओवन को बदल देने में ही समझदारी है.

माइक्रोवेव ओवन खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना इसलिए जरूरी होता है, क्योंकि अगर ओवन का उपयोग तरीके से नहीं किया जाए तो इस से ऊर्जा की बरबादी खूब होती है. पर यदि ओवन का सही इस्तेमाल करना आता हो तो एक गृहिणी 10% तक ऊर्जा की बचत कर सकती है.

खरीदते समय

अगर आप सिर्फ खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव खरीदने जा रही हैं तो ध्यान रखिए कि ऐसा माइक्रोवेव ओवन देखें जिस में ज्यादा फीचर न हों. इस से आप दुकानदार को ज्यादा पैसे देने से बच जाएंगी. अगर आप माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाना चाहती हैं तो सब से लेटैस्ट और ज्यादा फीचर वाला माइक्रोवेव खरीदें.

अगर आप के घर में बच्चे भी माइक्रोवेव उपयोग करने वाले हैं तो खरीदे जा रहे माइक्रोवेव में यह जरूर देख लें कि वह सरलता से चलाया जा सके, साथ ही उस में सुरक्षा संबंधी फीचर भी हों.

यह जानामाना सच है कि ज्यादा वाटेज भोजन को जल्दी पकाता है. ज्यादातर माइक्रोवेव 600 से 1,200 वाट की बिजली पर चलते हैं. माइक्रोवेव ओवन में पकने वाली ज्यादातर रैसिपी को पकाने के लिए रैसिपी विशेषज्ञों द्वारा 800 वाट की आवश्यकता बताई जाती है. इसलिए ओवन खरीदने से पहले उस की वाटेज सुनिश्चित कर लें.

उपयोग करते समय

फूड ऐक्सपर्ट नीता मेहता कहती हैं कि माइक्रोवेव ओवन के इस्तेमाल में कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जैसे कि- द्य खाना पकाने के समय को सावधानी से ऐडजस्ट करना जरूरी है वरना ज्यादा पका हुआ भोजन कड़ा और बदमजा हो जाता है. अगर पकाई जाने वाली भोजन सामग्री की मात्रा बढ़ाई जा रही हो तो पकाने का वक्त भी बढ़ जाता है. जैसे, 4 आलू 6 मिनट में पकते हैं, वहीं 8 आलू 9 मिनट में पकेंगे, इसलिए अगर रैसिपी में भोजन सामग्री की मात्रा बदल रही हों तो टाइमिंग का ऐडजस्टमैंट जरूरी है.

माइक्रोवेव से भोजन को बाहर निकालने के बाद भी वह कुछ समय तक अपनी गरमी से पकता रहता है. उदाहरण के लिए माइक्रोवेव में केक बनाया जाए तो मानक वक्त के अंदर उसे बाहर निकालने पर वह अधपका दिखाई देता है. लेकिन बाहर निकालने के 8-10 मिनट के बाद वह खाने योग्य दिखाई देता है.

खाद्य सामग्री को ढक कर रखने से उस से निकलने वाली भाप सामग्री को डिहाइड्रेट होने से रोकती है. इसलिए ढक्कन के तौर पर हीटप्रूफ प्लेट अच्छा विकल्प है. अगर सिर्फ 6 मिनट के लिए ही खाना पकाया जा रहा हो तो क्लिंग (पारदर्शी) फिल्म से भी खाद्य सामग्री ढकी जा सकती है.

अगर खाद्य सामग्री को उलटनेपलटने की जरूरत पड़े तो सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से मध्य की ओर पलटें, क्योंकि माइक्रोवेव्स खाद्य सामग्री को बरतन के बाहर की ओर से पहले पकाती हैं. हालांकि माइक्रोवेव में लगातार उलटनेपलटने की जरूरत बहुत कम पड़ती है.

माइक्रोवेव्स हमेशा भोजन के बाहरी हिस्से को पहले भेदती हैं, जिस के कारण डिश में खाद्य सामग्री रखते समय बाहर की ओर उस की मोटी परत जमाएं. चिकन या मटन बनाते समय मीट वाला हिस्सा बाहर की ओर रखें. टमाटर, आलू या कौर्न को पकाते समय उन्हें या तो

गोलाई में या फिर एक पंक्ति में सजाएं. ध्यान रखें, भोजन पकाने के लिए हमेशा गोलाकार बरतन का प्रयोग करें. चौकोर या आयताकार बरतनों में भोजन किनारों से ज्यादा पक जाता है. यदि उचित समय तक तथा सही ताप पर भोजन न पकाया जाए तो उस के अंदर से कच्चा रह जाने का अंदेशा रह जाता है या फिर बाहरी हिस्से के जल जाने का खतरा रहता है. खाना पकाने के बाद कुछ देर तक माइक्रोवेव का दरवाजा खुला रखें, ताकि नमी बाहर निकल जाए. नमी अंदर रहने से मशीन को नुकसान हो सकता है. माइक्रोवेव को सूखे स्थान पर व बच्चों की पहुंच से दूर रखें.

  1. इस्तेमाल करने से पहले माइक्रोवेव ओवन के साथ दिए गए ब्रोशर को अवश्य पढ़ें और उस के अनुसार उसे इस्तेमाल करें.
  2. माइक्रोवेव ओवन को कभी खाली न चलाएं. अगर जांच करना हो तो पहले कुछ भी चीज, जो माइक्रोवेव ओवन में इस्तेमाल करने योग्य हो, उसे रख कर चलाएं.
  3. माइक्रोवेव में धातु के बरतन आदि रख कर न चलाएं. इस से ओवन में शार्ट सर्किट हो सकता है.
  4. सफाई करते समय माइक्रोवेव को हमेशा साफ और सूखे कपड़े से पोंछें.
  5. माइक्रोवेव की सफाई नुकीली और धारदार चीजों से न करते हुए नरम कपड़े या प्लास्टिक स्टिक से करें.

