एक नई शुरुआत : क्या परिवार के रिजेक्शन के बावजूद समर ने की निधि से शादी?

रोज रोज के ट्रैफिक जाम, नेताओं की रैलियां, वीआईपी मूवमैंट्स और अकसर होने वाले फेयर की वजह से दिल्ली में ट्रैवल करना समस्या बनता जा रहा है. अब अगर आप किसी बड़ी पोस्ट पर हैं तो कार से ट्रैवल करना आप की अनिवार्यता बन जाता है. बड़े शहरों में प्रैस्टिज इश्यू भी किसी समस्या से कम नहीं है. ड्राइवर रखने का मतलब है एक मोटा खर्च और फिर उस के नखरे. भीड़ भरी सड़कों पर जहां आधे से ज्यादा लोगों में गाड़ी चलाने की तमीज न हो, गाड़ी चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है और ऐसी सूरत में ड्राइविंग को ऐंजौय कर पाना तो बिलकुल ही संभव नहीं है.

समर को ड्राइविंग करना बेहद पसंद है. पर रोजरोज की परेशानी से बचने के लिए उस ने सोचा कि अब अपने ओहदे को भूल उसे मैट्रो की शरण ले लेनी चाहिए. कहने दो, लोग या उस के जूनियर जो कहें. पैट्रोल का खर्चा जो कंपनी देती है, उसे बचाने के चक्कर में बौस मैट्रो से आनेजाने लगे हैं, ऐसी बातें उस के कानों में भी अवश्य पड़ीं, पर सीधे उस के मुंह पर कहने की तो किसी की हिम्मत नहीं थी.  आरंभ के कुछ दिन तो उसे भी दिक्कत महसूस हुई. मैट्रो में कार जैसा  आराम तो नहीं मिल सकता था, पर कम से कम वह टाइम पर औफिस पहुंच रहा था और वह भी सड़कों पर झेलने वाले तनाव के बिना. हालांकि मैट्रो में इतनी भीड़ होती थी कि कभीकभी उसे झुंझलाहट हो जाती थी. धीरेधीरे उसे मैट्रो के सफर में मजा आने लगा.

दिल्ली की लाइफलाइन बन गई मैट्रो में किस्मकिस्म के लोग. लेडीज का अलग डब्बा होने के बावजूद उन का कब्जा तो हर डब्बे में होना और पुरुषों का इस बात को ले कर खीजते रहना देखना और उन की बातों का आनंद लेना भी मानो उस का रूटीन बन गया. पुरुषों के डब्बे में भी महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें होती हैं. लेकिन वह उन पर कम ही बैठता था. उस दिन मैट्रो अपेक्षाकृत खाली थी. सरकारी छुट्टी थी. वह कोने की सीट पर बैठ गया.  वह अखबार पढ़ने में तल्लीन था कि  तभी एक मधुर स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘ऐक्सक्यूज मी.’’

उस ने नजरें उठाईं. लगभग 30-32 साल की कमनीय काया वाली एक महिला उस के सामने खड़ी थी. एकदम परफैक्ट फिगर… मांस न कहीं कम न कहीं ज्यादा. उस ने पर्पल कलर की शिफौन की प्रिंटेड साड़ी और स्लीवलैस ब्लाउज पहना था. गले में मोतियों की माला थी और कंधे पर डिजाइनर बैग झूल रहा था. होंठों पर लगी हलकी पर्पल लिपस्टिक क अलग ही लुक दे रही थी. नफासत और सौंदर्य दोनों एकसाथ. कुछ पल उस पर नजरें टिकी ही रह गईं.

‘‘ऐक्सक्यूज मी, यह लेडीज सीट है. इफ यू डौंट माइंड,’’ उस ने बहुत ही तहजीब से कहा.

‘‘या श्योर,’’ समर एक झटके से उठ गया.

अगले स्टेशन के आने की घोषणा हो रही थी यानी वह खान मार्केट से चढ़ी थी. समर की नजरें उस के बाद उस से हटी ही नहीं. बारबार उस का ध्यान उस पर चला जाता था. बहुत चाहा उस ने कि उसे न देखे, पर दिल था कि जैसे उसी की ओर खिंचा जा रहा था. लेकिन यों एकटक देखते रहने का मतलब था कि उस के जैसे भद्र पुरुष का बदतमीजों की श्रेणी में आना और इस समय तो वह कतई ऐसा नहीं करना चाहता था. अपनी खुद की 35 साला जिंदगी में किसी के प्रति इस तरह का आकर्षण या किसी को लगातार देखते रहने की चाह इस से पहले कभी उस के अंदर इतनी तीव्रता से उत्पन्न नहीं हुई थी. वैसे भी सफर लंबा था और वह उस में किसी तरह का व्यवधान नहीं चाहता था.

वैल सैटल्ड और पढ़ीलिखी व कल्चर्ड फैमिली का होने के बावजूद न जाने क्यों उसे अभी तक सही लाइफ पार्टनर नहीं मिल पाया था. कभी उसे लड़की पसंद नहीं आती तो कभी उस के मांबाप को. कभी लड़की की बैकग्राउंड पर दादी को आपत्ति होती. ऐसा नहीं था शादी को ले कर उस ने सैट रूल्स बना रखे थे पर पता नहीं क्यों फिर भी 25 साल की उम्र से शादी के लिए लड़की पसंद करने की कोशिश 35 साल तक भी किसी तरह के निर्णय पर नहीं पहुंच पाई थी.

धीरेधीरे चौइस भी कम होने लगी थी और रिश्ते भी आने कम हो गए थे.  उस ने भी अपनी इस एकाकी जिंदगी को ऐंजौय करना शुरू कर दिया था. अब तो मम्मीपापा और भाईबहन भी उस से यह पूछतेपूछते थक गए थे कि उसे कैसे लड़की चाहिए. वह अकसर कहता लड़की कोई फोटो फ्रैम तो है नहीं, जो परफैक्ट आकार व डिजाइन की मिल जाएगी. मेरे मन में कोई इमेज तो नहीं है उस की, बस जैसी मुझे चाहिए जब वह सामने आएगी तो मैं खुद ही आप लोगों को बता दूंगा.

उस के बाद से घर वाले भी शांत हो कर बैठ गए थे और वह भी मस्त रहने लगा था. वह सीट से उठी तो एक बार उस ने फिर से उसे गहरी नजरों से देखा. एक स्वाभाविक मुसकान मानो उस के चेहरे का हिस्सा ही बन गई थी.

गालों पर डिंपल पड़ रहे थे. समर को सिहरन सी महसूस हुई. क्या है यह… क्यों उस के भीतर जलतरंग सी बज रही है. वह कोई 20-21 साल का नौजवान तो नहीं, एक मैच्योर इनसान है… फिर भी उस का रोमरोम तरंगित होने लगा था. अजीब सी फीलिंग हुई… अनजानी सी… इस से पहले किसी लड़की को देख कर ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था. मानो मिल्स ऐंड बून्स का कोई किरदार पन्नो में से निकल कर उस के भीतर समा गया हो और उसे आंदोलित कर रहा हो. यह खास फीलिंग उसे लुभा रही थी.  उस के नेहरू प्लेस उतरने के बाद जब तक मैट्रो चली नहीं वह उसे जाते देखता रहा. मन तो कर रहा था कि वहीं उतर जाए और पता करे कि वह कहां काम करती है. पर यह उसे शिष्ट आचरण नहीं लगा. उसे आगे ओखला जाना था. लेकिन मैट्रो से उतरने के बाद भी उसे लगा कि जैसे उस का मन तो उस कोने वाली सीट पर ही जैसे जा कर अटक गया है.

औफिस में भी वह बेचैन ही रहा. काम कर रहा था पर कंसनट्रेशन जैसे गायब हो चुकी थी. वह बारबार खुद से यही सवाल कर रहा था कि आखिर उस महिला के बारे में वह इतना क्यों सोच रहा है. क्यों उस के अंदर एक समुद्र उफान ले रहा है, क्यों वह चाहता है कि उस से दोबारा मुलाकात हो… बहुत बार उस ने अपने खयालों पर फाइलों के बोझ को डालना चाहा, बहुत बार कंप्यूटर स्क्रीन पर आंखें गड़ाने की कोशिश की पर नाकामयाब रहा. खुद को धिक्कारा भी कि किसी के बारे में यों मन में खयाल लाना अच्छी बात नहीं है. फिर भी घर लौटने के बाद और रात भर वह अपने अंदरबाहर फैली सिहरन को महसूस करता रहा.

सुबह बारबार यह सोच रहा था कि आज भी मैट्रो में उस से मुलाकात हो जाए. फिर खुद पर ही उसे हंसी आ गई. मान लो उस ने वही मैट्रो पकड़ी तब भी क्या गारंटी है कि वह आज भी उसी डब्बे में चढ़ेगी जिस में वह हो. उसे लग रहा था कि अगर उस का यही हाल रहा तो कहीं वह स्टौकर न बन जाए. समर खुद को संभाल… उस ने अपने को हिदायत दी. मैच्योर इनसान इस तरह की हरकतें करते अच्छे नहीं लगते… सही है पर खान मार्केट आते ही नजरें उसे ढूंढ़ने लगीं. पर नहीं दिखी वह.

अब तो जैसे सुबहशाम उसे तलाशना ही उस का रूटीन बन गया था. उसे लगा कि हो सकता है वह रोज ट्रैवल न करती हो. मायूस रहने लगा था समर… कोई इस तरह दिमाग पर हावी रहने लग सकता है. उस ने कभी सोचा नहीं था. क्या इसे ही लव ऐट फर्स्ट साइट कहते हैं. किताबी और फिल्मी बातें जिन का कभी वह मजाक उड़ाया करता था आज उसे सच लग रही थीं. काश, एक बार तो वह कहीं दिख जाए.

खान मार्केट से समर को कुछ शौपिंग करनी थी. वैलेंटाइनडे की वजह से खूब चहलपहल थी. बाजार रोशनी से जगमगा रहे थे, खरीदारी करने के बाद वह कौफी कैफे डे में चला गया. कौफी पी कर सारी थकान उतर जाती है उस की. एक सिप लिया ही था कि सामने से वह अंदर आती दिखी. हाथों में बहुत सारे पैकेट थे. आज मैरून कलर का कुरता और क्रीम कलर की लैगिंग पहन रखी थी उस ने. कानों में डैंगलर्स लटक रहे थे जो बीचबीच में उस की लटों को चूम लेते थे.

चांस की बात है कि सारी टेबलें भरी हुई थीं. वह बिना झिझक उस के सामने वाली कुरसी पर आ कर बैठ गई. समर को लगा जैसे उस की मनचाही मुराद पूरी हो गई. कौफी का और्डर देने के बाद वह अपने मोबाइल पर उंगली घुमाने लगी. फिर अचानक बोली, ‘‘आई होप मेरे यहां बैठने से आप को कोई प्रौब्लम नहीं होगी… और कोई टेबल खाली नहीं है…’’

उस की बात पूरी होने से पहले ही तुरंत समर बोला, ‘‘इट्स माई प्लैजर.’’

‘‘ओह रियली,’’ उस ने कुछ इस अंदाज में कहा कि समर को लगा जैसे उस ने व्यंग्य सा कसा हो. कहीं उस के चेहरे पर आए भावों का वह कोई गलत मतलब तो नहीं निकाल रही… कहीं यह सोचे कि वह उस पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है.

‘‘वैसे आप को कोने वाली सीट ही पसंद है… डिस्टर्बैंस कम होती है और आप को वैसे भी पसंद नहीं कि कोई आप की लाइफ में आप को डिस्टर्ब करे… अपने हिसाब से फैसले लेने पसंद करते हैं आप.’’  हैरानी, असमंजस… न जाने कैसेकैसे भाव उस के चेहरे पर उतर आए.

‘‘आप परेशान न हों, समर… मैं ने उस दिन मैट्रो में ही आप को पहचान लिया था. संयोग देखिए फिर आप से मुलाकात हो गई तो सोच रही हूं आज बरसों से दबा गुबार निकाल ही लूं. आप की हैरानी जायज है. हो सकता है आप ने मुझे पहचाना न हो. पर मैं आप को भूल नहीं पाई. अब तक तो आप को अपना परफैक्ट लाइफ पार्टनर मिल ही गया होगा. अच्छा ही है वरना बेवजह लड़कियों को रिजैक्ट करने का सिलसिला नहीं रुकता.’’

