जानें खुशहाल गृहस्थी के राज

कहते हैं जीवन का असली सुख विवाह में है पर कभीकभी विवाहित जीवन में आई कुछ गलतफहमियां परिवार उजाड़ कर रख देती हैं. अगर विवाह को सफल बनाना है तो पतिपत्नी दोनों को छोटीछोटी बातों को भूल कर अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाना चाहिए. शादी से पहले हर लड़के या लड़की के मन में जीवनसाथी की एक छवि होती है, जो जरूरी नहीं कि हकीकत से मेल खाए. वैसे भी जब 2 भिन्न विचारधाराओं के लोग एकदूसरे के साथ रहते हैं तो उन में मतभेद होना आम बात है. इन मतभेदों को मिटा कर ही विवाह की नींव मजबूत की जा सकती है.

प्यार और विश्वास की मजबूत नींव

पतिपत्नी का रिश्ता खून का नहीं होता, लेकिन दोनों का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बढ़ कर होता है. इस रिश्ते में प्यार, समर्पण और विश्वास होता है. इस रिश्ते की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसे मजबूती से पकड़ कर रखना चाहिए. हमेशा अपने प्यार को खुल कर दर्शाएं. कभी भी प्यार का इजहार करने के लिए हिचकिचाएं नहीं. प्यार के साथ एकदूसरे पर विश्वास करना भी इस रिश्ते की सफलता के लिए काफी अहम है. विवाह को सफल बनाने के लिए एकदूसरे पर अटूट विश्वास करें. किसी की भी बातों में आ कर अपना विश्वास नहीं तोड़ें.

जीवनसाथी भी दोस्त भी

दोस्ती से बड़ा कोई रिश्ता नहीं है. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के दोस्त बन जाएं तो जीवन की कठिन राहें भी आसान हो जाती हैं. प्यार, विश्वास और दोस्ती के साथ रह कर जिंदगी को और भी खूबसूरती से जिया जा सकता है. यह मानना है हाउसवाइफ रंजना सक्सेना का. उन की मानें तो पतिपत्नी छोटीछोटी बातों को भूलना सीखें और हर बात पर टोकाटाकी न करें. इस से जीवन में तनाव आ जाता है. अपनी सभी महत्त्वपूर्ण बातों में एकदूसरे को राजदार बनाएं. इस से आपसी भरोसा बढ़ता है.

समझें एकदूसरे की भावनाओं को

पतिपत्नी को एकदूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए. दोनों को पहले एकदूसरे को जानना जरूरी है. कोई भी ऐसी बात न कहें जिस से पति या पत्नी आहत हो. अपनी कमियों और भूलों को स्वीकार करना चाहिए. इस से दोनों का रिश्ता मजबूत होगा. लड़कियों को हर समय अपने मायके की तारीफ नहीं करनी चाहिए, इसे ससुराल वाले अपना अपमान मान सकते हैं. कुछ घरों में पति अपनी पत्नी से असम्मानजनक व्यवहार करते हैं, ऐसा कर के वे अपनी पत्नी के दिल में अपने प्यार और समर्पण की जगह नफरत पैदा करते हैं. एकदूसरे की भावनाओं को समझ कर अच्छा व्यवहार करें.

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पैसों को न दें अहमियत

अगर घर में सिर्फ पति कमाते हैं तो उन्हें कभी भी इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए कि मैं कमाता हूं और मेरी पत्नी आराम से घर में रहती है और न ही पति से ज्यादा कमाने वाली पत्नी इस बात को मन में लाए कि वह पति से ज्यादा कमाती है. पति ध्यान रखें कि अगर पत्नी हाउसवाइफ है तो भी घरगृहस्थी चलाने के लिए जीतोड़ मेहनत करती है. याद रखिए, घर बसाना किसी एक के बस की बात नहीं है. इसलिए एकदूसरे का सम्मान करें.

परिवार का महत्त्व

एकदूसरे के परिवार को हमेशा सम्मान दें. पति या पत्नी के परिवार के सदस्योें को प्यार और इज्जत दें. साथ ही ध्यान रखें कि आप के परिवार की छोटीछोटी बातें बाहर वालों को पता न चलें. अगर मामला गंभीर हो तो शांति से उस पर विचार करेें और जरूरत पड़ने पर अपने किसी विश्वसनीय मित्र की सहायता लें. कोई भी फैसला करने से पहले पति को अपनी पत्नी और पत्नी को अपने पति से राय जरूर ले लेनी चाहिए.

थोड़ा फौर्मल हो जाएं

एकदूसरे की तारीफ करने में कंजूसी न करें. अपनी तारीफ सुनना पति और पत्नी दोनों को ही अच्छा लगता है. इस के अलावा समयसमय पर एकदूसरे को सरप्राइज गिफ्ट दे कर भी अपनी भावनाएं और प्यार प्रकट करना चाहिए. भले ही यह सब आप को औपचारिकता लगे, पर ये छोटीछोटी बातें जीवन में खुशियां भर देती हैं.

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बचें इन बातों से

आप एकदूसरे को प्यार तो करें, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर अपनी शारीरिक हरकतों पर नियंत्रण रखें.

एकदूसरे की बातें सुनने का प्रयास करें, न कि अपनी ही बात को ले कर हावी हो जाएं.

अपने साथी से किसी भी विषय पर बात करें, लेकिन बातचीत को बहस में न बदलने दें.

तनाव के क्षणों में आप एकदूसरे के पास रह कर तनाव का कारण समझने और समाधान करने का प्रयास करें.

व्यस्त दिनचर्या में भी एकदूसरे के पास बैठने, गपशप करने और योजनाएं बनाने के लिए वक्त निकालें.

पत्नियां पति के घर पहुंचते ही समस्याओं का रोना न रोएं और पतियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे भी अपनी पत्नियों को यह बात न सुनाएं कि मैं तो घर के खर्च से तंग आ गया हूं.

एकदूसरे की आलोचना न करें.

काम के दौरान बेवजह बारबार फोन कर के एकदूसरे को डिस्टर्ब न करें.

किसी भी एक के प्यार में बनावटीपन या औपचारिकता दूसरे से दूर कर सकती है.

छुट्टी का दिन एकदूसरे के साथ बिताना चाहिए पर कभीकभी अलगअलग समय बिताना भी अच्छा होता है.

आप भले ही एकदूसरे से बहुत प्यार करते हों पर घरपरिवार के समारोह या किसी भी पार्टी में हर पल एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर घूमना ठीक नहीं है.

पति या पत्नी दूसरे को अपनी जागीर समझ कर उस पर हर वक्त हक न जमाए.

एकदूसरे की हरकतों पर नजर रखना, शक करना, आप के बीच दूरियां बढ़ा सकता है.

सप्ताह के अंत में कुछ नयापन लाएं, जिस से इस भागदौड़ की जिंदगी में कुछ चैन और सुकून मिले.

रोमांसपूर्ण आकर्षण के लिए अपने पहनावे पर पूरा ध्यान दें. वही कपड़े पहनें, जो एकदूसरे को अच्छे लगते हों.

प्यारभरा एक स्पर्श अपनेपन के एहसास को और भी बढ़ा देता है.

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तो बैटर हाफ बन जाएगी बैस्ट हाफ

विवाह 2 अजनबियों का वह बंधन होता है जिस में वे एकदूसरे का जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं. लेकिन कई बार पारिवारिक दबाव के चलते यह बंधन बेमेल भी हो जाता है, जिस में पति तो बेहद आकर्षक होता है. मगर पत्नी उस के मुकाबले उन्नीस नहीं पंद्रह यानी कम आकर्षक या गंवार होती है. इस के चलते इस अटूट बंधन में गांठ पड़ने की संभावना रहती है, क्योंकि खूबसूरत और आकर्षक पति को लगता है उस का और उस की पत्नी का कोई मेल नहीं है. वह उस से कटाकटा सा रहने लगता है. जबकि विवाह व प्यार के लिए खूबसूरती से ज्यादा आपसी तालमेल की जरूरत होती है. वैसे भी विवाह 2 शरीरों का ही नहीं 2 दिलों का भी मिलन होता है. 1986 में बनी फिल्म ‘नसीब अपनाअपना’ में ऋषि कपूर का विवाह गांव की सांवली लड़की राधिका के साथ होता है. ऋषि कपूर उस में कोई दिलचस्पी नहीं लेता, लेकिन राधिका अपने पति को लुभाने की पूरीपूरी कोशिश करती है.

ब्यूटी पर भारी टैलेंट

कहावत है खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है. अगर आप की पत्नी आप के मुकाबले लुक्स में उन्नीस है तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपनी पत्नी को किस नजर से देखते हैं. आप उस के लुक्स को अनदेखा कर के उस के गुणों व टैलेंट को ज्यादा महत्त्व दे सकते हैं. माना कि आप की पत्नी गोरी नहीं है, खूबसूरत नहीं है, मोटी है लेकिन उस में कुछ गुण अवश्य होंगे, जिन्हें आप खूबसूरती से ज्यादा महत्त्व दे सकते हैं. हो सकता है वह अच्छी कुक हो, गीतसंगीत में माहिर हो, अच्छी पेंटिंग करती हो. आप उस के उन गुणों को महत्त्व दें. उस की सराहना करें. अगर आप उस की कम खूबसूरती को ले कर उस की अनदेखी करेंगे या उस से दूरी बनाएंगे, तो आप न केवल उस के साथ ज्यादती करेंगे, बल्कि खुद के साथ भी ज्यादती करेंगे. आप अपने आसपास नजर दौड़ाए. ऐसे अनेक जोड़े होंगे, जिन का शारीरिक रूप से कोई मेल नहीं है, फिर वे एकदूसरे के पूरक है, एकदूसरे को पूरी तरह सपोर्ट करते हैं, क्योंकि उन्होंने एकदूसरे को दिल से अपनाया है.