Wedding Special: 5 ट्रैंडी ब्राइडल लुक्स

ट्रैडिशनल लुक

गोल्डन शेड इस साल ब्राइडल सीजन में काफी हिट है. ऐसे में आंखों पर ब्राइटनैस जगाने के लिए गोल्ड आईशैडो लगाएं. आईलिड पर स्मज लाइनर और लोअरलिड पर बोल्ड काजल लगा कर आंखों को कजरारा लुक दें. आईलैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारे का कोट लगाएं.

ऐंबैलिश्ड लुक

इस में सब से पहले आईज पर ब्राइडल टच देने के लिए कौपर शेड का आईशैडो लगाएंगे फिर आईब्रोज की व्हाइट व क्रीम के मिक्स शेड से हाईलाइटिंग करें. आईज को डिफाइन करने के लिए ड्यूअल कंट्रास्टिंग कलर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. आईलिड के इनर कौर्नर पर सैफायर ब्लू और आउटर कौर्नर पर इमरल्ड ग्रीन शेड से विंग्ड लाइनर लगाएं. आंखों के नीचे भी हलका सा ग्रीन शेड विंग्ड से कनैक्ट करते हुए लगाएं. साथ ही वाटरलाइन पर काजल लगा लें. आंखों को कंप्लीट सैंसुअल लुक देने के लिए पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज जरूर लगाएं. लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारे का कोट लगाएं ताकि वे नैचुरल लैशेज के साथ परफैक्टली मर्ज हो जाएं.

ब्रौंज लुक

इस मेकअप में चीक्स पर ब्लशऔन के बजाय ब्रौंजर से कंटूरिंग की जाती है. इस लुक में डार्क आईब्रोज, बोल्ड लाइनर, काजल व मसकारा के हैवी कोट के साथ आई मेकअप को कंप्लीट किया जाता है. सैंटर पर रैड बोल्ड बिंदी व लिप्स पर ब्राइट रैड कलर लगा कर लिप्स को सील किया जाता है.

कैट आई लुक

आईलिड पर स्मोकी टच देता ग्रीन आईशैडो लगाएं और कौर्नर को टैंपल्स की तरफ पौइंट करता हुआ ही रखें. ऐसा करने से ही आईज कैटी नजर आएंगी. आईज की शेप को डिफाइन करने के लिए आईशैडो से कंट्रास्टिंग शेड जैसे टरक्वाइश ब्लू कलर के लाइनर का इस्तेमाल करें. वाटरलाइन पर भी ब्लू कलर का इस्तेमाल करें.

आई मेकअप को कंप्लीट ब्राइडल लुक देने के लिए लाइनर के ऊपर छोटीछोटी ब्लू स्वरोस्की और पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज लगा कर मसकारे का कोट लगाएं. अब कंट्रास्टिंग शेड यानी पिंक को चीक्स और लिप्स पर इस्तेमाल करें.

ग्राफिकल लाइनर विद रैड लिप्स

आई मेकअप का यह लेटैस्ट ट्रैंड यानी ग्राफिकल लाइनर चेहरे पर काफी बोल्ड नजर आता है, इसलिए इस लुक के साथ आईज पर केवल न्यूड शेड का इस्तेमाल किया जाता है. माथे पर बोल्ड रैड बिंदी व पूरी आईब्रोज पर स्टिकर बिंदियां इस मेकअप के साथ काफी फबेंगी. चेहरे को सौफ्ट लुक देने के लिए कंटूरिंग जरूर करें और लिप्स पर बोल्ड रैड शेड लगाएं.

– इशिका तनेज, एअरब्रश मेकअप ऐक्सपर्ट ऐंड ऐग्जीक्यूटिव डायरैक्टर औफ एल्प्स कौस्मैटिक क्लीनिक

रहस्य में आरुषि का रहस्य

राइटर डाइरैक्टर रोहित गुप्ता की फिल्म ‘रहस्य’ का टीजर रिलीज हो गया है. इस फिल्म में केके मेनन और टिस्का चोपड़ा ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं. इस फिल्म की कहानी नोएडा के आरुषि हत्याकांड से मिलतीजुलती है. यह फिल्म एक टीनएज लड़की की हत्या पर आधारित है. इस में यह लड़की अपने मांबाप की इकलौती संतान है और इस की इस के घर में ही हत्या कर दी जाती है. पुलिस तहकीकात करती है, जिस में हत्या की आशंका उस के पिता पर जताई जाती है. यह फिल्म अपनी कहानी के चलते इस साल काफी चर्चा में रही, क्योंकि इस फिल्म की कहानी को नोएडा में हुए आरुषि मर्डर केस से मिलताजुलता बताया जा रहा था. आरुषि के पेरैंट्स की ओर से इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए एक याचिका भी कोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर मुंबई हाईकोर्ट ने इस की रिलीज पर 13 जून तक रोक लगा दी थी.

गोल्ड लोन: सतर्कता जरूरी

आमतौर पर लोग यह सोचते हैं कि अगर एकाएक धन की जरूरत पड़े तो हम गोल्ड लोन बिना किसी परेशानी के आसानी से ले सकते हैं. लेकिन जरूरी यह भी है कि गोल्ड लोन लेते समय बैंकों व कंपनियों की शर्तों को जरूर जान लें. नहीं तो यह कर्ज का मकड़जाल भी बन सकता है.

प्राइवेट बैंक सहित लगभग सभी बैंकों में आज गोल्ड लोन के लिए खास विभाग है. इसलिए यदि गोल्ड लोन लेने जा रहे हैं, तो निम्न बातों पर ध्यान दें:

उधार चुकाने का समय कब तक है यह बात अच्छी तरह जान लें. हाउसिंग लोन, कार लोन जैसा नहीं है गोल्ड लोन. ये लोन 4 से 10 साल तक समय देते हैं, तो गोल्ड लोन 1 महीने से 1 साल तक की समय सीमा में चुकाना पड़ता है. लोन समय पर अदा नहीं करेंगे तो जुर्माना भरना पड़ सकता है. गोल्ड लोन पर संस्थाएं 5% से 30% तक ब्याज वसूल करती हैं. बैंक सोने के दाम के 80-85% ही लोन के रूप में देते हैं, लेकिन प्राइवेट संस्थाएं 100% लोन देने को तैयार हो जाती हैं. गोल्ड के बदले लोन के लिए हम ऐसी ही संस्थाओं को अकसर चुन लेते हैं. वे लोन तो ज्यादा देती हैं पर भारी ब्याज वसूल करती हैं.