‘‘हम पहले कहीं मिल चुके हैं क्या?’’ समर ने सकुचाते हुए पूछा.  समर कहां तो इस से मुलाकात हो जाने की कामना कर रहा था और कहां अब  वही कह रही थी कि वह उसे जानती है और इतना ही नहीं उसे एक तरह से कठघरे में ही खड़ा कर दिया था.

‘‘हम मिले तो नहीं हैं, पर हमारा परिवार अवश्य एकदूसरे से मिला है. थोड़ा दिमाग पर जोर डालें तो याद आ जाए शायद कि एक बार आप के घर वाले मेरे घर आए थे. यहीं शाहजहां रोड पर रहते थे तब हम. पापा आईएएस अफसर थे. हमारी शादी की बात चली थी. आप के घर वालों को मैं पसंद आ गई थी. आप का फोटो दिखाया था उन्होंने मुझे. वे तो जल्दी से जल्दी शादी की डेट तक फिक्स करने को तैयार हो गए थे. फिर तय हुआ कि आप के और मेरे मिलने के बाद ही आगे की बात तय की जाएगी.

मैं खुश थी और मेरे मम्मीपापा भी कि इतने संस्कारी और ऐजुकेटेड लोगों के यहां मेरा रिश्ता तय हो रहा है. हम मिल पाते उस से पहले ही पापा पर किसी ने फ्रौड केस बना दिया. आप की दादी ने घर आ कर खूब खरीखरी सुनाई कि ऐसे घर में जहां बाप बेईमानी का पैसा लाता हो हम रिश्ता नहीं कर सकते हैं. पापा ने बहुत समझाया कि उन्हें फंसाया गया है पर उन्होंने एक न सुनी.

‘‘मुझे दुख हुआ पर इसलिए नहीं कि आप से रिश्ता नहीं हो पाया, बल्कि इसलिए कि बिना सच जाने इलजाम लगा कर आप की दादी ने मेरे पापा का अपमान किया था. उस के बाद मैं ने तय कर लिया था कि शादी करूंगी ही नहीं. पापा तो खैर बेदाग साबित हुए पर मेरा रिश्ता टूटने का गम सह नहीं पाए और चले गए इस दुनिया से.  ‘‘हमारे समाज में किसी लड़की को रिजैक्ट कर देना आम बात है पर कोई एक बार भी यह नहीं सोचता कि इस से उस के मन पर क्या बीतती होगी, उस के घर वालों की आशा कैसे बिखरती होगी… आप को कोई रिजैक्ट करे तो कैसा लगेगा समर?’’

‘‘मेरा यकीन करो…’’

‘‘मेरा नाम निधि है.’’

नाम सुन कर समर को लगा कि जैसे घर में उस ने कई बार इस नाम को सुना था. मम्मीपापा, भाईबहन यहां तक कि दादी के मुंह से भी. वह भी कई बार कि लड़की तो वही अच्छी थी पर उस का बाप… दादी उन से शादी हो जाती तो भैया अब तक कुंआरे न होते, बहन को भी उस ने कहते सुना था कई बार. पर आप की जिद ने सब गड़बड़ कर दिया… पापा भी उलाहना देते थे कई बार दादी को. अब तक जितनी लड़कियां देखी थीं, समर के लिए वही मुझे सब से अच्छी लगी थी. मम्मी के मुंह से भी वह यह बात सुन चुका था. जिसे देखा न हो उस के बारे में वह क्या कहता. इसलिए चुप ही रहता था.

‘‘निधि, सच में मुझे कोई जानकारी नहीं है. हालांकि घर में  अकसर तुम्हारी बात होती थी पर तुम मेरे लिए किसी अनजान चेहरे की तरह थीं. आई एम सौरी… मेरे परिवार वालों की वजह से तुम्हें अपने पापा को खोना पड़ा और इतना अपमान सहना पड़ा. पर…’’ कहतेकहते रुक गया समर. आखिर कैसे कहता कि जब से उसे देखा है वही उस के दिलोदिमाग पर छाई हुई है. अपने दिल की बात कह कर कहीं वह उस का दिल और न दुखा दे और फिर अब उस ने ही उसे रिजैक्ट कर दिया तो क्या होगा…

‘‘समर मुझे आप की सौरी नहीं चाहिए. यह तो आम लड़की की विडंबना है जिसे वह सहती आ रही है, उस के हर तरह से काबिल होने के बावजूद. एनी वे चलती हूं. आई होप फिर हमारी मुलाकात…’’

‘‘हो…’’ समर जल्दी से बोला, ‘‘एक मौका भूल सुधार का तो हर किसी को मिलता है. यह मेरा कार्ड है. फेसबुक पर आप को ढूंढ़ कर फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजूंगा, प्लीज निधि ऐक्सैप्ट कर लेना… विश्वास है कि आप रिजैक्ट नहीं करेंगी… कोने वाली सीट नहीं चुनूंगा अब से,’’ समर ने अपना विजिटिंग कार्ड उसे थमाते हुए कहा, ‘‘पुराना सब कुछ भुला कर नई शुरुआत की जा सकती है.’’

कार्ड लेते हुए निधि ने अपने शौपिंग बैग उठाए. बाहर जाने के लिए पलटी तभी उस के डैंगलर ने उस की बालों की लटों को यों छुआ और लटें इस तरह हिलीं मानो कह रही हों इस बार ऐक्सैप्ट आप को करना है.

मेरी पत्नी दूसरे पुरुषों को घूरती है, मैं क्या करूं?

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सवाल

मैं एक शादीशुदा पुरुष हूं और मेरी गारमेंट्स की शौप है. मैं और मेरी पत्नी दोनों शौप पर बैठते हैं. यहां अक्सर कस्टमर्स की भीड़ लगी रहती है. जो मेल कस्टमर्स आते हैं, मेरी पत्नी ही उन्हें गारमेंट्स दिखाती है और कीमत भी बताती है.

मैं उसे अक्सर नोटिस करने लगा हूं कि वो लड़कों से ज्यादा घुलनेमिलने लगी है. जो लड़के हैंडसम होते हैं, वो उनकी तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं और उनकी बातों में आकर कपड़े भी कम पैसों में बेच देती है. मेरा बिजनैस ठप होता जा रहा है और मेरी पत्नी भी दूसरों मर्दों में इंट्रैस्ट ले रही है, मैं क्या करूं?

Couple has two different moods this morning

जवाब

शादीशुदा जिंदगी चलाने के लिए पतिपत्नी के बीच प्यार और विश्वास होना बहुत जरूरी है, लेकिन किसी भी वजह से जब दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती है, तो यह स्थिति रिश्ते के लिए गंभीर साबित हो सकती है. महिलाएं इस मामले से दूर नहीं है.

कई लड़कियों की शादी जबरदस्ती करवा दी जाती है, इस कारण भी यह समस्या होती है. आपको अपनी पत्नी को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खुद पर काम करना होगा. आपको अपने लुक और एटीट्यूड पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है.

आप अपने हेयरस्टाइल, बियर्ड और कपड़ों पर जरूर ध्यान दें. आप अपनी पत्नी को रोमांटिक डेट पर ले जाएं. कोई रोमांटिक मूवी आप दोनों साथ देखने जाएं. कई बार दूसरों पुरुषों से अटेंशन मिलने के कारण भी महिलाएं उनकी तरफ आकर्षित होने लगती हैं. आप अपनी पत्नी को पूरा अटैंशन दें. उनसे प्यार से बात करें, साथ बैठकर समय बिताएं.

Man checking his girlfriends conversation on her phone

शादी के बाद भी महिलाओं को क्यों पसंद आते हैं पराए मर्द

कई बार पार्टनर से प्यार और वक्त की कमी के कारण भी महिलाएं दूसरे मर्दों की तरफ आकर्षित होने लगती है. वो अपनी शादी से ऊब चुकी होती है और ऐसे में उन्हें दूसरा व्यक्ति अटैंशन देता है, तो वो उससे इंप्रैस होने लगती है.

अक्सर देखा जाता है कि पुरुष काम की वजह से अपनी पत्नी को समय नहीं दे पाते हैं या उससे ठीक से बातचीत नहीं कर पाते हैं, रिश्ते में कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता है, तो दूसरे मर्दों के तरफ झुकाव लाजिमी है.

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विद्या बालन की फनी वीडियो देखकर हंसतेहंसते हो जाएंगे लोटपोट, एक्ट्रैस ने लिखा ‘हाहाहा’

इन दिनों अपनी फिल्मों से ज्यादा अपनी रील्स को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. अक्सर उनके एक से बढ़ कर एक मजेदार रील्स सोशल मीडिया पर देखने को मिलते हैं, जो उनके फैंस को खूब पसंद भी आते हैं. अभी हाल ही में उन्होंने अपने फैंस को एंटरटैन करने के लिए एक नया वीडियो शेयर किया है, जिसमें उनका काफी अलग अंदाज देखने को मिल रहा है.

अमेजिंग वीडियो

हाल ही में विद्या बालन ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ अमेजिंग वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो कौमेडियन कपिल शर्मा और कृष्णा अभिषेक के हिट कार्यक्रम के एक फनी औडियो क्लिप की नकल कर रही हैं. उनकी इस पोस्ट को देखने के बाद उनके फैंस आश्चर्य में पड़ गए विद्या का कौमेडियन अंदाज खूब वायरल हो रहा है. वो क्या है आइये जानते हैं.

डायलौग पर लिप-सिंक

विद्या बालन ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें वह एक लोकप्रिय कौमेडी शो का फेमस “मैंने आपका ट्रेलर देखा” डायलौग बोलती नजर आ रही हैं. विद्या ने वीडियो में कृष्णा के डायलौग पर लिप-सिंक भी किया है. वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए विद्या बालन ने लिखा, “हाहाहाहाहाहा.”

विद्या की कौमिक टाइमिंग

विद्या बालन के इंटरेस्टिंग अवतार ने सच में फैंस को आश्चर्य में डाल दिया है और अपनी कौमिक टाइमिंग के साथ, उन्होंने साबित कर दिया है कि वह भारतीय सिनेमा की एक टैलेंटेड एक्ट्रैस हैं, जो किसी भी रोल को बेहतरीन ढंग से निभा सकती है आपने देखा ही होगा विद्या का रील्स का कंटेंट हमेशा लाजवाब होता है और वह फैंस को जबरदस्त इंट्रैस्टिंग कंटेंट देती रहती हैं जो सभी को पसंद आते हैं और खूब वायरल भी होते हैं.

इससे पहले भी विद्या का भोजपुरी रंग में रंगा वीडियो वायरल हुआ था. जिसमे विद्या बालन किसी से भोजपुरी में प्यार का इजहार करती हुईं नजर आ रही थी. उनका ये वीडियो फैंस को खूब पसंद आया था और खूब वायरल भी हुआ था.

वर्क फ्रंट

एक्ट्रैस विद्या बालन की फिल्मों बात करें तो वह हौररकौमेडी फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ में ओजी मंजुलिका के रूप में नजर आएंगी. यह फिल्म दिवाली 2024 पर सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. इसमें विद्या के साथ कार्तिक आर्यन हैं.

अक्षय कुमार की रक्षाबंधन फ्लौप रही, भाईबहन पर बनी अग्निपथ जबरदस्त हिट, क्यों

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें हम देखकर वास्तविक दुनिया को भूल जाते है और उस काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं. बौलीवुड में रिश्ते पर ऐसी ही कई फिल्में बनाई गई हैं, जिन्हें देखकर हम वास्तविक रिश्ते की सच्चाई भूल जाते हैं और फिल्मी दुनिया में इतना खो जाते हैं कि उसी तरह हम अपने रिश्ते को भी ढालने की कोशिश करते हैं. लेकिन रील और रियल लाइफ में बहुत अंतर होता है.

बौलीवुड में हर तरह के रिश्ते पर फिल्में बनती हैं. चाहे पतिपत्नी, गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड, एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर, हर रिश्ते पर फिल्मों में एक्टर्स हर किरदार में नजर आते हैं. भाईबहन पर भी कई सारी फिल्में बनी. कुछ फिल्में हिट हुई, तो कुछ फिल्में फ्लौप हुई. राखी का त्यौहार आने वाला है. ऐसे में इस खास मौके पर भाईबहन इन फिल्मों को देख सकते हैं और अपने रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं.