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खूबसूरती के असल माने

कई बार देखने में आता है कि पत्नी बेहद खूबसूरत तो होती है, लेकिन पति के साथ उस का कोई तालमेल नहीं होता. वे एकदूसरे के अच्छे दोस्त नहीं होते, सुखदुख में उन की आपसी साझेदारी नहीं होती. ऐसे में पत्नी की खूबसूरती मात्र दिखावा बन कर रह जाती है. पतिपत्नी के रिश्ते में सूरत से ज्यादा आपसी प्यार व समझदारी महत्त्व रखती है. वैसे भी जब 2 लोग आपस में प्यार करते हैं तो काला, गोरा, मोटा, पतला, लंबा, ठिगना कोई महत्त्व नहीं रखता, क्योंकि प्यार अंधा होता है. आप छैलछबीले हैं, लेकिन आप की पत्नी गंवार है, तो भी आप उसे उसी रूप में स्वीकारें. जब आप उसे प्यार करने लगेंगे तो वह आप को खूबसूरत दिखने लगेगी. प्यार का एहसास खूबसूरती पैदा करता है, मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत देता है. आप पत्नी से इसलिए प्यार न करें कि वह खूबसूरत है, बल्कि अपने प्यार से उस की खूबसूरती को निखारें.

बेमेल विवाह में ऐसे होगा मेल

माना कि आप दोनों के लुक्स, स्टाइल में अंतर है, लेकिन अब वह आप की बैटर हाफ है यानी आप के जीवन की पार्टनर है तो आप की जिम्मेदारी बनती है कि आप उसे बैस्ट हाफ बनाएं बजाय उसे अपने से कमतर होने का एहसास कराने के. दोस्तों, रिश्तेदारों के सामने न खुद शर्मिंदा हों न उसे शर्मिंदा कराएं. पत्नी की भावनाओं को महत्त्व दें व पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के सामने उस की खूबियों का बखान करें. कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, इस पर अमल कर अपनी बैटर हाफ में आत्मविश्वास जगाएं. ‘तुम से विवाह कर के मेरी तो जिंदगी ही बरबाद हो गई,’ कई पति ऐसी बातें कह कर पत्नी को उस की कमियों का एहसास कराते हैं. इस से रिश्ते में प्यार व जुड़ाव पनपने के बजाय नफरत व अलगाव पैदा होता है, जो किसी भी रिश्ते के टूटने के लिए पर्याप्त होता है.

ऐसे बेमेल विवाह के बावजूद एकदूसरे के साथ मेल करना ही पतिपत्नी के स्वस्थ रिश्ते की पहचान होती है. हाल ही में धनबाद झारखंड की ऐसिड अटैक की शिकार सोनाली मुखर्जी की उड़ीसा के इंजीनियर चितरंजन तिवारी ने अपनी पत्नी बना कर यह जता दिया कि वह सिर्फ सोनाली मुखर्जी की बाहरी नहीं आंतरिक खूबसूरती से प्यार करता है. आप को जान कर हैरानी होगी कि इस ऐसिड अटैक में सोनाली का 70 फीसदी चेहरा जल गया था. सोनाली और चितरंजन का वैवाहिक बंधन साबित करता है कि विवाह में शारीरिक बनावट के बजाय मन का मेल अधिक माने रखता है.

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गू्रमिंग का लें सहारा

बाजार में, मेकअप, ब्यूटीफिकेशन व पर्सनैलिटी डैवलपमैंट के इतने औप्शन हैं कि आप पत्नी का टोटल लुक चेंज कर सकते हैं. अच्छा हेयर कट, फिगर के अनुकूल ड्रैस, सैक्सी साड़ी व ब्लाउज व चेहरे के अनुसार मेकअप आप की पत्नी को बेहतर लुक दे सकता है. आप चाहें तो अपनी पत्नी को पर्सनैलिटी डैवलपमैंट की क्लासेज भी जौइन करा सकते हैं जहां उसे टेबल मैनर्स, गैस्ट का वेलकम, बोलचाल, चालढाल सभी की सही ट्रेनिंग दी जाएगी. इस से उस का व्यक्तित्व निखर जाएगा और आप हैरान हो जाएंगे कि क्या यह वही पत्नी है. यही नहीं गू्रमिंग से आप की पत्नी में आत्मविश्वास भी जगेगा.

न आए Married Life में दरार

विवाहेतर संबंध कई युगों से चले आ रहे हैं और हर वर्ग व समाज के लोग इस वर्जित फल को पाने के लिए लालायित रहते हैं. उन के सामाजिक व आर्थिक स्टेटस, पारिवारिक बैकग्राउंड, शिक्षादीक्षा और धर्म व संस्कार में अंतर हो सकता है, लेकिन इस सुख को पाने के लिए सभी विवेकहीन हो कर अपनी बांहें पसार आगे बढ़ जाते हैं. इस के परिणाम अकसर सुखद नहीं होते. भई, 2 नावों को सवारी कर कौन पार उतर पाया है? और फिर दांव पर बहुत कुछ लग जाता है, कैरियर, इज्जत, मानसम्मान, रिश्तों का टूटना, आर्थिक परेशानी, मानसिक तनाव, बच्चों का भविष्य वगैरह. फिर भी समझदार, परिपक्व वयस्क व्यक्ति (मर्द/औरत) क्यों रखते हैं विवाहेतर संबंध? कभीकभी तो ऐसे कपल के बीच इस अफेयर का बम फूटता है जो परफैक्ट कपल नजर आ रहे होते हैं. समझ नहीं आता कि आखिर क्यों, कैसे? यहां तो सब कुछ सही था. लेकिन नहीं, निश्चित तौर पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ गलत था जिसे दोनों ही नहीं देख पाए.

यहां बताए जा रहे हैं कुछ संभावित मुख्य कारण, जिन्हें आप विवाहेतर संबंध यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के लिए उत्तरदायी मान सकते हैं:

कम उम्र में शादी

जिन की शादी कम उम्र में यानी 20-22 वर्ष तक की उम्र में हो जाती है उस वक्त उन में न तो अधिक समझ होती है, न ही उन के कैरियर व जिंदगी में स्थायित्व आया होता है. ऐसे लोग जब 30-32 की उम्र में पहुंचते हैं तभी उन के विचारों में परिपक्वता आती है या कहिए उन्हें जिंदगी जीने का सलीका आता है. और इन सब के साथ ही उन्हें यह महसूस होता है कि उन्होंने अपनी जवानी के दिन यों ही गुजार दिए. मौजमस्ती, फ्लर्टिंग जैसी अवस्थाओं से वे गुजरे ही नहीं. जिंदगी के उस हसीन हिस्से को वे अब जीना चाहते हैं, अनुभव करना चाहते हैं. अपनी लाइफ में थ्रिल, ऐक्साइटमैंट को महसूस करने के लिए वे मुड़ते हैं ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की खतरनाक, फिसलन भरी मगर बेहद हसीन, दिलफरेब गलियों में.

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गलत कारणों से हुई शादी

अधिकांश व्यक्ति परिवार व समाज के दवाब में आ कर जीवनसाथी का चयन कर बैठते हैं. ऐसी शादी सामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक कारण और जाति बंधन वगैरह को ध्यान में रख कर तय होती हैं. शादी के कुछ वर्षों बाद उन्हें अपनी इस गलती का एहसास होता है कि उन्होंने गलत जीवनसाथी का चयन कर लिया है. जिंदगी के इस मुकाम पर अगर उन की मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से हो जाती है जो उन के लाइफ पार्टनर से शारीरिक या मानसिक रूप से बेहतर है तो वे तुरंत उस की तरफ आकर्षित हो जाते है. और यह आकर्षण, जानपहचान व दोस्ती के गलियारों से गुजरता एक मजबूत अफेयर के अंजाम तक पहुंच जाता है.

जिंदगी में आए बदलाव से उपजा स्ट्रैस

जिंदगी हर पल रंग बदलती है. नित नई चुनौती सामने रखती है. लेकिन कभीकभी काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ता है. जैसे पारिवार में किसी प्रिय की मौत, फाइनैंशियल लौस, नौकरी का खोना, पदोन्नति न होना वगैरह. ऐसे मुश्किल हालात में कई बार लोग सहारे व इमोशनल सपोर्ट के लिए अपने पार्टनर को छोड़ किसी और के सहज उपलब्ध मजबूत कंधे का सहारा लेते हैं. खासतौर पर तब जब पार्टनर ज्यादा सपोर्टिव व समझदार न हो. कई बार अनजान हमदर्द को हम अपना दर्द आसानी से बता देते हैं और अपनी कमजोरी अपने डर का हमराज उसे बना लेते हैं जो हमारी तरफ इन मुश्किल हालात में सहानुभूति और सहारे का हाथ बढ़ाता है. धीरेधीरे हमदर्दी का यह रिश्ता अनजाने में ही अफेयर की शक्ल अख्तियार कर लेता है.