कब लें लोन

गोल्ड लोन लेते वक्त ब्याज चुकाने की तिथि के बारे में पूछताछ जरूर कर लें. इस में 1 दिन का विलंब भी ब्याज दर में बदलाव ला देता है. जैसे 24% ब्याज दर पर लोन की किस्त का पैसा यदि लोन लेने वाला निर्धारित तिथि पर नहीं देता तो ब्याज दर 25% हो जाएगी. ब्याज चुकाने में आने वाली गलती के मुताबिक यह प्रतिशत दर बढ़ता ही जाता है. दर 34% तक बढ़ाने वाली संस्थाएं भी हैं. इस में होता यह कि क्व1 लाख ब्याज लेने वाला व्यक्ति जब इसे क्लोज करने जाता है, तो 1,24,000 के बदले क्व 1,34,000 तक देने पड़ते हैं. इतना ही नहीं, कभीकभी उधार लिए रकम के एक तिहाई रुपए ब्याज के रूप में देने की नौबत तक भी आ जाती है.

अपनी आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही गोल्ड लोन लें. घर, बिजनैस, वाहन आदि आवश्यकताओं हेतु गोल्ड लोन लेना उचित नहीं है, क्योंकि इन आवश्यकताओं के लिए अपेक्षाकृत कम ब्याज दर की लोन योजनाएं आज उपलब्ध हैं. हां, बीमारी, दुर्घटना, मृत्यु आदि आवश्यकताओं के लिए ज्यादा धन की जरूरत तुरंत पड़े तो गोल्ड लोन लेना उचित रहेगा.

मनप्पुरम फाइनैंस के चेयरमैन वी.पी. नंदकुमार का कहना है, ‘‘आज ग्राहकों की मांग पारदर्शी, सुरक्षित व बेहतर सेवा की है. इसलिए अलगअलग प्रकार की लोन सुविधाओं का होना भी बहुत जरूरी है. अकसर लोग सोना तभी गिरवी रखते हैं जब पैसे की तुरंत आवश्यकता होती है. उस वक्त यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि लोन कितने समय में मिल रहा है. आसान लोन, दिए गए सोने की अधिकतम कीमत आंकना और अन्य विशेष सुविधाएं मनप्पुरम फाइनैंस ने ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की हैं और इसी वजह से मनप्पुरम अपने क्षेत्र की सर्वोत्तम व तेजी से उन्नति करने वाली कंपनी है.’’

शर्तों पर ध्यान दें

समय की अवधि खत्म होने के बाद सोना वापस नहीं मिल पाता. लेकिन सोने को फिर से गिरवी रखने से इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है. नहीं तो आप का सोना बेचने का अधिकार वित्तीय संस्थाओं को होगा. कई संस्थाएं लोन देते वक्त यह शर्त आप से लिखवा लेती हैं.

गोल्ड लोन चुकाने के बारे में याद दिलाने या दबाव डालने वाला कोई बैंक नहीं है. लोन चुकाने में देरी या समय खत्म होने की बात कई संस्थाएं फोन द्वारा उधार लेने वाले को सूचित करती हैं, लेकिन कभीकभी खत द्वारा भी वे सूचित करती हैं. इसलिए उधार के लिए निवेदन देते वक्त फौर्म में अपना ठीकठाक पता लिखना न भूलें. पते में कोई गलती होगी तो सूचनापत्र आप तक न पहुंच पाने की संभावना बन जाएगी. यदि ऐसी नौबत आई तो बैंक उत्तरदायी न होगा. तब नुकसान आप का ही होगा. इसलिए लोन लेने वक्त ऐसी बातों पर गौर से ध्यान देना न भूलें.

एजुस्पर्मिया : समस्याएं एवं समाधान

अनुसंधान तथा सर्वेक्षण से यह ज्ञात हो गया है कि 5% पुरुष एजुस्पर्मिक होते हैं, यानी उन के वीर्य में शुक्राणु होते ही नहीं. इस स्थिति को एजुस्पर्मिया कहा जाता है. दूसरी ओर, जब शुक्राणु की संख्या सामान्य से कम होती है, तो उसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है. इन दोनों परिस्थितियों वाले पुरुषों के जरिए सामान्यतया प्रैग्नैंसी की संभावना नहीं होती, क्योंकि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 60-120 मिलियन प्रति मि.ली. के बीच होनी चाहिए.

यहां यह बता दें कि वीर्य परीक्षण में शुक्राणुओं के नहीं पाए जाने का यह अर्थ कदापि नहीं होता कि अंडकोष में स्पर्म का निर्माण हो ही नहीं रहा है या कभी होगा ही नहीं. वीर्य में स्पर्म की कमी या नहीं पाए जाने के कई कारण हो सकते हैं. अधिकतर स्थितियों में उन के कारणों का इलाज करा देने के बाद शुक्राणुओं की संख्या सामान्य हो जाती है और पुरुष पिता बनने की स्थिति में आ जाता है.

शुक्राणुओं की कमी के कई कारण हो सकते हैं. जैसे, ऐसा हो सकता है कि अंडकोष की कोशिकाओं में शुक्राणु निर्माण की पर्याप्त क्षमता हो पर सहायक हारमोन के स्राव में कमी से निर्माण नहीं हो पा रहा हो या यह भी हो सकता है कि अंडकोष में इन का निर्माण पर्याप्त संख्या में हो रहा हो, पर संवहन नलिकाओं में गड़बड़ी या अवरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहे हों और अंडकोष या संग्राहक थैली में ही जमा हो जाते हों. एक तीसरी संभावना यह भी हो सकती है कि सहवास के दौरान लिंग द्वारा स्खलन के बजाय वीर्य पीछे की ओर स्थित मूत्र थैली में चला जाता हो और शुक्राणु गर्भाशय में जाने से वंचित रह जाते हों.