अक्षय कुमार की फिल्म रक्षाबंधन

भाईबहन की बौन्डिंग पर बनी यह फिल्म कौमेडी, मेलोड्रामा और इमोशन से भरपूर है, लेकिन यह फिल्म बौक्स औफिस पर बुरी तरह फ्लौप हुई थी. जब इस फिल्म का ट्रेलर आया था, तो इस फिल्म के गाने और भाईबहन पर बनी इस कहानी से ज्यादा उम्मीद थी, लेकिन यह फिल्म असफल रही. इस फिल्म में आउटडेटेज सब्जेक्ट दिखाया गया. इस फिल्म में दहेज और 4 अविवाहित बहनों की शादी कराने का बोझ उठाते भाई की कहानी दिखाई गई है. यह विषय काफी पुराना था.

पटाखा

यह फिल्म दो बहनों की कहानी थी, लेकिन प्यार से मिलजुल कर रहने वाली इसकी कहानी कतई नहीं थी. इसमें यह दिखाया गया था कि दो बहनें बचपन से ही लड़ाई करती हैं. पौपुलर एक्ट्रैस राधिका मदान की यह पहली फिल्म है. इस फिल्म में उन्होंने लीड एक्ट्रैस के तौर पर काम किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म का बौक्स औफिस कलेक्शन कुछ खास नहीं रहा. यह फिल्म भी असफल रही.

दिल धड़कने दो

‘दिल धड़कने दो’ यह बड़ी बजट की फिल्म बताई गई थी, लेकिन इस फिल्म का ट्रीटमेंट स्क्रीन पर कम ही नजर आया. इस फिल्म का म्यूजिक भी कुछ खास नहीं रहा. इस फिल्म को भी बौक्स औफिस पर कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. फिल्म डायरेक्टर जोया अख्तर ने इस फिल्म में मौडर्न फैमिली और इसकी प्रौब्लम को लेकर बनाई थी. इस मूवी में प्रियंका चोपड़ा और रणवीर सिंह भाईबहन के किरदार को बखूबी निभाया.कैसे दोनों भाईबहन एकदूसरे से लड़ते हैं और मुश्किल वक्त में एकदूसरे का साथ भी देते हैं.

सरबजीत

साल 2016 में आई फिल्म सरबजीत ने बौक्स औफिस पर हिट साबित शानदार कमाई की थी. यह फिल्म सुपरडूपर हीट रही थी. इस फिल्म ने क्रिटिक्स को भी काफी इम्प्रैस किया था. रिपोर्ट्स के मुताबाक यह फिल्म 15 करोड़ में बनी थी, लेकिन बौक्स औफिस पर इसने 43 करोड़ की कमाई कमाई की थी, इस क्लेक्शन ने हर किसी को चौंका दिया था.

इस फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है. इस फिल्म के मुख्य किरदार में रणदीप हुड्डा और ऐश्वर्या राय नजर आए. इन दोनों ने इस फिल्म में भाईबहन के अटूट रिश्ते को बखूबी निभाया है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि पाकिस्तान ने सरबजीत नाम के शख्स को गिरफ्तार कर लिया है और उसकी बहन दलबीर अपने भाई को वतन लाने के लिए सालों तक कोशिश करती रही थी.

भाग मिल्खा भाग

साल 2013 में आई फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ एक बायोपिक फिल्म है. ये फिल्म इंडियन एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित हैं. यह फरहान अख्तर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. इस फिल्म का बजट 30 करोड़ रुपये था जबकि बौक्स औफिस पर इस फिल्म ने 168 करोड़ रुपये का क्लेक्शन किया था. इस फिल्म में फरहान अख्तर और दिव्या दत्त भाईबहन के किरदार में नजर आए थे.

अग्निपथ

‘अग्निपथ’ यह रिमेक फिल्म थी. अमिताभ बच्चन की अग्निपथ की रिमेक है. इसमें मुख्य किरदार में
ऋतिक रोशन, ऋषी कपूर, प्रियंका चोपड़ा, संजय दत्त और कई कलाकार नजर आए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह फिल्म बौक्स औफिस पर अच्छा कारोबार किया था. खबरों के मुताबिक 60 करोड़ में बनी यह फिल्म 200 करोड़ की कमाई की थी.

इस फिल्म में बड़े भाई बने हुई हैं जो बचपन में अपनी बहन से बिछड़ जाता है लेकिन हर दिन वो अपनी बहन को याद करता है और उसके लिए तड़पता है. अग्निपथ में भाईबहन के प्यार को बखूबी फिल्माया गया है. इस फिल्म का ये गाना, ‘अभी मुझ में कहीं ‘ काफी पौपुलर है.

Raksha Bandhan 2024 – भाई का  बदला: क्या हुआ था रीता के साथ

रोशनलाल का बंगला रंगबिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था. उन के घर में उन के जुड़वे बच्चों का जन्मोत्सव था. बंगले की बाउंड्री वाल के अंदर शामियाना लगा था जिस के मध्य में उन की पत्नी जानकी देवी सजीधजी दोनों बेटों को गोद में लिए बैठी थीं. उन की चारों तरफ गेस्ट्स कुरसियों पर बैठे थे. कुछ औरतें गीत गा रही थीं. गेट के बाहर हिजड़ों का झुंड था, मानो पटना शहर के सारे हिजड़े वहीँ जुट गए थे. उन में कुछ ढोल बजा रहे थे और कुछ तालियां. सभी मिल कर सोहर गा रहे थे- “ यशोदा के घर आज कन्हैया आ गए…”

रोशनलाल के किसी गेस्ट ने उन से कहा, “अरे यार, इन हिजड़ों को कुछ दे कर भगाओ.”

“भगाना क्यों? आज ख़ुशी का माहौल है, मैं देखता हूं.” रोशनलाल लाल ने कहा, फिर बाहर आ कर उन्होंने कहा, “अरे भाई लोग, कुछ फ़िल्मी धुन वाले सोहर गाओ.”

हिजड़ों ने गाना शुरू किया- “सज रही गली मेरी मां सुनहर गोटे में… अम्मा तेरे मुन्ने की गजब है बात, चंदा जैसा मुखड़ा किरण जैसे हाथ…“

किसी गेस्ट ने कहा, “जुड़वां बेटे हैं, एक और हो जाए.“

हिजड़ों ने दूसरा गीत गाया- “गोरेगोरे हाथों में मेहंदी रचा के, नैनों में कजरा डाल के,

चली जच्चा रानी जलवा पूजन को, छोटा सा घूंघट निकाल के…“

रोशनलाल ख़ुशी से झूम उठे और 500 रुपए के 2 नोट उन के लीडर को दिया. उस ने नोट लेने से इनकार किया और कहा, “लालाजी, जुड़वां लल्ला हुए हैं, इतने से नहीं चलेगा.“

रोशनलाल ने 2,000 रुपए का एक नोट उसे देते हुए कहा, “अच्छा भाई, लो आपस में बांट लेना. अब तो खुश.“

उस ने ख़ुशीख़ुशी नोट लिया और वे सभी दुआएं दे कर चले गए.

रोशनलाल को पैसे की कमी न थी. अच्छाख़ासा बिजनैस था. पतिपत्नी दोनों अपने जुड़वां बेटों अमन और रमन का पालनपोषण अच्छे से कर रहे थे. खानपान, पहनावा या पढ़ाईलिखाई किसी चीज में कंजूसी का सवाल ही न था. अमन मात्र 15 मिनट पहले दुनिया में आया, इसीलिए रोशनलाल उसे बड़ा बेटा कहते थे.

अमन और रमन दोनों के चेहरे हूबहू एकदूसरे से मिलते थे, इतना कि कभी मातापिता भी दुविधा में पड़ जाते. अमन की गरदन के पीछे एक बड़ा सा तिल था, असमंजस की स्थिति में उसी से पहचान होती थी. दोनों समय के साथ बड़े होते गए. अमन सिर्फ 15 मिनट ही बड़ा था, फिर भी दोनों के स्वभाव में काफी अंतर था. अमन शांत और मैच्योर दिखता और उस का ज्यादा ध्यान पढ़ाईलिखाई पर होता था. इस के विपरीत, रमन चंचल था और पढ़ाईलिखाई में औसत से भी बहुत पीछे था.

फिलहाल दोनों प्लस टू पूरा कर कालेज में पढ़ रहे थे. अमन के मार्क्स काफी अच्छे थे और उसे पटना साइंस कालेज में एडमिशन मिल गया. रमन किसी तरह पास हुआ था. उसे एक प्राइवेट इवनिंग कालेज में आर्ट्स में एडमिशन मिला.

रमन फोन और टेबलेट या लैपटौप पर ज्यादा समय देता और फेसबुक पर नएनए लड़केलड़कियों से दोस्ती करता. अकसर नएनए पोज, अंदाज और ड्रैस में अपने फोटो पोस्ट करता. रमन को इवनिंग कालेज जाना होता था. दिन में अमन कालेज और पिता अपने बिजनैस पर जाते, इसलिए रमन दिनभर घर में अकेले रहता था. वह अपने फेसबुक दोस्तों से चैट करता और फोटो आदि शेयर करता. पढ़ाई में उस की दिलचस्पी न थी. देखतेदेखते दोनों भाई फाइनल ईयर में पहुंच गए.

इधर कुछ महीनों से रमन को फेसबुक पर एक नई दोस्त मिली थी. उस ने अपना नाम रीता बताया था. वे दोनों काफी घुलमिल गए थे और फ्री और फ्रैंक चैटिंग होती थी. एक दिन वह बोली, “मैं बायोलौजी पढ़ रही हूं. मुझे पुरुष के सभी अंगों को देखना और समझना है. इस से मुझे पढ़ाई और प्रैक्टिकल में मदद मिलेगी. तुम मेरी मदद करोगे?“

“हां क्यों नहीं. मुझे क्या करना होगा?“

“तुम अपने न्यूड फोटो पोस्ट करते रहना.“

कुछ शर्माते हुए रमन बोला, “नहीं, क्या यह ठीक रहेगा?“
“मेरी पढ़ाई का मामला है, जरूरी है और मेरे नजदीकी दोस्त हो, इसीलिए तुम से कहा था. खैर, छोड़ो, मैं कोई प्रैशर नहीं दे रही हूं. तुम से नहीं होगा तो मैं किसी और से कहती हूं,“ कुछ बिगड़ने के अंदाज़ में रीता ने कहा.