मातापिता बनना

घरआंगन में नन्ही किलकारी की गूंज से मधुर संगीत दूसरा नहीं होता. लेकिन पतिपत्नी से मातापिता बनने का सफर दोनों के जीवन में काफी बदलाव लाता है और यह दौर चुनौतीपूर्ण भी होता है. पतिपत्नी की परस्पर रिलेशनशिप व प्राथमिकताएं बदलती हैं. एकदूजे के साथ जितना वक्त बिताना चाहिए उस में कमी आ जाती है. अकसर देखा गया है कि एक पत्नी मां की भूमिका में जिस सहजता से ढल जाती है और बच्चे के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है, पति के लिए यह बदलाव उतना आसान नहीं होता. उसे अकसर लगता है कि उस का महत्त्व पत्नी की नजर में कम हो गया है. उसे जिस अटैंशन और वैंपरिंग की आदत हो गई थी, वह उसे मिस करता है. और इसी अटैंशन की खोज में वह घर से बाहर भागता और अफेयर में उलझ जाता है. पत्नी अपने बच्चे में इतनी उलझी होती है कि काफी वक्त तक पति की कारगुजारी की उसे भनक तक नहीं लगती.

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सैक्सुअल रिलेशन में उदासीनता

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने की एक बहुत बड़ी या प्रमुख वजह आप इसे मान सकते हैं. सैक्सुअल डिजायर का पूरा न होना पतिपत्नी के रिश्ते को बेहद कमजोर कर देता है. अपने जीवन को इस कमी को दूर करने के लिए अकसर घर से बाहर कदम निकलते हैं और अफेयर जन्म लेता है.

भावनात्मक अलगाव

कभीकभी कपल के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो जाता है. दोनों के बीच प्यार तो होता है, मगर जुड़ाव कम होता जाता है. कैरियर के सिलसिले में अलगअलग शहरों/देशों में रहना इस की एक वजह होती है. और वजहें होती हैं वक्त की कमी या फिर संवाद की कमी.ऐसा होने से हो सकता है कि गुजरते वक्त के साथ आप एकदूजे से इमोशनली डिसकनैक्ट हो जाएं और किसी और से आप के मन के तार जुड़ जाएं. बाद में यह खूबसूरत, भावनात्मक रिश्ता अफेयर का रूप ले ले.

बदलाव की चाह

कभीकभी जिंदगी एक मुकाम पर आ कर ठहर सी जाती है. रिश्ते, बातें, स्पर्श, साथ, साहचर्य इन सब से ताजगी की महक उड़ जाती है. शादी के कुछ वर्षों पश्चात उपजी इस एकरसता से पैदा होती है बदलाव की चाह. लाइफ पार्टनर से प्यार है मगर रिश्ते में वह स्पार्क बाकी नहीं, जो पहले था. इस कमी को दूर करने, जिंदगी में कुछ नया, ऐडवैंचरस करने और मिर्चमसाला भरने की चाह नए साथी, नए सफर पर चलने की वजह बनती है. ऐसे में शुरुआत हो जाती है एक नए अफेयर की.

कैरियर में आगे बढ़ने की ललक

आज कैरियर वूमन का जमाना है. मर्दों के लिए तो पहले भी था, लेकिन अब महिलाओं के लिए भी कैरियर उन की टौप मोस्ट प्राथमिकता है. अब जब मैरिड कपल में दोनों ही वार्किंग हैं, दोनों ही पदोन्नति पाने को बेताब हैं, अपना सारा समय, शक्ति, ऊर्जा और क्षमता कैरियर को ऊंचा उगने में लगा रहे हैं, तो स्पष्ट है कि उन के पास आपसी रिश्तों को संवारने, सहेजने और मजबूत बनाने के लिए न तो वक्त है, न ही इस की जरूरत उन्हें महसूस होती है. नतीजा, उन के रिश्ते में अब वह मजबूती, स्थायित्व नहीं रह जाता जो पहले होता था. इस कमी के चलते दोनों में से कोई भी एक पार्टनर सहज ही उपलब्ध मौके का फायदा उठा कर नई राह का राही बन जाता है.

किसी एक का बेहद आकर्षक होना

आम जिंदगी में यह बहुत ही कम देखने में आता है कि पतिपत्नी दोनों ही समान रूप से खूबसूरत, आकर्षक हों. 19-20 के फर्क को रहने दिया जाए तो ऐसे भी कपल देखने में मिलते हैं जहां अंतर 10 और 20 का होता है. और अगर पति 20 और बीवी 10 है, तो ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है. हैंडसम, उच्चपदस्थ, वैलग्रूम्ड मर्दों की तरफ विवाहित, अविवाहित महिलाएं बिन डोर खिंची चली जाती हैं. और मर्द तो विधिवत प्रेमी होते ही हैं, ऐसे में सैक्सी, हौट सुंदर बाला जब स्वयं आगे बढ़ ग्रीन सिगनल दे बैठे तो अफेयर की शुरुआत तो बस हुई ही समझो.

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नारी स्वतंत्रता व समानता का दौर

आज के दौर में नारी किसी बात में मर्द से पीछे नहीं, अफेयर के मामले में भी नहीं. पति का हद से ज्यादा व्यस्त रहना, साधारण व्यक्तित्व होना, पत्नी से प्यार तो करना मगर इजहार, इकरार करना न आना या कहिए  पत्नी को वह अटैंशन न देना जो शादी की शुरुआत में देता था, ये कुछ ऐसे कारण हैं जो पत्नी को ऐक्स्ट्रा अफेयर के लिए उकसाते हैं. पहले भी ये वजहें होती थीं लेकिन पत्नी यों ही जीवन जीती रहती थी. लेकिन अब जौब करने से उस के पास भी भरपूर मौका है, पति के अलावा अन्य मर्दों के संपर्क में आने, उन से दोस्ती, फ्लर्टिंग, अफेयर करने का. लेकिन गलत राह के राही बनेंगे तो सही मंजिल तक कभी नहीं पहुंचेगे. बहकने, कदम डगमागाने के कारण चाहे जो भी हों, लेकिन समझदारी इसी में है कि आकर्षण, बदलाव और मौजमस्ती की चाहत में किए अफेयर को जल्द ही खत्म कर अपने घर जीवनसाथी के पास वापस आ जाएं. आखिर जिंदगी भर के साथ का वादा भी तो किया है. न.

शादी का लड्डू: बनी रहे मिठास

शादी की शुरुआत एकदूसरे के प्रति अथाह प्यार व भविष्य का तानाबाना बुनने से होती है. लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है, पारिवारिक जिम्मेदारियां प्राथमिकता बनने लगती हैं और प्यार धीरेधीरे अपनी जगह खोने लगता है. इस आपाधापी में पतिपत्नी यह भूल जाते हैं कि अगर आपसी रिश्ते में प्यार की ताजगी बनी रहेगी तो जिम्मेदारियों का निर्वाह भी हंसीखुशी होता रहेगा.

अपनी व्यस्त जिंदगी से कुछ पल सिर्फ एकदूसरे के लिए निकाल कर तो देखें, हर एक लमहा हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा.

कुछ बोल प्यार के

रविवार का खुशनुमा दिन. दिल्ली के शालीमार बाग के एक होटल में कारोबारी चोपड़ाजी की शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी चल रही थी. अकसर अपने काम में व्यस्त रहने वाले कारोबारी यहां फुरसत में एकदूसरे से गप्पें लड़ा रहे थे. तभी एक कारोबारी अपने परिचित एक कारोबारी से कहता है, ‘‘गुप्ताजी, आप की शादी को भी तो शायद 25 वर्ष होने वाले हैं. आप कब दे रहे हैं अपनी शादी की सिल्वर जुबली की पार्टी?’’

गुप्ताजी अपने दोस्त की बात पर मुसकराते हुए कहते हैं, ‘‘दोस्त, हमारे जीवन में तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, जिसे किसी पर्व की तरह मनाया जाए या फिर पार्टी दी जाए. मेरी पत्नी से कभी पूछ कर देखो तो. वह तो जैसे मेरे से उकता चुकी है. वह यही कहती मिलेगी कि मुझे अपनी जिंदगी में बहुत ही नीरस व्यक्ति मिला है, जो अपनी पत्नी को गहनेकपड़े दे कर ही अपना यानी पति का फर्ज पूरा हुआ समझता है.’’ इस बातचीत के दौरान गुप्ता जी यह बताना भूल गए कि आखिर शादी के बाद स्वयं उन्होंने अपनी पत्नी के साथ प्यार भरे मीठे पल बिताने की कितनी कोशिश की. पत्नी को सोनेचांदी के उपहार से ज्यादा पति के साथ बिताए प्यारे पल व प्यार से कहे गए दो शब्द ज्यादा प्रिय होते हैं.

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आपस में प्यार के दो मीठे बोल बोलने के लिए समय का इंतजार करते रहेंगे तो शायद यूं ही सारी उम्र बीत जाए. सुबह औफिस पहुंचने की भागमभाग के बीच कुछ पल निकाल कर पत्नी को आलिंगन करते हुए सिर्फ इतना कहना है कि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. फिर तो पत्नी के चेहरे पर छाई लाली को आप सारा दिन भुला नहीं पाएंगे.