ऐसा क्यों होता है

शुक्राणुओं के निर्माण में आने वाली इन बाधाओं के कई कारण हो सकते हैं, जिन में हारमोन के स्राव की समस्या, टेस्टिकुलर फेल्योर, टेस्टिस में सप्लाई करने वाली रक्त नलियों में सूजन तथा संक्रमण आदि प्रमुख हैं.

मस्तिष्क में स्थित एक विशेष ग्रंथि, जिसे पिट्यूटरी ग्लैंड कहते हैं, से एक विशेष हारमोन, जिसे फौलिकल स्टिमुलेटिंग हारमोन कहते हैं, का स्राव होता है जो रक्त के माध्यम से टेस्टिस में पहुंच कर उस की कोशिकाओं को शुक्राणुओं का निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है. इस में किसी तरह की गड़बड़ी या इस के स्राव में कमी हो जाने की वजह से शुक्राणुओं का निर्माण प्रभावित होता है. अंडकोष को सप्लाई करने वाली रक्त नलियों में किसी कारणवश सूजन हो जाने की स्थिति में भी कई बार स्पर्म का निर्माण प्रभावित होता है.

जननांगों में संक्रामक रोग, जैसे मंप, टी.बी. गुप्त रोग की वजह से भी टेस्टिस की सामान्य क्रियाशीलता प्रभावित होती है. यह सिकुड़ कर छोटा हो जाता है, जिस से शुक्राणुओं का निर्माण बाधित हो जाता है. अत्यधिक धूम्रपान, खैनी, जरदा, सिगरेट, शराब, गुटका आदि का सेवन करने वालों में भी इस तरह की कमी आमतौर पर देखने को मिलती है. जननांगों में संक्रमण से भी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. ई.कोलाई, टी.बी., विषाणु, गुप्त रोग के कारण भी प्रजनन तथा शुक्राणु निर्माण की क्षमता प्रभावित होती है.

पर्याप्त संख्या में शुक्राणुओं के निर्माण के लिए यह भी जरूरी है कि अंडकोष अपनी सही पोजिशन में हो तथा उस का तापमान शारीरिक तापमान से कम हो. इस में थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने से इस से शुक्राणु निर्माण में बाधा होती है. वे पुरुष, जो गरम जगहों पर काम करते हैं, जैसे ब्लास्ट फर्नेस, फायर एरिया, अंडरग्राउंड खदान, जहां का तापमान ज्यादा होता है, उन में इस तरह की शिकायत आमतौर पर देखने को मिलती है. जो पुरुष टाइट अंडरपैंट पहनते हैं या जिन्हें रक्त नलियों में सूजन की बीमारी होती है, उन में भी इस तरह की शिकायत देखने को मिल सकती है. टेस्टिस में रचनागत खराबी, टी.बी., गुप्त रोग, चोट लगने, संक्रमण या फिर सूजन हो जाने की स्थिति में भी इस तरह की समस्या देखने को मिल सकती है. शुक्राणुओं को वहन करने वाली नालियों में अवरोध या विकृति आ जाने की स्थिति में, जैसे हर्निया के औपरेशन के बाद उस से बनने वाले निशान से भी कई बार इस तरह की दिक्कतें आ सकती हैं.

पुरानी बीमारियों के कारण अंडकोष में कई बार अवांछित विषैले पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे ऐंटीबौडी कहते हैं. यह शुक्राणुओं के साथ चिपक कर उन की गतिशीलता को प्रभावित करता है. इस की वजह से कई शुक्राणु आपस में चिपक कर बेकार हो जाते हैं.

कई बार ऐसा होता है कि टेस्टिस में कोई गड़बड़ी नहीं होती, फिर भी वीर्य में शुक्राणु नहीं पाए जाते. ऐसी स्थिति में यह पता लगाना जरूरी हो जाता है कि कहीं इस के संवहन के रास्ते में किसी तरह की गड़बड़ी तो नहीं है.

इस की मुख्यतया 2 वजहें होती हैं- डक्ट सिस्टम तथा इजेकुलेशन की प्रक्रिया में गड़बड़ी. स्पर्म कैरियर डक्ट नहीं होने या इस के ब्लाक होने के कारण स्पर्म आगे की ओर नहीं  बढ़ पाते हैं. ऐसा वास डिफरेंस नामक नली में जन्मजात खराबी होने या फिर इपिडिडाइमिस, प्रोस्टेट और सेमिनल वैजाइकल में संक्रमण के कारण होने वाली रुकावट की वजह से हो सकता है. कई बार हर्निया या फिर हाइड्रोसील के कारण भी इस में खराबी आ जाती है.

अब आइए जानें कि शुक्राणुओं के इजेकुलेशन की राह में कौनकौन सी समस्याएं हो सकती हैं? सहवास के दौरान इजेकुलेशन के पहले वीर्य को युरेथ्रा में जमा होना जरूरी है. लेकिन कई बार तंत्रिकातंत्र में गड़बड़ी होने के कारण ऐसा हो नहीं पाता. यह समस्या प्रजनन अंगों की सर्जरी, डायबिटीज या फिर रीढ़ की हड्डी में चोट लगने की वजह से हो सकती है. कई बार कई तरह की दूसरी समस्याएं आने के कारण वीर्य आगे की ओर न जा कर पीछे की राह पकड़ लेता है. वह मूत्र थैली में जमा होने लगता है और पेशाब के साथ बाहर निकल जाता है.