“ठीक है, मुझे सोचने के लिए कुछ समय दो.“

कुछ दिन और बीत गए. इसी बीच अमन और रमन के ग्रेजुएशन का रिजल्ट आया. अमन फर्स्ट क्लास से पास हुआ पर रमन फेल कर गया. रोशनलाल ने अपने दोनों बेटों को बुला कर कहा, “मैं सोच रहा था कि तुम दोनों अब मेरा बिजनैस संभालो. इस के लिए मुझे तुम्हारी डिग्री की जरूरत नहीं है. अगर तुम दोनों चाहो तो मैं अभी से बंटवारा भी कर सकता हूं.“

अमन बोला, “नो पापा, अभी बंटवारे का कोई सवाल नहीं है. मैं मैनेजमैंट पढ़ूंगा, उस के बाद आप जो कहेंगे वही करूंगा. रमन चाहे तो बिजनैस में आप के साथ रह कर कुछ काम सीख ले.“
रमन ने कहा, “अभी मैं ग्रेजुएशन के लिए कम से कम एक और प्रयास करूंगा.“

अमन मैनेजमैंट की पढ़ाई करने गया. रमन का फेसबुक पर वही सिलसिला चल रहा था. उस की फेसबुक फ्रेंड रीता ने कहा, “अब तुम ने क्या फैसला किया है? जैसा कहा था, मेरी मदद करोगे या मैं दूसरे से कहूं? मेरे एग्जाम निकट हैं.“

“नहीं, मैं तुम्हारे कहने के अनुसार करूंगा. पर तुम ने तो अपने प्रोफ़ाइल में अपना कोई फोटो नहीं डाला है.“
“तुम लड़के हो न और मैं लड़की. मैं ने अपना फोटो जानबूझ कर नहीं डाला है. लड़कियों को लोग जल्द बदनाम कर देते हैं. तुम बिहार की राजधानी से हो और मैं ओडिशा के एक छोटे कसबे से हूं.“
रमन ने अपने कुछ न्यूड फोटो रीता को पोस्ट किए. रीता ने फिर उस से कुछ और फोटो भेजने को कहा तब रमन ने भी उस से कहा, “तुम भी तो अपना कोई फोटो भेजो. मैं न्यूड फोटो नहीं मांग रहा हूं.“
रीता ने कहा, “फोटो तो मैं नहीं पोस्ट कर सकती पर जल्द ही मेरे पटना आने की उम्मीद है. पापा सैंट्रल गवर्नमैंट में हैं, उन का प्रमोशन के साथ ओडिशा के बाहर दूसरे राज्य में तबादला हो रहा है और पापा ने पटना का चौइस दिया है. वैसे भी, अकसर हर 3 साल पर पापा का ट्रांसफर होता रहता है. इस बार प्रमोशन के साथ दूसरे स्टेट में ट्रांसफर की शर्त है, अब तुम्हारे शहर में मैं जल्द ही आ रही हूं.“

“मतलब, हम लोग जल्द ही मिलने वाले हैं?“

“हां, कुछ दिन और धीरज रखो.“

इधर अमन और उस के पिता समझ चुके थे कि रमन का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है.  वह दिनभर फोन और कंप्यूटर पर लगा रहता है  हालांकि रीता के बारे में उन्हें कुछ पता न था.  सेठ ने  दोनों बेटों को बुला कर कहा, “मैं सोच रहा हूं, तुम दोनों की शादी पक्की कर दूं.  सेठ जमुनालाल ने अपनी इकलौती बेटी दिया के लिए रमन में दिलचस्पी दिखाई है. हालांकि, दिया  ट्वेल्फ्थ ड्रौपआउट  है पर उस में अन्य सराहनीय गुण हैं. मैं देख रहा हूं कि   रमन का जी पढ़ाई में नहीं लग रहा है.   अमन के लिए भी एक लड़की है मेरी नजर में, कल ही उस के पिता से बात करता हूं. उसे तुम भी जानते हो, शालू, जो कुछ साल तुम्हारे ही स्कूल में पढ़ी थी.  वह बहुत अच्छी लड़की है, मुझे तो पसंद है.“

अमन बोला, “हां, मैं शालू को जानता हूं पर  पापा मेरी पढ़ाई अगले साल पूरी हो रही है, इसलिए तब तक  मैं शादी नहीं करूंगा.“

“मैं ने शालू के पिता को भरोसा दिया है कि अमन मेरी बात नहीं टालेगा. उन्हें इनकार कर मुझे बहुत दुख होगा.“

“पापा, आप का भरोसा मैं नहीं टूटने दूंगा, न ही आप उन्हें इनकार करेंगे. बस, आप उन से कहिए कि चाहें तो सगाई अभी कर सकते हैं और शादी मेरे फाइनल एग्जाम के बाद होगी.”

“बहुत  अच्छी बात कही है तुम ने बेटा, सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाली बात हुई. ठीक है, मैं उन्हें बता दूंगा.“

“ठीक है, शादी अगले साल ही होगी.  इसी साल किसी अच्छे मुहूर्त देख कर तुम दोनों भाइयों की सगाई कर देता हूं.“

“ओके पापा.“

एक महीने के अंदर दोनों भाइयों  की सगाई होने वाली थी.  रमन ने यह सूचना अपनी फेसबुक फ्रैंड रीता को बता दी.  रीता ने उसे बधाई  दी.  अगले दिन से रीता के अकाउंट्स से रमन को धमकियां  मिलने लगीं- “तुम ने एक नाबालिग लड़की से फेसबुक पर अश्लील हरकतें की हैं.  मैं तुम्हारे सारे फोटो तुम्हारी मंगेतर, तुम्हारे पापामम्मी और सारे फ्रैंड्स व रिश्तेदारों  को फौरवर्ड कर दूंगी  और साथ ही, सोशल मीडिया पर भी.“

“तुम कैसी फ्रैंड हो…  मैं ने तुम्हारी मदद की और अब तुम मुझे बेइज्जत करने की सोच रही हो?“ रमन ने कहा.

“मैं कुछ नहीं जानती, एक नाबालिग लड़की से ऐसी गंदी हरकतें करने के पहले तुम्हें सोचना चाहिए था.  अगर तुम अपने परिवार को बेइज्जती और बदनामी से बचाना चाहते हो तो  तुम को मुझे 10 लाख रुपए देने होंगे.  सेठ रोशनलाल के बेटे  हो और सेठ जमुनालाल के इकलौते दामाद बनने जा रहे हो. इतनी रकम जुटाना कोई बड़ी बात नहीं है.“

“इतनी बड़ी रकम मैं नहीं दे सकता.“

“अगर तुम नहीं मानते,  तब मुझे भी मजबूर हो कर सख्त कदम उठाना होगा. सभी को तुम्हारी गंदी और अश्लील हरकतों की जानकारी देनी होगी. दोनों परिवारों की बदनामी तो होगी ही और तुम दोनों भाइयों की शादी का क्या होगा, वह तुम समझ सकते हो.“

कुछ दिनों तक दोनों के बीच ऐसा ही चलता रहा.  रमन बहुत परेशान और दुखी रहने लगा.  घरवालों के पूछने पर कुछ बताता भी नहीं था.  अब  सगाई में मात्र 10 दिन रह गए थे.  रीता ने रमन से कहा, “ब मैं और इंतजार नहीं कर सकती.  तुम्हें, बस, 3  दिन का समय दे रही हूं.  तुम रुपए ले कर जहां कहूं वहां आ जाना. कब और कहां, मैं थोड़ी देर में  बता दूंगी.  वरना, अंजाम तुम समझ सकते हो.“

एक रात अमन  छोटे भाई रमन  के कमरे के सामने से गुजर रहा था. रमन का कमरा अधखुला था.  उस ने रमन को  कमरे में तकिए में मुंह छिपा कर सिसकते देखा. वह  रमन के पास गया  और उस से रोने का कारण पूछा. रमन अपने भाई के गले लग कर रोने लगा. अमन ने उसे चुप कराया और  कहा, “अपने भाई से अपने दुख का कारण शेयर करो. अगर  मैं तुम्हारा दुख कम नहीं कर सका, तब भी शेयर करने से  कम से कम मन का बोझ कम हो सकता है.  चुप हो जाओ और अब  शेयर करो अपनी बात.“

रमन ने रोते हुए अपने  और रीता के बीच हुई सारी बातें बताईं. रमन की बातें सुन कर अमन बोला, “बस, इतनी सी बात है. तुम अब इस की चिंता छोड़ दो. हम दोनों मिल कर उस रीता की बच्ची को छठी के  दूध की याद दिला देंगे. इतना ही नहीं, हम दोनों की भावी पत्नियां भी रीता को सबक सिखाने में हमारी मदद करेंगी.“

“पर क्या शालू भाभी और दिया को यह बताना सही होगा?“

“अगर सही नहीं है तो इस में कुछ गलत भी नहीं है. तुम्हारी गलती इतनी है कि तुम अपनी  नादानी और बेवकूफी के कारण  रीता के ब्लैकमेल के जाल  में फंस चुके हो. तुम्हें शायद पता नहीं है कि शालू को आईटी की अच्छी जानकारी है. दिया तुम्हारी भावी पत्नी है, उसे तुम सचाई बता सकते हो. इतना ही नहीं, दिया ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट ले चुकी है. इन दोनों को अपने जैसा कमजोर न समझो. हम चारों मिल कर इस स्थिति से निबटने का कोई  उपाय निकाल लेंगे.  तुम दिया को कौन्फिडैंस में लो और रीता से बात करते रहो कि पैसों  का इंतजाम कर रहा हूं, कुछ समय दो.“

“क्या हमें पुलिस की मदद लेनी होगी?“  रमन ने पूछा.

“नहीं, अगर लेनी भी पड़ी तो  रीता को पकड़ने के बाद. आखिर तुम्हारी तसवीरें तो उस के मोबाइल या अन्य सिस्टम में स्टोर हैं और वह तुम्हें गलत साबित कर सकती है.”

दोनों भाई और उन की भावी पत्नियों ने मिल कर रीता से निबटने का प्लान बनाया. रमन ने रीता को फोन कर कहा, “देखो 10 लाख रुपए का इंतजाम तो मैं नहीं कर सकता, 5 लाख रुपए तो तैयार ही समझो. इतने से  तुम्हारा काम हो जाना चाहिए.“

फोन की बातें अमन, दिया और शालू भी सुन रहे थे. रीता ने कहा, “नहीं, 5 लाख से काम नहीं चलेगा.“

रमन बोला, “तब ठीक है, कल के पेपर में मेरे सुसाइड करने की खबर पढ़ कर तुम्हारा काम हो  जाना चाहिए.“

“अरे नहीं यार, मैं उतनी जालिम नहीं हूं. तुम्हारे मरने से मुझे क्या हासिल होगा. ऐसा करो, 2 लाख और दे देना. बस, फुल एंड फाइनल,“ रीता बोली.

रमन अपने भाई की ओर  सवालिया निगाहों से देखने लगा. अमन ने उसे इशारों से रीता को हां कहने को कहा.

“ठीक है, तब परसों संडे को  शाम ठीक 5 बजे  मेरे कहे समय और पते पर 7 लाख कैश ले कर मिलो.  इस के बाद भी हम अच्छे दोस्त बने रहेंगे, यह मेरा वादा है.  मुझे  अच्छे कालेज में एडमिशन के लिए पैसों की सख्त जरूरत है.“

“ओके, मैं पैसे ले कर आ जाऊंगा.“

“याद रखना, यह बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहनी चाहिए  वरना मैं तुम्हारे फोटो की कौपी किसी दूसरे दोस्त को फौरवर्ड कर दूंगी.  कुछ ऐसावैसा किया तो वह तुम्हें एक्सपोज कर देगा. हां, एक जरूरी बात, अगर मैं घर से बाहर नहीं निकल सकी तो मेरा बड़ा भाई जा सकता है.   उस के पास सौ रुपए का यह नोट होगा, इस का नंबर नोट कर लो.“

“नहीं, मैं किसी को नहीं बताऊंगा और तुम्हारे दिए समय व पते पर आ जाऊंगा. पर कोई दूसरा आए तो उस के पास तुम्हारा ही फोन होना चाहिए जिस में मेरी तसवीरें हैं,“  रमन ने कहा.

“डोंट वरी, मुझे आम खाने से मतलब है, गुठली गिनने से नहीं. मुझे मेरी रकम चाहिए और कुछ नहीं.“

अगले दिन रीता ने फोन कर रुपयों के साथ आने के समय और स्थान का पता बता दिया. रमन को शहर के पूर्वी छोर पर एक जगह बुलाया. वह जगह अभी डैवलप्ड नहीं थी. कुछ घर बन चुके थे जिन में इक्केदुक्के   लोग रह रहे थे और काफी घर बन रहे थे. वहां अभी सड़कें भी पक्की नहीं बन सकी थीं. रीता ने रमन को एक निर्माणाधीन घर का पता दे कर वहां आने को कहा. अमन ने अपनी कंपनी के एक स्टाफ  को वहां जा कर उस जगह को देखने को कहा. उस ने स्टाफ को सिर्फ इतना बताया कि वहां उसे कुछ प्लौट खरीदना है. अमन के स्टाफ ने आ कर बताया कि उस मकान के 3 ओर अभी गन्ने के खेत थे.  यह जानने के बाद अमन बहुत खुश हुआ और उस ने रमन, शालू और दिया को भी इस की जानकारी दे दी.

अमन ने बाकी  तीनों लोगों के साथ मिल कर एक प्लान बनाया और सख्त हिदायत दी कि और किसी को इस प्लान की भनक न लगे.  उस ने कहा, “रीता अपने ही बने जाल में फंसने जा रही है. उस ने जगह ऐसी चुनी है कि हम लोग मिल कर उस की घेराबंदी कर लेंगे.