शाम को चाय की चुसकियां लेते समय पत्नी की प्यार भरी छेड़छाड़ पति की सारे दिन की थकान दूर कर देगी. ये छोटेछोटे पल नीरसता को दूर कर के जिंदगी को खुशनुमा बना देंगे.

मेड फौर ईचअदर

हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार अधिकांश विवाहित जोड़े शादी के 2-3 साल बाद ही एकदूसरे से उकताने लगते हैं. कई पति तो ऐसे भी होते हैं कि पत्नी अगर कुछ दिनों के लिए मायके चली जाए तो वे उन दिनों को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. ऐसे पतियों को पत्नी की कमी का एहसास तब होता है जब घरेलू कामकाज खुद करने पड़ते हैं.

फिर जिन दिनों को आप स्वतंत्रता के दिन कह रहे हैं, ऐसे आजादी के दिन जब लंबे खिंचने लगते हैं तो पत्नी पर निर्भर ज्यादातर पति मन ही मन यही सोचते हैं कि पत्नी जल्दी से जल्दी घर लौट आए तो अच्छा हो. हां, यह बात अलग है कि 100 में से 1 भी पति यह मानने को तैयार नहीं होता है कि पत्नी के जाने पर उसे किसी प्रकार की कोई दिक्कत पेश आ रही थी.

उम्र के साथ बढ़ता प्यार

‘‘शादी के कुछ वर्ष बीत जाने के बाद पतिपत्नी एकदूसरे से उकताए से दिखते जरूर हैं, पर यह उकताहट मन से नहीं, ऊपरी तौर पर होती है, क्योंकि शादी के कुछ ही वर्षों के बाद पति अपनी पत्नी पर कुछ इस कदर निर्भर हो जाते हैं कि छोटीमोटी बात के लिए भी वे अपनी पत्नी के मुहताज हो जाते हैं और तब उन की ‘मेड फौर ईचअदर’ वाली स्थिति बन जाती है.

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शादी के बाद बढ़ती उम्र में प्यार का प्रभाव जानने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि शादी के बाद समय के साथ शादीशुदा जोड़ों में आपसी प्यार व लगाव कम होता जाता है, वाली बात पूरी तरह से गलत है. सचाई यह है कि शादी के बाद वर्षों तक साथ रहने और एकदूसरे के गुणों को जाननेसमझने के बाद शादी के शुरुआती दौर की तरह ही इस उम्र में भी प्यार फिर से परवान चढ़ता है और पहले के प्यार के दौर के मुकाबले यह कहीं ज्यादा गहरा होता है.

मुझसे कोई प्यार करता है, लेकिन मैं उससे प्यार नहीं करती, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. पर समस्या यह है कि मेरा चचेरा भाई भी मुझे बहुत प्यार करता है, मैं उसे नहीं चाहती. लेकिन यह बात कह कर मैं उसे दुखी भी नहीं करना चाहती हूं. फिर यदि मैं ने अपने बौयफ्रैंड से इस प्रेम संबंध को समाप्त करने की बात कही तो उसे तो दुख होगा ही, साथ ही मैं भी उस से जुदा हो कर जी नहीं पाऊंगी. मैं अजीब उलझन में हूं. किसी का भी दिल नहीं तोड़ना चाहती. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.

जवाब

आप को अपने चचेरे भाई को किसी मुगालते में नहीं रखना चाहिए. उस से साफ साफ कह दें कि आप दोनों भाईबहन हैं और आप का खून का रिश्ता है. आप की उस के प्रति जो चाहत है वह सिर्फ एक बहन की अपने भाई के प्रति है. यह सुन कर वह दुखी होगा, हो सकता है कि आप से नफरत भी करने लगे, पर इस के अलावा आप के पास कोई चारा भी नहीं है. प्यार के इस भ्रम को जितनी जल्दी तोड़ देंगी, तकलीफ उतनी ही कम होगी.

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उस ने रक्षित का दरवाजा खटखटाया. वह उस का बचपन का दोस्त था. बाद में दोनों कालेज अलगअलग होने के कारण बहुत ही मुश्किल से मिलते थे. काव्य इंजीनियरिंग कर रहा था और रक्षित डाक्टरी की पढ़ाई. आज काव्य अपने मामा के यहां शादी में अहमदाबाद आया हुआ था, तो सोचा कि अपने खास दोस्त रक्षित से मिल लूं, क्योंकि शादी का फंक्शन शाम को होना था. अभी दोपहर के 3-4 घंटे दोस्त के साथ गुजार लूं. जीभर कर मस्ती करेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे. वह रक्षित को सरप्राइज देना चाहता था.

उस के पास रक्षित का पता था क्योंकि अभी उस ने पिछले महीने ही इसी पते पर रक्षित के बर्थडे पर गिफ्ट भेजा था. दरवाजा दो मिनट बाद खुला, उसे आश्चर्य हुआ पर उस से ज्यादा आश्चर्य रक्षित को देख कर हुआ. रक्षित की दाढ़ी बेतरतीब व बढ़ी हुई थी. आंखें धंसी हुई थीं जैसे काफी दिनों से सोया न हो. कपड़े जैसे 2-3 दिन से बदले न हों. मतलब, वह नहाया भी नहीं था. उस के शरीर से हलकीहलकी बदबू आ रही थी, फिर भी काव्य दोस्त से मिलने की खुशी में उस से लिपट गया. पर सामने से कोई खास उत्साह नहीं आया.

‘क्या बात है भाई, तबीयत तो ठीक है न,’ उसे आश्चर्य हुआ रक्षित के व्यवहार से, क्योंकि रक्षित हमेशा काव्य को देखते ही चिपक जाता था.

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लेखिका- भाषणा बांसल गुप्ता

कई दिनों से निशा की बढ़ती व्यस्तता नितिन की बेचैनी बढ़ा रही थी. जब भी नितिन सेक्स के मूड में होता वह उस की व्यस्तता के कारण यौनसुख प्राप्त नहीं कर पाता. यह नहीं कि निशा को इस की जरूरत महसूस नहीं होती, पर वह अपने काम को अपनी इस जरूरत से अधिक महत्त्व देती. इस से नितिन की यौन भावनाएं आहत होतीं.  धीरेधीरे वह यौन कुंठा का शिकार हो गया. अकसर व्यस्त दंपती अपनी सेक्सलाइफ का पूर्णरूप से आनंद नहीं उठा पाते, क्योंकि अगर वे सेक्स करते भी हैं तो किसी कार्य को निबटाने की तरह. न तो उन्हें एकदूसरे से रोमांटिक बातें करने की फुरसत होती, न ही वे परस्पर छेड़छाड़ का मजा ले पाते. सेक्स विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्स में चरमसुख की प्राप्ति तभी हो पाती है जब पतिपत्नी दोनों पूरी तरह उत्तेजित हों और यह उत्तेजना उन में तभी आ सकती है, जब वे सेक्स से पहले आवश्यक क्रियाएं जैसे परस्पर छेड़छाड़, एकदूसरे के गुप्त अंगों को सहलाना, होंठ चूमना, आलिंगनबद्ध होना इत्यादि करें. इन क्रियाओं से सेक्सग्रंथियां तेजी से काम करना शुरू कर देती हैं व पतिपत्नी में अत्यधिक उत्तेजना पैदा हो जाती है, जो उन्हें चरमसुख प्रदान करने में सहायक होती है. पर जो दंपती अपने काम को सेक्स से ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानते हैं, वे ऐसा कदापि नहीं कर पाते.

घातक स्थिति है यह

राघव की जौब ऐसी है कि वह रात को 11 बजे से पहले घर नहीं लौट पाता. उस की पत्नी ट्विंकल भी नौकरी करती है. दोनों इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें एकदूसरे से ढंग से बात  करने तक की फुरसत नहीं मिलती. सेक्स को भी दोनों अपने जौबवर्क की तरह ही निबटाते हैं. नतीजा यह होता है कि वे कई सप्ताह तक शारीरिक तौर पर एकदूसरे के साथ जुड़ते ही नहीं, क्योंकि सेक्स में उन्हें बिलकुल भी आनंद नहीं आता और इसी कारण उन की इस में रुचि घटती जा रही है. अधिक व्यस्त रहने के कारण पतिपत्नी लगातार अपनी यौनइच्छाओं को दबाते रहते हैं, क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति भी आती है कि उन में से एक जल्दी फ्री हो जाता है व दूसरे के साथ अपना समय गुजारना चाहता है, शारीरिक सुख प्राप्त करना चाहता है परंतु उस की यह चाहत पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि उस का साथी बिजी है. ऐसे में पतिपत्नी न तो कभी अपनी यौन भावनाओं को एकदूसरे से शेयर कर पाते हैं, न ही सेक्स के विषय पर एकदूसरे से खुल कर बातचीत करते हैं. या तो वे लगातार सेक्स को नजरअंदाज करते हैं या इसे सिर्फ निबटाते हैं. ऐसी स्थिति में उन के सेक्स संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. धीरेधीरे सेक्स उन्हें बोर करने लगता है.