एजुस्पर्मिक पुरुष भी बन सकते हैं पिता

आज जमाना बदल चुका है और विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है. बांझपन को भी दूर करने के ऐसेऐसे उपाय निकल गए हैं, जिन की पहले कल्पना नहीं की जा सकती थी. इसलिए ऐसे लोगों को घबराने या निराश होने की जरूरत नहीं है. ऐसे दंपती को सब से पहले किसी अच्छे अस्पताल में अपनी पूरी जांच करानी चाहिए. पूरी तहकीकात कर उन्हें ऐसे संस्थानों में जाना चाहिए, जहां इस तरह की समस्या की जांच और इलाज की उच्च स्तरीय व्यवस्था हो.

जांच के दौरान यदि हारमोन संबंधी किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है, तो इस के लिए दवा दे कर इस के लेवल को बढ़ाया जाता है. यदि टेस्टिस में किसी तरह का ट्यूमर, सिस्ट या किसी तरह की रचनागत खराबी होती है, तो औपरेशन द्वारा इसे ठीक किया जाता है. कई बार इस में संक्रमण होने के कारण भी कई तरह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जिस को ऐंटिबायोटिक्स या दूसरी दवाएं दे कर ठीक किया जाता है. शुक्राणुओं को संवहन करने वाली नलियों में विकार होने की स्थिति में उसे रिप्रोडक्टिव सर्जरी के द्वारा ठीक किया जाता है.

कई बार ऐसा होता है कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या अत्यधिक कम होती है और वह टेस्टिस में ही जमा होता है. ऐसी स्थिति में माइक्रो सर्जरी के द्वारा वहां से निकाल कर लैब में कृत्रिम विधि से ओवम में इंजेक्ट कर के फर्टिलाइजेशन कराया जाता है और फिर उसे फैलोपियन ट्यूब में प्रतिस्थापित कर दिया जाता है. इस विधि को इंट्रा साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंसेमिनेशन कहते हैं. कई बार वीर्य में अवांछित तत्त्व होने के कारण ट्यूब में फर्टिलाइजेशन की क्रिया संपन्न नहीं हो पाती है.ऐसी स्थिति में स्पर्मवाश कर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन विधि से ट्यूब या यूटरस में प्रतिस्थापित कर दिया जाता है.

यदि किसी कारणवश किसी मरीज में शुक्राणु एकदम से बनता ही नहीं हो, तो उस के भी उपाय चिकित्सा विज्ञान ने ढूंढ़ निकाले हैं, जिस में डोनर स्पर्म की सहायता से आर्टिफिशियल इंसेमिनेशन विधि या फिर आई.वी.एफ. की सहायता से कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है और संतान की कमी को दूर किया जा सकता है.

साल दर साल दिखें खूबसूरत

चमकती और खूबसूरत त्वचा आप के स्वस्थ होने की निशानी होती है. अगर प्रदूषण या बदलते मौसम के कारण त्वचा की चमक फीकी पड़ने लगे तो ऐसे में आप थोड़ी देखभाल के जरिए अपनी त्वचा की खोई हुई खूबसूरती वापस पा सकती हैं.

प्राकृतिक तरीके

बादाम : त्वचा के भरपूर पोषण के लिए रोजाना 2-3 बादाम भिगो कर कच्चे दूध में पीस कर चेहरे पर 15 से 20 मिनट तक लगाएं. इस के बाद इसे रगड़ कर छुड़ा दें. त्वचा की खोई हुई रंगत लौट आएगी.

दही : त्वचा को धूल, गंदगी और सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए सब से अच्छा विकल्प दही है. 5 चम्मच दही में 1 चम्मच हलदी और 1 चम्मच चोकर मिला कर चेहरे पर लगाने से धूप का दुष्प्रभाव चेहरे से हट जाएगा. साथ ही, ब्लैकहैड्स और वाइटहैड्स भी हट जाएंगे.

गुलाबजल : बढ़ती उम्र में त्वचा को पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. अत: गुलाबजल की एक बोतल हमेशा साथ रखें और 1-2 घंटों के बाद इसे अपने चेहरे पर स्प्रे करती रहें. खासतौर पर तब, जब आप देर तक एअरकंडीशंड वातावरण में रहें, क्योंकि इस से त्वचा जल्दी रूखी और बेजान हो जाती है.

भाप : रूखी त्वचा में झुर्रियां जल्दी पड़ती हैं. अत: हफ्ते में कम से कम 1 बार अपनी त्वचा को भाप जरूर दें. आप चाहें तो स्टीम बाथ भी ले सकती हैं. इस से आप की त्वचा की नमी बरकरार रहेगी.

केला : त्वचा के पोषण को बनाए रखने में केला काफी मददगार है. केले को पीस कर चेहरे पर लगाने से त्वचा को आयरन और अन्य पोषक तत्त्व मिल जाते हैं. इस के रोजाना इस्तेमाल से आप की त्वचा में निखार आ जाएगा.

कैस्टर औयल : झुर्रियां हटाने में कैस्टर औयल बहुत उपयोगी है. रोजाना अपने चेहरे पर कैस्टर औयल लगाना न भूलें. इस से आप की त्वचा मुलायम और चमकदार बनेगी.

कौस्मैटिक का सही इस्तेमाल

प्राकृतिक तरीकों के साथसाथ कौस्मैटिक के सही इस्तेमाल से भी त्वचा की खोई सुंदरता वापस पाई जा सकती है. इस प्रक्रिया में मौइश्चराइजर, सनस्क्रीन लोशन, लिप बाम, क्लींजिंग मिल्क और टोनर का इस्तेमाल रोजाना किया जा सकता है.

घर से बाहर निकलते वक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना न भूलें.

सोने से पहले त्वचा को मौइश्चराइज करना न भूलें. त्वचा पर मौइश्चराइजर लगाते वक्त त्वचा को खींचें नहीं, क्योंकि इस से त्वचा ढीली हो जाएगी.

अपने चेहरे को कभी साबुन से न धोएं, क्योंकि साबुन आप की त्वचा की नमी सोख लेता है. चेहरे को धोने के लिए अपने स्किन टाइप के मुताबिक किसी अच्छे फेसवाश का चयन करें.