एक ब्रीफकेस में कुछ असली रुपए रख कर उन के नीचे सिर्फ सफ़ेद पेपर के टुकड़े डाल दिए गए.  फैसला हुआ कि  अमन, शालू और दिया तीनों रीता के बताए गंतव्य स्थान पर पूर्व नियोजित समय से काफी पहले से ही  निकट के खेत में छिप जाएंगे. उस दिन कंस्ट्रक्शन वर्कर की छुट्टी थी. इलाका लगभग वीरान था.  रमन का फोन अमन के पास रहेगा और रीता का मैसेज मिलते ही रमन ब्रीफकेस ले कर रीता के पास जाएगा. रमन के पास अमन का फोन होगा और जब रीता का फोन आएगा, अमन कौल रिसीव करेगा और रमन, बस, होंठ चलाते हुए बात करने का उपक्रम करते हुए रीता की और बढ़ेगा. अगर  दिशानिर्देश आदि कोई विशेष जानकारी देनी होगी, तो अमन या शालू उसे रमन को मैसेज कर देंगी.

रीता ने अपनी समझ में  पूरी होशियारी बरती. उस ने खुद न जा कर किसी दूसरे लड़के को भेजा जिसे रीता ने अपना भाई कहा था. रमन ने उस से 100 रुपए के नोट का नंबर मिलाया. फिर कुछ देर तक उसे  इधरउधर की बातों में उलझाए  रखा. उस ने रमन से जल्द ही ब्रीफकेस देने को कहा. रमन ने भी उस से रीता का फोन देने को कहा ताकि वह फोटो डिलीट कर दे. उस ने रीता का फोन रमन को दिया, तभी अचानक अमन और दिया को अपनी तरफ आते देखा. वह घबरा कर भागने लगा पर दिया के ट्वाइकांडों  के एक झटके से वह जमीन पर औंधेमुंह गिर पड़ा.

दिया, अमन और शालू ने मिल कर उस पर काबू पा लिया. अमन बोला, “तुम रीता के भैया हो न, अपनी बहन को कौल कर यहां बुलाओ. जैसा मैं कहूं, वैसा ही उसे बोलना होगा.“

“काहे का भैया? मैं तो उस का प्रेमी हूं. भैया  नहीं, होने वाला सैंया  हूं. रीता भी यहां से ज्यादा दूर नहीं है.“

“तुम उस के जो  भी हो, उसे जल्द यहां आने को कहो.“

रीता के प्रेमी ने फोन कर  उस से कहा, “रीता, यह कौन सी जगह तुमने चुनी है? रुपए तो पूरे मिल गए पर मुझे सांप ने काट लिया है. मैं अब और चल नहीं सकता हूं. पता नहीं  सांप जहरीला था या नहीं पर बहुत दर्द और जलन हो रही है . जल्दी से मुझे ले चलो यहां से.“

तभी रीता एक पुरानी कार चलाते हुए वहां आई. वहां रमन के अलावा अन्य लोगों को देख वह डर गई. उसे देख कर प्रेमी बोला, “घबराओ नहीं, ये लोग हमारी मदद कर रहे हैं.“

रीता के आते ही दिया के दूसरे पैतरे ने उसे भी चारो खाने चित कर दिया. रीता के पास से दूसरा फोन भी ले लिया गया. रीता और उस के प्रेमी ने कहा, “हम दोनों भाग कर शादी करने जा रहे थे. अपनी नई जिंदगी की शुरुआत के लिए रुपयों की जरूरत थी, इसीलिए हम ने  ऐसा किया है. अमन ने ऐसा एक  कुबूलनामा लिखवा कर दोनों के साइन ले लिए.“

अमन बोला, “तुम ने रमन के फोटो कहांकहां भेजे हैं?“

“अभी तक कहीं नहीं भेजे हैं. रमन रुपए न देता, तो फिर मजबूर हो कर भेज देती.“

शालू बोली, “आप लोग उस की चिंता न करें.  मैं ISP से सब पता कर लूंगी. वैसे भी, इस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है और कुबूलनामा पर साइन भी किए हैं. कुछ गड़बड़ होने पर दोनों जेल की हवा खाएंगे.“

फिर रमन और उस के साथ आए लोगों ने निर्माणाधीन मकान से रस्सियां ला कर दोनों के हाथ, पैर और मुंह बांध कर कार में बैठा दिया. ब्रीफकेस से असली रुपए निकाल कर अपने पास रख लिए. अमन कार ड्राइव कर रहा था, उस ने  रीता के  घर के सामने कार रोकी और रीता के फोन से ही उस के पापा को फोन किया, “आप की बेटी का कार ऐक्सीडैंट हो गया था. हम उसे ले कर आए हैं. हम नीचे कार में हैं. चोट ज्यादा नहीं लगी है, फिर भी उसे हौस्पिटल ले जाना जरूरी है.”

तब तक शालू और दिया भी दूसरी कार में आ गए थे. अमन और रमन  ने रीता और उस के   प्रेमी को  वहीँ छोड़ दिया. उन्होंने दोनों के फोन अपने पास रख लिए. चारों अपनी  कार में सवार हो कर चल दिए. उन लोगों ने बड़ी चालाकी से बिना एक धेला खर्च किए और बिना पुलिस की मदद से ब्लैकमेलर जोड़ी को उन की औकात बता दी.

धकधक गर्ल ने बौलीवुड में 40 साल पूरे होने का मनाया जश्न, ‘बनना चाहती थीं डौक्टर’

सुपरस्टार माधुरी दीक्षित , जिन्होंने 10 अगस्त, 1984 को फिल्म अबोध से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी, वह इस एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपने 40 साल पूरे कर रही हैं अपनी असाधारण प्रतिभा और अद्भुत आकर्षण के लिए जानी जाने वाली यह प्यारी अभिनेत्री अपने फैन्स के साथ फिर से जुड़कर इस खूबसूरत मौके का जश्न मनाने की योजना बना रही है.

माधुरी दीक्षित  8 अगस्त से 11 अगस्त 2024 तक अमेरिका के चार शहरों के विशेष दौरे पर गई हैं, जिसका शीर्षक है ‘द फारएवर क्वीन औफ बौलीवुड – माधुरी दीक्षित’. मेगास्टार न्यूयार्क, डलास, न्यू जर्सी और अटलांटा जाएंगी, जिससे उनके फैन्स को उनके साथ इस महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाने का अवसर मिलेगा.

इस टूर के बारे में अपनी उत्सुकता व्यक्त करते हुए माधुरी दीक्षित ने कहा, “मुझे हमेशा अपने प्रशंसकों से मिलना अच्छा लगता है क्योंकि उनसे मुझे जो प्रतिक्रिया मिलती है वह अद्भुत होती है. कभीकभी वे मेरे पास आते हैं और मुझे बताते हैं कि फिल्मों में मैंने जो विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं, उनका उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है या वे मुझे किस तरह की भूमिकाएं निभाते देखना चाहेंगे. विचारों का यह आदान प्रदान कुछ ऐसा है जिसका मैं बेसब्री से इंतजार करती हूं, और मुझे यह जानना अच्छा लगता है कि वे कौन हैं और उनका जीवन कैसा है. मैंने हमेशा अपने प्रशंसकों के साथ इस तरह की बातचीत को संजोया है.”
बहुप्रतीक्षित टूर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा.  “हम सभी माधुरी जी को धकधक गर्ल के नाम से जानते हैं. यह सिर्फ उनके प्रशंसकों द्वारा दिया गया उपनाम नहीं है, बल्कि सही मायने में वह दुनिया भर में अपने प्रशंसकों के दिलों की धड़कन हैं.

माधुरी दीक्षित फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम है जो हर युवा महिला के लिए प्रेरणा का स्रोत है और युवा लड़कों के लिए दिल की धड़कन है. करीबन 40 सालों से फिल्म इंडस्ट्री पर राज करने वाली और चार पीढ़ियों के साथ काम कर चुकी माधुरी दीक्षित सादगी और शालीनता से भरपूर है. बहुत कम एक्ट्रेस ऐसे हैं जिनके नाम पर फिल्म बनी हो. पद्मश्री से सम्मानित माधुरी दीक्षित के नाम पर फिल्म भी बनी है जिसका नाम है मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं. माधुरी दीक्षित ने अपने 40 साल के करियर में फिल्म इंडस्ट्री को बहुत कुछ दिया है. भले ही उनकी पहली फिल्म अबोध नहीं चली. लेकिन उसके बाद तेजाब, राम लखन, त्रिदेव, हम आपके हैं कौन, देवदास, दिल तो पागल है, लज्जा और खलनायक जैसी फिल्मों के जरिए माधुरी दीक्षित ने दर्शकों के दिल में अपनी खास जगह बना ली है.

15 मई 1965 में जन्मी माधुरी दीक्षित डौक्टर बनने की ख्वाहिश रखती थी लेकिन राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म अबोध के जरिए नायिका बन गई. अपने 40 साल के करियर में अनिल कपूर जैकी श्राफ से लेकर सलमान खान शाहरुख खान, रणबीर कपूर तक कई सारे हीरोज के साथ माधुरी अपनी ही हिट जोड़ी बना चुकी है इनमें से अनिल कपूर के साथ माधुरी करीबन 20 फिल्में कर चुकी है. माधुरी सिर्फ अभिनय और अदाओं में ही माहिर नहीं थी बल्कि वह एक बेहतरीन डांसर भी हैं. कई सारे हिट नंबर जैसे चोली के पीछे, 1 2 3, दिल तो पागल है, धक धक करने लगा, आदि गानों में खूबसूरत डांस करके माधुरी दीक्षित ने डांसिंग दिवा की उपाधि पाई है. डांसिंग दिवा के अलावा माधुरी दीक्षित की पहचान धक धक गर्ल के नाम से भी काफी प्रसिद्ध है. सरोज खान कोरियोग्राफर को अपना गुरु मानने वाली माधुरी दीक्षित सरोज खान के साथ मिलकर बहुत सारे हिट नंबर दिए हैं.

शादी के बाद एक अलग अंदाज में फिर से अभिनय में वापसी….

ज्यादातर हीरोइन का करियर शादी के बाद खत्म हो जाता है. डौक्टर नेने से शादी के बाद माधुरी दीक्षित अमेरिका में सेटल हो गई थी उसके बाद दो बेटों को जन्म देने के बाद माधुरी ने एक बार फिर फिल्मों में कम बैक किया उस दौरान भी दर्शकों ने उनको हाथों हाथ दिया. कुछ फिल्में करने के अलावा माधुरी दीक्षित ने कई रियलिटी शोज को जज किया जैसे डांस दीवाने, झलक दिखला जा  और नच बलिए आदि.

रियलिटी शोज में जज के दौरान माधुरी दीक्षित ने बहुत लोकप्रियता बटोरी

ऐसे में कहना गलत ना होगा की माधुरी दीक्षित ने अपने अब तक के करियर में बतौर अभिनेत्री एक अमित छाप छोड़ी है. आज भी माधुरी दीक्षित अभिनय में पूरी तरह सक्रिय हैं. दर्शको को उनकी फिल्मों का इंतजार रहता है और माधुरी दीक्षित भी हर क्षेत्र में उतनी ही मेहनत करती है जितनी कि अपने करियर की शुरुआत में करती थी. ऐसे में कहना गलत ना होगा की माधुरी दीक्षित का फिल्मी करियर एक मिसाल है . जिसके चलते माधुरी दीक्षित का नाम फिल्मी इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा.

फर्क: रवीना की एक गलती ने तबाह कर दी उसकी जिंदगी

18 साल की रवीना के हाथों में जैसे ही वोटर आईडी कार्ड आया, उसे लगा जैसे सारी दुनिया उस की मुट्ठी में समा गई हो. यह सिर्फ एक दस्तावेज मात्र नहीं था बल्कि उस की आजादी का सर्टिफिकेट था।

‘अब मैं कानूनी रूप से बालिग हूं और अपनी मरजी की मालिक, अपनी जिंदगी की सर्वेसर्वा. निर्णय लेने को स्वतंत्र. जो चाहे करूं, जहां चाहे जाऊं. जिस के साथ मरजी रहूं. कोई बंधन, कोई रोकटोक नहीं. बस, खुला आसमान और ऊंची उड़ान…’ मन ही मन खुश होती हुई रवीना पल्लव के साथ अपनी आजादी का जश्न मनाने का नायाब तरीका सोचने लगी.