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सेक्स में बोरियत होने से दोनों ही इस से विमुख होने लगते हैं. उन की सेक्स के प्रति अंदरूनी चाहत खत्म होने लगती है और पति का अंग शिथिल पड़ता चला जाता है, साथ ही पत्नी को भी उत्तेजित होने में अधिक समय लगता है. यह स्थिति दांपत्य संबंधों के लिए खतरे की घंटी है. सेक्स, जो सफल वैवाहिक जीवन का आधार है, अगर पतिपत्नी इस से ही विमुख हो जाएंगे तो उन्हें एकदूसरे के प्रति कोई आकर्षण नहीं रहेगा. ऐसे में विवाहेतर संबंध पनपते हैं, जो पतिपत्नी के आपसी रिश्ते की जड़ें खोखली करने में अहम भूमिका निभाते हैं. अगर पतिपत्नी दोनों मिल कर प्रयास करें तो वे अपने व्यस्त जीवन में से सेक्स में पूर्ण आनंद प्राप्त करने हेतु समय निकाल ही सकते हैं. बस, जरूरत है थोड़ी समझदारी व इच्छाशक्ति की. अपनी यौनइच्छाओं को दबाएं नहीं बल्कि मौका देख कर उन्हें जीवनसाथी के समक्ष उजागर करें.

नेहा और सूजल ऐसी स्थिति में एकदूसरे को पूर्ण सहयोग देते हैं. एक फ्री है तो उस ने दूसरे के काम निबटा दिए, दूसरा जल्दी फ्री हो जाता है तो वह अपने साथी के कार्यों में सहयोग देता है ताकि वे दोनों एकदूसरे के साथ कुछ वक्त बिता सकें. नेहा कहती है, ‘‘कई बार सूजल जल्दी फ्री हो जाते हैं तो वह नौकरानी को खाना बनाने संबंधी हिदायतें देते हैं, फिर अन्य काम जैसे प्रेस के कपड़े भिजवाना, बेडरूम को व्यवस्थित करना इत्यादि कार्य निबटा लेते हैं. मैं जब घर लौटती हूं तो वह जल्दी से मुझे फे्रश होने को कह खाना लगा देते हैं. ऐसे में हमारा शारीरिक व मानसिक रिश्ता अधिक मजबूत हो जाता है.’’ यह तो तय है कि जिन पतिपत्नी में परस्पर सहयोग की भावना होती है, वे मानसिक तथा शारीरिक तौर पर एकदूसरे के अधिक करीब होते हैं, क्योंकि एकदूसरे का सहयोग उन्हें मानसिक संबल प्रदान करने के साथसाथ आपसी लगाव, प्यार व विश्वास में भी वृद्धि करता है. ऐसे में वे शारीरिक तौर पर भी सहज ही एकदूसरे से जुड़ जाते हैं और उन्हें उत्तेजित होने में भी अधिक समय नहीं लगता.

इन्हीं सब बातों पर आप की सेक्सलाइफ निर्भर करती है. अगर आप चरमसुख की अनुभूति प्राप्त करना चाहते हैं तो परस्पर सहयोग तो करना ही होगा, क्योंकि सेक्स भी टैक्स मांगता है. तो फिर देर किस बात की, टैक्स चुकाइए व सेक्स का लुत्फ उठाइए.

नवीनता लाएं

अगर आप सदैव व्यस्तता का रोना रो कर सेक्स से कटते हैं तो आप के संबंध बेहद नीरस हो जाते हैं. ऐसी स्थिति पैदा होने पर आप को स्वयं में कुछ बदलाव लाने होंगे, तभी आप अपने संबंधों को चरमसुख के रस से सराबोर कर सकते हैं.

सेक्स का पूरा आनंद उठाने हेतु आप दोनों का पूर्णरूप से उत्तेजित होना बहुत आवश्यक है और यह उत्तेजना तभी आ सकती है, जब आप सेक्स से पूर्व एकदूसरे के साथ मीठीमीठी बातें, शरारतें, छेड़छाड़ करें.

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कभीकभी रूटीन से हट कर कुछ नया करें. समय निकाल कर जीवनसाथी से मोबाइल पर मीठी बातें करें. अगर वह बिजी हो तो उसे रोमांटिक मैसेज भेजें.

अपने अंत:वस्त्रों में बदलाव लाएं. ऐसे रंग के अंत:वस्त्र पहनें, जो जीवनसाथी को बेहद पसंद हों.

डिनर के वक्त प्यार से एकदूसरे को निहारें. पैरों से शरारतें करें. कभी खाना लेते वक्त हलके से हाथों का स्पर्श करें या फिर अचानक उस अंग को छू दें, जिस से जीवनसाथी में उत्तेजना पैदा होती हो. रोमांटिक गाने सुनें.

आप का बेडरूम व्यवस्थित व खुशबूदार होना चाहिए. बेडरूम में भीगी महक वाला स्पे्र करें. यह महक आप को मदहोश कर देगी और आप मौका मिलते ही आलिंगनबद्ध हो जाएंगे और आप को पता भी नहीं चलेगा कि कब आप एकदूसरे में समा गए.

मंगेत्तर और पति से जुड़ी प्रौब्लम का जवाब दें?

सवाल-

मैं विवाहित युवती हूं. हमारे विवाह को अभी सिर्फ 1 साल हुआ है. मेरे पति कहते हैं कि सहवास करते समय उन्हें किसी प्रकार की आनंदानुभूति नहीं होती. बताएं मैं क्या करूं? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आता.

जवाब-

आप सहवास करने से पहले परस्पर प्रेमालाप करें. समागम से पहले एकदूसरे की कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए चुंबन, आलिंगन आदि कामक्रीडाएं यानी फोरप्ले करें. इन रतिक्रीडाओं से आप दोनों की ही कामोत्तेजना में वृद्धि होगी. उस के बाद जब आप सहवास करेंगे तो यकीनन आप दोनों को आनंदानुभूति होगी.

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मेरी सगाई हो चुकी है.6 महीने बाद शादी है. होने वाले पति का घर सुखीसंपन्न है. पर एक बात के लिए मैं मुश्किल में हूं. मंगेतर शादी पूर्व ही शारीरिक संबंध के लिए जोर दे रहा है. मैं विवाहपूर्व यह सब नहीं चाहती, मगर मंगेतर का कहना है कि विवाह तय हो चुका है तो खतरा किस बात का है? मंगेतर मिलने बुलाता है तो डर लगता है. मैं क्या करूं?

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध के कई खतरे हैं. भले ही आप लोगों की शादी तय हो चुकी है पर फिर भी मंगेतर की जिद पर आप उन्हें समझाएं कि मात्र 6 महीने ही तो शेष हैं, जो जल्दी ही बीत जाएंगे. इस से पूर्व संबंध बनाना उचित नहीं है. इस के अलावा विवाह को ले कर वरवधू में एक रोमांच होता है, वह विवाहपूर्व संबंध स्थापित कर लेने से जाता रहेगा. समझदारी से काम लेंगी तो मंगेतर मान जाएंगे.

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‘‘नहीं, आज नहीं,’’ अजय ने जैसे ही भारती को अपने करीब खींचने की कोशिश की, भारती ने झट से उसे पीछे धकेल दिया.

‘‘यह क्या है? कुछ समय से देख रहा हूं कि जब भी मैं तुम्हारे पास आना चाहता हूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर दूर भागती हो. क्या अब मुझ में दिलचस्पी खत्म हो गई है?’’ अजय ने क्रोधित स्वर में पूछा.

‘‘मुझे डर लगता है,’’ भारती ने उत्तर दिया.

‘‘2 बच्चे हो गए, अब किस बात का डर लगता है?’’ अजय हैरान था.

‘‘इसीलिए तो डर लगता है कि कहीं फिर से प्रैग्नैंट न हो जाऊं. तुम से कहा था कि मैं औपरेशन करा लेती हूं, पर तुम माने नहीं. तुम गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते, इसलिए मैं किसी किस्म का रिस्क नहीं लेना चाहती हूं.’’

भारती की बात सुन कर अजय दुविधा में पड़ गया कि पत्नी कह तो ठीक रही है, लेकिन वह भी क्या करे? उसे कंडोम का इस्तेमाल करना पसंद नहीं था. उसे लगता था कि इस से सहवास का मजा बिगड़ जाता है, जबकि भारती को लगता था कि अगर वे कोई कौंट्रासेप्टिव इस्तेमाल कर लेंगे तो यौन संबंधों का वह पूरापूरा आनंद उठा सकेगी.

अब सुजाता की ही बात लें. उस का बेटा 8 महीने का ही था कि उसे दोबारा गर्भ ठहर गया. उसे अपने पति व स्वयं पर बहुत क्रोध आया. वह किसी भी हालत में उस बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं थी, न मानसिक न शारीरिक रूप से और न ही आर्थिक दृष्टि से. पहले बच्चे के जन्म से पैदा हुई कमजोरी अभी तक बनी हुई थी, उस पर उसे गर्भपात का दर्द झेलना पड़ा. वह शारीरिक व मानसिक तौर पर इतनी टूट गई कि उस ने पति से एक दूरी बना ली, जिस की वजह से उन के रिश्ते में दरार आने लगी. जब पति कंडोम का इस्तेमाल करने को राजी हुए तभी उन के बीच की दूरी खत्म हुई.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जिद्दी पत्नी से कैसे निभाएं

पत्नियों की जिद का खमियाजा पतियों को कैसेकैसे भुगतना पड़ता है इस का सटीक उदाहरण सीता की वह जिद है जिस के चलते वह खुद तो रावण की कैद में रही ही, साथ ही पति राम और देवर लक्ष्मण को भी जोखिम में डाल दिया. किस्सा बहुत प्रचलित है कि वनवास के दौरान सीता ने जंगल में सोने का हिरण देखा और जिद पकड़ बैठी कि मु  झे वह चाहिए.