मेकअप करने के बाद उसे हटाना न भूलें. मेकअप हटाने के लिए किसी अच्छी कंपनी के क्लींजिंग मिल्क का इस्तेमाल करें.

इस बारे में मशहूर ब्यूटीशियन वंदना लूथरा कहती हैं, ‘‘त्वचा पर आप जो कुछ भी लगाती हैं, उस से कहीं ज्यादा प्रभाव आप के खानपान का पड़ता है. इसलिए नियमित तौर पर पौष्टिक आहार लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि आप जो कुछ भी खातीपीती हैं, उस का सीधा असर आप की त्वचा और केशों पर पड़ता है.’’

जम कर सोइए युवा रहिए

गहरी और अच्छी नींद बच्चे, जवान, बूढ़े सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. रात भर गहरी नींद सोने वाले दिन भर तरोताजा रहते हैं. ऐसे लोगों का न केवल मन प्रसन्न रहता है, बल्कि शरीर में स्फूर्ति भी रहती है. कई रोगों से भी छुटकारा मिलता है. जो लोग रात को ठीक से नहीं सो पाते, वे दिन भर सुस्त और चिड़चिड़े से रहते हैं. एकाग्रता में कमी की वजह से उन की कार्यक्षमता पर भी कुप्रभाव पड़ता है. असमय ही उन के चेहरे पर झुर्रियां, झांइयां पड़ने लगती हैं.

अध्ययनों से यह सिद्ध हो गया है कि जो गहरी नींद नहीं सोते हैं, उन के शरीर में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता गहरी नींद सोने वालों की अपेक्षा अत्यधिक कम होती है. जिन लोगों को रात में ठीक से नींद नहीं आती है या जो अनिद्रा रोग के शिकार होते हैं, वे दूसरी तरह की गंभीर समस्याओं से भी जूझते हैं. ऐसे लोगों का शरीर इंसुलिन नामक हारमोन के प्रति कम संवेदनशील होता है और वे आगे चल कर मोटापा, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज जैसी बीमारियों से पीडि़त होते हैं.

गहरी नींद के फायदे

हैल्दी आर्ट : अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि हार्टअटैक तथा स्ट्रोक की घटनाएं एकदम सवेरे ज्यादा होती हैं, क्योंकि रक्तचाप का सीधा संबंध सोने के तरीकों तथा रक्तनलिकाओं से जुड़ा है. कम देर सोने से रक्तचाप के साथसाथ रक्त में कोलैस्ट्रौल की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो हार्टअटैक तथा स्ट्रोक दोनों के लिए रिस्क फैक्टर है. आप का हार्ट तभी स्वस्थ रहेगा जब आप रोज 7 से 9 घंटे अच्छी नींद सोते हैं.

कैंसर से बचाव : नाइट शिफ्ट में काम करने वालों में ब्रैस्ट तथा छोटी आंत का कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि इस का सीधा संबंध मिलैटोनिन के स्राव से है. लाइट की वजह से इस का स्राव कम हो जाता है. मिलैटोनिन नींद में सहायता ही नहीं करता, बल्कि कैंसर से भी बचाता है. यह हारमोन ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है. इसलिए यह निश्चय कर लें कि आप के बैडरूम में रात को पूरी तरह अंधेरा रहता है या नहीं, ताकि आप का शरीर पर्याप्त मात्रा में मिलैटोनिन का स्राव कर सके.

स्ट्रैस को कम करना : जब आप गहरी नींद नहीं सोते, तो आप का शरीर स्ट्रैस की स्थिति में पहुंच जाता है, जो उच्च रक्तचाप का कारण बनता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में शरीर में स्ट्रैस हारमोन का बनना बढ़ जाता है. ये दोनों स्थितियां हार्टअटैक तथा हार्टस्ट्रोक को आमंत्रित करती हैं. स्ट्रैस हारमोन नींद में बाधा पहुंचाने में सहायता करता है. इसलिए रिलैक्सेशन तकनीक को जानें ताकि स्ट्रैस के प्रभाव को कम किया जा सके. इस से नींद की समस्या दूर होने में सहायता मिलेगी.

स्ट्रैस हारमोन शरीर में सूजन के स्तर को बढ़ाता है, जो हार्ट डिजीज, कैंसर तथा डायबिटीज के लिए रिस्क फैक्टर का काम करता है. जो रात भर गहरी नींद सोते हैं, उन में इन की संभावना नहीं होती.

सक्रियता में वृद्धि : रात भर गहरी नींद के बाद सुबह जब उठते हैं तो मन काफी प्रसन्न तथा स्फूर्तिदायक होता है. दिन भर चुस्त तथा ऊर्जावान बने रहने के बाद शाम को जब सोने जाते हैं तो अच्छी नींद आती है.

वजन का घटना : शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं, उन के मोटापे के शिकार होने की संभावना होती है. नींद की कमी का प्रभाव भूख को नियंत्रित करने वाले हारमोनों घ्रेलिन तथा लैप्टिन पर पड़ता है, जो नींद की कमी की वजह से असंतुलित हो जाते हैं. अत: यदि आप अपना वजन नियंत्रित करना चाहते हैं, तो रात को गहरी नींद जरूर सोएं.

आखिर नींद क्यों नहीं आती

एक आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में 30 से 50% लोग सामान्यतया 1 बार नींद न आने की समस्या का शिकार जरूर होते हैं. इन में 10% अनिद्रा जैसे पुराने रोग से पीडि़त होते हैं. पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इस का शिकार ज्यादा होती हैं. अनिद्रा के मुख्यत: निम्न लोग शिकार होते हैं :

– शराबी तथा और कोई नशा करने वाले.

– मानसिक रोगी.

– स्ट्रैस, चिंता और अवसाद से ग्रस्त रहने वाले.

– शिफ्ट ड्यूटी में काम करने वाले.

– कलहयुक्त माहौल में रहने वाले.

– जिन के बैडरूम का तापमान अत्यधिक गरम या फिर ठंडा रहता है.