ग्रैजुऐशन के आखिरी साल की स्टूडैंट रवीना मातापिता की इकलौती बेटी थी. फैशन और हाई प्रोफाइल लाइफ की दीवानी रवीना नाजों पली होने के कारण जिद्दी और मनमौजी थी. पढ़ाईलिखाई में तो वह एक औसत छात्रा ही थी इसलिए पास होने के लिए हर साल उसे ट्यूशन और कोचिंग का सहारा लेना पड़ता था.

पल्लव भी पिछले दिनों ही इस कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने लगा है. पहली नजर में ही रवीना उस की तरफ झुकने लगी थी. लंबा और ऊंचा कद, गहरीगंभीर आंखें और लापरवाही से पहने कस्बाई फैशन के हिसाब से आधुनिक लिबास. बाकी लड़कियों की निगाहों में पल्लव कुछ भी खास नहीं था मगर उस का बेपरवाह अंदाज अतिआधुनिक शहरी रवीना के दिलोदिमाग में खलबली मचाए हुए था.

पल्लव कहने को तो कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाता था लेकिन असल में तो वह खुद भी एक स्टूडैंट ही था. उस ने इसी साल अपना ग्रैजुऐशन पूरा किया था और अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए शहर में रुका था. कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाने के पीछे उस का यह मकसद भी था कि इस तरीके से वह किताबों के संपर्क में रहेगा, साथ ही जेबखर्च के लिए कुछ अतिरिक्त आमदनी भी हो जाएगी.

पल्लव के पिता उस के इस फैसले से सहमत नहीं थे. वे चाहते थे कि पल्लव पूरी तरह से समर्पित हो कर अपना ध्यान केवल अपने भविष्य की तैयारी पर लगाए लेकिन पल्लव से पूरा दिन एक ही जगह बंद कमरे में बैठ कर पढ़ाई नहीं होती थी, इसलिए उस ने अपने पिता की इच्छा के खिलाफ पढ़ने के साथसाथ पढ़ाने का विकल्प चुना और इस तरह से रवीना के संपर्क में आया.

‘2 विपरीत ध्रुव एकदूसरे को आकर्षित करते हैं’, इस सर्वमान्य नियम से भला पल्लव कैसे अछूता रह सकता था. धीरेधीरे वह भी खुद के प्रति रवीना के आकर्षण को महसूस करने लगा था। मगर एक तो उस का संकोची स्वभाव, दूसरे सामाजिक स्तर पर कमतरी का एहसास उसे दोस्ती के लिए आमंत्रित करती रवीना की मुसकान के निमंत्रण को स्वीकार नहीं करने दे रहा था.

आखिर विज्ञान की जीत हुई और शुरुआती औपचारिकता के बाद अब दोनों के बीच अच्छीखासी ट्यूनिंग बनने लगी थी. फोन पर बातों का सिलसिला भी शुरू हो चुका था.

“लीजिए जनाब, सरकार ने हमें कानूनन बालिग घोषित कर दिया है,” पल्लव के चेहरे के सामने अपना वोटर कार्ड हवा में लहराते हुए रवीना खिलखिलाई.

“तो जश्न मनाएं…” पल्लव ने भी उसी गरमजोशी से जवाब दिया.

“चलो, आज तुम्हें पिज्जा खिलाने ले चलती हूं.”

“न… न… तुम अपने खुबसूरत हाथों से 1 कप चाय बना कर पिला दो. मैं तो इसी में खुश हो जाउंगा,” पल्लव ने रवीना के चेहरे पर शरारत करते बालों की लट को उस के कानों के पीछे ले जाते हुए कहा. रवीना उस का प्रस्ताव सुन कर हैरान थी.

“चाय? मगर कैसे? कहां?” रवीना ने पूछा.

“मेरे रूम पर और कहां?” पल्लव ने उसे आश्चर्य से बाहर निकाला. रवीना राजी हो गई.

रवीना ने मुसकरा कर स्कूटर स्टार्ट करते हुए पल्लव को पीछे बैठने के लिए आमंत्रित किया. यह पहला मौका था जब पल्लव उस से इतना सट कर बैठा था. कुछ ही मिनटों के बाद दोनों पल्लव के कमरे पर थे. जैसाकि आम पढ़ने वाले युवाओं का होता है, पल्लव के कमरे में भी सामान के नाम पर एक पलंग, टेबलकुरसी और रसोई का सामान था. रवीना अपने बैठने के लिए जगह तलाश कर ही रही थी कि पल्लव ने उसे पलंग पर बैठने का इशारा किया. रवीना सकुचाते हुए बैठ गई. पल्लव भी वहीं उस के पास आ बैठा.

एकांत में 2 युवा दिल एकदूसरे की धड़कनें महसूस करने लगे और कुछ ही पलों में दोनों के रिश्ते ने एक लंबा फासला तय कर लिया. दोनों के बीच बहुत सी औपचारिकताओं के किले ढह गए. एक बार ढहे तो फिर बारबार ये वर्जनाएं टूटने लगीं.

कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. दोनों की नजदीकियों की भनक जब रवीना के घर वालों को लगी तो उसे लाइन हाजिर किया गया.

“मैं पल्लव से प्यार करती हूं,” रवीना ने बेझिझक स्वीकार किया. बेटी की मुंहजोरी पर पिता आगबबूला हो गए.
यह उम्र कैरियर बनाने की है, रिश्ते नहीं. समझीं तुम…” पापा ने उसे लताड़ दिया.

“मैं बालिग हूं. अपने फैसले खुद लेने का अधिकार है मुझे,” रवीना बगावत पर उतर आई थी. इसी दौरान बीचबचाव करने के लिए मां उन के बीच आ खड़ी हुईं.

“कल से इस का कालेज और इंस्टिट्यूट दोनों जगह जाना बंद,” पिता ने उस की मां की तरफ मुखातिब होते हुए कहा तो रवीना पांव पटकते हुए अपने कमरे की तरफ चल दी. थोड़ी ही देर में कपड़ों से भरा सूटकेस हाथ में लिए वह खड़ी थी.

“मैं पल्लव के साथ रहने जा रही हूं,” रवीना के इस ऐलान ने घर में सब के होश उड़ा दिए.

“तुम बिना शादी किए एक पराए मर्द के साथ रहोगी? क्यों समाज में हमारी नाक कटवाने पर तुली हो?” इस बार मां उस के खिलाफ हो गई.

“हम दोनों बालिग हैं. अब तो कोर्ट ने भी इस बात की इजाजत दे दी है कि 2 बालिग लिव इन में रह सकते हैं, उम्र चाहे जो भी हो,” रवीना ने मां के विरोध को चुनौती दी.

“कोर्ट अपने फैसले नियमकानून और सुबूतों के आधार पर देता है. सामाजिक व्यवस्थाएं इन सब से बिलकुल अलग होती हैं. कानून और समाज के नियम सर्वथा भिन्न होते हैं,” पापा ने उसे समझाने की कोशिश की मगर रवीना के कान तो पल्लव के नाम के अलावा कुछ और सुनने को तैयार ही नहीं थे.

उसे अब अपने और पल्लव के बीच कोई बाधा स्वीकार नहीं थी. वह बिना पीछे मुड़ कर देखे अपने घर की दहलीज लांघ गई. यों अचानक रवीना को सामान सहित अपने सामने देख कर पल्लव अचकचा गया. रवीना ने एक ही सांस में उसे पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा दे दिया.

“कोई बात नहीं, अब तुम मेरे पास आ गई हो न. पुराना सब बातें भूल जाओ और मिलन का जश्न मनाओ,” कमरा बंद कर के पल्लव ने उसे अपने पास खींच लिया और कुछ ही देर में हमेशा की तरह उन के बीच रहीसही सारी दूरियां भी मिट गईं. रवीना ने एक बार फिर अपना सबकुछ पल्लव को समर्पित कर दिया.

2-4 दिन में ही पल्लव के मकानमालिक को भी सारी हकीकत पता चल गई कि पल्लव अपने साथ किसी लड़की को रखे हुए है. उस ने पल्लव को धमकाते हुए कमरा खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया. समाज की तरफ से उन पर यह पहला प्रहार था मगर उन्होंने हार नहीं मानी. कमरा खाली कर के दोनों एक सस्ते होटल में आ गए.

कुछ दिन तो सोने से दिन और चांदी सी रातें गुजरीं मगर साल बीततेबीतते ही उन के इश्क का इंद्रधनुष फीका पड़ने लगा. ‘प्यार से पेट नहीं भरता’ इस कहावत का मतलब पल्लव अच्छी तरह समझने लगा था.
समाज में बदनामी होने के कारण पल्लव की कोचिंग छूट गई और अब आमदनी का कोई दूसरा जरीया भी उन के पास नहीं था. पल्लव के पास प्रतियोगी परीक्षाओं का शुल्क भरने तक के पैसे नहीं बच पा रहे थे. उस ने वह होटल भी छोड़ दिया और अब रवीना को ले कर बहुत ही निम्न स्तर के मोहल्ले में रहने आ गया.

एक तरफ जहां पल्लव को रवीना के साथ अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा था, तो वहीं दूसरी तरफ रवीना तो अब पल्लव में ही अपना भविष्य तलाशने लगी थी. वह इस लिव इन को स्थाई संबंध में परिवर्तित करना चाहती थी और पल्लव से शादी करना चाहती थी. रवीना को भरोसा था कि जल्दी ही अंधेरी गलियां खत्म हो जाएंगी और उन्हें अपनी मंजिल के रास्ते मिल जाएंगे. बस, किसी तरह पल्लव कहीं सैट हो जाए.

एक बार फिर विज्ञान का यह आकर्षण का नियम पल्लव पर लागू हो रहा था,’2 विपरीत ध्रुव जब एक निश्चित सीमा तक नजदीक आ जाते हैं तो उन में विकर्षण पैदा होने लगता है।’ पल्लव भी इसी विकर्षण का शिकार होने लगा था. हालातों के सामने घुटने टेकता वह अपने पिता के सामने रो पड़ा तो उन्होंने रवीना से अलग होने की शर्त पर उस की मदद करना स्वीकार कर लिया. मरता क्या नहीं करता, पिता की शर्त के अनुसार उस ने फिर से कोचिंग जाना शुरू कर दिया और वहीं होस्टल में रहने लगा, मगर इस बार कोचिंग में पढ़ाने नहीं बल्कि स्वयं पढ़ने के लिए. रवीना के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं था. वह अपनेआप को ठगा सा महसूस करने लगी. मगर दोष दे भी तो किसे? यह तो उस का अपना फैसला था.

पल्लव के जाने के बाद वह अकेली ही उस मोहल्ले में रहने लगी. इतना सब होने के बाद भी उसे पल्लव का इंतजार था. वह भी उस के बैंक परीक्षा के रिजल्ट का इंतजार कर रही थी,’एक बार पल्लव का सिलैक्शन हो जाए तो फिर सब ठीक हो जाएगा. हमारा दम तोड़ता रिश्ता फिर से जी उठेगा,’ इसी उम्मीद पर वह हर चोट सहती जा रही थी.

आखिर रिजल्ट भी आ गया. पल्लव की मेहनत रंग लाई और उस का बैंक परीक्षा में में चयन हो गया. रवीना यह खुशी उत्सव की तरह मनाना चाहती थी. वह दिनभर तैयार हो कर उस का इंतजार करती रही मगर वह नहीं आया. रवीना पल्लव को फोन पर फोन लगाती रही मगर उस ने फोन भी नहीं उठाया.

आखिर रवीना उस के होस्टल जा पहुंची. वहां जा कर पता चला कि पल्लव तो सुबह रिजल्ट आते ही अपने घर चला गया. रवीना बिलकुल निराश हो गई. क्या करे? कहां जाए? वर्तमान तो खराब हुआ ही, भविष्य भी अंधकारमय हो गया. आसमान तो हासिल नहीं हुआ, पांवों के नीचे की जमीन भी अपनी नहीं रही. पल्लव का प्रेम तो मिला नहीं, मातापिता का स्नेह भी वह छोड़ आई. काश, उस ने अपनेआप को कुछ समय सोचने के लिए दिया होता. मगर अब क्या हो सकता है? पीछे लौटने के सारे रास्ते तो वह खुद ही बंद कर आई थी. रवीना बुरी तरह से हताश हो गई. वह कुछ भी सोच नहीं पा रही थी. कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी.