मर्यादापुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम ने लाख सम  झाया, लेकिन उन की एक नहीं चली. लिहाजा वे दौड़ पड़े मारीच नाम के हिरण के पीछे. फिर इस के बाद जो हुआ उसे रामायण न पढ़ने वाले भी जानते हैं कि रामरावण युद्ध में लाखों लोग मारे गए.

सीता की इस जिद को समीक्षक और टीकाकार भले ही भगवान की लीला बताते भक्तों को ठगते रहें, लेकिन इस सवाल का जवाब वे भी नहीं ढूंढ़ पाए कि आखिर निर्जन वन में एक स्त्री का स्वर्णप्रेम क्यों इतना परवान चढ़ा कि उस ने पुत्र समान अपने देवर पर भी चारित्रिक लांछन तक लगा दिया.

त्रेता युग से ले कर आज तक पत्नियों की जिद में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. उन्हें इस बात से आज भी कोई सरोकार नहीं कि उन की बेजा जिद पति और परिवार पर कितनी भारी पड़ती है. उन्हें तो बस जो चाहिए उसे पाने के लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहती हैं. कभीकभी तो लगता है कि पतियों को मुश्किल में डालना ही उन की प्राथमिकता रहती है.

आज की सीता

भोपाल के आनंद नगर इलाके में रहने वाली 22 वर्षीय पूजा आर्य की जिद किसी सीता से कम नहीं कही जा सकती. फर्क बस इतना था कि उसे अकल्पनीय सोने का हिरण नहीं बल्कि क्व15 हजार वाला खास ब्रैंड का एक मोबाइल फोन चाहिए था. पूजा का पति विशाल रेलिंग लगाने का कारोबार करता है. उस की आमदनी या हैसियत कुछ भी कह लें इतनी नहीं थी कि वह पूजा की पंसद का महंगा मोबाइल फोन खरीद पाता.

लिहाजा उस ने पूजा को सम  झाया. कम आमदनी और बढ़े खर्चों के साथसाथ महंगाई और मोबाइल की उपयोगिता का हवाला भी दिया लेकिन पूजा के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. वह भी सीता की तरह जिद पर अड़ गईर् कि लूंगी तो क्व15 हजार वाला मोबाइल ही नहीं तो…

जिद ने उजाड़ दी दुनिया

बीती 11 जुलाई को विशाल ने मोबाइल फोन की जरूरत सम  झते हुए बाजार से क्व7 हजार की कीमत वाला फोन खरीद कर पूजा की दे दिया. बात पूजा को नागवार गुजरी तो वह पति से कलह करने लगी. इस पर विशाल को गुस्सा आना स्वाभाविक बात थी जो दिनरात मेहनत कर जैसेतैसे घर चलाता था. उस ने गुस्से में आ कर पूजा को पीट दिया. इस पर और ज्यादा गुस्साई पूजा ने डेढ़ साल की बेटी के बारे में भी नहीं सोचा और फांसी लगा कर जान दे दी.

अब विशाल सकते में है और थाने के चक्कर लगाते सफाई देता फिर रहा है कि उस ने कोई हिंसा नहीं की थी. मुमकिन है 2-4 साल में कानून के फंदे से वह छूट जाए, लेकिन तय है उसे जिंदगीभर इस बात का मलाल तो रहेगा ही कि अगर क्व8 हजार और मिला कर क्व15 हजार वाला मोबाइल ला ही देता तो पूजा बच तो जाती.

मगर इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पूजा उस के बाद कभी महंगी चीजों की जिद नहीं करती बल्कि आशंका है कि उस की जिद और बढ़ती जाती क्योंकि उसे पति और नन्ही बेटी से ज्यादा महंगे मोबाइल से लगाव था.

कहने का मतलब यह नहीं कि जो हुआ सो ठीक हुआ बल्कि यह है कि जिद्दी पत्नियां भलाबुरा कुछ नहीं सोचतीं. पूजा को यह सम  झना चाहिए था कि मोबाइल के उपयोग का उस की कीमत से कोई खास संबंध नहीं होता और पति ने उस की मांग या इच्छा का अनादर नहीं किया बल्कि अपनी हैसियत के मुताबिक मोबाइल ला कर दिया. मगर पूजा की इस जिद के चलते बेवजह एक हंसताखेलता परिवार उजड़ गया तो इस की जिम्मेदार भी पूजा ही कही जाएगी.

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ऐसे करती हैं परेशान

जैसे राम सीता की जिद के आगे बेबस और लाचार हो गए थे वैसा ही विशाल के साथ हुआ और वैसा ही लगभग हर उस पति के साथ होता है जिसे जिद्दी पत्नी मिलती है. उन की जिद पति पूरी न करें तो वे उन का उठनाबैठना, खानापीना और सोना तक हराम कर देती हैं. और तो और उन्हें शारीरिक सुख के अपने हक से वंचित करने से भी बाज नहीं आतीं.

भोपाल के ही एक व्यापारी रिव अरोरा का रोना यह है कि उन की पत्नी जब किसी चीज की जिद पकड़ लेती है जिसे वे पूरा नहीं कर पाते तो वह हाथ नहीं लगाने देती. सब्जी में नमक ज्यादा डाल देती है और हर बात का उलटा जवाब देती है.

दिनभर अपनी दुकान में तरहतरह के ग्राहकों के सामने सिर खपा कर रोजाना क्व2-3 हजार कमाने वाले रवि की जिंदगी का दर्द हरकोई आसानी से नहीं सम  झ सकता. वह अपनी पत्नी को बेइंतहा प्यार करता है लेकिन पत्नी की जिद जब जोर पकड़ती है तो वह सिर पकड़ कर बैठ जाता है कि अब क्या करे. आखिर में मन मार कर करता यही है कि पत्नी की हर जायजनाजायज जिद पूरी कर देता है ताकि घर में सुखशांति बनी रहे.

डरते हैं पति

इसी तरह का एक और दिलचस्प मामला भोपाल में ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आया. इस मामले में पत्नी की जिद यह थी कि पति उस के कमरे में अलग टीवी लगवाए क्योंकि वह अपना पसंदीदा धारावाहिक ‘बिग बौस’ नहीं देख पाती. पत्नी की शिकायत थी कि घर में एक ही टीवी है जिस में ससुरजी अपनी पसंद का सीरियल ‘क्राइम पैट्रोल’ देखते रहते हैं.

पति ने जब नया टीवी खरीदने में असमर्थता जताई तो पत्नी ने मायके जाने की जिद पकड़ ली. पत्नियों के ‘मैं मायके चली जाऊंगी…’ वाले सनातनी हथियार से अच्छेअच्छे पति डरते हैं.

समस्या का हल नहीं

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्रा ने पूरा मामला सुनने के बाद पति को आदेश दिया कि वह पत्नी के लिए 1 महीने में टीवी की व्यवस्था करे. आशुतोष मिश्रा के मुताबिक ऐसा हाल ही में एक नहीं बल्कि 3 मामलों में हुआ कि पतियों को इस बात का आदेश दिया गया कि वे पत्नियों को अलग मोबाइल व टीवी का इंतजाम करें. हालांकि पत्नियों को भी सम  झाया गया कि वे परिवार के साथ तालमेल बैठा कर चलें.

मगर यह समस्या का हल नहीं है उलटा पत्नियों की बेजा जिद को शह देने जैसी बात है. यह ठीक है कि उन की अपनी भी इच्छाएं और जरूरतें होती हैं, लेकिन देखा यह जाना चाहिए कि वे कैसी हैं और पति इन्हें पूरा करने में समर्थ हैं या नहीं.

टीवी या मोबाइल ऐसे गैजेट्स नहीं हैं जिन के बिना पत्नी का गुजारा न होता हो. हर पति की मुमकिन कोशिश रहती है कि वह पत्नी को ये चीजें ला कर दे. लेकिन बजट और आर्थिक स्थिति अच्छी न रहे तो वह कैसे इस जिद को पूरा करे? इस सवाल का जवाब यह निकलता है कि कलह और दुर्घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि पति पत्नियों की जिद को ठुकराएं नहीं बल्कि मैनेज करना सीखें.

कलह नहीं कोशिश करें

पत्नी को रास्ते पर लाने के लिए अपने खर्चों और जरूरतों में कटौती करे और उसे बताए कि ऐसा वह उस की जिद या इच्छा पूरी करने के लिए कर रहा है तो भी वास्तविकता उसे सम  झ आ सकती है.

इस के बाद भी वह न माने तो उस की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. वह किसी तरह का असहयोग खासतौर से सैक्स में करे तो उसे चुनौती की शक्ल में न ले बल्कि कोशिश करे कि सामान्य जीवन में खलल पैदा न हो.