– बेरोजगार, परीक्षा की तैयारी करने वाले, तलाकशुदा आदि.

– दर्द, बुखार, खांसी, डायरिया, हृदयरोग, सांस की बीमारी से ग्रस्त रहने वाले.

नींद न आने पर क्या करें

जब 3-4 सप्ताह तक नींद न आए तब डाक्टर की सलाह जरूर लें. यदि इस की वजह से किसी की रूटीन लाइफ प्रभावित होती है, तो इस से पहले भी सलाह ली जा सकती है. यहां यह स्पष्ट कर दें कि अनिद्रा एक लक्षण है, जो कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी होने की ओर इंगित करता है.

सामान्यतया कुछ दिनों तक अकारण नींद न आने की शिकायत कई लोगों को होती है. इस के लिए इलाज कराने की जरूरत नहीं पड़ती. कुछ दिनों बाद स्वत: नींद आने लगती है. हां, वे लोग जो काफी समय से इस समस्या से जूझ रहे हों उन्हें कई तरह की दवाओं के सेवन की जरूरत पड़ती है.

जम कर कैसे सोएं

बैडरूम केवल सोने के लिए : बैडरूम का प्रयोग केवल सोने और सैक्स के लिए करें. पढ़ने, इंटरनैट सर्फ करने या टीवी देखने के लिए नहीं. यदि बिस्तर पर लेटने के 15 मिनट के दौरान नींद न आए तो बैड छोड़ दें और दोबारा तब तक बैड पर न जाएं जब तक नींद न आने लगे. इस बीच टीवी देखें या फिर कोई किताब आदि पढ़ें.

नियम बनाएं : बैड पर जाने और उठने का समय तय कर लें. यदि आप इस का पालन नियमित रूप से करेंगे तो इस से आप को नियत समय पर जल्दी नींद आएगी और दूसरे दिन आप ज्यादा फ्रैश नजर आएंगे. न लेट सोएं और न ही लेट जागें. छुट्टी के दिन भी ऐसा न करें.

नियमित ऐक्सरसाइज करें : डेली ऐक्सरसाइज एकदम सुबह ही करने की कोशिश करें. इस से न केवल नींद हाइजीन में वृद्धि होगी, बल्कि आप पूरी तरह स्वस्थ भी रहेंगे. सोने से पहले ऐक्सरसाइज या थका देने वाला काम न करें. इस से सोते समय परेशानी होगी.

सुबह की धूप का सेवन करें : सुबह की धूप के नियमित सेवन से मिलैटोनिन नामक हारमोन के निर्माण में वृद्धि होती है, जो गहरी नींद में सहायक होता है. इसलिए सुबह थोड़ी देर धूप का सेवन जरूर करें.

दोपहर के बाद चायकौफी से बचें : कई लोग कैफीन के प्रति संवेदनशील होने के कारण चायकौफी दोपहर के बाद नहीं पीते. यदि आप को भी नींद में परेशानी होती है, तो आप भी छोड़ दें.

शांत वातावरण और सही तापमान हो : आप का बैडरूम पूरी तरह शांत यानी कोलाहल से दूर हो तथा उस का तापमान भी सामान्य होना चाहिए यानी न ज्यादा गरम, न ज्यादा ठंडा.

रिलैक्सेशन तकनीक का सहारा लें : सोने के पहले मैडिटेशन आदि से मन हलका और रिलैक्स होता है और सोते समय गहरी नींद आती है.

डाक्टर का सहयोग लें : यदि लाइफस्टाइल में परिवर्तन लाने के बावजूद आप रात में अच्छी और गहरी नींद नहीं सो पाते हैं तो डाक्टर से सहायता लें. हो सकता है कि आप स्लीप डिसऔर्डर नामक बीमारी से गुजर रहे हों. इस के लिए डाक्टर आप को कुछ दवाएं देंगे, जिन के सेवन के बाद आप गहरी और अच्छी नींद सोने लगेंगे.

“गृहशोभा निटिंग कंपीटिशन 2014 ” के चुनिंदा डिजाइनर ब्लाउज

जालीदार योक और हाईनैक वाला ब्लाउज

सामग्री: 4 प्लाई के काले ऊन के गोले 5, 4 प्लाई के बिस्कुटी ऊन के गोले 2, डल गोल्ड कलर के 120 फूलसितारे और उतने ही सुनहरे पोत, सुनहरी रील, पोत सीने की सूई, स्वैटर सीने की सूई, 5 प्रैस बटन, 3 सेफ्टीपिन, 10 व 12 नं. की स., 12 नं. का क्रोशिया.

विधि: पीछे का भाग: 12 नं. की स. पर काले ऊन से 100 फं. डाल कर 1 सी., 1 उ. की रिब में 21/2 इंच का बौर्डर बुन लें. फिर 10 नं. की स. लगा कर समान दूरी पर 5 फं. बढ़ा लें. ग्राफ की सहायता से 2 रंगों का नमूना डालें और 7 इंच बुन कर गले की शेप आरंभ करें.

गले की शेप: बीच का 1 फं. सेफ्टीपिन पर उतारें और दोनों भाग अलगअलग बुनें. हर स. पर गले की ओर 1-1 फं. घटाते हुए बुनें. साइड की लं. 10 इंच होने पर मुड्ढे की शेप आरंभ करें. मुड्ढे की शेप: 5-4-3-2-1 कर के कुल 15 फं. घटाएं. गले की शेप देना जारी रखें. जब केवल  15 फं. रह जाएं तब गले की शेप देना बंद करें व कुल लं. 16 इंच होने पर फं. बंद कर दें. दूसरी ओर का भाग भी इसी प्रकार सभी शेप विपरीत दिशा में दे कर बुनें.