आखिर उस ने एक खतरनाक निर्णय ले ही लिया,”तुम्हें तुम्हारा रास्ता मुबारक हो. मैं अपने रास्ते जा रही हूं. खुश रहो,” रवीना ने एक मैसेज पल्लव को भेजा और अपना मोबाइल स्विच औफ कर लिया. संदेश पढ़ते ही पल्लव के पांवों के नीचे से जमीन खिसक गई.

‘अगर इस लड़की ने कुछ उलटासीधा कर लिया तो मेरा कैरियर चौपट हो जाएगा,’ यह सोचते हुए उस ने 1-2 बार रवीना को फोन लगाने की कोशिश की मगर नाकाम होने पर तुरंत दोस्त के साथ बाइक ले कर उस के पास पहुंच गया. जैसाकि उसे अंदेशा था, रवीना नींद की गोलियां खा कर बेसुध पड़ी थी. पल्लव दोस्त की मदद से उसे हौस्पिटल ले कर आया और उस के घर पर भी खबर कर दी. डाक्टरों के इलाज शुरू करते ही दवा लेने के बहाने पल्लव वहां से खिसक गया.

बेशक रवीना अपने घर वालों से सारे रिश्ते खत्म कर आई थी मगर खून के रिश्ते भी कहीं टूटे हैं भला? खबर पाते ही मातापिता बदहवास से बेटी के पास पहुंच गए. समय पर चिकित्सा सहायता मिलने से रवीना अब खतरे से बाहर थी. मांपापा को सामने देख वह फफक पड़ी,”मां, मैं बहुत शर्मिंदा हूं. सिर्फ आज के लिए ही नहीं बल्कि उस दिन के अपने फैसले के लिए भी, जब मैं आप सब को छोड़ आई थी,” रवीना ने कहा तो मां ने कस कर उस का हाथ थाम लिया.

“यदि मैं ने उस दिन घर न छोड़ा होता तो आज कहीं बेहतर जिंदगी जी रही होती. मेरा वर्तमान और भविष्य, दोनों ही सुनहरे होते. मैं ने स्वतंत्र होने में बहुत जल्दबाजी की. मैं तो आप लोगों से माफी मांगने के लायक भी नहीं हूं…” रवीना फफक पङी.

“तुम घर लौट चलो. अपनेआप को वक्त दो और फिर से अपने फैसले का मूल्यांकन करो. जिंदगी किसी एक मोड़ पर रुकने का नाम नहीं बल्कि यह तो एक सतत प्रवाह है. इस के साथ बहने वाले ही अपनी मंजिल को पाते हैं,” पापा ने उसे समझाया.

“हां, किसी एक जगह अटके रहने का नाम जिंदगी नहीं है. यह तो अनवरत बहती रहने वाली नदी है. तुम भी इस के बाहव में खुद को छोड़ दो और एक बार फिर से मुकाम बनाने की कोशिश करो. हम सब तुम्हारे साथ हैं,” मां ने उस का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा.

मन ही मन अपने फैसले से सबक लेने का दृढ संकल्प करते हुए रवीना मुसकरा दी. अब उसे स्वतंत्रता और स्वछंदता में फर्क साफसाफ नजर आ रहा था.

एक्ट्रैस जैसे दिखना चाहती हैं अट्रैक्टिव, तो फेस कट के अनुसार बनाएं हेयरस्टाइल

खूबसूरत दिखने के लिए हमें सिर्फ मेकअप की ही जरूरत नहीं होती बल्कि मेकअप तभी हमारे लुक को अट्रैक्टिव बनाता है जब हमने अपने बालों को सलीके से सवारा होता है तो यह हमारी खूबसूरती को और भी अधिक निखारता है, लेकिन हम यह समझने में असमर्थ रहते हैं कि हमारे चेहरे पर कौनसा हेयरस्टाइल अधिक जचता है, तो चलिए जानते हैं कि आपके चेहरे की शेप के अनुसार कौन सा हेयरस्टाइल है आपके लिए परफेक्ट.

डायमंड शेप

अभिनेत्री मलिका अरोड़ा का फेस कट डायमंड शेप का है ऐसे फेस कट पर लौन्ग, साइड स्वेप्ट बैंग्स और टेक्स्चर्ड बाब अच्छे लगते हैं इस तरह के फेस में माथा और जालाइन एक ही चौड़ाई के होते हैं, चीकबोन्स चौड़ी होती हैं और ठोड़ी पतली होती है. यदि आप ठोड़ी को शार्प दिखाना चाहती हैं तो कर्ल्स या वेव्स खूब जचेंगे लेकिन ब्लंट फ्रिंजेस के साथ फ्लैट बाब हेयरस्टाइल बनाने से बचें.

गोलाकार

आलिया भट्ट का फेस कट इसी शेप का है गोल चेहरे की लंबाई और चौड़ाई लगभग एक जैसी होती है जिससे यह चेहरा भरा भरा लगता है आप चापी लेयर्ड बाब, डिफाइन्ड पिक्सी या फिर बिना ज्यादा लेयर वाले लंबे खुले बाल ट्राइ कर सकती हैं. चेहरे को थोड़ा लम्बा दिखाने के लिए चेहरे के दोनों तरफ से फ्लिक्स निकाल लें.

हर्ट शेप

प्रियंका चोपड़ा जैसा फेस कट हो तो आप स्लीक्ड बैक हाई पोनीटेल लेयर्ड हेयर्स या हाइ टौप नौट बहुत अच्छे लगते हैं व जल्दी भी बन जाते हैं हैवी बैंग्स करने से बचें.

लम्बा शेप

करिश्मा कपूर जैसा फेस कट हो तो लेयर्ड और वेवी हेयर्स कैरी करें जिससे आपके चेहरे को थोड़ी गोलाई भी मिलती है.क्राउन पर वाल्यूम बढ़ाने से बचें जैसे- पिक्सी कट या हाइ अपडूज़.

अंडाकार शेप

सोनम कपूर जैसा फेस कट हो तो हल्के लेयर्स के साथ शोल्डर लेंथ,छोटे बालों में ब्लंट बाब ट्राइ करें, जिसमें फ़ेस-फ्रेमिंग स्ट्रैन्ड्स हों,वहीं लम्बे बालो में फ्रिंज के साथ कुछ लेयर्स खूब फबेंगे.बालों की ऊंचाई बढ़ाने वाले हेयरस्टाइल से बचें.

चकोर शेप

अनुष्का शर्मा जैसा फेस कट हो तो ब्लंट बैंग्स, शॉर्ट बॉब्स या फिर सॉफ़्ट, विस्पी बैंग्स आप पर बहुत जचेंगे.

आखिरी बाजी: क्या दोबारा अपनी जिंदगी में जोहरा को ला पाया असद

लेखक- जुबैर फरीदी

सकीना बानो ने घबरा कर घर के बाहर देखा. दूरदूर तक कोई दिखाई नहीं पड़ रहा था. उस ने दरवाजा बंद कर दिया और लौट कर जोहरा के पास आ गई. जोहरा बिस्तर पर पड़ी प्रसवपीड़ा से तड़प रही थी. कभीकभी उस की कराहटें तीव्र हो जाती थीं. ऐसे में सकीना का कलेजा मुंह को आने लगता. उस से जोहरा की तकलीफ देखी नहीं जा रही थी.

उसे बारबार असद पर क्रोध आ रहा था. वह कह कर गया था कि शाम तक लौट आएगा, लेकिन रात हो आने पर भी उस का कहीं पता नहीं था. घर में असद ने इतने पैसे भी नहीं छोड़े थे कि वह स्वयं ही किसी डाक्टर को बुला लाती. अब तो यह सोचने के सिवा और कोई चारा नहीं था कि जो कुछ होगा उस से निबटना ही पडे़गा.

तभी अचानक लगा कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी है. वह तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ी. दरवाजा खोला, पर बाहर  कोई नहीं था. उसे अपने ऊपर क्रोध आ गया.

जैसेजैसे अंधेरा बढ़ता जा रहा था, उस के हृदय की धड़कनें भी बढ़ती जा रही थीं. असद के न आने पर उस ने मजबूरन पड़ोस के लड़के शमीम को असद को बुलाने भेजा था.

अब तो शमीम को गए भी 1 घंटा बीत चुका था, लेकिन अभी तक न असद का पता था न शमीम का.

बेचैनी से टहलती वह जोहरा के पास पहुंची और बोली, ‘‘सब्र और हिम्मत से काम ले, बेटी, थोड़ी ही देर में असद आ जाएगा.’’

‘‘अम्मी,’’ जोहरा तड़प उठी, ‘‘मुझे यकीन है, वह आज भी नहीं आएंगे. कहीं जुआ खेलने बैठ गए होंगे.’’

‘‘बहू, ऐसी औलाद या ऐसा खाविंद मिलने पर इनसान अपनेआप को कोसने के अलावा और कर ही क्या सकता है?’’ सकीना की आवाज से दर्द भरी मायूसी साफ झलक रही थी.

कुछ ही देर में शमीम आ गया. आते ही बोला, ‘‘भाईजान का तो कहीं पता नहीं चला, वह जहांजहां बैठते थे, सब जगह देख आया.’’

शमीम के आते ही सकीना ने अपनी बेटी नजमा को बुला कर कहा, ‘‘तू अपनी भाभी के पास बैठ. मैं बन्नो दाई को बुला कर लाती हूं,’’ यह कह कर सकीना बुरका ओढ़ कर घर से बाहर निकल गई.

फजर (तड़के) की नमाज के वक्त जोहरा ने एक सुंदर लड़के को जन्म दिया. सकीना प्रसन्नता से खिल उठी, लेकिन जोहरा की आंखें आंसुओं से भरी थीं. वह सोच रही थी, कैसा दुख भरा जीवन है उस का कि उस के पहले बच्चे के जन्म के समय उस का शौहर सब कुछ जानते हुए भी उस के पास नहीं है.

सकीना उस दर्द को समझती थी. इसीलिए उस ने उसे समझाया, ‘‘बहू, रंज मत करो, बुरे वक्त को भी हंस कर गुजार देना चाहिए. तुम्हारे मियां की तो अक्ल ही मारी गई है, फिर कोई क्या कर सकता है. मैं तो उसे समझासमझा कर हार गई. घर में जवान बहन बैठी है, फिर भी उस पर कोई असर नहीं. कहां से करूं बेटी की शादी? मुझे तो रातदिन उस की ही फिक्र खाए जाती है.’’

दूसरे दिन शाम को कहीं जा कर असद ने घर में प्रवेश किया. बच्चा पैदा होने के बावजूद घर में बजाय खुशी के सन्नाटा छाया हुआ था. वैसे वह ऐसे माहौल का आदी हो चुका था. अकसर हर शनिवार को वह गायब हो जाता था और दूसरे दिन शाम को लौट कर आता था.

सकीना ने जब उसे बताया कि वह एक बेटे का बाप बन चुका है तो वह सिर्फ मुसकरा कर रह गया.

जब असद जोहरा के पास पहुंचा तो जोहरा ने उसे देख कर मुंह फेर लिया. असद हलके से मुसकरा दिया और बोला, ‘‘लगता है, मुझ से बहुत नाराज हो. भई, क्या बताऊं, रात एक दोस्त ने रोक लिया. उस के यहां दावत थी. सुबह सो कर उठा तो बोला, दोपहर का खाना खा कर जाना. इसलिए देर हो गई. लाओ, मुन्ने को मुझे दे दो, देखूं तो किस पर गया है.’’

जोहरा ने पटकने वाले अंदाज में बच्चे को असद की ओर बढ़ा दिया. असद ने बच्चे को गोद में लिया तो वह रोने लगा, ‘‘अरे…अरे, रोता है. बिलकुल अपनी अम्मी पर गया है,’’ असद ने हंस कर कहा और बच्चे को जोहरा की ओर बढ़ा दिया. जोहरा ने बच्चे को ले लिया.

असद ने हंस कर जोहरा की ओर देखा और बोला, ‘‘लगता है, आज बेगम साहिबा ने न बोलने की कसम खा रखी है.’’

‘‘पूरी रात तकलीफ से छटपटाती रही पर आप को तो अपने दोस्तों और जुए से ही फुरसत नहीं थी. हार कर अम्मी को ही जा कर दाई को बुला कर लाना पड़ा. आप की बला से, मैं मर भी जाती तो आप को क्या फर्क पड़ता?’’ कह कर जोहरा सिसक पड़ी.