पत्नी अगर गुस्से में आ कर धमकियां देने लगे तो उन्हें हलके में न ले. यही वह जिद है जहां आ कर पत्नी मन ही मन अपनी बात मनवाने का फैसला ले चुकी होती है और जिद पूरी न हो तो धमकी पर अमल भी कर डालती है. नतीजा पति बेचारा फंस जाता है. पत्नी आत्महत्या भी कर सकती है, मायके भी जा सकती है और घरेलू हिंसा की रिपोर्ट लिखाने थाने भी जा सकती है, इसलिए पति सोच ले कि मुनाफे का सौदा क्या है.

आखिर में यह सोच कर तसल्ली कर ले कि जब राम की भी अपनी पत्नी के आगे नहीं चली तो उस की बिसात क्या है.

ऐसे करें मैनेज

हालांकि यह बात सोलह आने सच है कि पत्नी एक बार अगर किसी जिद पर अड़ कर उसे अहम का सवाल बना ले तो पति के पास उसे मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता. लेकिन अगर पति खुद भी पत्नी की जिद पूरी न कर उसे अहम और प्रतिष्ठा का सवाल बना ले तो फसाद खड़ा होना तय है, इसलिए बेहतर है कि ऐसी नौबत ही न आने दी जाए यानी तब पति इन बातों पर गौर करे:

– पत्नी की जिद पर एकदम भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुनें.

– शुरू में उस से सहमति भड़के नहीं बल्कि सब्र से उस की बात सुने.

– जब पत्नी बात पूरी कर ले तो कुछ देर बाद अपनी बात कहें.

– पत्नी को सम  झाए कि वह उस की भावनाओं (दरअसल में जिद) का सम्मान करता है, लेकिन हालफिलहाल पैसों की तंगी या किसी दूसरी वाजिब वजह के चलते ऐसा होना संभव नहीं.

– पत्नी को चुनौती या धमकी न दे कि वह ऐसा नहीं कर सकता. फिर भले ही वह जो चाहे सो कर ले. बात यही से बिगड़ती है.

– मिसाल अगर मोबाइल फोन की ही लें तो पत्नी को सम  झाए कि वह क्व7 हजार का हो या क्व15 हजार का उस का उपयोग या फीचर्स तो करीबकरीब समान ही रहेंगे फर्क ब्रैंड का है, जिस से सम  झौता किया जा सकता है.

– अपने और पत्नी के बीच परिवारजनों को न घसीटे न ही उन के सामने पत्नी को उस की जिद की बाबत बेइज्जत करे.

– घर से बाहर ले जा कर पत्नी को घुमाएफिराए, होटल में खाना खिलाए और तब एकांत में अपनी बात कहे कि उस की जिद पूरी करने से उसे क्या परेशानियां पेश आ रही हैं.

– पत्नी को एहसास कराए कि वह उस से बहुत प्यार करता है और खुद चाहता है कि उस की हर इच्छा पूरी करे, लेकिन वह भी सोचे कि घर की खासतौर से आर्थिक स्थिति कैसी है. एक ही बात पर बारबार कलह न करें.

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पति के बिहेवियर में आए बदलाव तो आजमाएं ये 8 Tips

जिंदगी का सफर उन पतिपत्नी के लिए और भी आसान बन जाता है, जो एकदूसरे को समझ कर चलते हैं. कई बार दिनबदिन बढ़ती जिम्मेदारियों व जीवन की आपाधापी की वजह से पति पारिवारिक जीवन में सही तालमेल नहीं रख पाते. जिस के कारण उन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन व बदलाव आना स्वाभाविक होता है. ऐसी स्थिति में पत्नी ही पति के साथ सामंजस्य बैठा कर दांपत्य की गाड़ी को पटरी पर ला सकती है.

1. पति का सहयोग लें

पति की अहमियत को कम न आंकें. वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं में उन की सलाह जरूर लें. परिवार की समस्याओं का समाधान अकेले न कर के उन का भी सहयोग लें. यकीनन उन के व्यवहार में बदलाव आएगा.

2. जब उम्मीदें पूरी नहीं होतीं

कई बार पति चाहते हैं कि घरेलू कामों में उन की साझेदारी कम से कम हो. लेकिन पत्नियां अगर कामकाजी हैं तो वे पति से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा करती हैं. इस स्थिति से उपजा विवाद भी पति के स्वभाव में बदलाव का कारण बनता है. ऐसे में कार्यों का बंटवारा आपसी सूझबूझ व प्यार से करें. फिर देखिएगा, पति खुशीखुशी आप का हाथ बंटाएंगे.

3. छोटी पोस्ट को कम न आंकें

एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत आराधना को यह शिकायत रहती थी कि उन के पति एक फैक्टरी में सुपरवाइजर की छोटी पोस्ट पर हैं. इसे ले कर दोनों में गाहेबगाहे तकरार भी होती थी, जिस से पति चिड़चिड़े हो उठे. घर में अशांति रहने लगी. हार कर आराधना को साइकोलौजिस्ट के पास जाना पड़ा. उन्होंने समझाया कि पत्नी को पति के सुपरवाइजर पद को ले कर हीनभावना का शिकार नहीं बनना चाहिए और न ही पति की पोस्ट को कम आंकना चाहिए.

4. नजरिया बदलें

परिवार से जुड़ी छोटीछोटी समस्याओं का निबटारा स्वयं करें. रोज शाम को पति के सामने अपने दुख का पिटारा न खोलें. इस का सीधा असर पति के स्वभाव पर पड़ता है. वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगते हैं या स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं.

संयुक्त परिवारों में रह रहे कपल्स में यह समस्या आम है. छोटीछोटी घरेलू समस्याओं का हल स्वयं निकालने से आप का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, पति भी आप जैसी समझदार पत्नी पर नाज करेंगे.

5. ज्यादा पजेसिव न हों

पति के पत्नी के लिए और पत्नी के पति के लिए जरूरत से ज्यादा पजेसिव होने पर दोनों में एकदूसरे के प्रति चिड़चिड़ाहट पैदा हो जाती है. अत: रिश्ते में स्पेस देना भी जरूरी है. पति की महिला मित्रों या पत्नी के पुरुष मित्रों को ले कर अकसर विवाद पनपता है, जिस का बुरा असर आपसी रिश्तों पर व पतिपत्नी के व्यवहार पर पड़ता है. जीवनसाथी को हमेशा शक की निगाहों से देखने के बजाय उन पर विश्वास करना आवश्यक है.

6. ईर्ष्यालु न बनने दें

कभीकभी ऐसा भी होता है कि कैरियर के क्षेत्र में पत्नी पति से आगे निकल जाती है. इस स्थिति में पति के स्वभाव मेंबदलाव आना तब शुरू होता है, जब पत्नी अपने अधिकतर फैसलों में पति से सलाहमशवरा करना आवश्यक नहीं समझतीं. ऐसे हालात अलगाव का कारण भी बन जाते हैं. अपनी तरक्की के साथसाथ पति की सलाह का भी सम्मान करें. इस से पति को अपनी उपेक्षा का एहसास भी नहीं होगा और रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा.

7. खुल कर दें साथ

खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए सैक्स संबंध में खुलापन भी बेहद जरूरी है. रोजरोज बहाने बना कर पति के आग्रह को ठुकराते रहने से एक समय ऐसा आता है कि पति आप से दूरी बनाने लगते हैं या कटेकटे से रहने लगते हैं, जिस से दांपत्य में नीरसता आने लगती है.

कभीकभी ऐसा हो सकता है कि आप पति का सहयोग करने में असक्षम हों. ऐसे में पति को प्यार से समझाएं. सैक्स में पति का खुल कर साथ दें, क्योंकि यह खुशहाल दांपत्य की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की भी कुंजी है.

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8. घर का बजट

घर का बजट संतुलित रखने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर होती है. अनापशनाप खर्चों का बोझ जब पति पर पड़ने लगे तो वे चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस समस्या से निबटने का सब से सरल उपाय है महीने भर के बजट की प्लानिंग करना व खर्चों को निर्धारित करना. समझदार गृहिणी की तरह जब आप अपने बजट के अलावा बचत भी करेंगी, तो आप के पति की नजरों में आप के लिए प्यार दोगुना हो जाएगा.

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते से जुड़ी टॉप 10 खबरें हिंदी में

Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi: पति-पत्नी के रिश्ते में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. जिसके कारण जहां कई रिश्ते मजबूत होते हैं तो वहीं कईं टूट जाते हैं. क्योंकि हरेक की सोच और बिहेवियर एक दूसरे से अलग होता है. हालांकि अगर इन रिश्तों को समझदारी और प्यार से सुलझाया जाए तो वह सालों तक मजबूत बने रहते हैं. तो अगर आप भी अपनी मैरिड लाइफ को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पढ़िए गृहशोभा की Top 10 Husband-wife Relationship Tips in Hindi. आप इन खास टिप्स को अपनाकर अपने पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं.

1. गंदी बात नहीं औरत का और्गेज्म

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हाल ही में दूसरे देशों में नैशनल और्गेज्म डे मनाया गया और वहां इस से जुड़ी बातें लोग खुले तौर पर करते भी रहते हैं. वहीं भारत में सैक्स और और्गेज्म पर बात करने से लोग मुंह छिपाने लगते हैं. यहां तक कि ज्यादातर लोग अपने ही साथी या पार्टनर से भी इस पर बात नहीं कर पाते. एक बेहद दिलचस्प बात यह भी है कि हिंदी में और्गेज्म का मतलब तृप्ति है जो इस शब्द का सही अर्थ नहीं है.