सामने का दायां भाग: 12 नं. की स. पर काले ऊन से 53 फं. डाल कर रिब में 21/2 इंच का बौर्डर बुन लें. 6 फं. पिन पर उतारें. (पट्टी के लिए) शेष फं. 10 नं. की स. से समान दूरी पर 3 फं. बढ़ाते हुए बुनें. ग्राफ के अनुसार नमूना डालें. कुल लं. 8 इंच होने पर गले की शेप देना आरंभ करें. हर सलाई पर 1-1 फं. पट्टी की ओर घटाती जाएं.

साइड की लं. 10 इंच कर के मुड्ढे की शेप दें. कुल 15 फं. रहने पर लं. पूरी करें. दूसरा भाग भी इसी प्रकार शेप व बटन पट्टी विपरीत दिशा में दे कर बुन लें.

बांहें: 12 नं. की स. पर काले ऊन से 70 फं. डालें व 1 इंच का बौर्डर 1 सी., 1 उ. की रिब में बुनें. 10 नं. की स. लगा कर 5 फं. समान दूरी पर बढ़ाएं व ग्राफ की सहायता से 2 रंग का डिजाइन बुनें. हर तीसरी स. में दोनों ओर 1-1 फं. बढ़ाती जाएं. कुल लं. 6 इंच होने पर मुड्ढे की शेप दें. मुड्ढे की शेप: फं. 5-4-3-2-1-1-2-2-3-3-4-4-5-5 कर के घटाएं. शेष फं. बंद कर दें. कंधों की सिलाई करें.

जालीदार योक: काले ऊन व 12 नं. के क्रोशिए से 5 चेन 1 ड.क्रो. का जाल बुनें (चित्र देखिए). पीछे के भाग में मध्य के फं. पर दोनों ओर जाल घटता जाएगा. हाईनैक तक कंधा कर के ड.क्रो. की 6 लाइनें गले की पट्टी के लिए बुनें. बटन पट्टी के फं. पिन से 12 नं. की स. पर ले कर रिब में बुन कर टांक दें. दूसरी ओर की पट्टी भी इसी प्रकार से बुन कर टांक दें व बटन लगा दें. चित्र के अनुसार फूल, सितारे व पोत लगा कर टांक दें. बांहों को सिल कर साइड की सिलाई कर दें. ऊन के फालतू सिरों को सूई में पिरो कर बुनाई में ही दबा दें.
– उर्मिला भटनागर
*

ब्रोच वाला ब्लाउज

सामग्री: बौटल ग्रीन ऊन 100 ग्राम, थोड़ा सा ग्रे ऊन, 10 व 9 नं. की स., 1 नग वाला ब्रोच 12-15 पीले मोती, 1 प्रैस बटन, 1 लटकन.

पीछे का भाग: बौटल ग्रीन ऊन से 10 नं. की स. पर 80 फं. डाल कर बौर्डर इस प्रकार बुनें 1 फं. सी., 3 फं. उ. सारी स. इसी प्रकार बुनें. उ.स. में जो 3 फं. सी. हैं. उन के बीच का 1 फं.सी., 3 फं. उ. बुनें. 4 स. बौटल ग्रीन, 4 स. ग्रे., 4 स. बौटल ग्रीन, 4 स. ग्रे, 4 स. बौटल ग्रीन बुन कर 9 नं. की स. लगा कर 5 इंच बुनें. फिर सिंगल रिब से 10-12 स. का बौर्डर 10 नं. की स. से बना कर फं. बंद करें.

आगे का भाग: 71/2 इंच तक पीछे वाले भाग के समान बनाएं. दोनों तरफ 6-6 फं. का बौर्डर और हर स. पर 1-1 फं. घटाएं. 6-7 बार फं. घटा कर बिना घटाए 71/2 इंच बना कर 9-9 फं. की सिंगल रिब से 81/2 इंच की पट्टी बना कर पीछे वाले भाग के साथ सिल लें. गले की पट्टी के लिए 28 फं. 10 नं. की स. पर डालें. आगे वाले भाग के 35 फं. डाल कर फिर 28 फं. डाल कर स्टा.स्टि. से 20-20 स. बना कर फं. बंद कर दें. इसे उलटी तरफ से सिल लें. पट्टी सीधी करें. आगे गले पर ब्रोच व मोती लगाएं. पीछे पट्टी पर प्रैस बटन लगा कर ऊपर लटकन लगा दें.
– परमजीत कौर

*

स्टाइलिश ब्लाउज

सामग्री: 2 रंग का ऊन 300 ग्राम, 10 नं. की स., सजावट के लिए सितारे और लैस.

विधि: 60 फं. डालें. 4 स. सादा बुनें. त्रिकोण का डिजाइन बनाने के लिए 1 फं. को ऊन से 2 बार लपेट कर बुनें. पूरी स. इसी प्रकार बनेगी.

दूसरी पंक्ति: प्रत्येक फं. को खोल कर पीछे की तरफ 3 का 1 फं. बनाएं.

तीसरी पंक्ति: हर 1 फं. के 3 फं. बनाएं.

चौथी पंक्ति: पूरी स. उ. बनेगी. इसी प्रकार पूरा डिजाइन तैयार होगा.

आगे का पल्ला: 8 इंच लं. होने पर मुड्ढे के लिए 5, 3, 2, 1 फं. घटाएं. फिर 3 इंच सादा बुनने के बाद गला घटाएं. गले में 20 फं. बीच से घटाएं. उस के बाद 1-1 फं. घटाती जाएं. कंधे पर 20 फं. रखें. पीछे का पल्ला भी इसी प्रकार बनेगा.

बाजू: 55 फं. डाल कर इसी प्रकार त्रिकोण का डिजाइन बनाएं. 5 इंच बुनने के बाद 1-1 फं. दोनों तरफ बढ़ाती जाएं और 70 फं. कर लें. मुड्ढे के लिए 5, 3, 2, 1 घटाएं.

गला: दोनों तरफ के फं. उठा कर गले पर भी इसी प्रकार डिजाइन बनाएं. कंधे जोड़ कर पूरे ब्लाउज की सिलाई कर दें.

सजावट: क्रोशिए से चेन के गोले और डिजाइन बना कर टांक दें.      
– उर्मिला कुमारी

 

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