‘‘लेकिन मैं ने जुआ कहां

खेला?’’ असद ने अपनी सफाई पेश करनी चाही, ‘‘मैं तो दोस्तों के साथ दावत में था.’’

‘‘दावत में थे तो वे 500 रुपए कहां हैं जो कल आप मुझ से झूठ बोल कर ले गए थे,’’ जोहरा ने पूछा.

‘‘वे…वे…मैं तो…’’ असद का रंग सफेद पड़ गया. फिर वह तुरंत ही संभल गया और कड़क कर बोला, ‘‘तुम कौन होती हो पूछने वाली?’’

‘‘मैं…’’ जोहरा कुछ कहना ही चाहती थी कि अचानक सकीना ने खांस कर कमरे में प्रवेश किया. सास को देख कर जोहरा चुप हो गई. सकीना जोहरा के निकट आ कर बोली, ‘‘बहू, मुन्ने का अच्छी तरह ध्यान रखना. बाहर बड़ी ठंडी हवा चल रही है. मैं अभी थोड़ी देर में तुम्हारे लिए खाना लाती हूं,’’ फिर एक नजर उस ने असद पर डाली और बोली, ‘‘जाओ, असद, तुम भी खाना खा लो.’’

असद चुपचाप कमरे से निकल गया. जोहरा उदास नजरों से अपने शौहर को जाते देखती रही.

सकीना ने अपने पोते का नाम जफर रखा था. जफर 2 माह का हो गया था. उस ने हाथपैर चलाने के साथसाथ मुंह टेढ़ा करना भी सीख लिया था. उस की इस हरकत से घर के सब लोग हंस पड़ते थे.

असद तो जैसे मुन्ने के लिए दीवाना सा रहता था. दफ्तर से आते ही वह मुन्ने से खेलने लगता. जुआ तो उस ने खेलना बंद नहीं किया था लेकिन उस का रातरात भर गायब रहना अब तकरीबन बंद सा हो गया था.

एक दिन जब असद मुन्ने से खेल रहा था तो जोहरा बोली, ‘‘सुनिए, मुन्ने के लिए बाजार से कुछ कपडे़ ला दीजिए. अभी तक आप ने मुन्ने के लिए कुछ भी नहीं खरीदा. आप को कल ही तनख्वाह मिली है, लेकिन अभी तक आप ने अपनी तनख्वाह अम्मी को भी नहीं दी. अम्मी पूछ रही थीं, कहीं आप तनख्वाह को भी जुए में तो नहीं हार आए?’’ बोलते हुए जोहरा का हृदय जोरों से धड़क रहा था.

‘‘मुझे क्या करना है, क्या नहीं, यह सोचना मेरा काम है. न ही मैं इस बात के लिए पाबंद हूं कि दूसरों के सवालों का जवाब देता फिरूं,’’ असद ने क्रोध भरे स्वर में कहा और मुन्ने को सोफे पर लिटा कर जोहरा को घूर कर देखा.

फिर कुछ क्षण चुप रहने के बाद बोला, ‘‘मैं देख रहा हूं, तुम्हारा दिमाग दिनबदिन खराब होता जा रहा है. तुम मेरे हर काम में दखल देने लगी हो. आखिर तुम्हें क्या हक है मुझ से हिसाबकिताब मांगने का?’’ असद क्रोध से कांपने लगा था.

‘‘मैं आप की बीवी हूं. मुझे यह जानने का पूरा हक है कि आखिर आप ने अम्मी को अपनी तनख्वाह क्यों नहीं दी,’’ जोहरा गुस्से से बिफर कर बोली, ‘‘मैं कोई भगा कर लाई गई औरत नहीं हूं जो आप के जुल्म बरदाश्त करती रहूंगी. मेरा आप के साथ निकाह हुआ है. जितनी जिम्मेदारी आप पर है उतनी ही मुझ पर भी है.’’

‘‘जोहरा, तुम अपनी हद से आगे बढ़ रही हो. तुम भूल रही हो कि मैं तुम्हारा शौहर हूं. शौहर के सामने बात करने की तमीज सीखो.’’

‘‘शौहर को भी तो यह तमीज होनी चाहिए कि वह अपनी बीवी से कैसे पेश आए.’’

‘‘तुम मेरी गैरत को ललकार रही हो, जोहरा,’’ असद आपे से बाहर हो गया था.

‘‘आप में गैरत है कहां?’’ जोहरा तेज स्वर में बोली.

‘‘मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा,’’ असद चीखा.

‘‘फिर देते क्यों नहीं तलाक? अपनी इस नापाक जबान से 3 बार तलाक, तलाक, तलाक कहिए और निकाल दीजिए घर से धक्के दे कर. आप मर्दों ने औरत को समझ क्या रखा है, सिर्फ एक खिलौना? जब जी भर गया, उठा कर फेंक दिया. आप की नजरों में औरत का जन्म शायद मर्दों के जुल्म सहने के लिए ही हुआ है.’’

‘‘जोहरा,’’ असद इतनी जोर से चीखा कि उस के गले की नसें तक तन गईं, ‘‘मैं ने तुम्हें तलाक दिया, मैं ने तुम्हें तलाक दिया, मैं ने तुम्हें तलाक दिया.’’

जोहरा अवाक् फटीफटी आंखों से असद को देखती रही. फिर अचानक ही बेहोश हो कर नीचे गिर पड़ी. सकीना और नजमा उस समय घर में नहीं थीं. वे अभीअभी एक रिश्तेदार से मिल कर लौटी थीं. दोनों ने असद के अंतिम शब्द सुन लिए थे.

सकीना ने असद की ओर क्रोध से देखा और बोली, ‘‘असद, यह तू ने बहुत बुरा किया.’’

असद बुत की तरह स्थिर खड़ा था. सकीना ने असद को झंझोड़ा तो उस ने चौंक कर अपनी अम्मी को देखा और तेजी से घर से बाहर निकल गया. सकीना उसे आश्चर्य से जाते देखती रही.

फिर सकीना ने नजमा की मदद से जोहरा को चारपाई पर लिटाया और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगी. उधर नजमा रोते हुए मुन्ने को गोद में ले कर उसे बहलाने की कोशिश करने लगी.

शाम को जब असद ने घर में प्रवेश किया तो घर में छाई खामोशी ने उसे अंदर तक कचोट दिया. एक आशंका ने उसे कंपा दिया. कमरे में घुसते ही उस की नजर सोफे पर बैठी अपनी अम्मी पर पड़ी, जो गुमसुम सी कहीं खोई हुई थीं.

असद ने धड़कते हृदय के साथ पूछा, ‘‘जोहरा कहां है, अम्मी?’’

‘‘जोहरा,’’ अचानक ही सकीना ने चौंक कर असद की ओर देखा और बोली, ‘‘अपने मायके चली गई है. मैं ने बहुत रोका, लेकिन वह बोली कि अब उस का इस घर से क्या रिश्ता है? उन्होंने मुझे तलाक दे दिया है. अब उन के पास मेरा रहना हराम होगा.’’

यह सुन कर असद अवाक् रह गया. उस का सिर घूमने लगा. उसे उम्मीद न थी कि वह क्रोध में यह सब कर बैठेगा. उस ने भर्राए स्वर में पूछा, ‘‘अब क्या होगा, अम्मी? मैं जोहरा के बिना नहीं रह सकता. मुझे नहीं मालूम था कि मैं इस जुए के चक्कर में अपने जीवन की सब से बड़ी बाजी हार जाऊंगा.’’

‘‘तुम ने बहुत देर कर दी, बेटे. ऐसी शरीफ और नेक बहू ढूंढे़ से भी नहीं मिलेगी. तुम उस पर जुल्म करते रहे लेकिन उस ने कभी उफ तक न की. मगर आज तो तुम ने वह काम किया जो कोई खूनी इनसान ही कर सकता है. तुम ने औरत की अहमियत को नहीं समझा. उसे पैर की जूती समझ कर निकाल फेंका,’’ सकीना ने गंभीर स्वर में कहा.

‘‘अम्मी, तुम कल ही जा कर जोहरा को बुला लाओ. मैं अपने किए की माफी मांग लूंगा,’’ असद ने उम्मीद के साथ अपनी अम्मी की तरफ देखा.

‘‘अब ऐसा नहीं हो सकता,’’ सकीना बोली, ‘‘हमारा मजहब इस बात की इजाजत नहीं देता. हमारे मजहब ने मर्द को इतनी आसानी से तलाक देने का हक दे कर औरत को इतना कमजोर बना दिया है कि निर्दोष होते हुए भी उस की जरा सी भूल उसे धूल में मिला देती है. हमारे मजहब के मुताबिक इन हालात में ‘हलाला’ होना जरूरी है. अब जोहरा का तुम से दोबारा निकाह तभी हो सकता है जब उस का किसी दूसरे मर्द के साथ निकाह हो और वह मर्द जोहरा को एक रात अपने साथ रख कर तलाक दे दे.’’

‘‘मैं इस के लिए भी तैयार हूं, अम्मी. तुम जोहरा से बात तो करो,’’ असद ने डूबे स्वर में कहा.

‘‘अभी 1-2 महीने रुक जाओ, मैं कोशिश करूंगी,’’ सकीना बोली.

इस के बाद असद कुछ नहीं बोला.  वह गुमसुम सा चारपाई पर जा कर

लेट गया. उस की आंखों के सामने जोहरा की सूरत घूम गई. उस के दफ्तर से आते ही वह उस का कोट उतार कर टांग देती थी. उस के जूतों के तसमे खोल कर जूते उतारती थी. उस के आते ही उसे चाय देती थी. उस के जरा से उदास हो जाने पर स्वयं भी उदास हो जाती थी.

उसे ध्यान आया, एक बार जब वह बीमार पड़ गया था तो जोहरा ने रातदिन जाग कर उस की खिदमत की थी.

जोहरा की खिदमत और मुहब्बत का उस ने कितना अच्छा सिला दिया, उस के जरा से क्रोध पर उसे घर से निकाल दिया. असद का मन आत्मग्लानि से भर उठा.

असद के दिन अब बड़ी खामोशी  से गुजरने लगे थे. दफ्तर से आते ही वह घर में गुमसुम सा पड़ा रहता. कहीं आताजाता भी नहीं था. जुआ तो दूर की बात थी, उस दिन से उस ने ताश के पत्तों को छुआ तक नहीं था.

एक दिन अख्तर ने असद से जुआ खेलने को कहा तो असद ने उस को पीट दिया. उस दिन से असद और अख्तर में अनबन हो गई थी.

जोहरा से उस ने कई बार मिल कर माफी मांगने की कोशिश भी की लेकिन सफल नहीं हो सका. आखिर मजबूर हो कर उस ने अम्मी को जोहरा के मांबाप के पास भेजने का निश्चय किया.

सकीना को जोहरा से मिलने के लिए गए हुए 2 दिन हो चुके थे लेकिन वह अभी तक नहीं लौटी थी, ये 2 दिन असद ने बड़ी मुश्किल से काटे थे.

तीसरे दिन शाम को जब सकीना लौटी तो असद दौड़ादौड़ा अम्मी के पास आया और बोला, ‘‘क्या कहा जोहरा ने, अम्मी?’’

सकीना खामोश रही तो असद का हृदय धड़क उठा. बेचैन हो कर उस ने दोबारा पूछा, ‘‘अम्मी, तुम बतातीं क्यों नहीं?’’

‘‘फिक्र क्यों करता है, बेटे, मैं तेरी दूसरी शादी कर दूंगी,’’ सकीना का स्वर बुझाबुझा सा था, ‘‘अभी कौन सी तेरी उम्र निकल गई? लोग तो बुढ़ापे में शादियां करते हैं.’’

‘‘अम्मी, मैं जो तुम से पूछ रहा हूं, उस का जवाब क्यों नहीं देतीं,’’ असद बोला.

‘‘जोहरा ने इनकार कर दिया, बेटे. वह किसी भी हालत में तुम्हारे साथ रहने को तैयार नहीं है.’’

‘‘अम्मी,’’ असद का स्वर कांप कर रह गया. उस की आंखें शून्य में टिक गईं. जुए की आखिरी बाजी ने उस की सारी प्रसन्नताएं हर ली थीं. असद थकेथके कदमों से चलता अपने कमरे में आ गया. सकीना और नजमा कुछ कहना चाह कर भी कुछ न कह सकीं.

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