महिला और पुरुष दोनों एकदूसरे से शारीरिक तौर पर बेहद अलग हैं और दोनों पर धर्म से नियंत्रित समाज का नजरिया और भी अलग है. जहां पुरुषों को सभी प्रकार की छूट बचपन से ही भेंट में मिल जाती है, वहीं महिलाओं को बचपन से ही अलग तरीकों से पाला जाता है. उन के लिए तमाम तरह के नियमबंधन बनाए जाते हैं. उन के बचपन से वयस्क होने की दहलीज तक आते आते उन्हें इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि वे अपने शरीर से जुड़ी बातें चाह कर भी नहीं कर पाती हैं.

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2. आर्थिक तनाव सैक्स पर हावी तो नहीं

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सैक्स केवल शारीरिक गतिविधि ही नहीं है वरन इस में भावनात्मक लगाव भी प्रमुख होता है. आर्थिक तनाव के कारण इमोशन के स्तर पर खासा प्रभाव पड़ता है. चिंता में डूबा मन शरीर का पूरी तरह साथ नहीं दे पाता है, जिस वजह से सैक्स लाइफ प्रभावित होती है. इस का प्रभाव केवल पतिपत्नी पर ही नहीं वरन घरपरिवार बच्चे और समाज पर भी पड़ता है. खराब सैक्स लाइफ का प्रभाव व्यक्ति की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है.

वैसे तो हर तरह का तनाव सैक्स लाइफ पर असर डालती है. आर्थिक तनाव होने पर केवल खुद पर ही असर नहीं पड़ता साथी या पार्टनर पर भी असर पड़ता है. इस की वजह यह है कि पैसों की कमी के कारण डाक्टर और दवा दोनों मुश्किल हो जाते हैं.

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3. आपकी पत्नी को ये बातें लग सकती हैं बुरी, इसलिये रखें खास ख्याल

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पति –पत्नी का रिश्ता बहुत अहम होता है खासतौर पर उस वक्त जब आपकी नई-नई शादी हुई हो और आपको एक-दूसरे को वक्त देना ज्यादा जरूरी होता है. क्योंकि अगर आपने अपना रिश्ता उस वक्त नहीं संभाला तो आने वाने समय में आपको बहुत सारी समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है इसलिए कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका खास खयाल आपको रखना चाहिए.

जब आपकी शादी होती है तो सब कुछ नया होता है ऐसे में एक पति को पत्नी को ज्यादा वक्त देना चाहिए ये नहीं की आप बस अपने में मस्त हैं. दिन-भर बस फोन पर लगे हुए हैं.क्योंकि पत्नी जो की आपकी जीवन संगिनी है उसको सिर्फ आपका प्यार औऱ वक्त के अलावा कुछ भी नहीं चाहिए होता है.यदि आप वक्त नहीं देंगे तो ये आपके रिश्ते के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा.

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4. 10 टिप्स: ऐसे मजबूत होगा पति-पत्नी का रिश्ता

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जीवन की खुशियों के लिए पति-पत्नी के रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटी-छोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल के समय में एक-दूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. जैसे…

1 मैसेज पर नहीं बातचीत पर निर्भर रहे…

ब्राइघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपत्ति जीवन के छोटे-बड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करना हो तो मैसेजेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज, ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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5. सैक्स संबंधों में उदासीनता क्यों?

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बिना सैक्स के आदमी और औरत का संबंध अधूरा है.कुछ लोग चाहे जितना गुणगान कर लें कि सैक्स गंदा है, असल में आदमीऔरत में पूरा प्यार या लगाव सैक्स से ही होता है. यह बात दूसरी है कि कुछ मामलों में यह प्यार व लगाव कुछ मिनटों तक सिमट कर रह जाता है और शारीरिक प्रक्रिया पूरी होते ही दोनों अपनेअपने काम में व्यस्त हो जाते हैं. सैक्स के बराबर ही पेट भरना जरूरी है. शायद सैक्स से ज्यादा दूसरे मनोरंजन भी भारी पड़ते हैं.

एक संस्थान जो लगातार अमेरिकी लोगों पर शोध कर रही है ने पता किया है कि अमेरिकियों में भी सैक्स की चाहत कम हो रही है और वे सैक्स की जगह वीडियो गेम्स या अपने कैरियरों पर समय और शक्ति अधिक लगाने लगे हैं. युवा लड़कियों में 18% और युवा लड़कों में 23% ने कहा कि उन्हें पिछले 1 साल में एक बार भी सैक्स सुख नहीं मिला. 60 वर्ष की आयु से अधिक के 50% लोग सैक्स से दूर रहते हैं.

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6. किसी और की जरूरत कब

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वैवाहिक जीवन में सैक्स की अहम भूमिका होती है. लेकिन यदि पति किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से ग्रस्त हो, तो पत्नी की जिंदगी उम्र भर के लिए कष्टमय हो जाती है. सैक्सोलौजिस्ट डा. सी.के. कुंदरा ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के बारे में बताते हुए कहते हैं कि उन की क्लीनिक में शादी के बाद कृष्णानगर की मृदुला अपनी मां के साथ आई. हुआ यह था कि शादी के बाद मृदुला एकदम बुझीबुझी सी मायके आई, तो उस की मां उसे देख कर परेशान हो गईं. लेकिन मां के लाख पूछने पर भी उस ने कोई वजह नहीं बताई. उस ने अपनी सहेली आशा को बताया कि वह अब ससुराल नहीं जाना चाहती, क्योंकि उस के पति महेश उस से संबंध बनाने के दौरान उस के यौनांग में बुरी तरह से चिकोटी काटते हैं और पूरे शरीर को हाथ फेरने के बजाय नाखूनों से खरोंचते हैं. जिस से घाव बन जाते हैं, हलका खून निकलता है. उसे देख कर महेश खुश होते हैं. फिर संबंध बनाते हैं. यह कह कर मृदुला रोने लगी. डा. कुंदरा ने आगे बताया कि आशा ने जब उस की मां को यह बात ताई तो वे मृदुला को ले कर मेरे पास आईं.

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7. पति जब मां मां करे, तो क्या करें पत्निया

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नेहा की नई-नई शादी हुई है. वह विवाह के बाद जब कुछ दिन अपने मायके रहने के लिए आई तो उसे अपने पति से एक ही शिकायत थी कि वह उस का पति कम और ‘मदर्स बौय’ ज्यादा है. यह पूछने पर कि उसे ऐसा क्यों लगता है? उस का जवाब था कि वह अपनी हर छोटीबड़ी जरूरत के लिए मां पर निर्भर है. वह उस का कोई काम करने की कोशिश करती तो वह यह कह कर टाल देता कि तुम से नहीं होगा, मां को ही करने दो.

नेहा पति के ये सब काम खुद करना चाहती है, लेकिन उस की सास उसे कोई मौका नहीं देतीं. नेहा की मां माला ने बेटी को समझाया कि चिढ़ने और किलसने से कोई लाभ नहीं है. बेकार में अपना खून जलाओगी. मांबेटे की इस दोस्ती का खुलेदिल से स्वागत करो और फिर बड़ी होशियारी से उन के बीच अपनी जगह बनाओ. नेहा की बातें सुन कर माला को अपने पुराने दिन याद आ गए. जब वे इस घर में ब्याह कर आई थीं, इस समस्या को उन्होंने भी लंबे समय तक झेला था.

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8. कहीं बोझ न बन जाए प्यार

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प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जिंदगी तब बेहद हसीन लगने लगती है जब हम किसी के ख्यालों में खोए होते हैं. इस के विपरीत वही प्यार जब जी का जंजाल बन जाता है तो एकएक पल गुजारना कठिन लगने लगता है. कई दफा प्यार को भार बनाने में हमारी कुछ छोटीछोटी भूल जिम्मेदार होती हैं.

ओवर पजेसिव नेचर

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रेंड / बौयफ्रेंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं. जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रेंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रेंड से नाराज हो जाती है ऐसे में बौयफ्रेंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना. वह छुप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा. यही नहीं बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रेंड को बुरी लगती है उन सब को छुपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलते बोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आज़ादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढने लगेगा.

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9. जब डेटिंग किसी से और शादी किसी और से

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क्या हो अगर डेटिंग वाला शादी के समय आ धमके? पता चला कि इधर दुलहन शादी की तैयारियों में मगन, सजधज कर शादी के लिए तैयार है और उधर पुराने मजनूजी दिल हथेली पर लिए लैला की शादी में खलल डालने पधार गए. ऐसी स्थिति लड़कों के साथ भी हो सकती है कि दूल्हे मियां साफा बांध कर शादी करने चले और पुरानी गर्लफ्रैंड आ धमके रंग में भंग डालने.

ऐसे माहौल में रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया अलग होगी. कुछ को शायद मजा आए, कुछ तरस खाएं, लेकिन खुद शादी वाले लड़के/लड़की का क्या हाल होगा, कैसे निबटेंगे वे इस परिस्थिति से, आइए जानते हैं:

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10. पति ही क्यों जताए प्यार

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अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

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